रविवार, 15 नवंबर 2020

कानपुर में दिवाली की रात 6 साल की बच्ची की धारदार हथियार से हत्या, कई अंदरूनी अंग गायब

उत्तरप्रदेश में कानपुर के घाटमपुर थाना क्षेत्र में शनिवार रात छह साल की बच्ची की बेरहमी से हत्या कर दी गई। वारदात को तंत्र-मंत्र के कारण अंजाम दिए जाने का शक है। ऐसा इसलिए, क्योंकि घटना दिवाली की रात की है। इस दिन अघोरी साधना वाले अनुष्ठान करते हैं, दूसरा यह कि शव काली मंदिर के सामने मिला है। शरीर के कई अंदरूनी अंग भी गायब हैं।

शरीर पर कपड़े नहीं थे, पास ही खून से सनी चप्पलें पड़ी थीं

पुलिस ने बताया कि भदरस गांव के करन कुरील की छह साल की बेटी श्रेया शनिवार शाम पड़ोस की दुकान पर कुछ सामान लेने गई थी, लेकिन घर नहीं लौटी। परिजन रात में उसकी तलाश करते रहे, साथ ही पुलिस को सूचना दी। सुबह काली मंदिर के पास कुछ लोगों को बच्ची का क्षत-विक्षत शव मिला। शरीर पर कपड़े नहीं थे। पास में ही खून से सनी उसकी चप्पलें पड़ी थीं।

पुलिस ने कहा- जल्द ही घटना का खुलासा करेंगे

अभी आरोपी का पता नहीं चला है। कहा जा रहा है कि इस केस में कई लोग शामिल हो सकते हैं। आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही घटना का खुलासा किया जाएगा।

उपमुख्यमंत्री मौर्य ने नोटिस लिया
इस मामले में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने नोटिस लिया है। उन्होंने पुलिस को केस की तह तक जाने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।



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बच्ची का शव काली मंदिर के पास मिलने के बाद गांव के लोगों का वहां मजमा लग गया। इस घटना के पीछे किसी अघोरी तांत्रिक के शामिल होने का शक है।


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लद्दाख में सेना को पीछे बुलाने के मुद्दे पर चीन पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं कर रहा है भारत

इस साल की शुरुआत में लद्दाख में भारत-चीन के बीच गतिरोध शुरू हुआ और तब से अब तक छह महीने से ज्यादा समय बीत चुका है। भले ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यह पहला गतिरोध नहीं है, लेकिन यह तो पहली ही बार हुआ है कि दोनों तरफ सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए हैं। आधी सदी में यह पहली बार है जब दोनों तरफ से गोलियां चली हैं।

भारत और चीन 3 दिन तक रोज 30% सैनिक वापस बुलाएंगे

पूरा देश सांसें थामकर चिंता भरी नजरों से पिछले कुछ महीनों में LAC पर दोनों देशों के बीच हो रही बातचीत की प्रगति को देख रहा था। सिर्फ भारत और चीन ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया दो परमाणु हथियार रखने वाले देशों के बीच गतिरोध को बारीकी से देख रहा था। विशेष रूप से पचास हजार से अधिक सैनिकों की तैनाती, टैंक और एयर डिफेंस सिस्टम जैसे कई हथियार प्लेटफॉर्म तैनात किए गए। यदि एयर फोर्स की तैयारियों को देखें तो उसने भी मानवरहित विमानों (UAVs) के साथ ही लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं।

जब दोनों पक्ष इस तरह की फोर्सेस और वेपन सिस्टम तैनात करते हैं तो हमेशा चिंता का विषय होता है कि चाहे-अनचाहे यह गलवान जैसी झड़प की ओर न चली जाए, जो हालात नियंत्रण के बाहर होने पर हो सकता है। इस वजह से सैन्य स्तर के साथ-साथ राजनयिक स्तरों पर बातचीत और चर्चा के माध्यम से विवाद को सुलझाने का प्रयास किया गया है।

चीन और भारत की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में बनाए गए स्ट्रक्चर तोड़ेंगी, पेट्रोलिंग भी नहीं होगी

इस तरह की बातचीत और चर्चा की प्रगति हमेशा धीमी होती है। कई दौर की बातचीत में शुरुआती नतीजे उत्साह बढ़ाने वाले नहीं थे। हालांकि, पिछले हफ्ते दोनों देशों के बीच सहमति बनी। डिसएंगेजमेंट का प्रस्ताव पर विचार हो रहा है। मोटे तौर पर कहें तो यह तीन बहुत बड़े कदम हैं।

पहले कदम के तौर पर टैंक और आर्मर्ड पर्सनल कैरियर्स को दोनों तरफ फ्रंटलाइन से महत्वपूर्ण दूरी पर पीछे हटाया जाएगा। स्पष्ट है कि इस तरह के हथियारों में लंबी दूरी तक घातक क्षमता होती है और उन्हें पीछे ले जाने से दोनों ओर से आक्रामक मुद्रा में नरमी आ जाएगी।

दूसरे कदम के तौर पर दोनों पक्षों को पैगॉन्ग त्सो झील के उत्तरी किनारे से पीछे हटना है। भारतीय जवानों को धन सिंह थापा पोस्ट तक हटना है जबकि चीनी साइड को ईस्ट ऑफ फिंगर 8 तक हटना है।

तीसरे और आखिरी कदम के तौर पर दोनों पक्ष पैगॉन्ग त्सो झील के दक्षिणी किनारे के साथ सीमा रेखा से अपने-अपने स्थान से पीछे हटेंगे। इसमें चुशुल और रेजांग ला एरिया के आसपास की ऊंचाइयां शामिल हैं। भारत ने अगस्त के अंत में पैगॉन्ग त्सो झील के दक्षिणी तट पर रेजांगला रिज की ऊंचाइयों पर कमांडिंग पोजिशन हासिल कर ली थी, जिसने चीन को चकित कर दिया था।

डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को वेरिफाई करने के लिए भारतीय और चीनी मिलिट्री जॉइंट मैकेनिज्म में भाग लेगी, जिसके लिए प्रतिनिधियों की बैठक के साथ-साथ मानवरहित विमानों (UAV) का उपयोग किया जाएगा।

भारतीय पक्ष इस मुद्दे पर बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहा है क्योंकि इस साल जून में गलवान की झड़प के बाद चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, वहीं चीन के कमांडिंग ऑफिसर समेत कई सैनिक भारतीय सेना के हाथों मारे गए थे। यह याद रखना जरूरी है कि 6 जून को कॉर्प्स कमांडरों की बैठक में जिन शर्तों पर सहमति बनी थी, उस पर चीनी सैनिक अमल कर रहे हैं या नहीं, यह वेरिफाई करने ही भारतीय सैनिक वहां गए थे और यह झड़प हो गई थी।

विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत और चीन मिलिट्री और डिप्लोमेटिक चैनलों से बातचीत और कम्युनिकेशन को आगे बढ़ाने पर राजी हैं। वरिष्ठ कमांडरों की बैठक में चर्चा को आगे बढ़ाते हुए अन्य विवादित मुद्दों को का समाधान निकालने पर भी जोर दिया गया। इसके लिए वे जल्द ही एक और दौर की बैठक करने को सहमत हुए हैं।

कुल मिलाकर यह एक उत्साह बढ़ाने वाला घटनाक्रम है। भले ही इसकी प्रगति बेहद धीमी और कांटेदार रही हो, इन निगोसिएशन से मिली राहत का स्वागत है। परमाणु हथियारों से लैस दो देशों के बीच छोटी-सी झड़प भी दुनिया में खलबली मचा सकती है क्योंकि इस झड़प के किसी भी पल नियंत्रण से बाहर निकल जाने की आशंका बनी रहती है।

एक अन्य स्तर से देखें तो इस कदम का स्वागत होना चाहिए। जब पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है और हमारी अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित है, तो टल सकने वाली इस लड़ाइयों से दुनिया को बचाना ही चाहिए। दक्षिण चीन सागर और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और ताइवान की भागीदारी को देखते हुए इस तरह की छोटी-सी झड़प से अन्य देश और अन्य क्षेत्र इस युद्ध की चपेट में आ सकते हैं। इस वजह से बात सिर्फ लद्दाख में शांति की नहीं है।

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने यह संकेत देने की कोशिश की है कि डिसएंगेजमेंट को लेकर मतभेद हैं। पैगॉन्ग त्सो झील के उत्तरी किनारे से पीछे हटने की शुरुआत होना चाहिए या दक्षिणी किनारे से, क्योंकि चीनी पक्ष का जोर इस बात पर है कि भारत को पहले दक्षिणी किनारे की चोटियों से पीछे हटना चाहिए। वापसी के तौर-तरीकों पर अभी सहमति नहीं बनी है। यहां तक कि अगर हम डिसएंगेजमेंट पर छोटे-छोटे स्टेप्स लेते हैं तो उस प्रगति के आधार पर हम इसे देपसांग जैसे अन्य विवादित क्षेत्रों तक बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं।

ग्लोबल लेवल पर क्वॉड (QUAD) में हमारी भागीदारी और कन्वर्जेंस से दिखी एकजुटता पर भरोसा करना विवेकपूर्ण कदम है। अमेरिका के प्रेसिडेंट-इलेक्ट जो बिडेन ने लद्दाख विवाद पर भारत के समर्थन में बयान दिए, जिसने दिल को सुकून पहुंचाया।

चीन से तनाव के बीच क्वॉड देशों की मालाबार 2020 नैवल एक्सरसाइज शुरू; जानिए सबकुछ

मैं यह कहकर अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं कि भारत आंख मूंदकर चीन पर भरोसा नहीं कर रहा है। हमारी मजबूत स्थिति को ध्यान में रखकर ही डिसएंगेजमेंट की शर्तों पर निगोसिएशन कर रहा है। खासकर, पैगॉन्ग त्सो के दक्षिणी किनारे पर हमारी टेक्टिकल पोजिशन और हमारे सैनिकों की तैनाती के साथ ही लॉजिस्टिक तैयारियों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहा है। इसके बाद भी यह ध्यान देने की बात है कि हम इन मुद्दों पर युद्ध के मैदान में संघर्ष के बजाय बाहर निकलकर टेबल पर आमने-सामने बैठकर बात कर रहे हैं। सभी के लिए शांति दिवाली का सबसे अच्छा गिफ्ट हो सकता है। शुभ दीवाली!



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India China Ladakh Ladakh Galwan Valley Situation Update; Retired Lieutenant General Satish Dua On Army Disengagement Proposal


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रसातल पर पहुंची इकोनॉमी में तेजी लाने के लिए सरकार के आत्मनिर्भर पैकेज, फिर भी RBI को मंदी की आशंका

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने गुरुवार को दूसरी तिमाही में भी GDP में 8.6% की गिरावट का अनुमान लगाया है। ये लगातार दूसरी तिमाही होगी, जब GDP में गिरावट दर्ज होगी। लगातार दो तिमाही में GDP में गिरावट से संकेत साफ है कि भारत की इकोनॉमी रसातल में पहुंच गई है।

पहली तिमाही में 23.9% की गिरावट आई थी। RBI की रिपोर्ट के कुछ ही घंटों बाद सरकार ने 2.65 लाख करोड़ रुपए का 'आत्मनिर्भर भारत 3.0 पैकेज' की घोषणा की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक, कोरोना महामारी से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार अब तक 29.87 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दे चुकी है। आइए समझते हैं कोरोना के दौर में सरकार ने कब-कब और कितने रुपए का पैकेज दिया?

आत्मनिर्भर भारत 3.0: घर खरीदने पर IT में छूट; PF सरकार भरेगी
आत्मनिर्भर भारत 3.0 कुल 2.65 लाख करोड़ रुपए का है। इसमें रोजगार बढ़ाने के लिए 12 योजनाएं हैं। प्राइवेट सेक्टर में 15 हजार रुपए से कम मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारियों के PF का हिस्सा केंद्र सरकार भरेगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने घर खरीदने वालों और बिल्डर्स को बड़ी राहत दी है। सर्कल रेट और एग्रीमेंट वैल्यू के बीच के अंतर को बढ़ाकर 20% कर दिया, जो पहले 10% था। 30 जून 2021 तक प्रभावी रहने वाली यह योजना दो करोड़ रुपए तक के रेसीडेंशियल यूनिट की प्राइमरी बिक्री पर लागू होगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना को 18 हजार करोड़ रुपए मिले हैं। इससे 30 लाख जरूरतमंदों को खुद का घर मिल सकेगा। कोरोना की वैक्सीन के लिए भी 900 करोड़ रुपए दिए गए हैं।

आत्मनिर्भर भारत 2.0: त्योहारी सीजन में मांग बढ़ाने के लिए
त्योहारी सीजन में मांग बढ़ाने के लिए 12 अक्टूबर को केंद्रीय कर्मचारियों के लिए दिवाली स्कीम लाई गई थी। आत्मनिर्भर भारत 2.0 कुल 73 हजार करोड़ रुपए का था। देश के 47 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के लिए दो स्कीम थी। पहली थी LTC कैश वाउचर स्कीम और दूसरी थी स्पेशल फेस्टिवल एडवांस स्कीम। LTC स्कीम में कैश वाउचर मिलने थे, जबकि दूसरी स्कीम में 10 हजार रुपए एडवांस मिलने थे। LTC स्कीम के जरिए केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को घूमने के लिए 36 हजार रुपए, 20 हजार रुपए और 6 हजार रुपए के कैश वाउचर देती। जबकि, फेस्टिवल एडवांस के लिए 10 हजार रुपए बिना ब्याज के मिलते। ये पैसे 10 किश्तों में लौटाना थे। इनके अलावा राज्यों को 50 साल के लिए 12 हजार करोड़ रुपए ब्याजमुक्त कर्ज देने की योजना थी।

पैकेज का क्या हुआ?

  • फेस्टिवल एडवांस स्कीम के लिए SBI उत्सव कार्ड कर्मचारियों को दिए गए हैं।
  • 25 हजार करोड़ रुपए रोड ट्रांसपोर्ट और डिफेंस मिनिस्ट्री को मिले हैं।
  • 11 राज्यों को 3 हजार 621 करोड़ रुपए का कर्ज दिया जा चुका है।

आत्मनिर्भर भारत 1.0: सबसे बड़ा पैकेज, अलग-अलग किश्तों में आया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में 20 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज देने की घोषणा की थी। जिसे हम आत्मनिर्भर भारत 1.0 कहते हैं। ये कुल 20 लाख 97 हजार 53 करोड़ रुपए का पैकेज था। इस पूरे पैकेज में 12 मई के ऐलान से पहले ही सरकार ने 1.92 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज दिया था, उसे भी शामिल किया था। साथ ही RBI की तरफ से 8.01 लाख करोड़ रुपए की मदद को भी इस पैकेज में लिया गया था। यानी, कुल मिलाकर आत्मनिर्भर भारत 1.0 में 11.02 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया गया था।

  • वित्त मंत्री ने 13 मई को 5.94 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया था। इसमें छोटे कारोबारियों को कर्ज देने, NBFC कंपनियों और बिजली कंपनियों को मदद के लिए दी जाने वाली राशि का ब्यौरा था।
  • दूसरे दिन 14 मई को 3.10 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें अटके हुए प्रवासी मजदूरों के लिए दो महीने तक मुफ्त अनाज देने और किसानों को कर्ज देने की घोषणाएं शामिल थीं।
  • तीसरे दिन 15 मई को 1.5 लाख करोड़ रुपए का पैकेज आया था, जिसमें बताया था कि ये पैसा खेती के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किया जाएगा।
  • चौथे दिन 16 मई को 8 हजार करोड़ और पांचवे दिन 17 मई को 40 हजार करोड़ रुपए का पैकेज आया था।

पैकेज का क्या हुआ?

  • पीएम स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि के तहत 1,373.33 करोड़ रुपए के कर्ज दिए गए।
  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के जरिए 1.5 करोड़ से ज्यादा किसानों को 1.43 लाख करोड़ रुपए का लोन दिया गया।
  • पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत 21 राज्यों को 1,681.32 करोड़ रुपए मिले।
  • एमरजेंसी क्रेडिट लोन गारंटी स्कीम (ECLGS) के तहत 61 लाख लोगों को 2.05 लाख करोड़ रुपए का कर्ज मिला।
  • NBFC और HFC 7,227 करोड़ रुपए चुकाए गए।
  • 17 राज्यों की बिजली कंपनियों को 1.18 लाख करोड़ रुपए का लोन दिया। 11 राज्यों की कंपनियों के लिए 31,136 करोड़ रुपए चुकाए।


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Nirmala Sitharaman Narendra Modi: AATM Nirbhar Abhiyan| Atma Nirbhar Bharat Economic Package 3.0 Vs Self-Reliant India One and Second Comparison


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ट्रम्प और मेलानिया के अलावा बाइडेन ने भारतीयों को दीपावली की बधाई दी, कमला बोलीं- साल मुबारक

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, फर्स्ट लेडी मेलानिया ने भारतीय समुदाय को दीपावली की शुभकामनाएं दी हैं। उनके अलावा प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन और वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस ने भारतवासियों को रोशनी की त्योहार पर शुभकामनाएं दीं। भारतीय मूल की कमला हैरिस ने कहा- साल मुबारक।

ट्रम्प ने क्या कहा
व्हाइट हाउस से दीपावली के अवसर पर एक बयान जारी किया गया। इसमें राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा- फर्स्ट लेडी और मैं आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं। रोशनी के इस त्योहार में आप दोस्तों, पड़ोसियों और अपनों के साथ रहें और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में इसे मनाएं। अंधकार पर रोशनी, अज्ञान पर ज्ञान की विजय हो। हर घर में दिए जलेंगे। फिर चाहे वो घर हो, ऑफिस हो या पूजा स्थल। यह त्योहार हमें आशा और समर्पण का पारंपरिक संदेश देता है। इन्हें हमारे जीवन में लाता है।

ट्रम्प ने आगे कहा- अमेरिका आस्था में भरोसा करने वाला देश है। मुझे गर्व है कि मेरी सरकार ने नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और उनकी आस्था की रक्षा की है। अमेरिकी जहां भी दियों से रोशनी करेंगे यह हमारी आजादी की रोशनी ही होगी। दुनिया में जहां भी दीपावली मनाई जा रही है, हम उन सभी लोगों को फिर एक बार इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं।

बाइडेन ने भी शुभकामनाएं
20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे और फिलहाल प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन ने कहा- लाखों हिंदू, जैन, सिख और बौद्धों को रोशनी के पर्व की बधाई। मैं और जिल बाइडेन आपको इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं। आशा करते हैं कि आने वाला साल आपकी उम्मीदों, खुशियों और समृद्धि में उन्नति करेगा। साल मुबारक। बाइडेन 20 नवंबर को 78 साल के हो जाएंगे। वे अमेरिकी इतिहास के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति होंगे।

कमला हैरिस ने क्या कहा?
अमेरिकी इतिहास की पहली महिला उप राष्ट्रपति बनने जा रहीं भारतीय मूल की कमला हैरिस ने भी भारतीयों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इसके लिए ट्वीट किया। हैरिस ने लिखा- हैप्पी दीपावली और साल मुबारक। डगलस (पति) और मैं आशा करते हैं कि दुनिया के हर हिस्से में आप सुरक्षित, स्वस्थ और आनंद से दीपावली मना रहे होंगे।
कमला ने पिछले हफ्ते चुनाव जीतने के बाद भारत की यादों को ताजा किया था। हैरिस की मां भारत से ताल्लुक रखती थीं। वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कई भाषणों में उन यादों को ताजा करती आई हैं।



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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और फर्स्ट लेडी मेलानिया ने भारतीयों को दीपावली की शुभकामनाएं दी हैं। ट्रम्प चुनाव हार चुके हैं। हालांकि, अब तक उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया है।


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रिपब्लिकन पार्टी 2024 में ट्रम्प को ही राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाएगी, उसके पास विकल्प भी नहीं

अमेरिका में 2020 का राष्ट्रपति चुनाव हो चुका है। डेमोक्रेट पार्टी के जो बाइडेन जीत चुके हैं। हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब भी हार मानने को तैयार नहीं हैं। बहरहाल, अब खबरें ये आ रही हैं कि रिपब्लिकन पार्टी 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प को ही फिर उम्मीदवार बना सकती है। इसकी वजह भी साफ है। पार्टी के पास ट्रम्प से ज्यादा ताकतवर और लोकप्रिय नेता नहीं है। हालांकि, तब तक ट्रम्प की उम्र 78 साल हो चुकी होगी।

ट्रम्प खुद इशारा कर चुके हैं
Axios और वॉशिंगटन पोस्ट ने हाल ही में दो रिपोर्ट्स पब्लिश कीं। इनमें कहा गया- ट्रम्प ने अपने करीबियों को बता दिया है कि 2024 में वे फिर राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे। रिपब्लिकन पार्टी को GOP यानी ग्रैंड ओल्ड पार्टी भी कहा जाता है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प पार्टी पर पकड़ मजबूत कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने नेशनल कमेटी में अपनी कट्टर समर्थक रोना मैक्डेनियल को अपॉइंट किया। यही कमेटी सबसे आखिर में पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगाती है।

क्या पार्टी मजबूर है
सीएनएन के मुताबिक, रिपब्लिकन पार्टी के पास अगले चुनाव के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं। अगर हैं भी तो ट्रम्प के मुकाबले उनका कद काफी छोटा है। वे पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। 2020 के चुनाव में यह साफ हो गया कि उन्होंने बाइडेन को कितनी कड़ी टक्कर दी। वो भी तब जबकि ज्यादा प्री और पोस्ट पोल्स में उन्हें खारिज किया जा रहा था। ऐसा नहीं है कि ट्रम्प का पार्टी में विरोध नहीं है। कुछ विरोधी भी हैं, लेकिन वे भी जानते हैं कि ट्रम्प की लोकप्रियता को नकारना सत्ता में वापसी की राह बेहद मुश्किल कर देगा।

और कौन से नाम रेस में होंगे
वाइस प्रेसिडेंट माइक पेन्स, अरकंसास के सीनेटर टॉम कॉटन, मिसौरी सीनेटर जोश हॉवले, यूएन में एम्बेसेडर रहीं भारतीय मूल की निक्की हैली। ये वो नाम हैं जो अगर ट्रम्प नहीं लड़े तो दौड़ में शामिल हो सकते हैं। लेकिन, ट्रम्प 2024 के लिए मन बना लेंगे तो ये सभी पीछे हट जाएंगे। रिपब्लिकन पार्टी के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है। पार्टी में ट्रम्प के विचारों को स्वीकार भी किया जाता है। 94% रिपब्लिकन्स मानते हैं कि ट्रम्प ने पार्टी एजेंडे को बखूबी लागू किया। कट्टरपंथी धड़े में 97% लोग उनके पक्ष में हैं। जाहिर सी बात है अगर ट्रम्प 2024 के लिए हामी भरेंगे तो फिर कोई और नेता सामने नहीं आएगा।

लेकिन, कुछ सवाल भी
अब सवाल ये है कि क्या ट्रम्प का रास्ता इतना ही आसान है, जितना माना जा रहा है। इसका जवाब है- नहीं। ट्रम्प 2024 में 78 साल के होंगे। राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से ये ज्यादा उम्र है। दूसरी बात। उनके खिलाफ कई आरोप हैं और राष्ट्रपति पद से हटते ही उन्हें कई केसों का सामना करना पड़ सकता है। अगर कानूनी पेचीदगियां नहीं हुईं तो ट्रम्प अगले चुनाव में फिर नजर आ सकते हैं।



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डोनाल्ड ट्रम्प 2024 में फिर राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकते हैं। रिपब्लिकन पार्टी इस बारे में विचार कर सकती हैं। (फाइल)


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24 घंटे में 41 हजार केस आए और 42 हजार ठीक हुए, एक्टिव केस में बीते 45 दिनों में सबसे कम 1027 केस की गिरावट

देश में कोरोना के एक्टिव केस में तेजी से आ रही गिरावट दिवाली के दिन धीमी रही। 41 हजार 658 केस आए और इसके मुकाबले सिर्फ 42 हजार 215 मरीज ठीक हुए। 449 मरीजों की मौत हो गई। ऐसे में एक्टिव केस में सिर्फ 1027 एक्टिव केस कम हुए। यह बीते 45 दिनों में सबसे कम है। एक्टिव केसों में 3 अक्टूबर से लगातार कमी आ रही है।

देश में अब तब 88.14 लाख मरीज कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 82.03 लाख ठीक हो चुके हैं और 1.29 लाख की मौत हो चुकी है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश

राज्य में शुक्रवार को 1048 नए केस मिले। 833 लोग रिकवर हुए और 11 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 82 हजार 45 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 8876 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 70 हजार 93 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते जान गंवाने वालों का आंकड़ा अब 3076 हो गया है।

2. राजस्थान

राज्य में शुक्रवार को 2144 लोग संक्रमित मिले। 1827 लोग ठीक हुए और 12 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 21 हजार 471 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 17 हजार 657 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 1 हजार 770 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2044 हो गई है।

3. बिहार

पिछले 24 घंटे के अंदर राज्य में 581 लोग संक्रमित मिले। 870 लोग रिकवर हुए और 7 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 26 हजार 81 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 6078 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 18 हजार 828 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से 1174 लोगों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र

पिछले 24 घंटे में 4132 लोग संक्रमित मिले। 4543 लोग रिकवर हुए और 127 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 17 लाख 40 हजार 461 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 84 हजार 82 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 9 हजार 607 लोग ठीक हो चुके हैं। मरने वालों की संख्या अब 45 हजार 809 हो गई है।

5. उत्तरप्रदेश

प्रदेश में शुक्रवार को 2178 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई। 2005 लोग रिकवर हुए और 25 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 7 हजार 602 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 23 हजार 95 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 77 हजार 180 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 7327 हो गई है।



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त्योहार का मौका है, बाजारों में भीड़ है। दिल्ली में इस मौके पर भी लोगों को ऐहतियात बरतने की नसीहत दी जा रही है।


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24 घंटे में 41 हजार केस आए और 42 हजार ठीक हुए, एक्टिव केस में बीते 45 दिनों में सबसे कम 1027 केस की गिरावट

देश में कोरोना के एक्टिव केस में तेजी से आ रही गिरावट दिवाली के दिन धीमी रही। 41 हजार 658 केस आए और इसके मुकाबले सिर्फ 42 हजार 215 मरीज ठीक हुए। 449 मरीजों की मौत हो गई। ऐसे में एक्टिव केस में सिर्फ 1027 एक्टिव केस कम हुए। यह बीते 45 दिनों में सबसे कम है। एक्टिव केसों में 3 अक्टूबर से लगातार कमी आ रही है।

देश में अब तब 88.14 लाख मरीज कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 82.03 लाख ठीक हो चुके हैं और 1.29 लाख की मौत हो चुकी है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश

राज्य में शुक्रवार को 1048 नए केस मिले। 833 लोग रिकवर हुए और 11 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 82 हजार 45 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 8876 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 70 हजार 93 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते जान गंवाने वालों का आंकड़ा अब 3076 हो गया है।

2. राजस्थान

राज्य में शुक्रवार को 2144 लोग संक्रमित मिले। 1827 लोग ठीक हुए और 12 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 21 हजार 471 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 17 हजार 657 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 1 हजार 770 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2044 हो गई है।

3. बिहार

पिछले 24 घंटे के अंदर राज्य में 581 लोग संक्रमित मिले। 870 लोग रिकवर हुए और 7 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 26 हजार 81 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 6078 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 18 हजार 828 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से 1174 लोगों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र

पिछले 24 घंटे में 4132 लोग संक्रमित मिले। 4543 लोग रिकवर हुए और 127 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 17 लाख 40 हजार 461 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 84 हजार 82 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 9 हजार 607 लोग ठीक हो चुके हैं। मरने वालों की संख्या अब 45 हजार 809 हो गई है।

5. उत्तरप्रदेश

प्रदेश में शुक्रवार को 2178 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई। 2005 लोग रिकवर हुए और 25 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 7 हजार 602 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 23 हजार 95 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 77 हजार 180 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 7327 हो गई है।



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त्योहार का मौका है, बाजारों में भीड़ है। दिल्ली में इस मौके पर भी लोगों को ऐहतियात बरतने की नसीहत दी जा रही है।


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अमेरिका में एक दिन में 1.77 लाख केस, साउथ कोरिया में संक्रमण की तीसरी लहर

दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा शुक्रवार सुबह 5.43 करोड़ के पार हो गया। 3 करोड़ 78 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 13 लाख 17 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में संक्रमण बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार और शनिवार के बीच यहां एक लाख 77 हजार मामले सामने आए। दूसरी तरफ प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन भी एक्टिव हो गए हैं। शनिवार को उन्होंने अपनी कोरोना टास्क फोर्स के साथ मीटिंग की। साउथ कोरिया में संक्रमण की तीसरी लहर सामने आ रही है। यहां फिर तीन अंकों में मामले सामने आने लगे हैं।

अमेरिका में हालात खराब
अमेरिकी अस्पतालों में एक बार फिर मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है। शनिवार को यहां एक लाख 77 हजार नए मामले सामने आए। ओरेगन और मिशिगन में संक्रमण बेहद तेजी से फैल रहा है। इसे देखते हुए यहां कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। वैसे कुल मिलाकर 10 राज्य ऐसे हैं जहां संक्रमण का खतरा दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा है। दूसरी तरफ, कोविड-19 पर सियासत भी जारी है। चुनाव हारने के बावजूद ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन महामारी के खतरे को गंभीरता से नहीं ले रही है। वहीं, प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन इस मामले को लेकर ज्यादा एक्टिव हैं। शनिवार सुबह उन्होंने अपनी कोरोना टास्क फोर्स के साथ मीटिंग की। बाइडेन 20 जनवरी को शपथ लेंगे।

साउथ कोरिया सतर्क
दक्षिण कोरिया की हेल्थ मिनिस्ट्री ने माना है कि देश में संक्रमण की तीसरी लहर सामने आ चुकी है। लगातार आठवें दिन यहां 200 से ज्यादा मामले सामने आए। मिनिस्ट्री द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया है कि शनिवार को कुल 208 केस सामने आए। सरकार ने एक बार फिर संकेत दिए हैं कि वो तीसरी लहर को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएगी। जनवरी से मार्च के बीच यहां पहली लहर थी। जून से अगस्त के बीच दूसरी और अब तीसरी लहर है। हालांकि, हेल्थ मिनिस्ट्री ने ये भी कहा है कि संक्रमण की मुख्य वजह विदेश से आने वाले लोग हैं। शनिवार को दर्ज किए गए 208 में से 176 मामले इम्पोर्टेड बताए गए हैं।

शनिवार को दक्षिण कोरिया के सियोल में अपने पपी के साथ एक व्यक्ति। देश में संक्रमण की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। सरकार ने फिर सख्त कदम उठाने की तरफ इशारा किया है।

फ्रांस के अस्पतालों में कम हुए मरीज
फ्रांस में सख्त लॉकडाउन दो हफ्ते बढ़ाने का फैसला किया गया है। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी कम होने लगी है, एक हफ्ते पहले तक यह सरकार के लिए चिंता की सबसे बड़ी वजह थी। हेल्थ एजेंसी ने अपने बयान में कहा- गुरुवार और शुक्रवार के बीच सिर्फ 22 मरीज हॉस्पिटल में भर्ती हुए। इसके एक दिन पहले यानी बुधवार को 726 मरीज अस्पतालों में भर्ती कराए गए थे। फ्रांस में दो हफ्ते पहले एक महीने के लिए लॉकडाउन किया गया था। मियाद खत्म होने के पहले ही इसे दो हफ्ते और बढ़ा दिया गया।

स्पेन में हिंसा जारी
स्पेन में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है। इस बीच, सरकार ने कोविड-19 के रोकथाम के लिए कई तरह की प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं। लोग नाराज हैं। लोगों का कहना है कि सरकार जानबूझकर लोगों की आजादी छीनना चाहती है। कई जगह अराजकता का माहौल बन गया है। लोगों ने स्टोर्स लूट डाले। यहां मैड्रिड, लोगोना, मलेगा, सांताडर जैसे कई शहरों में लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया। बवाल में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। सरकार ने यहां अमेरिका, ब्रिटेन समेत 65 देशों से पहुंचने वाले लोगों के लिए 72 घंटे पहले की कोविड-19 रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य कर दिया है। जिसके पास निगेटिव रिपोर्ट होगी उसे ही स्पेन में एंट्री मिलेगी।



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अमेरिका के नेब्रास्का में शनिवार को कोविड वॉर्ड में जाने से पहले तैयारी करते हेल्थ वर्कर। देश में लगातार आठवें दिन एक लाख से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आए।


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मोदी की पाक-चीन को ललकार, मंदिर खोलेगी महाराष्ट्र सरकार; यूपी में फिर साथ होंगे अखिलेश-शिवपाल

नमस्कार!

महीना त्योहारों का है। दिवाली बीत चुकी है और आज गोवर्धन पूजा है। त्योहारों के उल्लास में सावधानी भी जरूरी है, क्योंकि कई राज्यों में कोरोना का संक्रमण तेज हो रहा है। टॉप पर दिल्ली है, जहां 44 हजार 329 एक्टिव केस हैं। चलिए, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • बिहार में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इसका फैसला करने के लिए NDA विधायक दलों की बैठक दोपहर 12:30 बजे होगी।
  • द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने देवराज इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। गोवर्धन की पूजा भी शुरू करवाई। आज गोवर्धन पूजा है, इसके लिए सुबह 2 और शाम को 1 मुहूर्त है।

देश-विदेश
लगातार 7वीं बार मोदी ने मनाई जवानों के साथ दिवाली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 7वीं बार जवानों के साथ दिवाली मनाई। इस बार वे जैसलमेर में लोंगेवाला पोस्ट पहुंचे। उन्होंने कहा कि सीमाओं की सुरक्षा से समझौता नहीं होगा। चीन-पाकिस्तान को चेतावनी दी कि किसी ने हमें आजमाने की कोशिश की तो प्रचंड जवाब मिलेगा।

महाराष्ट्र में कल से खुल जाएंगे मंदिर

महाराष्ट्र में 8 महीने बाद सभी धार्मिक स्थल 16 नवंबर यानी सोमवार से खुल जाएंगे। कोरोना के चलते 18 मार्च से सभी मंदिर बंद हैं। हालांकि, मंदिर खोले जाने के मसले पर सीएम उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच चिट्ठी-बाजी भी हो चुकी है।

अब चाचा शिवपाल को साधेंगे अखिलेश
दिवाली के मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी किसी बड़े दल से गठजोड़ नहीं करेगी। अखिलेश ने कहा कि शिवपाल की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया को एडजस्ट किया जाएगा। सरकार बनी तो शिवपाल को मंत्री भी बनाएंगे।

कब हार मानेंगे US के प्रेसिडेंट ट्रम्प
US प्रेसिडेंट इलेक्शन के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को पहली बार मीडिया से बातचीत की। ट्रम्प ने कहा, 'ये वक्त ही बताएगा कि मैं राष्ट्रपति रहूंगा या नहीं।' अब तक ट्रम्प ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, जिससे लगे कि वो हार स्वीकार करेंगे और जो बाइडेन को जीत की बधाई देंगे। ट्रम्प चुनाव में धांधली के आरोप लगा चुके हैं।

भास्कर एक्सप्लेनर

सरकार के आत्मनिर्भर पैकेज, फिर भी RBI को मंदी की आशंका

RBI ने लगातार दूसरी तिमाही में भी GDP में 8.6% की गिरावट का अनुमान लगाया है। संकेत साफ है कि भारत की इकोनॉमी गिरती जा रही है। RBI की रिपोर्ट के बाद सरकार ने 2.65 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक, सरकार अब तक 29.87 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दे चुकी है।

खुद्दार कहानी
40 रुपए में भरपेट खाना खिलाते हैं, गरीबों से पैसे नहीं लेते

गुजरात के मोरबी शहर में स्थित 'बचुदादा का ढाबा' पर सुबह 11 बजे से ही भीड़ उमड़ने लगती है। बचुदादा पिछले 40 सालों से सिर्फ 40 रुपए में लोगों को खाना खिलाते आ रहे हैं। जिनके पास पैसे नहीं होते, वे मुफ्त खाना खा सकते हैं। अब 72 साल के हो चुके बचुदादा अकेले ही ढाबा चला रहे हैं।

पढ़ें पूरी खबर...

सुर्खियों में और क्या है...

  • BSE पर दिवाली के मौके पर शाम सवा छह से सवा सात तक मुहूर्त ट्रेडिंग हुई। सेंसेक्स 195 प्वाइंट चढ़कर 43,638 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ। निफ्टी 12,750 के पार पहुंच गया।
  • टीम इंडिया के पूर्व बैटिंग कोच संजय बांगर ने कहा कि महेंद्र सिंह धोनी अगले IPL सीजन में CSK की कप्तानी छोड़ देंगे और बतौर खिलाड़ी खेलेंगे।
  • US के पूर्व प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने राहुल को कमजोर नेता बताया है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि ओबामा को ऐसा कहने का अधिकार नहीं, क्योंकि वो भारत को जानते ही कितना हैं? हम भी तो ट्रम्प को पागल नहीं कह सकते।


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Modi's challenge to Pak-China; Maharashtra government will open temple; Akhilesh-Shivpal will be together again in UP


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सफलता-असफलता का विचार छोड़कर ईमानदारी से अपना काम करेंगे तो परेशानियां दूर हो सकती हैं

कहानी- महाभारत का युद्ध शुरू होने वाला था। कौरवों की ओर भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण, अश्वथामा जैसे महारथी और असंख्य सैनिक थे। जबकि, पांडवों की सेना कौरवों की अपेक्षा बहुत कम थी। अर्जुन-भीम के अलावा कुछ ही महारथी पांडव सेना में थे। उस समय युधिष्ठिर ने भी ये मान लिया था कि पांडव कौरव सेना के सामने ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएंगे।

सेनाओं की स्थिति देखकर तो यही लग रहा था कि इस युद्ध में कौरवों की जीत हो जाएगी। पांडव सेना में उत्साह कम था। इसी वजह से पांडवों की सेना पर नकारात्मकता हावी हो रही थी। तब अर्जुन ने अपनी सेना को समझाया कि हम संख्या में भले ही कम हैं, लेकिन हमें अपना प्रयास पूरी ईमानदारी से करना होगा। हमारे साथ स्वयं श्रीकृष्ण हैं, हम धर्म के लिए युद्ध कर रहे हैं। हमें हार के बारे नहीं सोचना चाहिए। सकारात्मक सोच के साथ युद्ध करना है, फल क्या मिलेगा, ये तो भगवान के हाथ में है।

अर्जुन की इन बातों से पांडव सेना में उत्साह लौट आया। सभी पूरी ईमानदारी के साथ युद्ध करने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद श्रीकृष्ण की रणनीतियों से और पांडवों के पराक्रम से कौरव सेना की हार हो गई। भाग्य पर भरोसा करने वाले लोगों को महाभारत युद्ध की शुरुआत में पांडवों की हार दिख रही थी, लेकिन सकारात्मक सोच ने परिणाम बदल दिए।

सीख - काम कितना भी मुश्किल हो, हमें नकारात्मकता से खुद को बचाना चाहिए। अगर असफलता का डर मन में घर कर गया तो आसान काम भी पूरा नहीं हो पाएगा इसलिए हमेशा सोच पॉजिटिव बनाए रखें और अपने प्रयास करते रहना चाहिए।



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40 रु. में भरपेट खाना खिलाते हैं, गरीबों से पैसे नहीं लेते; कहते हैं- कोई भूखा नहीं लौटना चाहिए

कुछ दिन पहले दिल्ली के एक बुजुर्ग दंपती का वीडियो 'बाबा का ढाबा' नाम से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो में बुजुर्ग दंपती लॉकडाउन और उसके बाद की अपनी वेदना बताते नजर आ रहे थे कि उनके यहां लोग खाना खाने नहीं आ रहे। इसके बाद यह वीडियो कुछ सेलिब्रिटीज ने भी अपलोड किया था और उनके ढाबे पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

कुछ ऐसी ही कहानी है गुजरात के मोरबी शहर में स्थित 'बचुदादा का ढाबा' की। जहां, सुबह 11 बजे से ही भीड़ उमड़ने लगती है और वह इसलिए कि बचुदादा पिछले 40 सालों से सिर्फ 40 रुपए में लोगों को भरपेट खाना खिलाते आ रहे हैं। इतना ही नहीं, जिनके पास पैसे नहीं होते, वे यहां मुफ्त में भी खा सकते हैं। 72 साल के हो चुके बचुदादा अकेले ही ढाबा चला रहे हैं। ढाबे पर रोजाना 100 से 150 लोग आते हैं।

कोई 10 रुपए भी दे तो खुशी-खुशी ले लेते हैं
बचुदादा मोरबी के रंगपुर गांव के रहने वाले हैं और 30-40 सालों से मोरबी शहर में ही रह रहे हैं। वे मोरबी शहर के स्टेशन के पास एक झोपड़ी में रहते हैं और पास ही में उनका ढाबा चलता है। ढाबे का साइज तो काफी छोटा है, लेकिन इसका नाम आज बहुत बड़ा हो चुका है, यानी फेमस। वैसे तो खाने की पूरी थाली का रेट 40 रुपए है, लेकिन यह सिर्फ नाम का है। अगर किसी के पास कम हों तो वह 10 या 20 रुपए भी दे सकता है और बचुदादा खुशी-खुशी ये पैसे ले लेते हैं। जिनके पास बिल्कुल भी पैसे न हों तो वे मुफ्त में भी खा सकते हैं।

तीन स्वादिष्ट सब्जियां, रोटी-दाल-चावल, पापड़ और छाछ

पहले ढाबे पर पत्नी के साथ बेटी भी हाथ बंटाया करती थी, लेकिन अब दोनों के न होने के चलते बचुदादा अकेले ही ढाबा संभाल रहे हैं।

बचुदादा बताते हैं कि अपनी थाली का रेट 40 रुपए उन्होंने इसलिए रखा है, जिससे खर्च निकल सके। इसी के चलते तो वे आज तक झोपड़ी में ही रह रहे हैं। बचुदादा की जिंदगी का मकसद सिर्फ गरीब लोगों को पेट भरने का है। इतना ही नहीं, उनकी थाली में तीन स्वादिष्ट सब्जियां, रोटी-दाल-चावल, पापड़ और छाछ भी शामिल रहता है। जबकि, आज के समय में एक सामान्य होटल में भी इतने खाने का रेट कम से कम 100 रुपए तो होता ही है। उनका ढाबा जिस जगह है, उसके आसपास गांवों में गरीब लोग रहते हैं इसलिए रोजाना 10 से 15 लोग यहां पेट भरने चले आते हैं।

इनके लिए सबसे बड़ी बात है बचुदादा का स्वभाव और उनका गरीब लोगों के प्रति प्यार। वो कहते हैं कि उनके यहां आया व्यक्ति भूखा नहीं जाना चाहिए। चाहे उसके पास कम पैसे हों या बिल्कुल भी न हों। बचुदादा के परिवार में एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है और अब वह ससुराल में है। वहीं, 10 महीने पहले पत्नी की मौत हो गई। पहले ढाबे पर पत्नी के साथ बेटी भी हाथ बंटाया करती थी, लेकिन अब दोनों के न होने के चलते बचुदादा अकेले ही ढाबा संभाल रहे हैं।

वैसे तो खाने की पूरी थाली का रेट 40 रुपए है, लेकिन यह सिर्फ नाम का है। अगर किसी के पास कम हों तो वह 10 या 20 रुपए भी दे सकता है।

मोरबी के युवक ने यू-ट्यूब पर बचुदादा का वीडियो अपलोड किया
मोरबी शहर में रहने वाले कमलेश मोदी नाम के एक युवक ने बचुदादा के ढाबे का वीडियो यू-ट्यूब पर अपलोड किया था। यह वीडियो रातों-रात सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। बचुदादा के ढाबे पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ने लगी। पहले जहां दिन भर में उनके ढाबे पर 30 से 40 लोग ही आया करते थे। अब वहीं यह संख्या 150 तक पहुंच चुकी है।

35 साल पहले मोरारी बापू ने कहा था- सेवा का काम जारी रखना
भास्कर से बातचीत में 72 साल के बचुदादा ने बताया कि एक बार मोरारी बापू यहां आए थे और मुझसे कहा था कि बचुदादा ये सेवाकार्य हमेशा जारी रखना। यह उनका आशीर्वाद ही है कि मेरा यह काम जारी है। बचुदादा कहते हैं कि अभी मैं एक थाली के 40, 30, 20, और 10 रुपए तक लेता हूं और जिनके पास पैसे नहीं होते, उन्हें फ्री में खिलाता हूं। फ्री में खाने वालों की संख्या रोजाना 10-15 हो जाती है और बाकी के 100 से 150 लोग रोज खाना खाते हैं। एक थाली में जो व्यक्ति जितना भी खाना चाहे, खा सकता है। मुझे तो यह काम तब तक करना है, जब तक कि मैं थक नहीं जाता।

बचुदादा के ढाबे पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ने लगी। पहले जहां दिन भर में उनके ढाबे पर 30 से 40 लोग ही आया करते थे। अब वहीं यह संख्या 150 तक पहुंच चुकी है।

खाना स्वादिष्ट होता है, इसलिए आता हूं - ग्राहक
बचुदादा के ढाबे पर अक्सर खाना खाने आने वाले एक ग्राहक अतरसिंह कहते हैं कि मैं कई सालों से यहां खाना खाने आ रहा हूं। यहां खाने का अलग ही आनंद है और खाना भी बहुत स्वादिष्ट होता है। खाने में सब्जियां-साग और दाल इतनी स्वादिष्ट लगती है कि खाना खाते ही रह जाओ। मुझे तो जब भी बाहर खाना होता है तो मैं सीधे यहां चला आता हू्ं।

रमेश सोरठिया यहां रोजाना फ्री में खाना खाने आते हैं, क्योंकि वे बेसहारा हैं। रमेश बताते हैं कि काफी समय से बचुदादा मुझे यह स्वादिष्ट खाना खिला रहे हैं।



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72 साल के बचुदादा गुजरात के मोरबी शहर में अपना ढाबा चलाते हैं। कहते हैं कि जब तक थक नहीं जाता, लोगों को खाना खिलाना चाहता हूूं।


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सबसे पहले बच्चों की फीलिंग्स को समझना होगा, जानिए बच्चों में चिड़चिड़ापन क्यों आता है

कोरोनावायरस का बच्चों के दिमाग पर गलत असर पड़ रहा है। वजह- बच्चे लंबे समय से घर पर ही हैं। उनका स्कूल, एक्सरसाइज, खेलकूद, घूमना-फिरना सब बंद है। इसके चलते बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं। ऐसे में पैरेंट्स के सामने बड़ी चुनौती है कि वे बच्चों को कैसे संभालें? उन्हें कैसे खुश रखें? ताकि कोरोना का उनके दिमाग पर असर न पड़े।

इमोशनल इंटेलिजेंस एंड सोशल इंटेलिजेंस किताब के राइटर डेनियल गोलेमन कहते हैं कि एक पैरेंट्स के नाते अगर आप अपने बच्चों में कोई पॉजिटिव चेंज देखना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको उनकी फीलिंग्स को समझना होगा।

बच्चों में चिड़चिड़ापन क्यों आता है?

बच्चों में चिड़चिड़ापन 'मेल्टडाउन' के चलते आता है। मेल्टडाउन एक दिमागी प्रक्रिया के चलते होता है। छोटे बच्चों में मेल्टडाउन बहुत आम है। यह तब होता है, जब बच्चों को किसी चीज से खतरा या सुरक्षा की कमी महसूस होती है। इसी दौरान वे चिड़चिड़ापन जाहिर करते हैं। इस वक्त पैरेंट्स को बच्चों से तब-तक कोई बात नहीं करनी चाहिए, जब-तक वह मिड-फ्रीक आउट स्टेज में न आ जाएं।

मिड-फ्रीक आउट क्या है?

जब बच्चा जिद या गुस्सा करते हुए अचानक शांत हो जाता है तो उसे मिड-फ्रीक आउट स्टेज कहते हैं। यह लगभग सभी बच्चों में कॉमन है। इस स्टेज में बात करने पर पैरेंट्स यह पता लगा सकते हैं कि बच्चा क्यों जिद कर रहा है।

मेल्टडाउन की साइकोलॉजी क्या है?

व्हाय वी स्नैप के राइटर और न्यूरो साइंटिस्ट आर डॉग्लस फील्ड्स के मुताबिक, चिड़चिड़ेपन में दिमाग के दो हिस्से इन्वॉल्व रहते हैं। पहला हिस्सा है अमिग्डाला, जो गुस्से और डर जैसी भावनाओं पर पहले रिएक्ट करता है। दूसरा हिस्सा है हाइपोथैलेमस, जो शरीर के हार्ट रेट और टेम्प्रेचर जैसे फंक्शन को कंट्रोल करता है।

जब आपके बच्चे बेड पर अकेले सोने जैसी जिद करें, तो आपको यह समझ लेना चाहिए कि उसके दिमाग के पहले हिस्से अमिग्डाला ने कोई थ्रेट या डर डिटेक्ट किया है। इसी वजह से दिमाग के दूसरे हिस्से 'हाइपोथैलेमस’ ने उसे सोने की तरफ आकर्षित करना शुरू कर दिया है। ऐसे में आपको अपने बच्चे को वही करने देना चाहिए, जो वह करने की जिद कर रहा है।


बच्चों की आंखों में देखकर बात करने से वे जल्दी मान जाते हैं
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर डॉक्टर चार्ल्स नेल्सन के मुताबिक, बच्चे को मनाने के दौरान सबसे अच्छा जैश्चर होता है कि आप उसके सामने घुटनों के बल बैठ जाएं। इसके बाद उनके दोनों हाथों को पकड़ कर उनकी आंखों में देखकर बात करें। ऐसे में बच्चे के जल्दी नॉर्मल होने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं। बच्चे जल्द खुश हो जाते हैं।

ये भी पढ़ें- पैरेंट्स बातचीत करें तो किशोरों में कम हो सकता है आत्महत्या का जोखिम, स्मार्टफोन भी है बड़ा कारण; 7 तरीके व्यक्ति को बाहर निकाल सकते हैं

बच्चों की सोच को समझने की कोशिश करें

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना की वजह से जीने का तौर-तरीका बदला है। आप भी खुद को बदलें। परंपरागत तौर-तरीकों से बाहर आएं। बच्चों की सोच को समझने की कोशिश करें।

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, मोटिवेशन दो तरीके के होते हैं। पहला आंतरिक (Internal) और दूसरा बाहरी (External)। जानते हैं कि दोनों क्या हैं-

इंटरनल मोटिवेशन से किसी काम को करने में हमें ज्यादा मजा आता है। काम के बाद संतुष्टि मिलती है। इसके अलावा सीखने की हमारी ललक और ज्यादा बढ़ जाती है।

एक्सटर्नल मोटिवेशन से किसी काम में हमारा आउटकम यानी परिणाम बेहतर होता है। जैसे- जब हम किसी परीक्षा से पहले कड़ी मेहनत करते हैं और नंबर अच्छा आ जाते हैं तो उसके पीछे हमारी एक्सटर्नल मोटिवेशन होती है।

दुनिया में हर 10 में से 1 बच्चा अपनी भावनाएं शेयर करने में झिझकता है
बचपन सीखने-समझने और चीजों को एक्सप्लोर करने का सबसे अच्छा दौर होता है। एक इंसान अपनी पूरी लाइफ में जितना सीख पाता है, उसका 50% अपने बचपन में सीखता है। कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं, जो बहुत कम बोलते हैं। वे इंट्रोवर्ट हो जाते हैं। वे अपने मन की बात को दिल में ही रखते हैं। दुनिया में हर 10 में से 1 बच्चा अपनी भावनाओं, जरूरतों और समस्याओं को किसी से साझा करने में झिझक महसूस करता है।



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First of all, we have to understand the feelings of children, know why irritability occurs in children. बच्चों को कैसे खुश रखें, बच्चों को दो तरीके से मोटिवेट कर सकते हैं, पहला आंतरिक और दूसरा बाहरी


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दिल्ली में लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही, पिछले साल की तुलना में 15% खराब हुई हवा

दिल्ली के दयालपुर इलाके में रहने वाले 59 साल के प्रेम कुमार शर्मा को सांस लेने में तकलीफ होती है और आंखों में जलन रहती हैं। उनके आसपास लोग छतों पर पुराने टायर और तार जलाते हैं, जिससे इलाके में धुआं भर जाता है। प्रेम कुमार और उनके पड़ोस में रहने वाले 50 लोगों ने जुलाई में दिल्ली की प्रदूषण नियंत्रण समिति को लिखित शिकायत दी थी। इस शिकायत पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। प्रेम कुमार कहते हैं, 'कई बार पत्र लिखा, उप-राज्यपाल को भी लिखा, लेकिन कोई नहीं आया। प्रदूषण की वजह से जीना मुश्किल हो गया है। हम अपने घर में भी चैन की सांस नहीं ले सकते।'

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में इस समय जहां देखो 'प्रदूषण के विरुद्ध युद्ध' के विज्ञापन नजर आएंगे। बड़े-बड़े बिलबोर्ड से झांकते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोगों से प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। रेडलाइट, चौराहों पर 'प्रदूषण के विरुद्ध युद्ध' लिखी टीशर्ट पहनें और हाथों में पोस्टर थामे वॉलंटियर रेडलाइट होने पर गाड़ी का इंजन बंद करने की गुजारिश करते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों की गाड़ियों के इंजन चालू ही रहते हैं। दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई विज्ञापनों तक ही सिमटी नजर आती है। अगर गंभीर प्रयास किए जा रहे होते तो तीन महीने पहले की गई शिकायत पर कोई ना कोई कार्रवाई तो हुई होती। ऐसे शिकायतों पर दफ्तरों में मुहरें लग रही हैं और बाहर टायरों और पुराने सामान का जलाया जाना जारी है।

वॉलंटियर रेडलाइट होने पर गाड़ी का इंजन बंद करने की गुजारिश करते हैं लेकिन अधिकतर लोगों की गाड़ियों के इंजन चालू ही रहते हैं।

दिल्ली के ITO चौराहे पर शाम के वक्त गाड़ी की खिड़की खोलते ही जहरीली हवा फेफड़ों में घुसती है। अब यहां प्रदूषण से निबटने के लिए स्मॉग गन तैनात है, जो पानी का फुहारा हवा में छोड़ती है। इसका असर आसपास के 100 मीटर क्षेत्र में ही रहता है। यहां से अगली लालबत्ती पर फिर वही जहरीली हवा दम घोंटती है। बिजली से चलने वाली ये गन भारी शोर करती है और बड़ी मात्रा में पानी का इस्तेमाल करती है। देखने में भले ये लगे कि प्रदूषण के खिलाफ सरकार सजग है, लेकिन वास्तविक असर कुछ खास नजर नहीं आता। इस समय राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में ऐसी 50 गन तैनात हैं।

दिल्ली के सचिवालय पर तैनात स्मॉग गन के आगे कई लोग अपनी गाड़ी रोक देते हैं। उन्हें लगता है कि ये सैनिटाइजर है, लेकिन असल में ये पानी की फुहारें हैं, जो हवा में घुल रहे धुएं के कणों से चिपककर उन्हें जमीन तक लाती हैं। इस स्मॉग गन को चला रहे दीपक रावत बताते हैं, 'हम सुबह भारी ट्रैफिक के समय और शाम को स्मॉग गन चलाते हैं। दिन में भी बीच-बीच में इसे चलाते रहते हैं।'

वो कहते हैं, 'इसका असर हो रहा है या नहीं, वो तो एक्सपर्ट ही बताएंगे, लेकिन ये तो आप देख ही सकते हैं कि जहां तक बौछार जा रही हवा साफ है।' इन स्मॉग गन का असर एक सीमित दायरे में ही दिखाई देता है, लेकिन बिजली और पानी की भारी खपत इनके वास्तविक असर पर सवाल खड़ा कर देती हैं।

25-26 साल के मौहम्मद जैद फोन कॉल पर टायर-पंचर जोड़ने की सेवा देते हैं और अधिकतर समय रोड पर ही रहते हैं। उनका जवान शरीर भी प्रदूषण की मार से बेहाल हो जाता है। जैद कहते हैं, 'आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ होती है। देर तक रोड पर रहने की वजह से सर भारी हो जाता है।'

यही हाल ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर योगेंद्र मान का है। करीब 50 साल के योगेंद्र दिन भर रोड पर रहते हैं। वो कहते हैं, 'हम हर समय मास्क लगाए रखते हैं और गुनगुना पानी पीते हैं। आंखों में जलन रहती है, लेकिन अब आदत हो गई है।' प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध हैं। कंस्ट्रक्शन साइटों को लेकर भी कई सख्त नियम हैं। आपात सेवाओं को छोड़कर डीजल जेनरेटर चलाने पर भी रोक है। पराली को जलाने से रोकने के लिए तो कानून तक लाया गया है।

प्रशासन प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव कर रहा है।

बावजूद इसके प्रदूषण की स्थिति में सुधार नजर नहीं आता। अक्टूबर 2020 में दिल्ली का औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 265 रहा है, जबकि साल 2019 में अक्टूबर का औसत AQI 234 था। यानी इस साल हवा और खराब हुई है। बीते साल दीवाली 27 अक्टूबर को थी। दीवाली की पूर्व संध्या दिल्ली का औसत AQI 319 था, जबकि अगले दिन प्रदूषण का स्तर दिल्ली में 400 को पार कर गया था।

बीते तीन साल का डाटा बताता है कि दीवाली के बाद प्रदूषण का स्तर तीन चार दिन तक बढ़ता रहता है। इस बार पटाखों पर सख्त प्रतिबंध हैं। ऐसे में कुछ बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। शुक्रवार सुबह दिल्ली के कई इलाकों में AQI चार सौ के पार था, जबकि औसत 379 था। पड़ोस के नोएडा में ये 374, जबकि गुरुग्राम में 295 रहा। गाजियाबाद में AQI 289 है। प्रदूषण का ये स्तर स्वस्थ लोगों के लिए भी हानिकारक है। बीमार और बुजुर्ग लोगों के लिए तो ये बेहद खतरनाक है। इस हवा में सांस लेने से बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा से पीड़ित लोगों को इमरजेंसी हेल्थ सर्विस तक लेनी पड़ सकती है। 2019 में 13 नवंबर को दिल्ली का AQI 500 के पार था, जबकि नोएडा में ये 472 था।

दिल्ली-NCR के हालात अभी खतरनाक हैं और आगे ये स्थिति और बिगड़ सकती है। सरकार के कदमों का भी कुछ खास असर नहीं दिख रहा है। पर्यावरण कार्यकर्ता मानते हैं कि अभी बहुत कुछ और किया जाना बाकी है। पर्यावरण जागरुकता के लिए साइकिल यात्रा कर रहे अनुपम त्रिपाठी कहते हैं, 'प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में हम गलती ये कर रहे हैं कि हम सरकार पर निर्भर हो रहे हैं। सिर्फ नियम-कानून बनाकर हवा साफ नहीं की जा सकती। इसके लिए हर व्यक्ति को प्रयास करना होगा। बड़े शहरों में लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इन्हें खुद पर्यावरण को बचाने के लिए आगे आना चाहिए।'



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The fight against pollution reduced to posters and banners, deteriorating conditions in Delhi


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7 साल से नहीं मिला नया चैम्पियन; दिल्ली फाइनल तक पहुंची, लेकिन बेंगलुरु फिर चोकर्स

IPL के 13वें सीजन में दिल्ली कैपिटल्स (DC) पहली बार फाइनल में पहुंची थी। इसी के साथ फैंस को उम्मीद जग गई थी कि 7 साल बाद लीग में नया चैम्पियन मिल जाएगा, लेकिन डिफेंडिंग चैम्पियन मुंबई इंडियंस (MI) ने ऐसा नहीं होने दिया। उसने दिल्ली को हराकर 5वीं बार खिताब पर कब्जा जमा लिया।

श्रेयस अय्यर की कप्तानी में लगातार इम्प्रूव कर रही दिल्ली टीम ने इस बार लड़खड़ाते हुए फाइनल में जगह बनाई थी। वहीं, विराट कोहली की रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) एक बार फिर चोकर्स साबित हुई। एलिमिनेटर में सनराइजर्स हैदराबाद ने उसे बाहर कर दिया। हालांकि, हैदराबाद को क्वालिफायर-2 में दिल्ली ने करारी शिकस्त दी थी।

मुंबई ने 5 और चेन्नई ने 3 बार खिताब जीता
अब तक 13 सीजन में 5 ही ऐसी टीम हैं, जिन्होंने खिताब जीते हैं। इनमें मुंबई ने सबसे ज्यादा 5 और चेन्नई सुपर किंग्स ने 3 बार खिताब अपने नाम किया है। कोलकाता नाइट राइडर्स और हैदराबाद टीम 2-2 बार चैम्पियन रही हैं। राजस्थान रॉयल्स एक बार ट्रॉफी लेकर गई।

लड़खड़ाते हुए पहली बार फाइनल में पहुंची दिल्ली
इस सीजन में दिल्ली ने शुरुआत शानदार की और जल्दी ही 14 पॉइंट के साथ टॉप पर पहुंच गई थी। तब दिग्गजों ने टीम खिताब का दावेदार मान लिया था, लेकिन उसके बाद टीम लगातार मैच हारती गई और फिर एक मैच जीतकर दूसरे नंबर पर काबिज हुई। पहले क्वालिफायर में मुंबई ने दिल्ली को 57 रन से करारी शिकस्त दी।

टॉप-2 में रहने के कारण दिल्ली को क्वालिफायर-2 में दूसरा मौका मिला, जिसमें एलिमिनेटर जीतकर आई सनराइजर्स हैदराबाद को 17 रन से शिकस्त दी और लड़खड़ाते हुए पहली बार फाइनल में जगह बनाई। इस मैच में पहली बार मार्कस स्टोइनिस को ओपनिंग भेजा था, जिन्होंने 38 रन की पारी खेली और 3 विकेट भी लिए थे। हालांकि फाइनल में वे मैच की पहली बॉल पर आउट हो गए थे।

पहला खिताब जीतने वाली राजस्थान का पिछले साल से भी ज्यादा खराब प्रदर्शन
IPL का पहला खिताब 2008 में राजस्थान रॉयल्स ने अपने नाम किया था। इसके बाद टीम कभी फाइनल नहीं खेली और हर सीजन में जूझती हुई दिखी। पिछले साल टीम 7वें नंबर पर थी। इस बार टीम का प्रदर्शन उससे भी ज्यादा खराब रहा और 8वें नंबर पर रहते हुए वापस लौटी।

जबकि टीम की कमान ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव स्मिथ के हाथ में थी। साथ ही टीम में इंग्लैंड को 2019 वनडे वर्ल्ड कप जिताने वाले जोस बटलर, जोफ्रा आर्चर, बेन स्टोक्स और टॉम करन मौजूद थे। इन दिग्गजों के बावजूद यूएई के मैदान पर राजस्थान पूरी तरह बेअसर दिखी।

RCB में कोहली-डिविलियर्स और फिंच, फिर भी टीम चोकर्स
लीग के दूसरे सीजन में ही फाइनल खेलने वाली रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) एक बार फिर चोकर्स साबित हुई। टीम की कमान 2013 से विराट कोहली के हाथ में है, लेकिन फ्रेंचाइजी को अब तक खिताब नसीब नहीं हुआ। कोहली के अलावा मौजूदा टीम में एबी डिविलियर्स और एरॉन फिंच जैसे बड़े खिलाड़ी थे। गेंदबाजी में युजवेंद्र चहल, क्रिस वोक्स, डेल स्टेन, उमेश यादव और नवदीप सैनी थे।

सभी ने टीम को प्ले-ऑफ में पहुंचाया। यहां से फैंस को लगा कि टीम इस बार अपना पहला खिताब जीत लेगी, लेकिन टीम फिर चोकर्स साबित हुई। एलिमिनेटर में सनराइजर्स हैदराबाद ने उसे 6 विकेट से करारी शिकस्त दी। इस मैच से एक दिन पहले ही कप्तान कोहली ने अपना 32वां जन्म दिन भी मनाया था। फैंस को लगा था कि कोहली उन्हें खिताब के रूप में गिफ्ट देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

ऑरेंज कैप विनर राहुल की टीम किंग्स इलेवन की हालत सबसे खराब
क्रिस गेल, कप्तान लोकेश राहुल और मयंक अग्रवाल जैसे प्लेयर होने के बावजूद किंग्स इलेवन पंजाब 6 साल से प्ले-ऑफ में जगह नहीं बना सकी। पिछली बार टीम 2014 में रनरअप रही थी। इससे पहले टीम एक ही बार 2008 में प्ले-ऑफ खेल सकी है। आंकड़ों को देखा जाए तो दिल्ली से ज्यादा खराब हालत इसी टीम की है।

इस टीम का इतिहास देखा जाए, तो टीम में डेविड वॉर्नर, युवराज सिंह, ग्लेन मैक्सवेल, हाशिम अमला, डेविड मिलर, शॉन मार्श और महेला जयवर्धने जैसे दिग्गज खेल चुके हैं। गेंदबाजी में मोहम्मद शमी, संदीप शर्मा, एंड्र्यू टाई, इरफान पठान और एस श्रीसंत जैसे खिलाड़ी रहे हैं। बावजूद टीम अब तक एक फाइनल और एक बार प्ले-ऑफ खेल सकी है। टीम की मालकिन प्रिटी जिंटा हैं।



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Virat Kohli: IPL 2020 Chokers Team | Delhi Capitals, Kings XI Punjab (KXIP) and Royal Challengers Bangalore (RCB)


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औरत यानी जंघाओं और कूल्हों से बना मांसपिंड, जिसे अपना नेता चुनने जैसा दिमागी हक नहीं दिया जा सकता

एक तस्वीर है, जिसमें अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस अपने पति डगलस एमहॉफ के गले लगी हुई हैं। साथ में दो सुर्ख दिल चमक रहे हैं और लिखा है- मुझे तुम पर गर्व है यानी पति डगलस को पत्नी कमला पर गर्व है। गर्व का ये ताज पहने हुए ही जनवरी में डगलस अमेरिका के पहले 'सेकंड जेंटलमैन' बन जाएंगे। इधर, ट्विटर पर तस्वीर आते ही लोग टूट पड़े। एक खेमा तस्वीर के मकसद को सराहता हुआ, तो दूसरा उसके बहाने आम मर्द मानसिकता को लताड़ता हुआ।

छत्ते पर पत्थर लगते ही जैसे बर्र बिदकते हैं, वैसे ही भन्नाए मर्द भी छतरियों से निकल पड़े। युद्ध का बिगुल बज गया। तीर-बर्छियों के बीच एक जनाब अपनी मासूमियत में लबालब राज खोलते हैं- सारे मर्द एक से नहीं होते। बिल्कुल ठीक। सारे मर्द कतई एक जैसे नहीं। अंगुलियों के पोरों की तरह सबकी शक्ल-सूरत और दिल-दिमाग भी अलग-अलग हैं। बस एक ही बात में लगभग सारे पुरुषों की मानसिकता ठहर जाती है, वो है औरतों के आगे बढ़ने को लेकर, खासकर जब बात राजनीति की हो, तब तो बड़े-बड़े शेर खां के दम फूल जाते हैं।

औरतें पढ़-लिख लें, कुछ गा-गवा लें, थोड़े फूल-पत्ते उकेर लें और बहुत हुआ तो कोर्ट-कचहरी कर लें, लेकिन राजनीति! मियां, औरतों की राजनीति रसोई तक ही ठीक है। वो तक तो नहीं संभलती, मुल्क क्या खाक संभालेंगी। वैसे देखा जाए तो ये बात भी ठीक है। मुल्क संभालना कोई कड़ाही-करछी का खेल नहीं कि पल्लू खोंसा और लग गए। उसके लिए तो ढेरों-ढेर किताबें देखनी होती हैं। हजारों लोगों से मिलना होता है और करोड़ों सपने याद रखने होते हैं। औरतें ये जिगरा कहां से पाएंगी। वे तो आपके सपनों को ही पूरा हुआ देखने को होम हुए जाती हैं।

और वैसे भी राजनीति बड़ा गंदा खेल है। औरतें बेचारी सीधी-सी होती हैं। क्या पता कौन धमका दे, कौन मार-कूट दे या कोई बहकाकर नक्शा ही नाम करा ले तो! लिहाजा, राजनीति को मर्दों ने मर्दाना खेल बना डाला। ठीक वैसे ही, जैसे मर्दाना चुटकुले होते हैं। अपने गांवों को देखिए। सरपंच की जगह रामरती देवी का नाम होगा, लेकिन गांव में चलेगी उसके पति की। सबकुछ सरपंच पति तय करेगा। रामरती घर-दुआर संभालेगी और उपले पाथते हुए पति के बताए कागजों पर दस्तखत कर देगी। हद तो ये है कि जिला स्तर के दफ्तरों में भी रामरती की जगह उसका पति ही फाइलें लिए रुआब से खड़ा दिखेगा। अफसरों तक को इसपर कोई ऐतराज नहीं। और होगा भी क्यों, आखिर उनके यहां भी तो यही रीति होगी।

जिस अमेरिका में एक महिला की जीत का जश्न मनाया जा रहा है, वहां साथ में एक सवाल भी उठ रहा है। साल 1804 में उस देश में पहला आम चुनाव हुआ। तब से लेकर 1920 तक केवल पुरुष ही वोट करते रहे। महिलाओं का मुद्दा उठने पर सीनेट के एक सदस्य ने कह दिया- नो ब्रॉड्स प्लीज। तब ब्रॉड अमेरिका में औरतों को अश्लील ढंग से पुकारने का एक तरीका था। औरत यानी जंघाओं और कूल्हों से बना मांसपिंड, जिसे अपना नेता चुनने जैसा दिमागी हक नहीं दिया जा सकता। तब वहां की औरतों को इस हक के लिए लगभग डेढ़ सौ साल रुकना पड़ा। और तो और, जिस स्विट्जरलैंड की मोहक तस्वीरें देखकर आप-हम उसपर फिदा हुए जाते हैं, वहां औरतों को वोटिंग राइट 1974 में मिला।

अमेरिका और स्विस मुल्क की ये हवा हमारे यहां गांव-गांव बहती है। एक कहावत है, 'जिस घर औरत मुखिया, उस घर डूबी लुटिया। अब भला घर की लुटिया कोई क्यों कोई डुबोना चाहेगा। तो लीजिए साहब, औरत को वहां तक पहुंचने ही न दो, जहां वो कोई फैसला ले सके। उन्हें घर-दुआरे के फेर में इतना लगा दो कि सुध ही बिसार दे। और भूले-भटके किसी जनानी को राजनीति का कीड़ा काट ही ले तो टोपी पहनाकर उसे रसोई में नारे बुलंद करने दो। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, शाम को घर लौटकर शिकायतें सुनकर माथा भन्नाएगा। यही न!

अब आप कहिएगा कि तुम औरतें न ढेर किटकिट करती हो। दे तो रहे हैं अधिकार। वोट देती हो। सुविधा मिले तो नेतागिरी भी कर लेना, लेकिन घर के कामों में कोई हील-हुज्जत न हो। औरत मुंडी हिला देती है। कर लूंगी। चक्करघिन्नी बन अपने-तई सब कर भी डालती है, लेकिन आप कहां मानेंगे। वो भागती हुई पार्टी ऑफिस जा रही है। पीछे से आप कहेंगे- सुनो, आज कटहल के कोफ्ते और खीर भी पका जाना। औरत दिमाग में देश के नक्शे उतार रही है, उधर लताड़ आती है कि थोड़ा मुन्नू को भी गिनती सिखा जाओ।

मने गजब है भायाजी। रात तुम मुर्गे का रोस्ट खाओ और सुबह-तड़के उसे अजान के लिए भी झकझोर दो। मारने का इलजाम लिए बिना जायका लेना कोई तुमसे सीखे। ये तुम्हारा हुनर ही है, जो औरत मुल्क संभालते-संभालते गृहस्थी में रम जाती है। या कभी भूले-बिसरे सपना सिर उठाने लगे तो आपका प्यार तो है ही उसे वापस भुलाने के लिए। पता नहीं, कितने साल पहले मर्द-औरत बने। दोनों में दायरों का बंटवारा कब हुआ, कोई नहीं जानता। ये भी नहीं पता कि पहली आवाज किस औरत की थी। लेकिन आवाजें बढ़ रही हैं। अब चाहे शतरंज का खेल हो या राजनीति, औरतें भी पासे चलेंगी। शुरुआत हो चुकी है। जैसा कमला हैरिस कहती हैं- मैं पहली औरत हूं, लेकिन आखिरी नहीं... और यकीन जानिए, ये हादसा नहीं, जो टाला जा सकेगा।



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Kamala Devi Harris is an American politician and attorney who is the vice president-elect of the United States


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