बुधवार, 18 नवंबर 2020

अमेरिका में विदेशी स्टूडेंट में हर पांचवा भारतीय, कोरोना के बाद भी 10 में से 9 स्टूडेंट विदेश में पढ़ना चाहते हैं

क्या आपको पता है अमेरिका में पढ़ने वाले विदेशी स्टूडेंट में हर 5 में से 1 भारतीय होता है। ये हम ऐसे ही नहीं कह रहे, बल्कि ओपन डोर्स की रिपोर्ट कहती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 10 लाख से ज्यादा विदेशी स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें से करीब 20% भारतीय हैं।

इतना ही नहीं, अमेरिका में पढ़ने वाले विदेशी स्टूडेंट्स में 50% से ज्यादा भारत और चीन के हैं। यानी, वहां पढ़ने वाला हर दूसरा विदेशी या तो भारत का है या चीन का है। हालांकि, इसके बाद भी अमेरिका जाने वाले भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या पिछले साल के मुकाबले 9 हजार घट गई है।

विदेश में पढ़ाई करने वालों पर कोरोना ने बुरा असर डाला
इस साल की शुरुआत में जब कोरोना दुनिया में फैलना शुरू हुआ, तो दुनियाभर की यूनिवर्सिटी ने वर्चुअल क्लासेस शुरू कर दी। फरवरी की शुरुआत में कई देशों ने इंटरनेशनल ट्रैवल पर बैन लगा दिया, तो कई देशों ने वीजा पर ही रोक लगा दी। इसका सबसे बुरा असर विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स पर पड़ा।

ओपन डोर्स की 2019-20 रिपोर्ट में भारत से अमेरिका जाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में कमी आई है। ये आंकड़े कोरोनाकाल से पहले के हैं। ऐसे में कोरोना के बाद के दौर में इसमें बड़ी गिरावट आने की आशंका है। वहीं, आईस्कूल कनेक्ट के एक सर्वे में ये बात सामने आई कि कोरोना के बाद भी देश के हर 100 में से 91 स्टूडेंट विदेश जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं।

हालांकि, अब ये स्टूडेंट अमेरिका, कनाडा जैसे देशों की जगह न्यूजीलैंड, आयरलैंड और जर्मनी जैसे देशों में जाकर पढ़ना चाहते हैं। आईस्कूल कनेक्ट के हेड ऑफ स्टूडेंट सक्सेस एंजल अहमद कहते हैं, '2020 की शुरुआत से ही विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या कम होने लगी थी। नतीजतन, दुनियाभर की यूनिवर्सिटी ऑनलाइन एजुकेशन की तरफ आ गईं। हालांकि, कई पढ़ाई में ऑनलाइन एजुकेशन कारगर भी नहीं है। इसलिए, अब कॉलेज-यूनिवर्सिटी कोशिश कर रहे हैं कि स्टूडेंट दोबारा कैंपस आकर ही पढ़ाई करें।' हालांकि, कोरोना के दौर में अहमद ऑनलाइन एजुकेशन को ही सही मानते हैं।



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Indian China Students USA Update | How Many Students Enter America In 2020-2019?


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एक्टिव केस 4.5 लाख से भी कम रह गए, लेकिन दिल्ली और केरल में संक्रमण की तेज रफ्तार ने चिंता बढ़ाई

देश में कोरोना के नए मामलों में काफी गिरावट देखी जा रही है साथ ही एक्टिव केस में भी कमी हो रही है, लेकिन दिल्ली और केरल में संक्रमण की रफ्तार तेज होती जा रही है। मंगलवार को देश में कुल 38 हजार 478 केस सामने आए, इसके मुकाबले 44 हजार 671 मरीज ठीक हो गए। 471 मरीजों की मौत हुई। एक्टिव केस में 6 हजार 672 की कमी आई।

उधर, दिल्ली में बीते 17 दिनों में ही 1 लाख 3 हजार, केरल में 93 हजार 370 केस आए हैं। महाराष्ट्र में 68 हजार 734, पश्चिम बंगाल में 60 हजार 566, हरियाणा में 35 हजार 597, जबकि राजस्थान में 31 हजार 433 मरीज मिले हैं।

17 दिन में दिल्ली में बढ़े 1 लाख केस, केरल में 93 हजार मरीज मिले

राज्य नए केस
दिल्ली 1.03 लाख
केरल 93,370
महाराष्ट्र 68,734
प.बंगाल 60,566
हरियाणा 35,597
राजस्थान 31,433

*आंकड़े 1 से 17 नवंबर तक के हैं।

*इन 17 दिनों में देश के 6 राज्यों में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए।

देश में अब तक 89.12 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 83.33 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.31 लाख संक्रमितों की मौत हो गई है। 4 लाख 46 हजार मरीजों का इलाज चल रहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- त्योहारों में खूब लापरवाही हुई

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि त्योहारों के दौरान देशभर में लोगों ने काफी लापरवाही बरती है। इसके नतीजे अब देखने को मिलेंगे। मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि अभी मरीजों के आंकड़े कम हुए हैं, लेकिन अगले दो हफ्ते काफी अहम हैं। इस दौरान कोरोना के केस घटने की बजाय बढ़ सकते हैं।

मंत्रालय ने दिल्ली में केस बढ़ने और मौतों की संख्या में हुए इजाफे पर भी चिंता जताई। कहा कि केस बढ़ने की वजह टेस्टिंग की संख्या स्थिर होना है। जून में औसतन 50-57 हजार टेस्ट दिल्ली में होते थे। इसके बाद टेस्टिंग दर बढ़ने की बजाय स्थिर हो गई। इस बीच, बड़ी संख्या में लोग ट्रेस नहीं हो पाए और कोरोना फैलता रहा। अब केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से टेस्टिंग बढ़ाने को कहा है। हर दिन 1 लाख से 1.20 लाख टेस्ट होंगे।

स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR ने क्या कहा?

  • दिल्ली में अब 3500 ICU बेड्स उपलब्ध हैं। इसे अगले कुछ दिनों में 6 हजार करना है। दो दिनों के अंदर 537 नए ICU बेड्स सरदार पटेल कोविड हॉस्पिटल में तैयार किए गए हैं।
  • सीरम इंस्टीट्यूट का वैक्सीन तीसरे फेज के ट्रायल में है। अभी कुल 5 वैक्सीन ट्रायल फेज में हैं। इनमें 2 का फाइनल ट्रायल शुरू हो गया है।
  • देश में रिकवरी रेट 93% हो गया है। पिछले हफ्ते हर दिन औसतन 46,700 लोग ठीक हुए। औसतन 40 हजार 300 नए केस सामने आए।
  • अब तक 12 करोड़ 65 लाख टेस्ट हो चुके हैं।
  • देश में ओवरऑल 7% की दर से केस मिले। अब डेली पॉजिटिविटी रेट 4.1% है।
  • पिछले हफ्ते हर 10 लाख की आबादी में 211 नए केस मिले। ये आंकड़ा अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है।

कोरोना अपडेट्स

  • कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई राज्यों ने सार्वजनिक जगहों पर छठ पूजा करने पर रोक लगा दी है। इनमें दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और महाराष्ट्र शामिल हैं। राज्य सरकारों ने कहा है कि छठ पूजा के दिन कोई भी सार्वजनिक नदियों, तालाबों पर पूजा नहीं कर सकता है।
  • आदेश के मुताबिक, श्रद्धालु अपने घर में ही पूजा कर सकते हैं। उधर, झारखंड सरकार ने भारी विरोध के चलते छठ पूजा पर लगी रोक हटा ली है। सोमवार को ही आदेश जारी कर हेमंत सोरेन सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा करने पर रोक लगाई थी।
  • दिल्ली में कोरोना के केस लगातार बढ़ने से सरकार की चिंता बढ़ गई है। दिल्ली सरकार बाजार बंद करने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि कोरोना रोकने के लिए छोटे स्तर पर लॉकडाउन भी लगाया जा सकता है।
  • दिल्ली में अब शादी में 200 की जगह सिर्फ 50 लोग ही शामिल हो सकेंगे। दिल्ली सरकार ने इसको लेकर केंद्र को प्रस्ताव भेजा है। दो दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में कोरोना के हालात की समीक्षा की थी।
  • दिल्ली से नोएडा की तरफ जाने वाले लोगों का अब रैंडम टेस्ट होगा। नोएडा जिला प्रशासन ने इसके लिए आदेश जारी कर दिया है। दिल्ली-यूपी सीमा पर ही लोगों को रोककर टेस्ट कराए जाएंगे।

5 राज्यों का हाल

1. दिल्ली

राज्य में मंगलवार को 6396 नए मरीज मिले। 4421 लोग रिकवर हुए और 99 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक 4 लाख 95 हजार 598 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 42 हजार मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 45 हजार 782 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 7812 मरीजों की मौत हो चुकी है।

2. मध्यप्रदेश

पिछले 24 घंटे के अंदर प्रदेश में 922 लोग संक्रमित मिले। 848 लोग रिकवर हुए और 10 की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 85 हजार 446 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 9060 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 73 हजार 284 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 3102 हो गई है।

3. राजस्थान

राज्य में मंगलवार को 2194 लोग संक्रमित पाए गए। 1834 लोग रिकवर हुए और 11 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 30 हजार 180 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 19 हजार 33 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 9 हजार 58 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2089 हो गई है।

4. महाराष्ट्र

मंगलवार को 2732 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 5123 लोग रिकवर हुए और 68 मरीजों की मौत हुई। अब तक 17 लाख 52 हजार 509 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 81 हजार 925 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 23 हजार 503 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 46 हजार 102 हो गई है।

5. उत्तरप्रदेश

मंगलवार को राज्य में 1420 नए मरीज मिले। 1838 लोग रिकवर हुए और 19 की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 14 हजार 270 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 22 हजार 166 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 84 हजार 692 लोग ठीक हो चुके हैं और 7314 मरीजों की मौत हो चुकी है।



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आज से छठ पर्व की शुरुआत हो गई है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए इसे सार्वजनिक रूप से नहीं मनाने का आदेश दिया है। यहां रहने वाले पूर्वांचल के लोग इसका विरोध कर रहे हैं।


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एक्टिव केस 4.5 लाख से भी कम रह गए, लेकिन दिल्ली और केरल में संक्रमण की तेज रफ्तार ने चिंता बढ़ाई

देश में कोरोना के नए मामलों में काफी गिरावट देखी जा रही है साथ ही एक्टिव केस में भी कमी हो रही है, लेकिन दिल्ली और केरल में संक्रमण की रफ्तार तेज होती जा रही है। मंगलवार को देश में कुल 38 हजार 478 केस सामने आए, इसके मुकाबले 44 हजार 671 मरीज ठीक हो गए। 471 मरीजों की मौत हुई। एक्टिव केस में 6 हजार 672 की कमी आई।

उधर, दिल्ली में बीते 17 दिनों में ही 1 लाख 3 हजार, केरल में 93 हजार 370 केस आए हैं। महाराष्ट्र में 68 हजार 734, पश्चिम बंगाल में 60 हजार 566, हरियाणा में 35 हजार 597, जबकि राजस्थान में 31 हजार 433 मरीज मिले हैं।

17 दिन में दिल्ली में बढ़े 1 लाख केस, केरल में 93 हजार मरीज मिले

राज्य नए केस
दिल्ली 1.03 लाख
केरल 93,370
महाराष्ट्र 68,734
प.बंगाल 60,566
हरियाणा 35,597
राजस्थान 31,433

*आंकड़े 1 से 17 नवंबर तक के हैं।

*इन 17 दिनों में देश के 6 राज्यों में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए।

देश में अब तक 89.12 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 83.33 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.31 लाख संक्रमितों की मौत हो गई है। 4 लाख 46 हजार मरीजों का इलाज चल रहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- त्योहारों में खूब लापरवाही हुई

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि त्योहारों के दौरान देशभर में लोगों ने काफी लापरवाही बरती है। इसके नतीजे अब देखने को मिलेंगे। मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि अभी मरीजों के आंकड़े कम हुए हैं, लेकिन अगले दो हफ्ते काफी अहम हैं। इस दौरान कोरोना के केस घटने की बजाय बढ़ सकते हैं।

मंत्रालय ने दिल्ली में केस बढ़ने और मौतों की संख्या में हुए इजाफे पर भी चिंता जताई। कहा कि केस बढ़ने की वजह टेस्टिंग की संख्या स्थिर होना है। जून में औसतन 50-57 हजार टेस्ट दिल्ली में होते थे। इसके बाद टेस्टिंग दर बढ़ने की बजाय स्थिर हो गई। इस बीच, बड़ी संख्या में लोग ट्रेस नहीं हो पाए और कोरोना फैलता रहा। अब केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से टेस्टिंग बढ़ाने को कहा है। हर दिन 1 लाख से 1.20 लाख टेस्ट होंगे।

स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR ने क्या कहा?

  • दिल्ली में अब 3500 ICU बेड्स उपलब्ध हैं। इसे अगले कुछ दिनों में 6 हजार करना है। दो दिनों के अंदर 537 नए ICU बेड्स सरदार पटेल कोविड हॉस्पिटल में तैयार किए गए हैं।
  • सीरम इंस्टीट्यूट का वैक्सीन तीसरे फेज के ट्रायल में है। अभी कुल 5 वैक्सीन ट्रायल फेज में हैं। इनमें 2 का फाइनल ट्रायल शुरू हो गया है।
  • देश में रिकवरी रेट 93% हो गया है। पिछले हफ्ते हर दिन औसतन 46,700 लोग ठीक हुए। औसतन 40 हजार 300 नए केस सामने आए।
  • अब तक 12 करोड़ 65 लाख टेस्ट हो चुके हैं।
  • देश में ओवरऑल 7% की दर से केस मिले। अब डेली पॉजिटिविटी रेट 4.1% है।
  • पिछले हफ्ते हर 10 लाख की आबादी में 211 नए केस मिले। ये आंकड़ा अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है।

कोरोना अपडेट्स

  • कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई राज्यों ने सार्वजनिक जगहों पर छठ पूजा करने पर रोक लगा दी है। इनमें दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और महाराष्ट्र शामिल हैं। राज्य सरकारों ने कहा है कि छठ पूजा के दिन कोई भी सार्वजनिक नदियों, तालाबों पर पूजा नहीं कर सकता है।
  • आदेश के मुताबिक, श्रद्धालु अपने घर में ही पूजा कर सकते हैं। उधर, झारखंड सरकार ने भारी विरोध के चलते छठ पूजा पर लगी रोक हटा ली है। सोमवार को ही आदेश जारी कर हेमंत सोरेन सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा करने पर रोक लगाई थी।
  • दिल्ली में कोरोना के केस लगातार बढ़ने से सरकार की चिंता बढ़ गई है। दिल्ली सरकार बाजार बंद करने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि कोरोना रोकने के लिए छोटे स्तर पर लॉकडाउन भी लगाया जा सकता है।
  • दिल्ली में अब शादी में 200 की जगह सिर्फ 50 लोग ही शामिल हो सकेंगे। दिल्ली सरकार ने इसको लेकर केंद्र को प्रस्ताव भेजा है। दो दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में कोरोना के हालात की समीक्षा की थी।
  • दिल्ली से नोएडा की तरफ जाने वाले लोगों का अब रैंडम टेस्ट होगा। नोएडा जिला प्रशासन ने इसके लिए आदेश जारी कर दिया है। दिल्ली-यूपी सीमा पर ही लोगों को रोककर टेस्ट कराए जाएंगे।

5 राज्यों का हाल

1. दिल्ली

राज्य में मंगलवार को 6396 नए मरीज मिले। 4421 लोग रिकवर हुए और 99 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक 4 लाख 95 हजार 598 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 42 हजार मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 45 हजार 782 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 7812 मरीजों की मौत हो चुकी है।

2. मध्यप्रदेश

पिछले 24 घंटे के अंदर प्रदेश में 922 लोग संक्रमित मिले। 848 लोग रिकवर हुए और 10 की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 85 हजार 446 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 9060 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 73 हजार 284 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 3102 हो गई है।

3. राजस्थान

राज्य में मंगलवार को 2194 लोग संक्रमित पाए गए। 1834 लोग रिकवर हुए और 11 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 30 हजार 180 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 19 हजार 33 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 9 हजार 58 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2089 हो गई है।

4. महाराष्ट्र

मंगलवार को 2732 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 5123 लोग रिकवर हुए और 68 मरीजों की मौत हुई। अब तक 17 लाख 52 हजार 509 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 81 हजार 925 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 23 हजार 503 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 46 हजार 102 हो गई है।

5. उत्तरप्रदेश

मंगलवार को राज्य में 1420 नए मरीज मिले। 1838 लोग रिकवर हुए और 19 की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 14 हजार 270 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 22 हजार 166 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 84 हजार 692 लोग ठीक हो चुके हैं और 7314 मरीजों की मौत हो चुकी है।



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आज से छठ पर्व की शुरुआत हो गई है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए इसे सार्वजनिक रूप से नहीं मनाने का आदेश दिया है। यहां रहने वाले पूर्वांचल के लोग इसका विरोध कर रहे हैं।


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ब्रिटेन में एक दिन में 598 संक्रमितों की मौत, इटली में 24 घंटे में 32 हजार नए केस

दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा शुक्रवार को 5.59 करोड़ के पार हो गया। 3 करोड़ 89 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 13 लाख 42 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्रिटेन की बोरिस जॉनसन सरकार के लिए कोरोना दोहरी परेशानी लेकर आया है। यहां मौतों का आंकड़ा मंगलवार को बहुत तेजी से बढ़ा। एक दिन में 598 लोगों की मौत हुई। दूसरी तरफ, कोरोना फंड के इस्तेमाल को लेकर सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

ब्रिटेन में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा
ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन सरकार ने देश के कुछ हिस्सों में पिछले हफ्ते आंशिक लॉकडाउन लगाया था। अब तक इसके अच्छे नतीजे नहीं मिले हैं। 24 घंटे के दौरान मरने वालों का आंकड़ा पिछले दिनों की तुलना में तेजी से बढ़ा। कुल 598 लोगों की मौत हुई। इसके साथ ही करीब 22 हजार नए मामले सामने आए। ब्रिटेन में अब मरने वालों का संख्या 52 हजार 745 हो गया है। खास बात ये है कि 12 मई के बाद एक दिन में मरने वालों का आंकड़ा इतनी तेजी से बढ़ा है।

ब्रिटिश एयरवेज करेगी टेस्टिंग
ब्रिटिश एयरवेज ने अमेरिका से आने वाले यात्रियों के लिए नई सुविधा शुरू की है। एयरलाइन कंपनी ने कहा है कि वो अमेरिकी एयरपोर्ट्स पर ही यात्रियों की कोरोना टेस्टिंग करेगी ताकि अगर वे संक्रमित हैं तो उन्हें सही इलाज मुहैया कराया जा सके। कंपनी ने कहा है कि इससे दूसरे यात्रियों को भी संक्रमण के खतरे से बचाया जा सकेगा। ब्रिटेन और अमेरिका के बीच अब भी करीब दस हजार रोज एयर ट्रैवल कर रहे हैं।

इटली में हालात फिर खतरनाक
मई के बाद इटली में हालात फिर चिंताजनक होते जा रहे हैं। हालांकि, यूरोप के लगभग सभी देशों में संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन, इटली में मामला गंभीर होता जा रहा है। सोमवार को यहां 27 हजार नए मामले सामने आए थे। मंगलवार को यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा और करीब 33 हजार मामले सामने आए। यहां एक दिन में ब्रिटेन से ज्यादा मौतें हुईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुल 731 लोगों की मौत हुई। इसके एक दिन पहले यानी सोमवार को कुल 504 लोगों की मौत हुई थी।

इटली के रोम में सड़कों पर आवाजाही कम हो गई है। यहां कोरोना के चलते कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं। हालांकि, सरकार ने कहा है कि सख्त लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा।

अमेरिका के नॉर्थ डकोटा में मास्क अब जरूरी
अमेरिका में संक्रमितों का आंकड़ा रविवार को एक करोड़ 10 लाख से ज्यादा हो गया। आखिरी 10 लाख केस तो महज 6 दिन में सामने आए। जबकि, पहले 10 लाख केस 100 दिन में सामने आए थे। एक करोड़ से एक करोड़ 10 लाख मामले होने में एक हफ्ते से भी कम वक्त लगा। इतना ही नहीं, हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। राज्य सरकारें भी अब सख्ती कर रही हैं। नॉर्थ डकोटा में मास्क पहनना मेंडेटरी यानी जरूरी कर दिया गया है। मिशिगन में कॉलेज, हाईस्कूल और ऑफिसों को तीन हफ्ते के लिए बंद कर दिया गया है। वॉशिंगटन में दूसरों के घरों में जाने पर रोक लगा दी गई है। रेस्टोरेंट्स और बार भी बंद रहेंगे।

कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात

देश

संक्रमित मौतें ठीक हुए
अमेरिका 11,693,878 254,250 7,079,739
भारत 8,912,704 131,031 8,333,013
ब्राजील 5,911,758 166,743 5,361,592
फ्रांस 2,036,755 46,273 143,152
रूस 1,971,013 33,931 1,475,904
स्पेन 1,535,058 41,688 उपलब्ध नहीं
यूके 1,410,732 52,745 उपलब्ध नहीं
अर्जेंटीना 1,329,005 36,106 1,148,833
इटली 1,238,072 46,464 457,798
कोलंबिया 1,211,128 34,381 1,118,902

आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।



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लंदन के एक हॉस्पिटल के लैब में मौजूद टेक्निशियन। ब्रिटेन में 12 मई के बाद मंगलवार को सबसे ज्यादा संक्रमितों की मौत हुई। मंगलवार को कुल 598 लोगों ने कोरोना के चलते दम तोड़ दिया।


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डिजिटल मीडिया के नियमन में सरकार अब भी बहुत पीछे है

सन 1991 में भारत में उदारीकरण के साथ विश्व में वेबसाइट के चलन की शुरुआत हुई। उसके 30 साल बाद अब भारत समेत पूरा संसार लगभग 1.8 अरब वेबसाइट्स और 45 लाख एप्स के नागपाश में बंध-सा गया है। सबसे बड़ा बाज़ार होने के बावजूद भारत में सरकार, संसद व सुप्रीम कोर्ट, इंटरनेट की प्रचंडता को समझने में विफल रहे हैं।

इसकी एक मिसाल केंद्र सरकार की नई अधिसूचना है, जिससे ऑनलाइन समाचार और ओटीटी सामग्री को अब सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन कर दिया गया है। इंटरनेट की दुनिया में भारत के आईटी इंजीनियर विश्व का नेतृत्व कर रहे हैं। लेकिन इस सरकारी अधिसूचना से ऐसा लग रहा है कि नौकरशाही ने इंटरनेट नियमन के प्ले ग्रुप में पहला कदम ही रखा है।

अभिव्यक्ति की आज़ादी को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकने वाले इस बड़े कदम से सरकार की मंशा के साथ तीन बड़े संवैधानिक सवाल खड़े होते हैं। संविधान के अनुच्छेद 77 के तहत जारी इस अधिसूचना से यह स्पष्ट नहीं है कि 9 नवंबर के पहले सरकार का कौन-सा मंत्रालय ऑनलाइन न्यूज़ और ओटीटी कंटेंट का नियमन कर रहा था।

अगर यह विषय नए तरीके से सूचना और प्रसारण मंत्रालय को आवंटित किया गया है तो फिर पिछले कई वर्षों से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सामने भारत सरकार की तरफ से हलफनामे और जवाब किस मंत्रालय की तरफ से फाइल किए जा रहे थे?

दूसरा बड़ा सवाल यह है कि फेसबुक, गूगल, ट्विटर व नेटफ्लिक्स जैसी विदेशी कंपनियों पर भारत सरकार के नियम कैसे लागू किए जाएंगे? अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल कंपनियों को नियमों से परे रखकर, यदि भारत के डिजिटल मीडिया को ही इन नए नियमों के तहत निशाना बनाया गया तो फिर सिंगापुर और दुबई की कंपनियों के माध्यम से भारत के डिजिटल मीडिया पर वर्चस्व रखने का चलन और बढ़ जाएगा। तीसरा, डिजिटल मीडिया के नियमन में सरकारी महकमों में अंधेरे के साथ भारी कनफ्यूजन भी है।

कंटेंट का अधिकार सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास आ गया लेकिन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के नियमन का अधिकार किस मंत्रालय के पास है, यह पूरे ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स में नहीं दिखता। कैबिनेट सचिवालय द्वारा नोटिफाई इन नियमों को देखें तो दूरसंचार और ब्रॉडकास्टिंग से जुड़े मामले दूरसंचार विभाग के अधीन आते हैं जबकि साइबर और आईटी कानून से जुड़े मामले आईटी मिनिस्ट्री के अधीन हैं। विदेशी मीडिया और मनोरंजन की कंपनियां भारत में जो व्यापार करती हैं उससे जुड़े विदेशी व्यापार और एफडीआई से जुड़े मामले वाणिज्य मंत्रालय के तहत आते हैं।

डिजिटल कंपनियों पर टैक्स का मामला वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है। विदेशी कंपनियों से संपर्क करने के लिए विदेश मंत्रालय की मदद लेनी होती है, जबकि विदेशी कंपनियों के खिलाफ भारत में कार्रवाई का अधिकार राज्यों की पुलिस और केंद्रीय गृह मंत्रालय के कार्यक्षेत्र में ही आता है।

पंचतंत्र और जातक कथाओं में आंखों में पट्टी बांधे उस विद्वान से हम सभी वाकिफ हैं, जो हाथी की सूंड को टटोलकर उसे सांप बताता है। उसी तर्ज़ पर डिजिटल के प्रति नौकरशाही के टटोलू रवैये की वजह से क़ानून के राज के साथ अर्थव्यवस्था भी चौपट हो रही है।

संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की आज़ादी के हक़ को समानता के अधिकार के साथ देखना जरूरी है। इसलिए प्रिंट व टीवी मीडिया की तर्ज पर डिजिटल मीडिया का नियमन करना सरकार का संवैधानिक उत्तरदायित्व है। इसके लिए सरकार को सभी मंत्रालयों के सहयोग से पांच महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे।

पहला, भारत में रेहड़ी से लेकर छोटी-बड़ी दुकानों को कई तरह का रजिस्ट्रेशन कराना होता है। उसी तरह से भारत में व्यापार कर रही हर वेबसाइट, एप या डिजिटल कंपनी के केंद्रीकृत स्तर पर रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था बननी चाहिए।

प्रिंट व टीवी मीडिया की तर्ज पर डिजिटल कंपनियों के संपादक की वैधानिक जवाबदेही तय करने के लिए इंटरमीडियरी नियमों में बदलाव जरूरी है, जो आईटी मंत्रालय के पास कई सालों से लंबित है। दूसरा, सरकार से विज्ञापन या फिर डाटा शेयरिंग का लाभ लेने वाली कंपनियों को चीन और अमेरिका की बजाय, भारत के संविधान और नियमों के तहत काम करने की अनिवार्यता होनी चाहिए।

तीसरा, अमेरिका में एफसीसी के पास रेडियो, टीवी, वायर, सैटेलाइट और केबल के नियमन का अधिकार है। भारत में भी उसी तर्ज पर वैधानिक अधिकारों के साथ केंद्रीय नियामक का गठन हो तो राज्यों की मनमर्जी और दमन में कमी आएगी।

चौथा, गूगल, फेसबुक, ट्विटर, अमेज़न, नेटफ्लिक्स और यू-ट्यूब जैसी न्यूज़ व मनोरंजन परोसने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारत में आर्थिक जवाबदेही तय होनी चाहिए। उनकी भारीभरकम आमदनी से सरकार को टैक्स के साथ यूजर्स और परंपरागत मीडिया को भी आर्थिक लाभ मिले तो अर्थव्यवस्था में जान भी आएगी।

पांचवां, सोशल मीडिया में फर्जी फालोअर्स और यूजर्स के माध्यम से फेक न्यूज़ और हेट न्यूज़ फैलाना संविधान और लोकतंत्र दोनों के साथ घिनौना मजाक है। इससे निपटने के लिए आईटी एक्ट और आईपीसी के तहत सख्त कानून और पुख्ता व्यवस्था बनाई जाए तो फिर सही अर्थों में कानून का शासन लागू होगा।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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विराग गुप्ता, सुप्रीम कोर्ट के वकील


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गुपकार पर शाह का वार; MP में लव जिहाद पर सख्त हुई सरकार; दिल्ली में चुनौती बना कोरोना

नमस्कार!
त्यौहारों के बीच कोरोना को रोकना सरकारों के लिए चुनौती बना हुआ है। दिल्ली में सरकार बाजार बंद करने की तैयारी कर रही है। वहां शादी में भी 200 की जगह सिर्फ 50 लोग ही शामिल हो सकेंगे। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…

  • BSE का मार्केट कैप 170 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 52% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 3,002 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,567 के शेयर बढ़े और 1,252 के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • सूर्य उपासना के महापर्व छठ की आज नहाय-खाय के साथ शुरुआत होगी।
  • मेडिकल एडमिशन के लिए नीट काउंसलिंग का सेकेंड फेज शुरू होगा।
  • दिल्ली यूनिवर्सिटी में पीजी कोर्सेस में एडमिशन प्रोसेस आज से शुरू होगी।

देश-विदेश

गुपकार पर सरकार
जम्मू-कश्मीर में बने गुपकार अलायंस पर भाजपा के हमले जारी हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि गुपकार गैंग जम्मू-कश्मीर में विदेशी ताकतों का दखल चाहता है। उन्होंने पूछा कि क्या सोनिया और राहुल गांधी इनका समर्थन करते हैं?

MP में लव जिहाद पर कानून
मध्यप्रदेश सरकार लव जिहाद पर कानून बनाएगी। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि लव जिहाद रोकने के लिए मध्यप्रदेश सरकार धर्म स्वातंत्र्य कानून बना रही है। विधानसभा सत्र में इसके लिए विधेयक लाया जाएगा। कानून बनने पर गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज होगा और 5 साल की सजा दी जाएगी।

दिल्ली में आतंकी साजिश नाकाम
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोमवार रात दो आतंकियों को गिरफ्तार किया। दोनों आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हुए हैं। ये जम्मू-कश्मीर के बारामूला और कुपवाड़ा के रहने वाले हैं। ये वॉट्सऐप ग्रुप पर पाकिस्तानी आतंकियों के संपर्क में थे। दोनों से दस्तावेज और विस्फोटक मिले हैं।

उत्तर प्रदेश में डबल मर्डर
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में डबल मर्डर का मामला सामने आया है। यहां 12 और 8 साल की दो सगी बहनों के शव सोमवार रात गांव के बाहर तालाब में मिले। परिजन के मुताबिक, दोनों के सिर और कान पर धारदार हथियार से चोट के निशान थे। बच्चियों की एक-एक आंख भी फोड़ दी गई थी। परिजन ने दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंका जताई है। जबकि पुलिस डूबकर मौत होने की बात कह रही थी।

दर्दनाक दिवाली
इलाहाबाद से भाजपा सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी की 8 साल की पोती किया की सोमवार रात को मौत हो गई। किया दिवाली की रात पटाखा जलाने के दौरान झुलस गई थी। जिस वक्त बच्ची झुलसी, तो उसकी चीखों को घरवाले बच्चों का शोर समझते रहे। प्रयागराज के अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। उसे दिल्ली ले जाने की तैयारी थी, लेकिन उससे पहले ही किया ने दम तोड़ दिया। किया, सांसद के बेटे मयंक की बेटी थी।

ओबामा के निशाने पर कांग्रेस
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की किताब ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ एक हफ्ते में दूसरी बार चर्चा में है। किताब के मुताबिक, सोनिया ने मनमोहन सिंह को इसलिए प्रधानमंत्री बनाया, क्योंकि वे चाहती थीं कि राहुल गांधी के लिए भविष्य में कोई चुनौती खड़ी न हो। चार दिन पहले इसी किताब का एक और हिस्सा सामने आया था, जिसमें राहुल गांधी की कमजोरियों का जिक्र किया गया था।

भास्कर एक्सप्लेनर
फाइजर के बाद अब मॉडर्ना ने भी अपने कोरोना वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल्स के नतीजों की घोषणा कर दी है। मॉडर्ना का वैक्सीन 94.5% तक इफेक्टिव है, जबकि फाइजर का वैक्सीन 90% इफेक्टिव। यह दोनों ही वैक्सीन मैसेंजर-DNA यानी mDNA टेक्नोलॉजी पर विकसित किए गए हैं।

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आज की पॉजिटिव खबर
गुजरात के आणंद के रहने वाले दीपेन शाह पिता के साथ तंबाकू की खेती करते थे। इसमें फायदा नहीं हुआ, तो सब्जियां उगाईं। आखिर में उन्होंने सहजन की खेती शुरू की। अब वह इसकी पत्तियों और फलियों से पाउडर तैयार करके मार्केट में बेचते हैं। इससे सालाना 40 लाख रु की कमाई हो रही है।

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सुर्खियों में और क्या है...

  • पीएम मोदी ने ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में कहा- आतंकवाद सबसे बड़ी समस्या है। आतंक का समर्थन करने वाले देशों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से टीवी और दूसरे मीडियम के कंटेंट पर ध्यान देने के लिए मैकेनिज्म बनाने को कहा।
  • अमेरिका में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा एक करोड़ 10 लाख से ज्यादा हो गया। यहां आखिरी 10 लाख केस महज 6 दिन में सामने आए।
  • क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) ने कोरोना से बचाने के लिए खिलाड़ियों को एयरलिफ्ट किया। ये खिलाड़ी भारत के खिलाफ होने वाली सीरीज में शामिल होंगे।


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बच्चों को सुख-सुविधा से ज्यादा ज्ञान और अच्छे संस्कार दें, आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें

कहानी- बच्चों के पालन-पोषण में क्या करें और क्या नहीं, ये महाभारत के दो परिवारों से समझ सकते हैं। एक परिवार था कौरवों का और दूसरा पांडवों का। कौरवों के पास सुख-सुविधा की हर चीज थी, हर काम करने के लिए नौकर थे। वहीं, पांडवों का बचपन अभावों में बीता।

महाराज पांडु और माद्री की मौत के बाद कुंती ने अकेले ही युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल-सहदेव को पाला। धर्म-अधर्म का ज्ञान दिया, अच्छे संस्कार दिए और अपना हर काम खुद करना सिखाया। पांडवों का बचपन जंगल में गुजरा क्योंकि महाराज पांडु एक ऋषि के शाप के कारण अपना राज्य बड़े भाई धृतराष्ट्र को सौंपकर संन्यासी जीवन जीने जंगल में आ गए थे। उनके पांचों पुत्रों का जन्म भी यहीं हुआ।

पांडवों के जीवन में कई बड़ी-बड़ी समस्याएं आईं, लेकिन कुंती के संस्कारों का ही असर था कि वे सभी विपरीत समय में भी धर्म के रास्ते से नहीं हटे। इसी वजह से उन्हें श्रीकृष्ण का साथ मिला। दूसरी ओर, धृतराष्ट्र और गांधारी ने अपनी संतानों को सब कुछ दिया, लेकिन अच्छे संस्कार नहीं दिए। दुर्योधन के अच्छे-बुरे कामों पर नजर नहीं रखी। उन्हें अपने बच्चों से बहुत ज्यादा प्रेम था। इसी प्यार की वजह से धृतराष्ट्र दुर्योधन के अधर्म पर भी हमेशा मौन रहे।

परिणाम सब जानते हैं। महाभारत युद्ध हुआ। दुर्योधन भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे योद्धाओं पर निर्भर था। जबकि, पांडव किसी और पर निर्भर नहीं थे। युद्ध में पूरा कौरव वंश खत्म हो गया। पांडवों की जीत हुई, क्योंकि उनके पास अच्छे संस्कार थे, धर्म की वजह से श्रीकृष्ण का साथ था।

सीख - बच्चों के अच्छे जीवन के लिए सुख-सुविधा से ज्यादा अच्छी शिक्षा जरूरी है। बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएं, ताकि भविष्य में वे किसी और निर्भर न रहें।



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दिल्ली में फिर लग सकता है लॉकडाउन, ज्यादातर अस्पतालों में बेड फुल, 116 वेंटिलेटर बचे

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने सोमवार को कोरोना को लेकर कई जरूरी बातें कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर का पीक निकल चुका है। बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश में दोबारा लॉकडाउन लगाए जाने की आशंकाओं को नकारते हुए उन्होंने कहा, 'जब लॉकडाउन किया गया था तो हम सीखने की प्रक्रिया में थे। उस लॉकडाउन से जो सीख मिली, उसका फायदा लेना है, वो मास्क से भी लिया जा सकता है। इसलिए लॉकडाउन का कोई चांस नहीं है।'

दिल्ली सरकार की तरफ से इस बात को कहे 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए थे कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस वार्ता करते हुए इन सभी बातों को खारिज कर दिया। मंगलवार को उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना के मामले अगर इसी तेजी से बढ़ते रहे तो शहर के कई प्रमुख बाजार दोबारा बंद किए जा सकते हैं। इसके साथ ही शादी समारोह जैसे आयोजनों में जहां दो सौ लोगों तक को शामिल होने की अनुमति दी गई थी, वहीं अब इसे घटाकर केवल 50 लोगों तक ही सीमित किया जा रहा है।

दिल्ली सरकार को यह फैसला लेने की जरूरत क्यों पड़ी, इसे कुछ आंकड़ों से समझा जा सकता है। अक्टूबर महीने में अंत में दिल्ली में कुल 3113 कंटेनमेंट जोन थे। लेकिन, बीते एक पखवाड़े में ही यह संख्या 4430 हो गई है। यानी सिर्फ दो हफ्तों में ही करीब 1317 नए कंटेनमेंट जोन बनाने पड़े हैं।

यह इसलिए कि बीते दिनों में दिल्ली में प्रतिदिन कोरोना से सात-आठ हजार नए मामले सामने आए हैं। प्रदेश में जिस तेजी से कोरोना के मामले बढ़े हैं, उसी तेजी से अस्पतालों में उपलब्ध बेड की संख्या कम हुई है। विशेषतौर से आईसीयू वाले बेड बेहद कम बचे हैं और दिल्ली सरकार के लिए यही सबसे बड़ी चिंता की बात है।

दिल्ली में कोरोना से होने वाली मौतों में भी तेजी आई है। बीते कुछ दिनों हर रोज 90 से ज्यादा लोगों की जान जा रही है।

दिल्ली सरकार के ही आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार की दोपहर तक प्रदेश के कुल 1331 वेंटिलेटर बेड में से 1215 भर चुके हैं और अब सिर्फ 116 वेंटिलेटर ही उपलब्ध हैं। अस्पतालों की बात करें तो लगभग सभी बड़े निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर वाले बेड उपलब्ध नहीं है।

बत्रा हॉस्पिटल, मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग, महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल, अपोलो हॉस्पिटल, मैक्स हॉस्पिटल पड़पड़गंज फोर्टिस हॉस्पिटल वसंतकुंज और मूलचंद जैसे बड़े निजी अस्पतालों में आज एक भी वेंटिलेटर वाला बेड उपलब्ध नहीं है। अन्य निजी अस्पतालों में भी गिने-चुने ही बेड बचे हैं और ये बेहद तेजी से भर रहे हैं।

सरकारी अस्पतालों की स्थिति में लगभग ऐसी ही बनी हुई है। कई अस्पताल के बेड भर चुके हैं और बाकियों में चार-पांच वेंटिलेटर बेड ही बाकी रह गए हैं। यहां तक कि दुनिया का सबसे बड़े कोविड सेंटर, सरदार पटेल कोविड आर्मी हॉस्पिटल में भी एक भी वेंटिलेटर बेड खाली नहीं रह गया है। बिना वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड भी कुल 2235 में से अब सिर्फ 301 ही खाली रह गए हैं।

तेजी से कम हो रहे आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की समस्या के लिए दिल्ली सरकार ने केंद्र से भी मदद मांगी है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने हाल ही में एक प्रेस वार्ता में बताया है कि केंद्र ने दिल्ली में 750 नए आईसीयू बेड देने का आश्वासन दिया है। दिल्ली में कोरोना से होने वाली मौतों में भी तेजी आई है।

बीते कुछ दिनों हर रोज 90 से ज्यादा लोगों की जान जा रही है। 15 नवंबर को जारी हुए हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, दिल्ली में इस वक्त कोरोना से होने वाली मृत्यु दर 1.23% है। इसके अलावा कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 15.33% तक हो चुका है।

बीते दिनों में दिल्ली में प्रतिदिन कोरोना से सात-आठ हजार नए मामले सामने आए हैं।

कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि दिल्ली में प्रदूषण का बढ़ना और त्योहारों में लोगों का कोरोना के नियमों का खुलकर उल्लंघन करना भी इस तेजी का बड़ा कारण है। स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाली संस्था चैरिटी बेड्स से जुड़े ललित भाटिया बताते हैं, ‘बीते दिनों बाजारों में जो भीड़ उमड़ कर आई है उससे संक्रमण तेजी से बढ़ा है। लोग अब लापरवाह हो रहे हैं और यह सही नहीं है। प्रदेश में स्थिति काफी गम्भीर हैं क्योंकि अस्पताल अब खाली नहीं रह गए हैं और जिन लोगों को कोरोना के चलते अस्पताल जाने की नौबत आ रही है, उनके लिए मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं।’

केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों के लिए ये अनिवार्य किया है कि कहीं भी लॉकडाउन लगाने से पहले राज्यों को केंद्र से इसकी अनुमति लेनी होगी। दिल्ली सरकार ने इसी अनुमति के लिए उपराज्यपाल को लिखा है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा है कि बड़े बाजारों में अगर भीड़ ऐसे ही बढ़ती रही और कोरोना के मामले नियंत्रण से बाहर हुए तो बड़े बाजारों में दोबारा लॉकडाउन करना पड़ सकता है।

दूसरी तरफ व्यापारी वर्ग का कहना है कि लॉकडाउन इसका समाधान नहीं है और लोगों को कोरोना के साथ रहना सीखना होगा। सरोजिनी नगर मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप साहनी का कहना है कि लॉकडाउन ने पहले ही व्यापारी वर्ग को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। अगर दोबारा ये हुआ तो अर्थव्यवस्था ठप होने के साथ ही व्यापारी वर्ग पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोग भी लॉकडाउन की पैरवी करते कम ही मिलते हैं। लेकिन कई लोग ये जरूर मानते हैं कि आंशिक तौर से भीड़-भाड़ वाली जगहों को नियंत्रित करना जरूरी है क्योंकि आने वाले दिनों में दिल्ली में कोरोना के मामले और भी तेजी से बढ़ सकते हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में दिल्ली में प्रतिदिन 15 हजार तक नए मामले सामने आ सकते हैं और इससे होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ सकती है।



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दिल्‍ली सरकार ने एक प्रस्‍ताव केंद्र सरकार को भेजा है, जिसमें छोटे स्‍तर पर लॉकडाउन की इजाजत मांगी गई है।


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तंबाकू में घाटा हुआ तो सहजन की खेती की, इसके पाउडर से सालाना 40 लाख रु. कमा रहे

गुजरात के आनंद जिले के रहने वाले दीपेन शाह बचपन से ही खेती करना चाहते थे। 12वीं के बाद ही वो अपने पिता के साथ खेती-किसानी करने लगे। वे पिता के साथ तंबाकू की खेती करते थे। इसमें ज्यादा फायदा नहीं हो रहा था। फिर उन्होंने सब्जियों की खेती शुरू की। हालांकि, दीपेन को इसमें भी बहुत लाभ नहीं हुआ। फिर उन्होंने सहजन की खेती शुरू की। अब वो इसकी पत्तियों और फलियों से पाउडर तैयार करके मार्केट में बेचते हैं। इससे सालाना 40 लाख रु. की कमाई हो रही है।

47 साल के दीपेन कहते हैं,'जब मैं सब्जियों की खेती कर रहा था, तभी मुझे कुछ लोग मिले जो सहजन की खेती करते थे। उन्हें अच्छी कमाई होती थी। तो मैंने भी तय किया कि एक बार सहजन भी उगाया जाए। घर वालों से बात करने के बाद 2010 में सहजन की खेती शुरू की। पहली बार में ही प्रोडक्शन तो अच्छा हुआ लेकिन उस हिसाब से मार्केट नहीं मिल पाया। घर वाले इसे बंद करने की बात कहने लगे।'

वो बताते हैं कि गर्मी के सीजन में यहां सहजन खूब होता है। इसलिए उस समय मार्केट में अच्छी कीमत नहीं मिल पाती है। फिर मेरे दिमाग में एक आइडिया आया। मैंने सोचा कि जब हल्दी, मिर्च आदि का पाउडर बनाया जा सकता है तो सहजन की सूखी हुई फलियों का पाउडर क्यों नहीं बन सकता।

इसके बाद मैंने ग्राइंडर मिक्सर में फलियों को पीसकर पाउडर बनाया। इस पाउडर को अपने घर में दाल, सब्जियों में डाला। इससे उनका स्वाद और बढ़ गया। इसके बाद दीपेन ने कुछ और लोगों को भी इसका टेस्ट कराया। उन लोगों ने भी पॉजिटिव रिस्पॉन्स दिया।

दीपेन के इस काम से 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। ये लोग पत्तियों और फलियों को तोड़ने से लेकर उन्हें पाउडर तैयार करने में दीपेन की मदद करते हैं।

कुुुछ दिनों के बाद दीपेन इस पाउडर को लेकर आनंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पहुंचे। वहां इसकी न्यूट्रीशन वैल्यू निकाली गई। वहां पर एक्सपर्ट्स ने कहा कि ये तो ‘देसी पॉवरहाउस’ है। इसके आगे सभी तरह के सप्लीमेंट फेल हैं। वो कहते हैं, 'एक्सपर्ट्स की तारीफ सुनकर तो अच्छा लगा लेकिन मेरे सामने नई चुनौती ये थी कि एक किसान आदमी लोगों को कैसे समझा पाएगा कि इसकी इतनी सारी खूबियां हैं।

मार्केट कहां मिलेगा, कौन इसे खरीदेगा। उस समय सोशल मीडिया भी आज की तरह लोकप्रिय नहीं था। मेरे मन में ये बातें चल ही रहीं थी कि मुझे एक कृषि महोत्सव में जाने का मौका मिला। उस महोत्सव में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का मौका मिला। मैंने उन्हें इसकी खूबियों के बारे में बताया। करीब 15 मिनट तक हमारी बात हुई। उन्होंने मेरे काम की तारीफ की।'

कुछ दिनों बाद मुझे सीएमओ से बुलावा आया। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद मैंने उन्हें अपनी परेशानी बताई। मैंने कहा कि मुझे इसका मार्केट नहीं मिल रहा है, मैं धंधा बंद करना चाहता हूं। उन्होंने मेरी हिम्मत बढ़ाई। मुझे आज भी याद है उन्होंने कहा था मोदी सपने दिखाता नहीं है, सपने बोता है। उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार तुम्हारे साथ है, ये बिजनेस नहीं छोड़ना है।

इसके बाद गुजरात में जितने भी कृषि महोत्सव लगे मुझे उसमें शामिल होने का मौका मिला। वहां लोगों ने मेरे प्रोडक्ट को देखा। कई लोगों ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई। फिर सरकार की तरफ से मुझे पाउडर बनाने की मशीन भी मिल गई। इस तरह धीरे-धीरे कारोबार बढ़ता गया। दीपेन अभी इंडिया के साथ साथ यूरोप, अमेरिका सहित चार देशों में अपने प्रोडक्ट की सप्लाई कर रहे हैं। उनके दोनों पाउडर ऑनलाइन उपलब्ध हैं। हर साल 25 हजार टन पाउडर का प्रोडक्शन वो करते हैं।

2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपेन को पटना में सम्मानित किया था।

इसके साथ ही दीपेन उन किसानों के भी सहजन खरीदते हैं, जिन्हें मार्केट नहीं मिल पाता है। दीपेन के इस काम से 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। आगे वो बच्चों के लिए चॉकलेट, सूप जैसे प्रोडक्ट लाने की योजना बना रहे हैं। ताकि बच्चों को टेस्ट के साथ एनर्जी भी मिल सके। दीपेन को दो दर्जन से ज्यादा पुरस्कार मिल चुके हैं। पीएम मोदी से भी वो कई बार सम्मानित हो चुके हैं। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पटना में सम्मानित किया था।

क्यों खास है ये पाउडर

दीपेन बताते हैं कि 20 किलो फली से एक किलो और 7 किलो पत्तियों से एक किलो पाउडर तैयार होता है। ये दोनों ही पाउडर हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद हैं। ये एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ मेटाबॉलिज्म को भी बूस्ट करता है। इससे आप मोटापे के साथ पेट, लीवर, ब्रेन और आंखों की समस्याओं से भी बच सकते हैं। साथ ही यह कुपोषण को दूर करने में भी फायदेमंद होता है।



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गुजरात के आनंद जिले के रहने वाले दीपेन शाह सहजन की पत्तियों और फलियों का पाउडर बनाकर बेचते हैं।


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क्या 94% इफेक्टिव कोरोना वैक्सीन भी बन सकती है खतरा? जानिए सच...

फाइजर के बाद अब मॉडर्ना ने भी अपनी कोरोना वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल्स के नतीजों की घोषणा कर दी है। मॉडर्ना की वैक्सीन 94.5% तक इफेक्टिव है, जबकि फाइजर की वैक्सीन 90% इफेक्टिव। यह दोनों ही वैक्सीन मैसेंजर-DNA यानी mDNA पर बेस्ड टेक्नोलॉजी पर डेवलप की गई हैं। इस तरह के वैक्सीन मैसेंजर RNA का इस्तेमाल करते हैं, जो शरीर को बताते हैं कि किस तरह का प्रोटीन बनाना है।

मॉडर्ना ने अपनी वैक्सीन यूएस नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ हेल्थ के साथ मिलकर बनाई है और फाइजर ने बायोएनटेक-फोसन फार्मा के साथ मिलकर। लेकिन अब इस टेक्नोलॉजी पर सवाल उठ रहे हैं। अमेरिका में ही कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि यह शरीर के जेनेटिक मटेरियल को बदल देगा और विकार बनकर जिंदगीभर आपके साथ रहेगा। जो जेनेटिक नुकसान यह पहुंचाएगा, उसकी भरपाई मुश्किल होगी। विशेषज्ञों की चिंता है कि क्या इस टेक्नोलॉजी से बनी वैक्सीन सुरक्षित रहेंगी? बाकी वैक्सीन किस टेक्नोलॉजी से बन रही हैं? आइए, जानते हैं इनके जवाब-

शरीर कैसे तैयार होता है वायरस से लड़ने के लिए?

  • हमारे शरीर में गजब का सिस्टम है। कोई भी वायरस हमला करता है तो हमारा शरीर यह पहचान लेता है कि कोई बाहरी वायरस शरीर में सक्रिय हुआ है। एक इम्यून सेल जिसे एंटीजन प्रेजेंटिंग सेल (APC) कहते हैं, वह सबसे पहले वायरस को निगलता है। यह वायरल प्रोटीन के गुण दिखाता है, जिसे एंटीजन कहते हैं।
  • इससे T सेल्स सक्रिय होते हैं, जो एंटीजन को पहचानकर B सेल्स को सक्रिय करते हैं। इम्यून सेल्स तेजी से बढ़ते हैं और वायरस से लड़ते हैं। वायरस से लड़ने के प्राइमरी इम्यून रिस्पॉन्स के दौरान बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

कैसे बन रहे हैं कोरोना वैक्सीन?

वैक्सीन का मुख्य काम शरीर को इम्यून रिस्पॉन्स को पैदा करना है। वैक्सीन से शरीर में वायरस डाला जाता है, जो कमजोर या डेड हो सकता है। जो न तो मल्टीप्लाई होता है और न ही कोई नुकसान पहुंचाने की स्थिति में होता है। वैक्सीन भले ही अलग-अलग तरीके से काम करती हों, लेकिन इनका काम शरीर में एंटीजन बनाना है ताकि इम्यून सिस्टम खुद ही कोरोनावायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बना सकें। कोरोनावायरस के खिलाफ शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए छह तरह से वैक्सीन बन रही हैंः

1. जीवित वायरसः इस प्रक्रिया में ओरिजिनल वायरस में जेनेटिक बदलाव किया जाता है। उसे कमजोर और शक्तिहीन बनाकर शरीर में भेजा जाता है।
2. इनएक्टिवेटेड वायरसः वायरस को रेडिएशन, केमिकल्स या गर्मी से कमजोर किया जाता है और फिर उसे शरीर में भेजते हैं। यह निष्क्रिय वायरस न तो मल्टीप्लाई हो सकता है और न ही बीमार कर सकता है। कोरोना के खिलाफ बन रहे ज्यादातर वैक्सीन इसी प्रक्रिया से बन रहे हैं।
3. प्रोटीन सबयूनिटः इसमें कोरोनावायरस एंटीजन का एक हिस्सा या सबयूनिट होता है। इसमें कोरोनावायरस का अन्य हिस्सा नहीं होता, इस वजह से यह मल्टीप्लाई नहीं हो सकता और नुकसान पहुंचाने की स्थिति में भी नहीं होता।
4. वायरस जैसे कणः इस प्रक्रिया में वायरस जैसे कण शरीर में भेजे जाते हैं। यह दिखते तो वैसे ही हैं, लेकिन उनके अंदर का जेनेटिक मटेरियल इनमें नहीं होता। यह खोखले होते हैं, जिससे शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते।
5. DNA और RNA वैक्सीनः इन वैक्सीन में मैसेंजर RNA (mRNA) या DNA कोड होता है, जो शरीर में जाकर कोरोनावायरस प्रोटीन का वर्जन बनाते हैं। यह कोड शरीर में जाते ही एंटीजन बनाने के जेनेटिक निर्देश देता है। इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाता है और एंटीजन की पहचान कर वायरस से लड़ता है।
6. वायरल वेक्टरः DNA और RNA वैक्सीन की ही तरह वायरल वेक्टर वैक्सीन में कोरोनावायरस एंटीजन बनाने के निर्देश होते हैं। सर्दी का कारण बनने वाले एडेनोवायरस जैसे वायरस से ह्यूमन सेल को संदेश पहुंचाया जाता है। यह वायरस शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता।

mRNA वैक्सीन को लेकर क्या खतरा बताया जा रहा है?

  • फाइजर और मॉडर्ना के वैक्सीन mRNA टेक्नोलॉजी से बने हैं। इसे लेकर कई वैज्ञानिक सवाल उठा रहे हैं। रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर का कहना है कि इस टेक्नोलॉजी में वैक्सीन सीधे-सीधे मरीज के जेनेटिक मटेरियल के साथ छेड़छाड़ करता है। उस व्यक्ति के जेनेटिक मटेरियल को बदल देता है। यह प्रक्रिया अनैतिक है। इससे जो जेनेटिक नुकसान पहुंचेगा, उसे ठीक करना मुश्किल हो जाएगा। कैनेडी का कहना है कि वैक्सीन के लक्षणों का आप इलाज नहीं कर सकेंगे। हालांकि, कई विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं।

कितनी सच्चाई है mRNA वैक्सीन के खतरे की आशंका में?

  • वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन को क्लिनिकल ट्रायल्स के आधार पर लाइसेंस दिया जाता है, जिसमें शॉर्ट-टर्म सेफ्टी देखी जाती है। इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करने की क्षमता देखी जाती है। यह भी देखा जाता है कि वह किसी वायरस से बचाने में सफल हो रहे हैं या नहीं। फाइजर/बायोएनटेक के ट्रायल्स में 43,538 लोगों को वैक्सीन लगाई गई। आधे लोगों को वैक्सीन लगाई और आधे लोगों को प्लेसेबो। अप्रैल और मई में ही डोज दे दिए गए थे। अब तक लग रहा है कि उन्हें कोई साइड-इफेक्ट नहीं हुआ है।
  • इम्पीरियल कॉलेज लंदन में प्रोफेसर रॉबिन शैटॉक का कहना है कि यदि शरीर पर कोई प्रतिकूल असर पड़ना है तो वह तत्काल दिखता है, महीनों या वर्षों बाद नहीं। इसी तरह यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजिला में मेडिसिन प्रोफेसर पॉल हंटर ने कहा कि यह नए तरह का वैक्सीन है। इसके किसी कम्पोनेंट की वजह से कोई एलर्जिक हो जाए, इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन ट्रायल्स इसी के लिए तो हो रहे हैं। इसमें अगर डेटा ने पुष्टि की तो उसे वैज्ञानिक आधार पर ही मानना होगा। ऐसे में इन वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को लेकर चिंता करने का फिलहाल तो कोई कारण नहीं नजर आ रहा।


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देश में हर दिन 2.25 लाख यात्री हवाई सफर कर रहे, छह महीने में फ्लाइट ऑपरेशन ढाई गुना हुआ

मार्च में जब कोरोना के मामले बढ़ने शुरू हुए तो सरकार ने सबसे पहले वीजा सस्पेंड किए, ताकि विदेशी यात्रियों को भारत आने से रोका जा सके। उसके बाद 23 मार्च से इंटरनेशनल फ्लाइट्स और 25 मार्च से डोमेस्टिक फ्लाइट्स भी बंद कर दीं। 25 मई से डोमेस्टिक फ्लाइट्स फिर से शुरू की गईं। हालांकि, फ्लाइट्स शुरू होने के बाद भी ज्यादा पैसेंजर्स नहीं आ रहे थे।

अब हालात सुधर रहे हैं। अब फ्लाइट्स में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी है। ICICI बैंक की एक रिपोर्ट बताती है, जून में रोजाना औसतन 65 हजार से भी कम यात्री सफर कर रहे थे, लेकिन नवंबर में इनकी संख्या बढ़कर 2.25 लाख से भी ऊपर पहुंच गई है।

हमारे देश में हर साल तकरीबन 14 करोड़ डोमेस्टिक और 6 करोड़ इंटरनेशनल पैसेंजर्स हवाई यात्रा करते हैं, लेकिन कोरोना की वजह से एविएशन इंडस्ट्री की हालत खराब हो गई थी। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 2020 से 2022 के बीच इंडियन एयरलाइंस कंपनियों को 1.3 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस होने का अनुमान लगाया है। हालांकि, ICICI बैंक की रिपोर्ट अब थोड़ी राहत देती है।

पहले समझते हैं कैसे सुधर रही है एविएशन इंडस्ट्री की हालत?
1. एवरेज डेली पैसेंजरः
जून के महीने हर दिन औसत 64 हजार 396 पैसेंजर हवाई यात्रा कर रहे थे। जबकि, नवंबर के महीने में हर दिन 2.25 लाख पैसेंजर हवाई सफर कर रहे हैं।

2. एवरेज डेली डिपार्चर: जून के महीने में हर दिन औसतन 713 फ्लाइट्स उड़ान भर रही थीं। जबकि, नवंबर के महीने में हर दिन 1,738 फ्लाइट्स उड़ान भर रही हैं। यानी, छह महीने में फ्लाइट्स की संख्या करीब ढाई गुना हो गई है।

3. हर डिपार्चर पर औसत पैसेंजर: जब यात्रियों की संख्या बढ़ी है, फ्लाइट्स की संख्या बढ़ी है, तो जाहिर है कि हर फ्लाइट्स में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या भी बढ़ी ही होगी। ऐसा हुआ भी है। जून के महीने में हर फ्लाइट्स में औसतन 90 के आसपास पैसेंजर यात्रा करते थे, जबकि नवंबर के महीने में तकरीबन 110। यानी, जून से लेकर अब तक हर फ्लाइट्स में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या करीब 20 बढ़ गई है।

कोरोना इम्पैक्ट पिछले साल अगस्त तक जितने यात्रियों ने सफर किया था, इस बार उसके आधे भी नहीं आए
कोरोना ने हर इंडस्ट्री पर निगेटिव इम्पैक्ट डाला है। एविएशन इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं है। कोरोना की वजह से इस साल अगस्त तक 4.01 करोड़ यात्रियों ने हवाई सफर किया। जबकि, पिछले साल अगस्त तक 9.43 करोड़ यात्री आए थे। यानी, पिछले साल अगस्त तक जितने यात्रियों ने हवाई सफर किया था, उसमें से 50% भी इस बार नहीं आए।



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Coronavirus India I Domestic Aviation Update, Air Travel Passenger Traffic Data 2020; How Many Passengers Travel By Plane?


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पहले रोज 30 हजार यात्री पहुंचते थे, अब बमुश्किल 300, करोड़ों के ड्रायफ्रूट्स खराब हो गए

मक्खन सिंह पिछले बीस सालों से कटरा में कांच की चूड़ियां बेच रहे हैं। बस स्टैंड के पास ही खड़े होते थे और वहीं पूरा माल बिक जाता था। दिनभर में तीन सौ से चार सौ रुपए की कमाई उनके लिए सामान्य बात थी। लेकिन अब उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है। पहले जहां खड़े-खड़े पूरा माल बिक जाता था तो वहीं अब दिनभर घूमने के बाद भी पचास से सौ रुपए की बचत बमुश्किल हो पा रही है।

कटरा गिने-चुने यात्री ही पहुंच रहे हैं इसलिए मक्खन चूड़ियां बेचने आसपास के गांव में जाते हैं। कहते हैं, बीस सालों में ऐसे दिन कभी नहीं देखे। मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद से ही ये सिलसिला चल रहा है। अब लॉकडाउन तो हट गया लेकिन यात्रियों का आना शुरू नहीं हुआ, जिससे कटरा बंद ही है।

मक्खन सिंह की कहानी सिर्फ एक बानगी है। मां वैष्णोदेवी के कटरा में अभी फाइव स्टार होटल से लेकर रेहड़ी, पटरी लगाने वाले छोटे कारोबारी तक सब परेशान हैं। कटरा की 95% इकोनॉमी टूरिस्ट से चलती है। कोरोना काल के पहले यहां हर रोज 30 से 40 हजार यात्रियों का पहुंचना सामान्य बात थी। अप्रैल से जुलाई के बीच तो पीक सीजन होता था तब एक दिन में यात्रियों की संख्या 60 हजार तक पहुंच जाती थी।

ऐसी ही भीड़ नवरात्रि में भी होती थी, लेकिन इस बार कोरोना ने सब बर्बाद कर दिया। पिछले तीन महीने में मां के दरबार में महज 92 हजार यात्रियों ने ही दर्शन किए हैं। कोरोना के पहले इतने यात्री तीन से चार दिन में दर्शन किया करते थे। यहां कई फेरीवाले अब शनि मांगने लगे हैं, क्योंकि उनके पास पेट पालने के लिए दूसरा कोई ऑप्शन नहीं बचा है। कुछ पेंटिंग का काम करने लगे। कोई मजदूरी पर जाता है तो कोई गांव चला गया।

कटरा में दुकानें इस तरह सूनी पड़ी हैं। स्थानीय लोग भी खरीदी इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि उनकी कमाई बंद है।

हर रोज एक लाख लोग कटरा में रहते थे
कटरा की रजिस्टर्ड पॉपुलेशन दस हजार है। 30 से 40 हजार यात्री यहां रोज आते थे। बीस हजार घोड़े-पिट्ठू वाले थे। बाकी लोग वो थे जो इधर-इधर काम कर रहे थे या अपना बिजनेस कर रहे थे। इस तरह कटरा में हर रोज एक लाख लोग रहते थे। अब यात्रियों के न होने से होटल-रेस्टोरेंट सब बंद पड़े हैं। जो खुले हैं, उनके मालिक ही सब काम कर रहे हैं, वर्कर्स को छुट्टी दे दी गई है।

घोड़े-पिट्ठू वाले भी दिहाड़ी करने आसपास के गांवों में चले गए हैं। कटरा के ज्वेलरी व्यापारी अमित हीरा कहते हैं कि पंजाब के किसान आंदोलन ने कटरा के बिजनेस की कमर तोड़ दी। उनके आंदोलन के कारण ट्रेनें बंद हैं। जिसके चलते मप्र, उप्र, राजस्थान, छत्तसीगढ़ जैसे राज्यों से लोग दर्शन के लिए आ ही नहीं पा रहे।

अभी सिर्फ सक्षम लोग ही दर्शन के लिए आ रहे हैं, जिनके पास खुद का वाहन है। इनकी संख्या बेहद कम हैं। नवंबर में भाईदूज के टाइम हर साल महाराष्ट्र से भी यात्रा आती थी, लेकिन इस बार वो लोग भी नहीं आए। इस कारण कटरा की इकोनॉमी की कमर पूरी तरह से टूट गई।

ड्रायफ्रूट्स वालों को करोड़ों रु. का नुकसान
जम्मू के ड्रायफ्रूट्स पूरे देश में फेमस हैं। कटरा में जो लोग मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, वो ड्रायफ्रूट्स जरूर खरीदते हैं। मार्च के पहले ही यहां स्थानीय दुकानदारों ने बड़ी मात्रा में ड्रायफ्रूट्स खरीद लिए थे। लॉकडाउन लगा तो उन्होंने माल कोल्ड स्टोरेज में रखवा दिया। फिर यात्रा दोबारा शुरू हुई तो वहां से माल ले आए। लेकिन अभी तक यात्रियों की भीड़ नहीं उमड़ी। जिस कारण ड्रायफ्रूट्स बिजनेस को करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया।

बहुत सारा माल दुकानों में रखे-रखे ही सड़ गया। कटरा के स्थानीय पत्रकार और होटल व्यवसायी सुशील शर्मा कहते हैं कि ट्रेनें बंद हैं। इंटर स्टेट बसें बंद हैं। लखनपुर बॉर्डर पर यात्रियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसे में कटरा की अर्थव्यवस्था कैसे पटरी पर आएगी।

यूपी, बिहार के जो लोग यहां काम करके पेट पाल रहे थे वो सब अपने गांव में रोजगार के संकट से जूझ रहे हैं, कटरा उन्हें कोई बुला नहीं रहा क्योंकि यहां तो बस बंद ही है। रेहड़ी और फेरीवालों की भूखे मरने की नौबत आ गई है। अभी तक उन लोगों को जो मदद मिल रही थी, अब धीरे-धीरे वो भी बंद हो गई है।

ये कटरा के स्थानीय लोग हैं, जो चूड़ियां बेचने का काम करते थे लेकिन अभी इनके पास करने को कुछ नहीं।

35 से 40 घोड़े भूख से मर गए
कटरा में 35 से 40 घोड़े तो अब तक भूख से मर चुके हैं। एक घोड़े-खच्चर की डाइट पर एक दिन में 400 से 500 रुपए खर्च होते हैं। इन्हें चना और फल खिलाए जाते हैं। लेकिन, बीते आठ महीनों से मालिक अपने जानवरों को यह डाइट दे नहीं पाए, क्योंकि उनके तो खुद ही खाने-पीने के लाले पड़ गए थे। अप्रैल से जुलाई के बीच में ही 15 घोड़े-खच्चर मारे गए थे। लॉकडाउन में श्राइन बोर्ड ने इन लोगों की मदद की थी।

जानवरों के लिए डाइट भी दी, लेकिन वो पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाई। घोड़ा-खच्चर एसोसिएशन के मेंबर सोहन चंद कहते हैं, घोड़े-खच्चर वालों का पूरा परिवार ही ट्रैक से कमाई करता है। इनके बच्चे माता रानी के सिक्के और पट्टी बेचते हैं। बुजुर्ग ट्रैक पर ढोल बजाते हैं। कुछ लोग पिट्टू का काम करते हैं। कुछ पालकी उठाते हैं।

यह एक पूरी कम्युनिटी है, जो ट्रैक पर ही निर्भर है। यात्रा बंद होने से ये सब सड़क पर हैं। कटरा के होटल व्यवसायी राकेश वजीर के मुताबिक, होटल और फूड एंड बेवरेज इंडस्ट्री को ही हर रोज चार से पांच करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।



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कटरा में जिन सड़कों पर पैर रखने की जगह नहीं होती थी, वहां अभी ऐसी वीरानी छाई है।


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मध्य प्रदेश में पहले बताओ धर्म और जात, फिर होगी प्यार की बात



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First tell religion and caste in Madhya Pradesh, then there will be talk of love


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स्किन 5 तरह की होती हैं, इसलिए अपनी त्वचा पहचानिए; जानिए उसे कैसे चमकदार बनाएं

ठंड आते ही स्किन में खुरदरापन शुरू हो जाता है। ऐसे में लोगों को समझ नहीं आता है कि वे क्या करें? कैसे अपनी स्किन को चमकदार बनाएं? दरअसल, स्किन 5 तरह की होती हैं इसलिए हमें त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने के लिए अपनी स्किन टाइप को जानना बहुत जरूरी है। इससे आप सही तरीके से स्किन केयर कर पाएंगे।

अगर आप अपनी स्किन टाइप के मुताबिक त्वचा की देखभाल नहीं करते हैं तो आपके चेहरे पर कील-मुंहासे, दाने और एलर्जी होने का खतरा रहता है।

रोज 2 से 3 लीटर पानी जरूर पीएं

भोपाल में डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर अखिलेश अग्रवाल कहते हैं कि ठंड में सबसे ज्यादा दिक्कत बालों में डैंड्रफ और त्वचा के खुरदरी होने की आती है। खासकर ऐसे लोगों को जिनकी स्किन सूखी होती है। ऐसे में जरूरत है कि इस दौरान आप बहुत ज्यादा गर्म पानी से न नहाएं। रात में सोने से पहले बॉडी में मॉश्चराइजर, ग्लिसरीन या ऑयल जरूर लगाएं।

इसके अलावा ऊनी कपड़े से नीचे कोई सूखा कपड़ा पहनें। ठंड में लोग कम पानी पीते हैं, इसलिए भी त्वचा रूखी हो जाती हैं। ऐसे में हमें रोजाना 2 से 3 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए।

आइए जानते हैं कि किस तरह की स्किन का कैसे रखें ध्यान

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ठंड हेल्थ बनाने के लिए होती है, वेट लॉस के लिए नहीं

रायपुर की फूड एक्सपर्ट्स और डाइटीशियन निधि पांडेय कहती हैं कि ठंड में दो ड्राई-फ्रूटस जरूर खाना चाहिए। ये चिरौंजी और चिलगोजा हैं। ये विंटर में ही खाने के लिए होते हैं। इन्हें आपने दो महीने खा लिया तो सालभर का कोटा पूरा कर लेंगे। इन्हें खाने से स्किन में ड्राई-नेस नहीं आती है।

इसके साथ ही एक बात का और ध्यान रखें कि ठंड हेल्थ बनाने के लिए होती है, वेट लॉस करने के लिए नहीं। ऐसे में हम सीजनल चीजों को ज्यादा से ज्यादा खा सकते हैं। खासकर, रूट वेजिटेबल- जैसे सूरन, शकरकंद आदि।

सर्दी में धूप में बैठने से स्किन टैन हो जाती है
सर्दी के दिनों में सभी को धूप में बैठना अच्छा लगता है, लेकिन धूप में देर तक बैठने के चलते हमारी स्किन टैन हो जाती है। डॉक्टर अखिलेश अग्रवाल कहते हैं कि इसलिए धूप में सीधे बैठने के बजाय चादर के टेंट के नीचे बैठना चाहिए, इससे सूर्य की किरणें सीधे आप तक नहीं पहुंचेंगी और टैनिंग की समस्या से बच जाएंगे।



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Tips for Taking Care of Your Skin in Winter, There are 5 types of skin, so identify your skin; Know how to make it shine.


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