सोमवार, 18 मई 2020

यात्रा प्रतिबंध और मानसून के कारण आईपीएल के अगले 4 महीने तक होने के आसार कम; टी-20 वर्ल्ड टला तो अक्टूबर में हो सकती है लीग

गृह मंत्रालय ने रविवार रात लॉकडाउन के चौथे फेज के लिए गाइडलाइन जारी कर दी। इसमें स्टेडियम और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स खोलने की मंजूरी तो दी। लेकिन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध कम से कम 31 मई तक जारी रहेगा। ऐसे में घरेलू और विदेशी दोनों खिलाड़ी यात्रा नहीं कर सकेंगे। इसलिए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के अगले 4 महीने तक होने के आसार कम हैं।

बीसीसीआई ने भी बयान जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार ने 31 मई तक हवाई यात्रा पर लगी पाबंदियों को जारी रखा है। ऐसे में बोर्ड खिलाड़ियों की ट्रेनिंग या टूर्नामेंट शुरू करने को लेकर जल्दबाजी नहीं करेगा।

हम जल्दबाजी में ट्रेनिंग नहीं शुरू करेंगे: बीसीसीआई

बोर्ड कोषाध्यक्ष अरूण धूमल ने कहा ने कहा, “हमारे लिए खिलाड़ियों की सुरक्षा अहम है। ऐसा कोई फैसला नहीं लिया जाएगा, जिससे कोरोना से निपटने की भारत की कोशिशों पर असर पड़े।

1 जून से मानसून सीजन शुरू होता है

भारत में मानसून सीजन 1 जून से 30 सितंबर तक होता है। हालांकि, इस पैटर्न में बदलाव देखा जा रहा है। देश के ज्यादातर हिस्सों में यह 15 जून तक ही सक्रिय हो पाता है। इस बार भी केरल में मानसून 4 दिन की देरी से आएगा।आईपीएल के संदर्भ में बात करें तो मानसून को देखते हुए जून से मध्य अक्टूबर तक इसका भारत में होना लगभग नामुमकिन है।टीम इंडिया का व्यस्त शेड्यूल

सितंबर तक टीम इंडिया का व्यस्त शेड्यूल

टीम इंडिया को जून-जुलाई में श्रीलंका से उसी के घर में 3 वनडे और 3 टी-20 की सीरीज खेलनी है। इसके बाद अगस्त में जिम्बाब्वे दौरे पर 3 वनडे खेलने हैं। अगले महीने ही एशिया कप भी होना है।भारतीय टीम अगस्त के तीसरे हफ्ते से लेकर 15 नवंबर तक व्यस्त रहेगी। इस दौरान केवल 7 दिन का गैप रहेगा। अगर बीसीसीआई आईपीएल के लिए एक तरफा फैसला लेकर इन सीरीज को रद्द करता है, तो आईसीसी उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।

अक्टूबर में टी-20 वर्ल्ड कप

इस साल ऑस्ट्रेलिया में टी-20 वर्ल्ड कप होना है। टूर्नामेंट 18 अक्टूबर से 15 नवंबर तक होगा।अगर टी-20 वर्ल्ड कप टलता या रद्द होता है तो आईपीएल की संभावना नवंबर के आखिर से पूरे दिसंबर तक हो सकती है।

आईसीसी की बोर्ड मीटिंग में टी-20 वर्ल्ड कप फैसला

28 मई को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल(आईसीसी) की बोर्ड मीटिंग होने वाली है। इसमें ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप की किस्मत को लेकर फैसला होगा। इस बैठक पर बीसीसीआई और आईपीएल फ्रेंचाइजियों की नजर है।

फ्रेंचाइजी मालिकों का क्या कहना है

आईपीएल के फ्रेंचाइजी ओनर को अभी भी लीग के होने की उम्मीद है। लेकिन इससे पहले कई जमीनी काम हैं, जिसे टूर्नामेंट के आयोजन के लिए पूरा करना जरूरी है। चेन्नई फ्रेंचाइजी के सीईओ काशी विश्वनाथन का कहना है किसरकार का आदेश सकारात्मक है। लेकिन हमें देखना होगा कि कब दर्शकों को स्टेडियम में आने की अनुमति मिलती है। अगर आपको यात्रा करने की अनुमति नहीं है तो आप कैसे खेलेंगे? अभी भी कंटेनमेंट जोन में कई तरह की पाबंदियां लागू हैं।

बंद स्टेडियम में टूर्नामेंट होने की उम्मीद: केकेआर

कोलकाता फ्रेंचाइजी के सीईओ वैंकी मैसूर ने कहा- मुझे लगता है कि साल के अंत तक हालात सुधार जाएंगे, तब लीग कराई जा सकती है। अगर हम आईपीएल को कराने में सफल रहे तो यह मानकर चलिए कि टूर्नामेंट बंद स्टेडियम में ही होगा। दुनिया में जहां भी खेल गतिविधियां शुरू हुई हैं। वहां यही तरीका अपनाया गया है। यह सही है कि इसके कारण टिकट से होने वाली कमाई, फूड औऱ बेवरेज और टीम से जुड़े सामान से होने वाली कमाई पर असर पड़ेगा।

गेंदसरकार और बोर्ड के पाले में: किंग्स इलेवन पंजाब

पंजाब के सीईओ सतीश मेनन का कहना है कि अब बीसीसीआई और सरकार को यह तय करना है कि क्या वे आईपीएल का 13वां सीजन कराना चाहते हैं या नहीं। मुझे लगता है कि खिलाड़ियों और देश की सुरक्षा सर्वोपरि है। अगर आईपीएल खाली स्टेडियम में होता है तो भी खिलाड़ियों, फ्रेंचाइजियों को इससे खुशी ही होगी।

खिलाड़ियों का इस पर क्या कहना है
खाली स्टेडियम में मैच कराने को लेकर भारतीय कप्तान विराट कोहली का कहना है कि ईमानदारी से कहूं तो हमें दर्शकों की भीड़ के सामने खेलने की आदत है। ऐसे में अगर बगैर फैन्स के मैच होते हैं तो हैं पता नहीं खिलाड़ी इसे कैसे लेंगे। लेकिन विदेशों में भी टूर्नामेंट ऐसे ही शुरू हो रहे हैं।

बिना दर्शकों के खेलने को तैयार: कमिंस

वहीं, आईपीएल-13 की नीलामी में सबसे महंगे 15.5 करोड़ में बिके ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज पैट कमिंस को उम्मीद है कि आईपीएल इस साल होगा। वे पहले भी कह चुके हैं कि पहली प्राथमिकता लोगों और खिलाड़ियों की सुरक्षा है, जबकि दूसरा हालात सामान्य होना है। अगर इसका मतलब यह है कि हमें कुछ समय के लिए बिना दर्शकों के खेलना पड़े तो इसे मंजूर करना चाहिए। क्योंकि लोग तब भी घऱ बैठे तो मैच देख ही सकेंगे।
आईपीएल की 8 टीमों में 64 विदेशी खिलाड़ी
आईपीएल की 8 टीमों में 189 खिलाड़ी हैं। इनमें 64 विदेशी हैं। इनका अब 31 मई तक भारत आना नामुमकिन है, क्योंकि देश में सभी प्रकार की घरेलू और विदेशी उड़ानों पर रोक है। साथ ही विदेशी बोर्ड भी अपने खिलाड़ियों को कोरोना रुकने तक भारत आने की अनुमति नहीं देंगी।

आईपीएल रद्द करने से 3 हजार करोड़ का नुकसान
बीसीसीआई कोषाध्यक्ष अरूण धूमल पहले ही कह चुके हैं किआईपीएल को सीधे रद्द नहीं किया जा सकता है। अगर टूर्नामेंट रद्द होता है, तो करीब 3 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा।



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आईपीएल का 13वां सीजन 29 मार्च से शुरू होना था। लेकिन कोरोनावायरस और विदेशी खिलाड़ियों के वीजा प्रतिबंध की वजह से इसे पहले 15 अप्रैल तक के लिए टाला गया था। लेकिन इसके बाद सरकार द्वारा 3 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ाने पर लीग को अगले आदेश तक के लिए टाल दिया गया था। (फाइल)


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बस-ट्रक की टक्कर में 12 प्रवासी मजदूर घायल, 7 की हालत गंभीर; बस में 39 लोग सवार थे

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में एक बस ट्रक से टकरा गई। हादसे में बस में सवार 12 प्रवासी मजदूर घायल हो गए। घायलों को तमकुही सीएचसी में भर्ती करावाया गया। इनमें से 7 की हालत गंभीर होने की वजह से जिला अस्पताल रैफर कर दिए गए। बस नोएडा से 39 लोगों को बिहार के भागलपुर जा रही थी।

मुख्यमंत्री ने जांच के निर्देश दिए
हादसा रविवार रात साढ़े नौ बजे एनएच-28 पर पटहेरवा इलाके में हुआ। डुमरभार गांव के पास बस ओवरटेक करने की कोशिश में ट्रक से भिड़ गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिला प्रशासन को घायलों के इलाज की व्यवस्था करने और हादसे की जांच के निर्देश दिए। प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों से जांच रिपोर्ट मांगी है।

प्रयागराज पुलिस मजदूरों की आवाजाही पर नजर रखेगी
उत्तरप्रदेश के औरैया में शनिवार को हुए हादसे में 24 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी। इससे सबक लेते हुए प्रयागराज जोन पुलिस ने फैसला किया है कि प्रवासी मजदूरों को ले जाने वाले मालवाहक वाहनों (गुड्स कैरियर) पर नजर रखी जाएगी। सिर्फ खाली वाहनों यानी जिनमें कोई भारी सामान नहीं होगा उन्हें ही लोगों को ले जाने की छूट दी जाएगी। प्रवासियों को टू-व्हीलर या साईकिल से जाने की इजाजत नहीं होगी, पैदल भी सफर नहीं कर सकेंगे। पुलिस वाहनों की स्पीड पर भी नजर रखेगी।



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हादसा कुशीनगर में एनएच-28 पर रविवार रात साढ़े नौ बजे हुआ।


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150 अंक ऊपर खुला सेंसेक्स शुरुआती ट्रेडिंग के दौरान 700 अंक तक गिरा, निफ्टी भी 219 पॉइंट नीचे

सप्ताह में आज सोमवार को कारोबार के पहले दिन बाजार बढ़त के साथ खुला। सेंसेक्स 150.53अंक ऊपर और निफ्टी 21.45पॉइंट ऊपर खुला। हालांकि, ट्रेडिंग के शुरुआती आधा घंटे में हीसेंसेक्स 700 अंक से ज्यादा नीचे गिर गया। अभीसेंसेक्स 729.95 अंक नीचे 30,367.78 पर और निफ्टी 219.80 पॉइंट नीचे 8,917.05 पर कारोबार कर रहा है। इससे पहले शुक्रवार को बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ था। उस दिन सेंसेक्स 173.39 अंक ऊपर और निफ्टी 39.65 पॉइंट ऊपर खुला था। दिनभर की ट्रेडिंग के दौरान सेंसेक्स 352 अंक से ज्यादा नीचे लुढ़क गया। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 25.16 अंक या 0.08% नीचे 31,097.73 पर और निफ्टी 5.90 पॉइंट या 0.06% नीचे 9,136.85 पर बंद हुआ था।

शुक्रवार को बढ़त के साथ बंद हुए अमेरिकी बाजार
शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों के साथ अन्य देशों के बाजारों में भी बढ़त देखने को मिली। अमेरिकी बाजार डाउ जोंस 0.25 फीसदी की बढ़त के साथ 60.08 अंक ऊपर 23,685.40 पर बंद हुआ। वहीं, अमेरिका के दूसरे बाजार नैस्डैक 0.79 फीसदी बढ़त के साथ 70.84 अंक ऊपर 9,014.56 पर बंद हुआ। दूसरी तरफ, एसएंडपी 0.39 फीसदी बढ़त के साथ 11.20 पॉइंट ऊपर 2,863.70 पर बंद हुआ। चीन का शंघाई कम्पोसिट 0.45 फीसदी बढ़त के साथ 12.79 अंक ऊपर 2,881.25 पर बंद हुआ था। इधर फ्रांस, जर्मनी, कनाडा के बाजार भी बढ़त के साथ बंद हुए।कोरोना से देश और दुनिया में मौतें

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 95,698 हो गई है। इनमें 95,698 की रिपोर्ट पॉजीटिव है। वहीं 36,795 संक्रमित ठीक हो गए हैं। देश में अब तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 3,025 हो चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org के अनुसार हैं। दूसरी तरफ, दुनियाभर में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 4,801,875 हो चुकी है। इनमें 316,671 की मौत हो चुकी है। अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या 90,978 हो चुकी है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया 20 लाख करोड़ के पैकेज का हिसाब

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को 20 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के आत्मनिर्भर भारत पैकेज का पूरा हिसाब दिया। इस पैकेज की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को की थी। इस पैकेज के अंदर इस घोषणा से पहले जारी किए जा चुके पैकेज भी शामिल हैं। पीएम की घोषणा के बाद वित्त मंत्री ने बुधवार से रविवार तक हर दिन अलग-अलग सेक्टर के लिए पैकेज और सुधारों की घोषणा कर रही थीं। रविवार को इसका पांचवां और आखिरी चरण था।

पैकेज का चरण

घोषित राशि (करोड़ रुपए में)
बुधवार, 13 मई 2020 को वित्त मंत्री द्वारा घोषित पैकेज 5,94,550
गुरुवार, 14 मई को वित्त मंत्री द्वारा घोषित पैकेज 3,10,000
शुक्रवार, 15 मई को वित्त मंत्री द्वारा घोषित पैकेज 1,50,000
शनिवार और रविवार, 16 और 17 मई को वित्त मंत्री द्वारा घोषित पैकेज 48,100
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना सहित पुराने पैकेज 1,92,800
आरबीआई के कदम, जो अब तक लागू हो चुके हैं 8,01,403
कुल 20,97,053

09:55 AMसेंसेक्स 729.95 अंक नीचे 30,367.78 पर और निफ्टी 219.80 पॉइंट नीचे 8,917.05 पर कारोबार कर रहा है।
09:51 AMबीएसई सेंसेक्स बैंकेक्स में शामिल सभी कंपनियों के शेयरों में गिरावट है; फेडरल बैंक के शेयर में सबसे ज्यादा 6.39% गिरावट है।

09:47 AM

निफ्टी 50 के टॉप-10 लूजरस्टॉक्स; सबसे ज्यादा गिरावट कोलइंडिया के शेयर में है।

09:45 AM

निफ्टी 50 के टॉप-10 गेनर स्टॉक्स; सबसे ज्यादा बढ़त सिप्ला के शेयर में है।

09:39 AMबीएसई सेंसेक्स के 23 में से 6 सेक्टर में बढ़त और 17 सेक्टर में गिरावटहै।

09:35 AMबीएसई सेंसेक्स के सभी 32 इंडेक्स में आज गिरावट है।

09:29 AMसेंसेक्स 211.97 अंक नीचे 30,885.76 पर और निफ्टी 63.90 पॉइंट नीचे 9,072.95 पर कारोबार कर रहा है।
09:23 AM बीएसई सेंसेक्स 30 में शामिल 8 कंपनियों के शेयरों में बढ़त और 22 कंपनियों के शेयर में गिरावट है।

09:15 AM

सेंसेक्स 21.45 अंक नीचे 30,926.66 पर और निफ्टी 45.75 पॉइंट नीचे 9,091.10 पर कारोबार कर रहा है।

शुक्रवार को विदेशी बाजारों का हाल



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पिछले सप्ताह कारोबार के आखिरी दिन सेंसेक्स 25 अंक नीचे 31,097 पर बंद हुआ था, वहीं आज ये 150 अंक ऊपर खुला है


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मौत, जन्म के बीच संघर्ष करता भारत का बचपन, इस पराक्रम से देश का बढ़ा हौसला...

किसी ने सच कहा हैकि जीवन एक संघर्ष है। उस पर चलकर ही हर चुनौती को पार करते हुए मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। कोरोना की वजह से देशभर में लॉकडाउन होने के कारण हर किसी की जिंदगी एक नए मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है। देशभर में पलायन का दौर जारी है। घर पहुंचने की जिद और जीवन को गंवा देने का डर कदमों को अपने घरों की ओर मोड़ चुका है। इस बीच बचपन भी आपदा का गवाह बन रहा है। क्या राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़... नवजात अपनी मां के साथ सफर कर रहे हैं। यह नवजात अव्यवस्था का गवाह बनकर अपने जीवन की बुनियाद लिख रहे हैं। इनके पीछे क्या इच्छाशक्ति है, यह तो वही जानें, लेकिन इतना तय है कि इस संघर्ष के बीच मां की गोद में ये मासूम जिंदगी जीने का वो सिरा तलाश रहे हैं, जहां से उन्हें व्यवस्थित भारत की तस्वीर नजर आए। कोई अपनी मां की गोद में बैठकर इस कहानी को पूरा कर रहा है, तो कोई उंगली पकड़कर।हौसला देती मासूमों की यह 15 तस्वीरें सिस्टम से कुछ बुनियादी सवाल कर रही हैं.....

बागनदी बॉर्डर पर रविवार को भी दिनभर मजदूरों के प्रवेश का सिलसिला चलता रहा। भीड़ की वजह से बसें कम पड़ने लगी। गर्मी, थकान और बेबसी के बीच गोद में मासूम बिलखते बच्चे को पानी पिलाकर चुप कराता पिता।

खंडेला में ईंट भट्टे पर काम करने वाले श्रमिक का परिवार रविवार को उत्तर प्रदेश के लिए पैदल ही रवाना हो गया। बेटे को परेशानी न हो, इसके लिए श्रमिक ने जुगाड़नुमा साइकिल बनाई। उसमें बेटे को बिठाकर दंपती निकल पड़े अपने गांव के लिए। पूछा तो बोले- यहां रहकर क्या करें? अब तो रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। गांव जाने के सिवाय कोई चारा नहीं है। पता है- गांव तक पहुंचने का सफर आसान नहीं है, लेकिन जाना भी जरूरी है। हम तो कष्ट सह लेंगे, लेकिन बेटे को तकलीफ नहीं उठाने देंगे, इसलिए ये हाथगाड़ी बनाई,ताकि हमारे कलेजे के टुकड़े को पैदल न चलना पड़े।

मारेंगा चेकपोस्ट पर रविवार को दो साल की इस मासूम को कुछ खाने को मिला। उसने हाथ में रखा फल 9 महीने के भाई को थमाया और उसे दुलारने लगी। यह परिवार ओडिशा से पहुंचा था। दंपती, 4 बच्चे और खराब मोपेड, चार झोले। कुल इतनी संपत्ति के साथ अब्बास अली कर्नाटक के बीदर जाने निकला था।

प्रवासियों के लिए घर पहुंचने की जल्दी और अज्ञानता उनकी भागदौड़ का सबसे बड़ा कारण बना है। ऐसा नहीं कि प्रवासियों ने घर जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करवाई, लेकिन 10 से 15 दिन पहले रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद भी जब कोई मैसेज नहीं कि कौन सी तारीख को कहां से ट्रेन मिलेगीतो ये चल पड़ते हैं अपने किराए के घर छोड़कर।

लॉकडाउन, कर्फ्यू ये शब्द उन लोगों के लिए अब कोई मायने नहीं रखते, जिन लोगों ने अब अपना रोजगार छोड़ घरों को जाने काठान लिया है। जिंदगी ने इन प्रवासी श्रमिकों को अब ऐसे दिन दिखा दिए हैं कि कोरोनावायरस जैसी बड़ी मुसीबत भी इनके लिए कुछ नहीं है। चंडीगढ़ में कई साल से काम कर रहे श्रमिक अब बड़ी संख्या में घरों को लौटने लगे हैं। वहीं, इनके भूखे बच्चों को पुलिस के जवान खाने का सामन उपलब्ध करा रहे है।

चिलचिलाती धूप में महाराष्ट्र से सैकड़ों श्रमिक हर रोज महाराष्ट्र से यूपीजा रहे हैं। भोपाल बायपास पर मुंबई से निकले एक श्रमिक परिवार ने 10 महीने के छोटे बच्चे को दचका न लगे, इसलिए ऑटो में भी चादर से झूला बनाकर लिटा दिया। फोटो : शान बहादुर

बिलासपुर के धर्मपुरा गांव के राजेंद्र यादव और उनकी पत्नी ईश्वरी को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आते समय उनके घर एक नन्ही परी ने जन्म लिया। रात के 2 बजे थे, राजेंद्र की पत्नी ईश्वरी बाई को लेबर पेन शुरू हुआ। महिला मजदूरों ने डिलीवरी कराई। लड़की हुई। बिलासपुर आने के बाद जच्चा और बच्चा दोनों को सिम्स में भर्ती कराया गया, जहां दोनों की स्थिति सामान्य है। वहीं दुर्ग केनवागढ़ के एक नट का पूरा परिवार दिल्ली से दुर्ग आ रही मजदूरों की ट्रेन में शनिवार की रात 8 बजे चढ़ा। रात 3 बजे के करीब सीमा ने एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची सुंदर थी, अच्छी थी, लेकिन एक घंटे बाद अचानक उसकी मौत हो गई। सीमा की सास 14 घंटे तक उस बच्ची के शव को गोद में रखकर सफर करती रही। दुर्ग में उन्हें गाड़ी से नवागढ़ पहुंचाया गया।

एबी रोड स्थित बिजासन घाट पर रविवार सुबह 8:15 बजे भीषण हादसा हुआ। मंदसौर से उडपी (कर्नाटक) जा रहा टैंकर ब्रेक फेल होने से बाइक पर पलट गया। हादसे में बाइक सवार निवाली के मजदूर दंपती और उनकी दो बेटियों की मौत हो गई, जबकि दो बेटियों को चोट आई। टैंकर के नीचे दबी दो बालिकाओं को पुलिस ने निकालकर अस्पताल भिजवाया। शेष चारों के शवों को घंटेभर की मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा श्रमिकों को चप्पल बांटे जाने की घोषणा के बाद राजधानी रायपुर में विधायक विकास उपाध्याय सुबह से ही मजदूरों की सेवा में लग गए और देर रात तक वे राहगीरों को चप्पल पहनाने के साथ ही भोजन भी कराते रहे। सीएम बघेल ने कहा था कि छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले श्रमिकों किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। यहां इनके रहने और भोजन का इंतजाम किया गया है।

शनिवार की देर रात पलामू जिला प्रशासन का मानवीय चेहरा सामने आया। रायगढ़ महाराष्ट्र से जब विशेष ट्रेन श्रमिकों को लेकर डालटनगंज रेलवे स्टेशन पर करीब 2:30 बजे रात में पहुंची, उसी दौरान रूपा कुमारी नामक एक महिला प्रसव पीड़ा से तड़पने लगी। इसके बाद उसका पति राहुल ठाकुर परेशान हो गया। वह कुछ कर पाता इससे पहले ही प्रशासन की टीम ने वहां पहुंचकर उसे सांत्वना दी और उसे उसकी पत्नी के साथ पीएमसीएच एंबुलेंस से भेज दिया गया। पीएमसीएच में प्रतिनियुक्त सिस्टर चंचला कुमारी ने प्रशासन के सूचना पर सभी तैयारी कर ली थी। महिला को पहुंचते ही उसे डॉक्टर कादरी के दिशा निर्देश के अनुरूप सुरक्षित प्रसव कराने में सफल हुई।
सिस्टर चंचला ने उसे पूरी तन्मयता के साथ सेवा की और खुद चाय बनाकर पिलाई। यह सब देख महिला रूपा कुमारी को सहज विश्वास नहीं हुआ कि एक सरकारी अस्पताल में उसे यह सब सुविधा नसीब होगी।

प्रशासन की चौकसी के तमाम दावों के बावजूद प्रवासी मजदूर बॉर्डर तक पहुंच गए। गाजीपुर में रोके जाने पर रविवार को हंगामा किया। वहीं तीन दिनों तक पैदल चलकर यूपी बॉर्डर पहुंचा प्रवासी मजदूर सत्येंद्र अब यूपी में प्रवेश करने का इंतजार कर रहा है। इस दौरान वह अपनी बेटी के पैर की मालिश करता हुआ।

रेहड़ीके जरिए अपने घर पहुंचने की कोशिश करते हुए लोगों को प्रशासन ने धैर्य बनाएं रखने की अपील की और ऐसे ही 70 प्रवासियों को प्रशासन ने नसिर्फ रोका बल्कि उनके खाने-पीने और ठहरने का भी प्रबंध किया।

कोरोना काल में दूसरे राज्यों के लोगों का अपने घरों में जाने का क्रम जारी है। 2 मई से लेकर अब तक 7.30 लाख लोगों ने अपने घरों में जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया है। वहीं ये लोगों ने जरूरत के सारे सामान समेत अपने परिवार के साथ गुरुनानक स्टेडियम में अपनी बारी का इस भीषण गर्मी में इंतजार कर रहे हैं। इस दौरान एक बच्चा अपने छोटे भाई को संभालता हुआ।

पंजाब, राजस्थान और हरियाणा से लगातार अपने घरों को लौट रहे प्रवासी भूख-प्यास और थकान से बेहाल। छोटे बच्चे तपती दोपहरी में बेजान से हो गए। पहली तस्वीर में एक मां अपनी बच्ची को खाना खिलाती हुई। वहीं दूसरी तस्वीर में परिजन अपने बच्चों को गोद में लेकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हुए।



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पराक्रम देश के सबसे कम उम्र के बच्चों में से है, जिसने काेरोना काे हराया मैं पराक्रम हूं। 26 मार्च को मुंबई के एक अस्पताल में मेरा जन्म हुआ। तब एक चूक के कारण मैं कोरोनावायरस की चपेट में आ गया। लंबे संघर्ष के बाद मेरी मम्मी, पापा, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों ने मुझे बचाया है। मेरी आंखों में जिंदगी की चमक है, क्योंकि स्वास्थ्यकर्मियों और मेरे अपनों ने सोशल डिस्टेंसिंग और सतर्कता की अपनी जिम्मेदारी पूरी शिद्दत से निभाई।


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मौत, जन्म के बीच संघर्ष करता भारत का बचपन, इस पराक्रम से देश का बढ़ा हौसला...

किसी ने सच कहा हैकि जीवन एक संघर्ष है। उस पर चलकर ही हर चुनौती को पार करते हुए मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। कोरोना की वजह से देशभर में लॉकडाउन होने के कारण हर किसी की जिंदगी एक नए मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है। देशभर में पलायन का दौर जारी है। घर पहुंचने की जिद और जीवन को गंवा देने का डर कदमों को अपने घरों की ओर मोड़ चुका है। इस बीच बचपन भी आपदा का गवाह बन रहा है। क्या राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़... नवजात अपनी मां के साथ सफर कर रहे हैं। यह नवजात अव्यवस्था का गवाह बनकर अपने जीवन की बुनियाद लिख रहे हैं। इनके पीछे क्या इच्छाशक्ति है, यह तो वही जानें, लेकिन इतना तय है कि इस संघर्ष के बीच मां की गोद में ये मासूम जिंदगी जीने का वो सिरा तलाश रहे हैं, जहां से उन्हें व्यवस्थित भारत की तस्वीर नजर आए। कोई अपनी मां की गोद में बैठकर इस कहानी को पूरा कर रहा है, तो कोई उंगली पकड़कर।हौसला देती मासूमों की यह 15 तस्वीरें सिस्टम से कुछ बुनियादी सवाल कर रही हैं.....

बागनदी बॉर्डर पर रविवार को भी दिनभर मजदूरों के प्रवेश का सिलसिला चलता रहा। भीड़ की वजह से बसें कम पड़ने लगी। गर्मी, थकान और बेबसी के बीच गोद में मासूम बिलखते बच्चे को पानी पिलाकर चुप कराता पिता।

खंडेला में ईंट भट्टे पर काम करने वाले श्रमिक का परिवार रविवार को उत्तर प्रदेश के लिए पैदल ही रवाना हो गया। बेटे को परेशानी न हो, इसके लिए श्रमिक ने जुगाड़नुमा साइकिल बनाई। उसमें बेटे को बिठाकर दंपती निकल पड़े अपने गांव के लिए। पूछा तो बोले- यहां रहकर क्या करें? अब तो रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। गांव जाने के सिवाय कोई चारा नहीं है। पता है- गांव तक पहुंचने का सफर आसान नहीं है, लेकिन जाना भी जरूरी है। हम तो कष्ट सह लेंगे, लेकिन बेटे को तकलीफ नहीं उठाने देंगे, इसलिए ये हाथगाड़ी बनाई,ताकि हमारे कलेजे के टुकड़े को पैदल न चलना पड़े।

मारेंगा चेकपोस्ट पर रविवार को दो साल की इस मासूम को कुछ खाने को मिला। उसने हाथ में रखा फल 9 महीने के भाई को थमाया और उसे दुलारने लगी। यह परिवार ओडिशा से पहुंचा था। दंपती, 4 बच्चे और खराब मोपेड, चार झोले। कुल इतनी संपत्ति के साथ अब्बास अली कर्नाटक के बीदर जाने निकला था।

प्रवासियों के लिए घर पहुंचने की जल्दी और अज्ञानता उनकी भागदौड़ का सबसे बड़ा कारण बना है। ऐसा नहीं कि प्रवासियों ने घर जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करवाई, लेकिन 10 से 15 दिन पहले रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद भी जब कोई मैसेज नहीं कि कौन सी तारीख को कहां से ट्रेन मिलेगीतो ये चल पड़ते हैं अपने किराए के घर छोड़कर।

लॉकडाउन, कर्फ्यू ये शब्द उन लोगों के लिए अब कोई मायने नहीं रखते, जिन लोगों ने अब अपना रोजगार छोड़ घरों को जाने काठान लिया है। जिंदगी ने इन प्रवासी श्रमिकों को अब ऐसे दिन दिखा दिए हैं कि कोरोनावायरस जैसी बड़ी मुसीबत भी इनके लिए कुछ नहीं है। चंडीगढ़ में कई साल से काम कर रहे श्रमिक अब बड़ी संख्या में घरों को लौटने लगे हैं। वहीं, इनके भूखे बच्चों को पुलिस के जवान खाने का सामन उपलब्ध करा रहे है।

चिलचिलाती धूप में महाराष्ट्र से सैकड़ों श्रमिक हर रोज महाराष्ट्र से यूपीजा रहे हैं। भोपाल बायपास पर मुंबई से निकले एक श्रमिक परिवार ने 10 महीने के छोटे बच्चे को दचका न लगे, इसलिए ऑटो में भी चादर से झूला बनाकर लिटा दिया। फोटो : शान बहादुर

बिलासपुर के धर्मपुरा गांव के राजेंद्र यादव और उनकी पत्नी ईश्वरी को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आते समय उनके घर एक नन्ही परी ने जन्म लिया। रात के 2 बजे थे, राजेंद्र की पत्नी ईश्वरी बाई को लेबर पेन शुरू हुआ। महिला मजदूरों ने डिलीवरी कराई। लड़की हुई। बिलासपुर आने के बाद जच्चा और बच्चा दोनों को सिम्स में भर्ती कराया गया, जहां दोनों की स्थिति सामान्य है। वहीं दुर्ग केनवागढ़ के एक नट का पूरा परिवार दिल्ली से दुर्ग आ रही मजदूरों की ट्रेन में शनिवार की रात 8 बजे चढ़ा। रात 3 बजे के करीब सीमा ने एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची सुंदर थी, अच्छी थी, लेकिन एक घंटे बाद अचानक उसकी मौत हो गई। सीमा की सास 14 घंटे तक उस बच्ची के शव को गोद में रखकर सफर करती रही। दुर्ग में उन्हें गाड़ी से नवागढ़ पहुंचाया गया।

एबी रोड स्थित बिजासन घाट पर रविवार सुबह 8:15 बजे भीषण हादसा हुआ। मंदसौर से उडपी (कर्नाटक) जा रहा टैंकर ब्रेक फेल होने से बाइक पर पलट गया। हादसे में बाइक सवार निवाली के मजदूर दंपती और उनकी दो बेटियों की मौत हो गई, जबकि दो बेटियों को चोट आई। टैंकर के नीचे दबी दो बालिकाओं को पुलिस ने निकालकर अस्पताल भिजवाया। शेष चारों के शवों को घंटेभर की मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा श्रमिकों को चप्पल बांटे जाने की घोषणा के बाद राजधानी रायपुर में विधायक विकास उपाध्याय सुबह से ही मजदूरों की सेवा में लग गए और देर रात तक वे राहगीरों को चप्पल पहनाने के साथ ही भोजन भी कराते रहे। सीएम बघेल ने कहा था कि छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले श्रमिकों किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। यहां इनके रहने और भोजन का इंतजाम किया गया है।

शनिवार की देर रात पलामू जिला प्रशासन का मानवीय चेहरा सामने आया। रायगढ़ महाराष्ट्र से जब विशेष ट्रेन श्रमिकों को लेकर डालटनगंज रेलवे स्टेशन पर करीब 2:30 बजे रात में पहुंची, उसी दौरान रूपा कुमारी नामक एक महिला प्रसव पीड़ा से तड़पने लगी। इसके बाद उसका पति राहुल ठाकुर परेशान हो गया। वह कुछ कर पाता इससे पहले ही प्रशासन की टीम ने वहां पहुंचकर उसे सांत्वना दी और उसे उसकी पत्नी के साथ पीएमसीएच एंबुलेंस से भेज दिया गया। पीएमसीएच में प्रतिनियुक्त सिस्टर चंचला कुमारी ने प्रशासन के सूचना पर सभी तैयारी कर ली थी। महिला को पहुंचते ही उसे डॉक्टर कादरी के दिशा निर्देश के अनुरूप सुरक्षित प्रसव कराने में सफल हुई।
सिस्टर चंचला ने उसे पूरी तन्मयता के साथ सेवा की और खुद चाय बनाकर पिलाई। यह सब देख महिला रूपा कुमारी को सहज विश्वास नहीं हुआ कि एक सरकारी अस्पताल में उसे यह सब सुविधा नसीब होगी।

प्रशासन की चौकसी के तमाम दावों के बावजूद प्रवासी मजदूर बॉर्डर तक पहुंच गए। गाजीपुर में रोके जाने पर रविवार को हंगामा किया। वहीं तीन दिनों तक पैदल चलकर यूपी बॉर्डर पहुंचा प्रवासी मजदूर सत्येंद्र अब यूपी में प्रवेश करने का इंतजार कर रहा है। इस दौरान वह अपनी बेटी के पैर की मालिश करता हुआ।

रेहड़ीके जरिए अपने घर पहुंचने की कोशिश करते हुए लोगों को प्रशासन ने धैर्य बनाएं रखने की अपील की और ऐसे ही 70 प्रवासियों को प्रशासन ने नसिर्फ रोका बल्कि उनके खाने-पीने और ठहरने का भी प्रबंध किया।

कोरोना काल में दूसरे राज्यों के लोगों का अपने घरों में जाने का क्रम जारी है। 2 मई से लेकर अब तक 7.30 लाख लोगों ने अपने घरों में जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया है। वहीं ये लोगों ने जरूरत के सारे सामान समेत अपने परिवार के साथ गुरुनानक स्टेडियम में अपनी बारी का इस भीषण गर्मी में इंतजार कर रहे हैं। इस दौरान एक बच्चा अपने छोटे भाई को संभालता हुआ।

पंजाब, राजस्थान और हरियाणा से लगातार अपने घरों को लौट रहे प्रवासी भूख-प्यास और थकान से बेहाल। छोटे बच्चे तपती दोपहरी में बेजान से हो गए। पहली तस्वीर में एक मां अपनी बच्ची को खाना खिलाती हुई। वहीं दूसरी तस्वीर में परिजन अपने बच्चों को गोद में लेकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हुए।



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पराक्रम देश के सबसे कम उम्र के बच्चों में से है, जिसने काेरोना काे हराया मैं पराक्रम हूं। 26 मार्च को मुंबई के एक अस्पताल में मेरा जन्म हुआ। तब एक चूक के कारण मैं कोरोनावायरस की चपेट में आ गया। लंबे संघर्ष के बाद मेरी मम्मी, पापा, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों ने मुझे बचाया है। मेरी आंखों में जिंदगी की चमक है, क्योंकि स्वास्थ्यकर्मियों और मेरे अपनों ने सोशल डिस्टेंसिंग और सतर्कता की अपनी जिम्मेदारी पूरी शिद्दत से निभाई।


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दिल्ली सरकार आज अपना प्लान बताएगी, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बसें चलाने की छूट दी जा सकती है

लॉकडाउन फेज-4 आज से शुरू हो गया है, ये 31 मई तक रहेगा। केंद्र सरकार ने रविवार को नई गाइडलाइन जारी कीं। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र की गाइडलाइन दिल्ली सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्तावों से काफी हद तक मिलती-जुलती हैं। इनके आधार पर दिल्ली सरकार आज अपना प्लान बताएगी। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक बाजार खोलने और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बसें चलाने की छूट दी जा सकती है।

केंद्र की गाइडलाइन में बसें चलाने की सशर्त छूट
बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार केंद्र की सभी गाइडलाइंस को लागू करेगी। बसें चलाई जाएंगी तो एक बस में 20 लोगों को ही बैठने दिया जाएगा। केंद्र सरकार की गाइडलाइन में बसें चलाने की छूट शर्तों के साथ दी गई है। साथ ही शॉपिंग मॉल और कंटेनमेंट जोन से बाहर की सभी दुकानें भी खुल सकेंगी, बशर्ते जिला प्रशासन इसकी इजाजत दे। हालांकि, दुकानें और बाजार खुलने और बंद होने का वक्त पहले से तय रहेगा।

कुछ हद तक पाबंदियां हटाने का वक्त: केजरीवाल
केजरीवाल ने कहा है कि हमने लॉकडाउन पीरियड में अपना हेल्थकेयर सिस्टम इस हिसाब से तैयार किया कि कोरोना के केस बढ़ें तोस्थिति को संभाल सकें। अब, कुछ हद तक पाबंदियों में छूट देने का समय है। केजरीवाल पहले भी कह चुके हैं कि दिल्ली को खोलने का वक्त आ चुका है, हमें कोरोना के साथ जीने के लिए तैयार होना पड़ेगा।

दिल्ली के कई इलाके रेड जोन से बाहर हो सकते हैं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दिल्ली के सभी 11 जिले रेड जोन में हैं। अब केंद्र ने राज्यों को जोन तय करने की छूट दे दी है। ऐसे में दिल्ली के कई इलाके रेड जोन से बाहर हो सकते हैं। दिल्ली सरकार ने मांग की थी कि पूरे शहर को जिलों के आधार पर रेड जोन घोषित करने की बजाय वार्डों के हिसाब से जोन तय होने चाहिए।



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ये तस्वीर दिल्ली-यूपी बॉर्डर की है। ट्रांसपोर्ट के साधन नहीं मिलने की वजह से कई प्रवासी मजदूर पैदल ही घर लौट रहे हैं।


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दिल्ली सरकार आज अपना प्लान बताएगी, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बसें चलाने की छूट दी जा सकती है

लॉकडाउन फेज-4 आज से शुरू हो गया है, ये 31 मई तक रहेगा। केंद्र सरकार ने रविवार को नई गाइडलाइन जारी कीं। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र की गाइडलाइन दिल्ली सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्तावों से काफी हद तक मिलती-जुलती हैं। इनके आधार पर दिल्ली सरकार आज अपना प्लान बताएगी। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक बाजार खोलने और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बसें चलाने की छूट दी जा सकती है।

केंद्र की गाइडलाइन में बसें चलाने की सशर्त छूट
बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार केंद्र की सभी गाइडलाइंस को लागू करेगी। बसें चलाई जाएंगी तो एक बस में 20 लोगों को ही बैठने दिया जाएगा। केंद्र सरकार की गाइडलाइन में बसें चलाने की छूट शर्तों के साथ दी गई है। साथ ही शॉपिंग मॉल और कंटेनमेंट जोन से बाहर की सभी दुकानें भी खुल सकेंगी, बशर्ते जिला प्रशासन इसकी इजाजत दे। हालांकि, दुकानें और बाजार खुलने और बंद होने का वक्त पहले से तय रहेगा।

कुछ हद तक पाबंदियां हटाने का वक्त: केजरीवाल
केजरीवाल ने कहा है कि हमने लॉकडाउन पीरियड में अपना हेल्थकेयर सिस्टम इस हिसाब से तैयार किया कि कोरोना के केस बढ़ें तोस्थिति को संभाल सकें। अब, कुछ हद तक पाबंदियों में छूट देने का समय है। केजरीवाल पहले भी कह चुके हैं कि दिल्ली को खोलने का वक्त आ चुका है, हमें कोरोना के साथ जीने के लिए तैयार होना पड़ेगा।

दिल्ली के कई इलाके रेड जोन से बाहर हो सकते हैं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दिल्ली के सभी 11 जिले रेड जोन में हैं। अब केंद्र ने राज्यों को जोन तय करने की छूट दे दी है। ऐसे में दिल्ली के कई इलाके रेड जोन से बाहर हो सकते हैं। दिल्ली सरकार ने मांग की थी कि पूरे शहर को जिलों के आधार पर रेड जोन घोषित करने की बजाय वार्डों के हिसाब से जोन तय होने चाहिए।



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ये तस्वीर दिल्ली-यूपी बॉर्डर की है। ट्रांसपोर्ट के साधन नहीं मिलने की वजह से कई प्रवासी मजदूर पैदल ही घर लौट रहे हैं।


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