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पीएम केयर्स फंड के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना सकता है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने 27 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) एनजीओ ने इस मामले में पिटीशन लगाई थी। उसका कहना है कि पीएम केयर्स फंड बनाकर सरकार ने आपदा प्रबंधन कानून की अनदेखी की है।
सीपीआईएल की दलील है कि आपदा प्रबंधन के लिए किसी भी व्यक्ति या संस्था से दान में मिलने वाली रकम नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) के खाते में डाली जानी चाहिए। पीएम केयर्स फंड में जो भी रकम मिली है, उसे एनडीआरएफ में ही ट्रांसफर किया जाए।
पीएम केयर्स फंड क्या है?
सरकार ने 28 मार्च को पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के तौर पर यह फंड बनाया था। इसका मकसद कोरोना जैसी इमरजेंसी से निपटने के इंतजाम करना था। कोरोना काल में कॉरपोरेट से लेकर इंडिविजुअल तक ने इस फंड में डोनेशन दी।
आपत्ति क्यों उठी?
सीपीआईएल एनजीओ की दलील है कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 46 के तहत नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फंड में दान की रकम जमा करने की व्यवस्था है, तो फिर कोरोना से लड़ाई के लिए मिलने वाली डोनेशन पीएम केयर्स फंड में जमा क्यों करवाई जा रही है? पीएम केयर्स फंड का कैग से ऑडिट भी नहीं करवाया जा रहा।
सरकार का क्या कहना है?
सरकार ने 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दिया था। उसका कहना है कि कोरोना से राहत के कामों के लिए पीएम केयर्स फंड बनाया गया था। पहले भी ऐसे कई फंड बनाए जाते रहे हैं। एनडीआरएफ जैसा संवैधानिक फंड होने का मतलब यह नहीं है कि वॉलेंटरी डोनेशन के लिए पीएम केयर्स जैसे दूसरे फंड नहीं बनाए जा सकते। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि पीएम केयर्स फंड बनाने का मकसद एनडीआरएफ को फेल करना नहीं था, जैसा कि पिटीशनर ने आरोप लगाया है।
फाइनल ईयर और सेमेस्टर की परीक्षाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई होगी। इससे पहले 14 अगस्त को हुई सुनवाई में कोर्ट ने अपना फैसला 18 अगस्त तक के लिए टाल दिया था। फाइनल ईयर परीक्षाओं को लेकर जारी यूजीसी की गाइडलाइन को चुनौती देती याचिका पर न्यायधीश जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच सुनवाई कर रही है।
वहीं, यूजीसी और सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे हैं, जबकि छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी रख रहे हैं। जबकि आदित्य ठाकरे की युवा सेना के एक अन्य मामले में छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान रख रहे हैं।
पिछली सुनवाई में क्या?
सरकार ने कहा- UGC को नियम बनाने का अधिकार
सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट में कहा कि फाइनल ईयर की परीक्षा कराना ही छात्रों के हित में है। सरकार और UGC का पक्ष कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे थे। उन्होंने सुनवाई के दौरान कोर्ट से यह भी कहा कि परीक्षा के मामले में नियम बनाने का अधिकार UGC को ही है।
राज्यों के पास परीक्षा रद्द करने की शक्ति नहीं
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुंबई और दिल्ली राज्यों की तरफ से दिए गए एफिडेविट यूजीसी की गाइडलाइंस से बिल्कुल उलट हैं। तुषार मेहता ने कहा कि जब UGC ही डिग्री जारी करने का अधिकार रखती है। तो फिर राज्य कैसे परीक्षाएं रद्द कर सकते हैं?
UGC की दलील- स्टैंडर्ड खराब होंगे
इससे पहले यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि फाइनल ईयर की परीक्षा रद्द करने का दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार का फैसला देश में उच्च शिक्षा के स्टैंडर्ड को सीधे प्रभावित करेगा। दरअसल, यूजीसी के सितंबर के अंत तक फाइनल ईयर की परीक्षा कराने के फैसले के खिलाफ जारी याचिका पर कोर्ट में जवाब दिया।
क्या है स्टूडेंट्स की मांग
दायर याचिका में स्टूडेंट्स ने फाइनल ईयर की परीक्षा रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही स्टूडेंट्स ने आंतरिक मूल्यांकन या पिछले प्रदर्शन के आधार पर पदोन्नत करने की भी मांग की है। इससे पहले पिछली सुनवाई में, यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा था कि राज्य नियमों को बदल नहीं सकते हैं और परीक्षा ना कराना छात्रों के हित में नहीं है। 31 छात्रों की तरफ से केस लड़ रहे अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा है कि, हमारा मसला तो यह है कि UGC की गाइडलाइंस कितनी लीगल हैं।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने परीक्षाओं पर लगाई रोक
दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने फाइनल ईयर परीक्षाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक राज्य में परीक्षाओं पर रोक लगा दी है। 6 जुलाई को जारी गाइंडलाइंस में यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों में फाइनल ईयर या सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक कराने के निर्देश दिए गये थे। वहीं, फैसले के बाद से ही स्टूडेंट्स फिजिकली परीक्षा आयोजित कराने का लगातार विरोध कर रहे हैं।
कोरोनावायरस के दौर में क्रिकेट तो शुरू हो चुकी है, लेकिन लीग क्रिकेट का आगाज आज से होगा। वेस्ट इंडीज में आज से कैरेबियन प्रीमियर लीग सीजन 8 शुरू होगा। हालांकि, यह कितना कामयाब रहेगी? इस पर सवाल उठने लगे हैं। कुछ स्पॉन्सर भी इसे लेकर बहुत संतुष्ट नहीं हैं। वजह साफ है। स्टैंड्स में दर्शक नहीं होंगे। इस बार क्रिस गेल भी इस घरेलू लीग में नहीं खेल रहे हैं।
प्रवीण तांबे इस लीग में अकेले भारतीय खिलाड़ी हैं। वे ट्रिनिबागो नाइट राइडर्स की तरफ से खेलेंगे।
10 सितंबर तक चलेगी सीपीएल
इस लीग में कुल 33 मैच खेले जाएंगे। 18 अगस्त को पहला मैच होगा। 10 सितंबर को फाइनल खेला जाएगा। आठवें सीजन में कुल 6 टीमें हिस्सा ले रही हैं। पहला मैच आज ट्रिनबागो नाइट राइडर्स और गुयाना अमेजन वॉरियर्स के बीच खेला जाएगा। भारतीय समय के मुताबिक, यह मैच शाम साढ़े सात बजे शुरू होगा। महामारी की वजह से इस बार सिर्फ दो स्टेडियम में मैच खेले जाएंगे। ये दो मैदान हैं- ब्रायन लारा एकेडमी टाराबो और क्वींस पार्क ओवल पोर्ट ऑफ स्पेन।
प्रवीण तांबे ट्रिनबागो नाइट राइडर्स से खेलेंगे
48 साल के प्रवीण तांबे इस लीग में खेलने वाले इकलौते भारतीय बनने जा रहे हैं। दाएं हाथ के लेग स्पिनर तांबे इंडियन प्रीमियर लीग में कोलकाता नाइट राइडर्स की तरफ से खेलते हैं। सीपीएल में वे ट्रिनबागो नाइट राइडर्स की तरफ से मैदान में उतरेंगे। यह टीम वास्तव में कोलकाता नाइट राइडर्स का ही हिस्सा या कहें दूसरी टीम है। इस बार तांबे को आईपीएल की किसी टीम में जगह नहीं मिली।
गेल नहीं खेलेंगे
क्रिस गेल दुनिया की तमाम लीग क्रिकेट में खेलते रहे हैं। लेकिन, वो सीपीएल 2020 की हिस्सा नहीं होंगे। दरअसल, गेल का अपनी पिछली फ्रेंचाइजी जमैका तालावास के कोच रामनरेश सरवन से विवाद हो गया था। बाद में उन्होंने इसे छोड़ दिया। बाद में सरवन ने भी इस टीम से किनारा कर लिया था। रिकॉर्ड्स की बात करें तो गेल ने 103 टेस्ट में 42.19 की औसत से 7215 रन बनाए हैं। उनके नाम 300 वनडे में 10480 और 58 टी-20 में 1627 रन हैं। गेल ने आईपीएल के 125 मैच में 4484 रन बनाए हैं।
गृह मंत्री अमित शाह को मंगलवार सुबह एम्स में भर्ती किया गया है। उन्हें सांस लेने में परेशानी बताई जा रही है। 8 दिन पहले उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी।
पीएम केयर्स फंड के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना सकता है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने 27 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) एनजीओ ने इस मामले में पिटीशन लगाई थी। उसका कहना है कि पीएम केयर्स फंड बनाकर सरकार ने आपदा प्रबंधन कानून की अनदेखी की है।
सीपीआईएल की दलील है कि आपदा प्रबंधन के लिए किसी भी व्यक्ति या संस्था से दान में मिलने वाली रकम नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) के खाते में डाली जानी चाहिए। पीएम केयर्स फंड में जो भी रकम मिली है, उसे एनडीआरएफ में ही ट्रांसफर किया जाए।
पीएम केयर्स फंड क्या है?
सरकार ने 28 मार्च को पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के तौर पर यह फंड बनाया था। इसका मकसद कोरोना जैसी इमरजेंसी से निपटने के इंतजाम करना था। कोरोना काल में कॉरपोरेट से लेकर इंडिविजुअल तक ने इस फंड में डोनेशन दी।
आपत्ति क्यों उठी?
सीपीआईएल एनजीओ की दलील है कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 46 के तहत नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फंड में दान की रकम जमा करने की व्यवस्था है, तो फिर कोरोना से लड़ाई के लिए मिलने वाली डोनेशन पीएम केयर्स फंड में जमा क्यों करवाई जा रही है? पीएम केयर्स फंड का कैग से ऑडिट भी नहीं करवाया जा रहा।
सरकार का क्या कहना है?
सरकार ने 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दिया था। उसका कहना है कि कोरोना से राहत के कामों के लिए पीएम केयर्स फंड बनाया गया था। पहले भी ऐसे कई फंड बनाए जाते रहे हैं। एनडीआरएफ जैसा संवैधानिक फंड होने का मतलब यह नहीं है कि वॉलेंटरी डोनेशन के लिए पीएम केयर्स जैसे दूसरे फंड नहीं बनाए जा सकते। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि पीएम केयर्स फंड बनाने का मकसद एनडीआरएफ को फेल करना नहीं था, जैसा कि पिटीशनर ने आरोप लगाया है।
कोर्ट की अवमानना के दोषी ठहराए गए सीनियर एडव्होकेट प्रशांत भूषण के समर्थन में कई जज और वकील आगे आए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इनकी संख्या 3000 से ज्यादा है। उन्होंने सुझाव दिया है कि कोर्ट के फैसले पर तब तक अमल नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि कोरोना महामारी के बाद शुरू होने वाली कोर्ट की नियमित सुनवाई में बड़ी बेंच इसका रिव्यू न कर ले।
प्रशांत के समर्थन आए लोगों ने अपने सुझाव में कहा, “हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते 72 घंटे में उठी सभी आवाजों को सुना होगा और न्याय को खत्म होने से रोकने के लिए सुधार करने वाले कदम उठाए जाएंगे, ताकि आम जनता में फिर से कोर्ट के लिए सम्मान और विश्वास पैदा हो सके।”
खुद प्रशांत भूषण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाने वाले वकीलों को फ्री स्पीच के तहत ऐसा करने की इजाजत दी जानी चाहिए। भूषण 2009 में तहलका मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में अपनी टिप्पणी पर आपराधिक अवमानना के आरोपों का जवाब दे रहे थे। उनके वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे इस मामले में रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे।
3000 से ज्यादा जज और वकील के समर्थन में आने का दावा
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि प्रशांत भूषण के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। इससे संबंधित एप्लीकेशन पर 13 जजों समेत 3000 से ज्यादा वकील दस्तखत कर चुके हैं। हालांकि, न्यूज एजेंसी पीटीआई ने इनकी संख्या 41 बताई है।
ये वकील प्रशांत के समर्थन में
प्रशांत भूषण के समर्थन में आए वकीलों में जनक द्वारकाधीश, नवरोज एच सीरवई, दाईरस जे खम्बाता, जयंत भूषण, अरविंद पी दातार, हुफेजा अहमदी, सीयू सिंह, श्याम दीवान, संजय हेगड़े, मिहिर देसाई, मनेका गुरुस्वामी के नाम सामने आए हैं।
14 अगस्त को दोषी ठहराया था
प्रशांत भूषण को जस्टिस अरुण मिश्र की अगुआई वाली 3 जजों की बेंच ने 14 अगस्त को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। उन्होंने ज्युडिशियरी पर 2 अपमानजनक ट्वीट किए थे। अब इस मामले में 20 अगस्त को सजा पर बहस होनी है। उन्हें 6 महीने की कैद या 2000 रुपए जुर्माना या दोनों सजा सुनाई जा सकती है।
प्रशांत भूषण के इन 2 ट्वीट को अवमानना माना
पहला ट्वीट: 27 जून- जब इतिहासकार भारत के बीते 6 सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट, खासकर 4 पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे। दूसरा ट्वीट: 29 जून- इसमें वरिष्ठ वकील ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की। सीजेआई बोबडे की आलोचना करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।
भूषण को पहले भी अवमानना का नोटिस दिया गया था
प्रशांत भूषण को नवंबर 2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस दिया था। तब उन्होंने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों पर टिप्पणी की थी।
from Dainik Bhaskar /national/news/lawyers-support-prashant-bhushan-in-contempt-case-say-verdict-holding-him-guilty-be-not-be-given-effect-127626541.html
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देश में बीते 24 घंटे में कोरोना के 54 हजार 300 केस आए। राहत की बात यह रही कि इससे ज्यादा 58 हजार 172 ठीक हो गए। कल सबसे ज्यादा 4753 एक्टिव केस कम हुए। इससे पहले 29 मई को 3866 एक्टिव केस कम हुए थे। देश में कोरोना महामारी की शुरुआत से अभी तक 6 बार ही ऐसा हुआ है, जब एक्टिव केस में कमी आई है। ऐसा तभी होता है, जब एक दिन में नए संक्रमितों से ज्यादा मरीज ठीक हो जाते हैं।
202 दिनों में 6 बार ऐसा हुआ, जब एक्टिव केस में कमी आई
तारीख
एक्टिव केस कम हुए
14 फरवरी
3
29 मई
3866
15 जून
1006
04 अगस्त
799
03 अगस्त
278
17 अगस्त
4753
उधर, देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 27 लाख 1 लाख 604 हो गई है। सोमवार को महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 8493 केस आए। सबसे ज्यादा 3127 मरीज यहीं ठीक हुए। 6780 केस के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर रहा।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
प्रदेश में बीते चार दिन में करीब 4000 नए कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं, लेकिन अगस्त के बीते 17 दिन कुछ राहत भरे रहे हैं, क्योंकि इस दौरान 13771 नए केस मिले, जबकि 12056 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट गए। यानी रिकवरी रेट 87.55 प्रतिशत। अब नए संक्रमित और हर दिन स्वस्थ होने वालों का अंतर सिर्फ 12.5% रह गया है। यह आंकड़ा बीते पांच माह में सबसे अधिक है और पूरे जुलाई की तुलना में करीब दोगुना से भी ज्यादा है।
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ने के दो कारण प्रमुख हैं। पहला- बड़े पैमाने पर टेस्टिंग। केस जल्द सामने आ रहे हैं। सर्वे कर संक्रमितों की पहचान की जा रही है। दूसरा- ज्यादातर मरीजों का एसिंप्टोमैटिक होना है।
2. राजस्थान
राज्य में 1334 रोगी मिले, जबकि 11 रोगियों ने दम तोड़ दिया। मृतकों में जयपुर और बीकानेर के 3-3, बांसवाड़ा और कोटा के 2-2 जबकि अजमेर का एक रोगी शामिल है। तीन दिन पहले 14 अगस्त को विधानसभा सत्र में शामिल हुए फलोदी विधायक पब्बाराम बिश्नोई में भी संक्रमण की पुष्टि हुई है। वे सत्र के दौरान कई विधायकों से भी मिले थे। उनका बेटा व पोता भी पॉजिटिव आया है।
इसके अलावा राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत के पॉजिटिव आने के एक दिन बाद उनकी पत्नी भी संक्रमित मिली। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के बेटे पराक्रम को भी कोरोना हुआ है। हालांकि, राठौड़ समेत परिवार के बाकी 16 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। हाईकोर्ट के दो जज भी संक्रमित पाए गए हैं।
3. बिहार
राज्य में धीरे-धीरे लोगों में कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता (एंटीबॉडी) विकसित होने लगा है। यह खुलासा पूरे देश में किए गए सीरो सर्वे में हुआ है। देश के 66 जिलों में हुए सर्वे में सात जिले बिहार के भी हैं। इनमें पटना, वैशाली, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, कटिहार और भागलपुर शामिल है। इस हिसाब से इन सात जिलों में औसतन 18.81% आबादी में कोरोना के विरुद्ध एंटीबॉडी विकसित हो रही है। इनमें सबसे अधिक समस्तीपुर में 27.8%, भोजपुर में 21%, वैशाली में 19.7%, पटना में 18.80%, भागलपुर में 18.60%, मुजफ्फरपुर में 16.80% और सबसे कम कटिहार के 9% आबादी में कोरोना से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। उधर, राज्य में पिछले 24 घंटे में 1 लाख 7 हजार 727 सैंपल की जांच हुई।
4. महाराष्ट्र
राज्य में कोरोना संक्रमित की संख्या छह लाख के पार चली गई है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बताया कि राज्य में लॉकडाउन हटाने की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। ठाकरे ने कहा कि अभी संक्रमण का खतरा है। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि राज्य में संक्रमण की दूसरी लहर आए।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में विधानसभा सत्र होने से पहले ही यहां के 20 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। सत्र शुरू होने से पहले 600 कर्मचारियों का टेस्ट किया गया था। इनमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। विधानसभा सत्र 20 अगस्त से शुरू होगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि फिलहाल भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट सीरीज संभव नहीं है। इमरान ने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं, और ऐसे में द्विपक्षीय सीरीज की बात करना डरावना होगा। इमरान पाकिस्तान के पूर्व कप्तान हैं। 1992 में उनकी कप्तानी में ही पाकिस्तान ने विश्व कप जीता था।
इमरान ने उन दो दौरों का भी जिक्र किया। जब वो पाकिस्तान टीम के साथ भारत गए थे। 1987 के इंडिया टूर पर इमरान ने कहा- तब मेरे प्लेयर्स को बाउंड्री पर हेल्मेट लगाकर फील्डिंग करनी पड़ी थी।
मैदान पर भी हालात अच्छे नहीं होंगे
पाकिस्तान टीम आखिरी बार 2012 में भारत आई थी। तब दो टी-20 और तीन वनडे इंटरनेशनल खेले गए थे। ऑस्ट्रेलिया के एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में इमरान से भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट सीरीज पर सवाल पूछा गया। इस पर खान ने कहा- फिलहाल, ये बिल्कुल मुमकिन नहीं है। जिस तरह के हालात हैं, उसमें क्रिकेट खेलना भयावह होगा। मैदान पर भी हालात अच्छे नहीं होंगे।
दो दौरों का जिक्र
एक सवाल के जवाब में इमरान ने कहा- मैं दो बार भारत दौरे पर गया। पहली बार 1979 में और दूसरी बार 1987 में। पहली बार गया तब भी तनाव था। लेकिन, दोनों सरकारें इसे कम करने की कोशिश कर रहीं थीं। इसलिए माहौल बहुत अच्छा था। दूसरी बार यानी 1987 में हालात बहुत खराब थे। दोनों देशों के बीच काफी तनाव था। इसका असर मैदान पर दिखा। मेरे प्लेयर्स को बाउंड्री लाइन पर हेल्मेट लगाकर फील्डिंग करनी पड़ी, क्योंकि दर्शक पत्थर फेंक रहे थे।
खुद के मुल्क की तारीफ
इमरान ने टीम इंडिया के 2005 के पाकिस्तान दौरे को बेहद कामयाब बताते हुए सिर्फ अपने मुल्क और दर्शकों की तारीफ की। कहा- 2005 में टीम इंडिया ने पाकिस्तान को उसी के घर में हराया। दर्शक टीम इंडिया की तारीफ कर रहे थे। उस वक्त माहौल बेहद शानदार था। मैं मानता हूं कि भारत और पाकिस्तान की सीरीज एशेज से भी बेहतर होती है।
देश में बीते 24 घंटे में कोरोना के 54 हजार 300 केस आए। राहत की बात यह रही कि इससे ज्यादा 58 हजार 172 ठीक हो गए। कल सबसे ज्यादा 4753 एक्टिव केस कम हुए। इससे पहले 29 मई को 3866 एक्टिव केस कम हुए थे। देश में कोरोना महामारी की शुरुआत से अभी तक 6 बार ही ऐसा हुआ है, जब एक्टिव केस में कमी आई है। ऐसा तभी होता है, जब एक दिन में नए संक्रमितों से ज्यादा मरीज ठीक हो जाते हैं।
202 दिनों में 6 बार ऐसा हुआ, जब एक्टिव केस में कमी आई
तारीख
एक्टिव केस कम हुए
14 फरवरी
3
29 मई
3866
15 जून
1006
04 अगस्त
799
03 अगस्त
278
17 अगस्त
4753
उधर, देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 27 लाख 1 लाख 604 हो गई है। सोमवार को महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 8493 केस आए। सबसे ज्यादा 3127 मरीज यहीं ठीक हुए। 6780 केस के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर रहा।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
प्रदेश में बीते चार दिन में करीब 4000 नए कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं, लेकिन अगस्त के बीते 17 दिन कुछ राहत भरे रहे हैं, क्योंकि इस दौरान 13771 नए केस मिले, जबकि 12056 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट गए। यानी रिकवरी रेट 87.55 प्रतिशत। अब नए संक्रमित और हर दिन स्वस्थ होने वालों का अंतर सिर्फ 12.5% रह गया है। यह आंकड़ा बीते पांच माह में सबसे अधिक है और पूरे जुलाई की तुलना में करीब दोगुना से भी ज्यादा है।
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ने के दो कारण प्रमुख हैं। पहला- बड़े पैमाने पर टेस्टिंग। केस जल्द सामने आ रहे हैं। सर्वे कर संक्रमितों की पहचान की जा रही है। दूसरा- ज्यादातर मरीजों का एसिंप्टोमैटिक होना है।
2. राजस्थान
राज्य में 1334 रोगी मिले, जबकि 11 रोगियों ने दम तोड़ दिया। मृतकों में जयपुर और बीकानेर के 3-3, बांसवाड़ा और कोटा के 2-2 जबकि अजमेर का एक रोगी शामिल है। तीन दिन पहले 14 अगस्त को विधानसभा सत्र में शामिल हुए फलोदी विधायक पब्बाराम बिश्नोई में भी संक्रमण की पुष्टि हुई है। वे सत्र के दौरान कई विधायकों से भी मिले थे। उनका बेटा व पोता भी पॉजिटिव आया है।
इसके अलावा राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत के पॉजिटिव आने के एक दिन बाद उनकी पत्नी भी संक्रमित मिली। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के बेटे पराक्रम को भी कोरोना हुआ है। हालांकि, राठौड़ समेत परिवार के बाकी 16 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। हाईकोर्ट के दो जज भी संक्रमित पाए गए हैं।
3. बिहार
राज्य में धीरे-धीरे लोगों में कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता (एंटीबॉडी) विकसित होने लगा है। यह खुलासा पूरे देश में किए गए सीरो सर्वे में हुआ है। देश के 66 जिलों में हुए सर्वे में सात जिले बिहार के भी हैं। इनमें पटना, वैशाली, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, कटिहार और भागलपुर शामिल है। इस हिसाब से इन सात जिलों में औसतन 18.81% आबादी में कोरोना के विरुद्ध एंटीबॉडी विकसित हो रही है। इनमें सबसे अधिक समस्तीपुर में 27.8%, भोजपुर में 21%, वैशाली में 19.7%, पटना में 18.80%, भागलपुर में 18.60%, मुजफ्फरपुर में 16.80% और सबसे कम कटिहार के 9% आबादी में कोरोना से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। उधर, राज्य में पिछले 24 घंटे में 1 लाख 7 हजार 727 सैंपल की जांच हुई।
4. महाराष्ट्र
राज्य में कोरोना संक्रमित की संख्या छह लाख के पार चली गई है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बताया कि राज्य में लॉकडाउन हटाने की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। ठाकरे ने कहा कि अभी संक्रमण का खतरा है। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि राज्य में संक्रमण की दूसरी लहर आए।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में विधानसभा सत्र होने से पहले ही यहां के 20 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। सत्र शुरू होने से पहले 600 कर्मचारियों का टेस्ट किया गया था। इनमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। विधानसभा सत्र 20 अगस्त से शुरू होगा।
खबरों की दुनिया में कल क्या घटा और आज क्या होने वाला है? कल की बड़ी खबरें आपने मिस कर दी हों या आज की बड़ी खबरें जानना चाहते हैं तो पढ़िए ये मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ।
पहले जान लेते हैं आज क्या खास होने वाला है...
सुप्रीम कोर्ट में तय होगा कि डिग्री के लिए फाइनल ईयर और सेमेस्टर के स्टूडेंट्स को परीक्षा देनी पड़ेगी या नहीं। कोर्ट यूजीसी गाइडलाइन के खिलाफ छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
सुशांत सिंह राजपूत मामले में सीबीआई अपने अधिकार क्षेत्र को लेकर स्पष्टता चाहती है। इसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। याचिका पर आज सुनवाई होगी।
नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड के लिए खेल मंत्रालय की स्पेशल कमेटी की मीटिंग का आज दूसरा और आखिरी दिन है। आज ही अर्जुन और खेल रत्न पुरस्कार का ऐलान हो सकता है।
बीसीसीआई आज आईपीएल के नए टाइटल स्पॉन्सर का ऐलान करेगा। इस रेस में टाटा सन्स सबसे आगे है।
मालदीव और भारत के बीच आज से ट्रैवल बबल यानी हवाई यात्रा की शुरुआत होगी। ट्रैवल बबल दो देशों के बीच हवाई सेवा के लिए बनाया गया एयर कॉरिडोर होता है। कोरोना के चलते लगे प्रतिबंधों को बीच जरूरी शर्तों के साथ दो देश इसे आपस में शुरू कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के मुताबिक 10वीं और 12वीं की ऑनलाइन क्लासेस आज से शुरू हो जाएंगी।
ये तो बात हुई आज की, अब कल की 10 अहम खबरें...
1. कांग्रेस और भाजपा की ‘हेट स्पीच’ में फंसी फेसबुक
एक ‘हेट स्पीच’ किसी भी नेता को हेडलाइन बना देती है। नेता ‘हेट स्पीच’ देकर सुर्खियों में आते रहे हैं। लेकिन, इस बार उनकी ‘हेट स्पीच’ में फेसबुक फंस गई है। एक अमेरिकी अखबार ने दावा किया कि फेसबुक ने भाजपा नेताओं की ‘हेट स्पीच’ वाली पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई करने में जानबूझकर कोताही बरती। दावे के बाद भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। कांग्रेस जांच के लिए संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) बनाने की मांग कर रही है। वहीं, भाजपा ने कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस के ऊपर ही नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं। ये उनकी खीझ और बौखलाहट है। विवाद में फंसी फेसबुक खुद को निष्पक्ष बता रही है।
कांग्रेस लीडरशिप ये तय नहीं कर पा रही कि उनका अगला अध्यक्ष कौन हो? गांधी परिवार के खास नेता राहुल के नाम की रट लगाते रहते हैं। वहीं, बागी लीडरशिप पर सवाल खड़े करते रहते हैं। नए सवाल कांग्रेस से निलंबित संजय झा ने खड़े किए हैं। उनका दावा है कि पार्टी के करीब 100 नेताओं ने सोनिया गांधी को लीडरशिप बदलने के लिए चिट्ठी लिखी है। हालांकि, झा के दावों को पार्टी ने सिरे से नकारा है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि फेसबुक-भाजपा की साठगांठ से ध्यान हटाने के लिए ऐसे दावे किए जा रहे हैं।
जाने माने शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का सोमवार को 90 साल की उम्र में निधन हो गया। पद्म विभूषण पंडित जसराज पिछले कुछ समय से अपने परिवार के साथ अमेरिका में ही थे। वहीं, उन्होंने अंतिम सांस ली। 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्मे पंडित जसराज ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते थे, जो 4 पीढ़ियों से शास्त्रीय संगीत की परंपरा को आगे बढ़ा रहा था। वे 14 साल की उम्र तक तबला सीखते थे। बाद में उन्होंने गायिकी की तालीम ली।
4. कमला हैरिस ने भारतवंशी सबरीना को प्रेस सेक्रेटरी बनाया
पहले भारतवंशी कमला हैरिस अमेरिका के चुनाव में उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं। अब उन्होंने एक भारतवंशी महिला सबरीना सिंह को अपना प्रेस सेक्रेटरी बनाया है। सबरीना अमेरिका में किसी भी उप राष्ट्रपति उम्मीदवार की प्रेस सेक्रेटरी बनने वाली पहली भारतीय अमेरिकी हैं। 1940 में अमेरिका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले सरदार जेजे सिंह सबरीना के दादा थे। इसी आंदोलन के बाद अमेरिका में हर साल 100 भारतीयों के इमिग्रेशन को अनुमति मिली थी।
5. बिहार में चुनाव से पहले नेताओं की अदला-बदली, नीतीश 3-1 से आगे
दल-बदल की खबरें ज्यादा आना चुनाव की आहट देती हैं। बिहार में इस वक्त वही आहट सुनाई दे रही है। कभी चिराग पासवान नीतीश की मुश्किल बढ़ाते दिखते हैं तो कभी जीतनराम मांझी अपनी कश्ती के लिए नया किनारा तलाशते। सोमवार को भी चार नेताओं ने पाला बदला। जदयू वाले श्याम रजक जो पिछली सरकार तक नीतीश के खास थे। 11 साल बाद वापस राजद में लौट गए। वहीं, तेजस्वी की पार्टी के तीन विधायकों प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव और अशोक कुमार ने जदयू का दामन थाम लिया। जाने की आहट मिलते ही राजद ने रविवार को तीनों को पार्टी से निकाला दिया था।
शूटिंग कोच जसपाल राणा और हॉकी कोच रोमेस पठानिया समेत 13 कोच इस साल द्रोणाचार्य अवॉर्ड से नवाजे जाएंगे। राणा की कोचिंग में मनु भाकर, सौरभ चौधरी और अनीष भानवाला जैसे वर्ल्ड क्लास शूटर निकले हैं। 15 स्पोर्ट्स लीजेंड्स को मेजर ध्यानचंद सम्मान के लिए चुना गया है। खेल मंत्रालय की 12 सदस्यीय स्पेशल कमेटी की मीटिंग के पहले दिन इन नामों का ऐलान हुआ। आज मीटिंग का दूसरा दिन होगा। इसके बाद राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड विजेताओं के नाम घोषित किए जाएंगे।
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। अब उनके दोस्त और सीरियल पवित्र रिश्ता के डायरेक्टर कुशल झवेरी ने एक वॉट्सऐप चैट जारी कर दावा किया है कि सुशांत डिप्रेशन में नहीं थे। बताया जा रहा है कि यह चैट 1 या 2 जून के बीच की है। इसे सुशांत और कुशल के बीच चैट पर हुई आखिरी बातचीत भी कहा जा रहा है। जो स्क्रीनशॉट झावेरी की ओर से शेयर किए गए हैं, उसमें सुशांत और वह दोनों बीते दिनों की बात कर रहे हैं।
8. 60 साल में आए 10 जानलेवा वायरस, कौन कितना खतरनाक
पिछले साठ साल में जितने वायरस आए उनमें कोरोना पहला है ,जो दुनिया के 215 देशों और द्वीपों तक फैला है। इससे पहले किसी भी वायरस का प्रकोप इतने देशों तक नहीं फैला। कोरोना को लेकर राहत की बात ये है कि इसका डेथ रेट बाकी संक्रमणों के मुकाबले काफी कम है। इसकी चपेट में आए 3.5% लोगों की जान गई है। डेथ रेट के मामले में सबसे खतरनाक वायरस मारबर्ग था। इसके चपेट में आए 80% लोगों की जान गई थी।
वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन का अनुमान है कि 2100 तक धरती का तापमान 3 से 5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो धरती के कई इलाकों में इंसानों का रह पाना आसान नहीं होगा। भारत के हालात भी कुछ ऐसे ही रहने हैं। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि गर्मी बढ़ने की वजह से 2030 तक साउथ एशिया में 4.3 करोड़ से ज्यादा नौकरियां खत्म हो जाएंगी। इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ेगा, क्योंकि 2030 तक बढ़ती गर्मी से 3.4 करोड़ लोगों की नौकरियां चली जाएंगी।
10. NEET और JEE मेन 2020 प्रवेश परीक्षाएं नहीं टलेंगी
NEET और JEE मेन 2020 प्रवेश परीक्षाओं को टालने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। अब 1 सितंबर से 6 सितंबर तक JEE मेन 2020 की परीक्षा होगी। वहीं, 13 सितंबर को तय शेड्यूल के हिसाब से ही NEET 2020 का आयोजन होगा। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जिंदगी को ऐसे रोका नहीं जा सकता। हमें सुरक्षा उपायों के साथ आगे बढ़ना होगा, छात्रों का भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते। कोर्ट ने याचिकाकर्ता छात्रों से यह भी पूछा कि, क्या आप परीक्षाओं को रद्द करवा कर अपना एक साल बर्बाद करना चाहते हैं?
आज के दिन इतिहास में क्या खास रहा, आइये जानते हैं ...
18 अगस्त 1951 को भारत को पहला आईआईटी यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी मिला। कोलकाता के पास खड़गपुर में इस संस्थान का उद्घाटन देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने किया था।
आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि है। 18 अगस्त 1945 को ताइवान के नजदीक हुई एक हवाई दुर्घटना में नेताजी की मौत हुई थी। हालांकि, उनकी मृत्यु रहस्यमयी ही रही और अक्सर उसको लेकर सवाल उठते रहे। नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ था। 1920 में उन्होंने इंग्लैंड में इंडियन सिविल सर्विस एग्जामिनेशन क्लियर किया था।
आज गुलजार का जन्मदिन है। वहीं, बिहार की राजनीति में नेताओं का दल-बदल जारी है। राजनीति की इसी दल-बदल पर चलते-चलते गुलजार की ये दो लाइनें…
कटरा में लोग पीढ़ियों से घोड़ा-खच्चर चलाने का काम कर रहे हैं। कई यही काम करते-करते होटलों और रेस्टोरेंट के मालिक बन गए। कुछ अब भी यही कर रहे हैं। इन लोगों के लिए घोड़ा-खच्चर सिर्फ कमाई का जरिया नहीं हैं, बल्कि परिवार का हिस्सा हैं। इनका जीवन इन्हीं से चलता है। इन्हें चौबीसों घंटे आंखों के सामने ही रखते हैं। घर में जिस तरह बच्चों के लिए एक कमरा होता है, उसी तरह ये लोग अपने घोड़े-खच्चर के लिए एक कमरा या बाड़ा रखते हैं। घोड़े के मर जाने पर ऐसे शोक मनाते हैं, जैसे इंसानों के न रहने पर मनाया जाता है।
लॉकडाउन में कटरा में करीब 15 घोड़ों और खच्चरों की भूख के चलते मौत हो गई। 18 मार्च से यात्रा बंद होने के बाद से ही इन लोगों का कामधंधा भी बंद हो गया था। एक घोड़े-खच्चर की डाइट पर एक दिन में 400 से 500 रुपए खर्च होते हैं। इन्हें चना और फल खिलाए जाते हैं। लेकिन, लॉकडाउन में मालिक अपने जानवरों को यह डाइट दे नहीं पाए, क्योंकि उनके तो खुद ही खाने-पीने के लाले पड़ गए थे। इसी के चलते अप्रैल से जुलाई के बीच में एक-एक करके करीब 15 घोड़े-खच्चर मारे गए। जानवरों के इस तरह मारे जाने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। इसके बाद प्रशासन और श्राइन बोर्ड हरकत में आए और जानवरों के लिए डाइट दी गई। हालांकि, पिछले 6 माह में दो बार ही बोर्ड से यह मदद इन लोगों को मिल पाई।
माता के ट्रैक पर 20 सालों से घोड़ा चला रहे अजय कुमार का घोड़ा भूख के चलते अप्रैल में मर गया। उनके पास एक ही घोड़ा था। कहते हैं, हमारे लिए तो ये बच्चों की तरह होते हैं, क्योंकि हमारा जीवन इन से ही चलता है। हम बाड़ा ऐसी जगह बनाते हैं, जहां से चौबीसों घंटे हमारा घोड़ा हमें दिखे। जब उसे प्यास लगे तब तुरंत पानी दे पाएं। बहुत से लोग कमरे में घोड़ा रखते हैं। मेरा घोड़ा मर गया, अभी तक कुछ मदद तो मिली नहीं। अब नया घोड़ा खरीदने की हैसियत भी नहीं है। इसलिए किराये का घोड़ा चलाऊंगा। हम पीढ़ियों से यही काम करते आ रहे हैं। कटरा के ही मांगीराम का घोड़ा भी लॉकडाउन में मर गया। उनके पास भी अब नया घोड़ा खरीदने के पैसे नहीं हैं और वो भी बेरोजगार हो गए हैं।
2015 के पहले 16-17 हजार घोड़े-खच्चर ट्रैक पर दौड़ते थे। इनसे गंदगी भी फैलती थी। इसी का मुद्दा बन गया और इसके बाद प्रशासन ने घोड़े-खच्चर की लिमिट 4500 तय कर दी। अब इससे ज्यादा घोड़े-खच्चर ट्रैक पर नहीं दौड़ सकते। अभी जो घोड़े-खच्चर ट्रैक पर दौड़ रहे हैं, उनका एक तरफ का किराया 1100 रुपए तय किया गया है। यह नीचे से भवन तक का है। इस तरह एक घोड़ा-खच्चर संचालक 30 से 40 हजार रुपए महीना कमा लेता है। इसमें से करीब 10 हजार रुपए घोड़े की डाइट पर खर्च हो जाते हैं। कटरा वार्ड नंबर 9 के काउंसलर वीके राय कहते हैं कि अभी तो इन लोगों के हालात ऐसे हैं कि कोई एक किलो आटा भी दे तो यह भागकर आटा लेने चले जाते हैं, क्योंकि श्राइन बोर्ड की तरफ से एक ही बार राशन दिया गया।
घोड़ा-खच्चर एसोसिएशन के मेंबर सोहन चंद ने बताया कि घोड़े-खच्चर वालों का पूरा परिवार ही ट्रैक से कमाई करता है। इनके बच्चे माता रानी के सिक्के और पट्टी बेचते हैं। बुजुर्ग ट्रैक पर ढोल बजाते हैं। कुछ लोग पिट्टू का काम करते हैं। कुछ पालकी उठाते हैं। यह एक पूरी कम्युनिटी है, जो ट्रैक पर ही निर्भर है। यात्रा बंद होने से ये सब बेरोजगार हैं। घोड़ा चलाने वाले कालिदास के मुताबिक, श्राइन बोर्ड ने दस किलो आटा, एक लीटर तेल, एक किलो दाल दी थी। एक किलो दाल को पंद्रह दिन पानी डाल-डालकर चलाया। बोले, सोनू ठाकुर ने हम लोगों की मदद नहीं की होती तो भूखे मर जाते। उन्होंने चार माह तक हमें मुफ्त राशन दिया।
कालीदास करीब 35 सालों से मां के दरबार में घोड़ा चलाने का काम कर रहे हैं। अब बुजुर्ग हो गए हैं इसलिए अर्ध कुमारी तक ही जाते हैं। वरना पहले भवन तक जाया करते थे। कहते हैं कि घोड़ों पर ही हर महीने 10 से 12 हजार रुपए खर्च हो जाते हैं। जब से काम बंद हुआ है, तब से तो उन्हें खिलाने की ही बड़ी दिक्कत हो गई है। कुछ लोगों से मदद मिली। उन्होंने हमारे और जानवरों के लिए खाने को दिया। लेकिन, अब झूठी अफवाहें फैलाई जा रही हैं ताकि हमें राशन मिलना बंद हो जाए। ऐसा कहा जा रहा है कि हमारे घरों में राशन भरा पड़ा है। यदि सच देखना है तो एक बार हमारे घर में आएं, तब पता चलेंगे हमारे हालात।
क्या आपको पता है कि जब देश में कोरोनावायरस का पहला मरीज आया, तब भारत में कितनी पीपीई किट बनती थीं? अगर नहीं, तो हम बता देते हैं कि उस समय तक देश एक भी पीपीई किट नहीं बना पाता था। लेकिन, अब हमारा देश पीपीई किट बनाने के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर बन गया है। चीन के बाद। अब हमारे देश में रोजाना 5 लाख पीपीई किट बन रही हैं।
अब हम न सिर्फ पीपीई किट बना रहे हैं, बल्कि इसको अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों को बेच भी रहे हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, जुलाई में अमेरिका-ब्रिटेन और यूएई समेत 5 देशों को भारत ने 23 लाख पीपीई किट एक्सपोर्ट की हैं।
सिर्फ पीपीई किट ही नहीं, बल्कि हमने मास्क बनाने की कैपेसिटी भी बढ़ाई है। अब हम रोजाना 3 लाख से ज्यादा एन-95 मास्क बना रहे हैं। पहले भी बनाते थे, लेकिन इतना नहीं, जितना अब बनाने लगे हैं।
फार्मा प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट बढ़ा, इम्पोर्ट घटा
सिर्फ पीपीई किट और मास्क तक ही नहीं, बल्कि भारत ने फार्मा प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट भी बढ़ाया है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स पर मौजूद डेटा के मुताबिक, अप्रैल से जून के बीच इन तीन महीनों में फार्मा प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट में 1.41% की कमी आई है। पिछले साल अप्रैल से जून के बीच भारत ने दूसरे देशों से 4 हजार 172 करोड़ रुपए के फार्मा प्रोडक्ट्स इम्पोर्ट किए थे। जबकि, इस साल इन तीन महीनों में हमने 4 हजार 113 करोड़ रुपए के प्रोडक्ट्स इम्पोर्ट किए हैं। यानी, पिछले साल की तुलना में इस साल फार्मा प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट में 58 करोड़ रुपए की कमी आई है।
इसके उलट इन्हीं तीन महीनों के दौरान इसके एक्सपोर्ट में पिछले साल के मुकाबले करीब 22% की बढ़ोतरी हुई है।
कोरोनाकाल में भारत ने 150 देशों तक मदद पहुंचाई
मार्च में जैसे ही कोरोनावायरस चीन से निकलकर दूसरे देशों में पैर पसारने शुरू किए, वैसे ही दुनिया में भारत की डिमांड बढ़ गई। कारण- हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन दवा। ये दवा वैसे तो मलेरिया को ठीक करने के लिए होती है, लेकिन शुरुआत में कोरोना संक्रमित मरीजों पर भी इसका अच्छा असर दिखा था। इसके बाद दुनिया के 100 से ज्यादा देशों ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन दवा मांगी।
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अकेले अमेरिका में ही भारत ने 5 करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन दवा की सप्लाई की थी। हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन का भारत दुनिया में सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर और एक्सपोर्टर है। सिर्फ हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन ही नहीं, बल्कि पैरासिटामॉल की टैबलेट की मांग भी बढ़ गई।
जून में हुई यूनाइटेड नेशंस की इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल में प्रधानमंत्री मोदी ने बताया था कि कोरोनाकाल में भारत ने 150 देशों तक मदद पहुंचाई है।
कोरोनाकाल में दुनियाभर के देशों की मदद करने पर यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भारत की तारीफ भी की थी।
हालांकि, इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि कोरोनाकाल में भारत ने किस देश की किस तरह मदद की। लेकिन, भारत हर साल नेपाल-भूटान समेत कई देशों की आर्थिक मदद करता है।
कोरोनावायरस की वजह से पूरे देश में लगे लॉकडाउन के करीब दो महीने बाद मई के पहले हफ्ते में एक रिपोर्ट आई। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की इस रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन से देश के खुदरा व्यापारियों को करीब 5.50 लाख करोड़ रुपए के कारोबार से हाथ धोना पड़ा है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि करीब 1.5 करोड़ खुदरा व्यापारियों को आनेवाले कुछ महीनों में ही अपने व्यापार को स्थायी रूप से बंद करना होगा।
ये आकलन मई के पहले हफ्ते तक का था, जबकि 24 मार्च से देशभर में लगने वाला लॉकडाउन 30 जून तक चला। इसके बाद शुरू हुई अनलॉक की प्रक्रिया, जिसमें अभी भी कई तरह की पाबंदियां लगी हुई हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की रिपोर्ट में जिन आशंकाओं की तरफ इशारा किया गया, उसके असर की कहानियां पूरे देश में मिल जाएंगी।
एक रिपोर्ट मथुरा से...
कृष्ण जन्मभूमि का ये इलाका पूरे मथुरा में सबसे खास है, सबसे ज्यादा व्यस्त रहता है और लॉकडाउन से पहले यहां हर दिन करोड़ों का व्यापार होता था। इसी व्यस्त और अपने व्यापार के लिए चर्चित इलाके में, मंदिर के ठीक सामने बनवारी लाल जैन पिछले दस साल से ‘कन्हाई फूड्स और जैन भोजनालय’ चला रहे थे। यहां एक साथ चालीस से पचास लोगों के बैठकर खाने की व्यवस्था थी। लगभग इतने ही नौकर चौबीसों घंटे काम करते थे। जन्माष्टमी के वक्त चौबीसों घंटे ये भोजनालय यात्रियों को खाना खिलाता था, लेकिन लॉकडाउन ने सब बदल दिया।
बनवारी लाल जैन कहते हैं, ‘आप ही देखिए। मैंने अपने भोजनालय को किराने की दुकान में बदल दिया है। क्या करता? पिछले तीन महीने से यात्री नहीं आ रहे हैं। लॉकडाउन खुला तो भी पुलिस इलाके को हर कुछ दिन में बंद कर देती है। जब खाना खाने वाले ही नहीं हैं तो भोजनालय कैसे चलेगा? इसी वजह से मैंने भोजनालय को किराने की दुकान में बदल दिया। कम से कम खोल तो सकेंगे।’
भोजनालय के बाहर और अंदर अभी भी वो बोर्ड लगे हैं, जिन पर इसकी पुरानी पहचान आबाद है और जिससे पता चलता है कि यहां उत्तपम, पूरी-भाजी से लेकर पाव-भाजी तक मिलता था।
भोजनालय को किराने की दुकान में बदलने की प्रक्रिया अभी चल ही रही है। बनवारी लाल काउंटर पर बैठे हैं और एक लड़का सामान जमा रहा है। दुकान में काम करने वाले लड़के की तरफ इशारा करके बनवारी लाल कहते हैं, ‘मेरा बेटा है। 12वीं पास की है। स्कूल बंद है तो यहां आ जाता है। एक समय में इस जगह पर चालीस-पचास मजदूर थे। आज देखो, हम हैं और हमारा बेटा है। पिछले महीने सबको निकालना पड़ा।’
बनवारी लाल जैन को इलाके में ‘सेठ जी’ बुलाते हैं। कुछ महीने पहले तक तो उन्हें ये कहलाना पसंद था, लेकिन अब वो इससे चिढ़ने लगे हैं। बीच-बीच में अपने बेटे को निर्देश देते हुए बनवारी लाल कहते हैं, ‘सब सेठ बुलाते थे। अभी भी कहते हैं। अब अच्छा नहीं लगता। सेठाई तो गई। अभी तो जीवन निकल जाए वही बहुत है। आप विश्वास नहीं करेंगे, मैंने पिछले तीन महीनों से इस मकान का किराया तक नहीं दिया है। यहां जो लोग काम करते थे, उनसे हाथ जोड़ना पड़ा। इस सब के बाद कैसी सेठाई?’
लॉकडाउन से पहले होने वाले व्यापार के बारे में पूछने पर वो कोई सीधा-सीधा जवाब तो नहीं देते, लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि भीड़ इतनी रहती थी कि भोजनालय के बाहर बैरीकेड लगाना पड़ता था।
जब हमने सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद के बारे में पूछा तो उनके चेहरे का हाव-भाव बदल गया। उन्होंने हाथ से कैमरा बंद करने का इशारा किया और काउंटर से बाहर आकर, एक किनारे में ले जाकर धीरे से बोले, ‘सरकार केवल बोल रही है। उसे भी पता है कि देना कुछ नहीं है और हमें भी पता है, उनसे कुछ नहीं मिलने वाला। ये बात मैं सबके सामने नहीं कह सकता। व्यापारी हूं ना। सबसे पहले धंधा देखना पड़ता है।’