रविवार, 9 अगस्त 2020

नेपोली को हराकर बार्सिलोना लगातार 13वीं बार लीग के क्वार्टर फाइनल में, मेसी ने अलग-अलग 35 टीमों के खिलाफ गोल करने का रिकॉर्ड बनाया

बार्सिलोना चैम्पियंस लीग के प्री-क्वार्टर फाइनल के दूसरे लेग में नेपोली को 3-1 से हराकर लगातार 13वीं बार क्वार्टर फाइनल में पहुंचा। यहां उसका मुकाबला 15 अगस्त को बार्यन म्यूनिख से होगा।

बार्सिलोना ने मैच के 10वें मिनट में ​​​क्लिमेंट लेंगलेट के गोल की बदौलत नेपोली पर बढ़त हासिल की। यह बार्सिलोना की तरफ से चैम्पियंस लीग में इस खिलाड़ी का पहला गोल है। 23वें मिनट में लियोनल मेसी ने नेपोली के चार डिफेंडरों को चकमा देकर बार्सिलोना के लिए दूसरा गोल किया।

मेसी चैम्पियंस लीग में अलग-अलग 35 टीमों के खिलाफ गोल कर चुके

इसके साथ मेसी ने लीग में नया रिकॉर्ड बनाया। वे चैम्पियंस लीग में अलग-अलग 35 टीमों के खिलाफ करने वाले पहले खिलाड़ी हैं। क्रिस्टियानो रोनाल्डो और राउल गोंजालेज ने 33-33 टीमों के खिलाफ गोल किए हैं, जबकि करीम बेंजेमा और ज्लाटन इब्राहिमोविच ने 29 टीमों के खिलाफ गोल दागे हैं।

बार्सिलोना ने तीनों गोल पहले हाफ में किए

कुछ मिनट बाद बाद मेसी ने दोबारा गोल किया। लेकिन वीडियो रिव्यू में रैफरी ने इसे हैंडबॉल माना और गोल को नकार दिया। हालांकि, इसका बार्सिलोना पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा और टीम ने हाफ टाइम से ठीक पहले तीसरा गोल किया। इस बार लुईस सुआरेज ने पेनल्टी के जरिए टीम की बढ़त को और मजबूत किया। हालांकि, पहले हाफ के एक्स्ट्रा टाइम में बार्सिलोना के इवान रैकिटिक के फाउल की वजह नेपोली को पेनल्टी मिल गई।

नेपोली के लिए इकलौता गोल इनसाइन ने किया

नेपोली के लिए लॉरेंजो इनसाइन ने इस मौके को जाया नहीं होने दिया और टीम के लिए मैच में पहला और इकलौता गोल दागा। दोनों टीमों ने सेकेंड हाफ में भी गोल करने की काफी कोशिश की। लेकिन फुलटाइम तक स्कोर 3-1 ही रहा। इस जीत के साथ ही बार्सिलोना ने रिकॉर्ड 18वीं बार चैम्पियंस लीग के क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की की।

बार्यन म्यूनिख ने चेल्सी को हराया

इधर, दूसरे प्री-क्वार्टर फाइनल में जर्मन क्लब बार्यन म्यूनिख ने इंग्लिश क्लब चेल्सी को 4-1 से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। बार्यन ने लगातार 18वां मैच जीता। टीम के लिए रॉबर्ट लेवेंडोस्की ने सबसे ज्यादा 2 गोल किए। चैम्पियंस लीग के इस सीजन में लेवेंडोस्की ने 7 मैच में 13 गोल किए, जबकि 2019-20 सीजन में क्लब के लिए वे अब तक 44 मैच में 53 गोल कर चुके हैं।



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बार्सिलोना चैम्पियंस लीग के क्वार्टर फाइनल में रिकॉर्ड 18वीं बार पहुंचीं। लियोनल मेसी अब तक लीग के प्री-क्वार्टर फाइनल स्टेज के 30 मैच में 27 गोल कर चुके हैं। यह एक रिकॉर्ड है।


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सनकी ने 13 मंजिला अपार्टमेंट में आग लगाई, 3 बच्चों समेत 11 लोगों की मौत; 5 लोग 12वीं मंजिल से कूदने के दौरान जान गंवा बैठे

चेक रिपब्लिक के शहर बोहुमिन में शनिवार तड़के एक दर्दनाक घटना में 11 लोगों की मौत हो गई। एक सनकी व्यक्ति ने 13 मंजिला अपार्टमेंट में आग लगा दी। इसमें 11 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में तीन बच्चे भी शामिल हैं। घटना के बाद आरोपी ने भागने की कोशिश की। लेकिन, कुछ देर बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। 3 बच्चों समेत 6 लोगों की मौत एक ही अपार्टमेंट ब्लॉक में हुई। बाकी पांच जान बचाने की कोशिश में 12वीं मंजिल से कूदे और मारे गए।

फायर ब्रिगेड ने कई लोगों की जान बचाई
घटना बोहुमिन के बाहरी इलाके टाउन हॉल सेक्टर की है। यह करीब 300 किलोमीटर दूर पोलैंड का बॉर्डर लगता है। अल जजीरा चैनल ने पुलिस के हवाले से बताया कि शनिवार तड़के यहां 13 मंजिला इमारत में आग लगी। सबसे पहले 11वें फ्लोर पर आग दिखी। फायर ब्रिगेड ने आग बुझाने की कोशिश की। 11 लोग मारे गए। लेकिन, 100 से ज्यादा लोगों की जान आग बुझाने में मिली कामयाबी की वजह से बच गई।

इसी 13 मंजिला इमारत में शनिवार तड़के आग लगी थी।

5 लोग 12वीं मंजिल से कूदे
डॉयचे वैले की रिपोर्ट के मुताबिक, आग 11वीं मंजिल के ब्लॉक में लगी थी। इसकी लपटें 12वीं मंजिल तक पहुंचीं। वहां मौजूद पांच लोगों ने आग से बचने के लिए खिड़की से छलांग लगा दी। नीचे गिरने पर इन्हें गंभीर चोटें आईं। इन्होंने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। दो लोगों की मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी।

पुलिस ने क्या कहा
एरिया के पुलिस चीफ थॉमस कुजेल ने कहा- हम शुरुआत से ही शक था कि यह आग जानबूझकर लगाई गई। फायर ब्रिगेड जब आग बुझा रही थी तब हम संदिग्ध की तलाश कर रहे थे। इसी दौरान एक व्यक्ति पर शक हुआ। उसने भागने की कोशिश की। लेकिन, हमने उसे गिरफ्तार कर लिया। यह आपसी रंजिश का मामला लग रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरोपी को मानसिक तौर पर बीमार और सनकी बताया गया है।



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फायर ब्रिगेड जब आग बुझा रही थी तब आसपास के कई लोग मौके पर जुट गए। इस अपार्टमेंट में करीब 250 लोग रहते हैं।


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विजयवाड़ा में कोविड-19 फैसिलिटी सेंटर में आग लगने से 7 की मौत, 22 लोगों का इलाज चल रहा था

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में रविवार को एक होटल में आग लगने से 7 लोगों की मौत हो गई। होटल को कोविड-19 फैसिलिटी सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। यहां 22 मरीज भर्ती थे। मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्‌डी ने हादसे की जांच का आदेश दिया है। यह आग एलुरु रोड स्थित होटल स्वर्ण पैलेस में लगी। इसे रमेश हॉस्पिटल के मैनेजमेंट ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए किराए पर लिया था।

फिलहाल आग पर काबू पा लिया गया है।

कृष्णा जिले के डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर मोहम्मद इम्तियाज ने बताया कि हादसा तड़के करीब 5 बजे हुआ। ज्यादातर मौतें दम घुटने से हुईं। पूरी बिल्डिंग को खाली करा लिया गया है। अनुमान है कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी।

विजयवाड़ा की जिस होटल में आग लगी, उसे कोविड-19 फैसिलिटी सेंटर बनाया गया था।

6 अगस्त को अहमदाबाद के कोविड अस्पताल में आग से 8 मरीजों की मौत हुई थी

गुजरात के अहमदाबाद के श्रेय कोविड अस्पताल में भी गुरुवार को आग लगी थी। इस हादसे में 8 मरीजों की मौत हुई थी। इनमें 5 पुरुष और 3 महिलाएं शामिल थे। आग अस्पताल के चौथी मंजिल पर लगी। पुलिस ने इस मामले में अस्पताल के ट्रस्टी भारत महंत और एक कर्मचारी को हिरासत में लिया है।

आंध्र प्रदेश संक्रमण के मामले में देश में तीसरे नंबर पर

संक्रमण के मामले में आंध्र प्रदेश देश में तीसरे नंबर पर है। यहां 2.17 लाख कोरोना के केस आ चुके हैं। 85 हजार 486 मरीजों का इलाज चल रहा है। 1 लाख 29 हजार 615 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 1 हजार 939 मरीजों ने इस बीमारी से जान गंवाई है।

कोविड अस्पताल में आग से जुड़ी ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं...

1. आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से महिला के बालों में आग लगी, इसे बुझाने में 3 कर्मचारी भी झुलसे: ऑक्सीजन सिलेंडर से आग फैल गई और सब खाक हो गया

2. अहमदाबाद के कोविड अस्पताल में आग लगी, 3 महिलाओं समेत 8 कोरोना मरीजों की मौत; पुलिस ने ट्रस्टी और एक कर्मचारी को हिरासत में लिया



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यह आग एलुरु रोड स्थित होटल स्वर्ण पैलेस में लगी। इसे रमेश हॉस्पिटल के मैनेजमेंट ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए किराए पर लिया था।


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लगातार तीसरे दिन 60 हजार से ज्यादा मरीज बढ़े, लेकिन अच्छी बात कि तीनों दिन 50 हजार से ज्यादा ठीक भी हुए; कुल 21.52 लाख केस

देश में 24 घंटे में रिकॉर्ड 65 हजार 156 मरीज मिले और 52 हजार 135 मरीज ठीक हो गए। यह लगातार तीसरा दिन है जब 60 हजार से ज्यादा केस आए और 50 हजार से ज्यादा मरीज ठीक हुए। देश में अब तक कोरोना संक्रमण के 21.52 लाख केस आ चुके हैं। अच्छी बात है कि इनमें से 14.79 लाख से ज्यादा ठीक हो गए हैं। 6.28 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 43 हजार 453 लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं।

महाराष्ट्र में बीते 24 घंटे में सबसे ज्यादा 12 हजार 822 संक्रमित मिले। यहां एक दिन में पहली बार इतने केस आए। इसके साथ ही राज्य में कुल केस का आंकड़ा भी 5 लाख के पार हो गया। 10 हजार 80 नए केसों के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर रहा। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

अपडेट्स...

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में रिकवर हुए मरीजों की कुल संख्या 14.79 लाख से ज्यादा हो गई है। रिकवरी रेट में लगातार सुधार हो रहा है। यह अब बढ़कर 68.32% हो गया है जबकि मृत्यु दर 2.04% है। देश में अब तक 2 करोड़ 33 लाख 87 हजार 171 सैंपल की जांच हो चुकी है।
  • केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। दोनों ने ट्वीट करके यह खबर दी।
  • गुजरात, केरल, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में बीते 24 घंटे में जितने नए केस आए, उनसे ज्यादा मरीज ठीक हो गए। इनके अलावा दादरा एवं नगर हवेली, चंडीगढ़ और मिजोरम में नए केस और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बराबर रही।

गुजरात और केरल समेत 7 राज्यों में जितने नए केस आए उनसे ज्यादा ठीक हो गए

राज्य नए केस ठीक हुए
गुजरात 1101 1135
केरल 1420 1715
त्रिपुरा 146 224
हिमाचल 114 127
नगालैंड 31 69
अरुणाल 68 104
सिक्किम 6 11
दादरा एवं नगर हवेली 51 51
चंड़ीगढ़ 52 52
मिजारम 8 8

5 राज्यों का हाल
1. महाराष्ट्र:
मुंबई की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में बीते 24 घंटे में 7 नए मामले सामने आए। यहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2,604 पहुंच गई। उधर, पुणे में एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या देश में सबसे ज्यादा हो चुकी है। कुल केस 1 लाख 264 आए हैं। इनमें से 30 हजार से ज्यादा एक्टिव पेशेंट हैं। यहां 2290 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। लगातार बढ़ते मामलों के बीच अब पुणे में 3 जंबो कोविड सेंटर तैयार किए गए हैं। हर सेंटर में 600 ऑक्सीजन बेड और 200 आईसीयू बेड लगाये गए हैं।

2. मध्यप्रदेश: अनलॉक-3 को लेकर राज्य सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर दी है। इसके मुताबिक, त्योहारों पर बाहर निकलने की छूट नहीं मिलेगी। बाजार रात 10 बजे तक खुल सकेंगे। नाइट कर्फ्यू सुबह 5 बजे तक होगा। राज्य में भोपाल समेत बाकी जगहों पर सिर्फ रविवार को ही लॉकडाउन रहेगा। होटल और रेस्त्रां अब रात 10 बजे तक खुल सकेंगे, लेकिन उन्हें इस बार गाइडलाइन का सख्ती से पालन करना होगा। इंदौर प्रशासन ने सिर्फ 56 दुकानों को ही पूरी तरह खोलने की अनुमति दी है।

3. उत्तरप्रदेश: राज्य के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी होम अवनीश अवस्थी ने कहा कि हम कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करा रहे हैं। नियमों को नहीं मानने वालों के खिलाफ पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। अभी तक धारा 188 के अंतर्गत कुल 1 लाख 74 हजार एफआईआर दर्ज की गई है। 66 हजार 600 से अधिक वाहनों को सीज किया गया है और चेकिंग के दौरान 59 करोड़ 13 लाख रुपए वसूले जा चुके हैं।

4. राजस्थान: राज्य में शनिवार को 499 केस सामने आए। अलवर में 91, कोटा में 85, नागौर में 52, उदयपुर में 47, अजमेर में 46, जयपुर में 42, बाड़मेर में 27, सीकर में 26 और बांसवाड़ा में 25 मरीज मिले हैं। उधर, झुंझुनूं में 19, डूंगरपुर में 18, झालावाड़ में 11, टोंक में 7, बीकानेर में 2, चित्तौड़गढ़ में 1 संक्रमित मिला। राज्य में 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें बारां और कोटा में 3-3, जयपुर में 2, बीकानेर, प्रतापगढ़ और उदयपुर में 1-1 की मौत हो गई।

5. बिहार: राज्य में कोरोना सैंपल की जांच से लेकर कुल संक्रमितों की संख्या तक में बढ़ोतरी का लगातार नया रिकॉर्ड बन रहा है। राज्य में पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 71 हजार 520 कोरोना सैंपल की जांच हुई। इनमें 3646 नए संक्रमितों की पहचान हुई। राज्य में संक्रमण की दर लगातार घट रही है। 31 जुलाई को संक्रमण दर 13.12% पर पहुंची थी, जो 7 अगस्त को 5.09% रह गई है। यानी इंफेक्शन रेट आधा से भी कम हो गया है।



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लगातार तीसरे दिन 60 हजार से ज्यादा मरीज बढ़े, लेकिन अच्छी बात कि तीनों दिन 50 हजार से ज्यादा ठीक भी हुए; कुल 21.52 लाख केस

देश में 24 घंटे में रिकॉर्ड 65 हजार 156 मरीज मिले और 52 हजार 135 मरीज ठीक हो गए। यह लगातार तीसरा दिन है जब 60 हजार से ज्यादा केस आए और 50 हजार से ज्यादा मरीज ठीक हुए। देश में अब तक कोरोना संक्रमण के 21.52 लाख केस आ चुके हैं। अच्छी बात है कि इनमें से 14.79 लाख से ज्यादा ठीक हो गए हैं। 6.28 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 43 हजार 453 लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं।

महाराष्ट्र में बीते 24 घंटे में सबसे ज्यादा 12 हजार 822 संक्रमित मिले। यहां एक दिन में पहली बार इतने केस आए। इसके साथ ही राज्य में कुल केस का आंकड़ा भी 5 लाख के पार हो गया। 10 हजार 80 नए केसों के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर रहा। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

अपडेट्स...

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में रिकवर हुए मरीजों की कुल संख्या 14.79 लाख से ज्यादा हो गई है। रिकवरी रेट में लगातार सुधार हो रहा है। यह अब बढ़कर 68.32% हो गया है जबकि मृत्यु दर 2.04% है। देश में अब तक 2 करोड़ 33 लाख 87 हजार 171 सैंपल की जांच हो चुकी है।
  • केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। दोनों ने ट्वीट करके यह खबर दी।
  • गुजरात, केरल, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में बीते 24 घंटे में जितने नए केस आए, उनसे ज्यादा मरीज ठीक हो गए। इनके अलावा दादरा एवं नगर हवेली, चंडीगढ़ और मिजोरम में नए केस और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बराबर रही।

गुजरात और केरल समेत 7 राज्यों में जितने नए केस आए उनसे ज्यादा ठीक हो गए

राज्य नए केस ठीक हुए
गुजरात 1101 1135
केरल 1420 1715
त्रिपुरा 146 224
हिमाचल 114 127
नगालैंड 31 69
अरुणाल 68 104
सिक्किम 6 11
दादरा एवं नगर हवेली 51 51
चंड़ीगढ़ 52 52
मिजारम 8 8

5 राज्यों का हाल
1. महाराष्ट्र:
मुंबई की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में बीते 24 घंटे में 7 नए मामले सामने आए। यहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2,604 पहुंच गई। उधर, पुणे में एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या देश में सबसे ज्यादा हो चुकी है। कुल केस 1 लाख 264 आए हैं। इनमें से 30 हजार से ज्यादा एक्टिव पेशेंट हैं। यहां 2290 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। लगातार बढ़ते मामलों के बीच अब पुणे में 3 जंबो कोविड सेंटर तैयार किए गए हैं। हर सेंटर में 600 ऑक्सीजन बेड और 200 आईसीयू बेड लगाये गए हैं।

2. मध्यप्रदेश: अनलॉक-3 को लेकर राज्य सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर दी है। इसके मुताबिक, त्योहारों पर बाहर निकलने की छूट नहीं मिलेगी। बाजार रात 10 बजे तक खुल सकेंगे। नाइट कर्फ्यू सुबह 5 बजे तक होगा। राज्य में भोपाल समेत बाकी जगहों पर सिर्फ रविवार को ही लॉकडाउन रहेगा। होटल और रेस्त्रां अब रात 10 बजे तक खुल सकेंगे, लेकिन उन्हें इस बार गाइडलाइन का सख्ती से पालन करना होगा। इंदौर प्रशासन ने सिर्फ 56 दुकानों को ही पूरी तरह खोलने की अनुमति दी है।

3. उत्तरप्रदेश: राज्य के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी होम अवनीश अवस्थी ने कहा कि हम कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करा रहे हैं। नियमों को नहीं मानने वालों के खिलाफ पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। अभी तक धारा 188 के अंतर्गत कुल 1 लाख 74 हजार एफआईआर दर्ज की गई है। 66 हजार 600 से अधिक वाहनों को सीज किया गया है और चेकिंग के दौरान 59 करोड़ 13 लाख रुपए वसूले जा चुके हैं।

4. राजस्थान: राज्य में शनिवार को 499 केस सामने आए। अलवर में 91, कोटा में 85, नागौर में 52, उदयपुर में 47, अजमेर में 46, जयपुर में 42, बाड़मेर में 27, सीकर में 26 और बांसवाड़ा में 25 मरीज मिले हैं। उधर, झुंझुनूं में 19, डूंगरपुर में 18, झालावाड़ में 11, टोंक में 7, बीकानेर में 2, चित्तौड़गढ़ में 1 संक्रमित मिला। राज्य में 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें बारां और कोटा में 3-3, जयपुर में 2, बीकानेर, प्रतापगढ़ और उदयपुर में 1-1 की मौत हो गई।

5. बिहार: राज्य में कोरोना सैंपल की जांच से लेकर कुल संक्रमितों की संख्या तक में बढ़ोतरी का लगातार नया रिकॉर्ड बन रहा है। राज्य में पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 71 हजार 520 कोरोना सैंपल की जांच हुई। इनमें 3646 नए संक्रमितों की पहचान हुई। राज्य में संक्रमण की दर लगातार घट रही है। 31 जुलाई को संक्रमण दर 13.12% पर पहुंची थी, जो 7 अगस्त को 5.09% रह गई है। यानी इंफेक्शन रेट आधा से भी कम हो गया है।



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चुनिंदा पायलट्स ही यहां उड़ा पाते हैं प्लेन, कोई चारों तरफ पहाड़ों से घिरा तो कोई है समुद्र के किनारे

केरल के करिपुर एयरपोर्ट पर शुक्रवार शाम एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान लैंडिंग के वक्त रनवे से फिसलकर 35 फीट नीचे खाई में गिर गया। इस हादसे में अब तक 18 यात्रियों की जान जा चुकी है। एयर इंडिया (IX-1344) के इस विमान में 190 लोग सवार थे, जिसमें 10 बच्चे भी शामिल हैं।

इस एयरपोर्ट का रनवे टेबल टॉप है। टेबल टॉप रनवे से उड़ान भरना और लैंड करना बेहद चैलेंजिंग टास्क होता है। थोड़ी सी भी चूक हुई तो बड़ा हादसा हो जाता है। आइए देश और दुनिया के कुछ ऐसे रनवे के बारे में जानते हैं, जहां से उड़ान भरना और लैंड करना बहुत ही मुश्किल टास्क होता है।

1. लुकला एयरपोर्ट, नेपाल

लुकला एयरपोर्ट नेपाल में है। यह 9 हजार फीट की ऊंचाई पर चारों तरफ हिमालय से घिरा है।

लुकला एयरपोर्ट नेपाल के काठमांडू में है। यहां से उड़ान भरना और लैंड करना दोनों की बेहद खतरनाक होता है। इसके चारों तरफ हिमालय की पहाड़ियां हैं। यहां का रनवे बेहद छोटा है। इसकी लम्बाई 1500 फीट है। और यह 9 हजार फीट की ऊंचाई पर है।

यहां मौसम भी बदलता रहता है। कोहरा और अंधेरा होने के चलते उड़ान भरने और लैंड करने के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। तेज हवा के चलते देर सुबह में यहां उड़ान बंद होती है। एक साल में यहां से करीब 1 लाख यात्री उड़ान भरते हैं।

इस रनवे से उड़ान भरने के लिए पायलटों के लिए कुछ जरूरी शर्तें हैं। पायलट के पास कम से कम 100 शॉर्ट लैंडिंग और टेकऑफ एक्सपीरियंस होना चाहिए। कम से कम एक साल का अनुभव नेपाल में उड़ान भरने का भी होना चाहिए। इसके साथ ही लुकला रनवे से कम से कम 10 प्लेन उड़ाने का अनुभव होना चाहिए।

बेहद खतरनाक होने के चलते यहां अक्सर हादसे भी होते रहते हैं। 2008 में हादसे के दौरान 18 लोगों की मौत हो गई थी। पिछले 20 साल में 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

2. कुरशेवल अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट, फ्रांस

इस एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई सिर्फ 537 मीटर है। चारों तरफ पहाड़ों से घिरा है, जहां सालभर बर्फ जमी रहती है।

फ्रांस का यह हवाई अड्डा दुनिया के सबसे छोटे रनवे में से एक है, जिसकी लम्बाई सिर्फ 537 मीटर है। यहां से उड़ान भरना और लैंड करना दोनों बेहद खतरनाक और चैलेंजिंग होता है। यह रनवे चारों तरह पहाड़ से घिरा है, जहां सालभर बर्फ जमी रहती है। यह 2007 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां हर साल जाड़े में 6 हजार से ज्यादा प्लेन उड़ान भरते हैं।

यहां उड़ान भरते समय सावधानी बरतनी होती है। बड़े और भारी प्लेन यहां उड़ान नहीं भरते हैं। पिछले साल एक प्लेन हादसे का शिकार हो गया था। जिसमें पांच लोग घायल हो गए थे। यहां का रनवे सीधा नहीं है, बल्कि स्लोप के आकार का है।

3. पारो एयरपोर्ट, भूटान

भूटान का पारो एयरपोर्ट समुद्र तल से 2235 मीटर ऊंचाई पर है। कुछ चुनिंदा पायलटों को ही यहां से उड़ान भरने के लिए सर्टिफिकेशन मिला है।

पारो एयरपोर्ट भूटान में है। यह पारो शहर से करीब 6 किमी दूर है, जो चारों तरफ ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसकी लम्बाई 6500 फीट है, जबकि समुद्र तल से इसकी ऊंचाई करीब 2235 मीटर है। यहां रात में उड़ान भरना मना है। इसकी शुरुआत 1968 में हुई थी, भारतीय सेना ने अपने उपयोग के लिए इसकी शुरुआत की थी।

यहां से उड़ान भरने के लिए पायलटों के लिए कुछ जरूरी शर्तें रखी गई हैं। जिन पायलटों ने विशेष ट्रेनिंग ली है, वही उड़ान भर सकते हैं। कुछ चुनिंदा पायलटों को ही यहां से उड़ान भरने के लिए सर्टिफिकेशन मिला है। एक साल में 1.8 लाख यात्री यहां से उड़ान भरते हैं।

4. मैडिएरा एयरपोर्ट, पुर्तगाल

इस एयरपोर्ट के रनवे को बेहद खतरनाक माना जाता है। इसके दोनों तरफ पहाड़ है और दक्षिण में समुद्र है।

मैडिएरा एयरपोर्ट जो पुर्तगाल में है। इसे दुनिया के सबसे खतरनाक एयरपोर्ट माना जाता है। इसके दोनों तरफ पहाड़ी है। साथ ही साउथ में समुद्र भी है। यहां लैंडिंग करना बहुत मुश्किल टास्क होता है। कई बार प्लेन अपने डायरेक्शन से भटक जाता है। शुरुआत में इसका रनवे काफी छोटा था। इससे लैंड करने और उड़ान भरने में दिक्कत होती थी, पास में समुद्र होने के कारण उसमें फिसल जाने की भी आशंका रहती थी। इसलिए इंजीनियरों की मदद से इसे बढ़ाया गया। 1977 में रनवे पर विमान के फिसलने से 131 लोगों की मौत हो गई थी।

5. जुआंचो एयरपोर्ट, साबा

इसे दुनिया का सबसे छोटा रनवे माना जाता है। यह तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है।

कैरेबियाई द्वीप साबा के जुआंचो एयरपोर्ट का रनवे बेहद खतरनाक है। यह दुनिया का सबसे छोटा कमर्शियल रनवे है, जो चट्टान पर बना है। यह तीन तरफ से समुद्र से घिरा है। इस रनवे की लंबाई करीब 396 मीटर है, जबकि आम रनवे 2000 से 2500 मीटर लंबे होते हैं।

6. जिब्राल्टर एयरपोर्ट

जिब्राल्टर एयरपोर्ट दुनिया का एक मात्र ऐसा एयरपोर्ट है, जिसके रनवे के बीच से सड़क होकर गुजरती है।

इंग्लैंड के पास 6.8 वर्ग किलोमीटर में फैले जिब्राल्टर द्वीप पर बना यह दुनिया का इकलौता एयरपोर्ट है, जिसके रनवे के बीच से सड़क गुजरती है। ऐसे में अगर कोई कार या पायलट गलती से सिग्नल तोड़ दे तो सैकड़ों यात्री हादसे का शिकार हो सकते हैं। जब इस एयरपोर्ट पर किसी जहाज की लैंडिंग होती हैं, तो दोनों तरफ से सड़क को बंद कर दिया जाता है। यहां एक साल में 5 लाख से ज्यादा यात्री ट्रैवल करते हैं।

7. पाक्योंग एयरपोर्ट, सिक्किम

पीएम मोदी ने इस एयरपोर्ट का उद्घाटन 2018 में किया था। यह सिक्किम का पहला और देश का 100वां एयरपोर्ट है।

साल 2018 में सिक्किम को अपना पहला एयरपोर्ट मिला था। पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। इस एयरपोर्ट के रनवे को भी टेबल टॉप रनवे कहा जाता है। यह रनवे समुद्र तल से 4,500 फुट की ऊंचाई पर बसे पाक्योंग गांव के करीब दो किलोमीटर ऊपर एक पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया है। यह एयरपोर्ट 201 एकड़ जमीन में फैला है। यह एयरपोर्ट भारत-चीन सीमा से 60 किमी की दूरी पर है। पहाड़ी पर होने से यहां लैंडिंग करना और यहां से उड़ान भरना मुश्किल टास्क होता है। ट्रेंड पायलट ही यहां से फ्लाइट उड़ाते हैं।

8. कुशोक बाकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट, लेह

इसका रनवे चारों तरफ से बर्फ से ढका हुआ है। यह 3259 मीटर की ऊंचाई पर है।

इसी तरह जम्मू-कश्मीर के लेह में भी कुशोक बाकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट पर टेबल टॉप रनवे है। यह एयरपोर्ट सबसे ज्यादा ऊंचाई पर होने की वजह से भी दुनिया भर में चर्चित है। इस एयरपोर्ट का रनवे 3259 मीटर की ऊंचाई पर है। रनवे चारों तरफ से बर्फ से ढका हुआ है। इसलिए यहां से प्लेन को उड़ाने और लैंड करने के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

9. लेंगपुई एय़रपोर्ट, मिजोरम

आइजोल से करीब 32 किमी दूरी पर है। यह करीब 2500 मीटर लंबा है। इसे टेबल टॉप रनवे कहा जाता है।

मिजोरम के लेंगपुई एय़रपोर्ट का रनवे भी पहाड़ की चोटियों पर बना है। यह करीब 2500 मीटर लंबा है। यह नदियों के संगम पर बना हुआ है। यह आइजोल से करीब 32 किमी दूरी पर है। इस एयरपोर्ट के रनवे को भी टेबल टॉप रनवे कहा जाता है। यह 1998 में बनकर तैयार हुआ था। पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने इसका उद्घाटन किया था।

10. कांगड़ा एयरपोर्ट, हिमाचल प्रदेश

1269 एकड़ में बने इस एयरपोर्ट का रनवे 2492 फीट की ऊंचाई पर है।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में बने गग्गल एयरपोर्ट के रनवे को भी बेहद खतरनाक माना जाता है। 1269 एकड़ में बने इस एयरपोर्ट पर रनवे 2492 फीट की ऊंचाई पर है। यहां विमान लैंड कराने में पूरी सावधानी बरतनी होती है। यह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से 12 किमी की दूरी पर है।



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तस्वीर स्कॉटलैंड के बारा एयरपोर्ट की है। यह एयरपोर्ट ट्रेग मोर समुद्री तट पर बना हुआ है। समुद्र में ज्वार-भाटा आने पर यह एयरपोर्ट पानी में डूब जाता है। फाइल फोटो


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3500 रुपए से शुरू हुआ काम 2 करोड़ तक पहुंच गया, पूंजी नहीं थी इसलिए ऐसा काम चुना जिसमें कोई लागत नहीं

कानपुर की प्रेरणा वर्मा ने जब 10वीं पास भी नहीं की थी, तभी उन्हें जॉब शुरू करना पड़ा क्योंकि घर के हालात बहुत अच्छे नहीं थे। मां ने अकेले बेटी और बेटे की परवरिश की थी। प्रेरणा बड़ी थीं, तो उन्होंने घर की जिम्मेदारी समझी और एक इंपोर्टर की कंपनी में कम्प्यूटर ऑपरेटर की नौकरी शुरू की। प्रेरणा को हर महीने 1,200 रुपए सैलरी मिलती थी।

नौकरी के साथ- साथ पढ़ाई भी चल रही थी। सुबह 6 से 10 क्लास अटैंड करती थीं। सुबह 10 से शाम के 6 बजे तक जॉब करती थीं। इसके बाद शाम साढ़े सात बजे तक ट्यूशन लेती थीं और फिर घर आकर खुद पढ़ती थीं और अगले दिन की तैयारी करती थीं। सायबर कैफे भी जाया करती थीं और सर्च करती थीं कि करियर में कहां और क्या किया जा सकता है।

घर के हालात ठीक नहीं थे, इसलिए प्रेरणा कम उम्र से ही जॉब करने लगी थीं। इस दौरान वो अपनी पढ़ाई भी करती थीं।

एक दिन कैफे में ही लेदर प्रोडक्ट्स का बिजनेस करने वाला मिला और उसने प्रेरणा को लेदर प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करने का ऑफर दिया। बात ये हुई थी कि धंधा अच्छा सेट हुआ तो पार्टनरशिप में आ जाएंगे। लेकिन प्रेरणा को न लेदर प्रोडक्ट्स के बारे में कुछ पता था और न ही उन्हें मार्केटिंग करनी आती थी। इसके बावजूद उन्होंने मार्केटिंग करना शुरू कर दिया।

कहती हैं, मेरा काम लोगों को प्रोडक्ट खरीदने के लिए राजी करना था। एक महीने में ही मैंने कई ग्राहकों को जोड़ लिया। मैं ऑर्डर जनरेट करने लगी तो मेरे पार्टनर को शायद अच्छा नहीं लगा और उसका बिहेवियर बदलने लगा तो मैंने फिर उसका काम छोड़ दिया।

2010 में प्रेरणा को यूपी सरकार ने आउटस्टैंडिंग परफॉर्मेंस के लिए अवॉर्ड दिया। वो कई कॉलेजों और सेमिनार में बतौर स्पीकर और एक्सपर्ट स्पीच देने जाती हैं।

इसके बाद मेरे पास कोई काम नहीं था। पैसे भी नहीं थे। सब मिलाकर साढ़े तीन हजार रुपए की सेविंग की थी। डेढ़ महीने लेदर प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करके ये समझ आ गया था कि मैं ग्राहक तो जोड़ सकती हूं। इसलिए सोचा कि कुछ ऐसा काम किया जाए, जिसमें शुरू में पूंजी न लगाना पड़े और अपना काम भी शुरू हो जाए।

तो लेदर प्रोडक्ट्स की ट्रेडिंग शुरू करने का आइडिया आया। लेकिन ऑफिस खोलने के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए घर के ही एक कमरे को ऑफिस बना लिया। घर की पुरानी टेबल रखी। कम्प्यूटर रखा और ट्रेडिंग शुरू कर दी।

प्रेरणा की कंपनी आज 25 से ज्यादा देशों में फैशन, फुटवियर, लेदर गुड्स, हैंडीक्रॉफ्ट में डील करती हैं। 3500 रुपए से शुरू हुआ सफर 2 करोड़ रुपए के टर्नओवर तक पहुंच चुका है।

प्रेरणा कहती हैं, मैं लेदर प्रोडक्ट्स की ट्रेडिंग किया करती थी। जिसको जो जरूरत होती थी, उस तक वो सामान पहुंचाती थी। मार्केट भी घूमती थी। लोगों को ऑनलाइन भी जोड़ रही थी। शुरू के सालों में जितना खर्चा होता था, उतना ही पैसा भी आता था। कोई प्रॉफिट नहीं था लेकिन मैं इंडस्ट्री को समझ रही थी। थोड़े क्लाइंट जुड़े तो फिर मैने घर से निकलकर दो कमरों का ऑफिस बना लिया और वहां से ट्रेडिंग करने लगी।

धीरे-धीरे मेरी सोर्सिंग होने लगी थी। क्लाइंट बनने लगे थे। मैं पांच साल ट्रेडिंग करते रही। लेदर इंडस्ट्री मेल डॉमिनेट होती है। यहां के मार्केट में घूमना और लोगों से बात करना भी किसी चुनौती से कम नहीं था लेकिन मेरा फोकस क्लियर था। मुझे सिर्फ अपने काम से मतलब था इसलिए बिना सोचे में लगी रहती थी।

प्रेरणा ने बताया कि 3500 सौ रुपए से 2010 में ही मैंने खुद की फैक्ट्री शुरू की। कम पैसे की वजह से घर के कमरे को ही ऑफिस बना लिया। बाद में कई अवॉर्ड्स भी मिले।

डोमेस्टिक मार्केट का अच्छा नॉलेज होने के बाद मैंने 2007 में पहली बार सामान बाहर भेजा। मुझे एक रिफरेंस से इंग्लैंड का ऑर्डर मिला था। वहां कुछ लेदर प्रोडक्ट्स पहुंचाने थे। मैंने टाइम पर वो प्रोजेक्ट पूरा किया। बस यहीं से मेरे बिजनेस को ग्रोथ मिलना शुरू हुई। मैं विदेशों में एक्सपोर्ट करने लगी। कभी रिस्क लेने से डरी नहीं।

यदि पता चलता था कि कहीं थोड़ी रिस्क है, लेकिन फायदा भी है तो मैं रिस्क ले लेती थी। 2010 में मुझे यूपी सरकार ने आउटस्टैंडिंग परफॉर्मेंस के लिए अवॉर्ड दिया। यह मेरे लिए किसी सपने की तरह था। इस अवॉर्ड से मेरा कॉन्फिडेंस बहुत तेजी से बढ़ा और मेरा अपने बिजनेस पर फोकस और ज्यादा हो गया।

प्रेरणा ने बताया कि शुरुआती एक महीने में ही मैंने कई ग्राहकों को जोड़ा। डोमेस्टिक मार्केट का अच्छा नॉलेज होने के बाद मैंने 2007 में पहली बार सामान बाहर भेजा।

2010 में ही मैंने खुद की फैक्ट्री शुरू की। हालांकि तब भी मुझे बैंक से लोन नहीं मिल पाया था क्योंकि उन्हें कुछ गिरवी रखना था, जो मेरे पास था नहीं। फिर मैंने जितना कैपिटल इकट्ठा किया था वो पूरा फैक्ट्री में लगा दिया और लेदर प्रोडक्ट्स का उत्पादन शुरू कर दिया। आज 25 से ज्यादा देशों में फैशन, फुटवियर, लेदर गुड्स, हैंडीक्रॉफ्ट में मेरी कंपनी डील करती हूं। 3500 रुपए से शुरू हुआ सफर 2 करोड़ रुपए के टर्नओवर तक पहुंच चुका है।

मैंने न एमबीए किया, न लेदर मार्केटिंग की कोई ट्रेनिंग ली। मेरा तो आर्ट्स में ग्रेजुएशन और इकोनॉमिक्स में पीजी हुआ है। पढ़ाई भी हिंदी मीडियम में हुई। लेकिन मुझे सिर्फ अपना कुछ करना था, इसलिए मैं ये सब कर पाई और मेहनत के साथ सक्सेस मिलती चली गई। अब एमबीए, बीटेक के स्टूडेंट्स को मोटिवेट करने के लिए मुझे बुलाया जाता था। एक्सपर्ट पर लेक्चर देने जाती हूं। यही सब मेरी उपलब्धि है।



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यूपी के कानपुर की रहने वाली प्रेरणा वर्मा लेदर ट्रेंडिंग का काम करती हैं। इन्होंने अपनी कंपनी भी बनाई है। दुनिया के 25 से ज्यादा देशों में प्रोडक्ट सप्लाई करती हैं।


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हत्या के मामले में दबाव बनाने के लिए फैलाई हिंदुओं के पलायन की अफवाह, सभी घरों में एक रात, एक जैसे कागज और लिखावट में लिखा ‘मकान बिकाऊ है'

उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर इलाके से बीते दिनों एक चौंकाने वाली खबर आई। इस खबर में बताया गया कि मोहनपुरी की गली नंबर 7 में रहने वाले कई हिंदू परिवार पलायन को मजबूर हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी ऐसी तमाम तस्वीरें फैलने लगी जिनमें लोगों के घरों के बाहर पोस्टर लगे दिखाई दिए। जिन पर लिखा था ‘धर्म विशेष के भय के कारण यह मकान बिकाऊ है।’

यह खबर आते ही उत्तर पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी ने इलाके का दौरा किया। वे उन तमाम लोगों से मिले और उन्होंने दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी इस संबंध में पत्र लिखते हुए इस मामले पर ध्यान देने की अपील की। 31 जुलाई और 1 अगस्त को मनोज तिवारी ने इस संबंध में कई ट्वीट भी किए, जिसके चलते यह मामला कुछ और चर्चित हुआ।

हालांकि, मौके पर पहुंचने पर तस्वीर कुछ अलग नजर आती है। मोहनपुरी की गली नंबर 7 दूर से ही पहचानी जा सकती है। इस गली के दोनों छोरों पर लगे चटख भगवा रंग के गेट इसे बाकियों से अलग करते हैं। इस गली में क़रीब 70 घर हैं जिनमें से सिर्फ़ तीन ही घर मुस्लिम समुदाय के लोगों के हैं जबकि बाकी सभी घर हिंदू समुदाय के हैं।

इलाके में रहने वाले लोगों ने अपने घरों के बाहर पोस्टर लगा दिया है कि ‘धर्म विशेष के भय के कारण यह मकान बिकाऊ है।’

इनमें से कई घरों के बाहर अब भी ऐसे पोस्टर देखे जा सकते हैं जिन पर लिखा है कि ‘धर्म विशेष के भय के कारण यह मकान बिकाऊ है।’ लेकिन दिलचस्प यह है कि ये सभी पोस्टर एक ही दिन लगाए गए, सभी पोस्टर बिलकुल एक ही जैसी ए-4 शीट पर बनाए गए हैं, सभी पोस्टरों पर लिखे वाक्य अक्षरशः एक जैसे हैं और लगभग सभी पोस्टर लिखे भी एक ही लिखावट (हैंड राइटिंग) में गए हैं।

एक और बात जो ध्यान खींचती है वह यह है कि ‘घर बिकाऊ है’ लिखे इन पोस्टरों में कहीं भी कोई फोन नंबर दर्ज नहीं है। अमूमन लोग जब अपने घर को किराए पर देने या बेचने के लिए ऐसे पोस्टर लगाते हैं तो उनमें अपना कॉन्टैक्ट नंबर जरूर लिखते हैं। लेकिन मोहनपुरी की गली नंबर 7 में लगे इन तमाम पोस्टरों में से किसी एक में भी कोई फोन नंबर दर्ज नहीं है।

इसके साथ ही यहां रहने वाले किसी भी परिवार ने न तो घर बेचने के संबंध में कोई विज्ञापन दिया है और न ही किसी ने प्रॉपर्टी डीलरों से ही घर बेचने के बारे में कोई बात की है। ऐसे में ये सवाल ज़रूर उठता है कि अगर ये लोग घर बेचना नहीं चाहते तो इन्होंने अपने घरों के बाहर यह पोस्टर क्यों चिपकाए हैं?

जिन घरों के बाहर पोस्टर लगाए गए हैं वे लगभग एक ही राइटिंग के हैं और एक ही तरीके से लिखे गए हैं। इन पोस्टरों में से किसी एक में भी कोई फ़ोन नंबर दर्ज नहीं है।

इस सवाल का जवाब यहां रहने वाले लोगों से बात करने पर साफ होने लगता है। इसी गली में रहने वाले राजपाल कहते हैं, ‘फरवरी में जो दंगे हुए उनमें हमारे ही लोगों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं और ग़लत कार्रवाई हो रही है। यहां से 16 निर्दोष लोगों को एक हत्या के मामले में उठा लिया गया है और कोई सुनवाई नहीं हो रही। जब यहां हमारी कोई सुनवाई ही नहीं है तो हम यहां रहकर क्या करेंगे?’

राजपाल जिस मामले का जिक्र कर रहे हैं वो परवेज आलम नाम के एक व्यक्ति की हत्या का मामला है। परवेज गली नम्बर सात के ठीक सामने सड़क के दूसरी तरफ रहा करते थे। इस हत्या के आरोप में पुलिस ने मोहनपुरी के 16 लोगों को आरोपित बनाया है और ये सभी लोग अप्रैल से जेल में क़ैद हैं।

इन आरोपितों में जयवीर सिंह तोमर भी एक हैं। उनकी पत्नी सुनीता बताती हैं, ‘हम लोग 30-32 साल से यहां रह रहे हैं। पहले कभी कोई समस्या नहीं हुई लेकिन दंगों के बाद से माहौल बिगड़ गया है। उस दिन हमारी दुकान जला दी गई और बाद में मेरे पति को ही हत्या के आरोप में फंसा दिया गया। वो 9 अप्रैल से जेल में हैं और उन्हें ज़मानत तक नहीं मिल रही।’

अपने पति की तस्वीर दिखाती जयवीर सिंह तोमर की पत्नी। परवेज आलम नाम के एक व्यक्ति की हत्या के मामले में मोहनपुरी के 16 लोगों को आरोपित बनाया गया है, उनमें जयवीर भी हैं।

स्थानीय लोग यह भी शिकायत करते हैं कि क्षेत्रीय विधायक गोपाल राय और दिल्ली सरकार सिर्फ़ एक ही समुदाय का पक्ष ले रही है। लोगों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने मुस्लिम बहुल इलाकों में राहत सामग्री और मुआवज़ा दिया है, जबकि इस इलाके में कोई पूछने तक नहीं आया।

हालांकि, एक तथ्य यह भी है कि इस गली नंबर 7 के कुल 70 घरों में से सिर्फ़ जयवीर तोमर का घर ही दंगों की चपेट में आया था जो कि मुख्य सड़क से लगा हुआ है। इसके एवज में उन्हें पांच लाख का मुआवज़ा मिला है। गली के अन्य घरों में दंगों के दौरान कोई नुकसान नहीं हुआ था।

इस गली के रहने वाले 48 वर्षीय राजपाल त्यागी को भी पुलिस ने परवेज आलम की हत्या के आरोप में गिरफ़्तार किया है। राजपाल के भाई जो ख़ुद दिल्ली पुलिस से रिटायर हुए हैं कहते हैं, ‘इस मामले में पुलिस ने मनमाने तौर से गिरफ़्तारी की हैं। जो लोग आरएसएस से जुड़े रहे हैं या जिनका आरएसएस के लोगों के साथ उठना-बैठना रहा है, उन्हें ही पुलिस ने हत्या के आरोप में फंसा दिया है।’

गली नंबर 7 के जिन भी घरों के बाहर ‘मकान बिकाऊ है’ वाले पोस्टर लगे हैं वे सभी लोग इस बारे में पूछने पर परवेज की हत्या के मामले में हुई गिरफ़्तारी का ही जिक्र करते दिखते हैं। इसी गली के रहने वाले एक व्यक्ति बताते हैं, ‘हत्या के मामले में जिन 16 लोगों की गिरफ़्तारी हुई है वो सभी बीते चार महीने से जेल में हैं। कोर्ट से उन्हें ज़मानत नहीं मिल रही और कोई नेता भी इस मामले में कुछ नहीं कर रहा।

इसी लिए यहां के लोगों ने तय किया अपने घरों के बाहर इस तरह के पोस्टर लगाए जाएं ताकि लोगों का ध्यान इस तरफ लाया जा सके। इसका फ़ायदा भी हुआ क्योंकि पोस्टर लगने के अगले ही दिन सांसद मनोज तिवारी यहां आए और उन्होंने लोगों की बात सुनी।’

हत्या के आरोप में जेल में कैद राजपाल त्यागी की तस्वीर दिखाती हुई उनकी पत्नी। राजपाल के भाई का कहना है कि जो लोग आरएसएस से जुड़े हैं, पुलिस उन्हें फंसा रही है।

लगभग यही बात जाफराबाद थाने के थानाध्यक्ष भी बताते हैं, जिनके थाना क्षेत्र में मोहनपुरी की यह गली आती है। थानाध्यक्ष राम महर इस बारे में पूछने पर कहते हैं, ‘उस इलाके के कुछ लोग जेल में हैं इसलिए लोग ऐसा तरीक़ा निकाल रहे हैं।’ यह पूछने पर कि क्या स्थानीय लोग दबाव बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं, राम महर कहते हैं, ‘इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता लेकिन वहां कोई समस्या नहीं है और हालात सामान्य है। मैंने वहाँ मीटिंग भी कर ली है।’

राम महर आगे कहते हैं, ‘जब लोग किसी अपराध में गिरफ़्तार होते हैं तो उनके परिजन कोई न कोई रास्ता निकालने की कोशिश करते ही हैं। लेकिन, इन लोगों को न्यायिक तरीक़े से ही समाधान खोजना चाहिए।’ इलाके के एक अन्य पुलिस अधिकारी इस बारे में कहते हैं, ‘जिस तरह से एक ही रात में कई घरों के बाहर यह पोस्टर लगाए गए वो भी एक ही हैंड राइटिंग में, उससे ही मामले में संदेह पैदा हो जाता है।

अगर यहां कोई व्यक्ति सच में दूसरे समुदाय से परेशान होकर घर बेच रहा होता तो वह प्रॉपर्टी डीलर से बात करता, अख़बार या प्रॉपर्टी साइट्स पर विज्ञापन देता। और अपने घर के बाहर ऐसा तो कभी न लिखता कि ‘धर्म विशेष से भय के कारण मकान बिकाऊ है।’ ऐसा लिखने पर घर कौन खरीदेगा?’



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सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के मोहनपुरी की गली नंबर 7 में रहने वाले कई हिंदू परिवार पलायन को मजबूर हो रहे हैं।


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