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पांच राफेल फाइटर 29 जुलाई को अंबाला पहुंच गए हैं। 5 लड़ाकू विमानों के आने से खेल जगह में भी खासा उत्साह है। सचिन तेंदुलकर, सुरेश रैना और शिखर धवन समेत अन्य दिग्गजों ने इसका स्वागत किया। सचिन ने कहा कि राफेल आने से हमारे डिफेंस सिस्टम को मजबूती मिलेगी। यह बिना थके देश की रक्षा करेगा।
सचिन ने ट्वीट किया- फाइटर जेट राफेल हमारे रक्षा बेड़े में शामिल हो गए हैं। इसके लिए भारतीय वायुसेना को दिल से बधाई। यह बिना थके आसमान में देश की रक्षा करने वाली वायुसेना के लिए बड़ी बात है। उनके अपग्रेड के लिए यह बड़ा कदम है।
Heartiest congratulations to #IndianAirForce for adding the state-of-the-art fighter jet Rafale, to our fleet.
It’s a massive upgrade for our Defence Forces who are tirelessly protecting our nation in the skies.
पड़ोसी देशों में भूकंप आया होगा
क्रिकेटर मनोज तिवारी ने ट्वीट किया, ‘‘राफेल जेट के भारत पहुंचने से पड़ोसी देशों में 8.5 की तीव्रता का भूकंप आया होगा। हालांकि इसमें जान-मान का कोई नुकसान नहीं हुआ होगा। भारतीय वायुसेना का हौसला बढ़ाने वाली यह बड़ी बात है। मुझे उम्मीद है कि आगे से पड़ोसी देश उकसावे की कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।’’
Earthquake of magnitude 8.5 has rattled our neighbouring countries wit no casualties after learning about #RafaleJets landed in INDIA 🇮🇳
Wat a boost for our Indian air force 👊
I’m pretty sure that, there will be no provocation in near future from our neighbors😊 #RafaleInIndiapic.twitter.com/DyTCsSRYuV
A glorious moment for entire nation as @IAF_MCC gets 5 Rafale to join it's "Golden Arrows" squadron. This will surely strengthen our nation security. Congratulations to the entire nation ! Jai Hind 🙏🇮🇳#RafaleInIndia#IndianAirForcehttps://t.co/rR5i0f7HWk
चीन ने गुरुवार को कहा कि भारत से उसकी इकोनॉमी को अलग करने से दोनों देशों को नुकसान होगा। चीन के राजदूत सुन वीडॉन्ग ने कहा कि उनका देश भारत के लिए स्ट्रैटजिक खतरा नहीं है। चीन का ये बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने पिछले दिनों चाइनीज ऐप बैन किए हैं और बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है।
चीन के राजदूत भारत-चीन संबंधों पर इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज, दिल्ली की तरफ से हुई वेबिनार में बोल रहे थे। उन्होंने सहयोग का रवैया रखने की वकालत करते हुए कहा है कि किसी एक को नुकसान पहुंचाने की सोच नहीं रखनी चाहिए। साथ ही कहा कि हमारी अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर टिकी हुई हैं। इन्हें जबरदस्ती अलग करना ट्रेंड के खिलाफ है, इससे सिर्फ नुकसान होगा।
सरकार ने रंगीन टीवी के आयात पर रोक लगाई
डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और चीन जैसे देशों से गैर-जरूरी वस्तुओं का इंपोर्ट कम करने के मकसद से यह फैसला लिया गया है। भारतीय टीवी सेट के बड़े एक्सपोर्टर में चीन शामिल है।
व्यापार में सहयोग से इंडस्ट्रीज का डेवलपमेंट तेज: चीन
दूसरी तरफ चीन के राजदूत ने कहा कि 2018-19 में भारत में 92% कंप्यूटर, 82% टीवी, 80% ऑप्टिकल फाइबर, 85% मोटरसाइकिल कंपोनेंट चीन से इंपोर्ट हुए। इससे व्यापार में ग्लोबलाइजेशन का पता चलता है। आप चाहें या नहीं चाहें, इस ट्रेंड को बदलना मुश्किल है। भारत-चीन के बीच ट्रेड को-ऑपरेशन से मोबाइल फोन, हाउसहोल्ड एप्लायंसेज, इन्फ्रास्ट्रक्टर, ऑटोमोबाइल मेकिंग और मेडिसिन जैसी इंडस्ट्रीज का डेवलपमेंट तेज हुआ है।
चीन के सैनिक सभी मोर्चों से पीछे नहीं हटे: भारत
भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीन के सैनिकों के पीछे हटने के दावों को खारिज किया है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने का प्रोसेस अभी पूरा नहीं हुआ है। इसके लिए कमांडर लेवल की बातचीत का अगला राउंड जल्द शुरू किया जाएगा। उम्मीद है कि चीन सीमा पर शांति के लिए जल्द से गंभीरता दिखाएगा।
देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने जून तिमाही का फाइनेंशियल रिजल्ट गुरुवार को पेश किया। हालांकि यह रिजल्ट ब्रोकरेज हाउस और विश्लेषकों के सभी के पहले के अनुमानों को झूठा साबित कर दिया। क्योंकि अनुमान ये थे कि कंपनी के लाभ में घाटा होगा, लेकिन कंपनी ने उससे आगे बढ़कर करीबन 30.6% ज्यादा लाभ दिखाया है। इसे हम हिस्सों में समझते हैं कि कैसे यह सब हुआ।
रिलायंस देश की सबसे बड़ी कंपनी है। इसने रिजल्ट से सभी को चौंका दिया है। इसका लाभ 30.6 प्रतिशत बढ़कर 13,248 करोड़ रुपए हुआ है। किसी भी कंपनी का लाभ वह हिस्सा होता है जो सभी खर्च, टैक्स आदि को काटकर बचता है।
लाभ क्यों बढ़ा- कंपनी को ब्रिटिश पेट्रोलियम की डील से 4,966 करोड़ रुपए मिले। अगर हम इसे निकाल दें तो कंपनी का लाभ 8,277 करोड़ रुपए होता है। यानी पिछले साल के जून में लाभ 10,140 करोड़ था। उसकी तुलना में इस बार लाभ घट जाता।
रेवेन्यू- रेवेन्यू वह हिस्सा होता है जो कंपनी की सभी तरह से आय होती है। मतलब किसी भी तरह से कंपनी की बैलेंसशीट में कोई पैसा आता है तो वह रेवेन्यू बन जाता है। आरआईएल का रेवेन्यू 42 प्रतिशत गिरकर 1.74 लाख करोड़ से 1 लाख 929 करोड़ रहा है।
रेवेन्यू क्यों कम हुआ- लॉकडाउन से पूरी अर्थव्यवस्था ठप रही। ग्लोबल लेवल पर मांग कम रही। मुख्य रूप से मांग न होने से ही कंपनी की लागत कम रही। साथ ही कच्चे तेलों की कीमतें भी इस दौरान गिरती रहीं। इसका ओटूसी रेवेन्यू इस दौरान बुरी तरह प्रभावित हुआ इसलिए इसका रेवेन्यू कम हुआ।
ऑयल प्राइस मतलब तेल की कीमतें- कंपनी के लिए जून तिमाही में तेल की कीमतें बहुत कम रहीं। ब्रेंट क्रूड की कीमतें जून तिमाही में औसतन 29.2 डॉलर प्रति बैरल रहीं। एक बैरल में 159 लीटर तेल होता है। जबकि एक साल पहले जून तिमाही में यह 68.8 प्रति बैरल थी। यानी कीमतों में 57.6 प्रतिशत की कमी आई इससे कंपनी के रेवेन्यू पर असर दिखा।
कंपनी का गणित क्या रहा? क्रूड ऑयल सस्ता होने के बावजूद देश में तेल की कीमतें पुराने स्तर पर ही बनी रहीं। ग्लोबल लेवल पर मांग कम रही। क्योंकि तेल की कीमतें हमेशा ग्लोबल लेवल पर ही चलती हैं। इससे कंपनी की लागत में कमी आई।
रेवेन्यू में कमी के और क्या कारण रहे- ब्रेंट क्रूड की कीमतें कम रहीं, रिटेल बिजनेस में 17% की गिरावट रही। यह गिरावट इसलिए रही क्योंकि लॉकडाउन रहा। लॉकडाउन से स्टोर को चलाने पर प्रतिबंध लगा रहा।
चुनौती भरा माहौल- लॉकडाउन के कारण चुनौती भरे माहौल में आरआईएल के रेवेन्यू में 42 प्रतिशत की गिरावट तो आई पर लाभ बढ़ा। पर अगर दूसरे तरीके से इसके लाभ को देखें तो इसमें 18 प्रतिशत की कमी रही है। कारण कि कंपनी को जो लाभ हुआ ,है वह एक्सेप्शनल गेन यानी किसी और तरीके से उसे लाभ हुआ है, न कि रेवेन्यू के आधार पर। यह लाभ मुख्य रूप से बीपी की डील का रहा है।
सभी मोर्चों पर कंपनी के रेवेन्यू में गिरावट रही। कंपनी के लिए राहत की बात यह रही कि जियो का रेवेन्यू 33.7% और लाभ 182% बढ़ा।
इबिट्डा- रिजल्ट की जो एक और बात है वह यह कि आरआईएल ने इबिट्डा पर नियंत्रण रखा है। इसका इबिट्डा मार्जिन 52 प्रतिशत रहा है। यह इसलिए संभव रहा क्योंकि लागत में कमी की गई, लागत में बचत की गई।
भविष्य में क्या होगा- अगर कंपनी लगातार आगे भी लागत पर नियंत्रण रखती है तो इसका इबिट्डा और लाभ बढ़ता रहेगा। जब रेवेन्यू वापस पटरी पर आएगा तब इसका और असर इबिट्डा और लाभ में दिखेगा।
आरआईएल का ईपीएस- ईपीएस यानी प्रति शेयर आय। यह जून तिमाही में 22.1 प्रतिशत बढ़ी। आय 20.7 रुपए प्रति शेयर रही। जैसा कि नाम से ही पता है कंपनी के जितने शेयर हैं, उनकी आय। मान लीजिए अगर 100 रुपए की आय है और 500 शेयर हैं तो प्रति शेयर आय 20 पैसे हुई।
स्टैंडअलोन जियो का रिजल्ट –स्टैंड अलोन क्या है- स्टैंडअलोन मतलब किसी एक कंपनी का रिजल्ट। जैसे रिलायंस में रिटेल है, जियो है पेट्रो केमिकल आदि कई सेगमेंट हैं। इसमें टेलीकॉम में जियो है। तो जब स्टैंडअलोन की बात आएगी तो किसी भी एक कंपनी की बात होगी। जब कंसोलिडेटेड की बात होगी तो फिर पूरे ग्रुप की बात होगी। जियो का स्टैंडअलोन रेवेन्यू 19,513 करोड़ रुपए रहा है। एक साल पहले की तुलना में यह 33.7 प्रतिशत बढ़ा है।
क्यों बढ़ा रेवेन्यू- एक तो कंपनी ने इस दौरान जियो के प्लान को महंगा कर दिया। दूसरे कंपनी ने अनलिमिटेड प्लान में भी कॉलिंग पर सीमा लगा दी। तीसरी बात कंपनी के ग्राहकों की संख्या भी इसी दौरान बढ़कर 39.8 करोड़ हो गई। इससे इसके प्रति ग्राहक का औसत खर्च भी बढ़ गया। यह औसत खर्च (एआरपीयू) 140.3 रुपए रहा।
डाटा ट्रैफिक में बढ़ोतरी- इसी दौरान जियो का वायरलेस डाटा ट्रैफिक भी 30 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा। यह 1,420 करोड़ जीबी रहा। जब किसी भी चीज की खपत बढ़ेगी तो उसका रेवेन्यू बढ़ेगा और उससे उसका लाभ बढ़ेगा। इस दौरान प्रति महीने प्रति ग्राहक 12.1 जीबी का डेटा खपत रहा। फोन से कॉल करने के मामले में हर ग्राहक ने महीने का 12.6 घंटे फोन कॉल किया।
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 16 लाख 39 हजार 350 हो गई है। गुरुवार को रिकॉर्ड 54 हजार 750 मरीज बढ़े। वहीं, 37 हजार 425 मरीज स्वस्थ भी हो गए। पिछले 24 घंटे में इस बीमारी से 783 लोगों ने दम तोड़ा। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।
उधर, कोरोना संक्रमण की वजह से मौतों के मामले में भारत अब इटली को पछाड़कर 5वें नंबर पर पहुंच गया है। वेबसाइट worldometers के मुताबिक, शुक्रवार सुबह तक भारत में कोरोना से 35 हजार 786 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से मौतों के मामले में सबसे आगे अमेरिका (1 लाख 54 हजार 963), ब्राजील (91 हजार 263), ब्रिटेन (45 हजार 999) और फिर मेक्सिको (45 हजार 361) है। इटली में 35 हजार 132 मौतें हुई हैं।
5 राज्यों का हाल मध्य प्रदेश: राज्य में जून की अपेक्षा जुलाई में संक्रमण की रफ्तार तीन गुना से ज्यादा हो गई है। प्रदेश में 1 जून से 30 जून के बीच कोरोना के 5592 पॉजिटिव मरीज मिले थे। जबकि जुलाई में 30 दिन में कोरोना के 17315 मरीज मिले हैं। ये बीते महीने की तुलना में तीन गुना से ज्यादा हैं।
भोपाल में इस दौरान ढाई गुना मरीज बढ़े हैं। 30 जून तक यहां 3029 मरीज थे, इनमें 1432 मरीज केवल जून महीने में मिले थे। जबकि जुलाई में 3587 पॉजिटिव मिले हैं।
राज्य सरकार ने 31 अगस्त तक राज्य में सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद रखने के आदेश जारी किए हैं। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'कोरोना संकट के कारण प्राइवेट स्कूल छात्रों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस नहीं लेंगे। शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि यदि माता-पिता फीस देने में सक्षम नहीं हैं, तो उनके बच्चे का नाम किसी भी परिस्थिति में स्कूल से नहीं हटाया जाए।'
महाराष्ट्र: सरकार ने राज्य में लॉकडाउन 31 अगस्त तक बढ़ा दिया। उधर, गुरुवार को राज्य में रिकॉर्ड 11 हजार 147 लोग पॉजिटिव मिले। इसी के साथ अब संक्रमितों का आंकड़ा 4 लाख 11 हजार 798 हो गया है।
राजस्थान: प्रदेश में एक सितंबर से सभी धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए खुल जाएंगे। सरकार ने इनसे कहा है कि अभी से सोशल डिस्टेंसिंग और हेल्थ प्रोटोकॉल के साथ धार्मिक स्थलों को खोले जाने के लिए तैयारी शुरू करें।
एक माह में प्रदेश में सबसे ज्यादा 3898 नए रोगी जोधपुर में आए। 30 जून को जोधपुर में 2793 रोगी थे जो अब 6691 हो गए। पिछले एक माह में अलवर में 3283 रोगी बढ़े, यह एक माह में रोगियों में 625% बढ़ोतरी है। 30 जून को अलवर में कुल संक्रमित 525 थे जो अब 3807 हो गए हैं। जयपुर में एक माह पहले 3318 रोगी थे जो अब 5255 हो गए। कुल 1937 की बढ़ोतरी।
बिहार: राज्य में गुरुवार को कोरोना सैंपल जांच की संख्या 20 हजार को पार कर गई। अब तक एक दिन में रिकॉर्ड 20801 सैंपल की जांच की गई। बुधवार की तुलना में जांच की संख्या में तीन हजार का इजाफा हुआ है। बुधवार को कुल 17794 सैंपल की जांच हुई थी।
राज्य में 30 जून तक कुल 2 लाख 20 हजार 890 कोरोना टेस्ट हुए, जबकि जुलाई महीने में गुरुवार तक कुल 3 लाख 4 हजार 540 टेस्ट हुए। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में अब तक हुए कुल टेस्ट 5 लाख 25 हजार 430 का 58% हिस्सा, यानी टेस्ट जुलाई महीने में ही हुआ।
उत्तर प्रदेश: राज्य में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोनावायरस के 3705 नए मामले सामने आए हैं। नए मरीजों के बढ़ने की ये अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। राज्य में अब 32,649 एक्टिव केस हैं। जबकि, 46,803 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं।
शाम सात बजे का वक्त है। अशोक के पत्तों से सजाए गए झूले पर राम-जानकी का रूप धारण किए दो बच्चे झूला झूल रहे हैं। सामने साधु-सन्यासियों की टोली हारमोनियम, ढोलक, झाल और दूसरे वाद्य यंत्रों के साथ पालथी जमाए है और गा रही है-
‘जय रहे अवधेश लनन, मिथलेश लली जी की जय रहे…
पिया संवारों सो है घटा, सिया दामिनी सी छा रही…..
बातें मधुर रस-रहस के आनंद जल बरसा रहे…’
ये सब रात के नौ बजे तक चलता रहा। इस दौरान प्रसाद के तौर पर इलायची बांटी गई और वहां बैठे हर व्यक्ति की हथेली के पिछले हिस्से पर इत्र लगाई गई। ये दृश्य अयोध्या में स्थित बिअहुती भवन मंदिर के अंदर का है। बिअहुती भवन का मतलब हुआ वो भवन जहां अभी-अभी विवाह सम्पन्न हुआ है, जहां विवाह होने वाला है या जहां अक्सर विवाह सम्पन्न होते हैं, लेकिन यहां ये एक मंदिर है जहां राम केवल दूल्हे के रूप में पूजे जाते हैं।
सावन महीने में हर शाम यहां राम-जानकी को झूला झुलाया जाता है और हर महीने की पंचमी तिथी को राम-सिया का विवाह करवाया जाता है। इस मंदिर या यहां रह रहे चालीस साधुओं के लिए राम की आराधना का यही एक तरीका है। विवाह भवन में रहने वाले, बच्चों का श्रृंगार करके उन्हें राम-सिया जैसा बनाने वाले भोला बाबा उर्फ नरेंद्र नाथ पाठक कहते हैं, ‘ये अयोध्या का अकेला मंदिर है जो राम को दूल्हे के तौर पर पूजता है। हमारे राम को गुस्सा नहीं आता। वो तो हमेशा मुस्कुराते रहते हैं। हमने और हमारे गुरुओं ने राम को हमेशा एक दूल्हे के तौर पर देखा है। इसके अलावा कुछ नहीं। हम अपने दूल्हे का विवाह करवाते हैं और यही हमारी पूजा है।’
बातचीत करते हुए भोला बाबा हमें मंदिर के अंदर घुमाते हैं। मंदिर में एक विवाह वेदी है जहां राम-जानकी का विवाह होता है और ये गीत-संगीत के माध्यम से होता है। मंदिर के एक हिस्से की तरफ इशारा करते हुए भोला बाबा कहते हैं, ‘विवाह वेदी वाले इलाके को हम जनकपुर मानते हैं। जहां राम और सिया झूला झूल रहे थे वो हिस्सा अयोध्या है। जब विवाह होता है तो वहां से बारात निकलती है और जनकपुर आती है।’
बिअहुती भवन मंदिर के अहाते में घूमते हुए एक ही मंदिर में अयोध्या और जनकपुर दोनों देखते हुए उस कथन पर विश्वास बढ़ जाता है जिसमें कहा गया है कि राम सबके हैं और सबके राम भी अलग-अलग हैं। इसी अयोध्या से राम को गुस्सैल और आक्रमक बनाकर, दिखाकर विश्व हिंदू परिषद ने एक पूरा आंदोलन चलाया और यही एक मंदिर ऐसा है जो राम को बतौर दूल्हा पूजता है। पूजा के दौरान राम और सीता की सुंदरता को लोक गीतों और रागों की मदद से गाता है। जब हमने बिअहुती भवन मंदिर के वर्तमान महंत वैकुंठ शरण से पूछा कि इस मंदिर की पूजा पद्धति और दूसरों में इतना अंतर कैसे है? तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘राम तो एक ही हैं। जो उन्हें जिस रूप में चाहता है, उस रूप में पूजता है। याद रखने वाली बात ये हैं कि आप जिस रूप में राम की पूजा करेंगे वो उसी रूप में आपको मिलेंगे।’
इस मंदिर में कोहबर भी है, जिसका हिंदी पट्टी खासकर बिहार और यूपी में होने वाले शादियों में खास महत्व है। मंदिर में बने कोहबर की तरफ इशारा करते हुए भोला बाबा कहते हैं, ‘हमारे लिए रामायण वहीं खत्म हो जाती है जब राम शादी के बाद कोहबर में जाते हैं।’ इसकी वजह पूछने पर वो कहते हैं, ‘इसके बाद के रामायण में जिस राम का जिक्र मिलता है। उनके द्वारा किए गए जिन कार्यों का जिक्र मिलता है वो हमारे राम जैसे नहीं हैं।’
इस मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि जिस तरह से पार्वती से विवाह करने के बाद भगवान शंकर घर जमाई बनकर कैलाश पर रह गए। जिस तरह से लक्ष्मी को पाने के बाद विष्णु क्षीर सागर में ही रह गए। ठीक उसी तरह से जनक की बेटी सीता से विवाह के बाद राम जनकपुर में ही रह गए। अयोध्या वापस गए ही नहीं।
इस मंदिर परिसर की दीवारों पर की गई तरह-तरह की चित्रकारी और परिसर की भव्यता को निहारते हुए हमारी मुलाकात मंदिर के एक युवा साधु सुनील शरण से हुई। सुनील यहां पिछले दस साल से रह रहे हैं और इनके मुताबिक मंदिर ने देश के एक बड़े इलाके में राम-सीता को पूजने के तरीके में बदलाव ला दिया है। वो बताते हैं, ‘इस मंदिर से जुड़े हजारों भक्त देशभर में फैले हैं। हम और हमारी टीम सालभर घूम-घूमकर उनके यहां पंचमी को राम-सीता विवाह करवाते हैं।’
इस मंदिर की मान्यता है कि राम के पूरे व्यक्तित्व में जो सबसे सुंदर पल है वो उनके जनकपुर जाने और दूल्हा बनने का है। अपनी इन्हीं मान्यताओं के आधार पर अयोध्या का बिअहुती भवन मंदिर उन्हें दूल्हे के तौर पर पूजता है और अपने भक्तों से पूजने का आग्रह करता है।
हर समाज, हर देश, हर वर्ग अपने-अपने हिसाब से मान्यताएं बनाता है। ये अलग बात है कि हिंदी पट्टी में तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का खास महत्व है लेकिन ये भी सच है कि पूरे देश में करीब तीन सौ रामायण हैं। अब आखिर में आपको उस गीत की चार लाइनें बताते हैं जो राम-जानकी विवाहोत्सव के दौरान इस मंदिर के साधू-संत अक्सर गाते हैं। गीत के बोल हैं-
‘अवध नगर से जनकपुर आए वर सुंदर हे
मदन मोहन छवि निरखत लिए हिये अंदर हे
अनुपम सोहे सिर मौर, भूषण, पितांबर हे
अलक कुटिल भौहां, धनुषम कमल नयन सर हे’
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 16 लाख 39 हजार 350 हो गई है। गुरुवार को रिकॉर्ड 54 हजार 750 मरीज बढ़े। वहीं, 37 हजार 425 मरीज स्वस्थ भी हो गए। पिछले 24 घंटे में इस बीमारी से 783 लोगों ने दम तोड़ा। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।
उधर, कोरोना संक्रमण की वजह से मौतों के मामले में भारत अब इटली को पछाड़कर 5वें नंबर पर पहुंच गया है। वेबसाइट worldometers के मुताबिक, शुक्रवार सुबह तक भारत में कोरोना से 35 हजार 786 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से मौतों के मामले में सबसे आगे अमेरिका (1 लाख 54 हजार 963), ब्राजील (91 हजार 263), ब्रिटेन (45 हजार 999) और फिर मेक्सिको (45 हजार 361) है। इटली में 35 हजार 132 मौतें हुई हैं।
5 राज्यों का हाल मध्य प्रदेश: राज्य में जून की अपेक्षा जुलाई में संक्रमण की रफ्तार तीन गुना से ज्यादा हो गई है। प्रदेश में 1 जून से 30 जून के बीच कोरोना के 5592 पॉजिटिव मरीज मिले थे। जबकि जुलाई में 30 दिन में कोरोना के 17315 मरीज मिले हैं। ये बीते महीने की तुलना में तीन गुना से ज्यादा हैं।
भोपाल में इस दौरान ढाई गुना मरीज बढ़े हैं। 30 जून तक यहां 3029 मरीज थे, इनमें 1432 मरीज केवल जून महीने में मिले थे। जबकि जुलाई में 3587 पॉजिटिव मिले हैं।
राज्य सरकार ने 31 अगस्त तक राज्य में सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद रखने के आदेश जारी किए हैं। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'कोरोना संकट के कारण प्राइवेट स्कूल छात्रों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस नहीं लेंगे। शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि यदि माता-पिता फीस देने में सक्षम नहीं हैं, तो उनके बच्चे का नाम किसी भी परिस्थिति में स्कूल से नहीं हटाया जाए।'
महाराष्ट्र: सरकार ने राज्य में लॉकडाउन 31 अगस्त तक बढ़ा दिया। उधर, गुरुवार को राज्य में रिकॉर्ड 11 हजार 147 लोग पॉजिटिव मिले। इसी के साथ अब संक्रमितों का आंकड़ा 4 लाख 11 हजार 798 हो गया है।
राजस्थान: प्रदेश में एक सितंबर से सभी धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए खुल जाएंगे। सरकार ने इनसे कहा है कि अभी से सोशल डिस्टेंसिंग और हेल्थ प्रोटोकॉल के साथ धार्मिक स्थलों को खोले जाने के लिए तैयारी शुरू करें।
एक माह में प्रदेश में सबसे ज्यादा 3898 नए रोगी जोधपुर में आए। 30 जून को जोधपुर में 2793 रोगी थे जो अब 6691 हो गए। पिछले एक माह में अलवर में 3283 रोगी बढ़े, यह एक माह में रोगियों में 625% बढ़ोतरी है। 30 जून को अलवर में कुल संक्रमित 525 थे जो अब 3807 हो गए हैं। जयपुर में एक माह पहले 3318 रोगी थे जो अब 5255 हो गए। कुल 1937 की बढ़ोतरी।
बिहार: राज्य में गुरुवार को कोरोना सैंपल जांच की संख्या 20 हजार को पार कर गई। अब तक एक दिन में रिकॉर्ड 20801 सैंपल की जांच की गई। बुधवार की तुलना में जांच की संख्या में तीन हजार का इजाफा हुआ है। बुधवार को कुल 17794 सैंपल की जांच हुई थी।
राज्य में 30 जून तक कुल 2 लाख 20 हजार 890 कोरोना टेस्ट हुए, जबकि जुलाई महीने में गुरुवार तक कुल 3 लाख 4 हजार 540 टेस्ट हुए। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में अब तक हुए कुल टेस्ट 5 लाख 25 हजार 430 का 58% हिस्सा, यानी टेस्ट जुलाई महीने में ही हुआ।
उत्तर प्रदेश: राज्य में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोनावायरस के 3705 नए मामले सामने आए हैं। नए मरीजों के बढ़ने की ये अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। राज्य में अब 32,649 एक्टिव केस हैं। जबकि, 46,803 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं।
मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही के नतीजे घोषित किए। अप्रैल से जून के बीच कंपनी का रेवेन्यू एक लाख 929 करोड़ रुपए रहा। जियो का मुनाफा पिछले साल के मुकाबले तीन गुना बढ़ गया। लॉकडाउन के कारण कंपनी के रिटेल बिजनेस को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा।
कंपनी के 50% स्टोर पूरी तरह बंद रहे। 29% थोड़े दिन खुल सके। लेकिन, जियो मार्ट के जरिए रिलायंस रिटेल बिजनेस में एक और कदम उठाया। इसका फायदा उसे लॉकडाउन में हुआ। लॉकडाउन के शुरुआत में ही जियोमार्ट के डेली ऑर्डर 4 गुना बढ़ गए।
कंपनी को कमाई कहां से हुई?
तीस साल में पहली बार आरआईएल ने डिसइन्वेस्टमेंट किया। कोरोनाकाल में उसके टेलीकॉम बिजनेस में भारी तेजी आई। इसका असर ये हुआ कि इस तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का रहा।
जियो से कितना फायदा बढ़ा?
जियो ने रिलायंस को सभी बिजनेस वर्टिकल्स में उम्मीद से बढ़कर कमाई करके दी। उसने लॉकडाउन के दौरान भी देशभर में 9.9 मिलियन कस्टमर जोड़े। कंपनी ने कहा, "पूरे देश में लॉकडाउन था और इस वजह से इस दौरान कंपनी के साथ कस्टमर एंगेजमेंट बढ़ा। प्रति यूजर प्रति माह 12.1 जीबी डेटा कंजम्प्शन हुआ, वहीं औसत वॉइस कंजम्प्शन 756 मिनट प्रति यूजर प्रति माह हुआ।'
जियो का नेट प्रॉफिट अप्रैल से जून के दौरान 182.8 फीसदी बढ़ा। एक साल पहले जियो से कंपनी को 891 करोड़ का नेट प्रॉफिट हुआ था। जो इस बार बढ़कर 2,520 करोड़ रुपए हो गया। जियो का ईयर-ऑन-ईयर नेट प्रॉफिट, रिलायंस के एक्सपेक्टेशनल गेन का 55% है।
रिटेल में और क्या करने जा रहे हैं अंबानी?
रिलायंस के रिटेल बिजनेस पर लॉकडाउन का असर पड़ा। उसका रेवेन्यू 17% गिर गया। अप्रैल से जून के दौरान कंपनी ने कुल 31,633 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। देशभर में रिलायंस रिटेल के 11,800 आउटलेट हैं। लॉकडाउन के चलते इनमें से करीब 80% या तो पूरी तरह या फिर कुछ हद तक बंद रहे। इसके चलते कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट यानी इनकम टैक्स और इंटरेस्ट का खर्च घटाने से पहले का प्रॉफिट करीब 60% घटकर 722 करोड़ रुपए रह गया।
इसकी कुछ हद तक भरपाई कंपनी ने अपने जियो मार्ट प्लेटफॉर्म से की। इसके जरिए उसने एक दिन में 4 लाख तक ऑर्डर डिलीवर किए। हालांकि, कंपनी ने जियो मार्ट की शुरुआत मई के अंत में की। इसके जरिए कंपनी देश के 200 शहरों में ऑनलाइन ग्रॉसरी शॉपिंग की फैसेलिटी दे रही है।
जल्द ही ग्रॉसरी के अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन, हेल्थकेयर और फार्मा प्रॉडक्ट भी मिलने लगेंगे। जियो मार्ट की टक्कर अमेजन पैन्ट्री, बिग बास्केट, ग्रोफर्स और फ्लिप-कार्ट सुपरमार्केट से है।
फ्यूचर ग्रुप के रिटेल कारोबार खरीद सकती है रिलायंस
फ्यूचर ग्रुप के रिटेल सेगमेंट में बिग बाजार जैसे बड़े ब्रांड शामिल हैं। इसके अलावा फूडहॉल, नीलगिरीज, एफबीबी, सेंट्रल, हेरिटेज फूड्स और ब्रांड फैक्ट्री भी रिटेल सेगमेंट में आते हैं। रिलायंस रिटेल की डील होती है तो फ्यूचर ग्रुप के करीब 1700 रिटेल स्टोर भी रिलायंस रिटेल के पास चले जाएंगे। लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस रिटेल 24,000 करोड़ से 27,000 करोड़ रुपए में फ्यूचर रिटेल को खरीद सकती है।
पेट्रोकेमिकल बिजनेस का क्या हुआ?
तेल और गैस बिजनेस में पिछले साल की समान अवधि के आधार पर 45.2 प्रतिशत की कमी आई और वह महज 506 करोड़ रुपए रह गया। साल-दर-साल आधार पर ईबीआईटीडीए 207 करोड़ रुपए से घटकर 32 करोड़ रुपए रह गया।
जब बिजनेस चला ही नहीं तो लाभ कैसे?
कंपनी ने कहा कि उसे 4,966 करोड़ रुपए यानी करीब पांच हजार करोड़ रुपए का असाधारण लाभ हुआ। यह रिलायंस बीपी मोबिलिटी सर्विसेस के शेयर बेचने से हुआ। आरआईएल ने अपने फ्यूल रिटेलिंग बिजनेस में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी को बीपी को 7,629 करोड़ रुपए में बेचा। इस पर 1,508 करोड़ रुपए का टैक्स चुकाया, जिससे वन-टाइम गेन के रूप में 4,966 करोड़ रुपए प्राप्त हुए।
10 से 50 प्रतिशत तक सैलरी काटी, इससे क्या बचा?
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाइड्रोकार्बन बिजनेस में कर्मचारियों की सेलरी में 10 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की थी। यह सालभर में करीब 600 करोड़ रुपए की बचत कंपनी के लिए करता है। कंपनी ने 15 लाख रुपए से ज्यादा वार्षिक आय वाले कर्मचारियों के वेतन में कटौती की थी। सीनियर एक्जीक्यूटिव्स और बोर्ड सदस्यों की सेलरी में 30 से 50 प्रतिशत की कटौती की है।
इसके अलावा मुकेश अंबानी ने अपनी 15 करोड़ रुपए की सालाना सेलरी में से इस बार एक रुपया भी नहीं लेने का फैसला किया है। जब सेलरी कटौती की बात आई थी तो ज्यादातर एनालिस्ट ने आश्चर्य जताया था। इससे कंपनी को 50 करोड़ रुपए की मासिक बचत हो रही है। आरआईएल ने 2019-20 में 6.6 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू कमाया।
कंसोलिडेट्स लेवल पर रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल में इस साल कर्मचारियों पर खर्च 14,075 करोड़ रुपए है जो 2019-20 में 12,488 करोड़ रुपए था।
एनालिस्ट क्या कह रहे हैं?
शेयरखान के अभिजीत बोरा ने कहा कि नतीजे उम्मीद के अनुसार ही रहे। लॉकडाउन की वजह से रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसके बाद भी जियो के मुकाबले रिलायंस रिटेल का कारोबार मंदा रहा।
विलियम ओ'नील के मयुरेश जोशी ने कहा, लॉकडाउन का असर पेट्रोकेमिकल बिजनेस पर दिखा। इसके बाद भी पेट्रोकेमिकल बिजनेस की मार्जिन उम्मीद से बेहतर है। जियो ने सरप्राइज किया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के दीपक जसानी ने कहा कि रिफाइनिंग सेग्मेंट में खराब प्रदर्शन की वजह से टॉप-लाइन परफॉर्मेंस कमजोर रहा।
भोजन हमारी सबसे पहली जरूरत है, यह हमारे शरीर के लिए ईंधन की तरह है। अब इस महामारी के दौर में हमें इस काम में भी खासी सावधानी की जरूरत है। फिलहाल खाने की वजह से कोरोनावायरस से संक्रमित होने का कोई मामला सामने नहीं आया है। इसके बावजूद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के अनुसार, खाने की और पैकिंग की सतह से वायरस फैल सकता है। हालांकि हम इस मुश्किल को भी साफ-सफाई की आदत से टाल सकते हैं।
बाहर खरीददारी करने जाएं तो इन 5बातों का रखें ध्यान-
जरूरी होने पर ही किराना खरीदने के लिए घर से बाहर निकलें। इस दौरान साफ मास्क-ग्लव्ज पहनें और 70% एल्कोहल वाला सैनिटाइजर अपने साथ रखें।
अपना खुद का शॉपिंग बैग साथ लेकर जाएं और पहले से ही शॉपिंग लिस्ट तैयार रखें। कम भीड़ वाले स्टोर्स पर जाने की कोशिश करें।
कोशिश करें कि एक ही स्टोर से सारा सामान खरीद लें। अपनी जरूरत के हिसाब से ही खरीदी करें। जरूरत से ज्यादा खरीदी करने से सामान की कमी होगी और गैर जरूरी मांग बढ़ेगी।
कम भीड़ वाले वक्त में ही शॉपिंग करने जाएं। अगर बीमार महसूस कर रहे हैं या किसी तरह के लक्षण नजर आ रहे हैं तो बाहर न निकलें।
अपने साथ मोबाइल, क्रेडिट/डेबिट कार्ड साथ रखें, ताकि आप कैशलेस पेमेंट कर पाएं। महामारी के दौरान नगदी के बजाए डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दें।
दुकान के अंदर भी पांच सावधानियों का ध्यान रखें-
बिल काउंटर, दुकान के अंदर जाने की बारी या सामान उठाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
केवल उन्हीं प्रोडक्ट्स को छुएं जो आप खरीदने वाले हैं। हैंडल, काउंटर जैसी लगातार छूने में आने वाली सतहों को टच करने से बचें। अगर छू लिया है तो ध्यान से हाथों को सैनिटाइज करें।
अपने चेहरे, आंखों और नाक को न छुएं। अगर बहुत जरूरी है तो साफ टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें और उपयोग के तुरंत बाद डिस्पोज कर दें।
स्टोर के अंदर बास्केट या कार्ट के हैंडल को सैनिटाइजर करें। अगर ऐसा संभव नहीं है तो इस्तेमाल के बाद अपने हाथों को सैनिटाइज करें।
खरीदी गई चीजों को बाजार से लाते वक्त अपने शरीर से दूर रखें। सामान को अपने शॉपिंग बैग या बास्केट में रखें।
घर पहुंचने के बाद जूतों को बाहर रखें और मोबाइल फोन सैनिटाइज करें
बाजार से लौटने के बाद भी घर में सावधानियां रखना बहुत जरूरी हो जाता है। सबसे पहले अपने जूतों को घर के अंदर जाने से पहले बाहर ही उतार दें और तुरंत हाथों को साफ करें। चाबियों और मोबाइल फोन को सैनिटाइज करें।
बाजार से खरीदे हुए फूड पैकेट्स को अल्कोहल सॉल्यूशन या साबुन और साफ पानी से साफ करें। अगर पैकेट ने किसी सतह को छुआ है तो उस सतह को भी सैनिटाइजिंग वाइप या सॉल्यूशन की मदद से साफ करें।
कॉन्टैक्ट लैस हो फूड डिलिवरी
अपने घर से दूर दूसरे शहरों में रहने वाले लोगों को कई बार बाहर से खाना ऑर्डर करना जरूरी हो जाता है। ऐसे में अगर आप फूड ऑर्डर कर रहे हैं तो हैंडलिंग को लेकर सावधानी रखें, क्योंकि पैकेजिंग की सतह पर कोरोनावायरस हो सकता है।
ऑर्डर रिसीव करने दौरान हो सके तो कॉन्टैक्ट लैस डिलीवरी लें। इसमें डिलीवरी बॉय पैकेट को गेट पर रखकर आपको फोन पर सूचित कर देगा। अगर ऐसा मुमकिन नहीं है तो कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाकर रखें और डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दें।
रेस्टोरेंट्स और डिलीवरी सर्विसेज अपनी जगहों पर साफ-सफाई का खासा ध्यान रख रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी सुरक्षा को लेकर हमारा सतर्क रहना बहुत जरूरी है।
वेज-नॉनवेज के लिए अलग-अलग चाकू और बर्तनों का इस्तेमाल करें
खाना बनाने के दौरान भी हमें अपनी और बर्तनों की साफ-सफाई का खासा ख्याल रखना चाहिए। इससे संक्रमण और दूसरी खाने से संबंधित परेशानियों को कम करने में मदद मिलती है। पकाने के दौरान सभी खाने की चीजों को ठीक तरह से कवर कर रखना चाहिए। इसके अलावा वेज-नॉनवेज खाने के लिए अलग-अलग बर्तनों और दूसरी चीजों का इस्तेमाल करें।
अगर खाना बनाने या सर्व करने वाले किसी व्यक्ति को फ्लू जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो उन्हें काम करने से बचना चाहिए। खाना बनाने के दौरान साफ-सफाई का सबसे ज्यादा ख्याल रखें।
खाना बनाने के लिए साफ चाकू, चॉपिंग बोर्ड्स, प्लेट्स आदि का इस्तेमाल करें। वेज-नॉनवेज को पकाने या रखने के लिए भी अलग-अलग बर्तनों का इस्तेमाल करें।
अगर ऐसा मुमकिन नहीं है तो वेज-नॉनवेज पर उपयोग किए गए चाकू और बर्तनों को फल और सब्जियों पर इस्तेमाल से पहले धो लें।
नॉनवेज से वेज भोजन की तरफ शिफ्ट करने से पहले भी अपने हाथों को कम से कम 40-60 सेकंड्स तक साबुन और पानी से धोएं।
फ्रोजन फूड को रेफ्रिजरेटर में 40 सेल्सियस से कम या पैकेट में रहते हुए बहते ठंडे पानी में डिफ्रॉस्ट करना चाहिए। मसालेदार बनाई जाने वाली चीजों को भी फ्रिज में रखना चाहिए।
अगर सलाद बना रहे हैं तो सब्जियों और फलों को उपयोग से पहले पानी में ठीक तरह से धो लें। आप इसके लिए 50ppm क्लोरीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
खाना पकने के दौरान टेस्ट जानने के लिए उंगलियों या हाथ का इस्तेमाल करने से बचें। अगर चम्मच से टेस्ट ले रहे हैं तो ध्यान रखें कि उनका दोबारा उपयोग न हो। नमक, कैचअप आदि के कंटेनर्स को रोज साफ करें।
तेल को दोबारा गर्म न करें और इसके उपयोग से भी बचें। हर बार ताजा तेल इस्तेमाल करें। महामारी के दौरान खाना, चम्मच, प्लेट जैसी चीजों को शेयर करने से बचें। खाना परोसने और खाने से पहले 40-60 सेकंड तक हाथों को ठीक तरह से धोएं।
खास भोजन और न्यूट्रिएंट्स हमारे इम्यून सिस्टम और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं
इम्यून सिस्टम को बेहतर काम करने के लिए संतुलन और सामंजस्य की जरूरत होती है। बेहतर न्यूट्रिएंट्स हमारे इम्यून सिस्टम (इन-नेट और एडोप्टिव इम्युनिटी) को मजबूत करते हैं। कोई भी एक खाना, मसाले या हर्ब बीमारी का इलाज नहीं करते हैं। ऐसे में भोजन में खास तरह के न्यूट्रिएंट्स को शामिल करने अच्छा उपाय है। विटामिन A, B, C, D, E मिनरल्स जैसे- जिंक, सेलेनियम, आयरन, कॉपर, अमीनो एसिड, ओमेगा 3 फैटी एसिड हमारे इम्यून सिस्टम के लिए जरूरी न्यूट्रिएंट्स हैं।
30 अक्टूबर 1990..."रामलला हम आएंगे, मंदिर यहीं बनाएंगे" के नारों से अयोध्या गूंज रही थी। सड़क पर या तो भगवा पहने कारसेवक थे या संगीनों के साथ खाकी वर्दी पहने पुलिस वाले। बाबरी मस्जिद के डेढ़ किमी के दायरे को पुलिस ने बैरिकेट कर रखा था। कहीं से भी कोई आवाजाही नहीं थी। घर की छतों पर पुलिस तैनात थी। लेकिन, कारसेवक रामलला तक पहुंचने के लिए अड़े हुए थे।
हजारों की संख्या में जब कारसेवक हनुमान गढ़ी के आगे गलियों से होते हुए राम जन्मभूमि की ओर बढ़े तो सुरक्षाकर्मियों ने गोली चला दी। ये गोली तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर चलाई गई थी। गोली की वजह से अयोध्या के रहने वाले 5 कारसेवकों की मौत हो गयी।
यह सभी गरीब परिवारों से थे। कोई टोकरी बनाता था तो कोई रिक्शा चलाता था। अब 2020 में अयोध्या में मारे गए उन 5 कारसेवकों में से 3 के परिवार रहते है। उनसे मिलकर हमने उनका हाल जाना।
पहली कहानी: घर गिरवी रखा है, बच्चों की फीस भरने का भी पैसा नही है
अयोध्या के कजियाना मोहल्ले में राजेन्द्र धनकार का घर है। घर के सामने थोड़ी सी जमीन है, जिसमें बड़ा सा पेड़ है। और पीछे घर है। घर की चौड़ाई लगभग 40 फिट होगी लेकिन, अंदर से घर थोड़ा छोटा है। सामने ही राजेन्द्र के छोटे भाई रविन्द्र मिले।
बातचीत में उन्होंने बताया कि उस समय मेरी उम्र 8 या 10 साल रही होगी। 30 अक्टूबर 1990 से कुछ दिन पहले ही कारसेवक अयोध्या पहुंच रहे थे। 30 अक्टूबर को सुबह 7 से 8 बजे का समय था। कुछ लोग भीड़ के साथ जयश्री राम के नारे लगाते हुए आये और भैया को बुलाया। उस समय भाई की उम्र 16 या 17 साल रही होगी।
उन्होंने भी माथे पर भगवा लपेटा और नारे लगाते हुए निकल गए। मैं भी उनके पीछे भागा, लेकिन मां ने मुझे रोक लिया तो मैं वापस आ गया। बाद में पता चला कि गोली चल गई है। फिर उस समय विहिप ने 1 लाख रुपए की मदद की थी। हालांकि, पिता जी ने किसी के कहने पर उस समय किसी चिटफंड कंपनी में पैसे लगा दिए और वह कंपनी भी भाग गई।
चूंकि, हम लोगों की आर्थिक स्थिति पहले भी बहुत अच्छी नही थी। बांस की टोकरी वगैरह ही बनाने का काम था तो वही चल रहा था। अभी 10 साल हुआ माता जी को गुजरे हुए। पिता को पैरालिसिस का अटैक हुआ तो इलाज में काफी पैसे खर्च हुए। कर्ज लेने के लिए 4 कमरों का घर गिरवी रखना पड़ा।
उस घर में 3 किरायेदार रख रखे हैं। 300 रुपये कमरे का किराया है। एक कमरे की छत टूटने को है तो उसे किराए पर नही उठाया है। जिस कमरे में मैं रहता हूँ, दस साल से ज्यादा हुआ पुताई नहीं करवा पाया हूँ। कमरे में ही खाना बनता है इसलिए छत और दीवार काली पड़ गयी है।
रविन्द्र की पत्नी सोनी कहती है कि हमारे छह बच्चे हैं। 2 लड़कियां 8वीं पास कर चुकी हैं तो एक प्राइवेट स्कूल में नाम लिखा दिया, लेकिन लॉकडाउन की वजह से किरायेदार भी भाग गए और टोकरी वगैरह भी बिकनी बन्द हो गयी। जिससे हम इस समय पैसे पैसे के मोहताज हो गए हैं। बच्चों की स्कूल फीस नही जमा कर पा रहे हैं।
कभी-कभी भूखे पेट भी सोना पड़ा। इस समय 3-4 दिन में कहीं 100-200 की कमाई हो जाती है। रविन्द्र ने कहा जब भैया के मरने पर विहिप ने सम्मान किया था, उसके बाद हमें पलटकर भी नही पूछा। हम यहां के वर्तमान भाजपा विधायक के पास भी गए, लेकिन वह मिले ही नही। अब बेटियों की शादी कैसे करूंगा यह भी नही समझ आ रहा है। हालांकि, रविन्द्र कहते है कि श्री राम का मंदिर बनने जा रहा है। यही सबसे बढ़िया बात है। भैया का बलिदान बेकार नही गया।
दूसरी कहानी: जब महिलाएं बाहर नहीं निकलती थी, तब मां ने दुकान संभाल कर हमें पढ़ाया लिखाया
हनुमान गढ़ी से लगभग डेढ़ दो किमी दूर नया घाट मोहल्ला में मुख्य सड़क पर ही संदीप गुप्ता की कपड़ों की दुकान है। संदीप गुप्ता के पिता वासुदेव गुप्ता की भी मौत 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवा के दौरान ही हुई थी। दुकान पर बैठे संदीप ने बताया जब पिता जी की मौत हुई तो मेरी उम्र काफी कम थी।
मुझे बताया गया कि उस समय न तो रिश्तेदार हमारी मदद को खड़े हुए न ही हमारे दादा-दादी। उसी समय से हम लोग अलग रह रहे हैं। मुझे याद है मेरी माँ शकुंतला उस समय घूंघट डाले रहती थी लेकिन हम लोगों को पालना था तो वह दुकान पर बैठने लगी।
पहले पिता जी मिठाई की दुकान चलाते थे। बाद में जब मां ने दुकान ने संभाली तो कपड़ों की दुकान खोली। धीरे-धीरे खर्चा पानी चलता रहा। हम लोगों को पढ़ाया। एक बहन की शादी हो गयी है। एक बहन अभी घर पर है। हम दोनों भाई बहन ग्रेजुएशन किये हुए हैं। हमारी कहीं नौकरी नहीं लगी तो हम मां के साथ दुकान पर बैठने लगे।
लॉकडाउन में तो हम लोगों की हालत और खराब हो गयी है। धार्मिक शहर में जब कोई आएगा ही नही तो कुछ बिकेगा ही नही। अब मंदिर बन रहा है मेरी यही अपील है ट्रस्ट से कि हम लोगों को भी कुछ काम दे दिया जाए। ताकि हम लोगों की भी रोजी-रोटी चल सके।
तीसरी कहानी: 30 साल पहले हुई थी विधवा, अब बच्चों की बेरुखी डराती है
हनुमान गढ़ी से लगभग 500 मीटर दूर रानी मोहल्ले में गायत्री देवी का घर है। 1990 में कारसेवा के दौरान इनके पति रमेश पांडेय की भी जान चली गयी थी। विहिप ने तब 10 लाख से ज्यादा रुपयों से इस परिवार की मदद भी की थी लेकिन एक विधवा ने अपने परिवार को उन्हीं रुपयों से संभाला और संवारा लेकिन बुढ़ापे में उसे थोड़े-थोड़े पैसों के लिए भी दूसरों का मुंह देखना पड़ रहा है।
यह बताते बताते 55 साल की गायत्री की आंखों में आंसू आ जाते हैं। घर के दरवाजे पर टिकी गायत्री कहती हैं कि 13-14 साल की उम्र रही होगी जब मेरी शादी हो गयी थी। 10-15 बरस बीते होंगे जब पति भरा पूरा परिवार छोड़ कर चले गए।
दो बेटे और दो लड़कियां और हमारी सास को पीछे छोड़ गए थे। हमको समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे कैसे और क्या करेंगे। पति हमारे एक ईंट भट्ठे पर मुंशी थे जिंदगी आराम से चल रही थी। लेकिन, बाद में दिक्कत हो गयी। तब विहिप ने पैसों से मदद की। उसी से दो बेटियों की शादी की। दोनों बेटों को बड़ा किया। सास की दवाई पानी की। अब बड़ा बेटा कारसेवक पुरम में ही नौकरी करता है।
जबकि दूसरा बेटा भी कहीं प्राइवेट जॉब करता है। बड़ा बेटा अलग रहता है। मैं छोटे बेटे के साथ रहती हूँ। अब बुढ़ापा आ गया है। पैसे खत्म हो चुके हैं। थोड़े-थोड़े पैसों के लिए अब किसी का मुंह देखना अच्छा नही लगता है। चिंता रहती है कि कैसे आगे की जिंदगी कटेगी। गायत्री संभलते हुए कहती है कि चलो सबसे अच्छा हुआ कि राममंदिर बनने जा रहा है। हो सकता है कि हम लोगों को भी निमंत्रण मिले।
कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर इस साल भी दो मत हैं। ज्यादातर पंचांगों में 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी है, लेकिन ऋषिकेश और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में 13 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाने की तैयारी है।
वैष्णव मत के मुताबिक 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है, इसलिए मथुरा (उत्तर प्रदेश) और द्वारिका (गुजरात) दोनों जगहों पर 12 अगस्त को ही जन्मोत्सव मनेगा। जगन्नाथपुरी में 11 अगस्त की रात को कृष्ण जन्म होगा। वहीं, काशी और उज्जैन जैसे शैव शहरों में भी 11 को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
इसका कारणः कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र का एक साथ नहीं मिल रहे। 11 अगस्त को अष्टमी तिथि सूर्योदय के बाद लगेगी, लेकिन पूरे दिन और रात में रहेगी। भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि इस साल जन्माष्टमी पर्व पर श्रीकृष्ण की तिथि और जन्म नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है। इस बार 11 अगस्त, मंगलवार को अष्टमी तिथि पूरे दिन और रातभर रहेगी।
अलग-अलग दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी
पं. मिश्र के साथ ही अखिल भारतीय विद्वत परिषद का कहना है कि गृहस्थ लोगों के लिए जन्माष्टमी पर्व 11 अगस्त को रहेगा। वहीं, साधु और सन्यासियों के लिए 12 अगस्त को। जन्माष्टमी को लेकर पंचांग भेद है, क्योंकि 11 अगस्त को अष्टमी तिथि है जो कि अगले दिन सुबह 8 बजे तक रहेगी।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी अष्टमी तिथि पर आधी रात में हुआ था। इसलिए विद्वानों का कहना है कि गृहस्थ जीवन वालों को इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाना चाहिए। वहीं, अगले दिन यानी 12 अगस्त को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि तो होगी, लेकिन सुबह 8 बजे तक ही रहेगी। इसलिए कुछ जगहों पर जन्माष्टमी पर्व 12 अगस्त को भी मनाया जाएगा।
मथुरा: भक्तों के बिना मनेगा जन्मोत्सव
श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव कपिल शर्मा बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म नक्षत्र रोहिणी था। जो कि इस बार 12 अगस्त की रात में है। नक्षत्र की स्थिति देखते हुए मथुरा में कृष्ण जन्मोत्सव पर्व 12-13 अगस्त की रात में मनाया जाएगा। कोरोना के चलते इस बार भक्तों के बिना ही कृष्ण जन्मोत्सव पर्व मनाया जाएगा। इस उत्सव को टीवी के जरिये देखा जा सकेगा। वहीं, पुष्पांजली समारोह जिसे हिंडोला भी कहा जाता है, भागवत भवन में रखा जाएगा।
जगन्नाथ पुरी में 11, द्वारिका में 12 अगस्त
द्वारिका धाम मंदिर के पुजारी पं. प्रणव भाई के मुताबिक, 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाना शुभ है। वहीं, जगन्नाथपुरी के पुजारी पं. श्याम महापात्रा के मुताबिक, उड़ीसा सूर्य उपासक प्रदेश है, इसलिए यहां सूर्य की स्थिति को देखते हुए त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए, पुरी मंदिर में 11 अगस्त को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव और 12 अगस्त को नंदोत्सव मनाया जाएगा।
तिथि और नक्षत्र के कारण होता है तारीखों में भेद
पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। लेकिन, ग्रह-नक्षत्रों की चाल में बदलाव होने से कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही नहीं होते।
इसलिए कुछ लोग जन्म तिथि को महत्वपूर्ण मानते हुए अष्टमी तिथि को ये पर्व मनाते हैं और कुछ लोग रोहिणी नक्षत्र वाले दिन मनाते हैं। हालांकि, दोनों ही दिन ये पर्व मनाना उचित है। इसलिए संप्रदाय भेद के कारण ये पर्व तिथि और नक्षत्र प्रधान माना जाता है।
12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने के तर्क
ज्योतिषाचार्य पं. मिश्र के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग में हुआ था। लेकिन, इस बार तिथि और नक्षत्र का संयोग एक ही दिन नहीं बन रहा है। मंगलवार, 11 अगस्त को अष्टमी तिथि पूरे दिन और रातभर रहेगी। इस वजह से 11 अगस्त की रात जन्माष्टमी मनाना ज्यादा शुभ रहेगा।
पं. मिश्र का कहना है कि 11 अगस्त को ही श्रीकृष्ण के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करना चाहिए। अष्टमी तिथि 12 अगस्त को सूर्योदय काल में रहेगी, लेकिन सुबह 8 बजे ही तिथि बदल जाएगी। ये दिन अष्टमी और नवमी तिथि से युक्त रहेगा। इसलिए 11 अगस्त को ही जन्माष्टमी पर्व मनाना उचित नहीं होगा।
4 मई को न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक स्पेशल रिपोर्ट छापी थी। इस रिपोर्ट में चीन की सरकार की एक इंटरनल रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि दुनिया भर में एंटी-चाइना सेंटीमेंट्स यानी चीन विरोधी भावना 1989 में थियानमेन चौक पर हुए नरसंहार के बाद से सबसे ज्यादा है। इस रिपोर्ट को चीन के गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सौंपा था।
दुनिया में एंटी-चाइना सेंटीमेंट्स बढ़ने की वजह कोरोनावायरस बताई गई थी। इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि कोरोनावायरस के कारण चीन के खिलाफ माहौल बनेगा और अमेरिका से सीधे टकराव होगा।
लेकिन, सिर्फ कोरोनावायरस ही नहीं बल्कि और भी कई कारण हैं, चाहे हॉन्गकॉन्ग का मुद्दा हो या शिन्जियांग में उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों का मसला। चाहे सीमा विवाद। इन वजहों से चीन दुनिया में चारों तरफ से घिरता जा रहा है। लेकिन, चौंकाने वाली बात ये भी है कि घिरने के बाद भी चीन पर इसका ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
सबसे पहले बात, उन 6 कारणों की, जिनकी वजह से चीन घिरा 1. हॉन्गकॉन्ग : चीन ने यहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया। इसमें हॉन्गकॉन्ग में देशद्रोह, आतंकवाद, विदेशी दखल और विरोध प्रदर्शन जैसी गतिविधियां रोकने का प्रावधान है। कानून तोड़ने पर तीन साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान भी है। कानून 1 जुलाई से लागू है और अब वहां चीनी सुरक्षा एजेंसियां काम कर सकेंगी। अभी तक ऐसा नहीं था।
2. शिन्जियांग : चीन के कब्जे वाले इस प्रांत में 45% से ज्यादा आबादी उइगर मुसलमानों की है। चीन पर उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप है। कुछ रिपोर्ट्स में सामने आया है कि चीन उइगर महिलाओं की जबरन नसबंदी करवा रहा है, ताकि जनसंख्या पर काबू पाया जा सके।
3. ताइवान : चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और जब हॉन्गकॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने की तैयारी चल रही थी, तब चीन में ताइवान को लेकर भी चर्चा थी कि उसे ताइवान की मिलिट्री टेकओवर कर लेनी चाहिए। हालांकि, चीन के लिए ये उतना आसान नहीं है। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन कहती हैं कि ताइवान दूसरा हॉन्गकॉन्ग नहीं बनेगा। ताइवान का दावा है कि चीन अक्सर मिलिट्री प्लेन भेजता रहता है।
4. सीमा विवाद : भारत के साथ चीन का सीमा विवाद चल ही रहा है। जून में लद्दाख सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प भी हो चुकी है। लेकिन, सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के साथ भी चीन का सीमा विवाद जारी है। इसके अलावा चीन दक्षिणी चीन सागर पर भी अपना हक जताता है। हाल ही में यहां अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने जहाज तैनात कर दिए हैं।
5. जासूसी : अमेरिका में पिछले हफ्ते ही सिंगापुर के एक नागरिक को गिरफ्तार किया गया है। इसे अमेरिका में चीन के जासूस के तौर पर काम करने का दोषी ठहराया गया है। इसके अलावा एक चीनी रिसर्चर को भी हिरासत में लिया गया है, जिस पर चीनी सेना के साथ अपने संबंधों को छिपाने का आरोप है। इसके अलावा चीन की टेक कंपनियां हुवावे और जेडटीई को भी अमेरिका सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।
6. कोरोनावायरस : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तो कई बार सार्वजनिक तौर से कोरोनावायरस को 'चीनी वायरस' कह चुके हैं। कोरोनावायरस कहां से निकला? इसकी जांच के लिए मई में 73वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक प्रस्ताव पेश हुआ। इस प्रस्ताव का भारत ने भी समर्थन किया था। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, न्यूजीलैंड, कनाडा, कतर, सऊदी अरब, अफ्रीकी देश, यूरोपियन यूनियन, यूक्रेन, रूस और ब्रिटेन समेत 100 से ज्यादा देशों के नाम हैं।
अमेरिका-ब्रिटेन-भारत जैसे देश चीन के खिलाफ
1. अमेरिका : चीन की 11 कंपनियों पर प्रतिबंध, दोनों देशों ने एक-दूसरे के कॉन्सुलेट बंद किए
अमेरिका और चीन के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन कोरोनावायरस के इस दौर में पिछले 7 महीनों में दोनों देशों की ये तकरार खुलकर सामने आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प तो कोरोनावायरस के लिए सीधे तौर पर चीन को ही जिम्मेदार ठहराते हैं। वो तो ये तक कह चुके हैं कि कोरोनावायरस को छिपाने में डब्ल्यूएचओ ने भी चीन की मदद की। ट्रम्प अक्सर कोरोनावायरस को 'चीनी वायरस' कहते हैं।
We are United in our effort to defeat the Invisible China Virus, and many people say that it is Patriotic to wear a face mask when you can’t socially distance. There is nobody more Patriotic than me, your favorite President! pic.twitter.com/iQOd1whktN
जुलाई की शुरुआत में ही अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने चीन को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा 'खतरा' बताया। उससे पहले 30 जून को अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन यानी एफसीसी ने भी चीन की हुवावे और जेडटीई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए 'खतरा' बताया था।
जुलाई में ही अमेरिका ने टेक्सास के ह्यूस्टन स्थित चीनी कॉन्सुलेट को बंद करने का आदेश दे दिया था। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि चीन 'इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी' चुरा रहा था। बदले में चीन ने भी चेंगड़ू स्थित अमेरिकी कॉन्सुलेट को बंद कर दिया।
अमेरिका ने 7 जुलाई को उन चीनी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया, जो अमेरिकी पत्रकार, टूरिस्ट्स, डिप्लोमैट्स और अफसरों को तिब्बत जाने से रोकने के लिए जिम्मेदार थे। जवाब में चीन ने भी कुछ अमेरिकी अफसरों पर वीजा प्रतिबंध लगा दिया।
इसके अलावा चीन के शिन्जियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के मामले में अमेरिका ने 11 चीनी कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया। अमेरिकी अफसरों के मुताबिक, ये कंपनियां 10 लाख उइगर मुसलमानों का शोषण करती थीं।
इतना ही नहीं, हॉन्गकॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के फैसले का अमेरिका ने भी विरोध किया था। अमेरिका का कहना था कि इस नए कानून से हॉन्गकॉन्ग के लोगों की आजादी पर खतरा पैदा हो गया है। इस पर चीन ने जवाबी कार्रवाई करने की धमकी भी दी थी।
इन सबके अलावा दक्षिण चीन सागर में भी अमेरिका ने जहाज भेजे थे। कुछ दिन पहले ही चीन की कम्युनिस्ट सरकार समर्थित थिंक टैंक स्ट्रेटेजिक सिचुएशन प्रोबिंग इनिशिएटिव ने दावा किया था कि अमेरिका के पी-8ए (पोसाइडन) और ईपी-3ई एयरक्राफ्ट्स ने साउथ चाइना सी से चीन के झेजियांग और फुजियान तक उड़ान भरी। कुछ देर बाद पी-8ए वापस लौटा और फिर यह शंघाई से 76.5 किलोमीटर दूर तक उड़ान भरता रहा।
2. ब्रिटेन : 5जी नेटवर्क से चीनी कंपनी को हटाया, हॉन्गकॉन्ग पर भी विरोध
मई के आखिर में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने डी-10 ग्रुप बनाने का आइडिया दिया था। उनका कहना था कि इस ग्रुप में जी-7 में शामिल सभी सातों देशों के अलावा भारत, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को भी जोड़ा जाए। इस ग्रुप का मकसद चीन के खिलाफ रणनीतिक एकजुटता बनाना होगा। जॉनसन का मानना था कि सभी देश 5जी टेक्नोलॉजी पर मिलकर काम करें, ताकि चीन की डिपेंडेंसी खत्म हो।
बोरिस जॉनसन ने मई में ये आइडिया दिया और जुलाई में ब्रिटेन के 5जी नेटवर्क से चीन की हुवावे कंपनी को हटाने का फैसला ले लिया। जॉनसन के इस फैसले के बाद ब्रिटेन के सर्विस ऑपरेटर्स को हुवावे के नए 5जी इक्विपमेंट खरीदने पर पाबंदी लग गई। साथ ही ऑपरेटर्स को अपने नेटवर्क से 2027 तक हुवावे की 5जी किट भी हटानी होगी।
जॉनसन का ये फैसला चीन और हुवावे के लिए बहुत बड़ा झटका है। अमेरिका पहले ही आरोप लगा चुका है कि हुवावे के 5जी नेटवर्क के जरिए चीन जासूसी करता है।
इससे पहले चीन ने जब हॉन्गकॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया, तो बोरिस जॉनसन ने चीन के इस फैसले का विरोध करते हुए हॉन्गकॉन्ग के 30 लाख लोगों को ब्रिटेन में बसने का प्रस्ताव दे दिया। उन्होंने कहा कि नया कानून हॉन्गकॉन्ग की आजादी का उल्लंघन है। हॉन्गकॉन्ग पहले ब्रिटेन का ही उपनिवेश था, लेकिन 1997 में ब्रिटेन ने इसे चीन को लौटा दिया।
इसके साथ ही हॉन्गकॉन्ग में नया कानून लागू होने के बाद ब्रिटेन ने हॉन्गकॉन्ग के साथ अपनी प्रत्यर्पण संधि सस्पेंड करने की घोषणा कर दी। इस संधि के तहत हॉन्गकॉन्ग में अपराध करने वाले अगर ब्रिटेन भाग जाते थे, तो उन्हें पकड़कर हॉन्गकॉन्ग भेजा जा सकता था। नए कानून पर ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमनिक रॉब ने कहा कि चीन की तरफ से हॉन्गकॉन्ग पर नया कानून थोपना, ब्रिटेन की नजर में अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों का गंभीर उल्लंघन है।
इन सबके अलावा चीन के शिन्जियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों का मुद्दा भी ब्रिटेन ने उठाया था। ब्रिटेन का कहना था कि शिन्जियांग में उइगर महिलाओं की जबरन नसबंदी की जा रही है।
3. भारत : 100 से ज्यादा चीनी ऐप्स बैन कीं, कारोबार के लिए नए नियम बनाए
मई की शुरुआत में लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया। दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। इसी महीने भारत ने अपने एफडीआई नियमों में बदलाव कर दिया। नए नियमों के तहत जिन देशों की सीमाएं भारत से लगती हैं, अगर वो भारत के किसी कारोबार या कंपनी में इन्वेस्ट करते हैं, तो इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी होगी। पहले ये पाबंदी सिर्फ पाकिस्तान और बांग्लादेश के इन्वेस्टर्स पर ही थी।
इसके बाद हाल ही में सरकार ने जनरल फाइनेंशियल नियम 2017 में भी बदलाव किया कि जो भी देश भारत के साथ सीमा साझा करते हैं, वो सरकारी खरीद में बोली नहीं लगा सकते। हालांकि, इसमें ये भी जोड़ा गया कि अगर कोई देश बोली लगाना चाहता भी है, तो उसे डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) की रजिस्ट्रेशन कमेटी में रजिस्टर्ड कराना होगा। इसके अलावा इन्हें विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से भी मंजूरी लेनी होगी।
इन दोनों ही नियमों में बदलावों का सबसे ज्यादा असर चीन पर ही होगा। हालांकि, नियमों में चीन का नाम नहीं लिया गया था। लेकिन, ये दोनों ही बदलाव चीन को मैसेज देने के लिए किए गए थे।
इसके अलावा जब लद्दाख सीमा पर गलवान घाटी में जब भारत-चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, तो उसके बाद सरकार ने टिकटॉक, यूसी ब्राउजर समेत 59 चीनी ऐप्स पर बैन लगा दिया। उसके बाद कुछ दिन पहले ही सरकार ने चीन की 47 ऐप्स और बैन कर दीं। अब तक सरकार 106 चीनी ऐप्स पर बैन लगा चुकी है।
4. ताइवान : चीन से निपटने के लिए दक्षिण चीन सागर में मिलिट्री ड्रिल की
चीन और ताइवान के बीच अलग ही तरह का रिश्ता है। 1911 में चीन में कॉमिंगतांग की सरकार बनी। 1949 में यहां गृहयुद्ध छिड़ गया और माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कॉमिंगतांग की पार्टी को हराया। हार के बाद कॉमिंगतांग ताइवान चले गए।
1949 में चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा। दोनों देश एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते।
चीन अक्सर ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहता है। लेकिन, ताइवान खुद को अलग देश मानता है। मई में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने खुलेआम चीन को चुनौती दे दी थी। उन्होंने कहा था, 'ताइवान कभी चीन के नियम-कायदे नहीं मानेगा। चीन को इस हकीकत के साथ शांति से जीने का तरीका खोजना होगा।'
इसके अलावा दक्षिण चीन सागर को लेकर भी चीन और ताइवान के बीच तनातनी होती रहती है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दखलंदाजी के बीच ताइवान ने 5 दिन की मिलिट्री ड्रील की। इसमें चीन की मिसाइलों को मार गिराने पर फोकस था। इसके अलावा यहां मिराज 2000, एफ-16 फाइटर जेट और पी-3 सी एंटी सबमरीन फाइटर जेट तैनात किए जा चुके हैं। ताइवान की सेना के मुताबिक, इन फाइटर जेट्स को यहां तब तक रखा जाएगा, जब तक चीन के हमले का खतरा है।
इसके साथ ही हॉन्गकॉन्ग के प्रदर्शनकारियों को भी ताइवान का समर्थन मिला है। जब चीन ने हॉन्गकॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया, तो हॉन्गकॉन्ग के लोगों की मदद करने के लिए ताइवान ने राजधानी ताइपे में ऑफिस भी खोल दिया। इस ऑफिस से उन लोगों को मदद मिलेगी, जो नया कानून लागू होने के बाद हॉन्गकॉन्ग से ताइवान आ रहे हैं।
5. ऑस्ट्रेलिया : कोरोना की जांच का समर्थन किया, हॉन्गकॉन्ग के लोगों को नागरिकता का प्रस्ताव
ऑस्ट्रेलिया का नाम भी उन देशों में शामिल है, जिसके रिश्ते पिछले कुछ महीने में चीन से खराब हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया ने काफी पहले ही कोरोनावायरस की जांच की मांग का समर्थन कर दिया था। इससे चीन ऑस्ट्रेलिया से चिढ़ गया था। इसके बाद चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर कुछ प्रतिबंध भी लगा दिए थे।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने आधिकारिक रूप से दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों को खारिज कर दिया था। ऑस्ट्रेलिया ने यूएन में कहा था कि दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों का कोई 'कानूनी आधार' नहीं है।
इन सबके अलावा ऑस्ट्रेलिया ने शिन्जियांग और हॉन्गकॉन्ग में मानवाधिकारों का मसला भी उठाया था। चीनी कंपनी हुवावे को ऑस्ट्रेलिया के 5जी नेटवर्क के निर्माण से रोक दिया था। ऑस्ट्रेलिया अक्सर चीन पर अपने घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप भी लगाता रहता है।