शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020

डोनाल्ड और मेलानिया ट्रम्प पॉजिटिव पाए जाने के बाद क्वारैंटाइन ; एक दिन पहले एडवाइजर होप हिक्स पॉजिटिव पाई गईं थीं; दुनिया में 3.44 करोड़ केस

दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.44 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 56 लाख 49 हजार 759 से ज्यादा हो चुकी है। मरने वालों का आंकड़ा 10.27 लाख के पार हो चुका है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और पत्नी मेलानिया ट्रम्प कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। दोनों को क्वारैंटाइन कर दिया गया है। गुरुवार को ट्रम्प की सीनियर एडवाइजर होप हिक्स संक्रमित पाई गईं थीं। पिछले दिनों उन्होंने राष्ट्रपति के साथ कई यात्राएं की थीं। इसके बाद राष्ट्रपति और उनकी पत्नी का भी कोरोना टेस्ट किया गया था। शुक्रवार को इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

फोटो बुधवार की है। तब ट्रम्प की सीनियर एडवाइजर होप हिक्स एयरफोर्स वन से ओहियो जाने के लिए एयरपोर्ट पहुंचीं थीं। अब वे पॉजिटिव पाई गई हैं।

फ्रांस : पेरिस में रेस्टोरेंट्स बंद होंगे
फ्रांस में संक्रमण की दूसरी लहर सरकार पर बहुत भारी पड़ रही है। अब पेरिस में सभी रेस्टोरेंट्स और बार को बंद करने का फैसला किया गया है। हालांकि, इसके लिए रविवार तक इंतजार किया जाएगा। अगर संक्रमण की दर में गिरावट नहीं आती तो मैक्सिमम अलर्ट लेवल घोषित करते हुए यहां सभी गैर जरूरी दुकानें और मॉल भी बंद किए जाएंगे। यह जानकारी फ्रांस के हेल्थ मिनिस्टर ओलिवर वेरन ने दी। पिछले 24 घंटे में फ्रांस में कुल 13 हजार 970 मामले सामने आए। बुधवार को यहां 12 हजार से ज्यादा नए संक्रमित पाए गए थे।

सेंट्रल मैड्रिड के एक रेस्टोरेंट में मेज सैनिटाइज करता वेटर। मैड्रिड का स्थानीय प्रशासन पहले नए प्रतिबंधों का विरोध कर रहा था। लेकिन, शुक्रवार को वह इनके लिए तैयार हो गया। (फाइल)

इटली : यहां भी हालात बिगड़े
अप्रैल के बाद इटली में पहली बार एक दिन में 2 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। गुरुवार को यहां कुल 2 हजार 548 लोग पॉजिटिव पाए गए। इस बीच, सरकार ने कहा है कि हालात को देखते हुए स्टेट ऑफ इमरजेंसी यानी राष्ट्रीय आपातकाल जनवरी तक बढ़ाया जा रहा है। प्रधानमंत्री गिसेप कोन्टे ने कहा- हम संसद में प्रस्ताव लाने जा रहे हैं। हालात बहुत बेहतर नहीं हैं, इसलिए आपातकाल बनाए रखने और इसे बढ़ाने के अलावा फिलहाल सरकार के पास कोई और रास्ता नहीं है। और ये स्थिति पूरे यूरोप के सामने है।

रोम के एक टूरिस्ट प्लेस के बाहर मौजूद लोग। इटली सरकार ने महामारी के मद्देनजर राष्ट्रीय आपातकाल जनवरी तक बढ़ाने पर फैसला किया है। (फाइल)

इजराइल : विरोध भी मुश्किल
इजराइल में पिछले कुछ दिनों से लोग प्रतिबंधों का विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि सरकार कोरोनावायरस की रोकथाम के नाम पर मनमाने प्रतिबंध लगा रही है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से इस्तीफे की मांग की जा रही है। लेकिन, सरकार ने भी सख्त रुख अपना लिया है। संसद में एक कानून पास किया गया है। इसके तहत अब विरोध प्रदर्शन गैरकानूनी होंगे और ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जा सकेगा। नए कानून के तहत लोग एक किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा भी नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा 20 से ज्यादा लोगों के एक जगह जुटने पर पाबंदी लगा दी गई है। सरकार का कहना है कि वैक्सीन अब तक नहीं आई है और संक्रमण की दूसरी लहर का खतरा है। लिहाजा, सख्ती जरूरी है।

स्पेन : मैड्रिड लॉकडाउन की ओर
स्पेन की राजधानी मैड्रिड में सरकार ने कुछ हॉटस्पॉट्स की पहचान की है। सरकार का कहना है कि यहां लॉकडाउन लगाए बिना संक्रमण रोकना आसान नहीं है। पहले, स्थानीय प्रशासन और लोग केंद्र के इस फैसले का विरोध कर रहे थे। लेकिन, सरकार के सख्त रुख को देखते हुए वे अब प्रतिबंधों का सामना करने तैयार हो गए हैं। परेशानी की बात यह है कि दो हफ्ते में यहां एक लाख 33 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं और सरकार की फिक्र का सबब भी यही आंकड़ा है। हेल्थ मिनिस्टर साल्वाडोर इले ने कहा- मैड्रिड की हेल्थ ही स्पेन की हेल्थ भी है। हमने नियमों की नई सूची तैयार कर ली है और इसे जल्द लागू करेंगे। मैड्रिड में 9 उपनगरीय इलाके हैं। यहां करीब 30 लाख लोग रहते हैं। फिलहाल, बाहर से आने वालों पर बैन लगाया गया है।



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ओवल ऑफिस में सीनियर सीनियर एडवाइजर होप हिक्स के साथ डोनाल्ड ट्रम्प। हिक्स गुरुवार रात कोरोना पॉजिटिव पाई गईं हैं। राष्ट्रपति और मेलानिया भी अब पॉजिटिव पाए गए हैं। (फाइल)


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गांधी जी भी 2 बार महामारी की चपेट में आए थे, पर हारे नहीं; राष्ट्रपिता की 8 बातों से जानिए कैसे वैक्सीन आने तक खुद को सुरक्षित रखना है

आज गांधी जयंती है, यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन। नई पीढ़ी पहली बार महामारी के बीच गांधी जी का जन्मदिन मना रही है, जबकि खुद गांधी जी स्पेनिश फ्लू महामारी के दौर से गुजर चुके हैं। इतना ही नहीं 1918 से लेकर 1924 तक चली इस महामारी का शिकार महात्मा गांधी भी हुए थे। कई किताबों में इस बात का जिक्र मिलता है। अपने जीवन में कई बार गंभीर बीमारियों की चपेट में आने के बाद भी गांधी जी ने अनुशासन के बल पर स्वस्थ्य होकर दिखाया है।

इंडियन मेडिकल जर्नल के मुताबिक, वे अपने जीवन में फिजिकल फिटनेस और संतुलित आहार को बहुत जरूरी मानते थे। गांधी जी 1914 में प्लूरिसी, 1918 में स्पेनिश फ्लू, 1929 में गंभीर डिसेंट्री, 1925,1936 और 1944 में मलेरिया, 1939 में गैस्ट्रिक फ्लू और 1945 में इन्फ्लूएंजा की चपेट में आ गए थे।

अब जब कोरोनावायरस दुनियाभर में फैल चुका है और वैज्ञानिक इससे बचने के लिए वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं। हालांकि, अभी यह पता नहीं है कि वैक्सीन हमें कब तक मिल पाएगी। हाल ही में खबरें आईं थीं कि वैक्सीन ट्रायल में रुकावटें आ गई हैं। ऐसे वक्त में हमें गांधी जी की बातों को याद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि 'हम ठोकर खा सकते हैं, गिर सकते हैं, लेकिन फिर उठेंगे। यह काफी होना चाहिए कि हम मैदान छोड़कर भागे नहीं।' राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कुछ ऐसी ही बातें कोरोना के दौर में हमें सुरक्षित रहने की सीख देती हैं।

गांधी जी की बातों में छिपे हैं कोरोना से लड़ने के राज....



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दुनिया में अब मौत की सबसे तेज रफ्तार भारत में, रोजाना औसतन 1100 लोग जान गंवा रहे, आज कुल आंकड़ा 1 लाख के पार होगा; अब तक 63.91 लाख केस

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 63 लाख 91 हजार 960 हो गया है। गुरुवार को 81,693 नए मरीज मिले और 78,646 लोग रिकवर हुए। 1096 की मौत हो गई। मरने वालों की संख्या 99 हजार 804 हो गई है।

भारत में अब संक्रमण से सबसे ज्यादा मौतें हो रहीं हैं। यहां औसतन 1100 लोग हर रोज जान गंवा रहे हैं। यही रफ्तार रही तो आज ये आंकड़ा 1 लाख के पार हो जाएगा। उधर, अमेरिका और ब्राजील में मौत का ग्राफ तेजी से घटने लगा है। हर दिन औसतन 800 मरीजों की मौत हो रही है।

देश में अभी 9 लाख 42 हजार 585 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। इनमें करीब 9 हजार लोगों की हालत गंभीर है। 53 लाख 48 हजार 653 मरीज ठीक हो चुके हैं। रिकवरी रेट भी 10 दिनों में 80% से बढ़कर 83.67% हो गया है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

महाराष्ट्र में मरीजों का आंकड़ा 14 लाख, आंध्र प्रदेश में 7 लाख के पार
महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। गुरुवार को ये आंकड़ा 14 लाख के पार हो गया। अब तक 14 लाख 922 लोग संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। आंध्र प्रदेश में भी 7 लाख से ज्यादा मरीज हो गए हैं। यहां अब तक 7 लाख 235 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं।

देश में 7.60 करोड़ टेस्ट हुए
देश में अब तक 7.60 करोड़ टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 10 से 11 लाख टेस्ट हो रहे हैं। बीच में यह आंकड़ा करीब 15 लाख भी पहुंचा था। इसके बावजूद हम अभी इस मामले में अमेरिका, रूस और ब्रिटेन से काफी पीछे हैं। भारत में जहां हर 10 लाख की आबादी पर 53 हजार 634 टेस्ट किए जा रहे हैं। वहीं, ब्रिटेन में इतनी ही आबादी पर 3 लाख 60 हजार 527, अमेरिका में 3 लाख 24 हजार 403 और रूस में 3 लाख 15 हजार 176 लोगों की जांच की जा रही है।

कोरोना अपडेट्स

  • पंजाब सरकार ने रात का कर्फ्यू और रविवार का लॉकडाउन हटाने समेत कई पाबंदियां खत्म की। अब विवाह और संस्कार में 100 से ज्यादा लोग जा सकेंगे। बसों में 50% यात्रियों की कैपेसिटी और कार में 3 लोगों के सवार होने की ढील दी गई।
  • वंदे भारत मिशन के सातवां फेज गुरुवार से शुरू हो गया। इस महीने 19 देशों से 820 अंतरराष्ट्रीय विमान उड़ान भरेंगीं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि 16.45 लाख भारतीयों को 30 सितंबर तक वंदे भारत मिशन के तहत अपने देश लाया गया है।
  • कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल गुरुवार को कोरोना पॉजिटिव मिले। उन्होंने उन सभी से होम क्वारैंटाइन होने की अपील की है जो पिछले कुछ दिनों में उनके संपर्क में आए।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश

गुरुवार को 2041 नए मरीज मिले और 2545 लोग ठीक हुए। इंदौर में 469 नए मरीज मिले। शहर में अब एक्टिव मरीजों की संख्या 4533 पर पहुंच गई है। यहां अब तक 24475 संक्रमित मिल चुके हैं। इनमें से 19370 ठीक हो गए। अब तक 572 लोगों की मौत हो चुकी है।

2. राजस्थान

गुरुवार को 2193 संक्रमित मिले। जयपुर में सबसे ज्यादा 432 केस आए और 251 मरीज ठीक हो गए। सवाई माधोपुर में मृत्युदर सबसे ज्यादा 2.1% है। जिले में अब तक 921 केस आए हैं। इनमें से 19 लोगों की मौत हो चुकी है। अलवर, झालावाड़ और हनुमानगंज में मृत्युदर सबसे कम 0.4% है।

3. बिहार

गुरुवार को 1370 केस आए और 1242 मरीज ठीक हुए। 2 संक्रमितों की मौत हुई। यूपी के बाद यहां सबसे ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं। 24 घंटे में यहां 1 लाख 20 हजार 371 टेस्ट किए गए। राज्य में अब तक 73.86 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। यहां मृत्युदर सिर्फ 0.5% है। सबसे कम मृत्युदर के मामले में यह दादरा-नगर हवेली, अंडमान-निकोबार के बाद तीसरे नंबर पर है।

4. महाराष्ट्र

गुरुवार को 16 हजार 476 मरीज बढ़े और 16 हजार 104 लोग ठीक हो गए। राज्य में अभी 2 लाख 59 हजार 6 एक्टिव केस हैं। राज्य में बीते चार दिनों में रविवार को छोड़कर बाकी दिन नए मरीजों की तुलना में ठीक हुए मरीजों की संख्या ज्यादा रही। टेस्ट पॉजिटिविटी रेट (20.4%) यहां देश में सबसे ज्यादा है, यानी यहां हर 100 टेस्ट पर 20 लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।

5. उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों में 1,64,787 टेस्ट किए गए। अब तक कुल 1,02,63,709 सैंपल्स की जांच की गई है। यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा- राज्य सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइन्स के तहत स्कूल और कोचिंग संस्थान 15 अक्टूबर के बाद अलग-अलग फेज वाइज खोला जा सकेगा।



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हिरासत से छूटने के 12 घंटे बाद राहुल का ट्वीट- दुनिया में किसी से नहीं डरूंगा, असत्य का विरोध करते हुए सभी कष्टों को सह सकूं

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यूपी पुलिस की हिरासत से छूटने के 12 घंटे बाद गांधी जयंती की शुभकामनाएं देने के बहाने कहा है कि वे दुनिया में किसी से नहीं डरेंगे। उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़ित के परिवार से मिलने जा रहे राहुल को पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया था। चार घंटे बाद शाम 6.30 बजे उन्हें छोड़ा गया। (पूरी खबर यहां पढ़े...)

पुलिस से छूटने के बाद राहुल का पहला कमेंट शुक्रवार सुबह 7 बजे आया। उन्होंने ट्वीट किया, "मैं दुनिया में किसी से नहीं डरूंगा...मैं किसी के अन्याय के समक्ष झुकूं नहीं, मैं असत्य को सत्य से जीतूं और असत्य का विरोध करते हुए मैं सभी कष्टों को सह सकूं। गांधी जयंती की शुभकामनाएं।"

राहुल-प्रियंका समेत 203 कांग्रेसियों के खिलाफ एफआईआर
पुलिस ने राहुल और प्रियंका को ग्रेटर नोएडा में एक्सप्रेस-वे पर इकोटेक-1 थाना इलाके में गिरफ्तार किया था। धारा-144 और कोविड गाइडलाइंस तोड़ने के आरोप में राहुल-प्रियंका समेत 203 कांग्रेसियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया।

पुलिस ने राहुल की कॉलर भी पकड़ी। धक्कामुक्की में वे सड़क पर गिर गए और हाथ में चोट आ गई। इसके बाद राहुल ने कहा था कि पुलिस ने डंडे भी बरसाए। राहुल ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा था कि आज के हिंदुस्तान में सिर्फ मोदी पैदल चल सकता है, सिर्फ मोदी हवाई जहाज में उड़ सकता है।



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फोटो गुरुवार की है। हाथरस गैंगरेप पीड़ित के परिवार से मिलने जा रहे राहुल को नोएडा एक्सप्रेस-वे पर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्हें 4 घंटे बाद शाम करीब 6.30 बजे छोड़ा गया।


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दुनिया में अब मौत की सबसे तेज रफ्तार भारत में, रोजाना औसतन 1100 लोग जान गंवा रहे, आज कुल आंकड़ा 1 लाख के पार होगा; अब तक 63.91 लाख केस

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 63 लाख 91 हजार 960 हो गया है। गुरुवार को 81,693 नए मरीज मिले और 78,646 लोग रिकवर हुए। 1096 की मौत हो गई। मरने वालों की संख्या 99 हजार 804 हो गई है।

भारत में अब संक्रमण से सबसे ज्यादा मौतें हो रहीं हैं। यहां औसतन 1100 लोग हर रोज जान गंवा रहे हैं। यही रफ्तार रही तो आज ये आंकड़ा 1 लाख के पार हो जाएगा। उधर, अमेरिका और ब्राजील में मौत का ग्राफ तेजी से घटने लगा है। हर दिन औसतन 800 मरीजों की मौत हो रही है।

देश में अभी 9 लाख 42 हजार 585 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। इनमें करीब 9 हजार लोगों की हालत गंभीर है। 53 लाख 48 हजार 653 मरीज ठीक हो चुके हैं। रिकवरी रेट भी 10 दिनों में 80% से बढ़कर 83.67% हो गया है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

महाराष्ट्र में मरीजों का आंकड़ा 14 लाख, आंध्र प्रदेश में 7 लाख के पार
महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। गुरुवार को ये आंकड़ा 14 लाख के पार हो गया। अब तक 14 लाख 922 लोग संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। आंध्र प्रदेश में भी 7 लाख से ज्यादा मरीज हो गए हैं। यहां अब तक 7 लाख 235 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं।

देश में 7.60 करोड़ टेस्ट हुए
देश में अब तक 7.60 करोड़ टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 10 से 11 लाख टेस्ट हो रहे हैं। बीच में यह आंकड़ा करीब 15 लाख भी पहुंचा था। इसके बावजूद हम अभी इस मामले में अमेरिका, रूस और ब्रिटेन से काफी पीछे हैं। भारत में जहां हर 10 लाख की आबादी पर 53 हजार 634 टेस्ट किए जा रहे हैं। वहीं, ब्रिटेन में इतनी ही आबादी पर 3 लाख 60 हजार 527, अमेरिका में 3 लाख 24 हजार 403 और रूस में 3 लाख 15 हजार 176 लोगों की जांच की जा रही है।

कोरोना अपडेट्स

  • पंजाब सरकार ने रात का कर्फ्यू और रविवार का लॉकडाउन हटाने समेत कई पाबंदियां खत्म की। अब विवाह और संस्कार में 100 से ज्यादा लोग जा सकेंगे। बसों में 50% यात्रियों की कैपेसिटी और कार में 3 लोगों के सवार होने की ढील दी गई।
  • वंदे भारत मिशन के सातवां फेज गुरुवार से शुरू हो गया। इस महीने 19 देशों से 820 अंतरराष्ट्रीय विमान उड़ान भरेंगीं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि 16.45 लाख भारतीयों को 30 सितंबर तक वंदे भारत मिशन के तहत अपने देश लाया गया है।
  • कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल गुरुवार को कोरोना पॉजिटिव मिले। उन्होंने उन सभी से होम क्वारैंटाइन होने की अपील की है जो पिछले कुछ दिनों में उनके संपर्क में आए।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश

गुरुवार को 2041 नए मरीज मिले और 2545 लोग ठीक हुए। इंदौर में 469 नए मरीज मिले। शहर में अब एक्टिव मरीजों की संख्या 4533 पर पहुंच गई है। यहां अब तक 24475 संक्रमित मिल चुके हैं। इनमें से 19370 ठीक हो गए। अब तक 572 लोगों की मौत हो चुकी है।

2. राजस्थान

गुरुवार को 2193 संक्रमित मिले। जयपुर में सबसे ज्यादा 432 केस आए और 251 मरीज ठीक हो गए। सवाई माधोपुर में मृत्युदर सबसे ज्यादा 2.1% है। जिले में अब तक 921 केस आए हैं। इनमें से 19 लोगों की मौत हो चुकी है। अलवर, झालावाड़ और हनुमानगंज में मृत्युदर सबसे कम 0.4% है।

3. बिहार

गुरुवार को 1370 केस आए और 1242 मरीज ठीक हुए। 2 संक्रमितों की मौत हुई। यूपी के बाद यहां सबसे ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं। 24 घंटे में यहां 1 लाख 20 हजार 371 टेस्ट किए गए। राज्य में अब तक 73.86 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। यहां मृत्युदर सिर्फ 0.5% है। सबसे कम मृत्युदर के मामले में यह दादरा-नगर हवेली, अंडमान-निकोबार के बाद तीसरे नंबर पर है।

4. महाराष्ट्र

गुरुवार को 16 हजार 476 मरीज बढ़े और 16 हजार 104 लोग ठीक हो गए। राज्य में अभी 2 लाख 59 हजार 6 एक्टिव केस हैं। राज्य में बीते चार दिनों में रविवार को छोड़कर बाकी दिन नए मरीजों की तुलना में ठीक हुए मरीजों की संख्या ज्यादा रही। टेस्ट पॉजिटिविटी रेट (20.4%) यहां देश में सबसे ज्यादा है, यानी यहां हर 100 टेस्ट पर 20 लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।

5. उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों में 1,64,787 टेस्ट किए गए। अब तक कुल 1,02,63,709 सैंपल्स की जांच की गई है। यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा- राज्य सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइन्स के तहत स्कूल और कोचिंग संस्थान 15 अक्टूबर के बाद अलग-अलग फेज वाइज खोला जा सकेगा।



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हिरासत से छूटने के 12 घंटे बाद राहुल का ट्वीट- दुनिया में किसी से नहीं डरूंगा, असत्य का विरोध करते हुए सभी कष्टों को सह सकूं

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यूपी पुलिस की हिरासत से छूटने के 12 घंटे बाद गांधी जयंती की शुभकामनाएं देने के बहाने कहा है कि वे दुनिया में किसी से नहीं डरेंगे। उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़ित के परिवार से मिलने जा रहे राहुल को पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया था। चार घंटे बाद शाम 6.30 बजे उन्हें छोड़ा गया। (पूरी खबर यहां पढ़े...)

पुलिस से छूटने के बाद राहुल का पहला कमेंट शुक्रवार सुबह 7 बजे आया। उन्होंने ट्वीट किया, "मैं दुनिया में किसी से नहीं डरूंगा...मैं किसी के अन्याय के समक्ष झुकूं नहीं, मैं असत्य को सत्य से जीतूं और असत्य का विरोध करते हुए मैं सभी कष्टों को सह सकूं। गांधी जयंती की शुभकामनाएं।"

राहुल-प्रियंका समेत 203 कांग्रेसियों के खिलाफ एफआईआर
पुलिस ने राहुल और प्रियंका को ग्रेटर नोएडा में एक्सप्रेस-वे पर इकोटेक-1 थाना इलाके में गिरफ्तार किया था। धारा-144 और कोविड गाइडलाइंस तोड़ने के आरोप में राहुल-प्रियंका समेत 203 कांग्रेसियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया।

पुलिस ने राहुल की कॉलर भी पकड़ी। धक्कामुक्की में वे सड़क पर गिर गए और हाथ में चोट आ गई। इसके बाद राहुल ने कहा था कि पुलिस ने डंडे भी बरसाए। राहुल ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा था कि आज के हिंदुस्तान में सिर्फ मोदी पैदल चल सकता है, सिर्फ मोदी हवाई जहाज में उड़ सकता है।



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फोटो गुरुवार की है। हाथरस गैंगरेप पीड़ित के परिवार से मिलने जा रहे राहुल को नोएडा एक्सप्रेस-वे पर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्हें 4 घंटे बाद शाम करीब 6.30 बजे छोड़ा गया।


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पीड़िता के भाई ने छिपकर फोन किया, कहा- हमारा पूरा परिवार नजरबंद है, हम घर से नहीं निकल सकते, बाथरूम भी नहीं जाने दे रही पुलिस

बीती रात पीड़िता के भाई ने पुलिस से छिपकर हमें कॉल किया। उनकी आवाज दबी हुई थी। मानो वह कुछ कहना तो चाह रहे हों, लेकिन कह नहीं पा रहे हों। अचानक फोन कट गया। कुछ देर बाद हमने फिर से दूसरे नंबर पर कॉल किया तो बोले, 'हमारा परिवार नजरबंद है। हम घर से नहीं निकल सकते। बाथरूम तक नहीं जा सकते। किसी से बात नहीं कर सकते। प्रशासन हम पर दबाव बना रहा है।’

पीड़िता के गांव को अब सील कर दिया गया है और एसआईटी के अलावा किसी को भी यहां जाने की अनुमति नहीं है। मीडिया को भी गांव से दूर कर दिया गया है।

फोन पर बात करते हुए पीड़िता की भाभी ने बताया, 'डीएम साहब घंटा दो घंटा यहां बैठे और डराते धमकाते रहे। वो हमें इतना डरा रहे थे कि अब हमें उनसे डर लग रहा है। वे ऊटपटांग बातें कर रहे थे। हम अपनी कुछ बात कहना चाह रहे थे तो डांट दे रहे थे। कल पापा को यहां से उठवा कर ले गए थे और उनसे कहा कि मीडिया के सामने ऐसे बोल देना कि अब सब सही है और कोई दबाव नहीं है।' पीड़िता की भाभी का कहना था कि डीएम ये धमकी भी देकर गए हैं कि ये मुकदमा परिवार पर उल्टा भी पड़ सकता है।

पीड़िता की भाभी ने डीएम से शव को रात में जला दिए जाने को लेकर बहस भी की। वो बताती हैं, 'हमने पूछा कि आपने हमारी बेटी की बॉडी को रात में ही जला क्यों दिया, हमें दिखाया क्यों नहीं तो उन्होंने बोला कि बॉडी का पोस्टमार्टम हुआ था, बॉडी इतनी बेकार हो चुकी थी कि तुम लोग देख नहीं सकते थे।'

वो बताती हैं, 'जब मैंने उनसे कहा कि हम कैसे नहीं देख सकते थे तो उन्होंने कहा कि तुम लोग पोस्टमार्टम का मतलब भी समझते हो? वो हमें मतलब समझा रहे थे कि पोस्टमार्टम कैसे होता है। बोले सर में हथोड़ा मारते हैं, सर फोड़ देते हैं, ये-वो निकाल लेते हैं। गले से लेकर पेट तक पूरा चाकू से काट देते हैं। बॉडी पन्नी में पैक थी, उसे खोलकर दिखाते तो कितनी दिक्कत होती।

पीड़िता के गांव में मीडिया वाले पहुंचकर परिवार का हाल जान रहे हैं। हालांकि, पुलिस उन्हें गांव आने से रोक भी रही है।

वो बताती हैं, 'डीएम कह रहे थे कि पहली बात तो रेप हुआ ही नहीं और अगर वो कोरोना से मर जाती तो तुम्हें मिलता मुआवजा? वो ऐसी बातें बोल रहे थे जैस हम किसी इंसान के मरने का इंतजार कर रहे थे। ऐसे हादसे के बाद हमें उनके मुआवजे की जरूरत है? अगर उनकी अपनी बेटी होती और उसके साथ ऐसा होता तो क्या वो मुआवजा लेते? जब मैंने उनसे ये बात कही तो एकदम चिल्लाने लगे, हमें डांटने लगे।'

मुआवजा नहीं इंसाफ चाहिए

पीड़िता की भाभी कहती हैं, 'आज दो लोगों को भेजा था हमारे घर, समझाने के लिए। वो कह रहे थे कि हम तुम्हारी कास्ट के ही हैं, अभी जो हो रहा है, सही हो रहा है। जो अभी मिल रहा है ले लो, फिर नहीं मिलेगा। आगे कुछ होगा या नहीं होगा इसका भी भरोसा नहीं है।'

जब मैंने उनसे पूछा कि क्या सरकार की ओर से घोषित किया गया पच्चीस लाख रुपए का मुआवजा परिवार को मिल गया है तो उनका कहना था, 'हमारे घर से कोई बाहर आ जा ही नहीं रहा है तो हमें क्या पता आए या नहीं आए, हमने तो सरकार से पैसे मांगे नहीं थे। हमारी तो बस ये ही डिमांड थी कि इन लोगों को फांसी की सजा हो और अच्छा न्याय मिले। इसके अलावा, पैसे, मकान या ये सब हमने कभी नहीं मांगा। उन्होंने ये सब पापा के सामने रख दिया और पापा से साइन करवा लिए हैं। बहुत सारे लोगों के बीच में खड़ा करके पापा पर दबाव देकर ये सब करवाया गया।'

मेडिकल रिपोर्ट पर सवाल

यूपी पुलिस के एडीजी प्रशांत कुमार ने एक बयान में कहा है कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप या यौन हिंसा की पुष्टि नहीं हुई है। परिवार का कहना है कि उन्हें मेडिकल रिपोर्ट पर भरोसा नहीं है। पीड़िता की भाभी कहती हैं, 'पोस्टमार्टम रिपोर्ट, अस्पताल की रिपोर्टें, सब बदल दी गईं। हमें एक रिपोर्ट तक नहीं दी गई है। ना मेडिकल रिपोर्ट ना ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट। हमसे कहा गया कि कोई रिपोर्ट आएगी तो तुम लोग तो पढ़ भी नहीं पाओगे, हमारे परिवार वालों को तो पागल ही समझ रहे हैं।'

पीड़िता के भाई कहते हैं, 'सफदरजंग अस्पताल में हमारे सामने पोस्टमार्टम होता और हमारी आंखों के सामने जो रिपोर्ट मिलती हम उसे असली मानते। लेकिन हमें तो शामिल ही नहीं किया गया। अब रिपोर्ट पर कैसे विश्वास कर लें? हमसे कहा गया था कि हमें रिपोर्ट मिलेगी, लेकिन हमें रिपोर्ट नहीं दी गई सीधे मीडिया में बता दिया गया कि रेप नहीं हुआ। मतलब जो बयान दिए गए वो झूठे थे। मरता हुआ इंसान झूठ बोल रहा था?

भारी पुलिस की मौजूदगी से परेशान हो गया है परिवार

पीड़िता के गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है।

पीड़िता की भाभी कहती हैं, 'सुबह से लेकर मेरी तीनों लड़कियां रोए जा रही थीं। एक-एक बार में दस-दस पुलिस वाले आ रहे थे। बरामदे में बैठ रहे थे, पूरे आंगन में पुलिस ही पुलिस, छत पर पुलिस ही पुलिस। बाहर गेट के बाहर पुलिस लगा रखी है। वो कह रहे थे, 'घर से वीडियो बनकर बाहर जा रही है। हम क्यों वीडियो बनाएंगे। हमसे बोलकर गए हैं कि जो वीडियो बनाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।'

इतने दिन से हम हादसे की वजह से खाना-पीना नहीं कर पा रहे थे। अब जो रिश्तेदार आए हुए हैं उन्हें भी सुबह का खाना शाम को तीन बजे मिल रहा है। वो भी तो इंसान है। हम लोग नहीं खा पी पा रहे हैं कोई बात नहीं लेकिन उन्हें तो करके देना पड़ेगा, कैसे भी करके। रात का खाना बारह बजे मिल रहा है। तो कैसे होगा?

गांव छोड़कर जाना चाहता है परिवार

पीड़िता की भाभी कहती हैं, 'हमें गांव छोड़ कर अब जाना ही पड़ेगा। बहुत बड़ी दुनिया है, कहीं भी रह लेंगे। भीख मांगकर भी रहना पड़ेगा तो रह लेंगे। अपनी मौत को दोबारा कोई दावत देगा। वैसे भी लोग धमकियां दे रहे हैं। छोटे वाले देवर के लिए बोल रहे हैं कि एक घर से लड़का जाएगा तो दूसरे घर से भी जाएगा।'

पूरे परिवार का कोरोना टेस्ट कराना चाहता है प्रशासन
प्रशासन ने तीन पुलिसकर्मियों में कोरोना के लक्षण दिखने के बाद गांव को क्वारैंटाइन कर दिया है। वहीं पीड़िता के परिवार का कहना है कि प्रशासन पूरे परिवार का कोरोना टेस्ट कराने पर जोर दे रहा है। पीड़िता की भाभी कहती हैं, 'कोरोना जांच वाले लोग कल भी आए थे, आज भी आए थे और अब कल भी आएंगे। कह रहे थे तुम्हारा पूरा घर सैनिटाइज होगा, सभी की कोरोना टेस्ट करा लो। हमने कहा किसी को कोरोना नहीं हुआ है। उनका मकसद है कि किसी को भी कोरोना घोषित कर दें और फिर तो घर पर हमारा ही राज हैा

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तस्वीर पीड़ित परिवार की है। पीड़ित की मां की हालत ठीक नहीं है, रो-रो कर आंखें लाल हो गई हैं। गला बैठ गया है। वो कई दिनों से सो नहीं पाई हैं। ।


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शासन रहा हो, चाहे सुशासन...बिहार कितना बदला...बिहार की छवि कितना बदली ई बड़ा सवाल

जगह: शहर का राजीवनगर, मेन रोड चौराहे पर संजय की चाय दुकान।
समय: सुबह के 7 बजे।

कुछ लोग बैठकर चाय की चुस्की ले रहे हैं। कुछ अखबार के पन्ने पलट रहे हैं। कुछ यूं ही बैठे हैं। अचानक करीब 60 साल के एक बुजुर्ग आते हैं। लगातार हो रही बारिश के कारण पैर कीचड़ से सन चुके हैं। जब तक कुछ बोलते, हाथ में चाय का गिलास थमा दिया जाता है। पहली चुस्की के साथ ही बुजुर्ग बरस पड़ते हैं, इस बार भी पटना डूबेगा। कोई बचा नहीं पाएगा। सरकार को आम आदमी की कोई चिंता ही नहीं है।

बगल में बैठा युवक भी तब तक शुरू हो जाता है। कहता है, सही कह रहे हैं चचा। उसके बाद तो जैसे बहस ही चल पड़ी है। बुजुर्ग बोलते हैं, सरकार सीरियस रहती तो आज ई हाल नहीं होता। साथ बैठे दो अधेड़ भी उनकी हां में हां मिलाते हैं। एक धीमा स्वर भी उभरता है... बाढ़-सुखाड़ में कोई का कर लेगा।

एक दूसरा युवक (शायद राजेश नाम है) बोलता है, चाचा इतने दिन से वोट दे रहे हैं, का बदलाव ला दिए। आज भी हालत बदतर ही है न। ई नेतवन सब लोग चुनाव से पहले बड़का-बड़का वादा त कर लेता है...बकिया बाद में कभी पूछने तक नहीं आता।

बातचीत में एक नई एंट्री हो चुकी है। पीठ पर लैपटॉप वाला बैग टांगे ये एक युवा है। शायद किसी निजी कंपनी में काम करने वाला एग्जिक्यूटिव। थोड़ा नाराज दिख रहा है। आसपास के हालात से।

बोलता है, यह सब बहस कहने-करने से कोई फायदा नहीं है। राजनीति की बात कर समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं। वोट देना अपना कर्तव्य है। वोट दीजिए, लेकिन उसके बाद के नतीजे की चिंता मत कीजिए।

पहले वाला युवक इससे असहमत दिख रहा है। हस्तक्षेप वाले अंदाज में बोला ‘न यह ठीक नहीं है। जब तक सरकार नहीं बदलेगी अपनी समस्या का समाधान नहीं होगा। विकास के लिए बदलाव जरूरी है।’

इतना सुनकर एक मजदूर दिखने वाला व्यक्ति बोला, सहिए तो कह रहे हैं। जब तक सरकार को ई नहीं लगेगा कि वो जा भी सकती है, तब तक कुछ नहीं हो सकता। मैं तो कहता हूं कि पांच साल से ज्यादा किसी को मौका देना ही नहीं चाहिए। एक बार जिसको वोट दिए अगली बार उसको नहीं देना चाहिए।

मैंने धीरे से नाम पूछा तो मुस्करा के बोला, नाम का का कीजियेगा। सुविधा के लिए उसे राकेश नाम दे देते हैं। तो राकेश की कहानी ये है कि वो कोविड प्रोटोकॉल का मारा हुआ है। लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद हो गई तो पंजाब से लौट आया था। बोला, देखिए मुझे पंजाब से लौटे अब बहुत दिन हो गए। अभी तक काम नहीं मिला है। सप्ताह में एकाध दिन कुछ-कुछ काम मिल जाता है। बस किसी तरह गुजारा चल रहा है।

बहस अब लॉकडाउन की तरफ मुड़ चुकी है। एक युवा स्वर उभरता है। सरकार ने लॉकडाउन में कोई ध्यान नहीं दिया। लोग सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर पटना पहुंचे, उन्हें लाने की व्यवस्था तक नहीं की गई। आने के बाद भी उपेक्षा हुई। उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया।

बातचीत में एक छात्र भी जुड़ चुका है। उसकी चिंता में बिहार के बाहर बिहार की छवि है। बोलता है, पिता जी कहते थे कि बिहार बहुत बदनाम है। हम भी बाहर होस्टल में रहकर यही देख रहे हैं। असल सवाल तो यही है कि चाहे उनका शासन रहा हो, चाहे सुशासन...बिहार कितना बदला... बिहार कि छवि बाहर कितना बदली। हम तो तब मानेंगे जब बाहर हमें दूसरी नजरों से देखा जाना बंद हो जाएगा। मजाक नहीं उड़ाया जाएगा।

बहुत देर से खौलती चाय को केतली में ढारते हुए चाय वाले संजय ने अंतिम टिप्पणी जैसी कर डाली है... ‘सही कह रहे हैं आपलोग। सरकार का रवैया न बदलने वाला है। ई राजीव नगर को ही देखिए। हर बारिश में जल जमाव हो जाता है। न नाला है, न जल निकासी की व्यवस्था। इसे देखने वाला कोई नहीं है। सच तो ये है कि जैसे हम पानी में घिर जाते हैं, उसी तरह नेताओं को घेरा जाना चाहिए कि इन्हें कहीं निकलने का रास्ता न बचे।



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Patna (Bihar) Assembly Election 2020 Voters News | Political Discussion At Sanjay Tea Shop On Upcoming Vidhan Sabha Chunav


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लगातार दो मैच हार चुकी चेन्नई के पास जीत का मौका, सनराइजर्स के खिलाफ पिछले 6 में से 5 मैच जीते; ब्रावो और रायडू की वापसी हो सकती हैं

आईपीएल के 13वें सीजन का 14वां मैच चेन्नई सुपरकिंग्स (CSK) और सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) के बीच आज दुबई में खेला जाएगा। पिछले दोनों मैच हारने वाली एमएस धोनी की टीम के पास जीत की पटरी पर लौटने का मौका होगा। सनराइजर्स के खिलाफ चेन्नई का रिकॉर्ड शानदार रहा है। पिछले 6 मैचों की बात करें, तो चेन्नई ने 5 में जीत दर्ज की है। वहीं, टीम से बाहर चल रहे अंबाती रायडू और ड्वेन ब्रावो को भी टीम में जगह मिल सकती है।

शुरुआती 2 मैच हारने के बाद हैदराबाद ने पिछले मैच में दिल्ली कैपिटल्स को हराया था। ऐसे में हैदराबाद चेन्नई के खिलाफ भी अपनी लय बरकरार रखने की कोशिश करेगी। पॉइंट्स टेबल में हैदराबाद 7वें और चेन्नई 8वें नंबर पर है।

आज जीती तो 3 टीमों के खिलाफ 15+ मैच जीतने वाली दूसरी टीम होगी सीएसके
सीएसके यदि यह मैच जीत लेती है, तो 3 टीमों के खिलाफ 15 से ज्यादा मैच जीतने वाली दूसरी टीम बन जाएगी। इसके पहले मुंबई इंडियंस ही ऐसा कर सकी है।

रायडू और ब्रावो खेल सकते हैं
चेन्नई की टीम पिछले 2 मैचों में कुछ प्रदर्शन नहीं कर पाई है। ऐसे में फिट होने की स्थिति में अंबाती रायडू और ड्वेन ब्रावो की टीम में वापसी हो सकती है। शेन वॉटसन और फाफ डू प्लेसिस पर रन बनाने की जिम्मेदारी होगी। वहीं बॉलिंग में दीपक चाहर, रविंद्र जडेजा और पीयूष चावला की भूमिका अहम हो सकती है।

हैदराबाद में वॉर्नर, बेयरस्टो और विलियमसन पर जिम्मेदारी
हैदराबाद की बैटिंग में लाइन-अप में केन विलियमसन के शामिल होने से गहराई आ गई है। डेविड वॉर्नर, जॉनी बेयरस्टो और मनीष पांडे टॉप में टीम की बल्लेबाजी का जिम्मा संभालेंगे। हैदराबाद की ताकत उसकी गेंदबाजी है। राशिद खान और भुवनेश्वर पर गेंदबाजी की जिम्मेदारी होगी।

दोनों टीम के महंगे खिलाड़ी
सीएसके में कप्तान धोनी सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। टीम उन्हें एक सीजन के 15 करोड़ रुपए देगी। उनके बाद टीम में केदार जाधव का नाम है, जिन्हें इस सीजन में 7.80 करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं हैदराबाद के सबसे महंगे खिलाड़ी डेविड वॉर्नर हैं। उन्हें फ्रेंचाइजी सीजन का 12.50 करोड़ रुपए देगी। इसके बाद टीम के दूसरे महंगे खिलाड़ी मनीष पांडे (11 करोड़) हैं।

सीजन में यहां कोई टीम चेज नहीं कर पाई
दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में होने वाले मुकाबले में गेंदबाजों की भूमिका अहम होगी। इस सीजन में अब तक यहां 6 मैच खेले गए हैं। सभी मैचों में यहां कोई भी टीम चेज नहीं कर पाई। दिल्ली-पंजाब और बेंगलुरु-मुंबई के मैच का फैसला सुपर ओवर में हुआ था, लेकिन दोनों मैचों में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम को ही जीत मिली थी।

हेड-टु-हेड
आईपीएल में चेन्नई और हैदराबाद के बीच हुए मुकाबले में धोनी की टीम का पलड़ा भारी रहा है। दोनों के बीच अब तक 12 मुकाबले खेले गए। चेन्नई ने 9 और हैदराबाद ने 3 जीते हैं।

पिच और मौसम रिपोर्ट
दुबई में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। तापमान 27 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। इस आईपीएल से पहले यहां हुए पिछले 61 टी-20 में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 55.74% रहा है।

  • इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 61
  • पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 34
  • पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 26
  • पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 144
  • दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 122

चेन्नई ने 3 और हैदराबाद ने 2 बार खिताब जीता
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई ने लगातार दो बार 2010 और 2011 में खिताब जीता था। पिछली बार यह टीम 2018 में चैम्पियन बनी थी। वहीं चेन्नई पांच बार( 2008, 2012, 2013, 2015 और 2019) आईपीएल की रनरअप भी रही। दूसरी ओर हैदराबाद ने 2 बार (2009 और 2016) खिताब अपने नाम किया।

आईपीएल में चेन्नई का सक्सेस रेट सबसे ज्यादा
चेन्नई ने लीग में अब तक 168 मैच खेले, जिसमें 101 जीते और 66 हारे हैं। 1 मुकाबला बेनतीजा रहा। वहीं, सनराइजर्स ने अब तक 111 में से 59 मैच जीते और 52 हारे हैं। इस तरह लीग में सुपरकिंग्स की जीत का सक्सेस रेट 60.77% और हैदराबाद का 53.15% रहा।



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CSK VS SRH Head To Head Record - Predicted Playing DREAM11 - IPL Match Preview Update | Chennai Super Kings vs Sunrisers Hyderabad IPL Latest News


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घाटी की मस्जिदों ने 'सदके' के पैसों से ऑक्सीजन मशीनें खरीदीं, जिन मरीजों के पास पैसे नहीं, उन्हें मुफ्त दे रहे हैं

80 साल के पीरजादा गुलाम अहमद दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबिहेड़ा इलाके में रहते हैं। अगस्त के महीने में अचानक उन्हें बुखार और सांस लेने में तकलीफ हुई तो अस्पताल ले जाया गया, वहां पता चला कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं। एक घंटे में उनका ऑक्सीजन लेवल भी डाउन होने लगा, ऊपर से दिल के मरीज वे पहले से थे। ऐसे में अस्पताल में रखना उनके लिए और ज्यादा जोखिम वाला काम था। डॉक्टरों ने सलाह दी कि वे घर पर ही ऑक्सीजन की व्यवस्था करें।

पीरजादा के बेटे, खुर्शीद पीरजादा कहते हैं, 'हमने कई जगह किराए पर ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर ढूंढा, लेकिन नहीं मिला। इसके बाद आनन-फानन में 50 हजार रु का एक ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीदा। ऊपर वाले का शुक्र है कि मेरे अब्बा बच गए।'

पीरजादा ने तो ऑक्सीजन की व्यवस्था कर ली, लेकिन कश्मीर घाटी में सैकड़ों ऐसे लोग हैं, जिन्हें अस्पताल में बेड और वेंटिलेटर नहीं मिलता है, ऑक्सीजन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। कश्मीर के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएचएस में अभी सबसे ज्यादा मरीज न्यूमोनिया के आ रहे हैं और लगभग सभी को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि सभी के लिए अस्पताल में सुविधा नहीं है।

इस तरह की परेशानियों से निपटने के लिए कश्मीर में कुछ मस्जिद कमेटी वालों ने पहल की है। उन्होंने पैसे इकट्ठा कर और सदके के पैसों से ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीद लिए हैं। यह मशीनें उन रोगियों को बहुत ही कम कीमत पर दी जाती है, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत होती है। गाजी मस्जिद कमेटी ने पिछले कुछ दिन में 7 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीद लिए हैं।

मस्जिद कमेटी के सदस्य फारूक अहमद कहते हैं,' हम 50 रुपए प्रतिदिन किराए के हिसाब से यह मशीन जरूरतमंदों को देते हैं। जो लोग 50 रुपए भी नहीं दे सकते, उन्हें हम फ्री में ही मशीन दे देते हैं।' वो बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि ये कमेटियां अभी बनी हैं, इस तरह की कमेटियां सालों से काम कर रही हैं। हर महीने मस्जिद के पास रहने वाले लोग कुछ पैसे दान में देते हैं, उन्हीं पैसों से जरूरतमंदों को मदद पहुंचाई जाती है। बच्चों के पढ़ाई का खर्च, दवाइयां जैसी जरूरतें इससे पूरी होती है। अभी कोरोनाकाल में सबसे ज्यादा जरूरत इन मशीनों की है।

एक मशीन की कीमत करीब 60 हजार रु. है। गाजी मस्जिद ने कुल 5 लाख रु. खर्च किए हैं। इसके साथ ही नेबुलाइजर मशीन भी खरीदे हैं ताकि ठंड के मौसम में किसी को जरूरत हो तो उसे मदद पहुंचाई जा सके।

एसएमएचएस के डॉक्टर बताते हैं कि आजकल उनके पास जो मरीज आते हैं, उनकी हालत घंटों में खराब हो जाती है। किसी को सुबह में अस्पताल से घर भेज दिया तो शाम में उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। अगर इस तरह के मरीजों को घर में ही ऑक्सीजन की सुविधा मिल जाती है तो अस्पतालों पर बोझ कम होता ही है, साथ ही मरीज की हालत भी ठीक रहती है।

इसी तरह की पहल डाउन टाउन के खानयार इलाके की एक मस्जिद अबू-बकर ने भी की है। इस मस्जिद की तरफ से भी सात ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीदे गए हैं। मस्जिद के एक सदस्य शबीर अहमद ने बताया कि हम अपने मोहल्ले के साथ साथ दूर से आने वाले लोगों को भी यह मशीन देते हैं। कोई पैसा देता है तो किसी को हम मुफ्त में भी देते हैं। हमें खुशी है कि लोगों की जान बच रही है।

अब मस्जिदों के साथ ही कुछ एनजीओ वाले भी मदद के लिए आगे आए हैं। श्रीनगर में स्थित एक एनजीओ,अथरौट ने 200 से ज्यादा ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीदे हैं। अथरौट के अध्यक्ष बशीर नदवी ने बताया कि हम अमीर गरीब का फर्क किए बिना यह मशीन 50 रु प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर देते हैं और हर रोज दूर- दूर से हमारे पास लोग आ रहे हैं। उनकी संस्था भी मस्जिद कमेटियों के साथ मिल कर काम कर रही है।

अभी कश्मीर में कुछ ही मस्जिदों ने ये मशीन खरीदी हैं, ऐसे में जिनके पास मशीन नहीं है, उन्हें एनजीओ मुहैया करा रहा है। हेल्प टुगेदर नाम के एक और एनजीओ ने भी 15 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीदे हैं। अभी तक कश्मीर घाटी में 45000 से ज्यादा लोग कोरोनावायरस की चपेट में आए हैं, करीब 830 लोगों की मौत हुई है।



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कश्मीर की कुछ मस्जिदों ने अनोखी पहल की है। कोरोना के जिन मरीजों के पास पैसे नहीं है उन्हें मुफ्त में दवाइयां और ऑक्सीजन की मशीनें उपलब्ध करा रही हैं।


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लॉकडाउन में नौकरी चली गई तो इंश्योरेंस और लोन देने का काम शुरू किया, पहले ही महीने 1.5 लाख रु का टर्नओवर

संदीप सिन्हा दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते थे। अच्छी-खासी सैलरी थी, सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा तो उनकी नौकरी चली गई। उनके बॉस ने आर्थिक तंगी का हवाला देकर नौकरी से निकाल दिया। वे 15 दिनों तक सदमे में रहे, 400 से ज्यादा जगहों पर उन्होंने नौकरी के लिए अप्लाई भी किया, लेकिन कहीं से कोई पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू किया। पहले ही महीने में 1.5 लाख की कमाई की।

35 साल के संदीप ने 2007 में इंजीनियरिंग करने के बाद एक साल तक एक आईटी कंपनी में जॉब किया। इसके बाद उन्होंने एमबीए किया। 2011 में अदानी ग्रुप में उनका प्लेसमेंट हो गया। दो साल तक यहां उन्होंने नौकरी की इसके बाद एक एमएनसी कंपनी में छह साल तक काम किया। इस साल सितंबर में उन्होंने एक नई कंपनी जॉइन की थी।

इसी साल अगस्त के अंत में संदीप ने अपना बिजनेस शुरू किया है। संदीप के साथ अभी 10 लोग काम करते हैं। वे कहते हैं कि अगले साल हमारा टारगेट 200 से अधिक लोगों की टीम तैयार करने का है।

संदीप कहते हैं कि जब लॉकडाउन लगा तो काम का बोझ बढ़ गया था, सैलरी भी घट गई थी, फिर भी रात-दिन हम काम कर रहे थे। लगता था कि कुछ दिन बाद चीजें ठीक हो जाएंगी। लेकिन, चीजें दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थीं। जून में मुझे कंपनी से ड्रॉप करने का नोटिस दे दिया गया। जुलाई में मुझे नौकरी से निकाल दिया गया। दिल्ली जैसे शहर में बिना नौकरी के रहना मुमकिन नहीं था, कई जगहों पर नौकरी के लिए अप्लाई किया, 4-5 जगहों से कॉल भी आए, लेकिन कहीं काम नहीं मिला। कोरोना के चलते कोई नई भर्ती करना नहीं चाहता था। मेरे लिए वह दौर सबसे मुश्किल रहा।

संदीप कहते हैं कि कोरोना के दौर में सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें हुई, जिनका एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा और 15 साल से कम था। 1-2 साल एक्सपीरियंस वालों को नौकरी ढूंढने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।

वो कहते हैं कि आखिर कब तक हम बैठकर शोक मनाते, जीने के लिए कुछ तो करना ही था। जब कहीं से कुछ ऑफर नहीं मिला तो सोचा कि क्यों ना कुछ अपना ही काम किया जाए। वैसे भी मैं पहले से मैं अपना बिजनेस शुरू करना चाहता था, लेकिन जॉब के चलते नहीं कर पाया था तो कोरोना को ही अपॉरच्युनिटी समझकर खुद का काम शुरू करने का फैसला लिया। इस काम में मेरी पत्नी ने बहुत सपोर्ट किया।

संदीप की टीम ने अभी तक दो हजार लोगों तक अप्रोच किया है, 20 लोग उनके कस्टमर बने हैं, 200 से ज्यादा लोगों से फाइनल दौर में बातचीत चल रही है।

चूंकि फाइनांस सेक्टर में मैंने काम किया था, नंबर गेम की मुझे अच्छी समझ थी तो इसी सेक्टर में काम करने का निर्णय लिया। मैंने थोड़ा-बहुत मार्केट रिसर्च किया, जिन लोगों को मैं जानता था या जो मेरे संपर्क में थे, उनसे बात की और लोगों का डेटा इकट्‌ठा शुरू करना किया। कुछ दिनों में 14-15 हजार लोगों का डेटा मैंने कलेक्ट कर लिया। सबको फोन करके अप्रोच करना शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने दिलचस्पी दिखाई। इसके बाद अगस्त के अंत में एएनएस फिनसर्व नाम से एक कंपनी बनाई, जिसमें हम लोन और इंश्योरेंस देने का काम करते हैं।

संदीप कहते हैं कि कंपनी सेटअप के बाद हम-अलग अलग कंपनियों और बैंकों के पास गए। उनसे बातचीत की, सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किए, वॉट्सऐप ग्रुप का सहारा लिया। शुरुआत में ही हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला। अब तक हमने दो हजार लोगों तक अप्रोच किया है, 20 लोग हमारे कस्टमर बने हैं, 200 से ज्यादा लोगों से फाइनल दौर में बातचीत चल रही है।

संदीप बताते हैं कि बजाज फिनसर्व, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक सहित एक दर्जन से ज्यादा कंपनियों से हमारा टाइअप हो गया है। कई कंपनियों से अंतिम दौर में बातचीत चल रही है, जल्द ही उनसे भी टाइअप कर लिया जाएगा। बीते एक महीना में हमें काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है, लोग बीमा के लिए दिलचस्पी दिखा रहे हैं, खासकर के हेल्थ सेक्टर में जहां कोरोना के चलते लोग थोड़ा असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनकी कंपनी हर तरह के लोन, हेल्थ इंश्योरेंस, गाड़ियों के लिए इंश्योरेंस जैसे काम कर रही है।

संदीप अपनी पत्नी और बच्ची के साथ। उनकी पत्नी एक निजी कंपनी में जॉब करती हैं।

संदीप के साथ अभी 8 लोग काम करते हैं। वे कहते हैं कि अगले साल हमारा टारगेट 200 से अधिक लोगों की टीम तैयार करने का है। चूंकि अभी एक महीना ही हुआ है हमारे काम को और इतना बेहतर रिस्पॉन्स मिला है तो अगले साल तक हम 7-8 करोड़ रु टर्नओवर की उम्मीद कर रहे हैं। अभी कोरोना के चलते कई लोगों की नौकरियां गईं हैं, लोगों के सामने आर्थिक संकट है, इसलिए अभी लोन या इंश्योरेंस पर खर्च करने वालों की संख्या कम है। लेकिन, जैसे ही सबकुछ ठीक होगा, हमारी रफ्तार और तेजी से बढ़ेगी।

वो बताते हैं कि इस फिल्ड में बेहतर काम करने के लिए तीन चीजों का होना जरूरी है। कम्युनिकेशन स्किल्स, मैथेमेटिकल स्किल्स और ट्रस्ट। अगर आप किसी से बेहतर संवाद कर सकते हैं, अपनी बातचीत से उसका भरोसा जीत सकते हैं और मार्केट के उतार चढ़ाव की आपको समझ है तो आप इस सेक्टर में सफल हो सकते हैं। इसके साथ ही मार्केट रिसर्च और अलग- अलग सेक्टर्स के लोगों से कॉन्टैक्ट होना भी जरूरी है।

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दिल्ली के रहने वाले संदीप सिन्हा ने इंजीनियरिंग के बाद एमबीए किया। करीब नौ साल तक अलग-अलग कंपनियों में काम भी किया। अब खुद का बिजनेस चला रहे हैं।


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कहां गुजरता है आपका दिन? पांच में से चार महिलाओं के रोज 5 घंटे तो घरेलू कामों में ही चले जाते हैं; महिलाओं से ज्यादा सोशल हैं पुरुष

भारत सरकार ने पहली बार टाइम यूज सर्वे (टीयूएस) कराया है। इसमें यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि हमारे देश में लोगों के 24 घंटे कैसे बीतते हैं। कितना समय ऐसे कामों में जाता है, जिसका कोई भुगतान नहीं मिलता। वहीं कितना समय सोशलाइजिंग एक्टिविटी में जाता है। मुख्य उद्देश्य था, महिलाओं और पुरुषों की पेड और अनपेड एक्टिविटी में भागीदारी।

इस सर्वे का नतीजा यह निकलकर आया कि ज्यादातर पेड वर्क पुरुष करते हैं और महिलाओं का ज्यादातर वक्त ऐसे कामों में चला जाता है, जिसका उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता। 81.2% महिलाएं रोज ही तकरीबन 5 घंटे बिना भुगतान वाले घरेलू कामों में लगी रहती हैं। जबकि पुरुषों की भागीदारी सिर्फ 26.1% और वह भी औसत एक घंटा 37 मिनट। आइए जानते हैं इस सर्वे और इसके नतीजों के बारे में...

टाइम यूज सर्वे आखिर होता क्या है?

  • टाइम यूज सर्वे एक तरह से लोगों का टाइम ऑडिट है। इससे पता चलता है कि बच्चों की देखभाल, घरेलू कामों, परिवार के सदस्यों की सेवाओं में महिलाओं का कितना समय जाता है। जाहिर है, सारे काम घर और परिवार से जुड़े हैं तो उनका भुगतान भी नहीं होता।
  • यह बताता है कि सीखने, सोशलाइजिंग, मनोरंजन गतिविधियों, खुद की देखभाल के लिए पुरुष और महिलाएं कितना समय दे रही हैं। इन सर्वे के नतीजे गरीबी, जेंडर इक्विलिटी और ह्यूमन डेवलपमेंट पर पॉलिसी बनाने में मदद करते हैं।

भारत में क्या यह सर्वे पहली बार हुआ है?

  • पिछले तीन दशक से कई विकसित देश टाइम यूज सर्वे कर रहे हैं। अमेरिका 2003 से हर साल यह सर्वे कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया में 1992 में पहली बार फुल-स्केल सर्वे कराया गया था। कनाडा भी 1961 से इसी तरह के सर्वे करा रहा है। इसके अलावा, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और इजराइल ने भी ऐसे ही सर्वे कराए हैं।
  • एनएसएस रिपोर्ट- टाइम यूज इन इंडिया 2019 इसी हफ्ते 29 सितंबर को जारी हुई। इसमें जनवरी से दिसंबर 2019 के बीच देशभर के 1.39 लाख परिवारों में सैम्पल सर्वे कराया गया। इसमें 6 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.47 लाख लोगों का टाइम यूज जानने की कोशिश की गई है।

इस रिपोर्ट के प्रमुख नतीजे क्या हैं?
2,140 पेज की इस रिपोर्ट में भारतीयों की दिनभर की अलग-अलग गतिविधियों में भागीदारी का डेटा मिलता है। यह भी पता चलता है कि वह औसत कितना समय इन एक्टिविटी को देते हैं। इसमें कई तरह की रोचक जानकारी भी सामने आई है। गांवों और शहरों में महिलाओं और पुरुषों के सोने, पढ़ने, सोशलाइजिंग करने का वक्त भी पता चला है।

महिलाओं का ज्यादातर वक्त ऐसे काम में जाता है, जिसका उन्हें भुगतान नहीं मिलता। वहीं, पुरुषों की भागीदारी की दर भुगतान वाले रोजगार यानी नौकरी, खेती, मछली पालन, माइनिंग आदि में 57.3% है। वहीं, ऐसे कामों में महिलाओं की भागीदारी दर सिर्फ 18.4% है।

भुगतान वाले कामों पर पुरुषों के 7 घंटे 39 मिनट जाते हैं जबकि महिलाओं के सिर्फ 5 घंटे 33 मिनट। जब बात घर के बिना भुगतान वाले कामों की आती है तो महिलाओं की भागीदारी बढ़ जाती है।
वैसे, रोचक तथ्य यह सामने आया कि जब बुजुर्गों की देखभाल की बात आती है तो शहर हो या गांव महिलाओं से ज्यादा वक्त पुरुष दे रहे हैं।

बड़ी संख्या में भारतीय सोशलाइज रहते हैं और अपना वक्त सुविधाओं के बीच बिताते हैं। हालांकि, बहुत कम भारतीय ही वॉलेंटियर जैसे अनपेड कामों में भाग लेते हैं। आम धारणा है कि महिलाएं ज्यादा सोशल होती हैं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि गांवों में हालात उलट है। पुरुष वहां सोशलाइजिंग के लिए महिलाओं से भी ज्यादा वक्त देते हैं। हालांकि, शहरों में महिलाओं और पुरुषों का सोशलाइजिंग के लिए दिया जाने वाला समय बराबर है।

एक रोचक तथ्य यह भी सामने आया कि बच्चों की देखभाल में महिलाओं का वक्त ज्यादा जाता है, लेकिन जब घर के बड़े-बुजुर्गों की सेवा की बात आती है तो उसमें पुरुषों की भागीदारी ज्यादा होती है। फिर चाहे वह शहर हो या गांव। यहां तो यह भी देखने में आया कि गांव में शहरों से ज्यादा वक्त बुजुर्गों की देखभाल में दिया जा रहा है।

रोजगार हो या कोई और काम, जब बात घर से बाहर जाकर काम करने की आती है तो उसमें जिम्मेदारी पुरुषों पर ज्यादा आती है। पुरुषों का करीब एक घंटा परिवहन में लग जाता है। वहीं, महिलाओं के रोज औसतन 22 से 24 मिनट परिवहन में जाते हैं।



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How Indians Spend Their Time: What Gender Gets More Sleep? All You Need To Know In Simple Words


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