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सचिन पायलट को कांग्रेस के डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष से हटानेके बाद कांग्रेस ने उन्हेंअयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। असेंबली स्पीकर नेबुधवार को कांग्रेस की शिकायत पर पायलट समेत19 असंतुष्ट विधायकों को नोटिस जारी किया है। उनसे शुक्रवार तक जवाब मांगागया है।
नोटिस में पूछा गया है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और कांग्रेस विधायकों की दो बैठकों में शामिल नहीं होने पर उन्हें अयोग्य क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए?इस बीच,सचिन पायलट ने कहा कि वेभाजपा में शामिल नहीं होरहे हैं।उन्होंने कहा, 'अभी भी मैं कांग्रेस का मेंबर हूं। कुछ लोग मेरा नाम भाजपा से जोड़ रहे हैं। मेरी इमेज खराब करने की कोशिश की जा रही है।'
पार्टी के अंदर अपनी बात कहने का मंच नहीं बचा था
पायलट ने मीडिया से बात करते हुए कहा किवह मुख्यमंत्री गहलोत से नाराज नहीं है। उन्होंने गहलोत से कोई खास ताकत भी नहीं मांगी थी। वह बस चाहते थे कि जनता से किए गए वादे पूरे किए जाएं। उनसे जब पूछा गया कि आखिर उन्होंने बगावत क्यों की? पार्टी के अंदर चर्चा क्यों नहीं की? जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर चर्चा का कोई मंच बचा ही नहीं था।
राहुल गांधी ने इस मामले में दखल दिया? आपकी उनसे बात हुई?जवाब में कहा कि राहुल गांधी अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं। राहुल ने जब से इस्तीफा दिया, गहलोत जी और उनके एआईसीसी के दोस्तों ने मेरे खिलाफ मोर्चा खोल दिया। तभी से मेरे लिए आत्मसम्मान मुश्किल हो गया था। ये सत्ता नहीं बल्कि आत्मसम्मान की बात थी।
अपडेट्स
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज नए सिरे से कैबिनेट के गठन पर काम शुरू कर सकते हैं। इसके लिए दोपहर तक मुख्यमंत्री आवास पर बैठक हो सकती है।
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राजस्थान केसियासी उठापटक पर भाजपा अपनी पूरी नजर रखे है। अब बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी धौलपुर से जयपुर आ सकती हैं। वे यहांपार्टी कार्यालय पहुंचेंगी। राजे की मौजूदगी में ही पार्टी आगे की रणनीति पर विचार करेगी।इससे पहले मंगलवार को भाजपावेट एंड वॉच की स्थिति में नजर आई। देर रात अचानकपार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर भी भाजपा कार्यलय पहुंचे। इधर, बुधवार सुबह न्यूज एजेंसी ने दावा किया है कि सचिन पायलट ने बातचीत में कहा है कि वे भाजपा में शामिल नहीं होंगे।
सूत्रों की मानें तो भाजपा फिलहाल सचिन के स्पष्ट रुख का इंतजार कर रही है। वह इस मौके को खोना भी नहीं चाहती है। भाजपा नेता पल-पल की खबर अपने शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचा रहे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि आगे क्या होगा,ये केंद्रीयनेताओं के निर्देश पर निर्भरकरेगा। भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार से पहले अशोक गहलोत के सामने बहुमत साबित करने की मांग की है। साथ ही अविश्वास प्रस्ताव के नियमों को देखकर भी रणनीति बनाई जा रही है।
सचिन भी कर सकते हैं प्रेस वार्ता
बुधवार को सचिन पायलट भी साथी विधायकों के साथ प्रेसवार्ता कर सकते हैं। वे जनता और प्रेस के सामने अपना रुख रख सकते हैं। साथ ही नई पार्टी बनाने की घोषणा भी कर सकते हैं।
देर रात कैबिनेट की बैठक हुई
फिलहाल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सभीविधायकों को साधने में लगे हैं। पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष से हटाए जाने के एक घंटे बाद गहलोत सामने आए और कहा कि इंतजार किया कि ईश्वर उन्हें (पायलट को) सद्बुद्धि दे, पर वे आज (मंगलवार को) भी नहीं आए। यह बयान विधायक दल की बैठक के बाद आया था। बैठक के बाद ही ऐहतियातन सभी विधायकों को बस से होटल भेज दिया गया। इसी होटल से सीएम मंत्रियों को लेकर अपने आवास पर पहुंचे, जहां अभी कैबिनेट की मीटिंग हुई। इस दौरान विभागों को लेकर चर्चा की गई।
दो डिप्टी सीएम समेत 7 मंत्री और 15 संसदीय सचिव बनाने की संभावना
मंत्रिमंडल विस्तार चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। बताया जा रहा है कि पायलट के जगह अब दो डिप्टी सीएम नजर आएंगे। इसके अलावा 7 नए चेहरों को मंत्री बनने को मौका मिलेगा। साथ ही सरकार में 10 से 15 संसदीय सचिव भी बनाए जा सकते हैं।
जो विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे
कांग्रेस विधायक: सचिन पायलट, रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पीआर मीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला, हेमाराम चौधरी, विश्वेन्द्र सिंह, अमर सिंह, दीपेंद्र सिंह और गजेंद्र शक्तावत।
निर्दलीय विधायक: सुरेश टांक, ओम प्रकाश और खुशवीर सिंह जोजावर।
राजस्थान विधानसभा की मौजूदा स्थिति: कुल सीटें:200
पार्टी
विधायकों की संख्या
कांग्रेस
107
भाजपा
72
निर्दलीय
13
आरएलपी
3
बीटीपी
2
लेफ्ट
2
आरएलडी
1
राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायकहैं।सरकार को 13 में से 10 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। लिहाजा गहलोत के पास 118विधायकों का समर्थन है।उधर,भाजपा के पास 72 विधायक हैं।बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।
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यहां आज सुबह छुखुवाला इलाके में एक इमारत गिरने से 3 लोगों की मौत हो गई। एनडीआरएफ के डीजी सत्य प्रधान ने बताया कि मलबे से 3 शव और 3 लोगों को जिंदा निकाला है। बचाव का काम जारी है। मारे गए लोगों में एक बच्ची और दो महिलाएं शामिल हैं। इनमें से एक महिला गर्भवती थी।
बताया जा रहा है कि तेज बारिश के कारण एक बाउंड्री वॉल गिरी, इससे इमारत भी ढह गई। अभी एक-दो लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है।
#UPDATE NDRF team rushed to building collapse site at Chhukhuwala, Dehradun & did search & rescue operation with local SDRF. 3 rescued alive and 3 dead bodies retrieved. Operation on: Satya Pradhan, Director General of NDRF (National Disaster Response Force). #Uttarakhandhttps://t.co/cM8AqvVYYXpic.twitter.com/u4VAMsRPnj
राज्य में बीते दो-तीन दिन से तेज बारिश हो रही है। यहां गंगा, यमुना, शारदा नदियां उफान पर हैं। भूस्खलन और पानी के तेज बहाव के साथ आए मलबे के कारण बद्रीनाथ हाईवे और देहरादून-मसूरी मार्ग बंद हो गया है। उधर, उत्तरकाशी में यमुनोत्री मार्ग शुक्रवार से ही बंद है।
केंद्रीयमानव संसाधन विकासमंत्रालयने ऑनलाइन क्लास के लिए नए दिशा-निर्देशजारी कर दिए हैं। इसे‘प्रज्ञाता’ नाम दिया गया है। इसमेंछात्राें के लिए एक दिन में ऑनलाइन पढ़ाई का कुल समय और सेशन की संख्यातय की गई। इसमें कहा गया है कि प्री-प्राइमरी के बच्चाें के लिए आधे घंटे से ज्यादा की ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हाेनी चाहिए। पहली से आठवीं क्लासतक के बच्चाें के लिए 45-45 मिनट के दाे सेशनऔर 9वीं से 12वीं क्लास तक के बच्चाें के लिए 30 से 45 मिनट के चार सेशन चलाने की सिफारिश की गई है।
रोज कम से कम एक शिफ्ट जरूरी
ऑनलाइन क्लास के बारे में पैंरेंट्स ने चिंता जताई थी। इसके बाद मंत्रालय ने इन दिशा-निर्देशों को तैयार किया। काेराेना महामारी के कारण स्कूल 16 मार्च से ही बंद हैं। इससे 24 कराेड़ से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई को कम से कम एक शिफ्ट राेजाना चलाना जरूरीकिया गया है।
प्रवासी मजदूराें के बच्चों काे गांव में ही एडमीशन मिलेगा
केंद्र ने काेराेना संकट में घर लाैटे प्रवासी मजदूराें के बच्चाें काे उनके गांव में एडमिशनदेने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि महामारी में स्थानीय क्षेत्रों को छोड़कर गए स्टूडेंट्स का डेटाबेस तैयार करें।
ऐसे बच्चों को डेटा बैंक में ‘प्रवासी’ या ‘अस्थाई तौर पर अनुपलब्ध’ के रूप में दर्ज किया जाए। इन स्टूडेंट्स को बिना कागजात के स्कूलों में दाखिले के लिए कहा जा सकता है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि राज्यों को यह भी तय करना होगा कि कोरोना महामारी के दौरान अपने-अपने गांवों की तरफ लौटे स्टूडेंट्स का स्कूलों से नाम न काटा जाए।
स्कूलों को पढ़ाने के तरीके फिर से तैयार करने होंगे
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पाेखरियाल ने कहा कि नए दिशा-निर्देशघर पर रह रहे बच्चाें काे ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। महामारी के असर को कम करने के लिए स्कूलों को न केवल पढ़ाने और सीखने के तरीके को फिर से तैयार करना होगा, बल्कि घर और स्कूल के लिए मिली-जुली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा विधि भी पेश करनी हाेगी।
देश में संक्रमितों की संख्या 9 लाख 37 हजार 487 हो गई है। अब तक 5 लाख 93 हजार 80 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 3 लाख 19 हजार 703 लोगों का इलाज चल रहा है। 24 हजार 315 लोगों की जान जा चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।
मंगलवार को देश में 29 हजार 917 मरीज बढ़े। यह एक दिन का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके पहले 13 जुलाई को सबसे ज्यादा 28 हजार 178 केस सामने आए थे। उधर, दिल्ली में हालात बेहतर होते जा रहे हैं। एक महीने में दिल्ली में ठीक होने वाले मरीज 44% बढ़ गए हैं।
5 राज्यों का हाल
मध्यप्रदेश:प्रदेश में कोरोना संक्रमण रोजाना तेजी से बढ़ रहा है। मंगलवार को 798 पॉजिटिव मिलने के साथ कुल मरीजों की संख्या 19005 तक पहुंच गई। 10लोगों की कोरोना से मौत हो गई। इसी के साथ राज्य में मरने वालों का आंकड़ा673 हो गया।4757 मरीजों का अभी विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
उधर, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि लॉकडाउन का फैसला स्थानीय स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक में लिया जाता है। शासन स्तर पर कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है। फिलहाल राज्य में स्थायी लॉकडाउन की कोई प्लानिंग नहीं है।
महाराष्ट्र: राज्य में मंगलवार को कोरोना के 6741 नए मामले सामने आए, 4500 डिस्चार्ज किए गए और 213 मौतें दर्ज की गईं। राज्य में कुल मामलों की संख्या बढ़कर 2,67,665 हो गई, जिनमें 1,49,007 रिकवर मामले, 10,695 मौतें और 1,07,665 सक्रिय मामले शामिल हैं। वहीं, मुंबई 969 नए मामले दर्ज किए गए, जिससे सक्रिय मामलों की संख्या 22,828 हो गई। मुंबई में पिछले 48 घंटों में 70 से अधिक मरीजों की जान जाने के साथ मरने वालों का आंकड़ा 5,402 पर पहुंच गया है। रिकवरी रेट 70 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य में कुल संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 2,60,924 तक पहुंच चुका है, जिसमें से 1,44,507 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से घर भेज दिया गया है। 1,05,637 मरीज सक्रिय हैं जिनका विभिन्न कोविड 19 अस्पतालों में इलाज चल रहा है। राज्य में अब तक 10,482 लोगों की इस संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है।
उत्तरप्रदेश:राज्य में मंगलवार को 1656 नए पॉजिटिव केस सामने आए हैं जबकि 778 ठीक होकर घर गए हैं। 28 मरीजों की मौत हुई है। अब प्रदेश में 13760 एक्टिव कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं। अब तक 24981 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं। कुल 983 मरीजों की मौत हो चुकी है। कुल संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 39,724 होगया है।
प्रदेश में सबसे अधिक कोरोना पॉजिटिव एक्टिव मरीज राजधानी लखनऊ में हैं।रिपोर्ट के अनुसार 1591 एक्टिव मरीज लखनऊ में हैं। नंबर दो पर गाजियाबाद है। जहां 1295 एक्टिव मरीज हैं। नंबर तीन पर 851 मरीज के साथ नोएडा है। जबकि कानपुर नगर में 687, झांसी में 496, मेरठ में 474, वराणसी में 451 एक्टिव मरीज हैं।
राजस्थान: राज्यमें मंगलवार को कोरोना के 635 नए मामले सामने आए, छह मौतें हुईं, 539 रिकवर हुए और 488 डिस्चार्ज किए गए। कुल मामलों की संख्या बढ़कर अब 25571 हो गई, जिनमें 524 मौतें, 19169 रिकवर और 18687 डिस्चार्ज शामिल हैं। राज्य में एक जुलाई के बाद से कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं। हर रोज औसतन 400 से 500 मामले सामने आ रहे हैं।
बिहार: राज्य मेंमंगलवार को 1432 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।अब राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 18853 हो गयी है। वहीं पिछले 24 घंटे में दो चिकित्सकों की कोरोना से मौत हो गई है। मंगलवार की सुबह पटना एम्स अस्पताल में विगत कई दिनों से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे कोरोना संक्रमित वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉक्टर एनके सिह की मौत हो गई। वहीं, गया के भी एक चिकित्सक की कोरोना से मौत हो गई है। सोमवार को भोजपुर के एक अधिवक्ता समेत 10 लोगों की मौत हो गई है। जबकि, गया में आज एक साथ छह लोगों की मौत हो गई जिसमें एक कोरोना संक्रमित और पांच संदिग्ध मरीज थे।
from Dainik Bhaskar /national/news/29917-patients-increased-in-the-last-24-hours-937-lakh-cases-in-the-country-so-far-patients-recovering-in-delhi-increased-by-44-127514706.html
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कोरोनाके चलते स्कूल बंद हैं। ऐसे में कई स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास शुरू की है। राजस्थान के बाड़मेर जिलेके निकटवर्ती दरुड़ा गांव के भीलों की बस्ती निवासी छात्र हरीश कुमार के लिए ऑनलाइन क्लास परेशानी का सबब बन गई है। इसकी वजह गांव में नेटवर्क नहीं होना है। जवाहर नवोदय विद्यालय का विद्यार्थी होने के कारण क्लास अटेंड करना जरूरी है। उसे घर के पास स्थित पहाड़ी की चोटी के ऊपर टेबल कुर्सी लगाकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। हरीश के पिता वीरमदेव बताते हैं कि डेढ़ माह से सुबह 8 बजे हरीश पहाड़ पर चढ़ता है और क्लास खत्म होने के बाद 2 बजे घर लौटता है।
लॉकडाउन में हुईचारे की कमी तो जुटा गांव
लॉकडाउन में हरी घास व चारे की आवक रुकने से जोधपुर के रायमलवाड़ा गांव और गोशाला की 450 बेसहारा गायसंकट में आ गईं थीं। तब तो जैसे-तैसे चारे का इंतजाम किया गया था। अब मानसून में ग्रामीणों ने तय किया कि वे 1200 बीघा की गोचर भूमि पर जुताई करेंगे। सेवण घास उगाएंगे। इस उद्देश्य के साथ 4 लाख रुपएजुटाकर गोचर भूमि से बबूल व झाड़ियां हटाईं। मंगलवार सुबह किसान 50 ट्रैक्टरों के साथ जुटे और 6 घंटे में 250 बीघा भूमि को जोत दिया।
बारिश:1265 क्विंटल गेहूं सड़ा, इससे 1000 लोगों का दो महीने तक भर सकता था पेट
फोटो मध्यप्रदेश केआदिम जाति सेवा सहकारी समिति कानवन का है। यहां 1265 क्विंटल गेहूं खुले में पड़ा होने के कारण सड़ गया। शाखा प्रबंधक ओमप्रकाश चौहान ने बताया किगेहूं का समय पर परिवहन नहीं हुआ। प्री-मानसून की बारिश में यह भीग गया था। हमने तिरपाल ढक कर गेहूं काे बचाने का पूरा प्रयास किया था। इधर कोरोना काल में लोगों को खाना पहुंचाने वाली संस्था जय हो के अध्यक्ष डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया इतने गेहूं से एक हजार लोगों का 2 महीने तक पेट भर सकता था।
फरयानी नदी के उफान से गांव में बाढ़ जैसे हालात
बिहार के अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड क्षेत्र कोशकापुर दक्षिण पंचायत में फरयानी नदी के उफान से गांव में बाढ़ जैसे हालात हैं। जगह-जगह पुल-पुलिया के अभाव में ग्रामीण जान जोखिम में डाल कर आ जा रहेहैं।स्थानीय युवाओं ने आत्म निर्भर होते हुए विशेष अभियान चलाया है। ग्रामीणों व युवा संघ के सदस्यों के सहयोग से बाढ़ की हालत जैसे पैदा हुए संकट की घड़ी में दो दिनों के दौरान दो अलग-अलग सड़क के मुहाने पर बांस के पुल का निर्माण कराया गया है। दर्जनों युवाओं ने आपस में चंदा इकट्ठा कर दोपुल आने-जानेके लिए तैयार किएहैं।
बच्चन परिवार के स्वास्थ्य की कामना की
फोटो देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की है।सोमवार को यहां इन कलाकारों ने कोरोनावायरस का इलाज करा रहे अभिनेता अमिताभ बच्चन, उनके बेटे अभिषेक, बहू ऐश्वर्या और पोती आराध्या की पेंटिंग तैयार कर उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
शो के जरिए लोगों को किया जागरूक
महाराष्ट्र के सोलापुर में आर्टिस्ट सचिन खरात ने सोमवार को अपने ग्रुप के कलाकारों के साथ एक शो के जरिए लोगों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिग का पालन करने को कहा।
लोग तो पहले ही बेघर हो चुके, पक्षियों के भी हाल बेहाल
सरदार सरोवर बांध के कारण नर्मदाघाटी के लोग पहले ही बेघर हो चुके हैं। अब पक्षियों को भी ठिकाना तलाशना पड़ रहा है। जिस तरह से नर्मदाघाटी के लोग अपने अच्छे मकान छोड़कर झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं। ठीक उसी तरह पेड़ सूखने के बाद पक्षी भी इन्हें छोड़ने कोमजबूर हैं। राजघाट नर्मदा किनारे लगे अधिकांश पेड़ सूख चुके हैं। अब इन पर मजबूत घोंसले नहीं बन पा रहे हैं।
सड़क नहीं: बारिश के दिनों में हो जाती है आवाजाही बंद
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील के गांव रेसी में आजादी के बाद से अब तक सड़क ही नहीं बनी है। ग्राम पंचायत सांका के अंतर्गत आने वालेइस गांव को जोड़ने वाले मार्ग का अभी तक निर्माण ही नहीं हो सका है।सड़क नहीं होने के कारण बारिश के दिनों में आवाजाही बंद ही हो जाती है।हालातयह हैं कि बारिश के दिनों में किसी की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ जाए तो गांव से शहर तक लाने के लिए बहुत मुश्किल भरे हालात से गुजरना पड़ता है।
मानसून सक्रिय : 75 शहर भीगे, 21 तक ऐसी ही बारिश
डिंडोरी में नर्मदा सहित सहायक नदियां उफान पर हैं। बोंदर की करमंडल नदी में बाढ़ की वजह से जबलपुर से अमरकंटक जाने वाले हाईवे मार्ग के पुल पर दो से तीन फीट तक पानी चढ़ गया, करीब दो घंटे तक दोनों तरफ से आवाजाही रुक गई थी।
20 घंटे में 3.5 इंच से अधिक बारिश
सूरतमें सोमवार रात 10 बजे से मंगलवार शाम 6 बजे तक 92 मिमी बारिश हुई। यह पिछले साल अब तक हुई बारिश से 20 मिमी ज्यादा है। पिछले साल 14 जुलाई तक 363 मिमी बारिश हुई थी, जबकि इस साल अब तक 383 मिमी बारिश हो चुकी है। 20 घंटे में हुई 3.5 इंच बारिश से शहर के कई निचले क्षेत्रों में पानी भर गया। कई जगह यातायात प्रभावित हुआ।
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1. सरकार पर संकट के 4 दिन बीते
राजस्थान में कांग्रेस के लिए सियासत का मौसम बिगड़ा हुआ है। मंगलवार को सरकार पर चल रहे संकट का चौथा दिन था। 72 घंटे की कोशिशों के बाद आखिरकार सीएम अशोक गहलोत को कांग्रेस से संजीवनी मिल गई। पार्टी ने उन्हें मजबूत करते हुए सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। इस तरह पायलट की पहली गुगली को गहलोत फ्रंटफुट पर खेल गए। पायलट के अगले दांव पर सबकी नजर है, क्योंकि विकेट के पीछे भाजपा खड़ी है।
इस बीच, ‘सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वाली कांग्रेस’ के नेताओं ने कहा कि हमारी पार्टी ‘व्यक्तियों’ से नहीं चलती। इसलिए पायलट पर कार्रवाई हुई है। पायलट ने इसके बाद अपने ट्विटर हैंडल से कांग्रेस का नाम हटा दिया और लिखा- ‘सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं।’
कांग्रेस ने भी जवाब दिया। कहा- ‘सत्य तो अभी पराजित ही नहीं हुआ।’ ...ये समझ नहीं आया कि सत्य पर दावा आखिर किसका है? उधर, सत्य-असत्य को अलग रखते हुए गहलोत ने पायलट खेमे की तुलना ‘आ बैल मुझे मार’ वाली कहावत से कर दी।
तीन बातें, जो हमारे जर्नलिस्ट्स ने बताईं...
पहली- सोनिया, राहुल, प्रियंका, चिदंबरम, वेणुगोपाल और अहमद पटेल ने सचिन पायलट को मनाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने।
दूसरी- पायलट को सीएम पद से कम कुछ मंजूर नहीं था। वे चाहते थे कि एसओजी से मिला नोटिस भी वापस लिया जाए। अब वे नई पार्टी बना सकते हैं। ऐसे में भाजपा उन्हें समर्थन दे सकती है।
तीसरी- गहलोत ने अभी ट्रम्प कार्ड खेला नहीं है। वे अपनी टीम में आठ नए मंत्रियों को शामिल कर सकते हैं। नए चेहरों को जगह मिली, तो वे विधायकों को जोड़कर रखने में कामयाब रहेंगे।
2. अयोध्या किसकी!
बात विदेश की। पड़ोसी देश नेपाल के प्रधानमंत्री हैं केपी शर्मा ओली। इन दिनों भारत विरोधी हो गए हैं। पहले उन्होंने कहा था कि नेपाल के कुछ हिस्सों पर भारत ने कब्जा कर रखा है। गुस्सा नहीं थमा, तो अब कह दिया कि भगवान राम नेपाल के थे। उनके वक्त की अयोध्या भारत में नहीं, बल्कि बीरगंज में थी।
दरअसल, यह बयान देने में ओली लेट हो गए। उन्होंने पहले ही ऐसा कह दिया होता, तो शायद देश में चले अयोध्या विवाद के मुकदमे में उन्हें भी कोई मुद्दई बना देता। खैर, इस बयान पर उनके ही देश के लोगों ने चुटकियां लीं।
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबू राम भट्टाराई कहते हैं- ‘ये आदि कवि ओली हैं, जो कलयुग की नई रामायण सुना रहे हैं।’ ओली के ही पूर्व मीडिया सलाहकार कुंदन आर्यल ने कहा- ‘शायद ओली भारत के न्यूज चैनलों से कॉम्पीटिशन कर रहे हैं।’ नेपाल के पूर्व डिप्टी पीएम कमल थापा बोले- ‘ओली भारत-नेपाल के रिश्तों को और खराब करना चाह रहे हैं।’
3. बड़ी खबरों पर आगे बात करने से पहले आज से जुड़ी दो बातें
सीबीएसई 10वीं का रिजल्ट आज दोपहर तक आ जाएगा। मंगलवार को भी रिजल्ट आने की अटकलें थीं, लेकिन आया नहीं। इस बार 18 लाख स्टूडेंट्स ने 10वीं की एग्जाम दी थी।रिजल्ट cbseresults.nic.in पर देखा जा सकता है।
आईआईटी दिल्ली की लो-कॉस्ट कोरोना टेस्ट किट आज लॉन्च होगी। आईआईटी दिल्ली देश का ऐसा पहला एकेडमिक इंस्टिट्यूट है, जिसने कोरोना की टेस्टिंग मैथड डेवलप की है। उसने इसका नॉन-एक्स्क्लूसिव ओपन लाइसेंस कंपनियों को दिया है। आईआईटी ने एक किट की कीमत 500 रुपए रखी है। देखना होगा कि कंपनियां मुनाफा कमाने की कोशिश में इसे किस कीमत पर बेचती हैं।
4. अब गूगल भी जियो में इन्वेस्ट करेगी
रिलायंस जियो में टी-20 स्टाइल में इन्वेस्टमेंट आ रहा है। अब उसकी गूगल से बातचीत चल रही है। गूगल जियो में करीब 30 हजार करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट कर सकती है। ऐसा हुआ तो यह जियो में 14वां इन्वेस्टमेंट होगा। रकम के लिहाज से यह कंपनी में दूसरा बड़ा निवेश होगा।
इससे पहले फेसबुक ने 43 हजार करोड़ रुपए इन्वेस्ट कर जियो में 9.99% की हिस्सेदारी खरीदी थी। पिछले 12 हफ्ते में रिलायंस जियो को 13 निवेश मिल चुके हैं। जियो ने 25.24% हिस्सेदारी बेचकर 1.18 लाख करोड़ रुपए जुटाए हैं।
5. पिछले वर्ल्ड कप फाइनल के मैच विनर के बारे में एक खुलासा
2019 के वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल को एक साल पूरे हो गए। इसी के साथ एक खुलासा भी हुआ है। वर्ल्ड कप जीतने वाली इंग्लैंड टीम के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स ने फाइनल में नाबाद 84 रन की पारी खेली थी। सुपर ओवर में भी 8 रन बनाए थे। उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया था।
इंग्लैंड ज्यादा बाउंड्री लगाने की वजह से वर्ल्ड चैम्पियन बना था। फाइनल में 2 घंटे 27 मिनट तक बैटिंग करने के बाद स्टोक्स इतने तनाव में आ चुके थे कि ड्रेसिंग रूम में लौटकर उन्होंने बाथरूम में सिगरेट जला ली थी।
6. आज का दिन कैसा रहेगा?
एस्ट्रोलॉजी कह रही है कि बुधवार को दो अशुभ योग बन रहे हैं। इनके नाम हैं शूल और काण। अगर नाम पढ़कर उलझन महसूस कर रहे हैं, तो काम की बात जान लीजिए। बुधवार को मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को जॉब और बिजनेस में संभलकर रहना होगा। वृष, सिंह, वृश्चिक और धनु राशि वालों के लिए दिन अच्छा रहेगा।
एस्ट्रोलॉजी के हिसाब से आठ राशि वालों के लिए दिन चुनौतीपूर्ण है, लेकिन टैराकार्ड्स के हिसाब से नौ राशियों के लिए दिन अच्छा रहेगा। इनमें वृष, मिथुन, तुला और मीन शामिल है।
नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के भगवान राम के नेपाली होने के बयान ने राम के नाम पर राजनीति को फिर हवा दी है। हकीकत ये है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, जो उत्तर प्रदेश में है। नेपाल के पीएम ओली का दावा यूं भी बेदम ही है, क्योंकि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के फैसले में ये स्वीकार किया था कि अयोध्या ही भगवान राम का जन्म स्थान है।
इस फैसले में पुरातत्वविदों की रिपोर्ट्स के साथ ही वाल्मीकि रामायण, स्कंद पुराण, पद्मपुराण, महाभारत और रामचरितमानस जैसे ग्रंथों का भी रिफरेंस लिया गया है। वाल्मीकि रामायण में अयोध्या की जो लोकेशन है, वो सरयू नदी के पास है। सरयू नदी का जिक्र रामायण में कई बार आता है। कई ग्रंथ हैं, कई श्लोक हैं जो ये बताते हैं कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, और ये अयोध्या भारत में ही मौजूद है।
नेपाल और राम का रिश्ता
ऐसा नहीं है कि नेपाल से राम का कोई रिश्ता ही नहीं है। नेपाल के जनकपुर को राम का ससुराल माना जाता है। यहां आज भी राजा जनक का महल है। जिसमें सीता स्वयंवर के दौरान के दृश्य जीवित हैं। कुछ टुकड़े उस धनुष के भी यहां संग्रहित किए हुए हैं, जो सीता स्वयंवर के दौरान राम ने तोड़ा था। इस स्थान को लेकर नेपाल की आस्था अगाध है। राम नेपाल के दामाद हैं। लेकिन, बेटे नहीं। क्योंकि वाल्मीकि रामायण में राम बारात का जिस रास्ते का वर्णन है, वो जनकपुर से मगध (वर्तमान बिहार) के रास्ते अवध (अयोध्या) तक आता है।
7वीं शताब्दी के ग्रंथ स्कंद पुराण में अयोध्या
वाल्मीकि रामायण ही नहीं, बल्कि स्कंद पुराण में भी राम के जन्म स्थान की जो जगह लिखी गई है, वो अयोध्या ही है। इस ग्रंथ के बारे पुरातत्वविदों और इतिहासकारों का मत है कि ये 7वीं से 9वीं शताब्दी के बीच लिखा गया है।स्कंद पुराण के अयोध्या माहत्म्य के वैष्णवकांड के 18-19वें श्लोक लिखा है कि वशिष्ठ आश्रम से उत्तर और लोमश आश्रम के पश्चिम में और विघ्नेश्वर से पूर्व में वो भूमि है जहां राम का जन्म हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने पुरातत्वविदों और संतों से इसकी जांच कराई। जो सही पाई गई। संतों में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उनके नाम का कई बार जिक्र किया गया है।
वाल्मीकि रामायण ईसा से 300 से 200 साल पहले की
वाल्मीकि रामायणभगवान राम के जीवन का सबसे मुख्य और पुराना ग्रंथ है। इसका रचनाकाल ईसा से 300 से 200 साल पहले का माना गयाहै। इसे महाभारत और श्रीमद्भागवत के भी पहले का माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के बालकांड के 18वें अध्याय के 8 से 12 नंबर तक के श्लोक रामजन्म और अयोध्या के बारे में हैं। 10वें श्लोक को सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में रिफरेंस के तौर पर लिया है।
सरयू नदी की लोकेशन और अयोध्या का निर्माण
उज्जैन के संस्कृतविद् डॉ. ऋषि तिवारी के मुताबिक, अयोध्या नगर का पूरा वर्णन मिलता है। सरयू को पुण्य देने वाली नदी माना गया है। इसी नदी के एक हिस्से को घाघरा नदी के रूप में भी जाना जाता है। वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट उल्लेख है कि अयोध्या सरयू के किनारे बसी है।
तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस में भी राम की जन्मभूमि अयोध्या बताई गई है। रावण से त्रस्त देवता भगवान ब्रह्मा के पास सहायता के लिए जाते हैं और भगवान उन्हें आश्वासन देते हैं। ब्रह्मा की स्तुति से प्रसन्न भगवान विष्णु आकाशवाणी के जरिए देवताओं और पृथ्वी को धीरज बंधाते हुए आश्वासन देते हैं कि मैं राम के रूप में अवतार लूंगा। बालकांड की 186वें दोहे के बाद की चौपाइयों में इसका उल्लेख है।
बालकांड के 186वें दोहे के बाद की चौपाइयां
जनि डरपहु मुनि सिद्ध सुरेसा। तुम्हहि लागि धरिहउँ नर बेसा।।
अंसन्ह सहित मनुज अवतारा। लेहउँ दिनकर बंस उदारा।।
कस्यप अदिति महातप कीन्हा। तिन्ह कहुं मैं पूरब बर दीन्हा।।
ते दसरथ कौसल्या रूपा। कोसलपुरीं प्रगट नर भूपा।।
तिन्ह कें गृह अवतरिहउँ जाई। रघुकुल तिलक सो चारिउ भाई।।
नारद बचन सत्य सब करिहउँ। परम सक्ति समेत अवतरिहउँ।
चौपाइयों का अर्थ - हे मुनि, सिद्ध और देवताओं के स्वामियों, डरो मत। तुम्हारे लिए मैं मनुष्य का रूप धारण करूंगा और उदार (पवित्र) सूर्यवंश में अंशों सहित मनुष्य का अवतार लूंगा। कश्यप और अदिति ने भारी तप किया था। मैं पहले ही उनको वर दे चुका हूं। वे ही दशरथ और कौसल्या के रूप में मनुष्यों के राजा होकर श्रीअयोध्यापुरी में प्रकट हुए हैं। उन्हीं के घर जाकर मैं रघुकुल के चार श्रेष्ठ भाइयों के रूप में अतार लूंगा। नारद के सब वचन मैं सत्य करूंगा और अपनी पराशक्ति के सहित अवतार लूंगा।
जितना नजदीक किसी कॉलोनी में पड़ोसी रहते हैं, वैसे ही मधवापुर-मटिहानी में भारतीय और नेपाली लोग रहते हैं। मधवापुर भारत में आता है और मटिहानी नेपाल में। दोनों के बीच की दूरी महज 20 मीटर है। सड़क के एक सिरे पर नेपालियों के घर और दुकान हैं तो दूसरे पर भारतीयों के। एक ओर नेपाल की आर्म्ड फोर्स तैनात है तो दूसरी तरफ भारतीय सुरक्षा बल पहरा दे रहे होते हैं।
जब हम यहां पहुंचे तो फर्क करना मुश्किल हो गया हो गया कि कहां नेपाल है और कहां इंडिया। फिर एसएसबी के जवान ने बताया कि, सामने की पट्टी पूरी नेपाल की है और इस तरफ वाली भारत की। दोनों देशों के लोग दिनभर इधर-उधर आना-जाना करते रहते हैं। नेपाल के मटिहानी से बड़ी संख्या में महिलाएं मधवापुर में बने शिव मंदिर में जाती नजर आईं। पूछा तो पता चला कि अभी सावन सोमवार चल रहा है, इलाके की महिलाएं इसी मंदिर में पूजन करने आती हैं, भारतीय हों चाहे नेपाल की।
नेपाल के मटिहानी में रमेश कुमार शाह मिले। बोले, मैं तो पिछले 12 सालों से मधवापुर में दुकान चला रहा हूं। दिनभर दुकान भारत में चलाता हूं और रात में सोने 20 मीटर दूर यानी नेपाल जाता हूं। बोले, नेपाल का सुरक्षा बल हमें बहुत परेशान करता है। हम लोग इंडिया से राशन लेकर जाते हैं तो वो हमारा आधा राशन रख लेते हैं। बोलते हैं इंडिया से क्यों लाए। लॉकडाउन लगने के दौरान तो बहुत परेशान किया।
अब लॉकडाडन हट गया इसके बाद भी हमारा सामान रख लेते हैं। इन लोगों से बचने के लिए खेत के रास्ते से नेपाल जाते हैं। बोले, अब नेपाल में सामान कैसे खरीदें। जो शक्कर यहां हमें 60 रुपए किलो में मिलती है, वही नेपाल में 200 रुपए किलो है। जो आलू हमें 20 रुपए किलो मिल जाता है, वो वहां 100 रुपए में मिलेगा। हर सामान महंगा है।
शाह के मुताबिक, 95% सामान तो नेपाल में भारत से ही जा रहा है। वरना वहां खाने-पीने से लेकर पहनने-ओढ़ने तक की दिक्कत हो जाए। जब हम नेपाल के लोगों से बात कर रहे थे, तभी वहां की फोर्स आ गई और उन्होंने हमें फोटो-वीडियो बनाने से भी रोका। हालांकि, बहस के बाद वो लौट गए।
अजय कुमार शाह भी नेपाल से हैं।उनका रोज भारत आना-जाना रहता है। उनका दर्द ये है कि नेपाल की सरकार सिर्फ पहाड़ियों के बारे में सोच रही है, मधेशियों के बारे में नहीं। कहते हैं नेपाल में न क्वालिटी है और न वैरायटी, बस महंगाई है। इसलिए सब लोग सामान इंडिया से खरीदते हैं। कहते हैं फोर्स दिक्कत देने लगी है तो सबने ऐसे रास्तों से जाना शुरू कर दिया है, जहां फोर्स मिलती ही नहीं। पूरी बॉर्डर खुली हुई है। किसी भी खेत से निकल जाते हैं। जगह-जगह पगडंडी बनी हुई हैं।
वो कहते हैं कई बार तो खेत के बीच में भी फोर्स वाले मिल जाते हैं, सौ-दो सौ रुपए दे दो तो छोड़ भी देते हैं। नेपाल के राजेश तो मटिहानी को बिहार में ही शामिल करना चाहते हैं। कहते हैं, हमारा रहना यहां। खाना यहां। कमाना यहां। बस रात में सोने घर जाते हैं। मटिहानी यदि बिहार में ही शामिल हो जाए तो बहुत अच्छा हो जाएगा। फिर सस्ता राशन भी मिलेगा और भारत में मिलने वाली हर सुविधा मिलेगी। नेपाल में तो कुछ नहीं मिल रहा। राजेश पैसे जोड़ रहे हैं ताकि मधवापुर में जमीन खरीद सकें, फिर घर बनाकर यहां की नागरिकता ले लेंगे।
सड़क पर ही हमें सिर पर चावल की कट्टी ले जाती हुईं कुछ महिलाएं नजर आईं। ये भी मधवापुर से चावल लेकर मटिहानी जा रहीं थीं। इन्हीं में से एक सविता देवी ने बताया कि, नेपाल में यही कट्टा 1200 रुपए की मिलतालेकिन इंडिया में 800 रुपए में मिल गया। इसलिए पूरा राशन इंडिया से ले जाते हैं। सविता हम से बात कर रहीं थीं तभी उन्हें नेपाल फोर्स के जवान ने देख लिया तो बोलीं, अब बॉर्डर से नहीं जाऊंगी। खेत से घूमकर जाऊंगी। क्योंकि बॉर्डर से गई तो ये वर्दी वाला परेशान करेगा।
मधवापुर के दीपक कुमार दास भी नेपाल की फोर्स से परेशान हैं। बोले, हमारे यहां पानी की लाइन भी खुदती है तो वो लोग आ जाते हैं। काम रुकवा देते हैं। बोलते हैं यहां हमारी जमीन है। यहां कुछ मत करो। जबकि हमारी आर्मी वाले कभी परेशान नहीं करते। हम लोग तो सालों से एक-दूसरे से मिलकर रह रहे हैं। पड़ोसियों की तरह रहते हैं। एक-दूसरे के यहां खाने-पीने तक के सामान तक का लेना-देना होता है लेकिन ये फोर्स वाले रिश्ता बिगाड़ना चाहते हैं।
दीपक के घर के बाहर ही खड़े नेपाल के रामेश्वर शाह ने बताया, हम एक-दूसरे को चंदा देते हैं। नवरात्रि, गणेश उत्सव पर हम मटिहानी से चंदा जुटाते हैं। हमारे मधवापुर वाले दोस्त भी साथ होते हैं। अब सरकार कुछ भी सोचे, उससे हमें फर्क नहीं पड़ता। हमारे रिश्ते आपस में बहुत मजबूत हैं। मधवापुर की दुकानों का भी बॉर्डर पर स्थित दूसरी दुकानों जैसा ही हाल है। यहां भी नेपाली ग्राहकों की भरमार होती है। इसलिए ये लोग भी चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच सदियों से जो प्यारे भर संबंध हैं वो चलते रहें। रोटी-बेटी का कल्चर बना रहे।
मनमीत रावत पिछले सप्ताह देहरादून से किसी कामसे गोपेश्वर गए थे। वहां सेउन्होंनेबद्रीनाथ जाने का फैसला किया, लेकिन रास्ते में दर्जनों जगहोंपर पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है। इसवजह से10-15 किलोमीटर के सफर के बाद उन्हें 10 मिनट के लिए रुकना पड़ता था। इससे उन्हें जोशीमठ पहुंचने में देर हो गई और वेउस दिन बद्रीनाथ नहीं जा सके। उनके जैसे कई ऐसे लोग हैं जिन्हें रात जोशीमठ में ही बितानी पड़ी।
ऋषिकेश से लेकर बद्रीनाथ के पास भारत के अंतिम गांव माणा तक 300 किमीलंबे मार्ग को चौड़ा करने के लिए पहाड़ों को काटने का काम इस समय जोरों पर है, ताकि इस मार्ग को हर मौसम में यात्रा के लायक बनाया जा सके। कोरोना की वजह से इस बार अभी तक उत्तराखंड में तीर्थयात्रा पूरी तरहसे शुरू नहीं हो सकी है।
अभी उत्तराखंड के लोगों को ही इसकी अनुमति है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगले साल की यात्रा तक इसका ज्यादातर काम पूरा हो जाएगा।हालांकि, पर्यावरण विभाग कीमंजूरी और हाईकोर्ट में याचिका की वजह से कई कामअटके भी पड़े हैं। इन बाधाओं के दूर होने के बाद ही चारधाम की यात्रा को आसान बनाया जा सकता है।
हालांकि, जहां तक मार्ग पर काम पूरा हो रहा है, वहां स्थानीय लोग बड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। रुद्रप्रयाग के रहने वाले महाबीर प्रसाद भट्ट बताते हैं कि लाल पहाड़ से लेकर सुमेरपुर तक के 5 किमीइलाके में पहाड़ों को काटने का काम पूरा होने के बाद बड़ी राहत होगी। क्योंकि यह रास्तासंकरा और मुश्किलथा। ऋषिकेश और व्यासी के बीच नए पुलों व एलीवेटेड रोड को बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है।
देवप्रयाग में नया पुल बनने से भी आसानी होगी। ऋषिकेश से गंगोत्री-यमुनोत्री मार्ग पर धरासू तक सड़क बनाने का काम अंतिम चरण मेंहै। हालांकि धरासू से आगे दोनों ही तीर्थों के लिए मार्ग चौड़ा करने में वन व पर्यावरण विभाग की मंजूरी मिलनाबाकी है। इसके बावजूद धरासू तक सड़क चौड़ी होने से चंबा, टिहरी और उत्तरकाशी तक यातायात आसान हो जाएगा।
उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को जाने वाले सभी मार्गों को चार धाम यात्रा परियोजना के तहत चौड़ा व सुगम बनाया जा रहा है। 11 हजार 700 करोड़ की इस परियोजना के तहत कुल 889 किमीसड़क को चौड़ा किया जा रहा है। ऋषिकेश से बद्रीनाथ तक करीब 300 किमीकी यात्रा में अभी 10 से 12 घंटे का समय लगता है।
लेकिन, इस परियोजना के पूराहोने के बाद यह समय आधे से भी कम हो जाएगा। इसके लिए मौजूदा सड़कों की चौड़ाई को दोगुना किया जा रहा है। यानी अभी तक जिस रास्ते पर दो वाहन भी बड़ी मुश्किल से एक दूसरे को क्रॉस कर पाते थे, अब वहां से चार वाहन एक साथ गुजर सकेंगे। इससे दुर्घटनाओं की संख्या में भी बड़ी कमी आएगी।
साथ ही बड़े पैमाने पर पुलों का निर्माण करके रास्तों को आसानभी बनाया जा रहा है। ऋषिकेश से गंगोत्री मार्ग पर चंबा में बनी 440 मीटर लंबी सुरंग का मई में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी उद्घाटन भी कर चुके हैं। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने रिकॉर्ड समय में इस सुरंग को बनाया है। इस मार्ग के बड़े हिस्से पर पहाड़ों को काटने का काम लगभग पूरा हो चुका है।अब सड़कों पर तेजी से कारपेटिंग हो रही है।
चारधाम परियोजना एक नजर में
ऋषिकेश से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्ग को सात हिस्सों में बनाया जा रहा है। बद्रीनाथ मार्ग को ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग और रुद्रप्रयाग से माणा तक दो हिस्सों में बांटा गया है। जबकि, केदारनाथ के लिए रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड, गंगोत्री के लिए ऋषिकेश से धरासू व धरासू से गंगोत्री और यमुनोत्री मार्गे को धरासू से यमुनोत्री में विभक्त किया गया है। इस मार्ग पर दो सुरंगें व तीन एलीवेटेड रोड भी बन रही हैं। इस सड़क को सीमा सड़क संगठन, लोक निर्माण विभाग, पीआईयू मोर्थ, एनआईडीसीएल बना रहे हैं।
सुरंग बनाने में ऑस्ट्रियन तकनीक का इस्तेमाल
चंबा शहर के ठीक नीचे बनी 440 मीटर लंबी सुरंग में नवीनतम ऑस्ट्रियन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक हरपाल सिंह के मुताबिक, इस सुरंग को बनाना अत्यंत ही चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि इसकेठीक ऊपर पूरा शहर है। बीआरओ ने इस सुरंग के एक सिरे पर जनवरी 2019 में काम शुरू किया था, लेकिन दूसरे सिरे पर काम अक्टूबर 2019 में शुरू हो सका था।
ऑस्ट्रियन तकनीक में सुरंग बनाते समय पहाड़ की खुद की ताकत का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए यह हॉर्स शू आकार की होती है। विस्फोट के बाद लगातार सुरंग को क्रमवार मजबूती देकर नियमित रूप से स्टील की प्लेट लगाई जाती हैं।
इस मार्ग के स्पीड ब्रेकर
जोशीमठ बायपास : अभी वनभूमि के हस्तांतरण का मामला अटका हुआ है।
कलियासौड़ बायपास : इस मार्ग के सर्वाधिक भूस्खलन वाले कलियासौड़ में बायपास बनाने में कई पेड़ों को काटना होगा, जिसकी अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।
धरासू-गंगोत्री मार्ग : इस मार्ग का करीब 87 किलोमीटर इलाका भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में होने की वजह से वन भूमि के अधिग्रहण की मंजूरी नहीं मिल पा रही है।
हाईकोर्ट का आदेश : सिटीजन फॉर ग्रीन दून व अन्य द्वारा दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सिर्फ उन्हीं कार्यों को जारी रखने के लिए कहा है, जिन पर पहले से ही काम चल रहा है।
चीन सीमा तक भी पहुंचता है यह मार्ग
यह मार्ग सिर्फ चार धाम यात्रा की दृष्टि से ही अहम नहीं है। इस मार्ग का सामरिक महत्व भी है। हाल के दिनों में चीन के साथ चल रहे गतिरोध ने इसकी भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। चीन सीमा पर जाने के लिए भारतीय सैनिक इसी मार्ग का इस्तेमाल करते हैं।
‘हमारी कोशिश है कि इस मार्ग को 2021 तक पूरा कर दिया जाए, क्योंकि सामरिक दृष्टि से अहम इस राजमार्ग के काम को हर तरह से प्राथमिकता दी जा रही है। सभी मंजूरी ली जा रही हैं व अन्य तकनीकी अवरोधों को दूर किया जा रहा है। - आर.के. सुधांशु सचिव, लोक निर्माण विभाग, उत्तराखंड
पिछले दिनों कॉमेडियन अग्रिमा जोशुआ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वीडियो में अग्रिमा ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के बारे में टिप्पणी की थी। ये वीडियो करीब सालभर पुराना था। इस वीडियो को लेकर अग्रिमा ने माफी भी मांगी। लेकिन, ये मामला यहीं नहीं रुका।
गुजरात के वड़ोदरा के रहने वाले शुभम मिश्रा नाम के एक लड़के ने एक वीडियो पोस्ट कर अग्रिमा को न सिर्फ भद्दी गालियां दीं, बल्कि आपत्तिजनक बातें भी कहीं। इस पूरे मामले के बाद शुभम को वड़ोदरा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। लेकिन, इस पूरे मामले के बाद महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बातें होने लगी। इस घटना के बहाने वो पांच रिपोर्ट जो बताती हैं देश और दुनिया में महिलाओं की स्थिति।
दो साल पहले आई थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की रिपोर्ट में भारत को महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे असुरक्षित देशों की लिस्ट में पहले नंबर पर रखा था। यानी भारत का नाम दुनिया में उन देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर था, जो एंटी-वुमन थे। एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक, हमारे देश में हर साल 2 लाख से ज्यादा बच्चियों को या तो जन्म से पहले ही मार दिया जाता है या फिर उन्हें 5 साल तक की उम्र भी नसीब नहीं होती।
1. लापता महिलाओं की संख्या हमारे देश में चीन के बाद सबसे ज्यादा
जून में यूएन पॉपुलेशन फंड की ‘द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन 2020' पर एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 से लेकर 2020 के बीच दुनियाभर में 14.26 करोड़ महिलाएं लापता हुई थीं। इनमें से 4.58 करोड़ महिलाएं अकेले भारत में लापता हुई थीं। ये आंकड़ा चीन के बाद सबसे ज्यादा है। चीन में इस दौरान 7.23 करोड़ महिलाएं लापता हुईं। इतना ही नहीं हर साल दुनियाभर में 12 लाख बच्चियां पैदा होते ही लापता हो जाती हैं। इनमें 90 से 95% अकेले चीन और भारत में होती हैं।
2. 31% से ज्यादा महिलाएं डोमेस्टिक वायलेंस की शिकार
2015-16 में हुए चौथे नेशनल फैमिल हेल्थ सर्वे में 31.1% शादीशुदा महिलाएं अपने जीवन में कम से कम एक बार वायलेंस का शिकार जरूर होती हैं। इसी साल एक प्राइवेट एजेंसी के सर्वे में भी सामने आया था कि 80% कामकाजी महिलाओं पर पति अत्याचार करते हैं।
सरकार की ही एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी का डेटा बताता है कि हर साल 1 लाख से ज्यादा ऐसे मामले दर्ज होते हैं, जिनमें महिलाओं पर या तो उनके पति या फिर कोई रिश्तेदार अत्याचार करते हैं।
3. हर दिन 20 महिलाएं दहेज न देने की वजह से मारी जाती हैं
सालों पुरानी दहेज प्रथा आज भी चल रही है। दुनिया में भारत ऐसा देश है, जहां दहेज न मिलने पर महिला को मार दिया जाता है। सरकारी आंकड़े भी यहीं बयां करते हैं। एनसीआरबी के मुताबिक, 2018 में देशभर में 7 हजार 277 महिलाओं को दहेज न मिलने पर मार दिया गया था। यानी हर दिन 20 महिलाएं।
4. ट्विटर पर महिला राजनेताओं को मेंशन करने वाले हर 7 में से 1 ट्वीट एब्यूसिव
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान मार्च से मई के बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक स्टडी की थी। इसमें 95 महिला राजनेताओं को मेंशन करने वाले 1.14 लाख से ज्यादा ट्वीट का एनालिसिस किया गया था। इनमें से 13.8% ट्वीट प्रॉब्लमैटिक या एब्यूसिव लैंग्वेज वाले थे। यानी हर दिन 10 हजार से ज्यादा ट्वीट ऐसे किए गए, जिनमें इन 95 महिला राजनेताओं के खिलाफ एब्यूसिव लैंग्वेज लिखी गई।
5. महिलाएं, पुरुषों के बराबर काम करती हैं, लेकिन तनख्वाह उनसे कम
देश में पुरुषों की तुलना में कामकाजी महिलाओं की संख्या बहुत ही कम हैं। केंद्र सरकार के ही आंकड़ों के मुताबिक, 2017-18 में देशभर के कामगारों में पुरुषों की संख्या 71.2% और महिलाओं की संख्या 22% थी। यानी हर 100 कामगारों में सिर्फ 22 महिलाएं ही हैं।
इतना ही नहीं, देशभर में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में तनख्वाह भी कम मिलती है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाजेशन के मुताबिक, देश में एक ही काम के लिए पुरुष कामगारों की तुलना में महिला कामगारों को 34.5% कम तनख्वाह मिलती है। जबकि, पाकिस्तान में यही अंतर 34% का है।