शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

पीलीभीत में रोडवेज बस और पिकअप के बीच टक्कर के बाद दोनों वाहन पलटे; 7 लोगों की मौत; 32 जख्मी

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में शनिवार तड़के 4 बजे रोडवेज बस और पिकअप आमने-सामने टकरा कर पलट गईं। हादसे में 7 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि 32 लाेग जख्मी हो गए। सूचना मिलने पर पीलीभीत पुलिस अधीक्षक सहित पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंचे। घायलों को सीएचसी पूरनपुर भिजवाया गया। जिनकी हालात गंभीर थी, उन्हें पीलीभीत जिला अस्पताल रेफर कर दिया।

जानकारी के मुताबिक, लखनऊ के केसरबाग से रोडवेज बस (UP27T9304) पीलीभीत जा रही थी। रास्ते में थाना सेहरामऊ क्षेत्र में पंजाब पैलेस के पास सामने से आए पिकअप वाहन से टक्कर हो गई। टक्कर इतनी तेज थी कि दोनों वाहन खाई में जाकर पलट गए। यात्रियों में चीख-पुकार मच गई। शोर सुनकर आसपास के लोग पहुंचे और राहत-बचाव कार्य शुरू किया।

पिकअप सवार देवी दर्शन के लिए जा रहे थे
मरने वालों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। कुछ घायलों की पहचान हुई है। हादसे का कारण बस ड्राइवर को नींद की झपकी आना बताया जा रहा है। बस सवार घायल यात्री दीपक ने बताया कि हम लोग लखनऊ से टनकपुर माता पूर्णगिरी के दर्शन के लिए जा रहे थे। पुलिस अधीक्षक जय प्रकाश ने बताया कि हादसा थाना सेहरामऊ इलाके के बॉर्डर पर हुआ।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
पीलीभीत में बस और पिकअप के बीच टक्कर में सात लोगों की घटनस्थल पर ही मौत हो गई।


from Dainik Bhaskar /national/news/the-horrific-collision-between-the-bus-and-bolere-in-pilibhit-7-killed-32-injured-127821917.html
https://ift.tt/37fq2cI

पेरिस में इस्लाम से जुड़ा चित्र दिखाने वाले हिस्ट्री टीचर की गला काटकर हत्या, कुछ देर बाद हमलावर भी मारा गया

फ्रांस में शुक्रवार शाम एक हमलावर ने हिस्ट्री टीचर की गला रेतकर हत्या कर दी। कुछ देर बाद पुलिस ने हमलावर को घेर लिया। उससे सरेंडर करने को कहा गया। जब उसने सरेंडर नहीं किया तो पुलिस ने उसे गोली मार दी। हमलावर की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। टीचर पर आरोप है कि उसने कुछ दिन पहले क्लास में इस्लाम से जुड़ी कोई फोटो दिखाई थी। बताया जाता है कि हमलावर इसी बात से नाराज था।

टीचर का पीछा किया गया
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हमलावर ने काफी दूर तक टीचर का पीछा किया था। एंटी टेरर डिपार्टमेंट ने इसकी पुष्टि की है। घटनास्थल राजधानी पेरिस के काफी करीब है। डिपार्टमेंट के मुताबिक- घटना कॉन्फ्लांस सेन्ट होनोरिन इलाके में हुई। यहां एक सेकंडरी स्कूल में कुछ दिन पहले इस टीचर ने इस्लाम से जुड़ा कोई चित्र दिखाया था। टीचर जब स्कूल से निकला तो आरोपी ने उसका पीछा किया। बाद में मौका पाकर उसका गला काट दिया।

चार लोग गिरफ्तार
कुछ देर बाद आरोपी को पुलिस ने इसी इलाके में घेर लिया। उसने सरेंडर करने से इनकार किया तो पुलिस ने गोली मार दी। बाद में चार और लोगों को गिरफ्तार किया गया। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने घटना की निंदा की। कहा- टीचर की हत्या इसलिए की गई क्योंकि वो फ्रीडम ऑफ स्पीच यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का इस्तेमाल कर रहा था। वो इस्लामिक कट्टरता की शिकार हुए। मैक्रों ने घटनास्थल का दौरा भी किया।

कौन था हमलावर
फ्रांस सरकार या एंटी टेरर डिपार्टमेंट ने हमलावर के बारे में फिलहाल किसी तरह की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि हमलावर की उम्र 18 साल है और वो मूल रूप से चेचेन्या मूल का है। उसका जन्म मॉस्को में हुआ था। फ्रांस के एजुकेशन मिनिस्टर ने कहा- पुलिस और जांच एजेंसियों को अपना काम करने दीजिए। इस बारे में जानकारी वक्त आने पर जरूर दी जाएगी।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
पेरिस के एक उपनगरीय इलाके में शुक्रवार शाम एक हिस्ट्री टीचर की गला रेतकर हत्या कर दी गई। फोटो घटना के बाद पुलिस द्वारा की गई घेराबंदी की है। हमलावर को यहीं मार गिराया गया।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/31hILR8
https://ift.tt/2IFsUFJ

जानते हैं जी, ई राजनीति के नेतवन झूठे देश सेवा कहता है, पांच साल के लिए विधायक बनता है आ भर जिनगी पेंशन लेता है

ये गया है। पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देने के लिए देश-विदेश में चर्चित शहर। इस शहर को लेकर और भी तमाम कथाएं हैं। चलिए आज हम आपको इसी गया शहर के ‘मथभुकौव्वल’ वाले स्थान का परिचय कराते हैं। डीएम ऑफिस का तिराहा। तिराहे के दक्षिण में नगर निगम की जमीन पर सालों से चल रही चाय-समोसे की दुकान। इस दुकान के पश्चिम में एसएसपी ऑफिस है और इसके ठीक पीछे नगर निगम का दफ्तर।

यहां आने वाले लोग इस जगह को ‘मथभुकौव्वल’ कहते हैं। ‘मथभुकौव्वल’ मतलब माथा खाने वाला या कह लें ‘सिर खाने वाला’...जाहिर सी बात है ऐसा नाम किसी ‘भुक्तभोगी’ ने ही ‘आजिज’ आकर दिया होगा!

दोपहर के तीन बज रहे हैं। कड़ाही के खौलते तेल में जिस तरह समोसे सफेद से सुर्ख हो रहे हैं, बगल के भगोने में खौलती चाय भी धीरे-धीरे रंग बदलते हुए कड़क हो रही है। यहां बिना देर तक खौली कड़क चाय के बात आगे ही नहीं बढ़ती। चाय के इंतजार में कुछ अधेड़ उम्र के लोगों की मंडली बातों में मशगूल है। इन बातों से निकलती ध्वनि ने मुझे भी करीब आने को मजबूर कर दिया।

उनके पास पहुंचते ही झक सफेद कुर्ता-पायजामा पहने सज्जन बोल पड़े। ‘अरे जानअ हीं, पॉलटिक्स तो सांप-सीढ़ी के खेल हो गेलई है। जइसही आगे बढ़मीं संपबा काट लेतउ। ओकरा बाद छटपटइते रहिए। देखलहीं न, चिरगवा कइसे कर देलकई। संउसे के बुद्धिए हेरा देलकई। एकरो पीछे गेम हई हो। खैर चाहे जो हो, एदम से संपबा जइसन काटलई हे। नीतीश के तो बोखार छोड़ा देलकई हे। अ ई अकेले ना हई हो, वीआईपी के सन ऑफ मल्लाह के देखहीं, उ अलगे फन उठइले हई।'

नगर निगम दफ्तर के सामने बनी ये चाय-समोसे की दुकान चुनावी बतकही का अड्डा बन जाती है।

तभी इस सज्जन की बात काटते हुए किसी और ने मोर्चा संभाल लिया... बोला, 'जब रामविलास पासवान जिंदा हलथिन त कोई पार्टी उनका महान ना कह हलई। अब सब उनका महान कह के अप्पन-अप्पन बांह पुजबाबे मे लगल हई। अ चिराग हई कि केकरो सुनते न हई। ऊ हो पट्‌ठा पक्का राजनीतिज्ञ निकल गेलई।'

इसी बीच एक अन्य सज्जन बीच बहस में कूद पड़े- ‘जानते हैं जी, ई राजनीति के नेतवन झूठे देश सेवा कहता है और पेंशन उठाता है। पांच साल के लिए विधायक बनता है आ भर जिनगी पेंशन लेता है।’

अरे का कह रहे हैं, कहां हैं आप ! पांच साल नहीं, ढाई साल बोलिए।

अरे कहां रहेंगे, बिहार में हैं, और कहां!

त ठीक है आप याद कीजिए 2005 का राजनीतिक सीन। सरकार कुछ ही दिन बाद गिर गई थी, पता है न ! और फिर से चुनाव हुआ था कि न...कहिए! उस समय जे नेता जीता था, उसको पेंशन इस समय मिल रहा है कि नहीं… बताइये!

हां हो, भईवा ईहो बात सहिये है। सही न है तो और का! खाली माथा भुकाते हैं आप।

तभी एक अन्य सज्जन इस मथभुकौव्वल के दंगल में कूद पड़ते हैं, ‘भाई, देश सेवा 1970 के बाद से समझो कि खत्म हो गया है। अब तो देश सेवा के नाम पर खाली लूट-मार है। अब बताओ, जो नेता दो-चार करोड़ रुपया देकर टिकट लेगा, ऊ का देश सेवा करेगा।'

इसी बीच सफेद झक कुर्ता-पायजामा पहने एक दूसरा व्यक्ति उनसे मिलने आ पहुंचा और सभा में अचानक शांति पसर गई। पहले वाले सफेद कुर्ता-पायजामा पहने हुए सज्जन किनारे जाते हैं और दूसरे वाले के कान में कुछ कहते हैं... फिर धीरे से चल पड़ते हैं।

इधर, चाय दुकानदार अपने ग्राहकों की सेवा में लगा हुआ है।

झक कुर्ता-पायजामा पहने व्यक्ति का नाम!...अरे जाने दीजिये ‘नाम में का बा’...ठीक वैसे ही जैसे आजकल गाना चल रहा है... ‘बिहार में का बा’...!



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Chirag Paswan Nitish Kumar | Bihar Election 2020; Gaya Voters Political Debate On Nitish Kumar JDU and Chirag Paswan LJP Party


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3m0Lqa5
https://ift.tt/2IDyAA6

लगातार छठवें दिन 70 हजार से कम केस आए, 13 राज्यों में 90% से ज्यादा मरीज ठीक हुए; यह नेशनल एवरेज से भी ज्यादा; अब तक 74.30 लाख केस

देश में कोरोना के आंकड़े लगातार राहत देने वाले आ रहे हैं। शुक्रवार को 62 हजार 104 केस आए तो 70 हजार 386 मरीज ठीक हो गए। 839 की मौत हुई। एक्टिव केस घटकर आठ लाख से नीचे आ गए हैं। अब देश में कुल 7 लाख 94 हजार मरीजों का इलाज चल रहा है। 13 राज्य ऐसे हैं, जहां 90% से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं, जो नेशनल एवरेज 87.8 से ज्यादा है। बाकी राज्यों में भी यह आंकड़ा 80% के आसपास या उससे ऊपर है।


कोरोना अपडेट्स

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले ढाई महीने देश के लिए बहुत कठिन हैं। फेस्टिव सीजन और ठंड में संक्रमण के बढ़ने का खतरा ज्यादा है। ऐसे में हम सभी को जागरूक करना होगा।
  • कांग्रेस नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। उन्होंने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। आजाद ने बताया कि डॉक्टर्स की सलाह पर वह अभी होम आइसोलेशन में हैं।
  • महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को अनलॉक 5.0 के तहत महिलाओं को बड़ी छूट दी है। अब मुंबई की लोकल ट्रेनों में महिलाएं भी सफर कर सकेंगी। लॉकडाउन के बाद करीब एक महीने पहले ही लोकल ट्रेनें शुरू की गई थीं। तब केवल आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई और अनिवार्य सेवाओं में लगे कर्मचारियों को ट्रैवल करने की अनुमति थी

पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश

राज्य में शुक्रवार को 1352 लोग संक्रमित पाए गए और 1556 लोग ठीक होकर अपने घर गए। 25 मरीजों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अब तक 1 लाख 57 हजार 936 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। इनमें 13 हजार 928 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 41 हजार 273 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 2735 मरीजों की मौत हो चुकी है। टेस्टिंग का आंकड़ा भी बढ़कर 25.3 लाख हो गया है।

2. राजस्थान
शुक्रवार को राज्य में 2010 नए मामले सामने आए। 2201 लोग रिकवर हुए और 15 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 69 हजार 289 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 21 हजार 381 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 46 हजार 185 लोग ठीक हो चुके हैं। 1723 लोग कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं।

3. बिहार
राज्य में शुक्रवार को 1062 मरीज मिले, 1454 लोग रिकवर हुए और 9 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 1 हजार 887 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 10 हजार 649 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि1 लाख 90 हजार 256 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 981 मरीजों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र
राज्य में शुक्रवार को 11 हजार 447 नए केस मिले और 13 हजार 885 लोग रिकवर हो गए। 306 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 79.9 लाख लोगों की जांच हो चुकी है। इनमें 15 लाख 76 हजार 62 लोग संक्रमित मिले। इन संक्रमितों में 13 लाख 44 हजार 368 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1 लाख 89 हजार 715 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण से 41 हजार 502 लोग जान गंवा चुके हैं।

5. उत्तरप्रदेश
राज्य में शुक्रवार को 1.7 लाख लोगों की जांच हुई और इनमें 2552 लोग संक्रमित पाए गए। 3538 लोग रिकवर हुए और 46 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक 4 लाख 49 हजार 935 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 4 लाख 8 हजार 83 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 6589 मरीजों की मौत हो चुकी है। अब तक 1.3 करोड़ लोगों की जांच हो चुकी है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Coronavirus Outbreak India Cases LIVE Updates; Maharashtra Pune Madhya Pradesh Indore Rajasthan Uttar Pradesh Haryana Punjab Bihar Novel Corona (COVID 19) Death Toll India Today Mumbai Delhi Coronavirus News


from Dainik Bhaskar /national/news/coronavirus-outbreak-india-cases-live-news-and-updates-17-october-2020-127821881.html
https://ift.tt/3o1Sq88

अलीबाबा के जैक मा ला रहे हैं दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ, सऊदी अरामको से भी बड़ा, जानिए इसके बारे में सबकुछ

दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ आ रहा है। वह भी अमेरिका में नहीं बल्कि चीन में और कंपनी भी वहीं की है। जैक मा की कंपनी अलीबाबा का एफिलिएट है एंट ग्रुप और यही 35 अरब डॉलर यानी 2.56 लाख करोड़ रुपए का आईपीओ ला रहा है। यदि आपको लग रहा है कि इस तरह के आईपीओ तो आते रहते हैं तो जान लीजिए कि पिछले पांच साल में जितने आईपीओ भारत में आए हैं, उन सभी को मिला दें तो भी यह अकेला उन पर भारी पड़ने वाला है।

एंट ग्रुप का आईपीओ यानी इनिशियल पब्लिक ऑफर हॉन्गकॉन्ग और शंघाई स्टॉक एक्सचेंज में आ रहा है और इसे दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ कहा जा रहा है। बार्कलेज, आईसीबीसी इंटरनेशनल और बैंक ऑफ चाइना इंटरनेशनल इसके बुक-रनर्स हैं। हॉन्गकॉन्ग में सीआईसीसी, सिटी ग्रुप, जेपी मॉर्गन और मॉर्गन स्टेनली इसे स्पॉन्सर कर रहे हैं। इसी तरह, शंघाई में सीआईसीसी और चाइना सिक्योरिटीज इसे स्पॉन्सर कर रहे हैं।

क्या है यह आईपीओ और इसमें क्या खास है?

  • सबसे पहले तो समझ लीजिए कि आईपीओ क्या होता है? जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स को जनता के लिए जारी करती है तो उसे आईपीओ, इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (सार्वजनिक प्रस्ताव) कहते हैं। इसके बाद लिमिटेड कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट होती हैं।
  • चीनी अरबपति जैक मा की अलीबाबा की एफिलिएट एंट ग्रुप दुनिया की सबसे वैल्युएबल फिनटेक कंपनी है और यह अपनी वैल्युएशन 250 अरब डॉलर तक ले जाना चाहती है। यह बताना जरूरी है कि भारत की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज इसी साल जून में 150 अरब डॉलर के मार्केट कैपिटल तक पहुंची है और यह ऐसा करने वाली पहली और इकलौती भारतीय कंपनी है।
  • एंट ग्रुप को डुअल लिस्टिंग से 35 अरब डॉलर जुटाने की उम्मीद है। यह लिस्टिंग हॉन्गकॉन्ग और शंघाई में आधी-आधी होगी। सऊदी अरामको ने 2019 में 29.4 अरब डॉलर जुटाए थे और अब तक उसका आईपीओ ही दुनिया का सबसे बड़ा माना जाता है। चीन और अमेरिका में बढ़ते तनाव को देखते हुए एंट ग्रुप का आईपीओ न्यूयॉर्क में लिस्ट नहीं होगा। अमेरिका तो एंट ग्रुप को ट्रेड ब्लैकलिस्ट में डालने की तैयारी कर रहा है। यह बात अलग है कि 2014 में अलीबाबा ग्रुप ने न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में स्टॉक बेचकर 25 अरब डॉलर जुटाए थे और वह उस समय रिकॉर्ड-ब्रेकिंग आईपीओ था।

एंट ग्रुप क्या है और इसका जैक मा से क्या लेना-देना है?

  • दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा को इंग्लिश टीचर जैक मा ने 1999 में शुरू किया था। कई नाकामियों के बाद जैक मा ने जब अलीबाबा शुरू की तो खुद की ही नहीं बल्कि देश के लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी। आज जैक मा दुनिया के सबसे रईस लोगों में शामिल हैं।
  • अलीबाबा का पेमेंट्स प्लेटफॉर्म ही था अलीपे, जो 2011 में शुरू हुआ। 2014 में एंट फाइनेंशियल बना। अलीबाबा की इसमें 50.5% हिस्सेदारी है और वह भी हैंगझाउ जुन्हान और हैंगझाउ जुनाओ के जरिए। अलीपे के 711 मिलियन यूजर मंथली एक्टिव हैं और 80 मिलियन बिजनेस हैं।
  • इसका मोबाइल वॉलेट अलीपे बहुत ही लोकप्रिय है और एक अरब से ज्यादा यूजर हैं और चीन के डिजिटल पेमेंट मार्केट में इसकी हिस्सेदारी 55% है। यह एक सुपर ऐप है। यूटिलिटी बिल के भुगतान से टैक्सी बुक करने तक, मूवी टिकट खरीदने से, कर्जा लेने, बीमा खरीदने, संपत्तियों की खरीद-फरोख्त, कॉफी का भुगतान, एक-दूसरे को पैसे भेजने तक हर काम में अलीपे इस्तेमाल होता है।
  • यह एक मल्टी-साइडेड मार्केट है। कंज्यूमर, बिजनेस और दो हजार पार्टनर फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं और मिलकर पावरफुल नेटवर्क का इफेक्ट देते हैं। अलीपे के 90 प्रतिशत से ज्यादा यूजर ऐप का इस्तेमाल पेमेंट्स के अलावा अन्य एक्टिविटी के लिए भी करते हैं। हमारे पेटीएम जैसा ही तो है, जो पेमेंट्स के साथ-साथ कई सर्विसेस दे रहा है।

एंट ग्रुप के नंबर क्या कहते हैं?

  • कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा रही थी तब 2020 की पहली छमाही में इसने 10.5 अरब डॉलर का रेवेन्यू कमाया और 3.2 अरब डॉलर का मुनाफा भी। 2019 में अलीपे ने छोटे कारोबारियों और आम लोगों के अकाउंट्स में 290 अरब डॉलर क्रेडिट किए और कुल 16 लाख करोड़ डॉलर के लेन-देन किए। यह 2018 के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा है।
  • 2015 से कंपनी ने तीन इक्विटी फंडिंग राउंड्स में 20 अरब डॉलर जुटाए हैं। 2018 में 14 अरब डॉलर जुटाए, जब कंपनी का वैल्युएशन 150 अरब डॉलर किया गया था। इसके इन्वेस्टर्स में चाइना इन्वेस्टमेंट कॉर्प, टेमासेक होल्डिंग्स, सिल्वर लेक, ब्लैकरॉक, जनरल एटलांटिक और वारबर्ग पिनकस शामिल हैं।

इन्वेस्टर्स को आईपीओ में इंटरेस्ट क्यों है?

  • चीनी इन्वेस्टर आने वाले आईपीओ को टारगेट करने के लिए नए लॉन्च म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट कर रहे हैं। पांच फंड्स बने हैं जो दो हफ्ते के सबस्क्रिप्शन पीरियड में 8.8 अरब डॉलर के फंड को टारगेट कर रहे हैं। हालांकि, ट्रम्प प्रशासन और चीन के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए अमेरिकी इन्वेस्टर्स को इस आईपीओ में पार्टिसिपेट करने से रोका गया है।
  • चीन एक अहम फॉरेन पॉलिसी प्लेटफॉर्म है और डोनाल्ड ट्रम्प आने वाले यूएस इलेक्शन में अपने डेमोक्रेटिक प्रतिस्पर्धी जो बाइडेन से काफी पिछड़ रहे हैं। हालांकि, चीन के सिक्योरिटी रेगुलेटर भी स्टॉक लिस्टिंग में कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट की जांच कर रहे हैं, जिस वजह से आईपीओ में देर हो रही है।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Jack Ma Alibaba Ant Group IPO vs Saudi Aramco | Everything That You Need To Know About Alibaba Ant Group Initial Public Offering


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2HdwO7Q
https://ift.tt/2SZG2Ht

मदर टेरेसा को शांति का नोबेल; 1814 में लंदन बीयर फ्लड में आठ की मौत; 1956 में शतरंज का गेम ऑफ द सेंचुरी

आज का दिन बेहद खास है। एक तो मदर टेरेसा को शांति का नोबेल पुरस्कार आज ही के दिन 1979 में दिया गया था। दूसरा, 1956 में शतरंज का वह यादगार मुकाबला खेला गया, जिसे गेम ऑफ द सेंचुरी कहा जाता है।

पहले बात मदर टेरेसा की। 26 अगस्त 1910 को अल्बेनिया के स्काप्जे में जन्म हुआ। नाम था गोंझा बोयाजिजू। सिर्फ 12 साल की थी, तब अनुभव हो गया था कि सारा जीवन मानव सेवा में लगाएंगी। 18 साल की उम्र में सिस्टर्स ऑफ लोरेटो में शामिल होने का फैसला लिया। आयरलैंड जाकर अंग्रेजी सीखी। 1929 में कोलकाता में लोरेटो कान्वेंट पहुंचीं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बंगाल में भीषण अकाल पड़ा। तब मदर टेरेसा ने गरीबों की सेवा शुरू की।

उन्होंने अक्टूबर 1950 में वेटिकन से मिशनरी ऑफ चैरिटी बनाई। 1951 में भारतीय नागरिकता ली। उनकी मौत के वक्त यानी 1997 तक 120 देशों में उनकी मिशनरी 594 आश्रमों में और 3480 सिस्टर के रूप में फैल चुकी थीं। मदर टेरेसा को मानवता की सेवा के लिए भारत सरकार ने पहले 1962 में पद्मश्री और बाद में 1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया। मानव सेवा और गरीबों की देखभाल करने वाली मदर टेरेसा को पोप जॉन पॉल द्वितीय ने 19 अक्टूबर 2003 को रोम में धन्य घोषित किया। 15 मार्च 2016 को पोप फ्रांसिस ने कार्डेना परिषद में संत की उपाधि देने की घोषणा की।

13 साल के बॉबी फिशर ने रचा इतिहास

बॉबी फिशर।

बात 1956 की है। 17 अगस्त को 13 साल के रॉबर्ट जेम्स फिशर ने इतिहास रचा, जिसे बाद में बॉबी फिशर के नाम से लोगों ने जाना। उन्होंने शतरंज के खेल में क्वीन का बलिदान देकर जीत हासिल की और इस गेम को कहा गया गेम ऑफ द सेंचुरी। अब तक इस गेम को शतरंज की हजारों किताबों और कलेक्शन में चर्चा में शामिल किया गया है। न्यूयॉर्क में यह मैच खेला गया था, जिसमें यूएस जूनियर चैम्पियन बॉबी फिशर ने डोनाल्ड बायर्न को हराया था।

लंदन में बीयर की 15 फीट ऊंची लहर

1814 में हुए लंदन में इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट को आज भी लंदन बीयर फ्लड के नाम से जाना जाता है।

1814 में लंदन के सेंट जाइल्स में आठ लोगों की मौत हो गई थी और वह भी बीयर की बाढ़ में। यह एक इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट था, जिसमें 3.20 लाख गैलन से ज्यादा बीयर से भरे कंटेनर धमाके में फट गए थे। नीचे गरीबों की बस्ती थी, जिस पर यह बीयर गिरी थी। धमाका इतना तेज था कि बीयर फैक्टरी की दीवार तक टूट गई थी। फैक्टरी में तो कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन फैक्टरी के पास रहने वाले एक बच्चे को अंतिम बिदाई देने जुटे लोगों पर यह आपदा ही थी। तमाम जांच बिठाई गई, लेकिन फैक्टरी मालिक को लापरवाही के लिए जिम्मेदार न ठहराकर इसे एक्ट ऑफ गॉड कहा गया। बीयर की लहर 15 फीट तक ऊंची गई थी, जो एकाएक आई और लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला था।

आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है

  • 1870ः कलकत्ता बंदरगाह को एक संवैधानिक निकाय प्रबंधन के तहत लाया गया।
  • 1888ः वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने ऑप्टिकल फोनोग्राफ के पेटेंट के लिए एप्लीकेशन दी।
  • 1912ः बुल्गारिया, यूनान और सर्बिया ने ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई की घोषणा की।
  • 1917ः प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन ने पहली बार जर्मनी पर हवाई हमले किए।
  • 1933ः प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन नाजी जर्मनी से अमेरिका चले गए।
  • 1941ः द्वितीय विश्व युद्ध में पहली बार जर्मनी की पनडुब्बी ने एक अमेरिकी पोत पर हमला किया।
  • 2003ः चीन ने अंतरिक्ष में एशिया के पहले और दुनिया के तीसरे देश के रूप में अंतरिक्ष में मानव भेजने में सफलता प्राप्त की।
  • 2004ः गुआंतानामो बे जेल में कैदियों को यातना देने का खुलासा।
  • 2009ः हिंद महासागर में स्थित मालदीव ने पानी के अंदर दुनिया की पहली कैबिनेट बैठक कर सभी देशों को ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से आगाह करने की कोशिश की।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Today History for October 17th/ What Happened Today | Mother Teresa Nobel Prize for Peace | All You Need To Know About Mother Teresa | London Beer Flood | Chess : Game Of The Century | Bobby Fischer & Donald Byrne


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3lMvg3U
https://ift.tt/3k8nssD

माइंडफुलनेस एक्सरसाइज से हार्ट अटैक का खतरा 48% कम होता है, काम 120% बेहतर होता है; जानिए इसके 18 फायदे

कोरोना के दौर में लोग खुश और स्वस्थ रहने के तरीके ढूंढ़ रहे हैं। इसके लिए वैज्ञानिक माइंडफुलनेस थैरेपी और एक्सरसाइज को कारगर बता रहे हैं। हाल ही में आई कुछ स्टडी में भी इस बात का पता चला है कि माइंडफुलनेस से पुराने दर्द, तनाव, डिप्रेशन, घबराहट से निजात मिल सकती है। इसके अलावा मोटापा भी कम हो सकता है।

माइंडफुलनेस सोसाइटी की रिसर्च के मुताबिक इस एक्सरसाइज के रोजाना करने से पुराने दर्द में 50% की कमी आती है। हार्ट अटैक के खतरे में 48% की कमी और स्ट्रेस और एंग्जाइटी में 60% की कमी आती है। यही नहीं, इससे आपका काम 120% बेहतर होता है।

माइंडफुलनेस थैरेपी और एक्सरसाइज को 6 बातों से समझें...

आज जानते हैं माइंडफुलनेस के 18 फायदों और इसे करने के 5 खास तरीकों के बारे में...

माइंडफुलनेस एक्सरसाइज कैसे करें?



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Mindfulness Exercises | Mindfulness Therapy For Heart Disease Connection? Know Everything About


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3j6yw8u
https://ift.tt/3nYdpZw

उपेंद्र कुशवाहा खुद प्रोफेसर, लेकिन उनके गांव में हाई स्कूल नहीं, 10वीं के आगे पढ़ना है तो रोज 4 घंटे सफर करो

बिहार की राजधानी पटना से सटा हुआ जिला है वैशाली। इसके महनार ब्लॉक में है जावज गांव। बिहार की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त बताते हुए मायावती की बहुजन समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के साथ गठबंधन कर मौजूदा विधानसभा चुनाव में खुद को मुख्यमंत्री का कैंडिडेट घोषित करने वाले उपेंद्र कुशवाहा का गांव है यह। बिहार की शैक्षणिक व्यवस्था में क्रांति की बात कर रहे कुशवाहा केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रहे हैं, लेकिन इस जमाने में भी यहां की छात्राओं के चार घंटे सुनसान रास्ते से 6 किलोमीटर दूर हाईस्कूल की यात्रा में बर्बाद हो जाते हैं।

लॉकडाउन में ढील के साथ एक बार फिर छात्राओं के जीवन में यह दर्द तब उभरा, जब भास्कर की टीम ने उनका हालचाल लिया। बच्चियों के माता-पिता भी बताने लगे कि केंद्र में उनके मंत्री रहते वक्त गांव के लोगों ने कई बार फरियाद लगाई, लेकिन सारी उम्मीद धरी की धरी रह गई।

दूरी बनी मजबूरी, बेटियों की पढ़ाई यहां रह जाती है अधूरी
इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी करने के लिए गांव की ज्यादातर बेटियों को करीब 6 किमी दूर पानापुर के मकनपुर स्थित रामशरण राय इंटर कॉलेज जाना पड़ता है। इस दूरी को बेटियां साइकिल से या पैदल ही तय करती हैं। ऐसे में सवाल उनकी सुरक्षा का होता है। खेत-खलिहानों वाला इलाका होने के कारण रास्ता काफी दूर तक सुनसान है। सुरक्षा का ख्याल रखते हुए ही दुकानदार प्रमोद कुमार सिंह ने चार में से दो बेटियों की पढ़ाई बीच में ही रोक दी। पहली और दूसरी नंबर की बेटियां ग्रेजुएशन करना चाहती थीं। नौकरी के लिए आगे पढ़ना चाहती थीं, लेकिन गांव में सुविधा नहीं होने की वजह से इंटरमीडिएट तक ही पढ़ पाईं।

प्रमोद कहते हैं- “गांव के बहुत सारे ऐसे परिवार हैं, जिनकी बेटियां मैट्रिक से आगे नहीं पढ़ पाईं। अगर गांव में इंटर तक का गर्ल्स स्कूल रहता तो ऐसा नहीं होता। इसके लिए कई बार उपेंद्र कुशवाहा से कहा गया, लेकिन उनके केंद्र में मंत्री होने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।”

जो पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था करेगा, उसे देंगे वोट
गांव की प्रीति कुमारी अपने नेताओं से खफा हैं। पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था नहीं होने के कारण हर दिन उनके 4 घंटे बर्बाद होते हैं। उन्हें 6 किमी दूर इंटर कॉलेज जाना पड़ता है। प्रीति अब 18 साल की हो चुकी हैं। उसका नाम वोटर लिस्ट में जुड़ गया है। वह इस चुनाव में पहली बार वोट डालेगी। प्रीति ने प्रण लिया है कि वह जातीय और लोक-लुभावन वादे के आधार पर वोट नहीं करेंगी। कहती हैं- “गांव के अंदर बेटियों के लिए बेहतर शिक्षा और पढ़ाई की व्यवस्था करने वाले नेता को ही वोट देंगे।”

राजनीति के लिए कुशवाहा ने कॉलेज से ले रखी है छुट्‌टी
वैशाली के जंदाहा में मुनेशर सिंह मुनेश्वरी समता कॉलेज है। मुनेशर सिंह उपेंद्र कुशवाहा के पिता और मुनेश्वरी देवी उनकी मां का नाम है। उपेंद्र कुशवाहा प्रोफेसर हैं। राजनीति में आने से पहले वह इसी कॉलेज में राजनीति विज्ञान पढ़ाया करते थे। इस कॉलेज में वह आज भी प्रोफेसर के पद पर हैं।

कॉलेज के सीनियर क्लर्क राकेश कुमार के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही कुशवाहा लगातार छुट्‌टी पर चल रहे हैं। लोग सीधे मुंह सवाल नहीं करते, लेकिन तीन-चार युवकों ने कहा कि बेहतर शिक्षा की बात करने वाले प्रोफेसर साहब इतनी लंबी छुट्टी पर रहते हुए स्टूडेंट्स के बारे में क्यों नहीं सोचते हैं?

गांव में सड़क तो है, लेकिन उस पर गाड़ी चलाना खतरे से खाली नहीं है।

सड़कों को देखकर मानेंगे नहीं कि इसने केंद्रीय मंत्री दिया था
हाजीपुर के पासवान चौक से समस्तीपुर जाने वाली सड़क पर जंदाहा से ठीक पहले दाईं ओर अंबेडकर द्वार बना हुआ है। इसी रोड से जावज गांव जाने के लिए एक पीसीसी सड़क बनी हुई है। कुछ दूर आगे बढ़ने पर सड़क ठीक है। लेकिन, बाया नदी के किनारे पहुंचने पर एप्रोच रोड की स्थिति बेहद जर्जर मिली। एक बड़ा हिस्सा टूटा हुआ मिला। पुल के पास भी स्थिति ठीक नहीं थी।

गांव में जाने पर ऐसा लगा ही नहीं कि ये इलाका केंद्र में रहे किसी मंत्री का है। हालांकि, किसान अरुण कुमार सिंह बताते हैं कि गांव आने वाली पीसीसी सड़क और नदी पर पुल तो उपेंद्र कुशवाहा ने ही बनवाया था।

घर में नहीं दिखी कोई चुनावी तैयारी, सिर्फ प्रचार गाड़ी दिखी
उपेंद्र कुशवाहा का घर काफी बड़े हिस्से में बना हुआ है। वहां उनकी प्रचार गाड़ी खड़ी मिली। घर के अंदर-बाहर चुनाव प्रचार को लेकर कोई तैयारी नहीं दिखी। आगे बढ़ने पर बड़ा दालान है। वहीं बाईं तरफ पुश्तैनी घर भी है, जहां गेट पर ताला लटका हुआ था। सामने के हिस्से में एक ऑफिस बना है।

गांव आने पर उपेंद्र कुशवाहा इसी ऑफिस का इस्तेमाल करते हैं। दालान से सटे हुए हिस्से में गौशाला है, जहां 11 गायें और भैंसें हैं। इनकी देखभाल के लिए केयरटेकर भी है। चुनावी मैदान में हुंकार भरने वाले उपेंद्र कुशवाहा के घर का वातावरण पूरी तरह से शांत मिला। किसी प्रकार का चुनावी शोर देखने को नहीं मिला।

ये उपेंद्र कुशवाहा का घर है। यहीं ऑफिस भी बना है। जब उपेंद्र गांव आते हैं, तो यहीं से काम करते हैं।

पुराने मार्केट को तोड़ बनवा रहे मॉल, इसी पर लगा आरोप
जंदाहा में उपेंद्र कुशवाहा का एक पुराना मार्केट था, जिसे तोड़कर भव्य तरीके से मॉल बनवाया जा रहा है। गांव से लेकर जंदाहा तक इस मॉल की चर्चा है और कारण यह कि कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी में प्रदेश महासचिव रहीं सीमा कुशवाहा ने चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर कहा था कि उपेंद्र बाबू टिकट बेचने पर आए पैसे से मॉल बनवा रहे। टिकट बेचकर कई मॉल बनवा सकते हैं।

सीमा कुशवाहा अब पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की पार्टी ज्वाइन कर चुकी हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि ने भी पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त उपेंद्र कुशवाहा का साथ छोड़ते समय गंभीर आरोप लगाए थे।

1985 में रखा था राजनीति में कदम
उपेंद्र कुशवाहा ने 1985 में राजनीति की दुनिया में पहली बार कदम रखा था। 1985 से 1988 तक वे युवा लोकदल के राज्य महासचिव रहे। 1988 से 1993 तक राष्ट्रीय महासचिव रहे। 1994 में समता पार्टी के महासचिव बने और 2002 तक इसी पद पर वे बने रहे। साल 2000 में पहली बार जंदाहा से विधानसभा का चुनाव लड़े और विधायक बने। उस दरम्यान उन्हें विधानसभा का उप नेता भी बनाया गया था।

सीएम बनना जिनका सपना, उनके गांव से रिपोर्ट-1:पुष्पम प्रिया के गांव की हालत ऐसी कि 100 से ज्यादा घर आज भी पानी में डूबे, पानी सड़ गया, बदबू आ रही है

सीएम बनना जिनका सपना, उनके गांव से रिपोर्ट-2:चिराग के गांव में न हाईस्कूल, न अस्पताल, बाजार भी 25 किमी दूर; लोग कहते हैं- पासवान परिवार ने कुच्छो नहीं किया



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Upendra Kushwaha Bihar Election 2020 Ground Report From RLSP President Upendra Kushwaha Village Near Vaishali


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/31hkMSb
https://ift.tt/2T2t9g8

सब ‘ठीक-ठाक’ सीटों के लिए लड़ रहे, सरकार तो जुगत और जुगाड़ से ही बनेगी, असली टी-20 तो नतीजों के बाद होगी!

बिहार 2020...। ये अपनी तरह का पहला चुनाव है, जब हालात इतने साफ हैं और चुनाव इतना खुला हुआ कि सबकुछ साफ दिख रहा है। इतना साफ कि सबने अपनी रणनीति भी उसी हिसाब से तय कर ली है। एक-एक लाइन तोल कर, ठोक-बजा कर बोली जा रही है। और जब बिसात पर इतना खुलापन हो, सारे खिलाड़ी इतना संतुलन बरत रहे हों, यह किस करवट बैठेगी, कहना मुश्किल होता है।

पहली बार है, जब ये तय है कि कौन किसके खिलाफ लड़ रहा है। लेकिन, ये तय नहीं कि कौन किसे लड़ा रहा है। मसलन, ये तो तय है कि महागठबंधन और एनडीए खिलाफ लड़ रहे हैं और चिराग पासवान बिहार में एनडीए से बाहर ही नहीं हैं, नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने के लिए हर सीट पर उनके खिलाफ हैं।

लेकिन, यह पूरी तरह तय नहीं हो पा रहा कि वो ‘वाकई’ एनडीए से बाहर ही हैं और एनडीए में ‘बड़े भाई’ की असल भूमिका निभा रही भाजपा उनके लिए लचीली नहीं है। यानी, शतरंज की बिसात के काले-सफेद मोहरे भले तय हों, उन काले-सफेद मोहरों के पीछे का स्याह-सफेद साफ नहीं।

बीते कुछ चुनावों पर नजर डालते हैं।

2015 को देखें। तब दो गठबंधनों की लड़ाई थी। बड़े-बड़े चेहरों की लड़ाई थी। लालू-नीतीश साथ थे। सामने नरेन्द्र मोदी थे। लड़ाई हुई। हार-जीत हुई। हालांकि, साथ लड़ने वाले बाद में दुश्मन हो गए। जो एक-दूसरे के निशाने पर थे, दोस्त हो गए। 2010 में नीतीश कुमार के चेहरे और छाया पर चुनाव हुआ। तय हुआ कि नीतीश को फिर से लाना है। वही हुआ भी...। लेकिन इस चुनाव और इससे पहले भी लगभग हर चुनाव का फोकस और भविष्य की तस्वीर भी लगभग तय रहती थी। मतलब ये जीतेंगे तो सत्ता में होंगे, हारे तो उधर ही बैठेंगे। चुनाव के पहले यह नहीं कहा जा सकता था कि चुनाव बाद ये वाला उधर या वो वाला इधर आ ही जाएगा।

लेकिन, यह पहली बार है जब बिहार का चुनाव किसी फोकस के साथ नहीं लड़ा जा रहा। मोटे अर्थों में यह गठबंधनों की नहीं, स्थानीय चेहरों की लड़ाई ज्यादा बन गया है। यानी गठबंधन कम, प्रत्याशी की पहचान ज्यादा काम करेगी। और इस आड़ में गठबंधन के अंदर और गठबंधन के पीछे भी कई गठबंधन टूट-बन रहे होंगे।

दिनारा और जगदीशपुर तो सिर्फ उदाहरण हैं। दिनारा में संघ के कद्दावर नेता और पिछले चुनाव में भाजपा से मुख्यमंत्री का अघोषित चेहरा रहे राजेन्द्र सिंह का सीट एडजस्टमेंट के बाद बिना इस्तीफा दिए लोजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरना और भाजपा से ‘कागजी निष्कासन’ के बाद भी उनके सपोर्ट में संघ और भाजपा की फौज का डटे रहना इसी नूराकुश्ती का शानदार नमूना है।

यह चुनाव के दौरान ही नहीं, चुनाव बाद की तस्वीर का धुंधलका भी किसी हद तक छांट दे रहा है। अगर अभी से ही चुनाव बाद के ‘भाजपा-लोजपा’ रिश्ते की चर्चा इतनी मुखर है, तो रिश्तों की सच्चाई को आसानी से समझा जा सकता है। दिनारा से ‘भाजपा बागी’ (दिल से भाजपा और संघ के साथ), कागज पर भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित राजेन्द्र सिंह ने भास्कर से बातचीत में जो कुछ कहा, वह इस पर मुहर लगाने वाला है। यानी बहुत गड्डमड्ड है।

यह भी पहली बार होगा, जब चुनाव शुरू होने से पहले ही तय हो चुका है कि किसी एक दल को बहुमत तो नहीं ही मिलने जा रहा है। और यह भी तय नहीं है कि चुनाव बाद यही गठबंधन सरकार बनाएगा और वो वाला विपक्ष में ही बैठेगा। मतलब, आश्वस्त होकर नहीं कह सकते कि इस गठबंधन का ‘ये वाला’ हिस्सा ‘उस वाले’ हिस्से के साथ एक नया गठबंधन नहीं कर लेगा। लेकिन, यह तय है कि इस चुनाव में ‘सबसे ज्यादा’ सीटों पर लड़ने वाला भी अपने दम पर तो बहुमत नहीं ही ला पाएगा।

अब अगर जमीन के नीचे से कोई 2014 (लोकसभा चुनाव में मोदी लहर) या यूपी का 2012 (अखिलेश लहर) या 2017 (मोदी लहर) निकल आए तो और बात है, जो फिलहाल दूर की कौड़ी लगता है। सच यही है कि कोई इतनी सीट लड़ ही नहीं रहा कि अपने ईंट-गारे से खुद का महल खड़ा कर ले। सबसे ज्यादा सीटों (144) पर राजद यानी तेजस्वी यादव की पार्टी मैदान में है।

कुछ और भी किन्तु-परन्तु हैं। यह चुनाव बड़े चेहरों की लड़ाई भले न रह गया हो, कौन किसके खिलाफ लड़ रहा है और लड़ाई किससे लड़नी है, यह एकदम साफ है। यह नेताओं के बोल-बचन में भी दिख रहा है। तय है कि किसके खिलाफ बोलना है। किसे बचाकर निकल जाना है। यह भविष्य की खिड़की खुली रखने का संकेत है। हालांकि, यह खिड़की चुनाव के टेकऑफ करने से पहले ही इस कदर खुल जाएगी, यह भी पहली बार हुआ है।

चुनावी भाषणों में तल्खी और मिठास के भी अपने-अपने अंदाज हैं। नीतीश हमलावर हैं, लेकिन उनके हमलों में कोई ऐसा नया तीर अभी तक नहीं दिखा जो ‘सबसे बड़े दुश्मन’ तेजस्वी को सीधे घायल कर सके। ‘15 साल’ वाला तीर भी अब भोथरा हो चुका है। इसके विपरीत तेजस्वी ने नीतीश को नालंदा से लेकर कहीं से भी चुनाव लड़ने की चुनौती देकर जैसी आक्रामकता दिखाई है, उसका जवाब आना बाकी है।

हालांकि, तेजस्वी भी अपने भाषणों में सिर्फ नीतीश को निशाने पर लेते हैं। भाजपा या नरेंद्र मोदी की चर्चा तक नहीं कर रहे। शायद इसलिए कि मोदी को निशाने पर लेकर लड़ाई को बेवजह ‘भारी’ और ‘सीधा’ क्यों बनाया जाए। इसमें एक चीज और साफ हो रही है कि नीतीश भले ही बिहार में ‘अलोकप्रिय’ हो गए हों, मोदी की स्वीकार्यता अब भी बनी हुई है। जाहिर है तेजस्वी इस ‘स्वीकार्यता’ को अस्वीकार करने का जोखिम नहीं लेना चाहेंगे। इसके विपरीत नीतीश सीधे तौर पर न तो चिराग के खिलाफ कुछ बोल पा रहे, न कांग्रेस के खिलाफ। मोदी के खिलाफ तो जाने के फिलहाल सारे रास्ते ही बंद हैं। सत्ता में बने रहने का यह भी एक विकार है।

वैसे भी इस चुनाव में अब तक जो सामने आया है, साफ है कि मैदान में उतरे हर नेता के तरकश में क्या और कितना है, यह सबको पता चल चुका है। यह भी पता चल चुका है कि किसी तरकश में अब ऐसा कोई तीर नहीं बचा जो बहुत गहरा वार कर सके और लड़ाई आर-पार में तब्दील कर सके। यानी न तो नीतीश अपने खिलाफ या समर्थन में बनी अच्छी या बुरी तस्वीर में कोई नया रंग भर कर उसे चमका पाने की स्थिति में हैं, न तेजस्वी के पास ऐसा कोई खांचा या सांचा बचा है, जिससे गुजर जाने से उनमें ऐसा कोई अक्स दिखने लगेगा, जो उनकी अब तक की बनी बनाई तस्वीर में कुछ फेरबदल दिखा सके।

वो चाहे युवाओं में उनकी स्वीकार्यता की हां-ना हो या पिता के राज वाले दाग को साफ करने वाला डिटर्जेंट। सच तो यही है कि लड़ाई का असल डिफरेंशिएटर या टर्निंग पॉइंट आना अभी बाकी है। वह किसके भाषण से कब, किसके लिए और किस हद तक असर करेगा, यह इंतजार का मामला है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Nitish Kumar Narendra Modi vs Tejashwi Yadav | Here's Bihar (Vidhan Sabha) Assembly Election 2020 Opinion Dainik Bhaskar


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/37hy9FM
https://ift.tt/359nIl5

भाजपा सांसद किरण खेर ने दुष्कर्म को संस्कृति का हिस्सा बताया? 2 साल पुराने बयान का गलत मतलब निकालकर फैलाई गई अफवाह

क्या हो रहा है वायरल: उत्तरप्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश समेत देश के कई हिस्सों से दुष्कर्म की दिल दहला देने वाली घटनाओं के बीच भाजपा नेता किरण खेर का बताकर एक बयान सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि किरण खेर ने कहा- बलात्कार हमारी संस्कृति का हिस्सा है, हम इसे नहीं रोक सकते।

और सच क्या है?

  • इंटरनेट पर हमें किरण खेर का हाल का ऐसा कोई बयान नहीं मिला, जिसमें उन्होंने देश में हो रही बलात्कार की घटनाओं पर प्रतिक्रिया दी हो।
  • अलग-अलग की वर्ड सर्च करने से हमें किरण खेर का 2 साल पुराना एक बयान मिला। जिसमें वह हरियाणा में होने वाली बलात्कार की घटनाओं पर प्रतिक्रिया दे रही हैं। बयान सुनने के बात पता चला कि किरण खेर के इसी बयान के एक हिस्से का गलत अर्थ निकालकर अफवाह फैलाई जा रही है।
  • ANI के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए इस वीडियो में किरण खेर बलात्कार की घटनाओं पर कहती दिख रही हैं- ये स्थिति आज से नहीं, कई वर्षों से है। अगर आपको लगता है कि ये आज ही उत्पन्न हुई है, तो ऐसा नहीं है। आप बराबरी का दर्जा दीजिए, अपनी घर की औरतों को। उनसे कंधे से कंधा ही नहीं दिल से दिल मिलाकर आगे बढ़िए। मुझे लगता है ऐसा करने से ही लोगों का माइंडसेट चेंज होगा। ये सिर्फ हरियाणा में नहीं हो रहा। दुखद है कि ये सब जगह हो रहा है। इसका मतलब ये नहीं कि जो हरियाणा में हो रहा है वो सही है। ये बिल्कुल गलत है। और अगर फांसी की सजा है, तो मुझे लगता है ये बिल्कुल ठीक सजा है, ऐसा ही होना चाहिए।
  • किरण के बयान में कहीं भी उन्होंने बलात्कार की घटनाओं को संस्कृति का हिस्सा नहीं बताया। बल्कि बलात्कार करने वाले अपराधियों को फांसी दिए जाने की पैरवी की है। साफ है कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा फेक है।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Fact Check: BJP MP Kiran Khair said rape is a part of our culture, we cannot stop it?


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/342NJDk
https://ift.tt/3o0DaIU

मां शैलपुत्री की पूजा से मिलती है शक्ति और मनोकामना पूरी करती हैं देवी सिद्धिदात्री, नौ दिन की पूजन विधि

नवरात्र में देवी के नौ रूपों की पूजा की परंपरा है। मार्कंडेय पुराण में शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक 9 देवियां बताई गई हैं। नवरात्र में इन देवियों की विशेष पूजा करने से हर तरह की तकलीफ और दुख दूर हो जाते हैं। काशी के पं. गणेश मिश्र बताते हैं कि हर देवी का नाम उनके खास रूप के मुताबिक है और देवी का रूप उनकी शक्ति के हिसाब से है। इसलिए नवरात्र में हर देवी की पूजा के लिए एक दिन तय किया है। जिससे हर देवी की विशेष पूजा का अलग फल मिलता है।

पं. मिश्र बताते हैं कि देवी शैलपुत्री की पूजा से शक्ति मिलती हैं। वहीं, ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा से प्रसिद्धि, चंद्रघंटा की पूजा से एकाग्रता, कुष्मांडा से दया, स्कंदमाता से सफलता और कात्यायनी देवी की पूजा से कामकाज में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। इनके साथ ही देवी कालरात्रि की पूजा से दुश्मनों पर जीत, महागौरी से तरक्की, सुख, एश्वर्य और सिद्धिदात्री देवी की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मार्कंडेय पुराण में नौ देवियों का श्लोक
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रि महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना।।

देवी शैलपुत्री: मां दुर्गा का प्रथम रूप शैलपुत्री के नाम से प्रसिद्ध है। इन्होंने पर्वतराज श्री हिमालय के यहां जन्म लिया। इसलिए इनका नाम शैलपुत्री हुआ। इनका वाहन वृषभ यानी बैल है, इन्होंने दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में पद्म यानी कमल धारण किया हुआ है।

देवी ब्रह्मचारिणी: मां दुर्गा के दूसरे रूप में देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मार्कंडेय पुराण के मुताबिक इन्होंने कई सालों तक कठिन तप और अपनी शक्तियों से राक्षसों को खत्म किया। ये देवी कृपा और दया की मूर्ति हैं। इनके दाएं हाथ में माला तथा बाएं हाथ में कमण्डल रहता है।

देवी चंद्रघण्टा: मां शक्ति के तीसरे स्वरूप को चंद्रघण्टा के नाम से जाना जाता है। ये देवी अपने भक्तों को अभय वरदान देने वाली तथा परम कल्याणकारी हैं। ये दुष्ट शक्तियों को नष्ट कर धर्म की रक्षा करती हैं। इनके मस्तक पर घण्टे के रूप में आधा चंद्रमा है। ये चंद्रघण्टा के नाम से प्रसिद्ध हैं। ये अपने दस हाथों में खड्ग आदि अस्त्रों को धारण किए हुए हैं तथा सिंह पर सवार हैं। यह भयानक घण्टे की नाद मात्र से शत्रु और दैत्यों का वध करती हैं।

देवी कूष्माण्डा: दुर्गा जी के चौथे रूप में देवी कूष्माण्डा की पूजा की जाती है। ये सूर्य लोक की वासी हैं और इनका तेज बहुत ज्यादा है। अखिल ब्रह्मांड की जननी होने के कारण इन्हें कूष्माण्डा कहा जाता है। इनकी आठ भुजाएं हैं। जिनमें भक्तों की रक्षा के लिए कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, पुष्प, अमृत कलश, चक्र और गदा हैं। इनकी सवारी शेर है और ये अपने भक्तों के शत्रु, रोग, दुःख और डर को दूर करती हैं।

देवी स्कन्दमाता: देवी जगदंबा का पांचवां रूप स्कन्दमाता है। ये भगवान कार्तिकेय यानी स्कन्द की माता हैं। ये दाएं हाथ की नीचे वाली भुजा में भगवान स्कन्द को गोद लिए हुए हैं। इनके हाथों में कमल का फूल है और ये वरदान देने वाली मुद्रा में हैं और भक्तों को मनचाहा फल देती हैं।

देवी कात्यायनी: देवी दुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। ये महिषासुर का मर्दन करनी वाली हैं। ये रुप त्रिदेवों यानी ब्रह्म, विष्णु और शिवजी के अंश से प्रकट हुआ है। देवी कात्यायनी की पूजा सबसे पहले महर्षि कात्यायन ने की, तब से ये कात्यायनी नाम से प्रसिद्ध हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। इनके हाथ अभय मुद्रा और वरमुद्रा में हैं। इनकी भुजाओं में तलवार और कमल के फूल हैं। इनकी सवारी शेर है और ये अपने भक्तों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देती हैं।

देवी कालरात्रि: देवी कालरात्रि मां भगवती का सातवां रूप है। भक्तों की रक्षा के लिए देवी दुर्गा भयानक कालरात्रि रूप प्रकट में हुईं। इनकी चार भुजाएं और तीन आंखें हैं। इनका रंग काला है। ये भयंकर और उग्र रूप लिए हैं। इनकी नाक से आग की लपटें निकलती हैं। ये गधे की सवारी करती हैं। इनकी पूजा करने से हर तरह के दुख दूर होते हैं।

देवी महागौरी: मां शक्ति के आठवें रूप की पूजा महागौरी के रूप में होती है। ये चंद्रमा और कुन्द के फूल की तरह गौरी हैं। इसी कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं। इनकी सवारी बैल है। ये अभयमुद्रा, वरमुद्रा, त्रिशूल और डमरू को अपने हाथों में धारण किए हुए हैं। इन्होंने कठिन तप से भगवान शंकर को प्राप्त किया था। इनकी पूजा से मनोवांछित फल मिलते हैं।

देवी सिद्धिदात्री: जगदंबा दुर्गा का नौवां स्वरूप देवी सिद्धिदात्री है। ये सभी सिद्धियों को देने वाली हैं। देवी सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। ये कमल के आसन पर विराजित हैं और अपने हाथों मे चक्र, गदा, शंख, और कमल लिए हुए हैं। यह सर्वसिद्धि देने वाली और दुखों को दूर करने वाली हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Navratri Duga Mata Nine (9) Days Puja Vidhi | Shardiya Navratri 2020 Pujan Vidhi Mantra | Shailputri, Brahmacharini, Chandraghanta, Kalratri


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3dxdRJq
https://ift.tt/3lYWpkh

Popular Post