मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020

दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर क्वारैंटाइन मुहर लगाने के बाद कांग्रेस नेता के हाथ पर फफोले आए, दर्द और खुजली भी हुई

दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर क्वारैंटाइन करने के लिए लगाई गई मुहर (सील) से कांग्रेस नेता मधु याक्षी गौड़ के हाथ पर फफोले पड़ गए। यही नहीं, हाथ में दर्द और खुजली भी शुरू हो गई। गौड़ ने नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी से इसकी शिकायत की। उन्होंने सोमवार को ट्वीट किया- हरदीप सिंह पुरी जी, दिल्ली एयरपोर्ट पर स्टांपिंग के लिए इस्तेमाल हो रही इंक में मौजूद केमिकल पर गौर करें। कल एयरपोर्ट पर मेरे हाथ पर मुहर लगाई गई थी, इसके बाद से ही दर्द और खुजली हो रही है। अब मेरा हाथ कुछ इस तरह नजर आ रहा है।

गौड़ ने ट्विटर पर अपने हाथ की दो तस्वीरें भी पोस्ट की। केंद्रीय हरदीप सिंह पुरी ने गौड़ के ट्वीट का जवाब दिया- ‘इस ओर ध्यान दिलाने के लिए आपका शुक्रिया। मैंने इसके बारे में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के सीएमडी से बात की है।’ शिकायत के बाद दिल्ली एयरपोर्ट के अधिकारी तुरंत एक्शन में आए। एक अफसर के मुताबिक, अब एयरपोर्ट पर इंक के फ्रेश बैच का इस्तेमाल किया जा रहा है।

विदेश से लौटने वालों के लिए 7 दिनों का इंस्टीट्यूशनल क्वारैंटाइन जरूरी

कोरोना नियमों के मुताबिक, विदेश यात्रा करने वाले सभी लोगों को 7 दिन तक इंस्टीट्यूशनल क्वारैंटाइन और उसके बाद सात दिन तक होम क्वारैंटाइन में रहना जरूरी है। हालांकि, यात्रा से 96 घंटे पहले कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट लेने वाले लोगों को इंस्टीट्यूशनल क्वारैंटाइन से छूट दी गई है। सभी एयरपोर्ट्स पर होम क्वारैंटाइन में भेजे जाने वाले लोगों के हाथ पर मुहर लगाई जाती है। इसके लिए ऐसी स्याही का इस्तेमाल होता है, जिसे आसानी से नहीं मिटाया जा सके।

डीआईएल ने अफसोस जाहिर किया

दिल्ली एयरपोर्ट का मैनेजमेंट जीएमआर ग्रुप की अगुआई वाली दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डीआईएल) करती है। कांग्रेस नेता के ट्वीट पर डीआईएल ने कहा- आपको हुई असुविधा के लिए हमें अफसोस है। स्टांपिंग के लिए नहीं मिटने वाली स्याही का इस्तेमाल होता है। हमने इस मामले के बारे में दिल्ली सरकार के अधिकारियों को जानकारी दे दी है। दिल्ली एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक, घरेलू यात्रा करने वाले लोगों के लिए भी सात दिनों का क्वारैंटाइन जरूरी है। हालांकि, उनके हाथ पर मुहर नहीं लगाई जाती।



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यह फोटो कांग्रेस नेता मधु याक्षी गाैड़ ने ट्वीट किया। इसमें साफ देखा जा सकता है कि मुहर लगाने के बाद उनके हाथ की क्या हालत हुई।


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बीएसई सेंसेक्स 39,200 और निफ्टी 11,500 के स्तर पर, ऑटो और बैंकिंग शेयरों में भी तेजी,टाटा मोटर्स का शेयर 5% ऊपर

हफ्ते में कारोबार के दूसरे दिन में शानदार तेजी है। बीएसई 277.83 अंक ऊपर 39,251.53 पर और निफ्टी 79.20 अंक ऊपर 11,582.55 पर पर कारोबार कर रहा है। बाजार में बैंकिंग और ऑटो शेयरों में खरीदारी है। निफ्टी बैंक इंडेक्स में 218 अंकों की बढ़त है। आरबीएल बैंक के शेयर में 2% से ज्यादा की तेजी है।

स्टॉक्स अपडेट

निफ्टी में टाटा मोटर्स का शेयर 5% ऊपर कारोबार कर रहा है। एचडीएफसी और अदानी पोर्ट के शेयरों में क्रमश: 4 और 3 फीसदी बढ़त है। जबकि आईटी स्टॉक्स विप्रो और इंफोसिस के शेयरों में 1-1 फीसदी की गिरावट है। सुबह बीएसई 362.64 अंक ऊपर 39,336.34 पर और निफ्टी 100.1 अंक ऊपर 11,603.45 के स्तर पर खुला।

सोमवार को बाजार का हाल
कल बाजार में आईटी और मेटल के शेयर शानदार बढ़त के साथ बंद हुए थे। इसमें निफ्टी आईटी इंडेक्स 698 अंकों की तेजी के साथ 20,809 के स्तर पर बंद हुआ था। विप्रो और टीसीएस के शेयरों में भी 7-7% से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली थी। अंत में बीएसई 276.65 अंक ऊपर 38,973.70 पर और निफ्टी 86.40 अंक ऊपर 11,503.35 के स्तर पर बंद हुआ था।

दुनियाभर के बाजारों में रही बढ़त
सोमवार को ग्लोबल मार्केट में अच्छी बढ़त देखने को मिली। अमेरिकी बाजार डाउ जोंस 1.68% की बढ़त के साथ 465.83 अंक ऊपर 28,148.60 पर बंद हुआ था। वहीं, नैस्डैक भी 2.25% ऊपर 11,509.10 के स्तर पर बंद हुआ था। एसएंडपी 500 इंडेक्स 1.80% की बढ़त के साथ 3,408.62 अंकों पर बंद हुआ था।

यूरोपियन शेयर मार्केट में भी सोमवार को खरीदारी देखने को मिली। ब्रिटेन के FTSE, फ्रांस के CAC , जर्मनी DAX और रूस MICEX इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए। एशियाई बाजारों में आज जापान का निक्केई इंडेक्स 155 अंकों की बढ़त है, जबकि चीन का शंघाई कंपोजिट 0.20% नीचे कारोबार कर रहा है।

09:38 AM बीएसई ऑटो इंडेक्स में शामिल 15 ऑटो कंपनियों में से 14 में बढ़त है। इंडेक्स में केवल अमारा राजा बैट्री के शेयर में % की गिरावट है।

09:30 AM निफ्टी-50 इंडेक्स में टॉप गेनर स्टॉक्स; टाटा मोटर्स का शेयर 4% ऊपर कारोबार कर रहा है।

सोर्स - एनएसई

09:26 AM बीएसई सेंसेक्स में शामिल 30 में से 24 कंपनियों के शेयरों में बढ़त, जबकि 6 कंपनियों के शेयरों में गिरावट है। एचडीएफसी का शेयर 4% ऊपर कारोबार कर रहा है।

सोर्स -बीएसई

09:15 AM बीएसई 362.64 अंक ऊपर 39,336.34 पर और निफ्टी 100.1 अंक ऊपर 11,603.45 के स्तर पर खुला।

दुनियाभर के बाजारों का हाल



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BSE NSE Sensex Today | Stock Market Latest Update: October 6 Share Market, Trade BSE, Nifty, Sensex Live News Updates


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दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर क्वारैंटाइन मुहर लगाने के बाद कांग्रेस नेता के हाथ पर फफोले आए, दर्द और खुजली भी हुई

दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर क्वारैंटाइन करने के लिए लगाई गई मुहर (सील) से कांग्रेस नेता मधु याक्षी गौड़ के हाथ पर फफोले पड़ गए। यही नहीं, हाथ में दर्द और खुजली भी शुरू हो गई। गौड़ ने नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी से इसकी शिकायत की। उन्होंने सोमवार को ट्वीट किया- हरदीप सिंह पुरी जी, दिल्ली एयरपोर्ट पर स्टांपिंग के लिए इस्तेमाल हो रही इंक में मौजूद केमिकल पर गौर करें। कल एयरपोर्ट पर मेरे हाथ पर मुहर लगाई गई थी, इसके बाद से ही दर्द और खुजली हो रही है। अब मेरा हाथ कुछ इस तरह नजर आ रहा है।

गौड़ ने ट्विटर पर अपने हाथ की दो तस्वीरें भी पोस्ट की। केंद्रीय हरदीप सिंह पुरी ने गौड़ के ट्वीट का जवाब दिया- ‘इस ओर ध्यान दिलाने के लिए आपका शुक्रिया। मैंने इसके बारे में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के सीएमडी से बात की है।’ शिकायत के बाद दिल्ली एयरपोर्ट के अधिकारी तुरंत एक्शन में आए। एक अफसर के मुताबिक, अब एयरपोर्ट पर इंक के फ्रेश बैच का इस्तेमाल किया जा रहा है।

विदेश से लौटने वालों के लिए 7 दिनों का इंस्टीट्यूशनल क्वारैंटाइन जरूरी

कोरोना नियमों के मुताबिक, विदेश यात्रा करने वाले सभी लोगों को 7 दिन तक इंस्टीट्यूशनल क्वारैंटाइन और उसके बाद सात दिन तक होम क्वारैंटाइन में रहना जरूरी है। हालांकि, यात्रा से 96 घंटे पहले कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट लेने वाले लोगों को इंस्टीट्यूशनल क्वारैंटाइन से छूट दी गई है। सभी एयरपोर्ट्स पर होम क्वारैंटाइन में भेजे जाने वाले लोगों के हाथ पर मुहर लगाई जाती है। इसके लिए ऐसी स्याही का इस्तेमाल होता है, जिसे आसानी से नहीं मिटाया जा सके।

डीआईएल ने अफसोस जाहिर किया

दिल्ली एयरपोर्ट का मैनेजमेंट जीएमआर ग्रुप की अगुआई वाली दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डीआईएल) करती है। कांग्रेस नेता के ट्वीट पर डीआईएल ने कहा- आपको हुई असुविधा के लिए हमें अफसोस है। स्टांपिंग के लिए नहीं मिटने वाली स्याही का इस्तेमाल होता है। हमने इस मामले के बारे में दिल्ली सरकार के अधिकारियों को जानकारी दे दी है। दिल्ली एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक, घरेलू यात्रा करने वाले लोगों के लिए भी सात दिनों का क्वारैंटाइन जरूरी है। हालांकि, उनके हाथ पर मुहर नहीं लगाई जाती।



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हॉस्पिटल से व्हाइट हाउस लौटे ट्रम्प, बाहर निकलते ही मास्क हटाया, कहा- कोरोना से डरने की जरूरत नहीं; दूसरी प्रेसिडेंशियल डिबेट में हिस्सा ले सकते हैं

तीन दिन पहले कोरोना पॉजिटिव पाए गए डोनाल्ड ट्रम्प इलाज के बाद सोमवार रात हॉस्पिटल से व्हाइट हाउस पहुंच गए। उन्होंने कहा- कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। हालांकि, उनके डॉक्टर ने कहा है कि राष्ट्रपति को सेहत का बहुत ध्यान रखना होगा। क्योंकि, खतरा टला नहीं है। व्हाइट हाउस में ट्रम्प ने मास्क भी हटा दिया।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ट्रम्प 15 अक्टूबर को होने वाली दूसरी प्रेसिडेंशियल डिबेट में हिस्सा ले सकते हैं। हालांकि, व्हाइट हाउस की तरफ से अब तक इसकी औपचारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है।

इलाज जारी रहेगा
तीन दिन बाद ट्रम्प व्हाइट हाउस पहुंचे। यहां उनके पर्सनल डॉक्टर सीन कोनले ने कहा- खतरा अभी टला नहीं है। राष्ट्रपति को जरूरी सावधानियां रखनी होंगी। उनका इलाज जारी रहेगा। हॉस्पिटल से ट्रम्प सूट और मास्क में निकले। मीडिया की तरफ देखकर हाथ हिलाया। मीडिया ने दूर से सवाल पूछने की कोशिश की। लेकिन, उन्होंने सिर्फ शुक्रिया-शुक्रिया कहा। खास बात ये है कि इस दौरान उन्होंने अपना मास्क भी हटा दिया। हॉस्पिटल से निकलकर वे अपने ऑफिशियल हेलिकॉप्टर मरीन वन में बैठे और 10 मिनट में व्हाइट हाउस पहुंच गए।

लोगों ने लाइव देखा
ट्रम्प को बिना मास्क के व्हाइट हाउस में जाते वक्त लोगों ने टीवी पर इसे लाइव देखा। राष्ट्रपति के डॉक्टर सीन कोनले ने कई मुश्किल सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया। जैसे कि कि ट्रम्प के फेफड़ों की क्या स्थिति है। और सबसे बड़ा सवाल कि क्या राष्ट्रपति की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है। इतना जरूर कहा कि राष्ट्रपति को एंटी वायरल ड्रग रेमडेसिविर का आखिरी डोज दिया गया है, इलाज जारी रहेगा। सप्ताह के आखिर तक कई चीजों का इंतजार करना होगा। लेकिन, फिलहाल हमने राहत की सांस ली है।

खतरा टला नहीं
कोनले ने साफ कर दिया कि राष्ट्रपति की सेहत की लगातार निगरानी की जा रही है और खतरा पूरी तरह टला नहीं है। ट्रम्प की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैक्केनी भी पॉजिटिव हो चुकी हैं। ट्रम्प ने हॉस्पिटल से निकलने से पहले कहा- कोविड-19 से डरने की जरूरत नहीं है। इसको अपनी जिंदगी पर हावी न होने दें। बाद में एक वीडियो भी पोस्ट किया। कहा- एक बात तय है। कोरोना को अपनी जिंदगी पर हावी न होने दें। आप आसानी से इसे हरा सकते हैं।

प्रेसिडेंशियल डिबेट में हिस्सा लेंगे
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ट्रम्प 15 अक्टूबर को होने वाली दूसरी प्रेसिडेंशियल डिबेट में हिस्सा जरूर लेंगे। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है। उनके कैम्पेन मैनेजर रायन नोब्स ने कहा- ट्रम्प दूसरी बहस में शिरकत करेंगे। मुझे इस बारे में जानकारी दी गई है। उनकी कैम्पेन टीम को इस बारे में कमिशन ऑफ डिबेट यानी सीपीडी को इस बारे में जानकारी देनी होगी। आधिकारिक घोषणा बाद में की जाएगी।



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Donald Trump Returns to White House after receive treatment for Covid-19 | Here's Latest US Election 2020 News From The New York Times


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वहां जाकर बड़का-बड़का नेता लोग भी अपना मत्था टेकते हैं ...ई जो गिरिराज, रविशंकर, सुशील मोदी हैं न, वहां भुइयां में बैठते हैं

ये पटना का वीरचंद पटेल पथ है... दोपहर के 12:30 बजे हैं। इस पथ की कुछ अलग खासियत है। बिहार की सभी प्रमुख सियासी पार्टियों के मुख्यालय यहीं पर हैं। यानी भाजपा, राजद, जदयू, रालोसपा, राकांपा आदि...। माना जाता है कि विधानसभा का रास्ता इस वीरचंद पटेल पथ से गुजरे बिना पूरा नहीं हो सकता। इसी सड़क पर राजद कार्यालय के ठीक सामने रायजी की लिट्टी-चोखा वाली दुकान है। दुकान पर वक्त के साथ मैले पड़ चुके दो स्टीकर लगे हैं। इनपर लिखा है- नालंदा की मशहूर लिट्टी-चोखा की दुकान। रेट 25 रुपए में दो पीस घी के साथ और 20 रुपए में दो पीस बिना घी के।

इस पथ की एक खासियत और भी है। सामने राजद, तो बाईं ओर जदयू और दाईं ओर भाजपा ऑफिस होने की वजह से यह दुकान कुछ-कुछ सर्वदलीय राजनीतिक जमावड़ा जैसी ज्यादा लगती है। हर दल के अमूमन हर नेता और कार्यकर्ता का यह प्रिय ठिकाना है। गेट के अंदर जाकर अपनी बात पहुंचाने में सफल और विफल दोनों ही तरह के लोग यहां मिलेंगे। कभी अपनी खुशी का इजहार करते तो कभी अपनी भड़ास निकालते हुए। कभी-कभी तो सभी दल वाले यहां एक-दूसरे का कंधा इस्तेमाल करते दिख जाते हैं।

तो रायजी की लिट्टी आज भी पक रही है। कुछ लोग इंतजार कर रहे हैं। इस इंतजार में जो बेसब्री है, उसने अंदर का ताप बढ़ा दिया है। एक नेताजी बोले हैं- ‘का रायजी, आपकी लिट्टियों में अंदर मने आग सुलग रही है... मने आंच ही नहीं है... कब पकेगा लिट्टी जी। कब से इंतजार कर रहे हैं। एकदम पार्टी सबन क टिकस हो गइल बा। बुझाते नइखे कि चुनाव तक भी टिकट फाइनल होई कि नहीं।’

तत्काल तीखा प्रतिवाद हुआ है... ये बख्तियारपुर के राजेश हैं। जोरदार आवाज में बोले- 'लागत आ कि गलत पार्टी चुन लिए हैं जी। अभियो मौका है...देख लीजिये, राय जी की लिट्टी की आंच को दोष काहे दे रहे हैं। इनका चूल्हा भी दुरुस्त है, गोइठा भी... आंच की तो बाते न कीजिये।’ राय जी मुस्करा के रह गये हैं।

लिट्टी की पहली खेप तैयार हो चुकी है। गोइठा की धीमी आंच पर जिस तरह लिट्टी अंदर तक पक चुकी है, बातें भी धीमे-धीमे पकने लगी हैं।

लिट्टी को अपने अंदाज में बीच से फोड़ चुके एक नेता नुमा सज्जन बोले- ‘का हो राय जी, एमे घी एतना कम काहे बा। अरे जेतना घी डलब ओतने दुकनिया गमकी, नहीं त... (एक पार्टी का नाम) जैसन हाल तोहरो हो जाई...’।

एक दूसरा स्वर... अबकी हमार नेतवा के टिकट मिल जाई नु त बहुते काम ठीक हो जाई... नेताजी के लिबास से लग रहा है कि वो असल वाले नेता जी तो नहीं ही हैं। जरूर किसी के साथ पटना पहुंचे हैं। पटनिया भाषा में इन्हें ‘लटकन’ कहा जाता है। भाषा से लग रहा है सासाराम की तरफ के होंगे और जरूर किसी नेता की भीड़ का हिस्सा बन कर आए हैं। बात अभी थमी नहीं है। बोले- ‘अबकी त अशोकवे पूरा गेम खराब कर देले बा, ना त उ सीट प आरजेडीय के हक रहे...’ उनके साथ आया कार्यकर्ता बोल पड़ा- ‘सब तेजस्वीए नु तय करतारे, तब हमनी के नेता जी त मजबूत बाड़े...’

लिट्टी की पहली खेप खत्म हो चुकी है, लेकिन दूसरी खेप पकने को तैयार है। मेरे साथ खड़े मनीष बोले- 'काश कि पुरनका नेतवन सब भी इसी तरह बैकअप ले के चलता तो राजनीति में ऐसी क्राइसिस न होती।' लिट्टी के लिए भीड़ भी बढ़ने लगी है। अचानक रायजी की तेज आवाज आई... 'अरे महेंदरा, ई आग बुता जाएगा नु... इसमें बैगन काहे नहीं रखता है रे... लड़का देखने से तो माइनर लगा... लेकिन चूल्हे पर बैगन बहुत सलीके से रखने लगा है...।'

कुर्ते पर कमल वाला बैच लगाए कुछ नेता आ चुके हैं। एक के कंधे पर गेरुए रंग का गमछा भी है। बगल वाली दुकान से तुलसी और पान मसाला मांगा गया... गमछे से आवाज आई, जानते हैं भइया, सब लोग दिल्ली चल गए हैं... अब यहां कोई नहीं है... हम लोग बेकारे यहां बइठले हैं... तभी गुटखा वाला नेता बोला- 'पगला गये हैं का जी! हम लोग भी चले जाएंगे तब तो खेले सब बिगड़ जाएगा ...अरे अध्यक्षे जी न गए हैं, बाकी त इहे हैं। सब लोग के प्रणाम कर लेना है। तुमको पता है विजय निकेतन (आरएसएस) से भी सीट फाइनल होगा।'

मेरे मुंह से अचानक निकल गया, अब भाजपा में आरएसएस का कहां चलता है। बातचीत में एक अपरिचित एंट्री देख सब चुप हो गए। मुझे भी अपनी चूक का अहसास हो चुका था। आश्चर्य से मेरी ओर देखते हुए इशारों में ही जैसे पूछा हो- आप कौन?

मैंने कहा- मैं तो लिट्टी-चोखा खाने आया हूं। सुने हैं बड़ा बढ़िया लिट्टी खिलाता है।

गेरुआ गमछे वाले ने कहा- 'लिट्टी खाने आए हैं त लिट्टीये न खाया जाए भाई जी...। आरएसएस के ताकत के बारे आप क्या जानिएगा! आपको पता भी है, वहां जाकर बड़का बड़का नेता लोग भी अपना मत्था टेकते हैं ...ई जो गिरिराज सिंह, रवि शंकर, सुशील मोदी हैं ना, वहां जाकर भुइयां में बैठते हैं।' बात आगे बढ़ती कि अचानक लिट्टी उनके सामने रख दी गई। सब अपने हिस्से की लिट्टी खाने में मगन हो गये। मैंने भी धीरे से रास्ता पकड़ लिया।



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Patna (Bihar) Assembly Election 2020 Latest Update | What Patna Voters Of Have To Say On Giriraj Singh, Ravi Shankar, Sushil Modi Tejashwi Yadav Politics


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'दो सौ रुपए रोज कमाता हूं, बच्चे को फोन दिलाऊंगा तो खिलाऊंगा क्या', मुंबई से लेकर छोटे से गांव तक एक जैसी कहानियां

'मैं दिनभर दिहाड़ी करके दो सौ रुपए कमा पाता हूं। उसमें भी काम कभी मिलता है तो कभी नहीं मिलता। अभी सोयाबीन का काम चल रहा है, इसलिए दिहाड़ी मिल रही है। महीने का पांच-छ हजार रुपए बमुश्किल कमा पाता हूं। अब इसमें परिवार का पेट भरूं कि बच्चे को स्मार्टफोन दिलवाऊं'। यह पीड़ा है मप्र के धार जिले के चंदोदिया गांव में रहने वाले सोहन मुनिया की। जब हम उनसे बात कर रहे थे, तब वो खेत में ही काम कर रहे थे। सुबह 9 बजे दिहाड़ी के लिए निकल जाते हैं। शाम 7 बजे तक घर पहुंचते हैं। आपके घर में स्मार्टफोन नहीं है तो बच्चा पढ़ाई कैसे कर रहा है? ये पूछने पर बोले, किताबें हैं, उससे वो खुद ही पढ़ता रहता है। बीच-बीच में गांव में सर लोग आते हैं, वो बच्चों को कहीं इकट्ठा करके पढ़ाते हैं। अब स्मार्टफोन तो गांव में गिने-चुने बच्चों के पास ही है। इसलिए ऑनलाइन तो कोई पढ़ नहीं पा रहा।

यह सिर्फ एक बानगी है। लॉकडाउन के बाद से ऑनलाइन पढ़ाई तो करवाई जा रही है लेकिन गरीबों के बच्चों को यह भी हासिल नहीं हो पा रही और यह हालात सिर्फ गांव में ही नहीं हैं बल्कि मुंबई जैसे शहर में भी हैं। रेंसी लियोन 7वीं क्लास की स्टूडेंट हैं। वो धारावी में रहती हैं। वही धारावी जो एशिया की सबसे बड़ा स्लम कही जाती है। रेंसी को एक ट्रस्ट के जरिए वडाला के औक्सिलियम कॉन्वेंट हाईस्कूल में एडमिशन मिल गया था, लेकिन जब से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई है, तब से उन्हें पढ़ाई में भयंकर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पास स्मार्टफोन नहीं है।

धारावी में इस कमरे में रहती हैं रेंसी। उनकी मां कहती हैं, अभी तो किराया भी नहीं दे पा रहे, ऐसे में स्मार्टफोन कैसे खरीदें।

रेंसी अपनी मां महिमा के साथ रहती हैं। लॉकडाउन के पहले तक महिमा साफ-सफाई का काम करने इधर-उधर जाया करती थीं। इसी से होने वाली कमाई से वो किराया भरती थीं और अपनी बच्ची की परवरिश कर रहीं थीं, लेकिन लॉकडाउन के बाद से उनका काम छिन गया तो कमाई बंद हो गई। महिमा तो अभी अपने घर का किराया ही नहीं दे पा रहीं। कहती हैं, लोग जो राशन बांटते हैं उससे महीनेभर खाते हैं, अब बेटी को स्मार्टफोन कैसे दिलवाऊं? फिर रेंसी पढ़ाई कैसे कर रही है? इस पर रेंसी ने बताया कि, वो अपनी एक फ्रेंड के घर जाती है पढ़ने। उसके पास स्मार्टफोन है। वॉट्सऐप ग्रुप में जो कंटेंट आता है, वो नोट कर लेती है। सुबह साढ़े सात बजे से दोपहर बारह बजे तक दोस्त के घर ही रहती है। रेंसी और अनिल की ही तरह बीजलपुर की शर्मीली भी स्मार्टफोन न होने के चलते पढ़ाई नहीं कर पा रही। शर्मीली के पिता भंवर सिंह कहते हैं, हमारे गांव में जो स्कूल है, उसके टीचर आते रहते हैं, वो बच्चों को दूर-दूर बैठाकर पढ़ाते हैं। गांव में बहुत कम बच्चों के पास स्मार्टफोन है इसलिए उससे तो कम ही पढ़ाई कर पा रहे हैं।

एनसीईआरटी के सर्वे में भी यह सामने आ चुका है कि 27 फीसदी बच्चों के पास न स्मार्टफोन है और न ही लैपटॉप।

धार के सहायक परियोजना समन्वयक कमल सिंह ठाकुर ने कहा, भोपाल से रोज ऑनलाइन पढ़ाई का कंटेंट वॉट्सऐप ग्रुप में आता है। इसे ही शिक्षकों के जरिए बच्चों तक सर्कुलेट किया जाता है लेकिन ये सच है कि गांव में अधिकांश बच्चों के पास स्मार्टफोन ही नहीं है, ऐसे में वो इसका फायदा नहीं उठा पा रहे। हालांकि हमारा स्टाफ एक-एक, दो-दो दिन में गांव में पहुंचकर बच्चों की पढ़ाई में मदद कर रहा है। कई बार किसी बच्चे के पास फोन होता है तो उसे कहते हैं कि ग्रुप में चार-पांच बच्चे एकसाथ पढ़ लो, ताकि सभी को स्टडी मटेरियल मिल जाए।

एनसीईआरटी के सर्वे ने कहा, 27 फीसदी के पास स्मार्टफोन नहीं...

31 फीसदी बच्चों ने कहा कि, वे ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान फोकस नहीं कर पाते।

बच्चों के पास स्मार्टफोन न होने की पुष्टि एनसीईआरटी का सर्वे भी करता है। इसके मुताबिक, करीब 27 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जिनके पास न स्मार्टफोन है, न लैपटॉप। वहीं 28 फीसदी स्टूडेंट्स और पेरेंट्स ने बिजली को ऑनलाइन पढ़ाई में सबसे बड़ी बाधा बताया। इस सर्वे में 34 हजार लोग शामिल थे। जिनमें पैरेंट्स, टीचर्स और प्रिंसिपल की राय भी ली गई थी। वहीं चाइल्ड राइट्स के लिए काम करने वाले एनजीओ स्माइल फाउंडेशन ने 42, 831 स्टूडेंट्स के बीच सर्वे करवाया था, इसमें पता चला था कि 56 परसेंट बच्चों के पास पढ़ने के लिए स्मार्टफोन नहीं है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश में 35 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं, लेकिन इनमें से कितनों के पास डिजिटल डिवाइस और इंटरनेट की सुविधा है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। यह सर्वे 23 राज्यों में 16 से 18 अप्रैल के बीच किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में ही करीब 16 लाख स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जिनके पास पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन या इंटरनेट की सुविधा नहीं।



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धारावी में रहने वाली रेंसी कहती हैं अभी वो अपनी दोस्त के साथ उसके स्मार्टफोन से पढ़ाई करती हैं। मेरे पास भी स्मार्टफोन है, लेकिन वो खराब है और रिपेयर करवाने के पैसे नहीं हैं।


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पिछले 24 घंटे में 59 हजार 893 मरीज बढ़े, 76 हजार 657 लोग स्वस्थ भी हो गए; देश में अब तक 66.82 लाख केस

देश में कोरोना को लेकर अच्छी खबर आ रही है। पिछले 24 घंटे में 59 हजार 893 मरीज बढ़े तो 76 हजार 657 लोग स्वस्थ भी हो गए। इसके साथ देश में मरीजों की संख्या बढ़कर 66 लाख 82 हजार 073 हो गई है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

उधर, पिछले 26 दिनों में एक्टिव केस सबसे निचले स्तर पर आ गया है। 10.17 लाख से घटकर ये 9.19 लाख पहुंच गया है। मतलब देश में अभी 9 लाख 18 हजार 429 मरीज ऐसे हैं, जिनका इलाज चल रहा है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी आई है। सोमवार को राज्य में 1460 और भोपाल में 170 नए संक्रमित सामने आए। एक दिन पहले रविवार को भोपाल में 1720 संक्रमित बढ़े थे। इस तरह से अक्टूबर में लगातार संक्रमितों की संख्या में कमी आ रही है।
खास बात यह है कि अब प्रदेश में संक्रमण दर भी कम हो रही है। यह घटकर 6 प्रतिशत पर पहुंच गई। सोमवार को 24.1 हजार टेस्ट हुए। इसके साथ राज्य में अब तक कुल 22.3 लाख टेस्ट हो चुके हैं।

2. राजस्थान
राज्य में सबसे ज्यादा मरीज जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अलवर, अजमेर और भीलवाड़ा में मिल रहे हैं। इन छह जिलों में 70% रोगी सिर्फ यहीं मिल रहे हैं। बाकी 27 जिलों में कुल मात्र 30% रोगी आ रहे हैं।

सोमवार को राज्य में 2165 नए रोगी मिले। इनमें 1499 रोगी अकेले जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अलवर, अजमेर और भीलवाड़ा के हैं। बाकी 27 जिलों में कुल रोगी 666 ही हैं। इसी तरह सोमवार को 14 मौतें हुईं, इनमें से 50% मौतें यानी 7 केवल इन्हीं छह जिलों में हुईं।

3. बिहार
राज्य में मरीजों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। सोमवार को 909 नए मरीज मिले। वहीं, 87.8 हजार लोगों का कोरोना टेस्ट हुए। इस तरह राज्य में 77.9 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। पॉजिटिविटी रेट 2.4% हो गया है। अक्टूबर महीने में एक से तीन अक्टूबर तक सिर्फ 11 मौतें हुईं, वहीं सिर्फ 5 अक्टूबर को 9 लोगों ने दम तोड़ा।

4. महाराष्ट्र
राज्य में सोमवार को 10 हजार 244 लोग संक्रमित मिले और 12 हजार 982 मरीजों को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। अब तक 14 लाख 53 हजार 653 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 2 लाख 52 हजार 277 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है जबकि 11 लाख 62 हजार 585 लोग ठीक हो चुके हैं।

5. उत्तरप्रदेश
रविवार को राज्य में 2,971 नए मामले सामने आए और 4,269 लोग ठीक होकर अपने घर गए। अब तक 4 लाख 17 हजार 437 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें अभी 45 हजार 24 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 3 लाख 66 हजार 321 लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 6,092 मरीज जान गंवा चुके हैं।



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पिछले 24 घंटे में 59 हजार 893 मरीज बढ़े, 76 हजार 657 लोग स्वस्थ भी हो गए; देश में अब तक 66.82 लाख केस

देश में कोरोना को लेकर अच्छी खबर आ रही है। पिछले 24 घंटे में 59 हजार 893 मरीज बढ़े तो 76 हजार 657 लोग स्वस्थ भी हो गए। इसके साथ देश में मरीजों की संख्या बढ़कर 66 लाख 82 हजार 073 हो गई है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

उधर, पिछले 26 दिनों में एक्टिव केस सबसे निचले स्तर पर आ गया है। 10.17 लाख से घटकर ये 9.19 लाख पहुंच गया है। मतलब देश में अभी 9 लाख 18 हजार 429 मरीज ऐसे हैं, जिनका इलाज चल रहा है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी आई है। सोमवार को राज्य में 1460 और भोपाल में 170 नए संक्रमित सामने आए। एक दिन पहले रविवार को भोपाल में 1720 संक्रमित बढ़े थे। इस तरह से अक्टूबर में लगातार संक्रमितों की संख्या में कमी आ रही है।
खास बात यह है कि अब प्रदेश में संक्रमण दर भी कम हो रही है। यह घटकर 6 प्रतिशत पर पहुंच गई। सोमवार को 24.1 हजार टेस्ट हुए। इसके साथ राज्य में अब तक कुल 22.3 लाख टेस्ट हो चुके हैं।

2. राजस्थान
राज्य में सबसे ज्यादा मरीज जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अलवर, अजमेर और भीलवाड़ा में मिल रहे हैं। इन छह जिलों में 70% रोगी सिर्फ यहीं मिल रहे हैं। बाकी 27 जिलों में कुल मात्र 30% रोगी आ रहे हैं।

सोमवार को राज्य में 2165 नए रोगी मिले। इनमें 1499 रोगी अकेले जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अलवर, अजमेर और भीलवाड़ा के हैं। बाकी 27 जिलों में कुल रोगी 666 ही हैं। इसी तरह सोमवार को 14 मौतें हुईं, इनमें से 50% मौतें यानी 7 केवल इन्हीं छह जिलों में हुईं।

3. बिहार
राज्य में मरीजों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। सोमवार को 909 नए मरीज मिले। वहीं, 87.8 हजार लोगों का कोरोना टेस्ट हुए। इस तरह राज्य में 77.9 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। पॉजिटिविटी रेट 2.4% हो गया है। अक्टूबर महीने में एक से तीन अक्टूबर तक सिर्फ 11 मौतें हुईं, वहीं सिर्फ 5 अक्टूबर को 9 लोगों ने दम तोड़ा।

4. महाराष्ट्र
राज्य में सोमवार को 10 हजार 244 लोग संक्रमित मिले और 12 हजार 982 मरीजों को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। अब तक 14 लाख 53 हजार 653 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 2 लाख 52 हजार 277 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है जबकि 11 लाख 62 हजार 585 लोग ठीक हो चुके हैं।

5. उत्तरप्रदेश
रविवार को राज्य में 2,971 नए मामले सामने आए और 4,269 लोग ठीक होकर अपने घर गए। अब तक 4 लाख 17 हजार 437 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें अभी 45 हजार 24 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 3 लाख 66 हजार 321 लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 6,092 मरीज जान गंवा चुके हैं।



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सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में जांच की अर्जी पर आज चीफ जस्टिस की बेंच में सुनवाई, केस दिल्ली ट्रांसफर करने की भी अपील

हाथरस के बुलगढ़ी गांव में दलित लड़की से गैंगरेप मामले की हाई लेवल जांच की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। अर्जी लगाने वाले सोशल एक्टिविस्ट सत्यम दुबे, वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने अपील है कि इस केस की जांच सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या मौजूदा जज या फिर हाईकोर्ट के जज से करवाई जाए।

पिटीशनर्स का दावा- यूपी पुलिस ने झूठी बातें फैलाईं
पिटीशनर्स ने यह अपील भी की है कि हाथरस केस को दिल्ली ट्रांसकर करने का आदेश जारी किया जाए, क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस-प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ सही कार्रवाई नहीं की। पीड़ित की मौत के बाद पुलिस ने जल्दबाजी में रात में ही शव जला दिया और कहा कि परिवार की सहमति से ऐसा किया गया। लेकिन, यह सच नहीं है, क्योंकि पुलिसवाले ने खुद चिता को आग लगाई और मीडिया को भी नहीं आने दिया था।

पिटीशनर्स ने कहा है कि पुलिस ने पीड़ित के लिए अपनी ड्यूटी निभाने की बजाय आरोपियों को बचाने की कोशिश की। ऊंची जाति के लोगों ने पीड़ित के परिवार का शोषण किया, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।

क्या है पूरा मामला?
हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बुलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 लोगों ने 19 साल की दलित युवती से गैंगरेप किया था। आरोपियों ने युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ भी काट दी थी। दिल्ली में इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीड़ित की मौत हो गई।

इस मामले में चारों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। हालांकि, पुलिस का दावा है कि दुष्कर्म नहीं हुआ था। उधर, यूपी सरकार इस मामले की जांच SIT से जांच करवा रही है। पीड़ित का शव जल्दबाजी में जलाने और लापरवाही के आरोपों के बीच हाथरस के एसपी समेत 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड भी किए गए हैं।



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सोमवार की फोटो मुंबई की है। हाथरस की घटना के विरोध में कई संगठन और विपक्षी दल देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं।


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ट्रम्प बोल चुके हैं या तो उन्हें दोबारा चुना जाए या फिर वे यह मतदान अवैध घोषित कर देंगे; अमेरिकियों को ट्रम्प की धमकी को गंभीरता से लेना होगा

ट्रम्प ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकियों के पास केवल दो विकल्प हैं और जिनमें जो बाइडेन को चुनना शामिल नहीं है। राष्ट्रपति हजारों तरीकों से बता चुके हैं कि या तो उन्हें दोबारा चुना जाए या फिर वे यह दावा कर मतदान अवैध घोषित कर देंगे कि डाक से मत अमान्य हैं। ट्रम्प की मंशा स्पष्ट है।

अगर वे इलेक्टोरल कॉलेज में नहीं जीते तो वे नतीजों को खराब कर देंगे, ताकि नतीजे केवल सुप्रीम कोर्ट या हाउस ऑफ रिप्रिजेंटेटिव्स ही तय कर सकें। ट्रम्प को दोनों ही जगह अभी बढ़त हासिल है। मैं यह और अधिक स्पष्टता से नहीं कह सकता कि अमेरिकी लोकतंत्र खतरे में है। इससे पहले ऐसा खतरा कभी नहीं था।

मैंने अपने कॅरिअर की शुरुआत लेबनान का दूसरा गृहयुद्ध कवर करते हुए की थी और उसका मुझपर काफी असर हुआ। मैंने देखा कि तब क्या होता है, जब एक देश में सबकुछ राजनीति हो जाए, जब बड़ी संख्या में राजनेता देश से पहले पार्टी को रखने लगें, जब जिम्मेदारों को लगने लगता है कि वे नियम तोड़-मरोड़ सकते हैं और इससे व्यवस्था नहीं टूटेगी। लेकिन जब अतिवादी बढ़ते हैं और नरमपंथी चले जाते हैं, तब व्यवस्था टूट सकती है। मैंने ऐसा होते देखा है।
मैं इस बात को लेकर चिंतित हूं कि कहीं ऐसा अमेरिका में भी न हो जाए। मुझे चिंता है क्योंकि फेसबुक और ट्विटर हमारे लोकतंत्र के दो स्तंभों, सत्य और विश्वास को नष्ट कर रहे हैं। सोशल नेटवर्क ने उन्हें आवाज दी, जिन्हें कोई नहीं सुन रहा था।

यह अच्छा है लेकिन ये प्लेटफॉर्म साजिश के सिद्धांतों की गर्त भी बन गए हैं, जिनपर बड़ी संख्या में लोग विश्वास कर रहे हैं और उन्हें फैला रहे हैं। ये सोशल नेटवर्क अमेरिका की झूठ और सच में अंतर करने की समझ को खत्म कर रहे हैं।

तथ्यों के आधार पर फैसला लिए बिना हमारी बड़ी चुनौतियों का समाधान नहीं हो सकता और बिना इस विश्वास के, कि दोनों पक्ष लोकहित चाहते हैं, कुछ भी बड़ा हासिल करना असंभव है।

हीब्रू विश्वविद्यालय के धार्मिक दार्शनिक मोशे हालबर्तल कहते हैं, ‘राजनीति में मूल्यों, तथ्यों और ऐसे नेताओं की जरूरत है जो इस बात का सम्मान करते हैं कि ऐसे फैसले लेना जरूरी है जो राजनीतिक बढ़त के लिए नहीं, बल्कि लोकहित के लिए हों।’

वे कहते हैं कि जब जनता को लगता है कि लोकहित होता ही नहीं है और सब सिर्फ राजनीति है, तो उनका विश्वास खत्म हो जाता है। मौजूदा अमेरिका में भी ऐसा ही हो रहा है। ऐसे संस्थान जिन्हें हम मानते हैं कि वे राजनीति से दूर हैं, वे भी राजनीति का शिकार हो गए हैं।

इनमें वैज्ञानिक, कुछ न्यूज मीडिया, अदालतें आदि शामिल हैं। ऐसे संस्थान कम बचे हैं जिनपर सभी विश्वास कर सकें और जो लोकहित के लिए काम कर रहे हों। आप ऐसी स्थिति में स्वस्थ लोकतंत्र बनाए नहीं रख सकते।
और इसीलिए इन चुनावों में जो बाइडेन ही एकमात्र विकल्प हैं। डेमोक्रेट्स भी राजनीति का खेल खेलते हैं लेकिन वे रिपब्लिकन्स से काफी पीछे हैं। डेमोक्रेट्स की उम्मीदवारों की पसंद हमेशा सही रही है।

साउथ कैरोलिना में उन्होंने अश्वेतों को नेतृत्व का अवसर दिया और सोशलिस्ट उम्मीदवार को नकार कर जो बाइडेन जैसे नरमपंथी व्यक्ति को मौका दिया। वहीं रिपब्लिकन्स ने भी रोनाल्ड रीगन और जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश जैसे लोकहित सोचने वालों को चुना था।
‘बांटो और राज करो’ वाले ट्रम्प के और चार साल हमारे संस्थानों को बर्बाद कर देंगे, देश को मिटा देंगे। मेरे हिसाब से अमेरिका के लिए बाइडेन को चुनना और जीओपी को ट्रम्पवादी और बाकी बचे नरमपंथी रिपब्लिकन्स में बांटना ही एकमात्र उम्मीद है। और फिर यह आशा कर सकते हैं कि बड़े मध्य-वापमंथी और छोटे मध्य-दक्षिणपंथी नेता देश को आगे बढ़ाने और लोकहित के लिए पर्याप्त चीजों पर सहमत होंगे।

अगर ट्रम्प के डिबेट में भयानक प्रदर्शन के बाद भी आपको लगता है कि आप उन्हें चार वर्ष के लिए और राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं, आपको लगता है कि वे हारने पर चुनाव के नतीजों का सम्मान करेंगे, कि वे देश को एक करेंगे, कि वे अपने आस-पास अच्छे लोगों को रखेंगे, तो आप और मैं शायद अलग-अलग डिबेट देख रहे थे।

अमेरिका में एकता और बुद्धिमानी के अहसास के लिए बाइडेन को जीतना ही होगा। इसीलिए मेरे पास हर सवाल का एक ही जवाब है: अमेरिकी बाइडेन को वोट दें। कोशिश करें कि मास्क पहनकर खुद वोट डालने जाएं। अगर डाक से वोटों की गिनती का इंतजार करने की बजाय, पर्याप्त अमेरिकी मतदाता चुनाव के दिन ही वोट डालकर बाइडेन को सीधी जीत दिलाएं, तो ट्रम्प और फॉक्स न्यूज को नतीजे खराब करने का मौका नहीं मिलेगा। यह जरूरी है क्योंकि अमेरिका का लोकतंत्र अब इसी पर निर्भर है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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थाॅमस एल. फ्रीडमैन, तीन बार पुलित्ज़र अवॉर्ड विजेता एवं ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में नियमित स्तंभकार। -फाइल फोटो


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सुशांत को शिवसेना ने चरित्रहीन बताया; JEE एडवांस का रिजल्ट आया; स्कूलों के लिए SOP जारी; हाथरस गैंगरेप पर राजनीति भारी

देश में अब तक 8 करोड़ से ज्यादा कोरोना टेस्ट किए जा चुके हैं। आईसीएमआर के मुताबिक, हर राज्य में रोजाना 10 लाख की आबादी पर 140 से ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं, जो डब्ल्यूएचओ की मिनिमम लिमिट से करीब छह गुना है। वहीं, रविवार को मौत का आंकड़ा भी बीते 35 दिन में सबसे कम रहा। तो चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...

आज इन 3 इवेंट्स पर रहेगी नजर

1. अबु धाबीः आज मुंबई इंडियंस और राजस्थान रॉयल्स आमने-सामने होंगे। टॉस शाम 7 बजे होगा। मैच शाम साढ़े 7 बजे शुरू होगा।

2. महाराष्ट्र: रिया चक्रवर्ती की जमानत याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट फैसला सुना सकता है।

3. राजस्थान: तीसरे फेज के तहत 975 ग्राम पंचायतों के लिए वोटिंग।

अब कल की 6 महत्वपूर्ण खबरें

1. दो-तीन हफ्ते तक बच्चों का असेसमेंट नहीं होगा

केंद्र सरकार ने स्कूल खोलने के लिए सोमवार को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर (SOP) जारी कर दी। इसके मुताबिक दो-तीन हफ्ते तक बच्चों का कोई असेसमेंट नहीं होगा। स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ और इमोशनल सेफ्टी पर भी ध्यान देना होगा। कैम्पस में इमरजेंसी केयर टीम बनानी होगी। पैरेंट्स की सहमति से ही बच्चों को स्कूल बुलाया जाएगा।

- पढ़ें पूरी खबर

2. पुलिस का दावाः यूपी में दंगा भड़काने की साजिश

हाथरस में दलित युवती के साथ गैंगरेप और मौत की घटना के बाद उत्तर प्रदेश में जातीय दंगे भड़काने की साजिश का खुलासा हुआ है। यह दावा यूपी पुलिस ने इंटेलीजेंस से मिले इनपुट के आधार पर किया है। इसके मुताबिक, घटना के बाद रातों-रात एक वेबसाइट 'जस्टिस फॉर हाथरस' बनाई गई। मुख्यमंत्री योगी के गलत बयान प्रसारित किए गए, ताकि माहौल बिगड़े।

- पढ़ें पूरी खबर

3. शिवसेना बोली- CBI जांच में पता चला सुशांत चरित्रहीन था

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में एम्स की फॉरेंसिक रिपोर्ट सामने आने के बाद शिवसेना मुखर हो गई है। सोमवार को पार्टी के मुखपत्र सामना ने संपादकीय में सुशांत के लिए लिखा, 'सीबीआई जांच में पता चला कि सुशांत एक चरित्रहीन कलाकार था। बिहार चुनाव में प्रचार के लिए सुशांत केस को मुद्दा बनाया गया। महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस का ‘मीडिया ट्रायल’ किया गया।'

- पढ़ें पूरी खबर

4. आपकी ईएमआई पर क्या असर पड़ने वाला है?

सरकार ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दो करोड़ रुपए तक के कर्ज पर मोरेटोरियम पीरियड में ब्याज पर ब्याज नहीं देना पड़ेगा। केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन लेने वालों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर को केंद्र सरकार के एफिडेविट पर जवाबों को सुनेगी। राहत मिलना तय है, लेकिन कितनी और कैसे? पढ़ें भास्कर एक्सप्लेनर।

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5. हाथरस में पीड़ित के लिए किसी को क्यों अफसोस नहीं?

एक कुम्हार, एक नाई, चार वाल्मीकि और करीब साठ ब्राह्मण और ठाकुर परिवार। इतना ही बड़ा है बूलगढ़ी गांव। यहां पुरुष खेतों में काम करते हैं तो महिलाएं और बेटियां घर के काम तक सीमित हैं। एक बेटी का गैंगरेप हुआ। फिर उसकी हत्या हुई। मगर गांव में किसी को अफसोस नहीं। हां, आरोपी 'निर्दोष ठाकुरों' के लिए मातम जरूर है। पढ़िए हाथरस से भास्कर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।

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6. JEE एडवांस के नतीजे जारी

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली ने JEE एडवांस 2020 परीक्षा के 7 दिन बाद इसका रिजल्ट जारी कर दिया है। आईआईटी बॉम्बे जोन के चिराग ने AIR-1 हासिल की है। चिराग के 396 में से 352 मार्क्स आए हैं। वहीं AIR- 17 हासिल करने वाली आईआईटी रुड़की जोन की कनिष्का मित्तल गर्ल टॉपर रही हैं। कनिष्का का स्कोर 315 है।

- पढ़ें पूरी खबर

अब 6 अक्टूबर का इतिहास

1860: इंडियन पीनल कोड 6 अक्टूबर को पारित हुआ था। उसे एक जनवरी 1861 से लागू किया गया था।

1951: रूस ने परमाणु हथियारों की होड़ में शामिल होने का ऐलान किया था।

2007: परवेज मुशर्रफ एकतरफा जीत के साथ पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने।

आखिर में जिक्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का। उन्होंने आज ही के दिन 1954 में देश के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना लाने की घोषणा की थी। पढ़िए उन्हीं का एक विचार...



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Sushant was described by Shiv Sena as characterless; JEE Advanced results came out; SOP release for schools; Politics heavy on Hathras gang rape


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पिछले साल जिस गांव में चमकी बुखार से सात मासूमों की जान गई थी, वहां न सड़क है न कोई अस्पताल, इस बार बाढ़ आई तो टापू में बदल गया गांव

पिछले साल चमकी बुखार से मेरे दो बच्चे मर गए। मुआवजे का पैसा मिला। इसके अलावा गांव में कुछ नहीं बदला। सालभर से ऊपर हो गया। तब विधायक आए थे, एमपी आए थे। बोले थे कि गांव के बगल में अस्पताल बनेगा, सड़क बनेगी। गांव को ऐसा बना देंगे कि इलाज की कमी से किसी बच्चे की मौत नहीं होगी। लेकिन कुछ नहीं बदला। सड़क के नाम पर खाली मिट्टी भरी गई है। अस्पताल का तो पता ही नहीं है। पानी-बिजली भी हवा-हवाई है।

यह दर्द बयां कर रहे हैं 40 साल के चतरी सहनी। इनका घर पटना से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित हरिवंशपुर गांव के मल्लाह टोले में है। पिछले साल जून में इनके दो बेटे प्रिंस (सात साल) और छोटू (ढाई साल) की चमकी बुखार से मौत हो गई थी। चतरी अपने बीमार बड़े बच्चे को लेकर पूरी रात पटना और मुजफ्फरपुर घूमते रहे लेकिन उसे बचा नहीं पाए।

सुबह बेटे की लाश लेकर घर लौटे तो छोटा बेटा भी अचानक बीमार पड़ गया। देखते ही देखते उसकी भी मौत हो गई। दरवाजे से एक साथ दो बच्चों की लाशें उठी थीं। पिछले साल चमकी बुखार से इस एक टोले से 7 बच्चों की मौत हुई थी। वहीं पूरे बिहार में लगभग 175 बच्चों की जान गई।

तस्वीर 70 साल की सुधो की है, जिन्हें कई सालों से वृद्धा पेंशन नहीं मिली है।

एक के बाद एक हो रही बच्चों की मौत से मल्लाह टोला चर्चा में आया था। कई दिनों तक अधिकारियों ने कैंप किया। स्थानीय विधायक राजकुमार साह और सांसद पशुपति कुमार पारस भी आए। इस दौरान कई वादे किए गए। कहा गया कि टोले के बगल में सरकारी अस्पताल बनेगा। नल-जल योजना से हर घर को पानी दिया जाएगा। टोले की हर बुजुर्ग महिला को वृद्धावस्था पेंशन दी जाएगी। जिन विधवाओं को पेंशन नहीं मिलती उन्हें भी जल्दी दी जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

70 साल की सुधो को याद भी नहीं है कि उन्हें पहली बार पेंशन कब और कितनी मिली थी। वो कहती हैं, 'बहुत दिन से न देई छई। इयाद न हैइ कि केतना मिलइत रही। पता नहीं, काहे बंद क देलकई (बहुत दिन से नहीं मिल रहा है। याद नहीं है कि कितना मिलता था। ये भी नहीं मालूम कि क्यों बंद हो गया)। ऐसा कहने वाली सुधो अकेली नहीं हैं।

टोले की कई महिलाओं की शिकायत है कि उन्हें विधवा और मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इन महिलाओं के लिए सरकार का मतलब है स्थानीय मुखिया और सबसे बड़े सरकारी कार्यालय का मतलब है, बीडीओ का दफ्तर।

गांव के हर घर के बाहर नल लगे हैं लेकिन इनमें कभी पानी नहीं आया है। जब से लगे हैं तब से बंद पड़े हैं।

इन वायदों को किए एक साल से ज्यादा हो गया। चुनाव आ गया है लेकिन, हकीकत की जमीन पर कुछ भी नहीं है। जो है, वो आधा-अधूरा है। टोले में जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है। इस साल बाढ़ आई तो पूरा टोला टापू बन गया। पिछले साल अपनी सात साल की बेटी रूपा को खो चुके राजेश सहनी कहते हैं, सब कुछ आपके सामने हैं। आप टोले में आए होंगे तो कीचड़ में घुसकर आए होंगे।

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सोलिंग होनी थी। नहीं हुई। मिट्टी डालकर छोड़ दिए। इस बार बारिश हुई तो वो मिट्टी भी बह गई। हर घर के बाहर पानी वाला टोंटी लगा हुआ है लेकिन वो केवल दिखाने के लिए है। जब से लगा है, उसमें पानी नहीं आया। वो सब छोड़िए, इलाज ना मिलने की वजह से हमारे बच्चे मर गए। अगर आसपास एक अच्छा सरकारी अस्पताल ही बन जाता तो राहत मिलती।

बात केवल इतनी सी नहीं है कि जो कहा गया वो पूरा नहीं हुआ। इस टोले के 39 लोग एक सरकारी मुकदमा भी झेल रहे हैं जो पिछले साल स्थानीय प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा दर्ज करवाया गया था। राजेश सहनी बोलते हैं, क्या कहें? विधायक जी आए थे। टोले की महिलाओं ने उन्हें घेर कर नारेबाजी कर दी थी।

बीडीओ साहेब ने मर्दों के खिलाफ केस कर दिया। विधायक जी बोले थे कि केस खत्म करवा देंगे लेकिन वो भी नहीं हुआ। हर तारीख पर कम से कम पांच हजार रुपया खर्च होता है। अगर कम से कम ये केस भी खत्म हो जाता तो हम गरीबों की बड़ी मदद होती।

गांव में पक्की सड़क नहीं है। पिछले साल ईंट की सोलिंग होनी थी लेकिन अभी तक नहीं हो पाई है।

सवाल उठता है कि ये जो मुश्किलें या अधूरे वादे हैं, वो इस विधानसभा चुनाव में इनके लिए कोई मुद्दा रहेंगे। क्या इस टोले के मतदाता अपने साथ हुए छलावे को वोट देने के दिन तक याद रखेंगे। 40 साल के शंभू सहनी कहते हैं, अभी दो-एक रोज की बात है। कुछ नेताजी आए थे। बाहर रोड पर मिले। बोले कि चुनाव में खड़े हो रहे हैं। जीत गए तो टोले को बदल देंगे।

मैंने कहा कि 40 साल से तो हम टोले को जस का तस देख रहे हैं। कुछ तो नहीं बदला। अगर जीत जाते हैं तो आप भी जोर लगा दीजिएगा। ना हमारे याद रखने से कुछ होता है और ना ही भूल जाने से। चुनाव जीतने के बाद इस तरफ कोई नहीं देखता है। आजतक तो यही होता आया है, आगे भी शायद यही होगा।



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पिछले साल चमकी बुखार मुजफ्फरपुर के हरिवंशपुर गांव के मल्लाह टोले में 7 बच्चों की मौत हुई थी। जबकि बिहार में लगभग 175 बच्चों की जान गई।


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लाखों की नौकरी छोड़ दो साल पहले शुरू किया ‘NRI चायवाला', मम्मी के हाथ से लेकर प्यार-मोहब्बत वाली बेचते हैं चाय, सालाना 1.8 करोड़ रु कमा रहे

दिल्ली के रहने वाले जगदीश कुमार न्यूजीलैंड के हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में काम कर रहे थे। लाखों में सैलरी थी, 15 साल तक उन्होंने यहां काम किया। फिर लगा कि बस बहुत हो गया, अब अपने देश के लिए कुछ करना चाहिए, अपने वतन को लौटना चाहिए। 2018 में वे भारत आ गए। यहां आकर उन्होंने NRI चायवाला शुरु किया। आज उनके पास चाय की 45 वैरायटी हैं, जिसमें उन्होंने अलग-अलग हर्ब्स को मिलाकर चाय तैयार करते हैं। इससे सालाना वे 1.8 करोड़ रु कमा रहे हैं।

जगदीश ने भोपाल के इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट से ग्रैजुएशन की है। इसके कुछ सालों बाद ही वह न्यूजीलैंड चले गए। वो कहते हैं, 'यहां आने के बाद राह इतनी आसान नहीं थी, जितनी मैंने सोचा था। भारत आने के बाद देश के कई शहरों में गया। फरवरी 2019 में नागपुर के मिहान में कॉर्पोरेट्स ऑफिस में अपनी चाय सर्व करने की कोशिश की, लेकिन मुझे वहां से निराशा ही मिली, लोगों ने मुझे जगह नहीं दी।”

जगदीश कुमार अब अपने ब्रांड को दिल्ली एनसीआर से बेंगलुरु, पुणे, चंडीगढ़ और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों में 2021 के अंत तक 10-15 आउटलेट खोलना चाहते हैं।

वह आगे कहते हैं, “बस इसके बाद ही मैंने चाय बनाने के लिए जरूरत के सामान को इकट्ठा कर उनके ऑफिस के बाहर ही चाय की एक टेबल लगा ली। ये वो जगह थी, जहां पर दफ्तर आने वाले लोग उतरते और रुकते थे। मैंने वहां पर 10-12 तरह की वैरायटी पेश की। मेरी चाय को खूब पसंद किया जा रहा था।

फिर कुछ दिन बाद मैंने अपनी टेबल के आगे ‘NRI चायवाला’ का बैनर लगा दिया, जो लोगों के बीच कौतूहल का विषय बन गया। वहां आने वाले लोगों से मैं अंग्रेजी में बात करता था, इससे उन्हें लगता था कि कोई चाय वाला है, जो अंग्रेजी में बात करता है।”

‘मम्मी के हाथ वाली चाय’

जगदीश कहते हैं, “मैंने लोगों को 10-12 तरह की चाय पेश की। इसमें मसाला चाय, तंदूरी चाय, मिंट चाय, चॉकलेट चाय, मम्मी के हाथ वाली चाय, मर्दों वाली चाय, प्यार-मोहब्बत वाली चाय, उधार वाली चाय आदि।” वह बताते हैं, ‘चाय पीने से पहले ऑफिस के लोग हंसते थे, इसके बाद चाय के बारे में पूछते थे।’ ये NRI चायवाला के ये कुछ अनूठे फ्लेवर हैं, जो लोगों में दिलचस्पी जगाते हैं। चाय की इन सभी वैराइटी में कुछ खास मसाले भी डाले जाते हैं, जो उनकी सीक्रेट रेसिपी हैं। वह इसे किसी से शेयर नहीं करते हैं।

‘प्यार-मोहब्बत वाली चाय’

आज उनके पास चाय की 45 वैरायटी हैं, जिसमें उन्होंने अलग-अलग हर्ब्स को मिलाकर चाय तैयार करते हैं।

जगदीश कुमार प्यार-मोहब्बत वाली चाय की रेसिपी बताते हुए कहते हैं, ‘प्यार-मोहब्बत वाली चाय में आधा दूध, आधा पानी, इलायची फ्लेवर, रोज पैडल (पंखुड़ियां) मिलाकर चाय सर्व की जाती है। ये लड़के-लड़कियों को दी जाती है। इसे बेहद पसंद किया जा रहा है।’

जगदीश के मुताबिक, वह देश में चाय को स्टेटस सिंबल बनाना चाहते हैं। अभी हमारे देश में कॉफी को स्टेटस सिंबल माना जाता है, लेकिन मैं चाय को काॅफी के मुकाबले खड़ा करना चाहता हूं। वह कहते हैं, उन्हें भारत के चाय बाज़ार में अभी बड़ी प्रतिस्पर्धा का माहौल नहीं है। देश में यह बाज़ार अभी पारंपरिक ढंग से ही चल रहा है, जिससे इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने के काफी मौके हैं। चाय के साथ इनोवेशन NRI चायवाला ने बड़े ही अनूठे ढंग से अपनी विभिन्न फ्लेवर वाली चाय के नाम रखे हैं।

जगदीश कुमार कहते हैं, “भारत चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। हमें वहां सबसे अच्छी चाय पीनी चाहिए। लेकिन, यहां पर ज्यादातर चाय स्तरहीन होती है। मैं चाहता हूं कि भारत दुनिया में चाय उद्योग में ग्लोबल लीडर बने। इसलिए मैंने अब तक 45 प्रकार की चाय बनाई है, वो भी हमारे आयुर्वेद के मिश्रण से, जो लोगों की सेहत के लिए भी फायदेमंद होगी।”

जगदीश की टीम में इस समय 50 से ज्यादा लोग काम करते हैं।

नोएडा में जगदीश कुमार के तीन आउटलेट हैं और नागपुर में दो। कोरोनाकाल में ये बंद हो गए थे, लेकिन अब नोएडा के आउटलेट ओपन हो गए हैं। NRI चायवाला के आउटलेट में प्योर इंडिया वाली फील लाने के लिए पुरानी फिल्मों के पोस्टर, रेडियो अमीन सयानी की आवाज और पुराने बॉलीवुड गीतों की खनक सुनाई देती है। जगदीश कहते हैं कि हमारे आउटलेट में चाय के लिए आधे घंटे की वेटिंग होती है।

जगदीश कुमार अब अपने ब्रांड को दिल्ली एनसीआर से बेंगलुरु, पुणे, चंडीगढ़ और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों में 2021 के अंत तक 10-15 आउटलेट खोलना चाहते हैं। इसके बाद उनकी योजना लखनऊ और जयपुर जैसे शहरों में पहुंचने की है। जहां पर वह मानते हैं कि आधुनिक और पारंपरिक बाजार दोनों हैं और हमारे पास उन्हें देने के लिए एक अनूठा उत्पाद है।

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दिल्ली के रहने वाले जगदीश कुमार न्यूजीलैंड के हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में काम कर रहे थे, दो साल पहले उन्होंने चाय का बिजनेस शुरू किया।


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