गुरुवार, 14 मई 2020

सरकार के भारी भरकम पैकेज पर निवेशकों का भय भारी पड़ा, सेंसेक्स 542 अंक और निफ्टी 169 पॉइंट नीचे खुला

सप्ताह में आज कारोबार के चौथे दिन बाजार गिरावट के साथ खुला। सेंसेक्स 542.28अंक नीचे और निफ्टी 169.6पॉइंट नीचे खुला। इससे पहले बुधवार को बाजार बढ़त के साथ बंद हुआ था। कल सुबह सेंसेक्स 1470.75 अंक ऊपर और निफ्टी 387.65 पॉइंट ऊपर खुला। हालांकि, ट्रेडिंग के शुरुआती आधा घंटे में ही सेंसेक्स की बढ़त फिसलकर 600 अंक से भी कम की हो गई थी। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 637.49 अंक ऊपर 32,008.61 पर और निफ्टी 187.00 पॉइंट ऊपर 9,383.55 पर बंद हुआ।

दुनियाभर के बाजारों में रही गिरावट

बुधवार को दुनियाभर के बाजारों में गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी बाजार डाउ जोंस 2.17 फीसदी की गिरावट के साथ 516.81 अंक नीचे 23,248.00 पर बंद हुआ। वहीं, अमेरिका के दूसरे बाजार नैस्डैक 1.55 फीसदी गिरावट के साथ 139.38 अंक नीचे 8,863.17 पर बंद हुआ। दूसरी तरफ, एसएंडपी 1.75 फीसदी गिरावट के साथ 50.12 पॉइंट नीचे 2,820.00 पर बंद हुआ। चीन का शंघाई कम्पोसिट 0.50 फीसदी गिरावट के साथ 14.51 अंक नीचे 2,883.54 पर बंद हुआ था। इधर फ्रांस, जर्मनी, इटली के बाजार भी गिरावट के साथ बंद हुए।

पावर सेक्टर और एमएसएमई पर फोकस

बुधवार को जारी पैकेज में वित्तमंत्री ने टीडीएस के तहत 55000 करोड़ रुपए की सुविधा का ऐलान किया, तो पीएफ के जरिए 25,000 करोड़ रुपए की सुविधा दी। इसी तरह पावर सेक्टर की कंपनियों के लिए 90,000 करोड़ रुपए का ऐलान किया गया है। जबकि एनबीएफसी के लिए 30,000 करोड़ रुपए और एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपए के भारी भरकम पैकेज की घोषणा की गई है।

इसके अलावा, सरकार ने 80 करोड़ लोगों को 5-5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो दाल दिया। जबकि 20 करोड़ महिलाओं के खाते में 500 रुपए महीने दिए गए जो जून तक जारी रहेगा।

कोरोना से देश और दुनिया में मौतें

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 78,055 हो गई है। इनमें 49,099 की रिपोर्ट पॉजीटिव है। वहीं 26,400 संक्रमित ठीक हो गए हैं। देश में अब तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 2,551 हो चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org के अनुसार हैं। दूसरी तरफ, दुनियाभर में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 4,429,232 हो चुकी है। इनमें 298,165 की मौत हो चुकी है। इसी दौरान 1,658,401 मरीज स्वस्थ भी हुए हैं। अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या 85,197 हो चुकी है।

09:37 AMबीएसई के 23 में से 3 सेक्टर में बढ़त और 20 में गिरावट है।

09:35 AM

बीएसई के 32 में से 10 इंडेक्स में बढ़त और 22 में गिरावट है।

09:23 AM

बीएसई सेंसेक्स 30 में शामिल सिर्फ 6 कंपनियों के शेयरों में बढ़त है, अन्य 24 कंपनियों के शेयरों में गिरावट है।

09:15 AMसेंसेक्स 546.68 अंक नीचे 31,461.93 पर और निफ्टी 176.35 पॉइंट नीचे 9,207.20 पर कारोबार कर रहा है।

अमेरिकी बाजारों में रही गिरावट



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बुधवार को सेंसेक्स 637.49 अंक ऊपर बंद हुआ था, लेकिन आज ये 542 अंक नीचे खुला


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चांसलर एंजेला मर्केल का दावा- रूस ने मेरी गतिविधियों की जानकारी जुटाने के लिए हैकिंग कराई, मेरे पास इसके ठोस सबूत

जर्मनचांसलर एंजेला मर्केल ने कहा है कि रूस उनकी जासूसी करवा रहा है। उन्होंने बुधवार को संसद में कहा कि मैंने हर रोज रूस के साथ बेहतर रिश्ते बनाने की कोशिश की। दूसरी ओर रूस सेना ने मेरी जासूसी करनेकी कोशिश की। इसके ठोस सबूत सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2015 में उनके कुछ अकाउंट्स की हैकिंग की जांच करने वाले जांचकर्ताओं ने एक विशेष संदिग्ध की पहचान की है।

जर्मनी की खुफिया एजेंसी ने कई बार रूस की जर्मनी के नेताओं और संसदों की जासूसी करवाने की बात कही है। जर्मन मीडिया के मुताबिक, 2015 में मर्केल की एक ईमेल और एक बुंडेस्टैग अकाउंट हैक करने की कोशिश की गई थी।
तथ्यों से भरमाना रूस की रणनीति का हिस्सा: मर्केल
मर्केल ने कहा कि दुर्भाग्यवश मैं इस निष्कर्ष पर पहुंची हूं कि रूस की यह कोशिश नई नहीं है। साइबर मध्यमों का इस्तेमाल कर तथ्यों से भरमाना रूस की रणनीति का हिस्सा। जाहिर है कि इस तरह की गतिविधियां रूस और जर्मनी के बीच बेहतर संबंध कायम करने के लिए आसान नहीं है। इस तरह की जासूसी कराने की गतिविधियां असुविधाजनक होने से कहीं ज्यादा हैं।

रूसी सेना के खुफिया अफसर के खिलाफ वारंट जारी हुआ था

जर्मनी की न्यूज मैगजीन डेर स्पाइगेल ने सबसे पहले मर्केल के दो ईमेल अकाउंट हैक करने की कोशिश होने का दावा किया था। हालांकि जर्मनी सरकार ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। अब तक यह भी पता नहीं चला है कि हैकर्स को इन अकाउंट से कुछ जानकारियां हासिल हुई या नहीं। इस साल 5 मई को जर्मनी ने इस मामले में संदिग्ध रूसी सेना के खुफिया अफसर दिमित्री बदिन के खिलाफ वारंट जारी किया था। बदिन पर साल 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भी दखल देने का आरोप है।



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जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने बुधवार को संसद में रूस पर अपनी जासूसी कराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनके अकाउंट हैक करने में शामिल संदिग्ध की पहचान कर ली गई है।(फाइल फोटो)


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अब तक 3758 संक्रमित, इनमें 1965 स्वस्थ होकर घर गए; यूपी के सभी 75 जिलों में फैला संक्रमण, झांसी में महाराष्ट्र से लौटे मजदूरों को बांटे गए खाने के पैकेट

उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। यूपी मेंपॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 3758 हो गई है,इसमें 1707 एक्टिव केस हैं। यूपी में अब तक 1965 अब तक डिस्चार्ज किए जा चुके हैं जबकि संक्रमण की वजह से 86 की मौत हो चुकी हैं। राज्य में अब तक जितने संक्रमित पाए गए हैं उनमें जमातियों की संख्या 1238 है। इस बीच गुरुवार को झांसी में महाराष्ट्र से लौटे मजदूरों को झांसी में रोककर स्वयंसेवी संस्थाओं की तरफ से उनके भोजन की व्यवस्था करायी गई। सभी लोगों के बीच मास्क वितरित किए गए हैं। वहीं यूपी के चंदौली जिले में भी गुरुवार को पहला सामने आने के बाद अब राज्य के सभी जिलों में कोरोना का संक्रमण फैल चुका है।

झांसी : महाराष्ट्र वह गुजरात से लौट रहे भूखे प्यासे कामगार, झांसी में कराई जा रही भोजन की व्यवस्थायूपी-एमपी सीमा पर ऐसे ही हजारों गुजरने वाले प्रवासी मजदूरों के भोजन की व्यवस्था की गई है। हर रोज हजारों प्रवासी श्रमिक शिवपुरी हाईवे पर एमपी व यूपी सीमा को जोड़ने वाले रक्सा बॉर्डर को पार कर रहे हैं। ट्रकों में ठसाठस भरकर कई दिनों तक भूखे प्यासे सफर कर रहे हैं। बॉर्डर पर सी भारतीय जनता पार्टी एवं दो समाजसेवी संस्थाओं द्वारा इनके लिए भोजन की व्यवस्था कराई गई है। हर गुजरने वाले ट्रक में लंच पैकेट, पानी की बोतलें और मास्क दिए जा रहे हैं। बॉर्डर पर प्रशासन की टीम मजदूरों की गिनती करके डिटेल अपडेट करती है।

वाराणासी में पांच संक्रमित मिले

जिले में गुरुवार रात तक आई रिपोर्टों में 5 पॉजीटिव केसों की और वृद्धि हो गयी। इनमें एक रिटायर प्रशासनिक अधिकारी, एक हेल्थ विभाग के कर्मचारी और मुंबई से लौटी महिला भी है। पांच नए मामले सामने आने के बाद अब संक्रमितों की संख्या 90 तक पहुंच गई है। अब तक एक कि मौत और 55 ठीक हो चुके हैं। कुल 33 हॉट स्पॉट में से 16 रेड 14 ऑरेंज और 3 ग्रीन जोन में हैं। रिटायर एसडीएम की वजह से नरिया एवं सुंदरपुर को हॉटस्पॉट बना दिया गया है। बताया जा रहा है कि इनका बेटा 10 दिनों पहले ही दिल्ली से लौटा, लेकिन वह स्वस्थ है।वहीं, ग्रामीण इलाकों में लोगों के बीच दहशत का माहौल है। कोई संक्रमित व्यक्ति गांवों को न संक्रमित कर दे। वहीं महाराष्ट्र से आए श्रमिक अब पैदल ही बिहार की तरफ जा रहे हैं।

यह तस्वीर वाराणसी की है। यहां मुम्बई से कुछ मजूदर पहुंचे हुए हैं। अब उनके पास पैसा खत्म हो गया है जिससे वो पैदल ही बिहार स्थित अपने गांव के लिए निकल गए हैं।
यह तस्वीर वाराणसी की है। यहां मुम्बई से कुछ मजूदर पहुंचे हुए हैं। अब उनके पास पैसा खत्म हो गया है जिससे वो पैदल ही बिहार स्थित अपने गांव के लिए निकल गए हैं।

मेरठ में मिले आठ नए कोरोना संक्रमितमेरठ में हेड कांस्टेबल के बाद बुधवार को तहसील के कानूनगो और पीएसी के चार जवान सहित आठ लोगों को कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। अब जनपद में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़कर 270 हो गई है। सीएमओ डॉ. राजकुमार ने इसकी पुष्टि की है।

नोएडा में मिले छह तो अलीगढ़ में पांच नए केस
बुधवार को नोएडा में छह नए कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं। अब नोएडा में कुल संक्रिय मरीजों की संख्या 236 हो गई है। वहीं अलीगढ़ में डीएम चन्द्र भूषण सिंह ने बताया कि जेएन मेडिकल कॉलेज से आज पांच कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई हैं। जिनके आवास के 1 किमी. के क्षेत्र को सील कर नगर निगम द्वारा सैनिटाइजेशन का कार्य किया जा रहा है।




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यह तस्वीर झांसी की है जहां महाराष्ट्र से ट्रक से लौटे मजूदरों के लिए एक स्वयंसेवी संस्था की ओर से खाने के पैकेट और पानी के बोतल की व्यवस्था करायी गई।


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सेना प्रमुख नरवणे बोले- पाकिस्तान ने ही नया आतंकी संगठन टीआरएफ खड़ा किया, भारत-चीन सीमा पर तनाव कोई नई बात नहीं

थल सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने बुधवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में सक्रिय हुआ नया आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) पाकिस्तान ने ही खड़ा किया है। इसे भी वहीं से फंडिंग मिलता है। नरवणे ने कहा, '' मैं टीआरएफ को ''टेरर रिवाइवल फ्रंट'' मानता हूं। इस तरह के कई संगठन जम्मू कश्मीर में सक्रिय हैं। इन सभी की जड़ें सीमा पार यानी पाकिस्तान में ही है। इनसे भी उसी तरह से निपटेंगे जैसे की अन्य आतंकी संगठनों से। उधर, भारत-चीन सीमा पर तनाव पर कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। ये फेस-ऑफ पहले भी हुए हैं। इनसे निपटने के लिए प्रोटोकॉल हैं। हम स्थानीय (फील्ड) कमांडर्स के स्तर पर और सैन्य डेलीगेशन लेवल पर बातचीत करते हैं और इनसे निपट लेते हैं।

कश्मीर पर ध्यान खींचने के लिए पाकिस्तान दहशत फैला रहा
सेना प्रमुख ने कश्मीर में अचानक बढ़ी आतंकी घटनाओं को लेकर कहा कि ये भी मौसम के साथ ही घटते-बढ़ते रहते हैं। अभी जम्मू कश्मीर में मौसम सही है तो आतंकी घटनाएं बढ़ गई हैं। सर्दी होते ही काफी हद तक ये कम हो जाती हैं। लेकिन हर परिस्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा बल तैयार है। उन्होंने कहा कि इन दिनों इस तरह की घटनाओं में पाकिस्तान की भूमिका ज्यादा बढ़ गई है। वह जम्मू कश्मीर पर सबका ध्यान खींचने के लिए दहशत फैलाने का काम कर रहा है।

सेना प्रमुख ने ये बातें भी कहीं-

  • जो अभी पूर्वी-लद्दाख और सिक्किम में फेस-ऑफ हुए, ये इत्तेफाक है कि एक साथ हुएं हैं। इनमें कोई कनेक्शन नहीं है।
  • पैट्रोलिंग के दौरीन दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के सामने आ जाते हैं, तो फेस-ऑफ होते रहते है।
  • इंडियन आर्मी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' को पूरा समर्थन करती है।
  • इसी के सपोर्ट में इंडियन आर्मी के 70-75 प्रतिशत ऑर्डर भारतीय कंपनियों के हैं।


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Army Chief Gen MM Naravane on pakistan sponserd terriost Group TRF and India-china Army clash


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मुजफ्फरनगर में मजदूरों को बस ने कुचला, 6 की मौत; गुना में बस-ट्रक की टक्कर में 8 मजदूरों की जान गई, 50 जख्मी

मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में दो हादसों में 14 मजदूरों की मौत हो गई। वहीं, 55 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में बुधवार देर रात 11:45 बजेरोडवेज बस ने पैदल जा रहे मजदूरों को कुचल दिया। इस हादसे में छह लोगों की मौके पर भी मौत हो गई। जबकि चार जख्मी हो गए। इनमें से दो घायलों को इलाज के लिए मेरठ भेजा गया है।

पुलिस ने बताया कि 10 मजदूर पंजाब से बिहार जा रहे थे। मुजफ्फरनगर-सहारनपुर स्टेट हाईवे पर घलौली चैकपोस्ट से आगे रोहाना टोल प्लाजा के नजदीकपहुंचे थे कि तेज रफ्तार रोडवेज बस ने कुचल दिया। हादसे के बाद ड्राइवर फरार हो गया।

मारे गए 6 लोग गोपालगंज के थे

मारे गए सभी मजदूर बिहार के गोपालगंज के रहने वाले थे। इनकी शिनाख्त हरेक सिंह (52),विकास (22), गुड्डू (18), वासुदेव (22), हरीश साहनी (42) और वीरेंद्र (28) के तौर पर हुई है। वहीं, सुशील और रामजीत के अलावा दो अन्य भी इस हादसे में जख्मी हुए। इन्हेंमेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है।

मध्यप्रदेश:बस को ट्रक ने टक्कर मारी, 50 जख्मी
मध्यप्रदेश के गुना में भी एक हादसे में 8 मजदूरों की मौत हो गई। हादसा देर रात दो बजे हुआ। बस को एक ट्रक ने टक्कर मार दी। मारे गए सभी मजदूर उत्तर प्रदेश के थे। ये सभी अपने घर लौट रहे थे।ये लोग किस शहर से आ रहे थे। इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।



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मुजफ्फरनगर में हादसा रात 11:45 बजे हुआ।


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अब तक 44.28 लाख संक्रमित और 2.98 लाख मौतें: अमेरिका का आरोप- चीन वैक्सीन पर हो रही रिसर्च को चुराने की कोशिश कर रहा

दुनिया में करोनावायरस से अब तक 44 लाख 28 हजार 236 लोग संक्रमित हो चुके हैं। दो लाख 98 हजार 83 मौतें हो चुकी हैं, जबकि 16 लाख 57 हजार 905 लोग ठीक हो चुके हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि चीन से जुड़े हैकर्स महामारी पर शोध करने वाले संगठनों को निशाना बना रहे हैं। एफबीआई ने बीबीसी से गुरुवार को कहा कि वायरस से जुड़ी रिसर्च पर चीन की नजर है।
अमेरिका पहले से ही चीन पर महामारी को लेकर जानकारी छुपाने का आरोप लगाता रहा है। इस समय दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट आई है।

अमेरिका: 24 घंटे में 1813 मौतें
अमेरिका में 24 घंटे में 1813 लोगों की मौत हुई है और 21 हजार 712 संक्रमित मिले हैं। इस समय देश में 14 लाख 30 हजार 348 लोग संक्रमित हैं। वहीं, 85 हजार 197 लोगों की जान जा चुकी है। देश के सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य न्यूयॉर्क में तीन लाख 50 हजार से ज्यादा केस मिल चुके हैं, जबकि 27 हजार मौत हो चुकी है।
जल्दही 1 करोड़ टस्ट कर लिया जाएगा: ट्रम्प
अमेरिका ने टेस्ट की क्षमता को बढ़ा दिया है और जल्द ही यह संख्या एक करोड़ के पार जा सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार की शाम कहा, “हम एक करोड़ परीक्षण करने के बेहद करीब है और कुछ दिनों में हमें इसे पूरा करने में लगेंगे।” अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बात का जिक्र किया कि जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है कि किसी भी अन्य देश की तुलना में अमेरिकियों के परीक्षण का दर ज्यादा है।

इटली: 31 हजार मौतें

इटली में अब तक 31 हजार लोगों की जान जा चुकी है। अमेरिका और ब्रिटेन के बाद यहां सबसे ज्यादा मौत हुई है। वहीं, दो लाख 22 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। यहां बुधवार को 195 लोगों की मौत हुई।

इटली में 55 अरब यूरो के पैकेज का प्रस्ताव पारित
इटली सरकार ने गुरुवार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 55 अरब यूरो (59.6 अरब डॉलर) के आर्थिक पैकेज का प्रस्ताव पारित किया। प्रधानमंत्री गिउसेप कोंजे ने कहा, “यह वित्तीय पैकेज दो बजट घोषणाओं के बराबर है। हम जानते हैं कि देश इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था।” इसकी घोषणा अप्रैल के अंत में की गई थी, लेकिन गठबंधन सहयोगियों में चल रहे तनाव के कारण इसमें देरी हुई।

रूस: मॉस्को में 1290 मौतें
मॉस्को में 24 घंटे में 58 नई मौतें सामने आई हैं। यहां मृतकों की संख्या बढ़कर 1290 हो गई है। मॉस्को के कोरोनावायरस केंद्र ने गुरुवार को ये जानकारी दी। इस बीमारी से रूस में कुल 2 लाख 42 हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं। देश में मरने वालों की संख्या 2200 हो गई है, जबकि 48 हजार मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।



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अमेरिका के ऑस्टिन शहर में बारबर शॉप में जाने से पहले युवक का तापमान चेक करती महिला।


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सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की यूनिफॉर्म बदली, कहा- सुनवाई के दौरान सफेद शर्ट या सफेद-सलवार-कमीज या सफेद सारी पहनें

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली सुनवाई के लिए वकीलों की यूनिफॉर्म को लेकर नए आदेश जारी किए हैं। इसके मुताबिक, वकील अब सफेद शर्ट या सफेद-सलवार-कमीज या प्लेन व्हाइट नेक बैंड के साथ सफेद सारी पहन सकते हैं। देश की सबसे बडी अदालत ने कहा है कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा।




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Supreme Court said Advocates may wear plain white-shirt-white-salwar-kameez or white saree


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कुलगाम में देर रात सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ शुरू, तीन आतंकियों को घेरा, दोनों ओर से फायरिंग जारी

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में बुधवार देर रात से सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई है। यहां यमरच इलाकेमें तीन आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। जिसके बाद इलाके कोसुरक्षाबलों ने चारो तरफ से घेरलिया है। जानकारी के मुताबिक अभी दोनों तरफ से लगातार गोलीबारी जारी है। कश्मीर जोन पुलिस ने यह जानकारी दी है।

कठुआ में भी संदिग्धों की तलाश शुरू
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में भी देर रात स्थानीय लोगों ने जंगल में हथियारों से लैसकुछ संदिग्धों को देखा। सूचना मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशनशुरू कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक स्थानीय लोगों ने बानी तहसील के संदरून वन क्षेत्र से संदिग्ध लोगों को गुजरते हुए देखा। इनके पास हथियार भी थे।

पिछले दिनों ढेर हुआ था हिजबुल का टॉप कमांडर रियाज नायकू

कश्मीर में सुरक्षा बलों ने एक हफ्ते पहले ही आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर रियाज नायकू को ढेर किया था। वह दो साल से मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल था। अपनी बीमार मां से मिलने पुलवामा के गांव बेगपोरा आया था। नायकू के मारे जाने के बाद से आतंकवादियों के बीच खलबली मची हुई है। खुफिया एजेंसी के मुताबिक आतंकवादी इसके जवाब में किसी बड़े वारदात को अंजाम देने की प्लानिंग कर रहे हैं। यही कारण है कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबल पहले से ज्यादा सतर्क हो गई है।



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सुरक्षाबलों ने कुलगाम के यमरच इलाके को चारो तरफ से घेर लिया है। यहीं पर तीन आतंकियों के छिपे होने की सूचना थी। (फाइल फोटो)


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ट्रम्प के करीबी नौ सांसद चीन पर प्रतिबंध के लिए संसद में बिल लाए, अमेरिका ने चीन को घेरने की कवायद तेज की

चीन पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका की संसद में बिल पेश किया गया है। यह बिल नौ सांसदों के समूह ने पेश किया। इसमें कहा गया है कि अगर चीन कोरोनावायरस फैलने के कारणों की पूरी जानकारी नहीं देता है, इस पर काबू करने में सहयोग नहीं करता है तो अमेरिका के राष्ट्रपति को चीन पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति दी जाए।

राष्ट्रपति 60 दिन में यह प्रमाणित करेंगे कि चीन ने अमेरिका, उसके सहयोगियों या डब्ल्यूएचओ जैसी संयुक्त राष्ट्र से संबंधित संस्थाओं को कोरोना पर पूरी जानकारी नहीं दी। उसने मांसाहार बेचने वाले उन सभी बाजारों को बंद नहीं किया, जिनसे जानवरों से इंसानों में संक्रमण फैलने का खतरा था। यह बिल सांसद लिंडसे ग्राहम ने तैयार किया है। आठ अन्य सांसदों ने इस पर उनका साथ दिया।
चीन ने जांच की मंजूरी देने से इनकार किया: ग्राहम
ये सभी नौ सांसद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के करीबी माने जाते हैं। ग्राहम ने कहा कि चीन ने जांच की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में यह बिल लाना जरूरी था। अगर चीन पर दबाव नहीं बनाया गया, तो वह जांच में कभी सहयोग नहीं करेगा।बिल में यह भी कहा गया है कि चीन हांगकांग के लोकतंत्र समर्थकों को महामारी के दौरान जेल से रिहा करे।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोले- 20 साल में चीन से 5 महामारी आईं
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने भी मीडिया से कहा कि 20 साल में चीन से 5 महामारी आईं। इसे किसी को तो किसी छोर पर रोकना होगा। दुनिया चीन की सरकार से कहे कि हम उसके यहां से निकल रही महामारियों को सहन नहीं करेंगे, फिर चाहे ये पशु बाजारों से निकल रही हों या प्रयोगशालाओं से।

कोरोना वुहान से निकला है,हमारे पास सबूत हैं:ब्रायन

ब्रायन ने कहा किहमें पता है कि यह कोरोना वुहान से निकला है। हमारे पास सबूत हैं। हालांकि, ब्रायन ने सार्स, एवियन फ्लू, स्वाइन फ्लू, कोरोना के नाम ही गिनाए। 5वीं बीमारी का नाम नहीं बताया। बता दें कि अमेरिका में अब तक 14,17,398 मामले आए हैं। 83,980 मौतें हुई हैं।

हमारे खिलाफ बिल अनैतिकःचीन
चीन ने अपने खिलाफ अमेरिकी संसद में आए बिल का विरोध किया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा है कि यह बिल पूरी तरह अनैतिक है। हमने कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत से ही जानकारी देने में पारदर्शिता रखी। इसके पहले झाओ ने कहा था कि चीन और अमेरिका को व्यापार सौदे को लागू करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।



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तस्वीर न्यूयॉर्क सिटी के म्यूजियम की है। शहर में सख्त लॉकडाउन जारी है।


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पहली बार सुप्रीम कोर्ट जजाें ने बिना गाउन-काेट पहने की सुनवाई, चीफ जस्टिस बाेले- इनसे कोरोना का खतरा, नया ड्रेस कोड जारी किया

कोरोना महामारी ने न्यायपालिका को भी कामकाज के तरीके के साथ ड्रेस कोड बदलने पर मजबूर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में बुधवार काे उस समय नया अध्याय जुड़ गया, जब पहली बार जजों ने बिना जैकेट, कोट और गाउन पहने सुनवाई की। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि कोरोना संकट बने रहने तक के लिए नए ड्रेस कोड का आदेश जारी करेंगे। देर शाम वकीलों और जजों के लिए नया ड्रेस काेड जारी कर दिया गया।
पुरुष सफेद कमीज और बैंड, जबकि महिलाएं सफेद साड़ी/सूट और बैंड पहन सकेंगीं
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार काे वाॅट्सएप पेमेंट सर्विस काे पूरी तरह बंद करने के मामले को लेकर एक याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई चल रही थी। चीफ जस्टिस बोबडे और साथी जज जस्टिस ऋषिकेश राय जैकेट, कोट व गाउन के बिना केवल सफेद कमीज और गले का बैंड पहने हुए थे। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उनसे पूछ लिया कि पीठ ने गाउन क्यों नहीं पहना है?

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर चिकित्सकों की राय मांगी थी। उनके मुताबिक, भारी और फैलाव वाले कपड़ों से यह वायरस आसानी से फैलता है। इस पर विचार करते हुए हम केवल सफेद कमीज और बैंड पहन कर ही सुनवाई कर रहे हैं। हम वकीलों के लिए भी इस संदर्भ में विचार कर रहे हैं।

इसके बाद एक अन्य सुनवाई के दाैरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी सफेद शर्ट और बैंड लगाए नजर आए। देर शाम जारी सर्कुलर के अनुसार पुरुष वकील सफेद कमीज औरबैंड, जबकि महिलाएं सफेद साड़ी/सूट और बैंड पहन सकेंगीं।
आजादी के बाद न्यायपालिका में पहली बार ऐसा बदलाव हो रहा
मालूम हो, देश की आजादी के बाद न्यायपालिका में पहली बार ऐसा बदलाव हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बीएस चौहान के मुताबिक, संविधान में ऐसा प्रावधान है कि अपरिहार्य परिस्थितियों या डॉक्टर की सलाह पर ड्रेस कोड में छूट दी जा सकती है।
अधिकारियों, कर्मचारियों काे अप्रैल में ही ड्रेस कोड से राहत मिल चुकी
सुप्रीम कोर्ट अपने कर्मचारियों और अधिकारियों काे ड्रेस कोड से पहले ही राहत दे चुकी है। 24 अप्रैल को जारी आंतरिक सर्कुलर में कहा गया था कि विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पहने जाने वाले कपड़ों को रोज धोना चाहिए। कोट-टाई रोज धाेना संभव नहीं है। लिहाजा अगले आदेश तक सभी अधिकारी और कर्मचारी बिना कोट-टाई के ड्यूटी पर आएंगे।



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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बीएस चौहान के मुताबिक, संविधान में ऐसा प्रावधान है कि अपरिहार्य परिस्थितियों या डॉक्टर की सलाह पर ड्रेस कोड में छूट दी जा सकती है। 


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अब घराें का आर्किटेक्चर बदलेगा; अधिक स्टाेरेज और स्मार्ट टेक्नाेलाॅजी की मांग बढ़ेगी, डाइनिंग रूम होगा दफ्तर, लाेग ज्यादा वेंटिलेशन चाहेंगे

काेराेनावायरस के बाद लाेगाें का रहन-सहन बदलने जा रहा है। आर्किटेक्ट्स और डिजाइनर्स का मानना है कि नए बनने वाले घराें की डिजाइन में आमूलचूल परिवर्तन आएगा। जिन बाताें काे घर या अपार्टमेंट बनाते समय कम जगह का हवाला देकर नजरअंदाज कर दिया जाता था, उनकी मांग बढ़ेगी। घर में लोग ऑफिस स्पेस, क्लासरूम, आर्ट स्टूडियाे, जिम के साथ स्टाेरेज बढ़वाएंगे। हालांकि, शहरी इलाकाें में यह चुनाैती साबित हाेगा।
‘वर्क फ्राॅम हाेम’ दफ्तर खुलने के बाद भी जारी रहेगा
आर्किटेक्ट मैटलैंड जाेन्स कहते हैं, ‘काॅलेज कैंपस की तरह घर में खाने, पढ़ने, साेने की सीमाएं टूट सकती हैं। किसी अपार्टमेंट का एक कमरा कई काम आ सकता है। डाइनिंग रूम, दफ्तर या कुछ और रूप भी ले सकता है।’कमराें का आकार बदल सकता है। घर में छाेटी ऐसी जगह निकाली जा सकती है, जहां प्राइवेट काॅल या वीडियाे काॅन्फ्रेंसिंग कर सकें।

'प्रकृति से जुड़ाव लाेगाें की प्राथमिकता बन जाएगी'
ऑर्किटेक्स माॅरिस एड्ज्मी कहते हैं, ‘अब ताजी हवा और प्रकृति से जुड़ाव लाेगाें की प्राथमिकता बन जाएगी। इसे अधिक बालकनी या टेरेस बनाकर पूरा किया जा सकता है।’ आर्किटेक्ट पाॅल व्हालेन बताते हैं, ‘शहराें में लिविंग रूम में फ्रेंच डाेर या जुलिएट बालकनी बनाकर ऐसा किया जा सकता है।’

बड़ी खिड़की या क्राॅस वेंटिलेशन के लिए बड़ी डिजाइन का चलन लाैट सकता है। शहरी इलाकों के घराें या फ्लैट में स्टाेर जरूरी हाे जाएंगे। बड़ी अलमारी या पैंट्रीज बनने लगेंगी।चूंकि सतह काे छूने से काेराेना वायरस चिपक सकता है। इसलिए स्मार्ट हाेम टेक्नाेलाॅजी की मांग बढ़ेगी। घर आते ही दरवाजा अपने आप खुलेगा या बत्तियां जल जाएंगी।

ये तकनीकें उपलब्ध हैं, लेकिन अब तक इन्हें अतिरिक्त माना जाता था। लिफ्ट में बटन प्रेस करने के बजाय बाेलना भी पर्याप्त हाे सकता है। घर में प्रवेश करते ही हाॅल से पहले कमरेजैसी जगह बनने लगेगी, जहां लाेग जूते-चप्पल उतार सकें या सामान रख सकें। अब तक ऐसी जगह नजरअंदाज कर दी जाती थी।

टीबी-इन्फ्लूएंजा के बाद 20वीं शताब्दी में आया था बदलाव
आर्किटेक्ट पाॅल व्हालेन कहते हैं, ‘एक शताब्दी पहले टीबी और साल 1918 में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी आई थी। इसका आर्किटेक्चर पर बड़ा असर हुआथा और स्वास्थ्य-भवन बनाए जाने लगे थे। ये खुले-खुले हाेते थे। खूब सारे प्रकाश और हवा की व्यवस्था रहती थी। इस तरह के आर्किटेक्चर का 20वीं शताब्दी के घराें में खासा प्रभाव रहा।’ खुले-खुले घर बनाने का चलन फिर लौट सकता है।



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ऑर्किटेक्स माॅरिस एड्ज्मी कहते हैं कि अब ताजी हवा और प्रकृति से जुड़ाव लाेगाें की प्राथमिकता बन जाएगी।


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78 हजार 55 केस: महाराष्ट्र में लगातार पांचवें दिन एक हजार से ज्यादा केस, 24 घंटे में सबसे ज्यादा 1946 मरीज ठीक हुए

देश में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 78 हजार से ज्यादा हो गई। बुधवार को 3725 केस सामने आए। महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां लगातार पांचवें दिन एक हजार से ज्यादा मरीज मिले। बुधवार को 1495 संक्रमितमिले। इधर, 24 घंटे में कोरोना केरिकॉर्ड 1946 मरीज ठीक हुए। यह एक दिन में मरीजों के स्वस्थ होने की सबसे बड़ी संख्या है।

इससे पहलेएक दिन में सबसे ज्यादा 1905 मरीजमंगलवार को ठीक हुए थे। 11 मई को 1579, 10 मई को 1669, 9 मई को 1414 और 8 मई को 1111 लोग स्वस्थ हुए थे।
महाराष्ट्र में लगातार पांचवें दिन 1 हजार से ज्यादा केस
महाराष्ट्र में 12 मई को1026, 11 मई को1230,10 मई को 1943 और 9 मई को 1165 संक्रमित मिले थे।ये आंकड़े covid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के आधार पर हैं।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में74हजार 281 कोरोना संक्रमित हैं। 47 हजार 480का इलाज चल रहा है। 24हजार 386ठीक हो चुके हैं, जबकि 2415मरीजों की मौत हुईहै।
5 दिन जब संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले आए

दिन

मामले
10 मई 4311

04 मई

3656
11 मई 3610
06 मई 3602
11 मई 3591

26 राज्य, 7 केंद्र शासित प्रदेशों में फैला संक्रमण

कोरोनावायरससंक्रमण देश के 26 राज्यों में फैला है। 7केंद्र शासित प्रदेश भी इसकी चपेट में हैं। इनमें दिल्ली, चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पुडुचेरी और दादर एंड नगर हवेलीशामिल हैं।

राज्य

कितने संक्रमित कितने ठीक हुए कितनी मौत
महाराष्ट्र 25922 5547 975

गुजरात

9268 3562 566
तमिलनाडु 9227 2176 64
दिल्ली 7998 2858 106

राजस्थान

4328 2573 121
मध्यप्रदेश 4173 2004 232
उत्तरप्रदेश 3758 1965 86
पश्चिम बंगाल 2290 702 207
आंध्रप्रदेश 2137 1142 47
पंजाब 1924

200

32
तेलंगाना 1367 939 34
जम्मू-कश्मीर 971 466 10
कर्नाटक 959 451 33
बिहार 953 382 7
हरियाणा 793 418 11

केरल

535

490

4
ओडिशा 538 143 3
चंडीगढ़ 191 30 3

झारखंड

177 79 3
त्रिपुरा 154 2 0
उत्तराखंड 72 46 1
असम 80 40 2
छत्तीसगढ़ 59 53 0

हिमाचल प्रदेश

67 35 3
लद्दाख 43 22 0

अंडमान-निकोबार

33 33 0
मेघालय 13 11 1

पुडुचेरी

13 9 0
गोवा 7 7 0
मणिपुर 2 2 0
अरुणाचल प्रदेश 1 1 0
दादर एंड नगर हवेली 1 0 0
मिजोरम 1 1 0

ये आंकड़े covid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के अनुसार हैं।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में74हजार 281संक्रमित हैं। 47 हजार 480का इलाज चल रहा है। 24हजार 386ठीक हो चुके हैं, जबकि 2415मरीजों की मौत हुईहै।

5 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश का हाल

  • मध्यप्रदेश, संक्रमित- 4173:प्रदेश में बुधवार को 187मरीज मिले। इनमें सबसे ज्यादा 91 इंदौर, जबकि 45 भोपाल के हैं।राजधानी में मरीजों का आंकड़ा 864 से बढ़कर 909 हो गया।अकेले जहांगीराबादमें 221 लोग संक्रमित हो चुके हैं।

  • महाराष्ट्र, संक्रमित- 25922:राज्य में बुधवार को 1495 मरीज सामने आए, जबकि 54 की मौत हुई। अब तक राज्य में 975 लोग दम तोड़ चुके हैं। वहीं, 5547 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। अकेले मुंबई में कोरोना के 15 हजार 747 केस हैं। यहां बुधवार को 800 मामले सामने आए। राजधानी में अब तक 595 मरीजों की मौत हुई है। बुधवार को 40 लोगों ने दम तोड़ा।
  • उत्तरप्रदेश, संक्रमित- 3758:राज्यमें बुधवार को 94 केस सामने आए। यहां अब तक जेल में बंद22 कैदी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। आगरा सेंट्रल जेल में 11, जबकि मुरादाबाद जेल में 6 कैदी संक्रमित थे। फिलहाल सभी स्वस्थ हो गए हैं।मंगलवार दोपहर से बुधवार सुबह तक कोरोनावायरस के 137 मरीज मिले हैं। अब तक 1873 मरीज स्वस्थ हुए हैं जबकि82 की मौत हुई है।
  • राजस्थान, संक्रमित- 4328:राज्य में बुधवार को 202 केस सामने आए। इसमें जयपुर में 61, जालौर में 28, पाली में 27 और उदयपुर में 22 संक्रमित मिले। एक दिन पहले मंगलवार कोसंक्रमण के 138 नए मामले मिले थे। इनमें उदयपुर में 32, जयपुर में 22, कोटा में 5, झुंझुनूं में 2, पाली, चूरू, सीकर, अजमेर, चित्तौड़गढ़, हनुमानगढ़ और सीकर में 1-1 संक्रमित मिला। राज्य में कोरोना से अब तक 117 की मौत हो चुकी है।

  • दिल्ली, संक्रमित- 7998:राजधानी में बुधवार को 359 पॉजिटिव केस सामने आए। वहीं, 346 मरीज स्वस्थ होकर घर भी लौट गए। इसके पहले मंगलवार को 406 मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री नेबताया कि मंगलवार को राजधानी में 20 मरीजों ने भी दम तोड़ दिया। इसके साथ मरने वालों का आंकड़ा 106 पर पहुंच गया है।
  • बिहार, संक्रमित- 953:राज्यमें बुधवार कोकोरोना के 74 मामले सामने आए।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अफसरों से कहा है कि नजदीक के राज्यों से जो मजदूर घरआना चाहते हैं उनके लिए बस की व्यवस्था करें। पटना स्थित सरदार पटेल भवन स्थित गृह मंत्रालय के सभी ऑफिस में सैनिटाइजेशन का काम होगा। इसलिए 15 मई तक बंद रहेंगे। 16 मई से फिर खुलेंगे।


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डॉक्टरों की सलाह- बुजुर्गों में डिप्रेशन के मामले 18 से 24% तक बढ़े, उन्हें डराएं नहीं; सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने और हाथ-पैर धोने के बारे में बताएं

कोरोनावायरस का सबसे ज्यादा खतरा60 साल या इससे ज्यादा उम्र के सीनियर सिटीजंस को है। इसलिए इन्हें सरकार नेसीवियर कैटेगरी में रखा है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक देश में 60 साल या इससे अधिक उम्र के 16 करोड़ लोग हैं।

नीति आयाेग ने सीनियर सिटीजंस के लिए विशेष गाइडलाइन्स भी बनाई हैं। इसमें बताया गया है कि ऐसे लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है, जिनकी उम्र ज्यादा है और जिन्हें पहले से कोई बीमारी भी है।
कोरोना की वजह सेबुजुर्गों में डिप्रेशन बढ़ा

हैदराबाद में कंसल्टेंट साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रज्ञा रश्मि बताती हैं कि इस वक्त बुजुर्गों में डिप्रेशन के मामले 18 से 24 फीसदी तक बढ़े हैं।इसलिए जोसीनियर सिटीजंस अकेले या परिवार के साथ रहते हैं, उन्हें कोरोनावायरस के बारे में ज्यादा से ज्यादा समझाने की जरूरत है। उनके दिल-दिमाग में बसे डर को निकालना होगा।

खुद को शांत रखने की कोशिश करें

कोरोना ने परिवारों के कई कमजोर पहलुओं को भी उजागर किया है, इसलिए जरूरत इस वक्त इन चीजों पर फोकस करने कीहै। रश्मि कहती हैं कि अगर हम तूफान को शांतकरने की कोशिश करेंगे, तो शायद सफलता न मिले, लेकिन यदि हम खुद को शांत करेंगे तो तूफान अपने आप शांत हो जाएगा। इसलिए हमारा फोकस खुद को शांत करने पर होना चाहिए। डॉ. रश्मिइसके कुछ तरीके भी बता रही हैं।

बुजुर्गों और उनके परिवार के लोगों को इन बातों पर अभी सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है-

  • दूरी के बारे में बताएं-डॉ. रश्मि कहती हैं किसोशल डिस्टेंसिंग शब्द हमारी संस्कृति से जुड़ा नहीं है। इसलिए बहुत से बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनके लिए यह शब्द नया है। जब हम इसे हिंदी में सामाजिक दूरी बताते हैं, तब भी इसके मायने उन्हें गलत ही समझ में आते हैं। इसलिए उन्हें बताएं कि फिजिकल डिस्टेंसिंग करनी है, यानी किसी को छूने या करीब जाने से बचना है, न कि घर परिवार और समाज के लोगों से भावनात्मकदूरी बनानी है।
  • फोन पर बात करें- यदि आप अपने माता-पिता से दूर रह रहे हैं, और वे अकेले हैं, तो उनसे ज्यादा से ज्यादा बात करें। पहले यदि आप हफ्ते में दो-तीन दिन बात करते थे, तो इस वक्त रोजाना उनसे वीडियो कॉल या सामान्य कॉल के जरिये बात करें। इससे उनका अकेलापन दूर होगा।
  • तकनीकी मदद-बहुत से बुजुर्ग ऐसे हैं, जिन्हें इंटरनेट या मोबाइल चलाना नहीं आता है, एक परिवार के नाते आपकी जिम्मेदारी है कि उन्हें इसके बारे में बताएं। उन्हें इंटरनेट चलाना सिखाइए। यदि आप उन्हें थोड़ा सा प्रोत्साहन देंगे, तो समझ जाएंगे। यह पहले से मत सोचिए कि बुजुर्ग ऐसा नहीं कर पाएंगे। वे कर सकते हैं।
  • सामाजिक दायरा बढ़ाएं-बुजुर्ग इस वक्त यह समझ रहे हैं कि उन्हें किसी से मिलना और बात नहीं करना है। इसके चलते भी वे डिप्रेशन में जा रहे हैं। उन्हें समझाइए कि आप उन सभी प्रियजनों और आसपास के लोगों से बात कर सकते हैं, मिल सकते हैं, बस थोड़ी सावधानी रखनी होगी। इससे अकेलापन दूर होगा। शर्म और संकोच से बाहर निकलकर उन लोगों से भी बात करें, जिनसे कभी नहीं करते थे।
  • डर निकालना होगा-सीनियर सिटीजंस के दिल और दिमाग से डर को दूर करने में भी आपको मदद करनी होगी। उनको सपोर्ट देना होगा, उन्हें नॉर्मल रखना होगा। यह कहने के बजाय कि डरो मत, आप खुश रहो, आपको कुछ नहीं होगा;उन्हें यह बताएं कि आपका डर स्वाभाविक है, इस वक्त आपको खतरा ज्यादा है, लेकिन आप कुछ सावधानी रखेंगे तो आपको कुछ नहीं होगा।
  • इमरजेंसी कॉन्टेक्ट दें-जो बुजुर्ग शहरों में रहते हैं और अकेले घर में हैं, उन्हें आसपास के किराना स्टोर, सब्जी विक्रेता, दूधवाले, मेडिकल स्टोर का कॉन्टेक्ट नंबर मुहैया कराएं। ताकि किसी तरह की इमरजेंसी पर वे इनसे बात कर सकें। यदि आपके आसपास ऐसा कोई रहता है, तो उनका भी हालचाल लें।
  • मन को शांत रखें-बुजुर्गों को चूंकि किसी एक चीज से सबसे ज्यादा जूझने की ताकत मिलती है, तो वो पूजा-पाठ है। लेकिन इस वक्त सभी धर्मस्थल बंद हैं। उन्हें यह बताने की जरूरत है कि मंदिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारा बंद हैं, लेकिन भगवान बंद नहीं हैं। आप घर पर ही पहले जैसी आध्यात्मिक चीजें करें, ताकि मन को शांति मिले।

परिवार के साथ रहने वाले बुजुर्गों को खुश रखें, इस बात को समझें कि उनका लेवल ऑफ हाइजीन अलग होगा
डॉ. रश्मि कहती हैं किकोरोना ने हमारे परिवारों के एक नए पक्ष को भी दिखाया है। बहुत लंबे समय बाद ऐसा हो रहा है, जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ हैं। ऐसे में यदि बुजुर्ग झींक भी दे हैं, तो यह घर में बड़ा बवाल बन जाता है।

परिवार के अन्य लोग उन्हें मास्क पहनने के लिए कह रहे होते हैं। लेकिन इस वक्त एक बात आप को समझना होगा कि उनका लेवल ऑफ हाइजीन परिवार के बाकी लोगों से अलग होगा। ऐसे में उनको धमकाएं न, आप खुद उनसे अलर्ट रहें। इससे उन्हें खुशी मिलेगी। इसके अलावा ऐसे भी कई परिवार हैं, जहां बुजुर्ग अलर्ट हैं, लेकिन बाकी लोग ढीले हैं।

  • सीनियर सिटीजंस गर्म खाना खाएं, बाहर का कुछ भी खाने से परहेज करें

हैदराबाद स्थित मेडिकवर हॉस्पिटल के चीफ हेपिटोबिलेरी और लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन सचिन डागा कहते हैं कि सीनियर सिटीजंस कहीं भी रहें, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग जरूर करें। यह बीमारी अभी जाने वाली नहीं है, इसलिए अगले छह महीने तक सीनियर सिटीजन लोग किसी से भी मिलें तो तीन फीट की दूरी जरूर रखें। इसके अलावा जब बाहर निकलें तो मास्क जरूर पहनें। जब भी कुछ एक्टिविटी करें तो हाथ-पैर जरूर धुलें। घर पर भी रहें तो समय-समय पर हाथ जरूर धुलें। साफ-सुथरा खाना और गर्म खाना खाएं। बाहर का कुछ न खाएं। रोडसाइडकुछ न खाएं।

  • कोरोना से बचने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाकर इम्युनिटी बढ़ाएं

एलोपैथ में तो अभी ऐसीकोई दवा नहीं है, जो इसके इलाज में काम आए। ऐसे आयुर्वेदिक नुस्खे इसमें कारगर हो सकते हैं, ताकि सर्दी-जुकाम न हो। इसके लिए लौंग, कालीमिर्च, दालचीनी, अजवाइन, अदरक इन्हें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक गिलास पानी में उबाल लें। इसे पीने से सर्दी-जुकाम नहीं होगा। इम्युनिटी भी बढ़ेगी। कोरोना का सिंप्ट्म्स भी सर्दी-जुकाम जैसा ही होता है।

  • सिर्फ चार से पांच फीसदी बुजुर्ग लोगों को ही आईसीयू की जरूरत पड़ती है

कोई भी सर्दी-जुकाम हो तो जाकर डॉक्टर को बताना है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। यह भी एक वायरल इन्फेक्शन है। सिर्फ चार से पांच फीसदी लोगों को आईसीयू की जरूरत पड़ती है। उसमें से भी आधे से ज्यादा ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा चेन को रोकने के लिए लोगों को नोटिफाई करना जरूरी है। इसमें भेदभाव न करें।

  • किसी बीमारी से पीड़ित बुजुर्गको इस वक्त सबसेज्यादा ध्यान रखने की जरूरत

डॉ. सचिन कहते हैं कि ऐसे सीनियर सिटीजन को और ज्यादा ध्यान रखना है, जो स्मोकिंग करते हैं, जिन्हें खांसी की बीमारी है, फेफड़े या हार्ट की बीमारी है, अर्थराइटिस या अस्थमा है। इसके अलावा डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की दवा खा रहे लोगों को भी ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। इन बीमारियों में मरीज को तो पहले से ही रिस्क रहता है, लेकिन किसी कारणवश यदि कोरोना आ जाता है, तो इन लोगों में जान का खतरा और बढ़ जाता है।

स्वयंसेवी संस्थाएं भी बुजुर्गों की मदद को आगे आ रही हैं

इस वक्त तमाम स्वयंसेवी संस्थाएं बुजुर्गों की मदद को आगे आ रही हैं। इसी तरह की एक संस्था है, दादा-दादी फाउंडेशन। संस्था के निदेशक मुनिशंकर कहते हैं कि इस वक्त सीनियर सिटीजंस को मेंटल सपोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत है। कई सीनियर सिटीजंस तो बिल्कुल भी घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं, इसके चलते कई लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे है। उनकी संस्था ऐसे सीनियर सिटीजंस की काउंसलिंग करने में मदद कर रही है। इसके अलावा बुजुर्गों को सोशल मीडिया, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अवेयर और मोटिवेट भी कर रहे हैं। कई शहरों में वॉलिंटियर्स राशन भीपहुंचा रहे हैं। जमीन पर काम करने का असल वक्त तो लॉकडाउन खत्म होने के बाद शुरू होगा।



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Doctors advice - Depression cases in the elderly increased from 18 to 24%, do not scare them; Explain social distancing, wearing masks and washing hands and feet


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बच्चों में सूखी खांसी नहीं डायरिया और उबकाई भी हो सकते हैं संक्रमण के लक्षण, चीन में ऐसे ही मामले सामने आ रहे

बच्चों में कोरोनावायरस का संक्रमण होने पर डायरिया के साथ बुखार आ सकता है। चीन के बच्चों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं।यह दावा चीन में शोध कर रहे बाल रोग विशेषज्ञों ने अपनी रिसर्च में किया है।

फ्रंटियर्स इन पीडियाट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, अगर बच्चों में उबकाई (मितली) और डायरिया के लक्षण दिख रहे हैं तो अलर्ट होने की जरूरत है। कुछ समय पहले व्यस्कों में भी ऐसे ही लक्षण नजर आए थे। चीन से मिले आंकड़ों के अनुसार,50 फीसदी कोरोना मरीजों में पेट में दर्द, उल्टी और डायरिया जैसे लक्षण देखे गए थे।

बच्चे कोरोना के गंभीर मरीज नहीं
रिसर्च वुहान के टॉन्गजी हॉस्पिटल में की गई है। शोधकर्ता और बाल रोग विभाग के हेड डॉ. वेनबिन ली का कहना है कि ज्यादातर बच्चे कोरोना के गंभीर मरीज नहीं हैं। कुछ ही मामले गंभीर हैं। चीन में जो मामले सामने आ रहे हैं, उनमें बच्चों को पेट से जुड़ी दिक्कतें हो रही हैं। अगर बच्चापहले कभी बीमार रहा है और अब उसे बुखार आ रहा है तो जांच की जरूरत है।

शुरुआत में सांस से जुड़ी समस्या नहीं
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना आंतों तक भी पहुंच सकता है। वुहान के टॉन्गजी हॉस्पिटल में पहुंच रहे संक्रमित बच्चों में नॉन रेस्पिरेटरीलक्षण नजर आ रहे हैं, यानी सांस से जुड़ी कोई समस्या नहीं सामने आ रही है। हालांकि, बाद में इन्हेंनिमोनिया हुआ औरफिर भीकोविड-19 की पुष्टि हुई।

हर 5 में से 4 बच्चों में पेट से जुड़े लक्षण दिखे

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हुए बच्चों में पहले सेपेट संबंधी कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन बाद मेंएक बात कॉमन निकली। जब उनका सीटी स्कैन किया गया तो सभी में निमोनिया की पुष्टि हुई। लेकिन कुछ समय बाद इनके शरीर में कोविड-19 वायरस का पता भी चला। अस्पताल में हर 5 में से 4 में पेट से जुड़ी समस्या के लक्षण दिखे।

यहां भी संक्रमण की वजह एसीई-2 रिसेप्टर
शोधकर्ता डॉ. वेनबिन का कहना है कि कोरोना को संक्रमण फैलाने में मदद करने वाला एसीई-2 रिसेप्टर फेफड़ों के अलावा आंतों की कोशिकाओं में भी पाया जाता है। हाल ही में हुए कई शोध में एसीई-2 रिसेप्टर को संक्रमण का गेटवे बताया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संक्रमित मल से भी आंतों तक कोरोना का संक्रमण फैल सकता है।

बच्चों ही नहीं बड़ों भी दिख चुके हैं ऐसे लक्षण
द सन की एक रिपोर्ट में लंदन के बलहम शहर निवासी इस्ला हसलम ने अपना अनुभव शेयर किया। इस्ला ने कहा-जब वह कोरोनावायरस के संक्रमण से जूझ रही थीं तो पेट में अजीब किस्म का दर्द महसूस हुआ, यह संक्रमण का पहला लक्षण था। एक दिन सुबह उठी तो लगा कि फूड पॉइजनिंग हुई है। कुछ घंटों बाद गले में सूजन और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखे। रात तक नाक पूरी बंद हो चुकी थी, वह बेहद डरावना अनुभव था। शरीर में अकड़न हो रही थी और काफी भारीपन महसूस होने के साथ बुखार चढ़ रहा था।



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Dry cough and diarrhea in children can also be symptoms of infection, similar cases are coming in China.


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1967 के बाद से भारत-चीन सीमा पर एक भी गोली नहीं चली, 1986 के 27 साल बाद 2013 से फिर होने लगे विवाद

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एसएल नरसिम्हन, चीन से जुड़े मामलों के डिफेंस एक्सपर्ट हैं, वह नेशनल सिक्योरिटी एडवायजरी बोर्ड के मेंबर और सेंटर फॉर कंटेमपररी चाइना स्टडीज के डायरेक्टर जनरल भी हैं।

नई दिल्ली. 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध से लेकर 2013 तक भारत-चीन सीमा पर सिर्फ दो ही बड़ी घटनाएं घटीं थी। एक 1967 में नाथुला में और एक 1986 में समदोरांग में। 27 साल बाद 2013 में भारत और चीन की सेना ने दौलत बेग ओल्डी सेक्टर और एक साल बाद चुमार में एक दूसरे को घूरकर देखा था। फिर 2017 में डोकलाम वाली घटना हुई। डोकलाम वाली घटना के दौरान ही पैंगॉन्ग लेक में दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प के दौरान स्थति पथराव तक की बनी थी।

भारत-चीन सीमा के कई इलाकों को दोनों पक्षों ने विवादास्पद और संवेदनशील माना है। और यहीं झड़प होती रही है। 2007 से सिक्किम में कुछ मसले सामने आने लगे हैं। चीनी सेना ने नवंबर 2007 में जनरल एरिया डोकाला में अस्थाई बंकर तोड़ डाले थे। इसके बाद नॉर्थ सिक्किम का एक छोटा सा ‘फिंगर एरिया’ दोनों सेनाओं के लिए गले की हड्‌डी बन गया।

डोकलाम मामले के बाद ही वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के बीच मुलाकात हुई। इस मुलाकात से द्विपक्षीय रिश्ते थोड़े शांत हुए और सीमा पर तनाव भी कम ही हुआ। 2019 में मामलापुरम समिट हुई। दोनों बैठकों से संबंध सुधरने की उम्मीद की गई और यह बहुत हद तक कामयाब भी रही।

यह साल दोनों देशों के बीच डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित होने का 70वां साल है। इसका जश्न मनाने 70 इवेंट्स प्लान किए गए थे। अफसोस कोविड 19 ने उन सभी सेलिब्रेशन्स पर पानी फेर दिया है। हालांकि, जितने हो सकते हैं वह होंगे।

जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदलना चीन को रास नहीं आया

भारत ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश में बदला है, जो भारत का अंदरूनी मामला है। लेकिन ये चीन को सही नहीं लगा। ईस्टर्न लद्दाख पर अपना दावा करनेवाला चीन इसे अपने लिए खतरा मान रहा है। साथ ही पाकिस्तान से नजदीकियों के चलते चीन की यह मजबूरी है कि वह जम्मू कश्मीर के मसले को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में बार-बार उठाए। चीन की इन्हीं हरकतों ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों की रफ्तार को प्रभावित किया है। हालांकि इसके चलते कोई बड़े प्रतिकूल प्रभाव महसूस नहीं हुए।

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल 1962 के युद्ध के बाद अस्तित्व में आई, लेकिन जमीन पर अब तक उसकी हदबंदी नहीं हुई है।

जब सबकुछ ठीक ही नजर आ रहा था, तब हाल ही में घटी कुछ विवादित घटनाओं ने भारत और चीन के रिश्तों पर सवाल खड़ा किया है। हाल ही में भारतीय सेना और पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के सैनिकों के बीच नॉर्थ सिक्किम के नाकूला में हाथापाई हुई है। घटना के दौरान दोनों ही ओर के सैनिकों को चोट भी आई हैं। इसके बाद लद्दाख में एक और झड़प की बात सामने आई। 12 मई 2020 को खबर ये भी आई कि भारतीय वायुसेना ने अपने लड़ाकू विमान एक हफ्ते पहले लद्दाख भेजे थे। क्योंकि सीमा पर चीन की वायुसेना के हेलिकॉप्टर नजर आए थे।इन सब रिपोर्ट्स की मानें तो भारत और चीन के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले 5 बातों पर ध्यान देना होगा...

पहली बात - भारत और चीन की सीमा से जुड़े कई अनसुलझे सवाल हैं। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल 1962 के युद्ध के बाद अस्तित्व में आई। लेकिन जमीन पर अब तक उसकी हदबंदी नहीं हुई है। यही वजह है कि दोनों देशों की सरहद को लेकर अपनी-अपनी धारणाएं हैं। इसी के चलते ऐसे इलाके पनपे हैं, जिन पर दोनों देश अपना दावा करते हैं। नतीजतनकई विवादित और संवेनशील इलाके बन गए हैं। जब भी दोनों देशों की पैट्रोलिंग पार्टी इन विवादित इलाके में जाती है, तो झड़प हो जाती है।

दूसरी बात - मई से सितंबर के बीच हर साल लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल वाले इलाकों में मौसम बेहतर रहता है। इसी दौरान दोनों देशों की सेना पैट्रोलिंग बढ़ा देती हैं। इसीलिए इस मौसम में विवाद ज्यादा होते हैं। यही वजह है कि सर्दियों में भारत और चीन के बीच विवाद सबसे कम होते हैं।

तीसरी बात - 1967 से लेकर आज तक भारत और चीन सीमा पर एक भी गोली नहीं चली है। और जब भी झड़प या विवाद होते हैं तो दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडर अपने स्तर पर इसे सुलझा लेते हैं।

चौथी बात - भारत और चीन के बीच सरहद पर शांति बनाए रखने को लेकर तमाम एग्रीमेंट हुए हैं। इन्हीं एग्रीमेंट्स के आधार पर कई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर पर दोनों ओर से सहमति बनी है। ताकि विवाद न बढ़ें और जब हो तो कैसे सुलझाएं।

पांचवी बात - दोनों देशों के बीच नाथुला, बुमला, किबिथू और केपान्गला में बॉर्डर पर्सनल मीटिंग होती है। इन मीटिंग्स में जो दिक्कतें और विवाद हैं वह सुलझाए जातेहैं। इन मीटिंग्स के बीच अगर कोई बात हो जाए तो उसके लिए फ्लैग मीटिंग कर सकते हैं।

भारत चीन सीमा का ज्यादातर इलाका दुर्गम है। सर्दियों में दोनों देशों की सेना इन इलाकों में पैट्रोलिंग या तो कम कर देती हैं या बंद कर देती हैं, ऐसे में विवाद भी ठंड में कम ही होते हैं।

भारत और चीन के बीच 3488 किमी लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल है। यह दुनिया की सबसे लंबी अनसुलझी सीमा है। इस सीमा का लंबा इलाका दुर्गम है और दोनों सेनाएं उसे नियंत्रित करने का प्रयास करती हैं। इसके लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) होती है। जब भी कोई एक पक्ष एसओपी को नहीं मानता जिसपर सहमति बनी थी तो विवाद होता है। और ज्यादातर इस एसओपी को नहीं माननेवाला चीन ही होता है।

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर जो होता है, उन परिस्थितियों से निपटने की व्यवस्थाओं को देखने के बाद, ये देखना होगा कि आखिर वहां क्या करने की जरूरत है?

पहला - दोनों सेनाओं को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) का सख्ती से पालन करना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि विवाद तुरंत सुलझ जाए और बढे़ ना।

दूसरा - लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को जितनी जल्दी हो सके स्पष्ट किया जाना चाहिए। इसे लेकर 20 साल पहले कोशिश की गई थी। दोनों देशों ने एलएसी को लेकर अपनी धारणाओं के मुताबिक सेंट्रल सेक्टर के नक्शे एक्सचेंज किए थे। जब वेस्टर्न सेक्टर के नक्शे एक्सचेंज करने की बात आई तो चीन ने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया। यदि ऐसा हो पाता तो दोनों पक्षों की सीमा को लेकर जो धारणा है वह पता चलती और उसके मुताबिक ग्राउंड पर उसकी हथबंदी की जा सकती। इससे विवाद कम हो जाते।

तीसरा - लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर होनी वाली घटनाओं को लेकर संवेनशीलता में कमी आना चाहिए। जैसे ही कोई मामला सामने आता है उसे लेकर प्रतिक्रिया नियंत्रण से बाहर हो जाती है। कई बार वहां क्या हुआ उसकी असलियत जाने बगैर कुछ भी समझ लिया जाता है।

चौथा - तकनीक के जरिए सीमा पर सर्विलांस बढ़ाना चाहिए। इससे ह्युमन इंटरेक्शन कम होगा और विवाद भी कम होंगे। टेक्नोलॉजीके जरिए एलएसी के नजदीक सड़क और ट्रैक के निर्माण को लेकर पर नजर रखी जा सकेगी।

पांचवा - दोनों देशों के नेता और सरकार जानती और समझती है कि किसी भी मतलब से हुआ विवाद हर एक को बुरी तरह प्रभावित करेगा। जरूरत है कि दोनों देश और उनकी सेनाएं सरहद पर शांति कायम रखना सुनिश्चित करे।

नाथुला, बुमला, किबिथू और केपान्गला में समय समय पर बॉर्डर पर्सनल मीटिंग होती है, जिसमें विवाद सुलझाए जाते हैं


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ये तस्वीर उस वक्त की है जब रिटायर्ड ले.जनरल नरसिम्हन सिक्किम के नाथुला में बतौर सेना के ब्रिगेड कमांडर पोस्टेड थे।


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जानवरों को समझ आती है एक-दूसरे से दूरी बनाने की जरूरत, मादा बंदरों पर की गई रिसर्च में सामने आया

कोरोना संकटकाल में सोशल डिस्टेसिंग को लेकर पशु-पक्षियों से सीख लेने के कई मैसेज वायरल हुए हैं। आम लोगों के साथ वैज्ञानिकों ने भी इस बात को देखा-समझा कि वाकई झुंड में रहने वाले जानवर एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखते हैं। अब इसी बात को शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च से प्रमाणित भी कर दिया है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने जानवरों में कुछ सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रसार को कम करने के लिए जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में सबूत पा लिए हैं। इससे यह समझ आता है कि जानवर अपने शरीर को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं और इसी कारण वे समूह में रहकर दूसरे समूह से सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखते हैं।

सूक्ष्म जीवों और बंदरों के कनेक्शनस्टडी

जर्नल एनिमल बिहेवियर में प्रकाशित यह रिसर्च स्टडी घाना में बोआबेंग और फ़िएमा गांवों के पास एक छोटे से जंगल में 45 मादा कोलोबस बंदरों पर की गई। इसमें उनकी आंतों में मौजूद पाचन क्रिया में मदद करने वाले सूक्ष्मजीवों की मौजूदगी को वैज्ञानिकों ने उनकी आनुवांशिकी, आहार,सोशल ग्रुपिंग और सोशल नेटवर्क में डिस्टेंसिंग जैसे मापदंडों पर परखा है।

आंत के सूक्ष्मजीवों की मदद ली गई
स्टडी में यह समझा गया कि आंत के अंदर पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों कीभूमिका क्या होती है और ये कैसे एक बंदर से दूसरे में फैलतेहैं।इस स्टडी को करने वाली अमेरिका की टेक्सास यूनिवर्सिटी की असिस्टेंटप्रोफेसरईवा विकबर्ग ने बताया कि, बंदरों के बीच सोशल माइक्रोबियल ट्रांसमिशन हमें बता सकता है कि इंसानों में भीबीमारियां कैसे फैलती हैं और सोशल डिस्टेंसिंग से उन्हें दूर रखना कितना फायदेमंद है।

8 अलग-अलग सोशल ग्रुप्स में स्टडी की गई
इन समूहों में मादा बंदर ही समूह की मुखिया होती है। इसके लिए 8 अलग-अलग सोशल ग्रुप्स के बंदरों के मल से पता लगाया गया कि वास्तव में उनके शरीर में सूक्ष्मजीव कैसे पहुंचते हैं।बंदरों के पेट में मौजूद सूक्ष्मजीव (गट माइक्रोबायोम) आमाशय से शुरू होकर बड़ी आंत के आखिरी सिरे तक मौजूद होते हैं। इंसानों में भी लगभग ऐसा ही होता है।

जानवरों में सोशल डिस्टेंसिंग को दिखाती ये तस्वीर अरुणाचल प्रदेश में भलुकपांग के पास असम हाइवे की है। इसे 28 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया था।

अलग-अलग ग्रुपमें सुक्ष्मजीवों में अंतर मिला

वैज्ञानिकों नेइन सोशल ग्रुप्स के बंदरों कीआंत के सूक्ष्मजीवों के बीच एक प्रमुख अंतर देखा।अलग-अलग समूहों के बंदर जो आबादी के सोशल नेटवर्क में ज्यादा करीब से जुड़े हुए थे, उनमें एक जैसे सूक्ष्म माइक्रोबॉयोम्स थे, जबकि इनसे दूर रहने वाले समूहों में सूक्ष्मजीव नए किस्म के थे।

पाचन में मददगार सूक्ष्मजीव

ये ऐसे सूक्ष्मजीव थे जो पत्तियों वाले उनके आहार को पचाने में मदद करते थे। इस खोज से पता चलता है कि सूक्ष्मजीव इन बंदरों की आपस में होने वाली लड़ाई के दौरान या किसी अन्य कारण से सम्पर्क में आने के दौरान एक से दूसरे में फैल गए होंगे।

सोशल ग्रुप्स के बीच डिस्टेंसिंग भी, मित्रता भीशोधकर्ताओं का मानना है कि कोलोबस बंदरों ने जानबूझकर करीब आकर या फिर अनजाने में भी एक से दूसरे शरीर में इस तरह के सूक्ष्मजीवों को फैलाया होगा।हालांकि, टीम ने कहा कि इस प्रकार के ट्रांसमिशन से क्या सेहत को वाकई फायदा होता है, यह जांचने के लिए हम आगेरिसर्च कर रहे हैं। इससे यह भी पता चलेगा किविभिन्न सोशल ग्रुप्स के बीच ऐसी मित्रता और डिस्टेंसिंगक्यों होती है।
मौजूदा दौर को समझने में मदद मिलेगी

शोधकर्ताओं ने कहा कि पिछले एक दशक से पेट का माइक्रोबायोम वैज्ञानिकों केध्यान में आया है। यह माना जाता है कि एक रोगग्रस्त आंत के बिगड़े माइक्रोबायोम के कारण मोटापा, खराब प्रतिरक्षा, कमजोर परजीवी प्रतिरोध और यहां तक कि व्यवहार परिवर्तन भी हो सकता है।
प्रोफेसर ईवा कहती हैं कि इन बंदरों और हमारी मौजूदा स्थिति में समानताएं हैं, जिसमें हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि COVID 19 और भविष्य में आने वाली ऐसी ही महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग उनके संक्रमणको कैसे रोक कर सकती है।



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Animals Follow Social Distancing To Prevent Contraction Of Microbes| A new study by UTSA researchers has revealed that animals have long followed social distancing rules when it comes to microorganisms found in their gut.


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नेतन्याहू आज पांचवीं बार पीएम बनेंगे; गठबंधन सरकार के दोनों नेता भारत समर्थक

कोरोनावायरस के संकट के बीच बेंजामिन नेतन्याहू एक बार फिर इजराइल केप्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों और तीन बार चुनावों में बहुमत न मिलने के बावजूद उन्होंने राजनीतिक गठजोड़ से पीएम पद पा लिया।इसके लिए उन्होंने अपने विपक्षी बेनी गांत्ज से हाथ मिलाया है।

बीबीसी से बातचीत में इजराइल के राजनीतिक विश्लेषक योहानन प्लेसनेर ने इस डील को 'लोकतांत्रिक युद्धविराम' बताया था। नेतन्याहू और प्रधानमंत्री मोदी की पर्सनल कैमिस्ट्री काफी मजबूत मानी जाती है। बेनी गांत्ज भी कई बार भारत को मजबूत लोकतंत्र और उभरती हुई ताकत करार दे चुके हैं।

नेतन्याहूलगातार चौथी बार प्रधानमंत्री

दोनों नेता कह रहे हैं कि कोरोना काल में देश को स्थिर सरकार की जरूरत है, लिहाजा गठबंधन जरूरी है। एक साल में तीन आम चुनाव हो चुके हैं। दो गठबंधन थे।नेतन्याहू की लिकुड पार्टी और गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी में से किसी को भीबहुमत नहीं मिल पाया। अब दोनों मिलकर सरकार बना रहे हैं। नेतन्याहू पांचवीं बार देश की बागडोर संभालेंगे। हालांकि, उनका यह लगातार चौथा कार्यकाल होगा।

गठबंधन सरकार और शर्तें

  • नेतन्याहू और गांत्ज के बीच सरकार चलाने को लेकर 14 पेज का एग्रीमेंट साइन हुआ।
  • एग्रीमेंट के अनुसार- सरकार में दोनों पक्ष बारी-बारी से पद संभालेंगे।
  • पहले 18 महीने नेतन्याहू पीएम तोगांत्ज रक्षा मंत्री रहेंगे।
  • एग्रीमेंट में दोनों नेताओं को सत्ता हथियाने से रोकने की भी व्यवस्था की गई है।
  • नेतन्याहू कार्यकाल खत्म करने के बाद गठबंधन तोड़कर चुनाव नहीं करा सकते।
  • गांत्ज भी नेतन्याहू पर निचली अदालत में भ्रस्टाचार के आरोप सिद्ध होने के बाद उन्हें पद से नहीं हटा सकेंगे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा।

नई सरकार के सामने क्या चुनौतियां?

  • इजराइल कोविड-19 से निपटने में तो काफी हद तक सफल रहा है। लेकिन, उसके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। एक अनुमान के मुताबिक देश के एक चौथाई कर्मचारी यानी 10 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं।
  • नेतन्याहू ने चुनावमें वादा किया था कि वेस्ट बैंक के उन इलाकों का विलय करेगें, जहां यहूदी बस्तियां बसाई गईं हैं। गठबंधन सरकार में भी इस पर सहमति बनी है। एक जुलाई से विलय शुरू होगा। इसके चलते फिलिस्तीन से संघर्ष बढ़ेगा। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक भी यह विलय गैरकानूनी है।
  • नेतन्याहू के दौर में राष्ट्रवादी पार्टियों का सत्ता में दबदबा था। बेनी उदारवादी माने जाते हैं। ऐसे में गठबंधन सरकार में भविष्य की नीतियों पर कई तरह के विवाद होने की आशंका है।

बेनी गांत्ज को जानिए
गांत्ज पूर्व सेना प्रमुख हैं। नेतन्याहू को हराने के लिए उन्होंने दक्षिणपंथी और लिबरल दोनों नीतियों का सहारा लिया। चुनावों के दौरान वे नेतन्याहू पर लगे भष्टाचार के आरोप उठाते रहे। ये भी वादा किया कि वो नेतन्याहू के साथ सरकार नहीं बनाएंगे। अब ये वादा देशहित के नाम पर तोड़ दिया गया है। बेनी कहते हैं- कोरोना काल में देश को स्थिर सरकार की जरूरत है।

इजराइल की नीतियों में बदलाव मुमकिन
इजराइली अखबार हारेट्ज के मुताबिक, इजराइल की राजनीति अभी तक धार्मिक और राष्ट्रवाद पर टिकी थी। नई सरकार में लिकुड पार्टी के गठबंधन वाली दक्षिण पंथी और रूढ़िवादी पार्टियों को जगह नहीं मिली है। इससे देश की नीतियों में इनका प्रतिनिधित्व कम होगा। वहीं, बेनी लिबरल खेमे से आते हैं। ऐसे में उनके सत्ता में साझीदार बनने से इजराइल की राजनीति में बड़े बदलाव संभव हैं।

भारत से संबंध
प्रधानमंत्री मोदी और नेतन्याहू ने एक-दूसरे के देशों के दौरे करके करीबी संबंध स्थापित किए हैं। नेतन्याहू ने अपने चुनाव प्रचार में मोदी और ट्रम्प के पोस्टरों का भी इस्तेमाल किया था। मोदी ने फिलिस्तीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करते हुए इजराइल के साथ भारत के संबंधों को और अधिक पारदर्शी बनाया है। व्यापार, निवेश, आईटी, हाई टेक्नोलॉजी और डिफेंस सेक्टर में द्विपक्षीय संबंध से दोनों देशों को लाभ हुआ है।

इजराइल भारत का तीसरा सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर है। किसी भी नई सरकार से इन संबंधों के प्रभावित होने की संभावना नहीं है। गांत्ज की भी छवि भारत समर्थक के रूप मे है।



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Israel Latest News; ‌‌Benjamin Netanyahu will be PM for the fifth time today


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अमेरिकी कमीशन ने कहा- कोरोना के दौरान भारत में मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाया गया; इसी ने भारत को धार्मिक भेदभाव करने वाले देशों की लिस्ट में डालने का सुझाव भी दिया था

अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने बुधवार को एक ट्वीट किया। इसमें कहा गया कि, "साल 2019 के दौरान भारत में धार्मिक आजादी का ग्राफ बुरी तरह नीचे गिरा। इस साल कोरोनावायरस महामारी के दौरान भी यह प्रवृत्ति जारी रही और मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाया गया। इन आधारों पर यूएससीआईआरएफ अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट की धार्मिक आजादी के लिए चिंताजनक स्थिति वाले देशों की सूची में भारत को भी डालनेका सुझाव देता है।"

अमेरिकी कमीशन का यह ट्वीट 13 मई (बुधवार) का है लेकिन दुनियाभर में धार्मिक आजादी पर वह अपनी रिपोर्ट 28 अप्रैल को ही अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट को सौंप चुका है। इस रिपोर्ट में ही कमीशन ने भारत को 2019 और 2020 के घटनाक्रम के आधार पर विशेष चिंता के विषय वाले देशों (सीपीसी) की लिस्ट में डाला था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक दिन बाद ही (29 अप्रैल) इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था कि हम इस आयोग को एक विशेष सोच के साथ काम करने वाला संगठन मानते हैं और इसकी रिपोर्ट में कही गई बातों कीपरवाह नहीं करते।

28 अप्रैल की रिपोर्ट में सीएए, एनआरसी, धर्मांतरण विरोधी कानून, मॉब लिंचिंग, जम्मू-कश्मीर से विशेष अधिकार छिनने, अयोध्या में राम मंदिर सुनवाई के दौरान भारत सरकार के एकतरफा रवैये जैसी कई चीजों के आधार पर भारत को धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला देश बताया गया था। अब ताजा ट्वीट में कोरोना फैलाने के बहाने मुस्लिमों को अलग-थलग करने की बात जोड़ी गई है।

दरअसल, कोरोना के चलते 25 मार्च को भारत में लॉकडाउन हुआ और 29 मार्च को दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में लगे मरकज से कोरोना का पहला केस मिला। मरकज में 2 हजार से ज्यादा लोग थे, जो लॉकडाउन के कारण बाहर नहीं निकल पाए। इनमें से कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इस केस के बाद कुछ मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया पर मरकज को कोरोना का केन्द्र बताया जाने लगा।

खुद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एक बयान में कहा था कि एक घटना के कारण कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ गई। केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने जमातियों पर देशभर में सक्रमण फैलाने का आरोप लगाया और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि तबलीगी जमात ने जानबुझकर कोरोना फैलाया। भाजपा नेताओं की यह फेहरिस्त लंबी है।

देशभर की भाजपा शासित राज्य सरकारों ने भी अपने-अपने राज्यों में कोरोना फैलने का ठिकरा जमातियों पर ही फोड़ा। हिमाचल प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदेल ने तबलीगी जमातियों को मानव बम कहा तो कर्नाटक से भाजपा सांसद शोभा करंडलाजे ने बेलागावी के एक हॉस्पिटल में जमातियों पर थूकने और अश्लील इशारे करने के आरोप लगाए, हालांकि बाद में जिला डेप्युटी कमिश्नर ने इन आरोपों को गलत बताया।

भाजपा नेताओं के बयानों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट वायरल होने लगे, जिनमें भारत में कोरोना फैलाने के लिए जमातियों की फौज खड़ी करने की बात कही जा रही थी। विदिशा के एक मानसिक रूप से अस्थिर शख्स का फलों में थूक लगाने वाला वीडिया सबसे ज्यादा वायरल हुआ। हालांकि यह एक पुराना वीडियो था। इसे यह कहकर वायरल किया गया कि मुस्लिम लोग देश में कोरोना फैलाने के लिए थूक लगाकर फल-सब्जी बेच रहे हैं।

इस तरह के कई पोस्ट सोशल मीडिया पर चलते रहे। कुछ न्यूज चैनलों में भी रात-दिन यही दिखाया जाने लगा। असर यह हुआ कि देश के कई बड़े-छोटे शहरों से फल-सब्जी बेचने वाले मुस्लिमों को कॉलोनियों में न घुसने देने की खबरें आने लगीं। कई गांवों में मुस्लिम व्यापारियों को न आने देने के पोस्टर भी लगे। कई गांव और कस्बों से ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि मुस्लिमों को न सामान दिया जा रहा है और न ही उन्हें खेतों में मजदूरी के लिए बुलाया जा रहा है। सरकार की बातें, सोशल मीडिया का फेक कंटेंट और न्यूज चैनलों के एजेंडे कुछ इस तरह लोगों के दिमाग में बैठ गए कि मंडियों में ठेले लगाने वाले मुस्लिमों को भी पीटकर भगाया जाने लगा।

केस 1: दिल्ली के शास्त्री नगर इलाके का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, इसमें 15-20 लोग फल-सब्जी बेचने वाले मुस्लिमों को कॉलोनी में न घुसने देने की बात कर रहे थे। इसी बीच जब दो मुस्लिम युवक फल लेकर इस कॉलोनी में पहुंचते हैं तो उन्हें भगा दिया जाता है। भास्कर के रिपोर्टर राहुल कोटियाल जब इस वायरल वीडियो की तहकीकात के लिए इस इलाके में पहुंचे तो यहां के लोगों ने माना था कि उन्होंने मुस्लिमों का कॉलोनी में आना बंद कर दिया है।

केस 2: मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के एक गांव में मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश को लेकर एक पोस्टर लगाया गया था। इसमें लिखा गया था कि मुस्लिम व्यापारियों का गांव में प्रवेश निषेध है।

केस 3: उत्तर-पश्चिम दिल्ली के हारेवली गांव में एक 22 वर्षीय महबूब अली को इसलिए पीटा गया क्योंकि वह मरकज से लौटा था। पिटाई के बाद युवक को हिंदू मंदिर में ले जाया गया और उसे हिंदू धर्म अपनाने के लिए कहा गया।

ये महज तीन केस हैं लेकिन पिछले डेढ़ महीने से भारत में कोरोना फैलाने के बहाने हो रहे मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों के शोषण की खबरें लगातार आती रहीं हैं। अरुणाचल प्रदेश में मुस्लिम ट्रक चालकों को मारा गया। कर्नाटक के बिदारी और कडकोरप्पा गांवों में मुस्लिमों पर हुए हमले के वीडियो सामने आए। इन हमलों के वीडियो में हमलावरों का कहना था कि तुम्हीं लोग (मुसलमान) ये बीमारी फैला रहे हो। इसी तरह हरियाणा के गुरुग्राम में धनकोट गांव में मस्जिद पर हमला हुआ। देशभर से ऐसे केस लगातार आते रहे।

यूएससीआईआरएफ के प्रतिनिधी तो भारत में नहीं आते लेकिन इन्हीं रिपोर्ट्स के आधार पर उन्होंने ताजा ट्वीट किया है। खैर, यूएससीआईआरएफ के यह सुझाव अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट मानता है या नहीं ये तभी पता चलेगा जब इस साल के लिए सीपीसी की लिस्ट आएगी। मई के आखिरी में या जून के पहले सप्ताह में इसके आने की उम्मीद है। लेकिन अमिरिकी कमीशन के यह सुझाव भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को कितना नुकसान पहुंचाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।

2004 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब यूएससीआईआरएफ ने भारत को धार्मिक भेदभाव के लिए चिंताजनक स्थिति वाले देशों की सूची में शामिल करने का सुझावदिया है। 28 अप्रैल की रिपोर्ट में इस आयोग ने भारत समेत 14 देशों को सीपीसी लिस्ट में डालने का सुझाव दिया। इनमें 9 वे देश हैं जो पहले से ही इस लिस्ट में शामिल है- बर्मा, चीन, इरीट्रिया, ईरान, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान। अब इसमें 5 अन्य देश भारत, नाइजीरिया रूस, सीरिया और वियतनाम को भी शामिल करने का सुझाव है।

रिपोर्ट में भारत के लिए क्या कहा गया?
रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में भाजपा ने दोबारा सरकार में आने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी नीतियां बनाईं, जिनसे मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन हुआ। भारत सरकार ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को छूट दी और खुद नेता लोग भड़काने वाले बयान देते रहे। रिपोर्ट में सीएए को मुस्लिम अधिकारों के हनन का सबसे बड़ा उदाहरण बताया गया। इसमें कहा गया कि भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने बाहर से आए प्रवासियों को दीमकबताया और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स को देशभर में लागू कर इन्हें बाहर निकालने की बात कही। लेकिन दूसरी ओर वे यह भी कहते रहे कि आसपास के 6 देशों से आए हिदू प्रवासियों को सीएए के द्वारा नागरिकता दी जाएगी, यानी बाहर निकलने वालों में केवल मुस्लिम होंगे।

संसद से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद यानी 14 दिसंबर से लॉकडाउन होने तक (25 मार्च) तक शाहीन बाग में महिलाएं 24 घंटे धरने पर बैठी रहती थीं। देशभर में ऐसे कई शाहीन बाग बने हुए थे।

रिपोर्ट में सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को दबाने के लिए पुलिस और सरकार से जुड़े समुहों को भी हिंसा करने वालों के साथ मिला हुआ बताया गया। रिपोर्ट में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वह बयान भी शामिल किया गया जिसमें उन्होंने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को बिरयानी के बदले बुलेट देने की बात कही थी। इन बयानों को उकसाने वाले बयान कहा गया। रिपोर्ट में झारखंड की मॉब लिंचिग की घटना का उल्लेख भी है, जिसमें तबरेज अंसारी नाम के शख्स को पीट-पीट कर मार डालने और उससे जयश्री राम के नारे बुलवाए गए थे।

जून 2019 में 24 साल के तबरेज अंसारी की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2015 से दिसंबर 2019 तक गौमांस खाने और बेचने की शंका के आधार पर 50 लोगों की हत्या हुई। ऐसे ही हमलों में 250 लोग घायल भी हुए।

रिपोर्टमें ईसाईयों पर भी पूरे साल में 328 हमलों का जिक्र है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए कानून के सख्ती से पालन का सुझाव दिया तो गृहमंत्री अमित शाह ने मौजूदा कानूनों को ही पर्याप्त बताया था। यहां तक कि गृहमंत्रालय के आदेश पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डेटा से भी लिंचिंग का डेटा हटवाने का आदेश दिया गया।

रिपोर्ट में फरवरी के आखिरी में दिल्ली में हुए दंगों का भी जिक्र है। इसमें कहा गया है कि तीन दिन तक चले दंगों को केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस रोकने में असफल रही और इसमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, इनमें ज्यादातर मुस्लिम थे।

दिल्ली हिंसा में मारे गए 31 साल के मोहम्मद मुदस्सिर के परिवार के लोग।इंडिया स्पेंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 से 2018 के बीच 9 साल में हुए हेट क्राइम की 90% घटनाएं नरेन्द्र मोदी सरकार में हुई। इनमें 86% मामलों में आरोपी हिंदू थे, जबकि 13% मामलों में हमला करने वाले लोग मुस्लिम समुदाय से थे।

यूएससीआरआईएफ ने भारत के संदर्भ में अमेरिकी सरकार को क्या सुझाव दिया?

  • अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी के नियमों के तहत भारत में अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन को देखते हुए देश को विशेष चिंताजनक स्थिति वाले देशों की सूची में डालें।

  • भारत सरकार की उन एजेंसियों और अधिकारियों को अमेरिका आने पर पर प्रतिबंध लगाएं जो धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कर रही हैं। अमेरिका में इनकी संपत्तियों को भी जब्त करने का सुझाव दिया गया है।
  • भारत में अमेरिकी दूतावास और राजनयिक को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में धार्मिक समुदायों, स्थानीय प्रशासन और पुलिस से मिलने के लिए कहा जाए। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए भारत में कानून का पालन करवाने वाली संस्थाओं के साथ अमेरिका अपनी साझेदारी बढ़ाए।
  • मॉनिटरिंग और वार्निंग सिस्टम बनाने के लिए भारत में सिविल सोसाइटियों को फंड दें ताकि पुलिस की सहायता से भड़काऊ भाषण और उकसाने वाली घटनाओं को समय रहते रोका जा सके।


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दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में लगे मरकज में हजारों जमाती इकट्ठा हुए थे। आधे से ज्यादा लॉकडाउन के पहले अपने-अपने घर लौट गए थे। बाकी दो हजार से ज्यादा लोगों को अप्रैल के शुरुआत में निकाला गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल ने एक बयान में कहा था कि तबलीगी जमात के लोगों के देशभर के अलग-अलग हिस्सों में जाने की वजह से संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई।


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