गुरुवार, 26 नवंबर 2020

जिन दुकानों पर अंतिम संस्कार से जुड़ी पूजा सामग्री मिलती थीं, वहां अब पीपीई किट और दस्ताने बिक रहे

निगमबोध घाट पहुंची 32 साल की कुसुम के पिता की मौत आज सुबह ही कोरोना से हुई है। वे दिल्ली के ही एक निजी अस्पताल में बीते पांच दिनों से भर्ती थे। मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने उनके पिता के शव को सील करके अपनी ही गाड़ी से निगमबोध घाट पहुंचाया है।

अस्पताल के ही दो कर्मचारी पीपीई किट पहने इस शव को घाट तक लेकर आए हैं। कुसुम ने आखिरी वक्त में अपने पिता का चेहरा भी नहीं देखा था, लिहाजा वे निगमबोध घाट के सेवादारों से हाथ जोड़कर और बिलखते हुए प्रार्थना कर रही हैं कि उन्हें एक आखिरी बार अपने पिता का चेहरा देखने की अनुमति दी जाए।

निगमबोध घाट के एक सेवादार कुसुम को समझाते हैं कि कोरोना संक्रमित शवों का चेहरा खोलने की अनुमति नहीं है और ऐसा करने से संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है। लेकिन, अपने पिता के अंतिम दर्शन की कुसुम की जिद को देखते हुए ये सेवादार इसकी अनुमति दे देते हैं।

कुसुम के पिता के शव को वापस उसी गाड़ी में कुछ देर के लिए रखा रखा जाता है, जिसमें अस्पताल से उन्हें यहां लाया गया था। पीपीई किट पहने दो लोग शव का चेहरा कुछ सेकंड के लिए खोलते हैं और जल्द ही शव को दोबारा सील करके चिता पर रख दिया जाता है।

नाम न छापने की शर्त पर एक सेवादार बताते हैं, 'हम सभी लोग इस महामारी के बीच भी अंतिम संस्कार कर रहे हैं क्योंकि ये धर्म का काम है। इसमें हमें और हमारे परिवार को भी संक्रमण का खतरा है, लेकिन फिर भी हम पूरी लगन से प्रतिदिन दर्जनों लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। हमें सख्त निर्देश हैं कि संक्रमित शवों से परिजनों को भी दूर रखा जाए और उन्हें खोलने की तो बिलकुल भी अनुमति नहीं है। लेकिन एक बेटी के आंसुओं और अपने पिता को अंतिम बार देखने की इच्छा के आगे हम भी बेबस हैं।

आम तौर से इस घाट पर औसतन 50 शव प्रतिदिन आते थे। लेकिन इन दिनों सिर्फ़ कोरोना से होने वाली मौतों के चलते ही करीब 25 शव प्रतिदिन आ रहे हैं।

मैं खुद एक बेटी का पिता हूं। मैं समझ सकता हूं कि इस बच्ची पर क्या बीत रही होगी। वो अगर आज आखिरी बार अपने पिता का चेहरा नहीं देख पाती तो शायद कभी इस गम से बाहर नहीं निकल पाती इसलिए हमने शव का चेहरा देखने की अनुमति दे दी।'

दोपहर के एक बजे तक दिल्ली के निगमबोध घाट पर एक दर्जन से अधिक कोरोना संक्रमित मृतकों का शवदाह किया जा चुका है। इस परिसर में लकड़ी वाली कुल 104 चिताओं को जलाने की व्यवस्था है, जिसमें से 52 चिताओं को कोरोना संक्रमितों के लिए अलग कर दिया गया है।

दिल्ली में जिस तेजी से कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ी है, उसका सीधा असर निगमबोध घाट पर देखा जा सकता है जो दिल्ली का सबसे बड़ा श्मशान घाट है। बीते रविवार सिर्फ निगमबोध घाट पर ही कुल 31 कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया गया।

बीते एक पखवाड़े की बात करें तो इस घाट पर 287 कोरोना संक्रमित शव अग्नि के हवाले किए जा चुके हैं। इस घाट का प्रबंधन देखने वाली ‘बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल’ समिति के मुख्य प्रबंधक सुमन कुमार गुप्ता बताते हैं, ‘आम तौर से इस घाट पर औसतन 50 शव प्रतिदिन आते थे। लेकिन इन दिनों सिर्फ कोरोना से होने वाली मौतों के चलते ही करीब 25 शव प्रतिदिन आ रहे हैं और कुल शवों की संख्या तो काफी बढ़ गई है। दो दिन पहले यहां 121 शव एक ही दिन में आए थे। इतनी संख्या पहले कभी नहीं देखी गई।’

आम तौर से निगमबोध घाट पर जो मंत्रों की गूंज सुनाई पड़ती थी, उसकी जगह अब कोरोना के निर्देशों के उद्घोष ने ले ली है। जगह-जगह लगे स्पीकर लोगों को बता रहे हैं कि वे सामाजिक दूरी का ध्यान रखें, घाट के सेवादारों का सहयोग करें और एक शव के साथ अधिकतम 20 ही लोग घाट पर आएं।

घाट का नजारा इसलिए भी बदला हुआ दिखता है कि आम तौर पर जहां शव के साथ श्मशान घाट पहुंचा हर व्यक्ति ही शव को कंधा और लकडियां देता नजर आता था वहीं इन दिनों लोग शव के नजदीक जाने से भी बच रहे हैं और पीपीई किट पहने दो-तीन लोग ही शवों को कंधा दे रहे हैं।

बीते रविवार सिर्फ निगमबोध घाट पर ही कुल 31 कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया गया।

घाट के बाहर लगी दुकानें भी कुछ बदली-बदली दिखाई पड़ती हैं। जिन दुकानों पर अंतिम संस्कार से जुड़ी पूजा सामग्री बिका करती थी, वहीं अब पीपीई किट, दस्ताने और फेस शील्ड जैसी चीजें भी बिक रही हैं। ऐसी ही एक दुकान चलाने वाले गौरव बताते हैं, ‘इन दिनों कोरोना संक्रमित शवों की संख्या बढ़ी हैं लेकिन अब पहले जैसा भय लोगों में नहीं है। शुरुआती दौर में तो किसी को मालूम भी नहीं था इन शवों का अंतिम संस्कार कैसे करना है।

कोई भी इनके नजदीक तक नहीं आ रहा था और सिर्फ सीएनजी वाले शवग्रहों में ही इन्हें जलाया जा रहा था। लेकिन अब स्थिति थोड़ा अलग है। अब तो इन शवों का भी पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार हो रहा है। पिंडदान से लेकर अस्थि विसर्जन तक सभी क्रियाएं पूरी करवाई जा रही हैं।’

निगमबोध घाट पर लकड़ी की चिताओं के साथ ही सीएनजी से चलने वाली भट्टियों में भी शवदाह किया जाता है। कोरोना से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हाल ही में ऐसी तीन नई भट्टियां शुरू की गई हैं। यहां के प्रबंधक सुमन गुप्ता बताते हैं कि नई बनाई गई तीन सीएनजी भट्टियों में से दो का निर्माण इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के सहयोग से और एक का निर्माण ‘बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल’ समिति के सहयोग से हुआ है।’

इनके अलावा घाट के पास ही यमुना नदी के किनारे भी 13 प्लेटफॉर्म बने हैं जिन्हें जरूरत पड़ने पर कोरोना संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। बीते 15 दिनों दिल्ली में कोरोना से होने वाली मौतों में काफी तेजी आई है।

इस दौरान यहां कई बार सौ से ज्यादा लोगों की प्रतिदिन मौत हुई और एक दिन तो ऐसा भी रहा है जब दिल्ली में हर घंटे पांच लोगों की मौत दर्ज की गई। पूरे देश में कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में दिल्ली की यह संख्या फिलहाल सबसे बड़ी है।



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दिल्ली में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।


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गरीब परिवार में जन्मे, भाई की गिफ्ट की हुई फुटबॉल रखकर सोते थे; गोल ऑफ द सेन्चुरी उन्हीं के नाम

फुटबॉल के महान प्लेयर्स में से एक डिएगो आर्मैंडो मैराडोना का बुधवार को 60 साल की उम्र में निधन हो गया। मैराडोना गरीब परिवार में जन्मे थे। हालांकि, जो शोहरत, पैसा और मुकाम मैराडोना ने हासिल की, उसकी कोई खिलाड़ी बस कल्पना ही कर सकता है। उनके भाई ने उन्हें एक फुटबॉल गिफ्ट की थी। इससे इतना प्यार हुआ कि 6 महीने तक पास रखकर सोते थे।

इसी फुटबॉल में इतनी महारत हासिल कर ली कि गोल ऑफ द सेन्चुरी किया। इसे हैंड ऑफ गॉड का नाम दिया गया और इसी की बदौलत अर्जेंटीना वर्ल्ड कप जीता। उन्हें फीफा ने प्लेयर ऑफ द सेन्चुरी भी चुना। ये अवॉर्ड उन्होंने एक और फुटबॉल लीजेंड पेले के साथ साझा किया था।

10 साल की उम्र में मैराडोना रोजा एस्ट्रेला क्लब के लिए खेलते थे।

1. ब्यूनस आयर्स की झोपड़ पट्टी में रहते थे
मैराडोना का जन्म ब्यूनस आयर्स के लानुस में एक गरीब परिवार में हुआ था। ये ब्यूनस आयर्स की झुग्गी-झोपड़ी वाला इलाका था। मैराडोना के पिता डॉन डिएगो और मां साल्वाडोरा फ्रेंको को 3 बेटियों के बाद पहला बेटा मिला था, मैराडोना। ये परिवार बाद में बढ़कर 8 भाई-बहनों वाला हो गया। मैराडोना जब 3 साल के थे, तो उन्हें उनके भाई ने एक फुटबॉल गिफ्ट की थी। तभी से मैराडोना को फुटबॉल से इतना प्यार हुआ कि वो 6 महीने तक उसे अपनी शर्ट के भीतर रखकर ही सोते थे।

15 साल की उम्र में उन्होंने अर्जेंटीनोस जूनियर्स के लिए प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की।

2. 10 साल की उम्र में क्लब फुटबॉल शुरू की

10 साल की उम्र में मैराडोना रोजा एस्ट्रेला क्लब के लिए खेलते थे। इसी क्लब से खेलते वक्त अर्जेंटीनोस जूनियर्स के छोटे से क्लब ने उनकी स्किल्स को पहचाना। उन्हें लॉस केबोलिटास ने भी चुना, पर 12 साल की उम्र तक उन्हें बॉल बॉय का ही रोल मिला। 15 साल की उम्र में उन्होंने अर्जेंटीनोस जूनियर्स के लिए प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की। 1981 में उन्हें बोका जूनियर्स क्लब ने साइन किया। 1982 में मैराडोना ने बोका जूनियर्स से खेलते हुए उन्होंने पहला मेडल हासिल किया।

1982 वर्ल्ड कप में मैराडोना की टीम अर्जेंटीना ब्राजील से हारकर दूसरे राउंड से बाहर हो गई थी।

3. पहले वर्ल्ड कप में 2 गोल किए, पर टीम दूसरे राउंड में बाहर

मैराडोना के टैलेंट को देखते हुए उन्हें 1977 में नेशनल टीम में शामिल किया गया। हालांकि, 1978 वर्ल्ड कप के लिए उन्हें टीम में ये कहकर शामिल नहीं किया गया कि वे अभी बच्चे हैं। 1978 में वर्ल्ड कप जीतने वाली अर्जेंटीना 1982 में डिफेंडिंग चैम्पियन के तौर पर उतरी थी।

इस बार टीम में मैराडोना भी थे। डिफेंडिंग चैम्पियन होने के कारण अर्जेंटीना और पहला युवा मैराडोना, दोनों से उम्मीदें थीं। हालांकि, मैराडोना सिर्फ पहले राउंड में ही हंगरी के खिलाफ 2 गोल कर पाए। टीम भी दूसरे राउंड में बाहर हो गई। ब्राजील ने अर्जेंटीना को बाहर का रास्ता दिखाया।

4. 1986 का वर्ल्ड कप हैंड ऑफ गॉड से जिताया

मैराडोना 1986 का वर्ल्ड कप खेल रहे थे। इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबला था। मैराडोना ने मैच में दो गोल किए। इनमें से एक गोल को हैंड ऑफ गॉड कहा जाता है। इंग्लैंड की टीम का कहना था कि बॉल मैराडोना के हाथ से लगकर गई है, लेकिन रेफरी ने फैसला गोल का ही दिया। इंग्लैंड मुकाबले से बाहर हो गई और अर्जेंटीना ने आगे सेमीफाइनल भी जीता और खिताब भी।

मैराडोना ने अपने करियर में 4 वर्ल्ड कप खेले और 1 वर्ल्ड कप (1986) जीता।

मैच के बाद डिएगो ने कहा था कि ये गोल थोड़ा मेरे सिर और थोड़ा भगवान के हाथ से छुआ था। डिएगो के इस बयान के बाद इस गोल को हैंड ऑफ गॉड कहा गया। इसे लोगों ने गोल ऑफ द सेंचुरी भी चुना। इस टूर्नामेंट में मैराडोना ने 5 गोल किए थे।

क्यूबा के पूर्व पीएम फिदेल कास्त्रो (दाएं) के साथ मैराडोना।

5. जिन फिदेल को पिता मानते थे, मौत के बाद उन्हीं से जुड़ा ये अजीब संयोग

ये संयोग है कि मैराडोना का निधन उसी तारीख को हुआ, जिस दिन क्यूबा के पूर्व प्रधानमंत्री फिदेल कास्त्रो का निधन हुआ था। मैराडोना कास्त्रो को अपना दूसरा पिता मानते थे। कास्त्रो का निधन 25 नवंबर 2016 को हुआ था। मैराडोना 4 दिसंबर 2016 को कास्त्रो के अंतिम दर्शन के लिए क्यूबा भी पहुंचे थे।

मैराडोना कास्त्रो के साथी कॉमरेड चे ग्वेरा के भी बड़े फैन थे। उन्होंने अपने बाएं हाथ पर चे ग्वेरा की टैटू भी बनवाई थी।

6. करियर चमकदार, पर ड्रग्स ने लगाया दाग

मैराडोना ने 4 FIFA वर्ल्ड कप टूर्नामेंटों खेला, जिसमें 1986 का विश्व कप शामिल था। 1986 वर्ल्ड कप में वे अर्जेंटीना के कैप्टन भी थे। वे टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किए गए थे। उन्हें गोल्डन बॉल अवॉर्ड जीता था। मैराडोना को फीफा प्लेयर ऑफ द सेंचुरी से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने एक बार वर्ल्ड कप गोल्डन बॉल, एक बार बेलोन डी ओर, 2 बार साउथ अमेरिकन फुटबॉलर ऑफ द ईयर, 6 बार नेशनल लीग टॉप स्कोरर अवॉर्ड जीता है।

मैराडोना को उनके क्लब नेपोली ने 1991 में 15 महीने के लिए बैन कर दिया था।

मैराडोना ने 1982 के दशक में कोकीन लेना शुरू किया था। तब उनका करियर शबाब पर था, लेकिन उन्हें नशे की लत पड़ चुकी थी। 1984 में जब नेपोली क्लब के लिए खेलने लगे थे, तब वो इटैलियन माफिया कोमोरा के संपर्क में आ गए थे। अगले दो दशकों तक उन्होंने लगातार ड्रग्स ली और शराब पी। कोकीन के सेवन के लिए मैराडोना को उनके क्लब नेपोली ने 1991 में 15 महीने के लिए बैन कर दिया था।

इसी साल उन्हें ब्यूनस आयर्स में 500 ग्राम कोकीन के साथ अरेस्ट किया गया था। उन्हें तब 14 महीने की सजा दी गई थी। ड्रग्स ने उनके फुटबॉल करियर को ही खत्म कर दिया। 1997 में उन्होंने फुटबॉल को अलविदा कह दिया।



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1986 वर्ल्ड कप जीतने के बाद अर्जेंटीना के कप्तान मैराडोना को बाकी प्लेयर्स ने कंधे पर उठा लिया था।


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योगा करते हुए पीएम मोदी का 35 साल पुराना वीडियो वायरल? पड़ताल में दावा झूठा निकला

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर योगा करते एक शख्स का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता कि ये शख्स कई कठिन आसन भी कर रहा है।

दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो 35 साल पुराना है और इसमें पीएम मोदी योगा करते दिख रहे हैं।

और सच क्या है?

  • वीडियो के की-फ्रेम्स को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें यूट्यूब पर भी यही वीडियो मिला। MCPetruk नाम के यूट्यूब चैनल पर ये वीडियो 12 मई 2016 को अपलोड किया गया है।
  • यूट्यूब पर दिए गए डिस्क्रिप्शन के अनुसार, वीडियो 1938 में बनी एक मूक ( साइलेंट) फिल्म का है, जिसमें योग गुरु बीकेएस अयंगर योगा करते दिख रहे हैं।
  • द अटलांटिक वेबसाइट पर हमें 2014 का एक आर्टिकल मिला, जिससे पुष्टि होती है कि वायरल वीडियो में योगा करते दिख रहे शख्स योग गुरु बीकेएस अयंगर ही हैं।

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35-year-old video of PM Modi doing yoga goes viral


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मीठा पसंद करने वालों के लिए तुर्की, ग्रीस, मिस्र की लोकमा, इसे तलने के बाद चाशनी डालकर तुरंत सर्व करें



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For those who like sweet, turkey of Turkey, Greece, Egypt, after frying it and serve sugar immediately.


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दौड़ती-भागती मुंबई जब ठहर सी गई थी, सहम सी गई थी; 60 घंटों तक चला था मौत का नंगा नाच

26 नवंबर 2008 की शाम। जब मुंबई हमेशा की तरह दौड़-भाग रही थी। तब उसे नहीं पता था कि 10 लोग हाथ में हथियार लेकर अरब सागर से होते हुए उस तक पहुंच रहे हैं। इन 10 आतंकियों के बैग में 10 एके-47, 10 पिस्टल, 80 ग्रेनेड, 2 हजार गोलियां, 24 मैगजीन, 10 मोबाइल फोन, विस्फोटक और टाइमर्स रखे थे।

इतना सब मुंबई को घुटनों पर लाने के लिए काफी था। साथ में वो खाने के लिए बादाम और किशमिश भी लाए थे। उनके हैंडलर बार-बार उनसे कह रहे थे, 'तुम्हारे चेहरे पर चांद की तरह नूर दिखाई देगा। तुम्हारे शरीर से गुलाब की महक आएगी और तुम सीधे जन्नत जाओगे।'

उस रात ठीक 8 बजकर 20 मिनट पर अजमल कसाब और उसके 9 साथियों ने मुंबई में कदम रखा। उनसे कहा गया था, 'तुम्हारा सबसे बड़ा हथियार है...उन्हें अचरज में डालना।' उन्हें सिखाया गया था कैसे टैक्सियों में टाइम बम लगाने हैं, ताकि वो पूरे शहर में थोड़ी-थोड़ी देर पर फटें।

मुंबई उतरने के बाद आतंकी दो-दो के ग्रुप में बंट गए और अलग-अलग रास्तों पर चल पड़े। सबसे पहला हमला रात 9 बजकर 43 मिनट पर लियोपॉल्ड कैफे के बाहर हुआ। आतंकी जिस टैक्सी से आए थे, उसी में उन्होंने टाइम बम लगा दिया था। टैक्सी रुकी ही थी कि बम फट गया।

ड्राइवर और उसमें बैठी दो महिलाओं की तुरंत मौत हो गई। जब लोग वहां से भागे, तो दो आतंकियों ने सड़क से ही एके-47 से फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में 9 लोग मारे गए।

कसाब एकमात्र आतंकी था, जो जिंदा पकड़ा गया था। उसे 21 नवंबर 2013 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी।

सबसे ज्यादा 58 लोग CST पर मारे गए
पहले हमले के ठीक 2 मिनट बाद 9 बजकर 45 मिनट पर मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (CST) पर हमला हुआ। इसे दो आतंकियों अजमल कसाब और इस्माइल खान ने अंजाम दिया था। कसाब लोगों पर गोलियां चला रहा था, जबकि इस्माइल का काम वहां से भाग रहे लोगों पर ग्रेनेड फेंकने का था। इस हमले में सबसे ज्यादा 58 लोग मारे गए थे। उस रात किसी के लिए न रुकने वाली मुंबई ठहर सी गई थी।

CST पर हमले के बाद कसाब और इस्माइल वहां से कामा अस्पताल पहुंचे। ये एक चैरिटेबल अस्पताल है, जिसे 1880 में एक अमीर कारोबारी ने बनवाया था। उन्होंने घुसते ही चौकीदार को मारा। अस्पताल के बाहर आतंकियों से मुठभेड़ हुई, जिसमें उस समय के ATS चीफ हेमंत करकरे, मुंबई पुलिस के अशोक कामटे और विजय सालसकर मारे गए।

CST पर उतरकर कसाब और इस्माइल बगल के टॉयलेट में गए और हथियार निकालकर आए।

कसाब और इस्माइल के पीछे पुलिस पड़ चुकी थी। आतंकियों की कार पंक्चर भी हो गई। उसके बाद उन्होंने एक स्कोडा कार छीनी। पुलिस ने आगे बैरिकेडिंग कर रखी थी। कार बैरिकेडिंग से पहले रुकी भी। तभी पुलिसवालों को अपनी ओर आते हुए इस्माइल ने गोली चलाना शुरू कर दी। पुलिस ने भी गोली का जवाब गोली से दिया। पुलिस ने इस्माइल को मार दिया।

लेकिन कसाब जिंदा पकड़ा गया। हालांकि, इस मुठभेड़ में पुलिस इंस्पेक्टर तुकाराम आम्बले शहीद हो गए। उसी रात दो आतंकियों ने नरिमन हाउस को भी निशाना बनाया। यहां यहूदी पर्यटक अक्सर रुका करते थे। दोनों आतंकी बाद में मारे भी गए, लेकिन मरने से पहले उन्होंने 7 लोगों को भी मार दिया।

मुंबई के दो 5 स्टार होटलों पर हमला
उसी रात दो आतंकी ओबेरॉय होटल और 4 आतंकी ताज पैलेस होटल में घुसे। ताज में घुसते ही आतंकियों ने बैग जमीन पर रखे और उनमें से एके-47 निकालकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। ताज होटल पर हुए हमले के बाद ही मुंबई और दुनिया को पता चला कि कितना बड़ा आतंकी हमला हुआ है। दोनों आतंकी मारे तो गए, लेकिन तब तक उन्होंने 31 लोगों की जान भी ले ली थी।

ओबेरॉय होटल में भी दो आतंकी ढेर सारे गोला-बारूद के साथ घुसे। बताया जाता है कि हमले के वक्त होटल में 350 लोग मौजूद थे। NSG के कमांडों ने दोनों आतंकियों को मार गिराया। लेकिन तब तक 32 लोगों की जान जा चुकी थी।

29 नवंबर की सुबह 7 बजे आखिरी आतंकी अबु शोएब भी मारा गया। अबु शोएब वही था, जिसने लियोपॉल्ड कैफे के सामने हमला किया था।

26 नवंबर की रात से शुरू हुआ तांडव 29 नवंबर की सुबह खत्म हुआ
26 नवंबर की रात 9 बजकर 43 मिनट से शुरू हुआ आतंक का तांडव 29 नवंबर की सुबह 7 बजे खत्म हुआ। मौत का ये तांडव 60 घंटे तक चला। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे। 9 आतंकियों को एनकाउंटर में मार दिया गया था। जबकि, एकमात्र आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया। कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई। इस हमले में मुंबई पुलिस, ATS और NSG के 11 जवान शहीद हुए थे।

भारत और दुनिया में 22 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः

  • 1885: पहली बार उल्कापिंड की तस्वीर ली गयी।
  • 1921: आज प्रसिद्ध उद्योगपति और श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन का जन्म हुआ था।
  • 1932: महान क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दस हजार रन बनाये।
  • 1948: नेशनल कैडेट कोर की स्थापना हुई।
  • 1949: संविधान सभा ने संविधान के मसौदे पर हस्ताक्षर किए।
  • 1984: इराक एवं अमेरिका ने कूटनीतिक संबंधों को पुन: स्थापित किया।
  • 1996: मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरिक्ष यान 'मार्स ग्लोबल सर्वेयर' को अंतरिक्ष में भेजा था।
  • 2012: अरविंद केजरीवाल ने एक नये राजनैतिक दल आम आदमी पार्टी का गठन किया।


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Today History: Aaj Ka Itihas India World Update | Mumbai 26/11 Terror Attack, Constitution Day Samvidhan Divas 26 November


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मुंबई हमले के बाद बनी NIA, जिसने कश्मीर में टेरर फंडिंग रोकी; जानें इसके बारे में सबकुछ

मुंबई पर हुए अब तक के सबसे खतरनाक और भयावह आतंकी हमले को आज 12 साल पूरे हो गए। 26 नवंबर 2008 की रात से शुरू हुए हमले 29 नवंबर 2008 तक चले थे। 166 लोग मारे गए। चारों तरफ निराशा ही निराशा थी। ये वो वक्त था जब किसी के लिए न रुकने वाली मुंबई भी थम सी गई थी।

इतनी सारी निराशा होने के बाद इस हमले से जो हमें अच्छी चीज मिली, वो थी NIA यानी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी। NIA को काम करते हुए 11 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। इस दौरान उसने कई बड़े आतंकी हमलों को रोकने में कामयाबी हासिल की।

हम इसे NIA की सबसे बड़ी सफलता मान सकते हैं, जो उसने कश्मीर में टेरर फंडिंग के नेटवर्क को तोड़ दिया। इससे न सिर्फ कश्मीर में आतंकवाद कम हुआ, बल्कि पत्थरबाजी की घटनाएं भी कम हो गईं। मुंबई हमले की देन NIA कैसे बनी? इसके अधिकार क्या-क्या हैं? आइए जानते हैं...

NIA क्या है?
NIA यानी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी। 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए हमलों के बाद 31 दिसंबर 2008 को संसद में NIA एक्ट पास किया गया। इसी एक्ट के तहत इसकी स्थापना हुई। इस एजेंसी ने 19 जनवरी 2009 से काम शुरू कर दिया।

इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

  • मुंबई हमले से पहले देश में ऐसी एजेंसी नहीं थी, जो आतंकवाद पर नजर बनाए रखे और देश में आतंकी हमलों को नाकाम कर सके। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जब 2001 में संसद पर आतंकी हमला हुआ, तो उसके बाद 2002 में प्रिवेंशन ऑफ टेररिज्म एक्ट (POTA) कानून बनाया गया। इस कानून के तहत पुलिस को अधिकार था कि वो किसी को भी शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकती थी। लेकिन 21 सितंबर 2004 को कांग्रेस की सरकार ने इस कानून को निरस्त कर दिया।
  • मुंबई पर जब हमला हुआ तो उसके बाद एक ऐसी जांच एजेंसी की जरूरत महसूस हुई, जो केंद्र सरकार के अधीन काम करे और आतंकवादी गतिविधियों पर नजर बनाकर उनको नाकाम कर सके। NIA का मकसद टेरर फंडिंग रोकना, आतंकी हमलों और उससे जुड़े लोगों की जांच करना है।

क्या NIA केवल जांच एजेंसी है?

  • नहीं। NIA में इन्वेस्टिगेशन शब्द है, इसलिए ऐसा लगता है कि ये सिर्फ जांच एजेंसी ही होगी। लेकिन ऐसा नहीं है। NIA इन्वेस्टिगेशन एजेंसी होने के साथ-साथ प्रॉसीक्यूशन एजेंसी भी है। इन्वेस्टिगेशन यानी किसी मामले की जांच करना, उसके सबूत इकट्ठे करना और प्रॉसीक्यूशन यानी मुकदमा दर्ज करना, चार्जशीट फाइल करना और सजा देना।
  • इसको लेकर बहस भी होती रही है। क्योंकि NIA इन्वेस्टिगेशन और प्रॉसीक्यूशन एजेंसी दोनों है और ये केंद्र सरकार के अधीन है। इसलिए ये केंद्र सरकार के कहने पर ही जांच शुरू करेगी और जांच के बाद प्रॉसीक्यूशन में भी सरकार का दखल होगा। NIA की तरह ही CBI भी इन्वेस्टिगेशन और प्रॉसीक्यूशन एजेंसी है।

आतंकवाद रोकने के लिए NIA ने क्या किया?

  • 19 जनवरी 2009 को काम शुरू करने वाली NIA को सबसे बड़ी कामयाबी 2012 में उस वक्त मिली, जब उसने इंटरपोल और सऊदी इंटेलिजेंस की मदद से अबु हमजा उर्फ अबु जंदाल और फसीह मोहम्मद जैसे आतंकियों की गिरफ्तारी की। अबु हमजा मुंबई हमले में भी शामिल था।
  • 2013 में नेपाल सीमा से NIA ने यासीन भटकल और असदुल्लाह अख्तर उर्फ हड्डी को गिरफ्तार किया था। दोनों ने देश में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया था।
  • जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद 30 सालों से है। टेरर फंडिंग रोकने के लिए NIA कई सालों से काम कर रही है और अभी भी कश्मीर में आए दिन छापे मार रही है। टेरर फंडिंग मामले में NIA ने 2017 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के घर पर भी छापा मारा था। इस मामले में NIA ने हुर्रियत के कई नेताओं को गिरफ्तार भी किया था, जिसमें सैयद अली शाह गिलानी का दामाद अल्ताफ अहमद शाह भी शामिल है।

लेकिन NIA पर राजनीतिक दबाव के भी आरोप लगे

  • जांच एजेंसियों पर राजनीतिक दबाव में काम करने के आरोप अक्सर लगते रहते हैं। NIA भी इससे अछूती नहीं है। 2004 से 2008 के बीच 7 बम ब्लास्ट हुए। 2006 और 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में, 2006 में समझौता एक्सप्रेस में, 2007 में अजमेर दरगाह में, 2007 में हैदराबाद की मक्का मस्जिद में और 2008 में गुजरात के मोडासा में।
  • इन धमाकों में मेजर रमेश उपाध्याय, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, सुधाकर चतुर्वेदी, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, इंद्रेश कुमार, स्वामी असीमानंद और सुनील जोशी को आरोपी बनाया गया। ये सभी भाजपा और आरएसएस से जुड़े थे। लेकिन 2014 में मोदी सरकार आने के बाद जांच बदल ही गई।
  • अगस्त 2014 में समझौता एक्सप्रेस धमाके में असीमानंद को जमानत मिल गई। बाद में 21 मार्च 2019 को असीमानंद समेत चार आरोपियों को बरी कर दिया गया।
  • 2007 के अजमेर बम ब्लास्ट में भी 2017 में असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा और इंद्रेश कुमार को बरी कर दिया गया। मालेगांव ब्लास्ट में 2017 में साध्वी प्रज्ञा को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। कर्नल पुरोहित को भी सुप्रीम कोर्ट से बेल मिल गई। मोडासा ब्लास्ट केस को 2015 में NIA ने सबूतों के अभाव में बंद कर दिया।

तो NIA का कनवेक्शन रेट कितना है?
एजेंसी की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, 5 फरवरी 2020 तक NIA 315 केस रजिस्टर्ड कर चुकी है। इनमें से 60 मामलों पर फैसले आए और 54 मामलों में सजा मिली। इस हिसाब से इसका कनवेक्शन रेट 90% रहा।

NIA के पास कौन से अधिकार हैं?

  • 2019 में NIA एक्ट में संशोधन हुए, जिसके बाद इसकी शक्तियां और बढ़ गईं। अब NIA के पास एटॉमिक एनर्जी एक्ट 1962 और UAPA एक्ट 1967 के तहत होने वाले अपराधों की जांच करने का अधिकार भी है।
  • इसके अलावा मानव तस्करी, जाली नोट, प्रतिबंधित हथियारों के निर्माण और बिक्री, साइबर आतंकवाद और एक्सप्लोसिव सबस्टेंस एक्ट 1908 के तहत आने वाले अपराधों की जांच भी करती है।
  • NIA के अधिकारियों दूसरे पुलिस अधिकारियों के बराबर अधिकार होंगे और ये पूरे देश में लागू होंगे। NIA अब विदेशों में जाकर भी भारतीयों के खिलाफ हुए अपराधों की जांच भी कर सकती है।


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National Investigation Agency (NIA); What Is The Role Of NIA? Who Stops Kashmir Terror Funding? Know Everything About


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बाइडेन 8 करोड़ वोट हासिल करने वाले US के पहले प्रेसिडेंट कैंडिडेट बने, ट्रम्प दूसरे नंबर पर

अमेरिका में इस बार हुए राष्ट्रपति चुनाव में रिकॉर्ड वोटिंग हुई। यही वजह रही कि प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन अमेरिकी इतिहास में पहले ऐसे प्रेसिडेंट कैंडिडेट बन गए, जिन्होंने 8 करोड़ से ज्यादा पॉपुलर वोट हासिल किए। उन्हें कुल 8 करोड़ 11 हजार वोट मिले।

इसी चुनाव में एक रिकॉर्ड और बना। उनके मुकाबले में चुनाव लड़ रहे डोनाल्ड ट्रम्प को 7 करोड़ 38 लाख वोट मिले। सबसे ज्यादा वोट पाने वाले कैंडिडेट में वह दूसरे नंबर पर रहे। यानी एक ही चुनाव में जीतने और हारने वाले उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट पाने के मामले में पहले और दूसरे नंबर पर आ गए। सीएनएन के मुताबिक, वोटों की संख्या अभी और बढ़ सकती है, क्योंकि देशभर में काउंटिंग चल रही है।

मेल से वोटिंग की वजह से लंबी बढ़ी काउंटिंग

डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बाइडेन को चुनाव में 306 इलेक्टोरल वोट मिले। वहीं, रिपब्लिकन पार्टी के ट्रम्प को 232 वोट मिले। व्हाइट हाउस की दौड़ जीतने के लिए 538 में से 270 इलेक्टोरल हासिल करने की जरूरत थी।कोरोना से बचे रहने के लिए बड़ी संख्या में वोटर्स ने इस बार मेल के जरिए वोटिंग की। एक्सपर्ट ने पहले ही अनुमान लगा लिया था कि इस वजह से काउंटिंग कई दिन चलेगी। अमेरिका में 3 नवंबर को वोटिंग हुई थी।

सत्ता सौंपने के लिए ट्रम्प माने
राष्ट्रपति ट्रम्प ने चुनाव के लगभग तीन हफ्ते बाद सोमवार को फॉर्मल ट्रांजिशन प्रोसेस शुरू करने पर सहमति दे दी। हालांकि, अब भी वे हार मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने फिर दावा किया कि चुनाव में धांधली हुई है।

ट्रम्प कैम्पेन कई राज्यों में आए चुनाव नतीजों को कोर्ट में चुनौती दे चुका है, लेकिन हर जगह नाकामी ही मिली है।

आखिरकार शी जिनपिंग ने भी दी बधाई
अमेरिका के साथ चल रहे तनाव के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी आखिरकार बुधवार को जो बाइडेन को बधाई दी। इससे तय हो गया कि बीजिंग ने भी चुनाव नतीजों को मान लिया है। न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, जिनपिंग ने कहा कि चीन और अमेरिका के बीच स्वस्थ और स्थिर रिश्तों को बढ़ावा देना न केवल दोनों देशों में लोगों के बुनियादी हितों को पूरा करता है, बल्कि पूरी दुनिया की अपेक्षाओं को भी पूरा करता है।



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डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बाइडेन को चुनाव में 306 इलेक्टोरल वोट मिले हैं।


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राजस्थान में कल से 3 दिन शीतलहर की चेतावनी, बिहार में जम्मू से सर्द पटना; शिमला से ठंडा गया

जयपुर. ठंड के स्वागत के लिए तैयार हो जाइए। राजस्थान के मौसम विभाग ने 27 नवंबर से 3 दिनों तक प्रदेश में शीतलहर की चेतावनी दी है। इससे पहले बुधवार को प.विक्षोभ के कारण जैसलमेर, बीकानेर और चूरू सहित कई जिलों में रिमझिम बारिश हुई। माउंट आबू में पारा 3.0 डिग्री रहा। मौसम विभाग के अनुसार अब बाकी जगह भी पारा गिरेगा।

दिन का पारा 5 डिग्री लुढ़का

चूरू का अधिकतम पारा 5 डिग्री लुढ़ककर 21.4, बीकानेर का 4 डिग्री लुढ़ककर 22.2 डिग्री, बाड़मेर का 4 डिग्री तक गिरकर 26.1 डिग्री पर पहुंच गया। अन्य शहरों का अधिकतम पारा 25 से 30 डिग्री तक रहा।

नवंबर में टूटा रिकॉर्ड, न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस

पटना. ठंड के कारण नवंबर माह में ही नए-नए रिकॉर्ड बनने शुरू हो गए हैं। गया में जहां मंगलवार को 50 वर्षों का रिकॉर्ड टूटा गया, वहीं बुधवार को भी गया शिमला से भी ठंडा रहा। गया ही नहीं पटना की रात भी जम्मू से ठंडी रही। देहरादून, कटरा, दिल्ली, जयपुर आदि से भी पटना की रात सर्द रही। मौसम विज्ञान केंद्र की आंकड़ों पर गौर करें, तो पटना का न्यूनतम तापमान दूसरे दिन बुधवार को भी 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

जम्मू का न्यूनतम तापमान 13.3 डिग्री सेल्सियस, कटरा का 11.7 डिग्री सेल्सियस, दिल्ली (पालम) का 13.1 डिग्री सेल्सियस, देहरादून का 11.8 डिग्री सेल्सियस और जयपुर का 15.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। गया के तापमान में मंगलवार के मुकाबले थोड़ी वृद्धि हुई और यह 7.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। आसमान में बादल छाए रहने के कारण बुधवार को ठंड का अहसास हुआ।

पंजाब में 23 साल बाद नवंबर में सामान्य से 6 डिग्री तक गिरा अधिकतम पारा

लुधियाना. पिछले दिनों न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट का रिकाॅर्ड बना था। वहीं अब अधिकतम तामपान में भी पिछले 23 सालों के बाद दूसरी बार बड़ी गिरावट देखने को मिली है। पंजाब में न्यूनतम तापमान 19 डिग्री तक रिकाॅर्ड किया गया है, जो सामान्य से 6-7 डिग्री तक कम हो गया है। दिन-रात के तापमान में मात्र 6 डिग्री का अंतर है।

पंजाब में बुधवार को कई जिलों में बारिश भी हुई। सबसे ज्यादा 0.7 एमएम बारिश पटियाला में हुई। लेकिन बादल छाने और पहाड़ों से चल रही ठंडी हवा के कारण सूबे में ठिठुरन बढ़ गई है। मौसम विशेषज्ञ गिल के मुताबिक अगले 4 दिनों तक शीत लहर चलने का अलर्ट जारी हुआ है।



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उदयपुर का मेनार इन दिनों विदेशी पक्षियों से गुलजार। फोटो : छगनलाल मेनारिया


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दौड़ती-भागती मुंबई जब ठहर सी गई थी, सहम सी गई थी; 60 घंटों तक चला था मौत का नंगा नाच

26 नवंबर 2008 की शाम। जब मुंबई हमेशा की तरह दौड़-भाग रही थी। तब उसे नहीं पता था कि 10 लोग हाथ में हथियार लेकर अरब सागर से होते हुए उस तक पहुंच रहे हैं। इन 10 आतंकियों के बैग में 10 एके-47, 10 पिस्टल, 80 ग्रेनेड, 2 हजार गोलियां, 24 मैगजीन, 10 मोबाइल फोन, विस्फोटक और टाइमर्स रखे थे।

इतना सब मुंबई को घुटनों पर लाने के लिए काफी था। साथ में वो खाने के लिए बादाम और किशमिश भी लाए थे। उनके हैंडलर बार-बार उनसे कह रहे थे, 'तुम्हारे चेहरे पर चांद की तरह नूर दिखाई देगा। तुम्हारे शरीर से गुलाब की महक आएगी और तुम सीधे जन्नत जाओगे।'

उस रात ठीक 8 बजकर 20 मिनट पर अजमल कसाब और उसके 9 साथियों ने मुंबई में कदम रखा। उनसे कहा गया था, 'तुम्हारा सबसे बड़ा हथियार है...उन्हें अचरज में डालना।' उन्हें सिखाया गया था कैसे टैक्सियों में टाइम बम लगाने हैं, ताकि वो पूरे शहर में थोड़ी-थोड़ी देर पर फटें।

मुंबई उतरने के बाद आतंकी दो-दो के ग्रुप में बंट गए और अलग-अलग रास्तों पर चल पड़े। सबसे पहला हमला रात 9 बजकर 43 मिनट पर लियोपॉल्ड कैफे के बाहर हुआ। आतंकी जिस टैक्सी से आए थे, उसी में उन्होंने टाइम बम लगा दिया था। टैक्सी रुकी ही थी कि बम फट गया।

ड्राइवर और उसमें बैठी दो महिलाओं की तुरंत मौत हो गई। जब लोग वहां से भागे, तो दो आतंकियों ने सड़क से ही एके-47 से फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में 9 लोग मारे गए।

कसाब एकमात्र आतंकी था, जो जिंदा पकड़ा गया था। उसे 21 नवंबर 2013 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी।

सबसे ज्यादा 58 लोग CST पर मारे गए
पहले हमले के ठीक 2 मिनट बाद 9 बजकर 45 मिनट पर मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (CST) पर हमला हुआ। इसे दो आतंकियों अजमल कसाब और इस्माइल खान ने अंजाम दिया था। कसाब लोगों पर गोलियां चला रहा था, जबकि इस्माइल का काम वहां से भाग रहे लोगों पर ग्रेनेड फेंकने का था। इस हमले में सबसे ज्यादा 58 लोग मारे गए थे। उस रात किसी के लिए न रुकने वाली मुंबई ठहर सी गई थी।

CST पर हमले के बाद कसाब और इस्माइल वहां से कामा अस्पताल पहुंचे। ये एक चैरिटेबल अस्पताल है, जिसे 1880 में एक अमीर कारोबारी ने बनवाया था। उन्होंने घुसते ही चौकीदार को मारा। अस्पताल के बाहर आतंकियों से मुठभेड़ हुई, जिसमें उस समय के ATS चीफ हेमंत करकरे, मुंबई पुलिस के अशोक कामटे और विजय सालसकर मारे गए।

CST पर उतरकर कसाब और इस्माइल बगल के टॉयलेट में गए और हथियार निकालकर आए।

कसाब और इस्माइल के पीछे पुलिस पड़ चुकी थी। आतंकियों की कार पंक्चर भी हो गई। उसके बाद उन्होंने एक स्कोडा कार छीनी। पुलिस ने आगे बैरिकेडिंग कर रखी थी। कार बैरिकेडिंग से पहले रुकी भी। तभी पुलिसवालों को अपनी ओर आते हुए इस्माइल ने गोली चलाना शुरू कर दी। पुलिस ने भी गोली का जवाब गोली से दिया। पुलिस ने इस्माइल को मार दिया।

लेकिन कसाब जिंदा पकड़ा गया। हालांकि, इस मुठभेड़ में पुलिस इंस्पेक्टर तुकाराम आम्बले शहीद हो गए। उसी रात दो आतंकियों ने नरिमन हाउस को भी निशाना बनाया। यहां यहूदी पर्यटक अक्सर रुका करते थे। दोनों आतंकी बाद में मारे भी गए, लेकिन मरने से पहले उन्होंने 7 लोगों को भी मार दिया।

मुंबई के दो 5 स्टार होटलों पर हमला
उसी रात दो आतंकी ओबेरॉय होटल और 4 आतंकी ताज पैलेस होटल में घुसे। ताज में घुसते ही आतंकियों ने बैग जमीन पर रखे और उनमें से एके-47 निकालकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। ताज होटल पर हुए हमले के बाद ही मुंबई और दुनिया को पता चला कि कितना बड़ा आतंकी हमला हुआ है। दोनों आतंकी मारे तो गए, लेकिन तब तक उन्होंने 31 लोगों की जान भी ले ली थी।

ओबेरॉय होटल में भी दो आतंकी ढेर सारे गोला-बारूद के साथ घुसे। बताया जाता है कि हमले के वक्त होटल में 350 लोग मौजूद थे। NSG के कमांडों ने दोनों आतंकियों को मार गिराया। लेकिन तब तक 32 लोगों की जान जा चुकी थी।

29 नवंबर की सुबह 7 बजे आखिरी आतंकी अबु शोएब भी मारा गया। अबु शोएब वही था, जिसने लियोपॉल्ड कैफे के सामने हमला किया था।

26 नवंबर की रात से शुरू हुआ तांडव 29 नवंबर की सुबह खत्म हुआ
26 नवंबर की रात 9 बजकर 43 मिनट से शुरू हुआ आतंक का तांडव 29 नवंबर की सुबह 7 बजे खत्म हुआ। मौत का ये तांडव 60 घंटे तक चला। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे। 9 आतंकियों को एनकाउंटर में मार दिया गया था। जबकि, एकमात्र आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया। कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई। इस हमले में मुंबई पुलिस, ATS और NSG के 11 जवान शहीद हुए थे।

भारत और दुनिया में 22 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः

  • 1885: पहली बार उल्कापिंड की तस्वीर ली गयी।
  • 1921: आज प्रसिद्ध उद्योगपति और श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन का जन्म हुआ था।
  • 1932: महान क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दस हजार रन बनाये।
  • 1948: नेशनल कैडेट कोर की स्थापना हुई।
  • 1949: संविधान सभा ने संविधान के मसौदे पर हस्ताक्षर किए।
  • 1984: इराक एवं अमेरिका ने कूटनीतिक संबंधों को पुन: स्थापित किया।
  • 1996: मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरिक्ष यान 'मार्स ग्लोबल सर्वेयर' को अंतरिक्ष में भेजा था।
  • 2012: अरविंद केजरीवाल ने एक नये राजनैतिक दल आम आदमी पार्टी का गठन किया।


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Today History: Aaj Ka Itihas India World Update | Mumbai 26/11 Terror Attack, Constitution Day Samvidhan Divas 26 November


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कोरोनाकाल में फीकी शादी की धूम, उधर बन रहे नए कानून



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Marriage has faded due to Corona, there are new laws for marriage.


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अभी मास्क ही वैक्सीन और 6 फीट की दूरी जरूरी, इससे कोरोना का खतरा 90% तक घटेगा

कोरोना वैक्सीन पर दुनियाभर में काम चल रहा है। भारत में अगले साल की शुरुआत में लोगों को वैक्सीन लगना शुरू हो जाएगी, लेकिन देश की आबादी 135 करोड़ है। हर एक आदमी तक वैक्सीन पहुंचने में कुछ साल लग सकते हैं। ऐसे में मास्क ही हमें कोरोना से बचाएगा। इसलिए दैनिक भास्कर यह अभियान चला रहा है कि अभी मास्क ही वैक्सीन है। मास्क पहनिए और कोरोना की दूसरी लहर को फैलने से रोकिए।

दुनियाभर के डॉक्टर्स भी यही कह रहे हैं कि यदि हर व्यक्ति ठीक तरह से मास्क पहनने को लेकर जिम्मेदार बन जाए तो कोरोना को काफी हद तक रोका जा सकता है। यह काम बहुत मुश्किल भी नहीं है। आप 3 काम करके कोरोना की दूसरी लहर को रोक सकते हैं...

1. मास्क पहनिए
ग्लोबल रिसर्च में यह साबित हुआ है कि जहां 50% से 80% लोगों ने मास्क पहना, वहां कोरोना कंट्रोल में आ गया। जब हम बात करते हैं, तब हमारे मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स डेढ़ से दो फीट तक जा सकते हैं। बिना मास्क तेजी से बात करेंगे तो ड्रॉपलेट्स की रेंज 6 फीट तक हो जाएगी। मास्क होगा, तो ये ड्रॉपलेट्स ढाई इंच से आगे नहीं जा सकेंगे। इससे संक्रमण का खतरा 90% तक घट जाएगा।

2. दूरी रखिए
कोरोनावायरस सांस और ड्रॉपलेट्स के जरिए 6 फीट तक फैल सकता है। अगर हम इतनी दूरी बनाकर रखेंगे तो खुद को संक्रमित होने से बचा लेंगे।

3. हाथों को साफ रखिए
कोरोना नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। हाथों से हम बार-बार मुंह को छूते हैं। हाथ सैनेटाइज होंगे तो संक्रमण फैलने का खतरा कम होगा।



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Now only the mask needs vaccine and a distance of 6 feet, this will reduce the risk of corona by 90%


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तमिलनाडु से टकराया तूफान; दुनिया में कोरोना के 6 करोड़ मरीज और कोविड-19 की नई गाइडलाइंस

नमस्कार!
देश के कई राज्यों में कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं जबकि ठीक होने वालों की संख्या कम हो रही है। इस बीच, पंजाब सरकार ने राज्य में 1 दिसंबर से नाइट कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया है। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…

  • BSE का मार्केट कैप 172.56 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 56% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही।
  • 2,964 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,110 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,689 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। 10 ट्रेड यूनियनों का दावा है कि देशभर में इसमें 25 करोड़ कर्मचारी शामिल होंगे।
  • महाराष्ट्र में BMC के खिलाफ दायर की गई कंगना रनौत की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट आज फैसला सुना सकती है।

देश-विदेश
कोरोना की नई गाइडलाइन: कंटेनमेंट जोन्स में सख्ती पर जोर

केंद्र सरकार ने बुधवार को कोरोना पर नई गाइडलाइन जारी की। इसमें केंद्र का फोकस कंटेनमेंट जोन पर है। सरकार ने यहां राज्यों से सख्ती और सावधानी बरतने को कहा है। राज्यों को छूट दी गई है कि वो अपने हालात के हिसाब से पाबंदियां लागू कर सकते हैं। कंटेनमेंट जोन में नाइट कर्फ्यू भी लगा सकते हैं।

दुनिया के 54 देशों में दूसरी लहर, रोज 6 लाख से ज्यादा मरीज मिल रहे
दुनिया में कोरोना मरीजों की संख्या 6 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। मरने वालों का आंकड़ा 14 लाख के पार जा चुका है। सितंबर तक दुनिया में रोजाना औसतन 3 लाख मरीज बढ़ रहे थे। अब रोज 6 लाख से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। अमेरिका, फ्रांस, रूस समेत 54 देशों में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है।

तूफान निवार के चलते तमिलनाडु के 13 जिलों में आज छुट्टी
बंगाल की खाड़ी से उठा निवार तूफान (Nivar Cyclone) देर रात कराईकल (आंध्र प्रदेश) और महाबलीपुरम (तमिलनाडु) से टकराया। यहां से गुजरते वक्त 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। तमिलनाडु, पुडुचेरी और आंध्र में एनडीआरएफ की 25 टीमें तैनात थीं। इसमें 1200 रेस्क्यू ट्रूपर्स भी तैनात किए गए।

सरकार ने DBS बैंक-लक्ष्मी विलास बैंक के मर्जर को मंजूरी दी
केंद्रीय कैबिनेट ने DBS बैंक में लक्ष्मी विलास बैंक (LVB) के मर्जर के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अब DBS बैंक की भारतीय यूनिट में लक्ष्मी विलास बैंक का विलय हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि इस फैसले से बैंक के 20 लाख डिपोजिटर और 4 हजार कर्मचारियों को राहत मिलेगी।

लालू ने भाजपा विधायक से कहा- स्पीकर के चुनाव से एब्सेंट हो जाओ
बिहार विधानसभा में स्पीकर के चुनाव के लिए वोटिंग से पहले राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का एक ऑडियो वायरल हुआ। इसमें लालू, पिरपैती से भाजपा विधायक ललन पासवान से कह रहे हैं कि विधानसभा में स्पीकर के चुनाव की वोटिंग से एब्सेंट हो जाओ। लालू ने यह बात 3 बार कही।

पॉजिटिव खबर
ब्रेड बेचने वाले विकास ने बनाई करोड़ों की कंपनी

यूपी के जालौन जिले में आने वाले रामपुरा गांव के विकास उपाध्याय कभी ब्रेड बेचा करते थे, आज करोड़ों के टर्नओवर वाली कंपनी के मालिक हैं और दो से तीन लाख रुपए उनकी मंथली इनकम है। विकास खुद बता रहे हैं कि विपरीत हालात में उन्होंने खुद को कैसे आगे बढ़ाया और कैसे अपना बिजनेस सेट किया।
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भास्कर एक्सप्लेनर
मुंबई हमले के बाद बनी NIA, कश्मीर में टेरर फंडिंग रोकी

26 नवंबर 2008 को मुंबई पर अब तक के सबसे खतरनाक हमले हुए। इसमें पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने मुंबई में जगह-जगह हमले किए। इन हमलों में 166 लोग मारे गए, जबकि 350 से ज्यादा घायल हो गए। इन्हीं हमलों की देन है नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA)। लेकिन सवाल है कि NIA की जरूरत क्यों पड़ी?
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सुर्खियों में और क्या है...

  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल (71) का बुधवार तड़के निधन हो गया। पटेल 1 अक्टूबर को कोरोना संक्रमित हुए थे।
  • बिहार विधानसभा में महागठबंधन की मोर्चेबंदी के बावजूद NDA के विजय कुमार सिन्हा स्पीकर चुने गए। राज्य में पहली बार स्पीकर की कुर्सी भाजपा को मिली।
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सख्ती से पालन कराएं। बिना मास्क निकलने वालों पर ड्रोन से नजर रखें।
  • टाटा की लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 14.27 लाख करोड़ रुपए हो गया। इस आधार पर टाटा ने रिलायंस और HDFC ग्रुप को भी पीछे छोड़ दिया।


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Thunderstorm hit Tamil Nadu; 6 million corona patients and new guidelines of Kovid-19 in the world


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गरीब परिवार में जन्मे, भाई की गिफ्ट की हुई फुटबॉल रखकर सोते थे; गोल ऑफ द सेन्चुरी उन्हीं के नाम

फुटबॉल के महान प्लेयर्स में से एक डिएगो आर्मैंडो मैराडोना का बुधवार को 60 साल की उम्र में निधन हो गया। मैराडोना गरीब परिवार में जन्मे थे। हालांकि, जो शोहरत, पैसा और मुकाम मैराडोना ने हासिल की, उसकी कोई खिलाड़ी बस कल्पना ही कर सकता है। उनके भाई ने उन्हें एक फुटबॉल गिफ्ट की थी। इससे इतना प्यार हुआ कि 6 महीने तक पास रखकर सोते थे।

इसी फुटबॉल में इतनी महारत हासिल कर ली कि गोल ऑफ द सेन्चुरी किया। इसे हैंड ऑफ गॉड का नाम दिया गया और इसी की बदौलत अर्जेंटीना वर्ल्ड कप जीता। उन्हें फीफा ने प्लेयर ऑफ द सेन्चुरी भी चुना। ये अवॉर्ड उन्होंने एक और फुटबॉल लीजेंड पेले के साथ साझा किया था।

10 साल की उम्र में मैराडोना रोजा एस्ट्रेला क्लब के लिए खेलते थे।

1. ब्यूनस आयर्स की झोपड़ पट्टी में रहते थे
मैराडोना का जन्म ब्यूनस आयर्स के लानुस में एक गरीब परिवार में हुआ था। ये ब्यूनस आयर्स की झुग्गी-झोपड़ी वाला इलाका था। मैराडोना के पिता डॉन डिएगो और मां साल्वाडोरा फ्रेंको को 3 बेटियों के बाद पहला बेटा मिला था, मैराडोना। ये परिवार बाद में बढ़कर 8 भाई-बहनों वाला हो गया। मैराडोना जब 3 साल के थे, तो उन्हें उनके भाई ने एक फुटबॉल गिफ्ट की थी। तभी से मैराडोना को फुटबॉल से इतना प्यार हुआ कि वो 6 महीने तक उसे अपनी शर्ट के भीतर रखकर ही सोते थे।

15 साल की उम्र में उन्होंने अर्जेंटीनोस जूनियर्स के लिए प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की।

2. 10 साल की उम्र में क्लब फुटबॉल शुरू की

10 साल की उम्र में मैराडोना रोजा एस्ट्रेला क्लब के लिए खेलते थे। इसी क्लब से खेलते वक्त अर्जेंटीनोस जूनियर्स के छोटे से क्लब ने उनकी स्किल्स को पहचाना। उन्हें लॉस केबोलिटास ने भी चुना, पर 12 साल की उम्र तक उन्हें बॉल बॉय का ही रोल मिला। 15 साल की उम्र में उन्होंने अर्जेंटीनोस जूनियर्स के लिए प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की। 1981 में उन्हें बोका जूनियर्स क्लब ने साइन किया। 1982 में मैराडोना ने बोका जूनियर्स से खेलते हुए उन्होंने पहला मेडल हासिल किया।

1982 वर्ल्ड कप में मैराडोना की टीम अर्जेंटीना ब्राजील से हारकर दूसरे राउंड से बाहर हो गई थी।

3. पहले वर्ल्ड कप में 2 गोल किए, पर टीम दूसरे राउंड में बाहर

मैराडोना के टैलेंट को देखते हुए उन्हें 1977 में नेशनल टीम में शामिल किया गया। हालांकि, 1978 वर्ल्ड कप के लिए उन्हें टीम में ये कहकर शामिल नहीं किया गया कि वे अभी बच्चे हैं। 1978 में वर्ल्ड कप जीतने वाली अर्जेंटीना 1982 में डिफेंडिंग चैम्पियन के तौर पर उतरी थी।

इस बार टीम में मैराडोना भी थे। डिफेंडिंग चैम्पियन होने के कारण अर्जेंटीना और पहला युवा मैराडोना, दोनों से उम्मीदें थीं। हालांकि, मैराडोना सिर्फ पहले राउंड में ही हंगरी के खिलाफ 2 गोल कर पाए। टीम भी दूसरे राउंड में बाहर हो गई। ब्राजील ने अर्जेंटीना को बाहर का रास्ता दिखाया।

4. 1986 का वर्ल्ड कप हैंड ऑफ गॉड से जिताया

मैराडोना 1986 का वर्ल्ड कप खेल रहे थे। इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबला था। मैराडोना ने मैच में दो गोल किए। इनमें से एक गोल को हैंड ऑफ गॉड कहा जाता है। इंग्लैंड की टीम का कहना था कि बॉल मैराडोना के हाथ से लगकर गई है, लेकिन रेफरी ने फैसला गोल का ही दिया। इंग्लैंड मुकाबले से बाहर हो गई और अर्जेंटीना ने आगे सेमीफाइनल भी जीता और खिताब भी।

मैराडोना ने अपने करियर में 4 वर्ल्ड कप खेले और 1 वर्ल्ड कप (1986) जीता।

मैच के बाद डिएगो ने कहा था कि ये गोल थोड़ा मेरे सिर और थोड़ा भगवान के हाथ से छुआ था। डिएगो के इस बयान के बाद इस गोल को हैंड ऑफ गॉड कहा गया। इसे लोगों ने गोल ऑफ द सेंचुरी भी चुना। इस टूर्नामेंट में मैराडोना ने 5 गोल किए थे।

क्यूबा के पूर्व पीएम फिदेल कास्त्रो (दाएं) के साथ मैराडोना।

5. जिन फिदेल को पिता मानते थे, मौत के बाद उन्हीं से जुड़ा ये अजीब संयोग

ये संयोग है कि मैराडोना का निधन उसी तारीख को हुआ, जिस दिन क्यूबा के पूर्व प्रधानमंत्री फिदेल कास्त्रो का निधन हुआ था। मैराडोना कास्त्रो को अपना दूसरा पिता मानते थे। कास्त्रो का निधन 25 नवंबर 2016 को हुआ था। मैराडोना 4 दिसंबर 2016 को कास्त्रो के अंतिम दर्शन के लिए क्यूबा भी पहुंचे थे।

मैराडोना कास्त्रो के साथी कॉमरेड चे ग्वेरा के भी बड़े फैन थे। उन्होंने अपने बाएं हाथ पर चे ग्वेरा की टैटू भी बनवाई थी।

6. करियर चमकदार, पर ड्रग्स ने लगाया दाग

मैराडोना ने 4 FIFA वर्ल्ड कप टूर्नामेंटों खेला, जिसमें 1986 का विश्व कप शामिल था। 1986 वर्ल्ड कप में वे अर्जेंटीना के कैप्टन भी थे। वे टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किए गए थे। उन्हें गोल्डन बॉल अवॉर्ड जीता था। मैराडोना को फीफा प्लेयर ऑफ द सेंचुरी से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने एक बार वर्ल्ड कप गोल्डन बॉल, एक बार बेलोन डी ओर, 2 बार साउथ अमेरिकन फुटबॉलर ऑफ द ईयर, 6 बार नेशनल लीग टॉप स्कोरर अवॉर्ड जीता है।

मैराडोना को उनके क्लब नेपोली ने 1991 में 15 महीने के लिए बैन कर दिया था।

मैराडोना ने 1982 के दशक में कोकीन लेना शुरू किया था। तब उनका करियर शबाब पर था, लेकिन उन्हें नशे की लत पड़ चुकी थी। 1984 में जब नेपोली क्लब के लिए खेलने लगे थे, तब वो इटैलियन माफिया कोमोरा के संपर्क में आ गए थे। अगले दो दशकों तक उन्होंने लगातार ड्रग्स ली और शराब पी। कोकीन के सेवन के लिए मैराडोना को उनके क्लब नेपोली ने 1991 में 15 महीने के लिए बैन कर दिया था।

इसी साल उन्हें ब्यूनस आयर्स में 500 ग्राम कोकीन के साथ अरेस्ट किया गया था। उन्हें तब 14 महीने की सजा दी गई थी। ड्रग्स ने उनके फुटबॉल करियर को ही खत्म कर दिया। 1997 में उन्होंने फुटबॉल को अलविदा कह दिया।



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1986 वर्ल्ड कप जीतने के बाद अर्जेंटीना के कप्तान मैराडोना को बाकी प्लेयर्स ने कंधे पर उठा लिया था।


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