शनिवार, 19 दिसंबर 2020

मोटा भाई की नजर अब बंगाल पर, ममता को अपने खेमे को बचाए रखने की चुनौती



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Mota Bhai's eyes now on Bengal, Mamta challenges to keep her camp safe


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राजस्थान के सभी 33 जिलों में पारा 7 डिग्री से नीचे, मध्यप्रदेश में दतिया सबसे ठंडा; यहां तापमान 3.1 डिग्री

शिमला और कश्मीर में बर्फबारी के बाद अब देश की राजधानी दिल्ली में भी कड़ाके की ठंड पड़नी शुरू हो गई है। दिल्ली के जाफरपुर में पारा शिमला के बराबर पहुंच गया है। यहां तापमान सामान्य से 6 डिग्री कम रिकॉर्ड किया गया। वहीं पंजाब के अमृतसर में ठंड ने दस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। यहां पारा 0.4 डिग्री पर पहुंच गया है। जालंधर में तापमान 1.6 डिग्री रहा। बर्फीली हवाओं ने बिहार की राजधानी पटना में भी कोल्ड डे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। यहां एक दिन में पारा 4 डिग्री तक गिर गया।

राजस्थान: सभी 33 जिलों में पारा 7 से नीचे

राजस्थान में शीतलहर के साथ सर्दी का सितम जारी है। 24 घंटे के दौरान ही ज्यादातर शहरों में पारा 3 डिग्री सेल्सियस तक और नीचे चला गया। अधिकांश स्थानों पर न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम था। एक भी शहर ऐसा नहीं रहा जहां रात का पारा 7 डिग्री से अधिक हो। वहीं, माउंट आबू और चांदन के बाद अब चूरू और जोबनेर में पारा माइनस में चला गया। बीती रात जोबनेर और माउंट आबू में तापमान -2.5 और चूरू में -0.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

राजस्थान के श्रीगंगानगर में खेत पर जमी बर्फ का फोटो।

मध्य प्रदेश: 6 शहरों में पारा 5-6 डिग्री के आासपास, 23 शहरों में 10 डिग्री या उससे नीचे

मावठे के बाद बादल छंटते ही भोपाल समेत मध्य प्रदेश में अब कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। शुक्रवार को भोपाल में सीजन का पहला कोल्ड रहा। यहां दिन का तापमान सामान्य से 5 डिग्री कम यानी 21.7 डिग्री दर्ज किया गया। रात का तापमान सामान्य से 4 डिग्री नीचे 7.4 डिग्री पर पहुंच गया। 24 घंटे ठंडी हवा चली। ऐसी ठंड पड़ी कि प्रदेश के 6 शहरों में पारा 5-6 डिग्री के आसपास और 23 शहरों में 10 डिग्री या उससे कम रहा।

मध्य प्रदेश के रायसेन में पत्तों पर जमी बर्फ।

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमाचल, कश्मीर में हुई बर्फबारी के बाद वहां से आई बर्फीली हवा से हमारे यहां ठंड बढ़ी। अभी तक अरब सागर से आई नमी ने ठंड रोक रखी थी। प्रदेश में दतिया सबसे ठंडा रहा। वहां दिन का तापमान 3.1 डिग्री दर्ज किया गया। नौगांव में पारा 4.1, ग्वालियर में पारा 4.2, खजुराहो में 4.8 डिग्री पर रहा।

बिहार: बर्फीली हवा से पटना में एक दिन के अंदर 4 डिग्री गिरा पारा

पहाड़ों से आ रही बर्फीली हवाओं ने पिछले 24 घंटे में बिहार के अधिकांश शहरों का तापमान 3 से 6 डिग्री सेल्सियस तक गिरा दिया। सर्द हवाओं की गति 16 से 22 किलोमीटर प्रति घंटे थी, जिससे आम लोगों को काफी सिहरन महसूस हुई। पटना के अधिकतम और न्यूनतम दोनों तापमान में करीब चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज हुई।

मध्य प्रदेश के बीना में ठंड के कारण पेड़ जमी बर्फ की चादर।

पटना में अधिकतम पारा सामान्य से 5 डिग्री से अधिक कम रहने और न्यूनतम पारा 10 डिग्री सेल्सियस से कम होने से कोल्ड डे जैसे हालात बन गए हैं। दो दिन तक यही स्थिति रही तो कोल्ड डे घोषित हो जाएगा। सबसे अधिक गया में न्यूनतम तापमान में छह डिग्री सेल्सियस गिरावट आई। शुक्रवार को पटना का अधिकतम तापमान 19.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 5.3 डिग्री सेल्सियस कम है। वहीं, न्यूनतम तापमान 8.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 2.2 डिग्री सेल्सियस कम है।

नई दिल्ली: एनसीआर में लगातार लुढ़क रहा पारा

राजधानी दिल्ली में इंसान से लेकर पशु-पक्षी भी ठंड की कहर के आगे बेबस दिखे। दिल्ली-एनसीआर में तापमान का पारा लगातार लुढ़क रहा है। शुक्रवार को नजफगढ़ क्षेत्र के जाफरपुर कलां में सामान्य से 6 डिग्री कम, शिमला के बराबर 2.7 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया।

जम्मू कश्मीर में जमने नली डल झील।

मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली का समान्य तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो समान्य से 3 डिग्री कम है। पश्चिमी दिल्ली के पालम में समान्य 5 डिग्री कम 3.4 डिग्री सेल्सियस, लोधी रोड में 3.8, सफदरजंग में 4.4, नजफगढ़ में 5.9 और दिल्ली के रिज क्षेत्र में 6.2 न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।

पंजाब: साइकिल बदलने से कारण ज्यादा पड़ रही ठंड

शीतलहर से पंजाब में फिलहाल राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। शुक्रवार को अमृतसर में ठंड का 10 साल का रिकॉर्ड टूट गया। यहां न्यूनतम पारा 0.4 डिग्री रहा जोकि सूबे में सबसे कम है। जालंधर-कपूरथला में पारा 1.6 डिग्री रहा। शीतलहर के साथ कोहरा भी बढ़ेगा। मौसम केंद्र के डायरेक्टर डॉ. सुरिंदर पाल ने बताया कि दिन और रात के तापमान का साइकिल बदलने से ठंड ज्यादा है। पिछले साल दिन का तापमान तेजी से गिरता था, रात को चढ़ जाता था। इस साल साइकिल बदला है।

अमृतसर के इम्पीरियल सिटी इलाके में वाहनों पर जमी ओस की परत।

चंडीगढ़: चंडीगढ़ में सीजन का सबसे ठंड दिन

चंडीगढ़ में पारा लगातार गिर रहा है। यहां न्यूनतम तापमान 4.4 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। यह सीजन में सबसे कम है। अगले कुछ दिन तक और पारा गिरेगा और धुंध पड़ सकती है।

छत्तीसगढ़: ठंड बढ़ी, रायपुर में 2.5 और पेंड्रारोड में 6 डिग्री तक गिरा तापमान

उत्तर से ठंडी व पूर्व से शुष्क हवा आने के कारण छत्तीसगढ़ में ठंड ने दस्तक दे दी है। रायपुर में रात के तापमान में 2.5 डिग्री और पेंड्रा रोड में 6 डिग्री की गिरावट आई है। इससे उत्तर छत्तीसगढ़ में न्यूनतम तापमान सामान्य पर आ गया है। राजधानी में अभी भी रात का तापमान 17.2 डिग्री पर है और यह सामान्य से 5 डिग्री ज्यादा है। अंबिकापुर में भी न्यूनतम तापमान 5 डिग्री गिरा। वहां तापमान 8.8 डिग्री रहा, जो सामान्य है।

छत्तीसगढ़ के महासमुंद में पारा आठ डिग्री पर पहुंच गया। सुबह मकड़ी के जाले में जमी ओस की बूंदे।


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पेड़ों पर जमी बर्फ से खेलते बच्चों की यह फोटो श्रीनगर के शोपियां की है।


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अमेरिका में फाइजर के बाद मॉडर्ना वैक्सीन को भी मंजूरी; इटली में क्रिसमस पर लॉकडाउन रहेगा

दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 7.59 करोड़ के ज्यादा हो गया। 5 करोड़ 32 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 16 लाख 80 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका ने फाइजर के बाद मॉडर्ना की वैक्सीन को भी मंजूरी दे दी है। ट्रम्प एडिमिनिस्ट्रेशन ने इस वैक्सीन को मंजूरी के पहले ही बड़े पैमाने पर ऑर्डर दे दिया था। इटली सरकार ने साफ कर दिया है कि वो इस साल क्रिसमस पर भी किसी तरह की ढील बरतने नहीं जा रही। देश में लॉकडाउन रहेगा।

अमेरिका में दूसरी वैक्सीन को मंजूरी
अमेरिका ने दो हफ्तों में दूसरी वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने शुक्रवार रात मॉडर्ना के वैक्सीन को मंजूरी दे दी। इसके पहले फाइजर के वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी। दोनों मामलों में एक चीज कॉमन रही। दोनों को मंजूरी देने के लिए FDA के ही एक पैनल ने जल्द मंजूरी देने का दबाव बनाया। हालांकि, यह पैनल भी अमेरिकी एक्सपर्ट्स का ही था। इस वैक्सीन को भी RNA टेक्नोलॉजी से ही तैयार किया गया है।

न्यूज एजेंसी ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा कि इस हफ्ते के अंत तक मॉडर्ना करीब 60 लाख वैक्सीन अमेरिकी सरकार को सौंप देगी। मॉडर्ना के वैक्सीन को मंजूरी करीब 30 हजार वॉलेंटियर्स पर तीन फेज के ट्रायल के बाद दी गई है। ट्रायल के दौरान इसे 95% इफेक्टिव पाया गया। FDA कमिश्नर स्टीफन एम हान ने कहा- अब हमारे पास कोविड-19 से निपटने के लिए दो वैक्सीन हैं। इनका इस्तेमाल व्यापक स्तर पर शुरू कर दिया गया है। अमेरिका में दो करोड़ वैक्सीन पहुंच चुकी हैं। माना जा रहा है कि अगले साल के अंत तक यह संख्या 20 करोड़ हो जाएगी। ये फुल डोज होंगे।

इटली में मायूसी
इटली सरकार ने शुक्रवार रात साफ कर दिया कि इस बार क्रिसमस पर कोरोना का घना साया होगा। सरकार के मुताबिक, क्रिसमस पर इटली में लॉकडाउन रहेगा। इटली और यूरोप के बाकी देशों में सोमवार से फेस्टिव सीजन शुरू हो रहा है। इस दौरान अलग-अलग देशों में 7 से 10 दिन की छुट्टी होगी। फ्रांस और जर्मनी ने तो 24 से 26 दिसंबर के बीच राहत का ऐलान किया है लेकिन, इटली ने साफ कर दिया है कि वो राहत देने के मूड में नहीं है। इसकी वजह यह है कि यहां संक्रमण और मौतें अब भी बहुत ज्यादा कम नहीं हुई हैं।

सरकार के मुताबिक, लॉकडाउन का फैसला न तो जल्दबाजी में लिया गया है और न वो लोगों पर प्रतिबंध थोपना चाहती। यह फैसला मजबूरी में और दुखी होकर लिया गया है।

सऊदी में वैक्सीनेशन शुरू
सऊदी अरब ने गुरुवार से अपने यहां कोरोना की वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू कर दिया है। पहली वैक्सीन देश के हेल्थ मिनिस्टर डॉ. तौफीक अल रबिह को लगाई गई। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। देश में अब तक तीन लाख 60 हजार 516 मरीज मिल चुके हैं। इनमें 6 हजार 91 जान गंवा चुके हैं।

वैक्सीन लगवाने के बाद डॉ. तौफीक ने कहा कि यह एक बड़ी समस्या के खत्म होने की शुरुआत है। उन्होंने देश के सबसे बड़े वैक्सीनेशन प्रोग्राम की शुरुआत का ऐलान किया। अब तक अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, बहरीन और रूस अपने यहां यह ड्राइव शुरू कर चुके हैं।

कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात

देश

संक्रमित मौतें ठीक हुए
अमेरिका 17,886,219 320,828 10,392,547
भारत 10,004,825 145,171 9,549,923
ब्राजील 7,163,912 185,687 6,198,185
रूस 2,791,220 49,762 2,228,633
फ्रांस 2,409,062 59,361 180,311
तुर्की 1,955,680 17,364 1,721,607
ब्रिटेन 1,913,277 65,520 N/A
इटली 1,906,377 67,220 1,203,814
स्पेन 1,782,566 48,596 N/A
अर्जेंटीना 1,517,046 41,365 1,347,914

(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)



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अमेरिका ने दो हफ्तों में दूसरी बार कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी है। फाइजर के बाद अब मॉडर्ना कंपनी के वैक्सीन को मंजूरी दी गई है। (फाइल)


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अमित शाह बंगाल पहुंचे; आज मिदनापुर में रैली करेंगे, इसी में TMC के कई विधायक भाजपा जॉइन कर सकते हैं

तृणमूल कांग्रेस में हो रही बगावत के बीच गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार रात कोलकाता पहुंच गए। दो दिन के इस दौरे में वह बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति का खाका खींचेंगे।पश्चिम बंगाल के चुनाव में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कोरोना संक्रमित होने के बाद यहां का चुनावी मोर्चा खुद अमित शाह ने संभाला है।

शाह मिदनापुर में आज एक रैली करेंगे। अटकलें हैं कि इस दौरान CM ममता बनर्जी से नाराज चल रहे TMC के कई नेता भाजपा जॉइन कर सकते हैं। इनमें हाल में पार्टी छोड़ने वाले ताकतवर नेता शुभेंदु अधिकारी के अलावा विधायक शीलभद्र दत्ता शामिल हैं।

ममता से तनातनी और चुनाव के कारण दौरा अहम

इस समय केंद्र और ममता सरकार के संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला, भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले और राज्य के अधिकारियों से जवाब-तलब के कारण यह तल्खी ज्यादा बढ़ गई है। इसी बीच अमित शाह का दौरा अहम हो जाता है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा हर महीने पश्चिम बंगाल का दौरा करेंगे। यहां अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।पहले नड्डा अक्टूबर में एक दिन के लिए उत्तरी बंगाल गए थे। कुछ दिन पहले ही वे दो दिन के दौरे पर पहुंचे थे।

19 दिसंबर को शाह के प्रोग्राम

  • बंगाल दौरे के पहले दिन शाह कोलकाता में श्री रामकृष्ण मिशन आश्रम में सुबह 10.45 बजे स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि देंगे।
  • दोपहर 12.30 बजे वह मिदनापुर में मां सिद्धेश्वरी मंदिर में पूजा करेंगे। इसके बाद वह यहीं स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि देंगे। इसके बाद वह दोपहर 1.25 बजे देवी महामाया मंदिर में पूजा करेंगे।
  • यहां से शाह मेदिनीपुर के बेलिजुरी गांव जाएंगे और यहां एक किसान परिवार के यहां खाना खाएंगे।
  • 2.30 बजे वह मिदनापुर कॉलेज मैदान में एक रैली करेंगे।
  • शाम 7.30 बजे वह 'द वेस्टिन' कोलकाता में राज्य के केंद्रीय मंत्रियों, संगठन सचिवों, जोनल पर्यवेक्षकों और प्रदेश भाजपा महासचिवों के साथ चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेंगे।

20 दिसंबर को शाह के प्रोग्राम

  • गृह मंत्री अमित शाह सुबह 11 बजे विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांति निकेतन जाएंगे। यहां रवींद्र भवन में वह गुरु रवींद्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि देंगे।
  • यहां वह मीडिया से बात करेंगे। इसके बाद वह विश्वविद्यालय के संगीत भवन जाएंगे और दोपहर 12 बजे यहां के बांग्लादेश भवन सभागार में उनका भाषण होगा।
  • यहां से वह बीरभूम के लिए रवाना हो जाएंगे। वह बीरभूम के श्यामबती, पारुलदंगा में दोपहर 12.50 बजे बाउल गायक परिवार के साथ भोजन करेंगे।
  • दोपहर दो बजे अमित शाह बोलपुर में स्टेडियम रोड स्थित हनुमान मंदिर से बोलपुर सर्कल तक रोड शो करेंगे।
  • शाम 4.45 बजे वह मोहोर कुटीर रिसॉर्ट में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। इसके बाद दिल्ली के रवाना हो जाएंगे।

200+ का लक्ष्य रखा, लोकसभा में मिली थी 18 सीटें

भाजपा ने 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में 294 सीटों में से 200+ सीटों का लक्ष्य रखा है। शाह और नड्डा कई बार सार्वजनिक मंच से इसका ऐलान कर चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया था। तब बंगाल की 42 में से 18 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं।

नड्डा और विजयवर्गीय पर हुआ था हमला

पिछले 9 और 10 दिसंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने दो दिन के बंगाल दौरे पर थे। तब उनके काफिले पर TMC के गढ़ कहे जाने वाले दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर में हमला हुआ था। इसका आरोप TMC पर ही लगा था। इस मामले में नड्डा की सुरक्षा में लगे तीन IPS अफसरों पर केंद्र सरकार ने कार्रवाई करते हुए उन्हें केंद्रीय एजेंसियों से संबद्ध कर दिया है।



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फोटो 6 नवंबर की है। अमित शाह पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान उनके साथ कैलाश विजयवर्गीय भी मौजूद थे।


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देश में एक करोड़ हुए कोरोना मरीज, हाथरस केस में CBI की चार्जशीट और आपकी मर्जी पर होगा कोरोना वैक्सीनेशन

नमस्कार!

गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल पहुंचने से सियासी पारा गर्म रहेगा। उत्तर भारत के साथ पहाड़ी राज्यों में भी सर्द मौसम सताने लगा है। कई जगह तापमान माइनस में पहुंच गया है। इधर, बॉलीवुड ड्रग्स केस में दीपिका, सारा और श्रद्धा के फोन से डेटा रिकवर हुआ है। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है

BSE का मार्केट कैप 185.38 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 54% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही।
3,150 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 1,275 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,709 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • गृहमंत्री अमित शाह बंगाल दौरे पर रहेंगे। ममता सरकार में मंत्री रहे शुभेंदु अधिकारी शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो सकते है।
  • केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कर्नाटक में करीब 11 हजार करोड़ रुपए के 33 हाईवे प्रोजेक्ट्स की शुरुआत और उद्घाटन करेंगे।
  • सोनिया गांधी आज से एक हफ्ते तक कांग्रेस नेताओं से मिलेंगी। इस दौरान उनकी शिकायतों और पार्टी की आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।

देश-विदेश

देश में एक करोड़ हुए कोरोना के मरीज

भारत में कोरोनावायरस की चपेट में आने वालों का आंकड़ा 1 करोड़ के पार हो गया है। इस मामले में हम दुनिया के 220 देशों और आइलैंड की लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं। हमसे आगे अमेरिका है। यहां सबसे तेज 290 दिनों में ये आंकड़ा 1 करोड़ पहुंच गया था। गनीमत है कि हमारे यहां इतने मरीज मिलने में 324 दिन लगे हैं। हमारे यहां वास्तविक मरीजों की संख्या अब 3.05 लाख रह गई है। ये वो एक्टिव मरीज हैं, जिनका अस्पताल में या फिर होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है। बाकी 95.41% संक्रमित अब ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.45% मरीजों की संक्रमण के चलते जान जा चुकी है।

किसानों को मनाने का नमो मंत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के किसानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। 53 मिनट के भाषण में मोदी ने किसानों की सबसे बड़ी चिंता न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर एक बार फिर कहा कि MSP न बंद होगी, न खत्म होगी। 25 दिसंबर को अटलजी की जयंती पर फिर किसानों से बात करूंगा। इधर, आंदोलन को लेकर पहली बार केंद्र सरकार के बयान में समझौते का इशारा मिला। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने शुक्रवार को कहा कि विरोध करने वाले संगठनों से औपचारिक बातचीत चल रही है। साल खत्म होने से पहले नतीजा निकलने की उम्मीद है।

किसान बोले- PM हमसे बात करें

नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का शुक्रवार को 23वां दिन था। किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं। दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने कहा कि प्रधानमंत्री को उनसे बात करनी चाहिए। इधर, चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा ने किसान आंदोलन को समर्थन दिया है। वहीं, उद्योग संगठन FICCI ने कहा है कि किसान आंदोलन के चलते नॉर्दर्न रीजन की इकोनॉमी को हर दिन 3000 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।

हाथरस केस में CBI की चार्जशीट

हाथरस गैंगरेप केस में सीबीआई (CBI) ने शुक्रवार को स्पेशल SC/ST कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। CBI ने 22 सितंबर को मौत से पहले पीड़ित के आखिरी बयान को आधार बनाकर 2000 पेज की चार्जशीट फाइल की है। चार्जशीट में कहा गया है कि चारों आरोपियों ने हत्या करने से पहले पीड़ित से गैंगरेप किया था। पीड़ित से 14 सितंबर को गैंगरेप हुआ था। गंभीर हालत में लड़की को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई। CBI ने 11 अक्टूबर को हाथरस केस की जांच शुरू की थी।

वैक्सीन लगवानी है या नहीं, फैसला हम पर छोड़ा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोरोनावायरस का वैक्सीनेशन स्वैच्छिक होगा। मंत्रालय ने शुक्रवार को यह भी स्पष्ट किया कि भारत में डेवलप की गई वैक्सीन उतनी ही प्रभावी होगी, जितनी कि दूसरे देशों में बनाई गईं वैक्सीन। वैक्सीन का पूरा कोर्स लेने की सलाह दी गई है, ताकि लोग खुद को कोरोना से बचा सकें और संपर्क में आने वालों में भी संक्रमण को नियंत्रित कर सकें। इधर, सुप्रीम कोर्ट ने भी शुक्रवार को कोरोना के इलाज को किफायती बनाने की बात कही। साथ ही कहा कि कर्फ्यू-लॉकडाउन जैसी चीजों का ऐलान एडवांस में किया जाए ताकि लोग आजीविका के संसाधन जुटा सकें।

सेलेब्स के फोन से हुई डेटा की रिकवरी

बॉलीवुड ड्रग्स केस में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) को गांधीनगर की फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) से सेलेब्रिटीज का डेटा मिल गया है। इस मामले में दीपिका पादुकोण, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर, रिया चक्रवर्ती, अर्जुन रामपाल और उनकी गर्लफ्रेंड समेत मुंबई के ड्रग्स पैडलर्स के 100 गैजेट्स से डेटा रिट्राइव किया गया। FSL से मिली जानकारी के मुताबिक, इससे NCB को यह जानकारी मिलेगी कि कौन-सा ड्रग पैडलर किस एक्टर के कब-कब संपर्क में आया।

तृणमूल छोड़ते ही शुभेंदु की सुरक्षा बढ़ी

ममता बनर्जी की तृणमूल से इस्तीफे के एक दिन बाद ही शुभेंदु अधिकारी को केंद्र से Z कैटेगरी की सुरक्षा मिलने का फैसला हो गया। उन्हें बुलेटप्रूफ गाड़ी भी मिलेगी। बंगाल के बाहर उन्हें Y+ सिक्योरिटी कवर मिलेगा। इधर, प. बंगाल विधानसभा के स्पीकर ने अधिकारी का इस्तीफा मंजूर करने से इनकार किया है। इधर, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को अगली सुनवाई तक प्रदेश में भाजपा नेताओं पर सख्ती न की जाए। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी।

एक्सप्लेनर

यूपी में आप और AIMIM की एंट्री

ये हफ्ता यूपी की राजनीति में कुछ नए बदलाव के संकेत लेकर आया। दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी ने 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। वहीं, बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतकर सत्ता के समीकरण बदलने वाले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी संकल्प मोर्चा में शामिल हो गई। सवाल यह है कि यूपी में आप और AIMIM की एंट्री से भाजपा या सपा किसका ज्यादा नुकसान होगा? क्या यूपी में बिहार की कहानी दोहरा सकते हैं ओवैसी?

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पॉजिटिव खबर

देसी अंदाज में यूट्यूब से हजारों की कमाई

आज की कहानी है उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में रहने वाली शशिकला चौरसिया की। 46 बरस की शशिकला अपने खास जौनपुरिया अंदाज और आसान भाषा में अपने यूट्यूब चैनल पर तरह-तरह के पकवान की रेसिपी के बारे में बताती हैं। उनके यूट्यूब चैनल ‘अम्मा की थाली’ पर 1.37 मिलियन यानी 13 लाख 70 हजार सब्सक्राइबर हैं। वहीं उनके चैनल पर 22 वीडियो पर 1 मिलियन यानी 10 लाख से ज्यादा व्यूज हैं। उन्हें यूट्यूब से अब 50 हजार रुपए महीने की कमाई हो जाती है।

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लोगों को भाया देसी इलाज

कोरोना के दौर में लोगों का फोकस इम्युनिटी मजबूत करने पर है। इस बीच, आयुष मंत्रालय ने कहा है कि देश में दो-तिहाई लोग आयुष गाइडलाइन्स को फॉलो कर रहे हैं। दिल्ली में एसोचेम के कार्यक्रम में मंत्रालय के सचिव विद्या राजेश कोटेचा ने शुक्रवार को यह बात कही। उन्होंने कहा- काढ़ा हो या हल्दी-दूध या फिर होम्योपैथी, देश के करीब 86% लोग आयुष की कम से कम एक गाइडलाइन को फॉलो कर रहे हैं। आयुष गाइडलाइन को फॉलो करने वाले लोगों में कोरोना संक्रमण होने पर भी इसका गंभीर असर नहीं हुआ।

सताने लगा सर्द मौसम

उत्तर भारत के साथ पहाड़ी राज्यों में भी सर्द मौसम सताने लगा है। हिमाचल, उत्तराखंड, कश्मीर में सबसे बुरा हाल है। यहां ज्यादातर इलाकों में तापमान शून्य से नीचे है। कश्मीर के शोपियां में ठंड की वजह से पानी की पाइप लाइन फट गई। उससे निकला पानी हवा में ही जम गया। कश्मीर के ही द्रास में पारा -28.5 डिग्री पहुंच गया है। श्रीनगर में डल झील जम चुकी है। इसके अलावा राजस्थान के कुछ इलाकों में टेम्प्रेचर माइनस में है। दिल्ली में अगले दो दिन तक सर्द हवा चलने का अनुमान है।

सुर्खियों में और क्या है...

  • भारी विदेशी निवेश के चलते शेयर मार्केट 7वें कारोबारी हफ्ते बढ़त के साथ बंद हुआ। अप्रैल 2019 के बाद सबसे बड़ी वीकली बढ़त के साथ सेंसेक्स 70.35 अंक ऊपर 46,960.69 पर बंद हुआ।
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड डे-नाइट टेस्ट के दूसरे दिन भारतीय टीम ने दूसरी पारी में 1 विकेट पर 9 रन बनाए। पहली बार डे-नाइट टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में लीड नहीं ले पाया।


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जब मन बहुत भारी हो और रोना आए तो इसे छिपाना नहीं चाहिए, रोने से मन हल्का हो जाता है

कहानी- महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध चल रहा था। युद्ध के दसवें दिन अर्जुन ने भीष्म पितामह को इतने बाण मारे कि उनका पूरा शरीर छलनी हो गया था। भीष्म के लिए बाणों की शय्या बन गई थी।

भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान मिला हुआ था। इस वजह से उन्हें उस समय मृत्यु नहीं आई। भीष्म ने तय किया था कि जब भी ये युद्ध खत्म हो जाएगा तो इसके बाद सूर्य जब उत्तरायण होगा, तब मैं प्राण त्याग दूंगा।

भीष्म के लिए उसी जगह पर एक अलग शिविर बना दिया गया था। रोज कौरव और पांडव पक्षों के लोग उनसे मिलने भी आते थे। युद्ध में पांडवों की जीत हो गई थी। इसके बाद जब वे भीष्म पितामह से मिलने से पहुंचे तो उन्होंने देखा कि पितामह की आंखों से आंसू बह रहे हैं।

पांडवों ने भीष्म से पूछा, 'आपकी आंखों में आंसू क्यों हैं?'

भीष्म बोले, 'तुम लोग जीत गए हो, लेकिन तुम्हारे हाथों तुम्हारे ही भाई मारे गए हैं। मेरे सामने मेरा वंश खत्म हो गया। इस वजह से मेरे दिल पर बड़ा बोझ है। मैं सोचता हूं कि जिसके रथ की कमान स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के हाथों में है, जिन पांडवों को श्रीकृष्ण ने पूरी तरह संरक्षण दिया, उन पांडवों के जीवन में भी इतने कष्ट आए हैं। तो मैं ये सोचकर आंसू बहा रहा हूं कि दुःख तो सभी के जीवन में आते हैं। हमें मजबूती से इनका सामना करना चाहिए। मैं अभी आंसू बहा रहा हूं तो मेरा मन हल्का भी हो रहा है।'

सीख - भारी मन रखकर हम कब तक जीवन बिताएंगे। जब भी मन पर कोई बोझ हो और रोना आए तो रो लेना चाहिए। आंसू बहाने से मन हल्का हो जाता है और बोझ उतर जाता है।



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जौनपुरिया अंदाज में रेसिपी सिखाती हैं अम्मा, यूट्यूब पर लाखों सब्सक्राइबर, 50 हजार रु. महीना कमाई

आज की कहानी है उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली शशिकला चौरसिया की। 46 साल की शशिकला खास जौनपुरिया अंदाज और आसान भाषा में अपने यूट्यूब चैनल पर तरह-तरह के पकवानों की रेसिपी बताती हैं। उनके यूट्यूब चैनल अम्मा की थाली पर 1.37 मिलियन यानी 13 लाख 70 हजार सब्सक्राइबर हैं। वहीं, उनके चैनल पर अपलोडेड 22 वीडियो पर 1 मिलियन से ज्यादा व्यूज हैं।

शशिकला के तीन वीडियो पर 5 मिलियन से ज्यादा व्यूज हैं। सूजी के गुलाब जामुन बनाने के उनके वीडियो पर तो 43 मिलियन व्यूज हैं। इसके अलावा उनके बनाए स्पंजी रसगुल्ला, हलवाई जैसे बेसन के लड्‌डू, गोभी का कोफ्ता, गुलाब जामुन, गाजर का हलवा के वीडियो पर 10 मिलियन से ज्यादा व्यूज हैं। आज शशिकला अपने खाना बनाने के हुनर के जरिए यूट्यूब चैनल से हर महीने एवरेज 50 हजार रुपए की कमाई कर रही हैं।

शशिकला के यूट्यूब चैनल के ऑपरेशन्स में उनके बड़े बेटे चंदन अहम भूमिका निभाते हैं। वहीं दूसरे नंबर के बेटे सूरज वीडियो एडिटिंग और सबसे छोटे पंकज वीडियो रिकॉर्ड का काम संभालते हैं।

शशिकला अपने यूट्यूब चैनल पर खास जौनपुरिया अंदाज में तरह-तरह के पकवानों की रेसिपी के बारे में बताती हैं।

जियो लॉन्च हुआ तो अम्मा के हुनर को यूट्यूब पर लाने का विचार आया

चंदन बताते हैं- अम्मा हमेशा से बहुत अच्छा खाना बनाती थीं। तीज-त्योहार पर तो उनके बनाए खाने की हर कोई तारीफ करता था। सितंबर 2016 में रिलायंस जियो सिम लॉन्च हुआ था। गांव-गांव तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचने लगा था। यूट्यूब वीडियो देखने वालों की तादाद भी बढ़ने लगी थी। एक दिन खाना खाते वक्त मैंने सोचा कि क्यों न अम्मा के खाना बनाने के वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डाले जाएं।

हमने 8 नवंबर 2017 को अपना यूट्यूब चैनल बनाया। हम अपनी मां को अम्मा कहते थे इसलिए सोचा क्यों न चैनल का नाम अम्मा की थाली रखें। वो कहते हैं- हमने अपने चैनल पर पहला वीडियो काशी की प्रसिद्ध बूंदी खीर का बनाया था लेकिन इस वीडियो पर कोई खास रिस्पांस नहीं मिला।

हम 6 महीने तक वीडियो बनाते रहे, लेकिन न तो व्यूज में कोई खास इजाफा हुआ और ना ही सब्सक्राइबर की संख्या में। फिर 31 मई 2018 को हमने आम का अचार बनाने के तरीके पर एक वीडियो बनाकर अपलोड किया। इस वीडियो पर हमें बहुत अच्छा रिस्पांस मिला। उस वक्त हमारे बमुश्किल 3 हजार सब्सक्राइबर थे, जो तीन महीने में बढ़कर 1 लाख हो गए। फिर ये सिलसिला चलता रहा और आज हमारे चैनल पर 1.37 मिलियन यानी 13 लाख 70 हजार सब्सक्राइबर हैं।

गोल्ड प्ले बटन मिलना जीवन का यादगार क्षण, अब डायमंड प्ले बटन की तैयारी

शशिकला बताती हैं- हमें दिसंबर 2018 में यूट्यूब से सिल्वर प्ले बटन मिला था। फरवरी 2020 में 1 मिलियन सब्सक्राइबर होने पर हमें गोल्ड प्ले बटन मिला। जिस दिन हमें गोल्ड प्ले बटन मिला, वो हमारे परिवार के लिए सबसे बड़ी खुशी का दिन था। अब हमारा लक्ष्य 10 मिलियन सब्सक्राइबर के साथ डायमंड प्ले बटन तक पहुंचने का है। इसके लिए हम लगातार कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

शशिकला के पति कैलाशनाथ चौरसिया की जौनपुर में मिठाई की छोटी सी दुकान है। अब वे अपने तीनों बेटों के साथ बनारस शिफ्ट हो गई हैं।

शशिकला का कहना है कि उनके बनाए गए गोभी का कोफ्ता, बूरा से लड्डू और आम के अचार की रेसिपी यूनीक थी। इससे पहले किसी भी यूट्यूब चैनल पर ऐसी रेसिपी नहीं थी, इसलिए उनके वीडियोज को इतना पसंद किया गया। हालांकि अब कई लोगों ने इन रेसिपीज के वीडियो बनाकर अपलोड किए हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने खाना बनाने की कला मां शांति देवी से सीखी। वहीं स्वभाव में नरमी पिता कन्हैया लाल चौरसिया के संस्कारों की वजह से है।

चंदन बताते हैं- हमारे फेसबुक पेज पर 1.1 मिलियन, जबकि इंस्टाग्राम पेज पर 2 लाख 12 हजार फालोअर्स हैं। हमारे टिकटॉक अकाउंट पर पर 6 महीने में ही 3 मिलियन फॉलोअर्स हो गए थे, वहां हमें रोजाना एवरेज 20 मिलियन व्यूज मिल रहे थे। लेकिन, जून 2020 में भारत में टिकटॉक बैन होने के बाद हमारा अकाउंट भी बंद हाे गया।

मोबाइल से शुरू हुआ सफर, अब स्टूडियो सेटअप की तैयारी

चंदन के पिता कैलाशनाथ चौरसिया की जौनपुर में मिठाई की एक छोटी सी दुकान है। चंदन समेत तीनों भाई और उनकी मां अब बनारस में शिफ्ट हो गए हैं। चंदन बताते हैं- शुरुआत में हम एमआई नोट-4 मोबाइल से वीडियो शूट करते थे और एक पुराने लैपटॉप पर काम चलाऊ एडिटिंग किया करते थे।

जैसे-जैसे सब्सक्राइबर और कमाई में इजाफा हुआ, हमने नया DSLR कैमरा, एडिटिंग सॉफ्टवेयर और नया लैपटॉप ले लिया। अभी हम हर हफ्ते 5 वीडियो बनाते हैं और अब तक 450 से ज्यादा वीडियोज बनाकर अपलोड कर चुके हैं। जल्द ही हम एक स्टूडियो सेटअप करने की तैयारी में हैं, जहां हम और भी व्यवस्थित तरीके से रेसिपी वीडियो रिकॉर्ड कर सकेंगे। तब अम्मा स्क्रीन पर भी नजर आएंगी।



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फरवरी 2020 में 1 मिलियन सब्सक्राइबर होने पर शशिकला के चैनल को गोल्ड प्ले बटन मिला। अब उनका टारगेट 10 मिलियन सब्सक्राइबर के साथ डायमंड प्ले बटन हासिल करने का है।


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हाड़ कंपाने वाली ठंडी में ट्रैक्टर के नीचे सड़क पर रात गुजार रहे हैं किसान, कहते हैं, 'आज नहीं तो कल धूप जरूर खिलेगी'

रात के दस बजने को हैं। दिल्ली की सड़कों पर धीरे-धीरे घना होता कोहरा इस सर्द रात को कुछ और बेरहम बना रहा है। जो लोग पूरी रात सड़कों पर ही बिताने को मजबूर हैं, उनके लिए आग ही एक मात्र सहारा है कि वे अपने शरीर को गर्म रख सकें। सिंधु बॉर्डर पर तैनात दिल्ली पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के सैकड़ों जवान भी यही तरीका अपना रहे हैं।

यहां जवानों की कई छोटी-छोटी टुकड़ियां अलाव के आस-पास सिमटी हुई नजर आ रही हैं। लगभग सभी के कंधों पर बंदूकें लटकी हैं जो लगातार गिरती ओस से भीगने के कारण कुछ और ज्यादा चमकने लगी हैं। पुलिस की इन टुकड़ियों के पास ही सफेद रंग की एक गाड़ी खड़ी है जिस पर ‘वरुण’ लिखा है। इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड में वॉटर कैनन चलाने वाली इस गाड़ी की महज मौजूदगी भी बेहद क्रूर जान पड़ती है। तापमान जब शून्य तक गिर जाने से कुछ ही अंक पीछे है तब यह ख्याल ही कंपकंपी पैदा कर देता है कि ठंडे पानी की मार कोई कैसे सहन कर सकेगा।

इस गाड़ी से कुछ ही दूरी पर दिल्ली पुलिस के बैरिकेड लगे हैं जो पिछले दिनों के मुकाबले कुछ ज्यादा मजबूत कर दिए गए हैं। बैरिकेड से आगे जीटी रोड पर कई किलोमीटर तक किसानों का हुजूम है। शुरुआत में ही एक स्टेज बना हुआ है जहां से किसान नेता इस आंदोलन को चलाने के लिए किसानों को सं‍बोधित करते हैं। स्टेज के पास ही समन्वय समिति का अस्थायी कार्यालय है जहां से लगभग सभी चीजें नियंत्रित होती हैं।

स्वयंसेवक पहरेदारी का काम संभाल रहे हैं। यही लोग पूरी रात सड़क पर गश्त करते हैं और हर आने-जाने वाले पर निगाह बनाए रखते हैं।

रात के ग्यारह बजने के बाद भी इस कार्यालय में काफी चहल-पहल है। इस वक्त पूरे इलाके की पहरेदारी को नियंत्रित किया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी संयुक्त किसान मोर्चा के कंधों पर है जिसमें सभी जत्थेबंदियों के लोग शामिल हैं। हर जत्थेबंदी से पांच-पांच स्वयंसेवक पहरेदारी का काम संभाल रहे हैं। यही लोग पूरी रात सड़क पर गश्त करते हैं और हर आने-जाने वाले पर निगाह बनाए रखते हैं।

रात बारह बजने तक पूरा इलाका लगभग सुनसान हो चुका है। सभी किसान अपने-अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली में दाखिल हो चुके हैं, लेकिन इक्का-दुक्का लंगर अब भी चल रहे हैं जो सुनिश्चित कर रहे हैं कि यहां पहुंचा कोई व्यक्ति भूखा न सोए। दिल्ली के रोहिणी से आए व्यवसायी मोहन सिंह और उनके साथी भी पूरे इलाके का दौरा कर रहे हैं और देख रहे हैं इस ठंड में किसानों के संघर्ष को कैसे थोड़ा भी आसान बना सकते हैं।

मोहन सिंह और साथियों ने किसानों के लिए गैस से चलने वाले पचास बड़े हीटर यहां लगवाए हैं, ताकि पूरी रात जागने को मजबूर किसानों की मुश्किल कुछ कम हो सके। अपने साथियों की मदद से उन्होंने किसानों के लिए पानी गर्म करने वाले कई बॉयलर भी यहां लगवाए हैं। दिनभर लंगर चला रहे किसानों के लिए यह बॉयलर काफी राहत लेकर आए हैं क्योंकि इनसे बर्तन धोना कुछ आसान हो गया है।

भोर में चार बजे से पहले ही सिंघु बॉर्डर पर वाहे गुरु का पाठ शुरू होने लगता है और इसकी धुन से दिन की शुरुआत भी होने लगती है।

रात जैसे-जैसे गहराती जाती है, सिंघु बॉर्डर पर लोगों की चहलकदमी और तापमान दोनों ही मद्धम होने लगते हैं और संयुक्त किसान मोर्चा की पहरेदारी लगातार पैनी होने लगती है। अब हर आने-जाने वाले से उनके इतनी रात में बाहर होने का कारण पूछा जाने लगता है। माहौल इस वक्त तक पूरी तरह शांत हो चुका है। पूरी रात खुलने वाले मेडिकल कैम्प और सुबह जल्दी नाश्ता करवाने वाले लंगरों के अलावा बाकी सभी लोग अब तक सो चुके हैं।

कोहरे से ढकी इस ठंड में आधी रात को मोगा से आए 19 साल के कुलदीप बल्ली को नहाते हुए देखना बेहद हैरान करता है, लेकिन इस वक्त नहाने का कारण बताते हुए कुलदीप कहते हैं कि सुबह से लंगर में सेवा करने के चलते पूरा दिन उन्हें नहाने का समय नहीं मिल पाता। दिन में सड़क पर होने वाली भारी भीड़ के चलते नहाने की जगह भी नहीं रह जाती इसलिए वे सारे काम निपटाने के बाद आधी रात को नहा रहे हैं।

बीते कई दिनों से ऐसी ही कठिन परिस्थिति झेल रहे युवा कुलदीप कहते हैं, ‘ये आंदोलन इतिहास में दर्ज हो रहा है और ये किसानों के भविष्य का फैसला करने वाला आंदोलन है लिहाजा इसके लिए इतनी मुश्किलें झेलना तो बहुत छोटी बात है। कुलदीप के जोश के आगे जो मुश्किलें बेहद मामूली जान पड़ती हैं असल में उतनी हैं नहीं। ट्रैक्टर और ट्रॉली के नीचे सड़क पर सिमट कर लेते ठंड में कांपते हुए कई किसानों के बूढ़े शरीर प्रत्यक्ष बता रहे हैं कि ये संघर्ष आसान तो बिल्कुल नहीं है।

इक्का-दुक्का लंगर रात में भी चल रहे हैं, ताकि यहां पहुंचा कोई व्यक्ति भूखा न सोए। इसके साथ ही चाय की भी व्यवस्था है।

भोर में चार बजे से पहले ही सिंघु बॉर्डर पर वाहे गुरु का पाठ शुरू होने लगता है और इसकी धुन से दिन की शुरुआत भी होने लगती है। अंधेरा छंटने से पहले ही चाय-बिस्कुट के लंगर तैयार हो जाते हैं और पूरी रात सड़क पर बिताने वालों के लिए ये चाय किसी अमृत से कम नहीं लगती। ठंड से कांपते शरीर सिर्फ चाय से ही गर्म नहीं होते, बल्कि वाहे-गुरु जी का खालसा’ जैसे नारों से भी जोशीले हो उठते हैं।

हर सुबह इस आंदोलन में शामिल होने वाले किसानों की संख्या कुछ बढ़ती है और ये प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए अपना हौंसला बनाए रखने की सबसे बड़ी वजह है। जुगविंदर और अमृतपाल आज ऐसी ही वजह बनकर सिंघु बॉर्डर पहुंचे हैं जो तीन दिन पहले तरण-तारण से अपनी-अपनी साइकल पर सवार होकर दिल्ली के लिए निकले थे। सिंघु बॉर्डर पहुंचने पर जब ये दोनों युवा नारा उछालते हैं, ‘अस्सी जीतेंगे जरूर, जारी जंग रखियो’ तो वहां मौजूद तमाम किसान पूरे जोश से इस नारे को समर्थन देते हुए कहते हैं, ‘हौंसले बुलंद रखियो।’

सुबह के 7 बजने तक सिंघु बॉर्डर पर चहलकदमी फिर से इतनी हो जाती है कि पैदल चलना भी मुश्किल होने लगता है। स्टेज सजने लगते हैं, लंगर शुरू हो जाते हैं, पुलिस और सुरक्षाकर्मियों की नई खेप तैनाती पर लग जाती है और किसान भी अपने संघर्ष में एक और दिन डटे रहने के लिए कमर कस लेते हैं। करीब आठ बजने तक कोहरा कुछ-कुछ छंटने लगता है और सूरज की पहली किरण हल्की-हल्की नजर आने लगती है। अमृतसर से आया एक किसान अपने साथी से पूछता है, ‘क्या लगता है? आज धूप खिलेगी या फिर से कोहरा छा जाएगा?’ उसका साथी जवाब देता है, ‘कोहरा आखिर कब तक रह सकेगा? आज नहीं तो कल धूप जरूर खिलेगी, सूरज जरूर निकेलगा।’



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पिछले कई दिनों से किसान नए कानून को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सड़कों पर डेरा डाले हुए हैं।


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यूपी में आप और AIMIM की एंट्री से भाजपा या सपा किसका ज्यादा नुकसान? क्या बिहार की कहानी दोहरा सकते हैं ओवैसी?

ये हफ्ता यूपी की राजनीति में कुछ बड़े बदलाव के संकेत लेकर आया। दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ने यूपी में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। वहीं, बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतकर सत्ता के समीकरण बदलने वाले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी संकल्प मोर्चा में शामिल हो गई। यह मोर्चा राज्य के अलग-अलग जिलों में सक्रिय कई छोटी पार्टियों ने मिलकर बनाया है।

लेकिन, इन दोनों राजनीतिक डेवलपमेंट से यूपी की राजनीति पर क्या असर पड़ने वाला है? खुद को दिल्ली, पंजाब और गोवा जैसे छोटे राज्यों तक सीमित कर चुके केजरीवाल का देश के सबसे बड़े राज्य में एंट्री का क्या मतलब है? ओवैसी का गठबंधन किसे और कितना नुकसान पहुंचा सकता है? बिहार में ओवैसी के साथ रहीं मायावती क्या यहां भी उनके साथ जाएंगी? शिवपाल यादव की पार्टी किसके साथ कर सकती है गठबंधन? आइये जानते हैं…

केजरीवाल की एंट्री का क्या मतलब?

  • 2014 के लोकसभा चुनाव में केजरीवाल की पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 76 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। देश की 432 सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा। लेकिन, यूपी में केजरीवाल की सीट समेत देश में सिर्फ 19 सीटों पर ही पार्टी जमानत बचा पाई। यूपी में 75 कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हो गई।

  • इसके बाद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने अपना फोकस दिल्ली, पंजाब, गोवा जैसे राज्यों पर कर लिया। 6 साल बाद एक बार फिर केजरीवाल की पार्टी यूपी में बड़े लेवल पर सक्रिय हो रही है।

  • सीनियर जर्नलिस्ट सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि यूपी में आम आदमी पार्टी खबरों में तो बनी है, लेकिन जमीन पर नहीं है। इसके लिए समय, संसाधन और मैन पॉवर चाहिए। ये तीनों ही आम आदमी पार्टी के पास नहीं हैं। आम आदमी पार्टी को कुछ शहरी इलाकों में सपोर्ट मिल सकता है, लेकिन उसका इतना बड़ा होना मुश्किल है जो उसे सीट जिता सके।

दिल्ली में कामयाबी मिल सकती है तो यूपी में क्या मुश्किल?

  • सिद्दार्थ कलहंस कहते हैं कि आप की पूरी लीडरशिप दिल्ली में सक्रिय है। पार्टी के नेता यहां लंबे समय से काम कर रहे हैं। जबकि, यूपी में पार्टी की ओर से सिर्फ संजय सिंह सक्रिय हैं। वे भी ज्यादातर दिल्ली में रहते हैं।

  • दूसरी वजह दिल्ली एक छोटा राज्य है और ज्यादातर इलाका शहरी है। जबकि यूपी दिल्ली की तुलना में करीब 11 गुना बड़ा है। यहां की 72% आबादी गांवों में रहती है। आप को जीतने के लिए इन इलाकों तक पहुंच बनानी होगी, जो फिलहाल नहीं है।

  • तीसरी और सबसे अहम बात यूपी की राजनीति में जाति का फैक्टर बहुत बड़ा रोल प्ले करता है। सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि यूपी में आप के पास लीडरशिप के नाम पर सिर्फ ठाकुर नेता संजय सिंह हैं। जब तक यूपी में उनके पास क्षेत्रवार, जातिवार नेता नहीं होंगे तब तक सफलता दूर है। इन्हें दलित, यादव, कुर्मी, मुस्लिम फेस इत्यादि चाहिए होंगे जिनकी अपने इलाके में पकड़ हो।

केजरीवाल की पार्टी वोट लेने में कामयाब हुई तो किसका नुकसान होगा?

  • दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी ने गरीब और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले वोटरों में पकड़ बनाई है। केजरीवाल जिस तरह की पॉलिटिक्स करते हैं उसमें यूपी में उनके सफल होने पर ज्यादा नुकसान सपा, बसपा और कांग्रेस का होगा।

ओवैसी का गठबंधन कितना मजबूत?

  • ओवैसी और उनकी पार्टी का एजेंडा क्लियर है। जिस तरह उन्होंने बिहार की मुस्लिम बहुल सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे, उसी तरह यूपी में भी होने वाला है। उनके गठबंधन में जो पार्टियां हैं, भले उनका ज्यादा असर ना हो, लेकिन ओवैसी की पार्टी की तरफ मुस्लिम वोटर्स का रुझान लगातार बढ़ रहा है। महाराष्ट्र हो या बिहार दोनों इसके उदाहरण हैं।

  • वहीं, गठबंधन को लेकर CSDS के निदेशक और कानपुर यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर एके वर्मा कहते हैं कि इस गठबंधन की वजह से भाजपा को थोड़ा-बहुत नुकसान हो सकता है। क्योंकि ऐसी पार्टियों के मार्जिनल वोट्स होते हैं। ऐसे में वह जब किसी बड़े दल के साथ लड़ते हैं, तो एक दो सीट निकल जाती है। जब ये अकेले लड़ते हैं तो सीट तो नहीं निकलती, लेकिन जहां हजार-पांच सौ वोट का अंतर आता है, वहां ये नुकसान करते हैं। इसमें बड़ी पार्टी लूज कर जाती है।

तो क्या सपा को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे ओवैसी?

  • ओवैसी का गठबंधन भले थोड़ा-बहुत भाजपा को नुकसान पहुंचाए, लेकिन ओवैसी सबसे ज्यादा नुकसान सपा को ही पहुंचाएंगे। इसका कारण है कि सपा का मुस्लिम वोट बैंक काफी मजबूत है। अभी भी मुसलमान सपा को अपनी पार्टी मानता है।

  • ओवैसी की पॉलिटिक्स है कि वह मुस्लिम बहुल सीटों पर जाएं और सीट जीतें। जो ट्रेंड है उससे तय है कि ओवैसी जहां कैंडिडेट खड़ा करेंगे, वहां वह मुस्लिम कैंडिडेट ही खड़ा करेंगे। जहां भी 35% से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं, वहां हो सकता है कि मुस्लिम वोटर उनसे प्रभावित हो और उन्हें वोट करे।

  • इस वक्त दो बदलाव बहुत जरूरी तौर पर देखे जा रहे हैं। एक तो ओवैसी का बिहार में 5 सीटें जीतना और दूसरा अखिलेश का जमीनी राजनीति से गायब होकर सिर्फ सोशल मीडिया तक सिमट जाना। इससे मुस्लिम वोटर का समाजवादी पार्टी के प्रति जो उत्साह था, उसमें कमी आई है। वह चाहते जरूर हैं कि सपा आए, लेकिन कुछ मुस्लिम वोटर यह भी सोचते हैं कि चलो सपा सत्ता में नहीं आ रही है, तो कुछ मुस्लिम विधायक ही आ जाएं। यह सोच ओवैसी को फायदा पहुंचा सकती है और सपा को नुकसान।

क्या मायावती भी ओवैसी के गठबंधन का हिस्सा बन सकती हैं?

सीनियर जर्नलिस्ट अम्बरीष कुमार कहते हैं कि बिहार में मायावती का कोई जनाधार नहीं है। जबकि, यूपी में बसपा का अपना कोर वोट बैंक है। इसलिए अभी यही दिख रहा है कि बसपा यूपी में कोई गठबंधन नहीं करेगी वह अपने दम पर लड़ेगी।

शिवपाल यादव किस तरफ जाएंगे?

सीनियर जर्नलिस्ट रंजीव कहते हैं कि शिवपाल यादव को अखिलेश यादव ने आमंत्रण दिया था लेकिन शिवपाल ने ओवैसी को गठबंधन का ऑफर दे दिया। दरअसल, शिवपाल जाना सपा के साथ ही चाहते हैं, लेकिन वे सीटों की बारगेनिंग करना चाहते हैं। शिवपाल के साथ जो कैडर है, वह भी अपनी पॉलिटिकल पोजिशनिंग बनाए रखना चाहता है। अगर शिवपाल इस तरह से नहीं करेंगे, तो शिवपाल के साथ जुड़े क्षत्रप उन्हें छोड़कर चले जाएंगे।



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Who is more hurt by BJP or SP in AAP and AIMIM entry in UP? Can Owaisi repeat Bihar's story?


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कोई कलेजे के टुकड़े की कब्र पर फूल चढ़ाकर हर दिन रोता है तो किसी का पूरा परिवार उजड़ गया

19 दिसंबर, 2019... यह तारीख हमेशा याद की जाएगी। इस दिन तहजीब के शहर लखनऊ में CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान अचानक हिंसा भड़क उठी थी। शाम होते-होते प्रदेश के कई शहरों से हिंसा और आगजनी की खबरें आना शुरू हो गईं। 21 दिसंबर तक हिंसा ने UP के 22 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया था। 10 जिलों में 20 युवकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ। हिंसा में 288 पुलिसकर्मी भी घायल हुए।

हिंसा के बाद जो असर हुआ, वह भी लोगों के जेहन में ताजा है। UP में कई हफ्ते तक जुमे (शुक्रवार) की नमाज संगीनों के साए में पढ़ी गई। अब सब कुछ शांत है, लेकिन मारे गए युवकों के परिजन के दिलों में लगी आग ठंडी नहीं हो पा रही है। जिंदगी ठहरती नहीं, इसलिए लोग आगे बढ़ चले हैं। लेकिन, इंसाफ की आस लगाए पीड़ितों से उनकी मंजिल काफी दूर है। दर्द ऐसा है कि कोई आज भी अपने बेटे की कब्र पर रोज जाता है तो किसी ने बेटे की कॉपी-किताबों को अभी भी जगह से नहीं हटाया है। इस हिंसा में कई परिवार उजड़ गए हैं। दैनिक भास्कर ने लखनऊ, बिजनौर, संभल और फिरोजाबाद के 5 पीड़ित परिवारों से बात की। एक रिपोर्ट...

संभल: कब्र पर रोज फूल चढ़ाते हैं पिता, मां चारपाई पर

दिल्ली गेट मोहल्ले में किसी से भी पूछें कि शहरोज का घर कौन सा है? तो छोटा-सा बच्चा भी आसानी से पता बता देता है। आखिर उस परिवार ने इतना कुछ झेला है। शहरोज के पिता यामीन रोज की तरह हाथों में फूल लिए बेटे की कब्र पर जाने की तैयारी कर रहे थे। घर में एक बिस्तर पर मृतक की मां लेटी हुई है। मां का हाल अभी भी बुरा है। भली-चंगी शहरोज की मां उसकी मौत के बाद चारपाई पर आ गयी हैं। न किसी से बोलना न बात से मतलब रखना। अब तो वह सिर्फ दवाइयों के भरोसे जिंदा हैं।

शहरोज के पिता हर दिन उसकी कब्र पर फूल चढ़ाने जाते हैं।

पेशे से पल्लेदार 56 वर्षीय यामीन कहते हैं- मैं अपने बेटे की कब्र पर रोज फूल चढ़ाने जाता हूं। यह कहते हुए उनकी आंखें गीली हो गईं। शहरोज 22 साल का था। ट्रक ड्राइवर था। 19 दिसंबर 2020 को वह मुंबई से लौट कर आया था। दूसरे दिन उसे फिर मुंबई लौटना था। 20 दिसंबर को जुमा था। दोपहर में वह नमाज पढ़कर लौटा, तो मां से खाना मांगा। मां ने कहा- बगल में शादी है। आज वहां परिवार की दावत है। जाकर वहीं खा ले। शहरोज खाना खाकर लौटा, तो मां से कहा- मैं जा रहा हूं और घर से निकल गया। लेकिन वह गाड़ी तक भी नहीं पहुंचा था कि उसे गोली मार दी गई। साल भर बीत गया, लेकिन उसकी बातें, उसका चेहरा सोचकर हमारा जीना हराम है। मैं चाह कर भी उसे इंसाफ नहीं दिला पा रहा हूं।

हिंसा में मारा गया 22 साल का शहरोज। -फाइल फोटो

मुकदमा दर्ज हुआ या नहीं, इस सवाल पर यामीन कहते हैं कि उस समय हम लोगों को कोई होश नहीं था। उसके मामा को हमने तहरीर लिख कर दी, लेकिन जब वह थाना पहुंचे तो पुलिस ने तहरीर ही बदलवा दी। मुकदमा अज्ञात में दर्ज हो गया। जब भी थाने जाकर पूछो कि कोई पकड़ में आया, तो कहते हैं कि गवाह लेकर आओ।

लखनऊ: पैसा मिलते ही बहू छोड़ कर चली गई, अब टूटा पैर लेकर मजदूरी करता हूं

सज्जादबाग निवासी वकील 19 दिसंबर की शाम घर का सामान लाने के लिए हुसैनाबाद गया था। अचानक एक गोली सीने में आकर धंस गयी और वकील वहीं गिर गया। घर पर फिर उसकी लाश पहुंची। साल भर पहले ही उसकी शादी हुई थी। दुल्हन लाश देखते ही बेसुध हो गई, जबकि मां भी होश खो बैठी। वह केवल अपने बेटे को वापस बुला रही थी। सबकुछ याद कर वकील के पिता शफीकुर्रहमान आज भी सिहर उठते हैं। वे बताते हैं कि उस घटना के बाद मेरा घर बिखर गया। जिस बहू को हमने बड़े दुलार से रखा था, वह बेटे की मौत के तीसरे दिन अपने घर चली गई। दुख इस बात का है कि उसने हमसे कोई रिश्ता नहीं रखा। उसने सोचा तक नहीं कि बेटे-बहू के बिना बुजुर्ग मां-बाप कैसे रह रहे होंगे?

मृतक वकील का परिवार। -फाइल फोटो।

शफीकुर्रहमान कहते हैं- मेरा पैर टूटा है लेकिन घर चलाने के लिए मैं लेबर का काम करता हूं। बेटे वकील की तरह अब उसका छोटा भाई तौफीक ई-रिक्शा चलाता है। अखिलेश यादव ने 5 लाख की सहायता दी थी। जो आधे बहू को और आधे हमें दिए थे। हमने बहू से कहा था कि सब पैसे तुम रख लो, लेकिन घर छोड़ कर मत जाओ। लेकिन, वह नहीं मानी और चली गई। अल्लाह उसे खुश रखे। अब बेटा नहीं रहा, तो बहु से क्या आस लगाएं?

बेटे को कब इंसाफ मिलेगा, इस सवाल पर वे कहते हैं कि हमारा मुकदमा अज्ञात में दर्ज किया गया था। एक वकील साहब हमारी मदद किया करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से उनका फोन भी नहीं लग रहा है। अब कोर्ट कचहरी के चक्कर काटें या फिर घर का खर्च चलाने के लिए काम करें?

शफीकुर्रहमान कहते हैं कि वकील की मां अब बिस्तर पर आ गयी हैं। चाह कर भी वह बेटे का गम नहीं भुला पाती हैं। इस दौरान जो पैसे हमें मिले, उससे हमने अपनी बेटी की शादी कर दी है। अब इंसाफ ऊपर वाले के हाथ में है।

बिजनौर: बेटा IAS की तैयारी कर रहा था, साल भर बाद भी उसकी किताबें संभाल कर रखीं

बिजनौर से करीब 10 किमी. दूर नहटौर में सुलेमान और अनस का घर है। इन दोनों ने भी 2019 में हुई हिंसा में अपनी जान गंवाई थी। सुलेमान के पिता जाहिद कहते हैं कि मेरा बेटा पढ़ने में तेज था। वह IAS बनना चाहता था। जिसकी तैयारी वह मामा के पास नोएडा में रहकर कर भी रहा था, लेकिन इस दंगे ने हमारे पूरे परिवार के सपनों को आग लगा दी।

मृतक सुलेमान के पिता जाहिद।

दरअसल, सुलेमान के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पिता और बड़े भाई खेती करते हैं, उसी से घर चलता है। इतने पैसे नहीं थे कि बच्चों को कोचिंग वगैरह करवा सके। हालात अब भी कुछ ऐसे ही हैं। मां की हालत ठीक नहीं रहती है, लेकिन इन सबके बीच पिता जाहिद बेटे की यादों को साल भर बाद भी संभाले हुए हैं। उन्होंने सुलेमान के पढ़ने वाले कमरे में रखी किताबों और कुर्सी मेज को इधर से उधर नहीं किया है। जैसा साल भर पहले था, वैसा ही अभी है।

किताबों पर जमा धूल हटाते सुलेमान के पिता।

सुलेमान के बड़े भाई शुऐब कहते हैं कि हमने 3 अज्ञात और 3 नामजद पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था। तब जिले के कप्तान ने भी पुलिस की गोली से सुलेमान की मौत की बात भी मानी थी, लेकिन न तो उन पुलिस वालों को सस्पेंड किया गया, न ही उन्हें गिरफ्तार किया। कोरोना की वजह से मामला कोर्ट में पहुंचने में भी देर हुई है। अभी तक कोर्ट में कोई सुनवाई ही शुरू नहीं हुई।

बिजनौर: आज भी याद आता है अनस का काला कोट पहने चेहरा, बहू ने तोड़ा रिश्ता

बिजनौर के नहटौर में ही अनस का भी घर है। अनस के पिता अरशद हुसैन कहते हैं कि साल भर में बेटे की मौत का गम तो नहीं भुला सका, लेकिन बहू जरूर हमें छोड़ कर चली गई। वह बताते हैं कि अनस ने लव मैरेज की थी। चूंकि हमारा घर छोटा है तो उपरी मंजिल बनने तक वह ससुराल में रह रहा था। चूंकि छत डलवाने का पैसा नहीं था तो तय हुआ कि टिन शेड डलवाकर रहा जाए। जब पैसे आएंगे, तो छत डलवा दी जाएगी। जुमा (20 दिसंबर 2019) को ही शिफ्ट होना था, लेकिन उसी दिन उसकी मौत हो गयी।

अनस का परिवार।

अनस दिल्ली में फ्रूट जूस की दुकान लगाया करता था। उस समय घर आया हुआ था। मुझे याद है कि उसने काला कोट पहन रखा था। वह घर से अपने चाचा के यहां दूध लेने निकला, लेकिन गली पार करते ही उसकी आंख में एक गोली आकर धंस गयी। चीख पुकार मच गई कि काले कोट वाले को गोली लग गई। मैंने जब सुना तो मैं भागा। वह जमीन पर बेसुध पड़ा था। मैं उससे लिपट गया। फिर मेरे भाई-भतीजे उसे लेकर अस्पताल निकल गए। मैं दूसरी गाड़ी से भागता, तब तक फोन आया कि अब आने की जरूरत नहीं है। उस दिन से उसकी मां सिर्फ दवा के ही भरोसे है। अनस के चाचा रिसालत हुसैन कहते हैं कि अनस के पिता अरशद रोज कमाने रोज खाने वाले हैं। हमने तीन पुलिस वालों के खिलाफ मुकदमा लिखवाया था, लेकिन आज तक क्या हुआ यह नहीं मालूम। न ही पुलिस हमें कोई जानकारी देती है।

अनस की आंख में गोली लगी थी। अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया था।- फाइल फोटो

अखिलेश यादव (सपा अध्यक्ष) से मदद मिली के सवाल पर अनस के पिता अरशद कहते है कि सारे पैसे अनस की बेवा (पत्नी) को मिले हैं। हम तो जैसे पहले थे, वैसे ही हैं। अब अनस की पत्नी भी हमारे पोते को लेकर चली गयी है। साल भर होने वाला है, लेकिन उसने हमारा हाल-चाल तक नहीं पूछा।

फिरोजाबाद: बेटे की मौत के बाद बीमार पड़ी मां, मददगार भी हुए गायब

CAA हिंसा में मारे गए मृतक नबी जान के पिता अयूब कहते हैं- मेरा बेटा चूड़ी कटाई का काम करता था। 20 दिसंबर को जब दोपहर में दंगा भड़का, तो उसे मैंने घर बुलाया। वह घर पहुंचने ही वाला था कि घर से 200 मीटर की दूरी पर उसे पीछे से गोली लगी और वह वहीं ढेर हो गया। तब से आज तक कोई दिन ऐसा नहीं रहा, जब उसकी मां रोती न हो। अब तो वह पैरों से चल भी नहीं पाती है।

नबी के पिता अयूब और मां-भाई।

अयूब कहते हैं कि बेटे की याद इतनी आती है कि अब काम भी मुझसे नहीं होता है। एक बेटा काम करता है, उसी से घर का खर्च चलता रहता है। अयूब बताते हैं कि मुझे कुछ नहीं पता है कि मेरे बेटे के केस का क्या हुआ? अभी कोर्ट में है, या नहीं है या कोई केस में पकड़ा गया या नहीं कुछ भी जानकारी नहीं है। नबी जान की मां रोते हुए कहती हैं कि हम अपने बेटे का रिश्ता ढूंढ़ रहे थे, लेकिन बहू घर में आने से पहले ही वह अल्लाह को प्यारा हो गया। अब तो बस उसकी याद रह गयी है।

नबी जान।- फाइल फोटो


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जिस उम्र में लड़कों के दांत टूटते हैं, उस उम्र में लड़कियों के ख्वाब टूट चुके होते हैं, वो पत्नी, बहू और मां बनने की कतार में होती हैं

आजकल एक नई बहस गर्म है। लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 18 से 21 कर दी जाए। यानी लड़के-लड़के दोनों की शादी इसी उम्र के बाद हो। तरक्कीपसंद लोग गुत्थमगुत्था हैं। कई साहब रोते हैं कि जब पुराना कायदा ही तमीज से लागू न हुआ तो नए की क्या जरूरत। दूसरा तबका मेडिकल साइंस के हवाले से गले की नसें फुलाता है कि 21 की उम्र में मांएं बच्चे को जन्म देते हुए मरेंगी नहीं। एक कमेटी बन चुकी और देर-सवेर कोई सुझाव भी निकल आएगा। कुल मिलाकर हो ये रहा है कि लंगड़े कबूतर का जनाजा खूब धूमधाम से निकल पड़ा है।

क्या नया नियम अपने साथ क्रांति की नई हवा लाएगा कि कागजों पर उतरते ही लड़कियों की तकदीर बदल जाए! सोचा तो पहले भी यही गया था, जब साल 1929 के उस कानून को बदला गया, जो 14 साल की लड़कियों को शादी-लायक कहता था। कानून ने 'सिमरन' को जीने के लिए चार और साल दे दिए। तब क्या हुआ? तब हुआ ये कि मां-बाप छिपकर बिटिया ब्याहने लगे।

लड़की का पहला पीरियड घरवालों के लिए उसकी जवानी की मुनादी हो गया। मान लिया गया कि शरीर से हर महीने बहते खून के साथ लड़की का शरीर और दिमाग हर चुनौती के लिए पक्का हो जाता है। अब वो परिवार संभाल सकती है। स्कूल का बस्ता छोड़ रसोई पका सकती है और मां भी बन सकती है। फिर होने भी यही लगा। किशोरी लड़कियां, जो कुछ रोज पहले अपने पीरियड्स को लेकर हकबकाई हुई थीं, वे प्रेग्नेंट होने लगीं।शिशुजन्म के दौरान कई मर जातीं। कुछ बचतीं तो आगे खप जातीं। जो तब भी बची रहतीं, वे चालीस की होते-होते बीमारियों की उदास पोटली बनकर रह जातीं।

हमारे यहां लड़कियों की शादी 18 से पहले न होने का नियम है लेकिन, हर साल दनादन लड़कियां ब्याही जाती हैं। जैसा कि यूनिसेफ (UNICEF) के आंकड़े बताते हैं, हर साल 18 साल से कम उम्र की लगभग 15 लाख भारतीय लड़कियों की शादी हो जाती है। इसके बाद आते हैं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के आंकड़े, जो बताते हैं कि बच्चे के जन्म के दौरान हुई कुल मौतों में 25.7 फीसदी मौतें अकेले हमारे देश से हैं।

तो हम आखिर कहां चूक रहे हैं? लड़की की शादी के लिए नियम तो 18 साल का है, लेकिन न मानने वालों के लिए कोई ऐसी सजा नहीं कि रूहें कांप जाएं। घरवाले अपनी चौदह-पंद्रह साला बच्ची को ब्याह दें तो उन्हें दो साल की सजा। वहीं इसी उम्र की लड़की को लेकर अगर लड़का गायब हो जाए तो उसे नाबालिग को फुसलाने और यौन संबंध बनाने के जुर्म में 20 साल की कैद होती है। अजी, यौन संबंध तो तब भी बने, जब लड़की सप्तपदी की रस्म और पाड़भर चौड़ा सिंदूर डालकर गई। बच्ची तो वो तब भी थी, जब पेट में एक और गोद में एक बच्चा चिंघाड़ रहा था। तब दोनों सजाओं में फर्क कैसे! क्या सामाजिक रजामंदी से ब्याही गई लड़की के साथ हुआ यौन अपराध- कुछ कम हो जाता है।

कुछ सालों पहले का हादिया केस याद आता है। केरल की एक हिंदू लड़की ने धर्म बदलकर मुस्लिम युवक को साथी चुना। हाईकोर्ट ने 'भोली-भाली और चंचल दिमाग' वाली युवती की शादी तो रद्द नहीं की, लेकिन उसे माता-पिता की कस्टडी में भेज दिया। लगभग आठ महीने से ज्यादा समय तक 18 साल से ऊपर की वो लड़की नजरबंदी में रही। राजनीतिक और कानूनी झुर्रियां न भी देखें तो एक बात पक्की है कि लड़कियों को कच्चे दिमाग वाला माना जाता है, जिन्हें कोई भी बरगला सकता है। इसलिए ही उन्हें चाबुक की मार से साधा जाता है और शाम ढलते ही खूंटे से बांध दिया जाता है।

वैसे सोचने की बात है कि आखिर लड़के और लड़कियों की शादी की उम्र में अब तक फर्क क्यों रखा गया! मर्जी से साथी चुनने पर लड़की को 'भोला और चंचल दिमाग' कहने वाला समाज यहां एकदम से पैंतरा बदलता है। वो बताता है कि लड़कियां जो हैं, वे लड़कों से जल्दी परिपक्व हो जाती हैं। सीने के उभारों से लड़की को परिपक्व मानने के आदी लोग अपने इस बचकाने तर्क पर इस कदर भरोसा करते हैं कि 12 साल की बच्ची की गोद में दो छोटे भाई-बहन संभालने को डाल दिए जाते हैं, जबकि गली में 15 साल का उसका अपरिपक्व भाई कंचे खेल रहा होता है।

दरअसल- लड़कियां, लड़कों से जल्दी मैच्योर होती हैं- ये कहना लड़कों को गुंजाइश देता है। ये गुंजाइश देता है कि लड़के गलतियां कर सकें और सजा से बचे रहें। लड़कों से तो गलतियां होती रहती हैं...ये छूट देता है कि 45 बरस का मर्द किसी 18 साल की लड़की से प्यार का दावा कर सके। ये इस बात की गुंजाइश भी देता है कि लड़के ताउम्र लड़के बने रह सकें और लड़कियां जन्मते ही औरत बन जाएं। खुद को अपरिपक्व बनाए रखने के ढेरों दूसरे फायदे हैं, परिपक्व लड़कियों को जिनकी भनक तक नहीं। यही वजह है कि जिस उम्र में लड़कों के दांत टूटते हैं, उस उम्र में लड़कियों के ख्वाब टूट चुके होते हैं और वे पत्नी, बहू और मां बनने तक की कतार में लगी दिखती हैं।

अब वापस लौटते हैं उस सवाल पर कि लड़कियों की शादी की उम्र भी बढ़ाकर लड़कों जितनी यानी 21 हो जाए तो क्या होगा! जवाब है- कुछ नहीं होगा. और अगर कुछ होगा तो ये कि बच्चियों की शादी सात परदों पार और सख्ती से होने लगेगी। ये भी हो सकता है कि गर्भ के दौरान लोग बच्चियों को अस्पताल ले जाने से बचें कि कहीं कानूनी नकेल न कस जाए। या फिर थोड़े-बहुत कानून-परायण लोग भी होंगे। वे खमीर उठी इडली की तरह दिनोंदिन जवान होती अपनी लड़की पर झल्लाएंगे। घर से भाग चुकी लड़कियों के हवाले से अपनी लड़की को घर बिठा देंगे। उसे उपले पाथने और पति की सेवा की ट्रेनिंग मिलेगी।

बहुत हुआ तो घर के कोने में परदा डालकर ब्यूटी पार्लर डाल देंगे कि शादी की उम्र तक लड़की की उपयोगिता बनी रहे। कभी जन्मदिन न मना सकी लड़की के इक्कीसवें जन्मदिन का रोज इंतजार होगा और कैलेंडर पर तारीख आते ही फटाफट ब्याह हो जाएगा।

इसका दूसरा काफी हसीन पहलू भी हो सकता है। बराबरी की उम्र में हुआ रिश्ता ज्यादा टिकाऊ, ज्यादा संजीदा हो सकता है। हो सकता है कि नई मिली मियाद में लड़की पढ़कर वो रोशन मीनार बन जाए, जिसके हवाले से गुमनाम घरों के मालिक अपना पता बताया करें, लेकिन इसके लिए कानून नहीं, बल्कि हमें अपने भीतर कुछ बदलना होगा। जहन से ये बात निकालनी होगी कि लड़कियां लड़कों से पहले मैच्योर हो जाती हैं।

दिखाई देने वाले शारीरिक बदलाव मैच्योरिटी का सबूत नहीं, दोनों को ही परिपक्व होने में बराबरी का वक्त लगता है। जबरन जिम्मेदारी डालकर बड़ी कर दी गई बच्ची, उस फल की तरह होती है, जो केमिकल से पक तो जाए लेकिन अपनी सारी तासीर खोकर। वो फल मीठा तो होगा, लेकिन बेमजा होकर। जैसे ही हम लड़कियों पर वक्त से पहले समझदार होने की लगाम हटाएंगे, बहुत कुछ अपने-आप बदलने लगेगा।

और औरतों! 21 साल तक की फुर्सत देख बेटी को गोल रोटी सिखाने में मत जुट पड़ना। उसकी आंखों में गोल दुनिया के ओने-कोने नापने के सपने भरना। उसके कंधों को इतना मजबूत होने देना कि वक्त आए तो वे एक परिवार नहीं, एक पूरी दुनिया संवार सकें। जो साहेबान मर्दों के रूप-गुण बखानने में फिजूलखर्च हो चुके हों, उनके लिए भी एक काम है- इंतजार। वे इंतजार करें क्योंकि सुबह अपने होने के लिए मुर्गे की बांग का रास्ता नहीं देखती। सुबह तो तब भी होगी।



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The age at which boys have broken teeth, at that age the dreams of girls are broken, she is in the line of becoming a wife, daughter-in-law and mother.


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