शनिवार, 6 जून 2020

502 नए संक्रमित मिले, कुल आंकड़ा 9,733 पहुंचा; सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होने से नाराज दरोगा ने वाहन दौड़ाकर सब्जियों को रौंदा

उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को कोविड-19 के करीब 500 नए मामले सामने आने के साथ राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 9,733 हो गई है। इनमें 3,828 एक्टिव हैं जबकि 5,648 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। वहीं गुरुवार से शुक्रवार रात के बीच 12 लोगों की संक्रमण से मौत हो गई। इनमें मेरठ और गाजियाबाद में दो-दो, चंदौली, औरैया, झांसी, जालौन, गोरखपुर, वाराणसी, आगरा और गौतमबुद्ध नगर में एक-एक मरीज की जान गई है। अब तक राज्य में 257 लोगों की जान जा चुकी है।

इस बीच, प्रयागराज में घूरपुर थाने में तैनात एक दारोगा की दबंगई सामने आईहै। सब्जी मंडी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होने से नाराज घूरपुर थाने में तैनात दारोगा सुमित आनन्द ने सरकारी गाड़ी से किसानों की सब्जियों को रौंद डाला। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद एसएसपी ने दरोगा को सस्पेंड कर दिया।

कोरोना अपडेट्स:

वाराणसी में एक साथ 18 कोरोना पॉजिटिव मिले

यह तस्वीर वाराणसी की है जहां ट्रेनों से आने-जाने वालों की थर्मल स्क्रीनिंगकीजा रही है।
यह तस्वीर वाराणसी की है जहां ट्रेनों से आने-जाने वालों की थर्मल स्क्रीनिंगकीजा रही है।

वाराणसी; जिले में शुक्रवार को शुक्रवार को मुंबई से ट्रेन से परिवार संग आए फूलपुर की तीन माह की नवजात बच्ची समेत 18 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई। इसमे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, सूरत से आने वाले सात प्रवासियों और बड़ी पियरी निवासी पहले से संक्रमित मरीज के घर के छह सदस्यों और एक पुलिसकर्मी की कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। आईएमएस बीएचयू की माइक्रोबायोलॉजी लैब से रिपोर्ट आने के बाद सभी को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया। जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने बताया कि बच्ची के अलावा प्रयागराज से वाराणसी आए सारनाथ की आनंदनगर कालोनी निवासी 53 वर्षीय और बड़ी पियरी निवासी 26 वर्षीय युवक की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। बड़ी पियरी के मरीज का वर्तमान समय में इलाज पीजीआई में चल रहा है।

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने पर दरोगा ने सब्जियों को गाड़ी से रौंदा

यह तस्वीर प्रयागराज की है जहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होने से नाराज एक दरोगा ने सरकारी गाडी को किसानो की सब्जियां रौंद दीं। बाद में एसएसपी ने उसे सस्पेंड कर दिया गया।
यह तस्वीर प्रयागराज की है जहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होने से नाराज एक दरोगा ने सरकारी गाडी को किसानो की सब्जियां रौंद दीं। बाद में एसएसपी ने उसे सस्पेंड कर दिया गया।

प्रयागराज; जिले के घूरपुर में इलाके में पुलिस का बर्बर चेहरा सामने आया है। घूरपुर की साप्ताहिक सब्जी मंडी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होने पर घूरपुर थाने में तैनात एक दारोगा की दबंगई सामने आयी है। सब्जी मंडी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होने से नाराज घूरपुर थाने में तैनात दारोगा सुमित आनन्द ने सरकारी गाड़ी से किसानों की सब्जियों को रौंद डाला। यह देख लोग स्तब्ध रह गए और जान बचाकर भागने लगे।इसकी जानकारी जब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सत्यार्थ अनिरूद्ध पंकज को हुई तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए आरोपित दारोगा को लाइन हाजिर कर मामले की जांच क्षेत्राधिकारी करछना आशुतोष त्रिपाठी को सौंप दी। क्षेत्राधिकारी आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि उपनिरीक्षक सुमित आनंद को लाइन हाजिर कर दिया गया है।

कन्नौज; जिलेमें कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। आज एक साथ 10 कोरोना के केससामने आने के बाद हड़कंप कट गया। जिले में अब कोरोना केस कीकुल संख्या 87 हो गई है तो वही 30 लोग ठीक होकर घर चले गए जिससे अब कुल एक्टिव केस की संख्या 57 हो गई है। इन 10 केस के सामने आने के बादनए बनाये गए हॉट स्पॉट एरिया का डीएम और एसपी ने निरिक्षण किया और आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

मुरादाबाद; केंद्र की नई गाइड लाइन के अनुसार जिले में आठ जून से शापिंग मॉल्स खुलेंगे। इन्हें खोलने से पहले सभी संचालकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए टीमें गठित कर दी गई हैं। इसको लेकर शॉपिंग मॉल्स की तरफ से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इसी क्रम में मुरादाबाद में शॉपिंग मॉल के कर्मचारी मॉल्स की साफ सफाई में जुट गए हैं।

यह तस्वीर मुरादाबाद के एक शॉपिंग माल की है जहां एक कर्मचारी साफ सफाई कर रहा है। प्रदेश में आठ जून से शॉपिंग मॉल्स खुल जाएंगे।
यह तस्वीर मुरादाबाद के एक शॉपिंग माल की है जहां एक कर्मचारी साफ सफाई कर रहा है। प्रदेश में आठ जून से शॉपिंग मॉल्स खुल जाएंगे।

बुलेटिन के अनुसार अबतक सबसे अधिक 48 मौतें आगरा में हुई हैं। मेरठ में 34, अलीगढ़ और फिरोजाबाद में 16-16, मुरादाबाद में 10, कानपुर नगर में 13, गौतम बुद्ध नगर में आठ, झांसी, मथुरा और संत कबीर नगर में छह-छह लोगों की जान संक्रमण की वजह से गई है।



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यह तस्वीर प्रयागरा के घूरपुर इलाके में स्थित सब्जी मंडी की है जहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होने से नाराज एक दरोगा ने सड़क किनारे रखी सब्जियों पर ही वाहन दौड़ा दिया। यह देखकर लोग स्तब्ध रह गए।


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भारत-चीन के सैन्य अफसरों के बीच आज चर्चा होगी, दोनों देश बातचीत से ही मसला सुलझाने के पक्ष में

पूर्वी लद्दाख में सेनाओं के बीच तनाव खत्म करने पर भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच आज फिर बातचीत होगी। बताया जा रहा है कि यह बैठक चीन के मोल्डो में रखी गई है। इसमें भारत की ओर से 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की ओर से मेजर जनरल लियू लिन शामिल होंगे। लियू साउथ झिंनझियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर हैं।

इससे पहले शुक्रवार शाम दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के अफसरों के बीच बातचीत हुई। दोनों न्यूज एजेंसी को सूत्रों ने बताया कि दोनों ही देशों का मानना है कि मतभेदों को शांतिपूर्ण बातचीत से ही हल करना चाहिए।

मिलिट्री और डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए बातचीत जारी
इस बीच, शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि अभी सीमा पर भारत-चीन के बीच हालात स्थिर और नियंत्रित करने लायक हैं। हमारे पास सीमा से जुड़े मुद्दों के लिए पूरा मैकेनिज्म है। हम सैन्य और कूटनीतिक तरीके से भी बातचीत जारी रखते हैं। हम इस मामले को अच्छी तरह से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

तनाव कम करने के लिए भारत के पास विस्तृत प्रस्ताव
सूत्रों के मुताबिक, भारत चीन के सामने पेंगॉन्ग सो, गलवान घाटी और डेमचोक में दोनों सेनाओं के बीच तनाव को कम करने के लिए खास प्रस्ताव पेश करेगा। पिछले एक महीने से इन्हीं इलाकों में दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव सामने आ रहा है। माना जा रहा है कि भारत चीन से इस इलाके में जो स्थिति पहले रही है वही बनाए रखने की पेशकश करेगा।

हालिया तनाव को लेकर अब तक दोनों देशों के बीच अब तक 10 बार बातचीत हो चुकी है। यह बातचीत लोकल कमांडर स्तर पर और मेजर जनरल रैंक के अफसरों तक के बीच में हुई है। हालांकि, अभी तक इन चर्चाओं का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला है।

मई में दोनों सेनाओं के बीच तीन बार झड़प हुई
भारत और चीन के सैनिकों के बीच इस महीने तीन बार झड़प हो चुकी है। इन घटनाओं पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय सैनिक अपनी सीमा में ही गतिविधियों को अंजाम देते हैं। भारतीय सेना की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पार एक्टिविटीज की बातें सही नहीं हैं। वास्तव में यह चीन की हरकतें हैं, जिनकी वजह से हमारी रेगुलर पेट्रोलिंग में रुकावट आती है।

इस महीने झड़पें कहां, कब और कैसे हुई?
1) तारीख- 5 मई, जगह- पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील

उस दिन शाम के वक्त इस झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-5 इलाके में भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। भारत ने चीन के सैनिकों की मौजूदगी पर ऐतराज जताया। पूरी रात टकराव के हालात बने रहे। अगले दिन तड़के दोनों तरफ के सैनिकों के बीच झड़प हो गई। बाद में दोनों तरफ के आला अफसरों के बीच बातचीत के बाद मामला शांत हुआ।

2) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद नाकू ला सेक्टर
यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। आधिकारिक तौर पर इसकी तारीख सामने नहीं आई। हालांकि, द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां झड़प 9 मई को ही हुई। गश्त के दौरान आमने-सामने हुए सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से वार किए। इस झड़प में 10 सैनिक घायल हुए। यहां भी बाद में अफसरों ने दखल दिया। फिर झड़प रुकी।

3) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- लद्दाख
जिस दिन उत्तरी सिक्किम में भारत-चीन के सैनिकों में झड़प हो रही थी, उसी दिन चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टरों ने सीमा तो पार नहीं की, लेकिन जवाब में भारत ने लेह एयरबेस से अपने सुखोई 30 एमकेआई फाइटर प्लेन का बेड़ा और बाकी लड़ाकू विमान रवाना कर दिए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हाल के बरसों में ऐसा पहली बार हुआ जब चीन की ऐसी हरकत के जवाब में भारत ने अपने लड़ाकू विमान सीमा के पास भेजे।



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भारत और चीन के सैनिकों के बीच इस महीने तीन बार झड़प हो चुकी है। इन घटनाओं पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय सैनिक अपनी सीमा में ही गतिविधियों को अंजाम देते हैं। -फाइल फोटो


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डब्ल्यूएचओ ने कहा- भारत में संक्रमण बहुत तेजी से नहीं फैल रहा, लेकिन इसका जोखिम बना हुआ है; सतर्क रहने की जरूरत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) नेकोरोना के संक्रमण को रोकने में भारत की कोशिशों की तारीफ की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि भारत में संक्रमण बहुत तेजी से नहीं फैल रहा, लेकिन इसका रिस्क बना हुआ है। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है।

घनी आबादी वाले देशों में ज्यादा रिस्क:डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपदा कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइकल रियान ने शुक्रवार को कहा कि भारत में कोरोना के केस तीन हफ्ते में दोगुने हो रहे हैं, लेकिन मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भारत ही नहीं बल्किबांग्लादेश, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के घनी आबादी वालेदेशों में भी अभी महामारी की स्थिति विस्फोटक नहीं हुई है, लेकिन ऐसा होने का जोखिम बना हुआ है। रियान ने चेतावनी दी कि अगर सामुदायिक स्तर पर संक्रमण शुरू हो जाता है तो ये काफी तेजी से फैलेगा।

रियान ने कहा कि भारत मेंलोगों की आवाजाही दुबारा शुरू हो गई है, ऐसे में संक्रमण बढ़ने का रिस्क बना हुआ है। प्रवासियों की संख्या बहुत ज्यादा होना, शहरी इलाकों में भीड़-भाड़ और कई लोगों के पास हर दिन काम पर जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होने जैसे मुद्दे भी हैं।

'केस दोगुने होने की रफ्तार पर नजर रखना अहम'
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामिनाथन ने कहा कि भारत में कोरोना के जितने मामले हैं वे 130 करोड़ की आबादी के हिसाब से बहुत ज्यादा नहीं हैं। लेकिन संक्रमण के बढ़ने की दर और मामलों के दोगुने होने की रफ्तार पर नजर रखना अहम है।

'आयुष्मान भारत योजना से मदद मिलेगी'
डब्ल्यूएचओ ने इस योजना की तारीफ करते हुए कहा है कि इसे तेजी से लागू किया जाए तो कोरोना से निपटने में मदद मिलेगी। डब्ल्यूएचओ के डीजी डॉ. तेद्रोस गेब्रियेसस ने कहा कि कई देशों के सामने गंभीर चुनौती है, लेकिन इसमें मौके भी तलाशने होंगे। भारत के लिए ये आयुष्मान भारत योजना को बढ़ाने का मौका हो सकता है।



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ये तस्वीर धनबाद के अस्पताल की है, जहां कोरोना संक्रमित मरीज इलाज के बाद ठीक होकर घर लौट रहे हैं।


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डब्ल्यूएचओ ने कहा- भारत में संक्रमण बहुत तेजी से नहीं फैल रहा, लेकिन इसका जोखिम बना हुआ है; सतर्क रहने की जरूरत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) नेकोरोना के संक्रमण को रोकने में भारत की कोशिशों की तारीफ की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि भारत में संक्रमण बहुत तेजी से नहीं फैल रहा, लेकिन इसका रिस्क बना हुआ है। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है।

घनी आबादी वाले देशों में ज्यादा रिस्क:डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपदा कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइकल रियान ने शुक्रवार को कहा कि भारत में कोरोना के केस तीन हफ्ते में दोगुने हो रहे हैं, लेकिन मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भारत ही नहीं बल्किबांग्लादेश, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के घनी आबादी वालेदेशों में भी अभी महामारी की स्थिति विस्फोटक नहीं हुई है, लेकिन ऐसा होने का जोखिम बना हुआ है। रियान ने चेतावनी दी कि अगर सामुदायिक स्तर पर संक्रमण शुरू हो जाता है तो ये काफी तेजी से फैलेगा।

रियान ने कहा कि भारत मेंलोगों की आवाजाही दुबारा शुरू हो गई है, ऐसे में संक्रमण बढ़ने का रिस्क बना हुआ है। प्रवासियों की संख्या बहुत ज्यादा होना, शहरी इलाकों में भीड़-भाड़ और कई लोगों के पास हर दिन काम पर जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होने जैसे मुद्दे भी हैं।

'केस दोगुने होने की रफ्तार पर नजर रखना अहम'
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामिनाथन ने कहा कि भारत में कोरोना के जितने मामले हैं वे 130 करोड़ की आबादी के हिसाब से बहुत ज्यादा नहीं हैं। लेकिन संक्रमण के बढ़ने की दर और मामलों के दोगुने होने की रफ्तार पर नजर रखना अहम है।

'आयुष्मान भारत योजना से मदद मिलेगी'
डब्ल्यूएचओ ने इस योजना की तारीफ करते हुए कहा है कि इसे तेजी से लागू किया जाए तो कोरोना से निपटने में मदद मिलेगी। डब्ल्यूएचओ के डीजी डॉ. तेद्रोस गेब्रियेसस ने कहा कि कई देशों के सामने गंभीर चुनौती है, लेकिन इसमें मौके भी तलाशने होंगे। भारत के लिए ये आयुष्मान भारत योजना को बढ़ाने का मौका हो सकता है।



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भारत-चीन के सैन्य अफसरों के बीच आज चर्चा होगी, दोनों देश बातचीत से ही मसला सुलझाने के पक्ष में

पूर्वी लद्दाख में सेनाओं के बीच तनाव खत्म करने पर भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच आज फिर बातचीत होगी। बताया जा रहा है कि यह बैठक चीन के मोल्डो में रखी गई है। इसमें भारत की ओर से 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की ओर से मेजर जनरल लियू लिन शामिल होंगे। लियू साउथ झिंनझियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर हैं।

इससे पहले शुक्रवार शाम दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के अफसरों के बीच बातचीत हुई। दोनों न्यूज एजेंसी को सूत्रों ने बताया कि दोनों ही देशों का मानना है कि मतभेदों को शांतिपूर्ण बातचीत से ही हल करना चाहिए।

मिलिट्री और डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए बातचीत जारी
इस बीच, शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि अभी सीमा पर भारत-चीन के बीच हालात स्थिर और नियंत्रित करने लायक हैं। हमारे पास सीमा से जुड़े मुद्दों के लिए पूरा मैकेनिज्म है। हम सैन्य और कूटनीतिक तरीके से भी बातचीत जारी रखते हैं। हम इस मामले को अच्छी तरह से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

तनाव कम करने के लिए भारत के पास विस्तृत प्रस्ताव
सूत्रों के मुताबिक, भारत चीन के सामने पेंगॉन्ग सो, गलवान घाटी और डेमचोक में दोनों सेनाओं के बीच तनाव को कम करने के लिए खास प्रस्ताव पेश करेगा। पिछले एक महीने से इन्हीं इलाकों में दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव सामने आ रहा है। माना जा रहा है कि भारत चीन से इस इलाके में जो स्थिति पहले रही है वही बनाए रखने की पेशकश करेगा।

हालिया तनाव को लेकर अब तक दोनों देशों के बीच अब तक 10 बार बातचीत हो चुकी है। यह बातचीत लोकल कमांडर स्तर पर और मेजर जनरल रैंक के अफसरों तक के बीच में हुई है। हालांकि, अभी तक इन चर्चाओं का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला है।

मई में दोनों सेनाओं के बीच तीन बार झड़प हुई
भारत और चीन के सैनिकों के बीच इस महीने तीन बार झड़प हो चुकी है। इन घटनाओं पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय सैनिक अपनी सीमा में ही गतिविधियों को अंजाम देते हैं। भारतीय सेना की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पार एक्टिविटीज की बातें सही नहीं हैं। वास्तव में यह चीन की हरकतें हैं, जिनकी वजह से हमारी रेगुलर पेट्रोलिंग में रुकावट आती है।

इस महीने झड़पें कहां, कब और कैसे हुई?
1) तारीख- 5 मई, जगह- पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील

उस दिन शाम के वक्त इस झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-5 इलाके में भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। भारत ने चीन के सैनिकों की मौजूदगी पर ऐतराज जताया। पूरी रात टकराव के हालात बने रहे। अगले दिन तड़के दोनों तरफ के सैनिकों के बीच झड़प हो गई। बाद में दोनों तरफ के आला अफसरों के बीच बातचीत के बाद मामला शांत हुआ।

2) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद नाकू ला सेक्टर
यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। आधिकारिक तौर पर इसकी तारीख सामने नहीं आई। हालांकि, द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां झड़प 9 मई को ही हुई। गश्त के दौरान आमने-सामने हुए सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से वार किए। इस झड़प में 10 सैनिक घायल हुए। यहां भी बाद में अफसरों ने दखल दिया। फिर झड़प रुकी।

3) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- लद्दाख
जिस दिन उत्तरी सिक्किम में भारत-चीन के सैनिकों में झड़प हो रही थी, उसी दिन चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टरों ने सीमा तो पार नहीं की, लेकिन जवाब में भारत ने लेह एयरबेस से अपने सुखोई 30 एमकेआई फाइटर प्लेन का बेड़ा और बाकी लड़ाकू विमान रवाना कर दिए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हाल के बरसों में ऐसा पहली बार हुआ जब चीन की ऐसी हरकत के जवाब में भारत ने अपने लड़ाकू विमान सीमा के पास भेजे।



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भारत और चीन के सैनिकों के बीच इस महीने तीन बार झड़प हो चुकी है। इन घटनाओं पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय सैनिक अपनी सीमा में ही गतिविधियों को अंजाम देते हैं। -फाइल फोटो


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24 घंटे में 9462 मरीज बढ़े, अब 2.36 लाख केस; पिछले हफ्ते एक्टिव केस में औसतन 0.3% की कमी

देश में पिछले 24 घंटों में 9462 कोरोना संक्रमित बढ़े। इसके साथ ही मरीजों की कुलसंख्या 2 लाख 36 हजार 184 हो गई। हालांकि, लोगतेजी से ठीक हो रहे हैं, जिसके कारणएक्टिव केस (जिन मरीजों का इलाज चल रहा है) के बढ़ने की औसतदर में कमी होती नजर आ रही है। बीते हफ्ते हर दिन औसतन 4.6% की दर से केस बढ़े।इससे पहले वाले हफ्ते में यह रफ्तार 4.9% थी, यानी इसमें 0.3% की गिरावट देखी गई।

पिछले 15 दिन के एक्टिव केस

तारीख एक्टिवकेस बढ़त प्रतिशत
05 जून 116290 4397 3.9
04 जून 111893 5182 4.9
03 जून 106711 5641 5.6
02 जून 101070 4062 4.2
01 जून 101070 3640 4.6
31 मई 93368 3639 4.6
30 मई 78729 3856 4.5

हर दिन औसत बढ़त= 4.6%

23 से 29 मई के एक्टिव केस

तारीख एक्टिवकेस बढ़त प्रतिशत
23 मई 43140 3946 5.7
24 मई 76809 3669 8.5
25 मई 80059 3250 4.2
26 मई 82208 2149 2.7
27 मई 85832 3624 4.4
28 मई 89739 3907 4.6
29 मई 85873 3866 4.3

हर दिन औसत बढ़त= 4.9%

शुक्रवार कोमहाराष्ट्र में 2436, तमिलनाडु में 1438,दिल्ली में 1330, कर्नाटक में 515, गुजरात में 510, उत्तरप्रदेश में 496,प. बंगाल में 427, हरियाणा में 316, मध्यप्रदेश में 234,राजस्थान में 222 और बिहार में 146 मरीज मिले। ये आंकड़ेCovid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के अनुसार हैं।

5 दिन जब सबसे ज्यादा मामले आए

तारीख

केस
5 जून 9462
4 जून 9838
3 जून 9638
2 जून 8820
31 मई 8789
30 मई 8364

5 राज्यों का हाल
मध्य प्रदेश: यहां शुक्रवार को 234 नए मरीज सामने आए और 7 मौतें हुईं। इंदौर में 54, भोपाल में 52, नीमच में 38, खरगोन में 12, उज्जैन और सागर में 9-9 मरीज मिले।राज्य में संक्रमितों की संख्या 8996हो गई है, जबकि 384 लोग जान गंवा चुके हैं।

चिरायु अस्पताल से शुक्रवार को 41 कोरोना मरीजों को छुट्टी दी गई। शहर के कोविड अस्पतालों से अब तक 1108 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं।

उत्तर प्रदेश:यहां शुक्रवार को एक दिन में सबसे ज्यादा 496 नए मरीज मिले और12 लोगोंकी मौत हुई। अब संक्रमितों की संख्या 9733पहुंच गई,जबकि 5648 ठीक भी हुए। इस बीमारी से प्रदेश में257मरीजों की जान जा चुकी है।

महाराष्ट्र:यहां शुक्रवार को 2436 नए केस मिले, जबकि एक दिन में रिकॉर्ड139 मरीजों ने जान गंवाई। राज्य मेंसंक्रमितों की संख्या 80 हजार 229 हो गई। इनमें से 35 हजार से ज्यादा ठीक भी हो गए। देश के कुल मरीजों के 35% सिर्फ महाराष्ट्र में हैं। अब तक 2849 मौतें हो चुकी हैं, इनमें से 31 पुलिसकर्मी थे।

मुंबई के आरटीओ कंदरपड़ा में यह एयरकंडीशंड कोविड सेंटर तैयार किया जा रहा है। यहां आईसीयू और डायलिसिस सुविधाओं के साथ 250 बेड की सुविधा रहेगी।

राजस्थान:यहां शुक्रवार को 222 संक्रमितमिले और 5 मरीजों ने दम तोड़ा। जोधपुर में 51, भरतपुर में 42,झालावाड़ में 24, पाली में 19, सीकर में 17 औरजयपुर में 16 केस मिले। इस तरह राज्य में अब तक 10 हजार 84मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, अब तक संक्रमण से 218की जान जा चुकी है।

राजस्थान के जयपुर में शुक्रवार को जमकर बारिश हुई। फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों को नुकसान हुआ। मटके बेचने वाले ने बताया कि लॉकडाउन के बीच मौसम की मार रही। आज कोई कमाई नहीं हो सकी।

बिहार: प्रदेश मेंकोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 4598हो गई है। शुक्रवार को 146नए मरीज मिलेऔर एक की मौत हुई।अब तक 88313 सैंपल की जांच हो चुकी है। करीब 21 लाख प्रवासी मजदूर बिहार आ चुके हैं और इनमें से 11 लाख लोग क्वारैंटाइन पीरियड पूरा कर अपने घर लौट चुके हैं।



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यह तस्वीर कोलकाता के एक होटल की है। ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल में रेड जोन को छोड़कर दूसरे इलाकों में होटल खोलने की मंजूरी दे दी है। शुक्रवार को शहर में एक होटल के कर्मचारी रूमों को सैनिटाइज करते हुए।


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24 घंटे में 9462 मरीज बढ़े, अब 2.36 लाख केस; पिछले हफ्ते एक्टिव केस में औसतन 0.3% की कमी

देश में पिछले 24 घंटों में 9462 कोरोना संक्रमित बढ़े। इसके साथ ही मरीजों की कुलसंख्या 2 लाख 36 हजार 184 हो गई। हालांकि, लोगतेजी से ठीक हो रहे हैं, जिसके कारणएक्टिव केस (जिन मरीजों का इलाज चल रहा है) के बढ़ने की औसतदर में कमी होती नजर आ रही है। बीते हफ्ते हर दिन औसतन 4.6% की दर से केस बढ़े।इससे पहले वाले हफ्ते में यह रफ्तार 4.9% थी, यानी इसमें 0.3% की गिरावट देखी गई।

पिछले 15 दिन के एक्टिव केस

तारीख एक्टिवकेस बढ़त प्रतिशत
05 जून 116290 4397 3.9
04 जून 111893 5182 4.9
03 जून 106711 5641 5.6
02 जून 101070 4062 4.2
01 जून 101070 3640 4.6
31 मई 93368 3639 4.6
30 मई 78729 3856 4.5

हर दिन औसत बढ़त= 4.6%

23 से 29 मई के एक्टिव केस

तारीख एक्टिवकेस बढ़त प्रतिशत
23 मई 43140 3946 5.7
24 मई 76809 3669 8.5
25 मई 80059 3250 4.2
26 मई 82208 2149 2.7
27 मई 85832 3624 4.4
28 मई 89739 3907 4.6
29 मई 85873 3866 4.3

हर दिन औसत बढ़त= 4.9%

शुक्रवार कोमहाराष्ट्र में 2436, तमिलनाडु में 1438,दिल्ली में 1330, कर्नाटक में 515, गुजरात में 510, उत्तरप्रदेश में 496,प. बंगाल में 427, हरियाणा में 316, मध्यप्रदेश में 234,राजस्थान में 222 और बिहार में 146 मरीज मिले। ये आंकड़ेCovid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के अनुसार हैं।

5 दिन जब सबसे ज्यादा मामले आए

तारीख

केस
5 जून 9462
4 जून 9838
3 जून 9638
2 जून 8820
31 मई 8789
30 मई 8364

5 राज्यों का हाल
मध्य प्रदेश: यहां शुक्रवार को 234 नए मरीज सामने आए और 7 मौतें हुईं। इंदौर में 54, भोपाल में 52, नीमच में 38, खरगोन में 12, उज्जैन और सागर में 9-9 मरीज मिले।राज्य में संक्रमितों की संख्या 8996हो गई है, जबकि 384 लोग जान गंवा चुके हैं।

चिरायु अस्पताल से शुक्रवार को 41 कोरोना मरीजों को छुट्टी दी गई। शहर के कोविड अस्पतालों से अब तक 1108 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं।

उत्तर प्रदेश:यहां शुक्रवार को एक दिन में सबसे ज्यादा 496 नए मरीज मिले और12 लोगोंकी मौत हुई। अब संक्रमितों की संख्या 9733पहुंच गई,जबकि 5648 ठीक भी हुए। इस बीमारी से प्रदेश में257मरीजों की जान जा चुकी है।

महाराष्ट्र:यहां शुक्रवार को 2436 नए केस मिले, जबकि एक दिन में रिकॉर्ड139 मरीजों ने जान गंवाई। राज्य मेंसंक्रमितों की संख्या 80 हजार 229 हो गई। इनमें से 35 हजार से ज्यादा ठीक भी हो गए। देश के कुल मरीजों के 35% सिर्फ महाराष्ट्र में हैं। अब तक 2849 मौतें हो चुकी हैं, इनमें से 31 पुलिसकर्मी थे।

मुंबई के आरटीओ कंदरपड़ा में यह एयरकंडीशंड कोविड सेंटर तैयार किया जा रहा है। यहां आईसीयू और डायलिसिस सुविधाओं के साथ 250 बेड की सुविधा रहेगी।

राजस्थान:यहां शुक्रवार को 222 संक्रमितमिले और 5 मरीजों ने दम तोड़ा। जोधपुर में 51, भरतपुर में 42,झालावाड़ में 24, पाली में 19, सीकर में 17 औरजयपुर में 16 केस मिले। इस तरह राज्य में अब तक 10 हजार 84मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, अब तक संक्रमण से 218की जान जा चुकी है।

राजस्थान के जयपुर में शुक्रवार को जमकर बारिश हुई। फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों को नुकसान हुआ। मटके बेचने वाले ने बताया कि लॉकडाउन के बीच मौसम की मार रही। आज कोई कमाई नहीं हो सकी।

बिहार: प्रदेश मेंकोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 4598हो गई है। शुक्रवार को 146नए मरीज मिलेऔर एक की मौत हुई।अब तक 88313 सैंपल की जांच हो चुकी है। करीब 21 लाख प्रवासी मजदूर बिहार आ चुके हैं और इनमें से 11 लाख लोग क्वारैंटाइन पीरियड पूरा कर अपने घर लौट चुके हैं।



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यह तस्वीर कोलकाता के एक होटल की है। ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल में रेड जोन को छोड़कर दूसरे इलाकों में होटल खोलने की मंजूरी दे दी है। शुक्रवार को शहर में एक होटल के कर्मचारी रूमों को सैनिटाइज करते हुए।


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5 साल पहले पीएम मोदी ने मनरेगा योजना का मजाक उड़ाया था, लॉकडाउन के दौरान इसी ने 2.63 करोड़ गरीब परिवारों को रोजगार दिया

तारीख: 27 फरवरी 2015... दिन: शुक्रवार। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण पर हो रही चर्चा का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने यूपीए सरकार के समय साल 2005 में आई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) पर एक टिप्पणी की थी।

मोदी ने कहा था, "मेरी राजनैतिक सूझबूझ कहती है, मनरेगा कभी बंद मत करो..मैं ऐसी गलती कभी नहीं कर सकता, क्योंकि मनरेगा आपकी (यूपीए) विफलताओं का जीता-जागता स्मारक है.. आजादी के 60 साल बाद आपको लोगों को गड्ढे खोदने के लिए भेजना पड़ा.. यह आपकी विफलताओं का स्मारक है, और मैं गाजे-बाजे के साथ इस स्मारक का ढोल पीटता रहूंगा... दुनिया को बताऊंगा, ये गड्ढे जो तुम खोद रहे हो, ये 60 सालों के पापों का परिणाम हैं।”

प्रधानमंत्री मोदी जब यह बोल रहे थे, तबसदन में जमकर ठहाके लग रहे थे। उनकी यह टिप्पणी यूपीए की इस योजना का मखौल उड़ाती नजर आ रही थी। लेकिन लॉकडाउन के दो महीने जब देशभर में मजदूर वर्ग बेरोजगार होकर पलायन कर रहा था, तब यही एक योजना थी, जिसने ग्रामीण इलाके में मजदूरों को ज्यादा परेशान नहीं होने दिया। लॉकडाउन के शुरुआती 2 महीनों में देश के ग्रामीण इलाकों में 2.63 करोड़ परिवारों को इस योजना का लाभ मिलता रहा। हर परिवार को लॉकडाउन के 60 दिनों में से 17 दिन काम मिला, जो इनके खाने-पीने और जरूरी खर्चों के लिए पर्याप्त था।

2020-21 के मार्च और अप्रैलमहीने में मनरेगा के तहत मिले रोजगार की तुलना पिछले साल से की जाए तो ज्यादा अंतर नजर नहीं आता। वित्त वर्ष 2019-20 में 5.48 करोड़ परिवारों को इस योजना के तहत सालभर में औसत 48 दिन का काम मिला था। इस हिसाब से इस वित्त वर्ष के 2 महीनों का आंकड़ा ठीक-ठाक ही कहा जाएगा।

मनरेगा से सबसे ज्यादा फायदे में रहा भाजपा शासित राज्य उत्तरप्रदेश
भाजपा शासित राज्य हो या गैर भाजपा शासित राज्य, हर राज्य में लॉकडाउन के दौरान यह योजना लाखों गरीब परिवारों का सहारा बनी। उत्तर प्रदेश कोइस योजना का सबसे ज्यादा लाभ मिला। यहां लॉकडाउन के दौरान 40 करोड़ परिवारों को मनरेगा ने रोजगार दिए। यहां 1091 करोड़ रुपए सिर्फ मजदूरों को मिलने वाले मेहनताने पर खर्च हुए। लॉकडाउन के दौरान ही यूपी में मनरेगा के तहत 43 हजार से ज्यादा काम भी पूरे हुए।

मोदी सरकार भी मनरेगा के सहारे;केन्द्र ने20 दिन पहले ही इस योजना को 40 हजार करोड़ अतिरिक्त दिए
इस साल बजट में मनरेगा पर 61,500 करोड़ का प्रावधान किया गया था। लेकिन 17 मई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मनरेगा को 40 हजार करोड़ अतिरिक्त देने की बात कही। यानी मनरेगा के बजट को सीधे-सीधे 65% बढ़ा दिया गया। यह इसलिए क्योंकि लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण इलाकों में यही एक योजना थी, जो लोगों को रोजगार दे रही थी। और फिर शहर से गांव वापस लौटे वे मजदूर, जिनके पास अब कोई काम नहीं बचा, उनके लिए भी सरकार को रोजगार का कोई न कोई बंदोबस्त तो करना ही था। ऐसे में मनरेगा पर बजट बढ़ाना ही सरकार के पास सबसे बेहतर विकल्प था।

पिछले साल केन्द्रीय कृषि मंत्री ने मनरेगा को जल्द ही बंद करने की बात कही थी
पिछले साल जुलाई में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा को बताया था कि मोदी सरकार मनरेगा को ज्यादा दिनों तक चलाने के पक्ष में नहीं है। तोमर ने कहा था, “यह योजना गरीबों के हित के लिए है, जबकि सरकार का अंतिम लक्ष्य गरीबी खत्म करना है। ऐसे में गरीबी मिटाने के बाद सरकार मनरेगा को खत्म कर देगी।”

कृषि मंत्री ने यह बयान तो दिया था लेकिन मोदी सरकार के पिछले 4 सालों को ही देख लें तो लगातार इस योजना पर केन्द्र सरकार ने बजट बढ़ाया ही है। 2017-18 में यह 48 हजार करोड़ था, जो 2018-19 में 55 हजार करोड़ हुआ। 2019-20 में मनरेगा के लिए 60 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया, वहीं 2020-21 के लिए यह राशि 61 हजार 500 कर दी गई। बहरहाल, 17 मई के बाद 2020-21 के लिए मनरेगा का बजट 1 लाख करोड़ से ज्यादा हो चुका है।

क्या है मनरेगा योजना?
मनरेगा योजना यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान लाई गई थी। 23 अगस्त 2005 को इस योजना का बिल संसद से पास हुआ और 2 फरवरी 2006 से यह योजना 200 पिछड़े जिलों में लागू कर दी गई। फिलहाल यह देश के 644 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में लागू है। इस योजना का मकसद एक वित्त वर्ष के 365 दिनों में से ग्रामीण इलाकों के परिवारों को 100 दिन तक रोजगार उपलब्ध कराना है।



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MGNREGA scheme helps poors in rural area in coronavirus lockdown


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एक्सपर्ट्स से जानिए इन्हें कैसे खत्म करना है, क्योंकि किसानों के पास बचे हैं सिर्फ 30 दिन

टिड्डियों ने देश के किसानों परतीन दशक का सबसे बड़ा हमला बोलाहै। इससे राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिमी यूपी के किसान दहशत में आ गएहैं। वहीं, केंद्र सरकार ने 12 राज्यों में टिडि्डयों के खतरे को देखते हुएएडवाइजरी जारी की है। केंद्र और राज्य सरकारों की टीमें ड्रोन, ट्रैक्टर और मिनी ट्रकोंकी मदद से टिड्डियों के इलाकों की पहचान में जुटी हैं। किसान टिडि्डयों को भगाने के लिए देसी तरीके अपना रहे हैं। एक्सपर्ट्स का दावा है कि अब तक टिड्डियों ने 60 से 70 हजार हेक्टेयर फसल चौपट कर दी है।

कृषिविशेषज्ञोंकी मानें तो अभी जो टिडि्डयां आई हैं, वे अंडे देनी वाली टिड्‌डी नहीं हैं, ये सिर्फ फसल खाएंगी। फिर उड़ जाएंगी। इनका दूसरा हमलाअगस्त-सितंबर में खरीफ की फसल पर हो सकता है। क्योंकिइन्हें अंडे देने में एक महीने का वक्त लगता है।

  • टिडि्डयों से अभी किस तरह का नुकसान हो रहा है?

25 साल तक लोकस्ट वाॅर्निंग ऑर्गेनाइजेशन में कृषि वैज्ञानिक रहे अनिल शर्मा कहते हैं कि अभी तो खरीफ की फसल नहीं है, मानसून आने के साथ वह लगाई जाएगी। लेकिन टिडि्डयां अभी फलों और सब्जियों को नुकसान पहुंचा रही हैं।टिडि्डयां पूरी हरियाली को खत्म कर देती हैं। उनके सामने जो भी हरी पत्ति दिखती है, उसे वे खा जाती हैं।

  • क्या ये बच्चे भी पैदा कर रही हैं?

डॉ. अनिल कहते हैं कि अभी जो टिडि्डयां आई हैं, वे बच्चे देने वाली नहीं हैं, ज्यादातर का कलर पिंक (गुलाबी)है,जब ये सेक्सुअली मेच्योर हो जाती हैं, तब ये अंडे देना शुरू करती हैं। ये अभी सिर्फ फसल खाएंगी और खुद को डेवलप करेंगी। फिर करीब एक महीने बाद जब पीली हो जाएंगी, तबबच्चों को जन्म देंगी।

  • एक दल में कितनी टिड्‌डी होती हैं?

सामान्य तौर पर एक दल में 4 से 8 करोड़ टिड्‌डी होती हैं। इससे ज्यादा भी हो सकती हैं। निर्भर करता है कि इन्होंने दल कितना बड़ा बनाया हुआ है। यह एक वर्ग किमी के दायरे में फैली होती हैं। यह लगातार फसल को खाती रहती हैं।

  • एक रात में कितना अनाज खा जाती हैं?

डॉ. अनिल कहते हैं कि टिडि्डयों का एक दल एक रात में करीब 3500 लोगों द्वारा खाए जाने जितना खाना खा जाती हैं। टिडि्डयां का अभी देश के 7 राज्यों में आतंकहै।

  • बचाव के लिए किसानक्या करें?

डॉ. अनिल कहते हैं कि टिड्‌डी दल को कैमिकल द्वारा ही कंट्रोल किया जा सकता है। खासकर, पेस्टीसाइड्स का इस्तेमाल करके। क्योंकि जब करोड़ों की संख्या में टिट्डी आती हैं, तो उन्हें रोकने का और कोई उपाय नहीं है। जरूरत होती है कि इनके दल कोबिखेरना की। ताकि वापस वे इक्ट्‌ठे न हो पाएं। यदि 30% से 40% टिडि्डयांभी मर जाएंगी, तो इनका दल बिखर जाता है, फिर ये फसलों पर बैठने का हिम्मत नहीं दिखा पाती हैं।

रेगिस्तानी इलाकों में किसान खाईं खोद देते हैं, ताकि जब यहां टिडि्डयां बैठें और अंडे दें तो वे उस पर मिट्टी डाल दें। ऐसे में टिडि्डयों की नई पीढ़ी विकसित नहीं होती है। कई बार पेट्रोल डालकर आग भी लगा देते हैं। टिडि्डयों से खरीफ की फसल बचाने के लिए किसानों को अपने खेतों की रखवाली करनी होगी, ताकि टिडि्डयों के दल को वे बैठने से पहले ही उड़ा दें। शाम के वक्त खेत के किनारे पर धुंआ करना होगा।

  • कितना उड़ती हैं?

टिडिड्यां जब दल में होती हैं, तो एक दिन में 120 से 150 किलोमीटरतक उड़ती हैं।यह सुबह होने के साथ ही बहुत जल्दी फरार हो जाती हैं, इसलिए आप कहां-कहां इन्हें खोजेंगे। ये हवा के रुख के साथ उड़ जाती हैं।

  • कहां से आती हैं?

डॉ. अनिल शर्मा कहते हैं कि टिडि्डयों का 64 देशों में आना-जाना लगा रहता है। ये पैदा दक्षिण ईरान और दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान में होती हैं। यह इनका स्प्रिंग विडिंग एरिया है। यहां से कुछ दल अफ्रीका, मिडिल-ईस्ट एशिया की ओर उड़ जाती हैं। इनका समर विडिंग एरिया पाकिस्तान का थार इलाका है। यहां से जून-जुलाई महीने में भारत आती हैं।

  • कहां देती हैं अंडे?

डाॅ. अनिल कहते हैं कि पीले रंग वाली टिडि्डयां रेतीले जमीनों में अंडे देती हैं। क्योंकि इनके बच्चों को डेवलप होने के लिए गर्म जलवायु और बलुई मिट्‌टी वाली जगह की जरूरत होती है। भारत और पाकिस्तान में थार का इलाका इनके लिए बहुत ही मुफीद होता है।

  • टिडि्डयों की लाइफ साइकिल क्या है?

1- अभी जो टिडि्डयां भारत में आई हैं, उनमें ज्यादातर पिंक कलर की हैं, वे जब तक सेक्सुअली मेच्योर नहीं हो जाएंगी, तब तक ये पीले कलर की नहीं होंगी। जब ये पीले कलर की होंगी तभी, ये अंडे देंगी।

2- अंडे देने से पहले ये वापस रेगिस्तानी इलाकों में लौटने की कोशिश करती हैं, ताकि इनके बच्चे को विकसित होने के लिए मुफीद मौसम मिले। यदि मैदानी और पहाड़ी इलाकों में अंडे देंगी तो बच्चे मर जाएंगे।

3- पिंक टिड्‌डी को मेच्योर होने में एक महीने का वक्त लगता है। इसके बाद ही उन्हें अंडे देने में करीब एक महीने का वक्त लगता है। फिर अंडे विकसत होकर बच्चे बनेंगे।

4- बच्चों को उड़ने में एक महीने से ज्यादा का वक्त लगता है। क्योंकि वे पंख मजबूत होने पर ही उड़ते हैं, इसलिए कई टिडि्डयों के दल अगस्त-सितंबर में भी मैदानी इलाकों का रुख करते हैं।

  • सरकार ने क्यों जारी किया अलर्ट?

सरकार ने मानसून से पहले किसानों के लिए इसलिए एडवाइजरी जारी की है, क्योंकि बरसात के साथ ही रेगिस्तानी इलाकों से टिडि्डयाें का दल उड़कर पश्चिम-उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में पहुंच सकता है। खासकर, पाकिस्तान से सटे इलाकों में।

1993 की तरह मॉनिटरिंग और फॉलोअप लेकर इन्हें खत्म किया जा सकता है

टिडि्डयों के खिलाफ 8 से 10 कंट्रोल ऑपरेशन कर चुके कृषि वैज्ञानिक अनिल शर्मा कहते हैं कि इससे पहले टिडि्डयों का सबसे बड़ा अटैक 1993 में हुआ था। तब मैंने ऑपरेशन कराए थे। तब हमने सबसे ज्यादा फोकस मॉनिटरिंग और फॉलोअप पर किया था। हम दिन में टिडि्डयों को ट्रैक करते थे, रात में ऑपरेशन करते थे, इस बार भी यदि ऐसा किया जाए तो इस समस्या को आसानी से खत्म किया जा सकता है। तब एयर प्लेन भी लगाए गए थे। इस बार भी यूके से उपकरण आ रहे हैं, ड्रोन और गाड़ियां भी खरीदी जा रही हैं।

लोकस्ट वॉर्निंग ऑर्गेनाइजेशन की 50 टीमों के 200 कर्मचारी टिडि्डयों को भगाने में जुटे हैं

  • फरीदाबाद स्थित लोकस्ट वॉर्निंग ऑर्गेनाइजेशन में डिप्टी डायरेक्टर केएल गुर्जर कहते हैं कि अभी तो मुख्य रूप से राजस्थान ओर मध्यप्रदेश में ही टिडि्डयों का आतंक है। अभी खरीफ की फसल नहीं हैं, इसलिए इनसे सिर्फ सब्जियों का ही नुकसान है। टिडि्डयां सिर्फ पत्ते खा रही हैं।
  • इनको मारने के लिए कैमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें 96% मैलाथियान इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा लेम्ब्डासाइलोथ्रिन है, क्लोरोफाइरोफास भी प्रयोग कर रहे हैं।
  • गुर्जर कहते हैं किहमारी टीमें रात से सुबह तक टिडि्डयों को मारने का अभियान चला रही हैं। अलग-अलग राज्यों में लोकस्ट की 50 टीमों के 200 कर्मचारी इस काम में लगे हैं। इसके अलावा राज्य के कृषि विभाग के अधिकारी भी सहयोग कर रहे हैं।


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Locusts (Tiddi Dal) Attack Alert In Rajasthan, Haryana, Delhi, Gujarat, Madhya Pradesh, Maharashtra and Uttar Pradesh


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गंजे पुरुषों में कोरोनावायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा, स्पेन में हुईं दो रिसर्च का निष्कर्ष

गंजे पुरुषों में कोरोनावायरस के गंभीर संक्रमण का खतरा ज्यादा है। यह दावा अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता ने किया है। शोधकर्ता कार्लोस वैम्बियर का कहना है कि गंजापन संक्रमण और गंभीर होने रिस्क फैक्टर है।

गंजेपन का कोरोना मरीजों से कनेक्शन समझने के लिए दो स्टडीकी गईं। दोनों में ही नतीजे एक जैसे निकले। इससे पहले सामने आईं रिसर्च रिपोर्ट में यह बताया गया था महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को कोरोना संक्रमण का खतरा है और मौत का भी।

दोनों ही रिसर्च में दावों की पुष्टि हुई
शोधकर्ता के मुताबिक, 41 कोरोना के मरीजों पर हुई पहली रिसर्च में सामने आया कि इनमें71 फीसदी मरीज गंजे थे। यह शोध स्पेन के हॉस्पिटल में किया गया था। अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक, 122 पुरुषों पर हुए दूसरे शोध में 79 फीसदी कोरोना मरीज गंजे थे।

एंड्रोजन हार्मोन कोरोना की संक्रमण क्षमता बढ़ा सकता है
शोधकर्ताओं का कहना है कि मेल सेक्स हार्मोन एंड्रोजन गंजेपन और कोरोनावायरस की संक्रमण करने की क्षमता को बढ़ा सकता है। इसका मतलब है कि यह हार्मोन दवा के असर को दबाता है या कम करता है। इसलिए कोरोना के मरीजों की ठीक होने की दर धीमी हो जाती है। उन्हें रिकवर होने में समय लगता है।

हार्मोन संक्रमण का द्वार हो सकता है
शोधकर्ता कार्लोस का कहना है कि एंड्रोजन हार्मोन कोरोना के कोशिका को संक्रमित करने का एक गेटवे हो सकता है। अन्य शोधकर्ताओं का कहना है कि इस पर और अधिक रिसर्च करने की जरूरत है ताकि नई जानकारियां सामने आ सकें।

पुरुषों में महिलाओं से अधिक कोरोना के मामले
इससे पहले कई शोधकर्ताओं ने रिसर्च में साबित किया है महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक क्यों है। जानिए ऐसी5 पॉइंट वजह-

1. स्मोकिंग: यह फेफड़ों को खराब करखतरा बढ़ाता है
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, चीन में कोरोना के कारण मरने वालों में 26 फीसदी धूम्रपान करने वाले थे। शोधकर्ताओं के मुताबिक, धूम्रपान करने में महिलाओं के मुकाबले पुरुष आगे हैं। दुनियाभर के एक तिहाई धूम्रपान करने वाले लोग सिर्फ चीन में हैं, जबकि यहां सिर्फ दो फीसदी महिलाएं ही स्मोकिंग करती हैं। ब्रिटेन में 16.5 फीसदी पुरुष और 13 फीसदी महिलाएं स्मोकर हैं। शोध के मुताबिक, सिगरेट पीने के दौरान, बार-बार हाथ मुंह के पास पहुंचता है, इसलिए खतरा और भी ज्यादा है।


आरएमएल हॉस्पिटल, दिल्ली के विशेषज्ञडॉ. एके वार्ष्णेय के मुताबिक, कोरोनावायरस का संक्रमण सिगरेट के धुएं से नहीं फैलता है, लेकिन धुआं फेफड़ों को खराब करता है। अगर कोई ज्यादा सिगरेट पीता है तो उसकेफेफड़े कमजोर हो जाते हैंऔर ऐसे लोगों को वायरस के संक्रमण का खतरा भीज्यादा होता है। जो इंसान किसी भी तरह का धूम्रपान करते हैं, उनमे संक्रमण जल्दी फैलने का खतरा है।

महिलाओं के शरीर में बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा कारिस्पॉन्स ज्यादा तेज होता है।

2. कमजोर इम्यून सिस्टम : फीमेल हार्मोन ज्यादा ताकतवर
अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी के मुताबिक, कोरोना से लड़ने ने महिलाओं की इम्युनिटी बेहतर है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, महिलाओं में रिलीज होने वाले सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन शरीर की कोशिकाओं वायरस से लड़ने के लिए एक्टिवेट करते हैं। जबकि पुरुषों में सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन का असर उल्टा होता है। एक्स क्रोमोसोम्स में इम्यून जीन्स (TLR7) मौजूद होते हैं जिन्हें आरएनए वायरस ढूंढ लेते हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजिस्ट प्रो. फिलीप गोल्डर के मुताबिक, महिलाओं के शरीर में बीमारियों से लड़ने के लिए रिस्पॉन्स तेज होता है इसलिए उनका इम्यून सिस्टम ताकतवरबनता चला जाता है और रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक हो जाती है।

3.लाइफस्टाइल डिसीज : सार्स के समय भी 50 फीसदी अधिक पुरुषों की मौत हुई थी
एन्नल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, पुरुषों में लाइफस्टाइल डिसीज जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के मामले महिलाओं से ज्यादा होते हैं। ये बीमारियां कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ाती हैं। शोध के मुताबिक, 2003 में सार्स के संक्रमण के दौरान हॉन्ग-कॉन्ग में सबसे ज्यादा महिलाएं संक्रमित हुई थीं लेकिन फिर भी पुरुषों की मौत का आंकड़ा 50 फीसदी तक अधिक था। मर्स महामारी के दौरान भी संक्रमण से पुरुषों की मौत का आंकड़ा 32 फीसदी था। महिलाओं में यह आंकड़ा 25.8 फीसदी था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, महिलाएं पुरुषों से 6 से 8 साल अधिक जीती हैं।

कोरोना वायरस के स्पाइक्स इंसानी कोशिका से निकले ACE 2 की ओर आकर्षित होकर उससे जुड़ जाते हैं और फिर उस पर कब्जा करके अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं।

4. ACE2 प्रोटीन: यह पुरुषों में अधिक पाया जाता है
जब कोरोनावायरस शरीर में पहुंचता है तो ऐसी कोशिकाओं से जुड़ता है जो ACE2 प्रोटीन रिलीज करती हैं। आमतौर पर प्रोटीन फेफड़ों, हृदय और आंतों में पाया जाता है लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मात्रा टेस्टिस (वृषण-वीर्य कोष) में पाई जाती है। जबकि महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) में यह बेहद कम मात्रा में पाया जाता है।


5. हाइजीन: पुरुष पर्सनल हाइजीन-हाथ धोने में पीछे
महामारी से निपटने के लिए दुनियाभर के विशेषज्ञों ने साफ-सफाई बरतने के साथ बार-बार हाथ धोते रहने की सलाह दी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं के मुकाबले बार-बार हाथ धोने में पुरुष लापरवाह नजर आतेहैं। इसीलिए संक्रमण के मामले अधिक सामने आने की एक वजह ये भी है। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक यूनिहिरो मैत्सुहिता के मुताबिक-सफाई बरतने के मामले में, खासकर हाथों को धोने मेंपुरुष महिलाओं सेपीछे हैं।



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Coronavirus UK Scientist Research Latest News Updates On Bald Men COVID-19 Symptoms


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फ्लू के लिए बनाए जेनेटिक हथियार से हराएंगे कोराना को, वायरस को टुकड़ों में तोड़ने में 90 फीसदी सफलता मिली

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ऐसा जीन एडिटिंग टूल विकसित किया है जो इंसान की संक्रमित कोशिकाओं में मौजूद कोरोनावायरस को खत्म कर सकता है। इस टूल का नाम पैकमैन है।

जब इसका इस्तेमाल कोरोना से संक्रमित फेफड़ों की कोशिकाओं पर किया गया तो 90% तकसफलता मिलने का दावा किया गया है। शोधकर्ताओं ने इसे इंफ्लूएंजा के वायरस से लड़ने के लिए विकसित किया था लेकिन अचानक शुरू हुई कोविड-19महामारी के बाद इसका इस्तेमाल कोरोना पर किया गया।

ऐसे काम करता है यह टूल
शोधकर्ताओं के मुताबिक, पैकमैन, एंजाइम Cas13 और RNA से मिलकर बना है, इसका पूरा नाम है प्रोफेलैक्टिक एंटीवायरल क्रिस्पर इन ह्यूमन सेल्स। पैकमैन में मौजूद RNA एंजाइम को आदेश देता है कि कोरोनावायरस के जीनोम सिक्वेंस को तोड़े। ऐसा करने के बाद वायरस इंसान के शरीर में अपनी संख्या नहीं बढ़ा पाता और खत्म हो जाता है।

पहले जानवर पर होगा ट्रायल
शोधकर्ता ने जीन एडिटिंग टूल का पहला ट्रायल कोरोना संक्रमित जानवरों पर करने की तैयारी कर रहे हैं। इस रिसर्च में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और स्वीडन के कैरोलिन्स्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता भी शामिल होंगे।

चुनौतियों भरा था बदलाव
टूल को विकसित करने वाले शोधकर्ता स्टैंले-ची का कहना है कि पिछले साल मैंने इस पर काम करना शुरू किया था और लक्ष्य इंफ्लूएंजा वायरस था। जनवरी में कोरोना के मामले सामने आने के बाद इस टूल का इस्तेमाल नए वायरस पर करने के लिए बदलाव करना पड़ा जो काफी चुनौतियों भरा था।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की लैब में स्टैंले-ची (बाएं) और बर्कले लैंब्स मॉलीक्यूलर फाउंड्री के माइकल कैनोली।

90 फीसदी तक सफलता मिली
शोधकर्ता स्टैंले-ची का कहना है कि जब पैकमैन टूल लिपिटॉयड्स (खास तरह का मॉलीक्यूल) के साथ काम करता है तो बेहतर परिणाम मिलते हैं। रिसर्च के दौरान दोनों को मिलाकर कोरोनावायरस पर ट्रायल किया गया है तो 90 फीसदी तक सफलता मिली। बर्कले लैंब्स मॉलीक्यूलर फाउंड्री ने लिपिटॉयड्स उपलब्ध कराए हैं। जिसने रिसर्च को और बेहतर बनाया है।



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30 अप्रैल तक जितने कोरोना टेस्ट हुए, उनमें से 70% लोगों का डेटा ही नहीं रखा; इस दौरान 44% मरीज ऐसे भी थे, जिनमें संक्रमण कैसे फैला, इसका पता ही नहीं चला

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की तरफ से देश में कोरोना टेस्टिंग को लेकर एक स्टडी की गई है।

इसमें आईसीएमआर सरकारी एजेंसी है, जबकि पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया एक पब्लिक-प्राइवेट एजेंसी है। इसमें कुछ इंडिपेंडेंट रिसर्चर भी शामिल थे।

इस स्टडी में सामने आता है कि 22 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच तीन महीनों में जितने कोरोना मरीजों की टेस्टिंग हुई थी, उनमें से 70.6% मरीजों का डेटा ही नहीं रखा गया। स्टडी कहती है कि डेटा नहीं होने से देश में कोरोनावायरस किस तरह से फैल रहा है? इसे समझना मुश्किल है।

इस स्टडी के मुताबिक, 22 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच मिले कोरोना पॉजिटिव मरीजों में से 28% ऐसे थे, जिनमें कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे। 30 अप्रैल तक देश में 40 हजार 184 कोरोना मरीज थे।

इस दौरान जितने टेस्ट हुए थे, उनमें 67% पुरुष और 33% महिलाएं थीं। हर 10 लाख में से 41.6 पुरुषों और 24.3 महिलाओं की जांच हुई। हालांकि, पुरुषों की तुलना में ज्यादा महिलाओं की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जितने टेस्ट हुए, उनमें से 3.8% पुरुष और 4.2% महिलाएं पॉजिटिव थीं।

स्टडी को तैयार करने के लिए 10 लाख 21 हजार 528 टेस्ट और 40 हजार 184 कोरोना पॉजिटिव मरीजों का डेटा एनालाइस किया गया। ये स्टडी सुझाव देती है कि सरकार को ज्यादा से ज्यादा कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और टेस्टिंग करने की जरूरत है।

30 अप्रैल तक हर 10 लाख में 770 लोगों की ही टेस्टिंग हुई
स्टडी की मानें तो 22 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच देश में हर 10 लाख लोगों में से सिर्फ 770 लोगों की ही टेस्टिंग हुई। सबस कम 172 लोगों की टेस्टिंग मिजोरम में हुई और सबसे ज्यादा 8,786 लोगों की टेस्टिंग लद्दाख में हुई।

महाराष्ट्र जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले हैं, वहां 30 अप्रैल तक हर 10 लाख लोगों में से सिर्फ 1 हजार 70 लोगों की ही टेस्टिंग हुई थी। जबकि, दिल्ली में 2 हजार 149 और गुजरात में 1 हजार 133 लोगों के टेस्ट हुए।

70% मरीजों का डेटा नहीं होने का नतीजा: पॉजिटिव मरीजों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं हो सकी
क्योंकि हमारे पास 22 जनवरी से 30 अप्रैल के कोरोना की जांच के लिए होने वाले आरटी-पीसीआर के जितने टेस्ट हुए, उनमें से 70.6% लोगों का डेटा ही नहीं था। इसका नतीजा ये हुआ कि पॉजिटिव मरीजों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी ठीक तरीके से नहीं हो सकी। और कोरोना जैसी बीमारी को रोकने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बहुत जरूरी होती है।

30 अप्रैल तक देश में 40 हजार 184 मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले थे। इन मरीजों से संपर्क में आए सिर्फ 20.4% यानी 8 लाख 20 हजार 320 लोगों के ही टेस्ट हुए।

इनमें भी 6% ही ऐसे लोग थे, जो मरीजों के करीबी रिश्तेदार, दोस्त थे। बाकी बचे 14% ऐसे लोग थे, जो मरीज से किसी न किसी तरह से संपर्क में आए थे। जैसे- डॉक्टर, हेल्थकेयर स्टाफ, पड़ोसी।

इसका एक नतीजा ये भी रहा कि हमें पता ही नहीं था कि 44% लोग कैसे संक्रमित हुए?
स्टडी के मुताबिक, 30 अप्रैल तक 10.21 लाख से ज्यादा टेस्ट हुए थे, जिसमें से 40 हजार 184 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जितने लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, उनमें से 11 हजार 295 यानी 28.1% मरीज ऐसे थे, जिनमें कोरोना के लक्षण ही नहीं थे।

इतना ही नहीं, इस बीच 17 हजार 759 यानी 44.2% लोगों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। ये वो लोग थे, जिनके बारे में ये तक नहीं पता चल सका कि इनमें संक्रमण कैसे फैला?

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प्री मानसून की बारिश में गेहूं भीगने के बाद अब मूंग बर्बाद, प्याज लगी सड़ने, केले की फसल भी तबाह, टमाटर हुआ पानी- पानी; सरकारी अव्यवस्था से भीगीं किसानों की आंखें

निसर्ग तूफान से कई राज्यों में हो रही बारिश से खुले में रखा हजारों टन गेहूं भीग गया, वहीं खेतों में लगी सब्जियों को भी नुकसान पहुंचा है। इन राज्यों में प्रमुख तौर पर मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़, शामिल हैं। अगर मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां खरीदी केंद्रों पर खुले में पड़ा लाखों टन का गेंहूं प्री मानसून बारिश में गीला हो गया। यहां खेतों में लगी दाल और सब्जी की फसल को नुकसान पहुंचा है। वहीं हरियाणा की बात करें, यहां लॉकडाउन के कारण खरीद सीजन लंबा चला। अब स्थिति यह है कि खराब फसल प्रबंधन के कारण मंडी व गोदामों में गेहूं खराब हो रहा है। झज्जर जिले के खरीदी केंद्रो पर रखे गेंहू को नुकसान पहुंचा है। वहीं कल राजस्थान के कोटा में एक घंटे हुई 4.1 एमएम बारिश से मंडी में रखा 25.50 करोड़ का 1.50 लाख क्विंटल गेहूं भीगा है। छत्तीसगढ़ के पारिया अंचल में बेमौसम बरसात और आंधी ने सब्जी बाड़ी को काफी नुकसान पहुंचाया है। इससे किसानों को लाखों की क्षति पहुंची है।

मध्यप्रदेश- गेहूं भीगने के बाद अबमूंग बर्बाद, प्याज सड़ने लगी, केले की फसल भी तबाह

मध्य प्रदेश के कई जिलों के खरीद केंद्रों पर गेहूं खुले में पड़ा था। इससे पहले लॉकडाउन के दौरान हो रही खरीदी को पूरा कर लिया गया था लेकिन लाखों टन गेहूं प्री-मानसून बारिश में गीला हो गया। राजधानी भोपाल में वाटरप्रूफ टेंट की व्यवस्था नहीं की गई थी, जिस वजह से यहां साढ़े 12 हजार टन गेहूं भीग गया। उज्जैन में करीब दो लाख टन, देवास में 47 हजार टन, धार में 68 हजार टन, शाजापुर में 60 हजार टन, राजगढ़ में 15 हजार टन, विदिशा में 11 हजार टन, झाबुआ में चार हजार टन और रायसेन में दो हजार टन गेहूं भीगने की सूचना है। सीहोर में दो दिन की बारिश से 30 से अधिक केंद्रों पर रखा गेहूं भीगा है। वहीं, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला किसी तरह के नुकसान से मना कर दिया था। यहां सरकारी तर्क था कि गेहूं थोड़ा भीगने से नुकसान नहीं होता। इससे पहले गुरूवार को देखा गया था कि 18 केंद्रों पर अभी किसान एक हफ्ते से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के एमडी ने अरस्तू प्रभाकर ने कहा था कि नुकसान कितना हुआ, यह अभी बताना संभव नहीं है।

हरदा में फसल के फूल झड़े, नहीं बनेगा दाना


किसानों का कहना है कि बारिश से मूंग को 50 प्रतिशत नुकसान हुआ है। दूसरी ओर प्रशासन 2-5 प्रतिशत नुकसान मान रहा है। इसलिए सर्वे के निर्देश भी नहीं दिए हैं। भुवनखेड़ी के भागवत जाट ने बताया कि मूंग के फूल झड़ गए। अब दाना नहीं बनेगा। ऐड़ाबेड़ा के मनोज विश्नोई जो किसान हैं उन्होंने बताया कि खेत में रखी मूंग भीग गई। अंकुरण होने लगा है।

खंडवा : भीग गया प्याज, सड़ने की आशंका


खंडवा में बारिश से खेतों में रखा प्याज भीग गया। अब यह सड़ जाएगा। भाकिसं के जिला संयोजक सुभाष पटेल के मुताबिक जिले में 10 हजार हेक्टेयर में प्याज लगा था। लॉकडाउन और 3-4 रुपए प्रति किलो में भी खरीदार नहीं मिलने के कारण 70 प्रतिशत प्याज किसान बेच नहीं पाए। वहीं बड़वानी जिले में 500 क्विंटल से ज्यादा प्याज का नुकसान हुआ है। वहीं ग्वालियर संभाग के शिवपुरी में प्याज फसल में 5 से 10 फीसदी नुकसान हुआ है।

बुरहानपुर : 79 हेक्टेयर में केला फसल बर्बाद

बुरहानपुर में आंधी और बारिश से नेपानगर तहसील में 79 हेक्टेयर में केला फसल प्रभावित हुई है। 20 करोड़ तक के नुकसान की आशंका है। जिले में फिलहाल 15 हजार हेक्टेयर में केला, 5 हजार हेक्टेयर में गन्ना और 50 हेक्टेयर में मूंग फसल लगी हुई है।


हरियाणा: झज्जर की मंडी और गोदामों में रखा गेहूं भीगा, गेहूं खरीद का अंतिम दिन आज, बारिश में खराब हो रही गेहूं

हरियाणा के इस बार गेहूं खरीद का कार्य बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा। लॉकडाउन के कारण खरीद सीजन लंबा चला, लेकिन अब स्थिति यह है कि खराब फसल प्रबंधन के कारण मंडी व गोदामों में गेहूं खराब हो रहा है। शुक्रवार को कई क्षेत्रों में बारिश हुई। गोदामों और मंडी में खुले आसमान के नीचे रखा गेहूं भीग गया। आढ़तियों ने तिरपाल ढककर बचाने का प्रयास किया। इसके बावजूद गेहूं के नीचे से पानी चले जाने से इसके खराब होने की आशंका बढ़ गई है।6 जून शनिवार को गेहूं खरीद का अंतिम दिन है। इसके बाद कोई खरीद नहीं होगी। खरीद से एक दिन पहले गेहूं का भीगना खराब प्रबंधन की पोल खोल रहा है। पिछले दिनों बूंदाबांदी होने से भी मंडी में रखा गेहूं प्रभावित हो गया था।


राजस्थान के कोटा में 25.50 करोड़ का 1.50 लाख क्विंटल गेहूं भीगा

कोटाशहर में शुक्रवार को ऊपरी हवाओं के दबाव से साइक्लोन बनने से दोपहर 1:20 से 2:15 तक बारिश हुई। इस दौरान करीब 4.1 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। मौसम विभाग के अनुसार ये प्री मानसून की बारिश है। मौसम विभाग के अनुसार शुक्रवार को अधिकतम तापमान 36.9 डिग्री और न्यूनतम तापमान 25.7 डिग्री रहा। सुबह की आर्द्रता 50 प्रतिशत और शाम को 63 प्रतिशत रही। प्री मानसून की बारिशके कारण जनजीवन प्रभावित हुआ। तेज हवा के कारण कुछ जगहों पर टिनशेड और दुकानों के तिरपाल उड़ गए। कृषि उपज मंडी में किसानों की मेहनत से उगाई जिंसें बारिश के पानी के साथ बह गई। मंडी में पहले से बंदोबस्त नहीं होने के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ा।

भास्करकृषि मंडी में पहुंचा तो वहां किसान भारी मन से अपनी भीगी हुई जिंस को समेटने में जुटे थे। किसानों ने बताया कि जब मौसम विभाग ने चेतावनी दे दी थी और इसकी जानकारी समाचार-पत्रों के जरिए सभी को मिल चुकी थी तो मंडी प्रशासन ने पहले से बंदोबस्त क्यों नहीं किए। मंडी में अपनी जिंस को बचाने के लिए हर किसान के पास बंदोबस्त नहीं हो सकता है। ऐसे में व्यापारियों और मंडी समिति को प्रयास पहले से करने चाहिए थे। किसानों ने बताया कि भीगी हुई जिंस का अब कम दाम मिलेगा। ऐसे में हमें काफी नुकसान होगा।

छत्तीसगढ़: रायपुर के पलारी में बेमौसम बरसात व आंधी से सब्जी की फसल को काफी नुकसान, किसानों को लाखों की क्षति


रायपुर के पलारी अंचल में बेमौसम बरसात व आंधी ने सब्जी बाड़ी को काफी नुकसान पहुंचाया है। इससे किसानों को लाखों की क्षति पहुंची है। नगर सहित आसपास के गांवों में रुक-रुककर कभी भी हो रही बारिश ने सब्जी बाड़ी को ज्यादा नुकसान पहुंचाया। बदली और हवा ने सब्जियों में लगने वाले फूलों को गिरा दिया तो वहीं कीड़े लगने से भटे की फसल सड़ रही है। करेला का फूल और फल दोनों खराब हो गए। इसी तरह बरबट्टी, बंधी (पत्ता गोभी), भाजी, फूल गोभी, टमाटर, भिंडी में लगे फूल झड़ गए जिससे सब्जियां खराब हो गईं। अनियान सिंह फेकर, केजराम, संतोष, राधेश्याम, भीषम, सुखदेव, मिलाराम आदि किसानों ने बताया कि सभी ने ये सब्जियां लगाई थीं और इसके लिए कर्ज भी लिया था पर अब सब कुछ बरबाद हो चुका है। उन्होंने बताया कि जैसे पौधों में फल फूल लगने को होते हैं, बारिश शुरू हो जाती है। फिर बारिश खत्म होने से पहले और बाद में बदली भी छा जाती है। इससे रोशनी न पाकर फूल झड़ जाते हैं।

टमाटर बारिश में सड़ जाता है

किसानों ने बताया कि टमाटर बारिश में सड़ जाता है जिससे इस साल उसकी फसल ही नहीं ली है जबकि बंधी, भाजी, प्याज भाजी भी इस बार मौसम के उतार चढ़ाव के कारण बहुत खराब हुई जो दवाइयों के छिड़काव से भी कंट्रोल नहीं हुई ।

मंडी में आवक कम होने से रेट बढ़े
सब्जी बेचने वाले संतोष राजू, चैतराम, बिसौहा, मनोज आदि ने बताया कि खराब मौसम होने से इस बार मंडी में सब्जी काफी महंगी मिली। फिर भी कोरोना काल में महंगाई में ही सब्जी बेचना मजबूरी हो गया। उनका कहना था कि टमाटर मार्केट में कम आ रहा है तो उसका भाव 30 रुपया किलो हो गया। इसी तरह करेला 30, भिंडी 20, लौकी 16 से 20, बरबट्टी 20, भटा 20 रुपए किलो बिक रहा है। ये सब्जियां मंडी में आवक कम होने के कारण महंगी हो गई हैं।

सब्जियों में कीड़े भी लगे
इस संबंध में कृषि विस्तार अधिकारी चित्रसेन मेश्राम का कहना है मौसम की वजह से ही सब्जी की फसल खराब हुई है। बहुत सी सब्जियों में कीड़े लग जाने से उसके बचाव के लिए किसानों को कोराजिन फायरफॉक्समैथिन आदि दवा के घोल का छिड़काव करने की सलाह दी जा रही है।



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खरीदी केंद्रों के बाहर खुले में रखे गेहूं को तिरपाल से ढंकते हुए।


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