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क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें पुलिस के जवान एक घर में घुसकर कागज जब्त करके ले जाते दिख रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि वीडियो हाथरस का है। और इसमें दिख रही पुलिस 19 वर्षीय मृतक पीड़ित के घर में घुस कर बर्बरता कर रही है।
और सच क्या है?
इंटरनेट पर हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली। जिससे पुष्टि होती हो कि यूपी पुलिस ने हाथरस पीड़ित के घर में घुसकर छानबीन की है।
वीडियो की फ्रेम्स को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें सोशल मीडिया पर ही कुछ अन्य पोस्ट मिलीं। जिनमें इस वीडियो को उन्नाव का बताया गया है।
उन्नाव में एक परिवार को अपनी जमीन पर पुलिस चौकी बनाने का विरोध करना भारी पड़ गया,
विरोध करने पर पुलिस ने घर में घुसकर जरूरी कागज अपने साथ ले गई पुलिस, माखी थानाक्षेत्र के चकलवंशी कस्बे का मामला,घटना@yadavakhileshpic.twitter.com/VSNlPAh3bp
Patrika Uttar Pradesh के यूट्यूब चैनल पर भी हमें यहीं वीडियो मिला। वीडियो के डिस्क्रिप्शन से पुष्टि होती है कि ये हाथरस का नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश के सफीपुर थाना क्षेत्र का है। सफीपुर थाना उन्नाव जिले में आता है, न कि हाथरस में।
पत्रिका वेबसाइट की ही एक अन्य रिपोर्ट से पता चलता है कि पुलिस दलित परिवार के घर पर चौकी बनाना चाहती थी। परिवार जब कोर्ट से इस मामले में स्टे लेकर आ गया। तब गुस्साई पुलिस ने घर में घुसकर दस्तावेज जब्त कर लिए और महिलाओं से बदसलूकी की। इन सबसे स्पष्ट है कि यूपी के ही उन्नाव में पुलिस और दलित परिवार के बीच चल रहे जमीनी विवाद के वीडियो को गलत दावे के साथ हाथरस का बताकर शेयर किया जा रहा है।
याद करिए वो दौर, जब लॉकडाउन के सन्नाटे में सिर पर बैग रखे, कमर पर बच्चों को टिकाए लोग चले जा रहे थे। इस चिंता से दूर कि वो जहां जा रहे हैं, वहां तक पहुंचने में कितने दिन लगेंगे। बस चिंता थी तो पेट भरने की। इस उम्मीद में निकल रहे थे कि आज भूखे चल पड़ेंगे तो कल अपने गांव-घर पहुंचकर खाना मिल ही जाएगा। इनकी कोई खास पहचान तो नहीं थी। बस इन्हें प्रवासी मजदूर कहा जा रहा था।
ज्यादातर प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के थे। क्योंकि, इसी साल बिहार में चुनाव भी होने हैं, तो लगा तो था कि चुनाव में मुद्दा बनेगा, लेकिन ऐसा अभी तक तो नहीं दिख रहा है। उस समय राज्य सरकारों ने वादा तो किया था कि जो प्रवासी मजदूर लौट रहे हैं, उन्हें अपने राज्य में ही रोजगार दिया जाएगा। लेकिन, क्या वाकई ऐसा हुआ है। इसे जानने के लिए हमने लॉकडाउन में अपने घर लौटकर आए लोगों से बात की।
15 लाख से ज्यादा मजदूर लौटे थे बिहार
सितंबर में जब संसद शुरू हुई तो लोकसभा में प्रवासी मजदूरों के डेटा को लेकर सवाल पूछा गया था। इसका जवाब श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष सिंह गंगवार ने दिया। जवाब के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान 1.04 करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे थे। इनमें सबसे ज्यादा 32.49 लाख मजदूर उत्तर प्रदेश और 15 लाख मजदूर बिहार लौटकर आए थे।
बिहार से कितने लोग पलायन करते हैं, इसका सबसे ताजा डेटा 2011 का है। इस डेटा के मुताबिक, उस समय तक 2.72 करोड़ से ज्यादा लोग पलायन कर चुके थे। इनमें से 7 लाख से ज्यादा रोजगार की वजह से बिहार छोड़ने को मजबूर हुए थे। जबकि, 2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने शादी की वजह से बिहार छोड़ा था। हालांकि, इनमें से 98% से ज्यादा महिलाएं ही थीं।
हर 5 साल में सरकार तो बनती है, लेकिन रोजगार नहीं मिलता
गया, नवादा, बिहार शरीफ, औरंगाबाद, जहानाबाद और अरवल जैसे जिलों में जब रोजगार को लेकर युवाओं से बात की गई, तो कई बातें सामने आईं। नरेश सिंह, बब्बन शर्मा, राजेश यादव और दिनेश दांगी जहानाबाद के रहने वाले हैं। चारों गुजरात की एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन में वापस लौट आए हैं।
चारों का कहना है, कपड़ा फैक्ट्री में हममें से कोई चेकर, कोई सुपरवाइजर तो कोई मैकेनिक सुपरवाइजर था। हम सभी ये सोचकर लौटे थे कि यहीं आसपास कोई अच्छा काम मिल जाएगा, पर ऐसा अब तक कुछ भी नहीं हुआ। इनका कहना है कि बेशक विधानसभा चुनाव हर 5 साल में आता है और जैसे-तैसे नई सरकार भी बन जाती है, पर जो भी पार्टी सत्ता में अब तक रही है, वो रोजगार दिलाने के फ्रंट पर नाकाम ही रही है।
गया के ही रहने वाले सचिन सिंह, राजेश सिंह, रोशन महतो, जीवन मिश्रा चंडीगढ़ में इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनी में काम करते थे। वो बताते हैं, हम लॉकडाउन में घर लौटे थे और अभी तक इसी आस में हैं कि जल्द ही कुछ होगा। हम सभी आईआईटी पास हैं, पर हमारे लिए यहां कोई काम नहीं है। हमारे यहां सरकार बिजली, पानी, सड़क में ही सिमट कर रह गई, जबकि पंजाब की सरकार इससे काफी आगे बढ़ चुकी है।
दूसरे राज्यों में प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले युवा कहते हैं, बिहार में एक भी ऐसा इलाका नही है, जिसे राज्य या राष्ट्रीय स्तर के औद्योगिक क्षेत्र के नाम से जाना जाता हो और वहां हजारों युवा काम करते हों।
राजेश सिन्हा, धनेश चंद्रवंशी, विशेष चंद्रवंशी और राजीव सिंह बिहार शरीफ के रहने वाले हैं। इनका कहना है, लालू राज से लेकर नीतीश राज तक, हर सरकार में यही हाल रहा है। हालांकि, वो ये भी कहते हैं कि नीतीश सरकार में स्किल डेवलपमेंट पर खासा जोर दिया गया है, लेकिन इससे रोजगार नहीं मिलता न। स्किल डेवलपमेंट सेंटर से युवाओं में स्किल तो आ जाती है, लेकिन जब राज्य में इंडस्ट्रीज और फैक्ट्रीज ही नहीं हैं, तो रोजगार कहां से मिलेगा?
गया जिले के धर्मेंद्र तांती, दिनेश रजवार, अंशु पाठक, ज्ञानेश शर्मा बताते हैं कि जब लॉकडाउन लगा था, तो सरकार की तरफ से रोजगार सृजन के लिए हर जिले को 50 लाख रुपए मिले थे। इन पैसों से युवाओं को रोजगार दिलाने की योजना थी, पर अब तक ये ग्राउंड पर नहीं आ सकी है।
बिहार सरकार के 2019-20 के इकोनॉमिक सर्वे में बिहार में बेरोजगारी दर के आंकड़े दिए गए थे। हालांकि, ये आंकड़े 2017-18 के थे। इन आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 6.8% और शहरी इलाकों में 9% थी। जो नेशनल एवरेज से कहीं ज्यादा थी। देश में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 5.3% थी, जबकि शहरी इलाकों में 7.7% थी। इन आंकड़ों की माने तो सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर के मामले में बिहार टॉप-10 राज्यों में था।
तो क्या वोट डालेंगे ये लोग?
जब खुद युवाओं का कहना है कि सरकारें रोजगार मुहैया करने में नाकाम रही हैं, तो सवाल उठता है कि क्या ये लोग वोट करेंगे? इस पर कुछ युवाओं का कहना है, जो सरकार या नेता अब तक रोजगार दिलाने में नाकाम ही रहे हैं, तो ऐसे में उनके लिए वोट करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
कुछ युवा ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि जब वोटिंग की तारीख आएगी, तब तक वो अपने काम के सिलसिले में यहां से जा चुके होंगे। हालांकि, राजेश विश्वकर्मा जैसे कुछ युवा ऐसे भी हैं जो जातीय समीकरण का हवाला देते हुए वोट डालने की बात करते हैं।
कोरोना दो तरह से दिमाग को नुकसान पहुंचा रहा है। पहला, यह मरीजों में दिमाग तक अपना असर छोड़ रहा है, उनमें सिरदर्द के मामले सामने आ रहे हैं। दूसरा, उन लोगों में तनाव और डिप्रेशन के मामले बढ़ रहे हैं जो संक्रमण से डर रहे हैं, कोरोना के कारण नौकरी जाने से परेशान हैं और महामारी में अकेले पड़ गए हैं।
स्मार्ट हेल्थकेयर प्लेटफार्म GOQii की हालिया रिसर्च बताती है, देश में कोरोना के आने के बाद 43 फीसदी आबादी डिप्रेशन से जूझ रही है। यह रिसर्च 10 हजार भारतीयों पर की गई है। आज वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे है। कोरोनाकाल में यह समझें कि वायरस कैसे दिमाग पर असर छोड़ रहा है और मेंटल डिसऑर्डर से कैसे निपटें...
कोरोनाकाल में दो तरह से मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना जरूरी
पहला : कोरोना दिमाग के लिए कितना खतरनाक, इन 4 पॉइंट्स से समझें
1. नाक के जरिए दिमाग तक पहुंचकर अपनी संख्या बढ़ा सकता है कोरोना
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च कहती है, कोरोनावायरस ब्रेन में पहुंचकर अपनी संख्या बढ़ा सकता है और मस्तिष्क में ऑक्सीजन का लेवल घटा सकता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, कोलकाता के वैज्ञानिकों का कहना है, कोरोना नाक के जरिए ब्रेन के उस हिस्से तक पहुंच सकता है जो सांस लेने की क्षमता को कंट्रोल करता है। दुनियाभर में कोरोना के सैकड़ों ऐसे मामले आए हैं, जिनमें कोरोना का असर सीधे तौर पर दिमाग पर देखा गया है।
2. मरीज अपना नाम तक नहीं बता पाया, जांच में ब्रेन स्ट्रोक की पुष्टि हुई
अमेरिका में मार्च में कोरोना का चौकाने वाला मामला आया। खांसी-बुखार के लक्षणों के बाद 74 साल के शख्स को अस्पताल लाया गया। सांस लेने में तकलीफ इतनी बढ़ी कि वो अपना नाम तक नहीं बता पा रहा था। हाथ-पैर को मूव करने में दिक्कत हो रही थी। डॉक्टरों ने दिमाग की जांच कि तो पाया उसे ब्रेन स्ट्रोक भी हुआ था।
3. संक्रमण के बाद सिरदर्द शुरू हुआ, जांच में दिमागी सूजन कन्फर्म हुई
अमेरिका के मिशिगन में एयरलाइन में काम करने वाली 50 साल एक महिला को संक्रमण हुआ। उसे तेज सिरदर्द का लक्षण दिखा। डॉक्टर से बातचीत करते हुए उसकी बोलने की रफ्तार धीरे-धीरे कम हो गई। ब्रेन स्कैनिंग की गई तो पता चला दिमाग के कई हिस्सों में सूजन है। डॉक्टरों ने इसे 'एक्यूट नेक्रोटाइजिंग एनसेफेलोपैथी' का नाम दिया।
हेनरी फोर्ड हेल्थ सिस्टम की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एजिसा फोरे के मुताबिक, संक्रमण के बाद कुछ दिनों में दिमाग में सूजन आती है और लगातार बनी रहती है। ऐसे मामले सामने आए हैं। यह मामला भी बताता है कि दुर्लभ स्थिति में कोरोनावायरस दिमाग को भी भेद सकता है।
4. कोरोना के मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक, दिमाग में खून के थक्के जमने के लक्षण भी दिखे
इटली की ब्रेसिका यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटल के डॉ. एलेसेंड्रो पेडोवानी कहते हैं, संक्रमण के बाद कोरोना पीड़ितों में मस्तिष्क से जुड़े लक्षण दिख रहे हैं। इनमें ब्रेन स्ट्रोक, दिमागी दौरे, एनसिफेलाइटिस के लक्षण, दिमाग में खून के थक्के जमना, सुन्न हो जाना जैसी स्थितियां शामिल हैं। कुछ मामलों में कोरोना का मरीज बुखार और सांस में तकलीफ जैसे लक्षण दिखने से पहले ही बेसुध हो जाता है। ऐसे लक्षण दिखने पर अलर्ट हो जाएं।
दूसरा : घर में रह रहे डिप्रेशन, स्ट्रेस और बेचैनी से ऐसे निपटें
1. कोरोनाकाल में क्यों बढ़ा स्ट्रेस और डिप्रेशन साइकोलॉजिस्ट डॉ. अनामिका पापड़ीवाल कहती हैं, कोरोनाकाल में डिप्रेशन और स्ट्रेस कई कारणों से बढ़ा है। किसी को संक्रमण का डर है तो किसी की नौकरी चली गई है। कोई घर के सदस्यों के पॉजिटिव आने के बाद तनाव में रहा। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लम्बे समय तक घर में रहने के कारण भी तनाव और स्ट्रेस से जूझते रहे। यह तनाव अभी भी पूरी तरह से मन से नहीं निकला है। इसलिए जब तक वैक्सीन नहीं है बचाव को ही वैक्सीन समझें और मन से डर को निकालें।
2. कैसे समझें मेंटल डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं
डॉ. अनामिका के मुताबिक, हर समय उदास रहना, काम में मन न लगना, भूख और प्यास का होश न रहना और हमेशा निगेटिव बातें करना मेंटल डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा हर चीज में कमी निकालना, अधिक समय तक सोना और अलग-थलग रहना जैसे लक्षणों से जूझ रहे हैं तो अलर्ट हो जाएं। फैमिली मेम्बर या कोई करीबी में ये लक्षण दिखते हैं तो मनोरोग चिकित्सक से सलाह लें।
3. मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के 5 तरीके
अपनों से बात करना न छोड़ें: घरवालों, दोस्तों, कलीग और रिश्तेदारों से दूरी न बनाएं। कॉलिंग, मैसेज, कॉन्फ्रेंसिंग की मदद से इनसे कनेक्ट रहें। डॉ. अनामिका कहती है, जब हम लोगों बात करते रहते हैं तो मन में नकारात्मक विचार कम पनपते हैं। तनाव और डिप्रेशन के मामले ज्यादातर अकेलापन महसूस करने के कारण सामने आते हैं।
खुद को व्यस्त रखें: मेंटल हेल्थ को बेहतर रखने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को उन कामों में व्यस्त रखें जो आपको करना पसंद है। जैसे- राइटिंग, गार्डनिंग, डांसिंग, वर्कआउट आदि। घर पर रहते हुए अपनी स्किल्स को तराशें ताकि दिमाग में नेगेटिव थॉट्स की एंट्री न हो सके।
अधूरे कामों को निपटाएं: डॉ. अनामिका कहती हैं, कोरोनाकाल में हजारों लोग बेरोजगार हुए हैं। ये तनाव से जूझ रहे हैं। इस समय ये ध्यान रखें कि एक रास्ता बंद हुआ लेकिन सबकुछ खत्म नहीं हुआ। दिमाग को शांत रखकर दूसरी नौकरी तलाशें। इस दौरान अपने अधूरे कामों को निपटाएं। इन दिनों ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी कमाई की जा सकती है, इसलिए घर में रहते हुए कुछ नया शुरू करने की कोशिश करें।
म्यूजिक सुनें: म्यूजिक उदास मन में एनर्जी भरने का काम करता है। यह रिसर्च में भी साबित हो चुका है। जब कभी भी तनाव या डिप्रेशन से जूझें तो बीच-बीच में म्यूजिक सुनें। यह मन में ऐसे हार्मोन को रिलीज करने में मदद करता जो आपको खुश रखते हैं।
हर वक्त घर में बंद रहना भी ठीक नहीं: कोरोनाकाल में पहली बार लोग इतने लम्बे समय तक घर में रहे हैं। मास्क लगातार सुबह वॉक के लिए जा सकते हैं। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें। सुबह की वॉक मन में ताजगी लाने का काम करेगी।
बिहार भारत के उन राज्यों में से एक है जिसे गठबंधन की राजनीति का सौभाग्य है। बिहार में बिना गठबंधन राजनीति नहीं होती है। जिस दल को गठबंधन का सौभाग्य प्राप्त नहीं होता वह टूटे तारे की तरह चुनावी आकाश में इस दिशा से उस दिशा की ओर गिरता नज़र आता है। गंभीर उसे ही माना जाता है जो गठबंधन करता है। गठबंधन स्टेटस सिंबल है।
अपनी पार्टी में होने से ज्यादा बड़ी बात है गठबंधन में होना। अलायंस अगर कहीं सायंस है तो वह बिहार है। बिहार में नेता अपना राजनीतिक दल बनाते हैं ताकि चुनाव आने पर गठबंधन करेंगे। यहां इतने नेता हो गए हैं कि एक दल में सब नहीं आ सकते। मगर किस्मत देखिए कि एक गठबंधन में सब आ जाते हैं।
गठबंधनों में भी कई तरह के गठबंधन होते हैं इसलिए उसे संभालने के लिए बिहार ने महागठबंधन को जन्म दिया। आशा है कि अगले चुनावों तक बिहार में महागठबंधन से भी आगे का कोई ब्रांड लांच होगा जिसका नाम होगा सुपर महागठबंधन। सुपर-डूपर महागठबंधन। गठबंधनों ने एक दूसरे को अवसरवादी कहना बंद कर दिया है।
उन्हें पता है यह अवसर ही है जो गठबंधनों को जोड़ता है। गठबंधनों से अवसरवाद का राजनीति में महत्व बढ़ा है। गठबंधन पवित्र होता है। गठबंधन अपवित्र होता है। एक गठबंधन की प्रेस वार्ता से नेता उठकर दूसरे में चले जाते हैं। गठबंधन में सिर्फ विश्वास नहीं होता बल्कि हर गठबंधन में अविश्वास भी होता है।
अविश्वास करते हुए सीट देते हैं। सब चाहते हैं कि उसे ज्यादा सीटें आएं। मगर चुनाव में जीत गठबंधन की हो। यानी गठबंधन में भीतर-भीतर एक-दूसरे की हार की कल्पना होती है मगर बाहर-बाहर गठबंधन के जीत की आशा होती है। गठबंधन के भीतर भी दल अपना अपना गठबंधन बनाते हैं। गठबंधन कभी पूरा नहीं होता है।
इसके बनने की संभावना और टूटने की आशंका में मुकाबला चलता रहता है। बिहार में दो तरह के गठबंधन हैं। एक गठबंधन का नाम बहुत बड़ा है। महागठबंधन। दूसरे का नाम बहुत छोटा है। राजग। राजग में बीजेपी और जदयू का गठबंधन है। लेकिन बीजेपी का भी अपना स्वतंत्र गठबंधन है। लोजपा के साथ।
चिराग नीतीश का विरोध कर रहे हैं मगर बीजेपी का साथ दे रहे हैं। बीजेपी कह रही है नीतीश ही सीएम बनेंगे और चिराग कह रहे हैं कि नीतीश को वोट मत दो। बीजेपी, चिराग को कुछ नहीं कहती क्योंकि चिराग पीएम के नेतृत्व से प्रेरित हैं। साथ रह कर लड़ने का फार्मूला कोई राजग से सीखे। नीतीश को सीएम बनने से रोकने वाले उन्हीं को सीएम बना रहे हैं। मेनिफस्टो पढ़ने में ही पूरा चुनाव बीत जाएगा
बिहार में गठबंधन कंफ्यूज़न का नाम नहीं है। गठबंधन ही तो मतदाता का इम्तहान है। मतदाता इसलिए मेनिफेस्टो नहीं पढ़ते। मेनिफेस्टो पढ़ने में ही चुनाव बीत जाएगा। आखिर वो किस-किस का मेनिफेस्टो पढें। पहले गठबंधन का मेनिफेस्टो फिर दलों का। फिर नेता का विज़न पत्र। चुनाव न हो गया है बोर्ड की परीक्षा हो गई है। मेनिफेस्टो रटने में ही चुनाव बीत जाएगा।
हर मतदाता के पास चुनाव की कुंजी है। कौन जीतेगा उसका विश्लेषण है। यहां की राजनीति समझने का एक ही फार्मूला है। अंदाज़ी-टक्कर। जिसका लह गया वो बाज़ी जीत गया। पब्लिक शर्त लगाने में व्यस्त है कि कौन पार्टी कब तक किस गठबंधन में रहेगी? किस गठबंधन का रिश्ता उस गठबंधन से है।
किस नेता का ससुराल उस गठबंधन के नेता के यहां है। गठबंधन स्थायी हो या अस्थायी, मतदाता को पता है कि वह स्थायी है। दल का फायदा भले हो जाए उसे नुकसान होना ही होना है। गठबंधन एक बस है। अगली बस छूट गई तो पिछली बस पकड़ लो।
रामविलास पासवान के निधन के बाद मोदी सरकार में भाजपा के अलावा NDA गठबंधन के सिर्फ रामदास अठावले (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया) बचे हैं। जबकि, केंद्रीय कैबिनेट में तो भाजपा से बाहर का कोई नहीं है, क्योंकि अठावले भी राज्य मंत्री (मिनिस्टर ऑफ स्टेट) हैं। उनके पास सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्य मंत्री की जिम्मेदारी है।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय कैबिनेट में शुरुआत में NDA गठबंधन से शिवसेना के अरविंद सावंत, शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल और लोकजनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान थे।
JDU केंद्र सरकार में शामिल नहीं, लेकिन समर्थन जारी
शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार के फॉर्मूले को लेकर पिछले साल ही NDA से अलग हो गई थी। अकाली दल ने पिछले महीने किसान बिलों के विरोध में सरकार का साथ छोड़ दिया था। इससे पहले अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट में फूड प्रोसेसिंग मिनिस्टर का पद छोड़ दिया था। नीतीश कुमार की पार्टी JDU का कोई सदस्य मोदी कैबिनेट में नहीं है, लेकिन NDA का हिस्सा होने के नाते सरकार को समर्थन जारी रखा है।
मोदी कैबिनेट में 24 मंत्रियों ने शपथ ली थी, अब 21 रह गए
पिछले साल 30 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा 57 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इनमें 24 कैबिनेट मिनिस्टर, 9 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 24 राज्य मंत्री शामिल थे। अरविंद सावंत, हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे और रामविलास पासवान के निधन के बाद अब 21 कैबिनेट मंत्री बचे हैं। रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी के निधन के बाद राज्य मंत्रियों की संख्या 24 से घटकर 23 रह गई है।
from Dainik Bhaskar /national/news/narendra-modi-nda-cabinet-minister-after-ram-vilas-paswan-death-only-ramdas-athawale-in-national-democratic-alliance-127798922.html
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देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 69.77 लाख हो गया है। यह आज 70 लाख के पार हो जाएगा, लेकिन राहत की बात है कि एक्टिव केस घटकर नौ लाख से कम हो गए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि नए केस से ठीक हो रहे मरीजों का आंकड़ा लगातार ऊपर बना हुआ है। शुक्रवार को देश में 73 हजार 220 नए केस आए, जबकि 82 हजार 292 मरीज ठीक हो गए। यह लगातार 20वां दिन था, जब नए केस 90 हजार से नीचे रहे। इससे पहले 16 सितंबर को नए केस का आंकड़ा 97 हजार 860 के पीक तक गया था।
17 अक्टूबर से तेजस एक्सप्रेस चलाई जाएगी
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- तेजस एक्सप्रेस 17 अक्टूबर से फिर से चलाई जाएगी। हाई स्पीड ट्रेन लखनऊ-नई दिल्ली और अहमदाबाद-मुंबई के बीच चलती है। यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए मुंबई में अंधेरी में एक अतिरिक्त ठहराव होगा। सफर के दौरान यात्रियों को मास्क और फेस शील्ड पहनना होगा। आरोग्य सेतु ऐप रखना भी जरूरी होगा। सभी यात्रियों को कोविड-19 सुरक्षा किट भी दी जाएगी। इसमें हैंड सैनिटाइजर, मास्क, ग्लव्स और फेस शील्ड होगा।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
शुक्रवार को 1607 केस आए, 2200 मरीज ठीक हुए, जबकि 27 संक्रमितों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 43 हजार 629 केस आ चुके हैं, 1 लाख 24 हजार 887 लोग ठीक हो चुके हैं, 16 हजार 168 संक्रमितों का इलाज चल रहा है, जबकि 2574 मरीजों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
शुक्रवार को 2180 केस आए, 2148 मरीज ठीक हुए, जबकि 16 मरीजों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 54 हजार 785 केस आ चुके हैं। 1 लाख 31 हजार 766 मरीज ठीक हो चुके हैं, 21398 का इलाज चल रहा है, जबकि 1621 मरीज जान गंवा चुके हैं। राज्य में अब तक 33.11 लाख से ज्यादा टेस्टिंग हो चुकी है।
3. बिहार
शुक्रवार को 1155 केस आए, 1424 लोग ठीक हुए और 5 की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 93 हजार 826 केस आ चुके हैं। इनमें से 1 लाख 81 हजार 781 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 934 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। 11 हजार 110 मरीजों का इलाज चल रहा है।
4. महाराष्ट्र
गुरुवार को 13 हजार 397 केस आए, 15 हजार 575 मरीज ठीक हुए और 358 की मौत हो गई। राज्य में अब तक 14 लाख 93 हजार 884 केस आ चुके हैं। इनमें से 12 लाख 12 हजार 16 ठीक हो चुके हैं, 2 लाख 41 हजार 986 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 39 हजार 430 मरीजों की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
शुक्रवार को 3207 केस आए, 4424 मरीज ठीक हो गए, 48 की मौत हो गई। राज्य में अब तक 4 लाख 30 हजार 666 केस आ चुके हैं, 3 लाख 83 हजार 86 मरीज ठीक हो चुके हैं, 41 हजार 287 का इलाज चल रहा है, जबकि 6293 की मौत हो चुकी है।
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के चिनगाम इलाके में सुरक्षाबलों ने शनिवार को 2 आतंकी मार गिराए। उनके पास एक M4 राइफल और एक पिस्टल मिली है। आतंकियों के छिपे होने के इनपुट पर सिक्योरिटी फोर्सेज ने शुक्रवार रात सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। इस दौरान आतंकियों ने फायरिंग कर दी तो एनकाउंटर शुरू हो गया।
एक हफ्ते में 7 आतंकी ढेर
बुधवार को शोपियां जिले के सगुन इलाके में सुरक्षाबलों ने 3 आतंकी मार गिराए थे। एनकाउंटर 16 घंटे चला था। इससे पहले पुलवामा जिले के अवंतीपोरा के संबूरा इलाके में 27 सितंबर को 2 आतंकी मारे गए थे।
from Dainik Bhaskar /national/news/two-terrorists-eliminated-in-chingam-area-of-kulgam-district-m4-rifle-one-pistol-recovered-127798851.html
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आज का दिन भारत के लिए बेहद खास है। बचपन बचाओ आंदोलन चलाने वाले कैलाश सत्यार्थी को शांति के नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। भले ही उन्होंने पाकिस्तान की मलाला युसूफजई के साथ यह पुरस्कार साझा किया था, लेकिन इससे भारत में बाल अधिकारों के लिए किए गए उनके कामों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली थी।
कैलाश सत्यार्थी का जन्म मध्य प्रदेश के विदिशा में 11 जनवरी 1954 को हुआ। पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर रहे कैलाश सत्यार्थी ने 26 वर्ष की उम्र में ही करियर छोड़कर बच्चों के लिए काम करना शुरू किया था उन्होंने चाइल्ड लेबर के खिलाफ अभियान चलाया और हजारों बच्चों की जिंदगियों को बचाया।
वे ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर के अध्यक्ष भी रहे हैं। सत्यार्थी पर चाइल्ड लेबर को छुड़ाने के दौरान कई बार जानलेवा हमले भी हुए हैं। 2011 में दिल्ली की कपड़ा फैक्ट्री पर छापे के दौरान और 2004 में ग्रेट रोमन सर्कस से बाल कलाकारों को छुड़ाने के दौरान उन पर हमले हुए थे।
नोबेल से पहले उन्हें 1994 में जर्मनी का द एयकनर इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड, 1995 में अमेरिका का रॉबर्ट एफ कैनेडी ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड, 2007 में मेडल ऑफ इटेलियन सीनेट और 2009 में अमेरिका के डिफेंडर्स ऑफ डेमोक्रेसी अवॉर्ड सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड मिल चुके हैं।
1967: आउटर स्पेस ट्रीटी लागू हुई
आउटर स्पेस ट्रीटी को हिंदी में बाह्य अंतरिक्ष संधि भी कहा जाता है। यह ट्रीटी 27 जनवरी, 1967 को अमेरिका, सोवियत संघ और ब्रिटेन के बीच हुई और आउटर स्पेस में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को रोकने के लिए की गई थी। इस समझौते पर 105 देशों ने दस्तखत किए हैं। यह 10 अक्टूबर 1967 से लागू हुई थी।
दिसंबर-1966 में यूएन महासभा की ओर से मंजूर ट्रीटी की शर्तों के अनुसार बाहरी अंतरिक्ष पर किसी भी देश का अधिकार नहीं है। सभी देशों को अंतरिक्ष अनुसंधान की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है। इस ट्रीटी पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देश आउटर स्पेस का इस्तेमाल केवल शांति से जुड़े कामों के लिए कर सकते हैं। चांद तथा दूसरे ग्रहों पर किसी भी तरह सैनिक केंद्रों की स्थापना नहीं की जा सकेगी।
1964: एशिया में पहली बार ओलिंपिक खेलों की शुरुआत
एशिया में पहले ओलिंपिक्स 1964 में टोक्यो में 10 अक्टूबर को शुरू हुए थे। दूसरे विश्वयुद्ध की भयावहता को याद करने के लिए 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा में जन्मी योशिनोरी सकाई को मशाल जलाने के लिए चुना गया था। हिरोशिमा में 6 अगस्त 1945 को ही परमाणु बम फेंका गया था। टोक्यो ओलिंपिक पहले ऐसे ओलिंपिक रहे, जिनका प्रसारण सैटेलाइट का इस्तेमाल करते हुए अमेरिका और यूरोप में किया गया। पहली बार कुछ खेलों का रंगीन प्रसारण शुरू हो सका था।
आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः
1846ः ब्रिटिश एस्ट्रोनॉमर विलियम लासेल ने नेपच्यून के नेचुरल सैटेलाइट की खोज की।
1865ः जॉन वेल्से हयात ने बिलियर्ड बॉल का पेटेंट हासिल किया।
1893ः पहली कार नंबर प्लेट फ्रांस के पेरिस में देखी गई।
1910ः वाराणसी में मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में पहला अखिल भारतीय हिन्दी सम्मेलन आयोजित हुआ।
1954ः भारतीय फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रेखा का जन्म।
1970ः फिजी को ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली ।
1978ः रोहिणी खादिलकर राष्ट्रीय चेस प्रतियोगिता जीतने वाली प्रथम महिला बनीं।
1986ः सैन सल्वाडोर में 7.5 तीव्रता वाले भूकंप में 1,500 लोगों की मौत हुई।
1990ः अमेरिका का 67वां मानव अंतरिक्ष मिशन डिस्कवरी-11 अंतरिक्ष से लौटा।
2005ः एंजेला मार्केल जर्मनी की पहली महिला चांसलर बनीं।
2010ः प्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह का मुम्बई में निधन।
2015ः तुर्की के अंकारा में एक शांति रैली में बम विस्फोट से कम से कम 95 लोग मारे गए और 200 घायल हुए।
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कोरोना के कारण इस बार गुजरात में गरबा महोत्सव नहीं होगा। राज्य सरकार ने इजाजत नहीं दी। पंडालों में सिर्फ मूर्ति स्थापित करके पूजा-आरती हो सकती है। वहीं, देश में लगातार तीन हफ्ते हो चुके हैं, जब नए संक्रमितों से ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 2 इवेंट्स पर रहेगी नजर
1. IPL में आज डबल हेडर मुकाबले। किंग्स इलेवन पंजाब का मुकाबला कोलकाता नाइटराइडर्स से अबु धाबी में होगा। टॉस दोपहर तीन बजे और मैच साढ़े तीन बजे से शुरू होगा। दूसरा मुकाबला चेन्नई सुपरकिंग्स और रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु के बीच दुबई में होगा। टॉस शाम सात बजे और मैच साढ़े सात बजे से शुरू होगा।
2. रिपब्लिक टीवी के CFO शिवा सुंदरम को मुंबई पुलिस ने तलब किया है। उन्हें आज सुबह 11 बजे क्राइम ब्रांच के सामने पेश होने को कहा गया है।
अब कल की 6 महत्वपूर्ण खबरें
1. आज से काउंटर पर और ऑनलाइन हो सकेगी रेलवे टिकट बुकिंग
रेलवे ने टिकट बुकिंग के लिए 10 अक्टूबर से प्री-कोविड सिस्टम लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत ट्रेन के स्टेशन से छूटने से पांच मिनट पहले भी टिकट बुक किया जा सकेगा। रेलवे ने महामारी को देखते हुए नियमित ट्रेनों को बंद कर दिया था। इस समय सिर्फ स्पेशल ट्रेनें ही चलाई जा रही हैं। 10 अक्टूबर से डिपार्चर से आधा घंटा पहले दूसरा रिजर्वेशन चार्ट बनाया जाएगा।
भारत के आईपीएल की तर्ज पर पाकिस्तान ने पीएसएल शुरू की थी। इसकी एक टीम लाहौर कलंदर्स ने अपने प्रोग्राम में गेंदबाज मुदस्सर गुज्जर को शामिल किया है। उनका कद 7 फीट 6 इंच है। यह जानकारी पाकिस्तान के स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट साज सादिक ने दी है। इससे पहले मोहम्मद इरफान (7 फीट 1 इंच) पाकिस्तान की ओर से 60 वनडे खेल चुके हैं। उनके नाम 83 विकेट दर्ज है।
पप्पू यादव एक बार विधायक और 5 बार सांसद रहे हैं। वो पहले राजद में थे, लेकिन 2015 में उन्होंने जन अधिकार नाम से अपनी पार्टी बना ली। चर्चा है कि पप्पू यादव मधेपुरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। पप्पू ने 2019 में मधेपुरा से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए थे। उन पर हत्या-किडनैपिंग जैसे 31 केस दर्ज हैं। पप्पू यादव की लव स्टोरी भी बड़ी दिलचस्प है और किसी फिल्मी कहानी से कम भी नहीं है।
हाथरस गैंगरेप मामले में नया खुलासा हुआ। भाजपा सांसद राजवीर दिलेर की बेटी मंजू दिलेर ने हाथरस की घटना के बाद डीजीपी एचसी अवस्थी को चिट्ठी लिखी थी। मंजू ने कहा था कि पीड़ित से दुष्कर्म और हत्या की कोशिश की वारदात में 5 लोग शामिल थे, लेकिन पुलिस ने सिर्फ एक के खिलाफ FIR दर्ज की है। मंजू ने SHO को सस्पेंड करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी।
5. कहानी 74 साल के बुजुर्ग की, जिसने पत्नी के लिए घर को हॉस्पिटल में तब्दील किया
टि्वटर पर एक 74 बरस के बुजुर्ग ने एक फोटो शेयर की, जिसमें वो अपनी 72 साल की पत्नी की सेवा करते दिख रहे थे। उन्होंने पत्नी के लिए घर को हॉस्पिटल में बदल दिया। यहां ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर वेंटीलेटर तक सबकुछ मौजूद था। इसका मैनेजमेंट भी वही कर रहे हैं। वह कोई डॉक्टर नहीं, बल्कि एक रिटायर्ड इंजीनियर हैं। नाम है ज्ञान प्रकाश, मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहते हैं।
मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गुरुवार को कहा कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) इंडिया के डिवाइस में छेड़छाड़ कर टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) बढ़ाए जा रहे हैं। उन्होंने रिपब्लिक समेत कुछ चैनल्स के नाम भी लिए। हालांकि, रिपब्लिक टीवी का दावा है कि एफआईआर में उसका नहीं बल्कि इंडिया टुडे का नाम है। जानिए क्या है टीआरपी?
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