सोमवार, 27 जुलाई 2020

दुनिया में संक्रमित मरीजाें के ठीक हाेने की दर 61.1%, जबकि मृत्यु दर 4% है; भारत में रिकवरी रेट 63.5% और मृत्यु दर 2.3%

काेराेनावायरस का संक्रमण दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है। मगर दूसरी तरफ इस वायरस को मात देने वाले मरीजों की संख्या भी कम नहीं है। यही वजह है कि रविवार को दुनिया में कोरोना को हराने वाले मरीजों की संख्या 1 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई। इस मुश्किल दौर में यह खबर हर एक व्यक्ति को हौसला देने वाली है।

दुनियाभर में अब हर दिन कोरोना से करीब दाे लाख मरीज ठीक हाे रहे हैं। मरीजों के ठीक होने की दर, संक्रमण बढ़ने और मौतों की दर से ज्यादा है। यह सभी के लिए राहत की बात है। संक्रमण 10.5% की दर से बढ़ रहा है और मौतों का आंकड़ा बढ़ने की दर 5.6% है। लेकिन ठीक होकर घर पहुंचने वाले मरीजों की संख्या 13% की दर से बढ़ रही है।

8 महीने में 1.62 करोड़ लोग संक्रमित हुए

आठ महीने में काेराेनावायरस से दुनिया में 1.62 कराेड़ लाेग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 6 लाख 49 हजार 884 मौतें हो चुकी हैं, लेकिन अभी एक्टिव मरीजों की संख्या सिर्फ 62 लाख है।

भारत में रिकवरी रेट और मृत्यु दर दुनिया के औसत से बेहतर

दुनिया में काेराेना से मरीजाें के ठीक हाेने की दर 61.1% है, जबकि मृत्यु दर 4% है। भारत में रिकवरी रेट 63.5% है। यहां कुल 13.82 लाख मरीजाें में से 8.81 लाख ठीक हाे चुके हैं। भारत की मृत्यु दर दुनिया के मुकाबले काफी कम 2.3% ही है।

  • दुनिया में संक्रमण 10.5% और माैतें 5.6% की दर से बढ़ रहीं, लेकिन मरीज ठीक हाेने की रफ्तार 13% है।
  • 20 दिन से रोज 1 लाख से ज्यादा मरीज ठीक हो रहे; भारत में रिकवरी 30 हजार से ऊपर।
  • भारत में सबसे अच्छा रिकवरी रेट दिल्ली में है। यहां 86.4% मरीज ठीक हो चुके हैं।
  • बेहतर रिकवरी वाले देश - कतर में सबसे ज्यादा 97% और तुर्की में 92% मरीज ठीक।
  • इनकी रिकवरी सबसे खराब - अमेरिका में सबसे कम 47.7% मरीज ही ठीक हो पाए।


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It took 219 days for the initial 50 lakh patients to recover, the next 50 lakh returned home after just 33 days.


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इमरान के मंत्री ने कहा- टिकटॉक या किताबों से इस्लाम को कोई खतरा नहीं, इन्हें बैन करने से कट्टरपंथी मजबूत होंगे

टिकटॉक समेत कुछ ऐप्स पर मांग को लेकर पाकिस्तान सरकार में मतभेद उजागर हो गए। इमरान खान सरकार में साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर फवाद चौधरी ने ऐप्स और किताबों पर बैन का खुले तौर पर विरोध किया है। चौधरी के मुताबिक, इन ऐप्स से इस्लाम को कोई खतरा नहीं है।

यहां के पंजाब प्रांत की सरकार ने 100 से ज्यादा किताबों को बैन कर दिया है। इमरान सरकार में शामिल कुछ मजहबी पार्टियां टिकटॉक जैसे ऐप्स पर बैन की मांग कर रही हैं।

चौधरी ने क्या कहा
देश कई सामाजिक संगठन और नेता टिकटॉक जैसे मनोरंजन करने वाले ऐप्स पर बैन की मांग कर रहे हैं। चौधरी ने इसे खारिज कर दिया। कहा- टिकटॉक या किताबों पर बैन से समस्या हल नहीं होगी। यह सिर्फ बहाना है। इन ऐप्स या किताबों से इस्लाम को कोई खतरा नहीं है। पंजाब प्रांत की असेंबली में हर दूसरे दिन एक नया प्रस्ताव लाकर कहा जाता है कि इस्लाम खतरे में है।

नया ट्रेंड खतरनाक
चौधरी ने कहा- हर चीज को इस्लाम के लिए खतरा बताकर उसे बैन करने की मांग करना एक गलत और खतरनाक ट्रेंड है। इससे मजहबी कट्टरता और अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा। मुल्क की सेहत के लिए यह सही नहीं है। मैं उन लोगों से अपील करता हूं जो इस तरह की मांग कर रहे हैं। उन्हें आग को हवा नहीं देना चाहिए।

कमजोर दलील
हाल ही में पाकिस्तान सरकार ने चीन के सोशल मीडिया ऐप वीबो को बैन कर दिया था। इस पर अश्लीलता और अपराध को बढ़ावा देने का आरोप था। अब टिकटॉक और यूट्यूब पर भी बैन की मांग उठ रही है। खासतौर पर मजहबी बुनियाद पर बनी पार्टियां सरकार पर दबाव डाल रही हैं कि इन ऐप्स को फौरन बंद किया जाए। हालांकि, अब तक आखिरी फैसला नहीं हुआ।

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1. पाकिस्तान की हकीकत:अगवा और फिर रिहा किए गए पत्रकार ने कहा- जिन लोगों ने मुझे किडनैप किया, वे लोकतंत्र के दुश्मन, वर्दी बदलने से फर्क नहीं पड़ता

2. कुलभूषण मामले में पाकिस्तान का नया पैंतरा:कुलभूषण जाधव को वकील देने के लिए इमरान सरकार इस्लामाबाद हाईकोर्ट पहुंची, कहा- निष्पक्ष जांच के लिए ऐसा करना जरूरी



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पाकिस्तान के साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर फवाद चौधरी के मुताबिक, अगर टिकटॉक और यूट्यूब पर बैन लगाया गया तो इससे गलत ट्रेंड शुरू होगा और ये मुल्क के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। (फाइल)


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फ्रांस में सभी नागरिकों के लिए कोविड-19 टेस्ट फ्री, यहां 1.80 लाख से ज्यादा संक्रमित; दुनिया में 1.64 करोड़ मरीज

दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक 1 करोड़ 64 लाख 12 हजार 262 संक्रमित मिल चुके हैं। खास बात यह है कि इनमें 1 करोड़ 42 हजार 210 ठीक भी हो चुके हैं, जबकि 6 लाख 52 हजार 33 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। फ्रांस में सभी नागरिकों के लिए कोरोनावायरस का टेस्ट फ्री कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ओलिवर वेरान ने इसकी जानकारी दी। यहां संक्रमण के 1 लाख 80 हजार 528 मामले सामने आए हैं और कुल 30 हजार 192 लोगों की जान गई है।

10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 43,71,839 1,49,849 20,90,129
ब्राजील 24,19,901 87,052 16,34,274
भारत 14,36,019 32,812 9,18,735
रूस 8,12,485 13,269 6,00,250
द.अफ्रीका 4,45,433 6,769 2,65,077
पेरू 3,79,884 18,030 2,63,130
मैक्सिको 3,90,516 43,680 2,51,505
चिली 3,45,790 9,112 3,18,095
स्पेन 3,19,501 28,432 उपलब्ध नहीं
ब्रिटेन 2,99,426 45,752 उपलब्ध नहीं

उज्बेकिस्तान: 15 अगस्त तक लॉकडाउन बढ़ाया गया
उज्बेकिस्तान में 15 अगस्त तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। यह देश का तीसरा लॉकडाउन है। दूसरा लॉकडाउन 10 जुलाई से 1 अगस्त तक था। तीन करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले इस देश में कोरोना संक्रमण के 20 हजार 531 मामले सामने आ चुके हैं और 116 लोगों की मौत हो चुकी है।

ब्राजील: 24000 नए मामले, 500 से ज्यादा की मौत
ब्राजील में पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस के 24 हजार 578 नए मामले सामने आए हैं और इस दौरान 555 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। यहां कुल 24 लाख 19 हजार 901 लोग संक्रमित हैं और 87 हजार 52 की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार ब्राजील में कोरोना से अब तक 16 लाख से ज्यादा मरीज स्वस्थ्य हुए हैं।

ब्राजील के साओ पाउलो में राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के खिलाफ प्रदर्शन करते लोग। महामारी से निपटने के सरकार के तरीके से लोग बेहद नाराज हैं।

सऊदी अरब: 1968 नए मामले आए
सऊदी अरब में रविवार को संक्रमण के 1968 नए मामले आए, जिससे यहां कुल संक्रमितों की संख्या 2 लाख 66 हजार 941 हो गयी। यहां मरीजों के ठीक होने की संख्या में भी इजाफा हुआ है। अब तक कुल 220323 लोग ठीक हो चुके हैं। इस बीच पिछले 24 घंटे में 30 लोगों की मौत हुई। यहां मृतकों की संख्या 2733 हो गयी है।

सऊदी अरब के जेद्दाह में किंग अब्दुलअजीज एयरपोर्ट पर मास्क लगाए लोग नजर आए। ये सभी मक्का की हज यात्रा के लिए निकले हैं।

पुर्तगाल: संक्रमण का आंकड़ा 50 हजार के पार
पुर्तगाल में कोरोना वायरस के 209 नए मामले सामने आने के साथ ही इससे संक्रमित मरीजों की संख्या 50 हजार 164 पहुंच गयी है। यहां मरने वालों की संख्या 1717 हो गयी है। पिछले 24 घंटे में देशभर में 207 मरीज ठीक हुए। यहां अब तक 35 हजार 217 लोग ठीक हो चुके हैं।



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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों म्यूनिसिपल इलेक्शन में वोट डालने के दौरान मास्क पहने नजर आए थे। - फाइल फोटो


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बिहार में बाढ़, जान जोखिम में डाल दो माह के बच्चे को गोद में लेकर तटबंध पर ली शरण, असम में बाढ़ पीड़ितों के इलाज के लिए घर पहुंच रहे डॉक्टर

फोटो बिहार के समस्तीपुर की है। प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली बागमती नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी जारी है। जलस्तर में बढ़ोतरी होने से नए-नए निचले इलाकों के घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर रहा है। इसी बीच रविवार को मलिकौली गांव के वार्ड 1 निवासी राम जी साह अपने 2 माह के नवजात को गोद में लेकर पानी की तेजधार के बीच से तटबंध पर शरण लेने के लिए जा रहे थे।
12.80 लाख आबादी बाढ़ से घिरी, 1.36 लाख बचाए गए

नदियों में उफान की वजह से बाढ़ की चपेट में अब बिहार के 11 जिले आ गए हैं। 86 प्रखंडों की 625 पंचायतों की 12.80 लाख आबादी प्रभावित हुई है। सारण मुख्य तटबंध के टूटने से बाढ़ का पानी गोपालगंज, सारण और सीवान के नए इलाकों में फैल गया है। समस्तीपुर के मगरदहीघाट स्थित स्लुईस गेट से रविवार दोपहर रिसाव होने से शहर के निचले इलाकों में बूढी गंडक का पानी घुस गया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने अबतक 1.36 लाख लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है।

बाढ़ में डूबे असम में डॉ. और नर्स घर-घर जाकर कर रहे इलाज

असम में बाढ़ की वजह से हालात बेहद खराब हैं। जोरहाट जिले के जेलेगीं टूप गांव में सैकड़ों परिवार करीब एक महीने से बाढ़ की चपेट में हैं। इनकी मदद के लिए छात्र सामने आए हैं, जो इन तक राशन पहुंचा रहे हैं। बाढ़ और कोरोना संक्रमण जैसे दोहरे संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए 1 हजार मेडिकल टीमें भी गठित की गई हैं। अपनी जान जोखिम में डालकर नर्स और आशाकर्मी ग्रामीण इलाकों में बोट से दौरा कर रही हैं। एएनएम नीलिमा माला कहती हैं,‘पानी में डर तो लगता है लेकिन जब लोगों को अपने परिवार के साथ बाढ़ में फंसे हुए देखते हैं तो उनके सामने हमारी परेशानी बहुत छोटी हो जाती है।

समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड पर बढ़ रहा है दबाव

समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं हो पाया। हायाघाट स्टेशन के पास बागमती का पानी और बढ़ जाने से पुल के गाटर से पानी ऊपर चढ़ गया है। पानी का दबाव बढ़ने से रेलवे पुल पर खतरा उत्पन्न हो गया है।

सड़क किनारे और डिवाइडर पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों की हालत दयनीय

फोटो बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की है। बिजली पंचायत के काकरघाटी गांव के तकरीबन 300 परिवार बाढ़ के चपेट में हैं। अपने उजड़े आशियाने को छोड़ बुजुर्ग, युवा महिलाएं व बच्चे ऊंचे स्थल एनएच 57 पर शरण ले चुके हैं। वहीं मौजूद सुनीता देवी कहती हैं कि उनका डेढ़ वर्ष का नाती बगैर दूध के ही है। न ही प्लास्टिक मिला है ओर न ही उनके किसी भी आवश्यक जरूरतों की पूर्ति तो दूर खोजबीन भी अबतक नहीं की गई है।

हेलीकॉप्टर से गिराया 200 पैकेट, उमड़े 400

समस्तीपुर जिले के सुंदरपुर वार्ड 5 व 6 में रविवार को हेलीकॉप्टर समान गिराने के क्रम में एक भैंस का बच्चा मर गया। जबकि आधा दर्जन कच्चा मकान हिल गया। राहत सामग्री गिरने पर गांव में सामान के लिए भगदड़ मच गई। बुद्धिजीवियों ने समझदारी दिखाते हुए सामान लेने आये लोगो को लाइन में खड़ा कर वितरण किया। वार्ड सदस्य ने बताया कि पैकेट में 2 किलो चूड़ा,1 किलो चना व 1 किलो चीनी के 200 पैकेट गिराया गया, जो सभी परिवारों के लिए पर्याप्त नहीं।

गुजरात सीमा पर चौकसी बढ़ी

फोटो सरक्रीक सीमा पर भारत की अंतिम सीमा चौकी सांवला पीर की है, जो चारों तरफ से दरिया के पानी से घिरी रहती है। चीन के साथ जब से तनाव बढ़ा है, तब से पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर भी चौकसी बढ़ा दी गई है। बीएसएफ के लिए सबसे कठिन हालात वाली सरक्रीक सीमा पर भी इन दिनों 24 घंटे पेट्रोलिंग चल रही है।

यहां के दलदली इलाके में पश्चिमी सीमा पर बीएसएफ की अंतिम चौकी सांवला पीर है। यहां न कोई वाहन चल सकता है और न ही बोट। घुटनों तक पैर दलदल में धंस जाने जैसी स्थिति में जवान पैदल पैट्रोलिंग करते हैं। इतना ही नहीं पैट्रोलिंग के दौरान इन्हें कोरोना से बचने के लिए लगातार सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करना होता है।

महेश्वर में अहिल्या घाट पर सावन के महीने में पहली बार खामोशी

सावन के महीने में बोल बम की गूंज से गुंजायमान होने वाला मध्यप्रदेश के खरगोन जिले का नर्मदा घाट सूना है। कोरोना काल में प्रशासन ने घाटों पर आवाजाही पूरी तरह से बंद करा दी है। 4 माह से पर्यटन स्थल सूने हैं। पर्यटन बोट घाटों पर बंधी हैं। प्रमुख शिवालयों में भी श्रद्धालुओं की आवाजाही नहीं है। सावन माह की शुरुआत में 5 कावड़ियों को ही कावड़ यात्रा निकालने के निर्देश जारी हुए। रविवार से 2 दिन का लॉकडाउन लगने से सख्ती के चलते नर्मदा घाट पर सन्नाटा पसरा रहा।

56 दिन तक घायल गिद्ध का नासिक, पुणे में चला इलाज

महाराष्ट्र के नासिक और पुणे में 56 दिन तक घायल गिद्ध का इलाज किया गया। ठीक होने के बाद शनिवार को उसे खुली हवा में छोड़ दिया गया। वन विभाग अधिकारियों ने बताया कि नासिक के वालदेवी डैम के पास उन्हें यह गिद्ध मिला था। उसके पंख जख्मी थे और उसके शरीर में पानी की भी कमी थी। इसके बाद पक्षी फाउंडेशन के लोग उसे ले गए और उसका इलाज किया। बाद में नासिक और पुणे के पशु अस्पताल में उसका इलाज चला। 56 दिन बाद जब वह ठीक हुआ तो उसे अंजनेरी की पहाड़ियों के पास छोड़ दिया गया।



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Flood in Bihar, putting two months old child in danger, taking refuge in embankment, doctors arriving home for treatment of flood victims in Assam


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मोदी आज शाम 4.30 बजे 3 शहरों में टेस्टिंग सेंटर की शुरुआत करेंगे, इनके जरिए रोज 10 हजार सैंपल की जांच की जाएगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 4.30 बजे तीन शहरों- नोएडा, मुंबई और कोलकाता में कोरोना टेस्टिंग के हाई थ्रोपुट (ऑटोमेटेड) सेंटर्स की शुरुआत करेंगे। इनमें एक दिन में 10 हजार सैंपल टेस्ट किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ऑफिस के मुताबिक इन सेंटर्स के जरिए देश में कोरोना की टेस्टिंग में तेजी आएगी। साथ ही समय पर बीमारी का पता लगाने और इलाज शुरू करने में मदद मिलेगी। इस तरह संक्रमण फैलने से रोका जा सकेगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री भी जुड़ेंगे
हाई थ्रोपुट टेस्टिंग फैसिलिटी के जरिए जांच में कम समय लगेगा और लैब के स्टाफ को भी संक्रमण वाले मेटेरियल से ज्यादा संपर्क में नहीं रहना पड़ेगा। प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए टेस्टिंग फैसिलिटी की शुरुआत करेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के साथ महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी जुड़ेंगे।

देश में रिकवरी रेट 64.19%, डेथ रेट 2.30 फीसदी
रविवार को देश में कोरोना के मामले 14 लाख से ऊपर पहुंच गए। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। अब देश में रिकवरी रेट 64.19% है। मतलब हर 100 मरीज में से 64 ठीक हो रहे हैं। दूसरी तरफ डेथ रेट 2.30% है।



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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में कहा था कि हमारे यहां कोरोना से डेथ रेट बाकी देशों से कम है, लेकिन कोरोना अब भी उतना ही घातक है जितना पहले था। (फाइल फोटो)


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यूसी वेब पर फेक न्यूज फैलाने का आरोप; जैक मा और अलीबाबा को कोर्ट का नोटिस, राजस्थान की सियासी उठापटक में नजरें अब राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट पर

तारीख 27 जुलाई, 2020। दिन, सोमवार। दैनिक भास्कर के मॉर्निंग ब्रीफ में सुर्खियों पर नजर डालेंगे, लेकिन सबसे पहले बात करगिल विजय दिवस की। 21 साल हो गए। पर, करगिल युद्ध के बलिदान और शौर्य की कहानियां आज भी ताजा हैं। करगिल विजय दिवस पर देश ने शहीदों को याद किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रेडियो पर अपने नियमित कार्यक्रम 'मन की बात' में करगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा - पाकिस्तान ने भारत की पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश की थी। दुश्मन पहाड़ पर बैठा था, लेकिन जीत भारतीय सेना के हौसले और सच्ची वीरता की हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी वॉर मेमोरियल पहुंचे और करगिल के शहीदों को याद किया।

1- अब बात राजस्थान के सियासी चकल्लस की
राजस्थान में बीते 17 दिन से चल रही सियासी उठापटक अब धारावाहिक में तब्दील हो चुकी है। जिसके हर एपिसोड में नए मोड़ हैं। होटलों से निकल हाई कोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी इस सियासी जंग का नया अड्डा राजभवन है।

मुख्यमंत्री गहलोत का कहना है कि राजभवन यानी गवर्नर कलराज मिश्र विधानसभा सत्र बुलाने की उनकी मांग की अनदेखी कर रहे हैं, जो संविधान के लिहाज से सरासर गलत है। वहीं, भाजपा का कहना है कि सीएम गहलोत अपने बयानों से राज्यपाल को धमका रहे हैं। गहलोत ने कहा था कि अगर राज्यपाल ने विधानसभा सत्र न बुलाया तो जनता राजभवन घेर लेगी।

गहलोत-बनाम पायलट: कुछ फटाफट अपडेट्स

पहला - सीएम अशोक गहलोत ने विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को संशोधित प्रस्ताव दोबारा भेज दिया है। इससे पहले भी गहलोत ने विधानसभा सत्र बुलाने का अनुरोध किया था, लेकिन उस पर गवर्नर को कुछ आपत्तियां थीं।

गहलोत के पास फिलहाल 100 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है और वे जल्द से जल्द सदन में बहुमत साबित कर सरकार पर आया संकट टालना चाहते हैं। लेकिन, गवर्नर इसके लिए आसानी से तैयार होते नहीं दिखते। संवैधानिक बहस जारी है। ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में राज्यपाल को कैबिनेट की सलाह माननी पड़ेगी।

दूसरा - राजस्थान की सियासी उठापटक के लिए कांग्रेस ने भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए सोशल मीडिया पर 'स्पीकअप फॉर डेमोक्रेसी' अभियान शुरू किया है। कांग्रेस का कहना है कि इस अभियान के तहत वह 27 जुलाई को पूरे देश के राज-भवनों का घेराव करेगी।

राहुल गांधी ने भी इसको लेकर ट्विटर पर वीडियो शेयर किया है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा लोकतंत्र को खत्म कर रही है। मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में सरकार गिराने की कोशिश की जा रही है। राहुल ने राजस्थान का विधानसभा सत्र तत्काल बुलाने की मांग भी की है।

तीसरा- राजस्थान के सियासी संकट में सोमवार को नजरें अदालत की तरफ घूमेंगी। गहलोत खेमे के विधायकों को नोटिस और उस पर स्पीकर की कार्रवाई का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट इस बारे में अगर कोई महत्वपूर्ण निर्देश देता है तो पूरा घटनाक्रम तेजी से बदलेगा।

इसके अलावा भाजपा के एक विधायक ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की है कि जो छह बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल हुए थे, उसकी प्रक्रिया संवैधानिक रूप से गलत है।

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2- यूसी वेब पर फेक न्यूज फैलाने का आरोप, कोर्ट ने अलीबाबा और जैक मा को नोटिस भेजा
चीनी ग्रुप अली बाबा और उसकी सहयोगी कंपनियां एक बार फिर चर्चा में हैं। यूसी वेब में काम कर चुके पुष्पेंद्र परमार ने आरोप लगाया है कि यूसी वेब, यूसी न्यूज इस तरह की फेक न्यूज फैलाते हैं कि भारत में इसको लेकर सामाजिक-आर्थिक उथल-पुथल मचे।

परमार का कहना है कि इसका विरोध करने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। परमार ने इस मामले को लेकर गुरुग्राम की अदालत में 20 जुलाई को रिट दाखिल की, जिसके बाद अदालत ने यूसी वेब की मूल कंपनी अलीबाबा और उसके संस्थापक जैक मा को नोटिस जारी किया है।

इसमें अलीबाबा और जैक मा को फेक न्यूज फैलाने के आरोपों का 30 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है। लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा विवाद के बाद भारत सरकार ने चीन के जिन 59 ऐप्स पर बैन लगाया था, उनमें यूसी वेब भी शामिल थी।

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3- शिवराज चौहान के पत्नी-बेटे का कोरोना टेस्ट निगेटिव
मास्क लगाए रहें और सोशल डिस्टेंसिंग का अच्छी तरह से पालन करें। कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने अस्पताल से ट्वीट कर अपनी सेहत ठीक होने की जानकारी दी है। राहत की बात यह है कि शिवराज के बेटे और उनकी पत्नी का कोरोना टेस्ट निगेटिव आया है।

अब एक नजर कोरोना के आंकड़ों पर। भारत में रोजाना मिलने वाले मरीजों का आंकड़ा 50 हजार को पार कर चुका है। साथ ही देश में अब तक कुल संक्रमितों की संख्या 14 लाख के पार हो चुकी है। वहीं, दुनिया में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1.62 करोड़ हो गई है। नार्थ कोरिया में कोरोना का पहला संदिग्ध मरीज मिला है।

इसके बाद वहां के तानाशाह शासक किम ने दक्षिण कोरिया से लगे शहर में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इजराइल में भी संक्रमितों का आंकड़ा 60 हजार के पार हो गया। जिसके बाद राजधानी येरुशलम समेत देश के कई शहरों में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन हुए।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि नेतन्याहू कोरोना को रोकने में नाकाम रहे हैं। नेतन्याहू पर यह भी आरोप है कि कोरोना की रोकथाम के लिए खर्च हुई रकम में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है।

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4- टीवी प्रेजेंटर रेगिस फिबिन का निधन, इन्हीं के शो की तर्ज पर था 'कौन बनेगा करोड़पति'
टीवी प्रेजेंटर रेगिस फिबिन नहीं रहे। रेगिस 88 साल के थे और न्यूयार्क में रहते थे। रेगिस फिबिन का क्विज शो 'हूं वांटस टू बी मिलेनियर' पूरी दुनिया में चर्चित हुआ। इसी शो की तर्ज पर भारत में अमिताभ बच्चन के साथ कौन बनेगा करोड़पति बनाया गया। क्विज शो होस्ट करने से पहले वे अमेरिकी आर्मी में अपनी सेवाएं दे चुके थे। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी फिबिन की मौत पर अफसोस जताया है।

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5- क्या कहते हैं सितारे और कार्ड
राशिफल : एस्ट्रोलॉजर डॉ. अजय भाम्बी के अनुसार आज 12 में से 5 राशियों को संभलकर रहना होगा। 27 जुलाई, सोमवार को चंद्रमा तुला राशि में रहेगा। जिस पर शनि की टेढ़ी नजर रहेगी। शनि के कारण चंद्रमा पीड़ित रहेगा। इस कारण कुछ लोगों के सामने दिनभर तनाव की स्थिति में रहेगा। सितारों की इस स्थिति से जॉब और बिजनेस में लिए गए फैसले भी गलत हो सकते हैं। ऐसा सिर्फ पांच राशियों के लिए है। बाकी 7 राशियों के लिए दिन ठीक-ठाक रहेगा।

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टैरो कार्ड: शीला एम. बजाज कहती हैं कि सोमवार, 27 जुलाई 12 में से 7 राशियों के लिए अच्छे नतीजे देने वाला दिन हो सकता है। जबकि, 5 राशियों के लिए दिन सामान्य रहेगा। कुछ लोगों के लिए लाभ पैदा करने वाली परिस्थितियां बन सकती हैं। वहीं, कुछ राशियों का पारिवारिक और सामाजिक जीवन अच्छा रहेगा। पुराने मित्रों या रिश्तेदारों से मुलाकात हो सकती है। मेष राशि वालों को बिजनेस में नया मौका मिल सकता है। वृष राशि के लोगों को आज निजी जीवन में कुछ सफलता मिल सकती है। मिथुन राशि के लिए कोई महत्वपूर्ण डील होने के संकेत दिख रहे हैं।

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ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर 83% ज्यादा समय दे रहे भारतीय; लॉकडाउन में ओरिजिनल सीरीज देखने वाले सबसे ज्यादा बढ़े, मूवी देखने में सबसे ज्यादा समय खर्च किया

सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म 'दिल बेचारा' का प्रीमियर 24 जुलाई को ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर हुआ। ट्रेड एनालिस्ट्स के मुताबिक, तीन दिन में ही इस फिल्म को 7.5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा। कोरोनाकाल में किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई ये दूसरी बड़ी फिल्म है। इससे पहले अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की गुलाबो-सिताबो भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई थी।

पिछले चार महीने में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर न सिर्फ यूजर बढ़े हैं बल्कि पर यूजर्स टाइम स्पेंड भी बढ़ा है। लोग मूवी देखने में सबसे ज्यादा समय खर्च कर रहे हैं। अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर आने वाली ओरिजिनल सीरीज देखने वाले लोगों में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है।

कोरोनाकाल में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर 83% ज्यादा समय दे रहे लोग
इन्वेस्ट इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि कोरोनाकाल में अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स और डिज्नी प्लस हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेफॉर्म्स पर यूजर्स का टाइम स्पेंड 82.63% बढ़ा है। इसी दौरान यू-ट्यूब जैसे फ्री एक्सेस प्लेटफॉर्म पर देश के लोगों ने 20.5% ज्यादा समय खर्च किया।

लॉकडाउन की शुरुआत में ही 13% व्यूज बढ़े

2020 के पहले तीन महीने में भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को 30 हजार करोड़ व्यूज मिले। 2019 के अंतिम तीन महीनों यानी अक्टूबर से दिसंबर 2019 के मुकाबले ये 13% ज्यादा है। ये आंकड़े उस वक्त तक के हैं, जब कोरोनावायरस शुरुआती दौर में था और देश में लॉकडाउन की शुरुआत ही हुई थी। जब 2020 के दूसरे तीन महीनों यानी, अप्रैल, मई और जून के नतीजे आएंगे तो ये आंकड़ा और बड़ा हो सकता है।

लॉकडाउन में जी-5 के सब्स्क्राइबर सबसे ज्यादा 80% बढ़े, अमेजन प्राइम दूसरे नंबर पर

मार्केट रिसर्च वेबसाइट वेलोसिटी एमआर की एक स्टडी के मुताबिक, 25 मार्च से 8 जून के बीच जी ग्रुप के ओटीटी प्लेटफॉर्म जी-5 के 80% सब्स्क्राइबर बढ़े। वहीं, अमेजन प्राइम वीडियो को 67% नए यूजर मिले। नेटफ्लिक्स के सब्स्क्राइबर भी इस दौरान 65% बढ़े हैं। ऑल्ट बालाजी को भी 60% नए सब्स्क्राइबर लॉकडाउन के दौरान मिले।

स्पोर्ट्स टेलीकास्ट बंद होने से इसे देखने वाले दर्शक घटे

लॉकडाउन के कारण खेल गतिविधियां बंद हैं। इसका असर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी दिखा। स्पोर्ट्स टेलीकास्ट देखने वाले दर्शक और उनका समय दोनों लगभग शून्य पर पहुंच गया। टीवी सीरियल्स की शूटिंग बंद होने के कारण टीवी शो देखने वाले दर्शक भी घटे। इस वजह से सिंडिकेटेड कंटेंट के यूजर्स में 44% की कमी आई।

ओटीटी प्लेटफॉर्म अगले तीन साल में 12 हजार करोड़ का मार्केट होगा

2018 तक भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का मार्केट 2150 करोड़ रुपए का था। 2019 के अंत में ये बढ़कर 2185 करोड़ रुपए का हो गया। यानी, एक साल में 35 करोड़ का इजाफा। इसके बाद भी एकाउंटिंग फर्म प्राइसवाटर हाउस कूपर्स ने 2023 तक इस मार्केट के 11 हजार 977 करोड़ रुपए का होने का अनुमान लगाया था। लेकिन, कोरोनाकाल में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को तेजी से यूजर मिले हैं। इससे ये आंकड़ा और बढ़ सकता है।



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OTT platform subscriptions during lockdown in India


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घर में सफेद रोशनी कर "मानसून ब्लू" का शिकार होने से बचें, वर्चुअल टूर से करें दुनिया की सैर; जानिए मूड बेहतर रखने के 6 तरीके

मानसून के दौरान सफर या छुट्टियों का इरादा रखने वाले लोगों को महामारी के कारण घर में ही रहना पड़ रहा है। ऐसे कई लोग हैं जो छुट्टियों के लिए मानसून का इंतजार करते हैं, ताकि वे ड्राइव या नेचर के करीब जाकर तनाव से छुटकारा पा सकें, लेकिन लॉकडाउन और पाबंदियों ने प्लान पर पानी फेर दिया है।

हैदराबाद में रहने वाले निखिल अरविंद ट्रैवलिंग के खासे शौकीन हैं। निखिल बताते हैं कि 'वे लगभग हर साल मानसून के वक्त घूमने का प्लान करते हैं। मानसून के दौरान ट्रैवल करने का मुख्य कारण है मानसिक शांति और प्रकृति के करीब रहना, लेकिन इस बार नहीं जा पाएंगे।' हालांकि निखिल के अनुसार, हालात सामान्य होते ही वे एक बार फिर सफर में होंगे।

म्यूजियम, शहरों का करें वर्चुअल टूर
इस दौरान बाहर निकलना सुरक्षा और हेल्थ के लिहाज से भी खतरनाक है। क्योंकि हम नहीं जानते कि हमारा कहां कोरोनावायरस से सामना हो जाए। हालात यह हैं कि ट्रैवलिंग करने का मतलब नई चिंता को घर पर लाना हो सकता है। ऐसे में घर पर ही रहकर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें। इंटरनेट पर कई वर्चुअल टूर के ऑप्शन मौजूद हैं, जिसके जरिए आप दुनिया की कई मशहूर जगहों को जान सकेंगे और कई लोगों के लिए यह नया अनुभव भी हो सकता है।

  • दुनिया के सात अजूबे: मॉडर्न टेक्नोलॉजी की मदद से आप घर बैठे ही दुनिया के सात अजूबों (द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, पेट्रा, ताज महल, कोलोजियम, माचु पिच्चु, क्राइस्ट द रिडीमर और चिचेन इत्जा) का नजारा अपनी डिवाइस पर देख सकते हैं। इसके लिए कई गूगल जैसी ऑनलाइन सर्विसेज उपलब्ध हैं।
  • म्यूजियम की सैर: बीते कुछ वर्षों में गूगल ने हजारों म्यूजियम के साथ पार्टनरशिप की है। इसमें संग्रहालयों में सुरक्षित कर रखी गई नायाब चीजों की हाई क्वालिटी फोटोज हैं। इसके जरिए आप दुनिया के दूर-दराज के कई म्यूजियम की सैर कर सकते हैं।
  • नेशनल पार्क्स: ट्रैवलिंग के दौरान कई लोगों की सबसे पसंदीदा जगह नेशनल पार्क्स होती है। अब इंटरनेट के जरिए भी ट्रेवलर्स वर्चुअल नेशनल पार्क्स का मजा हाई क्वालिटी साउंड के साथ ले सकते हैं। इसके लिए गूगल ने भी खास नेशनल पार्क्स के ऑडियो-विजुअल टूर्स की सेवा दी है।

ट्रैवलिंग से तनाव में आती है कमी
राजस्थान के उदयपुर स्थित गीतांजलि हॉस्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर और साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिखा शर्मा भी ट्रैवलिंग की बेहद शौकीन हैं। फिलहाल वे खाली समय में अपनी अगली ट्रिप की प्लानिंग कर रही हैं। डॉक्टर शर्मा बताती हैं, "ट्रैवलिंग से हमारा मूड खुश होता है। क्योंकि इस दौरान हम नए लोगों से मिलते हैं, नई जगहों को जानते हैं और नए अनुभव होते हैं।" कई डॉक्टर्स मानसिक तौर पर परेशान व्यक्ति को घूमने और आउटिंग की सलाह देते हैं। उन्होंने कहा "इससे हमारी चिंता और तनाव दूर हो जाते हैं।"

छुट्टियां कैंसिल होने से खराब हुए मूड को इन 6 तरीकों से करें ठीक
घर में लंबे वक्त तक रहने के कारण कई लोग मानसिक रूप से प्रभावित हुए हैं। ऐसे में नई एक्टिविटीज के साथ मूड को खुश रखना बेहद जरूरी है। डॉक्टर शर्मा इस दौरान एक नई स्थिति मानसून ब्लू का भी जिक्र करती हैं।

उन्होंने कहा, "यह एक तरह का सीजनल डिप्रेशन होता है, इस दौरान बादलों की वजह से ब्राइटनेस कम हो जाती है और लोग उदासी महसूस करते हैं। ऐसे में घर में रहें तो रोशनी में रहें।" इसके साथ ही डॉक्टर खासतौर से सफेद रोशनी की सलाह देते हैं।

उन्होंने बताया कि इस दौरान लेमन टी, सूप और ग्रीन टी फायदेमंद होता है। गर्म चॉकलेट ड्रिंक्स भी ले सकते हैं। डॉक्टर के मुताबिक, चॉकलेट मूड को बेहतर करने में मदद करती है। इसके अलावा अगर आप घर पर हैं तो ये उपाय कर सकते हैं।

  • लंबी वॉक: अगर आप घर में हैं तो वीकेंड्स पर लंबी वॉक ले सकते हैं। इस दौरान आप अपने दोस्त के साथ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लंबी दूरी तक पैदल चलें। इससे आपका मूड बेहतर होगा और तनाव में कमी आएगी।
  • आउटडोर गेम्स: सुरक्षित उपायों के साथ आउटडोर एक्टिविटीज भी मेंटल हेल्थ बनाए रखने का अच्छा तरीका है। इस दौरान आप अपने परिवार के सदस्यों और बच्चों के साथ मिलकर गेम्स खेल सकते हैं। याद रहे इस दौरान कोई भी बाहरी व्यक्ति को शामिल न करें।
  • पसंदीदा काम: मूड को अच्छा बनाए रखने का सबसे बढ़िया तरीका है, वो काम करना जो आपको खुशी दे। वेकेशन कैंसिल होने से खराब हुए मूड को पसंदीदा चीजों से सुधारें। इसके लिए अपना पसंदीदा खाना या गेम्स की मदद लें।
  • अरोमा ऑयल से नहाना या मसाज: बगैर किसी की मदद लिए आप बॉडी मसाज करें। डॉक्टर्स के अनुसार, मसाज करने से तनाव और टेंशन कम होता है। इससे बॉडी और माइंड दोनों ही रिलेक्स होते हैं। डॉक्टर शर्मा के अनुसार, नहाते वक्त अपने पानी में अरोमा ऑयल मिला लें, क्योंकि यह आपके मूड को बेहतर करने में मदद करता है।
  • फ्यूचर ट्रिप प्लानिंग: अब आपको ट्रिप प्लान करने के लिए पहले से ज्यादा वक्त मिला है। आप इस समय का उपयोग फ्यूचर प्लानिंग के लिए भी कर सकते हैं। परिवार के सदस्यों, अपने ट्रैवल ग्रुप या दोस्तों के साथ अगली ट्रिप की प्लानिंग कर सकते हैं। इतना ही नहीं इस दौरान अपनी पुरानी यात्राओं की यादें ताजा करें। पुराने फोटोज या मेमोरीज को फिर से आपस में शेयर करें।
  • पौधे भी बेहतर कर सकते हैं मूड: मानसून का वक्त बागवानी के लिहाज से भी मददगार होता है। यह मौसम पेड़-पौधों को बढ़ने में मदद करता है। डॉक्टर शर्मा इस दौरान पौधे लगाने की भी सलाह देती हैं। कहती हैं "आपकी लगाई हुई किसी चीज को बढ़ते देखना मानसिक सुकून देता है।" इसके अलावा आपको बारिश के दौरान पौधों की ज्यादा देखभाल नहीं करनी पड़ती और इनका बढ़ना आपको मानसिक शांति देता है।


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कोर्ट में आज दो मामले: स्पीकर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हो सकता है फैसला; हाईकोर्ट में बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ सुनवाई

राजस्थान में सियासी संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। कांग्रेस की लड़ाई कोर्ट और राजभवन तक जा पहुंची है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब सुप्रीम कोर्ट सोमवार को स्पीकर सीपी जोशी की सचिन पायलट खेमे के विधायकों को भेजे गए नोटिस के मामले पर सुनवाई करेगा।

वहीं, राजस्थान हाईकोर्ट भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उन्होंने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ स्पीकर के समक्ष दायर उनकी याचिका में कार्रवाई नहीं होने को चुनौती दी है। दिलावर की याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस महेन्द्र गोयल सुनवाई करेंगे। इसमें विधानसभा स्पीकर, सचिव सहित बसपा के छह एमएलए को भी पक्षकार बनाया गया है।

दिलावर के वकील आशीष शर्मा ने बताया कि प्रार्थी ने स्पीकर के यहां चार महीने पहले मार्च 2020 में बसपा एमएलए लखन सिंह (करौली), राजेन्द्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़िया (किशनगढ़ बास), जोगेन्दर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर भरतपुर) के कांग्रेस में विलय के खिलाफ स्पीकर को शिकायत की थी।

साथ ही, स्पीकर से आग्रह किया था कि वे इन छह एमएलए को दल-बदल कानून के तहत राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करें। लेकिन, स्पीकर ने शिकायत पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

देशभर में राजभवन के सामने होंगे प्रदर्शन

पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सोमवार को कांग्रेस की सेव डेमोक्रेसी सेव कॉन्सटीट्यूशन मुहीम के तहत देशभर में राजभवन के सामने प्रदर्शन किया जाएगा। राजस्थान मे ऐसा नहीं किया जाएगा। हमने महामहिम को कैबिनेट का रिवाइज्ड नोट भेज दिया है और उम्मीद करते हैं कि वे जल्द सत्र आहूत करने की स्वीकृति देंगे।

14 दिन पहले नोटिस देने से शुरू हुआ विवाद

  • 14 जुलाई : स्पीकर जाेशी ने पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दिया, 17 जुलाई तक जवाब मांगा।
  • 16 जुलाई : नोटिस के खिलाफ पायलट सहित 19 विधायक हाईकोर्ट में गए। मुख्य सचेतक महेश जाेशी ने कैविएट लगा दी।
  • 17 जुलाई : हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई की और मामला खंडपीठ में भेजा। खंडपीठ ने 18 जुलाई काे सुनवाई तय की।
  • 18 जुलाई : खंडपीठ ने अगली सुनवाई 20 जुलाई तय की और स्पीकर से कहा कि वे 21 जुलाई तक नोटिस पर कार्रवाई न करें।
  • 20 जुलाई : बहस पूरी नहीं हुई, 21 जुलाई को भी सुनवाई।
  • 21 जुलाई : हाईकोर्ट ने फैसला 24 जुलाई के लिए सुरक्षित रख लिया। स्पीकर को भी कोई निर्णय नहीं करने के लिए कहा।
  • 22 जुलाई : हाईकोर्ट के दखल पर स्पीकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
  • 23 जुलाई : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाईकोर्ट का फैसला आने दीजिए। यह हमारे फैसले के अधीन रहेगा।
  • 24जुलाई : हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी काे सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई से अभी राेक दिया। हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए।

5 सवालों से समझिए...राजस्थान की सियासत की पूरी तस्वीर

1. हाईकोर्ट के फैसले का पायलट खेमे पर क्या असर होगा?

जवाब: हाईकोर्ट ने 19 विधायकों को नोटिस मामले में यथास्थिति को कहा है। मायने यह कि अभी उनकी सदस्यता रद्द नहीं होगी। आदेश का सोमवार को सुप्रीम कोर्ट रिव्यू करेगा।

2. क्या गहलोत सरकार के पास बहुमत है?

जवाब: गहलोत सरकार ने राजभवन ले जाकर विधायकों की परेड करवाई। इसमें 102 का आंकड़ा दिया है। इनमें कांग्रेस के 88, निर्दलीय 10, बीटीपी के 2, सीपीएम और आरएलडी का एक-एक विधायक है। यदि इतने विधायक फ्लोर टेस्ट में सरकार का साथ देते हैं तो सरकार बहुमत हासिल कर लेगी। यदि दो-पांच विधायक भी इधर-उधर हुए तो सरकार खतरे में है।

3. क्या राज्यपाल सोमवार को विशेष सत्र बुलाएंगे?

जवाब: राज्यपाल ने शुक्रवार रात कैबिनेट से कोरोना का हवाला देने और जल्दबाजी में विशेष सत्र बुलाने जैसे 6 सवाल पूछे थे। इससे लगता है कि राज्यपाल सोमवार को या इमरजेंसी में सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देंगे। यदि कैबिनेट ने दूसरी बार राजभवन को प्रस्ताव भेजा तो नियमानुसार राज्यपाल मना भी नहीं कर सकते। लेकिन, तुरंत सत्र की गुंजाइश नहीं लग रही है।

4. आखिर सत्र क्यों बुलाना चाहते हैं गहलोत?

जवाब: सत्र बुलाना तो बहाना है। मंशा बिल लाकर व्हिप जारी करना है, जो बागी बिल के खिलाफ वोट देंगे उनकी सदस्यता रद्द होगी। इसीलिए राज्यपाल को जो पत्र दिया, उसमें फ्लोर टेस्ट का उल्लेख नहीं। 19 की विधायकी गई तो बहुमत को 92 विधायक चाहिए जो सरकार के पास हैं।

5. भाजपा की सत्र बुलाने में रुचि क्यों नहीं है?

जवाब: भाजपा नहीं चाहती कि सरकार सत्र बुलाकर पायलट गुट पर एक्शन ले। वह चाहती है कि 19 विधायकों की सदस्यता बची रहे और जरूरत पड़े तो सरकार को हिला सकें।

सियासी संग्राम से पहले विधानसभा में स्थिति

107 कांग्रेस

और अब ये हालात

गहलोत के पक्ष में: 88 कांग्रेस, 10 निर्दलीय, 2 बीटीपी, 1 आरएलडी, 1 माकपा यानी कुल 102

पायलट गुट: 19 बागी कांग्रेस, 3 निर्दलीय। कुल 22

भाजपा प्लस: 72 भाजपा, 3 आरएलपी। कुल 75

माकपा 1 : गिरधारी मईया फिलहाल तटस्थ।



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14 जुलाई को स्पीकर जाेशी ने पायलट सहित 19 विधायकों को अयाेग्यता का नोटिस दिया था। जिसके बाद से मामला पहले हाइकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।


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उत्तराखंड के 61 फीसदी हिस्से में न कोई थाना है, न कोई पुलिस, रेवेन्यू डिपार्टमेंट ही करता है पुलिस का काम

साल 1861 की बात है। 1857 के सैन्य विद्रोह से घबराए अंग्रेजों ने देश में अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए नए-नए कानून लागू करने का सिलसिला शुरू कर दिया था। इसी क्रम में साल 1861 में ‘पुलिस ऐक्ट’ भी लागू किया गया। इसके तहत देशभर में पुलिसिया व्यवस्था का ढांचा तैयार किया गया लेकिन खर्च कम करने के लिए दुर्गम इलाकों में पुलिस की जिम्मेदारी राजस्व विभाग के अधिकारियों को ही सौंप दी गई।

देश की आज़ादी के बाद इस व्यवस्था में बदलाव हुए। पुलिस महकमा मज़बूत किया गया और देश के कोने-कोने में लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस चौकियां खोली गईं। महिला पुलिस की तैनाती की गई। अलग-अलग तरह की हेल्पलाइन शुरू हुई। वक्त के साथ पुलिस विभाग को लगातार आधुनिक प्रशिक्षण और तकनीक से समृद्ध किया जाने लगा।

लेकिन, उत्तराखंड का अधिकांश क्षेत्र इन तमाम चीजों से अछूता ही रहा। यह तथ्य कई लोगों को हैरान कर सकता है कि आज़ादी के इतने सालों बाद, आज भी उत्तराखंड का अधिकांश हिस्सा पुलिस व्यवस्था से अछूता ही है।

अपने खेत में हल जोतता हुआ किसान। यहां के ज्यादातर लोगों की जीविका खेती पर निर्भर है।

उत्तराखंड राज्य का 61 प्रतिशत हिस्सा आज भी ऐसा है, जहां न तो कोई पुलिस थाना है, न कोई पुलिस चौकी और न ही यह इलाका उत्तराखंड पुलिस के क्षेत्राधिकार में आता है। यहां आज भी अंग्रेजों की बनाई वह व्यवस्था जारी है, जहां पुलिस का काम राजस्व विभाग के कर्मचारी और अधिकारी ही करते हैं। इस व्यवस्था को ‘राजस्व पुलिस’ कहा जाता है।

राजस्व पुलिस का मतलब है कि पटवारी, लेखपाल, कानूनगो और नायब तहसीलदार जैसे कर्मचारी और अधिकारी ही यहां राजस्व वसूली के साथ-साथ पुलिस का काम भी करते हैं। कोई अपराध होने पर इन्हीं लोगों को एफआईआर भी लिखनी होती है, मामले की जांच-पड़ताल भी करनी होती है और अपराधियों की गिरफ्तारी भी इन्हीं के जिम्मे है। जबकि इनमें से किसी भी काम को करने के लिए इनके पास न तो कोई संसाधन होते हैं और न ही इन्हें इसका प्रशिक्षण मिलता है।

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में काम करने वाली महिलाएं, काम के बाद अपने घर लौटती हुईं।

जौनसार इलाके के रहने वाले सुभाष तराण कहते हैं, ‘यह व्यवस्था उस दौर तक तो ठीक थी जब पहाड़ों में कोई अपराध नहीं होते थे लेकिन आज के लिए यह व्यवस्था ठीक नहीं है। अब पहाड़ भी अपराधों से अछूते नहीं हैं और पुलिस न होने के चलते अपराधी तत्वों को लगातार बल मिल रहा है। पटवारी के पास एक लाठी तक नहीं होती। आधुनिक हथियार तो बहुत दूर की बात है। ऐसे में अगर कहीं कोई अपराध होता है तो इलाके का पटवारी चाह कर भी त्वरित कार्रवाई नहीं कर सकता।’

साल 2018 में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने इस व्यवस्था को समाप्त करने के आदेश दिए थे। तब एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस आलोक सिंह की खंडपीठ ने आदेश दिए थे कि छह महीने के भीतर पूरे प्रदेश से राजस्व पुलिस की व्यवस्था समाप्त की जाए और सभी इलाकों को प्रदेश पुलिस के क्षेत्राधिकार में शामिल किया जाए। लेकिन, इस आदेश के ढाई साल बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

उत्तराखंड के खेत में काम करता मजदूर। यहां के लोग काफी मेहनती होते हैं।

अल्मोड़ा से क़रीब 15 किलोमीटर दूर कपड़खान गांव में रहने वाले नवीन पांगती कहते हैं, ‘हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी इस व्यवस्था का बने रहना सीधे-सीधे कोर्ट की अवमानना करना है। इसके लिए संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही।’

प्रदेश के डीजी (लॉ एंड ऑर्डर) अशोक कुमार इस संबंध में कहते हैं, ‘हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी इस दिशा में फ़िलहाल कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह एक प्रशासनिक निर्णय है लिहाज़ा मैं इस संबंध में टिप्पणी नहीं कर सकता।'

उत्तराखंड राज्य के कुछ लोग राजस्व पुलिस की इस व्यवस्था से संतुष्ट भी नजर आते हैं। इन लोगों का तर्क है कि दुर्गम पहाड़ी इलाकों में अपराध न के बराबर होते हैं लिहाज़ा वहां पुलिस की जरूरत भी नहीं और पुलिस थाने खुलने से पहाड़ों में भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा।

लेकिन नवीन पांगती ऐसे तर्कों का विरोध करते हुए कहते हैं, ‘जो लोग ख़ुद देहरादून और हल्द्वानी जैसे शहरी इलाकों में बैठे हैं, वही लोग ऐसे कुतर्क करते हैं। हम लोग यहां इस व्यवस्था में रह रहे हैं तो हम ही जानते हैं कि इसके नुकसान क्या हैं। हमारे पास आपात स्थिति में सौ नम्बर जैसी कोई भी हेल्पलाइन पर फोन करने की सुविधा नहीं है। कोई अपराध होता है तो हम अपनी पहचान छिपाकर अपराध की शिकायत नहीं कर सकते क्योंकि इसकी भी कोई व्यवस्था ही नहीं है।’

देहरादून जिले की त्यूणी तहसील भी ऐसा ही एक इलाका था जो कुछ साल पहले तक राजस्व पुलिस के अंतर्गत आता था। अब यहां उत्तराखंड की पुलिस तैनात है।

नवीन पांगती आगे कहते हैं, ‘जो लोग यह तर्क देते हैं कि पुलिस थाना खुलने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा, उनसे पूछना चाहिए कि भ्रष्टाचार तो न्यायालयों में भी है तो क्या न्याय व्यवस्था को ही समाप्त कर दिया जाए! ऐसे तर्क सिर्फ इसलिए दिए जाते हैं ताकि कुछ चुनिंदा लोगों के हित सधते रहें। पहाड़ों में चरस से लेकर तस्करी तक का धंधा खुलेआम होता है। इसे रोकने के लिए यहां कोई पुलिस नहीं है और इसमें शामिल लोग चाहते भी नहीं कि यहां कभी पुलिस आए।’

देहरादून जिले की त्यूणी तहसील भी ऐसा ही एक इलाका था जो कुछ साल पहले तक राजस्व पुलिस के अंतर्गत आता था। साल 2016 में जब यहां पुलिस थाना खुला तो शुरुआत में इसका जमकर विरोध हुआ। इस थाने में तैनात पुलिस उप निरीक्षक संदीप पंवार कहते हैं, ‘यहां ड्रग्स का धंधा काफी तेजी से चलता था। हिमाचल बॉर्डर से लगे होने के कारण इसकी तस्करी भी जमकर होती थी और कच्ची शराब भी यहां जमकर बनाई जाती थी। लेकिन, थाना खुलने के बाद इस पर नियंत्रण हुआ है। स्थानीय लोग अब कई बार आकर हमें कहते हैं कि पुलिस के आने से उन्हें अब सुरक्षित महसूस होता है जबकि पहले शाम के 7 बजे के बाद ही सड़कों पर नशेड़ियों का कब्जा हो जाया करता था।

उत्तराखंड राज्य के कुछ लोग राजस्व पुलिस की इस व्यवस्था से संतुष्ट भी नज़र आते हैं। इनका मानना है कि यहां अपराध न के बराबर है इसलिए पुलिस की जरूरत नहीं है।

राजस्व पुलिस की व्यवस्था को ख़त्म करने की मांग काफी समय से होती रही है। साल 2013 में केदारनाथ में आपदा आई थी तो प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा था कि ‘यदि प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था होती तो आपदा से होने वाला नुकसान काफी कम हो सकता था क्योंकि पुलिस के जवान आपात स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित भी होते हैं और व्यवस्था बनाने में भी पुलिस की अहम भूमिका होती है जो राजस्व पुलिस वाली व्यवस्था में संभव नहीं।’



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उत्तराखंड राज्य का 61 फीसदी हिस्सा आज भी ऐसा है जहां न तो कोई पुलिस थाना है, न कोई पुलिस चौकी। यहां आज भी अंग्रेजों की बनाई वह व्यवस्था जारी है जहां पुलिस का काम राजस्व विभाग के कर्मचारी और अधिकारी ही करते हैं।


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एक मैच खेलने के लिए करोड़ों मिलेंगे, टी20 वर्ल्ड कप में सिर्फ 5 लाख मिलते; आईपीएल से बीसीसीआई को भी 4 हजार करोड़ का फायदा

आखिरकार आईपीएल की तारीख तय हो गई। अब ये 19 सितंबर से 8 नवंबर के बीच यूएई में खेला जाएगा। टी-20 वर्ल्ड कप टलने से आईपीएल का रास्ता साफ हो गया। कई लोग कह रहे हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट पर फ्रेंचाइजी क्रिकेट या यूं कहें कि पैसे का खेल भारी पड़ गया।

दरअसल, दुनिया के सबसे अमीर बोर्ड के खिलाड़ी पूरा वर्ल्ड कप खेलकर जितना कमाते उसका दो से पांच गुना वो सिर्फ एक आईपीएल मैंच से कमा लेंगे। इसे ऐसे समझें, वर्ल्ड कप में एक मैच खेलने पर टीम इंडिया के खिलाड़ियों को 5 लाख मिलते। वहीं, आईपीएल में एक मैच खेलने पर कोहली को करीब 1.2 करोड़ मिलेंगे तो रोहित को 1 करोड़।

ये तो रही खिलाड़ियों की बात। अगर बीसीसीआई की बात करें तो उसकी भी सबसे ज्यादा कमाई आईपीएल पर ही टिकी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में बीसीसीआई को 3 हजार 730 करोड़ रुपए की कमाई होने का अनुमान था। जिसमें से ढाई हजार करोड़ रुपए की कमाई सिर्फ आईपीएल के जरिए होने की उम्मीद थी। उसके अलावा 950 करोड़ रुपए सीरीज, टूर्नामेंट से और 380 करोड़ रुपए आईसीसी से मिलने का अनुमान था। यानी कि बीसीसीआई की कमाई में 67% से ज्यादा हिस्सा आईपीएल का है।

आईपीएल का एक मैच खेलने के लिए विराट को मिलेंगे 1.21 करोड़ रुपए
टीम इंडिया के कप्तान और आईपीएल में आरसीबी के कप्तान विराट कोहली आईपीएल के सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। उन्हें इस साल भी आरसीबी ने 17 करोड़ रुपए में रिटेन किया है। आईपीएल में हर टीम लीग के 14-14 मैच तो खेलती ही है। इस हिसाब से विराट कोहली को हर मैच के लिए 1.21 करोड़ रुपए मिलेंगे। विराट के बाद रोहित शर्मा को भी मुंबई इंडियंस ने 15 करोड़ रुपए में रिटेन किया है। यानी, उन्हें भी हर मैच के लिए 1.07 करोड़ रुपए मिलते हैं।


टी20 वर्ल्ड कप खेलते तो हर मैच के सिर्फ 5 लाख मिलते
बीसीसीआई दुनिया का सबसे रईस क्रिकेट बोर्ड है और जितनी फीस भारतीय खिलाड़ियों को मिलती है, उतनी दुनिया के किसी भी क्रिकेटर्स को नहीं मिलती है। बीसीसीआई की कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट में 27 खिलाड़ी हैं। इन खिलाड़ियों को ए+, ए, बी और सी ग्रेड में रखा गया है। ए+ ग्रेड में 7 करोड़ रुपए, ए ग्रेड में 5 करोड़, बी ग्रेड में 3 करोड़ और सी ग्रेड में सालाना 1 करोड़ रुपए मिलते हैं।

इनके अलावा मैच फीस अलग से मिलती है। टीम इंडिया के खिलाड़ियों को एक टेस्ट मैच खेलने के लिए 15 लाख रुपए, वनडे मैच के लिए 7 लाख रुपए और टी20 मैच के लिए 5 लाख रुपए मिलते हैं।

अक्टूबर-नवंबर में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को लीग के 5 मैच खेलने थे। उसके बाद अगर टीम सेमीफाइनल और फाइनल भी खेलती, तो 7 मैच ही होते। हर मैच से 5 लाख रुपए ही मिलते, तो इस हिसाब से विराट कोहली को वर्ल्ड कप से 25 लाख से 35 लाख रुपए मिलते। लेकिन, आईपीएल में हर मैच के लिए ही उन्हें इससे 4 से 5 गुना रकम मिल रही है।


आईपीएल होने से बीसीसीआई को 4 हजार करोड़ का फायदा होगा
आईपीएल से बीसीसीआई को जितनी कमाई होती है, उतनी कमाई उसे टीम इंडिया के सालभर होने वाले टूर्नामेंट से भी नहीं होती। जब इस साल आईपीएल रद्द की बात हो रही थी, तब बीसीसीआई प्रेसिडेंट सौरव गांगुली ने कहा था कि अगर आईपीएल रद्द होता है, तो इससे बोर्ड को 4 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा।

बोर्ड को हर साल 3 हजार 269 करोड़ रुपए ब्रॉडकास्टिंग राइट्स से मिलते हैं। स्टार ने आईपीएल के ब्रॉडकास्टिंग राइट्स 5 साल के लिए 16,347.5 करोड़ रुपए में खरीदे हैं। एक मैच के लिए स्टार बीसीसीआई को 55 करोड़ रुपए देता है यानी हर बॉल पर 23.3 लाख रुपए।

स्टार के अलावा वीवो ने भी 5 साल के लिए आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप 2 हजार 199 करोड़ रुपए में हासिल की है। यानी हर सीजन के लिए वीवो बोर्ड को 239 करोड़ रुपए देता है।


आईपीएल की ब्रांड वैल्यू पिछले साल 13.5% बढ़ी थी
ग्लोबल एडवाइजर कंपनी डफ एंड फेल्प्स ने सितंबर 2019 में आईपीएल की ब्रांड वैल्यू को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, आईपीएल की ब्रांड वैल्यू 2018 की तुलना में 2019 में 13.5% बढ़ गई थी।

2018 में आईपीएल की ब्रांड वैल्यू 41 हजार 800 करोड़ रुपए थी, जो 2019 में बढ़कर 47 हजार 500 करोड़ रुपए हो गई थी।

न सिर्फ आईपीएल, बल्कि इसमें खेलने वाली टीम्स की ब्रांड वैल्यू भी लगातार बढ़ रही है। सबसे ज्यादा 809 करोड़ रुपए की ब्रांड वैल्यू मुंबई इंडियंस की है। उसके बाद चेन्नई सुपरकिंग्स है।


आईपीएल से सिर्फ बीसीसीआई को ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों को भी फायदा
आईपीएल न होने से सिर्फ बीसीसीआई को ही नुकसान नहीं होता, बल्कि दूसरे देशों को भी नुकसान होता। आईपीएल में 60 से ज्यादा विदेशी खिलाड़ी खेल रहे हैं। इन खिलाड़ियों को करीब 250 करोड़ रुपए में खरीदा गया है।

न सिर्फ खिलाड़ियों को, बल्कि इंटरनेशनल क्रिकेट बोर्ड को भी पैसा मिलता है। बीसीसीआई आईपीएल से मिलने वाले रेवेन्यू का कुछ हिस्सा अलग-अलग क्रिकेट बोर्ड के साथ शेयर करता है।

इनसाइड स्पोर्ट्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में बीसीसीआई ने इंटरनेशनल क्रिकेट बोर्ड के साथ शेयर होने वाले रेवेन्यू में 100% की बढ़ोतरी कर दी थी। इससे बीसीसीआई पर करीब 25 करोड़ रुपए का खर्चा बढ़ गया था।

बीसीसीआई सबसे ज्यादा 19.13 करोड़ रुपए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को देता है। आईपीएल में सबसे ज्यादा विदेशी खिलाड़ी भी ऑस्ट्रेलिया के ही खेलते हैं। इस साल 17 ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी खेल रहे हैं। नेपाल क्रिकेट बोर्ड को बीसीसीआई की तरफ से 4 लाख रुपए मिलते हैं। नेपाल का सिर्फ एक ही खिलाड़ी आईपीएल खेलता है, जिसे 20 लाख रुपए में खरीदा है।

आईपीएल से पाकिस्तान के खिलाड़ियों को भी 12 करोड़ रुपए से ज्यादा मिले हैं। 2008 में आईपीएल के पहले सीजन में 11 पाकिस्तानी खिलाड़ी भी खेले थे, जिन्हें 12.84 करोड़ रुपए में खरीदा गया था। लेकिन, उसके बाद से आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर रोक लगा दी गई।

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जहां मुस्लिम पक्ष को जमीन मिली है, वहां धान की फसल लगी है; लोग चाहते हैं कि मस्जिद के बजाए स्कूल या अस्पताल बने

साहब हम तो चाहते हैं कि यहां मस्जिद के बदले हॉस्पिटल या कोई कॉलेज बने। आसपास तो बहुत सारी मस्जिदें हैं लेकिन कोई बढ़िया हॉस्पिटल या बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं है। हालांकि, हमारी राय का क्या मतलब, कौन सा जिम्मेदार लोग मान लेंगे।" यह कहना है धन्नीपुर गांव के मोहम्मद इस्लाम का।
60 साल के मोहम्मद इस्लाम कहते हैं कि जब 1992 में अयोध्या समेत पूरे देश मे दंगा-फसाद हुआ, तब इस गांव में शांति थी। यहां मुस्लिम भाई और हिन्दू भाई तब भी मिलकर रह रहे थे, आज भी मिलकर रह रहे हैं। धन्नीपुर गांव में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित की है। अयोध्या से गोरखपुर हाइवे की तरफ लगभग 28 किमी जाने पर रौनाही थाने के पीछे ही जमीन है।
धन्नीपुर गांव में यूपी सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित की है। अयोध्या से 28 किमी की दूरी पर यह गांव है।
क्या हो रहा है मस्जिद के लिए आवंटित जमीन पर
रौनाही थाने से पहले ही गांव की तरफ जाने वाली रोड पर बैरिकेडिंग लगी है। पूछने पर पता चला कि गांव में एक ही परिवार के 4 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। दूसरा रास्ता थाने के आगे ही था। उस रास्ते पर बढ़ने पर 100 मीटर चलकर ही बाएं हाथ पर कृषि विभाग का फॉर्म हाउस बना हुआ है।
उसी फॉर्म हाउस में सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन आवंटित की गई है। हालांकि, जमीन पर इस वक्त धान की फसल लहलहा रही है। कृषि फॉर्म हाउस में कुछ मजदूर है जो खेतों में खाद डाल रहे बात करने पर पता चला वह यहां मजदूरी करते हैं। खेतों में खाद डाल रहे बेचूराम कहते है कि कृषि फॉर्म हाउस में पूरब में 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। जब जमीन पर फैसला हुआ था तब अधिकारी आये थे।
उसके बाद से यहां कोई नहीं आया। 28 सालों से इसी जमीन पर मजदूरी करने वाले बेचूराम कहते है कि अभी जुलाई में धान की रोपाई की गई है। हालांकि, इस फसल पर मालिकाना हक किसका होगा?, इस सवाल पर वह कहते है कि अभी तो कृषि विभाग ही फसल का मालिक है।
यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को आवंटित की गई है। अभी यहां धान की फसल लगी हुई है।
कैसा है गांव का माहौल

कृषि फॉर्म हाउस में ही हमारी मुलाकात धन्नीपुर गांव के प्रधान राकेश यादव से हुई। उन्होंने बताया कि कभी-कभी अधिकारी आते रहते है, लेकिन कोई काम यहां अभी शुरू होने की नौबत नही आई। राकेश कहते है कि जब मस्जिद के लिए यहां जमीन आवंटित हुई। तब पहली बार हमारा गांव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना गया।

हम लोग चाहते है कि यहां हॉस्पिटल या कॉलेज के साथ साथ मस्जिद भी बने ताकि उसकी वजह से यहां पर्यटक आएंगे और हमारे गांव का विकास भी होगा। राकेश कहते है कि मस्जिद को लेकर अभी कोई काम नही शुरू हुआ है लेकिन, राममंदिर को लेकर लोगों में उत्साह जरूर है।

धन्नीपुर गांव के प्रधान राकेश यादव कहते हैं कि हम लोग चाहते है कि यहां हॉस्पिटल या कॉलेज के साथ साथ मस्जिद भी बने ताकि उसकी वजह से यहां पर्यटक आएंगे और हमारे गांव का विकास भी होगा।
1992 में कुछ नहीं हुआ तो अब भी कुछ नहीं होगा
धन्नीपुर गांव में अंदर जाने पर सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान पर कुछ युवा और बुजुर्ग दिखाई पड़े तो उनसे हमारी बात हुई। 80 दशक गुजार चुके अतिउल्ला कहते हैं कि हमारे पुरखे यहां खेती करते थे हम भी यही काम कर रहे हैं। यहां मंदिर बने मस्जिद बने हमें कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि उसके बाद भी हमें आखिर करनी तो मजूरी ही है। 1992 के दंगों के बारे में बात करने वह कहते है कि जब अयोध्या जल रही थी तो हमारा गांव शांत था।
80 साल की शकुंतला बताती हैं कि हमारे गांव में सब मिलकर रहते हैं, यहां कोई दंगा नहीं होता है।
यहां हिन्दू मुसलमानों ने आपस मे भाईचारा बनाये रखा और कुछ भी गलत नही हो पाया। उस वक्त को याद कर 80 साल की शकुंतला भी कहती हैं कि जब हम लोगों को खबर मिली कि अयोध्या में दंगा हो गया है तो यही पर गांव के जवान और बुजुर्ग इकट्ठा हुए और सब लोगों ने तय किया कि हम सब एक रहेंगे और किसी भी बाहरी को गांव में आने नही देंगे। जैसे आज गांव में कोरोना की वजह से बाहरी लोगों को नहीं आने देते है, वैसे ही उस समय रोक लगा दी थी। पुलिस की गश्त चलती रहती थी, लेकिन चाहे हिन्दू हो या मुसलमान सब आराम से रह रहे थे।
धन्नीपुर गांव में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए रास्ता बंद कर दिया गया है, ताकि कोई बाहर से नहीं आ सके।
गांव के बुजुर्ग खेती से जुड़े तो ज्यादातर युवा है प्रवासी मजदूर
सरकारी गल्ले की दुकान पर ही कई युवा भी मिले। बातचीत में पता चला कि ज्यादातर लोग लॉकडाउन दिल्ली, मुंबई से गांव में लौटकर आये हुए है। सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले अरविंद ने बताया कि यहां ज्यादातर लोग खेती से जुड़े हैं। बुजुर्ग गांव में खेती करते है तो युवा प्रवासी मजदूर है।
दूसरे राज्यों से अभी लौटे है तो गांव में चहल पहल दिख रही है। इन लड़कों का मानना है कि कुछ ऐसा बने ताकि युवाओं को यहीं रोजगार मिल जाये। जिससे उन्हें बाहर न जाना पड़े। बहरहाल, जमीन पर कुछ काम न होने से लोग निराश भी है।
मस्जिद के लिए आवंटित जमीन से सटा है शाहगदा शाह बाबा की मजार
कृषि फॉर्म में मस्जिद के लिए आवंटित जमीन से ही सटी हुई शाहगदा शाह बाबा की मजार है। गांव वाले बताते है कि यहां हर साल अप्रैल के अंत मे उर्स होता है, जहां देशभर से जायरीन आते हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से अबकी यहां उर्स नही मनाया गया। यहां हर गुरुवार भी मेला लगता है लेकिन कोरोना की वजह से वह भी बन्द है। कोई इक्का-दुक्का आ गया तो आ गया। प्रधान राकेश बताते है कि जब गांव में जमीन आवंटित हुई थी, तब हम सबको उम्मीद थी कि उर्स के बहाने ही सही लोग जमीन देखने के लिए उमड़ेंगे। लेकिन, कोरोना की वजह से सब मामला खराब हो गया।
मस्जिद के लिए आवंटित जमीन से ही सटी हुई शाहगदा शाह बाबा की मजार है।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार बोले-जमीन वक्फ बोर्ड को मिली हमसे मतलब नहीं
अयोध्या में मीडिया वालों से घिरे बाबरी मस्जिद के एक पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने बातचीत में कहा कि धन्नीपुर में जमीन का सुन्नी वक्फ बोर्ड क्या करता है क्या नहीं करता है, हम इसके जिम्मेदार नहीं है। जब तक अयोध्या का मसला था, तब तक हम मामले में शामिल रहे। तब हमारी कौम का मसला था।
हालांकि, उन्होंने कहा कि हम पहले भी मांग कर चुके है कि वहां हॉस्पिटल या कॉलेज बनाया जाए क्योंकि वहां आसपास लगभग 22 मस्जिदें हैं। लेकिन, अब अयोध्या में सब सही है। फैसला आ चुका है। सबको मंजूर है। हम चाहेंगे कि हमें भूमिपूजन के लिए आ रहे पीएम का स्वागत का मौका दिया जाए।
बाबरी मस्जिद के एक पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि धन्नीपुर में जमीन का क्या करना है, यह तय सुन्नी वक्फ बोर्ड करेगा। मुझे इससे कोई मतलब नहीं है।
अयोध्या में भूमिपूजन की तैयारी में जुटा ट्रस्ट
शनिवार को सीएम योगी के अयोध्या दौरे के बाद राममंदिर के लिए पीएम द्वारा आगामी 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन की तैयारियां शुरू हो गयी है। श्री रामजन्म भूमि ट्रस्ट द्वारा अपील की गई है कि 5 अगस्त को भारत और अन्य देशों में रहने वाले सभी रामभक्त सुबह 11.30 बजे से 12.30 बजे भजन - कीर्तन करें, आरती करें। अपने घर ,मोहल्ले ,बाज़ार, मठ मन्दिर,आश्रम में दीप जलायें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार मन्दिर निर्माण के लिए दान का संकल्प करें ।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ शनिवार को अयोध्या पहुंचे थे। उन्हें जन्मभूमि पहुंचकर पूजा भी की।
प्रशासन ने भी शुरू की तैयारियां
शनिवार को सीएम योगी के दौरे के बाद अयोध्या में भी पीएम मोदी के आगमन को लेकर प्रशासन एक्शन में आ गया है। कमिश्नर एमपी अग्रवाल ने बताया कि 5 अगस्त को पीएम के आगमन को लेकर हम तैयारी कर रहे हैं। अभी तय हुआ है कि पीएम के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण दूरदर्शन के द्वारा किया जाएगा।
कार्यक्रम स्थल पर संतों को और वीआईपी मेहमानों को ले जाने के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। कार्यक्रम स्थल पर वाटरप्रूफ टेंट लगाए जाएंगे। साथ ही उम्मीद है कि हेलीपैड साकेत कॉलेज में बनाया जाएगा। ऐसे में साकेत डिग्री कॉलेज से 2 किमी दूरी का रास्ता पीएम गाड़ी द्वारा तय कर सकते हैं। ऐसे में इस 2 किमी रोड पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहेंगे।
गांव के युवाओं का कहना है कि कुछ ऐसा बनाया जाए ताकि उन्हें रोजगार मिल सके और लोगों को बाहर कमाने के लिए नहीं जाना पड़े।
बीते 31 मार्च को खत्म हो चुका है सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल
बीते 31 मार्च को सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल खत्म हो चुका है। बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी के पास चार्ज है। उन्होंने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि जमीन की पैमाइश हो चुकी है। जैसा कि पहले बताया गया था कि मस्जिद बनाने के लिए ट्रस्ट का गठन होगा तो यह काम भी पूरा हो चुका है। जल्द ही ट्रस्ट में कौन-कौन होगा इसका भी ऐलान होगा। जल्द ही धन्नीपुर में भी मस्जिद के साथ-साथ इंडो इस्लामिक सेंटर और लाइब्रेरी बनाने का काम शुरू किया जाएगा।


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Ground Report From Dhannipur village : Babri Masjid, Ram Mandir, Ayodhya


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