शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020

कलंक कहकर भंडारे से भगाया तो दुखी चांदनी ने खत्म कर ली जिंदगी; गौहत्या के आरोप में हुआ था परिवार का बहिष्कार

गौहत्या के कलंक का आरोप लगाने के बाद समाज से बहिष्कृत किए गए परिवार की लड़की को गांंव के ही शास्त्री ने नवरात्र के समापन पर हुए भंडारे से बेइज्जत कर भगा दिया। इससे आहत लड़की ने अपने घर पहुंचकर आत्मदाह कर लिया। आत्मदाह कर जान गंवाने वाली लड़की की उम्र 17 वर्ष और नाम चांदनी पांडेय था। घटना बुधवार की रात 9 बजे करीब मुहारीखुर्द गांव की है।

पुलिस ने लड़की को अपमानित कर भंडारे से भगाने वाले नाथूराम शास्त्री के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। आत्मदाह करने वाली चांदनी के परिजन समाज से बहिष्कृत किए जाने के पंचायत के फैसले के बाद इलाहाबाद जाकर गंगास्नान और पूजन भी कर आए थे। उन्होंने गांव के लोगों के लिए भंडारा भी किया था। आरोपी शास्त्री इस परिवार से जुर्माने के तौर पर 51 हजार रुपए देने के लिए जोर डाल रहा था।

बताया गया है कि चार महीने पहले लड़की के पिता बृजेश पांडेय के खेत में गाय की बछिया घुस गई थी। जिसे पकड़कर गलत तरीके सं बांधने के कारण उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद गांव वालों ने बृजेश के परिवार पर गौहत्या का आरोप लगाते हुए उनका समाज से बहिष्कार कर 51 हजार का जुर्माना लगा दिया था। बुधवार को गांव में भंडारा था। चांदनी उसमें शामिल होने पहुंच गई, तो नाथूराम शास्त्री ने उसे अपमानित कर भगा दिया। अपमान से आहत चांदनी घर पहुंची और रात 9 बजे के बाद घर की छत पर जाकर खुद पर केरोसिन डाला और आग लगा ली। परिजन जब तक उसे बचा पाते तब तक उसकी माैत हाे चुकी थी। घटना के वक्त पिता बृजेश खेत पर थे। मां वंदना और दादी मोहरन पशुओं को भूसा डाल रहीं थीं।

चांदनी, कलंक तुम नहीं.. ​​​हम किस समाज में जी रहे
बछिया की मौत हुई तो समाज ने परिवार का बहिष्कार कर दिया, जुर्माना लगाया, प्रताड़ना दी, लेकिन बेटी की मौत पर वही समाज चुप है।

प्रायश्चित के लिए गंगा स्नान किया, भंडारा कराया फिर भी शास्त्री जुर्माने के मांग रहा था 51 हजार रु.
बृजेश पांडेय के बहनोई बलराम शर्मा ने बताया कि चार महीने पहले खेत में गाय की बछिया घुसने पर आपत्ति की। दस साल के भतीजे विनीत ने आकर बछिया को खूंटे से बांध दिया। गलत तरीके से बंध जाने के कुछ घंटे बाद बछिया की मौत हो गई। पूरे गांव वालों ने परिवार को गौ हत्यारा ठहराकर बहिष्कृत कर दिया।

प्रायश्चित के तौर पर इलाहबाद जाकर गंगा स्नान करने और गांव में भंडारा कराने का ऐलान पंचायत ने किया। परिवार ने यह प्रायश्चित भी कर लिया। लेकिन नाथूराम शास्त्री 51 हजार रुपए मांगने लगा, तभी सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने की बात कहता रहा। कन्या भोजन के लिए भंडारे में पहुंची चांदनी को जानबूझकर बेइज्जत किया। परिवार की माली हालत ठीक नहीं होने से पिता 51 हजार का दंड देने में असमर्थता जताता रहा।



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Boycott family out of village on charges of cow slaughter, 17-year-old daughter reached Bhandare, insulted and banished, committing suicide at home


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सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में 9 लाख कम मरीज मिले, लेकिन दिल्ली में फिर बढ़ने लगे केस

देश में इस महीने कोरोना के 29 दिनों में 17 लाख नए केस आए हैं। सितंबर में यह आंकड़ा 26 लाख रहा था। हालांकि, बीते दो-तीन दिनों से दिल्ली और केरल के आंकड़े चिंता बढ़ा रहे हैं। यहां पॉजिटिव केस में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। दिल्ली में गुरुवार को रिकॉर्ड 5739 मरीज मिले हैं। एक्टिव केस में 1574 की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।

सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में 9 लाख कम मरीज मिले

तारीख नए केस ठीक हुए मौतें
1-30 सितंबर 26 लाख 24 लाख 33,273
1-29 अक्टूबर 17 लाख 21 लाख 22,423

दिल्ली में 3 दिन से 4 हजार से ज्यादा केस आ रहे

तारीख नए केस ठीक हुए एक्टिव केस
25 अक्टूबर 4136 3826 +277
26 अक्टूबर 2832 3736 -958
27 अक्टूबर 4853 2722 +2087
28 अक्टूबर 5673 4128 +1505
29 अक्टूबर 5739 4138 +1574

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 80 लाख 87 हजार 428 हो गया है। राहत की बात है कि इनमें 73 लाख 71 हजार 568 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1 लाख 21 हजार 130 मरीजों की मौत हो चुकी है। इस बीच, 85 दिन यानी 3 महीने बाद एक्टिव केस (ऐसे मरीज जिनका अभी इलाज चल रहा है) फिर से घटकर 6 लाख से कम हो गए हैं। अब देश में 5 लाख 93 हजार 698 मरीजों का इलाज चल रहा है। ये या तो अस्पताल में भर्ती हैं या फिर होम आइसोलेशन में रहकर अपना इलाज करवा रहे हैं। इससे पहले 5 अगस्त को देश में 5 लाख 94 हजार एक्टिव केस थे।

कोरोना अपडेट्स

  • आंध्र प्रदेश सरकार ने 2 नवंबर से स्कूल-कॉलेज खोलने का आदेश जारी कर दिया है। चीफ सेक्रेटरी नीलम साहने ने कहा कि सभी स्कूल और कॉलेज प्रशासन को कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।
  • दिल्ली में गुरुवार को रिकॉर्ड 5739 नए मामले सामने आए। राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा अब बढ़कर 3 लाख 75 हजार 753 हो गया है। इनमें 3 लाख 38 हजार 378 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 30 हजार 952 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 6423 लोग जान गंवा चुके हैं।
  • महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में 30 नवंबर तक लॉकडाउन बढ़ा दिया है। हालांकि, इसमें ''मिशन बिगेन अगेन'' के तहत मिल रही छूट बरकरार रहेगी।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
राज्य में गुरुवार को 728 नए मरीज मिले, 9689 लोग ठीक हुए और 16 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 69 हजार 999 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 1 लाख 57 हजार 381 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 9689 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 2929 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

2. राजस्थान
पिछले 24 घंटे में 21 हजार से ज्यादा लोगों की जांच हुई। इनमें 1790 लोग संक्रमित मिले। 1933 लोग रिकवर हुए और 11 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 93 हजार 419 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 15 हजार 554 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 75 हजार 977 लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 1888 लोग जान भी गंवा चुके हैं।

3. बिहार
राज्य में गुरुवार को 783 लोग संक्रमित मिले। 1068 लोग रिकवर हुए और 7 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 14 हजार 946 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 8484 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 5 हजार 385 लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 1076 संक्रमित दम तोड़ चुके हैं।

4. महाराष्ट्र
गुरुवार को राज्य में 5902 लोग संक्रमित मिले। इसी के साथ मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 16 लाख 66 हजार 668 हो गया। इनमें 1 लाख 27 हजार 603 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 14 लाख 94 हजार 809 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 43 हजार 710 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

5. उत्तरप्रदेश
राज्य में 24 घंटे के अंदर 1861 नए संक्रमितों की पुष्टि हुई। 2465 लोग रिकवर हुए और 25 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। अब तक 4 लाख 77 हजार 895 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 24 हजार 858 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 46 हजार 54 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से मरने वालों की संख्या अब 6983 हो गई है।



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सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में 9 लाख कम मरीज मिले, लेकिन दिल्ली में फिर बढ़ने लगे केस

देश में इस महीने कोरोना के 29 दिनों में 17 लाख नए केस आए हैं। सितंबर में यह आंकड़ा 26 लाख रहा था। हालांकि, बीते दो-तीन दिनों से दिल्ली और केरल के आंकड़े चिंता बढ़ा रहे हैं। यहां पॉजिटिव केस में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। दिल्ली में गुरुवार को रिकॉर्ड 5739 मरीज मिले हैं। एक्टिव केस में 1574 की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।

सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में 9 लाख कम मरीज मिले

तारीख नए केस ठीक हुए मौतें
1-30 सितंबर 26 लाख 24 लाख 33,273
1-29 अक्टूबर 17 लाख 21 लाख 22,423

दिल्ली में 3 दिन से 4 हजार से ज्यादा केस आ रहे

तारीख नए केस ठीक हुए एक्टिव केस
25 अक्टूबर 4136 3826 +277
26 अक्टूबर 2832 3736 -958
27 अक्टूबर 4853 2722 +2087
28 अक्टूबर 5673 4128 +1505
29 अक्टूबर 5739 4138 +1574

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 80 लाख 87 हजार 428 हो गया है। राहत की बात है कि इनमें 73 लाख 71 हजार 568 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1 लाख 21 हजार 130 मरीजों की मौत हो चुकी है। इस बीच, 85 दिन यानी 3 महीने बाद एक्टिव केस (ऐसे मरीज जिनका अभी इलाज चल रहा है) फिर से घटकर 6 लाख से कम हो गए हैं। अब देश में 5 लाख 93 हजार 698 मरीजों का इलाज चल रहा है। ये या तो अस्पताल में भर्ती हैं या फिर होम आइसोलेशन में रहकर अपना इलाज करवा रहे हैं। इससे पहले 5 अगस्त को देश में 5 लाख 94 हजार एक्टिव केस थे।

कोरोना अपडेट्स

  • आंध्र प्रदेश सरकार ने 2 नवंबर से स्कूल-कॉलेज खोलने का आदेश जारी कर दिया है। चीफ सेक्रेटरी नीलम साहने ने कहा कि सभी स्कूल और कॉलेज प्रशासन को कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।
  • दिल्ली में गुरुवार को रिकॉर्ड 5739 नए मामले सामने आए। राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा अब बढ़कर 3 लाख 75 हजार 753 हो गया है। इनमें 3 लाख 38 हजार 378 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 30 हजार 952 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 6423 लोग जान गंवा चुके हैं।
  • महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में 30 नवंबर तक लॉकडाउन बढ़ा दिया है। हालांकि, इसमें ''मिशन बिगेन अगेन'' के तहत मिल रही छूट बरकरार रहेगी।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
राज्य में गुरुवार को 728 नए मरीज मिले, 9689 लोग ठीक हुए और 16 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 69 हजार 999 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 1 लाख 57 हजार 381 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 9689 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 2929 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

2. राजस्थान
पिछले 24 घंटे में 21 हजार से ज्यादा लोगों की जांच हुई। इनमें 1790 लोग संक्रमित मिले। 1933 लोग रिकवर हुए और 11 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 93 हजार 419 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 15 हजार 554 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 75 हजार 977 लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 1888 लोग जान भी गंवा चुके हैं।

3. बिहार
राज्य में गुरुवार को 783 लोग संक्रमित मिले। 1068 लोग रिकवर हुए और 7 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 14 हजार 946 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 8484 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 5 हजार 385 लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 1076 संक्रमित दम तोड़ चुके हैं।

4. महाराष्ट्र
गुरुवार को राज्य में 5902 लोग संक्रमित मिले। इसी के साथ मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 16 लाख 66 हजार 668 हो गया। इनमें 1 लाख 27 हजार 603 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 14 लाख 94 हजार 809 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 43 हजार 710 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

5. उत्तरप्रदेश
राज्य में 24 घंटे के अंदर 1861 नए संक्रमितों की पुष्टि हुई। 2465 लोग रिकवर हुए और 25 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। अब तक 4 लाख 77 हजार 895 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 24 हजार 858 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 46 हजार 54 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से मरने वालों की संख्या अब 6983 हो गई है।



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मेडिकल वेस्ट को मैनेज नहीं किया तो नई महामारी आ सकती है, इसे रोकने के 5 तरीके

आमतौर पर हम घरेलू कूड़े-कचरे को ही वेस्ट समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। वेस्ट कई होते हैं, इनमें मेडिकल वेस्ट सबसे खतरनाक होता है। हॉस्पिटल, क्लीनिक और मेडिकल स्टोर से निकलने वाले वेस्ट को मेडिकल वेस्ट कहते हैं। पट्टियां, इंजेक्शन, दवा के रैपर, ड्रिपिंग पाइप, दवा की बोतल जैसा हॉस्पिटल से बाहर फेंका जाने वाला हर सामान मेडिकल वेस्ट होता है।

कोरोनावायरस आने के बाद से मेडिकल वेस्ट और ज्यादा बढ़ गया है। सेन्ट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, भारत में रोजाना 710 मीट्रिक टन मेडिकल वेस्ट निकल रहा है। इसमें से 17% यानी 101 मीट्रिक टन मेडिकल वेस्ट सिर्फ कोरोना की वजह से निकल रहा है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 17.49 मीट्रिक टन, गुजरात में 11.69 मीट्रिक टन और दिल्ली 11.11 मीट्रिक टन मेडिकल वेस्ट हर रोज निकल रहा है।

मेडिकल वेस्ट को कैसे पहचानें?

  • मेडिकल वेस्ट का दायरा बहुत बड़ा है। इलाज के दौरान कई बार मरीज का ब्लड निकलता है, उसे साफ करने के लिए इस्तेमाल कपड़े या टॉवेल को भी दोबारा यूज नहीं कर सकते हैं, क्योंकि ये भी मेडिकल वेस्ट होते हैं।
  • सर्जिकल इलाज के दौरान मरीज के शरीर से निकलने वाले टिश्यूज भी मेडिकल वेस्ट होते हैं। मरीज के ब्लड, यूरीन और स्वाब जैसे सैंपल भी मेडिकल वेस्ट ही होते हैं। यहां तक संक्रामक रोग से पीड़ित मरीज के कमरे से निकलने वाला हर सामान मेडिकल वेस्ट होता है।

यह भी पढ़ें पढ़ें- हर महीने 90 लाख मास्क और 76 लाख ग्लव्स यूज होते हैं; 1% मास्क भी सही से डिस्पोज नहीं हुए तो इससे हर महीने 40 हजार किलो कचरा निकलेगा...

5 तरह के होते हैं मेडिकल वेस्ट

मेडिकल वेस्ट में 5 कैटेगरी होती हैं। इन्हें जानना हमारे लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि जानकारी के अभाव में कई बार हम इन्हें नजरअंदाज करते हैं या कहीं भी फेक देते हैं। ऐसे में इंफेक्शन होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

मेडिकल वेस्ट के क्या नुकसान हैं?

  • मेडिकल वेस्ट के नुकसान आम वेस्ट से कहीं ज्यादा हैं। ज्यादातर मेडिकल वेस्ट डिस्पोजेबल नहीं होते। इन्हें नाले, नदी या समुद्र में फेंकना पर्यावरण में जहर मिलाने जैसा है।

  • WHO के मुताबिक मेडिकल वेस्ट को अगर सही तरह से मैनेज न किया जाए तो इसमें संक्रामक बैक्टीरिया जम जाते हैं, जो महामारी तक की वजह बन सकते हैं।

  • रेडियो एक्टिव मेडिकल वेस्ट जैसे एक्सरे हजारों सालों तक नष्ट नहीं होते। इनसे मिट्टी में प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ता है।

  • इंसानों और जानवरों का कोई भी सैंपल संक्रामक साबित हो सकता हैं। इनसे कम्युनिकेबल डिजीज यानी एक से दूसरे को होने वाली बीमारियां हो सकती हैं।

  • फार्मास्यूटिकल मेडिकल वेस्ट जैसे एक्सपायर दवाएं और केमिकल्स जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के लिए बेहद खतरनाक हैं।

मेडिकल वेस्ट को मैनेज करने के 5 तरीके

  1. वेस्ट मैनजेमेंट से जुड़े कानूनों को जानें- आपको अपने गांव, कस्बे और मोहल्ले के लेबल पर वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े-नियम कानूनों के बारे में जानना चाहिए, ताकि गलत तरह से वेस्ट डंप करने वालों की शिकायत कर सकें।
  2. गांव और कस्बे का वेस्ट मैनजेमेंट प्लान बनाएं- आप अपने गांव, कस्बे और मोहल्ले का वेस्ट मैनेजमेंट प्लान बना सकते हैं। इससे जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए आसपास के लोगों को शामिल करें। मेडिकल वेस्ट फेंकने के लिए अलग से जगह चुनें। ध्यान रखें कि मेडिकल वेस्ट 24 घंटे के अंदर कलेक्ट कर लिए जाएं।
  3. सिंगल यूज प्रोडक्ट से बचें- मेडिकल के ऐसे बहुत से सामान आते हैं, जिनका एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है। हमें जितना हो सके ऐसे सामान खरीदने चाहिए, जो कई बार इस्तेमाल किए जा सकें। ऐसा करके हम मेडिकल वेस्ट की प्रोडक्टिविटी घटा सकते हैं।
  4. घर में डस्टबिन रखें- घर से निकलने वाले आम वेस्ट के साथ मेडिकल वेस्ट को मिक्स न करें। दोनों के लिए अलग-अलग डस्टबिन रखें। मेडिकल वेस्ट को डंप करते समय साफ-सफाई करने वालों को उसके बारे में बताना न भूलें।
  5. अलग-अलग रंगों की डस्टबिन रखें- आम वेस्ट और मेडिकल वेस्ट के आपस में मिल जाने से वेस्ट की छंटाई और रिसाइक्लिंग में काफी दिक्‍कत होती है। इसलिए घर में अलग-अलग रंग की डस्टबिन रखें, इससे दोनों वेस्ट मिक्स नहीं होंगे।


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Coronavirus In India; What Is Medical Waste? | What Are The Negative Effects Of Dumping Medical Waste?All You Need To Know


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कहानी उसकी जिसने जेल में रहते हुए अहिंसा पर पीएचडी की, मुख्तार अंसारी को मारने की 50 लाख में सुपारी दी

बात है 1990 के दशक की। बिहार के रोहतास जिले में एक गांव पड़ता है नावाडीह। इसी गांव के रहने वाले थे कमलेशजी पांडेय। सोन नदी से बालू निकालने के छोटे-मोटे ठेके लिया करते थे। उस समय ठेके लेने वालों को दबंग माना जाता था। कमलेशजी पांडेय की छवि भी ऐसी ही थी। इन्हीं के बड़े बेटे थे नरेंद्र पांडेय, जिन्हें सुनील पांडेय के नाम से भी जाना जाता है।

सुनील बेंगलुरु में इंजीनियरिंग करने गए। बताते हैं कि वहां उनका किसी से झगड़ा हो गया और झगड़े में सुनील ने उस लड़के को चाकू मार दिया। इसके बाद सुनील इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ गांव आ गए और पिता के साथ काम में लग गए।

शहाबुद्दीन के साथी से दोस्ती की, बाद में उसकी हत्या में नाम भी आया
शहाबुद्दीन का नाम आज भी बिहार के सबसे बड़े बाहुबलियों में आता है। उस समय भी आता था। उस वक्त शहाबुद्दीन के एक साथी थे सिल्लू मियां। आरा और उसके आसपास के इलाके में सिल्लू मियां का खूब नाम चलता था। बाहुबली बनने की चाहत रखने वाले सुनील पांडेय ने सिल्लू मियां से दोस्ती की और धीरे-धीरे उसके राइट हैंड बन गए। फिर एक दिन सिल्लू मियां की हत्या हो गई। कहते हैं सिल्लू की हत्या में सुनील का नाम भी आया था, लेकिन सबूत नहीं थे, तो कोई केस भी नहीं हुआ।

नीतीश ने जब पहली बार सीएम पद की शपथ ली, तो सुनील पांडेय की अहम भूमिका थी
मार्च 2000 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। इसी चुनाव में पहली बार समता पार्टी के टिकट पर सुनील पांडेय भी आरा जिले की पीरो सीट से विधायक बने। बहुमत तो किसी को मिला नहीं था, तब भाजपा के समर्थन से नीतीश ने पहली बार 3 मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री बने।

नीतीश ने शपथ तो ले ली, पर बहुमत नहीं होने पर 7 दिन में ही इस्तीफा भी देना पड़ा। हालांकि, इस सबके बीच सुनील पांडेय की राजनीतिक अहमियत भी बढ़ गई। हुआ ये कि सुनील पांडेय ने नीतीश के समर्थन के लिए सूरजभान सिंह, धूमल, राजन तिवारी, मुन्ना शुक्ला और अनंत सिंह जैसे बाहुबलियों को खड़ा कर दिया था।

सुनील पांडेय कभी नीतीश के करीबी हुआ करते थे। लेकिन, 2014 में जब जदयू एनडीए से अलग हुई, तो उन्होंने भी जदयू छोड़ दी और लोजपा में शामिल हो गए।

डॉक्टर का किडनैप हुआ, 50 लाख फिरौती मांगी, सजा हुई
मई 2003 में पटना के मशहूर न्यूरो सर्जन डॉ. रमेश चंद्रा का अपहरण हुआ। 50 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई। पुलिस ने जल्द ही डॉ. चंद्रा को छुड़ा लिया। जब तफ्तीश हुई तो नाम आया सुनील पांडेय का। उस समय बिहार में राजद की सरकार थी। केस भी दर्ज हो गया। करीब 5 साल तक चला और 2008 में लोअर कोर्ट ने किडनैपिंग के मामले में सुनील पांडेय समेत 4 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

जेल में रहकर ही अहिंसा पर पीएचडी की
सुनील की जिंदगी कभी जेल में तो कभी फरारी में या जमानत पर गुजरी है। डॉ. चंद्रा की किडनैपिंग मामले में सुनील पांडेय जब जेल में थे, तब उन्होंने पीएचडी की। उन्होंने 2008 में आरा की वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी से भगवान महावीर की अहिंसा पर पीएचडी की थी।

यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी की सुपारी दी थी
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े बाहुबलियों में से एक हैं मुख्तार अंसारी। इतने बड़े बाहुबली कि पिछले 15 साल से जेल में हैं, फिर भी हर बार चुनाव जीत जाते हैं। 2015 में सुनील पांडेय ने मुख्तार अंसारी को मारने के लिए 50 लाख रुपए की सुपारी दी थी। जिसे सुपारी मिली थी, वो जेल में था, तो उसे भगाने में भी मदद की।

हुआ ये कि 23 जनवरी 2015 को आरा की सिविल कोर्ट में एक बम ब्लास्ट हुआ। इसमें दो लोगों की मौत हो गई। ब्लास्ट की आड़ में दो कैदी लंबू शर्मा और अखिलेश उपाध्याय भाग गए। बाद में पता चला कि ये ब्लास्ट लंबू शर्मा ने ही अपनी फरारी के लिए करवाया था। 24 जून 2015 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लंबू शर्मा को गिरफ्तार कर लिया।

लंबू शर्मा से जब पूछताछ हुई, तो उसने बताया कि उसे भगाने में सुनील पांडेय ने मदद की थी। लंबू ने ये भी बताया कि उसे मुख्तार अंसारी को मारने के लिए ही भगाया गया था। इसके लिए यूपी के गैंगस्टर बृजेश सिंह ने उसे 6 करोड़ रुपए दिए थे। सुनील पांडेय ने 50 लाख रुपए दिए। लंबू के बयान पर सुनील पांडेय गिरफ्तार तो हुए, पर तीन महीने में ही जमानत भी मिल गई।

4 बार विधायक रहे हैं, इस बार निर्दलीय लड़ रहे हैं
सुनील पांडे 4 बार विधायक रहे हैं। एक बार समता पार्टी से और तीन बार जदयू से। 2014 में जदयू जब एनडीए से अलग हो गई, तो सुनील ने भी पार्टी छोड़कर लोजपा ज्वॉइन कर ली। 2015 के विधानसभा चुनाव में सुनील पांडे को तो टिकट नहीं मिला, लेकिन उनकी पत्नी गीता देवी को टिकट मिल गया। गीता देवी 2015 में तरारी सीट से भाकपा (माले) के सुदामा प्रसाद से महज 272 वोटों से हार गई थीं। इस बार भी सुनील पांडेय को टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने तरारी सीट से निर्दलीय ही लड़ने का फैसला किया।

2010 में सुनील पांडे के ऊपर हत्या, हत्या की कोशिश जैसे 23 मामले दर्ज थे। लेकिन, इस बार उन्होंने जो एफिडेविट दाखिल किया है, उसमें उनके ऊपर 5 मामले ही दर्ज हैं।

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पाकिस्तान की संसद में लगे मोदी-मोदी के नारे? न्यूज चैनल का दावा पड़ताल में झूठ निकला

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान की संसद में मोदी-मोदी के नारे लगे।

न्यूज एंकर दीपक चौरसिया ने भी वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया।

टाइम्स नाऊ वेबसाइट की खबर में भी पाकिस्तान की संसद में मोदी के समर्थन में नारे लगने का दावा किया गया है।

और सच क्या है?

  • इंडिया टीवी न्यूज चैनल के वायरल वीडियो का बैकग्राउंड साउंड क्लियर न होने के चलते हमने अन्य सोर्सेस पर यही वीडियो तलाशना शुरू किया।
  • Duniya News यूट्यूब चैनल पर भी हमें यही वीडियो मिला। ध्यान से सुनने पर पता चलता है कि बैकग्राउंड से आ रहे जिस शोर को ‘मोदी-मोदी’ बताया जा रहा है। असल में वहां से ‘वोटिंग-वोटिंग’ चिल्लाने की आवाज आ रही है।

  • वीडियो के 6 सेकंड बीतने पर वोटिंग-वोटिंग की आवाज आती है। इसके जवाब में संसद के सभापति ये भी कहते दिख रहे हैं कि - ‘वोटिंग और सब कुछ होगा, सब्र रखें आप’
  • साफ है कि वायरल वीडियो में पाकिस्तान की संसद से मोदी-मोदी नहीं, वोटिंग-वोटिंग की आवाज आ रही है। सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा फेक है।


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Fact Check: Modi-Modi slogans in Pakistan's Parliament? The claim found fake in the fact check investigation


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टूर्नामेंट में बने रहने के लिए रॉयल्स के पास आखिरी मौका; पंजाब की नजर 7वीं जीत पर

IPL के 13वें सीजन का 50वां मैच किंग्स इलेवन पंजाब (KXIP) और राजस्थान रॉयल्स (RR) के बीच खेला जाएगा। राजस्थान के लिए यह मैच एलिमिनेटर की तरह है। अगर स्मिथ की टीम यह मैच हारती है, तो उनके लिए प्ले-ऑफ के दरवाजे बंद हो जाएंगे और वह चेन्नई के बाद टूर्नामेंट से बाहर होने वाली दूसरी टीम बन जाएगी। वहीं, पंजाब सीजन की 7वीं जीत दर्ज कर पॉइंट्स टेबल में चौथे स्थान पर बरकरार रहना चाहेगी।

पंजाब के खिलाफ दर्ज की थी ऐतिहासिक जीत
पंजाब के खिलाफ ही राजस्थान ने IPL का सबसे टारगेट चेज किया था। शारजाह में खेले गए सीजन के 9वें मैच में पंजाब ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 2 विकेट पर 223 रन बनाए थे। जवाब में राहुल तेवतिया की ताबड़तोड़ पारी की बदौलत राजस्थान ने 3 बॉल शेष रहते ही 6 विकेट खोकर मैच जीत लिया था।

पॉइंट्स टेबल में पंजाब चौथे और राजस्थान 7वें स्थान पर
पॉइंट्स टेबल की बात करें, तो पंजाब 12 पॉइंट्स के साथ चौथे और राजस्थान 10 पॉइंट्स के साथ 7वें स्थान पर है। लगातार 5 मैच हारने वाली पंजाब ने पिछले 5 मैच लगातार जीतकर टूर्नामेंट में वापसी की है। दोनों टीमें अपने पिछले मुकाबले जीतकर आ रही हैं। पंजाब ने कोलकाता और राजस्थान ने मुंबई को हराया था।

दोनों टीम के महंगे खिलाड़ी
राजस्थान में कप्तान स्टीव स्मिथ और बेन स्टोक्स 12.50-12.50 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं। वहीं, पंजाब में कप्तान लोकेश राहुल 11 करोड़ और ग्लेन मैक्सवेल 10.75 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं।

राहुल-मयंक पंजाब के टॉप स्कोरर
पंजाब के कप्तान लोकेश राहुल और उनके साथी ओपनर मयंक अग्रवाल शानदार फॉर्म में हैं। राहुल सीजन में सबसे ज्यादा 595 रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। वहीं, मयंक अग्रवाल ने सीजन में अब तक 398 रन बनाए हैं। दोनों खिलाड़ी इस सीजन में शतक भी जड़ चुके हैं।

सैमसन-स्मिथ पर रहेगा दारोमदार
राजस्थान की बल्लेबाजी का दारोमदार संजू सैमसन और स्टीव स्मिथ पर रहेगा। सैमसन ने सीजन में 326 और स्मिथ ने 276 रन बनाए हैं। पिछले मैच में शतक लगाने वाले बेन स्टोक्स का फॉर्म में आना राजस्थान के लिए अच्छा संकेत है।

शमी के नाम 20 विकेट
पंजाब के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने सीजन में अब तक 20 विकेट लिए हैं। सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में वे तीसरे स्थान पर हैं। पहले नंबर पर दिल्ली कैपिटल्स के कगिसो रबाडा (23) और दूसरे नंबर पर मुंबई इंडियंस के जसप्रीत बुमराह (20) हैं।

आर्चर पर गेंदबाजी की जिम्मेदारी
राजस्थान के लिए गेंदबाजी की जिम्मेदारी तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर पर रहेगी। आर्चर ने सीजन में अब तक 17 विकेट लिए हैं। सबसे ज्यादा डॉट बॉल फेंकने के मामले में भी आर्चर सबसे आगे हैं। उन्होंने सीजन में अब तक 147 डॉट बॉल फेंकी हैं।

मौसम और पिच रिपोर्ट
अबु धाबी में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। तापमान 23 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। यहां पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। टॉस जीतने वाली टीम पहले गेंदबाजी करना पसंद करेगी। इस आईपीएल से पहले यहां हुए पिछले 44 टी-20 में पहले गेंदबाजी करने वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 56.81% रहा है।

  • इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 44
  • पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 19
  • पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 25
  • पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 137
  • दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 128

आईपीएल में राजस्थान का सक्सेस रेट पंजाब से ज्यादा
आईपीएल का पहला खिताब (2008) जीतने वाली राजस्थान रॉयल्स ने लीग में अब तक 159 मैच खेले, जिसमें 80 जीते और 77 हारे हैं। 2 मुकाबले बेनतीजा रहे। वहीं, अपने पहले खिताब का इंतजार कर रही पंजाब ने अब तक 188 में से 88 मैच जीते और 100 हारे हैं। इस तरह लीग में रॉयल्स की जीत सक्सेस रेट 50.63% और पंजाब का 46.27% रहा।



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KXIP vs RR Head To Head Record - Predicted Playing DREAM11 - IPL Match Preview Update | Kings XI Punjab vs Rajasthan Royals IPL Latest News


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सुपर ओवर में फर्ग्यूसन-शमी की यॉर्कर ने पलटा मैच; एबीडी को नंबर-6 पर भेजना कोहली को पड़ा भारी

IPL 2020 में टीम के कप्तानों ने कई ऐसे फैसले लिए, जो कभी सही साबित हुए और कभी उस फैसले के लिए उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी। कोलकाता नाइट राइडर्स ने लोकी फर्ग्यूसन को पहली बार टीम में शामिल किया। उन्होंने अपने दम पर मैच अपनी टीम के नाम किया। इसी तरह किंग्स इलेवन पंजाब के लिए मोहम्मद शमी ने सुपर ओवर में मुंबई को जीतने नहीं दिया।

वहीं, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को एबी डिविलियर्स को 6 नंबर पर बैटिंग के लिए भेजना भारी पड़ा। हम आपको सीजन के ऐसे ही 5 टर्निंग पॉइंट्स के बारे में बता रहे हैं...

हैदराबाद के खिलाफ फर्ग्यूसन ने सुपर ओवर में 3 बॉल पर हैदराबाद के 2 विकेट लिए और सिर्फ 2 रन ही दिए।

1. फर्ग्यूसन ने KKR के लिए अपने पहले ही मैच में पासा पलटा (KKR vs SRH, मैच नंबर- 35)
कोलकाता ने इस सीजन में अच्छी शुरुआत की थी। उसे अपने पहले 6 में से 4 मैचों में जीत हासिल की। इसके बाद अगले दो मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद KKR ने लोकी फर्ग्यूसन को टीम में शामिल किया। सीजन का 35वां मैच फर्ग्यूसन का पहला मैच रहा।

मैच में टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करते हुए कोलकाता ने 20 ओवर में 163 रन बनाए। जवाब में फर्ग्यूसन की शानदार गेंदबाजी की बदौलत हैदराबाद की टीम 163 रन ही बना पाई और मैच टाई हो गया। उन्होंने 4 ओवर में 15 रन देकर 3 विकेट लिए।

इसके बाद सुपर ओवर में कोलकाता की ओर से फर्ग्यूसन ही बॉलिंग करने आए। उन्होंने 3 बॉल पर हैदराबाद के 2 विकेट लिए और सिर्फ 2 रन ही दिए। 3 रन के टारगेट को कोलकाता ने 4 बॉल में हासिल कर लिया। इस तरह कोलकाता को फर्ग्यूसन को टीम में शामिल करने का फैसला मैच का टर्निंग पॉइंट रहा।

मुंबई के खिलाफ शमी ने सुपरओवर में 6 में से 4 बॉल यॉर्कर फेंकी थी।

2. शमी के यॉर्कर गेंदों ने मुंबई से जीत छीनी (KXIP vs MI, मैच नंबर- 36)
किंग्स इलेवन पंजाब और मुंबई इंडियंस के बीच 36वें मैच में दो सुपर ओवर खेले गए थे। पहले सुपर ओवर में पंजाब ने 5 रन बनाए थे। इसके जवाब में मोहम्मद शमी की शानदार गेंदबाजी की बदौलत मुंबई भी 5 रन ही बना सकी थी। शमी ने 6 में से 4 बॉल यॉर्कर फेंकी थी। किसी ने नहीं सोचा था कि पंजाब यह मैच इस तरह बचा ले जाएगी।

इसके बाद मैच दूसरे सुपर ओवर में गया। मुंबई ने 12 रन का टारगेट दिया, जिसे पंजाब ने 4 बॉल में ही हासिल कर लिया।

सुनील नरेन ने पंजाब के खिलाफ डेथ ओवर में बल्लेबाजों को रन बनाने का कोई मौका नहीं दिया।

3. नरेन की डेथ ओवर में घातक गेंदबाजी (KKR vs KXIP, मैच नंबर- 24)
कोलकाता नाइट राइडर्स के पूर्व कप्तान दिनेश कार्तिक ने सीजन के 24वें मैच में सुनील नरेन को डेथ ओवर्स में गेंदबाजी दी। उनका यह निर्णय सही साबित हुआ और कोलकाता ने ये मैच अपने नाम किया। 24वें मैच में कोलकाता ने पंजाब के सामने 165 रन का टारगेट रखा था। पंजाब 17 ओवर में 1 विकेट खोकर 143 रन बना लिए थे।

ऐसा लग रहा था पंजाब यह मैच बेहद आसानी से जीत जाएगी। उस वक्त केएल राहुल 70 रन और निकोलस पूरन 9 रन बनाकर खेल रहे थे। तभी नरेन की कमाल की बॉलिंग ने पंजाब को बैकफुट पर खड़ा कर दिया। पंजाब को आखिरी 3 ओवर में जीत के लिए 22 रन बनाने थे।

18वें ओवर में बॉलिंग करने आए नरेन ने पहले तो पूरन को बोल्ड किया। फिर ओवर में उन्होंने सिर्फ 2 रन दिए। आखिरी ओवर में किंग्स को जीत के लिए 14 रन की दरकार थी। नरेन एक बार फिर बॉलिंग करने आए। उनके सामने मैक्सवेल और मनदीप बल्लेबाजी कर रहे थे। नरेन ने इस ओवर में 11 रन दिए और मनदीप का विकेट लिया। कोलकाता ने पंजाब को 2 रन से हरा दिया था।

पंजाब के खिलाफ 31वें मैच में डिविलियर्स को 6वें नंबर पर बैटिंग के लिए भेजा गया।

4. डिविलियर्स को बेंगलुरु ने 6वें नंबर पर बैटिंग के लिए उतारा, मैच हारे (RCB vs KXIP, मैच नंबर-31)
पंजाब के खिलाफ सीजन के 31वें मैच में बेंगलुरु ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने का फैसला किया। टीम मैनेजमेंट ने एबी डिविलियर्स को 6वें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा। बेंगलुरु के कप्तान कोहली का यह निर्णय उनकी टीम के लिए भारी पड़ा। बेंगलुरु की टीम 20 ओवर में 171 रन ही बना सकी। पंजाब ने यह मैच जीत कर टूर्नामेंट में वापसी की।

डिविलियर्स ने आईपीएल में सिर्फ 4 बार 6वें नंबर या इससे नीचे बल्लेबाजी की है। इस दौरान उनका बेस्ट स्कोर 33 रन रहा है। 2012 में बेंगलुरु की ओर से खेलते हुए डिविलियर्स ने पुणे वॉरियर्स के खिलाफ 33 रन बनाए थे। चारों मैच में उन्होंने कुल 51 (33, 10, 6, 2) रन बनाए हैं।

राजस्थान के खिलाफ चौथे मैच में धोनी 7वें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे। वह 17 बॉल पर 29 रन बनाकर नाबाद रहे।

5. 7वें नंबर पर बैटिंग करने आए धोनी, हाथ से फिसला मैच (CSK vs RR, मैच नंबर- 4)
चेन्नई ने सीजन की शुरुआत काफी अच्छे नोट पर की थी। पहले ही मैच में उन्होंने मुंबई को हराया था। हालांकि, इसके बाद उनकी ट्रेन पटरी से उतर गई और प्ले-ऑफ से बाहर होने वाली पहली टीम बनी। राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ अपने दूसरे मैच में CSK के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 7वें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे।

217 रन का पीछा कर रही CSK की टीम को 8वें ओवर में दूसरा झटका लगा। सबको लगा कि धोनी अब बल्लेबाजी करने आएंगे। लेकिन वह 14वें ओवर में केदार जाधव (5वां विकेट) के आउट होने के बाद बैटिंग करने आए। तब CSK को जीत के लिए 36 बॉल पर 101 रन चाहिए थे और मैच हाथ से फिसलता जा रहा था।

हालांकि, इसके बाद डु प्लेसिस ने कुछ अच्छे शॉट्स लगाए और मैच को करीब ले गए। आखिरी 12 बॉल पर CSK को जीत के लिए 48 रन की दरकार थी। धोनी उस वक्त 11 बॉल पर 8 रन बनाकर खेल रहे थे। 19वें ओवर में डु प्लेसिस आउट हुए। अंतिम ओवर चेन्नई को जीत के लिए 6 बॉल पर 38 रन चाहिए थे। धोनी ने इस ओवर में 3 छक्के भी लगाए, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।

राजस्थान ने चेन्नई को 16 रन से हरा दिया। इस हार के बाद चेन्नई लगातार हारती गई और प्ले-ऑफ की रेस से बाहर हो गई।



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IPL UAE 2020 Major Turning Points | Rajasthan Royals Rahul Tewatia Five Sixes, Shane Watson Wicket To DC Kagiso Rabada Super Over


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अश्विन पूर्णिमा की रात ही क्यों बरसता है अमृत, क्यों रखते हैं चन्द्रमा की रोशनी में चावल की खीर

30 अक्टूबर, शुक्रवार यानी आज शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। आज रात ही चंद्रमा पूरी 16 कलाओं वाला रहेगा। शरद पूर्णिमा की रात में चंद्र पूजा और चांदी के बर्तन में दूध-चावल से बनी खीर चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है। धार्मिक और व्यवहारिक महत्व होने के साथ ही सेहत के नजरिये से आयुर्वेद में भी इस परंपरा को खास बताया गया है।

काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक शरद पूर्णिमा का चंद्रोदय आज शाम करीब 5.20 पर हो जाएगा। इसलिए रातभर पूर्णिमा तिथि रहेगी। वहीं, अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को पूर्णिमा तिथि का व्रत रखा जाएगा। इसी दिन तीर्थ स्नान, दान और पूर्णिमा पर होनी वाली पूजा-पाठ भी की जा सकेगी। इस दिन रात लगभग 8 बजे पूर्णिमा तिथि खत्म हो जाएगी।

शरद पूर्णिमा व्यवहारिक महत्व
9 दिनों तक व्रत-उपवास और नियम-संयम के साथ रहकर शक्ति पूजा की जाती है। जिससे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूती मिलती है। शक्ति इकट्ठा करने के बाद उस ऊर्जा का शरीर में संचार करने और उसे अमृत बनाने के लिए शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ अमृत वर्षा करता है। इस समय चंद्रमा की पूजा की जाती है। इसके बाद उसकी किरणों के अमृत को दूध से बनी खीर के जरिए शरीर में उतारा जाता है।

अश्विन महीने की पूर्णिमा ही क्यों
अश्विन महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में रहता है। इस नक्षत्र के स्वामी अश्विनी कुमार हैं। वेदों और पुराणों में अश्विनी कुमार को देवताओं के चिकित्सक बताया गया है। यानी इनसे ही देवताओं को सोम और अमृत मिलता है। जब इनके ही नक्षत्र में चंद्रमा पूरी 16 कलाओं के साथ मौजूद होता है तो हर तरह की बीमारियों को दूर करता है। ये स्थिति पूरे साल में सिर्फ एक ही बार शरद ऋतु के दौरान बनती है। इसलिए शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। इसी वजह से इस पूर्णिमा को रोग नाशिनी भी कहा जाता है।

चावल की ही खीर क्यों
बीएचयू के प्रो. रामनारायण द्विवेदी बताते हैं कि खीर इसलिए बनाते हैं, क्योंकि ग्रंथों में बताए गए पांच अमृत में से पहला दूध है। ज्योतिष ग्रंथों में भी बताया गया है कि दूध पर चंद्रमा का खास प्रभाव होता है। चंद्र दोष को खत्म करने के लिए दूध का दान किया जाता है। वहीं, खीर में चावल का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, क्योंकि वेदों में चावल को हविष्य अन्न कहा जाता है। यानि हवन करने के योग्य अन्न चावल ही है। चावल को अक्षत कहा जाता है। इसका मतलब है, जो कभी खंडित न हो। चंद्रमा की रोशनी से मिलने वाले अमृत का अंश चावल में आसानी से आ जाता है और उस चावल को खाने से शरीर पर उसका पूरा असर होता है।

चांदी का ही बर्तन क्यों
वाराणसी आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के चिकित्सा अधिकारी वैद्य प्रशांत मिश्रा बताते हैं कि चांदी का बर्तन खाने की चीजों को कीटाणुओं से बचाए रखने में कारगर होता है। चांदी के बर्तनों में पानी, दूध या कोई और तरल पदार्थ रखने से उसकी शुद्धता बढ़ जाती है। इसके साथ ही चांदी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है।
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के डॉ. अजय साहू और डॉ. हरीश भाकुनी के मुताबिक, ये धातु 100 फीसदी बैक्टीरिया फ्री होती है इसलिए इंफेक्शन से भी बचाती है। इनका कहना है कि चांदी के बर्तन में खाने से किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता है। ये हर तरह से सेहत के लिए अच्छी ही होती है। इसलिए हर तरह के संक्रमण से बचने के लिए शरद पूर्णिमा पर चांदी के बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है।

चंद्रमा का चरम काल
ज्योतिषाचार्य पं. मिश्र का कहना है कि पंचांग की गणना के मुताबिक, 30 अक्टूबर की रात 12 बजे बाद चंद्रमा पृथ्वी के करीब आ जाएगा। यानी कह सकते हैं कि 31 अक्टूबर की रात करीब 2.13 से सुबह 5.25 के बीच में चंद्रमा चरम पर रहेगा। इस दौरान खीर पर चंद्रमा का औषधीय असर और बढ़ जाएगा।
30 अक्टूबर की रात में करीब 10.30 से 12:50 के बीच कर्क लग्न रहेगा। कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा होने से ये समय चंद्रमा की पूजा के लिए खास रहेगा। पं. मिश्र बताते हैं कि इस समय चंद्र पूजा कर के खीर को चंद्रमा की किरणों में रखना चाहिए। इसके बाद अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को सुबह जल्दी उठकर नहाएं और भगवान से लंबी उम्र की प्रार्थना करने के बाद ही खीर खानी चाहिए।



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शरद पूर्णिमा की रात में चंद्र पूजा और चांदी के बर्तन में दूध-चावल से बनी खीर चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है।


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499 साल बाद गुरु-शनि खुद की राशियों में और शुक्र नीच राशि का, सन 1521 में बना था ऐसा संयोग

शनिवार, 14 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। इस बार ये पर्व शनिवार को आने से तंत्र पूजा के लिए खास रहेगा। इस दीपावली पर गुरु ग्रह अपनी राशि धनु में और शनि अपनी राशि मकर में रहेगा। शुक्र ग्रह कन्या राशि में नीच का रहेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, दीपावली पर इन तीन बड़े ग्रहों का ये दुर्लभ योग 499 साल बाद बन रहा है।

2020 से पहले 1521 में गुरु, शुक्र और शनि का ये योग बना था। उस समय 9 नवंबर को दीपावली मनाई गई थी। गुरु और शनि व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाले कारक ग्रह माने जाते हैं। ये दो ग्रह दीपावली पर अपनी राशि में होने से धन संबंधी कामों में कोई बड़ी उपलब्धि मिलने का समय रहेगा।

14 को रहेगी चतुर्दशी और अमावस्या तिथि

14 नवंबर को चतुर्दशी तिथि दोपहर 1.16 बजे तक रहेगी। उसके बाद से अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी। दीपावली पर लक्ष्मी पूजा खासतौर पर संध्या काल और रात में ही की जाती है। 15 नवंबर को अमावस्या तिथि सुबह 10.16 तक ही रहेगी। इसीलिए दीपावली 14 नवंबर को मनाया जाना श्रेष्ठ है। 15 तारीख को केवल स्नान-दान की अमावस्या मनाई जाएगी।

दीपावली पर श्रीयंत्र की पूजा करने की परंपरा

दीपावली पर देवी लक्ष्मी के साथ ही श्रीयंत्र की भी पूजा करने की परंपरा है। इस बार गुरु धनु राशि में रहेगा। ऐसी स्थिति में श्रीयंत्र का पूरी रात कच्चे दूध से अभिषेक करना बहुत शुभ रहेगा।

शनि अपनी राशि मकर में रहेगा, शनिवार और अमावस्या का योग भी रहेगा। इस योग में दीपावली पर तंत्र-यंत्र पूजा करने का शुभ योग रहेगा।

दीपावली पर करें ये शुभ काम

  • दीपावली पर हनुमानजी, यमराज, चित्रगुप्त, कुबेर, भैरव, कुलदेवता और पितरों का पूजन जरूर करना चाहिए।
  • लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु का भी पूजन करना बहुत शुभ रहता है।
  • पूजन में श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए।
  • चाहें तो विष्णुसहस्रनाम, गोपाल सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं।


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दीपावली 14 नवंबर को मनाया जाना श्रेष्ठ है। 15 तारीख को केवल स्नान-दान की अमावस्या मनाई जाएगी।


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ट्रम्प हर हाल में जीतना चाहते हैं, उनकी बातों से उनके इरादों की झलक साफ मिल जाती है

अब चुनाव में काफी कम वक्त बचा है। आने वाले दिन और रातें उम्मीदों के साथ तनाव भरी भी होंगी। गुस्सा के साथ कई बार फ्रस्टेशन भी होगी। ओहियो के प्रोफेसर एडवर्ड फोले कहते हैं- जरा सोचिए। अगर ट्रम्प पॉपुलर वोट हासिल कर लें और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण से इनकार कर दें तो क्या होगा? और ये कल्पना नहीं है। वे कई बार सार्वजनिक तौर पर इसकी धमकी भी दे चुके हैं। इस चुनाव में कुछ गंभीर विवादित चीजें हो रही हैं या होने की आशंका है। एक आशंका यह भी है कि चुनाव का फैसला कोर्ट में तय हो।

पेन्सिलवेनिया पर नजर
इस बार ज्यादातर नजरें पेन्सिलवेनिया पर हैं। कहा जा रहा है कि जो यहां जीत दर्ज करेगा वो इलेक्टोरल कॉलेज में भी बहुमत हासिल कर लेगा। इस राज्य में ट्रम्प 20 हजार वोट्स से आगे हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने एक ट्वीट में कहा था- दौड़ खत्म हो चुकी है। चार साल और अमेरिका को महान बनाने के लिए। हालांकि, जो नए आंकड़े सामने आ रहे हैं, उनमें ये साफ हो जाता है कि ट्रम्प की बढ़त कम हो रही है। ट्रम्प ने कहा था- मैं फिर जीत रहा हूं। मैं मशीनी पॉलिटिशियन नहीं हूं।

हम फिर जीतेंगे
फोले आगे कहते हैं- ट्रम्प यह दावा करते रहे हैं कि वे फिर जीत हासिल करेंगे। अगर इसी हिसाब से घटनाएं होती रहीं। पेन्सिलवेनिया में स्टेट सीनेट और हाउस में रिपब्लिकन्स का बहुमत है, तो फिर वही हो सकता है जो फोले या दूसरे लीगल एक्सपर्ट्स सोच रहे हैं। द अटलांटिक में एक लंबा आर्टिकल लिखने वाले बार्टन गेलमैन ने कहा- मेल बैलट के बारे में ट्रम्प जो कह रहे हैं उससे उनके इरादों की झलक मिल जाती है। गेलमैन को पेन्सिलवेनिया रिपब्लिकन पार्टी के चेयरमैन लॉरेन्स टेब्स कहते हैं- इस बारे में विचार हुआ है कि सभी या कुछ मेल इन बैलट रद्द किए जाएं और राज्य के इलेक्टर्स से 20 इलेक्टोरल वोट डालने को कहा जाए।

हालात बहुत अच्छे नहीं
एक और इलेक्शन एक्सपर्ट लैरी डायमंड चुनावी गणित और ट्रम्प की तरफ से जीत के दावों को सही नहीं मानते। वे इसे खतरनाक चुनावी जोड़तोड़ के तौर पर देखते हैं। वे कहते हैं- ट्रम्प बढ़त ले सकते हैं अगर सीधे वोट गिने जाएं और आधी रात को अचानक काउंटिंग बंद कर दी जाए। वे जीत भी सकते हैं। हो सकता है ब्लू स्टेट यानी डेमोक्रेट प्रभाव वाले राज्यों से आने वाले मेल इन बैलट गिने ही न जाएं। ट्रम्प इस पर भी पेन्सिलवेनिया और फ्लोरिडा में इलेक्टोरल वोटर्स का सवाल खड़ा कर सकते हैं।

तकनीकि पेंच
20 जनवरी को वाइस प्रेसिडेंट सीनेट प्रेसिडेंट के तौर पर यह कह सकते हैं कि ट्रम्प फिर चुनाव जीत गए हैं। और नैंसी पेलोसी भी कह सकती हैं कि डेडलॉक की वजह से कोई प्रेसिडेंट इलेक्ट नहीं है। वे कार्यवाहक राष्ट्रपति की बात कर सकती हैं और वो ट्रम्प ही होंगे। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिचर्ड हैसन सबसे खराब आशंका पर कहते हैं- अगर मुकाबला बेहद कांटे यानी लगभग बराबरी का हुआ और पेन्सिलवेनिया पर अटका तो फिर अमेरिका का भगवान ही मालिक होगा। क्योंकि, वोट काउंट के मामले में पेन्सिलवेनिया आखिरी राज्य होगा और यहां 20 इलेक्टोरल कॉलेज वोट हैं। यह हार और जीत तय करेंगे। मैं इसी संभावना के आधार पर अनुमान लगा रहा हूं।

2016 का उदाहरण
ट्रम्प पिछला चुनाव जीते और राष्ट्रपति बने। इसके बावजूद वे हजारों बार यह कह चुके हैं कि पिछले चुनाव में धांधली हुई थी। उनके मुताबिक, लाखों गैर अमेरिकियों ने भी वोट दिए थे। इसकी वजह से उन्हें पॉपुलर वोट कम मिले थे। वो विदेशी सरकारों की तरफ भी उंगली उठाते हैं। वे ये बातें उस वक्त कर रहे हैं जबकि ये साफ नजर आ रहा है कि पॉपुलर वोट्स के मामले में बाइडेन की बढ़त है। पोस्टल बैलट को वे फालतू या भार वाले वोट बताते हैं।



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Donald Trump Joe Biden Scenarios; Here's New York Times (NYT) Latest US Election Opinion


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8 महीने से लॉक है सवारी, हाथी का 1 दिन का खर्च 2500 रुपए, पेट भरने के लिए गिरवी रखना पड़े जेवर-मकान

कोरोना काल में जयपुर के पास बसा देश का इकलौता हाथी गांव अब भी अनलॉक नहीं हो सका है। जयपुर में टूरिस्टों के बाकी ठिकाने चालू हो गए हैं, लेकिन हाथी की सवारी आठ महीने से बंद है। हाथी के खाने-पीने का एक दिन का खर्च करीब 2500 रुपए आता है, लेकिन कमाई फिलहाल जीरो है।

मालिक इन हाथियों का पेट पालने के लिए अब तक पुश्तैनी जेवर, मकान गिरवी रखकर लाखों रुपए का कर्ज ले चुके हैं। लेकिन, अब यह मुश्किल होता जा रहा है। राज्य सरकार और पर्यटन विभाग हाथी गांव के इन बाशिंदों की कोई मदद नहीं कर रहा है।

दैनिक भास्कर टीम हाथी गांव पहुंची तो इस पेशे से जुड़े परिवारों का दर्द फूट पड़ा। उनका कहना है कि आठ महीने से हाथियों को पालना मुश्किल होने से महावतों के परिवार अपने गांव लौटने लगे हैं। वे अन्य कामों में मजदूरी करने को विवश हो गए हैं ताकि परिवार को पाल सकें।

जयपुर के पास बसा देश का इकलौता हाथी गांव अब भी अनलॉक नहीं हो सका है।

5 माह में 4 हाथियों की मौत, एक महावत ने की खुदकुशी
कोरोना काल में पिछले पांच महीने हाथी और महावतों पर कहर बनकर टूटे हैं। इस दौरान चार हाथियों की मौत हो गई। 4 सितंबर को ही गांव में 99 नम्बर की एक हथिनी रानी ने दम तोड़ दिया था। उसे करीब 10 साल पहले असम से जयपुर के हाथी गांव लाया गया था।

22 सितंबर की रात को हाथी गांव में 34 नंबर हथिनी चंचल के महावत राजपाल ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। वह सुबह अपने कमरे में फंदे से झूलता हुआ मिला। करीब 30 साल के मृतक महावत राजपाल बिहार में चंपारण जिले का रहने वाला था। साथी महावतों के मुताबिक, राजपाल लंबे अरसे से आमेर में महावत था जिसे लॉकडाउन में आर्थिक संकट खड़ा हो गया। अवसाद में आकर उसने फंदा लगा लिया।

चार हाथियों की मौत और एक महावत की आत्महत्या ने इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को झकझोर कर रख दिया है।

20 परिवार रोजगार तलाशने लौटे गांव
इस घटना के बाद करीब 20 महावतों के परिवार यहां से पलायन कर अपने गांव में रोजी-रोटी की तलाश में चले गए है। जो यहां बचे है, उनके राशन की व्यवस्था हाथी मालिक करते हैं। चार हाथियों की मौत और एक महावत की आत्महत्या ने इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को झकझोर कर रख दिया है।

एक हाथी पर रोज 2500 खर्च, जैसे-तैसे करते हैं जुगाड़
हाथी गांव विकास समिति के अध्यक्ष बल्लू खान ने बताया कि एक हाथी पालने में रोजाना करीब ढाई से तीन हजार रुपए का खर्च आता है। इसमें वह करीब 250 किलो गन्ना, 40 किलो सूखी ज्वार, 15 किलो रंजका चारा शामिल है। आमेर महल में हाथी सवारी और शादियों, त्यौहार पर मेले शोभा यात्रा के आयोजन में ही हाथी की सवारी से उनकी आमदनी होती थी।

लेकिन, हमारी सभी आजीविका बंद हो गई। परिवार और हाथी का पेट भरना मुश्किल हो गया। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। ऐसे भी मौके आए जब खुद भूखे रहे लेकिन हाथियों को पेट भरा। इसके पीछे वजह है कि हाथी इनके लिए जानवर नहीं, परिवार का हिस्सा है।

बल्लू के मुताबिक, लॉकडाउन की शुरुआत में हाथी कल्याण समिति द्वारा 600 रुपए रोजाना के हिसाब से प्रत्येक महावत को खर्चा दिया जा रहा है। लेकिन, शुरुआत के दो तीन महीने बाद यह भी बंद हो गया।

गहने व मकान गिरवी रखकर लाखों रुपए का कर्जा लिया
एक हाथी मालिक ने बताया मोटे ब्याज पर लाखों रुपए उधार ले लिया है ताकि उनके हाथियों को पाला जा सके। उनकी देखरेख करने वाले महावतों को राशन पहुंचा सकें, उनको वेतन दे सकें। साथ ही, अपने परिवार भी चला लें। उम्मीद थी कि हाथी सवारी शुरु होते ही यह कर्ज चुका देंगे। लेकिन ब्याज तक नहीं चुकाया जा सका।

प्रभावित परिवारों ने कई बार आमेर महल अधीक्षक को पत्र लिखकर हाथी सवारी शुरू करने की मांग रखी। यह भी कहा कि पर्यटन सीजन शुरू हो गया है। पर्यटन स्थल भी खुल चुके हैं, लेकिन हाथी सवारी पर लगा लॉक कब खुलेगा, इसका जवाब कोई नहीं दे रहा है।

हाथियों का चलना-फिरना और लंबे वक्त तक बंद रहा तो अन्य हाथी भी किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होकर मर सकते है।

पशु चिकित्सक ने कहा- हाथियों का चलना-फिरना बंद होने से पाचन क्रिया बिगड़ रही है
पशु चिकित्सक डॉ. नीरज शुक्ला ने कहा कोरोना के चलते आमेर महल में हाथियों का चलना-फिरना रुक गया है। हाथियों के नहीं चल पाने से पाचन क्रिया भी सही तरीके से नहीं हो रही है। स्वस्थ्य रहने के लिए हाथी को रोजाना करीब 20 से 30 किलोमीटर चलना जरूरी है।

उन्होंने संभावना जताई कि हाथियों का चलना-फिरना और लंबे वक्त तक बंद रहा तो अन्य हाथी भी किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होकर मर सकते है। हाथी मालिक आसिफ खान ने बताया सुबह-सुबह हम लोग हाथियों को सैर कराने लेकर जाते हैं ताकि उनकी एक्सरसाइज होती रहे।

यहां हाथियों के रहने के लिए 63 शेड होम बने हुए हैं। करीब 20 फीट से ऊंचे और चौड़े हैं।

देश का ऐसा पहला गांव: जिसमें 100 हाथी, 63 हाथियों के लिए बने हैं बाड़े
हाथी गांव कल्याण समिति से जुड़े आसिफ खान बताते हैं कि यहां हाथियों के रहने के लिए 63 शेड होम बने हुए हैं। करीब 20 फीट से ऊंचे और चौड़े हैं। एक ब्लॉक में तीन हाथियों के लिए शेड होते हैं। इसके पास इनके महावतों और परिवार के ठहरने के लिए कमरे बने हैं। बच्चों के खेलने के लिए लॉन है।

हाथियों के नहाने के लिए तीन बड़े तालाब हैं। देश का पहला और एकमात्र हाथी गांव है, जिसे 2010 में जयपुर-दिल्ली हाइवे पर 120 बीघा में बसाया गया था। यहां लगभग 100 हाथी है। देश विदेश के सैलानी यहां हाथियों और उनके महावतों की रोजमर्रा की जिंदगी को करीब से देखने आते रहे हैं।



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बड़ा सवाल: सरकार ने 2 जून से पर्यटन स्थल खोले, सात माह से बंद हाथी सवारी पर लगा लॉक कब खुलेगा।


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क्या कोरोना के कारण संयुक्त राष्ट्र अपना महत्व खो रहा है?

बीते हफ्ते 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 75वीं वर्षगांठ मनाई। दु:खद यह है कि संगठन ने ऐसा तब किया जब बहुपक्षवाद सबसे अधिक संकट में लग रहा है। कोविड-19 ने विवैश्वीकरण के नए युग की शुरुआत कर दी है। एकांतवाद और संरक्षणवाद लगातार देखा जा रहा है, जहां कई सरकारें प्रधानता, राष्ट्रवाद और आत्मनिर्भरता पर जोर दे रही हैं और संधियों तथा व्यापार समझौतों पर सवाल उठा रहे हैं।

इसलिए यूएन का अपना महत्व बनाए रखने के लिए चिंतित होना स्वाभाविक है। कोरोना, इसके असर और डर के फैलने के साथ वैश्विक व्यापार में नाटकीय संकुचन और 1930 के दशक की महामंदी के बाद से अब तक की सबसे भयंकर मंदी हो रही है। आर्थिक गिरावट और सामाजिक दुष्क्रिया से पीड़ित दुनिया में टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को पाना अब मुश्किल है।

यूएन अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है, जिसमें उसके पूर्व समर्थक बहु पक्षवाद के उन आधारों को ही चुनौती दे रहे हैं, जिन पर संगठन की स्थापना हुई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प बहुपक्षवाद से पीछे हट रहे हैं। ट्रम्प ने हाल ही में घोषणा की कि उनकी अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर निकालने की मंशा है। यह शायद उस बहुपक्षीय तंत्र के बिखरने की शुरुआत हो सकती है, जिसे बड़े जतन से दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बनाया गया था। लेकिन यूरोप भी महामारी संबंधी तनाव से जूझ रहा है। इस महाद्वीप को कभी धार्मिक अखंडता के आदर्श के रूप में देखा जाता था, लेकिन यूरोपीय एकजुटता महामारी आते ही खत्म हो गई।

शेनजेन इलाके की सीमामुक्त यात्रा की गारंटी इसकी शुरुआती शिकार बनी। वास्तव में, यूरोपीय संघ (ईयू) के सदस्यों ने वायरस का संकेत मिलते ही बैरियर लगाने शुरू कर दिए। चीन के बाद कोविड-19 का सबसे बड़ा केंद्र इटली बना था। तब उसके ईयू पड़ोसियों ने स्वास्थ्य उपकरण देने से इंकार कर दिया। ईयू के बहुपक्षवाद को फिर से विश्वसनीयता हासिल करने में वक्त लगेगा।

अमेरिका-चीन तनाव के कारण भी बहुपक्षीय दुनिया को खतरा बढ़ा है। जबकि उदारवादी चेतावनी दे चुके हैं कि पश्चिम द्वारा यूएन के परित्याग का चीन लाभ उठाएगा और बहुपक्षीय तंत्र का नेतृत्व हासिल कर लेगा। लेकिन चीन का बहुपक्षवाद मुख्यत: आडंबरपूर्ण है। उसकी कार्यप्रणाली यही है कि यूएन जैसी किसी संस्था की बहुपक्षीय देखरेख के बिना, द्विपक्षीय व्यवस्थाओं को असंतुलित किया जाए, जिससे सहयोगी देश उसपर निर्भर और उसके देनदार हो जाएं।

जब डब्ल्यूएचओ ने महामारी की शुरुआत में वुहान में निगरानी की अपनी भूमिका निभानी चाही तो चीन ने उसे रोक दिया। वैश्विक स्वास्थ्य आपदा से मिलकर लड़ने की बहुपक्षीय तंत्र की क्षमता दिखाना तो दूर, कोविड-19 ने तो अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की घटती वैधता को ही सामने ला दिया। महामारी पर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया दिखाती है कि कई वैश्विक संस्थानों का महाशक्तियों द्वारा राजनीतिकरण किया जा रहा है और इनमें स्वतंत्र नेतृत्व व उद्देश्य की कमी है।

डब्ल्यूएचओ के अग्रणी सदस्य चीन ने वैश्विक जनस्वास्थ्य को सुरक्षित करने की जगह अपने राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता थी। शायद सबसे गंभीर वैश्विक असफलता जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से न लेने से जुड़ी है। आज जलवायु प्रवासियों की संख्या संघर्ष की वजह से भागे या आर्थिक अवसर तलाश रहे शरणार्थियों की संख्या से ज्यादा है। हालिया महासभा में वैश्विक नेताओं में इसका सामना करने के लिए किसी साझा प्रयास की नई प्रतिबद्धता नजर नहीं आई, जबकि 2020 का दशक इसके लिए करो या मरो वाली स्थिति का दशक है।

यूएन अब भी दुनिया में महत्वपूर्ण काम कर रहा है। करीब 95 हजार सैनिक, पुलिस और नागरिक कर्मचारी, 40 से ज्यादा यूएन पीसकीपिंग ऑपरेशन व राजनीतिक अभियान चला रहे हैं। लेकिन यूएन के 8 अरब डॉलर के पीसकीपिंग बजट में करीब 1.7 अरब डॉलर का भुगतान पिछले वित्त वर्ष में नहीं हुआ। वहीं 71 करोड़ डॉलर के योगदान यूएन के आम बजट के लिए बकाया हैं।

विकासशील देश यूएन के प्रमुख कार्यक्षेत्र रहे हैं। जब भारत जैसा देश यूएन में सुधार की जोर-शोर से मांग करता है, तो इस बात को मान्यता मिलती है कि संस्थान ने कई मुद्दों पर अच्छा काम किया है और यह सुधार के लायक है। कोविड-19 ने यूएन को झटका दिया है। अगर तंत्र प्रभावशाली ढंग से कार्य करता, तो कोरोना के उभरते ही उसकी चेतावनी मिल जाती, इसे रोकने के तरीकों को पहचानकर उनका प्रचार होता और सभी देशों को इन्हें अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता।

इसकी जगह, महामारी ऐसी दुनिया लेकर आई, जहां देश विनाशकारी ‘शून्य-संचय प्रतिस्पर्धा’ में फंस गए। जब यह संकट खत्म होगा, तब यूएन को जो हुआ उससे सबक सीखने में दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए और मूल्यांकन करना चाहिए कि कैसे अंतरराष्ट्रीय तंत्र और संस्थानों को इसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए मजबूत बनाएं। वरना, यूएन की 75वीं वर्षगांठ को ऐसे समय के लिए याद रखा जाएगा जब घातक वायरस ने हमारी साझा मानवता के विचार को ही नष्ट कर दिया था। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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शशि थरूर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद


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युवाओं का सब्र घट रहा है, अब जीवन को सरल बनाना जरूरी है

जीने की कोई नई राह है क्या? या जिस रास्ते दुनिया चल रही है, वही एकमात्र लीक है? यह सवाल, मनुष्य के उद्भव से अब तक यक्ष प्रश्न के रूप में है। दुनिया इतनी समृद्ध कभी नहीं रही, जो पिछले 50 सालों में है। पर समाजशास्त्री, चिंतक, विश्लेषक या राजनेता समझ नहीं पा रहे हैं कि बदलाव के बड़े आंदोलन क्यों नहीं उभर रहे हैं?

60 के दशक में पेरिस के सोर्बोन शिक्षा केंद्र से निकला छात्र आंदोलन, दुनिया में पसर गया। 60-70 के दशक में ही पश्चिम का हिप्पी आंदोलन यथास्थिति के खिलाफ युवा विद्रोह माना गया। ‘द बीटल्स’ रॉक बैंड, संसार में बीटल मेनिया बना। दुनिया ने इसे ‘काउंटर कल्चरल मूवमेंट’ माना। पश्चिम की भौतिक समृद्धि से ऊब का विस्फोट।

हाल के दशकों में ऐसा कोई नया विचार या आंदोलन नहीं दिखता। सोशल मीडिया समेत नई टेक्नोलॉजी मानव सृजन की प्रेरक है या नाशक? बाजार, पूंजी, भौतिक सुविधाएं, इंद्रिय सुख या आधुनिक दौर, इंसान की चाहत की नई दुनिया गढ़ रहे हैं या खत्म कर रहे हैं? कुछ पुराने दार्शनिक ऐसा मानते हैं।

महज तीन वर्ष पहले, ऐसे ही एक अनोखे चिंतक, हेनरी डेविड थोरो की 200वीं वर्षगांठ हुई। ‘द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो’ प्रेस की एक विद्वान अध्येता प्रो. लौरा दासोव वॉल्स ने नए सिरे से उनकी जीवनी लिखी (हेनरी डेविड थोरो: ए लाइफ: लौरा दासोव वॉल्स)। लौरा कहती हैं, ‘हमारी बेचैन आदर्शवादी टीनएजर्स पीढ़ी के मस्तिष्क को थोरो की इस पंक्ति ने बांध लिया।’

थोरो का कथन है ‘मैं इस धरती पर 30 वर्ष जी चुका हूं, पर मुझे अब भी अपने वरिष्ठों से महत्वपूर्ण या ईमानदार सुझाव या आंशिक सच्चे सुझाव का पहला शब्दांश सुनना है’। आशय है थोरो के जीवन के 30 वर्ष हो जाने के बाद भी उन्हें कोई जीने की सही राह या तरकीब नहीं बता पाया। लौरा को जिस पंक्ति ने आकर्षित किया, उस पुस्तक का नाम था ‘वालडेन एंड सिविल डिसोबीडीअन्स’, लेखक- थोरो।

इस रचना की 150वीं वर्षगांठ पर, नया संस्करण छपा। मशहूर अमेरीकी लेखक जॉन उपदीके ने इसकी प्रस्तावना लिखी। कहा, सूचना आक्रमण, अतिशय टीवी मनोरंजन व टेक्नोलॉजी के दौर में इस पुस्तक की प्रासंगिकता बढ़ी है। कारण, थोरो जिस जीवन की चर्चा करते हैं, उसमें सिर्फ निहायत जरूरी चीजें ही बच जाती हैं। अब जीवन को अतिशय सरल बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। इसलिए मौजूदा मानस थोरो की ‘वालडेन’ पढ़ने के लिए प्रेरित हो रहा है।

कम लोगों को पता है, युवा गांधी को जिन चार दार्शनिकों ने (इमर्सन, थोरो, टॉलस्टाय, जॉन रस्किन) प्रभावित किया, उनमें 32 वर्षीय थोरो का यह लेख है ‘ऑन द ड्यूटी ऑफ सिविल डिसोबीडीअन्स’। युवा गांधी को थोरो के लेखन ने जीवन की न्यूनतम जरूरी चीजों के साथ जीने का सूत्र भी दिया। ‘वालडेन’ में एक अंश है, ‘इंसान ज्यों-ज्यों जीवन को अधिकाधिक सादा बनाता जाएगा, त्यों-त्यों संसार के नियम व विधानों की उलझनें, उसके लिए सुलझती जाएंगी। तब उसके लिए एकांत, एकांत न रहेगा। गरीबी, गरीबी न रहेगी।’ उनका सूत्र था, खुद को पहचानो। वे कहते थे कि आज छह दिन काम होता है, एक दिन रविवार की छुट्टी। यह क्रम बदलना चाहिए। छह दिन छुट्टी होनी चाहिए, एक दिन का काम।

थोरो फक्कड़ थे। पर इसके पीछे जीवन दर्शन था। वे मानव जीवन का सत्व पाना चाहते थे। थोरो ने अपने लिए अध्यापन चुना। पर रास नहीं आया। पेंसिल बनाना सीखा। प्रयोग करके नई पेंसिल ईजाद की। बोस्टन की प्रदर्शनी में वह ब्रिटेन की सर्वोत्तम पेंसिलों में पाई गई। लोगों को लगा थोरो पेंसिल के व्यापार से धनाढ्य हो जाएंगे। थोरो का जवाब था, ‘अब मैं पेंसिल क्यों बनाऊं? जो काम एक बार दिखलाया, उसे बार-बार क्यों करूं?’ सबकुछ छोड़कर वे प्रकृति के साथ रहने में रम गए, अकेले। एक जगह कहते हैं ‘यदि तुम किसी आदमी को विश्वास दिलाना चाहते हो कि वह गलत रास्ते पर है, तो उसका उपाय यही है कि तुम ठीक मार्ग का अनुसरण करो, पर उसे विश्वास दिलाने की चिंता मत करो’।

भारतीय ग्रंथों का उन पर गहरा असर था। एक जगह वे कहते हैं, ‘गीता की तुलना में हमारा मौजूदा संसार तथा उसका साहित्य तुच्छ लगता है। कभी-कभी मुझे शक होता है कि गीता की फिलॉसफी, मानव जीवन के वर्तमान अस्तित्व से पहले की है। कारण, हमारे विचारों की धरातल से यह काफी ऊंची नजर आती है’।
वे मांस खाने के विरोधी थे। सिगरेट नहीं पीते थे। वे कहते हैं, ‘बुद्धिमानों के लिए एक ही पेय पदार्थ सर्वश्रेष्ठ है, शुद्ध जल’। एक महिला ने उन्हें चटाई भेंट की। उन्होंने कहा, ‘मैडम मेरे घर में इतनी जगह नहीं कि इस चटाई को रख सकूं और न मेरे पास इतना वक्त ही है कि इसको झाड़ कर साफ कर सकूं’। चटाई वापस कर दी। इस तरह वह मानते थे कि बुराई की जड़ प्रारंभ में ही काट देनी चाहिए। भेंट या उपहार वह स्वीकारते ही नहीं थे।

आज स्पर्धा का दौर है। युवक, ‘एवरीथिंग नाऊ’ (सब कुछ तत्काल) जीवन दर्शन से आकर्षित हैं। सब्र घट रहा, धैर्य चुक रहा। ‘दुनिया मुट्‌ठी में’ की भावना प्रेरक बन रही है। तब थोरो पर बीच-बीच में नई बहस होना, यह संकेत है कि दुनिया अब भी बेचैन है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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हरिवंश, राज्यसभा के उपसभापति


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पुलवामा पर पाकिस्तान का कबूलनामा; अभिनंदन पर नया खुलासा; फ्रांस में आतंकी हमला

नमस्कार!

पुणे में गुरुवार को किसानों ने एक नवजात को बचाया, जिसे दो लोग जिंदा गाड़ने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, बिहार के मुंगेर में भीड़ ने बासुदेवपुर पुलिस चौकी में आग लगा दी। इसके बाद EC ने डीएम-एसपी को हटा दिया। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…

  • BSE का मार्केट कैप 157 लाख करोड़ रुपए रहा। BSE पर करीब 57% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही।
  • 2,776 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 998 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,610 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • IPL में आज किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान रॉयल्स के बीच अबु धाबी में शाम साढ़े 7 बजे से मैच खेला जाएगा।
  • ग्वालियर में आज सीएम शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया का रोड शो।
  • छत्तीसगढ़ के मरवाही में उपचुनाव के चलते आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चुनावी सभा।

देश-विदेश

पुलवामा की कामयाबी हमारी कौम की कामयाबी

इमरान खान सरकार के मंत्री फवाद चौधरी ने गुरुवार को पाकिस्तान की संसद में कहा कि पुलवामा की कामयाबी, हमारी कौम की कामयाबी है। चौधरी ने यह बात पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन के नेता अयाज सादिक के आरोपों के जवाब में कही। सादिक के मुताबिक, विंग कमांडर अभिनंदन को हिरासत में लिए जाने के बाद हुई मीटिंग में विदेश मंत्री कुरैशी और आर्मी चीफ बाजवा डरे हुए थे।

विंग कमांडर अभिनंदन पर नया खुलासा

फरवरी 2019 में भारत ने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की थी। इस दौरान विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना ने हिरासत में ले लिया था। बाद में रिहा भी कर दिया था। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन के नेता अयाज सादिक ने बुधवार को कहा कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मीटिंग में कहा था कि अगर हम अभिनंदन को नहीं छोड़ते हैं, तो भारत रात 9 बजे तक हमला कर देगा।

बिहार के मुंगेर में हिंसा, डीएम-एसपी हटाए गए

बिहार के मुंगेर में भड़की हिंसा गुरुवार को फिर तेज हुई। गुस्साई भीड़ ने बासुदेवपुर पुलिस चौकी में आग लगा दी। मुफस्सिल थाने में 6 गाड़ियां फूंकी गईं। इसके बाद EC ने डीएम-एसपी को हटा दिया। लोगों का गुस्सा एसपी लिपि सिंह को लेकर था, इसलिए स्थिति को काबू करने के लिए चुनाव आयोग ने मुंगेर एसपी के साथ डीएम राजेश मीणा को भी हटा दिया।

भास्कर ब्रेकिंग: मुंगेर में पुलिस ने फायरिंग की शुरुआत की थी
मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन जुलूस के दौरान 26 अक्टूबर की रात फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। बिहार पुलिस का दावा था कि उपद्रव कर रहे लोगों ने फायरिंग की थी और उपद्रवियों की गोली से एक की मौत हुई थी। हालांकि, भास्कर को मिली CISF की इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, फायरिंग की शुरुआत मुंगेर पुलिस ने की थी।

मध्य प्रदेश उपचुनाव में सामने आई सौदेबाजी

मध्य प्रदेश में उपचुनाव से पहले बयानबाजी के बीच अब सौदेबाजी की बातें भी सामने आने लगी हैं। सोशल मीडिया में कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का एक ऑडियो वायरल हो रहा है। इसमें दिग्विजय सिंह ग्वालियर से सपा कैंडिडेट रोशन मिर्जा से कह रहे हैं कि आपके चुनाव लड़ने से भाजपा को फायदा होगा, इसलिए नाम वापस ले लीजिए।

फ्रांस में हमलावर ने महिला का सिर कलम किया

फ्रांस में 15 दिन में दूसरी बार आतंकी हमला हुआ। नीस शहर में हमलावर ने एक महिला का सिर कलम कर दिया और चर्च के बाहर 2 लोगों की चाकू मारकर हत्या कर दी। नीस के मेयर क्रिस्टियन एट्रोसी ने इसे आतंकवादी घटना कहा। उन्होंने बताया कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।

ओरिजिनल

  • बिहार के वो गांव जो कोसी नदी का जहर पीने को मजबूर हैं

1953 से अब तक कोसी में आने वाली बाढ़ के चलते पांच हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पूरी दुनिया में शायद कोसी अकेली ऐसी नदी है, जिसे मां भी कहा जाता है और डायन भी। मां इसलिए कि ये लाखों लोगों को जीवन देती है और डायन इसलिए कि ये हर साल कई जिंदगियां लील भी लेती है। ये तमाम गांव छोटे-छोटे टापू जैसे बन गए हैं, यहां पहुंचने के लिए नाव का ही सहारा है।

एक्सप्लेनर

  • 6 तारीखों से समझिए अमेरिका की राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए 3 नवंबर को वोटिंग होनी है। जो वोटर अब तक इलेक्शन डे (इस साल 3 नवंबर) को पोलिंग बूथ पर जाकर वोटिंग करते रहे हैं, वे घर बैठे मेल-इन या पोस्टल बैलट से वोटिंग कर रहे हैं। अमेरिका में कुछ राज्यों में इलेक्शन डे से पहले भी वोट डाले जा सकते हैं, जिसे अर्ली वोटिंग कहते हैं। 6 तारीखों से समझिए अमेरिका की राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया।

सुर्खियों में और क्या है...

  • गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का 92 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। हार्ट अटैक के बाद उन्हें बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया था। सुबह 11.55 पर उनका निधन हो गया।
  • देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 80 लाख के पार हो गया है। दिल्ली, केरल और पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामलों में सितंबर के बाद एक बार फिर तेजी देखने को मिली है।
  • IPL-13 में बुधवार को मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स के बीच मैच हुआ। इस दौरान कप्तान कोहली मुंबई के सूर्यकुमार को घूरते हुए दिखे तो इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।


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Pakistan's confession on Pulwama; Terrorist attack in France; New disclosure on greetings


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