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अर्जेंटीना के स्टार फुटबॉलर लियोनल मेसी ने शनिवार को एक बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली। उन्होंने एक क्लब के लिए खेलते हुए सबसे ज्यादा 643 गोल के मामले में ब्राजीलियन लेजेंड पेले की बराबरी कर ली है।
मेसी ने स्पेनिश क्लब बार्सिलोना के लिए अब तक 748 मैच में 643 गोल दागे हैं। इस दौरान उन्होंने 278 गोल असिस्ट भी किए। पेले ने मेसी को इस रिकॉर्ड के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि वे भी मेसी के बहुत बड़े फैन हैं।
👑 𝐊𝐈𝐍𝐆𝐒 🤴
Leo #Messi equals @Pele as the all time top goalscorer for one club WITH 643 goals! 🐐
सांतोस क्लब के लिए पेले ने 656 मैच खेले
वहीं, पेले ने ब्राजील के क्लब सांतोस के लिए 15 साल की उम्र में 1956 से खेलना शुरु किया था। उन्होंने क्लब के लिए 1974 तक 656 मैच खेले और 643 गोल दागे। पेले के ओवरऑल गोल को देखे जाएं तो उन्होंने 767 मैच में 831 गोल किए हैं। इसमें अपने देश ब्राजील के लिए उन्होंने 92 मैच में 77 गोल दागे हैं। नेशनल टीम के लिए पेले ने 16 साल की उम्र में खेलना शुरू किया था।
मेसी ने वेलेंसिया के खिलाफ एक गोल दागा
मेसी ने स्पेनिश टूर्नामेंट ला लिगा में शनिवार देर रात वेलेंसिया टीम के खिलाफ एक गोल दागा। इसी के साथ पेले के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। हालांकि, मेसी अपनी टीम बार्सिलोना को जिता नहीं सके। यह मैच 2-2 से ड्रॉ हुआ।
बार्सिलोना को मेसी ने 34 खिताब जिताए
मेसी ने बार्सिलोना के लिए 18 साल की उम्र में 16 अक्टूबर 2004 को डेब्यू किया था। तब से अब तक उन्होंने टीम को 10 ला लिगा और 4 UEFA चैम्पियंस लीग समेत 34 खिताब जिताए हैं। मेसी ने 2017 में कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया था, जो जून 2021 में खत्म होगा।
700 गोल करने वाले दुनिया के 7वें खिलाड़ी
मेसी 30 जून को ही 700 से ज्यादा गोल करने वाले दुनिया के 7वें खिलाड़ी बने हैं। इसमें अपने देश अर्जेंटीना के लिए किए गए 70 गोल भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा 805 गोल का रिकॉर्ड ऑस्ट्रिया के जोसेफ बिकन के नाम है।
केरल में कोरोना संक्रमण की रफ्तार काबू नहीं हो पा रही है। यहां हर दिन 5-6 हजार केस आ रहे हैं। शनिवार को 6293 नए मरीज मरीज मिले, 4749 ठीक हो गए और 29 की मौत हुई। इस तरह इलाज करा रहे मरीजों की संख्या, यानी एक्टिव केस में 1515 की बढ़ोतरी दर्ज की गई। यहां अभी 60 हजार 410 मरीजों का इलाज चल रहा है। इस मामले में यह आज महाराष्ट्र को पीछे छोड़ सकता है। महाराष्ट्र में कुल 61 हजार 95 एक्टिव केस हैं। महाराष्ट्र में शनिवार को 3940 केस आए।
देश की बात करें तो शनिवार को 26 हजार 834 संक्रमितों की पहचान हुई, 29 हजार 758 ठीक हो गए और 342 की मौत हुई। अब तक कुल 1 करोड़ 31 हजार केस आ चुके हैं। इनमें से 95.79 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं और 1.45 लाख की मौत हो चुकी है। 3.03 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है।
कोरोना अपडेट्स
बीते नौ महीनों में रेलवे के करीब 30 हजार कर्मचारी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें फ्रंटलाइन में काम करने वाले 700 कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने शनिवार को यह जानकारी दी।
जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी (JNU) कैंपस चौथे फेज में 21 दिसंबर से स्टूडेंट्स के लिए खुल जाएगा। दूसरे शहर से पहुंचने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी में क्लास अटेंड करने से पहले 7 दिन तक क्वारैंटाइन होना पड़ेगा। फेज-4 में PWD-Ph.D साइंस स्टूडेंट्स के लिए खुलेगा।
कर्नाटक के एजुकेशन मिनिस्टर एस सुरेश कुमार ने कहा कि राज्य में 10वीं और 12वीं के क्लासेज 1 जनवरी से शुरू हो जाएंगे। स्टूडेंट्स को स्कूल जाने के लिए अपने पैरेंट्स से लिखित अनुमति लेनी होगी। क्लास 6 से 9वीं तक विद्यागम प्रोग्राम भी एक जनवरी से शुरू हो जाएगा।
भारत में जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अगले कुछ हफ्ते में कुछ वैक्सीन को इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूवल मिल सकता है। दो कंपनियां इसके लिए आवेदन कर चुकी हैं। छह क्लीनिकल ट्रायल के एडवांस स्टेज में हैं।
केंद्र सरकार के फाइनेंस मिनिस्ट्री के सूत्रों ने बताया है कि अगस्त तक 30 करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन पर केंद्र सरकार 13 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। पहले फेज का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।
5 राज्यों का हाल
1. दिल्ली
यहां शनिवार को 1139 कोरोना मरीज मिले। 2168 लोग ठीक हुए और 32 की मौत हो गई। अब तक 6 लाख 15 हजार 914 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 5 लाख 59 हजार 305 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 10 हजार 251 मरीजों की मौत हो चुकी है। 10 हजार 358 का इलाज चल रहा है।
2. मध्यप्रदेश
यहां शनिवार को 1085 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 1410 लोग ठीक हुए और 15 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 30 हजार 215 संक्रमितों की पहचान हो चुकी है। इनमें से 2 लाख 15 हजार 211 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 11 हजार 536 मरीजों का इलाज चल रहा है। इस महामारी से 3468 मरीजों की मौत हो चुकी है।
3. गुजरात
यहां शनिवार को 1026 लोग संक्रमित पाए गए। 1252 लोग ठीक हुए और सात की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 34 हजार 289 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 2 लाख 18 हजार 35 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 12 हजार 27 मरीजों का इलाज चल रहा है। कुल 4227 लोगों की मौत हो चुकी है।
4. राजस्थान
राज्य में शनिवार को 989 नए कोरोना संक्रमित पाए गए। 1259 लोग ठीक हुए और नौ की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 98 हजार 18 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 2 लाख 82 हजार 631 ठीक हो चुके हैं, जबकि 2608 मरीजों की मौत हो चुकी है। 12 हजार 779 मरीजों का इलाज चल रहा है।
5. महाराष्ट्र
यहां शनिवार को 3940 कोरोना संक्रमित पाए गए। 3119 लोग ठीक हुए और 74 की मौत हो गई। अब तक 18 लाख 92 हजार 707 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 17 लाख 81 हजार 841 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 48 हजार 648 मरीजों की मौत हो चुकी है। 61 हजार 95 मरीजों का इलाज चल रहा है।
उत्तर से आ रही बर्फीली हवाओं ने अब मैदानी इलाकों को भी कंपकंपाना शुरू कर दिया है। राजस्थान के माउंट में लगातार छठे दिन बर्फ जमी रही। यहां तापमान माइनस 1.4 डिग्री दर्ज किया गया।
चूरू में पारा माइनस 0.1 डिग्री रिकॉर्ड हुआ। देश के सबसे ज्यादा ठंडे शहरों में 5 मध्यप्रदेश के शामिल हैं। एमपी की राजधानी भोपाल में भी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इसके अलावा बिहार के 26 जिलों में मौसम विभाग ने शीतलहर का अलर्ट जारी किया है। कड़कड़ाती ठंड पर पढ़िए सात राज्यों से रिपोर्ट...
मध्यप्रदेश: भोपाल सहित पूरा प्रदेश सर्दी से ठिठुरा
उत्तर पूर्व से मध्यप्रदेश की तरफ आ रही बर्फीली हवाओं से राजधानी भोपाल समेत पूरा प्रदेश ठिठुर गया है। यहां शीतलहर जैसी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। भोपाल में रात का तापमान 6.6 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4.4 डिग्री कम रहा। यहां 0.1 डिग्री तापमान और कम होता तो शीतलहर मानी जाती। हालात यह हैं कि देश के 40 सबसे ठंडे शहरों में एमपी के 5 शहर शामिल हैं। जबलपुर, सागर और गुना जिलों में शीतलहर चली, धार और राजगढ़ जिलों में कोल्ड डे रहा।
राजस्थान: माइनस में गया पारा, पड़ रही कड़कड़ाती ठंड
राजस्थान में लगातार तीसरे दिन रात का पारा माइनस में दर्ज हुआ। माउंट आबू में न्यूनतम तापमान -1.4 डिग्री और चूरू में - 0.1 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 48 घंटे में घना कोहरा छाने के आसार हैं। ज्यादातर शहरों में पिछले 24 घंटे में अधिकतम तापमान 4 से 5 डिग्री बढ़ा। हालांकि, रात होते-होते गलन महसूस होने लगी।
बिहार: पटना में पारा 6 डिग्री लुढ़का पारा
पटना सहित बिहार के 26 जिलों में शीतलहर का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र पटना ने अगले दो दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान ठंड से बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतने की चेतावनी दी गई है। इसके अलावा पटना सहित कई शहरों में कोल्ड डे जैसे हालात भी बन रहे हैं। मौसम का मिजाज यूं ही बना रहा और अधिकतम तापमान में थोड़ी और गिरावट आई, तो कोल्ड डे घोषित हो सकता है। उत्तर पश्चिम और पश्चिम की ओर से चलने वाली सर्द हवाएं बिहार में प्रवेश कर गई हैं, जिनकी रफ्तार 15 से 20 किमी प्रतिघंटे तक है।
नई दिल्ली: NCR में टूटा 10 साल का रिकॉर्ड
दिल्ली एनसीआर में ठंड का कहर रुक नहीं रहा। शुक्रवार को दिल्ली एनसीआर में ठंड ने 10 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। दिल्ली में 4 डिग्री न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। दिन में धूप खिलने के बाद भी सुबह और शाम को सर्दी ने लोगों को कंपा दिया। दिल्ली के लोधी रोड में सुबह मौसम विभाग ने 3,3 डिग्री सेल्सियस पारा दर्ज किया है, जो सामान्य तापमान से 4 डिग्री कम है। दिल्ली का औसत तापमान 3,9 दर्ज किया गया जो सामान्य से 4 डिग्री कम है। दिल्ली के आया नगर में 3.4, दिल्ली के सफदरजंग में 3.9, जाफरपुर में 4.6, पालम में 5.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
हिमाचल प्रदेश: ऊना में न्यूनतम तापमान शून्य पर पहुंचा
प्रदेश के 12 शहरों का तापमान जमाव बिंदु और उससे नीचे चला गया है। मनाली, केलांग, कल्पा, सुंदरनगर, मंडी, भुंतर, सोलन और चंबा में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। पिछली रात हिमाचल में सीजन की सबसे ठंडी रात रही। मौसम विभाग ने प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी और सिरमौर के कई क्षेत्रों में घना कोहरा छाए रहने की चेतावनी जारी की है। इससे इन क्षेत्रों में 500 मीटर विजिबिलिटी रहेगी।
पंजाब: रात को सर्दी की थर्ड डिग्री; जालंधर सहित 6 जिले 30 से नीचे
पंजाब के अमृतसर का पारा 0.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, वहीं फिरोजपुर में 1.0 और पठानकोट में 2.2 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया। मोहाली में रात का पारा 6.6 व चंडीगढ़ का 4.3 रहा है। शहरों में लुधियाना सबसे ठंडा रहा यहां पीएयू के मुताबिक पारा 0.2 डिग्री रहा। जेएंडके में श्रीनगर में सीजन का सबसे ठंडा दिन रहा। वहां डल झील भी जम गई है। दिल्ली में सीजन का सबसे कम पारा 3.9 डिग्री रहा।
चंडीगढ़: चंडीगढ़ में दिन का पारा 20.3 डिग्री, बारिश की संभावना
रातें ठंडी हैं लेकिन दिन में अच्छी धूप निकल रही है जिससे पारा दिनों दिन चढ़ रहा है। शुक्रवार के मुकाबले शनिवार को अधिकतम तापमान 20.3 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 से 48 घंटे के बीच एक और वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव हो रहा है। उससे बारिश होने की संभावना है। इसके बाद दिन और रात का तापमान गिरेगा। गहरी धुंध छा सकती है।
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नमस्कार!
किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटेन के सिखों ने प्रधानमंत्री मोदी की मां को चिट्ठी लिखी है। फारूक अब्दुल्ला की प्रॉपर्टी ED ने अटैच कर ली है। सर्दी का सितम पहाड़ों से लेकर मैदानों तक जारी है। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
बंगाल दौरे पर पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह रविवार को कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। वे बोलपुर में रोड शो भी करेंगे।
सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान अपने मारे गए साथियों को श्रद्धांजलि देंगे। किसानों ने उन्हें शहीद करार दिया है।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी लगातार दूसरे दिन पार्टी से असंतुष्ट नेताओं के साथ मीटिंग करेंगी
देश-विदेश
ममता के किले में शाह की सेंध
दो दिन के बंगाल दौरे पर गए अमित शाह शनिवार को मिदनापुर पहुंचे। यहां उनकी रैली के दौरान TMC छोड़ चुके और ममता के खास रहे पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने भाजपा का दामन थाम लिया। उनके साथ सांसद सुनील मंडल, पूर्व सांसद दशरथ तिर्की और 10 MLA ने भी भाजपा जॉइन की। इनमें 5 विधायक तृणमूल हैं। शाह ने कहा कि चुनाव आते-आते दीदी (ममता बनर्जी) अकेली रह जाएंगी। शाह ने बंगाल के लोगों से कहा- आपने तीन दशक कांग्रेस को मौका दिया। कम्युनिस्टों को 27 साल दिए। ममता को 10 साल दिए। हमें एक मौका दीजिए, हम बंगाल को सोनार बांग्ला बना देंगे।
फारुख अब्दुल्ला पर ED का शिकंजा
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला (83) पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिकंजा कसा है। अब्दुल्ला की 11.86 करोड़ की संपत्तियां ED ने शनिवार को अटैच कर दीं। जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में यह कार्रवाई की गई। जम्मू और श्रीनगर में अब्दुल्ला की 2 रिहायशी, एक कमर्शियल प्रॉपर्टी और 3 प्लॉट अटैच किए गए हैं। इनकी बुक वैल्यू 11.86 करोड़ दिखाई गई है, लेकिन इनकी मार्केट वैल्यू 60-70 करोड़ है।
सोनिया की नाराज नेताओं से 5 घंटे चर्चा
सोनिया गांधी ने शनिवार को कांग्रेस के नाराज नेताओं के साथ करीब 5 घंटे चर्चा की। इस दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद रहे। मीटिंग में पार्टी नेताओं की शिकायतें, आने वाले चुनावों की रणनीति और नए पार्टी अध्यक्ष पर चर्चा हुई। इसमें आम राय बनी कि जल्द ही एक चिंतन शिविर रखा जाएगा। इसमें पार्टी नेता आगे की रणनीति के बारे में चर्चा करेंगे। मीटिंग के दौरान राहुल गांधी ने नाराज नेताओं को मनाने की पूरी कोशिश की। मीटिंग के बाद पवन बंसल ने कहा कि पार्टी को राहुल गांधी की लीडरशिप की जरूरत है।
अयोध्या में मस्जिद की डिजाइन लॉन्च
अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद की डिजाइन शनिवार को लॉन्च हुई। इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने वर्चुअल मीटिंग में डिजाइन की लॉन्चिंग की। खास बात यह है कि मस्जिद में गुम्बद नहीं होगा। वहीं, इसका नाम किसी बादशाह के नाम पर नहीं रखा जाएगा। कैंपस में म्यूजियम, लाइब्रेरी और एक कम्युनिटी किचन भी बनेगा। 200 से 300 बेड का एक हॉस्पिटल भी यहां रहेगा। निर्माण की शुरुआत 26 जनवरी या 15 अगस्त से होगी।
मोदी की मां को ब्रिटेन के सिखों की चिट्ठी
ब्रिटेन की एक सिख एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा को खत लिखा है। ब्रिटिश एजुकेशनल एंड कल्चरल एसोसिएशन ऑफ सिख (BECAS) ने 14 दिसंबर को लिखे खत में कहा कि किसान आंदोलन को लेकर कुछ लोग पंजाब की माताओं को बदनाम कर रहे हैं। आपको अपने बेटे से इस बारे में बात करनी चाहिए। भास्कर ने BECAS के अध्यक्ष त्रिलोचन सिंह दुग्गल से बात की, तो उन्होंने कहा- कुछ महिलाएं पंजाब की मांओं के बारे में गलत प्रचार कर रही हैं। बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट भी इनके बारे में गलत शब्दों का इस्तेमाल करती हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।
एक्सप्लेनर
भारत करेंसी मैनिपुलेशन मॉनिटरिंग लिस्ट में
अमेरिका ने भारत, ताइवान और थाईलैंड को करेंसी मैनिपुलेटर देशों की मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल दिया है। इस लिस्ट में चीन, जर्मनी, इटली समेत 6 और देश शामिल हैं। भारत को डेढ़ साल बाद एक बार फिर इस लिस्ट में डाला गया है। करेंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या होता है? अमेरिका किन देशों को इस लिस्ट में डालता है? इस लिस्ट में डाले जाने से फर्क क्या पड़ता है? भारत को दोबारा इस लिस्ट में क्यों डाला गया? इन सवालों के जवाब जानिए।
खुद्दार कहानी
तंदूरी चाय से 15 हजार रु महीने की कमाई
राजकोट की रहने वाली रुखसाना हुसैन को लोग चायवाली के नाम से पहचानते हैं। 12वीं क्लास तक पढ़ीं रुखसाना द चायवाली के नाम से टी स्टॉल चलाती हैं। इससे पहले वे रजिस्ट्रार ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर थीं। दो साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर टी स्टॉल लगाना शुरू किया। आज रुखसाना तंदूरी चाय बनाने में एक्सपर्ट हैं और अब वो रोजाना 1 हजार रुपए की चाय बेच लेती हैं। उनकी महीने की कमाई 15 हजार रु. है, जबकि नौकरी करते हुए महीने के महज चार हजार रु. ही मिलते थे।
टेस्ट में टीम इंडिया का लोएस्ट स्कोर
ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड में खेले गए डे-नाइट टेस्ट में भारत को 8 विकेट से हरा दिया। भारत ने अपनी दूसरी पारी में 9 विकेट पर 36 रन बनाए। ये भारत के टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे छोटा स्कोर रहा। इससे पहले भारतीय टीम का टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम स्कोर 42 रन का था, जो इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में 1974 में बना था। इधर, 4 साल पहले यानी 2016 में 19 दिसंबर को ही भारत ने अपने टेस्ट इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर बनाया था। इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में खेले गए टेस्ट में टीम इंडिया ने 7 विकेट पर 759 रन बनाए थे। दोनों बार विराट कोहली ही टीम के कप्तान थे।
कोरोना पॉजिटिव-निगेटिव का झमेला
नासिक के मनमाड़ में कोरोना पॉजिटिव और निगेटिव होने के चक्कर में एक महिला का शव दो बार दफनाया गया। मनमाड़ की मंजूलता वसंत क्षीरसागर (76) का 21 सितंबर को निधन हुआ था। शव का RT-PCR टेस्ट कराया गया। लेकिन, प्रशासन ने रिपोर्ट आने से पहले ही शव मालेगांव के कब्रिस्तान में दफना दिया। 22 सितंबर को रिपोर्ट निगेटिव आई, तो बेटे सुहास ने शव को कब्र से निकालने की गुहार लगाई। 64 दिन बाद यानी 23 नवंबर को आखिरकार सरकार ने शव निकालने की इजाजत दी। इसके बाद सुहास ने मंजूलता को उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक, पति के ठीक बगल में पूरे रस्मो-रिवाज के साथ दफनाया।
ठंड से कांपा उत्तर भारत
शिमला और कश्मीर में बर्फबारी के बाद अब दिल्ली में भी कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है। दिल्ली के जाफरपुर में पारा शिमला के बराबर पहुंच गया है। यहां तापमान सामान्य से 6 डिग्री कम रिकॉर्ड किया गया। वहीं पंजाब के अमृतसर में ठंड ने दस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। यहां पारा 0.4 डिग्री पर पहुंच गया है। जालंधर में तापमान 1.6 डिग्री रहा। बर्फीली हवाओं ने बिहार की राजधानी पटना में भी कोल्ड डे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। यहां एक दिन में पारा 4 डिग्री तक गिर गया। राजस्थान के सभी 33 जिलों में पारा 7 से नीचे पहुंच गया। वहीं, एमपी में राजधानी भोपाल समेत सभी शहरों में सर्दी बढ़ गई है।
सुर्खियों में और क्या है...
ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड टेस्ट में भारत को 8 विकेट से हरा दिया। टीम इंडिया की अपने दूसरे और विदेश में पहले पिंक बॉल टेस्ट में यह पहली हार है।
अमेरिका के प्रेसिडेंट जो बाइडेन अपनी पत्नी के साथ कोरोना वैक्सीन लगवाएंगे। सोमवार को उन्हें वैक्सीन की डोज दी जाएगी।
राजकोट की रहने वाली रुखसाना हुसैन को लोग चायवाली के नाम से पहचानते हैं। 12वीं क्लास तक पढ़ाई करने वाली रुखसाना द चायवाली के नाम से टी स्टॉल चलाती हैं। इससे पहले वे रजिस्ट्रार ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर थीं। दो साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर टी स्टॉल शुरू किया। आज रुखसाना तंदूरी चाय बनाने में एक्सपर्ट हैं। अब वे रोजाना 1 हजार रुपए की चाय बेच लेती हैं।
रुखसाना जब रजिस्ट्रार के ऑफिस में नौकरी करती थीं, तब उनकी महीने की सैलरी सिर्फ 4 हजार रुपए थी। इस तनख्वाह में अपना और घर का खर्च निकालना बेहद मुश्किल था। लेकिन, अब इस स्टॉल से वे महीने के 15 हजार रुपए से ज्यादा कमा लेती हैं। रोजाना सिर्फ चार घंटे में वे 500 रुपए से ज्यादा की कमाई कर लेती हैं।
बचपन से घर में चाय बनाती आ रही हैं
रुखसाना कहती हैं- मैं घर में बचपन से ही चाय बनाती आ रही हूं। घर में सबको मेरे हाथ की चाय इतनी पसंद थी कि सिर्फ मुझे ही चाय बनाने के लिए कहा जाता था। इसी के चलते, अक्सर मेरे मन में यही ख्याल आता था कि क्यों न अपना रेस्टोरेंट खोल लूं। हालांकि, रेस्टोरेंट खोलने लायक पैसे तो थे नहीं, इसलिए एक छोटे केबिन से ही काम शुरू कर दिया। आगे जाकर एक रेस्टोरेंट जरूर खोलूंगी।
टी स्टॉल खोलने के बारे में जब रुखसाना ने पहली बार घर में बात की, तो सभी नाराज होने लगे। घर के लोगों ने कहा कि लड़की होकर चाय का स्टॉल चलाओगी। तुम्हें पता भी है वहां किस-किस तरह के लोग आते हैं। लेकिन रुखसाना अपनी जिद पर अड़ी रहीं। वे कहती हैं- घरवालों के विरोध के बावजूद मैंने चाय की दुकान लगाने की कोशिश शुरू कर दी थी। कुछ ही दिनों में मेरी कामयाबी देखकर परिवार वालों ने मेरे फैसले की तारीफ करनी शुरू कर दी। अब तो मुझे उनसे हर तरह का सपोर्ट मिलने लगा है।
चाय पसंद आई, तो बढ़ते गए ग्राहक
रुखसाना कहती हैं- मैंने चाय का बिजनेस 2018 में शुरू किया। शुरुआत में मैं सिर्फ आधे लीटर दूध की चाय बनाती थी। लेकिन, ग्राहक बढ़ते चले गए और अब तो रोजाना 10 लीटर दूध लग जाता है। एक बार ग्राहकों ने दुकान पर आना शुरू किया और उन्हें चाय पसंद आई, तो फिर वे ही रेग्युलर ग्राहक बन गए। लोग अपने साथ और ग्राहकों को भी लाने लगे। आज रुखसाना का टी स्टॉल द चायवाली के नाम से फेमस हो चुका है। वे अब इसकी चेन शुरू करना चाहती हैं।
सीक्रेट मसाले हैं तंदूरी चाय की खासियत
रुखसाना की तंदूरी चाय इसलिए खास है, क्योंकि वे इसके लिए सीक्रेट मसाले का इस्तेमाल करती हैं। स्मोकी फ्लेवर की इस चाय का मसाला वे खुद ही तैयार करती हैं। ऑर्डर पर तुरंत मिट्टी के कुल्हड़ में चाय गर्म करती हैं, जिसका स्वाद लोगों को बेहद पसंद आता है। मिट्टी के कुल्हड़ में गर्मागर्म चाय देने के चलते ही वे चाय पार्सल नहीं करतीं।
रुखसाना बताती हैं कि शुरुआत में यह अजीब लगता था कि एक लड़की चाय की दुकान चलाए, क्योंकि ज्यादातर यह काम लड़के ही करते हैं। लेकिन, यह मेरी गलतफहमी थी। आज ढेरों ग्राहक मेरे काम की तारीफ कर मुझे प्रोत्साहित करते हैं। वे मेरी बनाई चाय की तारीफ किए भी नहीं थकते। मैं रोजाना शाम 5.30 बजे टी स्टॉल खोलती हूं और रात के 9 बजे तक काम करती हूं। अब तो कई रेगुलर कस्टमर हैं, जिन्हें दुकान खुलने और बंद होने का समय पता है। इनमें से कई ग्राहक तो इस चाय के बारे में सोशल मीडिया पर भी कई पोस्ट कर चुके हैं।
ग्राहक बोले- इस चाय का टेस्ट लाजवाब
रुखसाना के टी स्टॉल पर रोजाना चाय पीने आने वाले मनसुखभाई बताते हैं- मैं यहां पिछले डेढ़ महीने से रोजाना चाय पीने आता हूं। एक भी दिन चाय का टेस्ट नहीं बदला। बेटी इतनी टेस्टी चाय बनाती है कि अब इसकी लत लग गई है। चाय की खासियत के बारे में बात करते हुए मनसुखभाई कहते हैं कि रुखसाना ऑर्गेनिक तरीके से चाय बनाती है। इसीलिए इसका टेस्ट इतना अच्छा है।
17 दिसंबर को ब्रिटेन की एक हाईकोर्ट ने 9 साल की बच्ची की मौत के लिए एयर पॉल्यूशन को जिम्मेदार ठहराया। बच्ची का नाम एला किस्सी डेब्रह (Ella Kissi-Debrah) था। यह दुनिया का पहला मामला है, जब किसी बच्ची की मौत एयर पॉल्यूशन से हुई है। एला लंदन के साउथ ईस्ट में जहां रहती थी, वहां एयर क्वालिटी बहुत खराब थी और एक बिजी रोड थी। एला की मौत साल 2013 में अस्थमा के गंभीर अटैक की वजह से हुई थी। वह कई बार कार्डियक अरेस्ट से जूझ चुकी थी और सांस से जुड़ी बीमारी से परेशान थी। मौत के बाद आई रिपोर्ट में यह साबित हुआ कि एला ने एयर पॉल्यूशन और अस्थमा के कारण दम तोड़ा था।
इस घटना ने अब एयर पॉल्यूशन से होने वाले हेल्थ रिस्क को लेकर सतर्क किया है। भारत में एयर पॉल्यूशन एक बड़ी समस्या है। 2019 में सभी रिस्क फैक्टर्स में जहरीली या प्रदूषित हवा सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हुई है।
दुनिया के 30 पॉल्यूटेड शहरों में भारत के 21 शहर शामिल
दुनिया के सबसे पॉल्यूटेड 30 शहरों में से भारत के 21 शहर शामिल हैं। एक स्टडी की मानें तो भारत में 14 करोड़ लोग जिस हवा में सांस लेते हैं, वह WHO की सेफ लिमिट से 10 गुना ज्यादा प्रदूषित है। इसमें सबसे ज्यादा 51% इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन, 27% वाहनों से, 17% पराली जलाने और 5% पटाखों की वजह से होता है। ऐसे में सबसे बड़ा चैलेंज भारतीयों के सामने अपने हेल्थ रिस्क को लेकर है।
रायपुर से हेल्थ एक्सपर्ट निधि पांडे कहती हैं कि बढ़ते प्रदूषण और कोरोनावायरस ने लोगों के हेल्थ रिस्क को बढ़ा दिया है। इससे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे ब्रीदिंग प्रॉब्लम, फेफड़ों पर असर, इम्युनिटी पर असर और कई तरह की मानसिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
एक्सपर्ट्स की मानें तो हम एयर पॉल्यूशन से पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह सकते हैं, लेकिन कुछ जरूरी बदलाव करके बचाव कर सकते है। ऐसे में हम आपको कुछ फूड्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनी डाइट में शामिल कर एयर पॉल्यूशन से बचाव कर सकते हैं।
डाइट में इन चीजों को शामिल करें तो एयर पॉल्यूशन से होने वाली बीमारी से बच सकते हैं
एक्सपर्ट कहती हैं कि अगर हम अपनी डाइट में विटामिन-C वाले फ्रूट, सब्जियों में रूट वेजिटेबल, फूडग्रेन, दूध, केसर और लहसुन-अदरक शामिल करते हैं, तो हम अपने शरीर पर एयर पॉल्यूशन के खतरे को कम कर सकते हैं। इन सभी में हमें यह जानना जरूरी है कि अगर हम विटामिन-C वाले फ्रूट ले रहें हैं, तो इनमें किन फलों को शामिल कर सकते हैं?
इन 5 ग्राफिक्स से समझते हैं कि किस तरह की डाइट हमें एयर पॉल्यूशन से होने वाली बीमारियों से बचा सकती है?
मेरी दो आंखें थीं, एक चली गई अब बस एक ही रह गई है, ये कहते-कहते हरचरण सिंह की आंखों में ठहरे आंसू उनके गालों तक चले आए। दिसंबर की सर्द रात में उनका चेहरा भीग गया। पंजाब के संगरूर के रहने वाले हरचरण सिंह टिकरी बॉर्डर पर किसानों के धरने में शामिल हैं। पांच साल पहले उनके तीस साल के बेटे ने सल्फास खाकर खुदकुशी कर ली थी।
हरचरण सिंह को वो मंजर आज भी याद है जब उनके बेटे ने सल्फास की डेढ़ गोली घोलकर पी ली थी। उनका जवान बेटा घर के आंगन में बेसुध पड़ा था। पड़ोसियों की भीड़ इकट्ठा थी। वो खबर सुनकर दौड़कर घर पहुंचे थे, लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी अपने बेटे को बचा नहीं पाए थे।
चार किल्ले जमीन के मालिक हरचरण सिंह ने खेती करने के लिए कर्ज लिया जो ब्याज के साथ बढ़ता ही चला गया। वो याद करते हैं, 'आढ़तियों के 3 लाख रुपए देने थे। 1.60 लाख का लोन था, एक लाख रुपए किसान क्रेडिट कार्ड के थे, 90 हजार रुपए और थे। कुल मिलाकर 7 लाख रुपए के करीब कर्ज था।'
हरचरण सिंह का समाजसेवी बेटा कर्ज उतारने के लिए जो काम मिल रहा था, वह कर रहा था। लेकिन कर्ज था कि बढ़ता ही जा रहा था। एक दिन जब परिवार सुबह चाय पी रहा था तो उनके बेटे ने पूछा कितना कर्ज बाकी रह गया है। हरचरण बोले, 'सात लाख'। ये सुनते ही सकते में आए बेटे ने कहा, 'बापू तू तो कह रहा था कि लोन खत्म हो जाएगा, ये तो बढ़े ही जा रहा है।' उस दिन के बाद से हरचरण सिंह ने कभी अपने बेटे को खुश नहीं देखा और आखिरकार एक दिन उसने खुदकुशी कर ली। हरचरण सिंह का बड़ा बेटा चला गया है, लेकिन कर्ज अभी बाकी है।
वो कहते हैं, 'बड़ा परिवार है। घर में शादी हुई तो कर्ज ले ले लिया, कोई बीमार पड़ गया तो कर्ज लिया, खेतों में पैसा लगा, मशीनरी में लगा। कर्ज बढ़ता ही गया।' वो ज्यादातर गेहूं की खेती करते हैं। कहते हैं, 'खाने के लिए भी गेहूं रोकना पड़ता है। सारा बेच नहीं पाते। जो गेहूं बेचते थे उससे खर्च पूरा नहीं हो पाता था।' हरचरण सिंह अपनी झुकी कमर लिए लंगड़ाते हुए भारी कदमों से ट्रॉलियों की भीड़ की तरफ मुड़े और दिसंबर की सर्द रात के धुंधलके में खो गए।
पंजाब सरकार के मुताबिक 2000 से अक्टूबर 2019 तक 3300 से ज्यादा किसानों ने कर्ज की वजह से आत्महत्या की है। इनमें से 97 फीसदी किसान मालवा इलाके के ही हैं। सतलुज के दक्षिण में बसे मालवा में पंजाब के 22 में से 14 जिले आते हैं। यहां ज्यादातर किसानों के पास एक से पांच एकड़ तक जमीन है। संगरुर जिले में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है।
संगरुर से ही आई गुरमील कौर महिलाओं के एक समूह के साथ बैठी हैं। ये सब सुनाम तहसील के जखेपल हम्बलवास गांव की रहने वाली हैं। ये गांव किसानों की आत्महत्या के लिए बदनाम है। गुरमील कौर के पति ने 6 लाख रुपए के कर्ज के चलते 2007 में खुदकुशी कर ली थी। तब उनका बेटा सिर्फ पांच साल का था। गुरमील के पास दो किल्ले जमीन हैं जो उन्होंने बंटाई पर दे रखी है। वो बताती हैं, 'हर वक्त कर्ज उतारने की टेंशन लगी रहती थी। आखिरकार पति ने पेस्टीसाइड पीकर जान दे दी।'
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 25 दिनों से जारी प्रदर्शन में शामिल गुरमील कौर कहती हैं कि उनके पति ने तो आत्महत्या कर ली, वो नहीं चाहती कि उनके बेटे के सामने भी ऐसे ही मुश्किल हालात हों और इसलिए ही वो किसान आंदोलन में शामिल होने आई हैं। पति की आत्महत्या के बाद किसी ने उनकी कोई मदद नहीं की। वो कहती हैं, 'मैंने बहुत ही मुश्किल हालात में अपने बेटे को पाला है। अब सरकार ऐसे कानून बना रही है जो किसानों के लिए और मुश्किलें पैदा करेंगे।'
हरमिंदर कौर के पति ने खेत में ही फांसी लगा ली थी। उनके दो बच्चे हैं जिनमें से एक अपाहिज है। हरमिंदर कौर कहती हैं, 'पति ने तो दस साल पहले जान दे दी, लेकिन कर्ज अभी भी चल रहा है। खेती करने के लिए कर्ज लिया था। कर्ज कम नहीं हुआ बढ़ता ही गया। वो टेंशन में रहने लगे थे, टेंशन की दवा भी ली लेकिन, कुछ अच्छा नहीं हुआ। फिर एक दिन वो खेत पर गए और वहीं लटक गए।'
हरमिंदर कौर अब किसानों के धरने में शामिल हैं। वो कहती हैं, 'दस साल से हम नरक में रह रहे हैं, लेकिन कोई हमारी सुध लेने नहीं आया, कर्ज का एक पैसा भी माफ नहीं हुआ।' बलजीत कौर के पति गुरचरण सिंह ने भी पांच लाख रुपए के कर्ज की वजह से खेत में ही जहर पीकर जान दे दी थी। बलजीत कौर 26 नवंबर से ही किसानों के धरने में शामिल हैं। वो कहती हैं, 'हमारे आदमियों ने खुदकुशी कर ली। दिन रात टेंशन में नींद नहीं आती। अब हम यहां अपने बच्चों के लिए बैठे हैं। कम से कम बच्चों का तो जीवन बचा रहे।'
वो कहती हैं, 'हमने कभी सोचा नहीं था कि ऐसे सड़कों पर चूल्हे लगाने पड़ेंगे। हम यहां इतनी ठंड में सड़क पर सो रहे हैं। हम दुखियारी औरतें हैं, उन्हें हमारा दर्द भी नहीं दिख रहा। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमारी आमदनी दोगुनी करेंगे। लेकिन कोरोना की आड़ लेकर ये काले कानून पास कर दिए। हमने प्रधानमंत्री को वोट दिया था, कुर्सी पर बिठाया था। हमें पता नहीं था कि हमारे वोट लेकर अडानी-अंबानी के लिए काम करेगा। अडानी-अंबानी का हमें ना नाम पता है ना शक्ल, हम बस प्रधानमंत्री को जानते हैं।'
जखेपल गांव से ही आए हरनेक सिंह अपना दर्द सुनाना चाहते हैं। एक एकड़ जमीन के मालिक उनके भाई ने इसी साल अप्रैल में आत्महत्या कर ली थी। उस पर छह लाख का कर्ज था। हरनेक सिंह कहते हैं, 'कर्ज में दबे भाई ने फंदा लगाकर जान दे दी। उसने कर्ज उतारने की बहुत कोशिश की लेकिन, उतार नहीं पाया। अब पीछे दो बेटे रह गए हैं, बस उनका कुछ हो जाए।' हरनेक सिंह इस उम्मीद में आंदोलन में शामिल होने आए हैं कि कोई उनका दर्द सुनेगा और उनके भतीजों के लिए कुछ करेगा। भाई को याद करते-करते उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं।
जखेपल के जत्थे में शामिल लोगों के मुताबिक उनके गांव में बीते दस सालों में कर्ज में दबे डेढ़ सौ से ज्यादा किसानों ने खुदकुशी की है। इनके परिवारों को नए कृषि कानूनों से कोई उम्मीद नहीं है। अपनी दर्दनाक कहानियां सुनाते-सुनाते इनके दिल अब ठंडे हो गए हैं और शायद इनसे ज्यादा दिल उनके ठंडे हैं जो इनके गम की तरफ देखना भी नहीं चाहते। बलजीत कहती हैं, 'हमने अपने पति खोए हैं लेकिन अपने बेटों को नहीं खोने देंगे। जब तक ये कानून वापस नहीं होते, यहीं दिल्ली की सड़कों पर सोएंगे।'
अमेरिका ने भारत, ताइवान और थाईलैंड को करंसी मैनिपुलेटर देशों की मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल दिया है। इस लिस्ट में चीन, जर्मनी, इटली समेत 6 और देश शामिल हैं। भारत को डेढ़ साल बाद एक बार फिर इस लिस्ट में डाला गया है।
आखिर करंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या होता है? अमेरिका किन देशों को इस लिस्ट में डालता है? इस लिस्ट में डाले जाने से क्या फर्क पड़ता है? भारत को दोबारा इस लिस्ट में क्यों डाला गया? आइये जानते हैं...
करंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या है?
यह अमेरिकी सरकार के ट्रेजरी डिपार्टमेंट की ओर से दिया जाने वाला एक लेबल है। जब अमेरिका को ऐसा लगता है कि कोई देश अनुचित करंसी प्रैक्टिस में शामिल है और इससे अमेरिकी डॉलर की वैल्यू कम होती है, तो उस देश के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कहने का मतलब है कि जब कोई देश जानबूझकर अपनी करंसी की वैल्यू किसी न किसी तरीके से कम करता है, तो उससे दूसरे देशों की करंसी के मुकाबले उसे फायदा होता है। विदेशी करंसी को डी-वैल्यू करने से उस देश की एक्सपोर्ट कॉस्ट घट जाती है।
इसके लिए अमेरिका ने तीन पैरामीटर तय किए हैं। इन तीन में से जिन देशों पर दो पैरामीटर लागू होते हैं, उसे अमेरिका अपनी मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल देता है। और जिन देशों पर तीनों पैरामीटर लागू होते हैं, उन्हें करंसी मैनिपुलेटर घोषित कर देता है। इस बार अमेरिका की करंसी मैनिपुलेटर मॉनिटरिंग लिस्ट में 8 देश हैं, जबकि दो देशों को अमेरिका ने करंसी मैनिपुलेटर घोषित किया है।
करंसी मैनिपुलेटर के लिए कौन-से पैरामीटर हैं?
अमेरिका से उस देश के बायलैटरल ट्रेड सरप्लस 12 महीने के दौरान 20 अरब डॉलर से ज्यादा होना।
करंट अकाउंट सरप्लस का एक साल के भीतर देश की जीडीपी का कम से कम 2% होना।
12 महीन में कम से कम 6 बार फॉरेन एक्सचेंज नेट परचेज का जीडीपी का 2% होना।
इस लिस्ट से क्या फर्क पड़ता है?
जो देश इस लिस्ट में डाला जाता है, उस समय उस पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में उस देश को लेकर सेंटिमेंट नेगेटिव हो सकता है।
भारत को इस लिस्ट में दोबारा क्यों डाला गया?
अमेरिका ने मई 2019 में भारत को इस लिस्ट से बाहर कर दिया था। उस वक्त अमेरिका की ओर से तय तीन पैरामीटर्स में से दो पैरामीटर भारत पर लागू नहीं होते थे। उस वक्त भारत का सिर्फ बाइलेटरल ट्रेड सरप्लस 20 अरब डॉलर से अधिक था।
अमेरिकी ट्रेड डिपार्टमेंट के रिव्यू में इस बार भी भारत का बाइलेटरल ट्रेड 20 अरब डॉलर से ज्यादा है। जून 2020 तक के पहले चार क्वार्टर में ये 22 अरब डॉलर रहा। वहीं, भारत का फॉरेन एक्सचेंज का नेट परचेज 64 अरब डॉलर का रहा, जो जीडीपी का 2.4% है। पिछले 12 में से 10 महीने ऐसे रहे जब भारत का फॉरेन एक्सचेंज नेट परचेज जीडीपी का 2% से ज्यादा रहा।
इन दो पैरामीटर्स के कारण एक बार फिर भारत अमेरिका की करंसी मैनिपुलेटर मॉनिटरिंग लिस्ट में आ गया है।
भारत के अलावा और कौन से देश इस लिस्ट में हैं?
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स की ताजा रिपोर्ट में भारत के साथ ताइवान और थाईलैंड को इस लिस्ट में डाला है। इसके अलावा चीन, जापान, साउथ कोरिया, जर्मनी, इटली, सिंगापुर और मलेशिया भी इस लिस्ट में हैं। ये देश पहले से ही इस लिस्ट में थे।
अमेरिका ने भारत को अक्टूबर 2018 में इस लिस्ट में डाला था। मई 2019 में उसे इस लिस्ट से बाहर कर दिया था। डेढ़ साल बाद एक बार फिर भारत को इस लिस्ट में डाल दिया गया है।
वियतनाम और स्विट्जरलैंड को अमेरिका ने करंसी मैनिपुलेटर घोषित कर दिया है। इन दोनों देशों पर अमेरिका द्वारा तय तीनों पैरामीटर लागू होते हैं।
कोई देश इस लिस्ट से कैसे बाहर आएगा?
जो देश एक बार मॉनिटरिंग लिस्ट में आ जाता है, उसे कम से कम दो बार लगातार इससे बाहर रहना होता है। तभी अमेरिका उसे इस लिस्ट बाहर करता है। अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे यह तय हो सके कि उसकी इकोनॉमी में जो सुधार हो रहे हैं, वे टैम्परेरी नहीं हैं।
हरदोई के सुमित गुप्ता ने 2014 में नोएडा में स्टार्टअप शुरू किया- ऑडियो ब्रिज। पांच-छह साल में जैसे-तैसे अपना बिजनेस जमाया। कई मल्टीनेशनल कंपनियों को सर्विस भी देने लगे। लेकिन, फिर कोरोना आ गया। लॉकडाउन की वजह से सब कुछ बंद हो गया। सुमित के लिए नोएडा में रहना और बिजनेस जारी रखना मुश्किल हो गया। वे घर लौटे और वहीं से काम करने लगे। उन्होंने हरदोई के लोगों को ही काम पर रखा।
सुमित कहते हैं कि मजबूरी में उठाया गया कदम अब रिटर्न दे रहा है। नोएडा के मुकाबले हरदोई में लागत कम है। स्किल्ड लेबर सस्ती है। लोकल साथी ज्यादा मन लगाकर काम कर रहे हैं। जिससे रिजल्ट अचीव हो रहे हैं। प्रोडक्शन भी बढ़ गया है।
बीते आठ महीने में सुमित जैसे कई लोगों को अपना बेस बदलना पड़ा है। लॉकडाउन की सख्ती ने उन्हें घर लौटने और वहीं पर कुछ करने को प्रेरित किया। केवल छोटी नहीं, बल्कि बड़ी कंपनियां भी बड़े शहरों से छोटे शहरों यानी टियर-2 और टियर-3 शहरों तक जा रही है। यह ट्रेंड नया नहीं है। लेकिन, यह बात जरूर है कि कोविड-19 के लॉकडाउन ने इसकी रफ्तार तेज कर दी है।
बात यहां सिर्फ लागत की नहीं है, लाइफस्टाइल की भी है। बिजनेस जर्नलिस्ट शिशिर सिन्हा का कहना है कि यह बिजनेस और स्थानीय लोगों, दोनों के लिए विन-विन सिचुएशन है। न केवल छोटे शहरों में रोजगार के अवसर बन रहे हैं, बल्कि कंपनियों की लागत भी घट रही है। इससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ रही है और वे तेजी से अपना कारोबार बढ़ाने पर फोकस कर पा रही हैं।
छोटे शहरों की तरफ लौटने का यह ट्रेंड सिर्फ उत्तरप्रदेश तक सीमित नहीं है। नॉर्थ-ईस्ट में गुवाहाटी से लेकर इंफाल तक और दक्षिण में कोयम्बटूर से लेकर कोच्चि तक यही ट्रेंड दिखा है। टियर-2 और टियर-3 के ये शहर नए भारत में बिजनेस हब बनकर उभर रहे हैं। औरंगाबाद और भुवनेश्वर जैसे शहर मुंबई और कोलकाता से अलग अपनी पहचान बना रहे हैं।
फोर्ब्स की एक स्टडी कहती है कि भारत में स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम तेजी से बदल रहा है। बड़े शहर परेशानी में हैं, जबकि छोटे शहर फल-फूल रहे हैं। कई मार्केट गुरु कहते हैं कि आने वाले दशकों में कई चमत्कार हो सकते हैं। भारत का द ग्रेट मिडिल क्लास ही यहां स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम की ग्रोथ का इंजिन बन रहा है। यह मजबूती से अपनी भूमिका भी निभाएगा।
नए भारत की नई पहचानः
अहमदाबादः कभी कपड़ा उद्योग, केमिकल और कृषि उत्पादों के लिए पहचाने जाने वाला ये शहर अब जायडस कैडिला सहित कई फार्मा कंपनियों का गढ़ है। जायडस कैडिला कंपनी कोरोनावायरस वैक्सीन बनाने को लेकर चर्चा में थी। यहां की बढ़ती जनसंख्या ने 2010 से यहां कंस्ट्रक्शन सेक्टर को जबरदस्त ग्रोथ दी। अब शहर में जगह-जगह गगनचुंबी इमारतें दिखती हैं।
वडोदराः एजुकेशन हब तो था ही, अब मैन्युफैक्चरिंग हब भी बन चुका है। पॉवर ट्रांसमिशन टूल, मशीनी औजार, दवाएं, केमिकल, बायोटेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, ऑटो और डिफेंस प्रोडक्ट बन रहे हैं। भारत में बनने वाले हैवी इलेक्ट्रिक टूल्स में 35% हिस्सेदारी वडोदरा की है। नेशनल पॉलिसी ऑन इलेक्ट्रॉनिक्स-2019 के तहत कम से कम 7.36 लाख करोड़ रुपए के निवेश और 2.80 करोड़ नौकरियों का लक्ष्य है। इसमें वडोदरा की भूमिका अहम होगी।
औरंगाबाद- औरंगाबाद में 5 SEZ (विशेष आर्थिक क्षेत्र) हैं। यहां ऑटोमोबाइल, दवाएं, एल्युमिनियम और ग्रीन पॉवर से जुड़ी इंडस्ट्रीज के क्लस्टर हैं। महाराष्ट्र में यह पुणे के बाद सबसे तेजी से उभरने वाला दूसरा बड़ा ऑटो और इंजीनियरिंग हब है।
राजारहाट- 24 परगना जिले की यह प्लान्ड सिटी कोलकाता से सटी है। टीसीएस, विप्रो, कॉग्निजेंट, आईबीएम, जेनपैक्ट, टेक महिंद्रा, एक्सेंचर, फिलिप्स और एचसीएल टेक्नोलॉजी यहां काम कर रही हैं। कोलकाता से इसकी कनेक्टिविटी अच्छी है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी इसके पास ही है।
सॉल्ट लेक सिटीः इसे 1958 से 1965 के बीच कोलकाता की बढ़ती आबादी को देखते हुए सैटेलाइट टाउन के तौर पर बसाया गया था। पिछले 20 सालों में यह बड़ा आईटी हब बन गया है। यह टीसीएस, विप्रो, आईबीएम जैसी कई घरेलू और विदेशियों कंपनियों का घर है। करीब एक लाख लोग यहां नौकरी करते हैं। यहां प्रॉपर्टी के दाम भी काफी ज्यादा हैं और देशभर से रियल स्टेट में यहां भारी इंवेस्टमेंट हुआ है।
कोच्चिः यह केरल का प्रमुख बिजनेस हब है। कोच्चि में स्मार्ट सिटी का निर्माण भी हो रहा है। यहां मुथूट टेक्नोपॉलिस में कॉग्निजेंट जैसी कई बड़ी कंपनियों ने अपने ऑफिस खोले हैं।
त्रिवेंद्रमः त्रिवेंद्रम का सबसे बड़ा आईटी हब है टेक्नोपार्क। ओरेकल, इंफोसिस और टीसीएस जैसी कंपनियों ने यहां अपने ऑफिस खोले हैं। 300 एकड़ में फैला यह इलाका करीब 45 हजार लोगों को रोजगार देता है।
कोयम्बटूरः शहर के बीच से गुजरने वाली अविनाशी रोड शहर की ज्यादातर व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र है। यह सड़क न सिर्फ एयरपोर्ट तक जाती है बल्कि शहर की मुख्य बस्तियों को भी जोड़ती है। इस रोड के पास ही शहर का प्रमुख आईटी सेंटर TIDEL पार्क है।
इंदौरः शहर का आईटी पार्क, क्रिस्टल आईटी पार्क टेक्नोलॉजी हब बना है। यहां इंफोसिस और टीसीएस ने अपने ऑफिस बनाए हैं। अगले 5 साल में यह इलाका 5 हजार लोगों को नौकरियां देंगा। इंदौर में बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिनसे नए टैलेंटेड इंजीनियरों को काम देना आसान हो जाता है।
भुवनेश्वरः आईआईटी समेत उच्च शिक्षा के कई सारे इंस्टीट्यूट होने से भुवनेश्वर रिसर्च और टेक्नोलॉजी का बड़ा हब बनकर सामने आ रहा है। 300 से ज्यादा आईटी कंपनियां यहां हैं। टीसीएस के ऑफिस के पास ही माइंडट्री ने अपना लर्निंग सेंटर बनाया है। यहीं पर उनके सभी नए इंजीनियरों को ट्रेनिंग मिलती है।
नए बिजनेस हब्स बनने की 6 वजहें-
ट्रैफिकः आपको लगता होगा कि बड़े शहरों में ट्रैफिक तो ज्यादा ही रहता है। इसमें नया क्या है। यदि आप इसमें कुछ नुकसान नहीं देखते तो आपको रिचर्ड फ्लोरिडा और स्टीवन पेडिगो की अमेरिकी शहर मियामी पर की गई 'स्टक इन ट्रैफिक' स्टडी पढ़नी चाहिए। यह बताती है कि जब शहर में घनी आबादी बसती है, तो नए आइडियाज आने बंद हो जाते हैं। ट्रैफिक जाम में फंसने से आर्थिक नुकसान भी होता है। बड़े भारतीय शहर भी मियामी से जुदा नहीं है। दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु और मुंबई के ट्रैफिक जाम की खबरें आए दिन हेडलाइंस में होती हैं। इसके मुकाबले छोटे शहरों में ट्रैफिक जाम कोई समस्या है ही नहीं।
प्रदूषण: हवा, पानी और ध्वनि प्रदूषण बड़े शहरों से पलायन की बड़ी वजह है। ET ने एक सर्वे कराया तो 78% लोगों ने कहा कि अगर उन्हें अपना काम छोटे शहरों में ले जाना है, तो प्रदूषण पहली वजह होगी। पिछले कुछ वर्षों में भारत की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण ने किस तरह कहर बरपाया है, यह किसी से छिपा नहीं है।
वर्कफोर्स: बड़ी कंपनियां ही नहीं, बल्कि बड़े शहरों में काम कर रहा स्किल्ड लेबर भी अपने घर यानी टियर-2 और टियर-3 शहरों में लौटना चाहता है। ET के ही सर्वे में 65% लोगों ने छोटे शहरों में लौटने की इच्छा जताई है। 30% लोगों ने तो यह भी कह दिया कि वे अगले 5 साल में छोटे शहरों में चले जाएंगे। वहीं, 26% सिर्फ अच्छी जॉब के लिए ही इन छोटे शहरों में शिफ्ट होंगे। कहने का मतलब यह है कि यदि कंपनी अच्छी है तो छोटे शहरों से स्किल्ड कर्मचारियों को परहेज नहीं है।
रियल स्टेट निवेश: बात पिछले साल की है। 2019 में कंज्यूमर सेंटिमेंट सर्वे हुआ, तो बड़ी संख्या में रियल स्टेट इन्वेस्टर छोटे शहरों की ओर जा रहे हैं। 26% निवेशकों ने कहा कि अहमदाबाद, कोच्चि, चंडीगढ़, जयपुर और नासिक निवेश के लिए सबसे अच्छे शहर हैं।
शैक्षणिक संस्थान: इंदौर और भुवनेश्वर में टीसीएस ने ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर खोला है। इन दोनों ही जगह आईआईटी सहित कई छोटे-बड़े टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट हैं। ऐसे में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में फ्रेश टैलेंट मिलना आसान है। ऐसे ही अलग-अलग सेक्टर के बारे में प्रोफेशनल एजुकेशन देने वाले इंस्टिट्यूट जिन शहरों में हैं, उनके आसपास उस सेक्टर की बड़ी कंपनियों ने अपने ऑफिस खोले हैं।
सरकारी मदद: छोटे शहरों में बिजनेस शुरू करने के लिए वहां की राज्य सरकारें भी मदद कर रही है। भारत की ज्यादातर कंपनियां सेवा क्षेत्र से जुड़ी हैं। ऐसे में बड़ी कंपनियों और मार्केट्स तक उनकी पहुंच बहुत मुश्किल नहीं होती। कोरोना के दौर में ज्यादा से ज्यादा काम ऑनलाइन हुआ है, जिससे निर्माण आदि से जुड़ी कंपनियां भी खुद को प्रोडक्शन के अलावा अन्य सभी कामों के लिए इंटरनेट पर निर्भर कर रही हैं। छोटे शहरों में बिजनेस करने की इच्छुक कंपनियों के लिए फंडिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्याएं न आएं, इसके लिए पर्याप्त सरकारी कोशिशें हो रही हैं।
छोटे शहरों में इन सेक्टर में देखी जा रही सबसे तेज ग्रोथ-
आईटी: ऑनलाइन रिटेल, क्लाउड कंप्यूटिंग और ई-कॉमर्स भारतीय आईटी उद्योग की बुनियाद है। इंटरनेट यूज के मामले में भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है। देश के कुल निर्यात में आईटी सेक्टर का हिस्सा 2011-12 में ही 26% था। 2019 तक इस सेक्टर में 8,200 से ज्यादा स्टार्टअप थे। इनमें कई टियर-2 और टियर-3 शहरों से हैं। पिछले कुछ वर्षों में 18 देसी स्टार्टअप 1 अरब डॉलर के रेवेन्यू तक बढ़ चुके हैं। लगभग 200 भारतीय आईटी कंपनियों ने 80 देशों में 1000 से ज्यादा डिलीवरी सेंटर खोले हैं। 2019-20 में ग्लोबल आउटसोर्सिंग में भारत का हिस्सा 55% था। इस सेक्टर में लगातार और ज्यादा निवेश हो रहा है।
बीपीओ: भारत के उत्तर-पूर्व के राज्य बीपीओ के हब बने हैं। पूर्वी एशिया में यह सेवाएं दे रहे हैं। वहां के लोगों का पूर्वी एशियाई देशों जैसा अंग्रेजी बोलने का लहजा इसमें मदद कर रहा है। साथ ही, शिलॉन्ग में बीपीओ खोलना, गुरुग्राम के मुकाबले काफी सस्ता तो है ही।
जेनेरिक दवाएंः ग्लोबल जेनेरिक दवा बाजार में भारत सबसे बड़ा देश है। इसी वजह से भारत को फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड भी कहा जाता है। दवा कंपनियां दुनिया की 50% तक दवाएं एक्सपोर्ट कर रही हैं। इस क्षेत्र में ब्रिटेन, नीदरलैंड और सिंगापुर की कंपनियों ने इन्वेस्टमेंट किया है। अहमदाबाद जैसे शहरों को इससे फायदा हुआ है।
फूड प्रोसेसिंगः सरकार को देशभर में 42 फूड पार्क बनाने हैं। इसमें से 21 पार्क बन चुके हैं। ज्यादातर छोटे शहरों में हैं। अब यहां फूड प्रोसेसिंग की मशीनों, कोल्ड स्टोरेज यूनिट, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में निवेश के कई अवसर बने हैं।
केमिकल उत्पादनः हाल ही में एशियन पेंट्स ने मैसूर में 2 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च कर दुनिया का सबसे बड़ा पेंट मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया है। गुजरात के भरूच में वीडियोकॉन ने लगभग 2 हजार करोड़ रुपए के निवेश से एक फाइबर ग्लास प्लांट लगाने की बात कही है। सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए नेशनल केमिकल पॉलिसी लॉन्च की है। सरकार ने आंध्र के विशाखापट्टनम, गुजरात के दहेज, ओडिशा के पारादीप और तमिलनाडु के कड्डलोर-नागापट्टिनम में 4 पेट्रोलियम परियोजनाओं को भी मंजूरी दे दी है।
कार-बाइक कंपनियांः भारत ने 2018 में जर्मनी को पीछे छोड़ चौथी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का मुकाम हासिल किया था। हालांकि, 2019 में फिर से छोटे अंतर से पांचवें पायदान पर फिसल गया। औरंगाबाद जैसे शहर कार-बाइक इंडस्ट्री के नए हब हैं। सरकार का लक्ष्य भी भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को 260 से 300 बिलियन डॉलर तक ले जाने का है। भारत में इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड वाहनों के निर्माण और प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना है।
ग्रीन पॉवरः भारत ने साल 2030 तक कुल बिजली जरूरत का 40% ग्रीन पॉवर से हासिल करने का लक्ष्य रखा है। जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के रीवा में एशिया के सबसे बड़े सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। उन्होंने मध्य प्रदेश को सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा केंद्र बनाने की बात भी कही। ऐसे ही बड़े सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट नीमच, शाजापुर, छतरपुर और ओंकारेश्वर में भी प्रगति पर हैं। कई विदेशी कंपनियां इन प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रही हैं।
छोटे शहर के बिजनेस से MNC तक का सफर
बड़ा बिजनेस करने के लिए कई बार बड़े शहर का रुख करने की सलाह दी जाती है। लेकिन, हौसला हो तो कुछ मुश्किल नहीं होता। कई बिजनेसमैन छोटे शहरों से बिजनेस शुरू कर अपनी कंपनी को पूरी दुनिया के मुकाम तक ले जाने में सफल रहे हैं। ऐसी ही एक कंपनी है SIS ग्रुप। पिछले साल यह एक बिलियन अमेरिकी डॉलर वाली MNC बनी। इसका हेड ऑफिस आज भी बिहार में है। अमेरिका में 9/11 के हमले के बाद कंपनी ने विदेशों में प्राइवेट सिक्योरिटी देने के काम पर फोकस किया। अब यह कंपनी सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों में भी प्रमुख निजी सुरक्षा एजेंसी के तौर पर काम करती है।
कंपनी के बारे में चेयरमैन आरके सिन्हा कहते हैं- छोटे शहर से शुरू कर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जाने में हमेशा उन्होंने अपने कर्मचारियों को सबसे ज्यादा महत्व दिया। शुरुआत में लोग प्राइवेट गार्ड्स को चौकीदार मानते थे लेकिन अब मुश्किल काम के लिए उन्हें सम्मान मिलता है। इसकी वजह है इन गार्ड्स की प्रोफेशनल ट्रेनिंग। अलग-अलग मुसीबतों से निपटने के लिए गार्ड्स को एक महीने की अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग के बाद भर्ती किया जाता है।
बिजनेस के इन नए हब के कुछ नुकसान भी
नए बिजनेस हब्स बनने से सब कुछ अच्छा ही हो रहा है, यह कहना सही नहीं है। जर्नलिस्ट शिशिर सिन्हा की माने तो नए बिजनेस हब बनने से लोकल माइग्रेशन रुका है और यह फायदेमंद है। टियर-2 और टियर-3 शहरों में तेजी से होने वाला विकास लोगों के लिए अवसर, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की तेजी से तरक्की लाता है। लेकिन, लोगों की सोच, नजरिया और सामाजिक संरचना उतनी तेजी से नहीं बदलती। गुरुग्राम जैसे शहर का विकास ऐसा ही उदाहरण है। यहां तेज औद्योगिक विकास के साथ अपराधों में भी बढ़ोतरी देखी है। जिन्होंने गुरुग्राम और गेम ओवर जैसी फिल्में देखी हैं, वे यहां के अपराध से जुड़े डर को समझ सकते हैं।
एक नुकसान यह भी है कि ऐसे किसी शहर में अवसरों के बढ़ने के साथ ही प्रॉपर्टी के दाम और जनसंख्या तेजी से बढ़ जाते हैं। जिससे, धीरे-धीरे इन शहरों में भी टियर-1 के शहरों वाली समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। साथ ही, दूसरी-तीसरी श्रेणी के शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे हाईवे, एयरपोर्ट भी नहीं होते।