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पाकिस्तानी मिशन की ओर से यूनाइटेड नेशंस (यूएन) में बोले गए झूठ से भारत ने सोमवार को पर्दा उठाया। यूएन स्थित भारतीय मिशन ने अपने ट्वीट में पाकिस्तान के उस दावे को हास्यास्पद बताया कि जिसमें कहा गया कि भारत ने उसके खिलाफ भाड़े के आतंकी रखे हैं।
भारतीय मिशन ने बयान में कहा, ‘‘हमने पाकिस्तानी मिशन के संयुक्त राष्ट्र में दिए उस बयान को देखा है, जिसमें दावा किया गया है कि ये बातें पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कही थीं। हम यह समझने में नाकाम हैं कि पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि ने अपना बयान कहां दिया, क्योंकि सुरक्षा परिषद सत्र आज गैर-सदस्यों के लिए खुला ही नहीं था।’’ भारतीय मिशन ने आगे कहा कि बयान में पाकिस्तान के पांच बड़े झूठ का खुलासा हुआ।
पहला झूठ
पाकिस्तान ने दावा किया, ‘‘हम दशकों से सीमा पार से फैलाए जा रहे आतंकवाद से पीड़ित है।’’ उसके इस दावे को खारिज करते हुए भारतीय मिशन ने कहा, ‘‘झूठ को सौ बार दोहराने से वह सच नहीं हो जाता। भारत के खिलाफ सीमा पार से आतंकवाद का सबसे बड़ा प्रायोजक अब खुद को भारत की ओर से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार बताने का ढोंग कर रहा है।’’
‘‘पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित आतंकियों की सबसे बड़ी पनाहगाह है। इनमें से कई का पाकिस्तान में दबदबा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में माना था कि उनके देश में 40 से 50 हजार आतंकी मौजूद हैं।’’
दूसरा झूठ
भारत ने कहा, ‘‘दावा है कि पाकिस्तान ने अलकायदा को अपने इलाके से हटा दिया है। शायद, पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि को पता नहीं है कि ओसामा बिन लादेन उनके ही देश में छिपा था और अमेरिकी सेना को वह पाकिस्तान में ही मिला था। क्या उन्होंने यह नहीं सुना है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लादेन को शहीद कहते हैं।’’
तीसरा झूठ
भारतीय मिशन ने कहा कि पाकिस्तान के इस दावे पर हंसी आती है कि हमने उसके खिलाफ भाड़े के आतंकी रखे हैं। बयान में आगे कहा गया, ‘‘यह दावा ऐसा देश कर रहा है, जो सीमा पार आतंकवाद का जाना हुआ प्रायोजक है। जिसने दुनिया को पीड़ित किया है। जिसने अपनी करतूतों से दुनिया को परेशान किया है।’’
चौथा झूठ
भारतीय मिशन ने 1267 प्रतिबंधों की लिस्ट में भारतीयों के शामिल होने के पाकिस्तान के दावे को खारिज किया। भारत ने कहा, ‘‘1267 प्रतिबंधों की सूची सबके सामने है। दुनिया देख सकती है कि इनमें से कोई भी व्यक्ति इसमें नहीं है। 1267 समिति सबूतों के आधार पर काम करती है, न कि ध्यान भटकाने के अटकलबाजी वाले आरोपों पर।’’
पांचवां झूठ
भारतीय मिशन ने कहा, ‘‘पाकिस्तान भारत के अंदरूनी मामलों को लेकर हास्यास्पद बातें करता है। यह ऐसा देश है जिसकी अल्पसंख्यक आबादी 1947 से बहुत कम हो गई है। यह आज लगभग 3% है। पाकिस्तान केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में वहां की जनता के कल्याण के लिए किए जा रहे कामों के बारे में झूठे आरोप लगाता है।’’
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काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर 4 के बाहर सोनू की एक छोटी-सी दुकान है। मुश्किल से तीन बाई तीन फुट की इस दुकान में सोनू पूजा सामग्री बेचते हैं। पास के अन्य दुकानों की तरह ही इस दुकान पर छोटे-छोटे कई लॉकर बने हुए हैं। जो भी श्रद्धालु इन दुकानों से पूजा सामग्री ख़रीदते हैं, वे मंदिर जाते हुए अपना मोबाइल, कैमरा, बेल्ट, घड़ी आदि सामान इन्हीं लॉकरों में सुरक्षित रख जाते हैं। वह इसलिए कि मंदिर परिसर में कुछ भी ले जाने की अनुमति नहीं है।
90 के दशक से पहले हालात ऐसे नहीं थे। काशी विश्वनाथ के दर्शन तब सहज ही हो जाया करते थे। लेकिन जब राम मंदिर आंदोलन उग्र हुआ और अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई तो काशी में भी हालात बदलने लगे। विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच लोहे की ऊंची-ऊंची बैरिकेड खड़ी कर दी गई, हर आने वाले की ज़बरदस्त तलाशी होने लगी और पूरे परिसर को सुरक्षाबलों की तैनाती से पाट दिया गया। यही स्थिति आज तक बरकरार है।
सीआरपीएफ, पीएसी, ब्लैक कैट कमांडो, बम निरोधक दस्ते और उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों की लगभग पूरी फौज ही अब चौबीस घंटे मंदिर परिसर में तैनात रहती है। आने वाले हर श्रद्धालु को तीन-तीन बार सुरक्षा जांच से पार होने के बाद ही परिसर में दाखिल होने दिया जाता है। लोहे के बैरिकेड और कदम-कदम पर तैनात हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी यहां के माहौल में घुले हुए तनाव की गवाही देते हैं।
इस पूरे परिसर में विश्वनाथ मंदिर के शिखर और ज्ञानवापी मस्जिद की मीनारों से भी ऊंचा अगर कुछ है तो वह सुरक्षाबलों का वॉच टॉवर ही है। इस पर तैनात सुरक्षाकर्मी यहां होने वाली हर गतिविधि पर बारीक नजर बनाए रखते हैं। बीते तीस सालों से लागू यह व्यवस्था स्थानीय लोगों को अब सामान्य लगने लगी थी लेकिन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना ने परिस्थितियों को एक बार फिर से बदल दिया है।
कॉरिडोर निर्माण के लिए विश्वनाथ मंदिर के आस-पास के क़रीब 300 भवन अधिग्रहीत करके तोड़े जा चुके हैं। इन भवनों के टूट जाने से ज्ञानवापी मस्जिद अब मुख्य सड़क से ही दिखने लगी है और इससे कई लोगों को मंदिर-मस्जिद के मुद्दे को दोबारा उछालने का मौका मिल गया है।
‘काशी विश्वनाथ मुक्ति आंदोलन’ चलाने वाले सुधीर सिंह कहते हैं, ‘कॉरिडोर निर्माण का काम जब शुरू हुआ और मस्जिद साफ दिखने लगी तो हमने देखा कि यह तो पूरी तरह है मंदिर के ऊपर बनाई गई है। मस्जिद के पिछले हिस्से में मौजूद वो दीवार अब दूर से ही देखी जा सकती है जिस पर आज भी मंदिर के निशान मौजूद है। यह देखकर ही हमने मन बनाया कि अब विश्वनाथ बाबा को मुक्त करा कर ही मानेंगे।’
लगभग ऐसी ही उत्तेजना काशी के कई अन्य लोगों में भी कॉरिडोर निर्माण के बाद से देखी जा सकती है। विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्रा कहते हैं, ‘मस्जिद वहां सालों से थी लेकिन पहले वह भवनों के पीछे छिपी हुई थी। अब तो मंदिर में प्रवेश करते हुए सबसे पहले मस्जिद के ही दर्शन होते हैं और यह दृश्य किसी टीस की तरह से चुभता है। हमें ही नहीं, किसी भी हिंदू को यह दृश्य चुभेगा। उस ढांचे को वहां से जल्द से जल्द हटा देना चाहिए।’
कॉरिडोर निर्माण का जब काम शुरू हुआ तो यह बात भी तेजी से फैली कि यहां अयोध्या का दोहराव करने की रणनीति तैयार हो रही है। विश्वनाथ मंदिर के आस-पास पहले इतनी संकरी गलियां हुआ करती थीं कि मंदिर में सीमित लोग ही एक बार में दाखिल हो सकते थे। लेकिन कॉरिडोर निर्माण के चलते जब आस-पास के सभी भवन तोड़ डाले गए तो वहां लाखों लोगों के एक साथ जमा होने की जगह बन गई।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद तो यहां तक कहते हैं कि कॉरिडोर का विरोध इसीलिए कम हुआ क्योंकि भाजपा और उससे जुड़े लोगों ने स्थानीय लोगों को यह विश्वास दिलाया कि कॉरिडोर के बहाने ज्ञानवापी को गिरा देने की योजना है। वे कहते हैं, ‘भाजपा और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोग उस दौरान हमारे पास भी आए। उन्होंने हमसे कहा कि आप कॉरिडोर का विरोध मत कीजिए क्योंकि असल में यह योजना विश्वनाथ बाबा को ज्ञानवापी से मुक्त कराने का एक तरीका है।’
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आगे कहते हैं, ‘कॉरिडोर के नाम पर भारी पाप इस सरकार ने किया है। काशी के इतिहास में कभी इतना बड़ा हमला नहीं हुआ जितना कॉरिडोर की आड़ में इस सरकार ने किया है। औरंगज़ेब ने तो यहां एक मंदिर तोड़ा था लेकिन कॉरिडोर के लिए सैकड़ों मंदिर और हजारों मूर्तियां तोड़ डाली गई। जो देवता विश्वनाथ मंदिर में मौजूद शिवलिंग में बस्ते हैं वही देवता उन तमाम शिवलिंगों में भी बस्ते हैं जिन्हें इन लोगों ने उखाड़ कर फेंक दिया। काशी के इस ऐतिहासिक स्वरूप का जिक्र स्कन्द पुराण के काशीखण्ड तक में मिलता है और इन लोगों उस पौराणिक स्वरूप को बदलने का दुस्साहस किया है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर कांग्रेस के नज़दीकी होने और भाजपा की हर नीति का विरोध करने का आरोप लगता रहा है। लेकिन कॉरिडोर के मामले में वे विरोध करने वाले अकेले व्यक्ति नहीं थे। स्वयं भाजपा और आरएसएस से जुड़े कई लोग भी इस परियोजना का यह कहते हुए विरोध करते रहे हैं कि इससे काशी का मूल स्वरूप, उसकी पौराणिक पहचान हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
बनारस पत्रकार संघ के अध्यक्ष राजनाथ तिवारी बताते हैं, ‘कॉरिडोर का बहुत जमकर विरोध हुआ लेकिन सरकार ने बहुत ही नियोजित तरीक़े से इस पर काम किया। राष्ट्रीय मीडिया तो पहले ही नतमस्तक है लेकिन तमाम संवैधानिक संस्थाएँ भी सरकार के हाथों की कठपुतली बन गई। जिस अदालत से लोगों को उम्मीद बंधती है उस अदालत तक से हमें निराशा ही हाथ लगी। आखिरकार लोगों को अपने घर छोड़ने को मजबूर कर दिया गया।’
कॉरिडोर निर्माण के लिए जो घर अधिग्रहित किए गए उनमें राकेश यादव का घर भी शामिल है। राकेश बताते हैं, ‘मैं उन लोगों में से था जो सबसे आख़िर तक लड़े। हमें हमारे नेताओं ने भी धोखे में रखा। यहां के विधायक नीलकंठ तिवारी, जो प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं, उन्होंने हमें विश्वास दिलाया कि कोई घर या मंदिर नहीं टूटेगा।
उन्होंने कहा था कि सिर्फ गलियों के चौड़ीकरण के लिए थोड़ी-थोड़ी ज़मीन ली जाएगी। लेकिन बाद में इस सरकार ने हम पर ये भी आरोप लगाए कि हमने मंदिरों पर क़ब्ज़ा किया हुआ था। पूरा आईटी सेल लगा दिया गया और उल्टा हमारे ही खिलाफ माहौल बना दिया गया। हम सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन जब कहीं से मदद नहीं मिली तो मजबूरन हमें अपना पुश्तैनी घर छोड़ना पड़ा।’
काशी में कॉरिडोर को लेकर दो बातें बेहद प्रचलित हो चली हैं। एक तो ये कि कॉरिडोर के लिए जितने भी घर अधिग्रहित किए गए हैं उनके एवज में कई गुना भुगतान किया गया है लिहाजा लोग इससे खुश हैं। दूसरी बात ये कि कॉरिडोर बनने के बाद ज्ञानवापी के हटने की राह भी आसान होने वाली है। लेकिन इन दोनों ही बातों से वो लोग इत्तेफाक नहीं रखते जो कॉरिडोर से सीधा प्रभावित हुए हैं।
राकेश यादव कहते हैं, ‘ बाजार के दाम से दोगुना भुगतान जरूर किया गया है लेकिन उस पैसे में उतने लोग कहीं और घर नहीं खरीद सकते जितने लोग इन घरों में रह रहे थे। ऊपर से कई गुना भुगतान होने की अफवाह के चलते यहां आस-पास प्रॉपर्टी के दाम बढ़ गए जिसके चलते हम यहां घर नहीं खरीद सके। हम लोग जो पीढ़ियों से शहर का दिल कहे जाने वाले पक्का महाल में रहते थे और व्यापार करते थे, अब शहर के बाहरी इलाकों में रहने को मजबूर हैं। और व्यापार का जो नुक़सान हुआ उसे तो कहीं गिना तक नहीं जा रहा।'
कॉरिडोर बनने से ज्ञानवापी मस्जिद को कोई खतरा होने की बात पर मस्जिद के प्रवक्ता एसएम यासीन कहते हैं, ‘यहां दो घटनाएं ऐसी हुई जिनसे लगा कि आगे कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है। एक तो कॉरिडोर निर्माण के दौरान मस्जिद का एक चबूतरा तोड़ दिया गया था। लेकिन उसी वक्त यह खबर सब जगह फैल गई और वहां भीड़ जमा हो गई तो प्रशासन ने रातों-रात उसे वापस बनवा दिया। दूसरी घटना कुछ लोगों द्वारा मूर्ति स्थापित करने की हुई। ये लोग मस्जिद की दीवार के पास मूर्ति गाड़ने की कोशिश कर रहे थे लेकिन रंगे हाथों पकड़े गए।
एसएम यासीन आगे कहते हैं, ‘इन घटनाओं ने मुस्लिम समुदाय में एक आशंका पैदा कर दी थी लेकिन अब हमें लगता है कि कॉरिडोर बन जाने से जब पूरा परिसर सरकारी क़ब्ज़े में होगा और वहां सरकारी सुरक्षा मुस्तैद रहेगी तो किसी हिंसक घटना की गुंजाइश नहीं होगी। कॉरिडोर के नक्शे में भी ज्ञानवापी मस्जिद अपनी जगह बनी हुई है लिहाज़ा हमें यक़ीन है यहां अयोध्या जैसा कुछ नहीं होगा।’
काशी के कुछ उत्साही युवाओं और उग्र हिंदू संगठनों को छोड़ दें तो अधिकतर काशीवासी भी पूरे विश्वास से ये कहते हैं कि यहां अयोध्या जैसी कोई हिंसक घटना नहीं होगी। लेकिन इसके साथ ही अधिकतर काशीवासी इस बात के प्रति आश्वस्त भी दिखते हैं कि आने वाले समय में ज्ञानवापी मस्जिद की जगह मंदिर परिसर ले चुका होगा। सड़क किनारे चाय बेचने वाले राजू यादव हों, अस्सी घाट पर नाव चलाने वाले विक्रम हों, दशाश्वमेध घाट के पास रहने वाले शुभम महरोत्रा हों, विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्रा हों या कपड़ों का शोरूम चलाने वाले राधे श्याम शुक्ला हों ये सभी लोग पूरे आत्मविश्वास से कहते हैं कि आज नहीं तो कल ज्ञानवापी मस्जिद वाली जगह हिंदुओं को मिल चुकी होगी।
इस आत्मविश्वास का कारण पूछने पर कोई कहता है कि मोदी सरकार क़ानून लाकर ऐसा कर देगी, कोई कहता है कि मुस्लिम पक्ष को ही इसके लिए तैयार कर लिया जाएगा और कोई मानता है कि न्यायालय के फ़ैसले से ऐसा हो जाएगा क्योंकि न्यायपालिका का रुख़ इस सरकार के रुख़ से अक्सर मिलता हुआ नजर आने लगा है। लेकिन इन तमाम लोगों से इतर काशी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके घर की दीवारों पर कवि ज्ञानेंद्रपति की लिखी ये पंक्तियां दर्ज मिल जाती हैं
‘वे कहते हैं, अयोध्या के बाद काशी की बारी है
धर्म-संसद में पारित हुआ है प्रस्ताव
मंदिर के धड़ पर रखा है जो मस्जिद का माथा
उसे कलम करने की तैयारी है
लेकिन क्यों?
इतिहास की भूल सुधारने में
भूल का इतिहास रचना क्यों जरूरी हो?’
काशी मथुरा बाकी है, स्पेशल रिपोर्ट की अगली कड़ी में पढ़िए मथुरा से रिपोर्ट...।
काशी-मथुरा बाकी है...में आप ये रिपोर्ट्स भी पढ़ सकते हैं...
रूस जल्द ही अपनी एक और वैक्सीन लॉन्च करेगा। दावा है कि पहली वैक्सीन लगाने के बाद लोगों में जो साइड इफेक्ट दिखे थे, नई वैक्सीन की डोज से ऐसा नहीं होगा। वैक्सीन में जो दवाओं का इस्तेमाल किया गया है वो रूस के टॉप सीक्रेट प्लांट से मंगाया गया है। ड्रग साइबेरिया के सोवियत बायोलॉजिकल वेपंस रिसर्च प्लांट से मंगाए गए हैं।
वैक्सीन का नाम EpiVacCorona रखा गया है। इसका ट्रायल सितंबर में पूरा होगा। हाल ही में रशिया ने दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन 'स्पुतनिक-वी' लॉन्च की। इसे रूस के रक्षा मंत्रालय और गामालेया रिसर्च सेंटर ने तैयार किया था। यह वैक्सीन काफी विवादों में रही है।
दावा- नहीं दिखे कोई साइड इफेक्ट
रशिया की दूसरी वैक्सीन EpiVacCorona का पहला ट्रायल 57 वॉलंटियर्स पर किया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि वॉलंटियर्स को 23 दिन के लिए हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। ट्रायल के दौरान दौरान उनकी जांच हुई। अब तक हुए ट्रायल में कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है।
अक्टूबर में रजिस्ट्रेशन और नवम्बर में प्रोडक्शन की तैयारी
वैक्सीन का लक्ष्य इम्यून रेस्पॉन्स को देखना था। इसके लिए 14 से 21 दिन में वॉलंटियर्स को वैक्सीन की दो डोज दी गईं। रशिया को उम्मीद है कि वैक्सीन अक्टूबर तक रजिस्टर्ड कराई जा सकेगी और नवम्बर में इसका प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा।
इस वैक्सीन को वेक्टर स्टेट रिसर्च सेंटर ऑफ वायरोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया गया है। यह दुनिया के उन दो प्रमुख संस्थानों में से एक है, जिसके पास चिकनपॉक्स की वैक्सीन का सबसे बड़ा स्टॉक है। दूसरा संस्थान अमेरिका में है।
कोरोना की 13 वैक्सीन पर काम किया
सोवियत बायोलॉजिकल वेपंस रिसर्च प्लांट और वेक्टर रिसर्च सेंटर ने मिलकर अब तक कोरोनावायरस की 13 वैक्सीन पर काम किया है। इनकी टेस्टिंग जानवरों पर हुई थी। वैक्टर रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर औद्योगिक स्तर पर स्मॉलपॉक्स का टीका बनाया गया था। पिछले कुछ सालों में इसी संस्थान के साथ मिलकर रूस ने ब्यूबोनिक प्लेग, इबोला, हेपेटाइटिस-बी, एचआईवी, सार्स और कैंसर का एंटीडोज तैयार किया था।
रशिया की पहली वैक्सीन 'स्पुतनिक-वी' के 5 बड़े विवाद
रशिया ने दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन 11 अगस्त को कराया था। यह काफी विवादों में रही क्योंकि तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने से पहले ही इसे लॉन्च कर दिया गया। इसके नाम कई विवाद रहे।
पहला: रशिया की पहली वैक्सीन 'स्पुतनिक-वी' के पहले से लेकर तीसरे चरण तक की जानकारी और विस्तृत आंकड़ा नहीं जारी किया।
दूसरा: ट्रायल के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया। WHO ने वैक्सीन को खतरनाक बताया।
तीसरा: रूस ने दावा किया जिनको वैक्सीन लगी उनमें साइडइफेक्ट नहीं दिखे। जबकि रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज बताते हैं, वैक्सीन मात्र 38 वॉलंटियर्स को दी गई। इनमें 144 तरह के साइड इफेक्ट दिखे।
चौथा: वालंटियर्स में बुखार, शरीर में दर्द, शरीर का तापमान बढ़ना, जहां इंजेक्शन लगा वहां खुजली होना और सूजन जैसे साइड इफेक्ट दिखे। इसके अलावा शरीर में एनर्जी महसूस न होना, भूख न लगना, सिरदर्द, डायरिया, गले में सूजन, नाक का बहना जैसे साइड इफेक्ट कॉमन थे।
पांचवा: रूसी सरकार और वैक्सीन तैयार करने वाले संस्थान ने अलग-अलग बयान दिए। सरकार ने कहा, ट्रायल में कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखा। वैक्सीन तैयार करने वाले गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर ने कहा कि बुखार आ सकता है, लेकिन इसे पैरासिटामॉल की टेबलेट देकर ठीक किया जा सकता है।
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच का आज पाचवां दिन है। जांच एजेंसी आज सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती, भाई शोविक, मां संध्या और उनके पिता इंद्रजीत चक्रवर्ती से भी पूछताछ कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, चारों को पूछताछ के लिए समन भी किया गया है, लेकिन उनके वकील सतीश मानशिंदे ने इनकार किया है। इनके अलावा, आज सुशांत के बिजनेस मैंनेजर सैमुअल मिरांडा से दूसरी बार पूछताछ हो सकती है।
इस बीच, खबर है कि सीबीआई सुशांत की मनोवैज्ञानिक अटॉप्सी भी करने की तैयारी में है। इसके तहत जांच एजेंसी की सीएफएसएल टीम राजपूत के जीवन के हर पहलू की स्टडी करेगी। इसमें सोशल मीडिया पर पोस्ट से लेकर वॉट्सऐप चैट और परिवारों, दोस्तों और अन्य लोगों के साथ बातचीत शामिल होगी।
सीबीआई ने सोमवार को क्या किया?
सुशांत के फ्लैटमेट सिद्धार्थ पिठानी और उनके कुक नीरज सिंह से डीआरडीओ गेस्ट हाउस में लगातार तीसरे दिन पूछताछ की। इस दौरान इन दोनों के दीपेश सावंत से भी सीबीआई ने सुशांत के रिया से ब्रेकअप के बाद के व्यवहार के बारे में पूछा।
सुशांत की इनकम और काम से जुड़े फैसले लिए या नहीं या क्या उन्हें उनके परिवार से दूर रखा गया था, इस तरह के सवाल पूछे गए।
सीबीआई ने यह सवाल भी उठाए कि अभिनेता के अपने कमरे में मृत पाए जाने के फौरन बाद पुलिस को क्यों नहीं बुलाया गया। उन्होंने पुलिस का इंतजार करने की बजाय खुद ही क्यों सुशांत का शव नीचे उतारा।
सीबीआई सोमवार को फिर एक बाद वाटरस्टोन रिसॉर्ट पहुंची और यह जानने की कोशिश की कि जब सुशांत वहां थे तो उनका व्यवहार कैसा था। सीबीआई टीम दो घंटे से अधिक समय तक यहां रही।
कूपर हॉस्पिटल जाकर सुशांत का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर्स से फिर से पूछताछ की गई और सीबीआई ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को देखा।
रिया को भेजे समन पर उनके वकील ने सफाई दी
रिया चक्रवर्ती के वकील सतीश मानशिंदे ने कहा, "प्रिय दोस्तों, रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार को पूछताछ के लिए अब तक सीबीआई से कोई समन नहीं मिला है। उन्हें अभी तक ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है, ऐसा होने पर कानून का पालन करने वाले नागरिक की तरह वह और उनका परिवार ठीक वैसे ही सीबीआई के सामने पेश होंगे, जैसे वे पहले मुंबई पुलिस और ईडी के समक्ष पेश हुए थे। अटकलों की जरूरत नहीं।"
मंत्री हसन मुश्रीफ ने सुशांत को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की
सुशांत सिंह राजपूत केस में महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास अघाड़ी सरकार में मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा, ' उन्होंने कुछ ऐसी रिपोर्ट्स पढ़ी है, जिसमें कहा जा रहा है कि फिल्म अभिनेता मारिजुआना सिगरेट पीते थे। उनके कई लड़कियों से संबंध थे।' उन्होंने आगे कहा कि आश्चर्य नहीं होगा अगर कोई मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न देने की मांग कर ले।'
कोरोना के बीच इस साल यूएस ओपन 31 अगस्त से न्यूयॉर्क में खेला जाएगा। लेकिन टॉप रैंक खिलाड़ियों का इससे हटने का सिलसिला जारी है। अब 2017 की फ्रेंच ओपन चैम्पियन जेलेना ओस्टापेंको शेड्यूल में बदलाव का हवाला देकर टूर्नामेंट से हट गईं। अब तक टॉप-8 में से 6 महिला खिलाड़ी यूएस ओपन से नाम वापस ले चुकी हैं।
इसमें वर्ल्ड नंबर-1 एश्ले बार्टी, रोमानिया की वर्ल्ड नंबर-2 सिमोना हालेप और वर्ल्ड नंबर-6 बियांका एंद्रेस्कू शामिल हैं। बियांका यूएस ओपन की डिंफेंडिंग चैम्पियन भी हैं। पिछले फाइनल में उन्होंने अमेरिका की सेरेना विलियम्स को 6-3, 7-5 से हराकर खिताब जीता था। इसके अलावा सोमवार को कार्ला सुआरेज ने भी टूर्नामेंट से अपना नाम वापस ले लिया।
दो खिलाड़ियों के नाम वापस लेने के बाद कुरुमी नारा और व्हिटनी ओसिग्वे को टूर्नामेंट के मुख्य ड्रॉ में एंट्री मिल गई।
फेडरर और नडाल भी यूएस ओपन में नहीं खेलेंगे
महिलाओं के साथ ही पुरुष वर्ग में भी कई टॉप सीड खिलाड़ी यूएस ओपन से हट चुके हैं। इसमें डिफेंडिंग चैम्पियन स्पेन के राफेल नडाल और स्विटजरलैंड के वर्ल्ड नंबर-4 रोजर फेडरर शामिल हैं। फेडरर ने चोट के कारण टूर्नामेंट से हटने का फैसला किया है। नडाल यूएस ओपन के डिफेंडिंग चैम्पियन भी हैं। उन्होंने पिछली बार फाइनल में दानिल मेदवेदेव को हराकर चौथी बार खिताब जीता था। हालांकि, वर्ल्ड नंबर-1 सर्बिया के नोवाक जोकोविच टूर्नामेंट में खेलेंगे।
जोकोविच ने 17 ग्रैंड स्लैम जीते
जोकोविच ने इस साल की शुरुआत में रिकॉर्ड 8वीं बार ऑस्ट्रेलियन ओपन खिताब जीता था। सबसे ज्यादा ग्रैंड स्लैम जीतने के मामले में जोकोविच 17 खिताब के साथ तीसरे नंबर पर हैं। उन्होंने 8 ऑस्ट्रेलियन ओपन, 5 विंबलडन, 1 फ्रेंच ओपन और 3 यूएस ओपन जीता है। वर्ल्ड में रोजर फेडरर ने सबसे ज्यादा 20 ग्रैंड स्लैम जीते हैं। 19 खिताब के साथ राफेल नडार दूसरे नंबर पर हैं।
विंबलडन रद्द, फ्रेंच ओपन भी टला
साल का पहला ग्रैंड स्लैम ऑस्ट्रेलियन ओपन तो इस साल हो गया। लेकिन कोरोना के कारण फ्रेंच ओपन को टालना पड़ा। अब यह टूर्नामेंट 27 सितंबर से 11 अक्टूबर तक होगा। वहीं, इस साल जून में होने वाले विंबलडन को तो रद्द करना पड़ा। दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद पहली बार विंबलडन को रद्द हुआ।
दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक 2 करोड़ 38 लाख 6 हजार 794 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 63 लाख 56 हजार 848 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 8 लाख 16 हजार 950 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि ब्लड प्लाज्मा से संक्रमितों के सुरक्षित और कारगर इलाज होने के काफी कम सबूत हैं।
डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने सोमवार को ट्रम्प की ओर से अमेरिका में प्लाज्मा की मदद से मरीजों के इलाज को मंजूरी देने पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में प्लाज्मा थैरेपी से इलाज को लेकर बहुत सारे शोध हो रहे हैं। हालांकि, इनमें से कुछ में ही इसके असरकारी होने की बात सामने आई है।
अमेरिकी साइंटिस्ट और व्हाइट हाउस कोरोना टास्क फोर्स के मेम्बर डॉ. एंथनी फॉसी ने जल्दबाजी में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। बिना समुचित ट्रायल के किसी वैक्सीन को मंजूरी देने से दूसरे वैक्सीन के लिए दिक्कते बढ़ेंगी। उनके लिए ह्यूमन ट्रायल के लिए लोगों को जुटाना कठिन होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में खुद को फायदा पहुंचाने के लिए किसी वैक्सीन को मंजूरी दे सकते हैं।
इन 10 देशों में कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश
संक्रमित
मौतें
ठीक हुए
अमेरिका
59,05,614
1,80,936
31,99,682
ब्राजील
36,10,028
1,14,913
27,09,638
भारत
31,64,881
58,546
24,03,101
रूस
9,61,493
16,448
7,73,095
साउथ अफ्रीका
6,09,773
13,059
5,06,470
पेरू
5,94,326
27,663
3,99,357
मैक्सिको
5,60,164
60,480
3,83,872
कोलंबिया
5,41,147
17,316
3,74,030
स्पेन
4,20,809
28,872
उपलब्ध नहीं
चिली
3,99,568
10,916
3,72,464
कोलंबिया: संक्रमितों का आंकड़ा 5.50 लाख के पार
कोलंबिया में 24 घंटे में 10 हजार 549 मामले सामने आए और 296 मौतें हुईं। इसी के साथ देश में संक्रमितों का आंकड़ा 5 लाख 51 हजार 696 हो गया है। अब तक यहां 17 हजार 612 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि इसके बावजूद देश की राजधानी बोगोटा की मेयर क्लाउडिया लोपेज ने सोमवार से लॉकडाउन हटाने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि सितंबर महीने भर बोगोटा में लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। हालांकि, ज्यादातर दुकानें खोलने की इजाजत दे दी गई है।
मैक्सिको: एक दिन में 3 हजार से ज्यादा मामले
मैक्सिको के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बीते 24 घंटे में देश में 3541 मामले समने आए हैं और 320 लोगों की जान गई है। देश में संक्रमितों का आंकड़ा 5 लाख 63 हजार 705 हो गया है। अब तक यहां 60 हजार 800 मौतें हुई हैं। सोमवार को मैक्सिको में अमेरिका के राजदूत किस्ट्रोफर लैंड ने देश में रह रहे लोगों को बिना जरूरी काम के अमेरिका-मैक्सिको बॉर्डर पार नहीं करने की अपील की। बढ़ते मामलों को देखते हुए बीते महीने अमेरिका और मैक्सिको के बीच गैर जरूरी सफर करने पर पाबंदी लगाई गई थी।
ब्राजील: देश में अब तक 1.15 लाख से ज्यादा मौतें
ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बीते 24 घंटे में 17 हजार 78 मामले सामने आए हैं और 565 मौतें हुई हैं। देश में अब संक्रमितों का आंकड़ा 36 लाख 22 हजार 861 हो गया है। अब तक 1 लाख 15 हजार 309 लोगों की जान गई है। इस बीच सोमवार को ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने देश के डॉक्टरों के साथ मीटिंग की। इसमें उन्होंने डॉक्टर्स को बीमार लोगों पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से जुड़े सबूत दिखाने को कहा। इस दौरान उन्होंने देश में बढ़ते संक्रमण और हर दिन होने वाली करीब 1000 लोगों की मौत पर कुछ भी नहीं बोला।
अदालतों और जजों की अवमानना मामले में दोषी वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट सजा का ऐलान कर सकता है। कोर्ट ने प्रशांत भूषण को माफी मांगने के लिए तीन दिन का वक्त दिया था जो सोमवार को खत्म हो गया। उधर, प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैंने जो कहा, वह हकीकत है। अब शर्त के साथ या बिना शर्त माफी मांगी तो यह गलत होगा। अगर बेमन से माफी मांगी तो अंतरात्मा की अवमानना हो जाएगी। इस पूरे मामले को लेकर उनके सहयोगी और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव से हमने विशेष बातचीत की। विस्तार से पढ़िए उन्होंने पूरे मामले को लेकर क्या कुछ कहा....
सवाल: ये मामला इतना बड़ा क्यों बन गया? प्रशांत भूषण ने जिस मामले को लेकर ट्वीट किया था वो अदालत के बाहर का मामला था फिर भी इस पर सुनवाई हुई, उन्हें दोषी भी करार दिया गया और अब सजा सुनाने की तैयारी है।
जवाब: आपका प्रश्न बहुत अच्छा है, लेकिन आप गलत व्यक्ति से पूछ रहे हैं। मैं समझता हूं इस प्रश्न का उत्तर सुप्रीम कोर्ट से पूछना चाहिए। जब सुप्रीम कोर्ट ने सभी हियरिंग रोक रखी है, केवल बहुत अहम मामलों की सुनवाई हो रही है। वैसे समय में दो ट्वीट को लेकर, कहीं से गड़े मुर्दे उखाड़कर लाना, बारह और आठ साल से जिस मामले की सुनवाई नहीं हुई है, उस पर सुनवाई शुरू करना। इसको लेकर इतनी जल्दी और क्या जरूरत थी वो तो सुप्रीम कोर्ट ही बता सकता है। सुप्रीम कोर्ट एक ऐसे याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसे अगर आप अपने वेब पोर्टल पर छाप दें तो आपके पाठक हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे।
उस पिटीशनर को ये नहीं पता कि प्रशांत भूषण आदमी है या औरत। वह जिस तरह की भाषा का प्रयोग करता है, अगर वैसी भाषा में 11वीं का कोई छात्र कुछ लिखकर अपने शिक्षक के पास ले जाए तो वो शिक्षक उससे कहेगा- इस साल तुम 12वीं की परीक्षा में मत बैठना। अगर इस तरह का कोई पिटीशन सेशन कोर्ट में आप लगाएंगे तो जज उसे आपके मुंह पर फेंक देगा। मैंने देखा है, जजों को ऐसा करते हुए।
ऐसी एक पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट विचार क्यों कर रहा है वो तो आपको जज साहब ही बताएंगे। जब कानून ये कहता है कि अवमानना से जुड़ी हर पिटीशन को पहले अटॉर्नी जनरल के पास ले जाना अनिवार्य है तो ये मामला क्यों उनके पास नहीं ले जाया गया? ये तो कोर्ट ही बताएगा। जिस कोर्ट में 31 जज हैं, वहां जस्टिस अरुण मिश्रा के पास ही ये केस क्यों गया? दूसरा केस भी इन्हीं जज साहब के पास क्यों लगा? तीसरा, अरूण शौरी और एन राम का केस भी इनके पास ही क्यों आया? इन सभी प्रश्नों के उत्तर तो माननीय न्यायधीश ही बता पाएंगे।
सवाल: दोषी ठहराए जाने के बाद जब प्रशांत भूषण ने कह दिया कि वो माफी नहीं मांगना चाहते। उसके बाद भी अदालत ने दो दिन का समय दे दिया। इस दरियादिली का क्या मतलब है?
जवाब: मैंने माफी मांगने वाले को तो गिड़गिड़ाते हुए देखा है,लेकिन माफी मंगवाने वाले को पहले कभी इस मुद्रा में नहीं देखा। मुझे लगता है कि इस मामले में भी कुछ-कुछ वैसा ही हुआ जैसा महात्मा गांधी के ट्रायल के वक्त हुआ था। उनका ट्रायल पहले बिहार के चंपारण में हुआ था, फिर चौरीचारा वाले कांड में हुआ। उस वक्त एक अद्भुत बात हुई थी। थोड़े ही समय बाद गांधी की ट्रायल के बजाए अंग्रेजी राज की ट्रायल हो गई थी।
कटघरे में कौन खड़ा है, ये बदल चुका था। गांधी बाहर थे और पूरी अंग्रेजी हुकूमत कटघरे में थी। मैं समझता हूं कि प्रशांत भूषण वाले इस मामले में 20 सितंबर को जो हुआ वो यही था। प्रशांत भूषण बेंच पर बैठे थे और कटघरे में पूरी ज्यूडिशियरी आ गई और उन्हें पता लग गया कि ऐसा कुछ हो गया है। यहीं आपके सवाल का जवाब है। इस मामले में जो पक्ष कटघरे में खड़ा था वो मोहलत मांग रहा था या आप कहें कि मना करने के बाद भी मोहलत दे रहा था।
सवाल: अगर प्रशांत भूषण को सजा होती है या उन्हें जेल पाना पड़ता है तो सड़क पर कोई आंदोलन होगा? ये सवाल इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि प्रशांत भूषण भी माफी नहीं मांगने पर अड़े हुए हैं।
जवाब: पहली बात तो हमें ये समझनी होगी कि प्रशांत भूषण अड़े नहीं हैं। प्रशांत भूषण ने उस दिन अपनी चिट्ठी में क्या कहा? उन्होंने कहा कि अगर मैं किसी बात को सच मानता हूं। उस दिन मानता था जब वो बात कही। आज मानता हूं जब मुझसे माफी मांगने के लिए कहा जा रहा है तो ऐसे में अगर मैं माफी मांग भी लेता हूं तो वो एक झूठी माफी होगी। देश की सर्वोच्च अदालत के सामने झूठी माफी मांगना उसकी असल तौहीन है। अवमानना है और ये मैं नहीं कर सकता।
हम सब जानते हैं कि बचने के लिए झूठी माफी मांगना इस देश की परम्परा बन चुकी है। बड़े-बड़े लोग खुल्लम खुल्ला झूठी माफी मांगते रहते हैं, लेकिन प्रशांत भूषण ने यही कहा है कि वो केवल सजा से बचने के लिए झूठी माफी नहीं मागेंगे। मुझे खुशी है कि वो ये बात कह रहे हैं।
अब आते हैं सवाल के दूसरे हिस्से पर कि क्या इससे कोई आंदोलन पैदा होगा? मेरे हिसाब से अभी ये कहना जल्दबाज़ी होगी कि इससे कोई बड़ा आंदोलन खड़ा हो जाएगा। हां, इस पूरे वाकये से इतना तो हुआ है कि बड़ी संख्या में लोगों ने कहना शुरू किया कि इस देश में कोई तो रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) है। लोगों ने कहना शुरू किया कि एक ऐसा व्यक्ति तो है जो बोल रहा है। कुछ मीनिंगफुल बोल रहा है।
प्रशांत भूषण के बोलने में सिर्फ शब्दों का महत्व नहीं है। शब्द का असल महत्व तब होता है जब बोलने वाला उसे सही मायने में धारण करता है। प्रशांत भूषण केवल उन शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, वो उन्हें धारण कर रहे हैं और इसी वजह से उनका ये बोलना देश के सैकड़ों, हजारों या लाखों लोगों को एक ताक़त देता है। उन्हें ऊपर उठाता है तो इसका जरूर असर होगा और इस वक्त हमारे देश में लोकतंत्र की जो हालत है उसमें ये एक टर्निंग प्वाइंट हो सकता है।
सवाल: क्या योगेन्द्र यादव इस पूरे मामले को एक मौके के तौर पर भी देख रहे हैं? क्या स्वराज इंडिया के बैनर तले आंदोलन होगा?
जवाब: संगठन की तरफ से तो हम इसे एक मौके की तरह तो बिलकुल नहीं देखते। हमारे लिए तो ये एक आपदा थी। इस वजह से एक बात हुई है। देश के एक बड़े हिस्से में प्रतिरोध की आवाज़ उठी है। इसे मैं प्रतिरोध की एक किरण मानता हूं जो घोर अंधकार के माहौल में दिखाई दे रही है। ऐसे में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि इसमें स्वराज इंडिया के लिए लिया क्या अवसर है या योगेन्द्र यादव क्या करेंगे। अभी ये सोचा जाना चाहिए कि आज जिस तरह से देश में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा, उसके प्रतिरोध के लिए क्या अवसर है।
सवाल: इस मौके पर आप लोगों को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की तरफ से से कोई संदेश, कोई समर्थन मिला है क्या?
जवाब: मेरी तो उनसे कई वर्षों से कोई बात नहीं हुई है…
सवाल: ये तो एक तरह से जगजाहिर है। मैं इस प्रकरण के संदर्भ में पूछ रहा हूं।
जवाब: नहीं। बिलकुल नहीं। ऐसे मसलों पर प्राइवेट सपोर्ट का तो कोई मतलब ही नहीं होता। यहां कोई दिलासा थोड़े ना दिलाना है। न ऐसा कोई संदेश आया है और न ही इसका कोई मतलब है। ऐसे मौकों पर जो सार्वजनिक तौर से बोलता है वही सपोर्ट है। अगर प्राइवेट में फोन करके कोई बोल भी दे तो उसका कोई अर्थ नहीं है। यहां मैं एक बार और साफ कर दूं कि ऐसा कोई फोन या संदेश नहीं आया। ये फिर एक ऐसा सवाल है जो आपको उनसे पूछना चाहिए।
इस दौरान मैंने एक भी ऐसे व्यक्ति का समर्थन या बयान नहीं दिखा जो खुद को प्रशांत भूषण का सहयोगी बताते थे। एक समय में ख़ुद को उनके बहुत नजदीकी समझते थे। ये कैसी राजनीति है जिसमें न्यूनतम अधिकारों के हनन पर भी उन्हें चुप्पी साधनी पड़ रही है? ये तो रहने दीजिए। वो दिल्ली के दंगों पर नहीं बोल सकते हैं। सीएए जैसा एक क़ानून आता है उसके बारे में नहीं बोल सकते। कश्मीर पर तो बोल ही नहीं सकते हैं। भगवान ही जाने कि ये उनकी कैसी राजनीति है।
सवाल: सोशल मीडिया पर कुछ लोग उनके पुराने ट्वीट को शेयर कर रहे हैं जिसमें जस्टिस कर्णन को सजा मिलने पर उन्होंने ख़ुशी ज़ाहिर की थी। क्या आपको लगता है कि तब प्रशांत भूषण का स्टैंड गलत था?
जवाब: मैं हैरान हूं उन चीजों को पढ़ते हुए। देखते हुए। अगर प्रशांत भूषण ने कभी ये कहा हो कि इस देश में कोर्ट की अवमानना का कोई कानून होना ही नहीं चाहिए तब आप जरूर उन्हें दोषी ठहरा सकते हैं। मैं खुद ये मानता हूं कि इस देश में अवमानना का कानून होना चाहिए। मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं? वो इसलिए क्योंकि अगर कल को सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले को सरकार ने या उसके किसी अंग ने मानने से मना कर दिया तो कोर्ट क्या करेगा?
ऐसे में कोर्ट के पास कोई तो पावर होनी चाहिए कि वो ऐसा करने वाले को दंड दे सके। मान लीजिए, कल को किसी राज्य का पुलिस प्रमुख कहता है कि भले सुप्रीम कोर्ट ने अमुख व्यक्ति को छोड़ने का आदेश दे दिया है लेकिन हम नहीं छोड़ेंगे तो कोर्ट के पास कोई एक ऐसी पावर तो होना चाहिए जिसकी मदद से वो अपने फैसले को लागू करवाए। ‘अदालत की अवमाना’ एक अंतर्निहित शक्ति है जो कोर्ट के पास होनी चाहिए। इस शक्ति का मुख्य प्रयोजन ये है कि जहां कोर्ट को अपने किसी आदेश को लागू करवाने में अरचन आ रही हो वहां वो इसका प्रयोग करे और अपने आदेश को लागू करवाए।
जस्टिस कर्णन वाले केस में समस्या केवल इतनी नहीं थी कि वो दूसरे जजों पर आरोप लगा रहे थे। इस मामले में भी मेरा मानना है कि ऐसा उन्हें अपने पद पर रहते हुए ऐसा नहीं करना चाहिए था। वो पहले अपने पद से हटते फिर आरोप लगाते। सबसे बड़ी बात ये थी कि वो ऐसे आदेश पास कर रहे थे जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू होने से रोक रहे थे। वो जज की हैसियत से पुलिस के अधिकारियों को आदेश दे रहे थे कि जाओ और सुप्रीम कोर्ट के जज को गिरफ्तार करो।
ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट को तो अपने पावर का इस्तेमाल करना ही पड़ेगा नहीं तो कौन करेगा? अभी जो लोग ऐसा कह रहे हैं मैं उन्हीं से पूछ रहा हूं- एक हाईकोर्ट के जज पुलिस को आदेश दे रहे हैं कि मैंने सुप्रीम कोर्ट के जज को पांच साल की सजा सुनाई है। जाओ और उसे गिरफ़्तार करो। क्या पुलिस कह सकती है कि हम आदेश नहीं मानेंगे? जो लोग अभी जस्टिस कर्णन का मामला उठा रहे हैं वही बताएं कि इस हालात से कैसे निपटा जा सकता था? मैं उनके विवेक पर ही इस मसले को छोड़ना चाहता हूं।
सवाल: पिछले दिनों कथित तौर पर शाहीन बाग आंदोलन से जुड़े कुछ लोगों ने बीजेपी की सदस्यता ली। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने कहा कि शाहीन बाग का पूरा आंदोलन बीजेपी द्वारा पोषित था। आप इन मंचों पर गए हैं। क्या आप एक ऐसे आंदोलन का हिस्सा थे जिसे पर्दे के पीछे से बीजेपी चला रही थी?
जवाब: मैं बारी-बारी से दोनों पार्टियों से पूछना चाहता हूं। सबसे पहले बीजेपी से। जब हम किसी आंदोलन से जुड़े लोगों को, चेहरों को अपनी पार्टी में शामिल करवाते हैं तो हम मानते हैं कि अमुक आंदोलन सही था। जरूरी था और उसके होने से देश को फायदा हुआ है। अब अगर बीजेपी वाले कह रहे हैं कि जिन लोगों ने उनकी पार्टी की सदस्यता ली है वो आंदोलन से जुड़े थे तो इसका मतलब हुआ कि वो देशभर में सीएए और एनआरसी के खिलाफ चले आंदोलनों का समर्थन कर रहे हैं। अगर वो ऐसा कर रहे हैं तो मुझे व्यक्तिगत तौर पर ख़ुशी है। वो खुलकर सामने आएं और इसका समर्थन करें। अगर बीजेपी सीएए और एनआरसी पर अपना स्टैंड बदलती है तो किसे ऐतराज होगा?
अब आते हैं आम आदमी पार्टी पर। अगर वो ये कह रहे हैं कि चुकी कुछ लोगों ने बीजेपी ज्वॉइन कर ली है तो पूरा आंदोलन ही बीजेपी के द्वारा चलाया जा रहा था तो क्या वो इस बात का कोई प्रमाण देंगे? अगर मुझे ठीक से याद है तो जब ये आंदोलन चल रहा था तो इसी पार्टी के एक-दो नेताओं ने वहां जाकर समर्थन भी दिया था तो क्या ये माना जाए कि उनके माध्यम से तब आम आदमी पार्टी, बीजेपी के साथ संपर्क बना रही थी?
या फिर ये सब एक घटिया राजनैतिक पैंतरेबाज़ी है जो हमने दिल्ली दंगों के वक्त भी देखा और सीएए और एनआरसी प्रदर्शनों के दौरान भी देखा। ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी हिंदू वोटों की मंडी में एक और दुकान लगाना चाहती है। अगर वो ऐसा करना चाहते हैं तो खुलकर करें। क्या वो कहेंगे कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ जो प्रदर्शन देशभर में हुए वो राष्ट्रविरोधी थे? क्या वो सीएए का समर्थन करते हैं?
ये सारा घटनाक्रम बताता है कि हमारे देश की राजनीति में कितनी खोखली हो गई है। इस देश में जो राजनैतिक शून्य आ गया है ये सब उसी का नमूना है। पिछले कुछ समय से आम आदमी पार्टी जिस तरह की राजनीति कर रही है वो और कुछ भी हो सकता है लेकिन वैकल्पिक राजनीति तो नहीं ही है।
सवाल: देश में एक वर्ग ऐसा है जो इस वक्त की राजनीति से निराश है, उन्हें कोई उम्मीद नहीं दिखती। मैं आपको एक लाइव कार्यक्रम में सुन रहा था। आप कह रहे थे कि आपको उम्मीद दिखती है। क्या वजह है इसकी?
जवाब: जब इस देश में इमरजेंसी लगी थी तो मेरी उम्र बारह साल थी। मैं इतना बड़ा तो नहीं था कि कुछ कर पाता लेकिन इतना बड़ा ज़रूर था कि हालात को समझ सकूं। मैंने उस वक्त की निराशा देखी है। 1976 की बात बता रहा हूं हर तरफ एक ना-उम्मीदी थी। सबको लगता था कि अब इस देश में कुछ नहीं हो सकता लेकिन मुझे वो दिन भी याद हैं जिममें 1977 का चुनाव है और इस चुनाव के ठीक पहले के दिन हैं। एक अलग ही ऊर्जा आ गई। हर तरफ। पता नहीं ये शक्ति कहां थी लेकिन अचानक आई और सब कुछ बदल गया। इसीलिए मैं कहता हूं कि समाज में एक सुप्त ऊर्जा होती है।
इस ऊर्जा का आभास वैसे तो नहीं होता लेकिन किसी घटना के घटते ही ये अपना कमाल दिखा देती है। इस वक्त देश में बड़ी मात्रा में ये सुप्त ऊर्जा है, लेकिन वो मृत पड़ी है क्योंकि बीजेपी का वर्चस्व दिखाई दे रहा है। विपक्षी पार्टियों में केवल ऊर्जा की कमी नहीं है बल्कि वो पूरी तरह से दिशा विहीन दिख रहे हैं। ऐसे माहौल में जनता में एक नैराश्य बोध का आना स्वभाविक है। यही वजह है कि प्रशांत भूषण से जुड़े इस मामले में इतनी चर्चा हो रही है क्योंकि जब घोर अंधकार में एक दिया जलता है तो वो बहुत दूर से दिखाई देता है। मैं इस दीए के करीब हूं तो इतना कह सकता हूं कि ये दीया दो नंबर का नहीं है और इसमें डालडा तेल नहीं मिला है (हंसते हुए)।
सवाल: आजकल जब आप अपने लेख में या भाषणों में कहते हैं कि इस देश के सेक्युलर ने ये गलती की। इस देश में बुद्धिजीवियों ने यहां कमी छोड़ दी तो इसका क्या मतलब है? करने वाले आप ही लोग तो थे? अब आप ही कह भी रहे हैं। थोड़ा कन्फ्यूजन है। इसे साफ कीजिए।
जवाब: अब आपके इस सवाल से मुझे मेरे बुजुर्ग होने का अहसास हो रहा है। जब मैं ऐसा कह रहा हूं या लिख रहा हूं तो उसमें मेरी समझ में कोई कन्फ्यूजन नहीं है। ऐसा कहने में एक आत्मआलोचना है। मैं खुद को इससे बाहर मानकर कुछ भी नहीं कहता या लिखता। मैंने खुद इसमें उतना ही शामिल हूं जितना कोई और। मेरा मानना है कि मेरे पिताजी की पीढ़ी और मेरी पीढ़ी ने इस देश का बड़ा नुक़सान किया है। आज जो हम भुगत रहे हैं वो इन्हीं गलतियों का परिणाम है। इस देश के जो बुनियादी मूल्य थे। स्वतंत्रता आंदोलन वाली पीढ़ी यानी मेरे दादा की पीढ़ी ने लाख संघर्षों के बाद इस देश को जो संविधान दिया था, जो मूल्य दिए थे।
उस संविधान, मूल्य और आज़ादी की विरासत जैसी पूंजी को बाद की पीढ़ी ने आगे नहीं बढ़ाया। ये कोई ऐसी पूंजी नहीं है जिसे बैंक में रख दिया और वो ख़ुद ही बढ़ती रहे। इस पूंजी को हर दस-पंद्रह साल में पुनर्जीवित करना होता है। मेरे पिताजी और मेरी पीढ़ी का अपराध ये है कि हमने ये मान लिया कि ‘संविधान, मूल्यों और आज़ादी की विरासत’ की पूंजी अपने-आप बढ़ती रहेगी। जो न होना था और न हुआ।
आप कह सकते हैं कि मैं अब उसी अपराध की भरपाई करने की कोशिश कर रहा हूं। अगर मैं एक उंगली बीजेपी या आरएसएस की तरफ उठा रहा हूं जो कि बहुत ज़रूरी है क्योंकि वो देश को तोड़ने वाली राजनीति कर रहे हैं तो तीन उंगलियां मेरे ख़ुद की तरफ भी उठ रही हैं। आज के हालात बताते हैं कि हम जैसे लोग फ़ेल हुए। इसे हम जितनी जल्दी मान लेंगे और इस पर काम शुरू करेंगे उनता ही भला होगा। अब इससे किसी का नुकसान नहीं होने वाला जो होना था वो हो चुका।
प्रशांत भूषण अवमानना केस से जुड़ी आप ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सिन के दूसरे फेज का ट्रायल मंगलवार से शुरू होगा। वैक्सिन को तैयार करने में सीरम ने ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेक के साथ करार किया है।
एसआईआई में सरकार और विनियामक मामलों के अतिरिक्त निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने बताया कि हमें केंद्रीय औषधि मानक और नियंत्रण संगठन से मंजूरी मिल गई है। हम 25 अगस्त से भारती विद्यापीठ अस्पताल में मानव क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने जा रहे हैं। उधर, देश में कोरोना मरीजों की संख्या 31 लाख 64 हजार 881 हो गई है। सोमवार को 59 हजार 969 मरीज बढ़े।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश:
भोपाल में संक्रमितों की संख्या 10 हजार को पार गई। अब तक राजधानी में 10 हजार 068 केस हो गए हैं। वहीं, राजाभोज एयरपोर्ट पर एअर इंडिया के इंचार्ज एयरपोर्ट मैनेजर श्याम टेकाम की पत्नी नीरा टेकाम की कोविड से मौत हो गई। वे कोविड डेडिकेटिड चिरायु अस्पताल में भर्ती थीं। इससे भोपाल में कोरोना से मरने वालों की संख्या 274 पर पहुंच गई है। राज्य में सोमवार को 22400 सैंपल की जांच की गई। अब तक राज्य में 12 लाख लोगों का कोरोना टेस्ट हो चुका है।
2. राजस्थान.
राज्य के सरकारी अस्पतालों में वेंटीलेटर की कमी का मामला विधानसभा में उठा। पूर्व चिकित्सा मंत्री एवं विधायक कालीचरण सराफ ने कोरोना से लड़ाई में सरकार की तैयारियों को नाकाफी बताया। उधर, जयपुर में मरीजों की संख्या 9 हजार के पार हो गई। पिछले एक हफ्ते में 3 बार केस 200 से ज्यादा आए। जोधपुर में हत्या के बाद एक युवक संक्रमित मिला। यहां संक्रमितों का आंकड़ा 11 हजार के पार पहुंच गया। शहर में 9 दिनों में 817 एक्टिव केस बढ़ गए।
3. बिहार.
पटना में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 18843 हो गई है। अब तक 15885 मरीज ठीक हो चुके हैं। अभी 2885 एक्टिव केस हैं। एम्स में पांच कोरोना मरीजों की मौत हो गई। इनमें पटना के दो मरीज हैं। राज्य में कोरोना के टेस्ट की संख्या में कमी आई है। सोमवार को सिर्फ 60 हजार 215 सैंपल की जांच की गई। रविवार को यह संख्या 1 लाख 1 हजार 36 थी।
4. महाराष्ट्र
राज्य में सोमवार को 46 हजार 616 लोगों के सैंपल की जांच की गई। पिछले तीन दिनों में यहां भी टेस्टिंग में गिरावट देखी गई है। मुंबई से अच्छी खबर मिल रही है। यहां सोमवार को 743 केस मिले और सिर्फ 20 लोगों की मौत हुई। यहां रिकवरी रेट 81% से ऊपर चला गया है। मरीजों की संख्या 1.37 लाख है। इनमें से सिर्फ 18 हजार 267 एक्टिव मरीज हैं।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में पिछले पांच दिनों में 24 हजार से ज्यादा केस बढ़ गए हैं। वहीं, 349 मरीजों की जान चली गई। सरकार का कहना है कि केस बढ़ने की वजह ज्यादा टेस्टिंग है। सोमवार को राज्य में 1.6 लाख सैंपल की जांच की गई। अच्छी खबर है कि पिछले 24 घंटे में जहां 4 हजार 601 मरीज मिले, वहीं 4 हजार 494 लोग स्वस्थ भी हो गए।
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सिन के दूसरे फेज का ट्रायल मंगलवार से शुरू होगा। वैक्सिन को तैयार करने में सीरम ने ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेक के साथ करार किया है।
एसआईआई में सरकार और विनियामक मामलों के अतिरिक्त निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने बताया कि हमें केंद्रीय औषधि मानक और नियंत्रण संगठन से मंजूरी मिल गई है। हम 25 अगस्त से भारती विद्यापीठ अस्पताल में मानव क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने जा रहे हैं। उधर, देश में कोरोना मरीजों की संख्या 31 लाख 64 हजार 881 हो गई है। सोमवार को 59 हजार 969 मरीज बढ़े।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश:
भोपाल में संक्रमितों की संख्या 10 हजार को पार गई। अब तक राजधानी में 10 हजार 068 केस हो गए हैं। वहीं, राजाभोज एयरपोर्ट पर एअर इंडिया के इंचार्ज एयरपोर्ट मैनेजर श्याम टेकाम की पत्नी नीरा टेकाम की कोविड से मौत हो गई। वे कोविड डेडिकेटिड चिरायु अस्पताल में भर्ती थीं। इससे भोपाल में कोरोना से मरने वालों की संख्या 274 पर पहुंच गई है। राज्य में सोमवार को 22400 सैंपल की जांच की गई। अब तक राज्य में 12 लाख लोगों का कोरोना टेस्ट हो चुका है।
2. राजस्थान.
राज्य के सरकारी अस्पतालों में वेंटीलेटर की कमी का मामला विधानसभा में उठा। पूर्व चिकित्सा मंत्री एवं विधायक कालीचरण सराफ ने कोरोना से लड़ाई में सरकार की तैयारियों को नाकाफी बताया। उधर, जयपुर में मरीजों की संख्या 9 हजार के पार हो गई। पिछले एक हफ्ते में 3 बार केस 200 से ज्यादा आए। जोधपुर में हत्या के बाद एक युवक संक्रमित मिला। यहां संक्रमितों का आंकड़ा 11 हजार के पार पहुंच गया। शहर में 9 दिनों में 817 एक्टिव केस बढ़ गए।
3. बिहार.
पटना में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 18843 हो गई है। अब तक 15885 मरीज ठीक हो चुके हैं। अभी 2885 एक्टिव केस हैं। एम्स में पांच कोरोना मरीजों की मौत हो गई। इनमें पटना के दो मरीज हैं। राज्य में कोरोना के टेस्ट की संख्या में कमी आई है। सोमवार को सिर्फ 60 हजार 215 सैंपल की जांच की गई। रविवार को यह संख्या 1 लाख 1 हजार 36 थी।
4. महाराष्ट्र
राज्य में सोमवार को 46 हजार 616 लोगों के सैंपल की जांच की गई। पिछले तीन दिनों में यहां भी टेस्टिंग में गिरावट देखी गई है। मुंबई से अच्छी खबर मिल रही है। यहां सोमवार को 743 केस मिले और सिर्फ 20 लोगों की मौत हुई। यहां रिकवरी रेट 81% से ऊपर चला गया है। मरीजों की संख्या 1.37 लाख है। इनमें से सिर्फ 18 हजार 267 एक्टिव मरीज हैं।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में पिछले पांच दिनों में 24 हजार से ज्यादा केस बढ़ गए हैं। वहीं, 349 मरीजों की जान चली गई। सरकार का कहना है कि केस बढ़ने की वजह ज्यादा टेस्टिंग है। सोमवार को राज्य में 1.6 लाख सैंपल की जांच की गई। अच्छी खबर है कि पिछले 24 घंटे में जहां 4 हजार 601 मरीज मिले, वहीं 4 हजार 494 लोग स्वस्थ भी हो गए।
मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के जनपद मुख्यालय धनोरा से 35 किमी दूर चाचरिया पंचायत के नवाड़ फलिया में सालों से पक्की सड़क नहीं बनी है। कीचड़ होने से वाहन फलिया तक नहीं जा पाते। रविवार को एक दिव्यांग गर्भवती महिला गायत्री (20) को लेवर पेन होने पर परिवार वाले उसे झोली में डालकर 3 किमी दूर चाचरिया तक पैदल ले गए। हालत गंभीर होने पर महिला को सेंधवा रैफर किया गया। शाम 6 बजे उसका प्रसव हुआ।
धरने पर बैठे स्टूडेंट्स
पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) में अगले सेमेस्टर की फीस माफ करने और हर साल पहले से तय बढ़ोत्तरी को रोकने की मांग को लेकर करीब 10 दिन से धरने पर बैठे स्टूडेंट्स ने सोमवार को वाइस चांसलर ऑफिस पर ताला लगा दिया। पीयू में फीस माफ करने को लेकर अलग-अलग छात्र संगठन चार महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। मांग पूरी नहीं होने पर इनका गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
सुखना से पानी छोड़ने के बाद भर गया पार्क
फोटो चंडीगढ़ के मोहाली जिले के एमसी पार्क की है। यहां पानी भरने से बच्चे अब यहां स्वीमिंग कर रहे हैं। पूरे पार्क को काफी नुकसान हुआ है। म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन को इसके मेंटेनेंस पर अब कई लाख रुपए खर्च करने पड़ेंगे।
24 किमी की दूरी होगी कम
असम के गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर से भारत की सबसे लंबी रोपवे सेवा शुरू हो गई है। सोमवार को कैबिनेट मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने इसका उद्घाटन किया। यह रोपवे लोगों को गुवाहाटी (कचहरी घाट) से उत्तरी गुवाहाटी (डोल गोविंदा मंदिर) तक सिर्फ 8 मिनट में पहुंचाएगा। सड़क मार्ग से इन दोनों इलाकों के बीच की दूरी 24.4 किमी है, जिसे पूरा करने में करीब एक घंटा लगता था।
आईआईटी बॉम्बे का 58वां दीक्षांत समारोह
कोरोना संकट के बीच आईआईटी बॉम्बे ने रविवार को वर्चुअल रियलिटी (वीआर) तकनीक से 58वां दीक्षांत समारोह किया। 1255 से अधिक छात्र घरों में थे और खुद के एनिमेटेड अवतार को आभासी मंच पर एनिमेटेड डायरेक्टर सुभाषिस चौधुरी से डिग्रियां लेते देख रहे थे। मेडल चीफ गेस्ट नोबेल विजेता डंकन हाल्डेन के 3-डी अवतार ने दिए।
देश और आईआईटी के 62 साल के इतिहास में पहली बार है, जब दीक्षांत समारोह इस तरह हुआ। आईआईटी का दावा है कि दुनियाभर में कई दीक्षांत समारोह ऑनलाइन हुए, लेकिन इस तरह कोई नहीं हुआ। सभी छात्र एक मोबाइल एेप के जरिए समारोह से जुड़े थे। जून में यही आईआईटी ऑनलाइन लेक्चर देने वाला देश का पहला संस्थान बना था।
इस बार नहीं निकाला जाएगा नगर कीर्तन
आज जगत पिता श्री गुरु नानक देव जी और जगत माता सुलक्खणी जी का पावन विवाह है। सुबह श्री अखंड पाठ साहिब जी के भोग डाले जाएंगे। इसके बाद धार्मिक दीवान सजाए जाएंगे। धार्मिक दीवान में रागी जत्थे, कथावाचक, ढाडी जत्थे, कविश्र जत्थे, प्रचारक, इलाही बाणी का कीर्तन और गुरु इतिहास सुनाकर संगत को निहाल करेंगे। रात 10 बजे धार्मिक दीवान का समापन होगा। लंगर में विवाह पर्व की भाजी बांटी जाएगी। गुरुद्वारा डेहरा साहिब में भी ऐसा ही धार्मिक दीवान सजेगा।
जिले में कुल 902.3 एमएम बारिश
मानसून का तीसरा महीना अगस्त भी जमशेदपुर के लिए अच्छा रहा। अब तक जिले में कुल 902.3 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। यह औसत से करीब 100 मिलीमीटर ज्यादा है। पूर्वी सिंहभूम में तीसरे महीने भी औसत से अधिक बारिश दर्ज की गई है। अगस्त में अब तक 342.4 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है।
अधिक बारिश का असर नदी-नालों पर दिख रहा है। खरकई और सुवर्णरेखा नदियां उफान पर हैं। ऐसे में दोनों नदियों से सटाकर बनाए गए मरीन ड्राइव की खूबसूरती नदी के साथ और भी बढ़ गई है। यह रानी के गले के डायमंड नेकलेस की तरह दिखाई दे रहा है।
अगस्त के 2 हफ्ते में 866 मिलीमीटर बारिश
सूरत में अभी तक 1751 मिमी यानी 131 फीसदी बारिश हो चुकी है। 10 अगस्त की सुबह 6 बजे तक शहर में 885 मिमी बारिश हुई थी। पिछले दो हफ्ते, यानी 10 अगस्त से 24 अगस्त तक 866 मिमी बारिश हुई। अगस्त के दो हफ्ते में यह पिछले 6 साल में सबसे अधिक बारिश है। पिछले साल 24 अगस्त तक 1236 मिमी बारिश हुई थी।
रविवार शाम 6 बजे से सोमवार शाम 6 बजे तक शहर में 4 इंच बारिश हुई। जिले के बारडोली में साढ़े चार इंच से अधिक, उमरपाड़ा, कामरेज और मांडवी में तीन से साढ़े चार इंच बारिश हुई।
300 साल पुराने शिव मंदिर तीन दिन से डूबे
विदिशा में बेतवा नदी में उफान से करीब 300 साल पुराने ऐतिहासिक चरणतीर्थ मंदिर तीन दिन से डूबे हैं। रंगई स्थित श्री बाढ़ वाले गणेश मंदिर की यज्ञशाला तक पानी पहुंच गया है। भोपाल और रायसेन में अच्छी बारिश होने से बेतवा का जलस्तर बढ़ा है।
गुजरात में सीजन की बारिश 100% पार
गुजरात में सोमवार को सुबह 8 बजे तक औसतन 102.73 प्रतिशत बारिश हुई। छह साल बाद अगस्त में सीजन की कुल बरसात हो गई। 24 घंटे में प्रदेश की 251 तहसीलों में बारिश हुई। जामनगर के जोडिया में 36 घंटे में 16 इंच तो राजकोट के टंकारा में 15 इंच, अबडासा, गोंडल और भाणवड में 7-7 इंच बारिश हुई। प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में 1900 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।
भारी बारिश से 9 लोगों की मौत हो गई। इस साल कच्छ जोन में सबसे अधिक 188%, सौराष्ट्र में 135%, जबकि उत्तर में 88%, मध्य में 79%, दक्षिण में 91% बारिश हुई। जलाशयों में 71% पानी जमा हो गया। 76 डैम में 100%, 44 डैम में 90 से 100%, 14 डैम में 80 से 90% और 19 डैम में 70 से 80% पानी जमा हो गया है।