Corona News, Corona Latest News, Corona Update, Latest News Updates, Breaking News, Hindi News Corona, National News, International News, Coronavirus India, COVID-19 tracker, Today's Headlines, World News, Aajtak ki News, Hindi news (हिंदी समाचार) website, watch and read live tv coverages, Latest Khabar, Breaking news in Hindi of India, World, business,पढ़ें आज तक के ताजा समाचार देश और दुनिया से, जाने व्यापार, बॉलीवुड, खेल और राजनीति के ख़बरें
बीते कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में हो रही बारिश के कारण लोगों कोखासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।गुड़गांव में लगातार हो रही बारिश के कारण दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे पर नरसिंगपुर के पास 3 फीट तक पानी भर गया। इससे कई जगह जाम जैसे हालात बन गए।
असम में बाढ़ से 89 लोगों की मौत, 45 हजार शिविरों में
असम में कुछ दिनों की राहत के बाद फिर बारिश का दौर शुरू हो गया है। बाढ़ और बारिश के कारण अब तक 89 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है। एनडीआरएफ की 12 टीम असम में हैं। यहां पर 45 हजार से ज्यादा लोगों को 281 शिविरों में पहुंचाया गया है।
अफसरों की लापरवाही
मध्य प्रदेश के खंडवा में खुलेमें रखा 12.50 करोड़ रुपए का 63 हजार क्विंटल गेहूं सड़कर खराब हो गया है। अब विपणन संघ इसे उज्जैन, देवास, क्षिप्रा, रतनपुर सहित 10 से ज्यादा समितियों को लौटा रहा है। बारिश में गीले हुए गेहूं को पहले ही लौटा देना था, लेकिन अफसरों की लापरवाही से बड़ा नुकसान हो गया।
नेशनल हाईवे-27 के डिवाइडर परठिकाना
बिहार में बाढ़ का दायरा बढ़कर 10 जिलों की 282 पंचायतों तक फैल गया है। इससे करीब 4.5 लाख लोग प्रभावित हैं। मुजफ्फरपुर में गंडक नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। कोसी नदी की भी यही स्थिति है। लोगों में बाढ़ का खौफ इस कदर बैठ गया है कि नेशनल हाईवे-27 के डिवाइडर पर ही ठिकाना बना लिया है।
लहरिया पहनकरझूली महिलाएं, आज मनाएंगी तीज
राजस्थान केझुंझुनूं में तीज से एक दिन पहले बुधवार को महिलाओं ने सिंजारा मनाया। कई स्थानों पर झूले लगा कर लहरिया जैसे कपड़ेपहन कर महिलाओं ने खूब पींगें बढ़ाई। ननद-भोजाई, देवरानी-जेठानी के जोड़ों के साथ ही कई जगह सास को भी झूले झुलाए गए। हाल के दिनों में जिन लड़कियों की सगाई हुई है, उनके ससुर, जेठ सहित ससुराल के अन्य लोग साड़ी, मिठाई औरफल के साथ सिंजारा लेकर पहुंचे।
मंत्री ने दिया था गो कोरोना गो का नारा
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक किसान ने खेत में धान की खड़ी फसल से ‘गो कोरोना गो’ लिख दिया।सालगांव में रहने वाले किसान सचिन सदाशिव केसरकर ने बताया कि इसे लिखने के लिए वाक्य के आधार पर धान की बुवाई की। करीब 15 दिन बाद यह आकृति उभरकर आ गई। यह वाक्य इलाके में चर्चा का विषय बन गया है।केंद्रीयमंत्री रामदास अठावले ने गो कोरोना गो का नारा दिया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर इसकेखूब मीम बने थे।
छात्र-छात्राओं का रुझान बढ़ेगा
चौंकिए मत। यह ट्रेन नहीं राजस्थान के आमेसर के सरकारीस्कूल का बरामदा है। प्रिंसिपल शैवालिनी शर्मा की कल्पना से बरामदे काे भामाशाह के सहयाेग से इस तरह रंगवाया गया कि दूर सेट्रेन के काेच का जैसा नजर आए। उनका कहना है कि इससे बच्चों काका स्कूल आने के प्रति रुझान बढ़ेगा। इस गांव के छात्राें सहित कई लाेगाें ने ट्रेन नहीं देखी है,क्याेंकि 40 किमी के दायरे में स्टेशन या रेलवे लाइन नहीं है।
एक मिनट में 200 लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग होगी
कोरोना के मामले रोकने के लिए मुंबई के कई इलाकों में स्मार्ट हेलमेट से डोर टू डोर थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है। इससे कम समय में बड़ी संख्या में स्क्रीनिंग हो रही है। इस हेलमेट के जरिए एक मिनट में 200 लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा सकती है। यह हेलमेट एक साथ कई लोगों को डेटा उपलब्ध कराता है। इसे स्मार्ट वॉच से जोड़ा गया है। जैसे ही इसके कैमरे की नजर इंसान पर पड़ती है तुरंत उसके शरीर के टैम्प्रेचर का डेटा स्मार्ट वॉच में आ जाता है।
बीते कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में हो रही बारिश के कारण लोगों कोखासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।गुड़गांव में लगातार हो रही बारिश के कारण दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे पर नरसिंगपुर के पास 3 फीट तक पानी भर गया। इससे कई जगह जाम जैसे हालात बन गए।
असम में बाढ़ से 89 लोगों की मौत, 45 हजार शिविरों में
असम में कुछ दिनों की राहत के बाद फिर बारिश का दौर शुरू हो गया है। बाढ़ और बारिश के कारण अब तक 89 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है। एनडीआरएफ की 12 टीम असम में हैं। यहां पर 45 हजार से ज्यादा लोगों को 281 शिविरों में पहुंचाया गया है।
अफसरों की लापरवाही
मध्य प्रदेश के खंडवा में खुलेमें रखा 12.50 करोड़ रुपए का 63 हजार क्विंटल गेहूं सड़कर खराब हो गया है। अब विपणन संघ इसे उज्जैन, देवास, क्षिप्रा, रतनपुर सहित 10 से ज्यादा समितियों को लौटा रहा है। बारिश में गीले हुए गेहूं को पहले ही लौटा देना था, लेकिन अफसरों की लापरवाही से बड़ा नुकसान हो गया।
नेशनल हाईवे-27 के डिवाइडर परठिकाना
बिहार में बाढ़ का दायरा बढ़कर 10 जिलों की 282 पंचायतों तक फैल गया है। इससे करीब 4.5 लाख लोग प्रभावित हैं। मुजफ्फरपुर में गंडक नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। कोसी नदी की भी यही स्थिति है। लोगों में बाढ़ का खौफ इस कदर बैठ गया है कि नेशनल हाईवे-27 के डिवाइडर पर ही ठिकाना बना लिया है।
लहरिया पहनकरझूली महिलाएं, आज मनाएंगी तीज
राजस्थान केझुंझुनूं में तीज से एक दिन पहले बुधवार को महिलाओं ने सिंजारा मनाया। कई स्थानों पर झूले लगा कर लहरिया जैसे कपड़ेपहन कर महिलाओं ने खूब पींगें बढ़ाई। ननद-भोजाई, देवरानी-जेठानी के जोड़ों के साथ ही कई जगह सास को भी झूले झुलाए गए। हाल के दिनों में जिन लड़कियों की सगाई हुई है, उनके ससुर, जेठ सहित ससुराल के अन्य लोग साड़ी, मिठाई औरफल के साथ सिंजारा लेकर पहुंचे।
मंत्री ने दिया था गो कोरोना गो का नारा
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक किसान ने खेत में धान की खड़ी फसल से ‘गो कोरोना गो’ लिख दिया।सालगांव में रहने वाले किसान सचिन सदाशिव केसरकर ने बताया कि इसे लिखने के लिए वाक्य के आधार पर धान की बुवाई की। करीब 15 दिन बाद यह आकृति उभरकर आ गई। यह वाक्य इलाके में चर्चा का विषय बन गया है।केंद्रीयमंत्री रामदास अठावले ने गो कोरोना गो का नारा दिया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर इसकेखूब मीम बने थे।
छात्र-छात्राओं का रुझान बढ़ेगा
चौंकिए मत। यह ट्रेन नहीं राजस्थान के आमेसर के सरकारीस्कूल का बरामदा है। प्रिंसिपल शैवालिनी शर्मा की कल्पना से बरामदे काे भामाशाह के सहयाेग से इस तरह रंगवाया गया कि दूर सेट्रेन के काेच का जैसा नजर आए। उनका कहना है कि इससे बच्चों काका स्कूल आने के प्रति रुझान बढ़ेगा। इस गांव के छात्राें सहित कई लाेगाें ने ट्रेन नहीं देखी है,क्याेंकि 40 किमी के दायरे में स्टेशन या रेलवे लाइन नहीं है।
एक मिनट में 200 लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग होगी
कोरोना के मामले रोकने के लिए मुंबई के कई इलाकों में स्मार्ट हेलमेट से डोर टू डोर थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है। इससे कम समय में बड़ी संख्या में स्क्रीनिंग हो रही है। इस हेलमेट के जरिए एक मिनट में 200 लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा सकती है। यह हेलमेट एक साथ कई लोगों को डेटा उपलब्ध कराता है। इसे स्मार्ट वॉच से जोड़ा गया है। जैसे ही इसके कैमरे की नजर इंसान पर पड़ती है तुरंत उसके शरीर के टैम्प्रेचर का डेटा स्मार्ट वॉच में आ जाता है।
from Dainik Bhaskar /local/delhi-ncr/news/3-feet-of-water-filled-the-roads-due-to-heavy-rains-in-gurgaon-89-people-have-died-in-floods-in-assam-45-thousand-people-in-camp-127542851.html
https://ift.tt/2OKY7ap
तारीख 23 जुलाई 2020, कोरोना को भारत आए आज ठीक 175 दिन पूरे हो गए हैं। और देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 12 लाख पार कर गया है। बुधवार की खबरों में पहले इसी मनहूस कोरोना से जुड़ी खबर।
देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 12 लाख के पार पहुंच गया है। जबकि साढ़े सात लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं, वहीं 29 हजार की मौत हो चुकी है। देश की राजधानी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने तो ये तक कहा है कि दिल्ली में हर पांच में से एक व्यक्ति पॉजिटिव है। दो दिन पहले ही वो कोरोना मुक्त होकर ऑफिस लौटे हैं।
दूसरी बड़ी खबर राजस्थान में राजनीति के रण से है जिसे आज 14 दिन पूरे होने आए हैं। सीएम गहलोत के करीबियों पर पिछले 9 दिन में तीन केंद्रीय एजेंसियों ने कार्रवाई की है। जिस पर कार्रवाई हुई है उनमें गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत भी शामिल हैं, जिनका बीज का कारोबार है और ईडी ने उनके घर छापा मारा है। उनके फर्म पर 2009 में 5.45 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था और 11 साल बाद वो ईडी के निशाने पर हैं।
तीसरी खबर भी राजनीति से है लेकिन ये कहानी तस्वीरों में बयां हुई है, वो भी सीधे देश की संसद से। दरअसल बुधवार को राज्यसभा सांसदों का शपथ ग्रहण था और वहां ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह का पांच महीने बाद आमना सामना हो गया। दोनों ने एक दूसरे को देख हाथ जोड़े और ये तस्वीर फोटो ऑफ द डे बन गई। शपथ ग्रहण के इस पूरे कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग के तमाम उपाय भी नजर आए और राजनीतिक मेलजोल के नजराने भी।
चौथी खबर उस विकास दुबे एनकाउंटर से जुड़ी है जो पिछले दो हफ्तों से सभी के जेहन से फरार होने को राजी नहीं था। पहले उसने 8 पुलिस वालों की हत्या की, फिर पुलिसवालों को यहां वहां दौड़ाता रहा। पिछले के पिछले शुक्रवार जब लोगों की नींद खुली तो उप्र पुलिस उसे हमेशा के लिए सुला चुकी थी। लेकिन 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उप्र सरकार को हिदायत दी की विकास दुबे मामले जैसी गलती फिर न दोहराई जाए। आयोग को 2 महीने में जांच पूरी करने के भी आदेश दिए गए हैं।
पहली - एयरफोर्स की कमांडर्स कॉन्फ्रेंस आज भी होगी। कल रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसमें शिरकत की थी और कहा था कि वायुसेना को लद्दाख में हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
दूसरी - सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान के स्पीकर सीपी जोशी से जुड़ी याचिका पर आज तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी। जिसमें विधायकों को अयोग्यता का नोटिस भेजने से जुड़ा विवाद है।
तीसरी - इसके अलावा मणिपुर समेत कई राज्यों के कुछ एक इलाकों में आज से लॉकडाउन लगाया जा रहा है। हो सकता है कोरोना के बढ़ते केस देखते हुए बाकी राज्य भी लॉकडाउन का फैसला लें।
NYT से लेकर आए हैं कोरोना वैक्सीन की रेस से जुड़ी एक अहम रिपोर्ट। रिपोर्ट बता रही है कि कई सरकारें बिना प्रभावी साबित हुए ही वैक्सीन खरीदने को उतावली हैं। वहीं रूस पर आरोप है कि वो ऑक्सफोर्ड में जारी रिसर्च की जासूसी कर रहा है।
ये जानने के लिए कि दुनिया के 10 देशों ने कोरोना को कैसे रोका, दुनिया में 1.5 करोड़ केस से जुड़ी एक खास डेटा स्टोरी। और तो और ये वही देश हैं जहां कभी कोरोना बेकाबू हो गया था और हां, इसमें चीन भी शामिल है। एक रिपोर्ट ये भी कि कितने देशों में एक भी कोरोना का मामला नहीं है और कितने देशों में पिछले तीन महीनों में एक भी मरीज नहीं मिला है।
आज आपकादिन कैसा रहेगा?
गुरुवार, 23 जुलाई का मूलांक 5, भाग्यांक 7, दिन अंक 3, मासांक 7 और चलित अंक 2, 7 है। न्यूमेरोलॉजिस्ट डॉ. कुमार गणेश के अनुसार गुरुवार को अंक 2, 7 की अंक 3 के साथ प्रबल मित्र युति और परस्पर विरोधी युति बनी है। अंक 5 की अंक 2, 7 के साथ प्रबल मित्र युति और अंक 3 के साथ मित्र युति बन रही है। जानिए अंक ज्योतिष के अनुसार आपके लिए गुरुवार का दिन कैसा रह सकता है
गुरुवार, 23 जुलाई 2020 को टैरो राशिफल के मुताबिक 12 में से 8 राशियों के लिए दिन कई तरह से नए अनुभव देने वाला रह सकता है। कुछ लोगों के लिए अच्छे परिणामों का इंतजार करने का समय है। कुछ लोगों के लिए करियर में प्रमोशन मिलने का समय है। वहीं, 4 राशियों के लिए दिन कुछ संघर्ष से भरा रह सकता है।
देश में कोरोना के मामले 12 लाख के आंकड़े को पार कर गए हैं। 11 लाख से 12 लाख केस होने में सिर्फ तीन दिन लगे। पिछले 12 दिन से हर तीन दिन में एक लाख से ज्यादा नए मरीज सामने आ रहे हैं। सिर्फ जुलाई महीने के 22 दिन में ही कोरोना के करीब साढ़े छह लाख नए केस सामने आए हैं।
30 जनवरी कोपहला केस सामने आने के बाद पांच महीने में देश में 5.85 लाख केस आए। पिछले 22 दिन में कोरोना के मामले दोगुनासे ज्यादा हो गए हैं।हालांकि, रिकवरी रेट भी लगातार बढ़ रहा है। हर 10 लाख की आबादी में 896 लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। इस लिहाज से हम दुनिया में 103वें नंबर पर हैं।हर 10 लाख आबादी पर देश में 22 मौतें हो रहीं, इस लिहाज से हम दुनिया में 98 नंबर पर हैं। वहीं,10 लाख लोगों में से सिर्फ 10,664 का कोरोना टेस्ट हो रहा, इस लिहाज से हम दुनिया में 136 नंबर पर हैं।
तीन सबसे संक्रमित देशों में सिर्फ भारत में रफ्तार लगातार बढ़ रही
अमेरिका, ब्राजील और भारत इस वक्त दुनिया के तीन सबसे संक्रमित देश हैं। तीनों देशों में सिर्फ भारत ही ऐसा है, जहां रोज नए केस आने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस वक्त दुनिया में रोज 2 लाख से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। इनमें से 20% मरीज भारत में मिल रहे हैं। इस वक्त दुनिया के एक चौथाई मरीज सिर्फ अमेरिका में हैं। अमेरिका और ब्राजील में हर रोज आने वाले मामले स्थिर हो चुके हैं। लेकिन, भारत में इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। इससे दुनिया में रोज मिलने वाले मरीजों में भारत की हिस्सेदारी और बढ़ने की आशंका है।
हर तीन दिन में एक लाख से ज्यादा केस बढ़ रहे
30 जनवरी को देश में कोरोना का पहला मामलाआया था। इसके 109 दिन बाद यानी 10 मई को यह संख्या बढ़कर एक लाख हुई। फिर संक्रमण की रफ्तार में इतनी तेजी आई कि महज 15 दिनों में ही आंकड़ा 2 लाख के पार हो गया। संक्रमितों की संख्या 2 से 3 लाख होने में महज 10 दिन लगे। 3 से 4 लाख मामले होने में 8 दिन और 4 से 5 लाख मामले होने में केवल 6 दिन लगे।
केस बढ़ने की यह रफ्तार लगातार तेज हो रही है। 5 से 6 लाख और 6 से 7 लाख मामले होने में केवल 5-5 दिन लगे। 7 से 8 लाख मामले होने में केवल 4 दिन लगे। मतलब हर दो दिन में औसतन 50 हजार केस सामने आए। इसके बाद आठ सेनौ लाख, नौ से दस लाख, दस से 11 लाख और 11 से 12 लाख केस होने केवल तीन-तीन दिन लगे। इसमें भी हर दिन सामने आने वाले केस लगातार बढ़ रहे हैं।
देश में मौतों का आंकड़ा स्पेन से भी ज्यादा हुआ
कोरोना से हुई कुल मौतों के मामले में हम 7वें नंबर पर पहुंच गए हैं। दो दिन पहले तक भारत कुल मौतों के लिहाज से दुनिया में आठवें नंबर पर था। अब स्पेन में हमारे देश से कम मौत के मामले हैं। देश में कोरोना से पहली मौत 13 मार्च को हुई थी। पिछले 131 दिन में 29 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।इनमें से 24 हजार से ज्यादा लोगों ने पिछले 53 दिन में जान गंवाई है।
दुनिया के 207 देशों से ज्यादा केस अकेले महाराष्ट्र में, देश के 64% मामले सबसे संक्रमित 5 राज्यों में
दुनिया के 215 देशों और आईलैंड में कोरोना के मामले आए हैं। इसमें 207 देश ऐसे हैं, जहां महाराष्ट्र से भी कम संक्रमित हैं। केवल 8देश ऐसे हैं जहां महाराष्ट्र से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। भारत में कुल संक्रमितों में 27% लोग महाराष्ट्र से ही हैं। मौत के आंकड़ों को देखें तो अब तक हुई कुल मौतों में 42% लोग इसी राज्य से थे।
अब तक करीब डेढ़ करोड़ लोगों का टेस्ट, इसमें 8.2% लोग पॉजिटिव निकले
भारत में अब तक करीब डेढ़ करोड़ लोगों का कोरोना टेस्ट हो चुका है। इनमें 8.2% लोग संक्रमित मिले हैं। अमेरिका में करीब पांच करोड़ टेस्टिंग हुई है और इनमें 8% लोग पॉजिटिव पाए गए। सबसे खराब हालत ब्राजील की है। यहां अब तक करीब 50 लाख लोगों की जांच हुई और इनमें 44%से ज्यादा लोग संक्रमित मिले हैं।
देश में 63% से ज्यादा मरीज ठीक हुए, दुनिया का औसत 61%
दुनिया के कुल कोरोना संक्रमित मरीजों में से करीब 61% मरीज ठीक हो चुके हैं। वहीं, भारत में करीब 7.83 लाख मरीज अब तक ठीक हुए हैं। यानी, कुल संक्रमितों का 63% से ज्यादा लोग ठीक हुए हैं। इस लिहाज से हमारे देश में ठीक हो रहे मरीजों का औसत दुनिया के औसत से थोड़ा बेहतर है।
देश के अलग-अलग अस्पतालों में इस वक्त 4.25 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है। अब तक 2.4% मरीजों की जान गई है। उधर, अमेरिका का डेथ रेट 3.6% है। ब्राजील में अब तक 3.7% मरीजों की जान जा चुकी है।
कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में मास्क सबसे बड़ा हथियार बनकर सामने आया है। सीडीसी, WHO जैसी कई स्वास्थ्य संस्थाएं लोगों से मास्क पहनने की अपील कर रही हैं। भारत में भी सरकार ने मास्क पहनाना अनिवार्य किया हुआ। लेकिन, केंद्र सरकार की नई एडवाइजरी से हर कोई हैरान है। दरअसल, सरकार ने कहा है कि एन-95 मास्क सुरक्षित नहीं है। यह वायरस को रोकने में सफल नहीं है।
लेकिन, यह वही एन-95 मास्क है, जो कोरोना के शुरू होते ही दुनिया में सबसे पहले और सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है। आज भी दुनिया के तमाम देशों में एक्सपर्ट्स इस मास्क को सबसे ज्यादा सुरक्षित बता रहे हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, एन-95 मास्क 0.3 माइक्रॉन्स के आकार के ड्रॉपलेट्स को 95% तक रोक सकता है। जबकि कपड़े का मास्क 1 माइक्रॉन्स के आकार के ड्रॉपलेट्स को 69% तक सही रोकता है। कोरोना के ड्रॉपलेट्स का आकार 0.6 से 5 माइक्रॉन्स तक होता है।
एन- 95 मास्क दो तरह के होते हैं
वाल्व लगे मास्क
बिना वाल्व वाले मास्क
केंद्र सरकार ने वाल्वलगे एन-95 मास्क को पहनने से रोका है। सभी एन-95 मास्क को नहीं। हां, यह जरूर कहा है कि अधिकृत स्वास्थ्य कर्मियों की जगह आम लोग एन-95 मास्क का अनुचित इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे नहीं करना चाहिए।
एन-95: यह मास्क सिंगल यूज होते हैं और पॉलिएस्टर और दूसरे सिंथेटिक फाइबर्स से बने होते हैं-
यह मास्क छोटे पार्टिकल्स (0.3 माइक्रॉन्स) को करीब 95% तक रोक लेता है। आमतौर पर इतने छोटे कणों को रोकना बेहद मुश्किल होता है। इंसान के औसत बाल का आकार 70 से 100 माइक्रॉन्स चौड़ा होता है।
यह मास्क सिंगल यूज होते हैं और पॉलिएस्टर और दूसरे सिंथेटिक फाइबर्स से बने होते हैं। इसमें फाइबर की एक लेयर होती है जो फिल्टर का काम करती है। यह कणों को रोकते हैं।
इस मास्क में यह पक्का कर लें कि आपकी स्किन और मास्क में कोई गैप नहीं होना चाहिए। इसमें एक नोज-पीस होता है जो चेहरे के आकार के हिसाब से ढल सकता है।
कई हेल्थ केयर वर्कर्स सालाना फिटिंग टेस्ट कराते हैं, जिसमें एयर लीकेज की जांच होती है और मास्क का साइज फिट हो जाए। अगर आपके चेहरे पर दाढ़ी है तो यह ठीक से फिट नहीं होगा। यह मास्क बच्चों के चेहरे पर भी फिट नहीं होते।
कुछ एन- 95 मास्क में सामने एक्सलेशन वाल्व होते हैं, जिससे सांस लेने में आसानी होती है। यह मास्क आमतौर पर कंस्ट्रक्शन में उपयोग होते हैं।
वाल्ववाले मास्क हॉस्पिटल के ऑपरेशन रूम जैसी जगहों में उपयोग नहीं करने चाहिए। ऐसे में यह आपके सांस लेने पर दूसरों की सुरक्षा नहीं करता है।
बाजार में और कौन से मास्क उपलब्ध हैं-
1- मेडिकल मास्क
इस तरह के मास्क कई प्रकार के होते हैं और एन-95 से कम प्रभावी होते हैं। इनमें से कुछ मास्क लैब कंडीशन के अंदर 60 से 80% छोटे कणों को रोक लेते हैं।
आमतौर पर मेडिकल मास्क सांस लेने लायक और पेपर जैसे सिंथेटिक फाइबर से बने होते हैं। यह रेक्टेंगल शेप में होते हैं और प्लेट्स बनी होती हैं। यह मास्क डिस्पोजेबल होते हैं और एक बार के उपयोग के लिए बने होते हैं।
यह मास्क आपको बड़ी बूंदों से बचाते हैं, लेकिन चेहरे पर ढीले होने के कारण यह एन-95 के मुकाबले कम असरदार होते हैं।
2- होम मेड मास्क
मेडिकल मास्क की कम सप्लाई के कारण कई लोगों ने घर में बने मास्क का उपयोग किया। अगर अच्छे फैब्रिक और बेहतर ढंग से इसका निर्माण किया गया है तो यह मेडिकल मास्क जैसी सुरक्षा देता है।
एक अच्छा होम मेड मास्क ऐसे मेटेरियल से तैयार किया जाता है जो वायरस पार्टिकल को रोकने में सक्षम होता है। यह कॉटन फैब्रिक से बने होते हैं।
ऐसे मास्क का निर्माण हैवी कॉटन टी-शर्ट से भी किया जा सकता है। ऐसा मेटेरियल जिसमें धागों की मात्रा ज्यादा होती है। यह मास्क बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं।
इंटरनेट पर कॉटन मास्क बनाने के कई तरीके मौजूद हैं। लेकिन आप ऐसे मास्क की तलाश करें, जिसमें कम से कम दो लेयर हों और जो आपकी नाक और ठुड्डी को कवर करे।
3- होम मेड फिल्टर मास्क
यह एक अन्य तरह के कॉटन मास्क होते हैं, जो 100 फीसदी कॉटन टी-शर्ट से बने होते हैं। इन मास्क में पीछे एक जेब होती है जो फिल्टर का काम करती है।
हमने इसमें एक कॉफी फिल्टर का इस्तेमाल किया है। पेपर टॉवेल भी टेस्ट किए जा चुके हैं। एक प्रयोग बताता है कि पेपर टॉवेल की दो लेयर 0.3 माइक्रॉन के 23 से 33% तक ब्लॉक करती हैं।
लोग इस दौरान कई फिल्टर मेटेरियल का उपयोग कर रहे हैं। इनमें एयर फिल्टर और वैक्यूम बैग्स शामिल हैं। यह असरदार हो सकते हैं, लेकिन इनमें जोखिम होते हैं।
कई बार यह सांस लेने लायक नहीं होते और कई बार हानिकारक फाइबर होते हैं, जिन्हें आप सांस के साथ अंदर ले सकते हैं।
इसके साथ ही एक औसत व्यक्ति को इतने फिल्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है। आप जो भी फिल्टर का उपयोग करें, यह पक्का कर लें कि इसकी साइड में कॉटन या इसके जैसे किसी मेटेरियल की कोई लेयर हो।
मुजीब मशाल/फहीम आबिद. अफगानिस्तान में हिंसा का शिकार हो रहे हिंदू और सिखों की मदद के लिए भारत सरकार कवायद तेज कर रही है। सरकार ने कहा है कि अफगान युद्ध के दौरान वहां हमलों का शिकार हुए हिंदु और सिख समुदाय के वीजा और लॉन्ग टर्म रेसिडेंसी के लिए प्रयास कर रहे हैं। कई लोगों ने इस फैसले पर खुशी जताई है, लेकिन उनका कहना है कि भारत में वापसी का मतलब है गरीबी में रहना।
वापसी पर अफगान हिंदू-सिख लॉन्ग टर्म रेसिडेंसी के लिए आवेदन कर सकते हैं
शनिवार को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि "भारत ने हमलों का शिकार हो रहे अफगान हिंदु और सिख समुदाय की भारत वापसी को सुविधाजनक बनाने का फैसला लिया है।" काबुल में भारतीय अधिकारी ने कहा कि इस फैसले का मतलब है अफगानिस्तान के हिंदू-सिखों को भारत में वीजा के लिए प्राथमिकता और लॉन्ग टर्म रेसिडेंसी के लिए आवेदन करने की सुविधा मिलेगी।
यहां हमले में मर सकते हैं, लेकिन भारत में गरीबी से मर जाएंगे
अफगानिस्तान में रह रहे हिंदू-सिखों के वहां पर कई पीढ़ियों से दुकानें और व्यापार हैं। वे अपने दिन अगले हमले की आशंका में बिता रहे हैं। लोगों का कहना है कि भारत में नई शुरुआत करने का मतलब गरीबी में रहना होगा। खासतौर से महामारी के दौरान जब आर्थिक हालात खराब हैं।
काबुल में गुरुद्वारा के पास रहने वाले 63 साल के लाला शेर सिंह कहते हैं कि "समुदाय इतना छोटा हो गया है कि अब यह डर बना रहता है कि अगले हमले में मरने वालों का क्रियाकर्म करने के लिए भी पर्याप्त लोग नहीं बचेंगे। हो सकता है कि हिंदू-सिखों को मिल रही धमकियों से मर जाऊं, लेकिन भारत में मैं गरीबी से मर जाऊंगा।" उन्होंने कहा "मैंने अपना सारा जीवन अफगानिस्तान में गुजारा है। अगर पैसे नहीं होने पर मैं किसी दुकान के सामने खड़ा होकर दो अंडे और ब्रेड मांगूंगा तो वो मुझे मुफ्त में दे देंगे, लेकिन भारत में मेरी मदद कौन करेगा।"
भारत के प्रस्ताव पर अफगान सरकार ने नहीं दी प्रतिक्रिया
अभी तक अफगान सरकार ने भारत की पेशकश पर कोई भी जवाब नहीं दिया है। एक वरिष्ठ अफगान अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि हिंसा ने सभी अफगानों को प्रभावित किया है और हिंदू-सिखों की सुरक्षा की पेशकश ने अफगानिस्तान में धार्मिक विविधता को संदेह में ला दिया है। अधिकारी ने कहा कि यह चाल भारत के घरेलू दर्शकों को ध्यान में रखकर चली गई है। जहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को हिंदू पहचान दिलाने के लिए सेक्युलर से दूर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
अफगानिस्तान में हालात बेहद खराब हो गए हैं
अफगान में धार्मिक अल्पसंख्यक पहले से ज्यादा अनिश्चित हो गए हैं, क्योंकि अमेरिका ने 18 साल बाद अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। इसके अलावा 1990 में शासन करने वाली तालिबान सरकार के साथ ताकत साझा करने को लेकर बातचीत के लिए तैयार है। युद्ध के मैदान में भी पहले से ज्यादा उथल-पुथल हो गई है। यहां इस्लामिक स्टेट जैसे चरमपंथी समूह शामिल हो गए हैं, जो अल्पसंख्यकों को टार्गेट करते हैं।
सरकार के जरूरी पदों पर रहने वाले हिंदू-सिख देश छोड़कर जा चुके हैं
अफगानिस्तान में हिंदू-सिख समुदाय कभी हजारों में हुआ करता था। यहां ये लोग बड़े व्यापार और सरकार में उच्च पद संभालते थे, लेकिन इनमें से लगभग सभी दशकों से चले आ रहे युद्ध और अत्याचार के बाद भारत, यूरोप और उत्तर अमेरिका चले गए हैं।
नंगरहार के पूर्वी प्रांत में हजारों में से केवल 45 परिवार बचे हैं। जबकि पक्टिया में केवल एक जगमोहन सिंह का ही परिवार बचा है। वे हर्बल डॉक्टर हैं और अपनी पत्नी, दो बच्चों के साथ रहते हैं। उनके दो और बच्चे पहले ही काबुल के लिए भाग चुके हैं। डॉक्टर सिंह बताते हैं कि "कुछ दशक पहले पक्टिया के दूसरे जिले और इलाकों में करीब 3 हजार हिंदू और सिख परिवार थे। मेरे परिवार को छोड़कर सभी चले गए।"
पूरे देश में बचे हैं केवल 600 हिंदू-सिख
अब जब इनकी संख्या में कमी आई है तो हिंदू-सिख अक्सर एक साथ बड़े कंपाउंड में साथ रहते हैं और पूजा की जगह भी शेयर करते हैं। अब पूरे अफगानिस्तान में केवल 600 हिंदू-सिख रहते हैं। दो साल में हुए दो बड़े हमलों में करीब 50 लोगों की मौत के बाद से परिवार डरे हुए हैं। हालिया घटना मार्च में हुई थी, जब इस्लामिक स्टेट ने 6 घंटों तक गुरुद्वारा और काबुल स्थित हाउसिंग कॉम्पलेक्स को सीज कर दिया था। इसमें छोटे बच्चों समेत 25 लोगों की मौत हो गई थी।
हमले के बाद समुदाय के नेताओं ने चेतावनी दी, जिसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार समेत अफगान अधिकारियों ने सुरक्षा उपाय करने का वादा किया, लेकिन समुदाय के प्रतिनिधि नरेंद्र सिंह खालसा ने अफगान संसद में कहा कि मंदिर बंद है और सुधरा नहीं है। इलाके में कुछ अतिरिक्त पुलिस अधिकारियों के अलावा उन्हें ऐसी कोई भी मदद नहीं मिली है जो उनकी चिंताओं को दूर करे।
मंदिर के बाहर दुकान चलाने वाले 22 साल के वर्जेत सिंह कहते हैं "उन्होंने कुछ चेक पॉइंट्स बना दिए हैं, जहां कुछ अधिकारी मौजूद रहते हैं।" यहीं मंदिर के बाहर सिंह की मां और भाई की हत्या हो गई थी। उन्होंने कहा "अधिकारी जानते हैं कि वे मंदिर के बाहर खड़े एक पुलिस अधिकारी के साथ किसी हमले को नहीं रोक सकते हैं।"
हालात बदले नहीं हैं, जान पर खतरा बना हुआ है
वर्जेत ने बताया "हमारी स्थिति में कुछ भी बदलाव नहीं हुआ है। मैं अभी भी अपनी जान दांव पर लगाकर रोज सुबह काम के लिए निकलता हूं। मैं अभी भी अपने कंपाउंड पर अगले हमले को लेकर चिंतित हूं।" सरकार से आर्थिक मदद लेने वाले सिंह कहते हैं कि जब से हमले में उनका परिवार चला गया और पूजा करने की जगह छिन गई है, तब से जीवन असहनीय हो गया है। उनकी गर्भवती पत्नी अस्पताल जाने को लेकर डरी हुई है, क्योंकि हाल ही में मैटरनिटी वॉर्ड पर हमला हुआ था, जहां मां और बच्चों को मार दिया गया था।
उन्होंने कहा "भारत जब लॉन्ग टर्म वीजा दे देगा तो मैं वहां जाऊंगा और तब तक वहीं रहूंगा, जब तक मेरे देश में सुरक्षा के हालात सुधर नहीं जाते। कोई भी मेरा देश मुझसे नहीं ले सकता, लेकिन यह मेरे लिए जिंदा रहना जरूरी है, ताकि मैं यहां सब ठीक होने पर वापस आ सकूं।"
एक्टिविस्ट रवैल सिंह की कहानी
रवैल सिंह के रिश्तेदार को दिल्ली आए एक साल से ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन यहां जीवन आसान नहीं है। सिंह 2018 में जलालाबाद में हुए धमाकों में मारे गए 14 सिखों में से एक थे। वे एक्टिविस्ट थे। वे राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ मुलाकात की कोशिश कर रहे थे।
सिंह की पत्नी प्रीति ने कहा कि वो पति की मौत के तीन महीने बाद तीन बच्चों के साथ भारत आ गईं। यहां उनके 16 साल के बेटे प्रिंस को एक टेलर की दुकान पर एप्रेंटिस के तौर पर काम मिला। इसके साथ ही अफगानिस्तान या दूसरी जगहों से दोस्तों के जरिए मिलने वाली आर्थिक मदद के कारण उनका परिवार दो कमरों में रह सका, जिसका किराया करीब 2 हजार रुपए था।
महामारी ने छीनी बेटे की नौकरी
महामारी के कारण बेटे प्रिंस की नौकरी चली गई। टेलर ने कहा कि वो अब एप्रेंटिस को पैसे नहीं दे पाएगा। प्रीति ने कहा कि उनके परिवार ने दो कमरों में बंद होकर और मदद के इंतजार में अपने दिन गुजारे।
(फारुख जान मंगल/जबिउल्लाह गाजी/फातिमा फैजी ने रिपोर्टिंग में योगदान दिया है।)
इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच 3 टेस्ट की सीरीज का आखिरी मुकाबला मैनचेस्टर में शुक्रवार से खेला जाएगा। वेस्टइंडीज के पास यह मैच जीतकर इंग्लैंड में 32 साल बाद टेस्ट सीरीज जीतने का मौका है। इससे पहले विंडीज टीम ने 1988 में इंग्लिश टीम को उसी के घर में 5 टेस्ट की सीरीज में 4-0 से हराया था।
कोरोना के बीच खेली जा रही यह सीरीज दोनों टीमों के बीच 1-1 से बराबरी पर है। सीरीज के पहले टेस्ट में वेस्टइंडीज ने 4 विकेट से जीत दर्ज की थी। जबकि दूसरे मैच में इंग्लैंड ने शानदार खेल दिखाया और विंडीज को 113 रन से हराकर सीरीज बराबर कर दी।
आर्चर पर आइसोलेशन के दौरान नस्लीय टिप्पणियां की गईं
वहीं, इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चरी इस मैच से बाहर रह सकते हैं। आर्चर को बायो सिक्योरिटी प्रोटोकॉल तोड़ने के कारण वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट से बाहर कर दिया गया था। उन्हें 5 दिन आइसोलेशन में भी रखा गया था। इस दौरान सोशल मीडिया पर लोगों ने उन पर रंगभेद को लेकर नस्लीय टिप्पणियां की थी। इसे वे काफी आहत हुए और उनका मनोबल भी टूट सा गया है।
मानसिक तौर पर 100% ठीक नहीं हैं आर्चर
आर्चर ने डेली मेल के लिए लिखे कॉलम में कहा- ‘‘मुझे मानसिक रूप से 100% ठीक होने की जरूरत है, ताकि मैं इस हफ्ते अपने क्रिकेट पर अच्छे से ध्यान दे सकूं। मैंने हमेशा 100% दिया है। मैं तब तक मैदान पर वापसी नहीं करना चाहता, जब तक मैं इसी तरह बेहतर प्रदर्शन की गांरटी नहीं देता।’’ दरअसल, पहले मैच के बाद आर्चर बायो-सिक्योरिटी प्रोटोकॉल तोड़ते हुए ब्राइटन स्थित अपने घर गए थे। इसके लिए उन्होंने टीम मैनेजमेंट से कोई मंजूरी नहीं ली थी। हालांकि, आर्चर के दो कोरोना टेस्ट निगेटिव आ चुके हैं और उन्हें तीसरा मैच खेलने के लिए क्लीन चिट भी मिल चुकी है।
हेड-टू-हेड
इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच अब तक 159 टेस्ट खेले गए हैं। इनमें से इंग्लैंड ने 50 टेस्ट जीते, 58 में हार मिली और 51 मैच ड्रॉ रहे हैं। वहीं, इंग्लिश टीम ने घर में विंडीज से 88 में से 35 मुकाबले जीते और 31 में उसे हार मिली। जबकि 22 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं।
पिच-मौसम रिपोर्ट: मैनचेस्टर में मैच के दौरान आसमान में बादल छाए रहेंगे। बारिश की आशंका है। ओल्ड ट्रैफर्ड की पिच पर तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी। टॉस जीतने वाली टीम यहां पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। पहले बेटिंग करने वाली टीम का इस पिच पर 38.75% सक्सेस रेट रहा है। इस मैदान पर अब तक 80 टेस्ट हुए। इनमें पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम 31 मैच जीती और 14 हारी है।
इस स्टेडियम में कुल टेस्ट: 80
पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 31
पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 14
पहली पारी का औसत स्कोर: 335
दूसरी पारी का औसत स्कोर: 270
तीसरी पारी का औसत स्कोर: 227
चौथी पारी का औसत स्कोर: 167
टेस्ट चैम्पियनशिप में इंग्लैंड तीसरे और विंडीज 7वें नंबर पर
वेस्टइंडीज ने पहले मैच में जीत के साथ आईसीसी टेस्ट चैम्पियनशिप में 40 पॉइंट हासिल करते हुए अपना खाता खोल लिया है। टीम इस वक्त 3 मैच में एक जीत के साथ 7वें नंबर पर है। इस लिस्ट में भारतीय टीम 360 पॉइंट के साथ शीर्ष पर काबिज है।
गाजियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी की इलाज के दौरान बुधवार को मौत हो गई। विक्रम को सोमवार को बदमाशों ने गोली मार दी थी। विक्रम को गंभीर हालात मेंगाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। विक्रम के साथ उस समय उनकी बेटियां भी मौजूद थीं। जानकारी के मुताबिक, विक्रम ने कुछ बदमाशों के खिलाफ पुलिस में छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था।
सोमवार की रात वे अपनीबेटियों के साथ बाइक पर जा रहे थे, तभी रास्ते में बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया।इस मामले में पुलिस ने अब तक 9 आरोपियों को अरेस्ट किया है। इससे पहले यूपी में ही इसी साल जून में एक पत्रकार की हत्या कर दी गई थी। 19 जून को उन्नाव में पत्रकार की हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप रेत खनन माफिया पर लगा था।
अक्टूबर 2019 में कुशीनगर जिले के स्थानीय पत्रकार राधेश्याम शर्मा की हत्या कर दी गई थी। वहीं, अगस्त 2019 में सहारनपुर में एक पत्रकार और उसके भाई को बदमाशों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी।
इस साल अब तक 26 पत्रकारों की हत्या
इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) के मुताबिक, इस साल अब तक दुनियाभर में 26 पत्रकारों की हत्या हुई है। भारत की बात करें तो दो पत्रकारों की हत्या हुई है। वहीं, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्सकीरिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में 248 पत्रकारों को कैद किया गया। 2020 में अब तक 64 पत्रकार लापता हुए हैं। भारत की बात करें तो 2014 से 2019 के बीच 11 पत्रकार गिरफ्तार किए गए हैं।
पिछले 20 साल में 1928 पत्रकार मारे गए
आईपीआई के मुताबिक, 1997 से लेकर 2020 के बीच इन 23 साल में 1928 पत्रकारों की हत्या हुई है। इसमें भारत में 1997 से 2020 के बीच कुल 74 पत्रकारों की हत्या हुई है। वहीं, भारत में 2014 से 2020 के बीच 27 पत्रकार मारे गए। जबकि 2009 से 2013 के बीच 22 पत्रकारों की हत्या हुई है। हालांकि, 2019 में भारत में किसी पत्रकार की हत्या की बात नहीं है रिपोर्ट में।
आईपीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, लैटिन अमेरिका ऐसी जगह है जहां पत्रकारों की सबसे अधिक हत्याएं होती हैं।यहां हर महीने 12 पत्रकारों से अधिक की हत्या होती है और इसमें सबसे ज्यादा हत्याएं मैक्सिको में होती है।इन जगहों पर अधिकतर पत्रकार नशीली दवाओं की तस्करी और राजनीतिक भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग करते हैं।
आईपीआई की रिपोर्ट में हत्या की जांचों पर भी सवाल उठाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन मामलों में पत्रकारों की हत्या हुईं हैं, उनकी जांच बेहद धीमी है। कई जगह तो सालों से मामला लंबित है।
दुनियाभर में सोशल मीडिया का क्रेज किस तरह बढ़ रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब दुनियाभर में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों की संख्या, इसे इस्तेमाल नहीं करने वालों की संख्या से ज्यादा हो गई है। ऐसा पहली बार हुआ है। अभी तक ये होता था कि सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वालों की संख्या, इसे इस्तेमाल नहीं करने वालों की संख्या से कम ही रहती थी।
ये आंकड़ा डेटा रिपोर्टल की रिपोर्ट में सामने आया है, जिसे हूटसूट और वी आर सोशल ने तैयार किया है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या 3.96 अरब हो गई है, जो दुनिया की आबादी का 51% है।
हर दिन 10 लाख, हर सेकंड 12 लोग सोशल मीडिया यूजर्स से जुड़े
डेटा रिपोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 12 महीनों में दुनियाभर में सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या में 10% से ज्यादा का इजाफा हुआ है। इस दौरान 37.6 करोड़ लोग सोशल मीडिया से जुड़े। अगर इसका औसत निकाला जाए, तो हर दिन 10 लाख यूजर्स और हर सेकंड 12 लोग सोशल मीडिया से जुड़े।
इंटरनेट यूज करने का समय बढ़ा, सोशल मीडिया पर पुरुषों से ज्यादा महिलाएं वक्त बिताती हैं
कोरोनाकाल में इंटरनेट इस्तेमाल करने का समय भी बढ़ा है। इससे पहले अप्रैल में डेटा रिपोर्टल की रिपोर्ट आई थी। उस समय तक इंटरनेट पर हर दिन हर यूजर औसतन 3 घंटे 24 मिनट बिता रहा था। जबकि, जुलाई में आई रिपोर्ट में ये समय करीब दोगुना बढ़ गया। अब इंटरनेट पर रोजाना हर यूजर 6 घंटे 42 मिनट बिता रहा है।
जबकि, सोशल मीडिया पर भी हर यूजर रोजाना औसतन 2 घंटे 22 मिनट बिताता है। हर दिन सोशल मीडिया पर सभी यूजर्स के बिताए वक्त को जोड़ दिया जाए, तो हर दिन 10 लाख साल के बराबर समय सिर्फ सोशल मीडिया पर ही खर्च हो जाता है।
भारत में हर यूजर हर दिन सोशल मीडिया पर औसतन 2 घंटे 24 मिनट बिताता है। हमारे देश में सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने के मामले में महिलाएं, पुरुषों से आगे हैं।
लॉकडाउन में सोशल मीडिया पर भारतीयों का वक्त 59%बढ़ा
लंदन की रिसर्च फर्म ग्लोबल वेब इंडेक्स ने कोरोना लॉकडाउन के बीच दुनिया के 18 देशों में सर्वे किया था। इस सर्वे में सामने आया था कि लॉकडाउन की वजह से लोग सोशल मीडिया पर पहले से ज्यादा समय बिता रहे हैं। मई में हुए सर्वे में आया था कि सोशल मीडिया पर भारतीयों का समय 56% बढ़ गया है।
जबकि, जुलाई में आए सर्वे के मुताबिक, सोशल मीडिया पर भारतीय पहले के मुकाबले 59% ज्यादा वक्त बिता रहे हैं। सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा समय फिलीपींस के लोग बिताते हैं और लॉकडाउन में उनका समय ही सबसे ज्यादा 67% बढ़ा है।
फेसबुक के ढाई अरब से ज्यादा यूजर्स, वॉट्सऐप के 2 अरब यूजर्स
फेसबुक लगातार दुनियाभर की सबसे पसंदीदा सोशल मीडिया वेबसाइट बनी हुई है। अभी इसके मंथली एक्टिव यूजर्स की संख्या 2.6 अरब से ज्यादा है। जबकि, फेसबुक के ही मालिकाना हक वाले वॉट्सऐप मैसेंजर के 2 अरब और इंस्टाग्राम के 1.08 अरब से ज्यादा मंथली यूजर्स हैं।
फेसबुक के बाद दूसरे नंबर पर यूट्यूब है, जिसके पास 2 अरब यूजर्स हैं। वहीं चीन की टिकटॉक ऐप टॉप-5 में भी नहीं। टिकटॉक भले ही तेजी से बढ़ रही है, लेकिन अभी भी इसके 80 करोड़ यूजर्स ही हैं।
डिजिटल इंडिया की बातः देश की 50%आबादी तक इंटरनेट की पहुंच
डेटा रिपोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 137 करोड़ आबादी में से 102 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन कनेक्शन हैं। यानी कुल आबादी में से 78% के पास मोबाइल है। वहीं, इंटरनेट यूजर्स की बात की जाए तो देश की 50% आबादी तक इंटरनेट की पहुंच है।
2019 तक देश में 68.76 करोड़ लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते थे। इनमें से 40 करोड़ ऐसे थे, जो सोशल मीडिया यूजर्स भी थे।
कैप्टन सौरभ कालिया, करगिल वॉर के पहले शहीद, पहले हीरो। जिनके बलिदान से करगिल युद्ध की शुरुआती इबारत लिखी गई। महज 22 साल की उम्र में 22 दिनों तक दुश्मन उन्हें बेहिसाब दर्द देता रहा। सौरभ के पिता ने पिछले 21 सालों में इंसाफ की जो अपील 500 से ज्यादा चिटि्ठयों के जरिए की हैं, उन कागजों में वो सभी दर्द दर्ज हैं।
पाकिस्तानियों ने सौरभ के साथ अमानवीयता की सारी हदें पार करते हुए उनकी आंखें तक निकाल ली और उन्हें गोली मार दी थीं। दिसंबर 1998 में आईएमए से ट्रेनिंग के बाद फरवरी 1999 में उनकी पहली पोस्टिंग करगिल में 4 जाट रेजीमेंट में हुई थी। जब मौत की खबर आई तो बमुश्किल चार महीने ही तो हुए थे सेना ज्वाइन किए।
तारीख 3 मई 1999, ताशी नामग्याल नाम के एक चरवाहे ने करगिल की ऊंची चोटियों पर कुछ हथियारबंद पाकिस्तानियों को देखा और इसकी जानकारी इंडियन आर्मी को आकर दी थी। 14 मई को कैप्टन कालिया पांच जवानों के साथ पेट्रोलिंग पर निकल गए। जब वे बजरंग चोटी पर पहुंचे तो उन्होंने वहां हथियारों से लैस पाकिस्तानी सैनिकों को देखा।
कैप्टन कालिया की टीम के पास न तो बहुत हथियार थे न अधिक गोला बारूद। और साथ सिर्फ पांच जवान। वे तो पेट्रोलिंग के लिए निकले थे। दूसरी तरफ पाकिस्तानी सैनिकों की संख्या बहुत ज्यादा थी और गोला बारूद भी। पाकिस्तान के जवान नहीं चाहते थे कि ये लोग वापस लौटे। उन्होंने चारों तरह से कैप्टन कालिया और उनके साथियों को घेर लिया।
कालिया और उनके साथियों ने जमकर मुकाबला किया लेकिन जब उनका एम्युनेशन खत्म हो गया तो पाकिस्तानियों ने उन्हें बंदी बना लिया। फिर जो किया उसे लिखना भी मुश्किल है। उन्होंने कैप्टन कालिया और उनके पांच सिपाही अर्जुन राम, भीका राम, भंवर लाल बगरिया, मूला राम और नरेश सिंह की हत्या कर दी और भारत को उनके शव सौंप दिए।
कैप्टन कालिया के छोटे भाई वैभव कालिया बताते हैं कि उस समय बमुश्किल बात हो पाती थी, उनकी ज्वाइनिंग को मुश्किल से तीन महीने हुए थे। हमने तो उन्हें वर्दी में भी नहीं देखा था। फोन तो तब था नहीं, सिर्फ चिट्ठी ही सहारा थी, वो भी एक महीने में पहुंचती थी। एक अखबार से हमें सौरभ के पाकिस्तानी सेना के कब्जे में होने की जानकारी मिली। लेकिन हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए हमने लोकल आर्मी कैंटोनमेंट से पता किया।
मई 1999 की दोपहर जब सौरभ की मम्मी विजया कालिया को ये खबर मिली की उनके बेटे का शव मिल गया है तो वह ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाईं। जब कैप्टन कालिया का शव उनके घर पहुंचा तो सबसे पहले भाई वैभव ने देखा। वे बताते हैं कि उस समय हम उनकी बॉडी पहचान तक नहीं कर पा रहे थे। चेहरे पर कुछ बचा ही नहीं था। न आंखें न कान। सिर्फ आइब्रो बची थीं। उनकी आइब्रो मेरी आइब्रो जैसी थीं, इसी से हम उनके शव को पहचान पाए।
सौरभ ने आखिरी बार अपने भाई को अप्रैल में उसके बर्थडे पर फोन किया था। और 24 मई को जब सौरभ का आखिरी खत घर पहुंचा, तब वो पाकिस्तानियों के कब्जे में थे। अपनी मां को कुछ ब्लैंक चेक साइन कर के दे गए थे, ये कहकर किमेरी सैलेरी से जितने चाहे पैसे निकाल लेना। लेकिन, सौरभ की पहली सैलरी उनकी शहादत के बाद अकाउंट में आई।
शहादत के 21 साल बाद भी शायद ही कोई दिन होगा जो उनके यादों के बिना गुजरता होगा। वैभव कहते हैं कि वे आज भी हम सब के बीच हैं, उनकी मौजूदगी का हमें एहसास होता है। मां अक्सर उनके बचपन के किस्से सुनाया करती हैं, बच्चों को हम उनकी वीरता की कहानी सुनाते हैं। उन्हें और उनकी पूरी फैमिली को लोग सौरभ कालिया के नाम से जानते हैं।
वैभव बताते हैं कि वो जब कभी मुसीबत में होते हैं तो अपने भाई को याद करते हैं। और सोचता हूं, उनके साथ जो हुआ, जिन मुश्किलों का सामना उन्होंने किया उसके सामने हमारी तकलीफें कुछ भी नहीं है।
सौरभ को बचपन से ही आर्मी में जाना था। उन्होंने 12वीं के बाद एएफएमसी का एग्जाम दिया, लेकिन वे पास नहीं कर सके। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सीडीएस की परीक्षा दी और उनका सिलेक्शन भी हो गया। हम सभी बहुत खुश थे, मां-पापा को भी गर्व था कि उनका बेटा आर्मी में गया है।
सिलेक्शन के बाद डॉक्यूमेंट की वजह से उनकी ज्वाइनिंग में दो-तीन महीने की देर हो गई। उनके पास ट्रेनिंग के लिए अगली बैच में जाने का मौका था, लेकिन उन्होंने देरी के बाद भी उसी बैच में जाने का फैसला लिया। उन्होंने ट्रेनिंग के गैप को पाटने के लिए खूब मेहनत की और दिसंबर 1998 में आईएमए से पास आउट हुए।
वे बताते हैं कि अगर सौरभ ने उस समय ज्वाइन न कर अगले बैच में ज्वाइन किया होता तो वे जून-जुलाई में पास आउट होते। तब शायद बात कुछ और होती।
इन 21 सालों में सौरभ के परिवार ने उन्हें न्याय दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया है। ह्यूमन राइट कमीशन, भारत सरकार और सेना के न जाने कितने चक्कर काटे। उनका परिवार चाहता है कि पाकिस्तान ने जो दरिंदगी सौरभ और उसके साथ पेट्रोलिंग पर गए जवानों के साथ दिखाई उसे लेकर पाकिस्तान पर कार्रवाई हो।
मामले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस तक ले जाया जाए। लेकिन, इसके लिए पहल सरकार को करना होगी। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है। उनके पिता के पास सौरभ के लिए देशभर में लगाई अपीलों से जुड़ी एक फाइल है। वो कहते हैं जब तक जिंदा हूं, तब तक इंसाफ की कोशिश करता रहूंगा।