बुधवार, 27 मई 2020

1 लाख 50 हजार 768 केस: सरकार ने बताया- 20 दिन में 30 हजार भारतीयों को विदेश से लाया गया, जून में 49 हजार लोगों को लाएंगे

सिविल एविएशन मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने बताया, 'बंदे भारत मिशन के तहत दुनिया के अलग-अलग देशों से 30 हजार भारतीयों को लाया गया है। मध्य जून तक 49 हजार भारतीयों लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए 158 फ्लाइट्स ने उड़ान भरी।' केंद्र सरकार ने कोरोना की वजह से विदेशों में फंसे लोगों को भारत लाने के लिए वंदे भारत मिशन शुरू किया है। इसकी शुरुआत 7 मई से हुई। दूसरा फेज 16 मई से शुरू हुआ और अब इसे 16 जून तक बढ़ाया गया है। मंगलवार को 19 फ्लाइट्स से 3393 लोग आए।

मंगलवार को महाराष्ट्र में 2091, तमिलनाडु में 646, गुजरात में 361, दिल्ली में 412 और मध्यप्रदेश में 165 संक्रमित मिले। यह Covid19.Org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के आधार पर है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में कोरोना के 80 हजार 722 एक्टिव मरीज हैं, जबकि 60 हजार 490 स्वस्थ भी हुए हैं। वहीं, 4167 की मौत हुई है।

5 दिन जब सबसे ज्यादा मामले

तारीख

केस
24 मई 7111
23 मई 6665
22 मई 6570
19 मई 6154
21 मई 6025

पांच राज्योंका हाल

  • मध्यप्रदेश, 7024: यहांमंगलवार को 165 केस आए। इनमें इंदौर में 39, भोपाल में 32, बुरहानपुर मेें 15,देवास में 19, ग्वालियर में 10, सागर में 11, सतना और नरसिंहपुर में 3-3, भिंड और मुरैना में 2-2 संक्रमित मिले। चिरायु अस्पताल से 16 लोगस्वस्थ होकर घरलौटे। राज्य में305की मौत हो चुकी है। 3689 स्वस्थ हुए। एक्टिव केस यानी अस्पताल में भर्तीमरीजों की संख्या 3030 है।
यह तस्वीर इंदौर की है। यहां भूतेश्वर महादेव समिति पश्चिम क्षेत्र में गोपुर चौराहे के खाली मैदान पर आठ बस्तियों के करीब 200 लोगों को रोज सोशल डिस्टेंसिंग के साथ खाना दिया जा रहा है।
  • महाराष्ट्र, 54758: राज्य में मंगलवार को 2091 नए मामले सामने आए, जबकि 97 मरीजों की मौत हुई।महाराष्ट्र के मुख्य सचिव ने मंगलवार को बताया कि राज्य में कोरोना के 35 हजार 178 एक्टिव मरीज हैं। संक्रमण के 80 फीसदी मामलों में मरीजों में लक्षण नजर नहीं आए। वहीं, पहले के पांच दिन के मुकाबले अब 14 दिन में मरीज दोगुने हो रहे हैं।
यह तस्वीर मुंबई के भायखला स्थित एक कोविड सेंटर की है। यहां कोरोना मरीजों के लिए बेड तैयार किए जा रहे हैं।
  • उत्तरप्रदेश, 6724: यहां मंगलवार को 227 मरीज मिले, जबकि 8 की मौत हुई। अमेठी मेंसबसे ज्यादा 34 मरीज मिले। इसके अलावा आजमगढ़ में 15, अयोध्या में 13, अंबेडकरनगर में 10, आगरा में 7, अलीगढ़ में दो मरीज मिले।
  • राजस्थान. 7536:यहां मंगलवार को संक्रमण के 236 मामले सामने आए। इनमें से जयपुर में 32, सिरोही में 27,सीकर में 25, उदयपुर में 25, झालावाड़ में 12,राजसमंद में 11, झुंझुनूं और बीकानेर में 5-5, कोटा में 10, पाली में 23, धौलपुर में 2,जबकि भरतपुर में 1 मरीज मिला।
  • बिहार, 2968:यहां मंगलवार को संक्रमण के231 मामले आए। इनमें से रोहतास में 35,मधुबनी में 31, दरभंगा मेें 12, पूर्वी चंपारण में 10, गया में 5, गोपालगंज में 4, खगड़िया में 23, किशनगंज में 17 मरीज मिले।
लॉकडाउन के बीच मंगलवार को बिहार बोर्ड की 10 कक्षा के रिजल्ट घोषित किए गए। पटना में परिणाम देखने के बाद लड़कियां खुशी से उछल गईं।


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सिविल एविएशन मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि मंगलवार को 19 फ्लाइट्स से 3393 भारतीय लाए गए।


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देश-दुनिया में चूरू सबसे गर्म, पारा 50 डिग्री; दिल्ली और हरियाणा में गर्मी ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ा

पूरा उत्तर भारत प्रचंड गर्मी और लू की चपेट में है।लेकिन, राजस्थान के चूरू की जमीं पर मंगलवार काे जैसे सूरज खुद उतर आया। लू की लपटाें के बीच यहां दिन का तापमान 50 डिग्री दर्ज किया गया। पिछले 10 साल में मई के माह में यह दूसरा माैका था जब सबसे अधिक तापमान रहा। इससे पहले 19 मई 2016 काे 50.2 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था। दिल्ली में भी इस मौसम का सबसे गर्म दिन रिकाॅर्ड किया गया। दिल्ली और हरियाणा में गर्मी ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया।चंडीगढ़ में सुबह से झुलसाने वाली गर्मी पड़ने से मौसम का सबसे गर्म दिन रहा।

माैसम विभाग के मुताबिक, बीकानेर, गंगानगर, काेटा और जयपुर में अधिकतम तापमान क्रमश: 47.4 डिग्री, 47 डिग्री, 46.5 डिग्री और 45 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।माैसम विभाग ने चूरू, बीकानेर, हनुमानगढ़ और गंगानगर जिलाें में अगले 24 घंटाें में भीषण लू चलने की चेतावनी जारी की है। वहीं, हरियाणा, विदर्भ, पश्चिमी व पूर्वी मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। विभाग के वैज्ञानिक डाॅ. नरेश कुमार के मुताबिक, अगले दाे दिन तक हरियाणा, मध्य प्रदेश समेत देश के अन्य हिस्साें में लू चलती रहेगी।

राजस्थान: सूरज मानो धरती पर ही उतर आया

चूरूदेश-दुनिया में सबसे गर्म शहर रहा। हालांकि, पाकिस्तान के जेकोकाबाद में भी पारा 50 डिग्री दर्ज हुआ। गर्मी के सीजन में पिछले 4 साल में तीसरी बार चूरू में पारा रिकाॅर्ड स्तर पर पहुंचा है। यहां 2 जून 2019 काे पारा 50.8 और 19 मई 2016 काे 50.2 डिग्री दर्ज हुआथा। अब हीट स्ट्रोक या लू (तापघात) का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने मंगलवार काे चूरू शहर की सड़काें पर पानी का छिड़काव कराया।

गर्मी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुबह 8 बजे ही सूरज की किरणें आग उगलने लगी। सोमवार को चूरू में अधिकतम तापमान 47.5 डिग्री रहा था। प्रदेश में जयपुर सहित 7 शहर ऐसे रहे, जहां पारा 45 डिग्री के पार रहा। सीकर में रेलवे स्टेशन इलाके में तेज गर्मी से एक बुजुर्ग ने दम ताेड़ दिया।फलौदी में 19 मई 2016 को 51 डिग्री तापमान दर्ज हुआथा, जो राज्य में सर्वाधिक तापमान है। लेकिन यह मौसम विभाग के रिकॉर्ड में नहीं है। ऐसे में चूरू का 50.8 डिग्री तापमान ही आलओवर सर्वाधिक तापमान का रिकॉर्ड है।

हरियाणा: गर्मी ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ा

हरियाणा प्रचंड गर्मी व लू की चपेट में है। मंगलवार को हिसार में दिन का तापमान 48 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जो सामान्य से 5 डिग्री ज्यादा है। यह मई महीने में 10 साल का रिकॉर्ड तापमान है। इससे पहले, 26 मई 2010 को 48.1 तापमान रहा था। इस बार भी 26 मई को ही सर्वाधिक गर्मी हुई है। दोपहर में 10 किमी प्रति घंटा की गति से चली लू व गर्मी की तपन ऐसी थी कि लोग कहते दिखे कि कत्ती फूंक दिए रै। वहीं, नारनौल में रात का पारा भी 31 डिग्री पहुंच गया।

हिसार में एक महिला ने अपने बच्चे को लू से बचाने के लिए अपना पल्लू बच्चे के सिर पर ओढ़ा दिया।

दिल्ली: 2010 के बाद पालम में सबसे गर्म दिन

राजधानी में दूसरे दिन लू का प्रकोप रहा। यहां के पालम इलाके में तापमान 47.6 दर्ज किया गया। इसके पहले 18 मई 2010 को यही तापमान रिकॉर्ड किया गया था। मौसम विभाग के मुताबिक, 29 मई 1944 को सफदरगंज में पारा 47.2 तक पहुंचा था। 26 मई 1968 को पालम में तापमान 48.4 रिकॉर्ड किया गया था।गुरुवार को दिल्ली में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के चलते तेज हवा चल सकती है।

मध्य प्रदेश: भीषण गर्मी का सितम बरकरार

राजधानी भोपालमें 0.5 डिग्री गिरावट के बावजूद पारा लगातार तीसरे दिन 44 डिग्री पर रहा। मालवा के उज्जैन, इंदाैर और धार जिले काे छाेड़कर पूरे प्रदेश में गर्म हवा और लू से लाेग बेहाल रहे। प्रदेश के बुंदेलखंड और विंध्य इलाके के शहर व कस्बे सबसे ज्यादा तपे। बुंदेलखंड का खजुराहाे प्रदेश में सबसे गर्म रहा। वहां तापमान 46.4 डिग्री और इसी क्षेत्र के नाैगांव में 46.3 डिग्री दर्ज किया गया। बुंदेलखंड के ही दमाेह में पारा 45.5 डिग्री और टीकमगढ़ में 45 डिग्री पर पहुंचा। विंध्य क्षेत्र का रीवा सबसे गर्म रहा। वहां तापमान 45.8 डिग्री और सीधी में 45.0 डिग्री दर्ज किया गया।

बिहार:सात जिलों को अलर्ट रहने का निर्देश

आपदा प्रबंधन विभाग ने भीषण गर्मी के मद्देनजर लू से निपटने के लिएदक्षिण बिहार के 7 जिलों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है। गया, औरंगाबाद, नवादा, नालंदा, अरवल, जहानाबाद और कैमूर के जिलाधिकारियों को पिछले साल के अनुभव को देखते हुए विशेष सतर्कता बरतने का निर्देशहै। नौतपा के दूसरे दिन भी पटना में पारा 40 डिग्री से ऊपर रहा। पटना में अधिकतम तापमान 40.8, तो गया में 45.8 डिग्री सेल्सियस डिग्री दर्ज किया गया।बिहार के अधिकतर जिलों में दो दिनों तक भीषण गर्मी का प्रकोप रहेगा। इस दौरान अधिकतम तापमान 43 डिग्री तक पहुंचने की संभावना है।

तस्वीर नासिक (महाराष्ट्र) से 55 किलाेमीटर दूर हरसूल परगना की है। यहां इतना भयंकर सूखा है कि दूर-दूर तक पानी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सूखे पेड़ और सूखी पत्तियाें से गुजरकर दाेपहर साढ़े तीन बजे यह महिला पानी लेने 10 किलाेमीटर के कठिन सफर पर निकल पड़ी है। इस समय तापमान 42 डिग्री है।- अशाेक गवळी

देश के सबसे गर्म शहर

शहर प्रदेश तापमान (डिग्री सेल्सियस में)
चूरू राजस्थान 50
हिसार हरियाणा 48
बांदा उत्तरप्रदेश 48
पालम दिल्ली 47.6
बीकानेर राजस्थान 47.4
प्रयागराज उत्तरप्रदेश 47.1
बूंदी राजस्थान 46
नारनौल हरियाणा 46
जयपुर राजस्थान 45
टिटलागढ़ ओडिशा 45.5
पटियाला पंजाब 44.7

असम, मेघालय में 28 मई तक ‘बहुत भारी’ बारिश के आसार

मौसम विभाग ने असम और मेघालय में 26 से 28 मई के बीच बहुत भारी बारिश होने की चेतावनी दी है। विभाग ने कहा कि ज्यादातर स्थानों पर बारिश की संभावना है। वहीं कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने का अनुमान है। आईएमडी के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र की प्रमुख सैथी देवी ने कहा कि बंगाल की खाड़ी से दक्षिण-पश्चिम हवाओं के तेज प्रवाह के कारण इन दोनों राज्यों में नमी बहुत बढ़ गई है। इसके अलावा अन्य भौगोलिक वजहों से दोनों राज्यों में बहुत भारी बारिश होगी।

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि असम और मेघालय में अगले तीन दिनों के लिए रेड वॉर्निंगजारी की गई है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में अधिकतम बारिश मई में और उसके बाद जून में होती है।

मॉनसून सामान्य से 4 दिन लेट

राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र की प्रमुख सैथी देवी ने कहा कि माॅनसून की प्रगति चक्रवाती तूफान अम्फान से बाधित हो गई थी और वह बुधवार से आगे बढ़ेगा। माॅनसून के सामान्य तारीख से 4 दिन बाद 5 जून को केरल पहुंचने की संभावना है। महापात्रा ने कहा कि 30 मई से अरब सागर में कम दबाव का क्षेत्र भी बन रहा है। कम दबाव का क्षेत्र किसी भी चक्रवात का पहला चरण होता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि प्रत्येक कम दबाव क्षेत्र चक्रवात में ही बदल जाए। केरल व कर्नाटक के तटों पर मछुआरों को आगाह किया है कि वे 30 मई से 4 जून के बीच गहरे समुद्र में नहीं जाएं।



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राजस्थान में मंगलवार को भीषण गर्मी के चलते बूंदी में सड़कों पर पानी का छिड़काव किया गया।


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नेपाल से सीमा पर जिस 35 किमी जमीन को लेकर विवाद है उसके कई व्यवहारिक हल हैं, लेकिन उन्हें जल्द से जल्द निकाला जाना चाहिए

भारत और नेपाल के बीच एक छोटी-सी सड़क को लेकर काफी कहा- सुनी चल पड़ी है। यह सड़क पिथौरागढ़ और नेपाल की सीमा पर है, जो लिपुलेख के कालापानी क्षेत्र से होती हुई कैलाश मानसरोवर तक जाती है। ज्यों ही कुछ दिन पहले इस कच्ची सड़क को पक्की बनाकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया, नेपाल में हड़कंप मच गया। नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने भारत विरोधी प्रदर्शन कर दिए। नेपाल ने भारतीय राजदूत से पूछा कि इस नेपाली भूमि पर भारत ने सड़क कैसे बना ली?

सत्तारूढ़ पार्टी के सह अध्यक्ष पुष्पकमल दहल प्रचंड ने यह भी कह दिया कि भारत इन कूटनीतिक कोशिशों से रास्ते पर नहीं आएगा, नेपाल को आक्रामक कार्रवाई करनी होगी। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने तो नेपाल में फैल रहे कोरोना के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा दिया। चीन को नहीं, क्योंकि भारत के सेना प्रमुख एम.एम. नरवणे ने एक संगोष्ठी में कह दिया था कि नेपाल किसी अन्य (चीन) के इशारे पर भारत से उलझ रहा है।

दूसरे शब्दों में 80 किमी की इस नई सड़क को लेकर एक बार दोनों पड़ोसी देश, जिन्हें मैं भातृराष्ट्र (भाईदेश) कहता हूं, फिर उसी कटुता के जाल में फंस जाएंगे, जो हमने 2015 की नेपाल की घेराबंदी के दौरान देखा था।
यह विवाद उस 30-35 किमी जमीन का है, जो हमारी 80 किमी की सड़क का हिस्सा है। यह जमीन भारत, नेपाल और तिब्बत के त्रिकोण पर स्थित है। इस क्षेत्र का इस्तेमाल सैकड़ों वर्षों से तीन देशों के लोग करते रहे हैं। लेकिन, सन् 1816 में भारत की ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाली सरकार के बीच सुगौली संधि हुई, जिसमें नेपाल नरेश ने कहा कि काली नदी के पश्चिम के किसी हिस्से पर नेपाल का अधिकार नहीं है। इसी पश्चिम हिस्से में ही वह विवादास्पद सड़क है। नेपाल के हिस्से में काली नदी का पूर्वी हिस्सा आता है।

अब नेपाल सरकार का कहना है कि सुगौली संधि में जिस काली नदी का उल्लेख है, उसमें उसका पश्चिमी हिस्सा भी शामिल है, जिस पर भारत ने अपना अधिकार जमा रखा है। सन् 2000 में भी नेपाल के प्रधानमंत्री गिरिजाप्रसाद कोइराला ने भारत के प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी से निवेदन किया था कि इसे बातचीत के द्वारा सुलझा लें। दोनों देशों की सीमा निर्धारण के लिए 1981 में जो संयुक्त दल बना था, उसने 98% सीमा तय कर ली थी। सिर्फ कालापानी और सुस्ता के दो मामले रह गए थे।

अब, कैलाश मानसरोवर सड़क का उद्घाटन हुआ है तो नेपाल ने आनन-फानन में नक्शे छाप दिए और उसमें पिथौरागढ़ के क्षेत्रों को अपनी सीमा में दिखा दियाॉ। जब सुगौली की संधि हुई थी तो नेपाल के पास नक्शा छापने की व्यवस्था नहीं थी। ब्रिटिश नक्शों की मनमानी व्याख्याएं समय-समय पर चलती रहीं।

1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद नेपाल ने इस सड़क पर दावा ठोंका था, लेकिन इस क्षेत्र पर भारत का ही अधिकार रहा है। 2015 में जब भारत-चीन ने लिपुलेख क्षेत्र से व्यापार मार्ग का समझौता किया था, तब भी नेपाल ने थोड़ा विरोध किया। नेपाल ने यह प्रस्ताव भी 5-6 साल पहले रखा था कि दोनों देशों के विदेश सचिव मामले को हल करें।
अभी भी नेपाली सरकार का आधिकारिक रुख यही है, लेकिन आंतरिक राजनीति मामले को उलझा रही है। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के सहप्रधान प्रचंड ने प्रधानमंत्री के.पी. ओली को अपदस्थ करने का अभियान चला रखा है।

पड़ोसी देशों में राष्ट्रवाद को भड़काना हो तो उनका हथियार है- भारत विरोध! भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना का समय टलते ही इस सीमा विवाद का हल वह बातचीत से करना चाहता है, लेकिन भारतीय सेनाध्यक्ष नर्वणे के बयान को जमकर उछाला जा रहा है। कहा जा रहा है कि भारतीय सेना में लगभग 60 हजार नेपाली गोरखा जवान हैं। उन पर नर्वणे के बयान का क्या असर होगा?

मेरी राय यह है कि नर्वणे वैसा बयान नहीं देते तो अच्छा होता। नेपाल की कई पार्टियों के नेताओं से मेरी बात हुई। वे जनता के सामने जो चाहे बोलें, लेकिन सबकी राय है कि इस मामले को तूल नहीं दिया जाना चाहिए। मैं कहता हूं कि कोरोना के खत्म होने का इंतजार क्यों किया जाए, दोनों देश तुरंत बात शुरू क्यों नहीं करें?

नेपाल की पूर्व उप प्रधानमंत्री सुजाता कोइराला ने काफी व्यावहारिक सुझाव दिया है। उन्होंने बताया कि नेपाल-बांग्लादेश सीमांत पर भारत का जो फुलबाड़ी क्षेत्र है (18 किमी), यदि भारत उसे नेपाल को लीज़ पर दे दे तो बंगाल की खाड़ी तक पहुंचने में जमीन से घिरे नेपाल को सुविधा हो जाएगी और कालापानी क्षेत्र को भारत नेपाल से लीज पर ले ले तो मामला हल हो जाएगा।

मेरा तो कहना यह है कि नेपाल को यदि हम भाईदेश मानते हैं तो 35 किमी जमीन, जो हमारी ही है, हम अपने पास रखें और उसके बदले में किसी भी सीमांत पर उससे दोगुनी जमीन उसे भेंट कर दें। इसके अलावा भी कई व्यावहारिक हल हो सकते हैं, लेकिन उन्हें जल्द से जल्द निकाला जाना चाहिए।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)



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डॉ. वेदप्रताप वैदिक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं।


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महिलाएं फाइनेंस को टैबू विषय समझना बंद करें, कोरोना ने मौका दिया है कि वो भी पैसों से दोस्ती करें, बचत के बीज बोएं

हाल ही में एक दुखद समाचार पढ़ा। 51 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर की कोविड के कारण मौत हो गई। रिपोर्ट में उनकी बीवी और 12 साल के बच्चे की फोटो छापी गई थी। उनको देखकर मन उदास हुआ। मगर सबसे ज्यादा उदासी इसपर हुई, जो बिल्कुल आखिर लिखा थी: ‘मुझे इनके फाइनेंस, इंवेस्टमेंट के बारे में कोई ज्ञान नहीं। पता नहीं हमारा खर्च कैसे चलेगा।’ मोहतरमा पढ़ी-लिखी दिख रही थीं।

मगर देश की अधिकतर पढ़ी-लिखी औरतों की तरह, उन्होंने पैसे को टैबू सब्जेक्ट बनाया हुआ है। बैंक अकाउंट में उनका नाम होगा, पर इंटरनेट बैंकिंग का पासवर्ड पता नहीं होगा। पेटीएम, भीमएप से पैसे ट्रांसफर कैसे करते हैं उनको कोई आइडिया नहीं। ये कोई मुश्किल काम नहीं पर माहौल ही कुछ ऐसा है।

अधिकतर घरों में एक अनरिटन रूल है: मनी मैटर मतलब आदमी का डोमेन। ज्यादातर कामकाजी महिलाओं के साथ भी ऐसा ही है। और उन्हीं की मर्जी से। शायद बचपन से घर में यही देखा कि पिताजी कमाते हैं और बैंक का काम करते हैं। तो कहीं न कहीं, सब-कॉन्सियशस लेवल पर ये हमारी साइकोलॉजी बन गई। ऐसा मेरा ऑब्जर्वेशन और तजुर्बा है।

पिछले दशक में बहुत सारे इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस आए हैं, उनका लेडीज़ को ज्ञान नहीं है। जानकारी इंटरनेट पर है तो सही, मगर क्या सही-क्या गलत समझ नहीं पाती हैं। चाहे वो हाउसवाइफ है या वर्किंग, घर के कामकाज का जिम्मा उसके सिर पर ही है। नौकर भी लेडी से ही पूछेगा, ‘भाभी, खाने में क्या बनाऊं।’ ऐसे में शायद कई महिलाओं ने सोचा कि फाइनेंस का काम हसबैंड को देखने दो। दूसरा ये कि औरत की कमाई क्या सचमुच उसकी होती है?

जो कंट्रोलिंग हसबैंड्स हैं वे उसे अपनी ही पूंजी समझकर इस्तेमाल करते हैं। और जहां हसबैंड अंडरस्टैंडिंग हैं, वहां औरत को अहसास है कि कहीं पैसों की वजह से कोई दरार ना पड़ जाए। तो चलो, उन्हें ही संभालने दो इन्वेस्टमेंट। कभी कुछ लॉस भी हो गया तो मुझे सुनना तो नहीं पड़ेगा! जो लड़कियां इंजीनियरिंग या एमबीए करके निकली हैं, उनका माइंडसेट थोड़ा बदला है। लेकिन शादी के बाद थोड़ी गड़बड़ हो जाती है। खासकर जब वे बच्चे के लिए जॉब छोड़ देती हैं। हसबैंड-वाइफ में किटकिट होती है। अगर उसी लड़की ने कुछ इन्वेस्टमेंट किए होते तो वो दिन ना देखना पड़ता। सेविंग्स की आदत कम उम्र से शुरू करें, ये स्कूल और कॉलेज में सिखाया जाए।

असल बात ये है कि घर के कामकाज में जेंट्स हाथ बंटाएं और फाइनेंस में लेडीज़ इंट्रेस्ट लें। कोरोना की वजह से कई घरों में थोड़ा चेंज आया है। मेरे क्लास के कई लड़के (यानी सीईओ) आजकल किचन में बर्तन मांजने का बोझ उठा रहे हैं। थोड़ा कंप्लेंट करते हैं पर हंसते हुए। यही मौका है कि बीवियां बैंकिंग और इन्वेंस्टमेंट की बातें समझ लें। ये कोई रॉकेट साइंस नहीं, कॉमन सेंस की चीज है।

शुरू में थोड़ा डर लगेगा, पर कुछ दिन बाद अहसास होगा कि मेंटल ब्लॉक था, जब आप इतनी एफिशिएंसी से घर-परिवार चला सकती हैं तो यहां भी अपना योगदान दें। कई बार आदमी लालच में गलत स्कीम में पैसा डाल देता है। जैसे चिट फंड्स या टिप्स के बेसिस पर वीक शेयर खरीदेगा। आपका स्वभाव उनसे अलग है, फालतू के रिस्क लेने से रोक सकते हैं।

अगर हसबैंड में पेशेंस नहीं है तो किसी ऑनलाइन कोर्स में भर्ती होकर सीख सकती हैं। जब आप विश्वास के साथ म्यूचुअल फंड्स की एनएवी के बारे में डिनर टेबल पर बात छेड़ेंगी, तो धीरे-धीरे उनको भी आपकी फाइनेंशियल आईक्यू पर विश्वास हो जाएगा।

तो बात एकदम छोटी-सी है। पैसों से दोस्ती करें और सेविंग्स के बीज समझदारी से बोएं। और एक दिन मीठे फल का आनंद जरूर मिलेगा। भगवान न करे अगर कभी बुरा दिन देखना पड़े, तो आप किसी की मोहताज न हों। अबला नारी नहीं, शक्तिरूपा बनें, जो हर परिस्थिति का दृढ़ता से सामना करने केलायक है।

(यह लेखिका के अपने विचार हैं)



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रश्मि बंसल, लेखिका और स्पीकर।


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भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर अगले महीने सबसे बड़ी टिड्डी ब्रीडिंग, 8 हजार करोड़ टिड्डियां पैदा होंगी

कोरोनावायरस से जूझ रहे राजस्थान के लिए टिडि्डयां नई मुसीबत बन गई हैं। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि एजेंसी के शीर्ष अधिकारी कीथ क्रेसमैन ने चेतावनी दी है कि करोड़ों टिड्डियां जल्द भारत पर हमला बोल सकती हैं। वजह ये है कि भारत-पाकिस्तानबॉर्डर के राजस्थान वाले हिस्से में मध्य जून में दुनिया की सबसे बड़ी टिड्‌डी ब्रीडिंग होगी।

इससे करीब 8 हजार करोड़ टिडि्डयां पैदा होंगी। बड़ी चिंता इसलिए भी है क्योंकि ये आम टिड्डियां नहीं हैं बल्कि मरुस्थलीय टिड्डियां हैं। इन्हें फसलों के लिए दुनिया का सबसे विनाशकारी प्रवासी कीट माना जाता है। गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, नागौर, चूरू, जालौर, सिरोही जिले में टिड्डी का हमला हो सकता है।

आखिर ब्रीडिंग यहीं क्यों?

  • भारत में 1 जून से मानसून की दस्तक हो जाती है। टिड्डियों को अंडे देने के लिए नमी की जरूरत होती है। क्योंकि यह डेजर्ट टिड्डी है, इसलिए इसे रेतीला इलाका ज्यादा आसान लगता है।
  • भारत-पाक बॉर्डर के बीच नमी ज्यादा होने से टिड्डी को ये इलाका बहुत पसंद आता है।
  • अमूमन 15 जून के आसपास प्री मानसून की बारिश से होने वाली बिजाई और हरियाली टिड्डी को खूब लुभाती है। वे पेट भरते हुए ब्रीडिंग करती हैं।

केंद्र के स्तर पर प्रयास जरूरी

जयपुर में कृषि विभाग के संयुक्त सचिव एसपी सिंह ने बताया किअभी जहां टिड्डियां हैं उनको मारा भी जा रहा है। लेकिन यह ग्लोबल प्रॉब्लमहै। इसलिए केंद्र से भी आग्रह किया गया कि विश्व स्तर पर इसके नियंत्रण के प्रयास किए जाएं। बेहतर होगा कि इन्हें अंडे देने से पहले ही मार दिया जाए।



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भारत के अलावा पाकिस्तान में भी टिड्डियां बड़ी परेशानी बन गई हैं।


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अमेरिका में बेरोजगारी दर 80 साल के रिकॉर्ड स्तर पर, लोगों को सैलरी से डेढ़ गुना ज्यादा भत्ता मिल रहा

कोरोना संकट की वजह से अमेरिका में बेरोजगारी दर 80 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। करीब 3.86 करोड़ लोग बेरोजगारी भत्ते के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। लोगों को जितनी सैलरी मिलती थी, उससे डेढ़ गुना ज्यादा भत्ता मिल रहा है। इससे बेरोजगारी भत्ता और बेरोजगारी बीमा जैसी सरकार की योजनाओं पर दबाव बढ़ गया है।

सैलरी से ज्याद भत्ता

अमेरिकी श्रम विभाग के मुताबिक सरकार बेरोजगारों को 45 हजार रुपए भत्ता दे रही है,जबकि ज्यादातर लोगों की औसत मासिक सैलरी करीब 30 हजार रुपए है। ज्यादा पैसा मिलने से अब लोग काम ही नहीं करना चाहते। ऐसे में सरकार ने कंपनियों से उन कर्मचारियों की रिपोर्ट मांगी है, जो बुलाने के बावजूद नौकरी पर नहीं आ रहे हैं। दरअसल, बेरोजगारी बीमा का उद्देश्य नौकरी से हुए नुकसान की भरपाई करना है, जब तक कि नया काम नहीं मिल जाता।

अमेरिका में बेरोजगारी दर 15 फीसदी के करीब

अमेरिका में बेरोजगारी दर कोरोना संकट के बाद 14.7% पर पहुंच गई। ये बेहद ज्यादा है। अमेरिका में कोरोना के अब तक 17,06,277 मामले आए हैं। 1 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं।

दुनिया: नॉर्वे 3.82 लाख, कनाडा 1 लाख तक दे रहा

  • नॉर्वे: अस्थायी कर्मियों को 3.82 लाख रु का भत्ता। यहां 8,374 मामले आए हैं। 235 मौतें हुई हैं।
  • स्पेन: सभी कर्मियों को पूरा वेतन और अस्थायी कामगारों को भत्ता देने का आदेश। यहां 2,82,480 केस आए हैं। 26,837 मौतें हुई।
  • फ्रांस: कर्मियों को सैलरी का 84% भत्ता, आम मजदूरों को 100% भत्ता देने का नियम है। यहां 1,82,942 केस आए हैं। 28,432 मौतें हुई हैं।
  • कनाडा: लॉकडाउन में बेरोजगार हुए लोगों को सरकार हर माह 1,09,500 रु. भत्ता दे रही है। यहां 85,998 मामले आए हैं। 6,566 मौतें हुई हैं।
  • ब्रिटेन: कंपनियां 2.33 लाख रु. से कम मासिक वेतन वाले कर्मियों को भुगतान के लिए 80% सरकारी फंड उपयोग कर सकती है। यहां 2,61,184 केस हैं। 36,914 मौतें हुई हैं।
  • ग्रीस: कर्मियों को 66,324 रु. मासिक भत्ता दे रहे हैं। यहां 2,892 मामले आए हैं। 173 मौतें हुई हैं।
  • जापान: सरकार ने सभी नागरिकों को 70,120 रु. दिए। जापान में 16,581 मामले आए हैं। 830 मौतें हुई हैं।

न्यूजीलैंड: जॉब खोने वालों को हर हफ्ते 17360 रु. भत्ता
न्यूजीलैंड में प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने मंगलवार को उन लोगों को हफ्ते में 17,360 रुपए भत्ता देने की घोषणा की है, जो लॉकडाउन के कारण रोजगार खो चुके हैं। सरकार ने 29 मई से लॉकडाउन में और अधिक ढील देने का फैसला किया है।

इसके तहत अधिकतम 100 लोग एक जगह जुट सकेंगे। अभी तक 10 लोगों को ही इसकी अनुमति थी।जेसिंडा ने कहा कि ये बदलाव कारोबार के लिए अच्छे साबित होंगे।

न्यूजीलैंड में कोरोना के 22 एक्टिव मरीज

सरकार ने बेरोजगारी दर 10 फीसदी से नीचे रखने के लिए ज्यादा पैसा अर्थव्यवस्था पर खर्च करने की योजना बनाई है। न्यूजीलैंड में कोरोना के सिर्फ 22 एक्विट मरीज हैं। इनमें से सिर्फ एक ही अस्पताल में हैं। बाकी गंभीर नहीं होने के कारण घर में हैं। यहां अब तक 1504 मामले आए हैं। 21 मौतें हुई हैं।



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अमेरिकी श्रम विभाग के मुताबिक सरकार बेरोजगारों को 45 हजार रुपए भत्ता दे रही है, जबकि ज्यादातर लोगों की औसत मासिक सैलरी करीब 30 हजार रुपए है। -फाइल


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‘बैट वुमन’ के नाम से मशहूर वुहान लैब की डिप्टी डायरेक्टर की चेतावनी- फिर फैल सकते हैं कोरोना से भी खतरनाक वायरस

चीन के वुहान से निकले कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। इस बीच चीन में चमगादड़ों पर शोध के लिए मशहूर एक महिला वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि कोरोनावायरस तो सिर्फ समस्या का एक पहलू है, असली समस्या तो बहुत बड़ी है।उनका कहना है कि चमगादड़ों में कई खतरनाक वायरस मौजूद हैं, जो फिर से दुनिया भर में फैल सकते हैं।

कोरोना से ज्यदा खतरनाक वायरस मौजूद

चीन की ‘बैट वुमन’ ने नाम से मशहूर वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की डिप्टी डायरेक्टर शी झेंगली ने कहा कि चमगादड़ जैसे जानवरों में कोरोना से ज्यादा खतरनाक वायरस मौजूद हैं। समय रहते उनका पता नहीं लगाया गया तो दुनिया को इस तरह की और महामारी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस से निपटने के लिए पूरी दुनिया को मिलकर काम करने की जरूरत है।

अनजान वायरस पर शोध जरूरी: झेंगली

झेंगली ने कहा कि वायरसों के बारे में हो रहे शोध के बारे में सरकारों और वैज्ञानिकों को पारदर्शी रुख अपनाने की जरूरत है। चीन पर कोरोना के बारे में समय रहते दुनिया को सही जानकारी नहीं देने के आरोप लग रहे हैं। इस पर सफाई देते हुए झेंग ली ने कहा कि विज्ञान का राजनीतिकरण दुखद है।

चीन में नौकरियोंकी कमी
कोरोना के बाद चीन की सबसे बड़ी चुनौती युवाओं को नौकरी के मौके देना है। अमेरिका से रिश्ते कमजोर हो गए हैं। हांगकांग और ताइवान की समस्या जस की तस है। इसके अलावा कोरोना के कारण लाखों लोग नौकरी गंवा चुके हैं। जो बचा पाए हैं, उनकी तनख्वाह कम हो गई है। स्थिति की गंभीरता इसी से पता चलती है कि 87 लाख छात्र इस साल ग्रेजुएट हो जाएंगे। इन सभी को पर्याप्त काम नहीं मिलता है, तो चीन की कम्युनिस्ट सरकार के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।



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वायरोलॉजिस्ट शी झेंगली ने कहा- चमगादड़ जैसे जानवरों में कोरोना से ज्यादा खतरनाक वायरस मौजूद हैं। अगर उनका समय रहते पता नहीं लगाया गया तो दुनिया को फिर से महामारी का सामना करना पड़ सकता। -फाइल


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पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर ने कहा- फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी और डिजिटल कंपनियां कोरोना के बाद की दुनिया में अहम भूमिका निभाएंगी

देश की सबसे बड़ी डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा का मानना है कि कोरोना महामारी में भी बने रहने तथा और भी मजबूत होकर उभरने के लिए हमें एक देश के रूप में एक साथ आना होगा।

1.22 लाख करोड़ की मार्केट वैल्यू वाली कंपनी के सीईओ मानते हैं कि जब तक वैक्सीन उपलब्ध नहीं होतीऔर पूरी आबादी को लगाए जाने लायक बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन नहीं होता, तब तक स्थिति पहले जैसी नहीं हो पाएगी। उनसे बातचीत के संपादित अंश...

आपकी इंडस्ट्री पर कोरोना का क्या असर हुआ, 2020-21 के लिए बिजनेस प्लान कितना बदला?

विजय शेखर: मुझे पूरा विश्वास है कि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी एवं डिजिटल इकोनॉमी कंपनियां कोविड-19 के बाद की दुनिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। हम छोटे दुकानदार से लेकर किराना स्टोर मालिकों, एमएसएमई तक सबको डिजिटल तरीके से बिजनेस करने के काबिल बनाना चाहते हैं। यह बड़े पैमान पर अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए जरूरी है। लोगों के बिजनेस का तरीका बदलने वाला है।

हमने अपने इन्क्रीमेंटल रेवेन्यू प्लान को एक तिमाही तक आगे बढ़ाया है। हमारी डिजिटल फर्स्ट स्ट्रेटेजी की बदौलत अगली तिमाही के बाद ग्रुप लेवल पर हमें चीजें सामान्य होती हुई स्पष्ट नजर आ रही हैं।

कोरोना का यह दौर बीत जाएगा तो वर्क कल्चर में किस तरह के बदलाव की उम्मीद है?

विजय शेखर:वैश्विक स्तर पर लोग लाइफस्टाइल में कई बदलाव अपनाएंगे। लंबे समय तक वर्क प्लेस पर सोशल डिस्टेंसिंग नाॅर्म्स होंगे। कंपनियां बिजनेस चलाने के लिए टेक्नोलॉजी, वीडियो कॉल्स पर अधिक निर्भर हो जाएंगी, क्योंकि काम के लिए यात्राएं करने में कटौती हो जाएगी। वर्क फ्राॅम होम किसी भी कंपनी का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा पर ऑफिस बने रहेंगे। एक बार स्थिति सामान्य हो जाए तो मुझे भरोसा है कि लोग फिर अपने दफ्तरों में लौट आएंगे।

लॉकडाउन ने आपके प्रोफेशनल रूटीन पर क्या असर डाला है? आपने कौन से बदलाव लागू किए?
विजय शेखर:मौजूदा बदलावों से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है रूटीन पर कड़ाई से चलना। मैं कोशिश करता हूं कि सुबह जल्दी उठने, कसरत, सही खान-पान और दिन में मीटिंग्स की प्लानिंग तक अपने शेड्यूल का कड़ाई से पालन करूं। मैंने खुद को वर्क फ्राॅम होम रूटीन में एडजस्ट किया है। मैं टीम को 50 करोड़ भारतीयों को अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाने के लक्ष्य की ओर प्रेरित करने में लगा हूं।

मैं वीडियो कॉल, ई-मेल के जरिए टीम से लगातार संपर्क में रहता हूं। हर हफ्ते टाॅउन हॉल मीटिंग्स करता हूं। लॉकडाउन के बावजूद पेटीएम में हमेशा की तरह हमारा काम चल रहा है।

आपकी कंपनी में मौजूदा हालात से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए?
विजय शेखर:एक कंपनी के रूप में हम उन प्रोडक्ट्स पर काम कर रहे हैं, जो लोगों को बिजनेस संचालित करने, डिजिटल लेन-देन करने और सफलतापूर्वक आगे बढ़ने में मददगार साबित हों। हर उद्योग के लिए जरूरी है कि इस कठिन समय में अपने वर्कफोर्स का ध्यान रखे ताकि जब चीजें सामान्य होने लगे तो वे जल्दी ही इकोनॉमी में योगदान देने की स्थिति में लौट आएं।

आपके व्यवसाय पर शॉर्ट टर्म और लॉग टर्म क्या असर होंगे?
विजय शेखर:शॉर्ट टर्म में तो ट्रेवल व टिकट आधारित इवेंट्स करने के बिजनेस पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। हम कंटेन्ट स्ट्रेटेजी में भी बढ़ रहे हैं। गेमिंग कंपनी पेटीएम फर्स्ट गेम्स बहुत अच्छा काम कर रही है। समय आने पर मॉनिटाइजेशन भी होगा, क्योंकि ब्रांड फिर विज्ञापन करने लगेंगे।

सेहत का ध्यान और अर्थव्यवस्था को उबारना दो महत्वपूर्ण जरूरतें
विजय शेखर:देश को आगे बढ़ाने के लिए लोगों की सेहत का ध्यान रखना और अर्थव्यवस्था को उबारना दो महत्वपूर्ण कार्य हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, सर्विस इंडस्ट्री पर विशेष ध्यान देना होगा। फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी सेक्टर अधिकांश सेवाओं को मजबूत बनाएगा।

उन्होंने कहा किलोकल के लिए वोकल जो प्रधानमंत्री ने नारा दिया है। वहनिश्चित रूप से एमएसएमई और स्टार्ट अप्स के लिए बड़ा बाजार बनाएगा, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार का निर्माण होगा। छोटी कंपनियां सफल व फायदेमंद बनेंगी।



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पेटीएम के संस्थापक विजय शेखऱ शर्मा ने कहा- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, सर्विस इंडस्ट्री पर विशेष ध्यान देना होगा। फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी अधिकांश सेवाओं को मजबूत बनाएगी।


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एमएसएमई में 2 से 3 लाख जॉब्स, कामगारों को लेने कंपनियां बसें तक भेज रहीं, 35-40% में काम भी शुरू

लॉकडाउन फेज-4में मिली छूट के बाद तमिलनाडु के छोटे-बड़े उद्योगों ने फिर कामकाज शुरू कर दिया है। 1.2 करोड़ रोजगार देने वाले राज्य की 50 लाख एमएसएमई में ही फिलहाल करीब तीन लाख लोगों की जरूरत है।

कामगारों की सबसे ज्यादा जरूरत टेक्सटाइल और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को है। यहां फैक्ट्री मालिक घर लौट चुके मजदूरों से बात कर रहे हैं और उन्हें मनाकर वापस लाने के लिए बसें भी भेज रहे हैं। लॉकडाउन से पहले तमिलनाडु में करीब 12 लाख प्रवासी मजदूर काम कर रहे थे। इनमें से 4-5 लाख घर चले गए हैं। इनके अलावा 3 लाख दूसरी जगह चले गए हैं।

स्किल्ड और नॉन स्किल्ड लेबर की कमी

ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष के. ई. रघुनाथन कहते हैं, ‘35 से 40% यूनिट्स में काम शुरू हो चुका है। इसमें से 8 से 10% ऐसी हैं, जिनकी प्रोडक्शन यूनिट शुरू हो चुकी है। 45-60% यूनिट्स अभी खुलनी हैं।

अब लॉकडाउन खुलने के बाद कच्चे माल की कमी पूरी हाेनेे का इंतजार है। हालांकि, तब भी स्किल्ड और नॉन स्किल्ड लेबर की कमी रहेगी। मौजूदा हालात में यहां की फैक्ट्रियां 2 से 3 लाख कामगारों की तलाश में है। जब यहां की सभी यूनिट्स क्षमता से काम शुरू करेंगी तो कामगारों की जरूरत बढ़ेगी।’

फैक्ट्री मालिक 400 किमी दूर से मजदूर ला रहे

इंडस्ट्रीयल हब कोयम्बटूर में प्लांट चलाने वाले रमेश मुथुरामलिंगम 400 किमी दूर तिरुनेलवेली जिले से दो बसों में 25 मजदूर लाए हैं। वे कहते हैं-‘तंजावुर और मदुरई में कुछ मजदूर और मिले हैं, लेकिन इतनी दूर 20-25 लोगों के लिए बसें भेजना खर्चीला है।’ मुथुरामलिंगम की तरह कई फैक्ट्री मालिक भी मजदूरों को मना रहे हैं।

कोयम्बटूर की फैक्ट्रियों में 10% वर्कफोर्स

कोयम्बटूर में टेक्सटाइल, फाउंड्री और दूसरे सामान बनाने वाली करीब 14000 यूनिट्स हैं। फिलहाल इनमें महज 10% वर्कफोर्स काम कर रही है। मध्यम श्रेणी के उद्योगों में यह आंकड़ा 20%है। सभी यूनिट्स शुरू होने के लिए तैयार हैं लेकिन दिनरात चलाने के लिए मजदूरों की जरुरत है जो फिलहाल नहीं हैं।

कर्नाटक, तमिलनाडु में मजदूरों की कमी

सिपकोट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष एस थयगराजन कहते हैं, हम फिलहाल कन्याकुमारी और दूसरी जगहों से मजदूर ला रहे हैं। हालांकि हमारे पास फिलहाल ज्यादा ऑर्डर नहीं हैं। मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एएन सुजेश बताते हैं कि तमिलनाडु और कर्नाटक में मजदूर नहीं हैं और बिहार में इनके लिए काम। ये दोनों ही समस्याएं है।

मुफ्त संस्कृति हावी, श्रमिक बनना पसंद नहीं करते स्थानीय लोग

थयगराजन और उनके जैसे उद्योग मालिकों के लिए मजदूरों की कमी इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि तमिलनाडु के स्थानीय लोग ‘ब्लू कॉलर जॉब’ यानी फैक्ट्री में श्रमिक बनना पसंद नहीं करते। दूसरी बड़ी वजह राजनीतिक दलों की मुफ्त संस्कृति का हावी होना है, जिससे लोगों को पैसा, भोजन, साड़ी, लग्जरी आइटम आदि सामान घर बैठे ही मुफ्त में मिल जाते हैं।



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तमिलनाडु की मौजूदा स्थितियों में फैक्ट्रियां 2 से 3 लाख कामगारों की तलाश में है। जब यहां की सभी यूनिट्स क्षमता से काम शुरू करेंगी तो कामगारों की जरूरत बढ़ेगी। -फाइल


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मध्यप्रदेश के 10 जिलाें में आए प्रवासी मजदूराें पर सर्वे- आधे से ज्यादा मजदूर अब शहर नहीं लौटना चाहते हैं

काेराेना संकट में दूसरे राज्याें से लाैटकर मध्यप्रदेश आए आधे से ज्यादा प्रवासी मजदूर दाेबारा महानगरों में पलायन नहीं करना चाहते हैं। जबकि एक चौथाई ऐसे हैं, जो वापसी को लेकर असमंजस में हैं। 21 फीसदी हालात सामान्य हाेने पर फिर से महानगराें में जाने के इच्छुक हैं। यह निष्कर्ष विकास संवाद संस्था द्वारा प्रदेश के 10 जिलों में लौटे मजदूरों के बीच किए गए सर्वे के आधार पर निकला है।

पूरी मजदूरी भी नहीं मिली

विकास संवाद के निदेशक सचिन कुमार जैन ने मंगलवार को रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक, मध्यप्रदेश के आधे से अधिक मजदूर निर्माण क्षेत्र में कार्यरत थे। वापस लौटे लगभग आधे मजदूर ऐसे भी हैं जिन्हें अचानक लॉकडाउन के बाद पूरी मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक वापस आए एक चौथाई मजदूरों के पास 100 रुपए से भी कम नगदी बची थी। जबकि हर 100 में सात मजदूर ऐसे हैं जो घर लौटने की इस जद्दोजहद में पूरी तरह कंगाल हो गए।उनके पास एक रुपया भी नगद नहीं बचा। केवल 11 फीसदी मजदूर ही ऐसे भाग्यशाली थे, जिनके पास 2000 रुपए से अधिक की राशि गांव लौटने परबच पाई।

रिपोर्ट प्रदेश के सतना, मंडला, छतरपुर, पन्ना, रीवा, शिवपुरी, विदिशा, शहडोल, निवाड़ी और उमरिया जिले में किए सर्वे के आधार पर तैयार की गई है।

सर्वे: 47% काे लाॅकडाउन के कारण नहीं मिली मजदूरी

अब तक लौटे 14 लाख मजदूर
20 मई तक मप्र सरकार की मदद से 4.63 लाख मजदूर ट्रेन या बसों जरिए आ चुके थे। इनमें 1.93 लाख गुजरात से, 1.07 लाख महाराष्ट्र और 1 लाख राजस्थान से 1 लाख से आए। इसके अलावा लगभग 10 लाख मजदूर पैदल, साइकिल या खुद के साधनों से वापस लौटकर आए हैं।



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तस्वीर मप्र के बड़वानी स्थित बिजासन घाट सीमा की हैं। रात में महाराष्ट्र से आने वाले मप्र, यूपी, बिहार के मजदूरों को बिजासन मंदिर परिसर में रुकवाया जा रहा है। मजदूर खुले में जमीन पर सोने को मजबूर हैं।


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कंपनियां कंफर्ट जोन से बाहर आईं, किसी ने रोबो व्हीकल बनाया तो कोई ऑनलाइन बिक्री सिस्टम लेकर आया

लॉकडाउन के बीच कंपनियां बिजनेस को कायम रखने के लिए नए प्रयोग और करार कर रही हैं। मार्केट रिसर्च फर्म नीलसन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एफएमसीजी कंपनियों के 50% प्रमुखों की प्रायोरिटी सप्लाई चेन और डिस्ट्रीब्यूशन को री-इनवेेंट करना है। कई कंपनियों ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।

इससे लॉकडाउन के बीच भी ग्राहकों को समय पर सुरक्षित तरीके से सामान मिल पा रहा है। मार्केट रिसर्च कंपनी कालागाटो के सीईओ अमन कुमार कहते हैं कि ये नए बदलाव और अनुबंध कंपनियों की दूरगामी सोच का नतीजा है। कोरोना के असर से होम डिलीवरी आने वाले समय में और जरूरी हो जाएगी। पढ़िए, लॉकडाउन के बीच इन कपंनियाें ने क्या नए कदम उठाए हैंं..

विप्रो:रिमोट से चलने वाला रोबो व्हीकल बनाया
विप्राे इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग्स के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट जी सुंदररामन ने बताया कि हमने मरीजों तक दवा पहुंचाने के लिए रिमोट से चलने वाला रोबो व्हीकल बनाया है। इसमें ईसीजी और ब्लडप्रेशर मशीन लगी हुई हैं। इसके व्यावसायिक उत्पादन यानी कमर्शियलकी भी योजना है।

विप्रो कंज्यूमर केयर एंड लाइटिंग बिजनेस ने पहली बार हैंड सेनिटाइजर और कपड़ों के लिए एंटी जर्म कंडीशनर लाॅन्च किए हैं। साथ ही कंपनी ने क्लीनर, लिक्विड डिटरजेंट भी बनाया है।

एमजी मोटर:ऑनलाइन बिक्री सिस्टम तैयार किया

एमजी मोटर इंडिया के चीफ कमर्शियल ऑफिसर गौरव गुप्ता कहते हैं कि अब डीलरशिप में भी कॉन्टेक्टलेस बिक्री और ई-कॉमर्स का उपयोग होगा। हम देश में पहले ऑटो मोबाइल निर्माता ब्रांड हैं जो कारों की ऑनलाइन बुकिंग कर रहे हैं। हमने सेनिटाइज्ड कार ग्राहकों को ‘डिसइन्फेक्टेड एंड डिलीवर की शुरूआत की है। ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हम ऑनलाइन बिक्री चैनल तैयार कर रहे हैं।

मेट्रो कैश एंड कैरी:स्टोर्स के साथ ग्राहकों को भी सीधे डिलीवरी
मेट्रो कैश एंड कैरी के देश में 30 लाख कार्ड होल्डर और 17 शहरों में 27 स्टोर्स हैं। कंपनी ने ग्राहकों तक फूड और जरूरी सामान पहुंचाने की नई पहल की है। कंपनी ने ऑनलाइन एप लाॅन्च किया, जिससे किराना सेल में 45% की तेजी आई।कंपनी अपने वाहनों से सीधे दुकानों तक सामान पहुंचा रही है। स्विगी के जरिए भी सीधे ऑर्डर पहुंच रहे हैं। कंपनी के एमडी, सीईओ अरविंद मेदीरत्ता कहते हैं कि हम जमैटो से भी जुड़ने जा रहे हैं।

अमूल: हल्दी दूध लॉन्च, उत्पादन भी बढ़ाया
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लि. (अमूल) के एमडी आर. एस. सोढ़ी बताते हैं हम महाराष्ट्र में 98%, राजस्थान में 120%, उत्तर प्रदेश में 100% और पंजाब में 82% अधिक दूध खरीद रहे हैं। हम रोजाना 42 लाख लीटर अधिक दूध खरीद रहे हैं। प्रतिदिन कुल 242 लाख लीटर दूध की खरीदारी अमूल कर रहा है।

इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हल्दी दूध भी लॉन्च किया है। जल्द ही और फ्लेवर लॉन्चहोंगे। गुजरात में अमूल पार्लर से एन 95 मास्क भी बेचे जा रहे हैं।

ब्रिटानिया: ई-कॉमर्स से एक घंटे में प्रोडक्ट पहुंचाएंगे
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज ने ग्राहकों तक सामान एक घंटे में पहुंचाने के लिए ऑन डिमांड ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म डन्जो से समझौता किया है। कंपनी ने व्हाट्सएप आधारित स्टोर लोकेटर सर्विस भी शुरू की है, ताकि ग्राहक अपने शहर में ब्रिटानिया स्टोर खोज सकें।

ब्रिटानिया के मैनेजिंग डायरेक्टर वरुण बेरी ने बताया कि बिस्कुट्स, केक, मिल्कशेक, घी जैसे प्रोडक्ट मुंबई, पुणे, दिल्ली, गुडगांव, जयपुर, बेंगलुरू, हैदराबाद और चेन्नई के ग्राहकों तक हम सीधे पहुंचाएंगे।

एमटीआर फूड: ऑर्डर पहुंचाने के लिए स्विगी से अनुबंध
एमटीआर फूड्स ने मसाले, रेडी टू ईट फूड, ब्रेकफास्ट मिक्स, ब्रेवरीज और अन्य खाद्य आयटम के लिए ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी से अनुबंध किया है। एमटीआर फूड्स के सीईओ संजय शर्मा कहते हैं कि देश लगातार लॉकडाउन में है, ऐसे में हम ग्राहकों को उनके घर पर अपने उत्पाद देना चाहते हैं। स्विगी एमडीआर फूड्स के डिस्ट्रीब्यूटर्स से उत्पाद लेकर ग्राहकों को तक देश के विभिन्न शहरों में पहुंचाएगी।



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विप्राे इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग्स के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट जी सुंदररामन ने बताया कि हमने मरीजों तक दवा पहुंचाने के लिए रिमोट से चलने वाला रोबो व्हीकल बनाया है। इसमें ईसीजी और ब्लडप्रेशर मशीन लगी हुई हैं। -फाइल


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अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप में प्रैक्टिस शुरू हुई, हम गाइडलाइन ही बना रहे हैं; तैराकों को फॉर्म में आने में 5-6 महीने लग जाएंगे

देश में स्वीमिंग पूल औरजिम पर बैन जारी है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कुछ देशों में स्वीमिंग पूल खोलने की मंजूरी दे दी गई है। देश में पूल खाेलने के लिए गाइडलाइन ही बन रही है।

ओलिंपिक में वैसे भी हमारा प्रदर्शन खास नहीं रहता है। अगर सरकार की ओरसे जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो तैराकी में ओलिंपिक क्वालिफाई करने की उम्मीदें कम हो सकती हैं।

भारतीय स्वीमिंग फेडरेशन और ओलिंपिक कोटा या क्वालिफाइंग मार्क के खिलाड़ी पूल खोलने की मांग कर चुके हैं। फेडरेशन को उम्मीद है कि उन्हें जून में अनुमति मिल जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि तैराकों को फॉर्म वापस हासिल करने में 5-6 महीने लग जाएंगे।

एक हफ्ते पहले एसओपी तैयार, पर जारी नहीं हुई

टास्क फोर्स ने एक हफ्ते पहले तैयार स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) साई को सौंप दिया है। इस टास्क फोर्स में साई, फेडरेशन और एकेडमी के मैनेजमेंट के लोग शामिल हैं। एसओपी को बनाने के लिए फेडरेशन ने ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, न्यूजीलैंड, द. अफ्रीका और ब्रिटेन का अध्ययन किया। हालांकि, साई ने एसओपी अभी जारी नहीं की है। एसओपी के अनुसार, जिम, रेजिडेंस एरिया में साई की गाइडलाइन लागू होगी।

टास्क फोर्स की गाइडलाइन

  • पूल में 2 बीपीएम क्लोरीन मेंटेंन रखनी होगी।
  • पूल के अलग-अलग एरिया से सैंपलिंग और टेस्टिंग जरूरी।
  • एक लेन में एक ही तैराक अभ्यास करेगा। बगल वाली लेन का स्विमर पूल के दूसरे छोर से स्वीमिंग करेगा।
  • खिलाड़ी अलग-अलग गटर एरिया में स्प्रिट करेगा। ताकि संक्रमण का खतरा न हो।
  • खिलाड़ी चेंजिंग रूम इस्तेमाल नहीं करेंगे। रेजिडेंस एरिया में जाकर चेंज करेंगे।
  • स्वीमिंग से पहले और बाद में शावर जरूरी।
  • कोच को पीपीई किट पहनना जरूरी होगा।

फिटनेस के लिए डाइट कम कर रहे खिलाड़ी

100 मी फ्रीस्टाइल में देश के सबसे तेज तैराक वीरधवल खाड़े ने वजन को नियंत्रण में रखने के लिए खाने की मात्रा कम कर दी है। वे 50 फीसदी ही डाइट ले रहे हैं। योग और बॉडी वेट ट्रेनिंग कर रहे हैं। खाड़े मुंबई में जिला प्रशासन विभाग में कार्यरत हैं।

वे बीपीएल कार्डधारकों को पेंशन बांटने का काम कर रहे हैं। वहीं, बी कट ओलिंपिक कोटा हासिल कर चुके इंदौर के अद्वैत पागे घर में योग, कार्डियाे कर रहे हैं। वे फ्लेक्सिबिलिटी पर ध्यान दे रहे हैं।

सरकार को तैराकों को ट्रेनिंग की अनुमति देनी चाहिए
  • सरकार को सुरक्षित माहौल में ओलिंपिक कोटा हासिल कर चुके तैराकों को ट्रेनिंग की अनुमति देनी चाहिए। इसमें वे खिलाड़ी भी शामिल किए जाएं, जो क्वालिफाइंग टाइमिंग के आसपास हैं। जून में अनुमति मिलने की उम्मीद।- डी मोनल चोकसी, सचिव, भारतीय स्वीमिंग फेडरेशन

  • कई देशों के तैराकों ने ट्रेनिंग शुरू कर दी है। लेकिन हमारे यहां अनुमति के लाले हैं। यह हमारी तैयारियों को बहुत ज्यादा प्रभावित करेगा। उन्हें फॉर्म में वापसी करने के लिए कम से कम 5-6 महीने लग जाएंगे।- निहार अमीन, पूर्व भारतीय कोच और द्रोणाचार्य अवॉर्डी


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100 मी फ्रीस्टाइल में देश के सबसे तेज तैराक वीरधवल खाड़े ने वजन को नियंत्रण में रखने के लिए खाने की मात्रा कम कर दी है। वे 50 फीसदी ही डाइट ले रहे हैं। -फाइल


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भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर अगले महीने सबसे बड़ी टिड्डी ब्रीडिंग, 8 हजार करोड़ टिड्डियां पैदा होंगी

कोरोनावायरस से जूझ रहे राजस्थान के लिए टिडि्डयां नई मुसीबत बन गई हैं। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि एजेंसी के शीर्ष अधिकारी कीथ क्रेसमैन ने चेतावनी दी है कि करोड़ों टिड्डियां जल्द भारत पर हमला बोल सकती हैं। वजह ये है कि भारत-पाकिस्तानबॉर्डर के राजस्थान वाले हिस्से में मध्य जून में दुनिया की सबसे बड़ी टिड्‌डी ब्रीडिंग होगी।

इससे करीब 8 हजार करोड़ टिडि्डयां पैदा होंगी। बड़ी चिंता इसलिए भी है क्योंकि ये आम टिड्डियां नहीं हैं बल्कि मरुस्थलीय टिड्डियां हैं। इन्हें फसलों के लिए दुनिया का सबसे विनाशकारी प्रवासी कीट माना जाता है। गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, नागौर, चूरू, जालौर, सिरोही जिले में टिड्डी का हमला हो सकता है।

आखिर ब्रीडिंग यहीं क्यों?

  • भारत में 1 जून से मानसून की दस्तक हो जाती है। टिड्डियों को अंडे देने के लिए नमी की जरूरत होती है। क्योंकि यह डेजर्ट टिड्डी है, इसलिए इसे रेतीला इलाका ज्यादा आसान लगता है।
  • भारत-पाक बॉर्डर के बीच नमी ज्यादा होने से टिड्डी को ये इलाका बहुत पसंद आता है।
  • अमूमन 15 जून के आसपास प्री मानसून की बारिश से होने वाली बिजाई और हरियाली टिड्डी को खूब लुभाती है। वे पेट भरते हुए ब्रीडिंग करती हैं।

केंद्र के स्तर पर प्रयास जरूरी

जयपुर में कृषि विभाग के संयुक्त सचिव एसपी सिंह ने बताया किअभी जहां टिड्डियां हैं उनको मारा भी जा रहा है। लेकिन यह ग्लोबल प्रॉब्लमहै। इसलिए केंद्र से भी आग्रह किया गया कि विश्व स्तर पर इसके नियंत्रण के प्रयास किए जाएं। बेहतर होगा कि इन्हें अंडे देने से पहले ही मार दिया जाए।



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भारत के अलावा पाकिस्तान में भी टिड्डियां बड़ी परेशानी बन गई हैं।


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देश-दुनिया में चूरू सबसे गर्म, पारा 50 डिग्री; दिल्ली और हरियाणा में गर्मी ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ा

पूरा उत्तर भारत प्रचंड गर्मी और लू की चपेट में है।लेकिन, राजस्थान के चूरू की जमीं पर मंगलवार काे जैसे सूरज खुद उतर आया। लू की लपटाें के बीच यहां दिन का तापमान 50 डिग्री दर्ज किया गया। पिछले 10 साल में मई के माह में यह दूसरा माैका था जब सबसे अधिक तापमान रहा। इससे पहले 19 मई 2016 काे 50.2 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था। दिल्ली में भी इस मौसम का सबसे गर्म दिन रिकाॅर्ड किया गया। दिल्ली और हरियाणा में गर्मी ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया।चंडीगढ़ में सुबह से झुलसाने वाली गर्मी पड़ने से मौसम का सबसे गर्म दिन रहा।

माैसम विभाग के मुताबिक, बीकानेर, गंगानगर, काेटा और जयपुर में अधिकतम तापमान क्रमश: 47.4 डिग्री, 47 डिग्री, 46.5 डिग्री और 45 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।माैसम विभाग ने चूरू, बीकानेर, हनुमानगढ़ और गंगानगर जिलाें में अगले 24 घंटाें में भीषण लू चलने की चेतावनी जारी की है। वहीं, हरियाणा, विदर्भ, पश्चिमी व पूर्वी मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। विभाग के वैज्ञानिक डाॅ. नरेश कुमार के मुताबिक, अगले दाे दिन तक हरियाणा, मध्य प्रदेश समेत देश के अन्य हिस्साें में लू चलती रहेगी।

राजस्थान: सूरज मानो धरती पर ही उतर आया

चूरूदेश-दुनिया में सबसे गर्म शहर रहा। हालांकि, पाकिस्तान के जेकोकाबाद में भी पारा 50 डिग्री दर्ज हुआ। गर्मी के सीजन में पिछले 4 साल में तीसरी बार चूरू में पारा रिकाॅर्ड स्तर पर पहुंचा है। यहां 2 जून 2019 काे पारा 50.8 और 19 मई 2016 काे 50.2 डिग्री दर्ज हुआथा। अब हीट स्ट्रोक या लू (तापघात) का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने मंगलवार काे चूरू शहर की सड़काें पर पानी का छिड़काव कराया।

गर्मी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुबह 8 बजे ही सूरज की किरणें आग उगलने लगी। सोमवार को चूरू में अधिकतम तापमान 47.5 डिग्री रहा था। प्रदेश में जयपुर सहित 7 शहर ऐसे रहे, जहां पारा 45 डिग्री के पार रहा। सीकर में रेलवे स्टेशन इलाके में तेज गर्मी से एक बुजुर्ग ने दम ताेड़ दिया।फलौदी में 19 मई 2016 को 51 डिग्री तापमान दर्ज हुआथा, जो राज्य में सर्वाधिक तापमान है। लेकिन यह मौसम विभाग के रिकॉर्ड में नहीं है। ऐसे में चूरू का 50.8 डिग्री तापमान ही आलओवर सर्वाधिक तापमान का रिकॉर्ड है।

हरियाणा: गर्मी ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ा

हरियाणा प्रचंड गर्मी व लू की चपेट में है। मंगलवार को हिसार में दिन का तापमान 48 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जो सामान्य से 5 डिग्री ज्यादा है। यह मई महीने में 10 साल का रिकॉर्ड तापमान है। इससे पहले, 26 मई 2010 को 48.1 तापमान रहा था। इस बार भी 26 मई को ही सर्वाधिक गर्मी हुई है। दोपहर में 10 किमी प्रति घंटा की गति से चली लू व गर्मी की तपन ऐसी थी कि लोग कहते दिखे कि कत्ती फूंक दिए रै। वहीं, नारनौल में रात का पारा भी 31 डिग्री पहुंच गया।

हिसार में एक महिला ने अपने बच्चे को लू से बचाने के लिए अपना पल्लू बच्चे के सिर पर ओढ़ा दिया।

दिल्ली: 2010 के बाद पालम में सबसे गर्म दिन

राजधानी में दूसरे दिन लू का प्रकोप रहा। यहां के पालम इलाके में तापमान 47.6 दर्ज किया गया। इसके पहले 18 मई 2010 को यही तापमान रिकॉर्ड किया गया था। मौसम विभाग के मुताबिक, 29 मई 1944 को सफदरगंज में पारा 47.2 तक पहुंचा था। 26 मई 1968 को पालम में तापमान 48.4 रिकॉर्ड किया गया था।गुरुवार को दिल्ली में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के चलते तेज हवा चल सकती है।

मध्य प्रदेश: भीषण गर्मी का सितम बरकरार

राजधानी भोपालमें 0.5 डिग्री गिरावट के बावजूद पारा लगातार तीसरे दिन 44 डिग्री पर रहा। मालवा के उज्जैन, इंदाैर और धार जिले काे छाेड़कर पूरे प्रदेश में गर्म हवा और लू से लाेग बेहाल रहे। प्रदेश के बुंदेलखंड और विंध्य इलाके के शहर व कस्बे सबसे ज्यादा तपे। बुंदेलखंड का खजुराहाे प्रदेश में सबसे गर्म रहा। वहां तापमान 46.4 डिग्री और इसी क्षेत्र के नाैगांव में 46.3 डिग्री दर्ज किया गया। बुंदेलखंड के ही दमाेह में पारा 45.5 डिग्री और टीकमगढ़ में 45 डिग्री पर पहुंचा। विंध्य क्षेत्र का रीवा सबसे गर्म रहा। वहां तापमान 45.8 डिग्री और सीधी में 45.0 डिग्री दर्ज किया गया।

बिहार:सात जिलों को अलर्ट रहने का निर्देश

आपदा प्रबंधन विभाग ने भीषण गर्मी के मद्देनजर लू से निपटने के लिएदक्षिण बिहार के 7 जिलों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है। गया, औरंगाबाद, नवादा, नालंदा, अरवल, जहानाबाद और कैमूर के जिलाधिकारियों को पिछले साल के अनुभव को देखते हुए विशेष सतर्कता बरतने का निर्देशहै। नौतपा के दूसरे दिन भी पटना में पारा 40 डिग्री से ऊपर रहा। पटना में अधिकतम तापमान 40.8, तो गया में 45.8 डिग्री सेल्सियस डिग्री दर्ज किया गया।बिहार के अधिकतर जिलों में दो दिनों तक भीषण गर्मी का प्रकोप रहेगा। इस दौरान अधिकतम तापमान 43 डिग्री तक पहुंचने की संभावना है।

तस्वीर नासिक (महाराष्ट्र) से 55 किलाेमीटर दूर हरसूल परगना की है। यहां इतना भयंकर सूखा है कि दूर-दूर तक पानी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सूखे पेड़ और सूखी पत्तियाें से गुजरकर दाेपहर साढ़े तीन बजे यह महिला पानी लेने 10 किलाेमीटर के कठिन सफर पर निकल पड़ी है। इस समय तापमान 42 डिग्री है।- अशाेक गवळी

देश के सबसे गर्म शहर

शहर प्रदेश तापमान (डिग्री सेल्सियस में)
चूरू राजस्थान 50
हिसार हरियाणा 48
बांदा उत्तरप्रदेश 48
पालम दिल्ली 47.6
बीकानेर राजस्थान 47.4
प्रयागराज उत्तरप्रदेश 47.1
बूंदी राजस्थान 46
नारनौल हरियाणा 46
जयपुर राजस्थान 45
टिटलागढ़ ओडिशा 45.5
पटियाला पंजाब 44.7

असम, मेघालय में 28 मई तक ‘बहुत भारी’ बारिश के आसार

मौसम विभाग ने असम और मेघालय में 26 से 28 मई के बीच बहुत भारी बारिश होने की चेतावनी दी है। विभाग ने कहा कि ज्यादातर स्थानों पर बारिश की संभावना है। वहीं कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने का अनुमान है। आईएमडी के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र की प्रमुख सैथी देवी ने कहा कि बंगाल की खाड़ी से दक्षिण-पश्चिम हवाओं के तेज प्रवाह के कारण इन दोनों राज्यों में नमी बहुत बढ़ गई है। इसके अलावा अन्य भौगोलिक वजहों से दोनों राज्यों में बहुत भारी बारिश होगी।

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि असम और मेघालय में अगले तीन दिनों के लिए रेड वॉर्निंगजारी की गई है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में अधिकतम बारिश मई में और उसके बाद जून में होती है।

मॉनसून सामान्य से 4 दिन लेट

राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र की प्रमुख सैथी देवी ने कहा कि माॅनसून की प्रगति चक्रवाती तूफान अम्फान से बाधित हो गई थी और वह बुधवार से आगे बढ़ेगा। माॅनसून के सामान्य तारीख से 4 दिन बाद 5 जून को केरल पहुंचने की संभावना है। महापात्रा ने कहा कि 30 मई से अरब सागर में कम दबाव का क्षेत्र भी बन रहा है। कम दबाव का क्षेत्र किसी भी चक्रवात का पहला चरण होता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि प्रत्येक कम दबाव क्षेत्र चक्रवात में ही बदल जाए। केरल व कर्नाटक के तटों पर मछुआरों को आगाह किया है कि वे 30 मई से 4 जून के बीच गहरे समुद्र में नहीं जाएं।



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राजस्थान में मंगलवार को भीषण गर्मी के चलते बूंदी में सड़कों पर पानी का छिड़काव किया गया।


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कंपनियां कंफर्ट जोन से बाहर आईं, किसी ने रोबो व्हीकल बनाया तो कोई ऑनलाइन बिक्री सिस्टम लेकर आया

लॉकडाउन के बीच कंपनियां बिजनेस को कायम रखने के लिए नए प्रयोग और करार कर रही हैं। मार्केट रिसर्च फर्म नीलसन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एफएमसीजी कंपनियों के 50% प्रमुखों की प्रायोरिटी सप्लाई चेन और डिस्ट्रीब्यूशन को री-इनवेेंट करना है। कई कंपनियों ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।

इससे लॉकडाउन के बीच भी ग्राहकों को समय पर सुरक्षित तरीके से सामान मिल पा रहा है। मार्केट रिसर्च कंपनी कालागाटो के सीईओ अमन कुमार कहते हैं कि ये नए बदलाव और अनुबंध कंपनियों की दूरगामी सोच का नतीजा है। कोरोना के असर से होम डिलीवरी आने वाले समय में और जरूरी हो जाएगी। पढ़िए, लॉकडाउन के बीच इन कपंनियाें ने क्या नए कदम उठाए हैंं..

विप्रो:रिमोट से चलने वाला रोबो व्हीकल बनाया
विप्राे इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग्स के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट जी सुंदररामन ने बताया कि हमने मरीजों तक दवा पहुंचाने के लिए रिमोट से चलने वाला रोबो व्हीकल बनाया है। इसमें ईसीजी और ब्लडप्रेशर मशीन लगी हुई हैं। इसके व्यावसायिक उत्पादन यानी कमर्शियलकी भी योजना है।

विप्रो कंज्यूमर केयर एंड लाइटिंग बिजनेस ने पहली बार हैंड सेनिटाइजर और कपड़ों के लिए एंटी जर्म कंडीशनर लाॅन्च किए हैं। साथ ही कंपनी ने क्लीनर, लिक्विड डिटरजेंट भी बनाया है।

एमजी मोटर:ऑनलाइन बिक्री सिस्टम तैयार किया

एमजी मोटर इंडिया के चीफ कमर्शियल ऑफिसर गौरव गुप्ता कहते हैं कि अब डीलरशिप में भी कॉन्टेक्टलेस बिक्री और ई-कॉमर्स का उपयोग होगा। हम देश में पहले ऑटो मोबाइल निर्माता ब्रांड हैं जो कारों की ऑनलाइन बुकिंग कर रहे हैं। हमने सेनिटाइज्ड कार ग्राहकों को ‘डिसइन्फेक्टेड एंड डिलीवर की शुरूआत की है। ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हम ऑनलाइन बिक्री चैनल तैयार कर रहे हैं।

मेट्रो कैश एंड कैरी:स्टोर्स के साथ ग्राहकों को भी सीधे डिलीवरी
मेट्रो कैश एंड कैरी के देश में 30 लाख कार्ड होल्डर और 17 शहरों में 27 स्टोर्स हैं। कंपनी ने ग्राहकों तक फूड और जरूरी सामान पहुंचाने की नई पहल की है। कंपनी ने ऑनलाइन एप लाॅन्च किया, जिससे किराना सेल में 45% की तेजी आई।कंपनी अपने वाहनों से सीधे दुकानों तक सामान पहुंचा रही है। स्विगी के जरिए भी सीधे ऑर्डर पहुंच रहे हैं। कंपनी के एमडी, सीईओ अरविंद मेदीरत्ता कहते हैं कि हम जमैटो से भी जुड़ने जा रहे हैं।

अमूल: हल्दी दूध लॉन्च, उत्पादन भी बढ़ाया
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लि. (अमूल) के एमडी आर. एस. सोढ़ी बताते हैं हम महाराष्ट्र में 98%, राजस्थान में 120%, उत्तर प्रदेश में 100% और पंजाब में 82% अधिक दूध खरीद रहे हैं। हम रोजाना 42 लाख लीटर अधिक दूध खरीद रहे हैं। प्रतिदिन कुल 242 लाख लीटर दूध की खरीदारी अमूल कर रहा है।

इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हल्दी दूध भी लॉन्च किया है। जल्द ही और फ्लेवर लॉन्चहोंगे। गुजरात में अमूल पार्लर से एन 95 मास्क भी बेचे जा रहे हैं।

ब्रिटानिया: ई-कॉमर्स से एक घंटे में प्रोडक्ट पहुंचाएंगे
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज ने ग्राहकों तक सामान एक घंटे में पहुंचाने के लिए ऑन डिमांड ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म डन्जो से समझौता किया है। कंपनी ने व्हाट्सएप आधारित स्टोर लोकेटर सर्विस भी शुरू की है, ताकि ग्राहक अपने शहर में ब्रिटानिया स्टोर खोज सकें।

ब्रिटानिया के मैनेजिंग डायरेक्टर वरुण बेरी ने बताया कि बिस्कुट्स, केक, मिल्कशेक, घी जैसे प्रोडक्ट मुंबई, पुणे, दिल्ली, गुडगांव, जयपुर, बेंगलुरू, हैदराबाद और चेन्नई के ग्राहकों तक हम सीधे पहुंचाएंगे।

एमटीआर फूड: ऑर्डर पहुंचाने के लिए स्विगी से अनुबंध
एमटीआर फूड्स ने मसाले, रेडी टू ईट फूड, ब्रेकफास्ट मिक्स, ब्रेवरीज और अन्य खाद्य आयटम के लिए ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी से अनुबंध किया है। एमटीआर फूड्स के सीईओ संजय शर्मा कहते हैं कि देश लगातार लॉकडाउन में है, ऐसे में हम ग्राहकों को उनके घर पर अपने उत्पाद देना चाहते हैं। स्विगी एमडीआर फूड्स के डिस्ट्रीब्यूटर्स से उत्पाद लेकर ग्राहकों को तक देश के विभिन्न शहरों में पहुंचाएगी।



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पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर ने कहा- फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी और डिजिटल कंपनियां कोरोना के बाद की दुनिया में अहम भूमिका निभाएंगी

देश की सबसे बड़ी डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा का मानना है कि कोरोना महामारी में भी बने रहने तथा और भी मजबूत होकर उभरने के लिए हमें एक देश के रूप में एक साथ आना होगा।

1.22 लाख करोड़ की मार्केट वैल्यू वाली कंपनी के सीईओ मानते हैं कि जब तक वैक्सीन उपलब्ध नहीं होतीऔर पूरी आबादी को लगाए जाने लायक बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन नहीं होता, तब तक स्थिति पहले जैसी नहीं हो पाएगी। उनसे बातचीत के संपादित अंश...

आपकी इंडस्ट्री पर कोरोना का क्या असर हुआ, 2020-21 के लिए बिजनेस प्लान कितना बदला?

विजय शेखर: मुझे पूरा विश्वास है कि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी एवं डिजिटल इकोनॉमी कंपनियां कोविड-19 के बाद की दुनिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। हम छोटे दुकानदार से लेकर किराना स्टोर मालिकों, एमएसएमई तक सबको डिजिटल तरीके से बिजनेस करने के काबिल बनाना चाहते हैं। यह बड़े पैमान पर अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए जरूरी है। लोगों के बिजनेस का तरीका बदलने वाला है।

हमने अपने इन्क्रीमेंटल रेवेन्यू प्लान को एक तिमाही तक आगे बढ़ाया है। हमारी डिजिटल फर्स्ट स्ट्रेटेजी की बदौलत अगली तिमाही के बाद ग्रुप लेवल पर हमें चीजें सामान्य होती हुई स्पष्ट नजर आ रही हैं।

कोरोना का यह दौर बीत जाएगा तो वर्क कल्चर में किस तरह के बदलाव की उम्मीद है?

विजय शेखर:वैश्विक स्तर पर लोग लाइफस्टाइल में कई बदलाव अपनाएंगे। लंबे समय तक वर्क प्लेस पर सोशल डिस्टेंसिंग नाॅर्म्स होंगे। कंपनियां बिजनेस चलाने के लिए टेक्नोलॉजी, वीडियो कॉल्स पर अधिक निर्भर हो जाएंगी, क्योंकि काम के लिए यात्राएं करने में कटौती हो जाएगी। वर्क फ्राॅम होम किसी भी कंपनी का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा पर ऑफिस बने रहेंगे। एक बार स्थिति सामान्य हो जाए तो मुझे भरोसा है कि लोग फिर अपने दफ्तरों में लौट आएंगे।

लॉकडाउन ने आपके प्रोफेशनल रूटीन पर क्या असर डाला है? आपने कौन से बदलाव लागू किए?
विजय शेखर:मौजूदा बदलावों से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है रूटीन पर कड़ाई से चलना। मैं कोशिश करता हूं कि सुबह जल्दी उठने, कसरत, सही खान-पान और दिन में मीटिंग्स की प्लानिंग तक अपने शेड्यूल का कड़ाई से पालन करूं। मैंने खुद को वर्क फ्राॅम होम रूटीन में एडजस्ट किया है। मैं टीम को 50 करोड़ भारतीयों को अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाने के लक्ष्य की ओर प्रेरित करने में लगा हूं।

मैं वीडियो कॉल, ई-मेल के जरिए टीम से लगातार संपर्क में रहता हूं। हर हफ्ते टाॅउन हॉल मीटिंग्स करता हूं। लॉकडाउन के बावजूद पेटीएम में हमेशा की तरह हमारा काम चल रहा है।

आपकी कंपनी में मौजूदा हालात से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए?
विजय शेखर:एक कंपनी के रूप में हम उन प्रोडक्ट्स पर काम कर रहे हैं, जो लोगों को बिजनेस संचालित करने, डिजिटल लेन-देन करने और सफलतापूर्वक आगे बढ़ने में मददगार साबित हों। हर उद्योग के लिए जरूरी है कि इस कठिन समय में अपने वर्कफोर्स का ध्यान रखे ताकि जब चीजें सामान्य होने लगे तो वे जल्दी ही इकोनॉमी में योगदान देने की स्थिति में लौट आएं।

आपके व्यवसाय पर शॉर्ट टर्म और लॉग टर्म क्या असर होंगे?
विजय शेखर:शॉर्ट टर्म में तो ट्रेवल व टिकट आधारित इवेंट्स करने के बिजनेस पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। हम कंटेन्ट स्ट्रेटेजी में भी बढ़ रहे हैं। गेमिंग कंपनी पेटीएम फर्स्ट गेम्स बहुत अच्छा काम कर रही है। समय आने पर मॉनिटाइजेशन भी होगा, क्योंकि ब्रांड फिर विज्ञापन करने लगेंगे।

सेहत का ध्यान और अर्थव्यवस्था को उबारना दो महत्वपूर्ण जरूरतें
विजय शेखर:देश को आगे बढ़ाने के लिए लोगों की सेहत का ध्यान रखना और अर्थव्यवस्था को उबारना दो महत्वपूर्ण कार्य हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, सर्विस इंडस्ट्री पर विशेष ध्यान देना होगा। फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी सेक्टर अधिकांश सेवाओं को मजबूत बनाएगा।

उन्होंने कहा किलोकल के लिए वोकल जो प्रधानमंत्री ने नारा दिया है। वहनिश्चित रूप से एमएसएमई और स्टार्ट अप्स के लिए बड़ा बाजार बनाएगा, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार का निर्माण होगा। छोटी कंपनियां सफल व फायदेमंद बनेंगी।



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पेटीएम के संस्थापक विजय शेखऱ शर्मा ने कहा- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, सर्विस इंडस्ट्री पर विशेष ध्यान देना होगा। फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी अधिकांश सेवाओं को मजबूत बनाएगी।


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मध्यप्रदेश के 10 जिलाें में आए प्रवासी मजदूराें पर सर्वे- आधे से ज्यादा मजदूर अब शहर नहीं लौटना चाहते हैं

काेराेना संकट में दूसरे राज्याें से लाैटकर मध्यप्रदेश आए आधे से ज्यादा प्रवासी मजदूर दाेबारा महानगरों में पलायन नहीं करना चाहते हैं। जबकि एक चौथाई ऐसे हैं, जो वापसी को लेकर असमंजस में हैं। 21 फीसदी हालात सामान्य हाेने पर फिर से महानगराें में जाने के इच्छुक हैं। यह निष्कर्ष विकास संवाद संस्था द्वारा प्रदेश के 10 जिलों में लौटे मजदूरों के बीच किए गए सर्वे के आधार पर निकला है।

पूरी मजदूरी भी नहीं मिली

विकास संवाद के निदेशक सचिन कुमार जैन ने मंगलवार को रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक, मध्यप्रदेश के आधे से अधिक मजदूर निर्माण क्षेत्र में कार्यरत थे। वापस लौटे लगभग आधे मजदूर ऐसे भी हैं जिन्हें अचानक लॉकडाउन के बाद पूरी मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक वापस आए एक चौथाई मजदूरों के पास 100 रुपए से भी कम नगदी बची थी। जबकि हर 100 में सात मजदूर ऐसे हैं जो घर लौटने की इस जद्दोजहद में पूरी तरह कंगाल हो गए।उनके पास एक रुपया भी नगद नहीं बचा। केवल 11 फीसदी मजदूर ही ऐसे भाग्यशाली थे, जिनके पास 2000 रुपए से अधिक की राशि गांव लौटने परबच पाई।

रिपोर्ट प्रदेश के सतना, मंडला, छतरपुर, पन्ना, रीवा, शिवपुरी, विदिशा, शहडोल, निवाड़ी और उमरिया जिले में किए सर्वे के आधार पर तैयार की गई है।

सर्वे: 47% काे लाॅकडाउन के कारण नहीं मिली मजदूरी

अब तक लौटे 14 लाख मजदूर
20 मई तक मप्र सरकार की मदद से 4.63 लाख मजदूर ट्रेन या बसों जरिए आ चुके थे। इनमें 1.93 लाख गुजरात से, 1.07 लाख महाराष्ट्र और 1 लाख राजस्थान से 1 लाख से आए। इसके अलावा लगभग 10 लाख मजदूर पैदल, साइकिल या खुद के साधनों से वापस लौटकर आए हैं।



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तस्वीर मप्र के बड़वानी स्थित बिजासन घाट सीमा की हैं। रात में महाराष्ट्र से आने वाले मप्र, यूपी, बिहार के मजदूरों को बिजासन मंदिर परिसर में रुकवाया जा रहा है। मजदूर खुले में जमीन पर सोने को मजबूर हैं।


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एमएसएमई में 2 से 3 लाख जॉब्स, कामगारों को लेने कंपनियां बसें तक भेज रहीं, 35-40% में काम भी शुरू

लॉकडाउन फेज-4में मिली छूट के बाद तमिलनाडु के छोटे-बड़े उद्योगों ने फिर कामकाज शुरू कर दिया है। 1.2 करोड़ रोजगार देने वाले राज्य की 50 लाख एमएसएमई में ही फिलहाल करीब तीन लाख लोगों की जरूरत है।

कामगारों की सबसे ज्यादा जरूरत टेक्सटाइल और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को है। यहां फैक्ट्री मालिक घर लौट चुके मजदूरों से बात कर रहे हैं और उन्हें मनाकर वापस लाने के लिए बसें भी भेज रहे हैं। लॉकडाउन से पहले तमिलनाडु में करीब 12 लाख प्रवासी मजदूर काम कर रहे थे। इनमें से 4-5 लाख घर चले गए हैं। इनके अलावा 3 लाख दूसरी जगह चले गए हैं।

स्किल्ड और नॉन स्किल्ड लेबर की कमी

ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष के. ई. रघुनाथन कहते हैं, ‘35 से 40% यूनिट्स में काम शुरू हो चुका है। इसमें से 8 से 10% ऐसी हैं, जिनकी प्रोडक्शन यूनिट शुरू हो चुकी है। 45-60% यूनिट्स अभी खुलनी हैं।

अब लॉकडाउन खुलने के बाद कच्चे माल की कमी पूरी हाेनेे का इंतजार है। हालांकि, तब भी स्किल्ड और नॉन स्किल्ड लेबर की कमी रहेगी। मौजूदा हालात में यहां की फैक्ट्रियां 2 से 3 लाख कामगारों की तलाश में है। जब यहां की सभी यूनिट्स क्षमता से काम शुरू करेंगी तो कामगारों की जरूरत बढ़ेगी।’

फैक्ट्री मालिक 400 किमी दूर से मजदूर ला रहे

इंडस्ट्रीयल हब कोयम्बटूर में प्लांट चलाने वाले रमेश मुथुरामलिंगम 400 किमी दूर तिरुनेलवेली जिले से दो बसों में 25 मजदूर लाए हैं। वे कहते हैं-‘तंजावुर और मदुरई में कुछ मजदूर और मिले हैं, लेकिन इतनी दूर 20-25 लोगों के लिए बसें भेजना खर्चीला है।’ मुथुरामलिंगम की तरह कई फैक्ट्री मालिक भी मजदूरों को मना रहे हैं।

कोयम्बटूर की फैक्ट्रियों में 10% वर्कफोर्स

कोयम्बटूर में टेक्सटाइल, फाउंड्री और दूसरे सामान बनाने वाली करीब 14000 यूनिट्स हैं। फिलहाल इनमें महज 10% वर्कफोर्स काम कर रही है। मध्यम श्रेणी के उद्योगों में यह आंकड़ा 20%है। सभी यूनिट्स शुरू होने के लिए तैयार हैं लेकिन दिनरात चलाने के लिए मजदूरों की जरुरत है जो फिलहाल नहीं हैं।

कर्नाटक, तमिलनाडु में मजदूरों की कमी

सिपकोट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष एस थयगराजन कहते हैं, हम फिलहाल कन्याकुमारी और दूसरी जगहों से मजदूर ला रहे हैं। हालांकि हमारे पास फिलहाल ज्यादा ऑर्डर नहीं हैं। मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एएन सुजेश बताते हैं कि तमिलनाडु और कर्नाटक में मजदूर नहीं हैं और बिहार में इनके लिए काम। ये दोनों ही समस्याएं है।

मुफ्त संस्कृति हावी, श्रमिक बनना पसंद नहीं करते स्थानीय लोग

थयगराजन और उनके जैसे उद्योग मालिकों के लिए मजदूरों की कमी इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि तमिलनाडु के स्थानीय लोग ‘ब्लू कॉलर जॉब’ यानी फैक्ट्री में श्रमिक बनना पसंद नहीं करते। दूसरी बड़ी वजह राजनीतिक दलों की मुफ्त संस्कृति का हावी होना है, जिससे लोगों को पैसा, भोजन, साड़ी, लग्जरी आइटम आदि सामान घर बैठे ही मुफ्त में मिल जाते हैं।



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तमिलनाडु की मौजूदा स्थितियों में फैक्ट्रियां 2 से 3 लाख कामगारों की तलाश में है। जब यहां की सभी यूनिट्स क्षमता से काम शुरू करेंगी तो कामगारों की जरूरत बढ़ेगी। -फाइल


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देश के 531 जिलों में कोरोना की टेस्टिंग लैब ही नहीं; महाराष्ट्र के 36 में से 20 और गुजरात के 33 में से 23 जिलों में लैब नहीं

देश में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 1.5 लाख के करीब पहुंच गई है। मौत का आंकड़ा भी 4 हजार के पार पहुंच गया है। मामले बढ़ने का एक कारण टेस्टिंग का बढ़ना भी है। पिछले एक हफ्ते से रोजाना करीब 1 लाख टेस्ट हो रहे हैं। और 26 मई तक 31.26 लाख से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अब पूरा फोकस टेस्टिंग पर है।

देश में कितने लैब
आईसीएआर के मुताबिक, 26 मई तक देश में आरटी-पीसीआर के लिए 453 लैब हैं। इनमें से 304 सरकारी और 149 निजी लैब हैं। आरटी-पीसीआर के अलावा ट्रूनेट टेस्ट के लिए 105 और सीबीएनएएटी टेस्ट के लिए 54 लैब हैं। हालांकि, कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट ही सबसे ज्यादा जरूरी है।

लेकिन, अभी भी देश के 531 जिलों में तो कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्टिंग लैब ही नहीं है। देश में 37 राज्यों में 733 जिले हैं। हमारे पास 717 जिलों का डेटा है। इनमें से 186 जिले ही ऐसे हैं, जिनमें टेस्टिंग लैब है। कुछ जिलों में एक से ज्यादा टेस्टिंग लैब भी है। जैसे- मुंबई में ही आरटी-पीसीआर के लिए 9 टेस्टिंग लैब है।
427 जिलों में कम से कम एक मरीज, लेकिन यहां टेस्टिंग लैब नहीं
717 जिलों में से 427 जिले ऐसे हैं, जहां कम से कम एक कोरोना संक्रमित जरूर है। फिर भी यहां पर एक भी टेस्टिंग लैब नहीं है।इसका मतलब तो यही हुआ कि अगर इन जिलों में कोरोना संक्रमित मिलता भी है, तो उसके टेस्ट की रिपोर्ट आने में ही टाइम लग जाएगा। क्योंकि, उन्हें आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए सैंपल दूसरे जिले में भेजना पड़ता है।

वहीं, 104 जिले ऐसे भी हैं जहां कोरोना का न ही कोई मरीज है और न ही टेस्टिंग लैब।

सबसे प्रभावित 10 राज्य : तमिलनाडु के 32 में से 28 जिलों में लैब

कोरोना से सबसे ज्यादा महाराष्ट्र प्रभावित हुआ है। यहां 26 मई तक 52 हजार 667 मरीज आ चुके हैं। यहां के 36 में से 16 जिलों में ही आरटी-पीसीआर के लिए टेस्टिंग लैब है। जबकि, कुल मिलाकर यहां पर 62 टेस्टिंग लैब है।कोरोना मरीजों की संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है। यहां 17 हजार 82 केस आ चुके हैं। तमिलनाडु देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां के 32 में से 28 जिलों यानी 87.5% जिलों में टेस्टिंग लैब है। सबसे ज्यादा टेस्टिंग लैब के मामले में भी तमिलनाडु पहले नंबर पर है। यहां के 28 जिलों में 65 लैब हैं।

अच्छी बात ये भी कि, 1 अप्रैल के बाद से अब तक हर 10 लाख लोगों पर टेस्टिंग 70 गुना बढ़ी
1 अप्रैल को देश में हर 10 लाख लोगों पर सिर्फ 32 लोगों की ही कोरोना जांच हो रही थी। 30 अप्रैल तक ये आंकड़ा 32 से बढ़कर 616 हो गया।

अभी 24 मई तक के ही आंकड़े मौजूद हैं। और इसके मुताबिक, 24 मई को देश में हर 10 लाख लोगों में से 2 हजार 159 लोगों की कोरोना जांच हो चुकी है। यानी, 1 अप्रैल के बाद से हर 10 लाख लोगों पर कोरोना टेस्टिंग के आंकड़े 24 मई तक करीब 70 गुना तक बढ़ गए।

वहीं, राज्यों की बात करें तो दिल्ली में हर 10 लाख लोगों में से सबसे ज्यादा 8 हजार 494 लोगों की टेस्टिंग हो रही है। महाराष्ट्र में हर 10 लाख लोगों में से 2 हजार 909 लोगों की टेस्टिंग हुई है।जबकि, बिहार में 24 मई तक हर 10 लाख लोगों में से सिर्फ 524 लोगों की ही टेस्टिंग हुई है।

(नोट : ये सभी आंकड़े आईसीएमआर और स्टेट हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से जारी हेल्थ बुलेटिन से लिए गए हैं। टेस्टिंग लैब में सिर्फ आरटी-पीसीआर को ही शामिल किया गया है। इसमें ट्रूनेट और सीबीएनएएटी टेस्ट के लिए बनीं लैब के आंकड़े नहीं लिए हैं।)



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