शनिवार, 9 जनवरी 2021

सरकार और किसानों की बातचीत फिर बेनतीजा, कोरोना के नए स्ट्रेन पर भी असर दिखाएगी वैक्सीन और देश में होगी गौ-विज्ञान की परीक्षा

नमस्कार!
देश के 6 राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने से चिकन के दाम औंधे मुंह गिरे हैं। ब्रिसबेन टेस्ट को लेकर BCCI और क्वींसलैंड सरकार में ठन गई है। एक्ट्रेस कंगना रनौत से देशद्रोह के मामले में पूछताछ हुई है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं मार्केट क्या कह रहा है

  • BSE का मार्केट कैप 195.66 लाख करोड़ रुपए रहा। 53% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 3,267 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 1,734 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,388 के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर...

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रवासी भारतीय दिवस पर कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे।
  • भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बंगाल जाएंगे, वे बर्द्धवान में घर-घर जाकर लोगों से एक मुट्ठी चावल मांगेंगे।
  • गृहमंत्री अमित शाह दो दिन के मिजोरम दौरे पर पहुंचेंगे। शाह लगातार पूर्वोत्तर के दौरे कर रहे हैं।

देश-विदेश

सरकार और किसानों की 9वीं बैठक भी बेनतीजा
सरकार के साथ किसानों की 9वें दौर की बातचीत बेनतीजा रही। किसानों ने तल्ख लहजे में सरकार से कहा कि आप हल निकालना नहीं चाहते हैं। अगर ऐसा है तो हमें लिखकर बता दीजिए, हम चले जाएंगे। बैठक में किसान तख्ती लगाकर बैठे जिस पर लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे। ऑल इंडिया किसान सभा ने कहा, 'हमने कह दिया है कि कानून वापसी के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं है। कानून वापस लो, नहीं तो हमारी लड़ाई चलती रहेगी। किसानों और सरकार के बीच अगली बैठक 15 जनवरी को होगी।

बर्ड फ्लू से धड़ाम हुए चिकन के दाम
देश के 6 राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। कई शहरों में मुर्गों के दाम 30 से 50 रुपए प्रति किलो तक गिर गए हैं। मध्यप्रदेश में केस सामने आने के बाद इंदौर, उज्जैन में चिकन की दुकानें बंद करानी पड़ीं। वहीं, जयपुर, अजमेर, रांची, वाराणसी समेत कई शहरों में भी चिकन और अंडे की कीमतों में गिरावट आई है। इधर, हिमाचल प्रदेश के विदेशी पक्षियों की 17 प्रजातियां संक्रमित पाई गई हैं। इसमें से अधिकांश बार हैडेड गूज हैं।

कोरोना स्ट्रेन के खिलाफ अच्छी खबर
कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ अच्छी खबर आई है। नई रिसर्च में पता चला है कि फाइजर की कोरोना वैक्सीन ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट्स पर भी कारगर है। यानी यह वैक्सीन इन नए वैरिएंट्स को रोकने में भी कारगर है। इन वैरिएंट्स की वजह से दुनियाभर में चिंता थी। दोनों ही वैरिएंट्स में एक कॉमन म्युटेशन था, जिसे N501Y नाम दिया गया था। ब्रिटेन में नए सामने आने वाले ज्यादातर केस नए स्ट्रेन की वजह से थे।

सेना का रिटायर्ड जवान करता था जासूसी
उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने शुक्रवार को हापुड़ और गुजरात के गोधरा में छापेमारी की। ATS ने हापुड़ से सेना के एक रिटायर्ड जवान को गिरफ्तार किया है। वह पाकिस्तानी महिला के जरिए खुफिया सूचनाएं भेज रहा था। पाकिस्तानी महिला से उसका संपर्क फेसबुक पर हुआ था। इसी मामले में गुजरात के गोधरा से पकड़े गए अनस नाम के आरोपी को पुलिस यूपी लेकर आ रही है। उसका भाई भी 3 महीने पहले जासूसी केस में गिरफ्तार हो चुका है।

कंगना पर राजद्रोह का केस
एक्ट्रेस कंगना रनोट शुक्रवार (8 जनवरी) को अपनी बहन रंगोली चंदेल के साथ मुंबई के बांद्रा पुलिस स्टेशन में बयान दर्ज करवाने पहुंचीं। पुलिस ने उनसे दो घंटे तक पूछताछ की। दोनों के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर 17 अक्टूबर को बांद्रा पुलिस स्टेशन में राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था। कंगना को पूछताछ के लिए 3 बार समन किया जा चुका है, लेकिन भाई की शादी की वजह से वह पेश नहीं हुईं थीं। उन पर हिंदू-मुस्लिम के नाम पर फूट डालने के आरोप लगे हैं।

क्वींसलैंड सरकार और BCCI में ठनी
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिस्बेन में होने वाले चौथे टेस्ट मैच को लेकर BCCI और क्वींसलैंड सरकार में ठन गई है। बोर्ड भारतीय खिलाड़ियों को सख्त क्वारैंटाइन नियमों में ढील देने की मांग कर रहा है। जबकि क्वींसलैंड सरकार मामले में कोई रियायत बरतने के मूड में नहीं दिख रही। BCCI की चिट्‌ठी के बाद क्वींसलैंड सरकार ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय खिलाड़ियों को ब्रिस्बेन में क्वारैंटाइन नियमों का सख्ती से पालन करना ही होगा। क्वींसलैंड के हेल्थ डिपार्टमेंट ने कहा कि अगर ब्रिस्बेन में टेस्ट होता है, तो टीम इंडिया के प्लेयर्स को सिर्फ ट्रेनिंग और खेलने की ही परमिशन दी जाएगी।

एक्सप्लेनर
वैक्सीन पर वैकल्पिक स्ट्रैटजी

अमेरिका, ब्रिटेन समेत 16 से ज्यादा देशों में कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। वैक्सीन की डोज की कम उपलब्धता को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करने के लिए नई स्ट्रैटजी पर विचार हो रहा है। इसमें दूसरी डोज का गैप बढ़ाना, डोज का साइज घटाना और पहली व दूसरी डोज में वैक्सीन बदलने का प्रपोजल भी है। अब इस स्ट्रैटजी पर विशेषज्ञों में बहस शुरू हो गई है। इसकी जरूरत क्यों पड़ रही है? पढ़िए यहां...

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पॉजिटिव खबर
गाय-भैंस के वीडियो से लाखों की कमाई

यूके से लौटे रामदे और भारती अपने वीडियो में गाय-भैंस को चारा खिलाते दिखते हैं, तो किसी में चूल्हे पर खाना बना रहे होते हैं। किसी वीडियो में वे खेत में काम करते नजर आते हैं, तो किसी में माता-पिता के साथ बात करते हुए दिखते हैं। इनके वीडियो न स्क्रिप्टेड होते हैं और न ही उनमें बहुत एडिटिंग की जाती है। लेकिन फिर भी उन्हें यूट्यूब पर खूब देखा जाता है। महीने का साढ़े चार से पांच लाख रुपए सिर्फ यूट्यूब से कमा रहे हैं।

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हिंसा देखकर झूम रहा था ट्रम्प परिवार?
गुरुवार को जब अमेरिकी संसद में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थक तोड़फोड़ और मारपीट कर रहे थे, उस वक्त ट्रम्प का पूरा परिवार टीवी पर इसे लाइव देख रहा था। इसका एक वीडियो सामने आया है। इसे ट्रम्प के बेटे ने शूट किया है। एक मिनट 54 सेकंड के वीडियो में ट्रम्प और उनकी बेटी इवांका टीवी स्क्रीन्स पर हिंसा को देखते नजर आ रहे हैं। बैकग्राउंड में तेज म्यूजिक भी चल रहा है। ट्रम्प और इवांका गंभीर दिख रहे हैं, जबकि उनका बेटा डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर, उनकी गर्लफ्रेंड किम्बर्ली और ट्रम्प के चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मीडोज खुश नजर आ रहे हैं।

गौ-विज्ञान पर राष्ट्रीय परीक्षा
अब तक बच्चे परीक्षाओं में गाय पर सिर्फ निबंध लिखते थे, लेकिन अब वे गाय को लेकर परीक्षा दे सकते हैं। देश में 25 फरवरी को गौ-विज्ञान पर राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा होगी। परीक्षा गौ-कल्याण के लिए काम करने वाली केंद्रीय संस्था राष्ट्रीय कामधेनु आयोग करवा रही है। आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कठिरिया ने बताया कि परीक्षा एक घंटे लंबी होगी। परीक्षा में 100 ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे जाएंगे। ये सवाल हिंदी, अंग्रेजी और 12 प्रांतीय भाषाओं में पूछे जाएंगे। इसमें कोई भी शामिल हो सकता है।

सुर्खियों में और क्या है...

  • कोरोना के नए स्ट्रेन के बढ़ते मामलों के बीच शुक्रवार को ब्रिटेन और भारत के बीच फ्लाइट्स शुरू हो गईं। पहली फ्लाइट से 256 पैसेंजर्स दिल्ली पहुंचे।
  • इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि मार्च तक देश में 16 साल से ज्यादा के सभी उम्र वालों को वैक्सीनेट कर दिया जाएगा।


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Top news of January 2021| The talks between the government and the farmers will again show an impact on the new strain of Corona, the vaccine and the bio-science examination will be done in the country.


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अनुशासन, नियम और समर्पण, ये तीन बातें किसी भी काम में हमें एक्सपर्ट बना सकती हैं

कहानी - महाभारत में एकलव्य की कथा हमें अनुशासन का महत्व समझाती है। एक दिन एकलव्य कौरव और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के पास पहुंचा और बोला, 'गुरुदेव मैं भी धनुर्विद्या सीखना चाहता हूं, कृपया मुझे भी अपना शिष्य बना लें।'

द्रोणाचार्य ने कहा, 'मैं सिर्फ राजकुमारों को ही धनुर्विद्या का ज्ञान देता हूं। इसीलिए तुम्हें अपना शिष्य नहीं बना सकता।'

एकलव्य ने उसी समय मन से द्रोणाचार्य को अपना गुरु मान लिया। वह जंगल में अपने क्षेत्र में पहुंचा और वहां मिट्टी से द्रोणाचार्य की एक मूर्ति बनाई। एकलव्य रोज गुरु की मूर्ति के सामने अनुशासन में रहकर धनुष-बाण चलाने का अभ्यास करने लगा।

महाभारत में एकलव्य की इस कथा को नियम के सूत्र से जोड़ा गया है। अगर कोई व्यक्ति नियम, अनुशासन और समर्पण के साथ काम करता है तो क्या परिणाम मिल सकता है, ये हम इस कथा से समझ सकते हैं।

नियमित रूप से अभ्यास करते रहने से एकलव्य बाण छोड़ने और लौटाने की विद्या में दक्ष हो गया। एक बार एकलव्य अभ्यास कर रहा था, तब एक कुत्ता वहां आकर भौंकने लगा। इस कारण एकलव्य के अभ्यास में दिक्कत होने लगी। तब उसने एक साथ सात बाण छोड़कर कुत्ते का मुंह बंद कर दिया।

उस समय कौरव और पांडव पुत्र द्रोणाचार्य के साथ जंगल में घूम रहे थे। वह कुत्ता इन लोगों के सामने पहुंचा तो द्रोणाचार्य और सभी राजकुमार उसे देखकर हैरान थे। कुत्ते के मुंह में एक साथ इतने सारे बाण बहुत ही कुशलता के साथ मारे गए थे, उसके मुंह से खून की एक बूंद तक नहीं निकली थी।

द्रोणाचार्य और राजकुमार कुत्ते के मुंह में बाण मारने वाले धनुर्धर को खोजने लगे। कुछ देर बाद खोजते हुए सभी लोग एकलव्य के पास पहुंच गए। एकलव्य ने द्रोणाचार्य को प्रणाम किया और बताया कि मैं आपका ही शिष्य हूं। द्रोणाचार्य ये सुनकर चौंक गए।

तब गुरु ने अपने सभी शिष्यों से कहा, 'एकलव्य आज इतना दक्ष हुआ है तो ये उसके अनुशासन, नियम और समर्पण का प्रभाव है। शिक्षा के क्षेत्र में ये तीनों बातें बहुत जरूरी हैं।'

सीख - एकलव्य के पास गुरु द्रोण उपस्थित नहीं थे, लेकिन वह गुरु की अनुपस्थिति में अपने अनुशासन और लगातार अभ्यास से धनुर्विद्या में दक्ष हो गया। यही बात हमें भी ध्यान रखनी चाहिए। अगर हम कुछ सीखना चाहते हैं तो अनुशासन, नियम और समर्पण के साथ लगातार अभ्यास करना चाहिए।



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aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, story of eklavya from mahabharata, eklavya and dronacharya story


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फिर बेनतीजा रही बातचीत, सरकार ने किसानों पर ही डाली विकल्प खोजने की जिम्मेदारी



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Negotiable again, the government left the task of finding options on the farmers


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4 साल पहले UK से गांव लौटा कपल, अब यूट्यूब पर गाय-भैंस का वीडियो अपलोड कर कमा रहे 5 लाख रु. महीना

रामदे और भारती किसी वीडियो में गाय-भैंस को चारा खिलाते दिखते हैं तो किसी में चूल्हे पर खाना बना रहे होते हैं। किसी वीडियो में खेत में काम करते नजर आते हैं, तो किसी में माता-पिता के साथ बात करते हुए दिखते हैं। इनके वीडियो न स्क्रिप्टेड होते हैं और न ही उसमें बहुत एडिटिंग की जाती है, लेकिन फिर भी ये यूट्यूब पर खूब देखे जाते हैं। महीने का साढ़े चार से पांच लाख रुपए सिर्फ यूट्यूब से कमा रहे हैं। कहते हैं कि यूट्यूब के लिए वीडियो तो शौक से बनाते हैं, मुख्य काम तो खेतीबाड़ी है।

रामदे और भारती दोनों ही ब्रिटेन में रहते थे। रामदे की बहन UK में रहती हैं। उन्हीं के साथ वो 2006 से 2008 तक रहे फिर वापस लौट आए। शादी के बाद 2010 में फिर UK चले गए। वहां नौकरी करने लगे। भारती को पढ़ाई करनी थी तो वो वहीं से हॉस्पिटल मैनेजमेंट में ग्रैजुएशन करने लगीं। जिंदगी सैटल हो गई थी। भारती की पढ़ाई भी पूरी हो चुकी थी, उन्हें भी नौकरी मिल गई थी। लेकिन रामदे के मन में गांव में रह रहे अपने माता-पिता की चिंता थी। कहते हैं, 'मैं इकलौती संतान हूं इसलिए 2016 में सब छोड़कर गांव लौट आया।'

घर में बाप-दादा सब खेती ही करते आए हैं, इसलिए रामदे भी खेती करने लगे। इसके साथ ही उन्होंने पशुपालन भी शुरू कर दिया। सात भैंसे खरीद लीं। दो घोड़ी भी उनके पास हैं। एक डॉगी भी है। मैंने उनसे पूछा कि आपका यूट्यूब का कारवां कैसे शुरू हुआ? तो इस पर बोले, 'सर, हमने यूट्यूब से पैसे कमाने की नहीं सोची थी। हम तो मोबाइल से अपनी डेली लाइफ के वीडियो शूट करके अपलोड कर देते थे ताकि वो यूट्यूब पर सेव हो जाएं और हम जब चाहें, उन्हें देख सकें।' बोले, 'मेमोरीज को बनाए रखने के लिए वीडियो अपलोड करना शुरू कर दिया था। इसलिए न ही कभी कोई स्क्रिप्टिंग की और न ही कोई एडिटिंग करवाई।'

ये हैं रामदे की पत्नी भारती। इन्होंने यूके से पढ़ाई की है, लेकिन अब गांव में ही खेती और पशुपालन करती हैं।

इन्हीं में से एक भैंस वाला वीडियो अचानक यूट्यूब पर वायरल हो गया। एक दिन में ही करीब साढ़े तीन लाख व्यूज आए। कहते हैं, 'वीडियो वायरल होने के बाद हमने गूगल पर यूट्यूब वीडियो के बारे में और सर्च किया। देखा कि कैसे मॉनेटाइजेशन होता है। वीडियो अपलोड करने की पॉलिसी क्या है। वीडियो कैसे बन रहे हैं। यह सब पता करके मॉनेटाइजेशन के लिए अप्लाई कर दिया। 6 महीने बाद हमारा चैनल मॉनेटाइज हो गया। फिर हर रोज एक-एक वीडियो अपलोड करने लगे। वीडियो का मकसद गांव की लाइफ स्टाइल लोगों को दिखाना था।'

रामदे के मुताबिक, 'मैं और पत्नी देश-दुनिया घूमे हैं। हम ये जानते थे कि हमारी गांव में जो लाइफ स्टाइल है, वो यूनीक है और शहर वालों के लिए नई है। इसलिए हम नेचुरल वीडियो ही अपलोड करते थे। जैसे खेत में साथ में खाना खाते हुए, पैरेंट्स के साथ वक्त बिताते हुए, खेती-बाड़ी करते हुए, घोड़ों के साथ खेलते हुए, ट्रैक्टर चलाते हुए, आरती करते हुए। बिना किसी पेड प्रमोशन के लोग इन वीडियो को देखने लगे तो सब्सक्राइबर बढ़ते चले गए। अब तीन चैनल हैं। एक चैनल बेटे के नाम से बनाया है, जिसमें उससे जुड़ी एक्टिविटी वाले वीडियो अपलोड करते हैं। एक चैनल सिर्फ गुजरातियों के लिए है और तीसरा चैनल हिंदी भाषा में है, जो मुख्य चैनल है।'

यूट्यूब से महीने का कितना कमा लेते हैं? इस सवाल पर बोले, 'कमाई का खुलासा नहीं करना चाहता, लेकिन फिर भी साढ़े चार-पांच लाख रुपए महीना हो जाता है। हमारा मुख्य काम तो खेतीबाड़ी है। यूट्यूब पर तो हम सिर्फ एक वीडियो रोज अपलोड कर देते हैं। जैसी जिंदगी जी रहे हैं, उसे ही शूट करके वीडियो बना लेते हैं। अब कई तरह के कैमरे भी ले लिए हैं। रोज महज एक से दो घंटे यूट्यूब पर देते हैं।'

यूट्यूब पर सब्सक्राइबर कैसे बढ़ाए जा सकते हैं? इस पर कहने लगे कि जो भी वीडियो अपलोड कर रहे हो, उसे डेली अपलोड करो। व्यूज नहीं आ रहे तो निराश मत हो। कंटेंट ओरिजनल है तो वायरल जरूर होता है। एक-दो वीडियो वायरल होने के बाद बाकी वीडियोज में भी व्यूज आना शुरू हो जाते हैं। रामदे के मुख्य चैनल पर अभी 7 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। हर रोज करीब हजार सब्सक्राइबर उनके चैनल से जुड़ रहे हैं।

रामदे कहते हैं कि, हम हमारी डेली लाइफ को ही कैमरे में शूट करते हैं। किसी तरह की एडिटिंग नहीं होती। रियल लाइफ देखना व्यूअर्स पसंद करते हैं।

आप भी ऐसे यूट्यूब पर बना सकते हैं अपना चैनल

यूट्यूब चैनल की शुरुआत करने के लिए जरूरी है कि सबसे पहले आपके पास एक्टिव गूगल अकाउंट हो। अगर गूगल अकाउंट नहीं है, तो आप पहले गूगल अकाउंट बना लीजिए। यूट्यूब पर गूगल अकाउंट से साइन इन करने के बाद यूट्यूब चैनल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
स्टेप- 1

यूट्यूब पर जाकर राइट साइड पर यूट्यूब अकाउंट के थंबनेल इमेज पर क्लिक करें। इसके बाद 'क्रिएट ए चैनल' विकल्प को सिलेक्ट करें।

स्टेप-2

अब यूट्यूब चैनल का नाम डालें, चैनल के नाम के लिए बेहतर होगा कि आप किसी ऐसे नाम को चुनें जिससे यह स्पष्ट हो कि आपका चैनल किससे संबंधित है।

स्टेप-3

नाम सिलेक्ट करने के बाद आपको कैटेगरी सिलेक्ट करनी होगी यानी आप किस तरह का कंटेंट पोस्ट करेंगे। इसके बाद चेक बाॅक्स पर ओके का विकल्प क्लिक करना होगा। (क्लिक करने से पहले नियम व शर्तें पढ़ लें)

स्टेप-4

आपका यूट्यूब चैनल बन गया है। अब आप एक नए पेज पर रीडायरेक्ट हो जाएंगे, जहां आप अपने ब्रांड से जुड़ी तस्वीरें, बैकग्राउंड आर्ट, चैनल आइकन अपलोड कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने चैनल के बारे में मजेदार और यूनिक डिस्क्रिप्शन डाल सकते हैं।

यहां आप वो सब कुछ शेयर कर सकते हैं, जिससे ये पता चलता है कि आपका यूट्यूब चैनल किस बारे में है और आप किस तरह के कंटेंट को कब पोस्ट करना चाहते हैं। इसके अलावा बिजनेस इन्क्वायरी के लिए आप ईमेल आईडी भी शेयर कर सकते हैं। इसके बाद आप अपने चैनल में वीडियो अपलोड के विकल्प को सिलेक्ट करके कोई भी वीडियो अपलोड कर सकते हैं।



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खेत में पत्नी और बच्चे के साथ रामदे। खेतीबाड़ी करते हैं। अधिकतर इससे जुड़े वीडियो ही यूट्यूब पर भी अपलोड करते हैं।


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ठंडक भरे इस मौसम में बनाकर देखें टेस्टी और हेल्दी चना-दाल-वड़ा सब्जी, सबको आएगी पसंद



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In this season, make tasty and healthy chana dal vada sabzi, everyone will like at home


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गांधीजी 21 साल बाद दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे, आते ही आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए

आज से ठीक 105 साल पहले की बात है। देश की राजधानी दिल्ली से करीब 1500 किलोमीटर दूर बंबई (अब मुंबई) शहर के अपोलो बंदरगाह पर हजारों कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे। इन्हें किसी का इंतजार था और जिनका इंतजार था, वो थे मोहनदास करमचंद गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी। 1915 की उस 9 जनवरी की सुबह जैसे ही गांधीजी अपोलो बंदरगाह पर उतरे, इन कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।

गांधी 1893 में दक्षिण अफ्रीका गए थे। उस समय वो 24 साल के थे, लेकिन जब भारत लौटे तो 45 साल के अनुभवी वकील बन चुके थे। कहते हैं कि वो गांधी बनकर गए थे और महात्मा बनकर लौटे। मोहनदास करमचंद गांधी पर उस दिन देश के 25 करोड़ लोगों की निगाहें थीं और वो इसलिए, क्योंकि अफ्रीका में रहते हुए उन्होंने जो लड़ाई लड़ी, उसी ने भारतीयों को भी उम्मीद दी कि यही नेता हमें आजादी दिला सकता है।

गांधी ऐसे वक्त में लौटे थे, जब भारत बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा था। 1905 में बंगाल के दो टुकड़े कर दिए गए। 1911 में ही हिंदुस्तान की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली कर दी गई। कांग्रेस पार्टी भी 30 बरस की हो चुकी थी, लेकिन उसने भी अब तक आजादी के आंदोलन में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई थी। आजादी किस तरह हासिल की जाए, इसको लेकर भी अलग-अलग राय थी। कुछ नेता अंग्रेजों को उन्हीं की जुबान में जवाब देने की बात करते थे, तो कुछ अहिंसा से आजादी की लड़ाई लड़ने की बात कह रहे थे।

गांधीजी ने भारत लौटने के दो साल बाद बिहार के चम्पारण से आजादी के लड़ाई के लिए सत्याग्रह शुरू किया। इसे चम्पारण सत्याग्रह भी कहा जाता है। उन्होंने आजादी की लड़ाई का जिम्मा उठाया और एक के बाद एक आंदोलन कर अंग्रेज सरकार को झुकने के लिए मजबूर कर दिया। गांधीजी के भारत लौटने पर ही हर साल 9 जनवरी को प्रवासी दिवस मनाया जाता है।

पहली बार भारतीय दल अंटार्कटिक पहुंचा
बर्फीले अंटार्कटिक महाद्वीप पर पहला भारतीय अभियान दल आज ही के दिन 1982 में पहुंचा था। इस अभियान की शुरुआत 1981 में हुई थी और इस टीम में कुल 21 सदस्य थे, जिसका नेतृत्व डॉक्टर सैयद जहूर कासिम ने किया था। कासिम तब पर्यावरण विभाग के सचिव थे और राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान निदेशक का पद संभाल चुके थे। इस मिशन का लक्ष्य यहां वैज्ञानिक अनुसंधान करना था। इस दल ने अपनी यात्रा की शुरुआत गोवा से 6 दिसंबर, 1981 को की और अंटार्कटिक से 21 फरवरी, 1982 को वापस गोवा पहुंच गए।

भारत और दुनिया में 9 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं :

  • 2012: लियोनल मेसी ने लगातार दूसरे वर्ष फीफा का बैलोन डी’ओर (सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर) पुरस्कार जीता।
  • 2002: माइकल जैक्सन को अमेरिकन म्यूजिक अवॉर्ड में आर्टिस्ट ऑफ द सेंचुरी का अवॉर्ड दिया गया।
  • 1970: सिंगापुर में संविधान को अपनाया गया।
  • 1941: यूरोपीय देश रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में छह हजार यहूदियों की हत्या।
  • 1934: अपनी आवाज के जादू से लाखों दिलों की धड़कन पर राज करने वाले गायक महेंद्र कपूर का जन्म हुआ। जिन्होंने नीले गगन के तले, चलो एक बार फिर से, मेरे देश की धरती, है प्रीत जहां की रीत सदा, अब के बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे जैसे गीतों को आवाज दी।
  • 1873: यूरोपीय शासक नेपोलियन बोनापार्ट तृतीय की मृत्यु।
  • 1811: विश्व में पहली बार महिलाओं का पहला गोल्फ टूर्नामेंट आयोजित किया गया।
  • 1793: दुनिया के पहले गर्म हवा के गुब्बारे ने अमेरिका के फिलाडेल्फिया में उड़ान भरी थी।
  • 1768: फिलिप एस्टले ने पहले ‘मॉडर्न सर्कस’ का प्रदर्शन किया।
  • 1718: फ्रांस ने स्पेन के खिलाफ लड़ाई का ऐलान किया।


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Today History: Aaj Ka Itihas India World 9 January Update | Mahatma Gandhi Return To India From South Africa, Pravasi Bharatiya Divas Interesting Facts


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विदेश में कमाने वाले भारतीय अब पैसा नहीं भेज पा रहे, कई महीनों तक स्थिति सुधरने के आसार नहीं

भारत वह देश है, जहां विदेशों से लोग सबसे ज्यादा पैसा भेजते हैं, लेकिन इस साल कोरोना के चलते इसमें भारी गिरावट आई है। अप्रैल-जून 2020 की तिमाही में पिछले साल के मुकाबले 16.2 हजार करोड़ रुपए कम भेजे गए। वहीं, जुलाई-सितंबर की तिमाही में यह कमी 17.7 हजार करोड़ रुपए की रही।

वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि 2020-21 में विदेशों से भारत भेजे जाने वाली रकम में 9% की गिरावट आएगी, जबकि कई सालों से विदेशों से भारत आने वाला पैसा लगातार बढ़ रहा था। 2019 में भी इसमें 5.5% की बढ़ोतरी हुई थी। कोरोना की वजह से विदेशों में लोगों की नौकरियां चली गईं और ऐसे कई लोग देश लौट आए। इस वजह से इस साल विदेशों से आने वाले पैसे में कमी आई।

वंदे भारत के तहत 38 लाख लोगों को विदेशों से वापस लाई सरकार
कोरोना से पहले तक 1.36 करोड़ NRI देश से बाहर थे। मई की शुरुआत से अब तक 38.4 लाख लोगों को वंदे भारत मिशन के तहत सरकार देश वापस ला चुकी है। इस दौरान कुल 6500 फ्लाइट्स चलाई गईं। वंदे भारत मिशन के तहत सिर्फ UAE से 4,57,596 लोगों को भारत वापस लाया गया, जो वहां की कुल आबादी का 5% है।

नागरिक उड्डयन मंत्री के मुताबिक, वापस आए यात्रियों में वे भी शामिल हैं, जो दो देशों के बीच हुए एयर बबल समझौते के तहत लौटे हैं। इस समझौते के तहत दो देश आपस में कुछ प्रतिबंधों और नियमों को मानते हुए आवाजाही शुरू कर देते हैं। भारत ने 23 देशों के साथ एयर बबल समझौता किया है।

वापस आने वाले ज्यादातर मजदूर बिहार के
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर NRI की मदद के लिए तैनात एक अधिकारी बताते हैं, ‘वंदे भारत मिशन के तहत लौटे ज्यादातर मजदूर बिहार से थे, जो खाड़ी देशों में काम कर रहे थे। नौकरी छूटने की वजह से पहले ही उनके पास पैसे नहीं थे। फिर ज्यादातर को 72 घंटे के अंदर कराई गई कोरोना जांच की जानकारी नहीं थी। ऐसे में लौटने पर उन्हें एयरपोर्ट पर कोरोना जांच के लिए 5000 रुपए खर्च करने होते थे। यह उनके लिए बड़ी मुसीबत थी। इस प्रक्रिया में देरी से उनकी अपने शहरों की फ्लाइट भी छूटीं और उन्हें दोहरा आर्थिक नुकसान हुआ।’

लोग पैसा उधार लेकर वापस आए
तिरुअनंतपुरम के सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज में पढ़ाने वाले प्रवासी मामलों के जानकार डॉ. हीरालाल बताते हैं, 'केंद्र सरकार ने विदेशों से लौटने वालों की मदद नहीं की। उनसे वापस आने के पैसे भी वसूले। लॉकडाउन के चलते जिन मजदूरों की नौकरी पहले ही छूट चुकी थी, उन्होंने मोटी रकम उधार लेकर विदेशों से वापस आने के टिकट और जांच वगैरह का खर्च उठाया। अब वे अगर कमाने भी लगे तो यह कर्ज चुकाने में ही उनकी कई महीने की आमदनी खप जाएगी। ऐसे में विदेशों से आने वाले धन में आई गिरावट फिलहाल जल्दी सामान्य नहीं होगी।'

केरल और पंजाब की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर
विदेशों से भेजा गया धन अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी होता है। NRI विदेशों से जो पैसा भारत भेजते हैं, वह बड़ी मात्रा में देश के घाटे यानी करंट डेफिसिट की भरपाई करता है। 2019 में विदेशों से आया धन कुल GDP का 3% था।

2020 में इसमें आई कमी का सबसे ज्यादा असर केरल पर पड़ने की गुंजाइश है, जिसके करीब 25 लाख प्रवासी खाड़ी देशों में रहते हैं। मनी कंट्रोल के मुताबिक, केरल में आने वाले विदेशी धन में 15% की गिरावट आने का अनुमान है। केरल और पंजाब में बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं, जो अपने खर्च के लिए पूरी तरह से विदेशों से भेजे गए पैसों पर निर्भर रहते हैं।

डॉ. हीरालाल कहते हैं, ‘भले ही केरल, पंजाब और कुछ अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों को विदेशों से भेजे वाले धन के मामले में भारी गिरावट का सामना करना पड़ेगा, लेकिन खाड़ी में मजदूरी करने वाले उत्तर भारतीयों के लिए यह बड़ी त्रासदी होगी, क्योंकि इनके पास पहले से की गई बचत नहीं है।’

अन्य देशों की आर्थिक मंदी भी असर डालेगी
दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में आई हैं। इससे वहां रहने वाले भारतीयों के पैसा भारत भेजने में कमी आना तय है। जो यहां से लौटे हैं, उन्हें फिर नौकरी मिलना भी मुश्किल होगा।

डॉ. हीरालाल के मुताबिक, कोरोना का असर 2021 में भी दिखता रहेगा। वे कहते हैं, 'स्थिति सामान्य होने पर केरल जैसे राज्यों के स्किल्ड वर्कर अपना काम पाने में सफल रहेंगे, लेकिन राजस्थान, बिहार और यूपी के नॉन-स्किल्ड वर्कर्स को परेशानियां उठानी पड़ेंगी।'

खाड़ी देशों में काम करने वालों पर सबसे ज्यादा असर
राज्यसभा में दिए गए सरकार के जवाब के मुताबिक, भारत में विदेशों से आने वाले कुल धन का 82% यूएई, अमेरिका, सऊदी अरब, कतर, कुवैत, ओमान, ब्रिटेन और मलेशिया से आता है। विदेशों से आने वाले कुल धन में 50% से ज्यादा हिस्सा खाड़ी देशों का होता है।

हालांकि, इस साल तेल के दामों में आई गिरावट और इम्पोर्ट के कम होने से भारत के करंट डेफिसिट पर बोझ कम हुआ है, लेकिन बुरा पक्ष यह है कि खाड़ी देशों की इकोनॉमी पर भी असर पड़ा है। इससे भारत के लोगों के लिए वहां रोजगार का संकट पैदा हो गया है। ऐसे भारतीयों के वहां से लौटने की संख्या भी बढ़ी है।

NRI दो वजहों से पैसे भेजते हैं-
1. परिवार की जरूरतों के लिए
2. बचत/निवेश के लिए

सरकार ने राज्यसभा में दिए एक जवाब में बताया था कि भारतीयों ने विदेशों से जो धन भेजा, उसमें से करीब 60% का इस्तेमाल परिवार की जरूरतों, 20% का उपयोग बैंक डिपॉजिट और 8.3% का इस्तेमाल जमीन, संपत्ति और शेयर आदि में निवेश के लिए किया गया था।

फिर भी भारत नंबर 1 बना रहेगा
इस सबके बावजूद भारत विदेशों से भेजे जाने वाले पैसों के मामले में नंबर 1 बना रहेगा। फिलहाल भारत के बाद चीन, मैक्सिको, फिलीपींस और मिस्र में सबसे ज्यादा पैसा विदेशों से भेजा जाता है। 2019 में 25,43,577 भारतीय रोजगार के लिए विदेश गए थे, लेकिन यात्राओं पर रोक से इसमें साल 2020 और 2021 में बहुत कमी आएगी।



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NRI Money Transfer; How Much Money Does NRI Give ToPunjab Kerala Gujarat Delhi Mumbai Jaipur From UAE USA Saudi Arabia Oman UK


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एंजियोप्लास्टी से नई जिंदगी मिलती है, ऑर्टरी में स्टेंट लगाने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है; जानिए आपको कितना रिस्क है

BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली को हाल ही में माइनर हार्ट अटैक आया था। इसके बाद उन्हें कोलकाता के वुडलैंड्स हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, यहां उनकी प्राइमरी एंजियोप्लास्टी की गई। गांगुली अभी 48 साल के हैं और पूरी तरह से फिट थे। उन्होंने जिंदगी के करीब 38 साल तक क्रिकेट खेला है। रिटायरमेंट के बाद भी वह रोज जिम जाते थे और योग करते थे। ऐसे में गांगुली जैसे फिट व्यक्ति को हार्ट अटैक आने की खबर से हर कोई हैरान है। आखिर अटैक की वजह क्या है और यह क्यों आया?

शुरू में कहा गया कि गांगुली को माइल्ड कार्डियक अरेस्ट आया है, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी ट्वीट करके यही बात बताई। लेकिन गांगुली को माइल्ड हार्ट अटैक आया था।

कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में फर्क होता है

पद्मश्री और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉक्टर केके अग्रवाल कहते हैं कि कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में फर्क होता है, कार्डियक अरेस्ट का मतलब है कि दिल रुक गया और हार्ट अटैक का मतलब होता है कि दिल का एक हिस्सा काम नहीं कर रहा है। कार्डियक अरेस्ट को टेंपररी डेथ भी कहा जाता है, जिसमें सीपीआर दिया जाता है।

गांगुली को हल्का अटैक आया था। इसमें सीने के बीचोंबीच तेज दर्द होता है, दबाव और घुटन महसूस होती है, सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। ऐसी स्थिति में जो ऑर्टरी बंद हो जाती है, उसे खोल दिया जाता है। इसी को एंजियोप्लास्टी कहते हैं और ऑर्टरी में स्टेंट लगा देते हैं, ताकी दोबारा एन्क्रोचमेंट न हो। हार्ट अटैक के बाद जिंदगी भर एस्पिरिन और सालभर कुछ दवाएं चलती हैं।

कैसे पता करें की हार्ट अटैक का रिस्क है या नहीं?

सबसे जरूरी होता है ये पता करना कि हॉर्ट अटैक क्यों आया? क्या कोई फैमिली हिस्ट्री है यानी आपके परिवार में पहले किसी को हार्ट की बीमारी रही है? गांगुली के पिता को दिल की बीमारी थी। इसके साथ ही आपको अपना CRP (सी रिएक्टिव प्रोटीन) लेवल पता करना चाहिए। CRP 1 और 3 के बीच में है तो हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। CRP 3 से 10 के बीच है तो हार्ट अटैक की आशंका बहुत ज्यादा होती है।

LDL कोलेस्ट्रॉल भी चेक कराएं। CRP भी ज्यादा है और LDL कोलेस्‍ट्रॉल भी ज्यादा है तो आपको हार्ट अटैक की आशंका ज्यादा है। यदि CRP ज्यादा है और LDL कोलेस्ट्रॉल कम है या CRP कम और LDL कोलेस्ट्रॉल ज्यादा है तो आपको हार्ट अटैक का रिस्क बीच में है।

LDL कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए?

LDL कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल का लेवल 200 mg/dl से कम होना ठीक रहता है। LDL यानी बैड कोलेस्ट्रॉल 100 mg/dl से कम, एलडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल 60 mg/dl से ज्यादा और ट्राईग्लिसराइड 150 mg/dl से कम होना बेहतर होता है।

क्या है एंजियोप्लास्टी?

एंजियोप्लास्टी सर्जिकल प्रक्रिया है, इसमें हृदय की मांसपेशियों तक ब्लड सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाओं को खोला जाता है। इन रक्त वाहिकाओं को कोरोनरी ऑर्टरीज भी कहते हैं। दिल का दौरा या स्ट्रोक के बाद इलाज के लिए डॉक्टर एंजियोप्लास्टी का ही सहारा लेते हैं।

हार्ट अटैक आने पर कोरोनरी धमनी संकुचित या ब्लॉक हो जाती है। मतलब हृदय की मांसपेशियों तक खून की सप्लाई घट जाती है और पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इसी से सीने में दर्द या हार्ट अटैक आता है।

एंजियोप्लास्टी 3 तरीके की होती है

एक से डेढ़ घंटे के भीतर इलाज जरूरी

एंजियोप्लास्टी में कोरोनरी ऑर्टरी स्टेंट भी रक्त वाहिकाओं में डालते हैं। ये स्टेंट नसों में ब्लड फ्लो को फिर से दुरुस्त करने का काम करता है। दिल का दौरा पड़ने के बाद एक से दो घंटे के भीतर मरीज की एंजियोप्लास्टी हो जानी चाहिए। यह जितना जल्दी होगी, मरीज के हार्ट फेल होने का खतरा उतना कम होता है।

हार्ट की नसों तक पहुंचने के लिए दो ही रास्ते

एम्स, नई दिल्ली से डीएम कार्डियोलॉजी डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं कि एंजियोप्लास्टी में स्टेंट (स्प्रिंग जैसा छल्ला है, जो नस को बंद होने से रोकता है) जरूर लगाते हैं। हार्ट की नसों तक पहुंचने के लिए दो ही रास्ते हैं। पहला हाथ के रास्ते, दूसरा जांघ के रास्ते।

जांघ की तुलना में हाथ के रास्ते एंजियोप्लास्टी करने से हार्ट अटैक के मरीज के बचने की संभावना 50% तक बढ़ जाती है। मैं अपने मरीजों की एंजियोप्लास्टी उसके हाथ के जरिए से ही करता हूं। जांघ से करने पर ब्लीडिंग का रिस्क ज्यादा रहता है और लाइफ का भी रिस्क ज्यादा होता है।

एंजियोप्लास्टी किन वजहों से की जाती है

एंजियोप्लास्टी दिल की सर्जरी है, जिसे 5 कारणों से किया जाता है-

  1. अथेरोस्क्लेरोसिस का इलाज- डॉक्टर एंजियोप्लास्टी कराने की सलाह उस व्यक्ति को भी देते हैं, जो अथेरोक्लेरोसिस (धमनियों का सख्त होना) की बीमारी से पीड़ित होता है।
  2. हार्ट अटैक का रिस्क कम करना- दिल की सर्जरी से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों की जान बचाने के लिए एंजियोप्लास्टी की जाती है।
  3. डायबिटीज का इलाज- जब डायबिटीज काफी खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है तो ऐसी स्थिति में दिल की सर्जरी करनी पड़ती है।
  4. दिल की धमनियों में ब्लॉकेज होने पर- हार्ट अटैक आने पर मरीज की एंजियोप्लास्टी की जाती है, ताकी दिल की धमनियों में मौजूद ब्लॉकेज को ठीक किया जा सके।
  5. एंजाइना का इलाज करना- सीने में दर्द को एंजाइना कहते हैं, ये ह्रदय में पर्याप्‍त खून नहीं पहुंच पाने के कारण होता है। जिस व्यक्ति को एंजाइना की समस्या होती है, उसके लिए एंजियोप्लास्टी बेहतर इलाज साबित होती है।

एंजियोप्लास्टी का रिस्क किन लोगों को ज्यादा है-

डॉक्टर संजय के मुताबिक, एंजियोप्लास्टी 99.5% तक सेफ रहता है, लेकिन यदि केस कॉम्पलेक्स है तो रिस्क रहता है। अगर उम्र ज्यादा है, बीमारियां ज्यादा हैं, डायबिटीज है, किडनी खराब है, फेफड़ों में पानी है, दिल कमजोर है, ब्लड प्रेशर कम है, नस की बनावट जटिल है, नस में ब्लॉकेज या कैलशियम ज्यादा है तो रिस्क है।

हार्ट अटैक के मरीज का दिल कमजोर होने के साथ अक्सर ब्लड प्रेशर कम होता है और फेफड़ों में पानी भी होता है। इसलिए जब जांघ के जरिए एंजियोप्लास्टी करते हैं तो ब्लीडिंग ज्यादा होने का रिस्क रहता है। हाथ से एंजियोप्लास्टी करने पर रिस्क कम होता है। लेकिन भारत में हार्ट अटैक के मरीजों में ज्यादातर एंजियोप्लास्टी जांघ के जरिए ही होती है, क्योंकि हाथ से करने वाले रेडियल एक्सपर्ट कम हैं।

एंजियोप्लास्टी कराने में कितनी खर्च आती है?

डॉक्टर संजय चुघ कहते हैं कि एंजियोप्लास्टी का खर्च जगह पर निर्भर करता है यानी आप किस शहर और किस अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। स्टेंट 3 कैटेगरी में आते हैं। सबसे महंगा स्टेंट 33 हजार रुपए का है। इनके दाम सरकार ने फिक्स कर रखे हैं।

सरकारी अस्पतालों में एंजियोप्लास्टी का खर्च करीब 1 लाख रुपए तक आता है। प्राइवेट हॉस्पिटल एंजियोप्लास्टी के लिए करीब 1.40 लाख से 1.70 लाख रुपए के बीच प्रोसीजर चार्ज लेते हैं। कुल खर्च 2 लाख रुपए तक जा सकता है। छोटे शहरों में और सस्ता है। हालांकि, ये हॉस्पिटल के इंफ्रास्ट्रक्चर और फैसिलिटी पर निर्भर करता है।



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Sourav Ganguly Heart Attack; All You Need To Know About Coronary Angioplasty And Stent Insertion Risks


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पुजारी के पकड़े जाने के बाद गांव में सन्नाटा, बाकी दोनों आरोपियों के घर पर ताला; पीड़ित की 3 महीने में पुजारी से 800 बार बात हुई

बदायूं में 50 साल की महिला से गैंगरेप और उसकी हत्या के मुख्य आरोपी पुजारी सत्यनारायण को गिरफ्तार हुए 24 घंटे से ज्यादा वक्त बीत चुका है। लेकिन, गांव के लोग उसके बारे में बात करने से कतराते हैं। न ही कोई घटना के संबंध में बोलना चाहता है। गांव के लोग यह जरूर कहते हैं कि पिछले 4 दिन से पूरा गांव छावनी बना हुआ था। पुजारी की गिरफ्तारी के बाद अब राहत मिली है।

गांव की गलियों में सन्नाटा है। इस केस के बाकी दो आरोपियों के घर पर ताला लगा है। इस बीच एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, पीड़ित और पुजारी के बीच तीन महीने में फोन पर 800 बार बातचीत हुई थी। पुलिस के पास दोनों की कॉल डिटेल भी है।

घटना के बाद से गांव के लोग घरों से बाहर निकलने में भी कतरा रहे हैं।

आरोपी शिष्य वेदराम के घर पर लगा है ताला
गांव के आखिरी छोर पर पुजारी के शिष्य और आरोपी वेदराम का घर है। उसके घर की कुंडी लगी है। पड़ोसियों ने बताया कि वेदराम की पत्नी की बहुत समय पहले मौत हो चुकी है। उसके पांच बच्चे हैं।तीन बेटियों की शादी हो चुकी है। एक बेटा 10 साल का और बेटी 12 साल की है। दोनों बच्चे वेदराम की गिरफ्तारी के बाद अपनी बहनों के घर चले गए हैं। हादसे का असर इतना है कि पड़ोसी वेदराम के बारे में कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं। उनका कहना है कि वेदराम से गांव में किसी का ज्यादा बोलचाल नहीं है।

आरोपी वेदराम का घर, जहां अब कुंडी लगी है। उसके दोनों बच्चे अपनी बहनों के घर चले गए हैं।

आरोपी ड्राइवर की पत्नी बोली- हम तो अब भगवान भरोसे हैं
उघैती थाने से लगभग 200 मीटर दूरी पर बदायूं रोड पर आरोपी ड्राइवर जसपाल का घर है। घर के बाहर उसके बड़े भाई ओमपाल मिलते हैं। वह गैंगरेप की बात को सिरे से नकारते हुए सारा दोष मीडिया पर मढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया ने गलत खबर चलाई और अब इसीलिए पुलिस भी प्रेशर में है। हम CBI जांच की मांग करते हैं। जसपाल गाड़ियां चलाता है और कुछ खेती बाड़ी है, जिससे उसके परिवार का पेट पलता है। वह किराए पर गाड़ी ले जाता है। हालांकि पुजारी से कितना किराया तय हुआ था, यह ओमपाल नहीं बता पाए।

आरोपी ड्राइवर जसपाल के भाई ओमपाल कहते हैं कि उसे गलत फंसाया गया है।

जसपाल की पत्नी का मायका भी केयवली गांव में है। यह वही गांव है जहां पीड़िता का ससुराल है। जसपाल की पत्नी चंद्रकली बार-बार बेहोश हो रही हैं। उनका ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ रहा है। दोनों बच्चे और घर के सदस्य उन्हें संभालते हैं। चंद्रकली जब सामान्य होती हैं तो बताती हैं कि रविवार को देर शाम जब वेदराम का फोन आया तो जसपाल सो रहे थे। उसने मरीज की बात कह उन्हें बुलाया। फिर देर रात वह 12 बजे के करीब लौटे और उन्होंने बताया कि वह एक लहुलुहान महिला को अस्पताल पहुंचाने चंदौसी गए थे।

जब अस्पताल वालों ने उसे एडमिट नहीं किया तो वे उसे उसके घर छोड़ आए। इसके बाद जब FIR दर्ज हुई तो घर में राय मशविरा करने के बाद वह फरार हो गए। तब 4 बजे पुलिसवाले हमें पकड़ ले गए तो फिर मेरे घरवालों ने रात 11 बजे उन्हें थाने में पेश कर दिया। फिर हम छूट कर आ गए। अब भाई के साथ वकीलों के चक्कर काट रहे हैं। अब तो सब भगवान पर छोड़ दिया है कि अगर निर्दोष होंगे तो छूट ही जाएंगे।

आरोपी ड्राइवर की पत्नी चंद्रकली बार-बार बेहोश हो रही हैं। उनका ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ रहा है।

मंदिर में 5 दिन से न पूजा हुई न जला दीया
गांव में स्थित घटनास्थल यानी मंदिर पर पुलिस का पहरा है। 2 सिपाही मौके पर मौजूद हैं। बातचीत में पता चला कि पिछले 5 दिन से मंदिर में ठाकुर जी की आरती नहीं हुई है। न ही दीया जलाया गया है। प्रशासन ने गांव के पटवारी को मंदिर की जमीनों का लेखा-जोखा तैयार करने को कहा है। मंदिर पहुंचे पटवारी ने बताया कि अभी तक 9 एकड़ जमीन की बात सामने आई है, जो मंदिर के नाम पर है। मौके पर मौजूद सिपाहियों ने बताया कि जो भक्त पहले रोजाना मंदिर में जल चढ़ाने आते थे, अब वे भी नहीं आ रहे हैं। हम लोग ही परिसर की लाइट वगैरह जला देते हैं।

वारदात के बाद गांव का मंदिर सूना पड़ा है। न तो यहां आरती हो रही है और न दीया जल रहा है।

पुलिस ने पुजारी और पीड़ित में अवैध संबंध की बात कही
पुलिस ने जब पुजारी और पीड़ित के मोबाइल नंबर खंगाले, तो चौकाने वाला खुलासा हुआ। पुलिस सूत्रों की मानें, तो बीते तीन महीनों में पुजारी और पीड़ित के बीच फोन पर 800 बार बात हुई। पुजारी और पीड़ित के बीच फोन पर बातचीत की तस्दीक खुद पीड़िता की मां ने यह कहकर की थी कि हादसे वाले दिन यानी रविवार को पुजारी ने ही फोन कर पीड़ित को मंदिर बुलाया था।

पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि लॉकडाउन से पहले बरेली के आंवला में पुजारी सत्यनारायण के भतीजे की शादी थी। वह इसमें पीड़ित को भी साथ ले गया था। वहीं पहली बार दोनों के बीच अंतरंग सबंध बने थे। पुलिस इस पूरे घटनाक्रम में एक विधवा महिला और एक पुरुष के रोल को भी तलाश रही है। बताया जाता है कि पुजारी के उस महिला से भी अवैध संबंध थे। हालांकि पुलिस ने महिला की पहचान उजागर नहीं की है।

मुख्य आरोपी पुजारी सत्यनारायण को कोर्ट ने 18 जनवरी तक के लिए जेल भेज दिया है।

पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की , इससे सवाल खड़े हो रहे
छोटे से छोटा गुडवर्क दिखाने वाली पुलिस इतने बड़े मामले में मुख्य आरोपी के पकड़े जाने के बाद भी कोई प्रेस कांफ्रेंस नहीं कर रही है। यह सवाल खटक रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस एक अलग थ्योरी पर काम कर रही है।

पुलिस की थ्योरी के मुताबिक, पुजारी ने पीड़ित को फोन कर मंदिर बुलाया। मंदिर पर शाम को एक-दो लोग पूजा करने के लिए पहुंचे हुए थे। किसी को शक न हो इसलिए वह मंदिर के पिछले दरवाजे से अंदर गयी। यह दरवाजा उसी कोठरी में खुलता है जिसमें कुआं था। लगभग 25 फीट गहरे कुएं में पुराना पंप सेट लगा हुआ है। पीड़ित फिसलकर कुएं में गिर गई। इससे उसे बुरी तरह चोट आई। जब उसके रोने की आवाज आई, तो पुजारी कोठरी में गया। उसने वेदराम को बुलाया। वेदराम ने जसपाल को बुलाया। पहले वे महिला को लेकर चंदौसी गए। लेकिन अस्पताल ने महिला की हालत देखते हुए बिना परिजनों के इलाज करने से मना कर दिया। फिर तीनों उसे उसके घर ले गए और वहीं छोड़कर भाग गए।



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यह फोटो बदायूं में उसी मंदिर की है, जहां महिला के साथ गैंगरेप की वारदात की गई। इस जगह अभी भी दो पुलिसकर्मी तैनात हैं। घटना के बाद से ही मंदिर में आरती-भोग नहीं लगा। न ही कोई ग्रामीण वहां गया है।


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ब्रिटेन समेत कई देशों में कोरोना वैक्सीन की दो डोज का गैप बढ़ाने, वैक्सीन स्विच करने पर छिड़ी बहस; जानिए सबकुछ

अमेरिका, ब्रिटेन समेत 16 से ज्यादा देशों में कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। वैक्सीन की डोज की कम उपलब्धता को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करने के लिए नई स्ट्रैटजी पर विचार हो रहा है। इसमें दूसरी डोज का गैप बढ़ाना, डोज का साइज घटाना और पहली व दूसरी डोज में वैक्सीन बदलने का प्रपोजल भी है। अब इस स्ट्रैटजी पर विशेषज्ञों में बहस शुरू हो गई है।

इस बहस और इसके नतीजे भारत के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अगले हफ्ते से यहां भी वैक्सीनेशन शुरू होने की उम्मीद है। दो वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया जा चुका है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की ओर से डेवलप वैक्सीन कोवीशील्ड के करीब 5-6 करोड़ डोज तैयार कर लिए हैं। भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सिन के भी करीब इतने ही डोज तैयार हैं और उनके ट्रांसपोर्टेशन का काम जल्द ही शुरू होने वाला है। दुनियाभर में वैकल्पिक स्ट्रैटजी पर दी जा रही दलीलें इस तरह हैं...

वैकल्पिक स्ट्रैटजी की जरूरत क्यों पड़ रही है?

  • ब्रिटेन समेत ज्यादातर यूरोपीय देशों और अमेरिका में पिछले हफ्तों में कोरोनावायरस के केस तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में नए, ज्यादा तेजी से ट्रांसमिट होने वाले कोरोना वैरिएंट्स से मुकाबले के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करने की जरूरत है।
  • इसका फायदा यह होगा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को पहली डोज मिल जाएगी। दूसरी डोज देने में 4 से 12 हफ्तों का वक्त मिल जाएगा। इस पर ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथम्पटन के ग्लोबल हेल्थ एक्सपर्ट माइकल हेड का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों में पार्शियल इम्युनिटी होगी तो इससे कोरोना के गंभीर मामलों में कमी आएगी। साथ ही अस्पतालों का बोझ भी कुछ हद तक कम हो सकेगा।

क्या दूसरी डोज देने में देरी से इम्युनिटी प्रभावित होती है?

  • कुछ कह नहीं सकते। इस पर एक्सपर्ट्स में एक राय नहीं है। अब तक दुनियाभर में जितनी भी वैक्सीन अप्रूव हुई हैं, वह सभी दो डोज वाली हैं। पहली डोज इम्यून सिस्टम को वायरस को पहचानने और उसके खिलाफ सुरक्षा विकसित करने की ट्रेनिंग देती है। दूसरी बूस्टर डोज इसी प्रक्रिया को दोहराती है।
  • ब्रिटेन के MHRA हेल्थ रेगुलेटर ने ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को अप्रूवल देते हुए कहा था कि दो डोज के बीच का अंतर तीन महीने का था तो वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 80 प्रतिशत तक रही थी। यह चौंकाने वाला है, क्योंकि डेवलपर्स ने भी अपनी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 70% ही बताई थी।
  • यूके सरकार की वैक्सीन एडवायजरी कमेटी ने कहा कि फाइजर/बायोएनटेक की वैक्सीन की पहली डोज देने के दो हफ्ते बाद लोगों में 89% प्रोटेक्शन दिखा है। वहीं ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की पहली डोज के बाद वायरस के खिलाफ 70% प्रोटेक्शन दिखा है, पर इसके समर्थन में कोई डेटा नहीं दिया गया है।
  • दूसरी ओर, मॉडर्ना ने दावा किया है कि पहली डोज के दो हफ्ते बाद उसकी वैक्सीन कोरोना से बचाने में 80% इफेक्टिव साबित हुई है। पर फाइजर और बायोएनटेक ने कहा कि उनकी वैक्सीन का पहला डोज देने के बाद कितने दिन प्रोटेक्शन मिलेगा, इस बात का कोई सबूत उनके पास नहीं है।
  • अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज के डायरेक्टर डॉ. एंथोनी फॉसी ने कहा कि अमेरिका में दूसरा डोज देने में देरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि हम वही करेंगे, जो अभी कर रहे हैं।

कोरोना वैक्सीन स्विच या मिक्स करने की स्ट्रैटजी क्या है?

  • मान लीजिए कि किसी व्यक्ति को फाइजर की वैक्सीन की पहली डोज दी गई है और जब दूसरी डोज लगाने की बारी आई, तब वह उपलब्ध ही न हो। उस समय उपलब्धता के आधार पर दूसरी डोज मॉडर्ना या ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की भी दी जा सकती है। इस स्ट्रैटजी के पक्ष और विपक्ष में भी दलीलें हैं।
  • कुछ एक्सपर्ट्स का दावा है कि अब तक अप्रूव की गई सभी वैक्सीन वायरस के बाहरी स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करती हैं। वह मिलकर शरीर को वायरस के खिलाफ लड़ने में सक्षम बना सकती है।
  • ब्रिटिश अधिकारियों का मानना है कि वैक्सीन की डोज कम है और जिन्हें यह लगाई जानी है, उनकी संख्या ज्यादा है। ऐसे में कोरोना वैक्सीन को स्विच करने या मिक्स करने से उनका काम आसान हो जाएगा।

क्या वैक्सीन के ट्रायल्स में इन स्ट्रैटजी की जांच की गई है?

  • नहीं। किसी भी कोरोना वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स में डोज के गैप को बढ़ाने या दो वैक्सीन को मिक्स या स्विच करने की स्ट्रैटजी नहीं अपनाई गई है।
  • लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन (LSHTM) के फार्मेको एपिडेमियोलॉजी प्रोफेसर स्टीवन इवांस ने कहा कि किसी भी कोरोना वैक्सीन का ट्रायल्स इस तरह नहीं हुआ है। अलग-अलग वैक्सीन को मिक्स करने के प्रभाव भी नहीं देखे गए हैं। इस वजह से ऐसा करना ठीक नहीं होगा।
  • न्यूयॉर्क में वेल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी और इम्युनोलॉजी प्रोफेसर जॉन मूर ने भी कहा कि वैक्सीन स्विच करने का सवाल ही नहीं उठता। इस संबंध में कोई डेटा नहीं है। इसे टेस्ट नहीं किया गया है, टेस्ट किया भी हो तो उसका डेटा उपलब्ध नहीं कराया है। इस वजह से यह स्ट्रैटजी ठीक नहीं होगी।

भारत में वैक्सीन के डोज को लेकर क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट?

  • इसे लेकर अस्पष्टता ही है। दरअसल, भारतीय रेगुलेटर ने वैक्सीन के डोज पर स्पेसिफिक गाइडलाइन नहीं दी है। सरकार की ओर से जरूर बताया जा रहा है कि दो डोज में चार हफ्तों का गैप रखा जाएगा। फिलहाल सरकार इसी पर कायम नजर आ रही है।
  • रूबी जनरल हॉस्पिटल में इंफेक्शन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल विभाग के प्रमुख डॉ. देबकिशोर गुप्ता का कहना है कि भारत में सीरम को ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के फुल दो डोज को अप्रूवल दिया गया है, पर डोजिंग शेड्यूल नहीं बताया है, जबकि यूके में इसी वैक्सीन के दो डोज में 4 से 12 हफ्ते का अंतर रखने का स्पष्ट शेड्यूल दिया है। इससे वैक्सीनेशन को गति मिलेगी। ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीनेट किए जा सकेंगे।
  • वहीं, पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. गजेंद्र सिंह कहते हैं कि एस्ट्राजेनेका के वायरलॉजिस्ट ने वैक्सीन वेक्टर को रूस के स्पुतनिक वी के साथ मिक्स करने पर काम शुरू किया है। एस्ट्राजेनेका दोनों शॉट्स के लिए समान कम्पोनेंट का इस्तेमाल करता है, पर रूसी वैक्सीन में अलग-अलग कम्पोनेंट का इस्तेमाल किया है। इससे इफेक्टिवनेस 91.4% रही है।
  • वहीं, यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने हाल ही में डोज की मात्रा और अंतर के साथ ही वैक्सीन कॉम्बिनेशन पर हो रहे प्रयोगों के खतरे बताए हैं। यह क्लीनिकल ट्रायल्स में देखा जाना था कि सबसे अच्छा विकल्प क्या होगा। जब वैक्सीन इस्तेमाल के लिए अप्रूव हो चुकी हो, तब बिना किसी साइंटिफिक एविडेंस के उसके साथ प्रयोग करना जनता को खतरे में डाल सकता है।


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इंटरनेट बंद करने के मामले में भारत पहले नंबर पर, पिछले साल 8927 घंटे बंद रहा, इससे 20 हजार करोड़ का नुकसान

इंटरनेट के इस्तेमाल पर पिछले साल 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आया था। ये फैसला कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आया था। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट के इस्तेमाल को संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत जन्मसिद्ध अधिकार माना था। साथ ही ये भी कहा था कि लंबे समय तक इंटरनेट पर रोक लगाना मौलिक अधिकारों का हनन है।

लेकिन एक सच ये भी है कि भारत दुनिया का पहला देश है, जहां इंटरनेट पर सबसे ज्यादा घंटों तक रोक लगी रही। डिजिटल प्राइवेसी और साइबर सिक्योरिटी पर काम करने वाली टॉप-10 VPN वेबसाइट ने सालाना रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में हमारे देश में 8,927 घंटों तक इंटरनेट पर पाबंदी रही। इस पाबंदी से देश को 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान भी उठाना पड़ा।

सबसे ज्यादा घंटों तक इंटरनेट पर रोक लगाने के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। इस मामले में भारत 2019 में तीसरे नंबर पर था। इस साल देश में 4 हजार 196 घंटे इंटरनेट बंद रहा था।

अकेले जम्मू-कश्मीर में ही 8,799 घंटों तक इंटरनेट बंद
10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद 25 जनवरी से कश्मीर में 2G इंटरनेट शुरू कर दिया गया। हालांकि, सोशल मीडिया पर बैन जारी रहा। 4 मार्च को सरकार ने इस बैन को भी हटा दिया। वहां अब भी 2G इंटरनेट ही चल रहा है।

टॉप-10 VPN की रिपोर्ट बताती है कि 2020 में जम्मू-कश्मीर में 8 हजार 799 घंटों तक इंटरनेट प्रभावित रहा। इसमें से एक हजार 527 घंटों तक तो इंटरनेट पूरी तरह बैन रहा। जबकि, 7 हजार 272 घंटों तक इंटरनेट प्रभावित रहा। यानी, वहां इंटरनेट सिर्फ नाम के लिए ही चला। जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर रोक होने की वजह से 2.7 अरब डॉलर यानी 20 हजार 317 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है।

जम्मू-कश्मीर के अलावा 2020 में अरुणाचल, मणिपुर और मेघालय के भी कुछ हिस्सों में 128 घंटों तक इंटरनेट बंद रहा। इससे इन तीनों राज्यों को करीब 54 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

भारत के बाद म्यांमार दूसरे नंबर पर, लेकिन नुकसान बेलारूस को ज्यादा
रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा घंटों तक इंटरनेट बंद करने के मामले में भारत के बाद म्यांमार दूसरे और चाड तीसरे नंबर पर रहा। म्यांमार में 8 हजार 808 घंटे और चाड में 4 हजार 608 घंटों तक इंटरनेट बंद रहा। इससे म्यांमार को 1,400 करोड़ और चाड को 170 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

लेकिन नुकसान के मामले में बेलारूस भारत के बाद दूसरे नंबर पर है। बेलारूस में 2020 में 218 घंटों तक इंटरनेट पर रोक रही। इससे उसे करीब ढाई हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इंटरनेट पर पाबंदी की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वाले 5 देशों में भारत और बेलारूस के अलावा यमन, म्यांमार और अजरबैजान शामिल हैं। इन पांचों देशों में 27 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा नुकसान हुआ।

इंटरनेट पर रोक लगाने के पीछे वजह क्या रही?
पिछले साल दुनिया के 21 देशों में 27 हजार 165 घंटे तक इंटरनेट पर रोक रही। इसमें से 21 हजार 613 घंटे इंटरनेट पर और 5 हजार 552 घंटे सोशल मीडिया पर पाबंदी रही। इससे इन देशों को 30 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट पर रोक के पीछे जो दो सबसे बड़ी वजहें थीं, उनमें पहली राजनीतिक और दूसरी तनाव के हालात। इसमें भी सबसे ज्यादा 11 हजार 970 घंटे तक इंटरनेट पर रोक तनाव के हालात की वजह से रही।

इंटरनेट पर रोक लगाने के मामले में भारत सबसे आगे
डिजिटल राइट्स पर काम करने वाली संस्था एक्सेस नाउ की 2019 की रिपोर्ट बताती है कि इंटरनेट पर रोक लगाने के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है। 2019 में भारत में 121 बार इंटरनेट बंद किया गया था। 2018 में भी भारत पहले नंबर पर ही था। उस साल 134 बार इंटरनेट पर रोक लगी थी। इंटरनेट बंद करने के मामले में वेनेजुएला दूसरे नंबर पर था, जहां 2019 में सिर्फ 12 बार इंटरनेट पर पाबंदी लगी थी।

इंटरनेट पर रोक लगाने पर क्या कहता है भारतीय कानून?
CRPC 1973 और इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के तहत सरकारी एजेंसियों को भारत के राज्यों या जिलों में इंटरनेट बंद करने का अधिकार है। इसके अलावा टेम्परेरी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक एमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) रूल्स 2017 के आधार पर भी सरकार टेलीकॉम कंपनियों को अपनी सेवाएं निलंबित करने को भी कह सकती है।



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Jammu Kashmir; Internet Shutdown India Update | 8799 Hours Internet Shutdowns In Jammu And Kashmir So Far In 2020


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जब रानी झाडू-फटका और बावर्चिन का काम करती रहेगी तो दफ्तर तो बेचारा मर्द ही जाएगा

कल्पना करें कि औरतें एकाएक सारे 'अदृश्य' काम करने से इनकार कर दें। जब आप जागें तो सुबह हवा में कॉफी की गंध नहीं होगी। नाश्ते की मेज तो होगी, लेकिन नाश्ता नहीं। बच्चों का स्कूल 'मिस' हो चुका होगा और वे भूख से कुलबुला रहे होंगे। जब तक उन्हें कुछ खिलाएंगे, दफ्तर का आधा दिन निकल चुका होगा। एक दिन की छुट्टी की एप्लिकेशन देकर आप कल की छुट्टी के बारे में सोच रहे होंगे। आप अकेले नहीं। आपके पड़ोसी और उसके पड़ोसी का भी यही हाल होगा।

स्कूल छूटेंगे। सड़कें थम जाएंगी। दफ्तर खाली पड़े होंगे। और आप अपनी एक दिन की तनख्वाह पर रो चुके हों तो देखिए कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था भरभराकर ढह चुकी होगी। ये नतीजा है महज एक दिन के लिए औरतों के 'अनपेड' काम करने से मना करने का। वो काम, जिसके बदले उन्हें न तो पगार मिलती है, न तारीफ और न ही इतवार की छुट्टी। इसी काम के 'अपने-आप' हो जाने के कारण मर्द दफ्तर जा पाते हैं और हर पहली तारीख को मूंछ उमेठते हुए जेब की टंकार सुनाते हैं।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस काम की कीमत तय करने की छोटी-सी कोशिश की। उसने सड़क हादसे में दिल्ली के एक जोड़े की मौत के बाद उनकी दो बेटियों को मिलने वाले मुआवजे में पिता के अलावा मां के घरेलू काम की कीमत भी जोड़ी। बता दें कि हाईकोर्ट ने मृतका के घरेलू होने के कारण उसके काम की कीमत नहीं जोड़ी थी। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां जज ने बाकायदा गिनाया कि दिनभर में औरतें क्या-क्या काम करती हैं। अगर यही काम बाहरी आदमी के करवाया जाए, तो इसकी कीमत इतनी हो जाएगी कि बाहर जाकर कमाने वाले की महीनेभर की कमाई पूरी न पड़े। कोर्ट ने बीमा कंपनी को घरेलू कामों का हवाला देते हुए आदेश दिया कि वो गृहिणी के कामों की कीमत लगा उसके मुताबिक भरपाई करे।

इधर सोशल मीडिया पर अलग ही जंजाल पसरा है। कमल हासन ने सोशल मीडिया पर महिलाओं को घरेलू काम का वेतन दिए जाने की बात कह दी। उनकी इस बात के समर्थन में कई लोग आ जुटे, जिनमें एक नाम शशि थरूर भी था। थरूर ने महिलाओं के घरेलू कामों के बदले हर महीने कोई तयशुदा राशि देने की वकालत की। इसपर अभिनेत्री कंगना रनौत बमक उठीं। उन्होंने सोशल मीडिया पर औरतों को अपने 'साम्राज्य की रानी' घोषित कर दिया। साथ ही औरतों का खलीफा बनते हुए खुद ही तय कर दिया कि उन्हें काम के बदले पैसे नहीं चाहिए। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से बोलती कंगना की बात कभी और। फिलहाल हम देखते हैं कि घर में औरतें ऐसा कौन-सा तीर मारती हैं, जिसके बदले उन्हें पगार देने की बात हो रही है।

यूएन (UN) की साल 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, रोज 90 फीसदी औरतें औसतन 352 मिनट वो काम करती हैं, जिसके उन्हें पैसे नहीं मिलते। मर्द रोजाना इस पर 51 मिनट खर्चते हैं। चलिए, अब जरा देसी आंकड़ों पर नजर डालते हैं। साल 2019 में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग बताता है कि 15 से 59 साल की 21.8 फीसदी भारतीय औरतें ही 'पेड' काम कर पा रही हैं। दूसरी ओर 70.9 फीसदी पुरुष दफ्तर जाकर काम करते हैं। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, सवैतनिक काम के मामले में भारतीय औरतों के हालात गाजा, सीरिया, इराक और ईरान जितने खराब हैं। बता दें कि ये सारे देश दुनिया के वो टुकड़े हैं, जहां सूरज और चांद की किरणें भी बमबारी में झुलसी रहती हैं।

तो ऐसा क्यों है कि औरतें दफ्तर जाकर काम नहीं कर पा रहीं? क्या वे कम पढ़ी-लिखी हैं या फिर क्या वे काम करने से घबराती हैं? नहीं। इसकी वजह ये है कि अपने छोटे-से साम्राज्य को संभालने में औरतें होम हुई जाती हैं। परिवार नाम की प्रजा के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उनकी है। नाते-रिश्तेदार यानी पड़ोसी राज्यों के सुख-दुख की खबर रखना उनका काम है। राजमहल यानी घर चमचमाता रहे, ये भी रानी को ही देखना है। अब जब रानी झाडू-फटका या बावर्चिन का काम करती रहेगी तो दफ्तर तो बेचारा मर्द ही जाएगा। तो वो राजपाठ रानी को सौंपकर आराम से दफ्तर निकल जाता है। लौटने पर पका-पकाया खाना और चांदनी बिछा बिस्तर मिलता है।

अगर कोई औरत हाथ बंटाने के नाम पर दहलीज पार कर जाए तो उसकी सजा पहले से मुकर्रर है। वो घर के काम खत्म करने के बाद ही बाहर कदम रखेगी और लौटने पर बिखरा हुआ घर और खाली पेट उसका इंतजार करते होंगे। इसपर पेप्सिको की पूर्व CEO इंदिरा नूई का एक किस्सा याद आता है। जिस रोज वो CEO बनीं, उस शाम घर लौटने पर मां इंतजार करती मिली। बेटी को देखते ही मां ने दन्न से दूध खत्म होने की शिकायत कर दी। नूई ने इंटरव्यू देते हुए बताया था कि कैसे मां ने उनके कंपनी का प्रमुख बनने की बात को अनसुना करते हुए कहा था कि औरत घर लौटे तो केवल मां-बेटी या बीवी ही होती है, बॉस नहीं। नूई ने ये किस्सा कामकाजी औरत की परेशानी से हवाले से सुनाया था।

अपना बचपन सुनाती हूं। स्कूल टीचर रही मेरी मां सुबह 5 बजे से चलना शुरू करती तो रात 11 से पहले कभी ठहरते नहीं देखा। कई बार देर रात नींद खुलती तो मां को चश्मा लगाए कॉपियां चेक करते या क्वेश्चन पेपर बनाते पाती। सुबह जिसे भी जैसी जरूरत हो, मां वैसी ही तैयारी के साथ मिलती। याद नहीं आता कि कभी भूले से पापा या मैंने ही किचन में चाय तक बनाई हो। खुद मां बनने पर अपने साथ वही हालात देखे तो मां से दिल में हजारों बार माफी मांग ली।

अगर हम सोचें कि दफ्तर के नौ घंटे औरतें मर्दों की दुनिया में बराबरी पर होती हैं, तो ये भी सरासर गलत है। न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी की मनोवैज्ञानिक मैडलिन हेलमैन ने इसपर एक रिसर्च की और नतीजे दफ्तरी बराबरी की पोल खोल देते हैं। इसमें डाटा और उदाहरणों समेत बताया गया कि कैसे दफ्तर में भी समान और ज्यादा काम के बदले औरतों को कम पगार मिलती है। मीटिंग में नोट्स लेने से लेकर कलीग्स की मदद जैसे काम औरतों के ही हिस्से आते हैं और प्रेजेंटेशन देने जैसा महीन और बड़ा काम मर्द ले लपकते हैं। तनख्वाह में तो अघोषित तौर पर दो श्रेणियां बन चुकी हैं - मर्दाना और जनाना पगार।

जैसे लड़कों के लिए वजन के हिसाब से कैलोरी तय होती है, वैसे ही दफ्तरों में जेंडर के मुताबिक सैलरी पक्की होती है। औरत चाहे कितनी ही काबिल हो, उसे मर्द के बराबर ओहदा पाने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी होती है। अब भी औरतों के 'अनपेड काम' जैसे खौफनाक मुद्दे पर बात इसलिए हो रही है ताकि जीडीपी की असल घट-बढ़ का अंदाजा लग सके। जिस भी मिनट अनुमान होगा कि औरतों के खाली बैठने की कीमत दफ्तरी मर्दानी मेहनत से ज्यादा है, उसी मिनट खतरे की जंजीर खींच दी जाएगी। कुल मिलाकर ये वो भविष्य है, जो भूतकाल में ही खत्म हो चुका। कम से कम बीते 10 सालों से चलती इस चर्चा को देखकर तो यही लगता है।



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When the queen continues to do the work of sweeping and cooking, then the office will be poor


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