सोमवार, 15 जून 2020

लगातार पांचवें दिन 11 हजार से ज्यादा मरीज बढ़े, अगस्त के पहले हफ्ते में संक्रमितों की संख्या 20 लाख हो सकती है; अब तक कुल 3.33 लाख केस

देश में कोरोना के मरीजों की संख्या में हर 5 दिन में करीब 1000 की बढ़ोतरी हो रही है। बीते पांच दिन में रोजाना11 हजार से ज्यादा संक्रमित बढ़े हैं। 2-3 दिन में यह संख्या 11 से 12 हजार की दर से बढ़ने का अनुमान है। रविवार को 11 हजार 374 नए मामले आए। अब कुल संक्रमितों की संख्या 3.33 लाख हो गई है। कोरोना का ग्राफ ऐसे हीआगे बढ़ा तो जून के अंत तक संक्रमितों की संख्या5 लाख पर पहुंच सकता है। डबलिंग रेट में 17.4 दिन है। इस हिसाब से 18 जुलाई तक यह संख्या10 लाख और अगस्त के पहले हफ्ते में 20 लाख हो सकती है।

पिछले 5 दिन में बढ़े संक्रमित

तारीख केस
10 जून 11156
11 जून 11135
12 जून 11306
13 जून 12039
14 जून 11374

देश मेंरविवार को 7364 संक्रमित ठीक हुए। 321 लोगों ने जान गंवाई। दिल्ली में रिकॉर्ड 2224 नए केस बढ़े। यह संख्या लगातार तीसरे दिन 2 हजार से ज्यादा है। महाराष्ट्र में 3394 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

20 सबसे संक्रमित शहरों की लिस्ट से भोपाल बाहर

देश के 20 सबसे संक्रमित शहरों की लिस्ट में अब मध्यप्रदेश से सिर्फ इंदौर शहर बचा है। इंदौर 7वें नंबर पर है।भोपाल बाहर हो गया है। पहले भोपाल 11वें और इंदौर चौथेनंबर पर था। रिकवरी रेट में भी मध्यप्रदेश से आगे सिर्फ राजस्थान है। मध्यप्रदेश में मरीजों का रिकवरी रेट 71.1% और राजस्थान में 75.3% है।

15 दिन का ट्रेंड: रिकवरी में चंडीगढ़ टॉप, पंजाब पिछड़ा

5 दिन,जब सबसे ज्यादा मामले आए

तारीख

केस
13 जून 12031
14 जून 11374
12 जून 11314
11 जून 11128
10 जून 11156

अपडेट्स...

  • नवंबर में कोरोना के पीक पर होने की आशंका: आईसीएमआर के ऑपरेशंस रिसर्च ग्रुप के अध्ययन के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण देश में कोरोना का पीक टाइम 34 से 76 दिन शिफ्ट हुआ। अब पीक नवंबर के मध्य में आने और तब आईसीयू बेड-वेंटिलेटर की कमी होने की आशंका है।
  • रेलवे ने संक्रमितों के इलाज के लिए उत्तरप्रदेश में 70, दिल्ली में 54, तेलंगाना में 60 और आंध्रप्रदेश में 20 आइसोलेशन कोच तैनात करने का फैसला किया है। दिल्ली में ये कोच आनंद विहार स्टेशन और सकूरबस्ती मेंटेनेंस डिपो में खड़े होंगे।
  • पुलिस के मुताबिक, कोरोना संक्रमित होने के डर से दिल्ली में भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी ने अपनी कार में तेजाब डालकर कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।
  • तेलंगाना सरकार के मुताबिक, रविवार को 23 पत्रकारों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। प्रदेश में कुल 60 मीडियाकर्मी महामारी के चपेट में आ चुके हैं। इनमें से एक की जान गई।


5 राज्यों का हाल

  • मध्यप्रदेश: यहां रविवार को 161 नए मामले सामने आए और 12 लोगों ने जान गंवाई। भोपाल में 50, इंदौर में 34 और उज्जैन में 15 मरीज मिले। प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 10 हजार 802 हो गई, इनमें से 2666 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 459 की जान गई।
  • उत्तरप्रदेश: यहां रविवार को 497 संक्रमित मिले और 14 की मौत हुई। गौतमबुद्धनगर में 70 मरीज बढ़े। पूर्व सांसद और सपा नेता धर्मेंद्र यादव पॉजिटिव हैं। राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा 13 हजार 615 हो गया, इनमें से 4948 एक्टिव केस हैं। कोरोना से 399 ने जान गंवाई।
यह फोटो प्रयागराज में गंगा की है। अनलॉक-1 में फैक्ट्रियों में कामकाज शुरू हुआ है, ऐसे में अब नदियों का पानी फिर प्रदूषित होने लगा है।
  • महाराष्ट्र: यहां रविवार को 3390 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और 120 मौतें हुईं। मुंबई में 1395 रिपोर्ट पॉजिटिव आईं। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1 लाख 7 हजार 958 हो गई, इनमें 53 हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं। कोरोना से कुल 3950 ने जान गंवाई।
यह फोटो मुंबई की मरीन ड्राइव की है। यहां लोग बड़ी संख्या में मॉर्निंग वॉक के लिए पहुंच रहे हैं। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियम भी तोड़े जा रहे हैं।
  • राजस्थान: यहां रविवार को 293 नए पॉजिटिव केस सामने आए और 10 मरीजों ने जान गंवाई। धौलपुर में 44, जोधपुर में 30 और जयपुर में 27 रिपोर्ट पॉजिटिव आईं। राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 12 हजार 694 हो गई। कोरोना से अब तक 292 मरीजों की मौत हुई।
  • बिहार: यहां रविवार को 186 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और एक की जान गई। सीतामढ़ी में 24, समस्तीपुर और शिवहर में 16-16 मरीज मिले। प्रदेश में कुल 6475 लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं, इनमें से 2464 एक्टिव मरीज हैं। बिहार में 36 लोग जान गंवा चुके हैं।


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कोरोनावायरस की वजह से बदले हालात में लोगों का पलायन जारी है। यह फोटो दिल्ली के अंबेडकर स्टेडियम की है। पूर्वोत्तर के छात्र अपने गृह राज्य जाने के लिए ट्रेन और अन्य वाहनों का इंतजार करते हुए।


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चीन के 10 शहरों के लोगों को बीजिंग की यात्रा न करने का आदेश, यहां 3 दिन में 79 केस; दुनिया में अब तक 79.84 लाख संक्रमित

दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 4 लाख 35 हजार 177 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों का आंकड़ा 79 लाख 84 हजार 432 हो गया है। अब तक 41 लाख 04 हजार 373 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। चीन की राजधानी बीजिंग में रविवार तक 3 दिन में 57 नए मामले सामने आए। अब 10 शहरों के प्रशासन ने अपने नागरिकों से कहा है कि वो अगले आदेश तक बीजिंग की यात्रा से परहेज करें। राजधानी के तीन बड़े होलसेल मार्केट पहले ही बंद किए जा चुके हैं।

10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 21,62,144 1,17,853 8,67,849
ब्राजील 8,67,882 43,389 4,37,512
रूस 5,28,964 6,948 2,80,050
भारत 3,33,008 9,520 1,69,689
ब्रिटेन 2,95,889 41,698 उपलब्ध नहीं
स्पेन 2,91,008 27,136 उपलब्ध नहीं
इटली 2,36,989 34,345 1,76,370
पेरू 2,29,736 6,688 115,579
जर्मनी 187,671 8,870 1,72,200
ईरान 1,87,427 8,837 1,48,674

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चीन : बीजिंग जाने से बचें
हार्बिन और डालियान समेत चीन के 10 शहरों ने अपने नागरिकों से कहा है कि वो अगले आदेश तक बीजिंग की यात्रा न करें। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हुआजियांग के बड़े कार मार्केट को भी बंद करने पर विचार किया जा रहा है। यह बीजिंग के करीब है और यहां हर दिन हजारों लोग जाते हैं। इसे हाई रिस्क लेवल पर रखा गया है। बीजिंग में भी लो रिस्क लेवल को बढ़ाकर मीडियम रिस्क लेवल दिया गया है।

बीजिंग : अब टेस्टिंग पर फोकस
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राजधानी बीजिंग को लेकर सरकार बहुत सतर्क है। यहां 46 हजार लोगों के टेस्ट किए जाएंगे। माना जा रहा है कि ये वह लोग हैं जो बीते दिनों उन होलसेल मार्केट गए, जहां से संक्रमण फैलने का शक है। इसके लिए 24 टेस्टिंग स्टेशन्स बनाए गए हैं। रविवार शाम तक कुल 10 हजार 881 लोगों के सैंपल लिए जा चुके थे। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स द्वारा सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को बीजिंग में 36 मामलों की पुष्टि हुआ। तीन दिन में 79 संक्रमित सामने आ चुके हैं।

बीजिंग के योआन कोविड-19 हॉस्पिटल के गेट पर मौजूद लोग। यहां कुल 24 टेस्टिंग सेंटर बनाए गए हैं। इनमें 46 हजार से ज्यादा लोगों का टेस्ट किया जाना है।

ब्राजील : संक्रमण पर काबू नहीं
24 घंटे में ब्राजील में 612 लोगों की मौत हो गई। देश में मरने वालों का आंकड़ा 43 हजार 332 हो गया। ब्राजील की हेल्थ मिनिस्ट्री ने रविवार रात जारी आंकड़ों में बताया कि कुल 17 हजार 110 नए मामले सामने आए। अब संक्रमितों की संख्या 8 लाख 67 हजार 624 हो गई है। हेल्थ मिनिस्ट्री नई गाईडलाइंस जारी कर सकती है। इसमें शहरों में भीड़ कम करने के उपाय शामिल हो सकते हैं।

ब्राजील में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके साथ ही सियासत भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के प्रति सख्त रवैया अपनाया तो लोगों ने उसके इस कदम को चीन जैसी तानाशाही करार दिया। रविवार को ब्रासीलिया शहर में राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थन में प्रदर्शन करते लोग।

इजरायल : नए मामले सामने आए
इजरायल में रविवार को 83 नए मामले सामने आए। कुल संक्रमितों की संख्या 19 हजार 55 हो गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी है। बयान के मुताबिक, अस्पताल में भर्ती 133 मरीजों में से 33 की हालत गंभीर है। इसी दौरान 18 मरीज स्वस्थ हुए। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 15 हजार 375 हो गई। यहां 3 हजार 380 एक्टिव केस हैं।

इजराइल के तेल अवीव शहर के एक अस्पताल में मौजूद नर्स फेस शील्ड पहनती हुई। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, यहां कुल 133 एक्टिव केस हैं। 33 की हालत गंभीर है। (फाइल)

चिली : एक हजार से ज्यादा वेंटिलेटर पर
चिली में अब तक 1 लाख 74 हजार 293 मामले सामने आ चुके हैं। 3 हजार 323 मरीजों की मौत हुई। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, एक दिन में करीब 6 हजार 938 नए मामले सामने आए। इसी दौरान 222 और मरीजों की मौत हुई है। फिलहाल 1 हजार 465 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। 399 लोगों की हालत गंभीर है।

पाकिस्तान: 6 हजार से ज्यादा मामले
पाकिस्तान में रविवार को 6 हजार 825 नए मामले सामने आए। इसी दौरान 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। देश में 1 लाख 39 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, यहां अब तक 2 हजार 632 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, अब तक 51 हजार 735 लोग ठीक हो चुके हैं।

पाकिस्तान के कराची शहर के एक बाजार में मौजूद महिलाएं। देश में रविवार को 6 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। (फाइल)


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बीजिंग में तीन दिन में 79 मामले सामने आने के बाद बड़े पैमाने पर टेस्टिंग शुरू कर दी गई है। करीब 46 हजार लोगों के टेस्ट किए जाने हैं। रविवार को एक टेस्टिंग सेंटर जाते लोग।


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लगातार पांचवें दिन 11 हजार से ज्यादा मरीज बढ़े, अगस्त के पहले हफ्ते में संक्रमितों की संख्या 20 लाख हो सकती है; अब तक कुल 3.33 लाख केस

देश में कोरोना के मरीजों की संख्या में हर 5 दिन में करीब 1000 की बढ़ोतरी हो रही है। बीते पांच दिन में रोजाना11 हजार से ज्यादा संक्रमित बढ़े हैं। 2-3 दिन में यह संख्या 11 से 12 हजार की दर से बढ़ने का अनुमान है। रविवार को 11 हजार 374 नए मामले आए। अब कुल संक्रमितों की संख्या 3.33 लाख हो गई है। कोरोना का ग्राफ ऐसे हीआगे बढ़ा तो जून के अंत तक संक्रमितों की संख्या5 लाख पर पहुंच सकता है। डबलिंग रेट में 17.4 दिन है। इस हिसाब से 18 जुलाई तक यह संख्या10 लाख और अगस्त के पहले हफ्ते में 20 लाख हो सकती है।

पिछले 5 दिन में बढ़े संक्रमित

तारीख केस
10 जून 11156
11 जून 11135
12 जून 11306
13 जून 12039
14 जून 11374

देश मेंरविवार को 7364 संक्रमित ठीक हुए। 321 लोगों ने जान गंवाई। दिल्ली में रिकॉर्ड 2224 नए केस बढ़े। यह संख्या लगातार तीसरे दिन 2 हजार से ज्यादा है। महाराष्ट्र में 3394 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

20 सबसे संक्रमित शहरों की लिस्ट से भोपाल बाहर

देश के 20 सबसे संक्रमित शहरों की लिस्ट में अब मध्यप्रदेश से सिर्फ इंदौर शहर बचा है। इंदौर 7वें नंबर पर है।भोपाल बाहर हो गया है। पहले भोपाल 11वें और इंदौर चौथेनंबर पर था। रिकवरी रेट में भी मध्यप्रदेश से आगे सिर्फ राजस्थान है। मध्यप्रदेश में मरीजों का रिकवरी रेट 71.1% और राजस्थान में 75.3% है।

15 दिन का ट्रेंड: रिकवरी में चंडीगढ़ टॉप, पंजाब पिछड़ा

5 दिन,जब सबसे ज्यादा मामले आए

तारीख

केस
13 जून 12031
14 जून 11374
12 जून 11314
11 जून 11128
10 जून 11156

अपडेट्स...

  • नवंबर में कोरोना के पीक पर होने की आशंका: आईसीएमआर के ऑपरेशंस रिसर्च ग्रुप के अध्ययन के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण देश में कोरोना का पीक टाइम 34 से 76 दिन शिफ्ट हुआ। अब पीक नवंबर के मध्य में आने और तब आईसीयू बेड-वेंटिलेटर की कमी होने की आशंका है।
  • रेलवे ने संक्रमितों के इलाज के लिए उत्तरप्रदेश में 70, दिल्ली में 54, तेलंगाना में 60 और आंध्रप्रदेश में 20 आइसोलेशन कोच तैनात करने का फैसला किया है। दिल्ली में ये कोच आनंद विहार स्टेशन और सकूरबस्ती मेंटेनेंस डिपो में खड़े होंगे।
  • पुलिस के मुताबिक, कोरोना संक्रमित होने के डर से दिल्ली में भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी ने अपनी कार में तेजाब डालकर कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।
  • तेलंगाना सरकार के मुताबिक, रविवार को 23 पत्रकारों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। प्रदेश में कुल 60 मीडियाकर्मी महामारी के चपेट में आ चुके हैं। इनमें से एक की जान गई।


5 राज्यों का हाल

  • मध्यप्रदेश: यहां रविवार को 161 नए मामले सामने आए और 12 लोगों ने जान गंवाई। भोपाल में 50, इंदौर में 34 और उज्जैन में 15 मरीज मिले। प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 10 हजार 802 हो गई, इनमें से 2666 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 459 की जान गई।
  • उत्तरप्रदेश: यहां रविवार को 497 संक्रमित मिले और 14 की मौत हुई। गौतमबुद्धनगर में 70 मरीज बढ़े। पूर्व सांसद और सपा नेता धर्मेंद्र यादव पॉजिटिव हैं। राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा 13 हजार 615 हो गया, इनमें से 4948 एक्टिव केस हैं। कोरोना से 399 ने जान गंवाई।
यह फोटो प्रयागराज में गंगा की है। अनलॉक-1 में फैक्ट्रियों में कामकाज शुरू हुआ है, ऐसे में अब नदियों का पानी फिर प्रदूषित होने लगा है।
  • महाराष्ट्र: यहां रविवार को 3390 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और 120 मौतें हुईं। मुंबई में 1395 रिपोर्ट पॉजिटिव आईं। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1 लाख 7 हजार 958 हो गई, इनमें 53 हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं। कोरोना से कुल 3950 ने जान गंवाई।
यह फोटो मुंबई की मरीन ड्राइव की है। यहां लोग बड़ी संख्या में मॉर्निंग वॉक के लिए पहुंच रहे हैं। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियम भी तोड़े जा रहे हैं।
  • राजस्थान: यहां रविवार को 293 नए पॉजिटिव केस सामने आए और 10 मरीजों ने जान गंवाई। धौलपुर में 44, जोधपुर में 30 और जयपुर में 27 रिपोर्ट पॉजिटिव आईं। राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 12 हजार 694 हो गई। कोरोना से अब तक 292 मरीजों की मौत हुई।
  • बिहार: यहां रविवार को 186 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और एक की जान गई। सीतामढ़ी में 24, समस्तीपुर और शिवहर में 16-16 मरीज मिले। प्रदेश में कुल 6475 लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं, इनमें से 2464 एक्टिव मरीज हैं। बिहार में 36 लोग जान गंवा चुके हैं।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कोरोनावायरस की वजह से बदले हालात में लोगों का पलायन जारी है। यह फोटो दिल्ली के अंबेडकर स्टेडियम की है। पूर्वोत्तर के छात्र अपने गृह राज्य जाने के लिए ट्रेन और अन्य वाहनों का इंतजार करते हुए।


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गृहमंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला; 24 घंटे में तीसरी बैठक बुलाई, आज ऑल पार्टी मीटिंग में हालात की समीक्षा करेंगे

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा था कि अगर कोरोना मरीजों की लाशें कचरे के ढेर में मिल रही हैं तो ये इंसानों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक है। इसका असर ये हुआ कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद मोर्चा संभाल लिया है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब बैक सीट पर नजर आ रहे हैं।

शाह ने रविवार सुबह दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ करीब डेढ़ घंटे चर्चा की। शाम को दिल्ली के सभी मेयर के साथ म्युनिसिपल लेवल की स्ट्रैटजी पर बात की। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए शाह ने आज 11 बजे ऑल पार्टी मीटिंग (सर्वदलीय बैठक) बुलाई है। इसमें कोरोना मैनेजमेंट का रिव्यू किया जाएगा।

शाह-केजरीवाल की मीटिंग में 5 अहम फैसले हुए
न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक आज की बैठक में कांग्रेस, भाजपा, आप और बसपा के नेता शामिल होंगे। दिल्ली और केंद्र सरकार के सीनियर ऑफिसर भी मौजूद रहेंगे। इससे पहले रविवार को अमित शाह की केजरीवाल के साथ हुई मीटिंग में 5 अहम फैसले लिए गए।

ये 4 फैसले भी हुए
1.
कोरोना टेस्टिंग का रेट दोबारा तय होगा। इसके लिए बनाई गई कमेटी को आज रिपोर्ट देनी है।
2. स्काउट गाइड, एनसीसी, एनएसएस और दूसरे सेल्फ हेल्प ग्रुप के मेंबर्स को हेल्थ वॉलंटियर बनाया जाएगा।
3. अंतिम संस्कार की नई गाइडलाइन जारी की जाएगी, ताकि इसके लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़े।
4. दिल्ली के छोटे अस्पतालों की मदद के लिए एम्स में हेल्पलाइन नंबर शुरू किया जा रहा है। इस नंबर पर सीनियर डॉक्टर सलाह देंगे।



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रविवार को अमित शाह की अरविंद केजरीवाल के साथ मीटिंग में फैसला हुआ कि 8000 बेड की कैपेसिटी वाले रेलवे के 500 कोच दिल्ली को दिए जाएंगे।


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क्रिकेट से लेकर फुटबॉल तक हर खेल में प्लेयर्स के मिलकर जश्न मनाने पर रोक, स्टेडियम में हौसला बढ़ाते नजर आ रहे बेजान पुतले

कोरोनावायरस ने खेल के नियम बदल दिए हैं। क्रिकेट हो या फुटबॉल, अब सभी खेलों में प्लेयर्स मिलकर जश्न नहीं मना पाएंगे, क्योंकि उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग रखनी होगी। ज्यादातर टूर्नामेंट की शुरुआत अब बगैर दर्शकों के ही हो रही है।

13 मार्च को आखिरी इंटरनेशनल क्रिकेट मैच हुआ था
कोरोना का पहला मामला 31 दिसंबर 2019 को चीन के वुहान से सामने आया था। खेल पर इसका असर मार्च से शुरू हुआ। 13 मार्च को सिडनी में ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड के बीच आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला गया था। वहीं, यूरोप में दूसरे नंबर की सबसे बड़ी फुटबॉल लीग ला लिगा का आखिरी मैच 11 मार्च को हुआ था। ला लिगा11 जून से फिर शुरू हो गई है।

विंबलडन रद्द और यूएस-फ्रेंच ओपन होना तय नहीं
इंटरनेशनल क्रिकेट की वापसी 8 जुलाई को इंग्लैंड में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच से हो रही है। कोरोना के कारण टेनिस में सबसे बड़े ग्रैंड स्लैम विंबलडन को रद्द कर दिया गया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार यह टूर्नामेंट रद्द हुआ है। 24 अगस्त से यूएस ओपन और 20 सितंबर से होने वाले फ्रेंच ओपन पर खतरा मंडरा रहा है।

आईसीसी ने क्रिकेट में बॉल चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल पर रोक लगाई।

क्रिकेट में नए नियम

  • इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने बॉल चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल को बैन कर दिया है। हर टीम को एक पारी में 2 बार वॉर्निंग दी जाएगी। तीसरी बार में पेनाल्टी के तौर पर बैटिंग करने वाली टीम के खाते में 5 रन जोड़ दिए जाएंगे।
  • सभी क्रिकेट बोर्ड को कोरोना की वजह से आर्थिक नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई के लिए टेस्ट में खिलाड़ियों की जर्सी और स्वेटर के अगले हिस्से पर 32 इंच के लोगो (विज्ञापन) लगाने की मंजूरी दी गई है।
  • पहले सिर्फ वनडे और टी-20 में ही खिलाड़ियों को जर्सी के अगले हिस्से पर ऐसा करने की इजाजत थी।
  • टेस्ट में कोरोना कन्कशन भी होगा। यानी 5 दिन के मैच में किसी खिलाड़ी के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उसकी जगह सब्स्टीट्यूट को मैदान पर उतारा जा सकता है। नियम के मुताबिक, बैट्समैन की जगह बैट्समैन ही टीम में आएगा। बॉलर के मामले में भी ऐसा ही होगा। संक्रमित खिलाड़ी की जगह कौन लेगा, इसका फैसला मैच रैफरी करेगा।
  • अब दो देशों के बीच होने वाली सीरीज में दोनों फील्ड अंपायर और मैच रैफरी घरेलू ही होंगे। पहले घरेलू सीरीज में न्यूट्रल अंपायरों (विदेशी) को रखा जाता था।
टेनिस में खिलाड़ी को मैच के दौरान टॉवेल समेत सभी सामान खुद ही लेने होंगे।

इस साल न्यूयॉर्क में 24 अगस्त से 13 सितंबर तक यूएस ओपन और पेरिस में 20 सितंबर से 4 अक्टूबर तक फ्रेंच ओपन होना है। अमेरिकी टेनिस एसोसिएशन (यूएसटीए) में प्रोफेशनल टेनिस की सीईओ स्ट्रेसी एलेस्टर ने कहा कि यूएस ओपन के लिए यूरोप, दक्षिण अमेरिका और पश्चिम एशिया से खिलाड़ियों को चार्टर्ड प्लेन से न्यूयॉर्क लाया जाएगा। यानी वे आम पैसेंजर प्लेन में ट्रेवल नहीं करेंगे।

कई देशों में वर्चुअल फैंस के साथ फुटबॉल लीग शुरू
जर्मनी में बुंदेसलिगा को 16 मई से शुरू कर दिया गया है। कोरोना के बीच शुरू होने वाली यह यूरोप की पहली बड़ी लीग है। साथ ही स्पेनिश ला लिगा भी 11 जून से पटरी पर लौट आई है। इनके अलावा इंग्लैंड की प्रीमियर लीग (ईपीएल) 17 और इटली की सीरी-ए लीग को 20 जून से शुरू होना है। रूस में फुटबॉल के मैच अगले महीने से शुरू होंगे। रूस की प्रीमियर लीग ऐसा इकलौता फुटबॉल टूर्नामेंट है, जो दर्शकों के साथ होगा।

बुंदेसलिगा में खिलाड़ी कोहनी मिलाकर जश्न मना रहे हैं।

जर्मनी की बुंदेसलीगा में गोल करने के बाद खिलाड़ी गले मिलकर जश्न मनाने की बजाय कोहनी मिला रहे हैं, थम्स-अप कर चीयर कर रहे हैं।

टीवी स्क्रीन के जरिए दानिश सुपरलिगा में फैन्स स्टेडियम तक पहुंचे।

डेनमार्क की दानिश सुपरलिगा में फैन्स की मौजूदगी के लिए स्टेडियम में टीवी स्क्रीन लगाई गईं। इनमें ऐप पर लाइव मैच देख रहे फैन्स को दिखाया जा रहा है। स्टेडियम में लगे स्पीकर से उनकी आवाज भी सुनाई जाती है।

ला लिगा में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके खाली स्टेडियम में दर्शकों की मौजूदगी दिखाई जा रही है।

ला लिगा 93 दिन बाद शुरू हुई। पहले मैच में सेविला ने रियाल बेटिस को 2-0 से हराया। मैच के ब्रॉडकास्ट में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके खाली स्टेडियम में दर्शकों की मौजूदगी दिखाई गई। वर्चुअल फैन्स होम टीम के कलर में नजर आए। गोल होने पर दर्शकों की पहले से ही रिकॉर्ड की गई आवाज प्ले की गई। हालांकि, यह आवाज इतनी कम थी कि मैच के दौरान ज्यादातर वक्त सुनाई ही नहीं दी।

चाइनीज लीग में कटआउट और डमी के सामने चीयरलीडर्स ने डांस किया।

ताइवान में चाइनीज लीग के दौरान भी फैंस के कटआउट और डमी लगाई गईं। दर्शकों की जगह रोबोट को बैठाया गया है। चीयरलीडर्स उनके सामने परफॉर्म कर रही हैं।

4. बैडमिंटन के टूर्नामेंट 2021 में पूरा होंगे
बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (बीडब्ल्यूएफ) ने कोरोनावायरस के कारण टाले या रद्द किए गए टूर्नामेंट्स को 2021 के पहले 17 हफ्ते में ही पूरा कराए जाने का फैसला किया है। टोक्यो ओलिंपिक के कोटा के लिए इन सभी टूर्नामेंट्स के पॉइंट्स को आधार माना जाएगा। हालांकि, टूर्नामेंट्स के लिए बीडब्ल्यूएफ ने अभी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है।

5. बॉक्सिंग के लिए भी जल्द गाइडलाइंस जारी होंगी
इंडियन बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (आईबीएफआई) के सेक्रेटरी जय कोहली ने कहा कि इंटरनेशनल बॉक्सिंग फेडरेशन जल्द नई गाइडलाइंस जारी करेगा। इसको लेकर कमेटी गठित की गई है।



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सैकड़ों किमी पैदल चलकर गांव पहुंची महिलाएं तो पैर में छाले थे, लेकिन यहां महिलाएं मर्दों के सामने चप्पलें नहीं पहनतीं

जब हम बुंदेलखंड पहुंचे तो हमें बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे यहां के गांवों में अलग-अलग तस्वीर देखने को मिली। हमेंखेमचंद मिले, जोसैकड़ों किमी पैदल चलकर अपने छोटे बच्चों के साथ शेरवास गांव आए थे। हमें सावित्री भी मिलीं, जो अपने 7और 5 साल के बच्चे के साथ पैदल कडेसरा गांव पहुंची थी।हमें ललितपुर और झांसी जिले की बबीना तहसील के आदिवासी बहुल गांवों में तो एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली। यहांसैकड़ों किमी दूर से आईं महिलाओं के पैरों के छाले सूखे भी नहीं थे कि गांव में आकर उन्हें बिना चप्पल के रहना पड़ा, क्योंकि ससुराल मेंमर्दों के सामनेवे चप्पल नहीं पहन सकतीं।

ऐसे ही गांवों की तीन कहानियां


कोई भूखा न सोए इसलिए महिलाओं ने बनाया अनाज बैंक
झांसी से करीब 60 किलोमीटर दूर झांसी-सागर फोर लेन हाईवे से दस किलो मीटर अंदर पतली सी सड़क जाती है और फिर आदिवासी बहुल टपरन/तिन्दरा गांव आता है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि टपरे (झोपड़ी) नुमा घर होने के कारण गांव का नाम टपरन पड़ा, जिसे बाद में तिन्दरा कहा जाने लगा।गांव में 200 घर हैं इनमें ज्यादतरआदिवासी परिवारों केहैं।

छोटे, गरीब लेकिन मजबूत इरादों वाले इन गांववालों ने अनाज बैंक बनाने की एक पहल की है,ताकि गांव में कोई परिवार भूखा नसोए। खास बात यह है कि इस पहल की अगुवाई महिलाएं कर रही हैं। 52 साल कीगोमा और 48 साल कीबूदा ने 15 महिलाओं के साथ मिलकर इसे बनाया है। इस साल अप्रैल से लेकर अब तक इसमें 11 क्विंटल 60 किलो गेहूं इकट्‌ठा हो गया है।

हर परिवार अपने यहां होने वाली उपज का एक हिस्सा अनाज बैंक में रखता है और जरूरत पड़ने पर वह अनाज ले लेता है और फिर फसल आने पर बैंक में अनाज जमा कर देता है।

बैंक के बारे में गोमा बताती हैं, ‘इसमें हर परिवार अपने यहां होने वाली उपज का एक हिस्सा अनाज बैंक में रखता है और जरूरत पड़ने पर ले जाता है। फसल आने पर वह फिर से बैंक में अनाज जमा कर देता है। जरूरतमंद को गेहूं मिल जाता है। हम गांव के ही हैं, इसलिएहमें सभी के बारे में पता है, जो अनाज लौटाने की हालतमें नहीं है उनसे हम अनाज वापस नहीं लेते हैं।’

लाॅकडाउन में इंदौर में ईंट भट्‌टा पर काम कर रहे नौनेलाल जब गांव परिवार के साथ लौटे तो उनके पास खाने को कुछ नहीं था।ऐसे में उन्होंने यहीं से पांच पैली (पीतल का बर्तन, जिसमें 10 किलो अनाज आता है) गेहूं लिया। नौनेलाल बताते हैं कि सवा एकड़ जमीन के बीच वे चार भाई हैं। ईंट भट्‌टा पर काम कर छह लोगों का परिवार चलाते हैं। जब गांव लौटे तो खाने को कुछ नहीं था तब गोमा काकी से संपर्क किया और अनाज लिया।

घर में मर्द हैं तो ससुराल में चपल्लें नहीं पहनती आदिवासी महिलाएं
ललितपुर से करीब 40 किलो मीटर दूर छोटा सा गांव है हनौता। पत्थरों की बागड़ वाले दो कमरों के मकान (जिसमें एक जानवरों के लिए हैं) में रहती हैं 25 वर्षीय फूलबती। 20 दिन पहले ही इंदौर से लौटी हैं। ललितपुर से गांव तक का रास्ता पैदलही तय किया है। वे अपने पतिके साथ ईंट भट्‌टे पर काम करती थीं। 45 डिग्री से अधिक की चिलचिलाती दोपहर में खुले आसमान के नीचे फूलबती हमसे बातें कर रहीथींकिअचानक हमारी नजरउनके पैरों पर पड़ी।यह पूछने पर कि उन्होंने चप्पलक्यों नहीं पहनी? इस पर जवाब मिला, ‘चप्पल तो है, लेकिन ससुराल में गांव के मर्दों के आगे हम नहीं पहनते। यहां यही परंपरा है।’

महिलाएं ससुराल में मर्दों के सामने चप्पल नहीं पहनतीं। इस गांव की यही परंपरा है। फूलबती बताती हैं कि अब उन्हें बिना चप्पल रहने की आदत पड़ गई है।

यह पूछने पर कि पैर नहीं जल रहे? तोफूलबती कहती हैं कि अब तो आदत पड़ गई है। इस बीच गांव के 45 वर्षीय विक्रम बीच में ही कह पड़ते हैं,‘मरदन की इज्जत करती हैं बाके मारे वे चप्पल नाईं पहरती।’ फूलबती ही नहीं 40 वर्षीय प्रेमबाई, 42 वर्षीय रती और गांव की अन्य महिलाएं भी हमें बिना चप्पलों के ही नजर आईं।

फूलबती के पास अभी रोजगार नहीं है क्योंकि कोरोना के कारण उन्हें गांव वापस आना पड़ा है। वे इस कुरीति को चुपचाप हंसकर निभा रहीं हैं। सामाजिक कार्यकर्ता दीक्षित बताते हैं कि ललितपुर जिलेमें और झांसी की बबीना तहसील के आदिवासी बहुल गांवों में यह कुरीति हमेशा से चली आ रही है।

प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार का जरियाबनीं बकरियां
ऐसे समय जब ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के सरकारी प्रयास छोटेसाबित हो रहे हैं। गांव वाले अपने स्तर पर लोगों के लिए रोजगार के वैकल्पिक साधन मुहैया करवाने में जुटे हैं। ऐसा ही एक विकल्प बुंदेलखंड के हनौता गांव में आकार ले रहा है और उसका नाम है बकरी पालन।

गांव में लौटे प्रीतम के पास कोई रोजगार नहीं है। रोजगार के नाम पर उनकी पौने दो एकड़ जमीनहै। वे कहते हैं कि बुंदेलखंड में लगातार सूखे के बाद खेती करना महंगा हो गया है और ज्यादा उपज हो नहीं पाती है। इसलिए ईंट भट्‌टा पर कामकरने मध्यप्रदेश चले गए थे। जब आय का कोई साधन नहीं बचा तो मयंक करौलिया से संपर्क किया। मयंक ने उन्हें तीन बकरी मुहैया करवाईं।

प्रीतम बताते हैं,बकरी 14 महीने में दो बार बच्चे देती हैं। उनके बकरे बड़े होने के बाद 15 हजार रुपए तक बिक जाते हैं। एक साल में बकरे बेच कर 50 से 60 हजार रुपए की आमदनी हो जाती है। इनके चारेका खर्च भी ज्यादा नहीं है, पास में ही जंगल मेंचारा मिल जाता है।

परमार्थ समाजसेवी संगठन से जुड़े मयंक कहते हैं कि हमने अभी तक 20 गांव वालों को तीन-तीन बकरियां दी हैं। इनमें आठ प्रवासी मजदूरहैं। 15 से 18 हजार रुपए में तीन बकरियां पड़ जाती हैं जिनमें से एक बड़ी और दो छोटी-छोटी बकरियां हम ग्रामीणों को देते हैं।अगर सही ढंग से ग्रामीण बकरी पालन करें तो उन्हें गांव से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।



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झांसी की बबीना तहसील के आदिवासी बहुल गांवों की महिलाएं मर्दों के सामने चप्पले नहीं पहनतीं।


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45 एकड़ में से 5 बीघा कोरोना के लिए अलग किया, इसका 75% हिस्सा भर चुका है, 300 को तो शमीम दफना चुके हैं

‘मोहम्मद शमीम लोगों की कब्र खोदते हैं।’ यह वाक्य बेहद क्रूर लगता है, लेकिन यही शमीम की जिंदगी की हकीकत है। ऐसी हकीकत जिसे कोरोना महामारी ने और भी ज्यादा क्रूर बना दिया है। ऐसे समय में जब लोग कोरोना से मरने वाले परिजनों के शवों को छूने से भी घबरा रहे हैं, शमीम बीते ढाई महीने से लगातार इन शवों को दफनाने में जुटे हुए हैं।

शमीम दिल्ली के ‘जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम’ में कब्र खोदने का काम करते हैं। आईटीओ के पास स्थित ये वही कब्रिस्तान है, जहां कोरोना संक्रमण से मरने वाले सबसे ज्यादा लोगों को दफनाया गया है।

शमीम बताते हैं, ‘शुरुआत में तो हमने भी कोरोना से मरने वालों को यहां दफनाने से इनकार कर दिया था। हमें भी संक्रमण का डर था। लेकिन फिर डॉक्टरों ने हमें समझाया और कब्रिस्तान की समिति वालों ने भी सोचा कि अगर कोई भी इन लोगों को दफनाने को तैयार नहीं हुआ तो ऐसे लोगों का क्या होगा? किसी को तो ये जिम्मेदारी लेनी ही थी तो हम तैयार हो गए।’

मोहम्मद शमीम ही वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने दिल्ली में सबसे पहले कोरोना से मरने वाले लोगों के शव दफनाने की जिम्मेदारी ली थी। लॉकडाउन के दो दिन बाद से ही उन्होंने यह काम शुरू कर दिया था और अब तक 300 से ज्यादा शवों को दफन कर चुके हैं।

शमीम बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों के लिए पांच बीघा जमीन का करीब 75% हिस्सा अब भर चुका है।

‘जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम’ करीब 45 एकड़ में फैला है। इसमें से करीब पांच बीघा जमीन कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों के अलग की गई है। शमीम बताते हैं, ‘इस पांच बीघा जमीन का करीब 75 फीसदी हिस्सा अब तक भर चुका है। जिस तेजीसे लोगों की मौत हो रही हैं, एक हफ्तेके भीतर ही बाकीजगह भी पूरी भर जाएगी। तब कब्रिस्तान की समिति को शायद और जमीन कोरोना वाले शवों के लिए देनी पड़े। इसके लिए फिर से कई पेड़ काट कर जमीन तैयार करनी होगी। यह पांच बीघा जमीन भी जंगल काटकर ही तैयार की गई थी।’

शमीम बताते हैं कि लॉकडाउन खुलने के बाद क्रबिस्तान आने वाले शवों की संख्या बढ़ी है। अब रोज 12 से 15 शव आ रहे हैं।

शमीम बताते हैं कि लॉकडाउन खुलने के साथ ही कोरोना से मरने वालों की संख्या में अचानक तेजी आई है। उनके अनुसार जहां लॉकडाउन के दौरान एक दिन में पांच-छह शव इस कब्रिस्तान में पहुंच रहे थे वहीं लॉकडाउन खुलने के साथ ही रोजाना 12 से 15 शव आने लगे हैं। यही नहीं, अन्य वजहों से मरने वाले लोगों के शव भी इन दिनों ज्यादा आने लगे हैं।

शमीम कहते हैं, ‘कोरोना की बहस के चलते ऐसी मौतों पर किसी का ध्यान नहीं है, लेकिन इनमें भी बहुत बढ़ोतरी हुई है। औसतन यहां 6-7 शव आया करते थे, लेकिन इन दिनों कोरोना से अलग भी 10-12 शव रोजआ रहे हैं। इसका कारण शायद यही है कि कोरोना महामारी के चलते लोगों को अन्य गम्भीर बीमारियों का भी अच्छा इलाज नहीं मिल पा रहा है।’

इस कब्रिस्तान में अमूमन पुरानी दिल्ली के निवासियों को दफनाया जाता रहा है। लेकिन कोरोना महामारी के दौर में दिल्ली के कई अलग-अलग हिस्सों से शव यहां लाए जा रहे हैं। इनमें कई शव तो ऐसे भी हैं जिन्हें मौत के चार-पांच दिन बाद यहां लाया जा रहा है। यह देरी कोरोना जांच की रिपोर्ट के इंतजार में हो रही है।

मोहम्मद शमीम बताते हैं कि कई शव पांच-पांच दिन पुराने आ रहे हैं। उन शवों से इतनी बदबू आती है कि उसके नजदीक खड़ा रहना भी मुश्किल होता है।

इन दिनों अस्पतालों में मरने वाले सभी लोगों की कोरोना जांच हो रही है। इस जांच की रिपोर्ट कई बार चार-पांच दिन के बाद मिल रही है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन मृतक के परिजनों को दो विकल्प दे रहे हैं। पहला, वे रिपोर्ट का इंतजार करें और रिपोर्ट आने के बाद ही शव को ले जाएं। दूसरा, वे शव को ‘कोरोना संदिग्ध’ मानकर ले जाएंऔर उसका अंतिम संस्कार अस्पताल प्रशासन की निगरानी में कोरोना संक्रमण से होने वाले मौत की तरह ही किया जाए। इस दूसरे विकल्प से बचने के लिए कई लोग रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं और ऐसे में शव पांच-पांच दिन बाद कब्रिस्तान पहुंच रहे हैं।

मोहम्मद शमीम बीते ढाई महीनों से लगातार कोरोना से मरने वालों को दफनाने का काम कर रहे हैं। इस दौरान उन्हें एक दिन की भी छुट्टी नहीं मिली है।

मोहम्मद शमीम कहते हैं, ‘कल ही यहां एक शव आया जो पांच दिन पुराना था। उस शव से इतनी बदबू आ रही थी कि उसके नजदीक खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था। फिर भी हमने उस मय्यत को दफन किया। हम करेंगे, हमारा काम ही यही है। तीन पीढ़ियों से यही काम करते आ रहे हैं। लेकिन दुख इस बात का है कि इसमें हमें सरकार की ओर से कोई समर्थन नहीं मिल रहा। हम अपनी जान जोखिम में डालकर इन दिनों ये काम कर रहे हैं लेकिन हमारा ख्याल करने वाला कोई नहीं है।'

मोहम्मद शमीम बीते ढाई महीनेसे लगातार कोरोना से मरने वालों को दफनाने का काम कर रहे हैं। इस दौरान उन्हें एक दिन की भी छुट्टी नहीं मिली है। वे बताते हैं, ‘शनिवार-रविवार तो छोड़िए, ईद के दिन भी मैंने तीन शव दफनाए हैं। इस दौरान कोई और ये काम करने को तैयार नहीं है इसलिए मुझे ही लगातार ये करना पड़ रहा है। लेकिन, इतना जोखिम लेने के बाद भी न तो हमारा कोई स्वास्थ्य बीमा हुआ है और न कोई जीवन बीमा।’

शमीम को चिंता है कि अगर वे संक्रमित हो जाते हैं तो उनके इलाज का खर्चकौन उठाएगा, उनकी चार बेटियों की जिम्मेदारी कौन उठाएगा।

शमीम को चिंता है कि ये काम करते हुए अगर वे ख़ुद संक्रमित हो जाते हैं तो उनके इलाज का खर्चकौन उठाएगा और अगर उन्हें कुछ हो जाता है तो उनकी चार बेटियां जो अभी स्कूल में हैं, उनकी जिम्मेदारी कौन उठाएगा। वे बताते हैं, ‘अपना कोरोना टेस्ट भी मैंने करीब 25 दिन पहले खुद से ही करवाया। इसके लिए 4500 रुपए अपनी जेब से दिए। यहां से मुझे एक शव के सिर्फसौ रुपए मिलते थे। इससे ज्यादा तो ग्लव्ज, सैनिटाइजर आदि खरीदने में ही लग जाता है। मैंने ये बात समिति के सामने रखी तो बीते25 मई से मुझे दिन के एक हजार रुपए मिलने लगे हैं। लेकिन इसी में से मुझे दो अन्य लोगों को भी पैसा देना होता है जो मेरे साथ यहां काम करते हैं।’

शमीम जो काम कर रहे हैं, उसकी गिनती कहीं भी ‘कोरोना वॉरियर’ वाले कामों में नहीं है। वे कहते हैं, ‘सब जगह इस दौरान काम करने वालों पर फूल बरसाए जा रहे हैं। लेकिन हम पर फूल बरसाना तो दूर हमारी मूलभूत जरूरत पूरी करने वाला भी कोई नहीं है। बिना एक दिन की भी छुट्टी लिए मैं लगातार इस गर्मी में काम कर रहा हूं। इस जंगल के अंदर पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है।’

शमीम बताते हैं कि अब तक हजारों मय्यत दफन कर चुके हैं लेकिन इससे पहले ये काम उनके लिए कभी इतना जोखिम भरा नहीं रहा।

शमीम मूलरूप से उत्तर प्रदेश के एटा के रहने वाले हैं। कई साल पहले उनके दादा दिल्ली आए थे और इस कब्रिस्तान में काम करना शुरू किया था। तब से यही उनका खानदानी काम बन गया जिसे शमीम बचपन से ही कर रहे हैं। वे बताते हैं कि अब तक वे हजारों मय्यत दफन कर चुके हैं लेकिन जिस तेजी से इन दिनों उन्हें ये करना पड़ रहा है, वो पहली ही बार है। साथ ही ये काम इतना जोखिम भरा भी आज से पहले उनके लिए कभी नहीं रहा।

शमीम कहते हैं, ‘यहां आने वाले कई लोग मुझसे कहते हैं कि मैं बहुत पुण्य का काम कर रहा हूं। मैं भी मानता हूंकि ये पुण्य का ही काम है। लेकिन, कोई ये भरोसा दिलाने वाला भी तो हो कि अगर ये पुण्य करते हुए मुझे कुछ हो जाता है तो मेरे इलाज या मेरे परिवार का ख्याल रखा जाएगा।



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मोहम्मद शमीम बीते ढाई महीने से लगातार कोरोना से मरने वालों को दफनाने का काम कर रहे हैं। इस दौरान उन्हें एक दिन की भी छुट्टी नहीं मिली है। वे बताते हैं, ‘शनिवार-रविवार तो छोड़िए, ईद के दिन भी मैंने तीन शव दफनाए हैं।


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300 करोड़ रु का ड्रायफ्रूट कोल्ड स्टोरेज में, एक ट्रक स्टॉक करने के लिए 40 हजार रुपए किराया देना पड़ रहा है

कटरा के रास्ते माता वैष्णोदेवी श्राइन जाते समय अक्सर यात्री वहां की दुकानों में रखे ड्राई फ्रूट्स की महक महसूस करते हैं। 18 मार्च के बाद से ये सभी रास्ते वीरान पड़े हैं। इसी दिन श्री वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने कोरोनावायरस के चलते एहतियातन तीर्थयात्रा बंद कर दी थी। यात्री कटरा नहीं जा रहे हैं। होटल बंद पड़े हैं, बस और रेलवे स्टेशन सूने हैं। और बाजार दोबारा गुलजार होने को मुंह ताके खड़े हैं।

यात्रियों की गैरमौजूदगी में मंदिर के पुजारी ही पूजा कर रहे हैं और सैटेलाइट टेलीविजन पर इसका सीधा प्रसारण किया जा रहा है। लॉकडाउन में ढील के बाद भी यहां सिर्फ जरूरी चीजों की ही दुकानें खुलीं हैं। ड्राई फ्रूट्स की दुकानें जो यहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, अभी भी पूरी तरह से बंद हैं।

यहां400 से अधिक दुकानदार जो ड्राई फ्रूट्स और प्रसाद बेचने का काम करते हैं, उन्होंने अपना पूरा स्टॉक सड़ने से बचाने को जम्मू के कोल्ड स्टोर में रख दिया है।

कारण यह है कि 400 से अधिक दुकानदार जो ड्राई फ्रूट्स और प्रसाद बेचने का काम करते हैं, उन्होंने अपना पूरा स्टॉक सड़ने से बचाने को जम्मू के कोल्ड स्टोर में रख दिया है। गौरव खुजारिया, कटरा की सबसे बड़ी ड्राई फ्रूट्स शॉप के मालिक हैं। कहते हैं हमने अपने स्टॉक को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोर में रख दिया है। अगर कोल्ड स्टोर में नहीं रखते तो हमारा पूरा स्टॉक बर्बाद हो जाता। हम अपने स्टॉक को सड़ने के लिए बंद दुकान में नहीं छोड़ सकते थे।

खजूरिया कहते हैं, ‘पैसा कमाने की जगह हम स्टॉक को बचाने के लिए हर महीने उलटा पैसा दे रहे हैं।’ कहते हैं एक ट्रक स्टॉक को कोल्ड स्टोर में रखने के लिए 40 हजार रुपए देने पड़ रहे हैं। इसके अलावा 5 हजार रुपए एक ट्रक के ट्रांसपोर्टेशन के लग जाते हैं।

खजूरिया के मुताबिक कल क्या होगा कोई नहीं जानता। कह नहीं सकते कि आने वाले सीज़न में क्या होने वाला है। अगर सबकुछ ठीक भी रहता है और चीजें पटरी पर लौट आती हैं तो भी हमें अपने बिजनेस के लिए फ्रेश ड्राई फ्रूट का स्टॉक रखना होगा।

कटरा में कुछ बड़े व्यापारी फ्रैश स्टॉक खरीदने के लिए पैसा लगा सकते हैं, लेकिन ऐसे तमाम दुकानदार हैं जिनके लिए गुजर बसर मुश्किल है। लगभग 4 से 6 ट्रक ड्राई फ्रूट्स हर दुकानदार ने कोल्ड स्टोर में रखा हैं। एक ट्रक में 5 से 6 किलो के 500 बॉक्स भरे होते हैं।

लगभग 4 से 6 ट्रक ड्राई फ्रूट्स हर दुकानदार ने कोल्ड स्टोर में रखा हैं। एक ट्रक में 5 से 6 किलो के 500 बॉक्स भरे होते हैं।

कटरा में ड्राई फ्रूट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष, कुलदीप सदोत्रा कहते हैं, ‘हम कश्मीर से ड्राई फ्रूट्स का स्टॉक खरीदते हैं। पिछले साल अगस्त से ही उन्हें घाटा हो रहा है। इस सीजन में यात्रा धीरे-धीरे बढ़ रही थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण सब कुछ रुक गया है।

बड़ी संख्या में ऐसे छोटे दुकानदार हैं जो फ्रूट्स के पैकट भरने का काम करते हैं, बिक्री नहीं होने से उनके सामने संकट खड़ा हो गया है। उनके पास पैसे नहीं है कि वे अपने कर्मचारियों को सैलरी दे सकें।

सदोत्रा कहते हैं उन्होंने सभी व्यापारियों के लिए जीसी मुर्मू से मदद मांगी है। वह चाहते हैं कि कोरोना के कारण प्रभावित व्यापारियों के लिए एक आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए। साथ ही बिजली बिल, जीएसटी और अन्य करों के भुगतान में छूट दी जाए। उनका कहना है कि लोन के लिमिट को हमारे पिछले जीएसटी रिटर्न के अनुपात में बढ़ाया जाना चाहिए। ढाबा मालिक, होटल व्यवसायी, ऑटो रिक्शा चालक, टूर ऑपरेटर, टैक्सी चालक, स्ट्रीट हॉकर सभी का व्यवसाय चौपट हो गया है। इन सभी को सरकार की मदद की जरूरत है।

जम्मू के विभिन्न कोल्ड स्टोरेज में ड्राई फ्रूट्स के 300 करोड़ रुपए के स्टॉक रखे गए हैं। जम्मू में कोल्ड स्टोरेज की कुल क्षमता 25 हजार टन है।

जम्मू में बहू कोल्ड स्टोरेज और आइस फैक्ट्री चलाने वाले रमन गुप्ता के मुताबिक ड्राई फ्रूट बेचने वालों ने 50 हजार से अधिक बॉक्स उनके नरवाल स्थित कॉम्पलेक्स में रखा है। उनके पास 6 हजार टन स्टॉक रखने की क्षमता है। अभी इसका 60 प्रतिशत इस्तेमाल हो रहा है। जम्मू में अलग-अलग कोल्ड स्टोरेज की क्षमता 25 हजार टन है।

रमन गुप्ता कहते हैं, "कई ड्राई फ्रूट विक्रेता आमतौर पर अपना कुछ स्टॉक कोल्ड स्टोर में रखते हैं, लेकिन इस साल लॉकडाउन के कारण कटरा के दुकानदारों को अपना पूरा स्टॉक कोल्ड स्टोरेज में शिफ्टकरना पड़ा है। सामान्य दिनों में हम अपने सप्लाई को रोटेट करते रहते हैं। फ्रेश सप्लाई आने के बाद कोल्ड स्टोर से पुराने स्टॉक उठा लेते हैं।’

टूरिज्म इंडस्ट्री और बागवानी जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इनपर कोरोना का बुरा प्रभाव पड़ा है। जम्मू में दुकानें तो खुली हैं लेकिन बाजार वीरान हैं। जम्मू रेलवे स्टेशन के पास स्थित शिव मार्केट, जो तीर्थयात्रियों की जरूरतों को पूरा करता है, सुनसान पड़ा है।

शिव मार्केट में ड्राई फ्रूट की दुकान चलाने वाले बिनय कुमार अपनी दुकानें खोलने के लिए हर दिन आ रहे हैं लेकिन कोई कारोबार नहीं है। स्थानीय ग्राहक नहीं आ रहे हैं और तीर्थयात्रियों का आना अभी संभव नहीं।

टूरिज्म इंडस्ट्री और बागवानी जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इनपर कोरोना का बुरा प्रभाव पड़ा है।

300 करोड़ का ड्रायफ्रूट स्टॉक कोल्ड स्टोरेज में

1. जम्मू के विभिन्न कोल्ड स्टोरेज में ड्राई फ्रूट्स के 300 करोड़ रुपए के स्टॉक रखे गए हैं। जम्मू में कोल्ड स्टोरेज की कुल क्षमता 25 हजार टन है।

2. लॉकडाउन की वजह से कटरा में व्यापार को हर दिन 10 से 12 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है।

3. हर दुकानदार ने औसतन 4 से 6 ट्रक स्टॉक कोल्ड स्टोरेज में रखा है। एक ट्रक में 5 से 6 किलोग्राम ड्राई फ्रूट्स के 500 बॉक्स रखे जाते हैं।

4. कटरा में ड्राई फ्रूट्स की करीब 400 दुकानें हैं लेकिन सिर्फ 128 रजिस्टर्ड हैं।



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कोरोनावायारस महामारी के कारण वैष्णोदेवी यात्रा बंद है। इससे यहां के ड्राई फ्रूट्स बेचने वाले कारोबारियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।


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