शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

दिल्ली में बेकिंग सीख मां को जम्मू भेजती थीं रेसिपी; नौकरी छोड़ 2 लाख रुपए से शुरू किया केक का बिजनेस, 50 हजार रुपए महीना कमाती हैं

जम्मू की रहने वाली तान्या गुप्ता दिल्ली में बतौर शेफ इंस्ट्रक्टर नौकरी करती थीं, मोटी तनख्वाह थी, लेकिन जनवरी में वो नौकरी छोड़कर जम्मू आ गईं। तान्या को अपना बिजनेस करना था इसलिए उन्होंने अपने बचपन के कुकिंग के शौक को ही करियर में बदलने का निर्णय लिया। कुछ दिनों बाद ही तान्या ने अपनी सेविंग के 2 लाख रुपयों से 'द बेकिंग वर्ल्ड ' की शुरुआत की। आज वे इस बिजनेस से करीब 50 हजार रुपए महीना कमा रही हैं।

बिजनेस की शुरुआत के लिए तान्या ने अपने घर के किचन को ही वर्कशॉप में बदला और बाजार से बेकिंग का सामान और बाकी वर्कशॉप आइटम्स भी खरीद लाईं। शुरुआत में तान्या ने अपने कुछ दोस्तों और जान-पहचान के लोगों को वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर कॉन्टैक्ट किया। लोगों को उनके केक पसंद आने लगे और तान्या के बिजनेस ने रफ्तार पकड़नी शुरू की। लेकिन, इस बीच कोरोना महामारी के चलते देश भर में लॉकडाउन हुआ तो तान्या का बिजनेस भी बंद हो गया, लेकिन तान्या हार मानने वालों में से नहीं थीं।

तान्या दिल्ली में शेफ इंस्ट्रक्टर के तौर पर नौकरी करती थीं।

लॉकडाउन को अवसर और चुनौती के तौर पर देखा

तान्या कहती हैं कि ‘लॉकडाउन के वक्त को मैंने अपने लिए अवसर के तौर पर देखा, यह मेरे लिए एक चुनौती थी कि कैसे मैं लोगों को घर बैठे टेस्टी और हाईजीनिक केक और बेकरी प्रोडक्ट्स पहुंचा सकती हूं। जेहन में ये भी था कि चाहें लॉकडाउन हो, लेकिन लोग बर्थडे और वेडिंग एनिवर्सरी तो मनाएंगे ही और ऐसे मौकों पर केक सबसे जरूरी चीज है।’

ऐसे में तान्या ने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पेज बनाकर अपने केक और बेकरी आइटम्स को प्रमोट करना शुरू किया। अगले हफ्ते से ही उनके पास ऑनलाइन और ऑन कॉल केक के ऑर्डर आने लगे।

तान्या लोगों के आइडिया के मुताबिक, केक तैयार करने लगीं और इसके साथ-साथ क्वालिटी और स्वाद से कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं किया।

तान्या के 'द बेकिंग वर्ल्ड ' पर अब केक के अलावा पेस्ट्री, कप केक, ब्राउनी, कुकीज जैसे बेकरी आइटम्स भी ऑर्डर पर तैयार किए जाते हैं। तान्या के पिता एक बिजनेसमैन और मां हाउसवाइफ हैं। मां केक मेकिंग में उन्‍हें सपोर्ट करती हैं, हालांकि रेसिपी तान्या की होती है।

'द बेकिंग वर्ल्ड' में तान्या केक के अलावा अन्य बेकरी आइटम्स भी बनाती हैं।

स्कूल से था कुकिंग का शौक, साल भर पहले स्पेशल ट्रेनिंग भी ली

तान्या की मां सीमा गुप्ता बताती हैं, ‘तान्या को शुरू से ही कुकिंग का शौक था, खासतौर से बेकिंग का। वो स्कूल टाइम से ही कुछ न कुछ ट्राय करती थी। कॉन्वेंट से स्कूलिंग के बाद तान्या ने जम्मू यूनिवर्सिटी से बीए इन होम साइंस किया। साल 2018 में जब तान्या दिल्ली गई तो वहां बेकिंग की स्पेशल ट्रेनिंग के लिए उसने ट्रफल नेशन स्कूल ज्वाइन किया। शौक तो पहले ही था, लिहाजा तान्या चार-पांच महीने में ही सब कुछ सीख गई और फिर वहां नौकरी भी करने लगी।’

तान्या वहां बतौर शेफ इंस्ट्रक्टर नौकरी करती थीं। इस दौरान वे जम्मू में अपनी मां को रेसिपी बताकर केक भी बनवाती थीं। तब तक तान्या यह केक परिचितों और दोस्तों को ही गिफ्ट करती थीं। जनवरी में जब तान्या जम्मू लौटीं तो 'द बेकिंग वर्ल्ड' की शुरुआत की।

तान्या कहती है कि अभी उन्हें सोशल मीडिया पर और प्रमोशन करना है। 'द बेकिंग वर्ल्ड' का प्लान जम्मू और बाकी शहरों में भी बेकिंग स्टोर खोलने का है। तान्या के माता-पिता कहते हैं कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है। वो न केवल अपने पैरों पर खड़ी हुई, बल्कि फाइनेंशियली आत्मनिर्भर होकर बिजनेस कर रही हैं।



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Cake business started from Delhi for two lakh rupees; Today Tanya of Jammu is earning 50 thousand every month


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क्या है टीआरपी? क्या इसमें छेड़छाड़ कर न्यूज चैनल को फायदा पहुंचाया जा सकता है?

मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गुरुवार को कहा कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) इंडिया के डिवाइस में छेड़छाड़ कर टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) बढ़ाए जा रहे हैं। उन्होंने रिपब्लिक समेत कुछ चैनल्स के नाम भी लिए। हालांकि, रिपब्लिक टीवी का दावा है कि एफआईआर में उसका नहीं बल्कि इंडिया टुडे का नाम है। सवाल यह उठता है कि क्या कोई भी चैनल इस तरह टीआरपी प्रभावित कर सकता है?

सबसे पहले, क्या है टीआरपी?

  • टीआरपी यानी टेलीविजन रेटिंग पॉइंट। यह किसी भी टीवी प्रोग्राम की लोकप्रियता और ऑडियंस का नंबर पता करने का तरीका है। किसी शो को कितने लोगों ने देखा, यह टीआरपी से पता चलता है।
  • यदि किसी शो की टीआरपी ज्यादा है तो इसका मतलब है कि लोग उस चैनल या उस शो को पसंद कर रहे हैं। एडवर्टाइजर्स को टीआरपी से पता चलता है कि किस शो में एडवर्टाइज करना फायदेमंद रहेगा।
  • सरल शब्दों में टीआरपी बताता है कि किस सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के कितने लोग कितनी देर किस चैनल को देख रहे हैं। यह एक घंटे में, एक दिन में या एक हफ्ते का कुछ समय हो सकता है।

चैनलों के लिए टीआरपी का क्या महत्व है?

  • टीआरपी से ही पता चलता है कि किस चैनल को कितने लोग देख रहे हैं। किस शो की लोकप्रियता ज्यादा है। इसी आधार पर वे अपना प्रमोशनल प्लान तैयार करते हैं और एडवर्टाइजमेंट देते हैं।
  • ज्यादा से ज्यादा एडवर्टाइज चाहिए तो टीआरपी भी अच्छी होना आवश्यक है। इसकी वजह से ही ज्यादातर चैनल टीआरपी को महत्व देते हैं। जिसे ज्यादा लोग देख रहे हैं, उसे ही प्रमोट करते हैं।

टीआरपी को कैल्कुलेट कैसे करते हैं?

  • बार्क (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) ने करीब 45 हजार घरों में डिवाइस लगाया है, जिसे बार-ओ-मीटर या पीपल मीटर कहते हैं। यह मीटर शो में एम्बेड वाटरमार्क्स को रिकॉर्ड करता है।
  • बार्क रिमोट में हर घर के प्रत्येक सदस्य के लिए अलग बटन होता है। शो देखते समय उन्हें वह बटन दबाना होता है, जिससे बार्क को यह पता चलता है कि किस शो को परिवार के किस सदस्य ने कितनी देर देखा।
  • इसी आधार पर बार्क बताता है कि 20 करोड़ टीवी देखने वाले परिवारों में शो या प्रोग्राम देखने का पैटर्न क्या है या 84 करोड़ दर्शक क्या देख रहे हैं और कितनी देर क्या देखना पसंद करते हैं।
  • इन परिवारों को 2015 में नए कंज्यूमर क्लासिफिकेशन सिस्टम (एनसीसीएस) के तहत 12 कैटेगरी में बांटा गया है। इसमें परिवार का मुख्य कमाने वाले सदस्य की पढ़ाई के स्तर के साथ ही घर में बिजली के कनेक्शन से लेकर कार तक की उपलब्धता को आधार बनाया जाता है।
  • बार्क एक इंडस्ट्री बॉडी है, जिसका संयुक्त मालिकाना हक एडवर्टाइजर्स, एड एजेंसियों और ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों के पास है। इंडियन सोसायटी ऑफ एडवर्टाइजर्स, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन और एडवर्टाइजिंग एजेंसी एसोसिएशन ऑफ इंडिया इसके संयुक्त मालिक है।

बार्क के डेटा का इस्तेमाल कैसे होता है?

  • हर गुरुवार को बार्क अपना डेटा जारी करता है। यह ऑडियंस के डेमोग्राफिक्स- उम्र, शिक्षा, आय आदि में बांटकर बताता है कि किसी शो को कितने लोग कितनी देर देख रहे हैं। इस पर चैनल की एडवर्टाइजमेंट रेवेन्यू निर्भर करती है।
  • इसका मतलब यह है कि पूरा देश क्या देख रहा है, यह इन 45 हजार परिवारों के टीवी पर लगे डिवाइस बताते हैं। बार्क इन डिवाइस को गोपनीय रखता है, लेकिन छेड़छाड़ के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। मुंबई पुलिस कमिश्नर के आरोप इसी कड़ी में नए आरोप हैं।
  • फिक्की और अर्न्स्ट एंड यंग की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारत का टीवी उद्योग 78,700 करोड़ रुपए का रहा। इसमें भी एडवर्टाइजर्स के लिए टीआरपी ही मुख्य क्राइटेरिया रहा एडवर्टाइज करने का।

टीवी चैनल्स टीआरपी को कैसे प्रभावित कर सकते हैं?

  • टीवी चैनल्स दो तरह से टीआरपी को प्रभावित करते हैं। पहला, यदि उन्हें पता चल जाए कि बार-ओ-मीटर या पीपल मीटर कहां लगे हैं तो वे उन परिवारों को सीधे कैश या गिफ्ट के जरिए अपने चैनल देखने को प्रेरित करते हैं। दूसरा, वे केबल ऑटरेटर्स या मल्टी-सिस्टम ऑपरेटर्स के जरिए यह सुनिश्चित करते हैं कि दर्शकों को उनके चैनल सबसे पहले दिखें।


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TRP Scam: Republic TV India Today News: What Is TRP Manipulation | And How It Is Calculated? Importance Of (Target Rating Point) For News Media Channels?


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2015 में 8 सीटों पर हार-जीत का अंतर हजार से भी कम था; जिन 10 सीटों पर सबसे ज्यादा अंतर से जीत मिली, उनमें से 6 पर जदयू उम्मीदवार थे

बात 2008 की है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए थे। यहां की नाथद्वारा सीट पर कांग्रेस के सीपी जोशी और भाजपा के कल्याण सिंह चौहान के बीच बेहद दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला था। हुआ ये था कि यहां से चार बार के विधायक और सीएम पद के उम्मीदवार सीपी जोशी महज 1 वोट से हार गए थे। उन्हें 62,215 वोट मिले थे और कल्याण सिंह को 62,216।

सीपी जोशी की हार की वजह भी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, जिस दिन वोटिंग हो रही थी, उस दिन उनकी पत्नी और बेटी मंदिर चली गईं और वोट नहीं डाल पाई। बाद में सीपी जोशी ने खुद इस बारे में बताया था। 2008 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन सीपी जोशी की हार के कारण अशोक गहलोत के सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया।

अब एक किस्सा और सुन लीजिए। 2004 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए। यहां की संतेमरहल्ली सीट पर जनता दल सेक्युलर के उम्मीदवार एआर कृष्णमूर्ति भी सिर्फ एक वोट से कांग्रेस के ध्रुवनारायण आर से हार गए थे। कहते हैं कि एआर कृष्णमूर्ति के ड्राइवर को छुट्टी नहीं मिली थी और वो वोट नहीं डाल पाया था।

आप सोचेंगे कि चुनाव तो बिहार में हैं और बात राजस्थान-कर्नाटक की हो रही है। ऐसा इसलिए ताकि पता चल सके कि चुनाव में एक-एक वोट कि कितनी अहमियत होती है।

बिहार में तो आजतक ऐसा कोई उदाहरण देखने को मिला जब कोई उम्मीदवार एक वोट से हारा हो। लेकिन, बिहार के चुनावी इतिहास में ऐसे उदाहरण जरूर हैं, जब उम्मीदवारों की जीत का अंतर 50 से भी कम रहा है। इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे कि पिछले चुनाव में ऐसी कौनसी सीटें थीं, जहां जीत का अंतर हजार से भी कम रहा था। साथ ही ये भी बताएंगे कि किन सीटों पर उम्मीदवारों ने लंबे अंतर से जीत दर्ज की थी। इसके अलावा ये भी कि पिछले 10 चुनावों में कौन-कौन से उम्मीदवार 50 से भी कम अंतर से जीते।



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Bihar Election: Smallest Margin Victory Seats In 2015 | Here's All You Need To Know With Latest Vidhan Sabha Seats Update


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बाबा चौक पर पहुंच गए बाबा, पान में चूना लगाते दुकानदार ने कहा- नीतीश कुमार को कम नय बूझिए, राजद के साथ भी जा सकते हैं!

यह बाबा चौक है। रात के आठ बजे रहे हैं। पटेल नगर से आगे और केशरी नगर से पहले पड़ता है बाबा चौक। यहां से पूरब की तरफ सड़क बोरिंग रोड तक जाती है। उत्तर की तरफ केशरी नगर और राजीव नगर हैं और दक्षिण की तरफ पटेल नगर। दरअसल यह तीन मुहाना है। चौक तो कहने के लिए है। पूरब की ओर जाने वाली सड़क पर एक खुला नाला है, जिसका पानी थोड़ी ही बारिश में सड़क के लेवल तक आ जाता है। नाला ऐसा खुला हुआ कि हादसे आम बात हैं। हाल ही में एक बड़ा ट्रक नाले में गिर चुका है। नाला और सड़क के बीच कोई बैरिकेडिंग नहीं। सड़क भी जहां-तहां से ऐसी धंसी हुई कि लोग इधर से जाना पसंद नहीं करते। यह राजधानी के दीघा विधानसभा इलाके के विकास की एक तस्वीर है।

इसी बाबा चौक पर बीते 10 साल से कन्हैयाजी मछली बेच रहे हैं। जाति के मल्लाह हैं। नाले पर ही बांस डालकर बैठने और मछली बेचने का इंतजाम है। कई बार मछली फिसलकर नाले में चली जाती है। पर बेचना है तो बेचना है। जिंदा मछली भी है इनके पास। उनको भरोसा है कि रेल लाइन हटाकर फोर लेन बनने का काम पूरा होते ही इस नाले पर काम शुरू होगा। कहते हैं 'हम राजनीति बहुत' कम समझते हैं, लेकिन सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी गलत जगह थे। हमको पता था उनके साथ गड़बड़ होगा। अब सही जगह चले गए हैं… बीजेपी में।'

कन्हैयाजी से बात चल ही रही है कि उनकी पत्नी ललिता देवी आ गई हैं। कहती हैं 'दो-तीन साल से दौड़ रहे हैं राशन कार्ड बनवाने के लिए, लेकिन बन ही नहीं रहा। वार्ड नंबर-7 के पार्षद जयप्रकाश सहनी हैं। उनको वोट भी दिए पर वे कार्ड नहीं बनवा पा रहे हैं।' कहते हैं, मेरे खाते में कोई एक हजार रुपया नहीं आया। उनकी इच्छा है कि नीतीश कुमार ही फिर से आएं। क्यों? इसलिए कि गांव में बहुत काम हुआ है!

बातों के बीच ही, कांग्रेस की स्टेट वर्किंग कमेटी में रह चुके शशिकांत तिवारी आ गए हैं। एकदम लकदक कुर्ता पायजामा में फिट। काफी उत्साह में हैं। कहते हैं- ‘भाजपा के साथ लोजपा की मिलीभगत है। इसका बड़ा फायदा महागठबंधन को होगा। हमारे वोटर कन्फ्यूज नहीं हैं।’ तिवारी जी को इस बात का दुख है कि कांग्रेस के तीन सिटिंग एमएलए का टिकट कट गया इस बार।

बाबा चौक पर अब एक बाबा की एंट्री भी हो चुकी है। अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं। नाम है गुड्डू बाबा। नन्दन पान दुकान पर बातचीत करते हुए गुड्डू बाबा बिहार की राजनीतिक उथल-पुथल पर कहते हैं, 'मुट्ठी भर लोकतंत्र के ठेकेदार अपनी औकात बताने में लगे हैं। यह शुभ संकेत है और आने वाले समय में युवा, सामाजिक कार्यकर्ता, किसानों, गरीबों के बच्चे चुनाव में उतरेंगे। ये वही गुड्डू बाबा हैं, जो जनहित याचिका के जरिए जनहित के कई फैसले कोर्ट से करा चुके हैं।' सवाल करते हैं- आज तक नाला खतरनाक तरीके से खुला हुआ क्यों है? बताते हैं कि उनके कोर्ट जाने के बाद अब डेढ़ सौ वेंडिंग जोन बन रहे हैं। लोगों में सिस्टम के प्रति काफी आक्रोश है।

कहते हैं कि 'पढ़ाई-लिखाई शास्त्रीनगर स्कूल, पटना से हुई। ये तब क्या था, अब क्या है जो जानते हैं वही समझेंगे! शास्त्रीनगर आवासीय कॉलोनी का हाल ही देख लीजिए, रोना आ जाएगा! 1970 में यह चकाचक कॉलोनी थी।'

बाबा ई बताइए, आप चुनाव लड़ने निकले हैं तो कुर्ता-पायजामा काहे नहीं धारण किए? आप अभी सफेद शर्ट, सफेद पैंट और सफेद स्पोर्ट्स शूज में घूम रहे हैं?

जोर से बोले, ‘नेता का ढोंग मैं नहीं करता, मैं समाज का आदमी हूं। जिद्दी होना मेरी पहचान है इसलिए घर से निकल पड़ा हूं।’ काफी देर से ई सब सुनते पान दुकानदार त्रिभुवन सिन्हा भी बोल ही पड़े...‘राजनीति हम खूब समझते हैं। हमको मालूम था भाजपा नीतीश के साथ गेम करेगी। देखे, हो गया ना गेम।’ कहते हैं पांच साल में दीघा में क्या काम हुआ है, सामने देख लीजिए। अंदर की सब सड़क ही कंडम है। पान के पत्ते में चूना-कत्था का तालमेल बनाते हुए बोले- ‘चलिए छोड़िए, नीतीश कुमार अब का करेंगे यही बता दीजिए...।’ कहते हैं नीतीश कुमार को कम मत बूझिए। फिर राजद के साथ जा सकते हैं...। यह एक तरह से बातचीत खत्म करने का संकेत भी है...दुकान पर ग्राहक जो बढ़ चुके हैं।



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Bihar Election 2020; Patna Locals Political Debate On Nitish Kumar RJD BJP NDA


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एक साल में 88 देशों में 9.7 करोड़ लोगों तक मदद पहुंचा चुके यूएन के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को शांति के नोबेल के लिए चुना गया

वर्ल्ड फूड प्रोग्राम संगठन (डब्लूएफपी) को साल 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है। नॉर्वे की नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट राइस एंडर्सन ने शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा की। उन्होंने बताया कि 2019 में 88 देशों के करीब 9.7 करोड़ लोगों तक वर्ल्ड फूड प्रोग्राम से सहायता पहुंची।

नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए इस साल 318 नॉमिनेशन आए थे। इनमें 211 शख्सियतें और 107 संगठन शामिल थे। यह भी खबर थी कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का भी नाम शामिल था।

वर्ल्ड फूड प्रोग्राम दुनिया भर में भूख को मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा संगठन है। संगठन ने कोरोना के दौर में दुनियाभर में जरूरतमंदों को खाना खिलाने और मदद करने में भी अहम भूमिका निभाई। कोरोना महामारी के दौरान वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की जिम्मेदारी और बढ़ गई है, क्योंकि भूख से जूझ रहे लोगों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। संस्था का कहना है कि जब तक वैक्सीन नहीं आती, तब तक खाना ही सबसे अच्छी वैक्सीन है।

संस्था ने कहा- हमारे स्टाफ के काम को पहचान मिली
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने कहा है कि नोबेल मिलने से उसके स्टाफ के काम को पहचान मिली है, जिसने दुनिया के 10 करोड़ से ज्यादा भूखे बच्चों और महिला-पुरुषों की मदद में पूरी ताकत लगा दी।

वर्ल्ड फूड प्रोग्राम संगठन क्या है?
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशंस) की फूड प्रोग्राम से जुड़ा एक संगठन है। यह जरूरतमंदों को खाना खिलाता है और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देता है। इस संगठन को 1961 में बनाया गया था।



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Nobel Peace Prize Winners 2020 | World Food Programme wins the Nobel Peace Prize


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दो विधायकों को उम्रकैद, एक कोर्ट से बचा तो पीड़िता ने चाकू घोंपकर मार डाला, दो की पत्नियां इस बार राजद प्रत्याशी

बिहार चुनाव का बिगुल बज गया है, तारीखों ऐलान भी हो गया है और करीब-करीब उम्मीदवारों की घोषणा भी। इस बीच हाथरस कथित गैंगरेप घटना के बाद कांग्रेस ने कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में वह रेप के आरोपी को टिकट नहीं देगी। लेकिन, उसकी ही सहयोगी राजद ने रेप केस में सजा काट रहे और फरार विधायकों की पत्नियों को टिकट दिया है। वहीं जदयू ने उन्हीं मंजू वर्मा को टिकट दिया है, जिन्हें मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस के बाद पार्टी ने निलंबित किया था। मंजू वर्मा अभी जमानत पर हैं।

राजबल्लभ यादव : नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में उम्र कैद, पत्नी को मिला नवादा से टिकट

राजबल्लभ यादव नवादा से राजद विधायक हैं। बिहार के शायद ऐसे पहले विधायक, जिन्हें पद पर रहते हुए उम्र कैद की सजा मिली है। इस बार के चुनाव के लिए राजद ने इनकी पत्नी विभा देवी को नवादा से टिकट दिया है। पटना की एक विशेष अदालत ने इन्हें एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में दो साल पहले उम्र कैद की सजा सुनाई थी। तब से वे जेल में हैं।

तारीख 6 फरवरी 2016, 15 साल की एक लड़की बिहारशरीफ में किराए के मकान में रहकर पढ़ाई करती थी। उसके पड़ोस में रहने वाली एक महिला उसे एक बर्थडे पार्टी में चलने की बात कहकर नवादा से राजद विधायक राजबल्लभ के बंगले पर ले गई। जब नाबालिग लड़की वहां पहुंची तो देखा कि न तो कोई मेहमान यहां है और न ही कोई पार्टी हो रही है। एक कमरे में विधायक राजबल्लभ बैठा था।

उसने लड़की को अपने कमरे में बुलाया और उसे पोर्न वीडियो दिखाई और कहा कि जो कुछ उस वीडियो में हो रहा है, वह भी करे। लड़की ने ऐसा करने से इनकार किया तो धमकी दी, फिर गार्ड से कहा कि सब मिलकर इसका रेप करो। लड़की नहीं मानी तो विधायक ने उसके साथ दुष्कर्म किया और किसी को ये बात न बताए इसके लिए 30 हजार रु और जान से मारने की धमकी भी दी।

विधायक की धमकी के बाद भी लड़की ने हिम्मत दिखाई और 9 फरवरी 2016 को बिहारशरीफ के महिला थाने में एफआईआर दर्ज करवाई। अगले दिन पुलिस लड़की को उस बंगले पर लेकर गई, जहां उसका रेप हुआ था। लड़की को कुछ तस्वीरें दिखाई गईं, जिसमें से उसने राजबल्लभ की पहचान कर ली। इसके बाद विधायक की गिरफ्तारी के आदेश जारी हुए तो राजबल्लभ फरार हो गए।

राजबल्लभ यादव नवादा से राजद विधायक हैं। पटना की विशेष अदालत ने उन्हें रेप केस में उम्र कैद की सजा सुनाई है।

राजद पर राजनीति दबाव बढ़ा तो पार्टी ने राजबल्लभ को निलंबित कर दिया। 10 मार्च 2016 को राजबल्लभ ने स्थानीय कोर्ट में सरेंडर कर दिया। इसके बाद मामला पटना की एक विशेष अदालत के पास गया, जहां 15 दिसंबर, 2018 को राजबल्लभ दोषी करार दिए गए। 21 दिसंबर को सजा का ऐलान हुआ और राजबल्लभ को ताउम्र जेल में जिंदगी गुजरने की सजा मिली।

राजबल्लभ के पिता कांग्रेसी थे, जबकि भाई कृष्ण प्रसाद यादव राजद के विधायक और लालू यादव के बहुत करीब रहे। उन्हीं की बदौलत 1990 में लालू को मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल हुई थी। कुछ दिन बाद सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई।

योगेंद्र नारायण सरदार: रात में सोई हुई लड़की को घर से किडनैप कर गैंगरेप, 25 साल बाद उम्र कैद की सजा

करीब 26 साल पहले नवंबर 1994 की बात है। सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज में लड़की अपनी मां के साथ घर पर सोई हुई थी। रात करीब 12 बजे योगेंद्र अपने साथियों के साथ उसके घर पहुंचे और उसके हाथ-पैर बांधकर उठा ले गए। दूसरी जगह ले जाकर सभी ने उसके साथ गैंग रेप किया। उसके प्राइवेट पार्ट को भी चोट पहुंचाई। किसी तरह लड़की जान बचाकर भाग पाई थी। इसके बाद लड़की ने अपने परिवार को आपबीती बताई।

तब राज्य में राजद की सरकार थी। योगेंद्र छतरपुर से राजद की सीट पर विधायक थे। मामला पुलिस तक पहुंचा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो दिन तक केस दर्ज नहीं हुआ। जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ। उसके बाद पॉलिटिकल प्रेशर बढ़ा तो विधायक के खिलाफ केस दर्ज किया गया। हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच हुई थी, इसमें डॉक्टरों ने रिपोर्ट में धारदार से हथियार कर नाजुक अंग को जख्मी करने की बात कही थी। करीब 25 साल बाद 31 जनवरी 2020 को सुपौल के कोर्ट ने विधायक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

अरुण यादव : सेक्स रैकेट के केस में पति फरार, पत्नी को राजद ने बनाया उम्मीदवार

संदेश से राजद विधायक अरुण यादव पिछले 1 साल से फरार हैं। उनके ऊपर भी एक नाबालिग के साथ बलात्कार का आरोप है। इस बार आरजेडी ने उनकी पत्नी किरण देवी को संदेश विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला पति के बड़े भाई विजेंद्र यादव से है। जिन्हें जदयू ने टिकट दिया है।

राजद विधायक अरुण यादव पर एक नाबालिग के साथ बलात्कार का आरोप है। वे अभी फरार चल रहे हैं।

अरुण यादव पर पिछले साल एक नाबालिग ने दुष्कर्म और सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगाया था। लड़की ने कहा था कि नौकरी लगाने के नाम पर ये लोग लड़कियों को पटना बुलाते हैं और वहां उनसे दुष्कर्म करते हैं। वह लड़की जैसेतैसे इनके चंगुल से भागने में कामयाब रही थी। बाहर आकर पीड़िता ने अपनी आपबीती सुनाई थी। उसने फेसबुक पर एक वीडियो भी पोस्ट किया था। इसके बाद अरुण यादव पर पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। उनकी संपत्ति भी जब्त कर ली गई है। अरुण यादव 2015 में भाजपा के संजय सिंह को हराकर विधायक बने थे।

राजकिशोर केसरी : कोर्ट से सजा नहीं मिली तो चाकू घोंप कर विधायक की हत्या

करीब एक दशक पहले बिहार के पूर्णिया में एक सनसनी फैला देने वाली घटना हुई थी। तारीख 4 जनवरी 2011, पूर्णिया के भाजपा विधायक राजकिशोर केसरी अपने आवास पर जनता दरबार लगाए हुए थे, लोगों की समस्याओं के समाधान में जुटे थे कि एक महिला अचानक से उनके पास पहुंची और धारदार चाकू से एक के बाद एक उनपर कई हमले कर दिए। चारों तरफ सनसनी फैल गई, विधायक को आनन-फानन अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

विधायक की हत्या जिस महिला ने की थी, उनका नाम था रूपम पाठक। वही रूपम पाठक, जिन्होंने घटना के एक साल पहले विधायक पर रेप का आरोप लगाया था। रुपम पूर्णिया के ही एक निजी स्कूल में पढ़ाती थीं। उन्होंने विधायक पर आरोप लगाया था कि विधायक ने पिछले तीन साल से उनके साथ दुष्कर्म किया है। हालांकि, कोर्ट में वह इसे साबित नहीं कर पाई थीं। रूपम पाठक अभी उम्र कैद की सजा काट रही हैं। विधायक की हत्या के बाद उपचुनाव में भाजपा ने राजकिशोर की पत्नी किरन देवी को मैदान में उतारा था और जीत भी गईं थीं।

गुलाब यादव : इस बार नहीं मिला झंझारपुर से टिकट

गुलाब यादव बिहार के झंझारपुर से राजद के विधायक हैं। इस बार उनका टिकट कट गया है। यह सीट राजद की सहयोगी भाकपा माले के खाते में गई है। इससे पहले गुलाब यादव 2019 लोकसभा का भी चुनाव लड़ चुके हैं। जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2015 के विधानसभा में दिए अपने एफिडेविट में उन्होंने अपने ऊपर रेप के केस की जानकारी दी थी। 2006 में दो दलित लड़कियों ने उनपर रेप का आरोप लगाया था, हालांकि बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई थी।



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राजबल्लभ यादव, योगेन्द्र नारायण सरदार, अरुण यादव, राजकिशोर केसरी और गुलाब यादव। (ऊपर से नीचे)


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कहानी उसकी जिस पर हत्या-किडनैपिंग जैसे 31 केस, 5 साल बाद जेल से छूटकर दोबारा सांसद और बेस्ट परफॉर्मिंग एमपी बने; लव स्टोरी भी दिलचस्प है

“जिंदगी में नाम कमाने की ख्वाहिश बचपन से ही रही। नन्हा बालक रहा होउंगा, जब मैं मां को ये गाना सुनाता था- ‘माता मुझको बंदूक दे दो, मैं सरहद पर जाऊंगा...दुश्मन को मार भगाऊंगा।’ ये पंक्तियां मैंने कहां सीखीं, याद नहीं। लेकिन मां बताती हैं कि मैं काफी कम उम्र में ये गाना गाता था। नाम कमाने की ख्वाहिश से जुड़ी एक और बात है। जब मैं मां को कहा करता था कि ‘मां ये सर्किट हाउस में जो नेता लोग आए हैं, उन पर अगर बम फोड़ दूं तो मेरा नाम हो जाएगा।’ मां ने मेरी महत्वाकांक्षा को ध्यान में रखते हुए मैट्रिक परीक्षा के बाद एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) की परीक्षा से जुड़ीं किताबें लाकर दीं और बोलीं कि अगर मैं सच में नाम कमाना चाहता हूं तो मुझे एनडीए की तैयारी करनी चाहिए। लेकिन, इस तरह मैं नाम नहीं कमाना चाहता था।”

ये बात जिसने लिखी है, उसकी गिनती बिहार के बाहुबली नेताओं में होती है। उनका नाम तो है राजेश रंजन, लेकिन लोग पप्पू यादव के नाम से जानते हैं, बुलाते हैं। पप्पू यादव ने ये बातें अपनी आत्मकथा ‘द्रोहकाल का पथिक’ में लिखी है, जो उन्होंने जेल में लिखी थी।

पप्पू यादव एक बार विधायक और 5 बार सांसद रहे हैं। वो पहले राजद में थे, लेकिन 2015 में उन्होंने जन अधिकार नाम से अपनी पार्टी बना ली। चर्चा है कि पप्पू यादव मधेपुरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। पप्पू ने 2019 में मधेपुरा से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए थे।

31 क्रिमिनल केस दर्ज हैं, इनमें हत्या-किडनैपिंग जैसे मामले शामिल

पप्पू यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त जो एफिडेविट दाखिल किया था, उसमें उन्होंने अपने ऊपर 31 क्रिमिनल केस होने की बात मानी थी। इनमें से 9 केस में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। हत्या के मामले में उन्हें सजा भी मिल चुकी है। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।

माकपा नेता की हत्या के मामले में मिली थी सजा

पप्पू यादव का जन्म 24 दिसंबर 1967 को बिहार के पूर्णिया जिले में हुआ था। इसी पूर्णिया जिले की पूर्णिया विधानसभा सीट पर विधायक थे माकपा के अजीत सरकार। वो यहां से 1980 में पहली बार जीते थे और उसके बाद लगातार 1985, 1990 और 1995 में भी जीते

अजीत सरकार उन दिनों काफी चर्चित नेता थे और अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे। कहते हैं कि वो कभी प्रचार के लिए भी नहीं जाते थे। जब उनके कार्यकर्ता कहते कि ऐसे तो आप चुनाव हार जाएंगे, तो वो कहा करते थे, हमने जो काम किए हैं, वही हमारा प्रचार है।

वो 14 जून 1998 का दिन था। इस दिन दिनदहाड़े कुछ लोगों ने उन पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं और उनकी मौत हो गई। इस गोलीबारी में पार्टी के कार्यकर्ता अशफाकुल रहमान और उनके ड्राइवर हरेंद्र शर्मा की भी मौत हो गई।

उनके भाई कल्याण ने मुकदमा दर्ज कराया। बाद में उनकी हत्या की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई की जांच में पप्पू यादव का नाम भी आया। 10 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने पप्पू यादव, राजन तिवारी और अनिल यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई।

बाद में इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसने मई 2013 में अपना फैसला दिया। पप्पू यादव को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। हालांकि, सीबीआई ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

लव स्टोरी भी बड़ी दिलचस्प, फिल्मी कहानी की तरह

पप्पू यादव की लव स्टोरी भी बड़ी दिलचस्प है और किसी फिल्मी कहानी से कम भी नहीं है। बात 1991 की है। उस समय पप्पू बांकीपुर जेल में बंद थे। जेल में बंद पप्पू अक्सर जेल अधीक्षक के घर से लगे मैदान में लड़कों को खेलते देखा करते थे। इन लड़कों में एक था विक्की। बाद में विक्की से पप्पू यादव की नजदीकी बढ़ी।

कहानी में ट्विस्ट तब आया जब एक दिन पप्पू ने विक्की के फैमिली एल्बम में टेनिस खेलती रंजीत की तस्वीर देखी। फोटो देखकर पप्पू रंजीत पर फिदा हो गए। पप्पू अक्सर उस टेनिस क्लब पहुंच जाया करते थे, जहां रंजीत टेनिस खेला करती थीं। रंजीत को ये सब पसंद नहीं था। उसने कई बार मना किया, लेकिन पप्पू नहीं माने।

बाद में जैसे-तैसे रंजीत तो मान गईं, लेकिन परिवार वाले नहीं माने। रंजीत सिक्ख थीं और पप्पू हिंदू। तब किसी ने उन्हें सलाह दी कि उस समय कांग्रेस के नेता रहे एसएस अहलूवालिया उनकी मदद कर सकते हैं। उनसे मिलने पप्पू दिल्ली जा पहुंचे और मदद की गुहार लगाई। पप्पू यादव की आत्मकथा में भी इसका जिक्र है। आखिरकार रंजीत के परिवार वाले मान गए और फरवरी 1994 में दोनों की शादी हो गई। अब दोनों का एक बेटा सार्थक और एक बेटी प्रकृति है।

पप्पू यादव 5 बार और उनकी पत्नी रंजीत दो बार लोकसभा सांसद रही हैं।

पप्पू यादव कहते हैं, ‘मैं धन्यवाद देता हूं रंजीत जी को कि उन्होंने मेरे प्यार को समझा। तीन साल तक हमारी दोस्ती चली थी। पूरे संघर्ष के बाद भी उन्होंने मेरा साथ दिया। फरवरी 1992 से चल रहे प्रेम प्रसंग के बाद मेरी शादी 1994 में हुई। वो दौर बड़ा संघर्ष वाला था। उस समय एक-दूसरे से मिलना, पटना आना-जाना, बहुत बड़ी बात थी। मैं खुशनसीब हूं कि मुझे बहुत अच्छी पत्नी मिली हैं।’

रंजीत रंजन भी सांसद रही हैं। उन्होंने पहली बार 1995 में विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। उसके बाद उन्होंने 2004 का लोकसभा चुनाव सहरसा से लड़ा और जीत गईं। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सुपौल से लड़ीं, लेकिन हार गईं। 2014 में रंजीत फिर कांग्रेस से सुपौल से ही लड़ीं और जीत गईं। 2019 में भी रंजीत कांग्रेस के टिकट पर सुपौल से लड़ी थीं, लेकिन जदयू के दिलेश्वर कामत से हार गई थीं।

5 साल बाद जेल से छूटकर सांसद बने, बेस्ट परफॉर्मिंग एमपी बने

पप्पू यादव ने 2008 से 2013 तक 5 साल जेल में बिताए। क्योंकि, 2008 में उन्हें सजा मिल चुकी थी, इसलिए उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई थी। 2013 में जब वो जेल से छूटे तो अगले ही साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मधेपुरा से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता।

अगले साल 2015 में पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने एक डेटा दिया। इसमें उसने पप्पू यादव को ‘बेस्ट परफॉर्मिंग एमपी’ बताया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पप्पू यादव ने लोकसभा की 57 बहसों में हिस्सा लिया था। इतनी बहसों में बिहार के 40 सांसदों में से किसी ने भी हिस्सा नहीं लिया था।



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पप्पू यादव को बिहार का बाहुबली नेता माना जाता है। लेकिन वो खुद को बाहुबली नहीं मानते।


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लगातार 3 हार के बाद शारजाह में लौटी राजस्थान रॉयल्स, दोनों मैच यहीं जीते; दिल्ली के पास पॉइंट्स टेबल में टॉप पर पहुंचने का मौका

आईपीएल के 13वें सीजन का 23वां मैच राजस्थान रॉयल्स (आरआर) और दिल्ली कैपिटल्स (डीसी) के बीच आज शारजाह में खेला जाएगा। लगातार 3 मैच हारने के बाद राजस्थान जीत की पटरी पर वापस आना चाहेगी। राजस्थान ने सीजन में अब तक 5 मैच खेले हैं। जिन 2 मुकाबलों में उसने जीत दर्ज की है, वे शारजाह में खेले गए थे। दोनों में राजस्थान ने 200+ का स्कोर बनाया था। दूसरी ओर, दिल्ली इस मैच को जीतकर पॉइंट्स टेबल में टॉप पर आना चाहेगी।

दोनों टीमों के बीच खेले गए पिछले 5 मैचों की बात करें, तो दिल्ली ने 3 और राजस्थान ने 2 मैच जीते हैं। पिछले सीजन में दिल्ली और राजस्थान के बीच 2 मैच खेले गए थे, दोनों बार दिल्ली ने राजस्थान को हराया था।

राजस्थान ने शारजाह में सबसे बड़ा टारगेट चेज किया था
शारजाह में ही पंजाब के खिलाफ तो राजस्थान ने आईपीएल इतिहास का सबसे बड़ा टारगेट चेज किया था। वहीं सीजन में राजस्थान ने अबु धाबी में 2 और दुबई में एक मैच खेला है, तीनों में उसे हार का सामना करना पड़ा है।

दिल्ली की टीम शानदार फॉर्म में
दिल्ली के बल्लेबाज और गेंदबाज शानदार फॉर्म में हैं। ओपनर पृथ्वी शॉ और शिखर धवन टीम को अच्छी शुरुआत दिला रहे हैं। इसके बाद कप्तान श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत और मार्कस स्टोइनिस भी आक्रामक बल्लेबाजी कर रहे हैं। वहीं, गेंदबाजी में कगिसो रबाडा, एनरिच नोर्तजे, रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल भी शानदार फॉर्म में हैं।

बटलर, सैमसन पर रहेगी नजर
राजस्थान रॉयल्स की बैटिंग टॉप-3 बल्लेबाजों पर निर्भर है। कप्तान स्टीव स्मिथ, जोस बटलर और संजू सैमसन पर टीम को अच्छी शुरुआत दिलाने की जिम्मेदारी होगी। वहीं गेंदबाजी में जोफ्रा आर्चर के साथ बाकी गेंदबाजों को भी विकेट निकालने होंगे।

दोनों टीमों के सबसे महंगे खिलाड़ी
दिल्ली में ऋषभ पंत 15 करोड़ और शिमरॉन हेटमायर 7.75 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं। वहीं, राजस्थान में कप्तान स्मिथ 12.50 करोड़ और संजू सैमसन 8 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं।

मौसम रिपोर्ट
शारजाह में आसमान साफ रहेगा। तापमान 24 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। शारजाह में पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। शारजाह में टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। शारजाह में पिछले 13 टी-20 में पहले बल्लेबाजी वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 69% रहा है।

  • इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 13
  • पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 9
  • पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 4
  • पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 149
  • दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 131

दिल्ली अकेली टीम, जो अब तक फाइनल नहीं खेली; राजस्थान ने 1 बार खिताब जीता
दिल्ली अकेली ऐसी टीम है, जो अब तक फाइनल नहीं खेल सकी। हालांकि, दिल्ली टूर्नामेंट के शुरुआती दो सीजन (2008, 2009) में सेमीफाइनल तक पहुंची थी। वहीं, राजस्थान ने आईपीएल (2008) का पहला सीजन अपने नाम किया था।

आईपीएल में राजस्थान का सक्सेस रेट दिल्ली से ज्यादा
आईपीएल में राजस्थान का सक्सेस रेट दिल्ली से ज्यादा है। दिल्ली ने अब तक कुल 182 मैच खेले हैं। 81 मैच में उसे जीत मिली और 99 में उसे हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली का लीग में सक्सेस रेट 44.72% है। वहीं, राजस्थान ने अब तक कुल 152 मैच खेले हैं। 77 में उसे जीत मिली और 73 में उसे हार का सामना करना पड़ा। राजस्थान का लीग में सक्सेस रेट 47.52% है।



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RR vs DC Head To Head Record - Predicted Playing DREAM11 - IPL Match Preview Update | Rajasthan Royals vs Delhi Capitals IPL Latest News


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गुजरात में इस बार गरबा नहीं होगा; देश में लगातार तीसरे हफ्ते संक्रमितों से ज्यादा मरीज ठीक हुए; अब तक 69.03 लाख केस

कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार गुजरात सरकार ने राज्य में गरबा महोत्सव की इजाजत नहीं दी है। पंडालों में सिर्फ मूर्ति स्थापित करके पूजा-आरती की जा सकती है। हालांकि, मूर्ति को स्पर्श करने की अनुमति नहीं होगी। पूरे देश की बात करें तो कुछ राहत देने वाली खबर है। लगातार तीन हफ्ते हो चुके हैं जब नए संक्रमितों से ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं।

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 69 लाख 3 हजार 812 हो गया है। राहत की बात है कि इनमें 59 लाख 3 हजार 207 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 8 लाख 93 हजार 41 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। पिछले 22 दिनों में एक्टिव केस सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। 17 सितंबर को यह 10 लाख 17 हजार से ज्यादा थे। संक्रमण के चलते अब तक 1 लाख 6 हजार 521 मरीजों की मौत हो चुकी है।

अगले महीने भारत संक्रमण के सबसे ऊपर हो सकता है
देश में अब हर रोज कोरोना के 70 से 80 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं। यही रफ्तार रही तो नवंबर के पहले हफ्ते में भारत दुनिया का सबसे ज्यादा संक्रमण वाला देश हो जाएगा। मौजूदा केस की संख्या के अनुसार 7 नवंबर तक देश में 91 लाख 70 हजार से ज्यादा मामले होंगे, जबकि अमेरिका हर रोज 40 से 45 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं। इस लिहाज से यहां 7 नवंबर तक 91 लाख 40 हजार केस होंगे।

भारत के लिए अच्छी बात है कि रोजाना बढ़ने वाले केस में करीब 30 से 35 हजार की कमी आई है। एक समय था जब हर दिन 90 से 97 हजार मामले सामने आ रहे थे। अब यह घटकर 70 से 80 हजार हो गए हैं। यही नहीं एक्टिव केस भी पिछले दो हफ्ते से लगातार कम हो रहे हैं। 17 सितंबर को देश में 10.17 लाख एक्टिव केस हो गए थे जो अब घटकर 8.93 लाख रह गए हैं। मौत की रफ्तार में भी कमी देखी गई है। पिछले एक हफ्ते से लगातार एक हजार से कम मौतें हो रहीं हैं। यह भी देश के लिए एक अच्छा संकेत है।

कोरोना अपडेट्स...

  • केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर दर्शनार्थियों के लिए 15 अक्टूबर तक बंद किया गया। यहां दो पुजारियों समेत स्टाफ के कई लोग संक्रमित पाए गए हैं।
  • सरकार ने कोरोना के वैक्सीन को रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की पहचान शुरू कर दी है। सूत्रों ने कहा कि कोल्ड चेन की क्षमता को सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, केरल, तेलंगाना और दिल्ली में बढ़ाया जाना चाहिए। इसके अलावा असम, झारखंड, पंजाब और ओडिशा में भी कोल्ड स्टोरेज तैयार करने होंगे।

पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश

गुरुवार को 1705 केस आए, 2420 मरीज ठीक हुए, जबकि 15 संक्रमितों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 42 हजार 12 केस आ चुके हैं, 1 लाख 22 हजार 687 लोग ठीक हो चुके हैं, 16 हजार 778 संक्रमितों का इलाज चल रहा है, जबकि 2547 मरीजों की मौत हो चुकी है।

2. राजस्थान

गुरुवार को 2138 केस आए, 2092 मरीज ठीक हुए, जबकि 15 मरीजों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 52 हजार 605 केस आ चुके हैं। 1 लाख 29 हजार 618 मरीज ठीक हो चुके हैं, 21382 का इलाज चल रहा है, जबकि 1605 मरीज जान गंवा चुके हैं। राज्य में अब तक 32.91 लाख से ज्यादा टेस्टिंग हो चुकी है।

3. बिहार

गुरुवार को 1244 केस आए, 1006 लोग ठीक हुए और 2 की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 92 हजार 671 केस आ चुके हैं। इनमें से 1 लाख 80 हजार 357 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 929 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। 11 हजार 384 मरीजों का इलाज चल रहा है।

4. महाराष्ट्र

गुरुवार को 13 हजार 397 केस आए, 15 हजार 575 मरीज ठीक हुए और 358 की मौत हो गई। राज्य में अब तक 14 लाख 93 हजार 884 केस आ चुके हैं। इनमें से 12 लाख 12 हजार 16 ठीक हो चुके हैं, 2 लाख 41 हजार 986 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 39 हजार 430 मरीजों की मौत हो चुकी है।

5. उत्तरप्रदेश

गुरुवार को 3133 केस आए, 3690 मरीज ठीक हो गए, 45 की मौत हो गई। राज्य में अब तक 4 लाख 27 हजार 459 केस आ चुके हैं, 3 लाख 78 हजार 662 मरीज ठीक हो चुके हैं, 42 हजार 552 का इलाज चल रहा है, जबकि 6245 की मौत हो चुकी है।



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रामविलास पासवान का पार्थिव शरीर दिल्ली में उनके सरकारी घर पर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया, प्रधानमंत्री मोदी ने श्रद्धांजलि दी

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का पार्थिव शरीर आज सुबह करीब 9.30 बजे एम्स से उनके 12 जनपथ स्थित सरकारी घर पर लाया गया। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पासवान को श्रद्धांजलि दी। शाम 3 बजे पासवान का पार्थिव शरीर प्लेन से पटना ले जाया जाएगा। वहां लोजपा ऑफिस में भी अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा। शनिवार को पटना के दीघा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

रामविलास पासवान का गुरुवार को 74 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हो गया। वे पिछले कुछ महीनों से बीमार थे और 22 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पासवान के निधन पर कहा कि अपना दुख शब्दों में बयां नहीं कर सकता। मैंने अपना दोस्त खो दिया। पासवान मोदी कैबिनेट में सबसे उम्रदराज मंत्री थे।

मोदी ने पासवान के परिवार का हौसला बढ़ाया।

2 बार हार्ट सर्जरी हुई थी
पासवान 11 सितंबर को अस्पताल में भर्ती हुए थे। एम्स में 2 अक्टूबर की रात उनकी हार्ट सर्जरी हुई थी। इससे पहले भी एक बायपास सर्जरी हो चुकी थी।

राजनीति में लालू-नीतीश से सीनियर थे रामविलास
1969 में पहली बार विधायक बने पासवान अपने साथ के नेताओं, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार से सीनियर थे। 1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो पासवान को गिरफ्तार कर लिया गया, 1977 में उन्होंने जनता पार्टी की सदस्यता ली और हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से जीते। तब सबसे बड़े मार्जिन से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड पासवान के नाम ही दर्ज हुआ।

11 बार चुनाव लड़ा, 9 बार जीते
2009 के चुनाव में पासवान हाजीपुर की अपनी सीट हार गए थे। तब उन्होंने NDA से नाता तोड़ राजद से गठजोड़ किया था। चुनाव हारने के बाद राजद की मदद से वे राज्यसभा पहुंच गए और बाद में फिर NDA का हिस्सा बन गए। 2000 में उन्होंने अपनी लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) बनाई। पासवान ने अपने राजनीतिक जीवन में 11 बार चुनाव लड़ा और 9 बार जीते। 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने नहीं लड़ा, वे राज्यसभा सदस्य बने। मोदी सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे।

पासवान के नाम कई उपलब्धियां हैं। हाजीपुर में रेलवे का जोनल ऑफिस उन्हीं की देन है। अंबेडकर जयंती के दिन राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा पासवान की पहल पर ही हुई थी। राजनीति में बाबा साहब, जेपी, राजनारायण को अपना आदर्श मानने वाले पासवान ने राजनीति में कभी पीछे पलट कर नहीं देखा। वे मूल रूप से समाजवादी बैकग्राउंड के नेता थे।

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Mortal remains of Union Minister and LJP leader RamVilas Paswan at his residence


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कोरोना के एक तिहाई मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर, भ्रम इसका प्रमुख लक्षण

कोरोना का असर इससे संक्रमित मरीजों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ रहा है। यह बात कोरोना और मानसिक लक्षण पर हुए अमेरिका के सबसे बड़े रिसर्च में निकल कर सामने आई है। एन्नल्स ऑफ क्लिनिकल एंड ट्रांसलेशनल न्यूरोलॉजी में छपे रिसर्च के मुताबिक कोरोना संक्रमित एक तिहाई मरीजों के सोचने-समझने की शक्ति पर किसी न किसी रूप में असर पड़ रहा है।

इसमें भ्रमित होना, किसी बात का तुरंत जवाब न दे पाना, तंत्रिका संबंधी कार्यों का धीमा पड़ जाना जैसे लक्षण शामिल हैं। शोध में अमेरिका के शिकागो के शुरुआती 509 मरीजों की मानसिक स्थिति का अध्ययन किया गया है। ये मरीज आसपास के 10 अस्पतालों में 5 मार्च से 6 अप्रैल के बीच भर्ती रहे हैं।

यह रिसर्च इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इन मरीजों में जिस प्रकार की मानसिक समस्या आ रही है वो लंबी अवधि में सेहत के लिए ठीक नहीं है। ऐसे लोगों की मौत की आशंका सामान्य मरीजों की तुलना में सात गुना बढ़ जाती है। ये मरीज मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण रोजाना के सामान्य कार्यों को करने में भी दूसरों की मदद पर निर्भर हो जाते हैं।

इस तरह समझिए मानसिक स्वास्थ्य और उससे जुड़ी समस्याओं को

  • 2017 तक लगभग 14% भारतीय किसी न किसी प्रकार के मानसिक विकार से ग्रसित थे। इनमें भी बड़ा हिस्सा बुजुर्ग महिलाओं का है।
  • अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के अनुसार 1990 से 2017 के बीच कुल बीमारियों में मानसिक रोगों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। महिलाओं में 18 से 25 वर्ष के बीच इस तरह की बीमारी होने की आशंका सबसे ज्यादा है।
  • डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैन्युअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर के पांचवें संस्करण में लगभग 300 प्रकार के मानसिक विकारों की पहचान की गई है।
  • 97 करोड़ लोग दुनिया भर में मानसिक बीमारियों से ग्रसित हैं।
  • 60% लोगों का मानना है कि मानसिक बीमारी अनुशासन और इच्छा शक्ति की कमी के कारण हो रही हैं।

ये 5 आदतें फायदेमंद

एक्सरसाइज: हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार शारीरिक एक्टिविटी से एन्डॉर्फिन हार्मोन्स का स्राव होता है। इससे मूड अच्छा होता है।

बात करिए: स्वयं की भावनाओं के बारे में बात करने से मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायता मिलती है। खासकर संकट के समय।

नि:संकोच सहायता मांगें: जब यह महसूस हो कि चीजें योजना के अनुसार नहीं हो रही हैं। खुद को परेशान महसूस करें तब सहायता मांगने से न हिचकें।

अच्छी डाइट: शरीर के अन्य अंगों की तरह मस्तिष्क को भी स्वस्थ रहने और अच्छी तरह काम करने के लिए अच्छी डाइट की जरूरत होती है।

संपर्क में रहिए: लोगों से मेलजोल जारी रखें। यदि संभव न हो तो फोन कॉल ही कर लें। लोगों से संचार बनाए रखें। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।



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Impact on mental health of one-third of corona patients, confusion leading symptoms


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जिस आलीशान एयरक्राफ्ट की फोटो शेयर करते हुए सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की 'फकीरी' पर तंज कसा जा रहा, जानिए क्या है उसका सच

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर आलीशान इंटीरियर की एक फोटो शेयर की जा रही है। बताया जा रहा है कि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नया विमान है। फोटो शेयर करते हुए लोग पीएम के ‘हम तो फकीर आदमी हैं’ वाले बयान पर तंज कस रहे हैं।

और सच क्या है ?

  • 1 अक्टूबर को एडवांस डिफेंस सिस्टम से लैस बोइंग-777 एयरक्राफ्ट अमेरिका से दिल्ली पहुंचा। इस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री करेंगे। वायरल हो रही फोटो को इसी विमान का बताया जा रहा है।
  • दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर बोइंग-777 एयरक्राफ्ट से जुड़ा एक आर्टिकल है। इस आर्टिकल में एयरक्राफ्ट में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। हालांकि वो फोटो नहीं है, जो सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है। बोइंग-777 से जुड़ी अलग-अलग खबरें इंटरनेट पर देखने के बाद भी हमें ये तस्वीर नहीं मिली।
  • वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें Business Insider वेबसाइट पर 25 मई, 2020 का एक आर्टिकल मिला। जिसमें यही फोटो है। इससे ये तो साफ हुआ कि वायरल फोटो हाल में भारत आए बोइंग-777 एयरक्राफ्ट की नहीं है।
  • Business Insider वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल फोटो में दिख रहा इंटीरियर मशहूर एविएशन कंपनी Deer Jet के एक चीनी एयरक्राफ्ट का है।
  • Deer Jet एविएशन की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी हमें यही फोटो मिला। इस एयरक्राफ्ट का नाम है 787 Dreamliner. फोटो में दिख रहे इंटीरियर को फ्रांस के एयरक्राफ्ट इंटीरियर डिजाइनर Acques Plerrejean ने 3.5 साल में बनाया था।
  • 2 महीने पहले भी इसी फोटो को पीएम मोदी का निजी जेट बताकर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया था। तब केंद्र सरकार के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पीआईबी फैक्ट चेक के जरिए सरकार ने इस दावे को फेक बताया था।


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Fact Check: Sharing the picture of the luxurious aircraft, PM Modi's 'fakeeri' statement is being taunted on social media, know what is the truth of it


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2012 में लड़कियों की पढ़ाई के लिए आवाज उठाने पर पाकिस्तान में मलाला को गोली मारी गई थी; 2006 में गूगल ने 165 करोड़ डॉलर में यूट्यूब खरीदा था

मलाला युसूफजई का जन्म 1999 में हुआ और 2009 में जब उन्होंने गुल मकई के नाम से बीबीसी उर्दू के लिए डायरी लिखनी शुरू की, तो वह सुर्खियों में आईं। यह डायरी बाहरी दुनिया के लिए थी, जिसमें वह स्वात घाटी में तालिबान के साए में जिंदगी बयां करती थीं। मलाला से चरमपंथी नाराज थे। इसी वजह से 2012 में 9 अक्टूबर को तालिबान ने मलाला को सिर पर गोली मार दी थी। हालत इतनी खराब थी कि कोमा में ही उसे इलाज के लिए यूके लेकर जाना पड़ा था।

मलाला तब से यूके में ही हैं। 2014 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस समय वह सिर्फ 17 वर्ष की थीं। यह पुरस्कार हासिल करने वाली वह दुनिया की सबसे युवा हस्ती हैं। अब वह यूके में ही स्कूल चलाती हैं। दो साल पहले वह पहली बार पाकिस्तान लौटी थीं। मलाला अब 21 वर्ष की हो गई हैं।

गूगल ने यू-ट्यूब के अधिग्रहण की घोषणा की

गूगल ने 2006 में 9 अक्टूबर को ही घोषणा की थी कि वह 165 करोड़ डॉलर में यूट्यूब खरीद रहा है। आज इस यूजर जनरेटेड कंटेंट वीडियो प्लेटफॉर्म पर 200 अरब से ज्यादा लॉग-इन यूजर्स हर महीने आते हैं। हर रोज लोग एक अरब घंटे से ज्यादा वीडियो देखते हैं। अरबों व्यूज जनरेट करते हैं। यूट्यूब की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, 70 फीसदी यूट्यूब वॉच टाइम मोबाइल डिवाइस के जरिए आता है। कंपनी 100 से ज्यादा देशों के लिए इसका लोकल वर्जन लॉन्च कर चुकी है, यह करीब 80 भाषाओं में अवेलेबल है।

इतिहास में आज को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः

  • 1776ः अमेरिकी संसद ने आधिकारिक तौर पर देश का नाम यूनाइटेड कॉलोनी से बदलकर संयुक्त राज्य अमेरिका किया।
  • 1876ः पहली बार टेलीफोन पर आउटडोर वायर के माध्यम से दो-तरफा बातचीत हुई। यह बातचीत बोस्टन में रह रहे बेल और कैम्ब्रिज में रह रहे वॉटसन के बीच हुई।
  • 1920ः अलीगढ़ का एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बदला।
  • 1945ः प्रसिद्ध सरोद वादक अमजद अली खां का जन्म।
  • 1954ः अफ्रीकी देश अल्जीरिया में भूकंप से 1400 लोग मरे।
  • 1962ः अफ्रीकी देश युगांडा गणतंत्र बना।
  • 1967ः अर्जेंटीना के प्रसिद्ध मार्क्सवादी क्रांतिकारी चे ग्वेरा की हत्या।
  • 1998ः पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने इस्लामी शरीयत कानून को देश का सर्वोच्च कानून बनाया।
  • 2005ः यूरोपीय उपग्रह 'क्रायोसेट' का प्रक्षेपण विफल।
  • 2006ः बहुजन समता पार्टी के संस्थापक कांशीराम का निधन हुआ।
  • 2006: समता पार्टी की प्रमुख जया जेटली पर वर्ष 2000 में इजरायली कंपनी से करोड़ों रुपए के डिफेंस कॉन्ट्रेक्ट में रिश्वत लेने का आरोप लगा।
  • 2012ः इराक में बम हमले में सौ से अधिक लोगों की मौत, 350 अन्य घायल।


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