गुरुवार, 10 सितंबर 2020

सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोराटोरियम को 28 सितंबर तक बढ़ाया, केंद्र से दो हफ्ते में ठोस फैसला लेने के लिए कहा

लोन मोराटोरियम (किस्त भुगतान में मोहलत) मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ठोस फैसला लेने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। गुरुवार को जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि मोराटोरियम पर फैसला लेने के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को यह अंतिम मौका दिया जा रहा है। साथ ही कोर्ट ने लोन मोराटोरियम को 28 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस अवधि तक बैंक किसी भी लोन की किस्त ना चुकाने पर नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) घोषित ना करें। अब अगली सुनवाई 28 सितंबर को ही होगी।

बैंकों और हितधारकों से चल रही बातचीत

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह इस मामले को लेकर बैंकों और अन्य हितधारकों से बातचीत कर रहा है। इस संबंध में दो से तीन राउंड की बैठक हो चुकी है और मामले का परीक्षण किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ब्याज पर ब्याज नहीं वसूलने वाली याचिका को लेकर भी विचार करने को कहा है। साथ ही कर्जदारों की क्रेडिट रेटिंग को डाउनग्रेड नहीं करने को कहा है।

लोन लेने वाले ग्राहकों की दलील

पिछली सुनवाई में ग्राहकों के एक ग्रुप और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के महाराष्ट्र चैप्टर की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि मोरेटोरियम नहीं बढ़ा तो कई लोग लोन पेमेंट में डिफॉल्ट करेंगे। इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी को सेक्टर वाइज प्लान तैयार करना चाहिए। रियल एस्टेट डेवलपर्स के संगठन क्रेडाई की ओर से वकील ए सुंदरम ने दलील रखते हुए कहा था कि मोरेटोरियम में ग्राहकों से ब्याज वसूलना गलत है। इससे आने वाले समय में नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बढ़ सकते हैं। शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से वकील रणजीत कुमार ने कहा था कि कोरोना की वजह से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। उन्हें राहत देने के उपाय किए जाने चाहिए। आरबीआई सिर्फ बैंकों के प्रवक्ता की तरह बात नहीं कर सकता।

31 अगस्त को खत्म हुई है लोन मोराटोरियम की सुविधा

कोरोना संक्रमण के आर्थिक असर को देखते हुए आरबीआई ने मार्च में तीन महीने के लिए मोराटोरियम सुविधा दी थी। यह सुविधा 1 मार्च से 31 मई तक तीन महीने के लिए लागू की गई थी। बाद में आरबीआई ने इसे तीन महीनों के लिए और बढ़ाते हुए 31 अगस्त तक के लिए कर दिया था। यानी कुल 6 महीने की मोराटोरियम सुविधा दी गई है। 31 अगस्त को यह सुविधा खत्म हो गई है।

क्या है मोराटोरियम?

जब किसी प्राकृतिक या अन्य आपदा के कारण कर्ज लेने वालों की वित्तीय हालत खराब हो जाती है तो कर्ज देने वालों की ओर से भुगतान में कुछ समय के लिए मोहलत दी जाती है। कोरोना संकट के कारण देश में भी लॉकडाउन लगाया गया था। इस कारण बड़ी संख्या में लोगों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया था। इस संकट से निपटने के लिए आरबीआई ने 6 महीने के मोराटोरियम की सुविधा दी थी। इस अवधि के दौरान सभी प्रकार के लोन लेने वालों को किस्त का भुगतान करने की मोहलत मिल गई थी।



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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ब्याज पर ब्याज नहीं वसूलने वाली याचिका को लेकर भी विचार करने को कहा है।


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क्या होता है जब आप गूगल या फेसबुक पर ‘आत्महत्या’ टाइप करते हैं?

अगर आप फेसबुक पर ‘आत्महत्या’ से जुड़ी कोई पोस्ट लिखते हैं। सर्च इंजन गूगल पर इस शब्द को सर्च करते हैं तो आपकी स्क्रीन पर फोन नंबर 9152987821 चमकता है और साथ में लिखा आता है, ‘मदद मिल सकती है, आज ही किसी काउंसलर से बात करें।’ये नंबर मुम्बई के एनजीओ आईकॉल (iCALL) के कॉल सेंटर का है। आईकॉल की शुरुआत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के स्कूल ऑफ ह्यूमन इकोलॉजी ने 2012 में की। मकसद था मेंटल हेल्थ की सुविधा को देश के हर नागरिक तक पहुंचाना। दो साल पहले यानी 2018 में आईकॉल गूगल और फेसबुक के साथ बतौर मेंटल हेल्थ पार्टनर जुड़ गया।

आईकॉल के साथ 25 प्रोफेशनल मेंटल हेल्थ काउंसलर अलग-अलग शिफ्ट में काम करते हैं। सुबह आठ बजे से लेकर रात के दस बजे तक हिंदी और अंग्रेजी सहित कई स्थानीय भाषाओं में काउंसलिंग देते हैं। प्रेरणा यादव आईकॉल के साथ बतौर प्रोग्राम कॉर्डिनेटर जुड़ी हैं। फोन पर बात करते हुए वे बताती हैं, ‘हमारी हेल्पलाइन पैन इंडिया है। हमारे सभी काउंसलर हिंदी और अंग्रेजी में तो बात कर ही पाते हैं। साथ ही हम मराठी, पंजाबी, मलयालम, बांग्ला और कन्नड़ जैसी स्थानीय भाषाओं में भी काम करते हैं।

इस साल मार्च तक कॉल सेंटर में हर दिन 100 से 150 कॉल आ जाते थे। प्रेरणा यादव कहती हैं, ‘मेरे पास ठीक-ठीक नंबर तो नहीं हैं लेकिन इतना दावे के साथ कह सकती हूं की लॉकडाउन के बाद से ज्यादा फोन आ रहे हैं। इसी को देखते हुए हमने अप्रैल में दो और टेलीफोन लाइनें शुरू कीं। एक उनके लिए जो कोरोना से लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं। जैसे- हमारे डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी और पुलिसकर्मी। दूसरी उनके लिए जो कोरोना या लॉकडाउन की वजह से परेशान हैं या डिप्रेस्ड महसूस कर रहे हैं।’

अब सवाल उठता है कि अगर कोई व्यक्ति परेशान है। यदि वह आत्महत्या जैसे कदम उठाने की सोच रहा है या किन्हीं कारणों से डिप्रेस्ड है तो क्या केवल काउंसलिंग से उसकी समस्या हल हो सकती है? रमिता झा (बदला हुआ नाम) दिल्ली में रहती हैं। पेशे से पत्रकार हैं। अपनी मास्टर्स की पढ़ाई करने के दौरान रमिता ने मेंटल हेल्थ पर ही अपना डिजरटेशन (शोध-रिपोर्ट) पेश किया है। काम करने के दौरान एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें एक काउंसलर की जरूरत महसूस हुई। अपने उस अनुभव को याद करते हुए रमिता बताती हैं, ‘बहुत अजीब था। मैं काउंसलिंग के मकसद से गई थी। उन्होंने मुझे नींद की दवाई देकर भेज दिया।

मैं अपनी परेशानियां उनसे साझा करना चाह रही थी, उन्होंने सुना ही नहीं। मैंने वो दवाई नहीं खाई। आप कह सकते हैं कि खुद से खुद की काउंसलिंग की, और अब ठीक हूं। रमिता बताती हैं कि इस मामले में काउंसलिंग बहुत महत्वपूर्ण है। सही समय पर एक काबिल काउंसलर से काउंसलिंग मिलने पर पीड़ित व्यक्ति की आधे से ज़्यादा परेशानियां खत्म हो जाती है। मेंटल हेल्थ के मामले में काउंसलिंग की जरूरत को केंद्र सरकार ने भी माना है। 8 सितम्बर को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता की तरफ से मनोवैज्ञानिक मदद मुहैया कराने के लिए 24X7 हेल्पलाइन की शुरुआत की गई है।

सरकार ने हेल्पलाइन ‘किरण' (1800-599-0019) की शुरुआत की है। जिसमें हिंदी, असमिया, तमिल, मराठी, ओडिया, तेलुगू, मलयालम, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, बांग्ला, उर्दू और अंग्रेजी में सलाह, परामर्श उपलब्ध कराया जाएगा। पिछले कुछ सालों में भारत में मानसिक तनाव और इस वजह से होने वाले आत्महत्या के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक हर सात में से एक भारतीय मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है। वहीं काउंसलर्स और मनोचिकित्सकों का मानना है कि देश में कोरोना महामारी होने के बाद चिंता-संबंधी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे कि ओसीडी और घबराहट संबंधी विकारों में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई है।

वहीं गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश में आत्महत्या की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं। इसी महीने ब्यूरो की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यानी 2019 में 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की थी। साल 2018 में 1,34,516 और 2017 में 1,29,887 लोगों ने आत्महत्या की थी। इस हिसाब से साल 2019 में हर दिन 381, साल 2018 में 368 और साल 2017 में 355 लोगों ने खुद को मौत के हवाले कर दिया।

जानकारों का मानना है कि लॉकडाउन लगने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों में निराशा फैली है और इस वजह से आत्महत्या की घटनाओं में तेजी आई है। इन छह महीनों में हुई आत्महत्याओं का कोई ठोस आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है लेकिन दिल्ली से सटे नोएडा पुलिस का कहना है कि जनवरी से लेकर अभी तक जिले में कुल 195 आत्महत्याएं हो चुकी हैं और इनमें से 74 फीसदी अप्रैल से लेकर अगस्त के बीच हुई हैं। पुलिस ने ये भी बताया है कि इन आत्महत्याओं के पीछे नौकरी जाना और व्यक्तिगत रिश्तों में आई दिक्कत मुख्य वजह हैं।



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What happens when you type 'suicide' on Google or Facebook?


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5 राफेल वायुसेना की 17 गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन का हिस्सा बने, सर्वधर्म पूजा हुई; विमानों ने करतब दिखाए, वॉटर कैनन सैल्यूट दिया गया

फ्रांस से खरीदे गए 5 आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल गुरुवार को अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन पर वायुसेना में शामिल हो गए। वे 17 गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के हिस्सा बन गए हैं। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की डिफेंस मिनिस्टर फ्लोरेंस पार्ले की मौजूदगी में सर्वधर्म यानी हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के अनुसार पूजा हुई। तस्वीरों में देखें राफेल की सेरेमनी को...

फ्लाईपास्ट के दौरान राफेल ने करीब 15 मिनट कलाबाजियां दिखाईं।
राफेल ने तेजस और जगुआर एयरक्राफ्ट के साथ फ्लाईपास्ट में करतब दिखाए।
अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन पर राफेल एयरक्राफ्ट को वॉटर कैनन से सैल्यूट किया गया।
अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन पर हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई धर्म के अनुसार पूजा हुई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की डिफेंस मिनिस्टर फ्लोरेंस पार्ले।
पूजा के पहले राफेल को इस तरह सजाया गया।
भारत को जुलाई के आखिर में 5 राफेल फाइटर जेट्स का पहला बैच मिला था। 27 जुलाई को 7 भारतीय पायलट ने राफेल लेकर फ्रांस से उड़ान भरी थी और 7,000 किमी का सफर तय कर 29 जुलाई को भारत पहुंचे थे।


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राफेल को एयरफोर्स में शामिल करने के लिए सर्वधर्म पूजा की गई। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की डिफेंस मिनिस्टर फ्लोरेंस पार्ले भी मौजूद थीं।


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कोरोना संक्रमित 100 गंभीर मरीजों में से 8 की जान सस्ती स्टेरॉयड दवाओं से बच सकती है, जानिए क्या हैं इसके फायदे

कोरोनावायरस के अब रोज 90 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं। वैक्सीन आने की हाल-फिलहाल संभावना नहीं दिख रही है। इस बीच हुई एक रिसर्च ने कुछ उम्मीदों को जगाने वाले नतीजे दिए हैं। इसके मुताबिक कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान सस्ती स्टेरॉयड दवाओं से बचाई जा सकती है।
इस रिसर्च पर WHO ने भी मुहर लगा दी है। संस्था ने कहा कि स्टेरॉयड दवाएं कोरोनावायरस के गंभीर मरीजों को दी जा सकती हैं। ये दवाएं संक्रमण से होने वाली मौतों का आंकड़ा 20 फीसदी तक घटा सकती हैं। हालांकि, इसे शुरुआती लक्षणों वाले मरीजों को देने की जरूरत नहीं है।
रिसर्च के नतीजे क्या कहते हैं?

  • जर्नल ऑफ द अमरीकन मेडिकल एसोसिएशन में इस नए रिसर्च के नतीजे प्रकाशित हुए हैं। इसमें बताया गया है कि कोरोना से बीमार पड़े 100 में से कम से कम आठ लोगों की जान स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बच सकती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि रिसर्च के नतीजे प्रभावशाली हैं, पर स्टेरॉयड कोरोना वायरस का इलाज कतई नहीं है।

WHO का क्या कहना है?

  • डब्ल्यूएचओ की क्लीनिकल केयर हेड जेनेट डियाज के मुताबिक, स्टेरॉयड दवा के तीन ट्रायल किए गए हैं। ट्रायल में यह बात सामने आई है कि कोरोना पीड़ित को ये दवाएं देने पर मौत का खतरा कम हुआ है।
  • ट्रायल के दौरान मरीजों को डेक्सामेथासोन, हाईड्रोकॉर्टिसोन और मिथाइलप्रेडिसोलोन जैसे स्टेरॉयड ड्रग दिए गए। ये मरीज की इम्युनिटी बढ़ाने के साथ शरीर में सूजन भी कम करते हैं। स्टेरॉयड के क्लीनिकल ट्रायल ब्रिटेन, ब्राजील, चीन, फ्रांस, स्पेन और अमेरिका में हुए हैं।

रिसर्च कैसे किया गया है?

  • इस नई स्टडी में दुनिया भर में कोरोना मरीजों पर हो रहे स्टेरॉयड के इस्तेमाल के क्लिनिकल ट्रायल की जानकारी को शामिल किया गया है। स्टडी यह बताती है कि कोरोना के गंभीर मरीजों में डेक्सामेथासोन और हाइड्रोकॉर्टिसोन नाम के दो स्टेरॉयड प्रभावी साबित हो सकते हैं।
  • लंदन के इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर एंथोनी गॉर्डन के मुताबिक, "साल की शुरुआत में स्थिति बेहद हतोत्साहित करने वाली थी। लेकिन अब छह महीने में हमें भरोसेमंद और हाई क्वालिटी क्लिनिकल ट्रायल के स्पष्ट नतीजे मिल गए जो बताते हैं कि हम इस घातक बीमारी से कैसे निपट सकते हैं।"

रिसर्च में कितने लोगों को शामिल किया गया?

  • यह स्टडी कोरोना से गंभीर रूप से बीमार 1,703 लोगों पर की गई, जिनमें से 40 फीसदी की मौत आम इलाज देने के बाद हुई। 30 फीसदी लोगों की मौत स्टेरॉयड देने के बाद हुई।
  • ये रिसर्च केवल अस्पतालों में गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर की गई। इनमें संक्रमित अधिकतर लोगों में मामूली लक्षण दिखाई दे रहे थे।

स्टेरॉयड का काम क्या है?

  • आमतौर पर स्टेरॉयड मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और सूजन को शांत करने का काम करते हैं। इनका इस्तेमाल गठिया और अस्थमा जैसी बीमारियों के साथ-साथ गंभीर संक्रमण के मामलों में किया जाता है।

स्टेरॉयड दवाएं कैसे करती हैं काम?

  • रिसर्च के मुताबिक कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में स्टेरॉयड दवाएं अधिक प्रभावी नहीं होतीं, लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, इनका अधिक असर इम्युनिटी पर पड़ता है। दरअसल, कोरोना शरीर के इम्यून सिस्टम पर सबसे ज्यादा दबाव डालता है, जिस कारण वो फेफड़ों और शरीर के अन्य ऑर्गन्स को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मार्टिन लेन्डरे कहते हैं, "कोरोना किसी संक्रमित व्यक्ति में जब उस स्थिति में पहुंच जाए, जब मरीज की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर की जरूरत पड़े, तब आपको समझ जाना चाहिए कि आप इस स्थिति में कॉर्टिकोस्टेरॉयड के इस्तेमाल के लिए प्रिस्क्रिप्शन लिख सकते हैं।"

स्टेरॉयड क्या है?

  • स्टेरॉयड एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ होता है जो हमारे शरीर के अंदर ही बनता है। इसके अलावा यह प्राकृतिक रासायनिक पदार्थ का केमिकल रूप भी होता है, जिसका इस्तेमाल किसी विशेष बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है।
  • इसके अलावा स्टेरॉयड का उपयोग पुरुषों में हार्मोन बढ़ाने, प्रजनन क्षमता बढ़ाने, मेटाबॉलिज्म और इम्युनिटी को दुरुस्त करने में किया जाता है। मांसपेशियों और हड्डियों में मजबूती बढ़ाने के साथ-साथ दर्द के इलाज में यह इस्तेमाल किया जाता है।

स्टेरॉयड के नुकसान?

  • इसके ज्यादा इस्तेमाल से कार्डिएक अरेस्ट, हार्ट अटैक, लिवर की समस्या, ट्यूमर, हड्डियों को नुकसान, शरीर का विकास रुकना, बांझपन, बाल झड़ना, लंबाई बढ़ना, अवसाद आदि बीमारियां हो सकती हैं। हालांकि डॉक्टर कई मामलों में स्टेरॉयड का इंजेक्शन देते हैं।

डेक्सामेथासोन स्टेरॉयड के इस्तेमाल की भी एक्सपर्ट्स ने दी थी सलाह

इसी साल जून में ब्रिटेन में डेक्सामेथासोन नाम के एक स्टेरॉयड के इस्तेमाल को लेकर ट्रायल हुआ था। यह काफी सफल भी रहा।

इसके बारे में ब्रिटेन के एक्सपर्ट्स ने दावा किया था कि डेक्सामेथासोन कोरोना से संक्रमित और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को ठीक कर सकती है। यह दवा काफी सस्ती है और दुनिया भर में आसानी से उपलब्ध भी है।

डेक्सामेथासोन पहली ऐसी स्टेरॉयड ड्रग है, जिसने संक्रमण से होने वाली मौतों को रोकने में मदद की। दुनियाभर में इसका प्रयोग कोरोना के मरीजों पर किया जा रहा है।



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WHO News: World Health Organization (WHO) Research Update; Coronavirus Covid-19 Patients Survive Steroids


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एक्ट्रेस और भाई शोविक की जमानत याचिका पर सुनवाई आज; जेल में पहले दिन दाल-चावल खाया, जमीन पर सोईं

ड्रग्स मामले में गिरफ्तार रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक की जमानत अर्जी पर आज मुंबई के सेशन कोर्ट सुनवाई होगी। उन्हें बुधवार को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के लॉकअप से भायखला जेल में शिफ्ट किया था। एक्ट्रेस ने जेल की बैरक नंबर 1 के लॉकअप में पहली रात बिताई। सूत्रों के अनुसार, यह बैरक शीना बोरा हत्याकांड में गिरफ्तार इंद्राणी मुखर्जी की बैरक के ठीक बगल में है। एनसीबी ने रिया को मंगलवार को गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

ड्रग्स मामला भी सुशांत सिंह राजपूत की मौत से ही जुड़ा है। 14 जून को सुशांत का शव बांद्रा स्थित फ्लैट में मिला था। शुरुआत में इस केस को नेपोटिज्म से जोड़ते हुए आत्महत्या बताया गया था, लेकिन बाद में केस में कई अलग एंगल भी सामने आए और जांच बिहार पुलिस से होते हुए सीबीआई के पास पहुंची। फिलहाल सुशांत केस में एनसीबी के साथ ही सीबीआई और ईडी भी जांच कर रही है।

ऐसा रहा रिया का भायखला जेल में पहला दिन

  • सूत्रों की माने तो रिया को बुधवार पूरे दिन जनरल बैरक में रखा गया है, हालांकि देर शाम उन्हें बैरक नंबर एक में शिफ्ट कर दिया गया।
  • पहला दिन होने के कारण रिया चक्रवर्ती ने सिर्फ जेल कर्मचारियों से बात की और पूरे रात अपने बैरक में ही रहीं। सूत्रों की माने तो एक्ट्रेस रात में कई बार उठीं और ठीक से सो नहीं सकी।
  • इससे पहले बुधवार दोपहर तक जेल के डॉक्‍टर ने रिया का टेस्‍ट किया और उनका ब्‍लड प्रेशर, शुगर लेवल और पल्‍स चेक की। चेकअप में सब कुछ नार्मल आने के बाद एक्ट्रेस को आराम करने के लिए भेज दिया गया।
  • बैरक में एक कंबल, तकिया और सफेद चद्दर के साथ डेंटल किट और हर दिन के जरूरी सामान उन्हें दिए गए। एक्ट्रेस ने जेल कर्मचारियों से कुछ किताब पढ़ने के लिए मांगी है।
  • जेल में कोई बेड नहीं होता इसलिए एक्ट्रेस जमीन पर ही सोई। शाम 5 बजे उन्हें खाने के लिए चावल, दाल और दो रोटी के साथ कद्दू की सब्जी भी दी गई थी।
  • जेल में इंद्राणी मुखर्जी की अच्छी पहचान बन चुकी है, कैदी मंजुला की मौत के बाद 2017 में इंद्राणी के नेतृत्व में जेल में प्रदर्शन हुआ था। इसलिए माना जा रहा है कि रिया के जेल में आने के बाद उन्होंने रिया से भी मिलने का प्रयास किया।

रिया के साथ फिल्म बनाना चाहते हैं निखिल द्विवेदी
रिया को भले ही सुशांत की मौत का जिम्मेदार माना जा रहा है, लेकिन एक्टर-प्रोड्यूसर निखिल द्विवेदी ने एक्ट्रेस के समर्थन में आगे आए। उन्होंने ट्वीट किया, ‘रिया मैं तुम्हें जानता तो नहीं हूं, मैं यह भी नहीं जानता कि तुम किस तरह की इंसान हो, शायद तुम उससे भी खराब हो जितना खराब तुम्हें दिखाया जा रहा है, शायद ऐसा नहीं भी हो, लेकिन मैं इतना जानता हूं कि जिस तरह तुम्हें दोषी दिखाया जा रहा है, वह गलत है। कोई देश ऐसा बिहेव नहीं करता। जब ये यब खत्म हो जाएगा तो हम आपके साथ काम करना चाहेंगे।’’

रिया से जुड़ी आप ये खबर भी पढ़ सकते हैं...

रिया फिर कोर्ट गईं:अदालत से कहा- 3 दिन तक महिला नहीं, पुरुष अफसरों ने पूछताछ की और गुनहगार बनने पर मजबूर किया, जेल में भी जान को खतरा है



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रिया चक्रवर्ती को 8 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। शोविक इससे पहले से गिरफ्तार हैं। -फाइल फोटो


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देश के हालातों के बीच सुशांत, रिया, राउत और रानाउत ...!

देश की अर्थ व्यवस्था भली-चंगी है और कोरोना की स्थिति भी सुधार पर है। इसलिए हम सुशांत राजपूत की मौत को लेकर रिया की गिरफ्तारी, संजय राउत और कंगना रानाउत की तीखी और बेहूदा बहस में रुचि ले रहे हैं। केंद्र सरकार कोरोना से पार पा चुकी है, इसलिए कंगना को वाय श्रेणी की सुरक्षा देने के सिवाय उसके पास कोई काम नहीं है।

कितनी हैरत की बात है- एक टीवी एक्ट्रेस उस मुंबई के बारे में ग़लत टिप्पणी करती है जिसने उसे कहां से कहां पहुंचा दिया और चूंकि केंद्र में बैठी सरकार या पार्टी उस एक्ट्रेस के पक्ष में है इसलिए उसे किसी को, कुछ भी कहने का अधिकार मिल गया है। सुशांत की आत्महत्या से जुड़ी आवाज दिल्ली, मुंबई से बिहार के कोने-कोने तक इसलिए जंगल की आग की तरह फैल रही है क्योंकि होने वाले बिहार चुनाव में इस आग का कुछ ताप कुछ वोटों को इकट्ठा कर सकता है।

तय है और सोलह आने सच भी, कि बाबू राजेंद्र प्रसाद और जय प्रकाश नारायण का बिहार इस राजनीतिक आग को अच्छी तरह जानता है और समझता भी है। यही वजह है कि पिछले चुनाव में गोमांस का मुद्दा फ़िस्स हो गया था। दरअसल, जब तक हम अपने वोट की क़ीमत नहीं जानेंगे, गोमांस, सुशांत जैसे मुद्दों पर पार्टियां चुनाव लड़ती रहेंगी और असल मुद्दे जिस तरह वर्षों से नेपथ्य में हैं, वहीं पड़े सड़ते रहेंगे।

जहां तक राउत और रानाउत की विशेष बहस का मामला है, यह बड़ी दिलचस्प है। वैसे तो राउत और रानाउत में सिर्फ एक ना का ही फ़र्क़ है लेकिन इस बहस के पीछे एक तरह से महाराष्ट्र और केंद्र सरकार आमने-सामने आ गई हैं। दोनों हार नहीं मानना चाहतीं और दोनों ही एक-दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहती। केंद्र ने कंगना को सुरक्षा दी तो महाराष्ट्र सरकार ने कंगना का ऑफिस तोड़ डाला। कुल मिलाकर बात यह है कि आजकल सरकारें भी इतनी जल्दी में, इतने ग़ुस्से में रहती हैं कि जिसको मारने दौड़ती हैं उससे भी आगे निकल जाती हैं।

सरकारें यह समझने को भी तैयार नहीं रहतीं कि बदले की इस त्वरित कार्रवाई से साफ़ समझ में आ जाएगा कि बदला लिया जा रहा है। दूसरी पार्टी के विधायक, सांसद जिस होटल या रिसोर्ट में रुके हों वहां छापे मारना, जो ख़िलाफ़ बोले उसका घर- ऑफिस तोड़ना, यह कौन सी राजनीतिक समझ है? यह कौन सी कूटनीति है? जिस पर न कोई लगाम लगाना चाहता, न कोई कुछ समझना चाहता।

अभी तो बिहार में चुनाव और मध्यप्रदेश के उपचुनावों में बहुत कुछ नया, बहुत कुछ अजीब देखने को मिलने वाला है। मास्क जो हम छह महीनों से मुंह पर लटकाए घूम रहे हैं, उन पर भी राजनीति होने वाली है। पार्टियां इसकी तैयारी में जुट गई हैं। जल्द ही कमल, पंजे और अन्य पार्टियों के चिह्न लगे मास्क बाज़ार में आने वाले हैं।

`बहरहाल, कोरोना की चिंता, उससे सुरक्षा हम आम लोगों को ही करना है। सरकारों को जो कुछ करना था, वह कर चुकीं। झूठे वादे। खोखली दलीलें। नक़ली वेंटिलेटर, फ़र्ज़ी सैनिटाइजर ... और भी बहुत कुछ...।



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नवनीत गुर्जर दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर हैं।


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इंजीनियरिंग के बाद सरपंच बनी इस बेटी ने बदल दी गांव की तस्वीर, गलियों में सीसीटीवी और सोलर लाइट्स लगवाए, यहां के बच्चे अब संस्कृत बोलते हैं

हरियाणा के कैथल जिले में एक ग्राम पंचायत है ककराला-कुचिया। दो गांवों से मिलकर बनी इस पंचायत में करीब 1200 लोग रहते हैं। कहने को तो ककराला और कुचिया दोनों गांव ही हैं, लेकिन कई मायनों में ये शहरों से भी आगे हैं। यहां गली-गली में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, सोलर लाइट्स हैं, वाटर कूलर है, लाइब्रेरी है। इतना ही नहीं, इस ग्राम पंचायत के बच्चे हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ संस्कृत भी बोलते हैं। यह सब कुछ मुमकिन हो सका है, यहां की सरपंच प्रवीण कौर की बदौलत।

प्रवीण कौर शहर में पली बढ़ीं, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग भी की, लेकिन किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने के बजाय गांव के लिए काम करने का फैसला लिया। 2016 में जब वह सरपंच बनीं थीं, तब उनकी उम्र महज 21 साल थी। वह हरियाणा की सबसे कम उम्र की सरपंच हैं। 2017 में वीमेंस डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।

प्रवीण कौर ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की है। 2016 में सिर्फ 21 साल की उम्र में वो सरपंच बनीं थीं।

वो कहती हैं कि मैं शहर में जरूर पली बढ़ी हूं, लेकिन गांव से मेरा लगाव शुरू से रहा है। बचपन में जब मैं गांव आती थी, तब यहां सड़कें नहीं थीं, अच्छे स्कूल नहीं थे, पीने के लिए पानी की भी दिक्कत थी। गांव की महिलाओं को दूर से पानी भरकर लाना पड़ता था। इन दिक्कतों को देखकर मैंने उसी समय तय कर लिया था कि पढ़-लिखकर कुछ बनूंगी, तो गांव के लिए जरूर काम करूंगी।

साल 2016 की बात है। तब मैं इंजीनियरिंग कर रही थी। गांव के कुछ लोग पापा से मिलने आए और मुझे सरपंच बनाने का प्रस्ताव रखा, क्योंकि तब सरकार ने यह नियम बना दिया था कि पढ़े-लिखे लोग ही सरपंच बनेंगे और मेरे गांव में कोई और पढ़ा-लिखा नहीं था। जब पापा ने मुझसे यह बात कही, तो शुरू में मैं तैयार नहीं हुई। मुझे लगता था कि मेरी उम्र काफी कम है, शायद मैं इतनी बड़ी जिम्मेदारी नहीं संभाल पाऊं, लेकिन पापा ने सपोर्ट किया, तो मैंने भी हां कर दिया।

सरपंच बनने के बाद मैंने गांव में घूमना शुरू किया, लोगों से मिलना और उनकी दिक्कतों को समझना शुरू किया। कुछ दिन बाद मैंने मोटे तौर पर एक लिस्ट तैयार कर ली कि मुझे क्या-क्या करना है। सबसे पहले मैंने सड़कें ठीक करवाईं, लोगों को पानी की दिक्कत न हो, इसलिए जगह- जगह वाटर कूलर लगवाया।

गांव में सीसीटीवी और सोलर लाइट्स की व्यवस्था

प्रवीण बतातीं हैं कि जब मैं सरपंच बनी थी, तब गांव की महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी। ज्यादातर लड़कियां स्कूल नहीं जाती थीं, उनके लिए सुरक्षा बड़ा इश्यू था। उन्हें डर लगता था कि कहीं उनके साथ कोई गलत काम न कर दे। इसलिए मैंने महिलाओं की सुरक्षा के लिए गांव में सीसीटीवी कैमरे लगवाए। बिजली थी, लेकिन बहुत कम समय के लिए आती थी। तो मैंने सोलर लाइट की व्यवस्था की। अब महिलाएं और लड़कियां बिना किसी डर के कहीं भी जा सकती हैं, रात में भी और दिन में भी।

प्रवीण कौर ने अपने पंचायत में सोलर लाइट्स लगवाईं हैं। गलियों में खंभों पर सीसीटीवी भी लगे हैं।

वो कहती हैं कि अब हमारी पंचायत की लड़कियां जागरूक हो गईं हैं। हर लड़की पढ़ने जाती है। मेरे काम को देखकर वो लोग भी आगे बढ़ना चाहती हैं, गांव- समाज के लिए कुछ करना चाहती हैं। गांव के बच्चों को किताब की कमी न हो, इसलिए ग्राम पंचायत में लाइब्रेरी खोल रखी है। गांव के बच्चे अपना ज्यादातर समय वहीं गुजारते हैं। पहले गांव में 10वीं तक स्कूल था, अब अपग्रेड होकर 12वीं तक हो गया है।

बच्चा-बच्चा संस्कृत बोलता है

इस पंचायत की सबसे बड़ी खूबी है कि यहां के बच्चे संस्कृत बोलते हैं, छोटे-बड़े सभी। प्रवीण बताती हैं कि हमने इसकी शुरुआत इसी साल फरवरी में की। तब महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति हमारे गांव आए थे। उन्होंने कहा कि हम आपके गांव को संस्कृत ग्राम बनाना चाहते हैं। मैंने कहा कि इससे अच्छी क्या बात होगी, फिर संस्कृत के टीचर रखे गए और पढ़ाई शुरू हो गई।

प्रवीण के साथ 4 और महिलाएं उनके काम में सहयोग करती हैं। उन्होंने महिलाओं के लिए अलग से एक कमेटी भी बनाई है, जिसमें गांव की महिलाएं अपनी बात रखती हैं, अपनी परेशानियां शेयर करती हैं।

प्रवीण ने महिलाओं के लिए एक कमेटी बनाई है, जिसमें वो अपनी परेशानियां शेयर करती हैं।

अगले साल पंचायत का चुनाव होना है। हमने जब उनके फिर से चुनाव लड़ने को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि अब मैं चाहती हूं कि दूसरे किसी योग्य युवा को मौका मिले। एक ही व्यक्ति को बार- बार मौका मिलना ठीक नहीं है। मैं बदलाव का इरादा करके आई थी और मुझे खुशी है कि काफी हद तक इसमें सफल रही। आगे क्या करना है फिलहाल तो कुछ नहीं सोचा है, लेकिन इतना तो तय है कि गांव समाज के लिए काम करती रहूंगी।

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हरियाणा के कैथल जिले की ग्राम पंचायत ककराला-कुचिया की सरपंच प्रवीण कौर को पीएम मोदी ने 2017 में सम्मानित किया था।


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अंबाला में राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षा मंत्री की मौजूदगी में सर्वधर्म पूजा होगी, फिर फाइटर जेट करतब दिखाएंगे; 17 साल बाद इतिहास बनेगा

फ्रांस से खरीदे गए 5 आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल आज अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन में वायुसेना में शामिल किए जाएंगे। इस दौरान सर्वधर्म यानी हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई धर्म के अनुसार पूजा होगी। फिर एयर-शो होगा। सेरेमनी 6 घंटे चलेगी। कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ फ्रांस की रक्षामंत्री फ्लोरेंस पार्ले भी शामिल होंगी।

अपडेट्स
फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले दिल्ली पहुंच चुकी हैं।

10 बजे रक्षामंत्री आएंगे, 10:30 बजे से एयर-शो
समारोह को ऐतिहासिक बनाने के लिए वायुसेना ने तैयारी पूरी कर ली है। सुबह 10 बजे राजनाथ सिंह और फ्रांस के रक्षामंत्री अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन में लैंड करेंगे। इसके बाद 10:30 बजे एयर शो शुरू होगा। हवा में एक के बाद एक कई विमान प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद ध्रुव हेलीकॉप्टर की सारंग टीम करतब दिखाएगी। इससे पहले 2016 में भी सारंग टीम अम्बाला में एयर शो कर चुकी है। अम्बाला के लोगों को घरों की छतों से एयर शो के करतब दिखाई दिखाई देंगे।

राफेल के साथ अम्बाला में पहली बार स्वदेशी तेजस भी करतब दिखाएंगे। तेजस विमान में राफेल की तरह डेल्टा विंग हैं। इनके अलावा जगुआर और सुखोई-30 भी परफॉर्म करेंगे।

17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल होंगे राफेल
राफेल फाइटर जेट की अम्बाला स्थित 17 गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन में औपचारिक एंट्री इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी। 17 साल बाद कोई रक्षा मंत्री अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन में किसी बड़े समारोह में शामिल होंगे।

राफेल की 5 बड़ी खूबियां
1.
राफेल ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जेनरेशन का सबसे फुर्तीला विमान है। इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।
2. इसमें आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है।
3. खतरे की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है। राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है।
4. इसमें हवा से हवा में मारने वाली मैजिक-II, एमबीडीए मीका आईआर या ईएम और एमबीडीए मीटियर जैसी मिसाइलें हैं। ये मिसाइलें हवा में 150 किमी तक के टारगेट को निशाना बना सकती हैं।
5. हवा से जमीन में मारने की भी ताकत है। इसकी रेंज 560 किमी है। इस फाइटर जेट के आने से भारत की ताकत हिंद महासागर में भी बढे़गी।

राफेल की डील और भारत में डिलिवरी
भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल जेट की डील की थी। इनमें से 30 फाइटर जेट्स होंगे और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे। ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट्स जैसे सभी फीचर होंगे। भारत को जुलाई के आखिर में 5 राफेल फाइटर जेट्स का पहला बैच मिला। 27 जुलाई को 7 भारतीय पायलट्स ने राफेल लेकर फ्रांस से उड़ान भरी थी और 7,000 किमी का सफर तय कर 29 जुलाई को भारत पहुंचे थे।

फोटो 29 जुलाई की है। उस दिन 5 राफेल 2 सुखोई विमानों के एस्कॉर्ट में अम्बाला एयरबेस पहुंचे थे।

पिछले साल दशहरे पर 8 अक्टूबर को राफेल जब भारत को सौंपे गए थे, तब फ्रांस में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हिंदू रीति रिवाज से शस्त्र पूजा करते हुए राफेल पर ‘ओम’ बनाकर नारियल चढ़ाया और धागा बांधा था। उनकी इस पूजा पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए थे।

2003 में जॉर्ज फर्नांडिस ने अम्बाला में मिग-21 उड़ाया था
अगस्त 2003 में एनडीए सरकार में रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस ने 73 की उम्र में मिग-21 बाइसन में उड़ान भरी थी। उस वक्त मिग-21 हादसों में लगातार पायलटों की मौत की होने की वजह से सरकार पर सवाल उठने लगे थे। इन विमानों को फ्लाइंग कोफिन तक कहा जाने लगा था।

2003 में मिग-21 में उड़ान भरने के बाद जार्ज फर्नांडिस।

अम्बाला में तब मिग-21 की कोबरा स्क्वाड्रन तैनात थी। जॉर्ज फर्नांडिस ने कोबरा स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर विंग कमांडर एन हरीश के साथ उड़ान भरी थी। करीब 25 मिनट की उड़ान के बाद उन्होंने इस विमान की जबरदस्त तारीफ करते हुए रियल फाइटिंग मशीन बताया था।



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27 जुलाई को भारतीय पायलट्स ने 5 राफेल विमान लेकर फ्रांस से उड़ान भरी थी और 7000 किमी का सफर तय कर 29 जुलाई को भारत पहुंचे थे।


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अमेरिका में राजनीतिक अपमान का खेल, कौन जीतेगा- डोनाल्ड ट्रम्प या जो बाइडेन

करीब सालभर पहले मैंने बिना किसी से सलाह लिए अपना जॉब डिस्क्रिप्शन बदल दिया। पहले लिखता था- न्यूयॉर्क टाइम्स फॉरेन अफेयर कॉलमनिस्ट। अब लिखता हूं- न्यूयॉर्क टाइम्स में अपमान और गौरव पर कॉलम लिखने वाला। इतना ही नहीं अपने बिजनेस कार्ड पर भी यही प्रिंट कराया। 1978 में पत्रकारिता शुरू की। आम लोगों, नेताओं, शरणार्थियों, आतंकवादियों और देश के साथ ही राज्यों पर से जुड़े मामलों पर लिखता रहा। अपमान और गौरव या सम्मान इंसान की दो सबसे ताकतवर भावनाएं हैं।

आज इसका जिक्र जरूरी
आज इस बात का जिक्र जरूरी है। जो बाइडेन ट्रम्प कैम्पेन को ट्रम्प के खिलाफ कामयाबी मिलती दिख रही है। क्योंकि, वो उसी भाषा में जवाब देना जानते हैं, जो विरोधियों की है। इससे ट्रम्प के कुछ समर्थक अपमानित महसूस करते हैं। ये काम पिछले चुनाव में हिलेरी क्लिंटन नहीं कर पाईं थीं। ट्रम्प पहली बार जब प्रेसिडेंट की रेस में शामिल हुए तो उनके समर्थक हर उस व्यक्ति से नफरत करते थे, जो ट्रम्प से नफरत करता था।

मीडिया ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई। ट्रम्प के कई समर्थक ऐसे है, जो उनकी नीतियों नहीं, बल्कि उनके बर्ताव से प्रभावित हैं। उन्हें लोगों को नीचा दिखाने में खुशी मिलती है। मेरे हिसाब से पॉलिटिक्स और इंटरनेशनल रिलेशन्स में अपमान की ताकत का कभी ठीक से अंदाजा नहीं लगाया गया। गौरव या सम्मान के मामले में गरीबी व्यवहार में पैसे की गरीबी से ज्यादा साफ नजर आती है।

अपमान सहन नहीं होता
मुश्किल, भूख या दर्द। ये आदमी सहन कर सकता है। जॉब, कार या दूसरे फायदों के लिए आपका शुक्रगुजार भी हो सकता है। लेकिन, अगर आप उनकी बेइज्जती करेंगे तो वे ताकत से जवाब देंगे। नेल्सन मंडेला ने कहा था- अपमानित आदमी से ज्यादा खतरनाक कोई और नहीं हो सकता। किसी को शांति से सुनना सम्मान का ही प्रतीक है।

उदाहरण भी मिलते रहे
फॉरेन पॉलिसी की बात करें तो मैंने कई चीजें देखीं। कोल्ड वॉर में रूस पिछड़ गया तो पुतिन की ताकतवर इमेज सामने आई। इराक पर अमेरिकी हमले के बाद सुन्नियों का क्या हुआ, उन्हें सेना और सरकार के अहम पदों से बाहर कर दिया गया। फिलिस्तीनियों को इजराइल के चेक प्वॉइंट्स पर बेइज्जत होना पड़ता है। यूरोप में मुस्लिम युवाओं के साथ क्या होता है। चीन आज वर्ल्ड पॉवर है। वहां के लोग कहते हैं कि उन्होंने एक सदी तक विदेशी ताकतों के हाथों अपमान सहा, बर्दाश्त किया।

जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन पर पुलिसकर्मी घुटना रखे रहा। जॉर्ज मदद मांगता रहा, लोग वीडियो बनाते रहे। उसका अपमान हुआ। अश्वेतों के साथ रोजाना होने वाले अपमान के खिलाफ ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन चला। हॉवर्ड के पॉलिटिकल फिलॉस्फर माइकल सेन्डेल की किताब का जिक्र करूंगा। माइकल मेरे दोस्त भी हैं। वो ‘अपमान की राजनीति’ जैसे शब्दों के जरिए बताते हैं कि ट्रम्प लोकप्रिय क्यों हुए।

ट्रम्प ने क्या किया
सेन्डेल कहते हैं- ट्रम्प ने लोगों की शिकायतों, झुंझलाहट और दुख को जरिया बनाया और आवाज दी। इसका जवाब मेनस्ट्रीम पार्टीज के पास नहीं था। शिकायतें आर्थिक और नैतिक ही नहीं सांस्कृतिक तौर पर भी थीं। सेन्डेल चेतावनी देते हैं- अगर बाइडेन लोगों की ट्रम्प के प्रति इन शिकायतों और अपमान का सही जवाब नहीं दे पाए तो नुकसान होगा। कोरोना से निपटने में ट्रम्प की नाकामी ही बाइडेन को जीत नहीं दिला सकती। ट्रम्प इसी का फायदा उठा रहे हैं।

अमेरिका की राजनीति दो हिस्सों में बंटी है। एक वे जिनके पास कॉलेज डिग्री है। दूसरे वे- जिनके पास यह डिग्री नहीं है। 2016 के चुनाव में ट्रम्प को मिले कुल श्वेत अमेरिकी वोटों में से दो तिहाई ऐसे थे जिनके पास कॉलेज डिग्री ही नहीं थे। यानी वे ग्रेजुएट नहीं थे। न्यूयॉर्क के एलीट क्लास के सामने ट्रम्प कुछ नहीं हैं। ये डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। इमीग्रेंट्स और दूसरे देशों के लोग आज इन पर हंसते हैं।

बाइडेन सही कहते हैं...
सेन्डेल के मुताबिक- बाइडेन का यह कहना बिल्कुल दुरुस्त है कि ट्रम्प कोरोना से निपटने में विफल रहे। उन्होंने संविधान का उल्लंघन किया और नस्लवादी तनाव बढ़ाया। ये ट्रम्प को चुनाव हराने के लिए काफी हैं। लेकिन, मैं ये मानता हूं कि दलीलों में जीतने के बाद बाइडेन चुनाव हार सकते हैं। बाइडेन को उन लोगों को भरोसे में लेना होगा, जिन्हें लगता है कि उनकी आवाज उठाने वाला कोई नहीं। ये लोग ट्रम्प के साथ हैं। हालांकि, ट्रम्प की नीतियों से उन्हें कभी कोई फायदा नहीं हुआ।

तो क्या करना चाहिए अब बाइडेन को
सेन्डेल यह भी बताते हैं कि ट्रम्प के वोटर्स को बाइडेन कैसे अपने फेवर में कर सकते हैं। सेन्डेल कहते हैं- बाइडेन को दूर-दराज के उन गांवों और कस्बों में जरूर जाना चाहिए, जहां ट्रम्प का आधार है। वहां के लोगों को ध्यान से सुनना चाहिए। इससे उन्हें अहसास होगा कि उनका भी सम्मान किया जाता है। फिर, प्रेसिडेंशियल डिबेट में इसका जिक्र करना चाहिए। इससे वर्किंग क्लास वोटर उनके साथ आएगा। बाइडेन डेमोक्रेटिक पार्टी के अकेले ऐसे नेता हैं जो लोगों को जोड़ सकते हैं।

ट्रम्प बाइडेन के वोटर्स को उनसे अलग करना चाहते हैं। अब बाइडेन को भी यही करना होगा। इसके लिए ट्रम्प के वोटर्स को सम्मान देना होगा। उनका भरोसा जीतना होगा। उनका डर खत्म करना होगा।



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पिछले हफ्ते पेन्सिलवेनिया की एक रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प समर्थकों से बातचीत करते हुए। ट्रम्प कहते हैं कि अगर बाइडेन चुनाव जीत गए तो यह चीन की जीत होगी। बाइडेन भी उन पर जवाबी हमले करते हैं।


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भारतीय अर्थव्यवस्था बड़ी मुसीबत में; भारत के लिए सम्मान चाहिए, तो उसे अमीर बनाने में मदद करें

यह बॉलीवुड की साजिशों का पर्दाफाश करने में लगे भारतीयों के लिए बहुत जरूरी न हो, लेकिन यह ध्यान देने लायक है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बड़ी मुसीबत में है। आखिरी तिमाही में जीडीपी में 24% की गिरावट आई है, जो पूरी तरह अनापेक्षित नहीं था, लेकिन फिर भी डरावना और अभूतपूर्व है।

इससे फर्क नहीं पड़ता कि इसके पीछे कोरोना, भगवान, सरकारी नीतियां या इनका मिश्रण है। यह रसोई में गिरे दूध के कटोरे की तरह है। हम दिनभर बहस कर सकते हैं कि इसे किसी ने गिराया, यह अपने आप गिर गया या बिल्ली ने गिराया। बात यह है कि घर में अब दूध नहीं है और हमें अब इसकी भरपाई करनी है। हमें अपनी अर्थव्यवस्था वापस हासिल करनी है।

जीडीपी में कमी का बड़ा असर होगा

यह मानना कि आखिरी तिमाही एक असंगति थी और तेजी से वापसी होगी, ज्यादा ही आशावादी होना है। हालांकि ऐसा न हो पाने के पीछे कारण है। नोट बंदी दो महीने की घटना थी, लेकिन आर्थिक विकास की गति वर्षों प्रभावित रही। ऐसे ही जीडीपी में कमी का बड़ा असर होगा, जैसे बिजनेस बंद होना, नौकरियां जाना, बैंक लोन डिफॉल्ट होना और आत्मविश्वास खोना।

साथ ही अगर हम इस घातक विश्वास में लगे रहे कि ‘भगवान ने समस्या खड़ी की, वे ही ठीक करेंगे’, तो यह कभी ठीक नहीं होगी। ईश्वर ने हमें दिमाग दिया है, उसके इस्तेमाल से हम हल ढूंढ सकते हैं। पहला कदम होगा समस्या को मानना। अमेरिका की जीडीपी और ज्यादा गिरी है (ऐसा नहीं हुआ है), यह बताने वाले रचनात्मक चार्ट्स बनाने से समस्या हल नहीं होगी। सच कहूं, तो अगर हमने दुनिया के सबसे सख्त लॉकडाउन को मनाया है (कुछ लोगों ने तब कहा था, ‘कमाल कर दिया’), तो जीडीपी का नुकसान उसका बिल है।

अब बतौर विकासशील देश हमें अपनी सीमा समझ आई है कि अमीर देशों से होड़ नहीं करनी चाहिए, जो हमसे ज्यादा शटडाउन झेल सकते हैं। शायद यह उस सोच का नतीजा है कि खुद को कष्ट दो, तो ईश्वर दया करेगा। हमने कष्ट के प्रति प्रेम के कारण ही लॉकडाउन, कर्फ्यू व अन्य अतार्किक चीजें कीं, जिसका संबंध बाबुओं और रहवासी सोसायटी अध्यक्षों द्वारा लोगों को नियंत्रित करने से ज्यादा था, बीमारी नियंत्रित करने से कम। माफ कीजिए, यह कारगर नहीं रहा।

हमें सोचना होगा कि हम क्या चाहते हैं?

एक बार समस्या पहचानने के बाद हमें सोचना होगा कि हम क्या चाहते हैं? हम अमीर देश बनना चाहते हैं? एक सुपरपावर? ऐसा दर्जनों प्लेन खरीदने, विज्ञापन बनाने या नारे लगाने से नहीं होगा। यह सब नकली और बेवकूफी है। यह सब कमजोर आत्मसम्मान से आता है।

हम भारतीय यह मान्यता पाने के लिए आतुर रहते हैं कि हमारे पास खुद के लिए काफी है। कृपया यह बंद करें। वास्तविक बात अमीर देश बनना है। किसी भी गरीब देश का दुनिया में सम्मान नहीं होता, फिर उसका इतिहास कितना ही महान रहा हो। आपको भारत के लिए सम्मान चाहिए? तो उसकी अमीर होने में मदद करें। इसका मतलब है कि हम अर्थव्यवस्था पर ध्यान दें और उसे नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहार की निंदा करें। अभी हम विपरीत करते हैं।

उदाहरण के लिए हिन्दू-मुस्लिम मुद्दों से सामाजिक अशांति होती है, उससे बिजनेस का माहौल प्रभावित होता है। कोई भी उस देश में निवेश करना नहीं चाहेगा, जहां लोग एक-दूसरे से नफरत करते हैं। एक और परेशानी है कि सरकार और उसके बाबू नीति और नियमों से हर बिजनेस को नियंत्रित करना चाहते हैं। इन्हें छोड़ें। अर्थव्यवस्था को खोलें।

असली आर्थिक प्रोत्साहन देने की जरूरत

सरकार को तुरंत ही असली आर्थिक प्रोत्साहन देने की जरूरत है। गरीब देश होने के कारण हम बड़ा प्रोत्साहन नहीं दे सकते। लेकिन जो भी है, उसे वास्तविक होना चाहिए, सुर्खियां बनने वाला नंबर एक नहीं।
सरकार अर्थव्यवस्था के लिए कुछ करे, इसके लिए हमें यह भी देखना होगा कि जनता इसकी परवाह करती है। विडंबना है कि अभी सबसे ज्यादा प्रभावित हमारे युवा परवाह नहीं करते।

एक पूरी पीढ़ी बेरोजगार हो जाएगी। आम भारतीय और गरीब हो जाएंगे और कुछ अमीरों की सेवा करेंगे। यह 1980 के दशक के भारत जैसा हो जाएगा। फिर भी युवा अपने फोन में व्यस्त हैं, सस्ते 4जी डेटा पैक में खोए हैं, बचकाने वीडियो देख रहे हैं, वीडियो गेम खेल रहे हैं, पोर्न देख रहे हैं और शायद सोशल मीडिया पर सारा दिन लोगों से लड़ रहे हैं। यह सब बेकार है। यह हमारे निजी लक्ष्यों के साथ राष्ट्रीय मुद्दों से भी ध्यान भटका रहा है।

सस्ता डेटा हमारे युवाओं के लिए अभिशाप है, जहां वे कई घंटे सर्कस देखते हुए बर्बाद कर रहे हैं, जबकि साम्राज्य जल सकता है। युवाओं को फोन बंद कर उठना होगा। अपने सपनों, लक्ष्यों, महत्वाकांक्षाओं और पैसे कमाने पर ध्यान देना होगा, ताकि वे भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें। उन्हें यह सवाल लगातार पूछना होगा कि ज्यादा विकास क्यों नहीं हो रहा?

भारत का भविष्य हमारे हाथों में है। हम कम काम वाले बाबुओं और डिलिवरी बॉय का, एक-दूसरे से लड़ने वालों का गरीब देश बन सकते हैं, या हम अमीर देश बनकर दुनिया में सम्मान हासिल कर सकते हैं। इनमें से आप किस तरफ हैं? (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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चेतन भगत, अंग्रेजी के उपन्यासकार


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अगर बिहार और महाराष्ट्र में सुशांत फॉर्मूले से सियासत सफल हुई, तो डूबेगी लोकतंत्र की नाव

संत केशवानंद भारती, जिनका अभी निधन हुआ है, ने आपातकाल के पहले इंदिरा सरकार की असंवैधानिकता के खिलाफ लंबा संघर्ष किया था। उस ऐतिहासिक मामले में 47 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने कानून के शासन को संविधान की मूलभूत संरचना बताया था। चुनाव जीतने के लिए नेता कोई भी हथकंडे अपनाएं। उसके बाद राज्य और केंद्र सरकार में मंत्रियों को विधि द्वारा स्थापित व्यवस्था से देश को मजबूत करने की संवैधानिक शपथ लेनी ही पड़ती है।

रिया चक्रवर्ती और कंगना रनोट मामलों में केंद्र और राज्य की सरकारी एजेंसियां जैसी कार्रवाई कर रही हैं, उससे क़ानून के शासन की संवैधानिक शपथ बेमानी हो रही है। सुशांत की बहन के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने पर उनके वकील ने मुंबई में बांद्रा के पुलिस थाने को रिया का दूसरा घर बता दिया। तो मुंबई को पीओके कहने वाली कंगना को केंद्र सरकार से वाई सुरक्षा दे दी। ऐसी तगड़ी सुरक्षा देश के बड़े मंत्रियों को ही मिली है।

कंगना की सुरक्षा के लिए करणी सेना जैसे नए हरावल दस्ते आ रहे हैं। राजनेताओं द्वारा पोषित अवैध निजी सेनाएं, पुलिस व सरकारों की सामूहिक असफलता का शर्मनाक प्रमाण हैं। शिवसेना और भाजपा दोनों ने मिलकर 30 साल तक राजनीतिक गलबहियां की हैं। उसके बाद अब देश की वित्तीय राजधानी मुंबई को यदि पीओके कहा जा रहा है, तो फिर उसके लिए किसे जिम्मेदार माना जाए?

बीएमसी के भ्रष्टाचार और नकारेपन को कोसते हैं लोग

हर साल मानसून में मुंबई के लोग बीएमसी के भ्रष्टाचार और नकारेपन को कोसते हैं, फिर भी शिवसेना की नींद नहीं खुलती। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरोना और लॉकडाउन के कहर को देखते हुए 30 सितंबर तक तोड़फोड़ नहीं करने का निर्देश दिया था। लेकिन सियासत का 20-20 मैच जीतने के जुनून में बीएमसी अधिकारियों ने कंगना के ऑफिस के अवैध निर्माण को आनन-फानन में तोड़ दिया।

रिया और कंगना से जुड़े दोनों मामलों में पहले टारगेट सेट हो रहे हैं, फिर कार्रवाई के लिए वजह और क़ानून खोजे जा रहे हैं। सुशांत के पिता ने बिहार में जो एफआईआर दर्ज कराई थी, उसमें हत्या की साजिश और पैसों के गबन के आरोप थे। इन दोनों मुद्दों पर सीबीआई और ईडी फिलहाल मामला नहीं बना पाईं, तो फिर एनसीबी ने वॉट्सएप चैट के आधार पर ही रिया को गिरफ्तार करने का करतब दिखा दिया।

कानून के नाम पर चल रही इस खाप पंचायत का मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया से अनवरत प्रसारण हो रहा है। इससे आम जनता के मन में यह बात घर कर गई है कि सरकारी इशारे पर राज्य व केंद्र के अफसर किसी भी टारगेट को कानून के नाम पर नेस्तनाबूत कर सकते हैं।

तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिया था अहम फैसला

तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में जाति, धर्म, वर्ग, क्षेत्र आदि के नाम पर वोट मांगने वाले नेताओं का चुनाव रद्द करने के लिए चुनाव आयोग को अधिकार दिया था। लेकिन इन सारे कायदे, कानून और अदालती फैसलों को लागू करने के लिए सरकार की इच्छाशक्ति सिर्फ रिया और कंगना जैसे मामलों में ही दिखती है।

आम जनता को कानून का पाठ पढ़ाने वाले राजनेताओं ने खुद को कानून से ऊपर होने का कंबल बेशर्मी से ओढ़ लिया है। गुजरातियों, दक्षिण भारतीयों और फिर उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसक अभियान चलाकर शिवसेना ने देश को 40% आयकर देने वाले मुंबई में अपनी चौधराहट कायम की थी। जेडीयू और भाजपा द्वारा सुशांत को पोस्टर बॉय बनाने से जाहिर है कि अब बिहार में भी शिवसेना के जवाबी मॉडल से चुनावी फसल काटने का एक्शन प्लान तैयार है।

उत्तर प्रदेश और बिहार में स्थानीय मजदूरों के लिए परमिट, माटी पुत्रों के लिए हरियाणा में निजी क्षेत्र और मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण से जाहिर है कि मुद्दों के आधार पर वोट मांगने की बजाय, विभाजक अस्मिता का अराजक शॉर्टकट नेताओं को ज्यादा भाने लगा है।

बिग बॉस ने विवादों के तीर से सेलेब्रिटी हिट बनाने का जो फार्मूला दिया, उसका सफल प्रयोग अब लोकतंत्र के चौथे खंभे के साथ हो रहा है। सुशांत मामले में हो रहा मीडिया ट्रायल, तालिबानों की शरिया अदालत या माओवादियों की जन अदालत जैसा ही सैडिस्ट, अन्यायपूर्ण, क्रूर और भ्रामक है। अर्थव्यवस्था में त्राहि-त्राहि और चीन के साथ संकट के इस नाजुक दौर में फिल्म स्टारों की मसालेदार कहानियों से जनता को बहकाने में सभी दलों के नेताओं का फायदा है।

दूसरी तरफ रिया और कंगना के नाम पर आईटी सेलों द्वारा प्रायोजित हैशटैग से विदेशी कंपनियां भारत में लंबा मुनाफा काट रही हैं। आम जनता और सरकारों का ध्यान आंदोलन, गप और विवादों में उलझा रहे, इसके लिए फेक और हेट न्यूज के अभियानों को नाटकीय तरीके से बढ़ाया जा रहा है। फर्जी टीआरपी और लाइक्स से टीवी चैनल और सोशल मीडिया कंपनियां विश्वगुरू भारत के सीने में खंजर भोंकने की पूरी कोशिश कर रही हैं।

संविधान में अभिव्यक्ति की आज़ादी है, इसलिए मीडिया के माध्यम से बढ़ाई जा रही इस अराजकता को कानून और अदालतों से रोकना मुश्किल है। यदि सुशांत फॉर्मूले से बिहार और महाराष्ट्र में सियासत सफल हो गई, तो फिर लोकतंत्र की नाव को डूबने से बचाने कौन आएगा? (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील


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अंबाला में राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षा मंत्री की मौजूदगी में सर्वधर्म पूजा होगी, फिर फाइटर जेट करतब दिखाएंगे; 17 साल बाद इतिहास बनेगा

फ्रांस से खरीदे गए 5 आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल आज अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन में वायुसेना में शामिल किए जाएंगे। इस दौरान सर्वधर्म यानी हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई धर्म के अनुसार पूजा होगी। फिर एयर-शो होगा। सेरेमनी 6 घंटे चलेगी। कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ फ्रांस की रक्षामंत्री फ्लोरेंस पार्ले भी शामिल होंगी।

अपडेट्स
फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले दिल्ली पहुंच चुकी हैं।

10 बजे रक्षामंत्री आएंगे, 10:30 बजे से एयर-शो
समारोह को ऐतिहासिक बनाने के लिए वायुसेना ने तैयारी पूरी कर ली है। सुबह 10 बजे राजनाथ सिंह और फ्रांस के रक्षामंत्री अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन में लैंड करेंगे। इसके बाद 10:30 बजे एयर शो शुरू होगा। हवा में एक के बाद एक कई विमान प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद ध्रुव हेलीकॉप्टर की सारंग टीम करतब दिखाएगी। इससे पहले 2016 में भी सारंग टीम अम्बाला में एयर शो कर चुकी है। अम्बाला के लोगों को घरों की छतों से एयर शो के करतब दिखाई दिखाई देंगे।

राफेल के साथ अम्बाला में पहली बार स्वदेशी तेजस भी करतब दिखाएंगे। तेजस विमान में राफेल की तरह डेल्टा विंग हैं। इनके अलावा जगुआर और सुखोई-30 भी परफॉर्म करेंगे।

17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल होंगे राफेल
राफेल फाइटर जेट की अम्बाला स्थित 17 गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन में औपचारिक एंट्री इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी। 17 साल बाद कोई रक्षा मंत्री अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन में किसी बड़े समारोह में शामिल होंगे।

राफेल की 5 बड़ी खूबियां
1.
राफेल ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जेनरेशन का सबसे फुर्तीला विमान है। इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।
2. इसमें आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है।
3. खतरे की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है। राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है।
4. इसमें हवा से हवा में मारने वाली मैजिक-II, एमबीडीए मीका आईआर या ईएम और एमबीडीए मीटियर जैसी मिसाइलें हैं। ये मिसाइलें हवा में 150 किमी तक के टारगेट को निशाना बना सकती हैं।
5. हवा से जमीन में मारने की भी ताकत है। इसकी रेंज 560 किमी है। इस फाइटर जेट के आने से भारत की ताकत हिंद महासागर में भी बढे़गी।

राफेल की डील और भारत में डिलिवरी
भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल जेट की डील की थी। इनमें से 30 फाइटर जेट्स होंगे और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे। ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट्स जैसे सभी फीचर होंगे। भारत को जुलाई के आखिर में 5 राफेल फाइटर जेट्स का पहला बैच मिला। 27 जुलाई को 7 भारतीय पायलट्स ने राफेल लेकर फ्रांस से उड़ान भरी थी और 7,000 किमी का सफर तय कर 29 जुलाई को भारत पहुंचे थे।

फोटो 29 जुलाई की है। उस दिन 5 राफेल 2 सुखोई विमानों के एस्कॉर्ट में अम्बाला एयरबेस पहुंचे थे।

पिछले साल दशहरे पर 8 अक्टूबर को राफेल जब भारत को सौंपे गए थे, तब फ्रांस में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हिंदू रीति रिवाज से शस्त्र पूजा करते हुए राफेल पर ‘ओम’ बनाकर नारियल चढ़ाया और धागा बांधा था। उनकी इस पूजा पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए थे।

2003 में जॉर्ज फर्नांडिस ने अम्बाला में मिग-21 उड़ाया था
अगस्त 2003 में एनडीए सरकार में रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस ने 73 की उम्र में मिग-21 बाइसन में उड़ान भरी थी। उस वक्त मिग-21 हादसों में लगातार पायलटों की मौत की होने की वजह से सरकार पर सवाल उठने लगे थे। इन विमानों को फ्लाइंग कोफिन तक कहा जाने लगा था।

2003 में मिग-21 में उड़ान भरने के बाद जार्ज फर्नांडिस।

अम्बाला में तब मिग-21 की कोबरा स्क्वाड्रन तैनात थी। जॉर्ज फर्नांडिस ने कोबरा स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर विंग कमांडर एन हरीश के साथ उड़ान भरी थी। करीब 25 मिनट की उड़ान के बाद उन्होंने इस विमान की जबरदस्त तारीफ करते हुए रियल फाइटिंग मशीन बताया था।



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27 जुलाई को भारतीय पायलट्स ने 5 राफेल विमान लेकर फ्रांस से उड़ान भरी थी और 7000 किमी का सफर तय कर 29 जुलाई को भारत पहुंचे थे।


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पिछले 24 घंटे में 95 हजार 529 मरीज बढ़े, 73 हजार 57 लोग स्वस्थ हो गए: देश में अब तक 44.62 लाख मामले

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा गुरुवार सुबह तक 44 लाख 62 हजार 965 हो गया है। पिछले 24 घंटे के अंदर रिकॉर्ड 95 हजार 529 नए संक्रमितों की पहचान हुई। अब तक एक दिन में मिले संक्रमितों का ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है। इसके पहले 6 सितंबर को 91 हजार 723 नए मरीज मिले थे।

इस बीच, अच्छी खबर ये है कि भारत अब दुनिया का दूसरा देश हो गया है जहां सबसे ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। यहां अब तक 34 लाख 69 हजार 84 लोग रिकवर हो चुके हैं। बुधवार को 73 हजार 57 लोगों को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। रिकवरी के मामले में ब्राजील अब तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। यहां अब तक 34 लाख 5 हजार लोग ठीक हुए हैं। आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
राज्य के अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत हो गई है। देवास, जबलपुर, ग्वालियर, शिवपुरी समेत कई जिलों में मंगलवार-बुधवार को यह दिक्कत आई है। देवास के अमलतास अस्पताल में कोरोना मरीज 7 घंटे तक ऑक्सीजन के लिए परेशान रहे। यह परेशानी इसलिए आई, क्योंकि छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र ने सप्लाई रोक दी।

राज्य में अभी कोविड के एक्टिव केस 17 हजार 700 से ज्यादा हैं। इनमें से 20% मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है। महाराष्ट्र से सप्लाई रोक दिए जाने के बाद एकाएक किल्लत बढ़ गई। अस्पतालों में जुलाई में हर दिन 40 टन तो अगस्त में 90 टन ऑक्सीजन लगी। उधर, इंदौर में लगातार केस बढ़ने के बाद व्यापारियों ने वीकेंड यानी शनिवार को 5 और रविवार को शाम 6 बजे दुकानें बंद करने का फैसला किया है।

2. राजस्थान
राज्य में बुधवार को रिकॉर्ड 1610 रोगी मिले। यह पहला मौका है जब राजस्थान में एक दिन में 1600 से ज्यादा संक्रमित मिले। उधर, जोधपुर जिले में स्टेट रिपोर्ट में 220 संक्रमित बताए गए, लेकिन स्थानीय जानकारी के अनुसार 450 पॉजिटिव मिले। पिछले 24 घंटे में 5 की मौत हुई। जिले में अब तक 15 हजार 633 केस सामने आए, जबकि 12 हजार 212 स्वस्थ हो गए हैं। 223 लोग इस बीमारी से दम तोड़ चुके हैं।

3. बिहार
पटना जिले में बुधवार को 206 मरीज मिले हैं। जिले में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 22 हजार 900 हो गई है। इनमें 20 हजार 699 ठीक हो चुके हैं। अभी 2109 एक्टिव केस हैं। ठीक हुए मरीजों की दर 90% हो गई है। राज्य में फिर 1.2 लाख लोगों के सैंपल की जांच की गई। इसके साथ अब तक 44.5 लाख कोरोना टेस्ट की जांच हो चुकी है। पॉजिटिविटी रेट भी 3.4% पर पहुंच गया है।

राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की तबीयत बिगड़ने से उन्हें दिल्ली एम्स प्रशासन ने आईसीयू में शिफ्ट कर दिया है। 10 दिनों से एम्स में भर्ती हैं। हालांकि, उनके करीबियों का कहना है कि वे कोरोना के साइड इफेक्ट्स से पूरी तरह उबर नहीं पाए हैं। उधर, राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी भी पॉजिटिव हो गए हैं।

4. महाराष्ट्र
राज्य में बुधवार को 23 हजार 577 नए मरीज मिले। 13 हजार 906 लोग ठीक हो गए, जबकि 380 मरीजों ने जान गंवा दी। राज्य में अब तक 9 लाख 67 हजार 349 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 6 लाख 86 हजार 462 लोग ठीक हो चुके हैं। 2 लाख 52 हजार 734 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। अब तक 27 हजार 787 लोगों की मौत हो चुकी है।

5. उत्तरप्रदेश
राज्य में एक हफ्ते से साढ़े चार हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। बुधवार को 6 हजार 568 मरीज के सामने आए। इसके साथ राज्य में राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा अब 2 लाख 85 हजार 41 पर पहुंच गया है। इनमें 2 लाख 16 हजार 901 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 64 हजार 28 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। पिछले 24 घंटे में 1.4 लाख सैंपल की जांच की गई। राज्य में अब तक 69.2 लाख कोराना टेस्ट किए जा चुके हैं।



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महालक्ष्मी व्रत आज, संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास करेंगी महिलाएं; हिमाचल में आज से खुलेंगे मंदिर; मप्र: लोग जान जोखिम में डालकर रेलवे ब्रिज से गुजर रहे

सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं आज महालक्ष्मी अष्टमी का व्रत रखेंगीं। इस दिन मिट्टी के हाथी पर महालक्ष्मी को स्थापित करके पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि वेदव्यास ने महाभारत काल में इस व्रत के बारे में बताया था। सुख-समृद्धि में वृद्धि और राजसमृद्धि बनाए रखने के लिए यह व्रत किया जाता है। महालक्ष्मी व्रत के लिए बुधवार को महिलाओं ने खरीदारी की। इस दौरान महिलाओं ने मिट्‌टी का हाथी सहित सुहाग का सामान व पूजन की सामग्री विशेष रूप से खरीदी। ज्योतिषियों के मुताबिक महालक्ष्मी पूजन में सुहाग के 16 सामान का बहुत महत्व होता है। इससे माता लक्ष्मी का शृंगार किया जाता है।

प्रशासन ने जारी किए दिशा-निर्देश

हिमाचल प्रदेश में सभी शक्तिपीठों समेत सभी मंदिरों के कपाट आज खुल जाएंगे। इसके लिए सरकार और जिला प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे और कोरोना के नियमों का पालन हो, इसको लेकर स्थानीय प्रशासन को दिशा निर्देश जारी किए हैं। 65 वर्ष से अधिक आयु अथवा बीमार लोग, गर्भवती महिला और 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे धार्मिक क्षेत्र में नहीं जा पाएंगे। वहीं बाहरी राज्यों के आने वालों को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट लेकर आना होगा। फोटो शिमला के जाखू मंदिर की है।

3 किमी का चक्कर बचाने दांव पर जिंदगी

मध्यप्रदेश के सीहोर और शाजापुर जिले के बीच पार्वती नदी के रेलवे ब्रिज पर हर दिन लोग जान जोखिम में डालकर कभी पैदल तो कभी बाइक से निकलते हैं। ब्रिज से जब लोग निकल रहे हों और ऐसे में ट्रेन आ जाए तो इन लोगों की जान भी जा सकती है। ऐसे में रेलवे या प्रशासन भी इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। दरअसल पार्वती से सीहोर जिले में आने के लिए करीब 3 किलोमीटर दूर एक पुल से होकर रास्ता गुजरता है, लेकिन ग्रामीण यह 3 किलोमीटर का चक्कर बचाने के लिए रेलवे के इस ब्रिज पर अपनी जिंदगी दाव पर रखकर आवागमन करते हैं। इस ब्रिज से बाइक निकालना किसी स्टंट से कम नहीं है।

पिंक और ब्लू लाइन पर मेट्रो शुरू

दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने येलो लाइन के बाद दो ओर रूट पिंक और ब्लू लाइन पर बुधवार सुबह 7 बजे से मेट्रो का परिचालन शुरू कर दिया। सुबह सात बजे से लेकर 11 बजे तक मेट्रो में 33,300 लोगों ने यात्रा की। डीएमआरसी के प्रवक्ता के अनुसार सबसे अधिक येलो लाइन पर 21,900 ब्लू लाइन पर 9600 और पिंक लाइन पर 1800 लोगों ने यात्रा की।

मेडिकल वेस्ट और एक्सपायरी दवा फेंकते रंगेहाथ पकड़ाए

झारखंड के नामकुम ओवरब्रिज के पास पहले से ही कचरे का अंबार लगा है, जिससे दुर्गंध निकलती रहती है। इसी बीच बुधवार को एक ऑटो में कुछ लोग मेडिकल वेस्ट लेकर आए और सड़क किनारे फेंक दिया। इस दौरान स्वर्णरेखा जन जागृति मंच के लोगों ने उन्हें पकड़ लिया। पता चला कि मेडिकल वेस्ट और एक्सपायरी दवा फेंकी जा रही हैं। एक कर्मी सुनील मुंडा ने बताया कि बायोवेस्ट कोकर के श्री बालाजी बायो मेडिकल्स का है। लोगों के विरोध के बाद ऑटो और कर्मचारी बायोवेस्ट लेकर वापस लौट गए।

बेंगलुरु में देर रात भारी बारिश

कर्नाटक की राजधानी में मंगलवार रात हुई भारी बारिश से कई इलाकों में पानी भर गया। कई इलाकों में गाड़ियां डूब गईं तो कुछ इलाकों में मकानों में भी पानी घुस गया। इससे लोगों को पहली मंजिल पर शरण लेनी पड़ी। तेज आंधी से कई पेड़ भी उखड़ गए। मौसम विभाग के मुताबिक, शहर के 16 स्थानों पर बुधवार सुबह तक चार इंच बारिश हो चुकी थी। सबसे ज्यादा ईस्ट जोन में पांच इंच से अधिक बारिश हुई।

गढ़वा, धुरकी में 30 करोड़ के पुल का निर्माण अटका

झारखंड के गढ़वा जिले के बहुप्रतिक्षित कनहर नदी स्थित बालचौरा में पुल निर्माण के कार्य को वन विभाग ने ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी विभाग से एनओसी की मांग कर तत्काल प्रभाव से बंद करा दिया है। डेढ़ वर्ष बीत चुके हैं लेकिन पुल और एप्रोच पथ मे कार्य पुनः दोबारा शुरू नहीं पाया। इससे धुरकी और सगमा, डंडई प्रखंड के लोग चिंतित हैं। पुल का निर्माण नहीं होने के कारण रोजाना 500 लोग नाव से जोखिम लेकर कनहर नदी पार कर झारखंड और छत्तीसगढ़ जाते हैं।

8 सीटर वाहन में 30 से ज्यादा लोग सवार

कोरोना काल में यह तस्वीर डरावनी है। ग्रामीण अंचलों में अब भी लापरवाही बरती जा रही है, जो भविष्य के आंकड़े खुद ब खुद बयां कर रही है। ये फोटो मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के सरवन के पास का है, 8 सीटर की सवारी गाड़ी में 30 से ज्यादा लोग सवार है। मास्क भी नहीं पहने हैं। एक वाहन में इतने लोगों का सवार होना नियमों के खिलाफ व जान का जोखिम भी है।

17 तक यहां ट्रैफिक डायवर्ट रहेगा

भोपाल में एम्स से सुभाष नगर तक मेट्रो के 6.22 किमी रूट के लिए जारी सिविल वर्क के तहत बुधवार को पहले गर्डर की लॉन्चिंग आरबीआई के पास हुई। गर्डर को तीन हिस्सों में लॉन्च किया गया। गर्डर लॉन्चिंग के लिए ही 4 सितंबर से 15 दिनों तक ट्रैफिक डायवर्ट किया गया है। मेट्रो के प्री कास्ट गर्डर कान्हासैंया स्थित कंपनी की फैक्ट्री में तैयार हो रहे हैं।

पानी की आवक से जलीय जीव बढ़े

राजस्थान के बाड़मेर शहर के निकट स्थित जसदेर धाम तालाब में इन दिनों बारिश के बाद बड़ी संख्या में मछलियां बढ़ गई है। तालाब में सैकड़ों की संख्या में रंग बिरंगी मछलियां अठखेलियां करती नजर आ रही है। शहर से कई लोग तालाब पर मछलियों को ब्रेड-बिस्किट सहित अन्य सामग्री खिलाने पहुंचते है। तालाब में बारिश के पानी की आवक होने से जल स्तर बढ़ गया है। इस तालाब में कई छोटे जलीय जीव रहते हैं। इसमें सबसे ज्यादा संख्या मछलियों की है।



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Mahalakshmi Vrat, today, women will fast for the long life of children; Temples to open in Himachal from today; Madhya Pradesh: People passing through railway bridge putting their lives at risk


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