गुरुवार, 19 नवंबर 2020

दिल्ली में एक दिन में 131 की मौत, 18 दिन से रोजाना औसतन 6 हजार से ज्यादा केस आ रहे

दिल्ली में कोरोना के आंकड़े बेहद चिंताजनक हो रहे हैं। बीते 24 घंटे में यहां 7486 नए केस आए। 6901 मरीज ठीक हो गए और 131 मौतें हुईं। नवंबर के 18 दिनों में यहां 1.16 लाख केस आए हैं, यानी रोजाना औसतन छह हजार से ज्यादा। इस दौरान यहां 1381 लोगों की मौत हुई है। दिल्ली के ये आंकड़े देश के अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं।

दिल्ली में कुल संक्रमितों का आंकड़ा पांच लाख के पार हो गया है। केजरीवाल सरकार ने डॉक्टर्स और स्टाफ की कमी दूर करने के लिए कोविड-19 हॉस्पिटल्स में MBBS 4th और 5th ईयर स्टूडेंट्स, इंटर्न और बीडीएस डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाने को मंजूरी दे दी है। इन्हें आठ घंटे की शिफ्ट में रोजाना 1000 रुपए और 12 घंटे की शिफ्ट में 2000 रुपए दिए जाएंगे।

देश में बीते 24 घंटों में 45 हजार 369 केस आए, 48 हजार 675 मरीज ठीक हो गए और 586 की मौत हो गई। अब तक कुल 89.58 लाख केस आ चुके हैं। 83.81 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं और 1.31 लाख संक्रमितों की मौत हो चुकी है।

एक्टिव केस के मामले में भारत 6वें नंबर पर

भारत अब दुनिया का 6वां देश है, जहां सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं। एक्टिव केस, यानी जिन मरीजों का इलाज चल रहा है। राहत की बात है कि बीते चार दिन में भारत इस मामले में चौथे से छठवें नंबर पर आया है। बेल्जियम और रूस में अब भारत से ज्यादा मरीज हैं। देश में बीते दो महीनों में 5.70 लाख से ज्यादा एक्टिव केस कम हुए हैं। 17 सितंबर को 10.17 एक्टिव मरीज थे, जो 17 नवंबर को 4.47 लाख हो गए।

देश एक्टिव केस
अमेरिका 43.54 लाख
फ्रांस 18.47 लाख
इटली 7.33 लाख
बेल्जियम 4.92 लाख
रूस 4.56 लाख
भारत 4.47 लाख

कोरोना अपडेट्स

  • हरियाणा के रोहतक पीजीआई के वाइस चांसलर ने बताया कि भारतीय कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन का थर्ड फेज ट्रायल 20 नवंबर से शुरू हो जाएगा। इसके लिए अभी तक 200 वॉलंटियर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
  • चंडीगढ़ प्रशासन ने स्थानीय लोगों को नोटिस जारी किया है। लोगों से कहा है कि वह दिल्ली-एनसीआर जैसी ज्यादा जोखिम वाली जगहों पर जाने से बचें। जाएं तो कोरोना की गाइडलाइन का पालन करें।
  • उत्तरप्रदेश सरकार ने राज्य में हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट 23 नवंबर से खोलने का फैसला लिया है। आदेश भी जारी कर दिया गया है।
  • राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अफसरों को आदेश दिया है कि वह प्राइवेट अस्पतालों पर नजर रखें। देखें कि कोविड-19 मरीजों से तय फीस से ज्यादा न ली जाए।
  • हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में कोरोना को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक सोशल, एकेडमिक, एंटरटेनमेंट, कल्चरल, पॉलिटिकल, धार्मिक और अन्य तरह के आयोजनों में हॉल की क्षमता के 50% लोग शामिल हो पाएंगे।

देश के 8 राज्यों में संक्रमण की दर ऊंची, इनमें चार राज्यों में घट रही, जबकि चार में बढ़ रही

  • यूपी (1.7 करोड़), बिहार (1.3 करोड़), तमिलनाडु (1.1 करोड़) में सबसे ज्यादा टेस्ट, इसीलिए तीनों में संक्रमण की दर 1.5% से कम है।
  • आबादी के हिसाब से देखें तो दिल्ली 28%, आंध्र 18%, केरल 16%, बिहार 11% और यूपी में 10% लोगों के कोरोना टेस्ट किए जा चुके हैं।
  • देश में सबसे ज्यादा संक्रमण दर वाले 10 जिलों में चार हिमाचल प्रदेश के हैं।
  • देश में सबसे ज्यादा मृत्युदर वाले 10 जिलों में सात अकेले पंजाब के हैं।

5 राज्यों का हाल

1. दिल्ली

राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बुधवार को पांच लाख पार हो गया। अब तक 5 लाख 3 हजार 84 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। पिछले 24 घंटे के अंदर 7486 लोग संक्रमित पाए गए। 6901 लोग ठीक हुए और 131 मरीजों की मौत हो गई।

2. मध्यप्रदेश

राज्य में बुधवार को 1209 कोरोना संक्रमित मिले। 918 लोग ठीक हुए और 13 की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 86 हजार 655 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 9338 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 74 हजार 202 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 3115 हो गई है।

3. राजस्थान

बुधवार को राज्य में 2178 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा अब 2 लाख 32 हजार 358 हो गया है। पिछले 24 घंटे के अंदर 1721 लोग रिकवर हुए और 12 की मौत हो गई। अब 19 हजार 478 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 10 हजार 779 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से अब तक 2101 लोगों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र

राज्य में पिछले 24 घंटे के अंदर 5011 लोग संक्रमित मिले। 6608 लोग रिकवर हुए और 100 लोगों की मौत हो गई। अब तक 17 लाख 57 हजार 520 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 80 हजार 221 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 30 हजार 111 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 46 हजार 202 हो गई है।

5. उत्तरप्रदेश

राज्य में बुधवार को 2346 नए मरीज मिले। 2529 लोग रिकवर हुए और 29 की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 16 हजार 616 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 21 हजार 954 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 87 हजार 221 लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या अब 7441 हो गई है।



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दिल्ली के एक अस्पताल में कोरोना संक्रमित के शव को शिफ्ट करते हेल्थ वर्कर्स। नवंबर के 18 दिनों में यहां 1381 लोगों की मौत हुई है। 


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अमेरिका के अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे, यहां मरने वालों का आंकड़ा अब 2.56 लाख से ज्यादा

दुनियाभर में अब तक 5.65 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 3.93 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13.53 लाख लोगों की जान जा चुकी है। अब 1.58 करोड़ मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है, यानी एक्टिव केस। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में हालात बद से बदतर होने लगे हैं। यहां के अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे हैं। मरने वालों का आंकड़ा भी 2.56 लाख हो चुका है।

कार पार्किंग में हॉस्पिटल वॉर्ड
‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के कुछ राज्यों में हालात अब काबू से बाहर होते जा रहे हैं। संक्रमितों का आंकड़ा तो बढ़ ही रहा है, साथ ही मरने वालों की संख्या भी अब काबू से बाहर होती दिख रही है। बुधवार तक यहां कुल मिलाकार 2.56 लाख लोगों की मौत हो चुकी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 77 हजार हजार लोग इस वक्त हॉस्पिटल में हैं। नेवादा और मिशिगन जैसे राज्यों में तो स्थिती और भी खराब है। नेवादा के रेनो शहर के अस्पताल में मरीज इतने बढ़ गए कि कार पार्किंग में वॉर्ड बनाना पड़ा। यहां स्टाफ इतने मरीजों को संभाल भी नहीं पा रहा है।

टेनेसी के डायरेक्टर ऑफ क्रिटिकल केयर डॉक्टर एलिसन जॉनसन ने कहा- सही कहूं तो अब हम अवसाद में हैं और नाउम्मीद होते जा रहे हैं। हम नहीं कह सकते कि कब हालात सुधरेंगे। इसकी फिलहाल, कोई उम्मीद भी नजर नहीं आती। मैंने अपने कॅरियर में कभी नहीं सोचा कि इस तरह के हालात से सामना होगा। इदाहो में डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि सभी मरीजों को बेड दे पाना मुश्किल हो सकता है।

बुधवार को एक न्यूयॉर्क के वेलहेला हॉस्पिटल से एक गंभीर मरीज को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया। यहां के मेडिकल स्टाफ ने इसे हाथ हिलाकर विदा किया।

ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन नाकाम
अमेरिका में मरने वालों का आंकड़ा 2.56 लाख के पार हो गया है, लेकिन ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन अब भी वायरस को गंभीरता से लेने तैयार नहीं है। देश में महज एक हफ्ते में 15 लाख से ज्यादा नए केस सामने आए हैं। ट्रम्प की आलोचना पहले से ज्यादा हो रही है। पिछले दिनों जो बाइडेन ने कहा था- अमेरिका में मरने वालों का आंकड़ा पहले से ज्यादा हो सकता है। हमें सख्त और कठोर फैसले लेने होंगे। अमेरिका में संक्रमितों और मरने वालों का आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा है। करीब दो हफ्ते से हर दिन औसतन एक लाख केस सामने आ रहे हैं।

बुधवार को न्यूयॉर्क सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने संकेत दिए कि यहां लॉकडाउन लगाया जा सकता है। स्कूल, होटल, रेस्टोरेंट्स और बार बंद किए जा चुके हैं। मिनेसोटा में भी आज लॉकडाउन का ऐलान किया जा सकता है। यहां भी कुछ पाबंदियां लागू कर दी गई हैं।

ब्राजील में भी संक्रमण बढ़ा
PAHO के असिस्टेंट डायरेक्टर जार्बस बारबोसा ने बताया कि ब्राजील में भी दोबारा संक्रमण और मौतें बढ़ रही हैं। उरुग्वे के ब्राजील बॉर्डर से सटे इलाकों में भी यही हालात हैं।



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नेवादा के रेनो शहर के एक अस्पताल में वॉर्ड में बेड कम पड़ गए। अब यहां कार पार्किंग में एक इमरजेंसी वॉर्ड बनाकर यहां मरीजों को शिफ्ट किया जा रहा है।


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व्हाइट हाउस में ही रहना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रम्प, यहां वे बंकर की तरह सुरक्षित महसूस करते हैं

चुनाव हारने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प दो बार मीडिया के सामने आए। अपनी बात कही और लौट गए। मीडिया के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। व्हाइट हाउस से करीब 40 किलोमीटर दूर वर्जीनिया में गोल्फ खेल रहे हैं। कुछ अफसरों को बर्खास्त कर रहे हैं और कुछ अहम फैसले ले रहे हैं। इनमें से एक अफगानिस्तान और इराक से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का है।

सीएनएन ने सूत्रों के हवाले से बताया- ट्रम्प और पत्नी मेलानिया को छुट्टियों के लिए साउथ फ्लोरिडा में अपने रिसॉर्ट में जाना था। लेकिन, अब उन्होंने वॉशिंगटन में ही रहने का फैसला किया है। व्हाइट हाउस के एक अफसर ने सीएनएन से कहा- यह बंकर में रहने की मानसिकता है।

फेंसिंग भी हट गईं
इलेक्शन डे पर व्हाइट हाउस के बाहर मेटल फेंसिंग की गई थी। अब यह हट चुकी है। वहां बाइडेन की इनॉगरेशन परेड के लिए स्टैंड्स बनने लगे हैं। चार साल पहले ये ट्रम्प के लिए भी बने थे। लेकिन, ट्रम्प हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं। वे लोकतंत्र की जंग कानूनी तरीके से जीतना चाहते हैं। 2016 में उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से ही चुनाव जीता था। अब वे शायद ये भूल रहे हैं। अपने चार साल के टेन्योर में शायद ही कोई ऐसा मौका आया होगा जब ट्रम्प ने टीवी कैमरों से इस तरह दूरी बनाई होगी। लेकिन, 3 नवंबर के बाद से वे यही कर रहे हैं।

पेंस से दो बार लंच पर मिले
तीन नवंबर के बाद कई बार उनके पब्लिक प्रोग्राम लिस्ट किए गए, लेकिन हर बार इन्हें रद्द कर दिया गया। पिछले हफ्ते गुरुवार को उन्होंने विदेश और वित्त विभाग के अफसरों से मीटिंग की। वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंस से दो बार मिले। लेकिन, करीब एक महीने से वे इंटेलिजेंस ब्रीफिंग नहीं ले रहे हैं। हालांकि, ये भी सही है कि यह ब्रीफिंग प्रेसिडेंट इलेक्ट बाइडेन तक भी नहीं पहुंच रही।

विदेशी नेताओं से बातचीत बंद
कई विदेशी नेता बाइडेन को जीत की बधाई दे चुके हैं। वहीं ट्रम्प ने इन राष्ट्राध्यक्षों से संपर्क बंद कर दिया है। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों से उन्होंने 30 अक्टूबर को बातचीत की थी। इसके बाद किसी विदेशी नेता से संपर्क नहीं किया। अपने दो करीबी दोस्तों बेंजामिन नेतन्याहू और नरेंद्र मोदी से भी नहीं। फॉक्स न्यूज में रिपोर्टर और ट्रम्प के मित्र गेराल्डो ने पिछले दिनों ट्वीट में कहा- वो वक्त करीब आ रहा है जब आप सम्मान से विदा लेंगे। हालांकि, ट्रम्प तो जीत का दावा कर रहे हैं।

फैसले लेने में पीछे नहीं
ट्रम्प भले ही सामने नहीं आ रहे हों, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि वे फैसले नहीं ले रहे हों। डिफेंस मिनिस्टर मार्क एस्पर को उन्होंने हटाया, होमलैंड सिक्योरिटी चीफ को भी चलता किया। अफगानिस्तान और इराक से सैनिक कम करने का आदेश दिया। खबर आई कि वे ईरान को उसकी वादाखिलाफियों की सजा भी देना चाहते थे। इमीग्रेशन पर जल्द ही नया और सख्त फैसला ले सकते हैं। कुछ लोग मान रहे हैं कि अगले कुछ दिन शांति से नहीं गुजरेंगे।

बाइडेन भी बिजी
ट्रम्प खामोशी से और पर्दे के पीछे से फैसले कर रहे हैं। वहीं, प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन रोज मीडिया से बात कर रहे हैं और एडमिनिस्ट्रेशन पर फोकस कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सुबह ट्रम्प टीवी देखते हैं। इसके बाद ओवल ऑफिस पहुंचते हैं और देर शाम तक वहीं रहते हैं। राष्ट्रपति ने अब तक कोरोना से मारे गए अमेरिकी लोगों पर कोई टिप्पणी नहीं की है।



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चुनाव हारने के बाद 15 नवंबर को डोनाल्ड ट्रम्प गोल्फ खेलते नजर आए थे। तीन नवंबर के बाद उनका ज्यादातर वक्त व्हाइट हाउस में ही गुजर रहा है।


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दिल्ली में एक दिन में 131 की मौत, 18 दिन से रोजाना औसतन 6 हजार से ज्यादा केस आ रहे

दिल्ली में कोरोना के आंकड़े बेहद चिंताजनक हो रहे हैं। बीते 24 घंटे में यहां 7486 नए केस आए। 6901 मरीज ठीक हो गए और 131 मौतें हुईं। नवंबर के 18 दिनों में यहां 1.16 लाख केस आए हैं, यानी रोजाना औसतन छह हजार से ज्यादा। इस दौरान यहां 1381 लोगों की मौत हुई है। दिल्ली के ये आंकड़े देश के अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं।

दिल्ली में कुल संक्रमितों का आंकड़ा पांच लाख के पार हो गया है। केजरीवाल सरकार ने डॉक्टर्स और स्टाफ की कमी दूर करने के लिए कोविड-19 हॉस्पिटल्स में MBBS 4th और 5th ईयर स्टूडेंट्स, इंटर्न और बीडीएस डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाने को मंजूरी दे दी है। इन्हें आठ घंटे की शिफ्ट में रोजाना 1000 रुपए और 12 घंटे की शिफ्ट में 2000 रुपए दिए जाएंगे।

देश में बीते 24 घंटों में 45 हजार 369 केस आए, 48 हजार 675 मरीज ठीक हो गए और 586 की मौत हो गई। अब तक कुल 89.58 लाख केस आ चुके हैं। 83.81 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं और 1.31 लाख संक्रमितों की मौत हो चुकी है।

एक्टिव केस के मामले में भारत 6वें नंबर पर

भारत अब दुनिया का 6वां देश है, जहां सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं। एक्टिव केस, यानी जिन मरीजों का इलाज चल रहा है। राहत की बात है कि बीते चार दिन में भारत इस मामले में चौथे से छठवें नंबर पर आया है। बेल्जियम और रूस में अब भारत से ज्यादा मरीज हैं। देश में बीते दो महीनों में 5.70 लाख से ज्यादा एक्टिव केस कम हुए हैं। 17 सितंबर को 10.17 एक्टिव मरीज थे, जो 17 नवंबर को 4.47 लाख हो गए।

देश एक्टिव केस
अमेरिका 43.54 लाख
फ्रांस 18.47 लाख
इटली 7.33 लाख
बेल्जियम 4.92 लाख
रूस 4.56 लाख
भारत 4.47 लाख

कोरोना अपडेट्स

  • हरियाणा के रोहतक पीजीआई के वाइस चांसलर ने बताया कि भारतीय कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन का थर्ड फेज ट्रायल 20 नवंबर से शुरू हो जाएगा। इसके लिए अभी तक 200 वॉलंटियर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
  • चंडीगढ़ प्रशासन ने स्थानीय लोगों को नोटिस जारी किया है। लोगों से कहा है कि वह दिल्ली-एनसीआर जैसी ज्यादा जोखिम वाली जगहों पर जाने से बचें। जाएं तो कोरोना की गाइडलाइन का पालन करें।
  • उत्तरप्रदेश सरकार ने राज्य में हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट 23 नवंबर से खोलने का फैसला लिया है। आदेश भी जारी कर दिया गया है।
  • राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अफसरों को आदेश दिया है कि वह प्राइवेट अस्पतालों पर नजर रखें। देखें कि कोविड-19 मरीजों से तय फीस से ज्यादा न ली जाए।
  • हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में कोरोना को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक सोशल, एकेडमिक, एंटरटेनमेंट, कल्चरल, पॉलिटिकल, धार्मिक और अन्य तरह के आयोजनों में हॉल की क्षमता के 50% लोग शामिल हो पाएंगे।

देश के 8 राज्यों में संक्रमण की दर ऊंची, इनमें चार राज्यों में घट रही, जबकि चार में बढ़ रही

  • यूपी (1.7 करोड़), बिहार (1.3 करोड़), तमिलनाडु (1.1 करोड़) में सबसे ज्यादा टेस्ट, इसीलिए तीनों में संक्रमण की दर 1.5% से कम है।
  • आबादी के हिसाब से देखें तो दिल्ली 28%, आंध्र 18%, केरल 16%, बिहार 11% और यूपी में 10% लोगों के कोरोना टेस्ट किए जा चुके हैं।
  • देश में सबसे ज्यादा संक्रमण दर वाले 10 जिलों में चार हिमाचल प्रदेश के हैं।
  • देश में सबसे ज्यादा मृत्युदर वाले 10 जिलों में सात अकेले पंजाब के हैं।

5 राज्यों का हाल

1. दिल्ली

राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बुधवार को पांच लाख पार हो गया। अब तक 5 लाख 3 हजार 84 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। पिछले 24 घंटे के अंदर 7486 लोग संक्रमित पाए गए। 6901 लोग ठीक हुए और 131 मरीजों की मौत हो गई।

2. मध्यप्रदेश

राज्य में बुधवार को 1209 कोरोना संक्रमित मिले। 918 लोग ठीक हुए और 13 की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 86 हजार 655 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 9338 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 74 हजार 202 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 3115 हो गई है।

3. राजस्थान

बुधवार को राज्य में 2178 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा अब 2 लाख 32 हजार 358 हो गया है। पिछले 24 घंटे के अंदर 1721 लोग रिकवर हुए और 12 की मौत हो गई। अब 19 हजार 478 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 10 हजार 779 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से अब तक 2101 लोगों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र

राज्य में पिछले 24 घंटे के अंदर 5011 लोग संक्रमित मिले। 6608 लोग रिकवर हुए और 100 लोगों की मौत हो गई। अब तक 17 लाख 57 हजार 520 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 80 हजार 221 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 30 हजार 111 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 46 हजार 202 हो गई है।

5. उत्तरप्रदेश

राज्य में बुधवार को 2346 नए मरीज मिले। 2529 लोग रिकवर हुए और 29 की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 16 हजार 616 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 21 हजार 954 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 87 हजार 221 लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या अब 7441 हो गई है।



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कोरोना के बाद मरीज फिटनेस मेंटेन करने के लिए परेशान, जानिए एक्सरसाइज के दौरान किन 6 बातों का ध्यान रखें

अमेरिकी डॉक्टर जॉर्डन डी. मेटजल पिछले 20 साल से क्लिनिक चलाते हैं। कहते हैं कि जब भी कोई पेशेंट बीमारी के बाद उनसे एक्सरसाइज के बारे में पूछता है, तो वे एक ही बात कहते हैं कि अपने शरीर की सुनें। ऐसी एक्सरसाइज करें, जिसे आप आसानी से कर सकते हैं। हालांकि कोरोना ने इस तरीके को बदल दिया।

डॉक्टर जॉर्डन बताते हैं कि शुरुआती दिनों में कोरोना से ठीक हुए कुछ मरीजों को पुरानी एक्टिविटी लेवल को मेंटेन करने में काफी दिक्कत हो रही है। कुछ मरीजों को सांस लेने में दिक्कत, तो कुछ को ज्यादा थकान हो रही है। जबकि कुछ को लगता है कि उनकी फिटनेस पहले जैसी नहीं हो सकती। कइयों को हार्ट की दिक्कत आ रही है। कुछ एक रेयर केस में मरीजों को हार्ट अटैक और ब्लड क्लॉटिंग की समस्या भी हुई है।

सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात यह है कि ये समस्याएं उन मरीजों में भी देखने को मिलीं हैं, जिनको कोरोना के माइल्ड सिमटम थे और जिन्हें कभी हॉस्पिटल में भर्ती नहीं होना पड़ा था।

शरीर में ब्लड फ्लो बिगड़ने से हो रही हार्ट की दिक्‍कत

40 के उम्र वाले साइक्लिस्ट को कोरोना के सिंप्टम्स के तौर पर पैरों में दर्द दिखा। इससे यह पता चलता है कि कोरोना और उसके बाद शरीर में ब्लड फ्लो ठीक से नहीं होता। कोरोना के बाद यानी पोस्ट-कोविड में हार्ट की समस्या सबसे बड़ी चुनौती है।

JAMA कार्डियोलॉजी के एक स्टडी के मुताबिक 49 साल की औसत उम्र वाली 100 जर्मन महिलाओं में से 78% में हार्ट की दिक्‍कत सामने आई। यह भी एक वजह है जो हमारी फिटनेस लेवल को बुरी तरह प्रभावित करती है।

कोरोना के बाद फिटनेस के लिए जूझ रहे एथलीट्स

कोरोना से ठीक होने के बाद फिटनेस के लिए जूझ रहे खिलाड़ियों के अनगिनत किस्से सामने आए हैं। अमेरिकन ओलिम्पिक टीम की दर्जन भर से भी ज्यादा महिला खिलाड़ियों ने बताया कि कोरोना से रिकवर होने के बाद थकान हफ्तों-हफ्तों तक उनका पीछा नहीं छोड़ रही है।

रनर समेत कुछ एथलीट्स ने बताया कि एक्सरसाइज करने के दौरान वे जरूरत से ज्यादा हांफ रहे हैं। कोरोना के बाद पोस्ट-कोविड स्टेज में सांस लेने में दिक्कत हो रही है। जो अगले कुछ हफ्तों और महीनों तक पीछा नहीं छोड़ रही है।

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क्या कहती है रिसर्च?

माइल्ड या मॉडरेट कोरोना से ठीक हुए लोगों को फिर से अच्छी फिटनेस पाने में मदद करने के लिए डॉक्टर जॉर्डन ने एक गाइडलाइन तैयार की है। उनका दावा है कि यह गाइडलाइन एविडेंस पर आधारित है। इस गाइडलाइन का नाम है “रिटर्न टु एक्टिविटी।”

गाइडलाइन के मुताबिक जिसे भी कोरोना या दूसरी बीमारियों के चलते हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा, उन्हें डॉक्टरों की सलाह पर ही एक्सरसाइज करनी चाहिए। लेकिन अगर किसी की तबीयत जरा सी भी खराब है, भले ही उसे कोरोना के सिस्टम्स न हों तो भी उसे एक्सरसाइज से पहले खुद को फिट करना चाहिए।

कोरोना से ठीक होने के बाद एक्सरसाइज के दौरान 6 बातों का रखें ध्यान

1. बीमार हैं तो न करें एक्सरसाइज

गाइडलाइन के मुताबिक अगर आप बीमार हैं तो आप एक्सरसाइज के लिए न जाएं। आमतौर पर जब हम बीमार होते हैं तो हमारी एनर्जी लेवल घट जाती है। ऐसे में एक्सरसाइज करना खतरनाक साबित हो सकता है।

2. कोरोना के बाद एक्सरसाइज की धीमी शुरुआत करें

आपको सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द के बगैर भी अगर माइल्ड सिंप्टम्स हैं तो आपको एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। कम से कम एक हफ्ते तक तो एक्सरसाइज बिल्कुल नहीं करनी चाहिए।

3. दोबारा सिंप्टम्स दिखे तो बंद कर दें एक्सरसाइज

अगर आपको एक्सरसाइज के बाद सिमटम दिख रहे हैं तो आप एक्सरसाइज करना तुरंत बंद कर दें। सीने में दर्द, खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ पोस्ट-कोविड सिंप्टम्स हैं। इसलिए इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर एक्सरसाइज न करें।

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4. सीने में दर्द होने पर कार्डियोलॉजिस्ट की सलाह लें

गाइडलाइन के मुताबिक कुछ मरीज जिन्हें सीने में दर्द जैसी दिक्कत लगातार हो रही है, उन्हें एक्सरसाइज से पहले कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क जरूर करना चाहिए।

5. कोरोना का है लक्षण तो टेस्ट कराएं

अगर आपको कोल्ड और फ्लू है और यह लगातार बना हुआ है तो सबसे पहले कोरोना टेस्ट कराएं। कोरोना में एक्सरसाइज करना बेहद खतरनाक हो सकता है और ये उसके सबसे आम लक्षण हैं। एक टेस्ट से आप खुद को एक्सरसाइज पर लौटने से पहले सुरक्षित कर सकते हैं।

6. शरीर के बर्ताव को नोटिस करें

एक डॉक्टर सिर्फ आपका टेस्ट कर सकता है। लेकिन आप खुद की बॉडी को किसी दूसरे की तुलना में कहीं बेहतर जानते हैं। आप जानते हैं कि आमतौर पर सीढ़ी चढ़ने, दौड़ने और साइकल चलाने के दौरान आप कैसा फील करते हैं।

इसे करके आप खुद को चेक करें, सोचें की जब आपको कोरोना हुआ था तो ये करना आपके लिए कितना मुश्किल था और अब कितना मुश्किल हो रहा है। अगर आपको जरा भी शक हो रहा हो तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए।



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Post Coronavirus COVID-19 Care; Things To Keep In Mind While Exercising


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95% इफेक्टिव फाइजर वैक्सीन; लद्दाख में जवानों की मॉडर्न हाउसिंग और MP में देश की पहली गौ-कैबिनेट

नमस्कार!
कोरोना को लेकर दुनिया में दो बड़ी वैक्सीन की कामयाबी की खबर आ चुकी है। लेकिन, राजधानी दिल्ली में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच, दिल्ली सरकार ने संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन लगाने से इनकार किया है। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…

  • BSE का मार्केट कैप 171 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 53% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 2,960 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,586 के शेयर बढ़े और 1,188 के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • पीएम मोदी बेंगलुरु टेक समिट का उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम में वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे।
  • मध्यप्रदेश में महिलाओं को सेफ टूरिज्म उपलब्ध कराने के लिए सरकार ‘टाइग्रेस ऑन द ट्रेल’ शुरू करेगी।
  • भारत और लक्जमबर्ग के बीच दो दशक में पहली समिट होगी। दोनों देशों के प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ेंगे।
  • दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है। इसमें कोविड-19 के रोकथाम पर चर्चा होगी।

देश-विदेश
वैक्सीन पर अच्छी खबर

अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक की जॉइंट कोरोना वैक्सीन फेज-3 ट्रायल में 95% असरदार रही है। कंपनी ने कहा- उम्रदराज लोगों पर भी वैक्सीन कारगर रही और इसके कोई सीरियस साइड इफेक्ट नहीं दिखे। फाइजर इसी साल वैक्सीन के 5 करोड़ डोज बनाने की तैयारी में है।

लद्दाख में सेना की तैयारी
चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारतीय सेना ने लद्दाख में तैनात रहने वाले सैनिकों के लिए मॉडर्न हाउसिंग तैयार की है। इससे सर्दियों के मौसम में भारतीय सेना की ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ेगी। सेना ने कहा- नई हाउसिंग में बिजली, पानी, हीटिंग की सुविधा के साथ सफाई का खास ध्यान रखा गया है।

देश की पहली गौ-केबिनेट
देश की पहली गौ-कैबिनेट मध्यप्रदेश सरकार बनाने जा रही है। यह गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को यह जानकारी दी। गौ-केबिनेट में पशुपालन, वन, पंचायत-ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और किसान कल्याण विभाग शामिल होंगे।

बचपन बचाने का सम्मान
दिल्ली के समयपुर बादली में तैनात हेड कांस्टेबल सीमा ढका को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिलेगा। सीमा ने महज 3 महीने में 76 लापता बच्चों को ढूंढ निकाला है। इनमें से 56 बच्चों की उम्र 14 साल से कम है। सीमा ने जिन बच्चों को खोजा, उनमें से कई बिहार और बंगाल में मिले थे।

हादसे में खत्म हुआ परिवार
गुजरात के वडोदरा के पास बुधवार को नेशनल हाईवे पर हुए हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई। हादसे में एक पूरा परिवार खत्म हो गया। इनमें पति-पत्नी, उनका बेटा, बेटी और चचेरा भाई शामिल है। इस परिवार में एक लड़के सुरेश जिंजाला की सगाई हो चुकी थी और अगले महीने ही उसकी शादी होने वाली थी।

एक्सप्लेनर
अमेरिका का अलास्का स्टेट बेहद खूबसूरत होने के साथ ठंडा भी है। यहां का एक शहर है उतकियागविक। इस शहर में 18 नवंबर को आखिरी बार सूरज नजर आया था। अब यहां 23 जनवरी को ही सूरज दिखेगा। यानी 65 दिन तक लोग अंधेरे में ही रहेंगे। इसे ‘65 डेज ऑफ डार्कनेस’ कहा जाता है। यहां गर्मी में सूरज भी 2 महीने तक निकला रहता है।

पढ़ें पूरी खबर...

पॉजिटिव खबर
अर्थशास्त्र में पीएचडी और बिहार पीएससी की मुख्य परीक्षा पास कर चुके रजनीश कुमार झा मधुबनी में रहते हैं। मधुबनी पेंटिंग्स के बिजनेस के जरिए वे इस छोटे शहर से लाखों का कारोबार कर रहे हैं। साथ ही इलाके के करीब 300 मिथिला पेंटिंग बनाने वाले कलाकारों को काम और कला की सही कीमत दिला रहे हैं।
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सुर्खियों में और क्या है...

  • अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने पहली सेल्फ कोविड टेस्ट किट को मंजूरी दी। इससे घर पर कोरोना का टेस्ट किया जा सकता है।
  • बर्मिंघम में 2022 के कॉमनवैल्थ गेम्स में वीमन्स टी-20 के लिए इंग्लैंड और आईसीसी की टॉप-6 टीमों को डायरेक्ट एंट्री मिली है। टीम इंडिया की तीसरी रैंक है।


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95% effective Pfizer vaccine; Modern housing of soldiers in Ladakh and country's first cow-cabinet in MP. Top News Morning Briefing Today From Dainik Bhaskar On 19 november 2020


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MP में गौ-कैबिनेट भले दी बनाए, अब देखना चारा घोटाला न हो पाए



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Even if the cow cabinet is made in MP, now the fodder scam could not be seen.


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काम ऑफिस से करें या घर से, गंभीरता और काम पर पूरी पकड़ होनी चाहिए

कहानी- रामायण में श्रीराम, लक्ष्मण और सीता अयोध्या से वनवास के लिए निकल चुके थे। राम के दुःख में राजा दशरथ की मृत्यु हो चुकी थी। उस समय भरत और शत्रुघ्न अपनी नानी के यहां थे। जब वे लौटकर आए तो उन्हें सारी बातें मालूम हुईं।

अयोध्या के लोग भरत पर भी शक कर रहे थे कि ये भी कैकयी और मंथरा के साथ मिला हुआ है। भरत ने सभी से कहा कि वे ये राजपाठ नहीं लेंगे और राम को वनवास से वापस लेकर आएंगे। भरत बहुत जिम्मेदार और गंभीर व्यक्ति थे।

वे अपनी माताओं और अयोध्या के लोगों को साथ लेकर श्रीराम को मनाने के लिए चित्रकूट पहुंच गए। भरत ने राम से कहा कि आप अयोध्या वापस चलें, ये राज्य आपका ही है। राम ने बोले कि मैं पिता के वचन का पालन करूंगा।भरत के बार-बार आग्रह करने पर राम ने भरत को अपनी चरण पादुकाएं दे दीं। भरत दोनों पादुकाओं को सिर पर रखकर लौट आए।

वे अयोध्या में नहीं गए, बल्कि नगर के बाहर ही नंदीग्राम में उन्होंने एक कुटिया बनाई। पादुकाओं को राजगादी पर रखा और पादुकाओं को ही राजा माना। भरत ने 14 वर्षों तक नंदीग्राम से ही अयोध्या की पूरी व्यवस्था बहुत अच्छी तरह चलाई। इस दौरान अयोध्या में कभी कोई संकट नहीं आया। किसी बाहरी राजा ने आक्रमण नहीं किया, ना ही कभी अयोध्या में बिना राजा के प्रजा ने कोई विद्रोह जैसा काम किया।

भरत नंदीग्राम में रह कर ही पूरे नगर और व्यवस्था पर नजर रखते थे, हर छोटी से छोटी घटना की जानकारी लेते थे। उन्होंने कभी ये महसूस ही नहीं होने दिया कि अयोध्या का राज सिंहासन खाली है।

सीख- हम काम ऑफिस से या घर से, कहीं से भी करें, जिम्मेदारी का अहसास हमेशा रहना चाहिए। काम पर पूरी पकड़ रखें और गंभीरता के साथ सारे दायित्व पूरे करें।



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aaj ka jeevan mantra by pandit vijay shankar mehta, life managememt tips by vijay shankar mehta, motivational story from ramayana


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बिना कोचिंग के पहले ही प्रयास में IPS बने, अब गरीब बच्चों को मुफ्त में कोचिंग दे रहे हैं

संदीप चौधरी एक IPS ऑफिसर हैं। अभी जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में बतौर SSP के रूप में तैनात हैं। वे अपनी ड्यूटी के साथ-साथ गरीब बच्चों को सिविल सर्विसेज की तैयारी करा रहे हैं। हर दिन दो घंटे वे इन बच्चों को मुफ्त कोचिंग देते हैं। अभी 100 से ज्यादा बच्चों को वे पढ़ा रहे हैं। संदीप ने इसे ऑपरेशन ड्रीम्स नाम दिया है।

इसके तहत हर दिन वे ऐसे बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। 2018 में उन्होंने इसकी शुरुआत की थी। वो बताते हैं कि तब मैं साउथ जम्मू में पोस्टेड था। कुछ बच्चे एसआई की तैयारी कर रहे थे। लेकिन कोचिंग के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। फिर 10 बच्चों के साथ कोचिंग की शुरुआत की।

आज 100 से ज्यादा बच्चे हैं। इनमें से 30 से ज्यादा बच्चों ने अलग-अलग एग्जाम्स में सफलता हासिल की है। कोरोना के दौरान वे ऑनलाइन क्लास लेते थे। वो बताते हैं कि मेरे लिए सबसे ज्यादा खुशी की बात है कि एक पिज्जा डिलिवरी करने वाले लड़के ने एसआई की परीक्षा पास की है। अभी वह जम्मू कश्मीर पुलिस में एसआई है।

संदीप ने इसे ऑपरेशन ड्रीम्स नाम दिया है। इसके तहत हर दिन वे ऐसे बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं, जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं।

IPS बनने के पहले संदीप को कई मुश्किल हालात से गुजरना पड़ा। फरवरी 2004 में संदीप के पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई। तब वे 12 वीं में थे और 6 दिन बाद ही उनका फाइनल बोर्ड एग्जाम था। संदीप के लिए ये सबसे बड़ा सेट बैक था। उन्होंने एग्जाम दिया और वे पास भी हुए।

संदीप बताते हैं कि उसके बाद मैंने तय कर लिया कि अब आगे की पढ़ाई के लिए घर से पैसे नहीं लूंगा। इसीलिए मैंने इग्नू में एडमिशन ले लिया ताकि मुझे क्लास नहीं करना पड़ेगा। और पहले ही दिन से ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। इसके बाद मैंने रेलवे का एग्जाम दिया। ये मेरा पहला कॉम्पीटिटिव एग्जाम था और मैं इसमें सफल नहीं हो सका। इसके बाद पोस्ट ऑफिस में क्लर्क की भर्ती निकली। मैंने उस एग्जाम में टॉप किया और यहां से मेरी पहली नौकरी की शुरुआत हुई।

पढ़ाई के साथ-साथ संदीप बच्चों को खेल-कूद के लिए भी मोटिवेट करते हैं।

संदीप कहते हैं, 'इस बीच मेरा झुकाव पत्रकारिता की तरफ होने लगा। कई अखबारों में मेरे लेख भी छपे। इसके बाद मैंने जर्नलिज्म में एडमिशन ले लिया। हालांकि, नौकरी की वजह से बीच में ही जर्नलिज्म छोड़ना पड़ा। इसके बाद मैंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से मास्टर्स किया। और पहले ही प्रयास में UGC-NET क्लियर किया। इससे मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ा और फिर एक के बाद एक बैंक पीओ, एसएससी, बीएसएफ असिस्टेंट कमांडेंट, नाबार्ड सहित कई एग्जाम क्लियर किए।

IPS बनने से पहले संदीप ने बैंक पीओ, एसएससी, बीएसएफ असिस्टेंट कमांडेंट, नाबार्ड सहित कई एग्जाम क्लियर किए।

फिर मुझे लगा कि एक बार UPSC भी ट्राई करना चाहिए। दिन में नौकरी करता था और रात में घर आकर पढ़ाई करता था। यहां भी पहले ही अटेंप्ट में मुझे सफलता मिली। तब इंटरव्यू में मुझे देशभर में सबसे ज्यादा नंबर मिले थे। संदीप बताते हैं कि पढ़ाई के लिए कोचिंग और पैसे मायने नहीं रखते हैं। अगर वाकई आप कुछ हासिल करना चाहते हैं तो ईमानदारी से मेहनत करिए सफलता जरूर मिलेगी। मेरी बैचलर्स और मास्टर्स की पढ़ाई बहुत की कम पैसे में पूरी हो गई थी।



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संदीप चौधरी अभी जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में बतौर SSP के रूप में तैनात हैं।


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सिविल सर्विस की तैयारी छोड़ मिथिला पेंटिंग का बिजनेस शुरू किया, हर साल 50 लाख रु है टर्नओवर

तीन साल पहले मैंने क्राफ्ट वाला को बतौर कंपनी रजिस्टर्ड किया। चाहता तो ट्रस्ट या एनजीओ के तौर पर भी रजिस्टर करवा सकता था लेकिन नहीं किया। मुझे लगा कि आजतक मिथिला पेंटिंग या मधुबनी पेंटिंग करने वाले कलाकारों का सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं ने किया है। मैंने इस कला को व्यापार से जोड़ने का फैसला किया।

अभी तक जिस कला की पहुंच देश-दुनिया के बड़े बड़े धन्ना सेठों तक थी उसे दिल्ली, मुम्बई या किसी महानगर में रह रहे मिडिल क्लास के फ्लैट तक पहुंचाया। इसमें वक्त लगा लेकिन आज हमारी कंपनी बिहार का अकेला ऐसा स्टार्टअप है, जिसे राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त है। हम हर साल लगभग पचास लाख से ज्यादा का व्यापार करते हैं और आज क्राफ्ट वाला का बाजार मूल्य लगभग 2 करोड़ है।

अर्थशास्त्र में पीएचडी कर चुके और बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) बीपीएससी की मुख्य परीक्षा पास करने के बाद गांव की तरफ लौट चुके रजनीश कुमार झा जब ये बातें बता रहे थे तो आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। रजनीश बिहार के मधुबनी में रहते हैं। इस छोटे से शहर में रहते हुए वो हर साल लाखों का व्यवसाय कर रहे हैं। इलाके के करीब तीन सौ मिथिला पेंटिंग बनाने वाले कलाकारों को नियमित काम दे रहे हैं और उनकी कला की सही कीमत दिला रहे हैं।

इस साल कोरोनाकाल में मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क की देशभर में डिमांड रही। पीएम मोदी ने भी इसका जिक्र किया था।

2016 तक बिहार की राजधानी पटना में रहकर खुद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले और निजी कोचिंग सेंटरों से जुड़कर दूसरे छात्रों को परीक्षा की तैयारी करवाने वाले रजनीश को ये नहीं पता था कि वो भविष्य में क्या करेंगे लेकिन इतना जरूर पता था कि जो कर रहे हैं उसे ज्यादा दिनों तक नहीं कर सकेंगे।

अपने शुरुआती दिनों के बारे में वो बताते हैं, 'मैं अपनी तैयारी के साथ-साथ तैयारी करवाने लगा था। सब कुछ सही चल रहा था। पैसे मिल रहे थे। ट्रैवल था। लेकिन बोरियत भी थी। एक ही तरह का काम हर रोज। वही सुबह उठना। क्लास जाना। पढ़ाना फिर लौटकर घर वापस आना। एकदम मशीनी था सब कुछ। मैं इससे परेशान होने लगा था। बहुत सोचा तो लगा कि गांव चला जाए। वहीं कुछ करेंगे। सब छोड़कर गांव आ गया।'

रजनीश पटना से गांव जरूर आ गए लेकिन कुछ अलग और नया करने की जगह वही करने लगे जो पटना में करते थे। दरभंगा में कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने फिर से कोचिंग शुरू कर दी। कुछ महीने बाद उन्हें लगा-आए थे हरी भजन को,ओटन लगे कपास।

कहने का मतलब कि पटना से सोचकर जो आए थे वो नहीं कर सके। कुछ और ही करने लगे। जिससे मन उचट गया था। इसके बाद उन्होंने खुद को कोचिंग से अलग कर लिया और लगे लोकल मार्केट में मिथिला पेंटिंग की टोह लेने।

रजनीश बताते हैं, 'किताबों में मैंने पढ़ा था कि मधुबनी या मिथिला पेंटिंग की मांग दुनिया भर में रहती है। ये सही भी है। अद्भुत कला है ये लेकिन जब मैंने घूमने लगा तो समझ आया कि स्थानीय बाजार में इसकी कोई मांग नहीं है। क्योंकि ये कला बाजार तक पहुंचते-पहुंचते बहुत महंगा हो जाती है। कलाकार से जो पेंटिंग 6 सौ रुपए में खरीदी जाती है, वो राजधानी दिल्ली पहुंचते-पहुंचते 6 हजार रुपए की हो जाती है और देश से बाहर जाते-जाते लाख रुपए की। इतना महंगा आर्ट तो कोई अमीर ही खरीदेगा।'

रजनीश कहते हैं कि अगर आर्ट एंड क्राफ्ट को बचाना है तो उसे व्यापार से जोड़ना होगा। इससे जुड़े कलाकारों को सही कीमत दिलाना होगी।

मिडिल क्लास परिवार तो दूर ही रहेगा। मुझे यहीं से क्राफ्ट वाला का ख्याल आया। तीन साल में बहुत सी दिक्कतें आईं लेकिन हमने इस कला को बहुत हद तक देश के मिडिल क्लास से जोड़ दिया है। 2017 में बिहार सरकार राज्य की स्टार्टअप पॉलिसी ले कर आई।

इसके मुताबिक जिस आइडिया को राज्य सरकार मान्यता देगी उसमें दस लाख रुपए लगाएगी। रजनीश ने भी अप्लाई किया। पहली बार में उनका आइडिया रिजेक्ट हो गया लेकिन 2018 में अप्रूव हो गया। उन्हें सर्टिफिकेट तो मिल गया लेकिन सरकार की तरफ से मिलने वाले आर्थिक मदद की राह वो अभी भी देख रहे हैं।

रजनीश बताते हैं कि बिहार सरकार की वर्किंग आप इससे समझ सकते हैं। तीन साल बीत गए। अभी तक मैं सरकार से मिलने वाले आर्थिक मदद की बाट जोह रहा हूं। अगर ये लोग तीन साल तक स्टार्टअप को मदद नहीं करेंगे तो इतने में वो बंद ही हो जाएगा। लेकिन हम पूरी तरह से सरकार के भरोसे नहीं हैं।

कोरोना आया और लॉकडाउन लगा तो हमने मास्क पर मिथिला पेंटिंग बनाकर बेचना शुरू किया। लगभग एक लाख मास्क हमने बेच दिए। राखी आई तो मिथिला में प्रचलित घास की राखी बेच दी। अब तो मखाना भी हम सप्लाई करते हैं।

आर्ट एंड क्राफ्ट में लगे कलाकारों को उनकी कला की सही कीमत दिलवाई जाए और इसे अमीरों के बंगलों से निकालकर मिडिल क्लास के दो-तीन रूम वाले फ्लैट तक भी पहुंचाया जाए। इस काम में रजनीश कुमार झा और उनके चार साथी लगे हुए हैं।

वो अपनी बातचीत में साफ हैं कि वो व्यापार कर रहे हैं। इनका मानना है कि अगर आर्ट एंड क्राफ्ट को बचाना है तो उसे व्यापार से जोड़ना होगा। इन काम में लगे कलाकारों को सही कीमत दिलानी होगा। इनके काम के लिए एक बड़ा मार्केट तैयार करना होगा।



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बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले रजनीश कुमार झा मधुबनी पेंटिंग को लेकर काम कर रहे हैं।


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क्या मंदी से उबर रही है ऑटो इंडस्ट्री? कोरोना के बावजूद कार-बाइक ज्यादा खरीद रहे हैं लोग

देश में ऑटो सेक्टर ने 15 महीने की मंदी के बाद उबरना शुरू किया ही था कि कोरोना आ गया। ये ऑटो इंडस्ट्री के लिए एक तरह से ‘गरीबी में आटा गीला’ वाली कहावत जैसा था। लेकिन, अब ऑटो इंडस्ट्री की हालत सुधर रही है। ये हम नहीं, बल्कि आंकड़े कह रहे हैं।

देश के अनलॉक होने के साथ ही ऑटो सेक्टर की मंदी भी अनलॉक होने लगी है। आंकड़े आपको नीचे बताएंगे, लेकिन इसे ऐसे समझिए कि इस साल फेस्टिव सीजन में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा कारें और ज्यादा स्कूटी-बाइकें बिकी हैं। अब आते हैं आंकड़ों पर।

सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (SIAM) हर महीने की बिक्री पर डेटा जारी करता है। इसके डेटा पर नजर डालें तो इस साल फेस्टिव सीजन यानी सितंबर-अक्टूबर के महीने में 44.85 लाख 2-व्हीलर और 4-व्हीलर बिकी हैं। जबकि, पिछले साल इन्हीं दोनों महीनों में 38.99 लाख बिक्री हुई थी। यानी, इस साल फेस्टिव सीजन में 2-व्हीलर और 4-व्हीलर की बिक्री पिछले साल के मुकाबले 15% ज्यादा हुई है।

जुलाई तक बिक्री धीमी रही, लेकिन उसके बाद तेजी से बढ़ी

2020 कई मायनों में खास रहा। सबसे बड़ा कारण तो कोरोना ही है। दूसरा, ये कि इस साल वो सबकुछ हो रहा है, जिसके बारे में कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा। ऐसा ही ऑटो इंडस्ट्री के साथ भी हुआ। इस साल अप्रैल में एक भी 4-व्हीलर या 2-व्हीलर नहीं बिकी। हालांकि, इसकी वजह लॉकडाउन था।

इस साल जनवरी से लेकर जुलाई तक 2-व्हीलर और 4-व्हीलर की बिक्री पिछले साल के मुकाबले कम ही रही। लेकिन, अगस्त से बिक्री बढ़नी शुरू हो गई। अगस्त से अक्टूबर तक 3 महीने में 62.58 लाख गाड़ियां बिकीं। जबकि, पिछले साल इन्हीं तीन महीनों में 56.02 लाख गाड़ियां बिकी थीं। यानी, अगस्त से अक्टूबर 2020 में 2019 के मुकाबले 12% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

हालात सुधर रहे, फिर भी ऑटो इंडस्ट्री की हालत अच्छी नहीं

आंकड़े तो कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद ऑटो इंडस्ट्री के हालात सुधरने लगे हैं। लेकिन, यही आंकड़े ये भी कहते हैं कि हालात सुधरने के बावजूद भी ऑटो इंडस्ट्री की हालत बहुत अच्छी नहीं है। ऑटो इंडस्ट्री की हालत पिछले साल से ही बिगड़नी शुरू हो गई थी और कोरोना ने इसको बद से बदतर कर दिया।

SIAM का ही डेटा बताता है कि 2019-20 यानी अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 2.15 करोड़ व्हीकल्स बिके थे। इसमें 4-व्हीलर, 2-व्हीलर, 3-व्हीलर और कमर्शियल व्हीकल का डेटा भी शामिल है। जबकि, इस साल अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक सिर्फ 93.12 लाख व्हीकल ही बिके हैं। हालांकि, अभी ये फाइनेंशियल ईयर खत्म होने में 5 महीने बाकी हैं और सुधार की उम्मीद भी बाकी है।

कितनी बड़ी है ऑटो इंडस्ट्री?

  • SIAM के मुताबिक, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का देश की GDP में 7.1% का योगदान है। ये इंडस्ट्री 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार देती है। इसमें से 80 लाख रोजगार सीधे तौर पर इससे जुड़े हैं।
  • अभी हम 2-व्हीलर बनाने के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर हैं। जबकि, हैवी बस बनाने में दूसरे, हैवी ट्रक बनाने में तीसरे, कार बनाने में चौथे और कमर्शियल व्हीकल बनाने में 7वें नंबर पर हैं।
  • 2019 में हमारे देश में 3.09 करोड़ व्हीकल्स का प्रोडक्शन हुआ है, जो 2018 के मुकाबले 6.2% ज्यादा है। 2018 में 2.90 करोड़ व्हीकल्स बने थे।
  • 2026 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री बनने का टारगेट है। उस समय इस इंडस्ट्री का GDP में योगदान 12% होगा और इससे 6.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा।
  • इस साल 17 नवंबर तक केंद्र और राज्य सरकारों को गाड़ियों पर लगने वाले अलग-अलग टैक्स से 34,470 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला है। जबकि 2019 में 50,536 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला था।


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Car Bike Sales Figures 2020 Month Wise Update | Know How Many Vehicle Sold In India 2019? Everything You Need To Know


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भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री जिन्होंने कल्पना की उड़ानों को थमने नहीं दिया

साल था 1947। भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हो चुका था। देश की बड़ी आबादी इधर से उधर और उधर से इधर हो रही थी। इसी दौरान मुल्तान के रहने वाले बनारसी लाल चावला का परिवार करनाल आ गया था। बनारसी लाल ने यहां आकर कपड़े बेचना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने टायर का बिजनेस डाला। उनके चार बच्चे थे।

1 जुलाई 1961 को जन्मी सबसे छोटी बेटी का नाम मोंटो रखा। यही मोंटो आगे चलकर कल्पना चावला नाम से जानी गई। स्पेस में जाने वाली पहली भारतीय महिला। शुरुआत में करनाल से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया, फिर एयरोस्पेस में मास्टर्स की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गईं।

1984 में एयरोस्पेस की इंजीनियरिंग भी पूरी कर ली। फिर एक और मास्टर्स किया और पीएचडी की। 1988 में नासा में काम करना शुरू किया। 1991 में अमेरिका की नागरिकता मिल गई। इसी साल नासा एस्ट्रोनॉट कॉर्प्स का हिस्सा बनीं। 1997 में अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला और नासा के स्पेशल शटल प्रोग्राम का हिस्सा बन गईं।

19 नवंबर 1997 यानी आज ही के दिन कल्पना ने अपना अंतरिक्ष मिशन शुरू किया था। उस समय उनकी उम्र महज 35 साल थी। 6 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उन्होंने स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से उड़ान भरी। इस मिशन के दौरान कल्पना ने 65 लाख मील का सफर तय किया था। 376 घंटे 34 मिनट अंतरिक्ष में बिताए।

इसके बाद साल 2003 आया। यह यात्रा कल्पना की दूसरी लेकिन उनके जीवन की अंतिम यात्रा साबित हुई। 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा प्रवेश करते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें सवार कल्पना चावला समेत 7 अंतरिक्ष यात्रियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो गई।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ था

बात 19 नवंबर 1828 की है। वाराणसी के रहने वाले मोरोपंत तांबे और भागीरथी बाई के यहां एक लड़की जन्म हुआ। नाम रखा मणिकर्णिका। लोग प्यार से मनु कहकर पुकारते थे। पिता मोरोपंत मराठा बाजीराव की सेवा में नियुक्त थे। बचपन में ही मनु की मां का निधन हो गया था।

अब उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं था। इसलिए पिता उन्हें भी पेशवा बाजीराव द्वितीय के यहां ले जाने लगे। यहां लोग उनकी चंचलता देखकर मनु को छबीली पुकारने लगे। मनु ने शस्त्र विद्या और शास्त्र विद्या दोनों सीखना शुरू कर दी। 1842 में उनकी शादी झांसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हो गई।

अब मनु झांसी की रानी लक्ष्मीबाई हो गई थीं। 1851 में उन्हें एक बेटा हुआ, लेकिन 4 महीने बाद उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद राजा गंगाधर का भी स्वास्थ्य बिगड़ गया। दत्तक पुत्र गोद लिया गया, नाम दामोदर राव रखा गया। 21 दिसंबर 1853 को राजा की मृत्यु हो गई। राज्य हड़प नीति के तहत बालक दामोदर राव के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया गया। मुकदमा खारिज हुआ।

ब्रिटिश अधिकारियों ने राज्य का खजाना हड़प लिया। उनके पति के कर्ज को रानी लक्ष्मी बाई के सलाना खर्चे में काटना शुरू कर दिया। इसके बाद झांसी का किला छोड़कर लक्ष्मीबाई रानी महल में रहने लगीं। 1857 में पूरे देश अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए बगावत शुरू हो गई। इसका केंद्र था झांसी। इसके बाद लक्ष्मीबाई ने लोगों को संगठित करना शुरू किया। महिलाओं को प्रशिक्षण देने लगीं।

1857 को झांसी पर ओरछा और दतिया के राजाओं ने आक्रमण किया लेकिन रानी ने इसे विफल कर दिया। 1858 जनवरी के अंत में ब्रिटिश सेना ने झांसी शहर पर कब्जा कर लिया। लेकिन रानी अंग्रेजों से बचकर अपने बेटे दामोदर के साथ भागने में सफल हुईं। वह कालपी पहुंचीं और तात्या टोपे से मुलाकात की। तात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेनाओं ने ग्वालियर के किले पर कब्जा कर लिया। 18 जून 1858 को ब्रिटिश सरकार से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु हो गई।

भारत और दुनिया में 19 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः

1824 : रूस के सेंट पीटर्सबर्ग शहर में बाढ़ से दस हजार लोगों की मौत हुई थी।
1917: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म यूपी के इलाहाबाद में हुआ था।
1982: नई दिल्ली में नौवें एशियाई खेलों की शुरुआत हुई थी।
1994: भारत की ऐश्वर्या राय पहली मिस वर्ल्ड चुनी गई थीं।
1995: कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।
2006: भारत ने मीडियम रेंज की न्यूक्लियर क्षमता वाली मिसाइल का परीक्षण किया था। इसके एक दिन बाद पाकिस्तान ने भी ऐसी ही मिसाइल का परीक्षण किया था।
2007: अमेजन ने किताब पढ़ने वाले किंडल गैजेट की बिक्री शुरू की थी।
2009: गूगल क्रोम ने OS (ऑपरेटिंग सिस्टम) के कोड का खुलासा किया था।



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Today History: (Aaj Ka Itihas) From India World; Rani Laxmi Bai Birth Anniversary, Astronaut Kalpana Chawla Death


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अमेरिका के इस शहर में अगले साल ही निकलेगा सूरज, तब तक अंधेरे में ही रहेंगे लोग; जानें ऐसा क्यों होगा?

अमेरिका का अलास्का प्रांत। बहुत खूबसूरत है। ठंडा भी है। यहां का एक शहर है उतकियागविक। 2016 तक इस शहर को बैरो नाम से जाना जाता था। यहां 18 नवंबर को आखिरी बार सूरज दिखाई दिया था। अब यहां 23 जनवरी को ही सूरज दिखेगा। यानी 65 दिन तक यहां लोग अंधेरे में ही रहेंगे। यहां के लोग इसे ’65 डेज ऑफ डार्कनेस’ कहते हैं। इस शहर की ये भी खासियत है कि यहां गर्मी के मौसम में 2 महीने तक सूरज निकला रहता है। लेकिन, ये सब होता कैसे है? आइए इसे समझते हैं...

पहले बात दिन और रात होती कैसे है?

हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं कि पृथ्वी अपनी धूरी पर घूमती है। पृथ्वी का एक चक्कर 24 घंटे में पूरा होता है। क्योंकि, पृथ्वी गोल है और सूरज का चक्कर लगा रही है, इसलिए इसका एक हिस्सा 12 घंटे तक ही सूरज के सामने रहता है। इसलिए, जिस हिस्से पर सूरज की रोशनी पड़ती है, वहां दिन होता है और जहां रोशनी नहीं पड़ती, वहां रात होती है। पृथ्वी को सूरज का एक चक्कर पूरा करने में 365 दिन, 6 घंटे और 48 मिनट लगता है। इसलिए 365 दिन में हमारा साल बदल जाता है।

अब समझते हैं कुछ जगहों पर दिन और रात लंबे क्यों होते हैं?

भूगोल में हमने पढ़ा है कि पृथ्वी अपने अक्ष(एक्सिस) पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है। यानी, पृथ्वी गोल तो है, लेकिन वो सीधी नहीं है, थोड़ी तिरछी है। इसके दो ध्रुव हैं, उत्तरी और दक्षिणी। क्योंकि पृथ्वी झुकी हुई है, इसलिए जब वो सूरज का चक्कर लगाती है, तो एक ही ध्रुव में उसकी रोशनी पड़ती है। वहीं, 6 महीने बाद दूसरे ध्रुव में रोशनी पड़ती है। इसी कारण ध्रुवों पर 6 महीने दिन और 6 महीने रात होती है।

इसको ऐसे समझिए, अगर पृथ्वी सीधी होती, तो चक्कर लगाते समय इसके हर हिस्से पर 12 घंटे के दिन और 12 घंटे की रात होती। लेकिन, क्योंकि ये झुकी हुई है इसलिए चक्कर लगाते समय कुछ हिस्से में दिन और रात लंबी हो जाती है। पृथ्वी के 23.5 डिग्री झुकी होने के कारण ही उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर सूरज साल में एक बार उगता है और एक बार डूबता है।

तो उतकियागविक में 65 दिन की रात क्यों?

इसके लिए उतकियागविक शहर का भूगोल समझते हैं। ये शहर उत्तरी ध्रुव से 2 हजार 92 किमी दूर है। यानी, दिल्ली और गोवा के बीच जितनी दूरी है। उत्तरी ध्रुव पर आर्कटिक सर्कल होता है और दक्षिणी ध्रुव पर अंटार्कटिका सर्कल। उतकियागविक शहर आर्कटिक सर्कल की ऊंचाई पर स्थित है। क्योंकि आर्कटिक सर्कल के ऊंचाई पर होने की वजह से सूरज यहां क्षितिज से ऊपर नहीं आ पाता। इसे ‘पोलर नाइट्स’ कहा जाता है। जो शहर या देश उत्तरी ध्रुव के जितना ज्यादा नजदीक होगा, वहां उतनी ज्यादा लंबे दिन और रात होंगे।

तो क्या पूरा अंधेरा ही अंधेरा रहेगा?

नहीं, ऐसा नहीं है। नवंबर से जनवरी तक यहां जमकर ठंड पड़ती है। सर्दियों में यहां का तापमान माइनस 23 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। 65 दिन तक सूरज नहीं निकलेगा का मतलब ये नहीं है कि यहां अंधेरा ही अंधेरा ही रहेगा। बल्कि, मतलब तो ये है कि सूरज तो निकलेगा, लेकिन उसकी रोशनी यहां तक अच्छे से नहीं पहुंचेगी।

इसको ऐसे भी समझ सकते हैं, जैसे जब हमारे घर में एक कमरे में लाइट जलती है, तो उसकी कुछ रोशनी दूसरे कमरे में भी जाती है। अंग्रेजी में इसे ‘Civic Twilight’ कहते हैं। जैसे-जैसे पोलर नाइट्स शुरू होती है, वैसे-वैसे यहां दिन में 6 घंटे तक विजिबिलिटी रहती है, लेकिन जैसे-जैसे ये गुजरती जाती हैं, विजिबिलिटी घटकर 3 घंटे तक की हो जाती है। ये ठीक वैसा ही होता है, जैसे हमारे देश में सर्दियों के मौसम में जब कोहरा छाता है, तो विजिबिलिटी कम हो जाती है।

क्या यहां दिन भी 65 दिनों तक ही रहता है?

नहीं, बल्कि यहां दिन तो और भी ज्यादा लंबे समय तक रहता है। इस शहर में गर्मियों के मौसम में 82 दिन तक उजाला रहता है। इसे 'मिडनाइट सन' कहा जाता है। यहां 12 मई से लेकर 2 अगस्त तक उजाला रहता है। यहां भी ‘Civic Twilight’ लागू होता है। यानी, सूरज ढल तो जाता है, लेकिन उसकी रोशनी फिर भी यहां आती रहती है। यही वजह है कि गर्मी के दिनों में यहां 24 घंटे यहां रोशनी रहती है।



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USA Barrow Alaska Sunset And Sunrise Time Update; How Long Does It Stay Dark In Barrow Alaska?


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स्वीट क्रेविंग दूर करने के लिए बनाएं हेल्दी-टेस्टी सीताफल की खीर, हल्का ठंडा होने पर सीताफल का गूदा मिलाएं



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सीमा पर झड़प में भारत के 28 जवान शहीद हुए? पाकिस्तानी यूजर फैला रहे अफवाह

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि भारत-पाक सीमा पर हुई झड़प में 28 भारतीय जवान शहीद हो गए। दावे के साथ एक फोटो भी वायरल हो रही है। दावा कर रहे अधिकतर सोशल मीडिया हैंडल पाकिस्तान के हैं।

और सच क्या है?

  • न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार, 13 नवंबर को पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में सीजफायर का उल्लंघन किया था। हालांकि, इस रिपोर्ट में 28 जवानों के शहीद होने का जिक्र नहीं है।
  • गूगल पर कई की-वर्ड सर्च करने से भी इंटरनेट पर हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिससे पुष्टि होती हो कि भारत-पाक सीमा पर भारतीय सेना के 28 जवान शहीद हुए हैं।
  • 13 नवंबर को पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ, केरन, गुरेज सेक्टर में सीजफायर वॉयलेशन किया था। कुपवाड़ा से लेकर बारामूला तक पाकिस्तानी सेना ने फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने भी कई पाकिस्तानी बंकर तबाह कर दिए थे।
  • दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, सीमा पर हुई इस मुठभेड़ में बीएसएफ और आर्मी के 5 जवान शहीद हुए थे। 6 भारतीय नागरिकों की भी मौत हुई। वहीं भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना के 3 कमांडो समेत 11 जवान ढेर हो गए थे।
  • इन सबसे साफ है कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा 28 भारतीय जवानों के शहीद होने का दावा फेक है। पड़ताल के अगले फेज में हमने दावे के साथ शेयर की जा रही फोटो की सत्यता जांचनी शुरू की।
  • वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें 2016 के सोशल मीडिया पोस्ट में भी यही फोटो मिली। साफ हो गया कि फोटो कम से कम 4 साल पुरानी है और इसका 2020 में भारत-पाक सीमा पर हुई झड़प से कोई संबंध नहीं है।
  • Huffington Post के आर्टिकल में भी हमें यही फोटो मिली। कैप्शन से पता चलता है कि फोटो 30 जून, 2010 को छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले की है।

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Pakistan Ceasefire Violation In Jammu Kashmir; Fact Check On 28 Indian Jawan Martyred


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कांग्रेस नहीं रही तो लोकतंत्र बिना ब्रेक की कार बन जाएगा

बिहार के चुनाव-परिणामों का असर सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है। वे अखिल भारतीय राजनीति का आईना बन गए हैं, जिसमें हर राजनीतिक दल अपना चेहरा देख रहा है। भाजपा का चेहरा चमचमा उठा है लेकिन उसके प्रतिद्वंद्वी दल कांग्रेस के चेहरे पर धुंध छा गई है।

बिहार में उसे 70 में से सिर्फ 19 सीटें मिलीं और वोट सिर्फ 9.48% मिले। बिहार के साथ-साथ मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक आदि राज्यों में जो उप-चुनाव हुए, उनमें तो कांग्रेस की हालत और बदतर सिद्ध हुई है। लगभग सभी राज्यों में नेता कांग्रेस छोड़ भाजपा आदि दलों में जा रहे हैं। इसीलिए कई छोटे राज्यों में कांग्रेस की सरकारें नहीं बन सकीं। जो नेता कांग्रेस में अभी तक बने हुए हैं, यह उनकी मजबूरी है।

कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी की दुर्दशा पर पत्र लिखकर कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी का ध्यान भी खींचा। उसका जवाब तो उन्हें अब तक नहीं मिला है लेकिन उनमें से कुछ नेताओं को अपदस्थ कर दिया गया है। बिहार तथा अन्य राज्यों में हार के सवाल को कुछ नेताओं ने फिर उठाया है लेकिन पार्टी नेतृत्व ऐसे नाजुक मुद्दों पर सार्वजनिक बहस की इजाजत नहीं देता है।

ऐसे मुद्दों पर सार्वजनिक बहस हो या न हो लेकिन अफसोस की बात है कि उनपर पार्टी के अंदर भी खुलकर बहस नहीं होती। लेकिन कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता और सामान्य कार्यकर्ता निजी बातचीत में अपनी निराशा, व्यथा और किंकर्तव्यविमूढ़ता प्रकट करने में संकोच नहीं करते। कांग्रेस की हालत आज एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी-जैसी है। इसका बुरा असर देश की लगभग सभी प्रांतीय पार्टियों पर भी पड़ गया है।

यदि कांग्रेस मां-बेटा पार्टी बन गई है तो कई पार्टियां बाप-बेटा पार्टी, चाचा-भतीजा पार्टी, भाई-भाई पार्टी, बुआ-भतीजा पार्टी, पति-पत्नी पार्टी, ससुर-दामाद पार्टी आदि बनकर रह गई हैं। भारतीय राजनीति में इस परिवारवाद का जन्म 1971 की इंदिरा गांधी की प्रचंड विजय के बाद शुरू हुआ, जो अब तक चला आ रहा है।

भारतीय लोकतंत्र में पैदा हुए इस खलल का असर किस पार्टी पर नहीं पड़ा है? क्या भारत की कोई भी पार्टी यह दावा कर सकती है कि उसके अध्यक्ष या नेता का चुनाव उसके सभी सदस्य खुले रूप में करते हैं? पार्टियों की कार्यसमिति के सदस्य भी नहीं चुने जाते। वे भी नामजद कर दिए जाते हैं। प्रांतीय अधिकारी भी इसी तरह ऊपर से थोप दिए जाते हैं। यह कला कांग्रेस की है। अब इसे सभी पार्टियों ने सीख लिया है।

जब तक पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र नहीं होगा, देश में नाम मात्र का ही लोकतंत्र चलता रहेगा। पार्टियों में यदि आंतरिक लोकतंत्र हो तो उसका सबसे पहला असर तो यह होगा कि उसके नेता चुनाव द्वारा नियुक्त होंगे। ऊपर से थोपे नहीं जाएंगे। दूसरा, एक ही नेता बरसों-बरस पार्टी पर थुपा नहीं रहेगा। समय और जरूरत के मुताबिक नए नेताओं को मौका मिलेगा। पार्टियों के नेता और हमारी सरकारें भी अक्सर बदलती रहें तो उनकी सेहत ठीक रहती है। वे पापड़ की तरह होते हैं। उन्हें जल्दी-जल्दी न पलटें तो उनके जलने का डर बना रहता है।

बराक ओबामा ने अपने संस्मरणों में जो लिखा है, उससे क्या सबक निकलता है? उन्होंने कहा है कि सोनिया गांधी ने डाॅ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री इसीलिए बनाया कि उनसे राहुल गांधी को कोई खतरा नहीं था। दूसरे शब्दों में हमारी राजनीति राष्ट्रहित से ज्यादा व्यक्तिगत या पारिवारिक हित से प्रेरित है। यह परिदृश्य देश की लगभग सभी पार्टियों में देख सकते हैं। पार्टियों के अध्यक्ष ऐसे लोग बनाए जाते हैं, जो बड़े नेताओं के इशारों पर थिरकते रहें।

राजनीतिक दलों के अंदर जब नेताओं के आचरण व नीतियों पर खुलकर बहस नहीं होती है, तो वहां भ्रष्टाचार पनपता है। जो पार्टियां सत्तारूढ़ होती हैं, उनके मंत्रिमंडलों की बैठकों में किसी भी प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में जमकर बहस नहीं होती है। नौकरशाहों द्वारा रचे हुए प्रस्तावों और विधेयकों पर प्रायः सर्वसम्मति प्रकट कर दी जाती है। हमारे यहां बिना वाद और प्रतिवाद के ही, संवाद चलता रहता है।

इसका उलट-दृश्य हमें संसद में दिखाई पड़ता है। लगभग 800 सांसद प्रत्येक मुद्दे पर अपनी-अपनी राय प्रकट करने की बजाय भेड़चाल चलने लगते हैं। वे पार्टी-प्रवक्ता बन जाते हैं। वे आंख मींचकर समर्थन या विरोध करने लगते हैं। हमारी संसद की इस कमजोरी के लिए भी हमारी पार्टी-व्यवस्था ही जिम्मेदार है।यदि भारत की राजनीतिक पार्टियां नेहरू-काल की कांग्रेस से कुछ सीखें तो भारत का लोकतंत्र स्वस्थ और सुदृढ़ बन सकता है। आज की कांग्रेस यदि नहीं सुधरी तो इस सूर्य का अस्त होना निश्चित है। कांग्रेस दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी रही है और आज भी देश के हर जिले, हर शहर और हर गांव में कांग्रेस विद्यमान है। कांग्रेस में आज भी एक से एक अनुभवी और योग्य नेता हैं। यदि उन्हें मौका मिले तो आज भी अधमरी कांग्रेस फिर से दनदनाने लग सकती है।

राहुल गांधी का कोई कितना ही मजाक उड़ाए लेकिन क्या यह कम बड़ी बात है कि वह दोबारा पार्टी-अध्यक्ष नहीं बनना चाहते। सोनिया गांधी किस मोह में पड़ी हैं? वे पार्टी में लोकतंत्र कायम करें और उसे जन-आकांक्षा और जन-आंदोलन का यंत्र बना दें। यदि कांग्रेस का अवसान हो गया तो भारतीय लोकतंत्र कुछ समय के लिए बिना ब्रेक की मोटर कार बन जाएगा।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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डॉ. वेदप्रताप वैदिक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष


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