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देश में कोरोना के आंकड़ों से अब कुछ उम्मीद बंध रही है। बीते नौ दिनों में आठ बार ऐसा हुआ है, जब नए संक्रमितों से ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं। इस दौरान सिर्फ गुरुवार को नए संक्रमितों की संख्या ठीक होने वालों से ज्यादा रही थी। बीते पांच में से तीन दिन टेस्टिंग 11 लाख से ज्यादा हुई, लेकिन संक्रमितों का आंकड़ा 90 हजार से कम ही रहा है।
तारीख
नए केस
ठीक हुए
टेस्टिंग
18 सितंबर
92973
95515
881911
19 सितंबर
92574
94389
1206806
20 सितंबर
87395
92926
731534
21 सितंबर
74493
102075
933185
22 सितंबर
83362
89657
953683
23 सितंबर
86703
87459
1156569
24 सितंबर
85921
81142
1492409
25 सितंबर
85717
93327
1341535
26 सितंबर
88759
92359
987861
शनिवार को 88 हजार 759 संक्रमितों की पहचान हुए, जबकि 92 हजार 359 ठीक हो गए। 1124 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 59.90 लाख केस आ चुके हैं। 49.38 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, 94 हजार 534 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 9 लाख 56 हजार 511 मरीजों का इलाज चल रहा है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।
सीरम इंस्टीट्यूट का सरकार से सवाल
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कोरोना वैक्सीन को लेकर शनिवार को केंद्र से एक सवाल किया। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘क्या केंद्र सरकार के पास कोविड-19 वैक्सीन की खरीददारी और डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए अगले एक साल में 80 हजार करोड़ रुपए खर्च करने के लिए हैं? यह सवाल इसलिए, क्योंकि भारत में सभी के लिए वैक्सीन खरीदने और उसे बांटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को इतनी ही रकम की जरूरत होगी।’
Quick question; will the government of India have 80,000 crores available, over the next one year? Because that's what @MoHFW_INDIA needs, to buy and distribute the vaccine to everyone in India. This is the next concerning challenge we need to tackle. @PMOIndia
पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। वह अभी उत्तराखंड की यात्रा पर हैं।
देश में अब तक 7 करोड़ 12 लाख से ज्यादा लोगों की जांच हो चुकी है। इनमें 8.33% लोग संक्रमित मिले हैं। हर 10 लाख की आबादी में 50 हजार 803 लोगों की जांच हो रही है। इनमें 4200 लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर पर कोरोना ने दस्तक दी है। शनिवार को उनके बेटे सुकर्ण की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। गृह मंत्री पिछले दिनों मास्क न पहनने के अपने बयान से चर्चा में आए थे। अगले दिन उन्होंने अपने बयान पर माफी मांगी थी। इसके बाद उसी दिन शाम को ग्वालियर और चंबल के दौरे पर वे फिर बिना मास्क के दिखे थे।
2. राजस्थान
शनिवार को कोरोना के 2045 नए पॉजिटिव केस सामने आए। जिसके बाद राज्य में कुल पॉजिटिव का आंकड़ा 1 लाख 26 हजार 775 हो गया है। वहीं, 14 लोगों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1426 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अब तक 30.24 लाख से ज्यादा सैंपल जांचे जा चुके हैं। 1 लाख 59 हजार 94 लोग रिकवर भी हो चुके हैं।
3. बिहार
शनिवार को 1457 नए मरीज मिले। 1622 ठीक हो गए, जबकि पांच संक्रमितों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 77 हजार 355 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 63 हजार 132 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13 हजार 336 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। 886 संक्रमितों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
शनिवार को 20 हजार 419 नए मरीज मिले। 23 हजार 644 संक्रमित ठीक हो गए। 430 मरीजों की मौत हो गई। राज्य में अब तक संक्रमण के 13 लाख 21 हजार 176 केस आ चुके हैं। इनमें से 10 लाख 16 हजार 450 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 2 लाख 69 हजार 119 का अभी इलाज चल रहा है। अब तक 35 हजार 191 लोग यहां जान गंवा चुके हैं।
5. उत्तरप्रदेश
शनिवार को 4412 संक्रमितों की पहचान हुई। राहत की बात है कि प्रदेश में लगातार नए संक्रमितों के मुकाबले ठीक होने वालों की संख्या बढ़ रही है। शनिवार को यहां 6546 मरीज ठीक हुए। राज्य में रिकवरी रेट 83.64% हो गया है। एक्टिव मरीजों की संख्या घटकर 57 हजार 86 हो गई है। इसमें से 29 हजार 266 मरीज होम आइसोलेशन में हैं। वहीं 2629 मरीज प्राइवेट व 145 मरीज सेमी पेड अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 11 बजे रेडियो पर 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित करेंगे। यह इस कार्यक्रम की 69वीं कड़ी होगी। प्रधानमंत्री इस बार कोरोना महामारी और किसान बिल पर अपनी बात रख सकते हैं। संसद में पारित हुए किसान बिलों को लेकर हरियाणा और पंजाब के किसानों में खासी नाराजगी है।
पिछले महीने देश की टॉय इंडस्ट्री को बेहतर बनाने पर जोर दिया था
पिछले महीने मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘कोरोना काल में देश कई मोर्चों पर एकसाथ लड़ रहा है। यह भी ख्याल आता है कि घर में रहने वाले बच्चों का समय कैसे बीतता होगा? मैंने कहीं पढ़ा कि खिलौने के संबंध में रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि खिलौना वही अच्छा होता है जो अधूरा हो। बच्चे उसे खेल-खेल में तैयार करें। ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री सात लाख करोड़ रुपए की है, लेकिन भारत की इसमें हिस्सेदारी काफी कम है।
खिलौना वो हो जिसे बचपन खेले भी, खिलखिलाए भी। अब कंप्यूटर गेम्स का दौर है। इनमें ज्यादातर की थीम भारतीय होती है। आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री को बड़ी भूमिका निभानी है। असहयोग आंदोलन के समय गांधीजी ने कहा था कि यह भारतीयों में आत्मविश्वास जगाने का आंदोलन है। ऐसा ही आत्मनिर्भर भारत आंदोलन के साथ भी है।’
from Dainik Bhaskar /national/news/pm-narendra-modi-mann-ki-baat-live-pm-narendra-modi-69th-mann-ki-baat-today-speech-live-news-127758017.html
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अटल सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह (82) का रविवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि वे राजनीति और समाज को लेकर अपने अलग तरह के नजरिए के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। भाजपा को मजबूत करने में भी उनका खासा योगदान था। मैं उनके साथ हुई चर्चाओं को हमेशा याद रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
Jaswant Singh Ji will be remembered for his unique perspective on matters of politics and society. He also contributed to the strengthening of the BJP. I will always remember our interactions. Condolences to his family and supporters. Om Shanti.
प्लेन हाईजैक होने के बाद आतंकियों को लेकर कंधार गए थे
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सिंह कपड़ा मंत्री भी रहे। 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर IC-814 को हाईजैक करके अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को तीन आतंकी छोड़ने पड़े थे। जिन आतंकियों को छोड़ा गया था, उनमें मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर शामिल थे। इन आतंकियों को लेकर जसवंत ही कंधार गए थे। 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे। तब जसवंत ने ही अमेरिका से बातचीत की थी। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भी उनकी भूमिका अहम रही।
भाजपा से दो बार बाहर हुए
2012 में भाजपा ने उन्हें उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, लेकिन, यूपीए के हामिद अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। अपनी किताब में जसवंत ने मुहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की। भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। 2010 में उनकी वापसी हुई 2014 में उन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया। उनकी बाड़मेर सीट से भाजपा ने कर्नल सोनाराम चौधरी को उतारा। इसके बाद जसवंत ने फिर भाजपा छोड़ दी। निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसी साल उन्हें सिर में चोट लगी। इसके बाद से जसवंत कोमा में ही थे।
अटल सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह (82) का रविवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि वे राजनीति और समाज को लेकर अपने अलग तरह के नजरिए के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। भाजपा को मजबूत करने में भी उनका खासा योगदान था। मैं उनके साथ हुई चर्चाओं को हमेशा याद रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
Jaswant Singh Ji will be remembered for his unique perspective on matters of politics and society. He also contributed to the strengthening of the BJP. I will always remember our interactions. Condolences to his family and supporters. Om Shanti.
प्लेन हाईजैक होने के बाद आतंकियों को लेकर कंधार गए थे
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सिंह कपड़ा मंत्री भी रहे। 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर IC-814 को हाईजैक करके अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को तीन आतंकी छोड़ने पड़े थे। जिन आतंकियों को छोड़ा गया था, उनमें मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर शामिल थे। इन आतंकियों को लेकर जसवंत ही कंधार गए थे। 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे। तब जसवंत ने ही अमेरिका से बातचीत की थी। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भी उनकी भूमिका अहम रही।
भाजपा से दो बार बाहर हुए
2012 में भाजपा ने उन्हें उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, लेकिन, यूपीए के हामिद अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। अपनी किताब में जसवंत ने मुहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की। भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। 2010 में उनकी वापसी हुई 2014 में उन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया। उनकी बाड़मेर सीट से भाजपा ने कर्नल सोनाराम चौधरी को उतारा। इसके बाद जसवंत ने फिर भाजपा छोड़ दी। निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसी साल उन्हें सिर में चोट लगी। इसके बाद से जसवंत कोमा में ही थे।
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अनुष्का पर गावस्कर की टिप्पणी कंगना को नागवार गुजरी। मगर उन्होंने एक्ट्रेस को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब मुझे हरामखोर कहा गया तब आप चुप थीं। उधर, भाजपा ने नई कार्यकारिणी बनाई लेकिन राम माधव को जगह नहीं दी। बहरहाल, चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 5 इवेंट्स पर रहेगी नजर
1. भारतीय वायु सेना राजस्थान, हरियाणा और बिहार में रिक्रूटमेंट रैली निकालेगी। इस लिंक पर https://airmenselection.cdac.in/CASB/ रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।
2. IPL में आज किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान रॉयल्स आमने-सामने होंगे। टॉस शाम 7 बजे होगा। मैच शाम साढ़े सात बजे शुरू होगा।
3. JEE एडवांस्ड 2020 परीक्षा आज देशभर के 1150 केंद्रों में होगी।
4. मन की बात कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री मोदी आज लोगों से सुझाव मांगेंगे।
5. इस साल का आखिरी ग्रैंड स्लैम फ्रेंच ओपन पेरिस में आज से शुरू होगा।
अब कल की 6 महत्वपूर्ण खबरें
1. दीपिका पादुकोण ने ड्रग्स चैट की बात कबूली
NCB ने दीपिका पादुकोण से साढ़े पांच घंटे पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक, दीपिका और उनकी मैनेजर करिश्मा प्रकाश ने ड्रग्स चैट की बात कबूल की है। इसी मामले में श्रद्धा कपूर से 6 घंटे और सारा अली खान से भी NCB ने पांच घंटे पूछताछ की। दोनों एक्ट्रेसेस ने ड्रग्स लेने की बात से इनकार किया है।
2. अनिल अंबानी बोले- परिवार और पत्नी मेरा खर्च उठा रहे
रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने शुक्रवार को कहा कि वह (अंबानी) गहने बेचकर वकीलों की फीस चुका रहे हैं। उनका खर्च परिवार और पत्नी उठा रहे हैं। चीन के तीन सरकारी बैंकों से लोन लेने के मामले में अनिल अंबानी पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंदन की हाईकोर्ट में पेश हुए थे।
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर का मामला स्थानीय कोर्ट में पहुंचा है। इसमें 13.37 एकड़ जमीन पर दावा करते हुए स्वामित्व मांगा गया है। और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। हालांकि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव का कहना है कि उनका इस केस से कोई लेना-देना नहीं है।
4. एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी से ग्राउंड रिपोर्ट
मुंबई के धारावी में अब तक 3 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। जून में यहां कोरोना पर कंट्रोल हो गया था। दस दिन से मरीज फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। 'धारावी मॉडल' की दुनियाभर में तारीफ हो रही थी, तो अचानक क्या हुआ कि यहां दोबारा कोरोना ब्लास्ट हो गया? पढ़िए इस ग्राउंड रिपोर्ट में।
5. विराट का खेल खराब हुआ, ट्रोलर्स ने अनुष्का को निशाना बनाया
विराट कोहली की टीम आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब से हार गई। लेकिन, इसका ठीकरा एक बार फिर उनकी पत्नी और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा के सिर फूटा। वैसे यह पहली बार नहीं हुआ। जब-जब विराट का खेल मैदान में खराब हुआ, ट्रोलर्स ने सोशल मीडिया पर अनुष्का को ही निशाना बनाया है।
6. कोविड में चुनाव कैसे करवाते हैं, दक्षिण कोरिया और ताइवान ने दिखाया
दक्षिण कोरिया में कोविड-19 मरीजों को घर बैठे वोटिंग और पीपीई सूट्स के विकल्प मिले। ताइवान में महामारी के बीच चुनाव हुए तो वहां वायरस के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वीडियो जारी किए गए। अब भारत-अमेरिका की बारी है; जानिए दोनों देशों से मिला सबक हम कैसे आजमाएंगे?
1290: चीन में चिली की खाड़ी में भूकंप से करीब एक लाख लोगों की मौत हुई।
1833: महान समाज सुधारक राजा राममोहन रॉय का निधन।
1932: मशहूर फिल्मकार यश चोपड़ा का जन्म हुआ।
1998: सर्च इंजन गूगल की स्थापना हुई।
अब जिक्र महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीनका, जिन्होंने 1905 में आज ही के दिन e=mc स्क्वेयर का सिद्धांत पेश किया था। पढ़ें, इक्वेशन के जरिए उन्हीं की कही एक बात...
आज दो अहम दिन है। पहला, वर्ल्ड टूरिज्म डे। दूसरा, डॉटर्स डे। दोनों का ही अपना महत्व है। वहीं, भारत के राजनीतिक और न्यायपालिका के इतिहास में भी दो महत्वपूर्ण घटनाक्रम आज ही के दिन हुए थे।
सबसे पहले बात, वर्ल्ड टूरिज्म डे की
कोरोनावायरस की मार जिस सेक्टर पर सबसे ज्यादा पड़ी है, वह टूरिज्म सेक्टर है। इस साल वर्ल्ड टूरिज्म डे न केवल संस्कृति और विरासत को सहेजने और प्रोत्साहित करने में ट्रेवल सेक्टर का महत्व भी रेखांकित कर रहा है। इस साल यह टूरिज्म इंडस्ट्री के भविष्य पर दोबारा सोचने के लिए भी प्रेरित कर रहा है। यूएन वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (UNWTO) के अनुसार कोविड-19 की वजह से टूरिज्म से जुड़े 100 से 120 मिलियन जॉब्स सीधे-सीधे प्रभावित हुए हैं। टूरिज्म में आया निगेटिव इम्पैक्ट ही है कि यूएन कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट ने ग्लोबल जीडीपी में 1.5 से 2.8% की गिरावट का अनुमान लगाया है।
1970 में 27 सितंबर को ही यूएन में UNWTO के नियमों को मंजूरी दी थी। यह ग्लोबल टूरिज्म के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इसी दिन को यादगार बनाने के लिए 1980 से हर साल पूरी दुनिया में 27 सितंबर को वर्ल्ड टूरिज्म डे मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य टूरिज्म के प्रति जागरुकता बढ़ाना है ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्य प्रदान किए जा सके।
आज डॉटर्स डे भी...
कुछ समय पहले तक भारत में बेटे की चाहत बहुत ज्यादा होती थी। बालिका भ्रूण हत्या की शिकायतें भी तेजी से बढ़ रही थी। तब लड़कियों से भेदभाव के खिलाफ और लैंगिक समानता के मुद्दे पर जागरुकता बढ़ाने के लिए डॉटर्स डे मनाया जाने लगा। आम तौर पर लड़कियों को समर्पित यह दिन सितंबर के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इस साल 27 सितंबर को भारत में डॉटर्स डे मनाया जाएगा। यूएस, यूके, कनाडा और जर्मनी समेत कुछ और देश हैं जो डॉटर्स डे मनाएंगे। कुछ देशों में 25 सितंबर को कुछ देशों में 1 अक्टूबर को भी डॉटर्स डे मनता है। इसकी शुरुआत कब हुई, कोई नहीं जानता। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया की वजह से इसका चलन तेजी से बढ़ा है।
दो साल पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पति परमेश्वर नहीं है!
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एडल्टरी (व्यभिचार) को अपराध बताने वाले कानून को रद्द कर दिया। उस समय के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों वाली बेंच ने आईपीसी के सेक्शन 497 को अवैध करार दिया। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हमारे लोकतंत्र की खूबी ही मैं, तुम और हम की है। एडल्टरी चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अपराध नहीं है। यह शादियों में परेशानी का नतीजा हो सकता है उसका कारण नहीं। इसे अपराध कहना गलत होगा। फैसले में यह भी कहा गया कि पति अपनी पत्नी का आका नहीं हो सकता।
इतिहास में आज के दिन को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है...
1290ः चीन में चिली की खाड़ी में भूकंप से करीब एक लाख लोगों की मौत हुई।
1760ः मीर कासिम ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद से बंगाल के नवाब बने।
1825ः इंग्लैंड में स्टॉकटन-डार्लिंगटन लाइन की शुरुआत के साथ दुनिया का पहला सार्वजनिक रेल परिवहन शुरू हुआ।
1833ः महान समाज सुधारक राजा राममोहन रॉय का निधन।
1871ः सरदार वल्लभ भाई पटेल के बड़े भाई एवं स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल का जन्म।
1905ः महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने ई=एमसी स्क्वेयर का सिद्धांत पेश किया।
1958ः मिहिर सेन ब्रिटिश चैनल को तैरकर पार करने वाले पहले भारतीय बने।
1961ः सिएरा लियोन संयुक्त राष्ट्र का सौवां सदस्य बना।
1996ः तालिबान के लड़ाकों ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया।
2001: केंद्र सरकार ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को प्रतिबंधित किया। इसे लेकर लखनऊ में हिंसा भड़की और चार लोगों की मौत हुई।
2014: अभिनेत्री से राजनेता बनीं तमिलनाडू की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता को 18 साल पुराने भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट ने दोषी माना और चार साल की जेल की सजा सुनाई।
2015: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेन होजे से कैलिफोर्निया की यात्रा खत्म कर लौटे। इस दौरान उन्होंने भारत को अगली सिलिकन वैली बनाने का वादा किया था।
कोविड-19 की वजह से ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री को जोरदार झटका लगा है। अलग-अलग सर्वे, स्टडी रिपोर्ट्स दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर इसके प्रतिकूल असर की बात कर रही हैं। इसके बाद भी इंडस्ट्री के कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि कोविड-19 एक स्पीडब्रेकर है।
यूएन वर्ल्ड टूरिज्म डे से दो दिन पहले जॉब्स वेबसाइट इंडीड ने कहा कि कई यूरोपीय देशों में टूरिज्म से जुड़े जॉब्स में 25% तक की गिरावट आई है। इंडीड की रिपोर्ट के मुताबिक टूरिज्म और हॉस्पिटेलिटी से जुड़ी जॉब पोस्टिंग्स और सर्च में करीब 40% तक की गिरावट आई है।
यूनाइटेड नेशंस ने कहा कि टूरिज्म सेक्टर के भविष्य पर दोबारा विचार करने का वक्त आ गया है। इसमें यह भी देखना होगा कि अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्यों के जरिए यह सेक्टर किस तरह टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में अपना योगदान दे सकता है।
वहीं, पिछले साल यानी ट्रैवल एंड टूरिज्म कॉम्पिटिटिवनेस रिपोर्ट 2019 में छह रैंकिंग की छलांग लगाकर 40वें से 34वें स्थान पर पहुंचे भारत में भी हालात बहुत अच्छे नहीं है। 2019 में इस सेक्टर ने भारत में कुल जॉब्स के 12.75% का प्रतिनिधित्व किया और 8.75 करोड़ नए जॉब्स उपलब्ध कराए। लेकिन, छह महीने के लॉकडाउन ने ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है। इससे इस सेक्टर के लिए खड़े रहना मुश्किल हो रहा है।
अतुल्य भारतः स्वागत के लिए हो रहा है तैयार
भारत में यह सेक्टर अब धीरे-धीरे खुलने लगा है। उत्तराखंड ने पहल करते हुए टूरिज्म के लिए जाने वालों के लिए कोविड-निगेटिव सर्टिफिकेट की आवश्यकता खत्म कर दी है। उन्हें राज्य में आने से पहले सिर्फ वेब पोर्टल https://ift.tt/2SrsGUE पर रजिस्टर करना होगा।
अनलॉक 4.0 के तहत सितंबर से लोगों को देश में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए ई-पास की आवश्यकता खत्म कर दी गई है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक कंटेनमेंट ज़ोन के बाहर अधिक से अधिक गतिविधियों को दोबारा शुरू किया जा सकता है। इंटर-स्टेट और इंटर-डिस्ट्रिक्ट मूवमेंट पर कोई प्रतिबंध नहीं रह गया है।
भारत में 1.25 लाख करोड़ रुपए का नुकसान
केअर रेटिंग्स की एक स्टडी के मुताबिक, कोविड-19 इंफेक्शन और भारतीय टूरिज्म इंडस्ट्री को 1.25 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। ट्रैवल से जुड़े प्रतिबंधों और लॉकडाउन की वजह से इसका इम्पैक्ट बढ़ गया।
फिक्की ने जून में ट्रैवल एंड टूरिज्म रिपोर्ट जारी की। यह कहती है कि भारत में इस सेक्टर को 16.7 बिलियन डॉलर को नुकसान हुआ है। करीब पांच करोड़ नौकरियां खतरे में हैं। भारत में एविएशन सेक्टर को 11.2 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और करीब 29 लाख नौकरियां खतरे में हैं।
भारतीय होटल उद्योग को भी महामारी का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ और अनुमानित नुकसान 6.3 बिलियन डॉलर रहा। यह नुकसान बढ़कर 14 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इसमें संगठित और असंगठित सेग्मेंट के होटल्स और एकमोडेशन शामिल हैं।
हालांकि, यह रिपोर्ट भविष्य के लिए बहुत ही उज्ज्वल तस्वीर पेश कर रही है। इसके मुताबिक, 2019 में डोमेस्टिक टूरिस्ट की सेग्मेंट में हिस्सेदारी 83% थी, जो 2028 तक बढ़कर करीब 89% तक पहुंच जाएगी। यानी विदेशी टूरिस्ट पर निर्भरता कम हो जाएगी।
दुनियाभर में 10 करोड़ नौकरियां खतरे में
अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट्स में पूरी दुनिया में ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री को 2.7 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। करीब 10 करोड़ नौकरियां खतरे में बताई हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक एविएशन सेक्टर को ही करीब 314 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और करीब 2.5 करोड़ नौकरियां खतरे में आ गई हैं।
इन 10 टूरिस्ट डेस्टिनेशंस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ
मालदीव्सः हिंद महासागर में भारत और श्रीलंका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित मालदीव्स पूरी दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करता है। मालदीव्स की जीडीपी में टूरिज्म इंडस्ट्री की हिस्सेदारी 38.92% है।
ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्सः कैरेबियन सी के नौ द्वीपों का यह समूह पुअर्तो रिको से 64 किमी पूर्व में है। 19 मार्च से विदेशी पर्यटकों के आने पर पाबंदी है। यहां जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 32.96% है।
मकाऊ: चीन के इस स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन ने चीन से नजदीकी की वजह से शुरुआत में ही कोरोना के मामले दर्ज हुए थे। यहां जीडीपी में 28.05% हिस्सेदारी टूरिज्म की है।
अरुबा: यह कैरेबियन में डच आइलैंड है। यहां सिर्फ 101 कोरोना केस रिकॉर्ड हुए हैं। जून में कोई केस नहीं आया। यहां जीडीपी का 27.64% टूरिज्म से आता है।
वनुआतु: यह आइलैंड प्रशांत महासागर के दक्षिण में है। 26 मार्च को सीमा ब्लॉक कर दी थी और फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लगाए थे। आइलैंड की जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 18.16% है।
कैप वर्डे: यह एटलांटिक ओशन का आइलैंड है। यहां जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 17.66% है। यहां 800 केस दर्ज हुए। 30 जून से यहां फ्लाइट्स की आवाजाही शुरू हो गई है।
सेंट लुसियाः यह कैरेबियन सी का आइलैंड है। यहां 20 कोविड पॉजिटिव केस आए हैं। 4 जून से कुछ शर्तों के टूरिज्म खोला है। यहां टूरिज्म की जीडीपी में हिस्सेदारी 15.61% है।
बेलिज: इस कैरेबियाई देश में जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 14.95% है। बेलिज में 22 कोविड पॉजिटिव केस रजिस्टर हुए। एयरपोर्ट्स और पोर्ट्स के साथ ही क्रूज ट्रिप्स फिलहाल बंद है।
फिजी आइलैंड्सः दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित इस देश में 20 से कम केस आए हैं। देश की सीमा 25 मार्च से बंद थी। जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 14.09% है।
माल्टाः यह यूरोपीय देश है। यह दुनिया के सबसे छोटे देशों में से एक है। यहां 600 केस दर्ज हुए हैं। आइलैंड के टूरिज्म की जीडीपी में 14.08% हिस्सेदारी है।
क्या ये महज संयोग है कि अब जब तीन फेज में चुनाव की घोषणा हो चुकी है तो याद आना स्वाभाविक है कि बिहार के हालिया चुनावी अतीत में इससे पहले 2005 में भी तीन चरणों में चुनाव हुए थे। और क्या इसे भी महज एक संयोग माना जाए कि उस बार के चुनाव में सत्ता की गाड़ी पटरी से सिर्फ इसलिए उतर गई थी कि रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अच्छी खासी 29 सीट लेकर इतराने लगी थी। नतीजा ये हुआ कि लोजपा 29 सीट से बनी चाभी जेब में रखकर तोलमोल ही करती रह गई और इससे पहले कि उसकी चाल किसी खाने फिट बैठती, राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया।
अक्टूबर में दोबारा चुनाव हुए। पासवान की सीटें घटकर 10 पर आ गईं। बाद के तीन चुनाव में 4, 6 और 5 फेज में वोटिंग हुई यानी अक्टूबर 2005 के चुनाव 4 फेज में पूरे हुए तो दिसंबर 2010 में चुनाव आयोग ने 6 फेज में चुनाव प्रक्रिया पूरी कराई। पिछली बार 5 फेज में वोटिंग हुई थी और नतीजे 12 नवंबर को आए थे। इस बार 10 को आएंगे।
ये 2020 है। 15 साल बाद चीजें फिर कुछ वैसी ही दिशा में जाती दिख रही हैं। चुनाव तीन फेज में होने जा रहे हैं। हालांकि, हालात देख तो यही लगता है कि कोरोना के कारण न तो आयोग अभी इसके लिए पूरी तरह सहज था और न ही एनडीए छोड़ बाकी राजनीतिक दल।
पार्टियां तो खैर कभी भी अंतिम क्षण तक तैयार नहीं हुआ करतीं। बीते 4-5 चुनाव में तो कम से कम यही दिखाई दिया है। चुनाव तारीखों की घोषणा होने के बाद इस बार भी राजनीतिक जमीन पर जैसा बवाल मचा हुआ है, उसमें 2005 (फरवरी) दोहराने जैसी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
‘बिहार 2020’ में सीधे-सीधे झांकें तो एनडीए और यूपीए दो ही गठबंधन सामने दिखाई देते हैं, लेकिन शायद इतना ही नहीं है। एनडीए में ऊपर से जो भी दिखे, अंदर सबकुछ उतना भी सामान्य नहीं है। अंतर सिर्फ इतना है कि उस बार ‘चुनाव बाद’ सौदेबाजी मची थी और तब पिता (रामविलास पासवान) केंद्र में थे, इस बार पुत्र (चिराग पासवान) केंद्र में हैं और चुनाव-पूर्व सौदेबाजी का घमासान जारी है।
इसके कई सिरे हैं। चिराग का लगातार नीतीश पर आक्रामक होना और भाजपा या उसके नेतृत्व पर कोई टिप्पणी न करने में कई संकेत पढ़े जा रहे हैं। कुछ मुखर तो कुछ अंदर-अंदर समझे जाने लायक।
गिरिराज सिंह ने एक दिन पूर्व चिराग में ‘क्षमता’ देख एक संकेत दिया, तो चुनाव घोषणा के साथ जदयू (केसी त्यागी) ने आक्रामक बयान देकर अलग संदेश दे दिया। नीतीश कुमार ‘मांझी को हम संभाल लेंगे, चिराग भाजपा देख ले’ जैसा बयान देकर अपनी मंशा पहले ही साफ कर चुके हैं।
ये संकेत और संदेश यही बता रहे हैं कि भाजपा और जदयू तो अपने-अपने पलड़े झाड़-पोंछकर संभाल चुके हैं, लोजपा को देखना है कि वह अपना कांटा कहां और कितना फिट कर पाती है। पर्यवेक्षक तो मान ही रहे हैं कि चिराग ने ‘कद से ज्यादा’ सौदेबाजी का आग्रह नहीं छोड़ा तो लोजपा का किनारे लगना तो तय ही है, उसे ‘इस जिद के साथ’ ठौर कहां मिलेगा, कहना आसान नहीं है।
143 सीट पर दावेदारी अलग बात है, मोर्चे से अलग होकर इतना बड़ा ‘मोर्चा’ खोल पाना दूर की कौड़ी लाना होगा। महागठबंधन की जमीन भी बहुत साफ नहीं है। इतनी समतल तो बिलकुल नहीं कि फसल आसान दिखाई दे। राजद और कांग्रेस के साथ ही इस मोर्चे में वाम दल (भाकपा, माकपा, भाकपा-माले) बड़ा फैक्टर हैं।
वाम मोर्चे में भी अकेले तीन सीट के साथ माले का पलड़ा भारी है, लेकिन बाकी दोनों शून्य वाले भी अपनी पुरानी जमीन तलाशने की जुगत में हैं। उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी को लेकर अभी बहुत कुछ साफ नहीं है। मौजूदा हालात में कांग्रेस को लेकर भी बहुत दावे से नहीं कहा जा सकता कि ‘राजद और कांग्रेस’ इतनी आसानी से सीटों की साझेदारी फार्मूले पर सहमत हो पाएंगे।
हालांकि, ‘दोनों गठबंधनों’ का सच एक ही है कि न इन्हें कोई और न उन्हें कोई ठौर। यानी मौजूदा हालात में न भाजपा का गुजारा जदयू के बिना है, और कांग्रेस का हाथ भी राजद के साथ बिना मजबूत होने से रहा।हालांकि, इस सारी कवायद के बीच एक ‘तीसरे मोर्चे’ की सम्भावना की तलाश को भी सिरे से नकारा नहीं जा सकता।
माना जा रहा है कि किसी गठबंधन में जगह न मिलने पर कई छोटे दल इस तौर पर अपनी खिचड़ी पका सकते हैं। वैसे एक ‘चौथा सिरा’ असदुद्दीन ओवैसी का भी रहेगा ही, जो कैसी खिचड़ी पकाएंगे, किसके गले की फांस बनेंगे और किसके लिए शहद, अभी तय करना जल्दबाजी होगा।
फिलहाल कोरोना काल के इन विपरीत हालात में चुनावों का होना इस बार अगर निर्वाचन आयोग के लिए बड़ी चुनौती है तो राजनीतिक दलों के लिए भी यह बड़ी चुनौती पेश करने जा रहा है। यह भी सम्भव है कि 'कोरोना अनुशासन' के आईने में ‘2020’ शायद आगे आने वाले वर्षों की राजनीति के लिए ‘चुनाव सुधार’ की एक नई जमीन भी तैयार कर जाए, जिसका समय के साथ स्वागत करना होगा।
हालांकि, चुनाव सुधार की एक नई और उर्वर जमीन तो नब्बे के दशक में तत्कालीन निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन के दौर में भी तैयार हुई थी। उस अचानक उर्वर हुई जमीन को मठ्ठा डालकर फिर कैसे उसी ‘बंजर प्रदेश’ का हिस्सा बना दिया गया, हम सबने नजदीक से देखा-महसूस किया है।
इन चुनावों का एक और भी सिरा है...
चुनाव तारीखों का ऐलान हालांकि उसी गुणा-गणित के साथ हुआ दिखाई दिया है जिसकी सम्भावना थी। माना जा रहा था कि किसी भी हालत में चुनाव प्रक्रिया यानी मतगणना तक का दौर दस नवम्बर से पहले जरूर पूरा कर लिया जाएगा। इसका कारण भी साफ है। 14 को दीवाली है और 20 नवम्बर को छठ।
जाहिर है अगर सब कुछ ‘मनोनुकूल’ रहा तो मौजूदा परिदृश्य में जीत के प्रति आश्वस्त एनडीए ‘जीत’ के पहले ही ‘दीवाली मनाना’ चाहेगा। ये अलग बात है कि 2005 की तर्ज पर तीन चरण और ‘लोजपा की जिद’ किसी करवट न बैठी तो नतीजे गड्ड-मड्ड होने भी तय हैं।
और तब उन हालात में किसी नई जोड़तोड़ की सम्भावना या नए उलटफेर से इनकार भी तो नहीं किया जा सकता है। हालांकि, चुनाव पूर्व 'चैनली सर्वे' से अलग राय और नजर रखने वाला एक पक्ष यह कहने से संकोच नहीं कर रहा कि इस बार के चुनाव में वोटर का मन ‘अंदर से कुछ, बाहर से कुछ’ के अंदाज में कोई नया उलटफेर कर दे तो बहुत आश्चर्य नहीं होगा।
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है, लेकिन एनडीए में सीटों के बंटवारे का काम अभी तक नहीं हो पाया है। सीट बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों के बीच नूरा-कुश्ती चल रही है। बिहार के कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं। इस सबके बीच भाजपा इंतजार करो की नीति अपनाए हुए है।
एनडीए में झगड़ा जदयू और लोजपा के बीच ही है। लोजपा का कहना है कि नीतीश के साथ गठबंधन पर फैसला चिराग पासवान लेंगे। साथ ही लोजपा राज्य में 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति भी बना रही है। वहीं, जदयू के बड़े नेता चिराग पर हमलावर हैं। उनके बयानों से साफ है कि नीतीश कुमार इस बार चिराग को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं।
हालांकि, इस पूरे विवाद पर नीतीश के अजीज और राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि यह झगड़ा क्षणिक है। जल्द ही सबकुछ सुलझा लिया जाएगा। बिहार में गठबंधन मजबूरी नहीं है, बल्कि जरूरत है। यहां अकेले कोई भी दल सरकार नहीं बना सकता।
सुशील मोदी कुछ भी कहें, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि बिहार में हर बार की तरह इस बार भी मजबूरी का नाम एनडीए है। वरिष्ठ पत्रकार और लंबे वक्त से बिहार की राजनीति को करीब से देख रहे अरविंद मोहन कहते हैं कि भाजपा की नीतीश मजबूरी हैं, क्योंकि उनके पास राज्य में कोई बड़ा लीडर नहीं है।
सुशील मोदी हैं, लेकिन वे केंद्रीय लीडरशिप को पसंद नहीं। रही बात नीतीश की, तो उन्हें दूसरों के साथ ही सवारी करनी है। भाजपा-जदयू के बीच अंधा और लंगड़े वाली दोस्ती है। दैनिक भास्कर के बिहार स्टेट एडिटर और करीब 7 साल से राज्य की राजनीति पर नजर रख रहे सतीश सिंह कहते हैं कि चिराग पासवान ने एनडीए के साथ थर्ड फ्रंट का भी रास्ता खोज रखा है।
यदि एनडीए में उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती दिखीं तो वे नए रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं।
बिहार एनडीए में पिछले आम चुनाव से ही सबकुछ ठीक नहीं है
बिहार एनडीए में पिछले लोकसभा चुनाव से ही सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पहले राज्य की 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा- जदयू-लोजपा में नोकझोंक होती रही, फिर मोदी 2.0 सरकार के कैबिनेट में नीतीश ने अपने एक भी सांसद को मंत्री बनने के लिए नहीं भेजा। इसके साथ ही नीतीश ने इशारों-इशारों में मोदी-शाह टीम को बता दिया कि आप केंद्र की राजनीति करें, हमें बिहार की करने दें।
कुशवाहा और चिराग के बीच हो रही ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री रहने की डील
सतीश सिंह बताते हैं कि थर्ड फ्रंट में चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी, उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी शामिल हो सकती है।
उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान के बीच ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बनने के फॉर्मूले पर भी बात हो रही है। पप्पू यादव कॉर्डिनेटर की भूमिका में हैं। लोजपा के साथ जो पार्टियां थर्ड फ्रंट में आ सकती हैं, वो कुछ समय पहले तक महागठबंधन का हिस्सा रही हैं।
हालांकि, उपेंद्र कुशवाहा की नीतीश कुमार से भी बातचीत चल रही है। लेकिन इसमें उपेंद्र कुशवाहा की ज्यादा सीट पाने की महत्वाकांक्षा आड़े आ सकती है। ऐसा पिछले लोकसभा चुनाव में भी हुआ था, तब उन्होंने केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद एनडीए छोड़ दिया था। दरअसल, कुशवाहा केंद्र की राजनीति से ज्यादा बिहार की राजनीति में दखल रखना चाहते हैं।
एनडीए में दरार अंदरूनी है
जिस तरह जदयू केंद्र सरकार में शामिल नहीं है, उसी तरह लोजपा बिहार सरकार में साझीदार नहीं है। इससे बिहार एनडीए के तीनों दलों में अंदरूनी दूरी या दरार की झलक कभी-कभी साफ दिखाई देती है।
वहीं, केंद्र में बुलंद, लेकिन बिहार में मंद पड़ी भाजपा नीतीश कुमार की ‘पिछलग्गू’ वाली पीड़ा से मुक्ति तो चाहती है, पर खुलकर बोल नहीं पा रही। इस पर सतीश सिंह कहते हैं कि लोजपा दबाव की राजनीति तो हर बार करती है, लेकिन इस बार वह भाजपा के इशारे पर काम कर रही है।
लोजपा यह पहले ही साफ कर चुकी है कि यदि वह अकेली चुनाव में जाती है तो केंद्र में एनडीए से बाहर नहीं होगी। इसका मतलब साफ है कि राज्य में भाजपा-लोजपा का मुकाबला फ्रेंडली होगा। इसी तरह झारखंड में भी हुआ था।
उधर, शुक्रवार को भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि चिराग पासवान युवा हैं और सही राजनीतिक सोच के साथ काम करने वाले हैं। लोजपा 200% एनडीए में है और आगे भी रहेगी। इसमें कोई संदेह नहीं है।
वहीं, जदयू को भाजपा का रवैया नहीं भा रहा है। खासकर लोजपा को लेकर। जदयू नेताओं का कहना है कि चिराग पासवान बार-बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला कर रहे हैं और भाजपा उन्हें रोक-टोक भी नहीं रही है।
पिछले साल जून में नीतीश ने कैबिनेट विस्तार किया, पर भाजपा के एक भी मंत्री को नहीं शामिल किया
पिछले साल 2 जून को बिहार में नीतीश सरकार के कैबिनेट का विस्तार हुआ। लेकिन इसमें भाजपा का एक भी मंत्री शामिल नहीं हुआ। जदयू के 8 नए मंत्रियों ने शपथ ली थी। नीतीश ने भाजपा और लोजपा को एक भी मंत्री पद नहीं दिया।
नीतीश कुमार जुलाई 2017 में महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हुए थे, इसके बाद यह सरकार का दूसरा कैबिनेट विस्तार था। तब शपथ के ठीक बाद जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा था कि हम भविष्य में भी केंद्र की एनडीए सरकार में शामिल नहीं होंगे।
अरविंद मोहन कहते हैं, लोकतंत्र में हर वोट की वैल्यू दो होती है। ध्रुवीकरण वोटर की ताकत ज्यादा होती है, उसका फायदा भाजपा को ही होता है। यह बात जदयू को पता है, इसलिए वह भाजपा के साथ ही बनी हुई है।
2019 लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को फाइनल करने के लिए नीतीश को दिल्ली जाना पड़ा था
2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर ताबड़तोड़ राजनीति हुई। तब बिहार में एनडीए के चार घटक दल थे। इनमें भाजपा, जदयू, लोजपा और रालोसपा शामिल थी। लेकिन इनके बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करने के लिए पटना से लेकर दिल्ली तक भागदौड़ होती रही।
आखिरकार नीतीश को खुद दिल्ली जाना पड़ा, तब जाकर भाजपा-जदयू-लोजपा के बीच 17-17-6 फॉर्मूले के तहत सीटें बटी थीं। जदयू आखिर तक 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा ठोक रही थी। लेकिन इस सबके बीच रालोसपा एनडीए छोड़ गई।
सतीश सिंह कहते हैं कि इस बार भाजपा-जदयू और जीतनराम मांझी की ‘हम’ का एक साथ चुनाव लड़ना लगभग तय है। बस बात लोजपा की तरफ से फंस रही है। लोजपा यदि एनडीए से टूटती है तो जदयू के वोट में सेंध निश्चित है। दरअसल, बिहार की करीब-करीब हर सीट पर पासवान के कम से कम 8 से 10 हजार वोट हैं।
अरविंद मोहन कहते हैं कि लोजपा 143 सीटों पर लड़ने की बात कर रही है तो बहुत हद तक संभव है कि वो भाजपा के खिलाफ अपने उम्मीदवार न उतारे। लोजपा दबाव की राजनीति इसलिए करती है, क्योंकि उसे अपना भविष्य देखना है। उसके पास राज्य में 5 से 10% वोट हैं। इस बार दलित पॉलिटिक्स पर निर्भर करता है, किसकी सरकार बनेगी। जिस तरफ दलित जाएंगे, उसकी ही सरकार बनेगी।
2020 में चार दलों का गठबंधन बन रहा संकट
2020 में यदि चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और नीतीश एनडीए के साथ रहे तो सीट शेयरिंग का फॉर्मूला काफी जटिल होने जा रहा है। राज्य में 243 सीटें हैं। भाजपा के अभी राज्य में 53 विधायक हैं। 2015 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 157 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
लोजपा 42 सीटों पर लड़ी थी, इनमें से 2 पर जीत हासिल कर सकी। जदयू 101 सीटों पर लड़ी थी और 71 विधायक चुने गए थे। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू ने एनडीए से अलग होकर राजद-कांग्रेस के साथ महागठबंधन किया था।
सतीश सिंह कहते हैं कि भाजपा ने इस बार जदयू से साफ कह दिया कि वह राज्य में बराबर सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। इसलिए मामला सिर्फ सहयोगी दलों की सीटों को लेकर ही फंसा है। वहीं, जदयू भाजपा की रणनीति से डर रही है। उसे लग रहा है कि यदि राज्य में भाजपा ने ज्यादा सीटें हासिल कर लीं तो वो चुनाव के बाद सीएम पद भी मांग सकती है। वैसे भी राज्य में हमेशा से भाजपा का स्ट्राइक रेट जदयू से बेहतर रहा है।
फैक्ट क्या कहते हैं?
2019 आम चुनाव में भाजपा का रिकॉर्ड जदयू से बेहतर था
2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने कोटे की सभी 17 सीटों पर जीत हासिल की थी। जदयू को 17 में से 16 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, लोजपा ने अपने कोटे की सभी 6 सीटें जीत ली थीं।
2014 आम चुनाव में जदयू 40 में से सिर्फ 2 सीटें जीत सकी थी
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। 2014 में नीतीश कुमार एनडीए के साथ नहीं, बल्कि अकेले लड़े थे। एनडीए में भाजपा, रालोसपा, लोजपा और उस समय जीतनराम मांझी की पार्टी हम शामिल थी। भाजपा 29, लोजपा 7 और रालोसपा 4 पर लड़ी थी, जबकि जदयू ने अकेले चुनाव लड़ा था और 40 में से सिर्फ 2 पर उसे जीत मिली थी। भाजपा 29 में 22 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी।
2009 में जदयू 25 और भाजपा 15 पर लड़ी थी
2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू और भाजपा के गठबंधन ने एक साथ चुनाव लड़ा था। नीतीश की पार्टी 25 सीटों पर चुनाव लड़ी, जिसमें 20 पर जीत मिली थी और भाजपा 15 पर लड़कर 12 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। 2004 में जदयू और भाजपा के बीच सीट फॉर्मूला 26-14 था।
भाजपा का सीट जीतने का औसत जदयू से बेहतर
2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू सहयोगी थे। इसमें भाजपा, जदयू से कम सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन उसके जीतने का औसत जदयू से बेहतर रहा था। भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी और 91 जीतने में सफल रही, जबकि जदयू 141 सीटों पर चुनाव लड़कर 115 जीतने पर सफल रही थी। इसी तरह 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू 25 सीटों पर चुनाव लड़ी और 20 जीती, जबकि भाजपा ने 15 में से 12 जीती थी।
भारी छूट का ऐड देखा है आपने? छूट तो मिलती है लेकिन एक छोटा सा * भी लगा होता है, जो कहता है जो भी मिलेगा शर्तों के साथ मिलेगा। कोरोनाकाल में बिहार चुनाव भी ऐसे ही * के साथ हो रहा है। इसमें रैलियां तो होंगी, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के * के साथ। प्रचार तो होगा, लेकिन 5 लोग ले जाने के * के साथ। नामांकन में भी दो ही लोगों के साथ जाने का * लगा होगा। इन्हीं * को हमारे कार्टूनिस्ट मंसूर ने कुछ ऐसा देखा...
कोरोनावायरस के बीच टेनिस ग्रैंड स्लैम फ्रेंच ओपन आज से शुरू हो रहा है। यह टूर्नामेंट 11 अक्टूबर तक चलेगा। 129 साल पुराने ग्रैंड स्लैम का आधिकारिक नाम रोलां गैरो है। आपको जानकार हैरानी होगी कि यह नाम किसी खिलाड़ी का नहीं बल्कि एक फाइटर प्लेन बनाने वाले पायलट के नाम पर रखा गया था।
टेनिस के 4 सबसे बड़े टूर्नामेंट में से एक फ्रेंच ओपन साल का दूसरा ग्रैंड स्लैम होता है, जो मई-जून में खेला जाता है, लेकिन पहली बार कोरोना के कारण यह इस बार साल के आखिरी में हो रहा है।
1924 तक फ्रांस के खिलाड़ी ही ग्रैंड स्लैम खेलते थे
1981 में यह फ्रेंच क्ले कोर्ट चैम्पियनशिप के नाम से शुरू हुआ था, जो फ्रेंच क्लब के सदस्यों के बीच ही खेला जाता था। 1924 तक सिर्फ फ्रांस के खिलाड़ी ही पेरिस के दो अलग-अलग कोर्ट में यह टूर्नामेंट खेलते थे। 1925 से विदेशी प्लेयर्स को भी मौका दिया जाने लगा। इसी साल से इसका नाम फ्रेंच ओपन कर दिया गया।
1928 में डेविस कप के लिए रोलां गैरो नाम का एक स्टेडियम बनाया गया। तब से यह टूर्नामेंट इसी स्टेडियम में खेला जाने लगा और आधिकारिक तौर पर टूर्नामेंट का नाम भी रोलां गैरो कर दिया गया।
रोलां गैरो एक फाइटर पायलट का नाम था, जो फ्रांस की ओर से लड़ते हुए पहले विश्व युद्ध में शहीद हो गए थे। इसी युद्ध के लिए गैरो ने पहली बार ऑन-बोर्ड मशीनगन से लैस पहला सिंगल-सीटर फाइटर प्लेन बनाया था।
यह प्रोपेलर के जरिए फायर कर सकता था। इस प्लेन के जरिए उन्होंने दुश्मन के तीन विमान को मार गिराया था। हालांकि, उनका प्लेन भी क्रैश हो गया था और जर्मनी सेना ने उन्हें गिरफ्त में ले लिया था। इसके तीन साल बाद वे भाग निकले थे।
चश्मा लगाकर प्लेन उड़ाया और फिर विश्व युद्ध में शामिल हुए
जर्मनी की गिरफ्त से निकलने के बाद उन्हें आंखों से कम दिखाई देने लगा था, लेकिन इसके बावजूद वे चश्मा पहनकर विमान उड़ाते थे। फ्रांस ने उन्हें वायुसेना के सलाहकार के रूप में काम करने को कहा, लेकिन वे नहीं माने और युद्ध में फिर लौटे।
उनके जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले यानी 5 अक्टूबर 1918 को बेल्जियम बॉर्डर के करीब प्लेन क्रैश होने से वे शहीद हो गए थे। इसके 10 साल बाद के एक मित्र और राजनेता ने उनकी सेवाओं को याद रखने के लिए स्टेडियम का नाम रोलां गैरो करने की मांग की थी।
भूमध्य सागर को पार करने वाली दुनिया की पहली फ्लाइट
गैरो का जन्म 1888 में फ्रांस के रियूनियन आइलैंड में हुआ था। बिजनेसमैन रहे गैरो 21 की उम्र में एविएटर बने। अगस्त 1909 में एक एयर शो को देखने के बाद उन्होंने एक प्लेन खरीदा और इसे उड़ाना सीखा। 23 सितंबर 1913 को उन्होंने इतिहास की पहली लंबी उड़ान (780 किलोमीटर) के साथ भूमध्य सागर पार किया।
उन्होंने 200 लीटर फ्यूल और 60 लीटर कस्तोर ऑइल के साथ फ्रेंच रिवेरा से ट्यूनीशिया के लिए उड़ान भरी। प्लेन के दो इंजन फेल होने के बावजूद ट्यूनीशिया में सेफ लैंडिंग कराई। उनके विमान में महज 5 लीटर ईंधन बचा था। उनकी इस उड़ान ने उन्हें भूमध्य सागर पार करने वाला पहला एविएटर बनाया।
नडाल लगातार तीन बार से खिताब जीत रहे
लाल बजरी के बादशाह कहे जाने वाले स्पेन के राफेल नडाल ने सबसे ज्यादा 12 बार फ्रेंच ओपन खिताब जीता है। ओवरऑल सबसे ज्यादा 20 ग्लैंड स्लैम जीतने वाले स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर से वे एक खिताब पीछे हैं। हालांकि, फेडरर चोट के कारण इस बार ग्रैंड स्लैम नहीं खेल रहे, ऐसे में डिफेंडिंग चैम्पियन नडाल के पास उनकी बराबरी करने का मौका है।
खिलाड़ी
देश
ग्रैंड स्लैम जीते
कुल
रोजर फेडरर
स्विट्जरलैंड
5 यूएस ओपन, 8 विंबलडन, 6 ऑस्ट्रेलियन और 1 फ्रेंच ओपन
20
राफेल नडाल
स्पेन
4 यूएस ओपन, 12 फ्रेंच ओपन, 1 ऑस्ट्रेलियन और 2 विंबलडन
19
नोवाक जोकोविच
सर्बिया
3 यूएस ओपन, 8 ऑस्ट्रेलियन ओपन, 5 विंबलडन और 1 फ्रेंच ओपन
17
स्टेडियम में 5 हजार दर्शकों को मिलेगी अनुमति
हाल ही में फ्रेंच टेनिस फेडरेशन के अध्यक्ष बर्नार्ड जियूडिसेल्ली ने कहा था कि यह टेनिस की बहाली के बाद पहला टूर्नामेंट होगा, जिसमें दर्शक मौजूद होंगे। सरकार की नई गाइडलाइन के मुताबिक, पेरिस जैसे शहर में किसी भी तरह के स्पोर्ट्स, कल्चरल इवेंट में 5 हजार दर्शक मौजूद रह सकते हैं। फेडरेशन ने इसी हिसाब से फ्रेंच ओपन के लिए प्लान तैयार किया है।
खिलाड़ियों का हर पांचवें दिन कोरोना टेस्ट होगा
ऑर्गेनाइजर्स के मुताबिक, सभी खिलाड़ियों को कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही टूर्नामेंट में एंट्री मिलेगी। उनकी 72 घंटे के भीतर दोबारा जांच होगी और हर 5वें दिन कोरोना टेस्ट होगा। खिलाड़ियों को दो होटलों में ठहराया जाएगा। स्टेडियम में आने वाले हर एक व्यक्ति को मास्क पहनना होगा। टूर्नामेंट से जुड़े हर व्यक्ति को बायो-सिक्योर माहौल में आने से पहले कोरोना टेस्ट कराना होगा।
नडाल के बाद बोर्ग ने सबसे ज्यादा फ्रेंच ओपन खिताब जीते
खिलाड़ी
देश
फ्रेंच ओपन जीते
राफेल नडाल
स्पेन
12
ब्जोर्न बोर्ग
स्वीडन
6
मैट्स विलेंडर
स्वीडन
3
गुस्तावो कुएर्टेन
ब्राजील
3
इवान लेंडल
चेक रिपब्लिक
3
प्राइज मनी बढ़ाई गई
इस बार फर्स्ट राउंड में हारने वाले प्लेयर्स के लिए पिछले साल के मुकाबले प्राइज मनी 30% बढ़ा दी गई। अब हर खिलाड़ी को 71 हजार डॉलर (52 लाख रुपए) मिलेंगे। क्वालिफाई करने वाले खिलाड़ियों को भी पिछले साल के मुकाबले 27% ज्यादा प्राइज मनी मिलेगी।
क्वालिफिकेशन के पहले राउंड में हारने वाले प्लेयर्स को 11 हजार 800 अमेरिकी डॉलर (8.67 लाख रुपए) मिलेंगे। इस बार कुल प्राइज मनी 38 करोड़ यूरो (करीब 326 करोड़ रुपए) रखी गई है, जो पिछले साल के मुकाबले 10.93% है। विनर को 16 लाख यूरो (करीब 14 करोड़ रुपए) मिलेंगे, जो 2019 से 30.43% कम है।
वुमन्स में डिफेंडिंग चैम्पियन बार्टी कोरोना के कारण नहीं खेल रहीं
पिछले साल मेंस सिंगल्स में नडाल ने खिताब जीता था। वुमन्स कैटेगरी में मौजूदा वर्ल्ड नंबर-1 ऑस्ट्रेलिया की एश्ले बार्टी ने अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता था। हालांकि, बार्टी इस साल कोरोना के कारण फ्रेंच ओपन नहीं खेलेंगी।
क्ले कोर्ट पर प्लेयर को काफी ताकत लगानी पड़ती है
टेनिस में तीन तरह के ही ग्रास, क्ले और हार्ड कोर्ट होते हैं। ऑस्ट्रेलियन और यूएस ओपन हार्ड (कंक्रीट से बने) कोर्ट, जबकि विंबलडन ग्रास (घास वाले) कोर्ट पर खेला जाता है। फ्रेंच ओपन क्ले कोर्ट पर होता है। यह कोर्ट लाल बजरी से बनाया जाता है, जिस पर बॉल की स्पीड स्लो होती है। क्ले कोर्ट पर बॉल की फिसलन कम और उछाल तेज हो जाता है। इस कोर्ट पर प्लेयर को काफी ताकत लगानी पड़ती है। नडाल और स्टेफी ग्राफ क्ले कोर्ट के बादशाह माने जाते हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार विंबलडन रद्द हुआ
इस साल 4 की जगह 3 ही ग्रैंड स्लैम हुए। 1972 में ओपन एरा शुरू होने के बाद से पहली बार ऐसा हुआ है। कोरोना के कारण विंबलडन दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार रद्द किया गया है। ऑस्ट्रेलियन और यूएस ओपन पहले ही हो चुका।
आईपीएल के 13वें सीजन का 9वां मैच राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच आज शारजाह में खेला जाएगा। पिछले 5 मुकाबलों में पंजाब ने राजस्थान को 4 बार शिकस्त दी है। वहीं 2014 में शारजाह में ही दोनों टीमों का आमना-सामना हुआ था, जिसमें पंजाब ने राजस्थान को 7 विकेट से हराया था।
लीग में यह पंजाब का तीसरा और राजस्थान का दूसरा मैच है। पंजाब ने 1 मैच जीता और 1 में उसे हार मिली। वहीं राजस्थान ने अपने पहले मुकाबले में चेन्नई सुपरकिंग्स को हराया था। पिछले मैच की तरह इस मैच में भी राजस्थान को संजू सैमसन और पंजाब को कप्तान लोकेश राहुल से काफी उम्मीदें होंगी।
लीग में सबसे बड़ा स्कोर बनाने वाले भारतीय हैं राहुल
बेंगलुरु के खिलाफ राहुल ने शानदार 132 रन की पारी खेली थी। यह लीग में किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर है। इससे पहले ऋषभ पंत ने 128 रन की नाबाद पारी खेली थी। इस मामले में क्रिस गेल 175 के स्कोर के साथ टॉप पर काबिज हैं। सबसे ज्यादा शतक के मामले में भी गेल (6) सबसे आगे हैं।
दोनों टीम के महंगे खिलाड़ी
राजस्थान में कप्तान स्मिथ 12.50 करोड़ और संजू सैमसन 8 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं। वहीं, पंजाब में कप्तान लोकेश राहुल 11 करोड़ और ग्लेन मैक्सवेल 10.75 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं।
पिच और मौसम रिपोर्ट
शारजाह में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। तापमान 27 से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। यहां हुए पिछले 13 टी-20 में पहले बल्लेबाजी वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 69% रहा है।
इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 13
पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 9
पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 4
पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 149
दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 131
रॉयल्स टीम में स्मिथ, सैमसन और आर्चर की-प्लेयर्स
राजस्थान रॉयल्स में कप्तान स्मिथ के अलावा संजू सैमसन और डेविड मिलर अहम बल्लेबाज हैं। ऑलराउंडर्स में टॉम करन और श्रेयस गोपाल रह सकते हैं। इनके अलावा बॉलिंग डिपार्टमेंट में इंग्लैंड को वर्ल्ड कप जिताने वाले जोफ्रा आर्चर के अलावा जयदेव उनादकट और बड़े प्लेयर रहेंगे।
पंजाब में गेल, राहुल और मैक्सवेल पर अहम जिम्मेदारी
पंजाब टीम में कप्तान लोकेश राहुल के साथ सबसे अनुभवी दिग्गज वेस्टइंडीज के क्रिस गेल और ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल पर अहम जिम्मेदारी होगी। ओपनर बल्लेबाज मयंक अग्रवाल भी अच्छे फॉर्म में चल रहे हैं। बॉलिंग डिपार्टमेंट में टीम के लिए मोहम्मद शमी और शेल्डन कॉटरेल अहम भूमिका में रहेंगे। रवि बिश्नोई और मुरुगन अश्विन जैसे युवा गेंदबाज भी पंजाब को मजबूती प्रदान करेंगे।
हेड-टु-हेड
राजस्थान और पंजाब के बीच आईपीएल में कांटे की टक्कर रही है। दोनों के बीच अब तक 19 मुकाबले खेले गए। राजस्थान ने 10 और पंजाब ने 9 मैच जीते। पिछले सीजन की बात करें तो पंजाब ने दोनों मुकाबलों में पंजाब ने राजस्थान को हराया था।
आईपीएल में राजस्थान का सक्सेस रेट पंजाब से ज्यादा
आईपीएल का पहला खिताब (2008) जीतने वाली राजस्थान रॉयल्स ने लीग में अब तक 148 मैच खेले, जिसमें 76 जीते और 70 हारे हैं। 2 मुकाबले बेनतीजा रहे। वहीं, अपने पहले खिताब का इंतजार कर रही पंजाब ने अब तक 178 में से 83 मैच जीते और 95 हारे हैं। इस तरह लीग में रॉयल्स की जीत सक्सेस रेट 51.35% और पंजाब का 46.62% रहा।