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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 26वां दिन है। किसान आज भूख हड़ताल करेंगे। हरियाणा में 25 से 27 दिसंबर तक टोल फ्री किए जाएंगे। किसानों ने रविवार को ये ऐलान किया। इसके 5 घंटे बाद ही सरकार ने बातचीत के न्योते की चिट्ठी भेज दी। इसमें तारीख तय करने के लिए किसानों से ही कहा गया है। किसान आज इस पर फैसला लेंगे।
कृषि मंत्री की किसानों से आज मीटिंग हो सकती है
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को बंगाल में कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और किसानों के बीच एक-दो दिन में बैठक हो सकती है। दूसरी ओर किसान नेताओं ने रविवार को कुंडली बॉर्डर पर बैठक के बाद ऐलान किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 दिसंबर को जितनी देर मन की बात करेंगे, किसान ताली-थाली बजाएंगे।
NDA में शामिल सभी दलों से मुलाकात करेंगे किसान नेता
23 दिसंबर को किसान दिवस है। किसान संगठनों ने अपील की है कि इस दिन देशभर के लोग एक दिन का उपवास रखें। 26 और 27 दिसंबर को किसान NDA में शामिल दलों के नेताओं से मिलकर उनसे अपील करेंगे कि वो सरकार पर दबाव डालें और तीनों कानून वापस करवाएं। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ भी प्रदर्शन शुरू किए जाएंगे। अदाणी-अंबानी का बायकॉट जारी रहेगा। आढ़तियों पर छापेमारी के विरोध में किसान इनकम टैक्स ऑफिसों के बाहर भी प्रदर्शन करेंगे।
किसी को कुपोषण की समस्या है, तो किसी को डॉक्टर से नॉन वेज खाने की सलाह दी है। लेकिन परिवार में मीट, मछली और अंडा नहीं खाया जाता। ऐसे में लोगों को परेशानी होती है। यही कारण है कि अब IIT दिल्ली ने प्लांट बेस्ड मीट और मछली तैयार की है। इसे वेजिटेरियन लोग भी खा सकते हैं।
खास बात यह है कि आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर रूरल डवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी ने जो मीट तैयार किया है उसके स्वाद से लेकर खुशबू तक बिल्कुल असली मीट जैसी है। इसे मॉक मीट कहा जा रहा है। पिछले करीब दो साल से IIT दिल्ली की प्रो. काव्या दशारा और उनकी टीम पोषक व सुरक्षित प्रोटीन प्रोडक्ट पर काम कर रही है।
प्रोफेसर को UN का अवॉर्ड भी मिला
प्रो. काव्या को यूनाइटेड नेशंस डवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) की ओर से मॉक एग के इनोवेशन के लिए पुरस्कार भी मिल चुका है। इस प्रोडक्ट के लिए UN की टीम ने IIT दिल्ली में विजिट की थी और इस वेजिटेरियन अंडे को पका कर भी देखा गया।
काव्या कहती हैं कि बेशक मीट प्रोटीन दालों के प्रोटीन से बेहतर है लेकिन इसमें भी अब प्रोडक्शन के लिए हार्मोन आदि का उपयोग हो रहा है और ये सुरक्षित नहीं रह गया। लगातार स्टडी में पाया कि कुछ अनाजों का प्रोटीन बिल्कुल मीट प्रोटीन के बराबर ही है। एनिमल प्रोटीन में बाइट साइज और माउथ फील अच्छा रहता है।
बंगाली भी नहीं पहचान पाए कि यह असली मछली नहीं है
अपने इस प्लांट बेस्ड मीट और मछली के ट्रायल के लिए प्रोफेसर काव्या ने बंगाल और पूर्वांचल के लोगों को बुलाया था, जिनके रोज के खाने का ये हिस्सा है।
ये ब्लाइंड टेस्टिंग थी। उन्होंने इसे मछली ही बताया और सभी लोगों ने इसे चाव से खाया कोई नहीं पहचान पाया कि ये मछली नहीं है। खास बात है कि इस मॉक मछली से ओमेगा थ्री की जरूरत भी पूरी हो जाएगी।
चिकन के लिए उन्होंने बर्गर, बन और काठी रोल में भी इसको ट्राई किया। अब टीम इंडस्ट्री के मानक के हिसाब से इसे तैयार करने का प्रयास कर रही है।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 26वां दिन है। किसान आज भूख हड़ताल करेंगे। हरियाणा में 25 से 27 दिसंबर तक टोल फ्री किए जाएंगे। किसानों ने रविवार को ये ऐलान किया। इसके 5 घंटे बाद ही सरकार ने बातचीत के न्योते की चिट्ठी भेज दी। इसमें तारीख तय करने के लिए किसानों से ही कहा गया है। किसान आज इस पर फैसला लेंगे।
कृषि मंत्री की किसानों से आज मीटिंग हो सकती है
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को बंगाल में कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और किसानों के बीच एक-दो दिन में बैठक हो सकती है। दूसरी ओर किसान नेताओं ने रविवार को कुंडली बॉर्डर पर बैठक के बाद ऐलान किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 दिसंबर को जितनी देर मन की बात करेंगे, किसान ताली-थाली बजाएंगे।
NDA में शामिल सभी दलों से मुलाकात करेंगे किसान नेता
23 दिसंबर को किसान दिवस है। किसान संगठनों ने अपील की है कि इस दिन देशभर के लोग एक दिन का उपवास रखें। 26 और 27 दिसंबर को किसान NDA में शामिल दलों के नेताओं से मिलकर उनसे अपील करेंगे कि वो सरकार पर दबाव डालें और तीनों कानून वापस करवाएं। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ भी प्रदर्शन शुरू किए जाएंगे। अदाणी-अंबानी का बायकॉट जारी रहेगा। आढ़तियों पर छापेमारी के विरोध में किसान इनकम टैक्स ऑफिसों के बाहर भी प्रदर्शन करेंगे।
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2020 इंसानियत के लिए सबसे खराब सालों में से एक माना जा रहा है। अमेरिका की चर्चित टाइम मैगजीन ने भी यही कहा है। कोरोना महामारी से अब तक 7.5 करोड़ से ज्यादा लोग पीड़ित हैं और 15 लाख से ज्यादा की जान जा चुकी है।
अकेले भारत में एक करोड़ लोग वायरस की चपेट में आ चुके हैं। 2020 सिर्फ कोरोना के नाम नहीं रहा, इस साल विवाद भी जमकर हुए। भारत में 2020 की शुरुआत संशोधित नागरिकता कानून यानी CAA और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस यानी NRC के विरोध-प्रदर्शन से हुई तो इसका अंत कृषि कानूनों के विरोध पर हो रहा है।
उधर, अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की 25 मई को हुई हत्या ने राष्ट्रपति ट्रंप की कुर्सी हिला दी। जबकि, कोरोना फैलाने को लेकर चीन पर अब भी विवाद बना हुआ है। चलिए देखते हैं देश और दुनिया के 15 सबसे बड़े विवाद...
अमेरिका का आरोप: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ये कोरोना नहीं, चीनी वायरस है। दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को ध्वस्त करने के लिए चीन ने इसे फैलने दिया। बीमारी छिपाई, झूठ बोले, भ्रम फैलाए।
चीन का पलटवार: चीनी सरकार का दावा- 'कोरोना दूसरे देशों से, खासकर अमेरिका से आयात किए गए खाने के जरिए आया।' चीन ने यह भी कहा कि वायरस प्राकृतिक है। यह लैब में नहीं बना। कम्युनिस्ट सरकार ने सबसे पहले कोरोना वायरस फैलने की खबर देने वाले वुहान अस्पताल के डॉ. ली वेंलियांग को धमकी दी। हालांकि उनकी मौत के बाद इस पर माफी भी मांगी।
पांच देश कर रहे जांच: सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा मिलकर कोरोना फैलाने वाले की जांच कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों का आरोप: सरकार CAA और NRC के जरिए एक विशेष धर्म के लोगों को निशाना बना रही है।
सरकार का जवाब: गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा- 'CAA भारतीयों की नागरिकता छीनने के लिए नहीं, दूसरे देशों में धार्मिक कारणों से उत्पीड़ित शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है।'
सुप्रीम कोर्ट में है मामला: कोरोनावायरस के कारण पुलिस ने शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 144 याचिकाएं दाखिल हुईं। सुनवाई जारी है।
सुशांत के फैन्स का आरोप: बॉलीवुड के नेपोटिज्म गैंग ने सुशांत से फिल्में छीनीं। अवॉर्ड नाइट्स में उनकी बेइज्जती की। उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया।
सुशांत के परिवार का आरोप: रिया ने साजिश रची। सुशांत को परिवार से दूर किया और चोरी से ड्रग्स देती रहीं। रिया ही सुशांत की मौत के लिए जिम्मेदार हैं।
रिया का पक्षः सुशांत अपने परिवार से परेशान थे। पहले से ड्रग्स लेते थे। उन्हें बाइपोलर डिसऑर्डर था।
सीबीआई और एनसीबी की जांच जारी: सुशांत की मौत की जांच सीबीआई कर रही है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) मौत में ड्रग्स की भूमिका की जांच कर रही है। रिया और भाई शोविक को ड्रग्स मामले में जमानत मिल गई है।
कंगना का आरोप: सुशांत मौत मामले में मुंबई पुलिस ने कुछ खास लोगों को बचाया। आवाज उठाने पर सरकार ने डराने के लिए ऑफिस ढहा दिया।
महाराष्ट्र सरकार की सफाई: कंगना ने अवैध निर्माण कराया था। इसलिए बीएमसी ने अपना काम किया। दूसरी तरफ शिवसेना सांसद संजय राउत ने कंगना के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया। हालांकि बाद में सफाई दी कि उनका मतलब कंगना को नॉटी गर्ल बताना था।
हाईकोर्ट ने हर्जाना देने को कहा: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना का ऑफिस गिराने पर BMC को फटकार लगाई और कार्रवाई को गैरकानूनी बताया। कंगना की 2 करोड़ के हर्जाने की मांग पर सर्वेयर मार्च 2021 में हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगा।
एक खेमे का आरोप: भाजपा सांसद रवि किशन ने लोकसभा में कहा कि फिल्म इंडस्ट्री ड्रग्स की चपेट में है। भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने करण जौहर की एक पार्टी में ड्रग्स के इस्तेमाल का दावा किया था।
दूसरे खेमे का जवाब: सपा सांसद जया बच्चन ने राज्यसभा में कहा- 'ड्रग्स के नाम पर बॉलीवुड को बदनाम करने की साजिश है।'
NCB जांच में जुटी: कॉमेडियन भारती सिंह, उनके पति हर्ष को जमानत मिल गई है। NCB का दावा कि उसके पास कुछ बड़े एक्टर्स के ड्रग्स लेने की जानकारी है। नाम सामने नहीं आए हैं।
पुलिस का आरोप: मरकज ने कोरोना बचाव के लिए जारी निर्देश नहीं माना। जानबूझकर संक्रमण फैलने दिया, लापरवाही बरती। जनता कर्फ्यू के वक्त तबलीगी जमात के दो से ढाई हजार लोग एक ही जगह इकट्ठा थे।
जमात का जवाब: जनता कर्फ्यू के ऐलान से पहले लोग जमा हो चुके थे। रेलवे सेवा रुकने और पुलिस-प्रशासन से लोगों को घर भेजने में सहयोग नहीं मिला।
अदालत में केस: कोर्ट ने मरकज में शामिल 36 विदेशी आरोपियों को जमानत दे दी है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को गृह मंत्रालय से लिस्ट लेकर बिना किसी टेस्ट आइडेंटिटी परेड की गिरफ्तारी के लिए फटकार लगाई।
आयुष मंत्रालय का आरोप: रामदेव की दवा लॉन्चिंग के बाद आयुष मंत्रालय ने कहा- 'ऐसी किसी दवा के बारे में नहीं पता। इसकी बिक्री न की जाए।'
पतंजलि की सफाई: पतंजलि के चेयरमैन बाल कृष्ण ने कहा, 'कम्यूनिकेशन गैप हुआ। इलाज नहीं रोकथाम के लिए है। नाम बदलकर दिव्य श्वासारि कोरोनिल किट रखा।'
जबरदस्त बिक्री: चार महीने में पतंजलि ने 250 करोड़ रुपये की 25 लाख दिव्य श्वासारि कोरोनिल किट बेच दी है।
कांता प्रसाद का आरोप: यूट्यूबर ने चुपचाप वीडियो शूट किया। बिन बताए लोगों से पैसे भेजने की अपील की। अकाउंट नंबर अपने दोस्तों के दिए। मदद में मिले पूरे पैसे नहीं दिए।
गौरव वासन का जवाब: अब किसी की मदद करने से पहले सोचना पड़ेगा। बाबा का ढाबा के संबंध में पैसे के लेन-देन की पूरी जानकारी पुलिस को दे दी है।
जारी है टकराव: गौरव ने पुलिस को बैंक स्टेटमेंट दे दिया है। पुलिस जांच कर रही है। हाल ही में कांता प्रसाद ने शिकायत की है कि गौरव उन्हें जान से मारने की धमकी दी है।
किसानों का आरोप: आंदोलनकारी किसानों ने कहा, 'तीन नए कृषि कानून से MSP खत्म होगी, जमाखोरी बढ़ेगी। मंडियां खत्म होंगी और बिजनेसमैन किसानों पर हावी हो जाएंगे।'
सरकार का जवाब: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि MSP बरकरार रहेगी। निजी मंडियों पर राज्य सरकारें टैक्स लगा सकेंगी। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसानों को उचित मूल्य मिलेगा।
सिंघु बॉर्डर पर डटे हैं किसान: हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के सिंघु समेत कई बॉर्डर प्वाइंट पर डटे हुए हैं। सरकार और किसानों के बीच बातचीत से हल नहीं निकल पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने बातचीत के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने को कहा है। साथ ही इन कानूनों को होल्ड करने पर राय मांगी है।
विराट का आरोप: कप्तान ने कहा कि टीम मैनेजमेंट को रोहित के ऑस्ट्रेलिया टूर पर नहीं जाने की खबर नहीं थी।
रोहित का बचाव: सवाल उठने के बाद BCCI ने रोहित शर्मा की हेल्थ अपडेट जारी की। बताया कि वे चोट से उबर रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया पहुंचे रोहित: कोहली के बयान के बाद रोहित शर्मा ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए हैं। लेकिन 14 दिन क्वारैंटाइन होंगे। तीसरे टेस्ट में उनके वापसी की उम्मीद है।
प्रदर्शनकारियों का आरोप: ट्रंप के शासन में श्वेतों का अहंकार बढ़ा। अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन, घुटने से दबाने वाला श्वेत पुलिसकर्मी अहंकार से भरा था।
ट्रंप के दो बयान: ट्रंप ने पहले ट्वीट ने किया, 'लूटपाट हुई तो गोली मारना शुरू कर देंगे।' उनका इशारा अश्वेत प्रदर्शनकारियों की ओर था। इसके बाद ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तंज किया- 'अमेरिका में नौकरियों की हालत सुधर रही है। जॉर्ज फ्लॉयड ऊपर से देख रहे होंगे। यह उनके लिए महान दिन है।' उनके इस बयान के बाद विवाद और बढ़ गया।
कोर्ट में है मामला: पूछताछ के दौरान फ्लॉयड की हत्या में शामिल रहे पुलिसकर्मियों डेरेक शॉविन, थॉमस लेन, जे एलेक्जेंडर और टाउ थाओ को नौकरी से निकालकर हत्या का मुकदमा चला।
ट्रंप का पक्षः चुनाव में पोस्टल बैलेट से डाले गए वोटों में हेरफेर की गई। चुनाव के बाद वोटों की गिनती में धांधली की गई।
जो बाइडेन का पक्षः अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट ने कहा कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हुए।
सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसलेः दो राज्यों लगे धांधली के आरोपों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। अन्य राज्यों के मामले में 6 जनवरी तक फैसले आएंगे।
ट्रंप का आरोप: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, ' WHO और चीन ने मिलीभगत की। दोनों कोरोना फैलने की जानकारी दबाए रहे। लोगों में भ्रम फैलाया।' इसके बाद अमेरिका ने WHO की फंडिंग रोक दी।
WHO की सफाई: WHO आरोपों खारिज कर दिया और अमेरिका से फंडिंग बहाल करने को कहा। दावा किया कि फंडिंग रुकने से पूरी दुनिया को नुकसान होगा।
तनाव कम होने के आसार नहींः अमेरिका में जो बाइडेन के नए राष्ट्रपति चुने के जाने के बावजूद WHO से तनाव कम होने के आसार नहीं। बाइडेन इस मामले में चीन और WHO के खिलाफ हैं।
प्रदर्शनकारियों का आरोप: अमेरिका ने ईरान की कुद्स फोर्स के कमांडर सुलेमानी को आतंकी घोषित किया और 3 जनवरी को ड्रोन से हमला कर उनकी हत्या कर दी। यह गैरकानूनी है।
अमेरिका की सफाई: अमेरिका में सबसे पहले सुलेमानी को मारने की जिम्मेदारी ली। उसने कहा कि अमेरिकी नागरिकों की रक्षा के लिए ईरानी कमांडर को मारा गया। सुलेमानी दिल्ली से लेकर लंदन तक हुए आतंकी हमलों में शामिल था।
धीमा पड़ गया है प्रदर्शन: ईरान में शुरुआती प्रदर्शनों में भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे। ईरान ने कड़ा बदला लेने की घोषणा की और 7 जनवरी को ईरानी सेना ने इराक में अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइल दागीं। पेंटागन ने 110 जवानों के घायल होने की बात कही। इसके बाद विवाद थम गया।
कैरेमिनाटी का आरोप: टिकटॉकर्स एक धर्म विशेष के लिए वीडियो बनाते हैं और नफरत फैलाते हैं। इन्हें बैन कर देना चाहिए।
टिकटॉकर्स ने घेरा: कैरेमिनाटी जैसे लोग टिक टॉक के कम समय में ज्यादा मशहूर होने से जल रहे थे। लगातार टिक टॉक को निशाना बनाया। ऐप के बैन में यूट्यूबर्स की भी एक भूमिका है।
ऑनलाइन विवाद अब भी जारी: भारत में टिक टॉक बैन होने के बाद टिकटॉकर्स ने यूट्यूब पर अकाउंट बनाए। अब यहां दोनों पक्षों की भिड़ंत जारी है। जबकि, चीनी कंपनी बाइटडांस टिक टॉक समेत दूसरे ऐप्स की बहाली के लिए भारत सरकार से बात कर रही है।
दिसंबर का महीना और दिल्ली की सर्दी। हल्की बारिश ने तापमान को और गिरा दिया है। इन हालात में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर हजारों किसान खुले आसमान के नीचे डेरा डाले हुए हैं। ठंड, बीमारी और अन्य कारणों से एक दर्जन से ज्यादा किसानों की जान जा चुकी है। ये किसान केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। लेकिन, देश के किसानों की समस्याएं सिर्फ इन तीन कानूनों तक सीमित नहीं हैं। बदहाली की इस तस्वीर को एक बड़े कैनवास पर देखना जरूरी है।
आजादी के वक्त भारत की करीब 80% ग्रामीण आबादी खेती का काम करती थी। उस समय देश का एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन करीब 500 लाख टन था। ये अनाज उस वक्त भारत की पूरी आबादी का पेट भरने के लिए नाकाफी था। 1950 में जब पहली पंचवर्षीय योजना बनाई गई तो उसमें खेती को केंद्र में रखा गया।
1960 के दशक में सरकार ने बांध बनाए, नहरों का जाल बिछाया, कृषि संस्थानों की स्थापना की, बाजारों की संख्या बढ़ाई, अच्छे बीजों के आयात का रास्ता साफ किया। नतीजतन आजादी के बाद करीब 3 गुना बढ़ोतरी के साथ 1968 में देश के किसानों ने रिकॉर्ड 170 लाख टन गेहूं का उत्पादन किया।
1991 के आर्थिक सुधार के बाद से सरकारों का ध्यान खेती से हटकर अन्य सेक्टर की तरफ मुड़ गया। आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन यानी OECD की ताजा रिपोर्ट कहती है कि भारत में पिछले दो दशकों के दौरान कृषि आय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। जनगणना के मुताबिक, 2001 से 2011 के बीच किसानों की संख्या में 77 लाख की कमी हुई है। NCRB के मुताबिक, 1995 के बाद से किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा तीन लाख पार कर चुका है।
2020 की स्थिति यह है कि कृषि से देश के करीब 50% लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP में इसका योगदान महज 16% है। NSSO के 2013 में किए गए सर्वे के मुताबिक, भारत के किसानों की औसत मासिक आय महज 6,426 रुपये है।
अब सवाल उठता है कि भारत के किसानों को इस बदहाली से निकालने का तरीका क्या हो? इसके लिए टेक्नोलॉजी और पॉलिसी दोनों स्तर पर सुधार की भरपूर गुंजाइश है।
हम आपको उन टेक्नोलॉजी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल खेत की तैयारी से लेकर अनाज को बाजार में बेचने तक की प्रक्रिया में किया जा सकता है। उन एग्रीटेक फर्म के बारे में भी बताएंगे जो उन सेगमेंट में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। एग्रीटेक ऐसी कंपनियों को कहा जाता है, जो फसल की पैदावार बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने और लागत को कम करने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती हैं।
1. स्मार्ट खेती से कम होगी लागत (Precision/Digital Agriculture)
खेती में इंटरनेट से जुड़े यंत्र (IoT), डेटा एनालिटिक्स और रोबोटिक्स का इस्तेमाल करके अच्छी फसल उगाई जा सकती है। इससे लागत में कमी आती है और फसल की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है। इस सेगमेंट का एक स्टार्टअप Fasal है। इसके मध्य प्रदेश प्रभारी संजय पाठक बताते हैं कि हम किसान के खेत में IoT के यंत्र लगाते हैं। जिससे मिट्टी की गुणवत्ता, फसल की बीमारियों का पता पहले से चल जाता है। इस सर्विस का इस्तेमाल किसान सब्जियों के खेती के लिए खूब कर रहे हैं। इस सेगमेंट में कुछ और स्टार्टअप्स हैं Intello, Labs, Stellapps, Fasal, Fresh VnF और Eruvaka Technoligies.
2. एडवांस टेक्नोलॉजी से बढ़ेगी पैदावार (Farming As A Service)
भारत में करीब 80% किसानों के पास 5 एकड़ से कम जमीन है। उनके लिए ट्रैक्टर, थ्रेशर, हैरो, लेवलर जैसी आधुनिक मशीनें खरीदना मुश्किल काम है। जबकि, इनके इस्तेमाल से खेती की पैदावार बढ़ाई जा सकती है। पर होने वाला खर्च कम हो सकता है। यहीं से फार्मिंग एज ए सर्विस (FaaS) का आइडिया आया। इस सर्विस के जरिए नई टेक्नोलॉजी वाली मशीनें सीधे खेत पर बुलाई जा सकती हैं, वो भी किराए पर। Oxen के फाउंडर विश्वजीत सिन्हा के मुताबिक, ओक्सेन के जरिए लेबर कॉस्ट में 50% तक कमी लाई जा सकती है। इस सेगमेंट के कुछ स्टार्टअप हैं जैसे EM3 Agri Services, Kethinext.
3. सप्लाई चेन से बिचौलियों का सफाया (Market Linkage)
भारत में फसलों की मौजूदा सप्लाई चेन में किसान से कंज्यूमर के बीच 5-6 बिचौलिए शामिल होते हैं। हर स्टेप में बिचौलिए अपना मुनाफा निकालते जाते हैं। इससे कंज्यूमर को तो प्रोडक्ट महंगा मिलता है, लेकिन किसान को उसका फायदा नहीं होता। कुछ मार्केट लिंकेज स्टार्टअप हैं, जो इस समस्या का हल तलाशने की कोशिश करते हैं। जैसे Ninjacart सीधा किसानों से फसल खरीदता है और उसे होटल, रेस्टोरेंट या रिटेलर को बेचता है। इस सेगमेंट के कुछ अन्य स्टार्टअप हैं WayCool, Crofarm और Ecozen, ये स्टार्टअप कैसे काम करता है, इसे वीडियो में देख सकते हैं।
खेती के लिए बीज, रसायन और अन्य क्वालिटी इनपुट मुहैया कराने के लिए Bijak, Gramophone, Toolsvilla और Agrostar जैसी फर्म हैं। इसी तरह किसानों के फायनेंस के लिए Samunnati, Farmart, Jai Kisan, Sagri, PayAgri जैसी फर्म हैं। इन सभी स्टार्ट-अप के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप इनकी वेबसाइट और वहां मौजूद कॉन्टैक्ट नंबर पर बात कर सकते हैं।
पिछले कुछ सालों में एग्रीटेक स्टार्टअप्स का बाजार बढ़ जरूर रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार बेहद कम है। एग्रीटेक के जानकार सुब्रमण्यम और पद्मजा रुपारेल का मानना है कि अभी इस सेक्टर में अधिक इनोवेशन की जरूरत है। जब तक इन स्टार्टअप्स का एक स्थायी बिजनेस मॉडल नहीं बन जाता निवेशकों में हिचकिचाहट बनी रहेगी। अब सवाल उठता है कि क्या सिर्फ टेक्नोलॉजी के दम पर किसानों की जिंदगी में खुशहाली लाई जा सकती है?
कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा बताते हैं कि पंजाब में एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी की कोई कमी नहीं है। वहां गेहूं की पैदावार 5.2 टन प्रति हेक्टेयर और धान की 6.6 टन प्रति हेक्टेयर होती है। इसके बावजूद पंजाब में किसान आत्महत्याएं करते हैं। टेक्नोलॉजी से पैदावार बढ़ाई जा सकती है, लेकिन उससे किसानों को जो आय मिलनी चाहिए नहीं मिल रही। कृषि नीतियों के जानकार विजय सरदाना भी मानते हैं कि सिर्फ टेक्नोलॉजी के दम पर किसानों की बदहाली नहीं बदली जा सकती।
पॉलिसी के स्तर पर क्या किया जाना चाहिए? देविंदर शर्मा कहते हैं कि सरकार को हर पांच किलोमीटर पर एक मंडी बनानी चाहिए जहां एमएसपी पर खरीदारी हो सके। इसके लिए 35 हजार और मंडियां बनाने की जरूरत है। फिलहाल देश में 7 हजार मंडियां हैं। फसल की लागत घटाने के लिए सब्सिडी को भी बढ़ाया जाना चाहिए। विजय सरदाना कहते हैं कि फसलों के मामले में भी अमूल मॉडल अपनाना होगा। यानी किसान ही अपनी सहकारी संस्थाएं बनाए और अपने प्रोडक्ट को कन्ज्यूमर तक लेकर जाए। उसे अपनी फसल बेचने के लिए ज्यादा विकल्प मिलेंगे तो जाहिर है मुनाफा बढ़ेगा।
मध्य प्रदेश के पूर्व एग्रीकल्चर डायरेक्टर डॉ. जीएस कौशल कहते हैं कि सरकार प्रोसेस्ड फार्मिंग के लिए किसानों को तैयार करे। यानी वो सिर्फ गेहूं या आंवला नहीं, आटा और मुरब्बा बनाकर भी बेच सके। ग्रामोद्योग और ऑर्गेनिक फार्मिंग की तरफ भी किसानों को रुख करना चाहिए।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का मानना है कि कृषि सेक्टर में क्रांति लाए बगैर भारत 9-10% की विकास दर हासिल नहीं कर सकता है। एग्रीकल्चर में निवेश को बढ़ाने, नई टेक्नोलॉजी को अपनाने और बाजार के मौजूदा सिस्टम में सुधार करने की बेहद जरूरत है।
उत्तरी भारत से आने वाली बर्फीली हवाओं से मैदानी इलाकों में ठंड बढ़ गई है। राजस्थान के माउंट आबू में माइनस 1.4 डिग्री टेम्प्रेचर दर्ज किया गया है। वहीं, चुरू में अब तक का सबसे कम माइनस 0.1 डिग्री टेम्प्रेचर दर्ज किया गया है। इधर, ठंड बढ़ने से घरों में टेम्प्रेचर मेंटेन रखने वाले इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट्स का उपयोग भी बढ़ गया है। आने वाले दिनों में जैसे- जैसे सर्दी बढ़ेगी, इन सभी का यूज भी बढ़ जाएगा।
भारत इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिसिटी कंजप्शन करने वाला देश है। सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में कुल कंजप्शन 94.60 अरब यूनिट था, इसमें इंडस्ट्री में होने वाला कंजप्शन 40%, डोमेस्टिक यूज में 25% रहा था।
ठंड में सबसे ज्यादा घर के इलेक्ट्रिसिटी बिल में इजाफा होता है। इसकी एक वजह यह है कि हैवी वॉट वाले इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट्स का यूज बढ़ जाता है। रूम का टेम्प्रेचर मेंटेन रहे, इसके लिए रातभर हीटर चालू रखना पड़ता है। गर्म पानी के लिए गीजर का यूज भी बढ़ जाता है। जिनके घरों में गीजर की सुविधा नहीं है, वे आयरन रॉड का यूज पानी गर्म करने के लिए करते हैं। अगर आप भी इन सारे इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट का यूज करेंगे, तो यह आपके बिजली के बिल को बढ़ाएगा ही, इसमें हैरानी की बात नहीं है। लेकिन अगर थोड़ा सा भी ध्यान दें और इनका सही तरीके से मैनेजमेंट करें, तो ठंड में होने वाले इलेक्ट्रिसिटी कंजप्शन को कम कर सकते हैं।
इन 3 वजह से ठंड में ज्यादा आता है इलेक्ट्रिसिटी बिल
ठंड में लोगों का ज्यादातर समय घर पर ही बीतता है। कोरोना की वजह से तो आधे लोग वर्क फ्रॉम होम ही कर रहे हैं। ऐसे में टेम्प्रेचर बैलेंस करने और इंटरटेनमेंट के लिए इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट्स का यूज बढ़ जाता है। हम पहले से ज्यादा टीवी, लाइट, ओवन का यूज करने लगते हैं। वहीं, विंटर ब्रेक के चलते बच्चों के घर पर रहने से भी इलेक्ट्रिसिटी बिल में इजाफा होता है। वैसे भी कोरोना की वजह से स्कूल न खुलने से सभी बच्चे घर पर हैं। ऐसे में इस बार इलेक्ट्रिसिटी कंजप्शन बढ़ सकता है। इसलिए बच्चों को भी इलेक्ट्रिसिटी के सही यूज के तरीके बताकर उन्हें जागरुक कर सकते हैं।
अक्सर हम सभी के घर में कई तरह के गेप होते हैं, जिसकी वजह से घर में ठंडी हवा आती है। यह गेप आपको घरों की दीवारों में आए क्रेक्स, खिड़कियों और दरवाजों में नजर आ सकते हैं। इस वजह से घर ठंडा हो जाता है। इन्हें हम अगर पूरी तरह से फिक्स कर देंगे, तो घर का टेम्प्रेचर डाउन नहीं होगा और इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट की जरूरत नहीं रहेगी।
2. हीटिंग सिस्टम की एफिशिएंसी चेक करें
ठंड के दिनों में हीटिंग सिस्टम लाकर घरों में रखते हैं। अगर आप घरों में अच्छी एफिशिएंसी का हीटर लाकर रखेंगे तो आपका इलेक्ट्रिसिटी बिल कम आएगा। कई बार खराब या पुराने हो गए हीटर इलेक्ट्रिसिटी का कंजप्शन ज्यादा करते हैं। इस वजह से भी इलेक्ट्रिसिटी बिल बढ़कर आता है। अगर आपका हीटर रिपेयरिंग मांग रहा है, तो उसे जल्द ठीक करा सकते हैं।
3. एनर्जी एफिशिएंट लाइट का यूज करें
नवंबर और दिसंबर का समय शादी और हॉलिडे सीजन रहता है। ऐसे में हम घर के डेकोरेशन के लिए भी लाइट लगाते हैं। अगर इस तरह की लाइट बाजार से ला रहे हैं, तो इसका खासा ध्यान रखें कि लाइट एनर्जी एफिशिएंट हो। इस तरह की लाइट इलेक्ट्रिसिटी कंजप्शन कम करती है।
4. टेम्प्रेचर कंट्रोल के लिए थर्मोस्टेट यूज करें
थर्मोस्टेट एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। इसे इलेक्ट्रिकल सर्किट की सीरीज में लगाया जाता है। यह टेम्प्रेचर को कंट्रोल करता है। हम इसकी हीटिंग पावर को कम कर सकते हैं। इससे इलेक्ट्रिसिटी कंजप्शन में कमी आ सकती है। इसलिए टेम्प्रेचर कंट्रोल करने वाले थर्मोस्टेट का ही यूज करें।
5. हीटर की जगह अलावजलाएं
जरूरी नहीं कि टेम्प्रेचर मेंटेन करने के लिए हम इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट का ही यूज करें। पहले जब ये संसाधन का उपयोग नहीं था, तब भी लोग अलाव जलाकर ठंड को कम करते थे। अगर घर के अंदर अलाव और फायर प्लेस की जगह है, तो उसका यूज करें।
6. सनलाइट का फायदा उठाएं
घर में ऐसी जगह बनाएं, जहां से सीधी सनलाइट अंदर आ सके। इससे घर का टेम्परेचर भी सही रहेगा, और बॉडी को भी विटामिन D मिलेगा। इस बात का ध्यान रखें, जब तक सनलाइट है, तब तक सभी इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट बंद रखें।
7. विंडो को कवर करें
अगर आपके घर में एनर्जी एफिशिएंट विंडो नहीं हैं, तो उन्हें प्लास्टिक शीट से कवर कर दें। इससे बाहर से घर के अंदर आने वाली हवा रुक जाएगी और घर में लगे हीटर इक्विपमेंट का यूज कम होगा।
8. पानी गर्म करने तरीकों में बदलाव करें
आप पानी गर्म करने के तरीके बदल दें, तो आपको इससे फायदा होगा। जरूरी नहीं कि हमेशा गीजर या इलेक्ट्रिक हीटर पर ही पानी गर्म करें। इसके लिए गैस पर भी पानी रख सकते हैं।
9. एसी-कूलर का उपयोग बंद कर दें
ठंड में अगर आप के घर में एसी और कूलर का यूज हो रहा है, तो इसे बंद करके रख दें। जरूरत पड़ने पर ही सीलिंग फेन चलाएं।
10. ठंड में फ्रिज का इस्तेमाल कम कर दें
ठंड में फ्रिज का इस्तेमाल कम कर दें। अगर खाना फ्रिज में नहीं भी रखेंगे, तो भी ठंड में वह जल्दी खराब नहीं होता है।
क्रॉसवर्ड पजल कभी न कभी आपने भी खेला होगा। कहते हैं कि यह मेंटल हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आज ही के दिन 1913 में पहली बार किसी अखबार में मॉडर्न क्रॉसवर्ड पजल को छापा गया था। अमेरिका के अखबार द न्यूयॉर्क वर्ल्ड के संडे सप्लीमेंट में इसे छापा गया। ब्रिटिश पत्रकार आर्थर वेन ने इसे बनाया था। पहले इसका नाम वर्ड क्रॉस था।
कुछ समय बाद टाइपिंग में हुई गलती की वजह से इसे वर्ड क्रॉस की जगह क्रॉसवर्ड लिख दिया गया। तब से यह पूरी दुनिया में इसी नाम से जाना जाता है। शुरुआत में पजल डायमंड शेप का होता था और इसमें ब्लैक बॉक्स नहीं होते थे। 1923 तक अमेरिका के लगभग सभी अखबारों में इस तरह की पजल को छापा जाने लगा था। हालांकि, इस तरह की पजल 1913 के पहले भी छपती थीं, लेकिन ये एलिमेंट्री पजल्स होती थीं।
1922-23 तक यह पजल ब्रिटेन तक भी पहुंच गई। ब्रिटिश पजल ने तेजी से अपना स्टाइल खुद विकसित कर लिया, यह अमेरिकी पजल के मुकाबले ज्यादा कठिन माना जाता था। कहा जाता है कि ब्रिटेन के द संडे टाइम्स में छपने वाली पजल सबसे अच्छी होती थी। धीरे-धीरे ये अलग-अलग रूपों में दुनिया के सभी देशों में छपने लगी।
पहला एग्लो-सिख वॉर: जिसके बाद अंग्रेजों ने सिखों से लाहौर संधि की
1845-46 में सिखों ने अंग्रेजों के खिलाफ फिरोजशाह, मुदकी, अलीवाल, बद्दोवाल, संभरावा में लड़ाइयां लड़ी। पहली लड़ाई 21 दिसंबर को फिरोजशाह में शुरू हुई। शुरुआत चार लड़ाइयों में कोई स्पष्ट नतीजा नहीं निकला। पांचवीं और अंतिम लड़ाई संभरावा में हुई। इसमें अंग्रेजों को जीत मिली। 20 फरवरी 1846 को खत्म हुई इस लड़ाई के बाद अंग्रेजों और सिखों के बीच लाहौर संधि हुई। इसमें अंग्रेजो ने सतलुज नदी के दक्षिणी ओर के सभी प्रदेशों को सिखों से छीन लिया। सिखों की हार का मुख्य कारण महाराजा रणजीत सिंह के कुछ सिपाहियों और मंत्रियों की गद्दारी थी। ये लोग अंग्रेजों से जा मिले थे।
भारत और दुनिया में 21 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः
2012: साउथ कोरिया के सिंगर साई का गाना ‘गंगनम स्टाइल’ यूट्यूब पर एक अरब बार देखे जाने वाला पहला वीडियो बना।
2007: सोशल एक्टिविस्ट, कवि हरिवंश राय बच्चन की पत्नी और अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन का निधन।
1974: पनडुब्बी प्रशिक्षण देने वाले देश के पहले जंगी जहाज आईएनएस सतवाहन काे आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में नौसेना में शामिल किया गया।
1971: कर्ट वॉल्डहाइम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चौथे महासचिव चुने गए। वॉल्डहाइम ने 1 जनवरी 1972 से काम शुरू किया। वॉल्डहाइम 1918 में 21 दिसंबर को ही पैदा हुए थे।
1968: फ्लोरिडा के केप केनेडी स्पेस सेंटर से अपोलो-8 को लॉन्च किया गया था। ये पहला मौका था जब कोई इंसान ग्रेविटेशनल फोर्स को चुनौती देकर धरती की कक्षा से बाहर गया था।
1937: स्नोवाइट एंड सेवन डॉर्फ नाम की कार्टून मूवी रिलीज हुई। दुनिया की इस पहली फुल लेंथ एनिमेटेड फीचर फिल्म ने वॉल्ट डिज्नी को दुनिया के सबसे इनोवेटिव और क्रिएटिव मूवी मेकर के रूप में स्थापित किया।
1898: रसायन शास्त्री पियरे और उनकी पत्नी मेरी क्यूरी ने रेडियम की खोज की। इसका इस्तेमाल कैंसर के इलाज के लिए भी होता है। दोनों को 1903 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
चीन द्वारा इस साल जनवरी की शुरुआत में कोरोना वायरस फैलने की खबरों पर अंकुश लगाने की साजिश का खुलासा हुआ है। वहां के सरकारी सेंसरों ने ऐसी खबरों को दबाने के लिए हर तरीका अपनाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स और स्वयंसेवी न्यूज संगठन प्रो पब्लिका ने चीन की इस साजिशन चालाकी की समीक्षा में क्या कहा? पढ़िए इस लेख में.....
पाकिस्तान में कोरोना वायरस की दूसरी लहर गंभीर होती जा रही है। पॉजिटिविटी रेट जो अक्टूबर में वहां केवल 2% थी, पिछले कुछ सप्ताहों से 7.7% हो गई है। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का क्या कहना है पाक के मौजूदा कोविड खतरे के बारे में? पढ़ें इस लेख में....
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में बड़े पैमाने पर तेजी से कई प्रोजेक्ट्स के लिए सरकारी जमीनें आवंटित कर रहे हैं। जबकि इनमें से कई जमीनों के आवंटन का मूल निवासी और पर्यावरण समर्थक समूह विरोध कर रहे हैं। आखिर क्यों कर रहे हैं ट्रम्प जाते-जाते ऐसा? जानने के लिए पढ़ें यह लेख...
खिलाड़ियों को साइंस फिक्शन की सजीव दुनिया में ले जाने के सपने दिखाने वाला गेम साइबर पंक-2077 बुरी तरह फ्लॉप हो गया है। दिसंबर में रिलीज से पहले 80 लाख लोगों ने गेम की कॉपियों के ऑर्डर दे दिए थे। लेकिन ऐसा क्या हो गया कि कई गेमर्स ने इस सप्ताह वितरकों से उनका पैसा लौटाने की मांग की है? पढ़ें इस लेख में...
एक रिसर्च से सामने आया है कि धावकों जैसे अधिक सक्रिय लोगों के शरीर में एंटीबॉडी सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा बन सकती हैं। मास्क पहनकर एक्सरसाइज करने के कोई नुकसान तो नहीं हैं? क्या कहते हैं तमाम रिसर्च पढ़ें इस लेख में...
साल बीतने में कुछ ही दिन बचे हैं। 2020 की शुरुआत तो ठीक हुई, लेकिन फिर कोरोनावायरस ने सब चौपट कर दिया। अब फिर चीजें बेहतर होती नजर आ रही हैं। खेल और फुटबॉल के साथ भी यही हो रहा है। साल के खत्म होते-होते अर्जेंटीना के डिएगो मैराडोना और इटली के पाउलो रोसी जैसे दिग्गज फुटबॉलर दुनिया को अलविदा कह गए।
बहरहाल, पोलैंड के स्टार फुटबॉलर रॉबर्त लेवनदॉस्की यह साल बेहद खास रहा। उन्होंने पहली बार एक सीजन में सबसे ज्यादा गोल के मामले में लियोनल मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो को एक साथ पीछे छोड़ा। कोरोना की वजह से फुटबॉल जगत को आर्थिक तौर पर भी काफी नुकसान झेलना पड़ा। सबसे ज्यादा नुकसान स्पेनिश क्लबों को हुआ है। घरेलू लीग ला लीगा ने क्लबों की सैलरी कैप में 600 मिलियन यूरो (करीब 5413 करोड़ रुपए) की कटौती की।
लेवनदॉस्की फीफा प्लेयर ऑफ द ईयर चुने गए
जर्मन क्लब बायर्न म्यूनिख के लेवनदॉस्की को फीफा ने हाल ही में बेस्ट फुटबॉलर (FIFA Player for 2020) घोषित किया है। पिछले साल के विनर मेसी और रोनाल्डो को पछाड़कर लेवनदॉस्की ने यह अवॉर्ड जीता। 32 साल के लेवनदॉस्की ने पिछले सीजन के 47 मैच में 55 गोल किए हैं। इसी आधार पर उन्हें यह सम्मान मिला।
लेवनदॉस्की लगातार दूसरे सीजन में मेसी और रोनाल्डो से आगे
सीजन: 2020-21
क्लब
मैच
गोल
असिस्ट
रॉबर्त लेवनदॉस्की
बायर्न म्यूनिख
18
20
5
क्रिस्टियानो रोनाल्डो
युवेंटस
13
16
1
लियोनल मेसी
बार्सिलोना
16
9
4
मैराडोना ने दुनिया को अलविदा कहा
2020 ने फुटबॉल के लेजेंड डिएगो मैराडोना को भी छीन लिया। मैराडोना ने 1986 में अर्जेंटीना को वर्ल्ड कप जिताने में अहम रोल निभाया था। इस टूर्नामेंट में उनका वर्ल्ड फेमस गोल भी शामिल है, जिसे "हैंड ऑफ गॉड" के नाम से जाना जाता है। इसी गोल की मदद से अर्जेंटीना ने इंग्लैंड को टूर्नामेंट से बाहर कर दिया था।
फीफा प्लेयर ऑफ द सेंचुरी रहे मैराडोना
अर्जेंटीना से खेलते हुए मैराडोना ने इंटरनेशनल करियर में 91 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 34 गोल किए। उन्होंने 4 FIFA वर्ल्ड कप टूर्नामेंट खेले, जिसमें 1986 का विश्व कप शामिल था। 1986 वर्ल्ड कप में वे अर्जेंटीना के कैप्टन भी थे। वे टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किए गए थे। उन्हें गोल्डन बॉल अवॉर्ड जीता था।
मैराडोना को फीफा प्लेयर ऑफ द सेंचुरी से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने एक बार वर्ल्ड कप गोल्डन बॉल, एक बार बेलोन डी ओर, 2 बार साउथ अमेरिकन फुटबॉलर ऑफ द ईयर, 6 बार नेशनल लीग टॉप स्कोरर अवॉर्ड जीता है।
एक ही वर्ल्ड कप में गोल्डन बूट और बॉल अवॉर्डी रोसी भी नहीं रहे
इटली के दिग्गज फुटबॉलर रहे पाउलो रोसी साल का 64 की उम्र में रोसी का 9 दिसंबर को निधन हो गया। रोसी 1982 में फीफा वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा थे। उन्होंने इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा 6 गोल किए थे।
फाइनल में उन्होंने वेस्ट जर्मनी के खिलाफ एक गोल दागा था। इसकी बदौलत इटली 3-1 से फाइनल जीती थी। रोसी एक ही वर्ल्ड कप में गोल्डन बूट और गोल्डन बॉल जीतने वाले 3 खिलाड़ियों में से एक हैं।
स्पेनिश लीग में कटौती से बार्सिलोना को ज्यादा नुकसान
हाल ही में स्पेनिश लीग ला लीगा में फर्स्ट डिवीजन क्लब्स ने अपने सैलरी कैप में जो कटौती की है, उससे सबसे ज्यादा नुकसान मेसी की टीम बार्सिलोना और वेलेंसिया को हुआ। वहीं, रियाल मैड्रिड के पास इस सीजन का सबसे बड़ा बजट रहा। बार्सिलोना ने इस सीजन के लिए सैलरी कैप में लगभग 300 मिलियन यूरो (करीब 2637 करोड़ रु.) की कटौती की है। 2020-21 सीजन के लिए उनकी सैलरी कैप 382.7 मिलियन यूरो (करीब 3359 करोड़ रु.) है, जो पिछले सीजन में 671.4 मिलियन यूरो (करीब 59 हजार करोड़ रु.) थी।
2020-21 सीजन के लिए टॉप-10 ला लीगा टीमों का सैलरी कैप (राशि मिलियन यूरो में)
टीम
2020-21
2019-20
2018-19
रियाल मैड्रिड
468.53
641.05
566.5
बार्सिलोना
382.72
671.43
632.9
एटलेटिको मैड्रिड
252.72
348.5
293
सेविला
185.81
185.17
162.7
विल्लारियाल
145.24
108.59
109.1
एथलेटिक बिल्बाओ
119.82
103.18
87.8
वेलेंसिया
103.4
170.67
164.6
रियाल सोसिदाद
100.88
81.13
80.8
बेटिस
71.3
100.35
97.1
सेल्टा
62.53
62.12
50.9
स्टेडियम में फैंस बैन, सिर्फ रोबोट और कटआउट दिखे
मार्च से बंद हुई फुटबॉल मई में पटरी पर लौटने लगी थी। सबसे पहले जर्मनी में बुंदेसलिगा टूर्नामेंट को 16 मई से किया गया था। फिर धीरे-धीरे स्पेनिश लीग ला लीगा, इटली में सीरी-ए और इंग्लैंड में इंग्लिश प्रीमियर लीग भी शुरू हो गई। आखिर में अगस्त में UEFA चैम्पियंस लीग और यूरोपा लीग भी हुई। हालांकि, इनमें फैंस को स्टेडियम में आने की अनुमति नहीं दी गई।
मिसेस बैक्टर्स। जी हां, यह नाम आज शेयर बाजार और निवेशकों के बीच बहुत ही फेमस है। निवेशकों को इसका इंतजार बेसब्री से है। कारण यह है कि 28 दिसंबर को इसका शेयर लिस्ट होगा। तीन साल में यह पहला IPO है जिसे 198 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है।
रिटेल निवेशकों का हिस्सा 28 गुना भरा
इसके रिस्पांस का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि रिटेल निवेशकों ने 28 गुना ज्यादा पैसा लगाया है। पहले दिन पहले ही घंटे में यह IPO पूरी तरह से भर गया। हम आपको बता रहे हैं कौन हैं मिसेस बैक्टर्स और कैसे 20 हजार रुपए से 1000 करोड़ रुपए की कंपनी खड़ी कर दी।
क्रीमिका ब्रांड है फेमस
मिसेस बैक्टर्स मूलरूप से क्रीमिका (Cremica) ब्रांड के नाम से बिस्किट बनाने वाली कंपनी है। यह रॉ मटेरियल्स भी सप्लाई करती है। इस कंपनी की को-फाउंडर रजनी बेक्टर (Rajni Bector) हैं। इस मुकाम तक रजनी कैसे पहुंचीं, इसकी भी कहानी दिलचस्प है। 20 हजार रुपए से उन्होंने बिस्किट बनाने का कारोबार शुरू किया। आज यह एक हजार करोड़ रुपए की कंपनी है।
पाकिस्तान के कराची में जन्म
रजनी बैक्टर पाकिस्तान के कराची में पैदा हुईं। बचपन लाहौर में बिताया। पिता सरकारी कर्मचारी थे। भारत- पाकिस्तान बंटवारे के समय वह अपने परिवार के साथ दिल्ली चली आईं। 17 साल की उम्र में रजनी ने लुधियाना के धरमवीर बैक्टर से शादी की। उसके बाद फिर पढ़ाई पूरी की। शादी के बाद रजनी अपने पति और तीन बेटों की जिम्मेदारी संभालने लगीं। इसके बाद उन्होंने भारत में अपना कारोबार तलाशना शुरू किया। 1978 में पंजाब के लुधियाना में उन्होंने मिसेस बैक्टर्स फूड स्पेशियालिटी की शुरुआत की। इसके लिए उन्होंने 20 हजार रुपए का इंतजाम किया।
खाना बनाने के शौक को बिजनेस में बदल दिया
कहते हैं कि बैक्टर को खाना बनाने का बहुत शौक था। उन्होंने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में एक बेकिंग कोर्स में प्रवेश लिया। कई बार वे जब आइसक्रीम, केक और कुकीज ट्राई बनाती थी तो लोगों को खाने के लिए बुलाती थीं। यहीं से उनकी बात आगे बढ़ी। कुछ लोगों ने रजनी को अपना कारोबार शुरू करने का सुझाव दिया। लोगों की सलाह पर उन्होंने आइसक्रीम बनाना शुरू किया। 1978 में 20 हजार रुपए से लगातार बिस्किट, कुकीज और केक बनाने का काम शुरू कर दिया।
60 से ज्यादा देशों में निर्यात
आज मिसेस बैक्टर्स कंपनी के बिस्किट, ब्रेड और आइसक्रीम 60 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट किए जाते हैं। मिसेस बैक्टर्स फास्ट फूड चेन मैक्डोनाल्ड्स और बर्गर किंग को भी ब्रेड सप्लाई करती हैं। यह वही बर्गर किंग है जिसका IPO एक हफ्ते पहले 156 गुना भरा था। 60 रुपए के इस IPO का भाव तीन दिन में 3 गुना बढ़ कर 219 रुपए पर पहुंच गया था।
540 करोड़ की तुलना में एक लाख करोड़ का रिस्पांस
मिसेस बैक्टर को IPO से वैसे तो केवल 540 करोड़ रुपए ही जुटाने थे। लेकिन सब्सक्रिप्शन के आधार पर इसे एक लाख करोड़ रुपए के लिए रिस्पांस मिला है। उम्मीद है कि लिस्टिंग में यह शेयर निवेशकों को अच्छा मुनाफा दे सकता है। Mrs Bectors का क्रेमिका नॉन-ग्लूकोज सेगमेंट में उत्तर भारत का प्रमुख बिस्किट ब्रैंड है। 2013 में रजनी बैक्टर के तीन बेटों, अजय, अनूप और अक्षय बैक्टर के बीच कारोबार को बराबर-बराबर बांटा गया था।
1990 में परिवार के सदस्य जुड़े
कंपनी में तेजी तब आई जब परिवार के अन्य सदस्य 1990 में कंपनी से जुड़े। उस समय कंपनी का नाम क्रीमिका था। 1990 के मध्य में कंपनी को बड़ा ब्रेक मिला, जब मैकडोनाल्ड ने भारत में प्रवेश किया और इसके साथ मटेरियल की सप्लाई के लिए एग्रीमेंट किया। 1996 में इस कंपनी ने कैडबरी और आईटीसी जैसी कंपनियों को भी सप्लाई करना शुरू किया। इसके लिए यह कंपनी फिलौर (पंजाब) फैक्टरी में प्रोडक्ट बनाती थी। 1999 में इसने अपना नाम बदलकर मिसेस बैक्टर्स फूड स्पेशियालिटी कर दिया। 2006 में इसने पहली बार 100 करोड़ रुपए के कारोबार के आंकड़े को पार किया।
गोल्डमैन सैश ने किया निवेश
साल 2006 में ही इस कंपनी में ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म गोल्डमैन सैश ने 10 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदी। इसके लिए उसने 50 करोड़ रुपए का पेमेंट किया। इस पैसे से कंपनी ने बिजनेस को बढ़ाया और ग्रेटर नोएडा, मुंबई तथा हिमाचल प्रदेश में ऑटोमेटेड प्लांट डेवलप किया। 2010 में गोल्डमैन ने अपनी हिस्सेदारी मोतीलाल ओसवाल को बेच दी और कंपनी से निकल गया। कंपनी के पास कुल 4 हजार कर्मचारी हैं। 6 इन -हाउस मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी हैं।
क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक वायरल फोटो में सड़क पर लाखों लोगों की भीड़ दिख रही है। दावा किया जा रहा है कि अब पश्चिम बंगाल में भी लाखों लोग किसान बिल के विरोध में उतर आए हैं।
वायरल फोटो को सोशल मीडिया पर अमित शाह के पश्चिम बंगाल में चल रहे चुनावी दौरे से जोड़कर भी शेयर किया जा रहा है।
और सच क्या है?
इंटरनेट पर हमें अलग-अलग की-वर्ड सर्च करने पर भी ऐसी कोई खबर नहीं मिली। जिससे पुष्टि होती हो कि पश्चिम बंगाल में भी किसान आंदोलन के विरोध में बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतरे हैं।
वायरल हो रही फोटो को हमने गूगल पर रिवर्स सर्च किया। हमें कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ( मार्क्सवादी) के एक साल पुराने सोशल मीडिया पोस्ट में भी यही फोटो मिली। साफ है कि फोटो का अमित शाह के पश्चिम बंगाल दौरे या हाल में चल रहे किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है।
Birds eye view of today's public meeting at Rani Rashmani Road which was organised to mark the culmination of 12 days long #WorkersLongMarch against privatization, anti workers policies, divisive agenda of #NRC, #CAB & rampant retrenchment of the labors. pic.twitter.com/1tq2kxaWqm
CPI(M) की पोस्ट से पता चलता है कि फोटो दिसंबर 2019 में हुए 12 दिवसीय कर्मचारी रैली की है। यह रैली कर्मचारियों ने निजीकरण, नागरिकता संशोधन कानून और मजदूर विरोधी कानूनों के विरोध में निकाली थी। ये रैली कोलकाता के रानी रशमनी रोड पर निकाली गई थी।
इन सबसे साफ है कि सोशल मीडिया पर 1 साल पुरानी फोटो को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। वायरल फोटो का हाल में चल रहे किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है।
जिम कोरियर एक सफल टेनिस खिलाड़ी थे। उन्होंने काफी लंबे समय तक टेनिस खेला और अच्छा प्रदर्शन करते रहे और लंबे समय तक शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल रहे। मुझे नहीं लगता कि ‘मुश्किल’ शब्द की व्याख्या जिम कोरियर से बेहतर किसी और ने की है। उन्होंने कहा, ‘प्लीज एक बात समझिए, अगर कुछ करना आसान है, तो इसे अभी किया जा सकता है।
अगर यह मुश्किल होगा तो इसमें कुछ और समय लगेगा।’ बस यही अंतर है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि उसे न किया जा सके। अच्छी चीजें मुश्किल होती हैं और उनमें समय भी लगता है। लेकिन, इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इन्हें किया ही नहीं जा सकता। बस इन्हें और वक्त लेने दीजिए।
अगर हर काम तुरंत ही हो जाए तो उनका कोई मोल नहीं रहेगा। मान लीजिए कि सड़क की सतह पर 10 रुपए का नोट पड़ा है। तब आप उसे 10 रुपए ही कहेंगे। अगर आप तीन फीट गड्ढा खोदते हैं और फिर 10 रुपए मिलते हैं तो आप उसे खजाना कहेंगे। दोनों एक ही चीज हैं, लेकिन तीन फीट का गड्ढा खोदने में लगी मेहनत से उसका 10 रुपए मोल बढ़ गया। मेहनत करना जीवन का हिस्सा है, प्रयास करना जीवन का हिस्सा है।
वह ईमानदारी, जो आज आपके जीवन का हिस्सा है, मुश्किल से ही आई होगी। जीवन ने आपके समक्ष अनंत अवसर पेश किए होंगे, आपको उन कुछ पलों में बेईमान होकर भौतिक सुखों के फायदे दिखाए होंगे। और इन अस्थायी भौतिक सुखों से, लालच से खुद को बचाए रखने, अपने निजी ईमानदारी के गुण को बनाए रखने में मुश्किल तो हुई होगी। खुद में यह बदलाव लाना मुश्किल रहा होगा, लेकिन इसका मोल था। एक सकारात्मक आदत बनाना या नकारात्मक आदत को छोड़ देना मुश्किल तो होगा, लेकिन इसका मोल है, इसका लाभ है।
यहां तक कि अगर आप ‘कुछ न करना’ भी चाहेंगे, तो वह भी आसान नहीं होगा। पहले दिन से ही बहुत ज्यादा नाटकीयता रहेगी। उदाहरण के लिए किसी ने तय किया कि आज से वह कुछ नहीं करेगा। वह अपनी पत्नी को बुलाता है और कहता है, ‘सुनो मैं आज से कुछ नहीं करूंगा। बस आराम करूंगा। फोन का रिसीवर अलग कर दो। मोबाइल बंद कर दो।
मैं अपना कमरा बंद कर रहा हूं, मुझे कोई व्यवधान नहीं चाहिए।’ फिर वह सोचेगा कैसे आराम करूं। एक अच्छा तकिया चुनने से शुरुआत होगी। फिर ध्यान की स्थिति में बैठने का प्रयास करेगा। बहुत से विचार आने लगेंगे। ‘कौन-सी पोजीशन अच्छी होगी… उन्होंने कहा था कि पालथी लगाकर बैठना जरूरी नहीं है… थोड़ा टिक कर बैठ जाता हूं, पीठ को आराम मिलेगा... जमीन पर नहीं बैठना चाहिए, चटाई बिठा लेता हूं… गरमी लग रही है, पंखा चला लेता हूं… हम्म, जब ये पंखा एक की स्पीड पर चलता है तो इसकी ब्लेड दिखती हैं, पांच पर नहीं दिखतीं… वो महात्रया रा ने कौन-सा सिद्धांत बताया था, टीओई, थियोरी ऑफ… गूगल करके देखना पड़ेगा… कोई फोन क्यों नहीं उठा रहा, अनुमा जरा फोन देखो... हम्म… महात्रया रा ने कहा था की छोटे-छोटे से शुरुआत करना चाहिए… चलो आज के लिए इतना ‘कुछ न करना’ पर्याप्त है... अब कुछ कर लेता हूं।’ और वह उठ जाएगा।
पहले दिन इतना ही हो पाएगा। और इसके बाद कुछ होगा, जो बहुत जरूरी है। वह फेसबुक पर जाएगा और पोस्ट करेगा, ‘मैं आज से ध्यान करना शुरू किया है।’ और बहुत से लोग उसे लाइक करेंगे। फिर वह तीन बाद फोटोग्राफर को बुला लेगा। अपनी फोटो खिंचवाने पर मेहनत करने लगेगा। ‘देखो यहां से फोटा लेना… ये लाइट अच्छी रहेगी… थोड़ी नीली रोशनी डालना…।’ यह भी मुश्किल ही है। यह आसान नहीं होगा, खासतौर पर कॉफी के समय में, जब कॉफी उबलने की खुशबू आएगी। ध्यान भटकेगा। मुश्किल है, लेकिन उसका मोल है, उससे लाभ है।
इसीलिए जिम की बात बिल्कुल सही है। अगर कोई चीज आसान है, तो अभी हो जाएगी। मुश्किल है, तो उसमें समय लगेगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है, जो नहीं किया जा सके।
क्रॉसवर्ड पजल कभी न कभी आपने भी खेला होगा। कहते हैं कि यह मेंटल हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आज ही के दिन 1913 में पहली बार किसी अखबार में मॉडर्न क्रॉसवर्ड पजल को छापा गया था। अमेरिका के अखबार द न्यूयॉर्क वर्ल्ड के संडे सप्लीमेंट में इसे छापा गया। ब्रिटिश पत्रकार आर्थर वेन ने इसे बनाया था। पहले इसका नाम वर्ड क्रॉस था।
कुछ समय बाद टाइपिंग में हुई गलती की वजह से इसे वर्ड क्रॉस की जगह क्रॉसवर्ड लिख दिया गया। तब से यह पूरी दुनिया में इसी नाम से जाना जाता है। शुरुआत में पजल डायमंड शेप का होता था और इसमें ब्लैक बॉक्स नहीं होते थे। 1923 तक अमेरिका के लगभग सभी अखबारों में इस तरह की पजल को छापा जाने लगा था। हालांकि, इस तरह की पजल 1913 के पहले भी छपती थीं, लेकिन ये एलिमेंट्री पजल्स होती थीं।
1922-23 तक यह पजल ब्रिटेन तक भी पहुंच गई। ब्रिटिश पजल ने तेजी से अपना स्टाइल खुद विकसित कर लिया, यह अमेरिकी पजल के मुकाबले ज्यादा कठिन माना जाता था। कहा जाता है कि ब्रिटेन के द संडे टाइम्स में छपने वाली पजल सबसे अच्छी होती थी। धीरे-धीरे ये अलग-अलग रूपों में दुनिया के सभी देशों में छपने लगी।
पहला एग्लो-सिख वॉर: जिसके बाद अंग्रेजों ने सिखों से लाहौर संधि की
1845-46 में सिखों ने अंग्रेजों के खिलाफ फिरोजशाह, मुदकी, अलीवाल, बद्दोवाल, संभरावा में लड़ाइयां लड़ी। पहली लड़ाई 21 दिसंबर को फिरोजशाह में शुरू हुई। शुरुआत चार लड़ाइयों में कोई स्पष्ट नतीजा नहीं निकला। पांचवीं और अंतिम लड़ाई संभरावा में हुई। इसमें अंग्रेजों को जीत मिली। 20 फरवरी 1846 को खत्म हुई इस लड़ाई के बाद अंग्रेजों और सिखों के बीच लाहौर संधि हुई। इसमें अंग्रेजो ने सतलुज नदी के दक्षिणी ओर के सभी प्रदेशों को सिखों से छीन लिया। सिखों की हार का मुख्य कारण महाराजा रणजीत सिंह के कुछ सिपाहियों और मंत्रियों की गद्दारी थी। ये लोग अंग्रेजों से जा मिले थे।
भारत और दुनिया में 21 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः
2012: साउथ कोरिया के सिंगर साई का गाना ‘गंगनम स्टाइल’ यूट्यूब पर एक अरब बार देखे जाने वाला पहला वीडियो बना।
2007: सोशल एक्टिविस्ट, कवि हरिवंश राय बच्चन की पत्नी और अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन का निधन।
1974: पनडुब्बी प्रशिक्षण देने वाले देश के पहले जंगी जहाज आईएनएस सतवाहन काे आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में नौसेना में शामिल किया गया।
1971: कर्ट वॉल्डहाइम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चौथे महासचिव चुने गए। वॉल्डहाइम ने 1 जनवरी 1972 से काम शुरू किया। वॉल्डहाइम 1918 में 21 दिसंबर को ही पैदा हुए थे।
1968: फ्लोरिडा के केप केनेडी स्पेस सेंटर से अपोलो-8 को लॉन्च किया गया था। ये पहला मौका था जब कोई इंसान ग्रेविटेशनल फोर्स को चुनौती देकर धरती की कक्षा से बाहर गया था।
1937: स्नोवाइट एंड सेवन डॉर्फ नाम की कार्टून मूवी रिलीज हुई। दुनिया की इस पहली फुल लेंथ एनिमेटेड फीचर फिल्म ने वॉल्ट डिज्नी को दुनिया के सबसे इनोवेटिव और क्रिएटिव मूवी मेकर के रूप में स्थापित किया।
1898: रसायन शास्त्री पियरे और उनकी पत्नी मेरी क्यूरी ने रेडियम की खोज की। इसका इस्तेमाल कैंसर के इलाज के लिए भी होता है। दोनों को 1903 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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नमस्कार!
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान बोले- मोदी बोलें, तो लोग घरों में थाली पीटें। चुनावी राज्यों में कांग्रेस संगठन की सर्जरी कर सकती है। चीन से करीबी दिखाने वाला नेपाल सियासी संकट में फंस गया है। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
किसान आंदोलन खत्म कराने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर प्रदर्शनकारियों से मुलाकात कर सकते हैं।
महाराष्ट्र के 20 जिले के किसानों ने आंदोलन को समर्थन देने के लिए आज दिल्ली रवाना होने की बात कही है।
कोरोना के चलते बंद रही दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) आज से छात्रों के लिए खुलेगी।
देश-विदेश
अमित शाह का मिशन बंगाल
गृह मंत्री अमित शाह का मिशन बंगाल जारी है। दौरे के दूसरे दिन रविवार को गृह मंत्री अमित शाह बोलपुर में रोड शो किया। शाम को बीरभूम में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। शाह ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार में बंगाल शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास में पिछड़ता गया। बंगाल अब राजनीतिक हिंसा और भ्रष्टाचार में नंबर वन बन गया है। किसान आंदोलन को ममता के समर्थन पर तंज कसते हुए शाह ने कहा कि आपके राज्य में 6 हजार किसानों को मिल जाएं, इसके लिए ही दस्तखत कर दीजिए। चुनाव से पहले किसानों को फसल बीमा का फायदा न मिले, आपकी यही सोच है।
मोदी बोलेंगे, तो किसान थाली पीटेंगे
दिल्ली से सटे हरियाणा और UP बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का रविवार को 25वां दिन था। किसानों ने रविवार को अपील की कि 27 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो पर मन की बात करें, तो सभी अपने-अपने घरों में थाली बजाएं। भारतीय किसान यूनियन के जगजीत सिंह डल्लेवाला ने बताया कि किसानों ने 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी टोल प्लाजा फ्री करने का फैसला भी किया है।
आंदोलन में एक और सुसाइड
किसान आंदोलन में एक और सुसाइड की खबर सामने आई है। बठिंडा में 22 साल के किसान गुरलाभ सिंह ने रविवार को खुदकुशी कर ली। वह दो दिन पहले ही कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन से लौटा था। उसने रविवार को जहर की गोलियां खाकर जान दे दी। शुरुआती जांच में पता चला है कि गुरलाभ सिंह छोटे स्तर का किसान था और उस पर करीब 6 लाख रुपए का कर्ज था। इससे पहले, 16 दिसंबर को 65 साल के संत बाबा राम सिंह ने खुदकुशी कर ली थी। उन्होंने गुरुमुखी में लिखे सुसाइड नोट में कहा था कि यह जुल्म के खिलाफ एक आवाज है।
आंदोलन के बीच PM की अरदास
दिल्ली में जारी किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पहुंचे। मोदी गुरु तेगबहादुर की पुण्यतिथि पर गुरुद्वारे पहुंचे थे। खास बात ये थी कि उनकी इस यात्रा के लिए दिल्ली में ट्रैफिक के लिए कोई विशेष इंतजाम या प्रतिबंध नहीं लगाए गए थे। गुरुद्वारे में भी श्रद्धालुओं ने बिना किसी रोक-टोक के पीएम मोदी के साथ सेल्फी ली। मोदी के गुरुद्वारे में मत्था टेकने की इस इवेंट को किसान आंदोलन के जोड़ा जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि मोदी ने गुरुद्वारे जाकर किसानों को मैसेज देने की कोशिश की है।
संगठन की सर्जरी करेगी कांग्रेस
संकट से जूझती कांग्रेस ने तीन राज्यों में चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। तेलंगाना, पंजाब और गुजरात में प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) में जल्द बड़े बदलाव की सुगबुगाहट है। इन राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जा सकते हैं। न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में तेलगांना के प्रभारी और सांसद मनिकम टैगोर ने बताया कि तेलंगाना में PCC चीफ बदले जाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। प्रदेश के पार्टी प्रमुख उत्तर कुमार रेड्डी ने ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (GHMC) में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के चलते इस्तीफा दे दिया था।
एक्सप्लेनर
साल का सबसे छोटा दिन विंटर सॉल्सटिस
आज विंटर सॉल्सटिस है। यानी, साल का सबसे छोटा दिन। पिछले साल विंटर सॉल्सटिस 22 दिसंबर को पड़ा था। लेकिन इस बार ये 21 दिसंबर को है। इससे पहले 2017 में भी विंटर सॉल्सटिस 21 दिसंबर को ही पड़ा था। आखिर ये दिन छोटे बड़े क्यों होते हैं? क्या 21 और 22 के अलावा भी किसी दिन साल का सबसे छोटा दिन पड़ सकता है? सॉल्सटिस का मतलब क्या होता है और ये कितनी तरह का होता है? क्या इसका मौसम पर भी कोई असर पड़ता है? आइये जानते हैं... पढ़ें पूरी खबर...
पॉजिटिव खबर
पशु आहार से सालाना 60 लाख का बिजनेस
मध्यप्रदेश के राजगढ़ के रहने वाले विपिन दांगी एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई के दौरान इंदौर पार्ट टाइम काम करते थे। पढ़ाई के बाद फुल टाइम जॉब किया। सैलरी ठीक थी, लेकिन काम में मन नहीं लगा, तो 2018 में नौकरी छोड़कर गांव लौट आए। गांव में उन्होंने दूध का कारोबार किया। इसमें नुकसान हुआ, तो पशुओं के लिए आहार बनाकर बेचना शुरू किया। आज वे हर महीने 5 लाख से ज्यादा का कारोबार करते हैं। पढ़ें पूरी खबर...
नेपाल में सियासी संकट
चीन से करीबी दिखा रहा नेपाल फिर सियासी संकट में फंस गया है। यहां नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार खतरे में दिख रही है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार सुबह कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। इसमें ही संसद भंग करने का फैसला लिया गया। इधर, पुष्प कमल दहल समर्थक 7 मंत्रियों ने सरकार से इस्तीफा दे दिया। ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने संसद भंग करने को मंजूरी दे दी है। नेपाल में अगले साल 30 अप्रैल से 10 मई के बीच चुनाव होंगे।
बॉक्सिंग वर्ल्ड कप में भारत को गोल्ड
भारतीय बॉक्सर सिमरनजीत कौर और मनीषा ने जर्मनी के कोलोन में चल रहे बॉक्सिंग वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। वहीं पुरुषों में सतीश कुमार (91किग्रा) को सिल्वर मेडल मिला। वे फाइनल में इंजरी की वजह से नहीं खेल सके थे। भारत टूर्नामेंट में 9 मेडल जीतकर ओवर ऑल दूसरे स्थान पर रहा। इसमें तीन गोल्ड और दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। मनीषा और सिमरनजीत से पहले पुरुषों में अमित पंघाल को गोल्ड मेडल मिला था। उन्हें फाइनल में वॉकओवर मिला था।
पहाड़ों से मैदानों तक ठंड की थर्ड डिग्री
उत्तर से आ रही बर्फीली हवाओं ने मैदानी इलाकों को भी कंपकंपाना शुरू कर दिया है। राजस्थान के माउंट आबू में शनिवार लगातार छठे दिन बर्फ जमी। यहां माइनस 1.4 डिग्री तापमान दर्ज किया गया। चूरू में पारा माइनस 0.1 डिग्री रिकॉर्ड हुआ। उधर, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। देश के सबसे ज्यादा ठंडे 40 शहरों में मध्य प्रदेश के 5 शहर शामिल हैं। बिहार के 26 जिलों में शीतलहर का अलर्ट है। श्रीनगर में भी कल सीजन का सबसे ठंडा दिन रहा।
सुर्खियों में और क्या है...
कोरोना टेस्टिंग के मामले में भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश हो गया है। अब तक 16.11 करोड़ यानी देश की 138 करोड़ की आबादी में 11.62% लोगों का टेस्ट हो चुका है।
ब्रिटेन के हेल्थ सेक्रेटरी मैट हनूक ने रविवार को कहा कि देश में कोरोना से हालात बेकाबू हो चुके हैं। PM बोरिस जॉनसन ने लंदन और दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन लगा दिया है।