शनिवार, 14 नवंबर 2020

आज हैप्पी दिवाली; बिहार में जल्द बनेगी सरकार नई वाली और रामलला के घर में दीपोत्सव

नमस्कार!

इस बार दिवाली भले ही कोरोनाकाल के बीच आई है, मगर इसमें भी कुछ खास है। भगवान राम के स्वागत के लिए अयोध्या सज गई है। दीपोत्सव शुरू हो चुका है। सरयू के 24 घाट छह लाख दीयों से रोशन हैं। चलिए, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…

  • BSE का मार्केट कैप 168 लाख करोड़ रुपए रहा। BSE पर करीब 55% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 2,856 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,599 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,063 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • आज दीपावली है। घर में पूजा के लिए शाम 5:39 से 7:19 और रात 8:59 से 12:19 बजे तक का मुहूर्त है। दुकान, ऑफिस, फैक्ट्री और बैंकों में पूजा करनी हो तो दोपहर 1:24 से शाम 4:04 और रात 11:59 से 12:23 तक का मुहूर्त है।
  • दिवाली होने के कारण दिल्ली में सभी मेट्रो स्टेशन से आखिरी मेट्रो रात 10 बजे चलेगी।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दिवाली जैसलमेर में जवानों के साथ मना सकते हैं। हालांकि, अभी आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की गई है।

LOC पर बारामूला में BSF जवान शहीद
पाकिस्तानी सेना ने शुक्रवार सुबह LOC पर सीजफायर तोड़ दिया। जम्मू-कश्मीर के बारामूला सेक्टर में BSF के सब-इंस्पेक्टर राकेश डोभाल समेत 5 जवान शहीद हो गए। 3 नागरिक भी मारे गए। जवाबी कार्रवाई में 11 पाकिस्तानी सैनिक ढेर हो गए। पाकिस्तान के बंकर और लॉन्च पैड भी सेना ने तबाह कर दिए।

बाइडेन के होम स्टेट से ग्राउंड रिपोर्ट
अमेरिका में प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन डेलावेयर स्टेट से हैं। इसे अमेरिका में स्माल वंडर भी कहा जाता है। आबादी करीब 10 लाख और राजधानी डोवर है। सबसे बड़ा शहर विल्मिंगटन है। स्टेट का 85% शराब कारोबार गुजरातियों के पास है। बाइडेन दीपावली मनाते हैं और गरबा भी करते हैं।

नवाज की बेटी के इमरान पर गंभीर आरोप
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने इमरान खान सरकार पर बेहद गंभीर आरोप लगाए। मरियम ने कहा- जब मैं जेल में थी तो वहां के प्रशासन ने मेरी बैरक के बाथरूम में भी कैमरे लगवा दिए थे। मरियम पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज की वाइस प्रेसिडेंट और सांसद हैं।

एमपी में 20 नवंबर से 9वीं से 12वीं की रेगुलर क्लास
मध्य प्रदेश में कोरोना के चलते आठ महीने से बंद स्कूल 20 नवंबर से खोलने की तैयारी है। स्कूल शिक्षा विभाग के मुताबिक, 9वीं से 12वीं तक की क्लास 20 या 25 नवंबर से शुरू की जा सकती हैं। कक्षा 6 से 8 तक की क्लास 1 दिसंबर से शुरू करने की बात कही गई है।

डीबी ओरिजिनल
दिल्ली के सबसे व्यस्त मार्केट से रिपोर्ट

त्योहारों की दस्तक होते ही सरोजिनी नगर मार्केट फिर से गुलजार होने लगा है। दिल्ली के सबसे चर्चित बाजारों में शामिल इस मार्केट में रौनक लौट आई है। लॉकडाउन की पाबंदियों और कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते महीनों तक ये बाजार वीरान रहा, लेकिन दिवाली का त्योहार व्यापारियों के लिए बड़ी उम्मीद लेकर आया है। हालांकि, बीते सालों की तुलना में इस बार सरोजिनी नगर में भीड़ कुछ कम है।

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भास्कर एक्सप्लेनर
आदिवासी हिंदू हैं या सरना?

झारखंड विधानसभा ने हंगामेदार चर्चा के बाद 11 नवंबर को सरना आदिवासी धर्म कोड पर प्रस्ताव पारित कर दिया। अब यह प्रस्ताव केंद्र को जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही जनगणना 2021 में आदिवासियों को नई धार्मिक पहचान मिल सकेगी। देशभर में सवाल उठ रहे हैं कि क्या आदिवासी हिंदू नहीं हैं? फिर उनके लिए अलग धर्म की आवश्यकता क्यों पड़ी?

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सुर्खियों में और क्या है...

  • अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने मेमोयर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी नर्वस बताया, जबकि डॉ. मनमोहन सिंह को शांत और ईमानदार बताया।
  • मप्र के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, 'खूब पटाखे चलाओ, कोई समय तय नहीं है।' जबकि, भोपाल कलेक्टर लवानिया ने केवल 2 घंटे पटाखे चलाने की छूट दी थी।
  • दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली सबसे बड़ी दवा कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया दिसंबर तक कोवीशील्ड वैक्सीन के 10 करोड़ डोज तैयार कर लेगी।
  • अमेरिका में लगातार दूसरे दिन रिकॉर्ड कोरोना संक्रमित मिले। बुधवार को 1.35 लाख जबकि गुरुवार को एक लाख 40 हजार मामले सामने आए।


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today is Happy Diwali; Government will soon form new festival in Bihar and Deepalotsav in Ramlala's house


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लक्ष्मी पूजा के लिए 5 मुहूर्त; खरीदारी के लिए पूरा दिन शुभ, सर्वार्थसिद्धि योग होने से बढ़ जाएगा पूजा का फल

आज महालक्ष्मी पूजा और दीपावली पर्व मनाया जाएगा। ग्रंथों के मुताबिक, कार्तिक महीने की अमावस्या को समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है। पद्म पुराण के मुताबिक, इस दिन दीपदान करना चाहिए। इससे पाप खत्म हो जाते हैं इसलिए इस दिन दीपक जलाए जाते हैं। दीपों की कतार के कारण ही इसे दीपावली (दीप अवली) कहा जाता है।

दिवाली पर लक्ष्मीजी के साथ गणेश, कुबेर, सरस्वती और कालिका की भी पूजा की जाती है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार 17 साल बाद दिवाली पर सर्वार्थसिद्धि योग बनने से इस दिन की गई पूजा का दोगुना फल मिलेगा।

भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा विधि

पंचोपचार पूजन में काफी कम समय लगता है। ये पूजा विधि उन लोगों के लिए सबसे अच्छी रहती है, जिनके पास समय की कमी रहती है। पंचोपचार में सामान्य विधि से कोई भी आसानी से पूजा कर सकता है। इस विधि से भी बड़े पूजन के समान पुण्य प्राप्त होता है।

इस पूजा में सबसे पहले तीन बार आचमन करना चाहिए। यानी तीन बार पानी ग्रहण करें। इसके बाद हाथ साफ करें। खुद पर और पूजन सामग्री पर पानी का छिड़काव करके सभी चीजें पवित्र करें। पृथ्वी देवी को प्रणाम करें। संकल्प करें। दीपावली पर लक्ष्मी जी के सभी स्वरूपों की पूजा करनी चाहिए।

लक्ष्मी पूजा से पहले गणेशजी का पूजन करें। गणेशजी के मंत्रों का जाप करें। जैसे श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके बाद विष्णुजी की पूजा करें और विष्णु मंत्रों का जाप करें। जैसे ऊँ नमो नारायणाय। महालक्ष्मी की पूजा शुरू करें। ऐसा भाव रखें कि देवी आपके घर में आ गई हैं। देवी का सत्कार करें।

देवी को पूजन सामग्री चढ़ाएं। पुष्पहार चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। भोग लगाएं। फल अर्पित करें। दीपक जलाकर देवी की आरती करें। आरती के बाद देवी को अर्पित करें और खुद भी ग्रहण करें। मंत्र पुष्पांजली अर्पित करें। आखिरी में पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए देवी से क्षमायाचना करें। पूजा के बाद जमीन पर जल छोड़ें और ये जल अपनी आंखों पर लगाएं। इसके बाद आप उठ सकते हैं। इस तरह पूजा पूरी हो जाती है।
(वेदाचार्य डॉ.पतञ्जलि कुमार पाण्डेय, प्राचार्य ब्रह्मर्षि श्री श्री मौनी बाबा वेदविद्यापीठ गंगा घाट, उज्जैन)

दीपावली पर होने वाली अन्य पूजा

दिवाली पर लक्ष्मीजी के साथ ही देहली विनायक (श्रीगणेश), कलम, सरस्वती, कुबेर और दीपक की पूजा भी की जाती है। ग्रंथों के मुताबिक, ये दीपावली पूजा का ही हिस्सा है। इनकी पूजा से सुख, समृद्धि, बुद्धि और ऐश्वर्य मिलता है। साथ ही दीपों की पूजा से हर तरह के दुख और पाप खत्म हो जाते हैं।

देहली विनायक पूजा: दुकान या ऑफिस में दीवारों पर ॐ श्रीगणेशाय नम:, स्वस्तिक चिह्न, शुभ-लाभ सिंदूर से लिखें और लिखते वक्त ॐ देहलीविनायकाय नम: मंत्र बोलते जाएं। साथ ही पूजा सामग्री और फूल से पूजा करें।

महाकाली (दवात) पूजा : दवात (स्याही की बोतल) को महालक्ष्मी के सामने फूल और चावल पर रखें। उस पर सिंदूर लगाकर मौली लपेट दें। ॐ श्रीमहाकाल्यै नम: बोलते हुए पूजा की सुगंधित चीजें और फूलों से दवात और महाकाली की पूजा कर के प्रणाम करें।

लेखनी पूजा: लेखनी (कलम) पर मौली बांधकर सामने रख लें और ॐ लेखनीस्थायै देव्यै नम: मंत्र बोलते हुए गंध, फूल, चावल से पूजा कर के प्रणाम करें।

बहीखाता पूजन: बहीखाता पर रोली या केसर-चंदन से स्वास्तिक बनाएं। उस पर पांच हल्दी की गांठें, धनिया, कमलगट्टा, चावल, दूर्वा और कुछ रुपए रखकर ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नम: बोलते हुए गंध, फूल, चावल चढ़ाएं और सरस्वती माता को प्रणाम करें।

कुबेर पूजा: तिजोरी या रुपए रखने वाली जगह पर स्वस्तिक बनाकर कुबेर का ध्यान करें। ॐ कुबेराय नम: बोलते हुए पूजा सामग्री और फूल से पूजा करें। पूजा के बाद प्रार्थना करते हुए हल्दी, चंदन, केसर, धनिया, कमलगट्टा, रुपए और दूर्वा तिजोरी में रखें। इसके बाद कुबेर से धन लाभ के लिए प्रार्थना करें।

दीपमालिका (दीपक) पूजन

  1. एक थाली में 11, 21 या उससे ज्यादा दीपक जलाकर महालक्ष्मी के पास रखें।
  2. एक फूल और कुछ पत्तियां हाथ में लें। उसके साथ सभी पूजन सामग्री भी लें।
  3. इसके बाद ॐ दीपावल्यै नम: इस मंत्र बोलते हुए फूल पत्तियों को सभी दीपकों पर चढ़ाएं और दीपमालिकाओं की पूजा करें।
  4. दीपकों की पूजा कर संतरा, ईख, धान इत्यादि पदार्थ चढ़ाएं। धान का लावा (खील) गणेश, महालक्ष्मी तथा अन्य सभी देवी-देवताओं को भी अर्पित करें।


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वीडियोग्राफी - काईद जौहर


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घर और आसपास की 11 जगहें जहां दिवाली पर दीपक लगाना नहीं भूलना चाहिए

दीपावली रोशनी का पर्व और मां लक्ष्मी के आगमन का दिन है। लक्ष्मीजी के स्वागत के लिए घर में दीपक जलाने की परंपरा है, इस दिन कुछ खास जगहों पर दीपक जरूर जलाना चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक घर के 9 स्थान और घर से बाहर की दो जगहें ऐसी हैं, जहां दीपावली पर दीपक लगाना शुभ माना जाता है। इसका महत्व शास्त्रों में भी माना गया है और वास्तु में भी। दीपक लगाने की परंपरा में नियम अलग हैं, कुछ जगह लक्ष्मी पूजन से पहले और कुछ जगह पूजन के बाद दीपक लगाने चाहिए। आइए. जानते हैं यह जगह कौन-कौन सी हैं।

1. दीयों की पूजा करने के बाद सबसे पहला दीपक घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ रखा जाता है, मां लक्ष्मी घर में पहला कदम यहीं से रखती हैं। माना जाता है कि यहां दीप जलाने से घर में पॉजिटिविटी आती है, इसलिए दीवाली पर लक्ष्मी पूजा से पहले सरसों के तेल के दिए घर के दरवाजे के दोनों ओर रखने चाहिए।

2. दूसरा दिया घर के आंगन में रखना चाहिए। अगर घर में आंगन नहीं है, तो आप घर के बीच वाले कमरे में घी का दीपक रख सकते हैं, यह घर का ब्रह्म स्थान माना जाता है। यहां दीपक लगाने से परिवार के सदस्यों में संतुष्टि का भाव आता है।

3. लक्ष्मी पूजन के पहले घर के मंदिर में 5 दीपक लगाए जाते हैं, इसके साथ ही अगर घर के आसपास कोई मंदिर हो तो वहां भी दीपक रखना चाहिए। मान्यता है इससे घर में समृद्धि आती है और पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है।

4. लक्ष्मी पूजन से पहले 4 चारमुखी दीपक, यानि ऐसे दीये जिनमें 4 बातियां जलाई जा सकें, घर के चारों कोनों में जलाएं और भगवान गणेश से सुख-समृद्धि की कामना करें। इससे घर को एक सुरक्षा कवच मिलता है।

5. लक्ष्मी पूजन के बाद घर में तुलसी के पौधे पर तेल का दीपक लगाना चाहिए। तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। तुलसी पर दीपक लगाने से घर में शुद्धता और शांति बनी रहती है।

6. घर में जल के किसी भी स्त्रोत के नजदीक एक दीपक जरूर जलाना चाहिए जैसे घर की पंढेरी के पास या जहां पानी का मटका रखा जाता है। वहां दीया रख सकते हैं। इससे घर में पवित्रता का वातावरण बना रहता है और घर के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

7. अगर घर के पास कोई पीपल का पेड़ हो, तो एक दिया यहां जरूर जलाएं। पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। यहां दीपक लगाने से घर की समस्याएं कम होती हैं।

8. लक्ष्मी पूजन के बाद दो दीपक घर की रसोई में भी जरूर जलाना चाहिए। इससे मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और घर पर अन्न भंडार में वृद्धि होती है।

9. लक्ष्मी पूजन के बाद भगवान कुबेर की प्रार्थना करते हुए घर की तिजोरी की पूजा कर तिल के तेल का दीपक घर की तिजोरी के पास जलाएं। इससे घर में समृद्धि बनी रहती है।

10. घर के पास जो चौराहा हो वहां पर भी दीपक जलाने की परंपरा है। चौराहे पर दीपक लगाने के बाद घर आते समय मुड़ कर ना देखें। माना जाता है कि चौराहे पर दीपक लगाने से समस्याएं कम होती हैं और घर से नकारात्मकता दूर रहती है।

11. इसके अलावा घर के आसपास कहीं भी अंधेरा दिखे तो वहां दीपक जलाकर रोशनी जरूर करें। इससे घर के आसपास की नकारात्मकता कम होती है।



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कुछ लोगों का स्वभाव ही होता है बने काम को बिगाड़ देना, ऐसे लोगों को पहचानें और सतर्क रहें

कहानी- रामायण काल की घटना है। उस समय अयोध्या में लोकतांत्रिक व्यवस्था थी। राजा दशरथ ने सभी से सलाह लेकर राम को राजा बनाने की घोषणा कर दी थी। राम के राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थीं। अच्छे निर्णय खुशियां लेकर आते ही हैं। पूरी अयोध्या में सभी खुश थे।

उत्सव के वातावरण में अयोध्या के विद्वान लोग एक व्यक्ति पर नजर रखना भूल गए, वह थी मंथरा। मंथरा की प्रवृत्ति अच्छे कामों को बर्बाद करने की थी। उसने सबसे पहले कैकयी का भरोसा जीत लिया। कैकयी के सामने मंथरा ने झूठ को सच बनाकर बताया कि राम की जगह भरत को राजा बनना चाहिए। जिससे रानी की मानसिकता ही बदल गई। इसके बाद कैकयी ने दशरथ से राम को वनवास और भरत को राज देने के वर मांग लिए।

इस घटना के बाद किसी ने मंथरा से पूछा कि अगर राम राजा बन जाते तो तुझे क्या दिक्कत थी? तब मंथरा ने कहा था कि मेरा तो स्वभाव ही है अच्छे काम को बिगाड़ना। राजा कोई भी बने, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मेरे जैसे लोगों का ही एक मंत्र होता है कि अच्छे कामों को बिगाड़ दो।

सीख - हम सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कहीं हमारे आसपास भी कोई मंथरा जैसा व्यक्ति तो नहीं है, जो बने बनाए काम को बिगाड़ सकता है। ऐसे लोगों को पहचानें, इन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। पारिवारिक जीवन में भी काम बिगाड़ने वाले लोगों से हमेशा सतर्क रहें।



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aaj ka jeevan mantra by pandit vijay shankar mehta, motivational story from ramayana, unknown facts of manthara


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शक्तिरूपी कामाक्षी दर्शन; मां की एक आंख में लक्ष्मी और दूसरी में सरस्वती का वास

मंदिरों के शहर कांचीपुरम में श्री कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर में दीपावली उत्सव बहुत खास है। रोशनी, शंखनाद, फूलों की महक, नादस्वरम जैसे दक्षिण भारतीय साजों के स्वर के बीच मंत्रोंच्चारण का माहौल देवलोक सा अहसास करवा रहा है। यह इकलौती ऐसी शक्तिपीठ है, जिसमें कामाक्षी मां की एक आंख में लक्ष्मी और दूसरी में सरस्वती का वास है। एक प्रतिमा की पूजा लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के रूप में की जाती है।

आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रीचक्रम सिर्फ यहीं हैं। मंदिर के प्रमुख श्रीकार्यम शास्त्री चेल्ला विश्वनाथ बताते हैं कि अयोध्या के राजा दशरथ महर्षि वशिष्ठ के कहने पर संतान प्राप्ति के लिए मां कामाक्षी की पूजा करने आए थे। यहां के 24 खंभों में से एक की पूजा के समय उन्हें मां की आवाज सुनाई दी कि एक वर्ष के भीतर उन्हें संतान प्राप्ति होगी। इस खंभे को संतान स्तंभ के तौर पर आज भी पूजा जाता है।

यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां मां लक्ष्मी की पूजा सिंदूर लगाकर की जाती है।

मां लक्ष्मी की सिंदूर से पूजा करने की कहानी

यहां मां लक्ष्मी की पूजा सिंदूर लगाकर करने के पीछे मान्यता है कि किसी विवाद के चलते विष्णु ने लक्ष्मी को कुरूप होने का श्राप दिया था। मां कामाक्षी की पूजा कर उन्होंने श्राप से मुक्ति पाई थी। उसी समय मां कामाक्षी ने कहा था कि वह यहां लक्ष्मी के साथ विराजेंगी। उन्हें चढ़ने वाले प्रसाद से लक्ष्मी की भी पूजा होगी, लेकिन लक्ष्मी को यहां आने वालों की मनोकामना पूरी करनी होगी। कामाक्षी को प्रसाद में सिंदूर चढ़ता है जो लक्ष्मी को चरणों से शीश तक लगाया जाता है।

माता-पिता की मौत के सालभर तक यहां नहीं आ सकते

दीपावली पर यहां की परंपरा अन्य लक्ष्मी मंदिरों से अलग है। परंपरा के मुताबिक अगर किसी के माता-पिता या दोनों में से किसी एक की मौत हो जाए तो वो सालभर मां कामाक्षी के दर्शन करने नहीं आ सकता है। इसीलिए, दीपावली पर उत्सव कामाक्षी की पालकी गली-गली में परिक्रमा करती है। उनके दर्शन के लिए लोग घर के बाहर खड़े रहते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी बताते हैं कि मां के पास 1000 करोड़ रुपए से अधिक के बेशकीमती गहने हैं। शृंगार में इस्तेमाल होने वाली मालाएं भी केसर, बादाम, काजू, कमल, चमेली, ऑर्किड, गुलाब से बनी होती हैं। 15-20 किलो की ये मालाएं 5 लाख रुपए में तैयार होती हैं।

मां कामाक्षी का शृंगार जब सरस्वती रूप में किया जाता है तो उन्हें श्वेत फूलों से सजाया जाता है। हाथों में वीणा भी दी जाती है। वाद्य यंत्रों से मां की स्तुति की जाती है।

20 किलो सोने से बने रथ पर मंदिर भ्रमण करती हैं मां

यहां मंदिर का वैभव देखते ही बनता है। मंदिर का मुख्य गुंबद 76 किलो सोने से बना है, जबकि नवरात्रि व कई अन्य अवसरों पर जिस रथ पर मां कामाक्षी सवार होती हैं वह 20 किलो सोने से बनाया गया है। हर साल मंदिर में भक्त 50 करोड़ रुपए का चढ़ावा चढ़ाते हैं। एक दिन में करीब दस हजार श्रद्धालु आते हैं। कामाक्षी का यह रूप आठ साल की कन्या का रूप है। अविवाहित पंडित मां की मूर्ति को नहीं छू सकते हैं। यहां केवल विश्वामित्र और भारद्वाज गोत्र के पंडितों को ही पूजा करने की आज्ञा है। इन्हीं के वंशज वर्षों से यहां पूजा करते आए हैं। यहां पूजा महर्षि दुर्वासा के लिखे ग्रंथ सौभाग्य चिंतामणि के अनुसार होती है।

गर्भगृह में पद्मासन में स्थापित मां कामाक्षी के सामने आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रीचक्रम है।

कामाक्षी मंदिर के गर्भगृह में ही है आदि शंकराचार्य का स्थापित किया श्रीचक्रम

मां कामाक्षी की मूल प्रतिमा के सामने श्रीचक्रम है, जिसे आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। यह पूजा अर्चना की तांत्रिक विधि है। शास्त्री रामानंद के अनुसार इसे देवी के घर का ब्लूप्रिंट कहा जा सकता है। श्रीचक्रम में नीचे की ओर मुंह वाले पांच त्रिकोण हैं और चार ऊपर की ओर मुंह वाले त्रिकोण हैं। इसमें 44 कोने हैं। इसमें फूलों की पत्तियां बनी हैं और नौ स्तर है। बिंदु में कामाक्षी विराजमान हैं। इसे देवी का सूक्ष्म शरीर कहा जाता है। इसकी पूजा श्रद्धालुओं के सामने नहीं होती। नवरात्र, ब्रह्मोत्सव और पूर्णिमा को होने वाली नव आवरण पूजा में सिर्फ शास्त्री ही होते हैं।

इस विग्रह (मूर्ति) की कभी कोई तस्वीर नहीं खींची गई है। मुख्य पुजारी के अनुसार इसकी एक ही पेंटिंग है। बाजार या इंटरनेट पर मौजूद फोटो व पेंटिंग्स गर्भगृह विग्रह के नहीं हैं। पहली बार मंदिर प्रबंधन ने इस पेंटिंग के प्रकाशन की अनुमति दी है। यहां दिए अन्य फोटो उत्सव कामाक्षी के हैं। शृंगार व भ्रमण इन्हीं के होते हैं।

मंदिर में मां कामाक्षी की पूजा लक्ष्मी रूप में की जाती है, तो उनका मोहिनी शृंगार किया जाता है। इसमें मयूर पंखों से झांकी सजाई जाती है। शृंगार में आभूषण पदों से उनकी मुद्रा भी बदली जाती है।

दीपावली पर उत्सव कामाक्षी की पालकी गली-गली में परिक्रमा करती है। उनके दर्शन के लिए लोग घर के बाहर खड़े रहते हैं।
मंदिर का मुख्य गुंबद 76 किलो सोने से बना है, जबकि नवरात्रि व कई अन्य अवसरों पर जिस रथ पर कामाक्षी सवार होती हैं वह 20 किलो सोने से बनाया गया है।
दीपावली पर पूरे मंदिर परिसर को भव्य रूप में सजाया जाता है। लाइटों की जगमगाहट देखते ही बनती है।
शृंगार में इस्तेमाल होने वाली मालाओं का वजन 15-20 किलो होता है, ये मालाएं 5 लाख रुपए में तैयार होती हैं।
मां के शृंगार में इस्तेमाल होने वाली मालाएं केसर, बादाम, काजू, कमल, चमेली, ऑर्किड, गुलाब से बनी होती हैं।


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तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित मां कामाक्षी मंदिर ऐसा शक्तिपीठ है जहां शक्तिरूप में मां कामाक्षी के विग्रह को ही लक्ष्मी और सरस्वती के रूप में पूजा जाता है। (फोटो-संदीप नाग)


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पाकिस्तान की तरफ से फायरिंग के चलते लोग घरों में कैद; खुशियों की जगह घरों में मातम

दीप पर्व दिवाली पर भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। लगातार पाकिस्तानी सेना LOC पर सीज फायर का उल्लंघन कर रही है। भारतीय सेना भी मुंहतोड़ जवाब दे रहे। इन सब के बीच सरहद से सटे गांवों में हजारों लोग कैद होने के लिए मजबूर हो गए हैं। कई नागरिकों की मौत के बाद गांवों में मातम पसर गया है। यही कारण है कि इस बार गांव के लोग दिवाली भी नहीं मना पाएंगे।

पिछले 7 दिनों से पाकिस्तान ने माहौल खराब किया
जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के साथ लगती 720 किलोमीटर लम्बी नियंत्रण रेखा (LOC)है। जो जम्मू के अखनूर सेक्टर से लद्दाख के कारगिल सेक्टर तक है। यहां जम्मू के पुंछ और राजौरी जिले, कश्मीर का उड़ी सेक्टर और बारामुल्ला जिले पर पाकिस्तान की तरफ से हमेशा गोलीबारी होती रहती है। कोरोना काल में पाकिस्तान की तरफ से होने वाले सीज फायर की उल्लंघन में कुछ कमी जरूर आई थी, लेकिन पिछले 7 दिनों से यह एक बार फिर से बढ़ गई है। इस बीच 12 से 15 बार पाकिस्तान ने सीज फायर का उल्लंघन किया है।

दिवाली पर मिठाइयां दी जाती थीं, आज गोलियां बरसाई जा रहीं
लंबे समय से यह परंपरा रही है कि दिवाली पर LOC पर तैनात भारतीय जवान पाकिस्तानी सेना को मिठाइयां देते थे। लेकिन अब दोनों तरफ से गोलियां बरसाई जा रहीं हैं। उत्तरी कश्मीर के उड़ी सेक्टर में सेना के जवान शहीद हुए हैं। वहीं, जम्मू के पुंछ के सौजियां इलाके में करीब 9 महीने बाद गोलीबारी हुई। इसमें 6 स्थानीय नागरिकों की मौत हो गई। कई लोग घायल भी हैं।

दीवाली की खरीददारी कर रहे थे और शुरू हो गई गोलीबारी
शुक्रवार को लोग दीवाली की खरीददारी कर रहे थे। इसी बीच, पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई। पाकिस्तान ने स्थानीय लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। उड़ी सेक्टर के रहने वाले गुलाम अहमद का घर LOC पर ही है। कहते हैं हर बार पाकिस्तान यहां आम नागरिकों को निशाना बनाता है। अगर उसे लड़ाई करनी है तो सेना से करे। आम लोगों को क्यों निशाना बना रहा है?

हालात खराब है, लोग डरे हुए हैं
पुंछ के राम कुमार दत्ता कहते हैं। कोरोना के दौरान कुछ आराम था। मार्च के बाद से गोलीबारी रुकी हुई थी। अब फिर से शुरू हो गई है। यहां हालात काफी खराब है। पाकिस्तान हमेशा आतंकी घुसपैठ करवाने के लिए गोलीबारी करता है। लेकिन दिवाली पर ऐसी गोलीबारी पहली बार हुयी है। वहीं, सौजियां के ही मोहम्मद इस्माइल का कहना है कि हालत तो खराब है ही, यहां सुविधाएं भी कम हैं। लोगों को ले जाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं है।



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फोटो उड़ी सेक्टर की है। यहां एक गांव में पाकिस्तान की तरफ से हुई गोलीबारी में स्थानीय लोगों का घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है।


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हाईवे पर डीजल खत्म हुआ तो उसे होम डिलीवरी का आइडिया आया, 100 करोड़ पहुंचा टर्नओवर

टिकेन्द्र और संदीप नोएडा स्थित टेक कंपनी सैमसंग में काम करते थे। वहीं, प्रतीक एक्सिकॉम में काम करते थे। प्रतीक और टिकेन्द्र रूममेट थे। एक दिन तीनों दिल्ली से बाहर घूमने निकले थे, तभी बीच रास्ते में फ्यूल खत्म हो गया। टिकेन्द्र बताते हैं कि हमें रास्ते में करीब 10 किमी तक के आसपास एक भी फ्यूल स्टेशन नहीं मिला। उस वक्त हमें यह अहसास हुआ कि काश! ऐसा मोबाइल ऐप होता, जहां हम एक ऑर्डर पर कभी भी, कहीं भी फ्यूल मंगवा सकते।

इसके बाद टिकेन्द्र ने अपने कलीग संदीप और रूममेट प्रतीक से इस आइडिया पर बातचीत की। वे तुरंत इस मिशन से जुड़ गए। यहीं से शुरू हुआ स्टार्टअप कंपनी पेपफ्यूल डॉट काॅम का सफर। इन दिनों होम डिलीवरी का कारोबार तेजी से अपने रफ्तार पकड़ रहा है। यही वजह है कि इस साल फाइनेंशियल ईयर (वित्त वर्ष 2020-21) में इनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ के आसपास पहुंच गया।

दिल्ली-एनसीआर के लोगों से लिया फीडबैक

टिकेन्द्र बताते हैं कि हमने इस पर रिसर्च की। दिल्ली-एनसीआर के करीब 100 से ज्यादा लोगों के घर जाकर और ऑनलाइन फीडबैक लिया। तब हमने पाया कि ज्यादातर लोगों को इस तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ा है। हर दूसरे आदमी ने यही कहा कि पेट्रोल-डीजल के लिए ऑनलाइन ऐप होना चाहिए। हालांकि, पेट्रोल-डीजल की ऑनलाइन डिलीवरी का कारोबार शुरू करना काफी रिस्की है। टिकेन्द्र बताते हैं कि 2016 तक देश में पेट्रोल डिलीवरी की परमिशन नहीं थी। हाल ही में सरकार ने इसकी इजाजत दी है। उस वक्त हमारे सामने सिर्फ डीजल डिलीवरी ही एकमात्र विकल्प था। हमने डीजल की डिलीवरी पर ही काम शुरू कर दिया।

तीन दोस्तों ने स्टार्टअप कंपनी पेपफ्यूल डॉट काॅम नाम से शुरू किया है। ऐप के माध्यम से बुकिंग के बाद ग्राहकों के घर डीजल की डिलिवरी करते हैं।

PMO से मिला था आइडिया पर अप्रूवल

संदीप बताते हैं, 'लोगों से फीडबैक लेने के बाद हमने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. (BPCL), पेट्रोलियम प्रोसेस इंजीनियरिंग सर्विस को. (PESCO) जैसी तेल कंपनियों को अपना-अपना सुझाव भेजा। साथ ही हमने अपने-अपने स्टार्टअप का आइडिया PMO को भी भेजा था। कुछ दिनों बाद ही हमें PMO से जवाब आ गया था। दूसरी, तरफ फरीदाबाद स्थित इंडियन ऑयल की तरफ से भी हमें हमारे कारोबार का डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट यानी DPR सौंपने को कहा गया।'

उन्होंने कहा कि हमने अपने प्रोजेक्ट की DPR इंडियन ऑयल को भेजी। अप्रूवल मिलने के बाद हमने अपना कारोबार शुरू कर दिया। संदीप, टिकेन्द्र और प्रतीक बताते हैं कि स्टार्टअप को शुरू करने में हमने करीबन 12 लाख रुपए खर्च किया। इनमें ऐप डेवेलप, ब्राउजर डेवेलप, डिस्पेंसिंग मशीन, जेरी कैन समेत अन्य कार्यों पर किया गया खर्च शामिल है।

पेपफ्यूल्स सरकार से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप

संदीप बताते हैं कि पेपफ्यूल्स सरकार से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप है, जिसे ऑयल मार्केटिंग कंपनी या PESO का अप्रूवल मिला है। पेपफ्यूल्स का इंडियन ऑयल के साथ थर्ड पार्टी एग्रीमेंट है। यह डोर-टू-डोर डिलीवरी के लिए है। इस ऐप पर ग्राहक ऑनलाइन या मैसेज के जरिए ऑर्डर कर सकते हैं।

साथ ही, ऑनलाइन ट्रैकिंग, बिलिंग या डैशबोर्ड के अन्य फीचर्स का लाभ ले सकते हैं। पेपफ्यूल्स एक आईओटी-आरएफआईडी डिवाइस से फ्यूल डिलीवरी का काम करता है, जिससे फ्यूल की चोरी नहीं होती है। यह पेपफ्यूल्स का एक पेटेंट डिवाइस है, जो कंपनी ने खुद बनाया है।

टिकेन्द्र नोएडा स्थित टेक कंपनी सैमसंग में काम करते थे।

जानिए यह ऐप कैसे काम करता है ?

संदीप और प्रतीक बताते हैं कि हम अपने ऐप पर ग्राहकों के ऑर्डर रियल टाइम में लेते हैं और ये डिलीवरी के लिए सीधे संबंधित MDU को भेज दिए जाते हैं। हम 2-3 घंटों में यह काम कर देते हैं। ग्राहक डिलीवरी के दौरान रियल टाइम नजर रख सकते हैं और डिलीवरी के बाद कन्फर्मेशन दे सकते हैं। एमडीयू आईओटी आधारित आरएफआईडी तकनीक पर काम करते हैं। यह पेपफ्यूल्स की पेटेंट तकनीक है। इसमें चोरी की बिल्कुल गुंजाइश नहीं है और इसने ग्राहकों को विश्वास और सुरक्षा प्रदान की है। इतना ही नहीं, हम ग्राहकों को जागरूक करने के लिए वॉल्यूम और क्वालिटी की वन-साइट जांच की सुविधा भी देते हैं।

डीजल ऑर्डर करने का क्या तरीका है ‌?

संदीप के मुताबिक, ग्राहक को पहले ऐप पर एक रिक्वेस्ट देनी होगी। इसके बाद पेपफ्यूल्स के एग्जीक्यूटिव ग्राहक की साइट पर जाएंगे या ग्राहक के एरिया में डिलीवरी है या नहीं, यह देखेंगे। तब ग्राहक से एग्रीमेंट करेंगे। इसके बाद ग्राहक को एक आईडी या पासवर्ड दिया जाता है, जिससे वो अपनी अप्रूव्ड लोकेशन पर फ्यूल ऑर्डर कर सकते हैं। ग्राहक पेपफ्यूल्स के रजिस्टर्ड नंबर पर मैसेज कर के ऑर्डर कर सकते हैं। ये फीचर सिर्फ पेपफ्यूल्स के ऐप पर उपलब्ध है। ग्राहक को उनके ऑर्डर की कन्फर्मेशन, ट्रैकिंग और बिलिंग की ऑनलाइन सुविधा मिल जाती है। वे अपने ऑर्डर की हिस्ट्री देख सकते हैं।

50 से ज्यादा शहरों में शुरू होगी यह सेवा

कंपनी के तीनों संस्थापक टिकेन्द्र, संदीप और प्रतीक बताते हैं कि अब तक पेफ्यूल्स ने 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है, जो पूरे एनसीआर में काम करते हैं। पेपफ्यूल्स के ऐप से पूरे भारत में कहीं से भी ऑर्डर कर सकेंगे।

वे कहते हैं, 'अभी हमारी ऐप दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, मानेसर, हरियाणा, मुरादाबाद में एक्टिव है। साथ ही उड़ीसा और हैदराबाद में पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है अगले 15 दिनों में वहां भी ऐप काम करना शुरू कर देगा। इसके अलावा हम 50 से ज्यादा शहरों में यह सेवा शुरू करने वाले हैं।'



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Diesel delivery work started with friends leaving private job, annual turnover Rs 100 crore


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जहां पैर रखने की जगह नहीं होती थी, वहां लोगों को टेंम्प्रेचर जांच के बाद मिल रही है एंट्री

त्योहारों के दस्तक देते ही सरोजिनी नगर मार्केट फिर से गुलजार होने लगा है। दिल्ली के सबसे चर्चित बाजारों में शामिल इस मार्केट में एक बार फिर रौनक लौट आई है। लॉकडाउन और कोरोना के खतरे के चलते महीनों तक यह बाजार वीरान रहा। अब दिवाली का त्योहार व्यापारियों के लिए बड़ी उम्मीद लेकर आया है। हालांकि बीते साल की तुलना में इस बार सरोजिनी नगर में भीड़ कुछ कम है। फिर भी इतनी भीड़ तो है ही कि मदनपुर खादर से आई 13 साल की सिमरन अपने परिवार से बिछड़कर भीड़ में गुम हो गई थी। दिल्ली पुलिस की मदद से वह वापस अपने परिवार के पास पहुंच सकी।

कोरोना के बाद हुए बदलाव का असर सरोजिनी मार्केट में साफ दिखाई पड़ रहा है। जिस बाजार में कभी पैर रखने की भी जगह नहीं होती थी, वहां सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की भरसक कोशिश की जा रही है। पूरे बाजार को पांच तरफ पुलिस बैरिकेड्स की घेराबंदी में समेट दिया गया है। दिल्ली पुलिस की कई टुकडियां बाजार में तैनात हैं। कोरोना के नियमों का पालन कराने के लिए सिविल डिफेंस के जवान भी काम कर रहे हैं। मार्केट में दाखिल होने के लिए लोगों को लाइन में लगकर टेंपरेचर की जांच करवानी पड़ रही है।

पुलिस लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने, गंदगी न फैलाने और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने की अपील कर रही है। हिदायत के बावजूद जो लोग नियम तोड़ रहे हैं, उनका चालान भी किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस के एएसआई जगदीश प्रसाद मार्केट के एक नम्बर गेट के पास तैनात हैं। शुक्रवार शाम के पांच बजे तक वे 250 लोगों का चालान कर चुके हैं। ये चालान मास्क न लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने, गुटका या पान थूकने पर किए जा रहे हैं। लेकिन, इतनी सावधानी के बाद भी मार्केट के अंदर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना लगभग नामुमकिन नजर आ रहा है।

महीनों तक बंद रहे सरोजिनी नगर मार्केट में अब लोगों की भीड़ उमड़ रही है।

सरोजिनी नगर मार्केट वैसे तो कपड़ों के लिए मशहूर है, लेकिन घरेलू इस्तेमाल की लगभग सभी चीजें यहां काफी सस्ते दाम पर मिलती हैं। यही वजह है कि यहां जितनी भीड़ युवाओं और दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों की होती है, उतनी ही भीड़ घरेलू महिलाओं की भी होती है। यहां का एक्सपोर्ट मार्केट तो इतना मशहूर है कि लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। इनमें डीटीसी की बसों में सफर करने वाले लोग भी होते हैं और वे लोग भी जो अपनी महंगी गाड़ियों से उतरकर इस बाजार में दाखिल होते हैं। यहां जितनी भीड़ पक्की दुकानों पर होती है, उससे कहीं ज्यादा भीड़ दुकानों के बाहर खुले में लगने वाले स्टॉल्स पर होती है।

कोरोना के चलते इन दिनों यहां लगने वाले स्टॉल्स की संख्या सीमित कर दी गई है। यह भी एक कारण है कि बाजार में लोगों को चलने के लिए ज्यादा जगह मिल रही है। लेकिन इस फैसले ने स्टॉल लगाने वाले कई छोटे दुकानदारों के काम-धंधे को प्रभावित किया है। ऐसा ही एक स्टॉल लगाने वाले पुलकित कुमार बताते हैं- बीते कुछ दिनों से यहां लोग आना शुरू हुए तो प्रशासन ने सख्ती भी शुरू कर दी है। जैसे ही स्टॉल पर भीड़ बढ़ती है तो पुलिस वाले आकर लोगों को भगा देते हैं। ऐसे में माल बेचने में बहुत दिक्कत है। कई दिन तो स्टॉल लगाने भी नहीं देते। पूरे साल में बस यही मौका है जब ग्राहक आ रहे हैं। अगर अभी भी बिक्री नहीं हुई तो पिछले नुकसान की भरपाई करना भी मुश्किल हो जाएगा।

पक्की दुकान वाले और इस बाजार के पंजीकृत व्यापारियों के लिए चीजें काफी बेहतर हुई है। सरोजिनी नगर मार्केट एसोसिएशन के चेयरमैन संदीप मनोचा कहते हैं- अनलॉक शुरू होने की तुलना में अगर आज की बात करें, तो व्यापार में बढ़िया उछाल आया है। शुरू में तो हम बहुत घबराए हुए थे कि न जाने क्या होगा, लेकिन धीरे-धीरे चीजें कंट्रोल होने लगी। दशहरा और दुर्गा पूजा से जो उठाव आया है, बाजार में उसे अच्छा कहा जा सकता है।

दिल्ली पुलिस लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल के पालन की अपील कर रही है।

एक तरफ दिल्ली के बाजारों में लोगों का निकलना बढ़ा ,है तो दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण भी तेजी से बढ़ रहा है। बीते एक हफ्ते से लगभग हर दिन 6-7 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं। एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि दिवाली के बाद यह संख्या और तेजी से बढ़ सकती है। बाजार में इससे बचाव के लिए क्या कदम उठाए आ रहे हैं? इस सवाल के जवाब में संदीप मनोचा कहते हैं- एसोसिएशन की तरफ से हम पूरे मार्केट का नियमित सैनिटाइजेशन करवा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रख रहे हैं। मास्क के बिना किसी को दुकान में दाखिला नहीं दे रहे हैं। हर ग्राहक की स्क्रीनिंग के साथ उन्हें सैनिटाइज भी कर रहे हैं।

मनोचा आगे कहते हैं- प्रशासन भी लगातार नियम तोड़ने वालों का चालान कर रहा है जो कि बहुत अच्छा है। इससे लोग खुद भी नियमों का ख्याल रख रहे हैं। मेरी अधिकारियों से बहुत अच्छी पहचान है, रोज का उठना-बैठना है। लेकिन, मेरी दुकान पर भी एक दिन दो लोगों ने मास्क नहीं लगाया था तो तुरंत उनका चालान काटा गया। हमने भी ये चालान कटवाया, क्योंकि हमारी गलती थी। हम ही कानून का पालन नहीं करेंगे, तो बाकियों को कैसे बोल सकेंगे।

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई जानकार राय दे रहे हैं कि कुछ दिनों के लिए शहर में आंशिक लॉकडाउन लागू किया जाए। ज्यादा भीड़ वाली जगहों को बंद कर दिया जाए। लेकिन, व्यापारी ऐसी सलाह से असहमत हैं। सरोजिनी मार्केट शॉपकीपर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह साहनी कहते हैं- पांच महीने तक हमारा कारोबार पूरी तरह से ठप रहा और सरकार से हमें कोई फाइनेंशियल मदद नहीं मिली। दोबारा ऐसा होता है, तो व्यापारी तो मर ही जाएगा।

साहनी कहते हैं- जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक हमें इसके साथ ही जीना होगा। बाजारों को बंद कर देना कोई समाधान नहीं है। अभी भी बिजनेस 30-40 फीसदी ही पहुंच सका है। हम तो बस भगवान से यही दुआ करते हैं कि जल्द ही कोरोना की वैक्सीन आए, ताकि बाजार के साथ-साथ सबकी जिंदगी वापस पटरी पर लौट सके।



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The crowd is less than in previous years but still it is not possible to follow the rules of social distancing.


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आदिवासी हिंदू हैं या सरना? झारखंड विधानसभा ने पारित किया है नए धर्म कोड का प्रस्ताव

झारखंड विधानसभा ने हंगामेदार चर्चा के बाद 11 नवंबर को सरना आदिवासी धर्म कोड पर प्रस्ताव पारित कर दिया। दरअसल, इस कोड का प्रस्ताव पारित करने के लिए ही एक दिन का विशेष विधानसभा सत्र बुलाया गया था। अब यह प्रस्ताव केंद्र को जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही जनगणना 2021 में आदिवासियों को नई धार्मिक पहचान मिल सकेगी। इससे देशभर में सवाल उठ रहे हैं कि क्या आदिवासी हिंदू नहीं हैं? फिर उनके लिए अलग धर्म की आवश्यकता क्यों पड़ी?

क्या है सरना धर्म और इससे जुड़ा विवाद?

सरना एक धर्म है जो प्रकृतिवाद पर आधारित है और सरना धर्मावलंबी प्रकृति के उपासक होते हैं। झारखंड में सरना कोड की मांग नई नहीं है। जनगणना 2021 की प्रक्रिया शुरू होने से इसने तेजी पकड़ ली है। विधानसभा में पास हुए प्रस्ताव को अगर केंद्र ने मंजूरी दे दी तो देश में सरना एक नए धर्म के रूप में सामने आएगा।

हजारीबाग विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. जीएन झा के मुताबिक, झारखंड में 32 जनजातियां हैं, जिनमें 8 पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप (PVTG) हैं। यह सभी जनजाति हिंदू कैटेगरी में ही आते हैं। इनमें से जो ईसाई धर्म स्वीकार कर चुके हैं, वे अपने धर्म के कोड में ईसाई लिखते हैं। यह भी एक कारण है कि आदिवासी समुदाय अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखने के लिए सरना कोड की मांग कर रहे हैं।

आदिवासी/सरना धर्म कोड बिल पारित होने पर सरना समुदाय ने निकाली रैली

कितने लोग मानते हैं सरना धर्म को?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जनगणना 2011 में झारखंड के 40.75 लाख और देशभर के छह करोड़ लोगों ने अपना धर्म सरना दर्ज कराया था। इसमें भी सबसे ज्यादा झारखंड में 34.50 लाख थे। राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने बताया कि झारखंड में 62 लाख सरना आदिवासी हैं। रांची महानगर सरना प्रार्थना सभा मिशन-2021 के तहत अपने स्तर पर झारखंड के सरना आदिवासियों की जनगणना करवा रही है। तिग्गा कहते हैं कि 21 राज्यों में आदिवासियों ने अपना धर्म सरना दर्ज करवाया था। इस वजह से इसे अलग पहचान मिलनी ही चाहिए।

यह पहचान मिलेगी कैसे?

जनगणना 2001 के लिए दिए गए निर्देश में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन इन 6 धर्मों को 1 से 6 तक के कोड नंबर दिए थे। अन्य धर्मों के लिए धर्म का नाम लिखना था, लेकिन कोई कोड नंबर नहीं देना था। 2011 की जनगणना में भी यही सिस्टम अपनाया गया था। 1951 में पहली जनगणना में आदिवासियों के लिए धर्म के कॉलम में नौवें नंबर पर ट्राइब उपलब्ध था, जिसे बाद में खत्म कर दिया गया। इसके हटने से आदिवासियों की गिनती अलग-अलग धर्मों में बंटती गई। इससे समुदाय की गणना नहीं हो सकी।

अगर केंद्र सरकार ने झारखंड विधानसभा के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी तो इसके लिए अलग कोड नंबर दिया जा सकेगा। इससे आदिवासियों को अपनी अलग धार्मिक पहचान मिल सकेगी। सरना धर्म कोड की मांग में एक-एक करोड़ की आबादी वाले गोंड और भील आदिवासियों को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि वे अपना अलग धर्म मानते हैं।

केंद्र सरकार का इस मसले पर क्या रुख रहा है?

झारखंड के आदिवासियों को जनगणना में अलग से धर्म कोड का प्रस्ताव केंद्र सरकार ठुकरा चुकी है। इस संबंध में विभिन्न आदिवासी संगठनों के आग्रह पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि यह संभव नहीं है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया का कहना है कि अलग धर्म कोड, कॉलम या श्रेणी बनाना व्यावहारिक नहीं होगा। अगर जनगणना में धर्म के कॉलम में नया कॉलम या धर्म कोड जोड़ा तो पूरे देश में ऐसी और मांगे उठेंगी।

क्या यह मांग राजनीति से प्रेरित है?

हां। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में शामिल झारखंड विकास मोर्चा (JVM) ने सरना आदिवासी धर्म कोड के मुद्दे को अपने चुनाव घोषणापत्र में शामिल किया था। आदिवासी वोट बैंक की वजह से झारखंड की पार्टियां इस मुद्दे को हवा देती हैं। विधानसभा में प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हेमंत सोरेन ने कहा कि यह बात सही है कि बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है। आदिवासी समुदाय को खत्म करने की कोशिश हो रही है। इससे पहले भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि यह प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित है। भाजपा को प्रस्ताव में आदिवासी/सरना लिखने पर आपत्ति है। सरना धर्म लिखा जाए या आदिवासी सरना धर्म कोड का प्रस्ताव लाया जाए।

क्या इससे धर्मांतरण का खतरा टल जाएगा?

दरअसल, इस मुद्दे को लेकर मतभेद है। एक तबका मानता है कि आदिवासियों को हिंदू बताया जा रहा है, जो गलत है। उन्हें उनकी अलग धार्मिक पहचान देनी चाहिए। वहीं, एक तबका इसके खिलाफ है। वह चाहता है कि यदि सरना को अलग पहचान दे दी तो भोले-भाले आदिवासियों को बरगलाकर धर्मांतरण कराना आसान हो जाएगा। हालांकि, ईसाई मिशनरीज इस तरह के आरोप नकारते रहे हैं।



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Sarna Dharma Code; What Is Religion Of Tribals Adivasi? What Does It Mean To Pass A Bill By Jharkhand Govt? Know Everything About


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लक्ष्मी रचनाशील, दानवीर, हर वक्त खुश रहने वाले लोगों के पास रहती हैं

दीपावली पर पूरे देश में मां लक्ष्मी की पूजा का अलग-अलग विधान है। जैसे, कहीं लक्ष्मी के साथ काली की पूजा होती है। कहीं लक्ष्मी के साथ सरस्वती की पूजा होती है। कुछ जगहों पर कुबेर के साथ पूजा होती है। शास्त्रों के अनुसार, लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा धन और ज्ञान दोनों का एक साथ होना है।

इसे सामान्य शब्दों में समझें कि अगर धन आएगा, तो उसे संभालने के लिए ज्ञान और विवेक की भी जरूरत पड़ेगी। बुद्धि के इस्तेमाल से धन को सही तरीके से खर्च करना भी आना चाहिए। दीपावली के दिन मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, गंगा और समस्त देवी-देवताओं की पूजा सबसे प‌वित्र मानी जाती है।

इस दिन सुबह तेल से मालिश के बाद स्नान करने पर मां लक्ष्मी सारे दुख दर्द दूर कर देती हैं। दरअसल नरकासुर नाम के दानव ने देवलोक में देवताओं का जीना मुश्किल कर दिया था। मां लक्ष्मी ने इस राक्षस से बचने के लिए खुद को तिल के पौधे में छिपा लिया था। नरकासुर के वध के बाद ही मां लक्ष्मी इस पौधे से बाहर निकलीं। उन्होंने इस पौधे को वरदान दिया कि जो भी दीपावली के दिन तिल के तेल से मालिश कर स्नान करेगा, उसके समस्त दुख-दर्द दूर होंगे। ऋषि व्यास ने ‘व्यास विष्णु रूप:’ स्तुति में मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने की वैज्ञानिक विधि बताई है।

इसके मुताबिक कुशल कर्मी, उत्तम व्यक्तित्व, मेहनती, हमेशा खुश रहने वाले और जो मुश्किल वक्त में दूसरों द्वारा की गई मदद को कभी नहीं भूलता है, शांत और रचनाशील जैसे गुणों से संपन्न लोगों के पास ही लक्ष्मी रहती हैं। ब्रह्म सूक्त में भी कहा गया है कि लक्ष्मी दानवीर, बुजुर्गों से परामर्श लेने वाले, अपने समय को बर्बाद नहीं करने वाले और अपने निर्णय में अडिग रहने वाले, घरों को साफ रखने वाले, अनाज की बर्बादी नहीं करने वाले लोगों के पास ठहरती हैं। ऋषि व्यास ने इस बात का भी उल्लेख किया है, जहां लक्ष्मी नहीं ठहरतीं। जैसे जो व्यक्ति काम नहीं करता, जो अनुशासित नहीं है, जो अनैतिक काम करता है, जो दूसरे से ईर्ष्या रखते हैं, आलसी और जो हर स्थिति में उत्साह विहीन बने रहते हैं। ऐसे लोग मां लक्ष्मी की कृपा के पात्र कभी नहीं बनते हैं। (लेखक : शंकरा विजयेंद्र सरस्वती, कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य हैं)



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दीपावली पर पूरे देश में मां लक्ष्मी की पूजा होती है। हर जगह अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार पूजन की जाती है।


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अदरक-मिर्च का पराठा घर में सबको आएगा पसंद, सिर्फ आधे घंटे में बन जाएंगे 10 से 12 पराठे



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Everyone will like ginger-chilli paratha at home, 10 to 12 parathas will be prepared in just half an hour


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चंद्रयान से अलग होकर इस डिवाइस ने चांद की सतह पर पहली बार खोजा पानी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) ने अपना स्पेस प्रोग्राम शुरू करने के 45 साल बाद मिशन मून फतह किया था। 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान लॉन्च किया गया था, जो 30 अगस्त 2009 तक चांद के चक्कर लगाता रहा। इसी चंद्रयान में एक डिवाइस लगा था- मून इम्पैक्ट प्रोब यानी MIP, जिसने 14 नवंबर 2008 को चांद की सतह पर उतरकर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत का दबदबा बढ़ाया। ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन गया।

इससे पहले सिर्फ अमेरिका, रूस और जापान ही ऐसा करने में कामयाब हो सके थे। इसी डिवाइस ने चांद की सतह पर पानी की खोज की। यह इतनी बड़ी खोज थी कि अमेरिकी स्पेस साइंस ऑर्गेनाइजेशन नासा ने भी पहले ही प्रयास में यह खोज करने के लिए भारत की पीठ थपथपाई थी।

चंद्रयान-1 इसरो के मून मिशन का पहला यान था। इसे चंद्रमा तक पहुंचने में 5 दिन और उसका चक्कर लगाने के लिए कक्षा में स्थापित होने में 15 दिन लग गए थे। MIP की कल्पना पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी। उनके सुझाव पर ही इसरो के वैज्ञानिकों ने MIP बनाया था। कलाम चाहते थे कि भारतीय वैज्ञानिक चांद के एक हिस्से पर अपना निशान छोड़ें और इसरो के भारतीय वैज्ञानिकों ने उन्हें निराश नहीं किया।

मुंबई हमले के लिए आतंकियों ने हाईजैक की नाव

कुबेर नाव पर सवार होकर कसाब समेत 10 आतंकी मुंबई के तट पर पहुंचे थे।

भारत की औद्योगिक राजधानी और मायानगरी मुंबई का सीना 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने छलनी कर दिया था। बम धमाकों और गोलीबारी से दहली मुंबई में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 300 से ज्यादा घायल हुए थे। यह आतंकी कराची से समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे थे और इन्होंने इसके लिए कुबेर नाव (KUBER PBR 2302) का इस्तेमाल किया था।

KUBER PBR 2302 नाव गुजरात के पोरबंदर के हीरालाल मसानी और विनोद मसानी की थी। 45 फुट की यह नाव 14 नवंबर को पोरबंदर तट से कप्तान और 4 मछुआरों के साथ समुद्र में उतरी थी। आतंकियों ने नाव में सवार सभी लोगों की हत्या की और उस पर कब्जा कर लिया था। यह नाव 10 दिन तक लापता थी। मालिक का कहना था कि समुद्री तूफान में फंसने पर कई बार नाव लौटने में देर हो जाती है। इस वजह से उसकी शिकायत नहीं की थी।

पूछताछ में कसाब ने भी कबूल किया था कि वह अपने साथियों के साथ पाकिस्तानी ट्रॉलर अल हुसैनी से मुंबई के लिए निकले थे। समुद्र में कुबेर को हाईजैक कर 553 समुद्री मील की यात्रा की। मुंबई पहुंचने पर उन्होंने कुबेर को लावारिस छोड़ दिया था। फरवरी 2016 को नाव के मालिक ने इसका नाम बदलकर 'श्री गणेश कुबेर' कर दिया।

भारत और दुनिया में 14 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं

  • 1380: आज ही के दिन फ्रांस के किंग चार्ल्स को 12 साल की उम्र में राजगद्दी सौंपी।
  • 1681: ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल को अलग रियासत बनाने का ऐलान किया।
  • 1922: BBC ने आज ही के दिन ब्रिटेन में रेडियो सर्विस की शुरुआत की थी।
  • 1955: कर्मचारी राज्य बीमा निगम की शुरूआत हुई थी।
  • 1969: अपोलो- 12 को लॉन्च किया गया। यह तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर चंद्रमा पर पहुंचा था।


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Children's Day 2020Today in History (Aaj Ka Itihas) - What Happened on November 14th | ISRO Chandrayaan -1 Spacecraft, Mumbai Terrorist Attacks 2008, Kuber Boat Hijacked


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3. दिवाली भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। लेकिन, भगवान राम हैं तो भगवान विष्णु के ही अवतार। तो आज हम आपको बताते हैं भगवान विष्णु के वो रूप, जो अक्सर फिल्मों में दिखाए जाते हैं...

हिंदी फिल्मों में बार-बार आते हैं ईश्वर के ये 10 अवतारी रूप

4. ये राक्षसी आंखों वाली ‘ओगर फेस्ड मकड़ी’ पैरों का उपयोग न केवल जाल फेंकने और सरपट दौड़ने के लिए, बल्कि सुनने के लिए भी करती हैं। उत्तर अमेरिका में पाई जाने वाली इस मकड़ी के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

पैरों से सुनती हैं ये मकड़ियां, अपने शिकार पर खुद डाल देती हैं जाल

5. 'रॉबर्ट फिस्क' एक ऐसा पत्रकार जिसने अपनी कलम को बनाया 'हथियार'। जंगी इलाकों में घूमते हुए, वहीं से अपनी खबरें भेजते रहे। जानें, रॉबर्ट फिस्क के जीवन की कुछ खास बातें इस लेख में...

अपनी क़लम का हथियार की तरह इस्तेमाल करने वाला पत्रकार

6. सेविंग अकाउंट और टर्म डिपॉजिट से संबंधित टैक्स नियमों को लेकर कई लोग भ्रमित रहते हैं। सेविंग अकाउंट और टर्म (फिक्स्ड/रेकरिंग) डिपॉजिट से संबंधित टैक्स नियमों के बारे में जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

बचत खाते और एफडी के ब्याज पर भी लगता है टैक्स, ये हैं इसके प्रावधान

7. ओटीटी प्लेटफार्म कंटेंट निर्माता के लिए अब तक रिस्ट्रिक्शन ​​​​फ्री थे। लेकिन, केंद्र सरकार द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कंटेंट को लेकर 11 नवंबर से नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं। जानें, कंटेंट को लेकर क्या हैं नए कानून इस लेख में...

ओटीटी पर अश्लीलता और हिंसा के सर्वाधिक दर्शक, इसलिए नियंत्रण लगाने की जरूरत

8. अगर आप भी लक्ष्मी को पाना चाहते हैं तो अपनाएं ये गुण। खुद में ये बदलाव लाने से आप भी बन सकते हैं लक्ष्मीवान, जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

इस दिवाली से खुद में लाएं ये 8 बदलाव



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पढ़िए, टाइम मैगजीन की इस हफ्ते की चुनिंदा स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

1. बाइडेन के विजेता घोषित होने के बाद भी ट्रम्प हार मानने को तैयार नहीं हैं। राष्ट्रपति पद के हस्तांतरण से संबंधित पत्र भी अब तक बाइडेन को नहीं सौंपे गए हैं। राष्ट्रपति हस्तांतरण का पूरा विवाद पढ़ें, इस लेख में...

डोनाल्ड ट्रम्प के अड़ंगे से अमेरिका संकट और भ्रम के बीच फंसा; जनादेश पलटने की आशंका बढ़ी

2. अमेरिकी राष्ट्रपति पद का विवाद खत्म होता दिखाई नहीं दे रहा है। बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी उन पर ट्रम्प के खिलाफ मुकदमा चलाने का जोर दे रही है। विशेषज्ञों का इस विषय पर क्या कहना है? जानें, इस लेख में...

ट्रम्प पर मुकदमे चलाने के लिए बाइडेन पर दबाव पड़ेगा

3. टाइम मैग्जीन ने चुनाव परिणामों के विश्लेषण में पाया कि जिन इलाकों में वायरस का संक्रमण अधिक रहा, वहां ट्रम्प को ज्यादा वोट मिले। जानें, वायरस के असर का चुनावी गणित इस लेख में...

ट्रम्प को उन क्षेत्रों में अधिक वोट जहां वायरस का प्रकोप ज्यादा

4. अमेरिका में कोरोना वायरस प्रभावितों का पता लगाने वाली कांटेक्ट ट्रेसिंग एप क्यों हुई विफल? जानें, इस लेख में...

अमेरिका में कांटेक्ट ट्रेसिंग एप से ज्यादा फायदा क्यों नहीं हुआ



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पढ़िए, लाइफ एंड मैनेजमेंट की इस हफ्ते की सारी स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

1. गूगल के सीईओ सुंदर पिचई की एक छोटी सी कहानी देती है बड़ी सीख। इस लेख में पढ़ें, सुंदर पिचई की ‘कॉकरोच थियरी’

कैसे बनी गूगल सीईओ सुंदर पिचई की ‘कॉकरोच थियरी’

2. 1991 की दीपावली पर नेल्सन मंडेला का वो यादगार भाषण, जिसने कई भारतीयों का दिल जीत लिया था। पढ़ें इस लेख में...

दीपावली के मौके पर नेल्सन मंडेला का भाषण ‘समृद्धि, शांति और उम्मीद की राह पर बढ़ते हुए कृतज्ञता के दीप जलाने होंगे'

3. अपने परेशान और हताश साथियों को किस तरह खुश कर सकते हैं? जानिए हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के इस लेख में...

नकारात्मक साथी की तारीफ करें, उनसे भी हमदर्दी रखें

4. आप कई बार झुकते हैं, कई बार टूटते हैं। इसके बाद एक बेहतर आकार लेते हैं। पढ़ें, चार्ल्स जॉन हफम डिकेन्स की वो बातें, जो आपके जीवन के लिए होंगी असरदार...

उत्साह चेहरे की खूबसूरती बढ़ाता है, ऐसी ही कुछ खास बातें 'चार्ल्स जॉन हफम डिकेन्स' की



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पढ़िए, दि इकोनॉमिस्ट की चुनिंदा स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

1. कोरोना की 320 से अधिक वैक्सीन पर रिसर्च जारी है। ‌‌कोरोना की वैक्सीन 1 साल के अंदर आना किसी चमत्कार से कम नहीं है। जानिए, कोरोना वैक्सीन​ से जुड़ी खास जानकारी इस लेख में...

सभी देशों को वैक्सीन मिलने से 65% मौतें टलने का अनुमान ; कुछ अन्य टीकों के जल्द आने का रास्ता खुला

2. चीन में बड़े व्यवसायियों पर सियासी हमला। चीनी सरकार बड़ी कंपनियों के निजी कामों में दे रही दखल। जानें, क्या है पूरा मामला इस लेख में...

चीन में निजी कारोबारियों के कामकाज में सरकारी दखल बढ़ा

3. डिज्नी के ऑनलाइन प्लेटफार्म ने तोड़े सारे रिकॉर्ड। 5 साल का लक्ष्य किया केवल आठ माह में पूरा। जानिए, डिज्नी का डिजिटल बदलाव इस लेख में...

डिज्नी ने स्ट्रीमिंग में पांच साल का लक्ष्य आठ माह में पूरा किया

4. अमेरिका के नए राष्ट्रपति बाइडेन के सामने है दो प्रमुख चुनौतियां। वायरस की नई लहर और भारी आर्थिक संकट के लिए क्या है बाइडेन की योजना, पढ़ें इस लेख में...

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की शुरुआत हुई



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read this weeks select stories from the economist with just one click 14 November 2020


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चंद्रयान से अलग होकर इस डिवाइस ने चांद की सतह पर पहली बार खोजा पानी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) ने अपना स्पेस प्रोग्राम शुरू करने के 45 साल बाद मिशन मून फतह किया था। 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान लॉन्च किया गया था, जो 30 अगस्त 2009 तक चांद के चक्कर लगाता रहा। इसी चंद्रयान में एक डिवाइस लगा था- मून इम्पैक्ट प्रोब यानी MIP, जिसने 14 नवंबर 2008 को चांद की सतह पर उतरकर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत का दबदबा बढ़ाया। ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन गया।

इससे पहले सिर्फ अमेरिका, रूस और जापान ही ऐसा करने में कामयाब हो सके थे। इसी डिवाइस ने चांद की सतह पर पानी की खोज की। यह इतनी बड़ी खोज थी कि अमेरिकी स्पेस साइंस ऑर्गेनाइजेशन नासा ने भी पहले ही प्रयास में यह खोज करने के लिए भारत की पीठ थपथपाई थी।

चंद्रयान-1 इसरो के मून मिशन का पहला यान था। इसे चंद्रमा तक पहुंचने में 5 दिन और उसका चक्कर लगाने के लिए कक्षा में स्थापित होने में 15 दिन लग गए थे। MIP की कल्पना पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी। उनके सुझाव पर ही इसरो के वैज्ञानिकों ने MIP बनाया था। कलाम चाहते थे कि भारतीय वैज्ञानिक चांद के एक हिस्से पर अपना निशान छोड़ें और इसरो के भारतीय वैज्ञानिकों ने उन्हें निराश नहीं किया।

मुंबई हमले के लिए आतंकियों ने हाईजैक की नाव

कुबेर नाव पर सवार होकर कसाब समेत 10 आतंकी मुंबई के तट पर पहुंचे थे।

भारत की औद्योगिक राजधानी और मायानगरी मुंबई का सीना 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने छलनी कर दिया था। बम धमाकों और गोलीबारी से दहली मुंबई में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 300 से ज्यादा घायल हुए थे। यह आतंकी कराची से समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे थे और इन्होंने इसके लिए कुबेर नाव (KUBER PBR 2302) का इस्तेमाल किया था।

KUBER PBR 2302 नाव गुजरात के पोरबंदर के हीरालाल मसानी और विनोद मसानी की थी। 45 फुट की यह नाव 14 नवंबर को पोरबंदर तट से कप्तान और 4 मछुआरों के साथ समुद्र में उतरी थी। आतंकियों ने नाव में सवार सभी लोगों की हत्या की और उस पर कब्जा कर लिया था। यह नाव 10 दिन तक लापता थी। मालिक का कहना था कि समुद्री तूफान में फंसने पर कई बार नाव लौटने में देर हो जाती है। इस वजह से उसकी शिकायत नहीं की थी।

पूछताछ में कसाब ने भी कबूल किया था कि वह अपने साथियों के साथ पाकिस्तानी ट्रॉलर अल हुसैनी से मुंबई के लिए निकले थे। समुद्र में कुबेर को हाईजैक कर 553 समुद्री मील की यात्रा की। मुंबई पहुंचने पर उन्होंने कुबेर को लावारिस छोड़ दिया था। फरवरी 2016 को नाव के मालिक ने इसका नाम बदलकर 'श्री गणेश कुबेर' कर दिया।

भारत और दुनिया में 14 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं

  • 1380: आज ही के दिन फ्रांस के किंग चार्ल्स को 12 साल की उम्र में राजगद्दी सौंपी।
  • 1681: ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल को अलग रियासत बनाने का ऐलान किया।
  • 1922: BBC ने आज ही के दिन ब्रिटेन में रेडियो सर्विस की शुरुआत की थी।
  • 1955: कर्मचारी राज्य बीमा निगम की शुरूआत हुई थी।
  • 1969: अपोलो- 12 को लॉन्च किया गया। यह तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर चंद्रमा पर पहुंचा था।


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Children's Day 2020Today in History (Aaj Ka Itihas) - What Happened on November 14th | ISRO Chandrayaan -1 Spacecraft, Mumbai Terrorist Attacks 2008, Kuber Boat Hijacked


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