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जम्मू-कश्मीर में पुलवामा के तिकेन इलाके में बुधवार तड़के सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में दो आतंकी मारे गए। अभी इनकी पहचान नहीं हो पाई है। इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यहां आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने घेराबंदी की थी, तभी उन पर फायरिंग की गई। जवाबी कार्रवाई में दो आतंकी मारे गए।
रविवार को श्रीनगर में पुलिस पार्टी पर हुआ था हमला
श्रीनगर के हवल चौक इलाके में रविवार को आतंकियों ने पुलिस पार्टी को निशाना बनाया। इस हमले में एक जवान और एक नागरिक के घायल हो गया था। इससे पहले 26 नवंबर को श्रीनगर के HMT इलाके में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर आतंकी हमला किया था। इस हमले में दो जवान शहीद हो गए। यह हमला मुंबई हमले की 12वीं बरसी पर किया गया था।
दो दिन पहले दिल्ली में आतंकियों से जुड़े 5 आरोपी पकड़े गए थे
दिल्ली पुलिस ने सोमवार को आतंकी संगठनों से जुड़े 5 लोगों को किया है। इनमें दो पंजाब के और तीन कश्मीर के हैं। इनके नाम शब्बीर अहम, अयूब पठान, रियाज राठर, गुरजीत सिंह और सुखदीप सिंह हैं। शकरपुर इलाके में इन्हें एनकाउंटर के बाद पकड़ लिया। गुरजीत और सुखदीप गैंगस्टर हैं और पंजाब के शौर्य चक्र विजेता एक्टिविस्ट बलविंदर की हत्या में शामिल थे। बाकी तीनों हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़े हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की वैसे तो सरकार से छठे दौर की चर्चा आज होनी थी, लेकिन मंगलवार शाम 4 बजे अचानक गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से मुलाकात का न्योता मिला। रात को बातचीत हुई, लेकिन फिर बेनतीजा रही। बताया गया कि सरकार बुधवार को यानी आज कृषि कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी लिखित में देगी। लेकिन, किसान कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वे दोपहर 12 बजे सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग कर तय करेंगे कि आगे क्या करना है।
कानूनों में बदलाव पर आज कैबिनेट में चर्चा होगी
सूत्रों के मुताबिक आज कैबिनेट की बैठक होगी। इसमें किसानों के लिए सरकार के प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी। इसके बाद सरकार किसानों को लिखित में प्रस्ताव सौंप देगी। हालांकि, किसानों से आज होने वाली मीटिंग सरकार ने टाल दी है।
अमित शाह से चर्चा में बात क्यों नहीं बनी?
बैठक के लिए 5 किसान नेताओं को बुलाया गया था, बाद में 13 मिले। कुछ किसानों ने यह कहते हुए विरोध किया कि एक दिन पहले बैठक क्यों और 40 की जगह 13 सदस्य ही क्यों? बैठक पहले शाह के घर पर थी, आखिरी समय में जगह बदलकर ICAR गेस्ट हाउस तय कर दी गई। ऐसे में 2 किसान बैठक में नहीं आ सके और बाकी किसानों ने उनके बिना चर्चा शुरू करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस उन 2 किसानों को एस्कॉर्ट कर रात करीब 9:15 बजे लेकर आई।
मीटिंग में शाह ने कई एक्सपर्ट्स बुला रखे थे, जो किसानों को समझा रहे थे कि किस बदलाव का आगे चलकर क्या असर होगा। फिर भी किसान नेता अपनी आपत्तियां दर्ज करा रहे थे, इसलिए सुझाव के आधार पर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही थी।
राहुल समेत 5 विपक्षी नेता आज राष्ट्रपति से मिलेंगे
20 सियासी दल किसानों की मांगों का समर्थन कर रहे हैं। मंगलवार को किसानों के भारत बंद में भी विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया था। विपक्ष के 5 नेता आज शाम 5 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेंगे। इनमें राहुल गांधी और शरद पवार भी शामिल होंगे।
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ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में मिली हार के बाद भारत ने वापसी करते हुए टी-20 सीरीज 2-1 से अपने नाम की। सीरीज में भारतीय बल्लेबाजी शानदार रही। वहीं, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी की गैरमौजूदगी में भी भारत के यंग बॉलर्स ने शानदार प्रदर्शन किया। सीरीज के तीनों मैच मिलाकर टीम इंडिया ने डेथ ओवर्स यानी 16 से 20 ओवर में ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा रन बनाए। भारत के युवा गेंदबाजों ने डेथ ओवर्स मेजबान ऑस्ट्रेलिया से अच्छी गेंदबाजी भी की।
दीपक चाहर ने दबाव बनाया, नटराजन ने मिडिल-डेथ ओवर्स में विकेट लिए
अपना पहला टी-20 सीरीज खेल रहे टी नटराजन ने अपने परफॉर्मेंस से सभी को प्रभावित किया। नटराजन ने भारतीय पेस बॉलिंग अटैक की कमान संभाली और अपने वेरिएशन से ऑस्ट्रेलिया के सभी बल्लेबाजों को परेशान किया। उन्होंने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 6 विकेट चटकाए। उनकी इकोनॉमी भी 6.91 रही। वहीं, स्पिनर्स में युजवेंद्र चहल ने भी शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 3 मैच में 4 विकेट चटकाए। पहले टी-20 में वे कन्कशन सब्सटिट्यूट रहे थे। मैच में उन्होंने 3 विकेट चटकाए और मैन ऑफ द मैच बने।
कुल मिलाकर दीपक चाहर, टी नटराजन और शार्दूल ठाकुर की तिकड़ी ने शुरुआती ओवर्स से ही ऑस्ट्रेलियाई बैट्समैन पर दबाव बनाया। वहीं, स्पिनर्स ने मिडिल ओवर्स में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को जमने नहीं दिया।
टीम
पेस
स्पिनर्स
भारत
4 बॉलर्स का इस्तेमाल किया, 3 बॉलर्स ने 9 विकेट चटकाए
2 गेंदबाजों ने 6 विकेट लिए
ऑस्ट्रेलिया
6 बॉलर्स का इस्तेमाल किया, 5 बॉलर्स ने 9 विकेट लिए
3 गेंदबाजों ने 9 विकेट लिए
पंड्या-जडेजा ने मैच फिनिशर का रोल निभाया
वनडे सीरीज के दौरान भारतीय टीम को मैच फिनिशर की सबसे ज्यादा कमी खली थी। बड़े टारगेट का पीछा करते हुए टीम अच्छा तो खेल रही थी, पर उसे फिनिश नहीं कर पा रही थी। टी-20 में हार्दिक पंड्या और रविंद्र जडेजा ने इस कमी को पूरी की और भारत को पहले 2 मैचों में जीत दिलाई। जडेजा ने पहले टी-20 में 23 बॉल पर 44 रन बनाकर टीम को 160 रन के पार पहुंचाया। वहीं, दूसरे टी-20 में पंड्या ने 22 बॉल पर 42 रन बनाकर टीम को जिताया।
टॉप ऑर्डर ने भी सीरीज में रन बनाए
टॉप ऑर्डर बैट्समैन भी सीरीज में फॉर्म में दिखे। लोकेश राहुल ने पहले मैच में 51 रन और दूसरे मैच में 30 रन की पारी खेली। वहीं, धवन ने दूसरे मैच में 52 रन और तीसरे मैच में 28 रन की पारी खेली। कप्तान विराट कोहली ने भी 3 मैच में 134 रन बनाए और वे भारत की तरफ से सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे।
पंड्या-सैमसन ने 2 शानदार कैच लपका
फील्डिंग के हिसाब से ये सीरीज दोनों टीम के लिए बेहद ही घटिया रही। दोनों टीमों ने कई आसान कैच ड्रॉप किए। हालांकि, पहले टी-20 में पंड्या और संजू सैमसन ने 2 बेहतरीन कैच लपके थे। जिसकी बदौलत टीम कम टोटल को डिफेंड कर पाई थी। हार्दिक पंड्या ने हवा में डाइव लगाकर ऑस्ट्रेलिया के कप्तान एरॉन फिंच का शानदार कैच पकड़ा था।
वहीं, सैमसन ने ने डाइव लगाकर फॉर्म में चल रहे स्टीव स्मिथ का शानदार कैच लपका था। हालांकि इसके बाद दोनों टीमें फील्डिंग में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकीं। दूसरे टी-20 में जहां हार्दिक और कोहली ने 1-1 कैच छोड़े। वहीं तीसरे मैच में स्मिथ और डेनियल सैम्स ने भी कैच छोड़े।
पावर-प्ले और डेथ ओवर्स में भारत ने सीरीज जीती
भारत ने तीनों मैच को मिलाकर 16 से 20 ओवर में 181 रन बनाए और इस दौरान 7 विकेट गंवाए। जबकि ऑस्ट्रेलिया 146 रन ही बना सकी और उसके 8 विकेट गिरे। साथ ही पहले टी-20 को छोड़ दें तो बाकी दो मैचों में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को बड़ी पार्टनरशिप नहीं करने दी। हालांकि इसकी भरपाई टीम इंडिया के गेंदबाजों ने मिडिल ओवर और डेथ ओवर में कर दी थी।
पहला टी-20
ओवर
ऑस्ट्रेलिया
भारत
0-6
53-0
42-1
7-15
60-4
55-4
16-20
37-3
64-2
टोटल
150/7
161/7
पहले टी-20 में भारतीय गेंदबाजों ने 7 से 15 ओवर के बीच ऑस्ट्रेलिया के 4 विकेट चटकाए। वहीं, 16 से 20 ओवर के बीच सिर्फ 37 रन दिए और 3 विकेट चटकाए।
दूसरा टी-20
ओवर
ऑस्ट्रेलिया
भारत
0-6
59-1
60-1
7-15
73-2
81-2
16-20
62-2
54-2
टोटल
194/5
195/4
टी-20 सीरीज में भारत के लिए सबसे अच्छी बात ये रही कि उन्होंने पावर-प्ले (1 से 6 ओवर) के बीच ज्यादा विकेट नहीं गंवाए। भारत ने पावर-प्ले के दौरान 3 विकेट गंवाए। जिसका फायदा उन्हें डेथ ओवर्स में मिला। पहले टी-20 को छोड़कर भारतीय बल्लेबाजों ने बाकी दोनों मैच में पावर-प्ले में ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा रन बनाए।
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 6.85 करोड़ के पार हो गया। 4 करोड़ 74 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 15 लाख 62 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्रिटेन के साइंस चीफ ने कहा है कि भले ही देश में वैक्सीन आ गया हो, लेकिन मुमकिन है कि अगली सर्दियों में भी ब्रिटेन के लोगों को मास्क लगाना पड़े। इटली और जर्मनी में संक्रमण अब भी काबू में नहीं आया है। इटली में तो मरने वालों का आंकड़ा 60 हजार के पार हो गया है।
अलर्ट रहें ब्रिटेन के लोग
ब्रिटेन सरकार के चीफ साइंस एडवाइजर पैट्रिक वालेंस ने देश के लोगों को लापरवाही से बचने की सलाह दी है। ‘द टेलिग्राफ’ अखबार से बातचीत में पैट्रिक ने कहा- यह बात सही है कि हम वैक्सीन लाने वाले पहले देश बन गए हैं। यह बहुत बड़ी कामयाबी है। लेकिन, इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हम लापरवाह हो जाएं। मेरा मानना है कि हमें अगली सर्दियों में भी मास्क पहनना पड़ सकता है और इसके लिए तैयार रहना चाहिए। वैक्सीनेशन के साथ अगर लोग सावधानी रखेंगे तो यह उनके लिए ही बेहतर होगा। इसके साथ ही प्रतिबंध लागू रहेंगे, क्योंकि इनका कोई विकल्प नहीं है।
इटली में भी हालात बिगड़े
यूरोप के एक और देश इटली में भी हालात नहीं सुधरे हैं। मंगलवार को यहां मरने वालों का आंकड़ा 60 हजार से ज्यादा हो गया। मंगलवार को यहां एक ही दिन में 564 और लोगों की मौत हुई। इसी दौरान करीब 19 हजार नए मामले सामने आए। यहां सोमवार को 21 हजार मामले सामने आए थे। कोरोना ने मौतों के मामले में इटली दुनिया में इस वक्त छठवें स्थान पर है।
ट्रम्प के वकील अब बेहतर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वकील रूडी गिउलानी संक्रमण के बाद अब स्वस्थ हैं और उन्हें आज हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जा सकता है। 76 साल के रूडी न्यूयॉर्क के मेयर भी रह चुके हैं। चुनाव के बाद ट्रम्प ने जितने धांधली के मुकदमे दायर किए हैं, उनकी पैरवी रूडी ही कर रहे हैं। रविवार को उन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया था। मंगलवार को उन्होंने कहा- अब मुझे बुखार और कफ की दिक्कत नहीं है।
जर्मनी प्रतिबंध सख्त करेगा
फ्रांस में लॉकडाउन को मिली कामयाबी के बाद आखिरकार जर्मन सरकार ने भी इस मामले में अपना रुख बदल लिया है। जर्मनी की हेल्थ मिनिस्ट्री ने मंगलवार रात कहा- फिलहाल, जो हालात हैं उनको गंभीरता से लेना होगा। हमारे पास अब प्रतिबंधों को सख्त करने के अलावा ज्यादा विकल्प नहीं हैं। देश में जल्द ही तमाम स्कूल बंद किए जा सकते हैं। इसके अलावा गैर जरूरी दुकानें भी बंद की जा सकती हैं। माना जा रहा है कि सरकार लॉकडाउन भी घोषित कर सकती है।
वैक्सीनेशन अनिवार्य न करें
WHO ने कहा है कि कोविड-19 वैक्सीन को अनिवार्य यानी मेंडेटरी नहीं किया जाना चाहिए। संगठन ने कहा- बेहतर ये होगा कि इसका इस्तेमाल मेरिट के आधार पर किया जाए। अनिवार्य करने से कोई फायदा नहीं होगा। जिनको जरूरत है, उन्हें जरूर दी जानी चाहिए। अब हमें यह देखना होगा कि देश इस वैक्सीन का इस्तेमाल किस तरह करते हैं। दूसरी तरफ, यूएन की हेल्थ एजेंसी ने इस मेंडेटरी करने को कहा है।
नमस्कार!
भले ही आखिरी टी-20 ऑस्ट्रेलिया ने जीता। मगर, टीम इंडिया ने यह सीरीज 2-1 से अपने नाम की। यह लगातार 5वां मौका है जब टीम इंडिया ने टी-20 सीरीज जीती। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।
सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है
BSE का मार्केट कैप 181.61 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 47% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
3,131 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,493 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,461 कंपनियों के शेयर गिरे।
आज इस इवेंट पर रहेगी नजर
केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग होगी।
राहुल गांधी, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी. राजा और डीएमके के एलंगोवन शरद पवार के घर पर मीटिंग के बाद राष्ट्रपति से मिलने जाएंगे।
कोरोना वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए 60 देशों के राजनयिक हैदराबाद के भारत बायोटेक और बीई लिमिटेड का दौरा करेंगे।
किसानों से पहली बार मिले गृह मंत्री शाह
12 दिन से आंदोलन कर रहे किसान नेताओं से पहली बार गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मुलाकात की। इस मीटिंग में 13 किसान नेता पहुंचे। सरकार ने किसानों को प्रस्ताव देने की बात कही है। मीटिंग में शामिल किसानों ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों की वापसी के लिए तैयार नहीं है। किसान नेता आज सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग करेंगे। किसानों का कहना है कि कानून वापसी से कम कुछ मंजूर ही नहीं है।
करीब एक मीटर ऊंची हुई दुनिया की सबसे ऊंची चोटी
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई पहले से ज्यादा पाई गई। मंगलवार को चीन और नेपाल ने इसका ऐलान किया। पहले इसकी ऊंचाई 8848 मीटर थी। अब इसे 8848.86 मीटर नापा गया है। चीन के पिछले दावे से यह चार मीटर ज्यादा है। ऊंचाई नापने के लिए पिछले साल एक दल चोटी पर भेजा था।
4 घंटे चक्काजाम के बाद किसान सड़कों से हटे
कृषि कानूनों के विरोध में 13 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मंगलवार को भारत बंद किया। 20 सियासी दलों और 10 ट्रेड यूनियंस ने इसे सपोर्ट किया। किसानों ने सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चक्काजाम किया, फिर अपनी बात के मुताबिक, 3 बजे सड़कों से हट गए।
MP में 13 स्टेट हाईवे पर टोल लगेगा
मध्य प्रदेश सरकार के खाली खजाने को भरने के लिए 13 स्टेट हाईवे पर टोल टैक्स वसूला जाएगा। PWD के इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इन सड़कों से जो टैक्स मिलेगा, उसे हाईवे के मेंटेनेंस में इस्तेमाल किया जाएगा। इससे सरकार को करीब 160 करोड़ रुपए रेवेन्यू मिलने की उम्मीद है।
ब्रिटेन में 70 अस्पतालों से शुरू हुई वैक्सीन ड्राइव
ब्रिटेन में मंगलवार से 70 अस्पतालों में वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत हुई। लोगों को फाइजर और बायोएनटेक कंपनी की वैक्सीन लगाई जा रही है। भारतीय मूल के 87 साल के हरि शुक्ला फर्स्ट फेज में टीका लगवाने वालों में शामिल होंगे। उन्हें उनकी पत्नी 83 साल की रंजना शुक्ला के साथ वैक्सीन लगाई जाएगी।
आज की पॉजिटिव स्टोरी
लॉकडाउन में पैदल चाय बेचनी शुरू की, अब मंथली इनकम 40 हजार
लॉकडाउन में पूरी दुनिया की तरह मेरी भी इकोनॉमी चौपट थी। क्या करता? 10-11 घंटे की नौकरी के बाद 12 हजार मिलते थे। लॉकडाउन में 2-3 महीने बैठना पड़ा, फिर पैसे की जरूरत पड़ी तो चाय बेचना शुरू किया। पहले पैदल ये काम करता था और अब साइकिल पर दुकान सजा ली है। कमाई हर महीने करीब 40 हजार रुपए तक पहुंच गई है। ये कहानी है दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर चाय-कॉफी बेचने वाले महेंद्र वर्मा की।
भास्कर एक्सप्लेनर
नए संसद भवन पर क्या विवाद? क्यों पड़ी नई बिल्डिंग की जरूरत?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को संसद की नई इमारत का शिलान्यास करेंगे। ये इमारत 2022 तक बनकर तैयार होने की संभावना है। इस इमारत के बनने में करीब 971 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस इमारत का निर्माण शुरू होने से पहले ही इसके साथ विवाद भी जुड़ गए हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। नए संसद भवन पर क्या विवाद?
दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन प्रोड्यूसर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) केंद्र सरकार के साथ कोरोना वैक्सीन-कोवीशील्ड के सप्लाय कॉन्ट्रेक्ट पर साइन करने वाली है। इसके मुताबिक, सरकार को एक डोज 250 रुपए में दिया जाएगा।
किसान आंदोलन के समर्थन में गैर-भाजपा शासित 13 राज्यों में बंद का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला। इन 13 राज्यों में देश की आधी आबादी रहती है और करीब 4.82 करोड़ किसान परिवार रहते हैं।
भाजपा शासित 17 में से 15 राज्यों में बंद का ज्यादा असर नहीं देखा गया। देश के 17 राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकार है। छह केंद्र शासित प्रदेश भी हैं। इस तरह इन 23 राज्यों में देश की 50% आबादी रहती है। यहां 6.25 करोड़ किसान परिवार हैं।
लॉकडाउन में पूरी दुनिया की तरह मेरी भी इकोनॉमी चौपट थी। क्या करता? 10-11 घंटे की नौकरी के बाद 12 हजार मिलते थे। लॉकडाउन में 2-3 महीने बैठना पड़ा, फिर पैसे की जरूरत पड़ी तो चाय बेचना शुरू किया। पहले पैदल ये काम करता था और अब साइकिल पर दुकान सजा ली है। कमाई हर महीने करीब 40 हजार रुपए तक पहुंच गई है। ये कहते-कहते महेंद्र कुमार वर्मा का चेहरा चमकने लगता है।
करीब 40 साल के महेंद्र वर्मा दिल्ली के टीकरी बॉर्डर इलाके में साइकिल पर चाय कॉफी बेचते हैं। लेकिन, महेंद्र वर्मा के लिए ये काम शुरू करना आसान नहीं था। शुरूआत में उनके पास काम में लगाने के लिए कोई पूंजी नहीं थी।
महेंद्र बताते हैं, 'पहले एक महीने मैं पैदल काम करता था। मेरे पास सिर्फ एक मामूली थर्मस था। फिर मैंने एक कोल्ड ड्रिंक बॉटल की ट्रे साइकिल पर बांधी। दो महीने से साइकिल पर काम कर रहा हूं।'
महेंद्र के पास अब कई थर्मस हैं और उनमें वो कई तरह की चाय-कॉफी बेचते हैं। एक कप लेमन टी, वो भी सिर्फ 5 रुपए में और दावा ये कि ऐसी लेमन टी किसी के पास नहीं मिलेगी। मिलेगी भी तो स्वाद उनके जैसा नहीं होगा। वो 5 रुपए में मसाला टी और 10 रुपए में कॉफी बेचते हैं। उनका मानना है कि कम दाम पर अधिक सेल करो, तो मुनाफा ज्यादा होता है।
महेंद्र बताते हैं, 'शुरुआत में दिक्कतें थीं, लेकिन जैसे-जैसे ठंड बढ़ती गई, मेरा काम बढ़ता गया। अब इस कमाई से 50 हजार का कर्ज उतार दिया है और काम और बढ़ाने की सोच रहा हूं। पांच और लोगों को चाय बेचने की ट्रेनिंग दी, लेकिन किसी ने इस काम को नहीं किया। ये बहुत चैलेंजिंग काम है। इसमें बहुत मेहनत करनी होती है। मेरी पुरानी साइकिल अब एक चलती-फिरती दुकान है, जिसमें पीछे कैरियर पर लगी एक ट्रे में कई थर्मस रखे हैं। इनमें अलग-अलग तरह की चाय और कॉफी है। लोगों को दिख रहा है कि मैं चाय बेच रहा हूं, लेकिन मुझे लगता है कि मैं वर्ल्ड क्लास बिजनेस कर रहा हूं।'
महेंद्र चाय बेचने के साथ-साथ एक मलेशियाई कंपनी के लिए नेटवर्क मार्केटिंग भी कर रहे हैं। उनका दावा है कि इस काम से वो हर महीने सात से आठ हजार रुपए के बीच कमा लेते हैं और ये उनकी अतिरिक्त कमाई है। हालांकि, नेटवर्किंग का काम रिस्की होता है और कई बार इसमें लगाया गया पैसा फंस जाता है। लेकिन, महेंद्र का दावा है कि उन्हें अच्छा रिटर्न मिल रहा है।
तीन बच्चों के पिता महेंद्र वर्मा ने जब चाय बेचने के काम के बारे में घर में बात की तो शुरू में इसका विरोध हुआ। वो कहते हैं, 'मेरे घर में तीन बच्चे हैं, बड़ी लड़की कॉस्मेटिक सेक्टर में काम कर रही है। उसे ही एक कंपनी में भर्ती कराने के लिए पचास हजार रुपए का कर्ज लिया था। पत्नी घर में ही सिलाई का काम करती हैं। शुरू में बच्चों को लगा था कि पापा चाय कॉफी बेचने का काम करेंगे। पत्नी को भी ऐतराज था कि लोग हंसेगे। दुनिया का सबसे बड़ा रोग है क्या कहेंगे लोग? करो तो भी कहेंगे ना करो तो भी कहेंगे। अब जब पत्नी को रोज पैसे मिलते हैं तो उसे अच्छा लगता है, बच्चे भी खुश हैं।'
कभी पांच सौ रुपए प्रतिदिन से भी कम पर मजदूरी करने वाले महेंद्र वर्मा अब रोजाना एक हजार रुपए से अधिक कमाते हैं और अपना काम करते हुए पहले से बहुत खुश भी है। वो कहते हैं, सबसे बड़ी खुशी इस बात की है कि उन्होंने ये काम अपने दम पर शुरू किया है।
महेंद्र कहते हैं कि उनके लिए लॉकडाउन एक मौके की तरह आया, जिसमें उन्होंने नया काम करना सीख लिया। युवाओं को सलाह देते हुए वर्मा कहते हैं, 'परेशान ना हों। किसी भी सेक्टर में खाने-पीने के आइटम का कारोबार करो, कभी मायूस नहीं होंगे। दिन-प्रतिदिन पैसा बढ़ता जाएगा। जैसे-जैसे आपकी पहचान बनती जाएगी, आपकी आमदनी भी बढ़ती जाएगी।'
लॉकडाउन खुलने के बाद सुधर रही है बेरोजगारी दर
कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में अर्थव्यवस्था चौपट हुई है और काम धंधे बंद है। इसकी वजह से बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हुए हैं। सेंटर फॉर मॉनीटिरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक, अप्रैल में भारत में बेरोजगारी दर 23.52 थी। जून में लॉकडाउन खुला तो हालात कुछ बेहतर हुए और तब से बेरोजगारी लगातार घट रही है। अब बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत है।
हममें से अधिकांश लोग अपनी मांग पूरी करवाने के लिए लोगों को भूख हड़ताल का सहारा लेते देखकर बड़े हुए हैं। जैसे-जैसे हड़ताल के दिन बढ़ेंगे तो कुछ लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ेगा और उनके प्रति एक धीमी सहानुभूति की लहर पैदा होने लगेगी और दिन गुजरने के साथ जैसे ही बड़े नेताओं की हालत खराब होगी। सरकार की भी सौदेबाजी की ताकत कमजोर हो जाती है। मुख्य रूप से इसलिए, क्योंकि सहानुभूति की लहर अपने चरम पर पहुंच गई होती है।
लेकिन, मंगलवार को 13वें दिन में पहुंची किसानों की हड़ताल की कहानी ये जताती है कि देश तकलीफ और बलिदान वाले विरोध-प्रदर्शनों और हड़तालों से काफी दूर निकलकर एक स्वच्छ और सुनियोजित लड़ाई की रणनीति पर पहुंच गया है। इसने विरोध की अवधारणा को एक अलग ही स्तर पर पहुंचा दिया है।
किसान जानते थे कि यदि उन्हें हजारों पुरुष, महिलाओं और बच्चों को केवल कुछ घंटों या दिनों के लिए नहीं, बल्कि हफ्तों और महीनों के लिए अपने प्रदर्शन में बनाए रखना है तो उनके पास उनकी रोजमर्रा की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक सुविधाओं का प्रबंधन करने के लिए ब्लूप्रिंट होना चाहिए।
इसके अलावा उनके पास आगामी सर्द मौसम का सामना करने के लिए अतिरिक्त तैयारी भी होनी चाहिए, क्योंकि धरने में शामिल अधिकांश प्रदर्शनकारी पंजाब-हरियाणा-दिल्ली हाइवे रोककर बैठे हैं। ये एक अलग कहानी है कि जिस प्रकार इन आवश्यक सुविधाओं का परिवहन किया गया, इनका स्टॉक और वितरण किया गया, वह किसी भी लॉजिस्टिक मैनेजमेंट कंपनी को आश्चर्य में डालने वाला है।
भोजन-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से लेकर सेनिटेशन, चिकित्सा, सुरक्षा, मोबाइल वॉरशिप वैन, सोलर पैनल (यदि सरकार बिजली आपूर्ति बाधित करती है), अखबार भी पढ़ने और यह जानने के लिए कि उनके प्रदर्शन को कैसी कवरेज मिल रही है।
सुविधाओं की एक लंबी सूची है। ये सुविधाएं 20 किलोमीटर से भी ज्यादा दायरे में जगह-जगह मौजूद हैं। यही नहीं, ट्रैक्टर रिपेयरिंग करने के लिए वर्कशॉप भी दूसरे ट्रैक्टर पर बनाई गई हैं। परिवहन की सुविधाओं पर तो थीसिस लिखी जा सकती है।
शाम को होने वाले मनोरंजन में न केवल पंजाबियों की बहादुरी के किस्से बखान करने वाले लोकगीत, बल्कि किसानों की गौरवगाथा भी शामिल होती है। दिसंबर-जनवरी के समय निकाली जाने वाली धार्मिक प्रभात फेरियों के साथ अगली सुबह की शुरुआत होती है।
संक्षेप में कहें तो यह ‘उड़ता पंजाब’ की कहानी नहीं है, जिसने राज्य की खराब छवि पेश की थी, बल्कि यह ‘उड़कर आया हुआ पंजाब’ की कहानी है। इसने प्रदर्शन को एक व्यवस्थित और योजनाबद्ध विरोध प्रदर्शन का शिक्षण केंद्र बना दिया है।
कहानी- महाभारत में श्रीकृष्ण और बलराम को कंस ने गोकुल से मथुरा बुलवाया था। कंस उनकी हत्या करवाना चाहता था। उस समय कंस ने एक रंगशाला बनाई थी। वहां हाथियों को शराब पिलाकर श्रीकृष्ण-बलराम की ओर छोड़ दिया गया था। दोनों ने मिलकर सभी हाथियों को मार दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने कंस का भी वध कर दिया। मथुरा के लोगों ने उन्हें गोद में उठा लिया और उनकी जय-जयकार कर रहे थे। सभी का कहना था कि अब कृष्ण को ही मथुरा का राजा बनना चाहिए।
श्रीकृष्ण ने कहा, 'इस समय हमें नीचे उतारिए। मैं और दाऊ, सबसे पहले कारागार जाएंगे, जहां हमारे माता-पिता देवकी और वासुदेव को कैद करके रखा गया हैं। उन्हें मुक्त कराना है।' दोनों भाई दौड़ते हुए कारागार पहुंचे। जब देवकी-वासुदेव ने इन दोनों को देखा, तो वे समझ गए कि हमारे बच्चे आ गए हैं।
उस समय श्रीकृष्ण ने हाथ जोड़कर माता-पिता से कहा, '11 वर्ष हो गए हैं। जन्म के समय ही मुझे गोकुल छोड़ दिया गया। इन 11 वर्षों में कंस ने आपको बहुत यातनाएं दी हैं। वह मारना मुझे चाहता था, लेकिन तकलीफ आपको दी। मेरी नजर में सबसे बड़ा पाप वह है, जब किसी संतान के कारण उसके माता-पिता को दुःखों का सामना करना पड़ता है। संतान का कर्तव्य है कि वह माता-पिता को सुख दे और उनकी सेवा करे। हम इसीलिए सबसे पहले आपके पास आए हैं, अब आप जैसा निर्णय लेंगे, उसका पालन किया जाएगा।'
सीख- कभी भी ऐसा कोई काम न करें, जिसकी वजह से माता-पिता को कष्ट हो। हर काम उनकी आज्ञा लेकर करें। रोज उन्हें प्रणाम करें और उनके आशीर्वाद के साथ दिन की शुरुआत करें। तभी भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
अगर आपको लगता है कि हमारे जैसे भीड़-भाड़ वाले देश में तिरुपति, वैष्णो देवी या शिरडी सांई मंदिर में भीड़ का बहुत अच्छा प्रबंधन किया जाता है तो आपको इस सूची में एक और नाम जोड़ लेना चाहिए। ये है राजधानी दिल्ली की सीमाओं को छूने वाले एनएच-44 का इलाका।
मानो एक पूरा शहर यहां आकर बस गया हो, जहां लोगों के पास हर वह सुविधा है, जो उनके घरों में है। किसी मैनेजमेंट स्टूडेंट के लिए यहां सीखने के लिए बहुत कुछ है। ऐसा कुछ भी नहीं है, जो आपको यहां नहीं मिलेगा। अधिकांश सुविधाएं मुफ्त हैं।
हेल्थ मैनेजमेंट : यदि अत्यधिक सर्द मौसम का सामना करती हुई हजारों की भीड़ है, वो भी एक हाईवे पर तो शर्तिया उसमें से लोग बीमार पड़ेंगे। और संभवतः प्रदर्शनकारी यह बहुत अच्छी तरह जानते हैं। नहीं तो कैसे उनकी व्यवस्थित चिकित्सा सुविधा, जिसमें एंबुलेंस से लेकर वेंटिलेटर और मेडिकल स्टोर तक शामिल है, कई किलोमीटर तक हर कुछ मीटर के फासले पर मौजूद है और जिसमें दवाइयां भी दी जा रही हैं।
उदाहरण के लिए यदि किसी को जेलुसिल जैसे एंटासिड सिरप की जरूरत है, तो वह एक छोटी सी प्लास्टिक की डिबिया में दिया जा रहा है, जिसमें पान वाले चूना रखते हैं। जांच के लिए डॉक्टर को बुलाने की बात तो छोड़िए, यहां इमरजेंसी के लिए डॉक्टर मौजूद हैं। अत्याधुनिक मोबाइल वैन में इलाज चल रहा है, जो किसी फाइव स्टार हॉस्पिटल की तरह दिखती है।
सहूलियत मैनेजमेंट : मोबाइल चार्जिंग स्टेशन, अन्य आधुनिक उपकरणों के रिपेयर में सहायता छोड़िए, फाइव स्टार होटलों द्वारा कंघी, तेल और टूथपेस्ट मुहैया कराना भी पुराना आइडिया हो गया है। यदि कोई किसान अंडरवियर, बनियान, रुमाल या मोजा लाना भूल गया है तो यह भी उनके लिए यहां उपलब्ध है, बिलकुल मुफ्त।
होम-सिकनेस मैनेजमेंट : यदि आपको गरमागरम गोभी, मूली और आलू के पराठे का स्वाद घर की याद दिला रहे हैं तो चिंता करने की जरूरत नहीं। प्रदर्शनकारी किसानों को यहां पर लस्सी, सरसों का साग और मक्के की रोटी भी मिल रही है, जो इस मौसम में उनका पसंदीदा व्यंजन है। यहां लंगरों में सत्कार देखने लायक है। भले ही आप कोई प्रदर्शनकारी हैं या आगंतुक तमाशबीन, आपको मेहमान की तरह ट्रीट किया जाएगा और मनपसंद गरमागरम भोजन पेश किया जाएगा।
धरना स्थल पर स्नैक्स की भी अनूठी व्यवस्था है। आपकी शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल के अनुसार आप धरने पर बैठे-बैठे गरीबों के भुने चने से लेकर अमीरों के काजू-किशमिश तक चबा सकते हैं। ये पूरी भोजन व्यवस्था सेवा-भाव के साथ है और यही कारण है कि इससे सिर्फ पेट ही नहीं, बल्कि दिल भी भर रहा है।
सिक्योरिटी मैनेजमेंट : संभवतः आज के समय का सबसे बढ़िया दो-स्तरीय सुरक्षा प्रबंधन। निहंगों की सेना पूरे धरने में घूम-घूम कर इस बात को सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी असामाजिक तत्व इस प्रदर्शन का नाजायज फायदा न उठाने पाएं। वे हर ट्रैक्टर, ट्रक, और बस में एक व्यक्ति को पूरी रात जगाए रखते हैं।
हर 300 मीटर की दूरी पर लगे चाय और गर्म पेय के काउंटरों से इन सुरक्षा करने वाले स्वयंसेवकों और निहंगों को मदद मिल रही है। धरनास्थल पर मौजूद महिलाओं को युवा स्वयंसेवकों द्वारा अलग से खास सुरक्षा दी जा रही है।
(मनीषा भल्ला और राहुल कोटियाल के अतिरिक्त इनपुट के साथ)
सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को आदेश दिए थे कि वे सेक्स वर्कर्स को सूखा राशन दें। महाराष्ट्र में सरकार इन्हें न सिर्फ राशन दे रही है बल्कि अब इन्हें 5 हजार रुपए महीने की आर्थिक मदद भी देने जा रही है। यह मदद 3 महीने (अक्टूबर से दिसंबर) के लिए दी जाएगी। राज्य में सेक्स वर्कर्स की पहचान की जा रही है। ऐसे में हमने मध्यप्रदेश के सूखा गांव (यहां पीढ़ियों से महिलाएं सेक्स वर्क में हैं), दिल्ली और मुंबई से सेक्स वर्कर्स के हालात जानने की कोशिश की।
मप्र के सूखा गांव से अक्षय बाजपेयी/ विकास वर्मा की रिपोर्ट...
सूखा गांव मप्र के रायसेन जिले में है। यहां पीढ़ियों से देह व्यापार होता आ रहा है। गांव में 100-150 घर हैं। आबादी हजार से भी कम है। यहां पुरुष छोटे-मोटे स्तर पर किसानी करते हैं। जब हम गांव में पहुंचे, तो गाड़ी देखते ही दलाल हमारे पास आ गए। सड़क पर जो मर्द घूम रहे थे, वो नशे में थे।
इन्हीं में से एक शख्स से हमने पूछा कि यहां सेक्स वर्कर्स कहां रहती हैं, हमें उनसे बात करनी है। वह हमें एक घर में ले गया। जहां चार-पांच बुजुर्ग महिलाएं बैठी थीं। ये सभी सेक्स वर्कर्स थीं, लेकिन बुजुर्ग होने के चलते अब इन्होंने यह काम बंद कर दिया था।
इन्हीं में से एक रेखा बाई से हमने पूछा कि आप इस गांव में कब से हैं? तो वे बोलीं, 'मैं तो पैदा ही यहीं हुई। बड़ी हुई, तो सेक्स वर्कर बन गई। 20 साल तक यह काम किया। इसी से गुजर-बसर चल जाता था। अब मेहनत मजदूरी करते हैं, उससे थोड़ा बहुत पैसा आ जाता है।' लॉकडाउन में आजीविका पर बोलीं, 'भाई का खेत है। उसी ने थोड़ी मदद कर दी थी। सरकार से तो कोई मदद नहीं मिली।'
अब तक जाति प्रमाण पत्र तक नहीं बने
रेखा के नजदीक ही अनीता बाई बैठीं थीं। 65 साल की अनीता का अभी तक जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया। मूल निवासी भी उनके पास नहीं है। उनके चार बच्चे हैं, उनके पास भी जाति प्रमाण पत्र नहीं है। हमने पूछा कि जाति प्रमाण पत्र क्यों नहीं बन पाया? इस पर बोलीं, 'वो कहते हैं बाप का नाम दो। अब बाप कहां से लाएं। हम तो सेक्स वर्कर थे। अब बच्चों के पिता का नाम कहां से लाएं।' गांव में अनीता जैसी बहुत सारी सेक्स वर्कर्स हैं, जिनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है।
इस गांव में सभी बेड़िया जनजाति के लोग रहते हैं। इनके समाज में ही इनकी शादी होती है। शादी के बाद महिलाएं यह काम छोड़ देती हैं और फिर उनके कागज भी बन जाते हैं। जिनकी शादी नहीं होती, वो सेक्स वर्कर ही रह जाती हैं और फिर इनके कागज अटक जाते हैं। हालांकि वोटर आईडी, आधार कार्ड और बैंक अकाउंट में इनमें से अधिकतर के पास है।
अब कोई मदद के लिए नहीं आता
बुजुर्ग महिलाओं से बात करने के बाद हम उन लड़कियों के पास पहुंचे, जो अभी यह काम कर रहीं हैं। एक घर के सामने हमें 20-22 साल की लड़कियां बैठी दिखीं। हमने उनसे बात करनी चाही, तो उनमें से एक ने कहा कि, पहले आपका आईडी कार्ड दिखाइए।
कार्ड दिखाने पर उसने कहा कि क्या जानना चाहते हो? हमारी जिंदगी में तो मुसीबत ही मुसीबत है। उसने बताया, 'दो-तीन लाख रुपए थे। खेती के लिए जमीन, बीज लिए थे। मुनाफा हुआ नहीं, तो कर्ज बढ़ता गया। लॉकडाउन में एक बार कुछ लोगों के अकाउंट में पांच सौ रुपए आए थे। एक-दो बार किसी-किसी ने थोड़ा बहुत राशन भी बांटा। इसके लिए कोई मदद नहीं मिली।'
दिल्ली के जीबी रोड से रिपोर्ट...
दिल्ली का जीबी रोड रेड लाइट एरिया है। ये अजमेरी गेट से लाहौरी गेट के बीच का हिस्सा है। 40 से 71 नंबर की कोठियां सेक्स वर्कर्स की हैं। लॉकडाउन के पहले यहां तीन से चार हजार वेश्याएं थी, जो अब हजार रह गईं हैं। काम बंद होने के चलते कोई अपने गांव चली गई, तो कोई किसी दोस्त के साथ है। जो कहीं नहीं जा सकती थीं, वो यहीं हैं। लॉकडाउन में सामाजिक संस्थाएं इन्हें राशन बांट रही थीं। कुछ ने हैंड सैनिटाइजर और मास्क भी बांटे।
20 साल से यहां रह रहीं रेश्मा ने बताया कि लॉकडाउन के शुरूआती तीन महीनों में तो काम पूरी तरह से चौपट हो गया था। बाद में थोड़े बहुत ग्राहक आना शुरू हुए, लेकिन इससे सबको काम नहीं मिलता।' आपको सरकार से क्या मदद मिली?
ये पूछने पर बोलीं, 'सरकार ने तो अभी तक कोई मदद नहीं की, लेकिन सामाजिक संस्थाएं जरूर आ रही हैं, वो हमें राशन दे रही हैं। ठंड में कुछ लोगों ने कंबल भी दिए हैं, लेकिन सिर्फ राशन मिलने से क्या होता है। हमारे बच्चे हैं, जो दूर गांव में रहते हैं, उन्हें पढ़ाई-लिखाई के लिए पैसे भेजना पड़ते हैं, जो अब हमारे पास हैं नहीं।'
कोरोनाकाल में बिगड़े हालात
पिछले 50 सालों से सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए लड़ रहे भारतीय पतिता उद्धार सभा के अध्यक्ष खैरातीलाल भोला कहते हैं कि वेश्याओं की जितनी बुरी हालत कोरोना काल में हुई है, इतनी बुरी पहले कभी नहीं हुई।
वे कहते हैं कि हमने जब सर्वे करवाया, तब पता चला कि देशभर में 1100 रेड लाइट एरिया हैं। करीब 28 लाख सेक्स वर्कर हैं और इनके 54 लाख बच्चे हैं, जो इनसे दूर रहते हैं। कुछ पढ़ते हैं। कुछ मजदूरी करते हैं। सरकार इनके लिए कुछ नहीं करती।
नेशनल नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स की नेशनल कॉर्डिनेटर अयीशा राय खुद भी सेक्स वर्कर हैं। उनके मुताबिक, लॉकडाउन के बाद से सेक्स वर्कर्स को क्लाइंट नहीं मिल रहे। कई ने कर्जा ले लिया। कुछ ने सोना रखकर कर्ज लिया है। जिसका मोटा ब्याज इन्हें चुकाना पड़ रहा है। अब सरकार मदद नहीं करेगी, तो इनके मरने की नौबत आ जाएगी।
मुंबई के कमाठीपुरा से मनीषा भल्ला की रिपोर्ट...
मुंबई का कमाठीपुरा देश के बड़े रेड लाइट एरिया में से एक है। कोरोना ने यहां की करीब 3500 सेक्स वर्कर्स को सड़क पर ला दिया है। लॉकडाउन में तो सरकारी अस्पतालों से इन्हें दवाइयां भी नहीं मिल पा रहीं थीं।
यहां रहने वाली सेक्स वर्कर मीना कहती हैं, 'मैं आपको क्या बताऊं, लॉकडाउन में तो कमाठीपुरा की सभी गलियां सील कर दी गईं थी। पुलिस का सख्त पहरा था। पुलिस न तो यहां के मर्दों को बाहर घूमने देती थी, न ही हमें घर से बाहर निकलने देती थी। अब तो हालात सामान्य हो रहे हैं, फिर भी कोई ग्राहक नहीं आ रहे।'
यहां की कई सेक्स वर्कर गंभीर बीमारियों से जूझ रही हैं। सेक्स वर्कर सुमन को अस्थमा की बीमारी है। पहले वह पास के सायन अस्पताल से फ्री में दवा लेकर आती थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद से अभी तक दवाइयां बमुश्किल जुटा पा रही हैं।
5% सेक्स वर्कर HIV पॉजिटिव
यहां रहने वाली 5% सेक्स वर्कर HIV पॉजिटिव हैं। अब वह न तो अपने घर वापस जा सकती हैं, न कहीं और दूसरा काम ढूंढ सकती हैं। जब तक वह कमाती थीं, तो परिवार वाले उनसे पैसे ले लेते थे, लेकिन अब जब काम बंद हो गया, तो परिवार ने रिश्ता खत्म कर लिया। सेक्स वर्कर रेखा कहती हैं कि अभी इक्का दुक्का ग्राहक ही आ रहे हैं। एक दिन में 100-200 रुपए की कमाई हो रही है। पहले न तो पैसे की कमी थी, न ग्राहक की।
इलाके में सेक्स वर्कर के बीच काम करने वाली साईं संस्था के निदेशक विनय वाता का कहना है कि सरकार ने सेक्स वर्कर को पांच हजार रुपए देने का जो निर्णय लिया है, वह स्वागत योग्य है। फिलहाल सरकार ने एनजीओ को सेक्स वर्कर का सर्वे करने के लिए कहा है। अभी सर्वे चल रहा है। फिर फाइनल लिस्ट सरकार को दी जाएगी। अगर बिना किसी हेरफेर के सच में रेगुलर यह राशि सेक्स वर्कर को दी जाती है तो यह एक बड़ी मदद होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को संसद की नई इमारत का शिलान्यास करेंगे। ये इमारत 2022 तक बनकर तैयार होने की उम्मीद है। बीते शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बताया कि इस इमारत के बनने में करीब 971 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस इमारत का निर्माण शुरू होने से पहले ही इसके साथ विवाद भी जुड़ गए हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे प्रोजेक्ट के अप्रूवल के तरीके पर नाराजगी भी जताई। कोर्ट ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत कोई कंस्ट्रक्शन, तोड़फोड़ या पेड़ काटने का काम तब तक नहीं होना चाहिए, जब तक कि पेंडिंग अर्जियों पर आखिरी फैसला न सुना दिया जाए। हालांकि, सरकार की तरफ से कंस्ट्रक्शन या तोड़फोड़ नहीं करने का भरोसा दिए जाने के बाद कोर्ट ने भूमि पूजन की इजाजत दे दी।
संसद की नई बिल्डिंग कब से बनेगी और कैसी होगी? इस बिल्डिंग को कौन बनाएगा? पुराने संसद भवन का क्या होगा? इस नई बिल्डिंग की जरूरत क्या है? नए निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्या चल रहा है? जो लोग इस निर्माण का विरोध कर रहे हैं उनका क्या तर्क है? आइये जानते हैं...
संसद की नई बिल्डिंग कहां बनेगी?
पार्लियामेंट हाउस स्टेट के प्लॉट नंबर 118 पर बनने वाली इस नई इमारत का पूरा प्रोजेक्ट 64,500 स्क्वायर मीटर में फैला होगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के मुताबिक, ये इमारत भूकंप रोधी होगी।
इसे बनाने में 2000 लोग सीधे तौर पर शामिल होंगे। इसके अलावा 9,000 लोग परोक्ष रूप से इसमें शामिल होंगे। लोकसभा अध्यक्ष ने 5 नवंबर को कहा था कि नई संसद 2022 के बजट सत्र के पहले बन जाएगी।
नई बिल्डिंग में क्या-क्या होगा?
नए भवन में लोकसभा सांसदों के लिए लगभग 888 और राज्यसभा सांसदों के लिए 326 से ज्यादा सीटें होंगी। संसद के संयुक्त सत्र में लोकसभा चेंबर में 1,224 सदस्य एक साथ बैठ सकेंगे। इसमें फर्क सिर्फ इतना होगा कि जिन सीटों पर दो सांसद बैठेंगे, उनमें संयुक्त सत्र के दौरान तीन सांसदों के बैठने का प्रावधान होगा।
नए सदन में दो-दो सांसदों के लिए एक सीट होगी, जिसकी लंबाई 120 सेंटीमीटर होगी। यानी एक सांसद को 60 सेमी की जगह मिलेगी।
देश की विविधता दर्शाने के लिए संसद भवन की एक भी खिड़की किसी दूसरी खिड़की से मेल खाने वाली नहीं होगी। हर खिड़की अलग आकार और अंदाज की होगी।
तिकोने आकार में बनी बिल्डिंग की ऊंचाई पुरानी इमारत जितनी ही होगी। इसमें सांसदों के लिए लाउंज, महिलाओं के लिए लाउंज, लाइब्रेरी, डाइनिंग एरिया जैसे कई कम्पार्टमेंट होंगे।
इस बिल्डिंग को कौन बनाएगा?
इस बिल्डिंग को बनाने का जिम्मा टाटा प्रोजेक्ट को मिला है। सितंबर में उसने L&T और CPWD से कम बोली लगाकर प्रोजेक्ट बनाने की बोली जीती थी। इसे सेंट्रल विस्टा री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत बनाया जाएगा। इसका डिजाइन HCP डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट है क्या?
नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के बीच का तीन किमी लंबे एरिया को सेंट्रल विस्टा कहते हैं। सितंबर 2019 में केंद्र सरकार ने इसके री-डेवलपमेंट की योजना बनाई। इस इलाके में नए संसद भवन समेत 10 नई इमारतें बनाने की योजना है। राष्ट्रपति भवन और मौजूदा संसद भवन पहले की ही तरह रहेगा। इसी री-डेवलपमेंट के मास्टर प्लान को ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट कहते हैं।
राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का घर, नेशनल म्यूजियम, नेशनल आर्काइव्ज, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA), उद्योग भवन, बीकानेर हाउस, हैदराबाद हाउस, निर्माण भवन और जवाहर भवन सेंट्रल विस्टा का ही हिस्सा हैं।
इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
दरअसल, 2026 में लोकसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन का काम शेड्यूल्ड है। इसके बाद सदन में सांसदों की संख्या बढ़ सकती है। इस बात को ध्यान में रखकर नई बिल्डिंग को बनाया जा रहा है। अभी लोकसभा में 543 सदस्य और राज्यसभा की 245 सदस्य हैं।
1951 में जब पहली बार चुनाव हुए थे, तब देश की आबादी 36 करोड़ और 489 लोकसभा सीटें थीं। एक सांसद औसतन 7 लाख आबादी को रिप्रजेंट करता था। आज देश की आबादी 138 करोड़ से ज्यादा है। एक सांसद औसतन 25 लाख लोगों को रिप्रजेंट करता है।
संविधान के आर्टिकल-81 में हर जनगणना के बाद सीटों का परिसीमन मौजूदा आबादी के हिसाब के करने का भी प्रावधान था। लेकिन, 1971 के बाद से ये नहीं हुई है।
आर्टिकल-81 के मुताबिक देश में 550 से ज्यादा लोकसभा सीटें नहीं हो सकती हैं। इनमें 530 राज्यों में जबकि 20 केंद्र शासित प्रदेशों में होंगी। फिलहाल देश में 543 लोकसभा सीटें हैं। इनमें 530 राज्यों में और 13 केंद्र शासित प्रदेशों में हैं। लेकिन, देश के आबादी को देखते हुए इसमें भी बदलाव की बात चल रही है।
मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगी, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है। वैसे भी 2021 में इस बिल्डिंग को बने हुए 100 साल पूरे होने वाले हैं।
अभी जो संसद भवन है उसका क्या होगा?
संसद की मौजूदा इमारत को पुरातत्व धरोहर में बदला जाएगा। इसका इस्तेमाल संसदीय कार्यक्रमों में भी किया जाएगा।
1921 में इसे एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने बनाया था। उस समय ये इमारत छह साल में बनकर तैयार हुई थी। इसे बनाने में 83 लाख रुपए लगे थे।
इस प्रोजेक्ट का विरोध क्यों हो रहा है?
इस प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों का कहना है कि अथॉरिटीज की तरफ से नियमों की अनदेखी करके प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। इसमें जमीन के इस्तेमाल में बदलाव को मंजूरी भी शामिल है। इन लोगों का कहना है कि इस पूरे निर्माण के दौरान कम से कम एक हजार पेड़ काटे जाएंगे। इसके कारण पहले से ही प्रदूषण से जूझ रही दिल्ली में हालात और खराब हो जाएंगे।
प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले पर्यावरणविद तो यहां तक कहते हैं कि प्रोजेक्ट की मंजूरी से पहले इसका पर्यावरण ऑडिट तक नहीं कराया गया। वहीं जो इतिहासकार इसका विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि प्रोजेक्ट का कोई ऐतिहासिक या हेरिटेज ऑडिट भी नहीं हुआ है। इसे बनाने के लिए नेशनल म्यूजियम जैसी ग्रेड-1 हेरिटेज साइट में भी तोड़फोड़ होगी। यहां तक कि कंसल्टेंट चुनने में भी भेदभाव किया गया।
नई संसद के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट का क्या रुख है?
इस प्रोजेक्ट के खिलाफ कम से कम सात याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। इन याचिकाओं पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है। सोमवार को भी इन्हीं याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रोजेक्ट के मंजूरी के तरीकों पर नाराजगी जताई थी।
इस दौरान कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि ‘आप शिलान्यास कर सकते हैं, आप कागजी करवाई कर सकते हैं लेकिन निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ काटना नहीं होगा।'
शिखा धारीवाल मुंबई में रहती हैं। उन्होंने 26 नवंबर को सोशल मीडिया पर शिकायती पोस्ट की। लिखा कि वोडाफोन ने बिन बताए उनके पोस्टपेड नंबर का प्लान बदल दिया। फिर 699 के प्लान में उन्हें 2000 रुपए का बिल भेजा गया। उन्होंने एक दिन बाद दो और पोस्ट किए। उन्होंने लिखा कि 24 घंटे बाद भी वोडाफोन की ओर से कोई जवाब नहीं आया, जबकि रिलायंस जियो की कॉल आ गई। उनका प्लान भी बेहतर है। इसी बात की चर्चा अगस्त में ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने भी की थी। उसकी मानें तो आने वाले महीनों में वोडाफोन के एक करोड़ से ज्यादा यूजर उसे छोड़कर जियो या एयरटेल में चले जाएंगे।
टेलीकॉम इक्विपमेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (TEMA) के चेयरमैन प्रो. एनके गोयल दिल्ली के पॉश इलाके साकेत में रहते हैं। भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा, '5 मिनट रुकिए; घर से बाहर आकर बात करता हूं। घर में मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता, इसलिए आधा वक्त घर के बाहर ही रहना होता है। BSNL होता तो मैं प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख देता। पर प्राइवेट कंपनियों के कस्टमर केयर पर सुनवाई कहां होती है। दो-तीन कंपनियां ही हैं, और कंपनियां होती तो शायद ये न होता।''
शिखा धारीवाल और प्रो. एनके गोयल की केस स्टडी से तीन निष्कर्ष सामने आते हैं।
वोडाफोन-आइडिया के कस्टमर कम हो रहे हैं। बीते दो साल में वोडाफोन-आइडिया के 41.8 करोड़ कस्टमर खिसक गए और अब उसके पास 28 करोड़ ही बचे हैं।
इन्हीं दो साल में रिलायंस जियो के कस्टमर 28 करोड़ से बढ़कर 40 करोड़ हुए।
टेलीकॉम इंडस्ट्री में मोनोपॉली बन रही है। सिम देने वाली 3 ही कंपनियां बची हैं। BSNL मैदान से बाहर होने की कगार पर है। कस्टमर भी खराब सर्विस पर कुछ कर नहीं पा रहे। एक कंपनी टैरिफ बढ़ाती है तो दूसरी भी देखादेखी बढ़ा देती है। ग्राहक को मजबूरन इन्हीं तीन में चुनना है।
ये स्थिति कैसे बनी?
आइए जानते हैं कि एयरसेल, एस्सेल, वर्जिन मोबाइल जैसी 100 से ज्यादा कंपनियां क्यों बंद हुईं? सरकार की अपनी कंपनी BSNL कैसे बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गई? महज चार साल पुरानी रिलायंस जियो कैसे नंबर वन बन गई? 20 साल पुरानी एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कैसे मुंह ताकती रह गईं?
BSNL: भाई साहब नहीं लगेगा से भाई साहब अब नहीं बचेगा तक
2017 में BSNL ने 4जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में हिस्सा ही नहीं लिया। BSNL को प्राइवेट कंपनियों की ओर से लगाई बोली ज्यादा लग रही थीं। सरकार भी अड़ी रही कि BSNL को प्राइवेट कंपनियों के बराबर कीमत चुकाने पर ही स्पेक्ट्रम मिलेगा। जब BSNL को 4जी मिला तब तक चिड़िया खेत चुग चुकी थी।
BSNL के एक अधिकारी का कहना है कि कंपनी को सरकारी नीतियों ने ही मार दिया। BSNL के पास एडवांटेज था। फिर भी हम नुकसान की ओर बढ़ते चले गए। नई तकनीक न होने से कस्टमर को प्राइवेट कंपनियों जैसी सुविधा ही नहीं दे पाई। दरअसल, BSNL के पास अब भी 1.5 लाख कर्मचारी हैं। कंपनी की कमाई का करीब 55-60% हिस्सा सैलेरी देने में ही खर्च हो रहा है।
कंपनी तो अपनी असेट्स का लाभ भी नहीं उठा पा रही। BSNL की देशभर में अरबों की जमीनें हैं। इसे बेचकर पैसा जुटाने का प्लान बनाया तो वह विनिवेश विभाग की अलमारियों में जाकर ठहर गया। उस प्रस्ताव पर विचार करने तक की फुर्सत नहीं है किसी के पास। नियम ही ऐसे हैं कि BSNL अपनी जमीन को किराए पर भी नहीं दे सकता। दूरसंचार राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने राज्यसभा में बताया था कि दिसंबर-2019 तक BSNL 39,089 करोड़ के घाटे तक पहुंच गई थी।
वोडाफोन के काम न आया 4G आइडिया, AGR के बोझ से टेढ़ी हो गई गर्दन
अगस्त-2018 में आइडिया और वोडाफोन साथ आ गए। दो साल पहले मार्केट में आया जियो इनसे आगे निकलने लगा था। चुनौती कस्टमर बचाए रखने की थी। वोडाफोन ने 4जी स्पेक्ट्रम नहीं लिए थे। आइडिया के 4जी के साथ आने पर 40 करोड़ कस्टमर के साथ नंबर वन तो बने, लेकिन दो साल में ही करीब 28 करोड़ रह गए।
वोडाफोन की शिवांजलि सिंह कहती हैं कि टेलीकॉम सेक्टर में इस वक्त महज उनकी कंपनी घाटे में नहीं है। एयरटेल हो या BSNL, एजीआर चुका रही सभी कंपनियां घाटे में हैं। हम अपनी नेटवर्क क्षमता बढ़ा रहे हैं। लॉकडाउन में हमें पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं।
AGR यानी एडजस्टेड ग्रास रेवेन्यू। ये पुराना मामला है। 2005 से ही इस पर विवाद था। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ चुका है। फैसला सरकार के पक्ष में है। अब टेलीकॉम कंपनियों को करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए सरकार को चुकाने हैं। टेलीकॉम कंपनियां सरकार को मोबाइल सेवा से आने वाले पैसे में हिस्सा देना चाहती थीं। लेकिन सरकार का कहना था कि टेलीकॉम कुछ बेचकर या संपत्ति पर किसी तरह से ब्याज कमा रही हैं तो उनमें भी सरकार का हिस्सा होना चाहिए। अंत में सरकार जीत गई।
सितंबर-2020 क्वॉर्टर के नतीजों के मुताबिक, वोडाफोन 7,218 रुपये के घाटे में है। उसे AGR के करीब 50,000 करोड़ रुपए 2031 तक सरकार के पास जमा करने हैं। AGR वाले मामले में शुरुआत में दबाव बनाने पर वोडाफोन के सीईओ मार्क रीड ने इंडिया में कारोबार बंद करने की बात भी कह दी थी। अब अगली तिमाही यानी जनवरी से वोडाफोन अपने टैरिफ बढ़ाने की तैयारी में है।
4G वाली लड़की ने एयरटेल को बचाने की बहुत कोशिश की
एयरटेल इंडिया व साउथ एशिया के एमडी और सीईओ गोपाल विट्टल कहते हैं, ''हमें मुनाफे में आने के लिए करीब 300 रुपए के आरपू पर आना होगा। अभी हम टैरिफ बढ़ाकर 162 रुपए आरपू पर तो आ गए हैं, लेकिन ये नाकाफी है। पानी से सिर बाहर रखने के लिए भी हमें 200 के आरपू पर जाना होगा।''
आरपू अंग्रेजी के ARPU से बना है। इसका मतलब है एवरेज रेवेन्यू पर यूजर यानी कंपनी को एक कस्टमर से होने वाली कमाई। इसे हर तीन महीने के हिसाब से जोड़ते हैं। सबसे ज्यादा आरपू वाले एयरटेल ने भी सितंबर 2020 को जारी की गई अपनी रिपोर्ट में 763 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया था। इसके पीछे बीते दो सालों में करीब 3 करोड़ कस्टमर कम होना और AGR में करीब 43 हजार करोड़ की देनदारी भी है।
वैसे, एयरटेल की हालत खस्ता होने के पीछे एक वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि एयरटेल ने भारतीय कस्टमर्स को हल्के में लिया। जब जियो 4जी स्पेक्ट्रम के लिए कोशिश कर रहा था, तब एयरटेल ने कुछ नहीं किया। एयरटेल भारत में 25 साल से टेलीकॉम सेक्टर में लीडर के तौर पर था। वह अपनी 2जी, 3जी सर्विसेस को सुधारने में लगा रहा। एयरटेल ने 4जी पर काम बहुत देरी से शुरू किया। एयरटेल के लिए 4जी वाली लड़की का कैंपेन भी बहुत तेजी से वायरल हुआ, बीती तिमाही में एयरटेल की हालत थोड़ी सुधरी है। इसके पीछे उनकी 4जी नेटवर्क को लेकर जबर्दस्त मेहनत बताई जा रही है।
जियो की कमाई के फॉर्मूले पर किताब लिखनी पड़ेगी
मोबाइल सेवा को लेकर सबसे विश्वसनीय जानकारियां देने वाली सेलुलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के डायरेक्टर जनरल लेफ्टि. जन. डॉ. एसपी कोचर जियो के फायदे में होने के कई कारण गिनाते हैं। उनका कहना है कि पहला है आरपू। मान लीजिए कि आप एक बस में बैठकर दिल्ली से भोपाल आ रहे हैं। बस में आपने 10 ही सवारियां बिठाई हैं, तब भी आपकी लागत उतनी ही आएगी जितनी 40 सवारियों के साथ। आरपू यही है। तकनीक एक ही है। जियो अपने नेटवर्क के लिए माइक्रोबेस ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल करता है। यह कस्टमर्स को कई सेवाएं एक साथ दे सकती है। कस्टमर बढ़ने से खर्च बढ़ता नहीं। उतना ही रहता। जितने ज्यादा कस्टमर, उतना ज्यादा लाभ। जियो पर AGR नहीं है। लोन भी नए रेट पर मिले। पहले लोन ज्यादा महंगा था। ट्राई ने पिछले साल इंटरेक्शन यूजेस चार्ज यानी IUC को 14 पैसे से घटाकर 6 पैसे प्रति मिनट कर दिया था। इससे भी जियो को फायदा हुआ।
सरकार से जियो को फायदा मिला है, कितनी सच है ये बातें
5 सितंबर 2016 रिलायंस जियो मार्केट में आया। वह साढ़े तीन लाख करोड़ खर्च कर हाई-स्पीड 4जी नेटवर्क लेकर आया। कस्टमर को सर्विसेस फ्री देने का वादा किया। वरिष्ठ पत्रकार एमके वेणु कहते हैं कि यह जियो की कस्टमर बटोरने की पॉलिसी थी, जिसमें उसे सरकार का साथ मिला। आमतौर पर किसी भी कंपनी को कुछ नया टेस्ट करने के लिए तीन महीने की मोहलत दी जाती है, लेकिन जियो करीब एक साल तक फ्री सेवा को टेस्ट करता रहा। इसे रेगुलेटरी हॉलीडे कहा जाता है। रिलायंस पहले टेलीकॉम सेक्टर में काम चुका था और फेल होकर लौटा था। नियमों के मुताबिक उसे इतनी बड़ी छूट नहीं मिलनी चाहिए थी। जब जियो ने मार्केट में सबसे ऊपर अपनी जगह बना ली है तो दूसरी कंपनियों की तरह वह भी रेवेन्यू बढ़ा रहा है। आने वाले दिनों में और पैसे बढ़ने वाले हैं।
वे कहते हैं कि जियो अब बड़े प्लान की ओर है। कोई कंपनी उसकी टक्कर में है ही नहीं। जियो एंटरटेनमेंट, मीडिया से लेकर मॉल तक उतर रहा है। वो खुद को एक ऐसा डिजिटल मार्केट बनाने में लगा है, जहां एक ही सिम कस्टमर को सोकर उठने से दोबारा सोने तक में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजें दे दे। 5जी के लिए भी जियो ने अभी से अपना पासा फेंक दिया है। नई तकनीक में वही पैसा डालेगा, जिसके पास होगा। इस वजह से जियो खुद को मुनाफे में ही दिखाता है। जियो ने सितंबर 2020 वाले क्वार्टर में 2,844 करोड़ का मुनाफा बताया है।
पूरे भारत को टेलीकॉम सेक्टर के लिहाज से 23 सर्किल में बांटा गया है। तब यह तय हुआ था कि हर सर्किल में कम से कम 3 कंपनियां होंगी। लेकिन, अब यह नियम प्रभावी नहीं है। कुछ सर्किल में एक-दो कंपनियां ही सक्रिय हैं। इसका नुकसान ग्राहकों को ही होगा। वरिष्ठ अर्थशास्त्री का मानना है कि बैंकों का अगला बड़ा NPA टेलीकॉम सेक्टर होने वाला है। बैंकों ने स्पेक्ट्रम की नीलामी में कंपनियों को भर-भर कर लोन दिया। अब कंपनियां घाटे में हैं। सरकार उन्हें उबारने के लिए कई बार ब्याज व अन्य राहत दे चुकी है। इससे बैंकों का नुकसान हो रहा है और आम आदमी की बचत पर असर पड़ रहा है। बैंक आम आदमी को मिलने वाले ब्याज को कम कर रहे हैं। फिक्स डिपॉजिट, ईपीएफ समेत बैंकों की आम आदमी को फायदा पहुंचाने वाली योजनाएं बंद करनी पड़ती हैं।
हालांकि इन सबके बीच इंस्टिट्यूट ऑफ कम्पीटिटिवनेस (IFC) की एक रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया कि जियो के फ्री और सस्ते प्लान की वजह से कस्टमर के सालाना करीब 6.5 लाख करोड़ रुपए बचे हैं। इससे GDP को फायदा हुआ है।
घोड़े पर बैठने से पहले ही रेस हार गए ये खिलाड़ी
एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल पर कॉल लगाने या मैसेज भेजने के लिए हवा में न दिखने वाली तरंगों का इस्तेमाल होता है। इन्हें स्पेक्ट्रम कहते हैं। स्पेक्ट्रम, हवा, पानी, कोयले की तरह प्राकृतिक संसाधन है। इस पर पहला मालिकाना हक सरकार का है। सरकार इसे प्राइवेट कंपनियों को देती है। पहले की सरकारें स्पेक्ट्रम पर बड़ी कीमत नहीं लेती थीं। बिजनेस में होने वाले मुनाफे पर हिस्सेदारी करती थीं। तब बहुत तेजी से कंपनियों ने टेलीकॉम सेक्टर में पैसा लगाया।
2G स्पेक्ट्रम घोटाले ने पूरी तस्वीर ही बदल दी। सरकार बदली और स्पेक्ट्रम खरीदने वाली पुरानी 130 कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए। ये कभी सिम बांटने का धंधा ही नहीं शुरू कर पाईं। 2जी स्पेक्ट्रम की भारी-भरकम कीमतों पर नीलामी हुई। तब एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया ने इतने ज्यादा पैसों की बोली लगाई कि छोटी कंपनियां हिम्मत ही नहीं जुटा पाईं। एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया ने पूरे मार्केट पर कब्जा कर लिया। यूनीनॉर, टाटा, डोकोमो, हच जैसी कंपनियों ने एयरटेल और वोडाफोन में अपना विलय कर लिया और एयरसेल जैसी कंपनियां दिवालिया हो गईं।
1992 में आज ही के दिन ब्रिटेन के शाही परिवार के प्रिंस चार्ल्स और प्रिंसेस डायना के तलाक की घोषणा हुई थी। उस समय के ब्रिटिश पीएम जॉन मेजर ने दोनों के अलग होने की घोषणा की थी। घोषणा के बाद 28 अगस्त 1996 को दोनों का तलाक हो गया।
24 फरवरी 1981 को डायना और प्रिंस चार्ल्स की सगाई हुई थी। सगाई में डायना ने जो अंगूठी पहनी थी, उसकी कीमत उस समय 30 हजार पाउंड थी, जिसमें एक नीलम और 14 हीरे जड़े थे। 29 जुलाई 1981 को उनकी शादी हुई। उनकी शादी की ड्रेस डेविड और एलिजाबेथ इमैनुएल ने डिजाइन की थी। इसमें 24 फीट की चुनरी थी, जिसे हाथीदांत से बने टाफेटा और एंटीक लेस से सजाया गया था। शादी के वक्त डायना की उम्र 20 साल थी।
प्रिंस चार्ल्स और डायना की शादी को टीवी पर दुनियाभर में 1 अरब से ज्यादा लोगों ने देखा। जबकि, कैथेड्रल से लेकर बर्मिंघम पैलेस के सामने तक 6 लाख लोग जमा हो गए। शादी से एक साल के भीतर ही 21 जून 1982 को उन्होंने अपनी पहली संतान प्रिंस विलियम्स को जन्म दिया। 15 सितंबर 1984 को प्रिंस विलियम्स को उनका भाई मिला। नए बच्चे का नाम रखा गया हेनरी, हालांकि बाद में उन्हें प्रिंस हैरी के नाम से जाना जाने लगा।
शादी के कुछ सालों बाद ही प्रिंसेस डायना और प्रिंस चार्ल्स के बीच रिश्ते खराब होने लगे। 1992 में जब प्रिंसेस डायना भारत दौरे पर आईं, तब उन्होंने ताजमहल के सामने अकेले बैठकर तस्वीर खिंचवाई थी। 28 अगस्त 1996 को दोनों का तलाक हो गया। तलाक के एक साल बाद ही 31 अगस्त 1997 में एक रोड एक्सीडेंट में डायना की मौत हो गई। जबकि, अप्रैल 2005 में प्रिंस चार्ल्स ने कैमिला पार्कर से शादी कर ली।
आज ही सोनिया गांधी का जन्म हुआ था
9 दिसंबर 1946 को सोनिया गांधी का जन्म हुआ। उनका असली नाम एंटोनिया माइनो था। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए सोनिया कैम्ब्रिज पहुंचीं। यहां 1965 में उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई। 1968 में दोनों की शादी हुई। 1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई। उनकी हत्या के 7 साल बाद 1998 में सोनिया कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं और 1999 में पहली बार अमेठी से लोकसभा सांसद चुनी गईं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश कांग्रेस में सिर्फ एक ही सीट जीत सकी है और वो सीट है रायबरेली, जहां से सोनिया गांधी चुनी गई हैं।
भारत और दुनिया में 9 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:
1625: हॉलैंड और इंग्लैंड के बीच सैन्य संधि पर हस्ताक्षर।
1758: भारत में मद्रास का 13 महीनों तक चलने वाला युद्ध शुरू हुआ।
1762: ब्रिटिश संसद ने पेरिस संधि को मंजूर किया।
1873: हिज एक्सेलेंसीजार्ज बैरिंग वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल ने ‘म्योर कॉलेज’ की नींव रखी।
1898: बेलूर मठ की स्थापना।
1910: फ्रांसीसी सेनाओं ने मोरक्को के बंदरगाह शहर अगादीर पर कब्जा किया।
1917: जनरल अलेनबाय के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने येरुशलम पर कब्जा किया।
1924: हालैंड और हंगरी के बीच व्यापार संधि हुई।
1931: जापानी सेना ने चीन के जेहोल प्रांत पर हमला किया।
1941: चीन ने जापान,जर्मनी और इटली के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया।
1946: संविधान सभा की पहली बैठक नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल हॉल में हुई।
1947: फ्रांसीसी मजदूर संघ ने हड़ताल समाप्त कर सरकार से बात शुरु की।
1971: लिबरेशन वॉर के दौरान भारतीय सेना ने हवाई अभियान मेघना हेली ब्रिज छेड़ा था।
1998: आस्ट्रेलियाई क्रिकेट खिलाड़ियों शेन वार्न और मार्क वॉ ने एक भारतीय सट्टेबाज से 1994 में श्रीलंका दौरे पर रिश्वत लेने की बात स्वीकारी।
2001: यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
2001: तालिबान में नार्दन एलांयस का विमान दुर्घटनाग्रस्त, 21 की जान गई।
2002: जॉन स्नो अमेरिका के नये वित्तमंत्री बने।
2006: पाकिस्तान ने परमाणु क्षमता युक्त मध्यम दूरी के प्रक्षेपास्त्र ‘हत्फ-3 गजनवी’ का परीक्षण किया।
2007: पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने पाकिस्तानी सरकार के साथ अपने सभी रिश्ते खत्म करने का ऐलान किया।
2008: इसरो ने यूरोप के उपग्रह प्रणाली विशेषज्ञ ईएडीएम एस्ट्रीयस के लिए सैटेलाइट बनाया।
2012: मेक्सिको में विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से सात लोगों की मौत।
2013: इंडोनेशिया में बिनटारो के समीप ट्रेन हादसे में सात की मौत और 63 घायल।