मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

टीम इंडिया के पास ऑस्ट्रेलिया से पहली बार लगातार 3 टेस्ट सीरीज जीतने का मौका

भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 4 टेस्ट की सीरीज खेलना है। पहला टेस्ट 17 दिसंबर से खेला जाएगा, जो डे-नाइट होगा। टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को पिछली दो टेस्ट सीरीज में शिकस्त दे चुकी है। ऐसे में भारत के पास उसके खिलाफ पहली बार लगातार 3 टेस्ट सीरीज जीतने का मौका है।

टीम इंडिया ने पिछली बार ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में 3-1 से शिकस्त दी थी। टीम की ऑस्ट्रेलिया में यह पहली टेस्ट सीरीज जीत थी। भारत ने ऑस्ट्रेलिया में अब तक 12 में से 8 सीरीज हारीं और 3 ड्रॉ खेली हैं।

एडिलेड और मेलबर्न में भारत पहले भी जीत चुका
भारतीय टीम को इस बार एडिलेड, मेलबर्न, सिडनी और ब्रिस्बेन में 1-1 टेस्ट खेलना है। 2018 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर भारतीय टीम ने मेजबान ऑस्ट्रेलिया को एडिलेट टेस्ट में 31 और मेलबर्न टेस्ट में 137 रन से शिकस्त दी थी। सिडनी में खेला गया सीरीज का आखिरी टेस्ट ड्रॉ रहा था। पिछली बार एक मैच पर्थ में खेला गया था, जो ऑस्ट्रेलिया ने 146 रन से जीता था। इस बार यह मैच ब्रिस्बेन में खेला जाएगा।

टीम इंडिया के लिए पुजारा, रहाणे, पंत और राहुल की-प्लेयर रहेंगे
भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली पहले टेस्ट के बाद पैटरनिटी लीव पर चले जाएंगे। बाकी तीन मैच में अजिंक्य रहाणे कप्तानी संभालेंगे। ऐसे में पहले टेस्ट के बाद भारतीय टीम के लिए चेतेश्वर पुजारा, रहाणे, मयंक अग्रवाल, लोकेश राहुल और पृथ्वी शॉ की-प्लेयर रहेंगे।

पुजारा 2018 में मेजबान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टॉप स्कोरर रहे थे। वे 500+ रन बनाने और 3 शतक लगाने वाले अकेले प्लेयर थे। उनके अलावा टॉप-3 में ऋषभ पंत (350) और विराट कोहली (282) इंडियन बैट्समैन ही थे।

शुरुआती दो टेस्ट में नहीं खेलेंगे रोहित
चोटिल रोहित शर्मा फिट होकर टीम में लौटे हैं। वे जल्द ही ऑस्ट्रेलिया पहुंच जाएंगे। 14 दिन क्वारैंटाइन पीरियड के कारण रोहित पहला टेस्ट नहीं खेल सकेंगे। उनका दूसरा टेस्ट में भी खेलना मुमकिन नहीं लग रहा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सबसे ज्यादा रन के मामले में टॉप-5 भारतीयों में मौजूदा टीम से अकेले पुजारा शामिल हैं।

बुमराह-शमी पर गेंदबाजी का दारोमदार
2018 सीरीज के टॉप विकेट टेकर जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी के कंधों पर इस बार फिर गेंदबाजी का दारोमदार रहेगा। रविचंद्रन अश्विन, कुलदीप यादव, रविंद्र जडेजा और उमेश यादव को भी पिछले दौरे का अनुभव काम आएगा। पिछली सीरीज में बुमराह ने 21 और शमी ने 16 विकेट लेकर टीम को सीरीज जिताई थी।

युवा गेंदबाजों के पास मौका
इस बार नवदीप सैनी और मोहम्मद सिराज पहली बार ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जा रहे हैं। शमी, बुमराह और उमेश के रहते दोनों में से किसी को भी प्लेइंग इलेवन में मौका मिलना मुश्किल है। यदि इनमें से किसी को प्लेइंग इलेवन में चुना जाता है, तो इनके पास अपनी जगह पक्की करने का बड़ा मौका रहेगा।

टीम इंडिया के लिए टेस्ट सीरीज में चुनौतियां

  • भारतीय कप्तान विराट कोहली पहले टेस्ट के बाद पैटरनिटी लीव पर चले जाएंगे। जबकि पिछले साल के शुरुआत में टेस्ट में डबल सेंचुरी लगा चुके रोहित शर्मा शुरुआती दो टेस्ट नहीं खेल सकेंगे। ऐसे में टीम इंडिया को काफी स्ट्रगल करना पड़ेगा।
  • स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर बॉल टेम्परिंग के कारण 1 साल का प्रतिबंध झेलकर वापसी कर रहे हैं। यह दोनों दिग्गज बेहतरीन फॉर्म में भी हैं। ऐसे में भारतीय गेंदबाजों को इनसे पार पाना होगा।
  • ऑस्ट्रेलिया टीम में बल्लेबाजी लाइनअप काफी मजबूत है। इसमें ओपनर वॉर्नर, मार्नस लाबुशाने, स्मिथ, टिम पैन, मैथ्यू वेड और पैट कमिंस शामिल हैं। हालांकि, भारतीय गेंदबाजी लाइनअप में भी जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, और रविचंद्रन अश्विन जैसे बॉलर हैं।

भारतीय टीम

  • बैट्समैन: विराट कोहली (कप्तान), अजिंक्य रहाणे (उपकप्तान), रोहित शर्मा, मयंक अग्रवाल, केएल राहुल, चेतेश्वर पुजारा, पृथ्वी शॉ, शुभमन गिल, ऋद्धिमान साहा (विकेटकीपर) और ऋषभ पंत (विकेटकीपर)।
  • ऑलराउंडर: हनुमा विहारी, रविंद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन।
  • बॉलर: कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, नवदीप सैनी, उमेश यादव और मोहम्मद सिराज।

ऑस्ट्रेलिया टीम

  • बैट्समैन: टिम पैन (कप्तान और विकेटकीपर), डेविड वॉर्नर, स्टीव स्मिथ, मैथ्यू वेड (विकेटकीपर), जो बर्न्स, मार्कस हैरिस और ट्रेविस हेड।
  • ऑलराउंडर: कैमरून ग्रीन, मार्नस लाबुशाने और माइकल नेसेर।
  • बॉलर: पैट कमिंस, सीन एबॉट, जोश हेजलवुड, नाथन लियोन, जेम्स पैटिंसन, मिचेल स्टार्क और मिचेल स्वेप्सन।


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Virat Kohli: India Vs Australia Test Series Schedule 2020 | Ind Vs Aus Head To Head Records Key Batting Bowling Statistics


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राहत की खबर, 24 घंटे में करीब 13 हजार एक्टिव केस कम हुए, इनकी कुल संख्या घटकर 3.38 लाख रह गई

देश में एक्टिव केस में इस महीने 96 हजार 444 की कमी आई है। इलाज करा रहे इन मरीजों की संख्या अब सिर्फ 3.38 लाख रह गई है। सोमवार को एक्टिव केस में 12 हजार 892 की गिरावट आई। यह इस महीने की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले 7 दिसंबर को 13 हजार 476 एक्टिव केस कम हुए थे।

देश में सोमवार को 21 हजार 791 कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई। 34 हजार 313 ठीक हो गए और 353 की मौत हो गई। अब तक कुल 99.06 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 94.21 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं और 1.43 लाख संक्रमित ठीक हो चुके हैं। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।

कोरोना अपडेट्स

  • मध्यप्रदेश में 18 दिसंबर से 10वीं और 12वीं की रेगुलर क्लासेस लगेंगी। यह फैसला बोर्ड परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। 9वीं और 11वीं की कक्षाएं शुरू करने का फैसला जिला प्रशासन पर छोड़ दिया गया है। पहली से 8वीं तक के स्कूलों को खोलने का फैसला कोरोना संक्रमण की समीक्षा के बाद लिया जाएगा। यह फैसला एमपी बोर्ड और CBSE स्कूलों पर लागू होगा।
  • हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, कांगड़ा और कुल्लू जिलों में नाइट कर्फ्यू 5 जनवरी तक बढ़ा दिया गया है। शादी और अन्य कार्यक्रमों में ज्यादा से ज्यादा 50 लोगों के शामिल होने का नियम भी लागू रहेगा। यहां करीब सात हजार कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है। राज्य की आबादी 73% है, जबकि पॉजिटिविटी रेट 8% है।

5 राज्यों का हाल

1. दिल्ली

यहां सोमवार को 1376 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। 2854 लोग ठीक हुए और 60 की मौत हो गई। अब तक यहां 6 लाख 8 हजार 830 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 15 हजार 247 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 5 लाख 83 हजार 509 लोग ठीक हो चुके हैं।

2. मध्यप्रदेश

यहां सोमवार को 1058 केस आए। यह बीते 27 दिनों में नए मरीजों का सबसे कम आंकड़ा है। इससे पहले 17 नवंबर को 922 केस आए थे। राज्य में 1084 मरीज ठीक हो गए, जबकि 8 मरीजों की मौत हो गई। यहां अब तक 2 लाख 24 हजार 636 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 2 लाख 8 हजार 421 ठीक हो गए, जबकि 3 हजार 412 की मौत हो गई। अभी 12 हजार 803 का इलाज चल रहा है।

3. गुजरात

यहां सोमवार को 1120 लोग संक्रमित पाए गए। 1389 लोग ठीक हुए और 11 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 28 हजार 803 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 12 हजार 918 मरीजों का इलाज चल रहा है। 2 लाख 11 हजार 703 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं, जबकि 4182 की मौत हो चुकी है।

4. राजस्थान

यहां सोमवार को 1250 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 1631 लोग ठीक हुए और 13 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 92 हजार 539 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 16 हजार 200 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 73 हजार 784 लोग ठीक हो चुके हैं, 2555 की मौत हो चुकी है।

5. महाराष्ट्र

यहां सोमवार को 2949 लोग पिछले 24 घंटे के अंदर संक्रमित पाए गए। 4610 लोग ठीक हुए और 60 की मौत हो गई। अब तक 18 लाख 83 हजार 365 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 72 हजार 383 मरीजों का इलाज चल रहा है। 17 लाख 61 हजार 615 मरीज ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 48 हजार 269 हो गई है।



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मॉडर्ना वैक्सीन कंपनी सायबर अटैक का शिकार बनी, नीदरलैंड्स में क्रिसमस के पहले पांच हफ्ते का लॉकडाउन

दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 7.31 करोड़ के ज्यादा हो गया। 5 करोड़ 13 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 16 लाख 27 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। दुनिया के कई देशों में वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। इस बीच एक खतरा वैक्सीन कंपनियों पर सायबर अटैक का उभर रहा है। मॉडर्ना वैक्सीन कंपनी इसका शिकार बन गई है। कंपनी ने खुद इसकी पुष्टि की है।

नीदरलैंड्स में क्रिसमस इस बार फीका रहेगा। यहां सरकार ने पांच हफ्ते के सख्त लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है।

मॉडर्ना पर सायबर अटैक
मॉडर्ना वैक्सीन कंपनी ने सोमवार को माना कि सायबर अटैक में उसके कुछ अहम दस्तावेज चोरी हुए हैं। खास बात यह है कि कंपनी को खुद इसकी जानकारी नहीं लगी। कंपनी को इस बारे में पहली सूचना यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) ने दी। ‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह डॉक्यूमेंट्स तब के हैं जब कंपनी अप्रूवल के लिए सरकारों के पास दस्तावेज भेज रही थी। इसी दौरान डॉक्यूमेंट्स चुरा लिए गए।

EMA का जानकारी देना इसलिए भी अहम है क्योंकि यही यूरोपीय देशों में वैक्सीन को अप्रूवल देने वाली रेग्युलेट्री एजेंसी है। इसने कई महीने पहले ही आशंका जाहिर की थी कि कुछ कंपनियों के वैक्सीन का डाटा एक्सेस किया जा सकता है। बताया जाता है कि फाइजर और बायोएनटेक कंपनी पर भी सायबर अटैक की कई नाकाम कोशिशें हुईं।

नीदरलैंड्स में फीका रहेगा क्रिसमस
नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रूट ने देश में पांच हफ्ते का सख्त लॉकडाउन घोषित कर दिया है। रूट ने साफ कर दिया कि फिलहाल, कोरोनावायरस को रोकने के लिए इससे ज्यादा असरदार कोई उपाय नहीं है। उन्होंने कहा- हम सख्त लॉकडाउन लगाने जा रहे हैं। इस दौरान स्कूल, दुकानें, म्यूजियम और जिम बंद रहेंगे। 19 जनवरी के पहले किसी तरह की राहत की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। हम चाहते हैं कि भविष्य में हालात भयावह होने से रोके जाएं और इसके लिए सख्त कदम तो उठाने ही होंगे।

जिस समय मार्क लॉकडाउन का ऐलान कर रहे थे, उसी वक्त उनके ऑफिस के बाहर हजारों प्रदर्शनकारी सख्ती के विरोध में नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे थे। सरकार ने कहा है कि किसी भी घर में ज्यादा से ज्यादा दो मेहमान ही आ सकते हैं और इसके लिए भी लोकल अथॉरिटीज को जानकारी देनी होगी। हालांकि, माना जा रहा है कि सरकार 24 से 26 दिसंबर के बीच कुछ राहत दे सकती है।

कैलिफोर्निया में हालात खराब
अमेरिका के कैलिफोर्निया में संक्रमण के चलते हालात बेहद खराब हो गए हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हफ्ते के आखिर तक राज्य के किसी अस्पताल के आईसीयू में लोगों को भर्ती करने के लिए बेड नहीं मिलेंगे। कुछ अस्पतालों में तो अभी से बेड्स खत्म हो गए हैं। ‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैलिफोर्निया के अस्पतालों में इस वक्त सिर्फ 1.5 फीसदी बेड्स खाली हैं।

अमेरिका में कोरोना के चलते हालात भयावह हो गए हैं। कैलिफोर्निया के अस्पतालों में इस वक्त सिर्फ 1.5 फीसदी बेड्स खाली हैं। (फाइल)

कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात

देश

संक्रमित मौतें ठीक हुए
अमेरिका 9,871,663 308,089 16,942,822
भारत 9,906,507 143,746 9,421,832
ब्राजील 6,929,409 181,945 6,016,085
रूस 2,681,256 47,391 2,124,797
फ्रांस 2,379,915 58,282 177,647
ब्रिटेन 1,869,666 64,402 N/A
तुर्की 1,866,345 16,646 1,631,944
इटली 1,855,737 65,011 1,115,617
स्पेन 1,762,036 48,013 N/A
अर्जेंटीना 1,503,222 41,041 1,340,120

(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)



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नीदरलैंड् के हेग शहर में तैनात एक पुलिसकर्मी। यहां सरकार ने पांच हफ्ते का सख्त लॉकडाउन लगाने की घोषणा की है। माना जा रहा है कि 24 से 26 दिसंबर तक कुछ राहत दी जा सकती है क्योंकि इस दौरान क्रिसमस होगा।


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राहत की खबर, 24 घंटे में करीब 13 हजार एक्टिव केस कम हुए, इनकी कुल संख्या घटकर 3.38 लाख रह गई

देश में एक्टिव केस में इस महीने 96 हजार 444 की कमी आई है। इलाज करा रहे इन मरीजों की संख्या अब सिर्फ 3.38 लाख रह गई है। सोमवार को एक्टिव केस में 12 हजार 892 की गिरावट आई। यह इस महीने की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले 7 दिसंबर को 13 हजार 476 एक्टिव केस कम हुए थे।

देश में सोमवार को 21 हजार 791 कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई। 34 हजार 313 ठीक हो गए और 353 की मौत हो गई। अब तक कुल 99.06 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 94.21 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं और 1.43 लाख संक्रमित ठीक हो चुके हैं। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।

कोरोना अपडेट्स

  • मध्यप्रदेश में 18 दिसंबर से 10वीं और 12वीं की रेगुलर क्लासेस लगेंगी। यह फैसला बोर्ड परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। 9वीं और 11वीं की कक्षाएं शुरू करने का फैसला जिला प्रशासन पर छोड़ दिया गया है। पहली से 8वीं तक के स्कूलों को खोलने का फैसला कोरोना संक्रमण की समीक्षा के बाद लिया जाएगा। यह फैसला एमपी बोर्ड और CBSE स्कूलों पर लागू होगा।
  • हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, कांगड़ा और कुल्लू जिलों में नाइट कर्फ्यू 5 जनवरी तक बढ़ा दिया गया है। शादी और अन्य कार्यक्रमों में ज्यादा से ज्यादा 50 लोगों के शामिल होने का नियम भी लागू रहेगा। यहां करीब सात हजार कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है। राज्य की आबादी 73% है, जबकि पॉजिटिविटी रेट 8% है।

5 राज्यों का हाल

1. दिल्ली

यहां सोमवार को 1376 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। 2854 लोग ठीक हुए और 60 की मौत हो गई। अब तक यहां 6 लाख 8 हजार 830 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 15 हजार 247 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 5 लाख 83 हजार 509 लोग ठीक हो चुके हैं।

2. मध्यप्रदेश

यहां सोमवार को 1058 केस आए। यह बीते 27 दिनों में नए मरीजों का सबसे कम आंकड़ा है। इससे पहले 17 नवंबर को 922 केस आए थे। राज्य में 1084 मरीज ठीक हो गए, जबकि 8 मरीजों की मौत हो गई। यहां अब तक 2 लाख 24 हजार 636 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 2 लाख 8 हजार 421 ठीक हो गए, जबकि 3 हजार 412 की मौत हो गई। अभी 12 हजार 803 का इलाज चल रहा है।

3. गुजरात

यहां सोमवार को 1120 लोग संक्रमित पाए गए। 1389 लोग ठीक हुए और 11 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 28 हजार 803 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 12 हजार 918 मरीजों का इलाज चल रहा है। 2 लाख 11 हजार 703 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं, जबकि 4182 की मौत हो चुकी है।

4. राजस्थान

यहां सोमवार को 1250 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 1631 लोग ठीक हुए और 13 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 92 हजार 539 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 16 हजार 200 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 73 हजार 784 लोग ठीक हो चुके हैं, 2555 की मौत हो चुकी है।

5. महाराष्ट्र

यहां सोमवार को 2949 लोग पिछले 24 घंटे के अंदर संक्रमित पाए गए। 4610 लोग ठीक हुए और 60 की मौत हो गई। अब तक 18 लाख 83 हजार 365 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 72 हजार 383 मरीजों का इलाज चल रहा है। 17 लाख 61 हजार 615 मरीज ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 48 हजार 269 हो गई है।



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आज एक हफ्ते की रणनीति बनाएंगे; गडकरी बोले- सरकार किसानों के साथ नाइंसाफी नहीं करेगी

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 20वां दिन है। किसान यूनियन अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। आज दोपहर 3 बजे से किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा की बैठक होगी। इसमें एक हफ्ते की रणनीति पर चर्चा होगी। इस बीच, सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए तैयार होने की बात कही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा- कुछ ऐसे लोग हैं जो प्रदर्शन का गलत इस्तेमाल कर किसानों को बहका रहे हैं। सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार है।

गडकरी ने कहा- किसानों को तीनों कृषि कानूनों को समझना चाहिए। सरकार किसानों के लिए समर्पित है। उनके सभी सुझाव मानने को तैयार है। हमारी सरकार में उनके साथ किसी तरह की नाइंसाफी नहीं होगी।इन कानूनों के बारे में बताएंगे और बातचीत से रास्ता निकालेंगे।

हम किसानों के हित में काम कर रहे: गडकरी

उन्होंने कहा कि अगर बातचीत नहीं होगी तो दोनों तरफ गलत बातें पहुंचेंगी, विवाद पैदा होगा और बहस बढ़ेगी। अगर बातचीत हुई तो इस मुद्दे को सुलझाया जा सकेगा। सारी चीजें खत्म हो जाएगी। किसानों को इंसाफ मिलेगी, उन्हें राहत मिलेगी। हम किसानों के हितों के लिए काम कर रहे हैं। फिलहाल देश में 8 लाख करोड़ रु. का क्रूड ऑयल इंपोर्ट होता है। इसके बदले हम 2 लाख करोड़ रु. की एथेनॉल इकोनॉमी बनाना चाहते हैं। मौजूदा समय में यह सिर्फ 20 हजार करोड़ रु. का है। अगर यह 2 लाख करोड़ रु. का हो जाता है तो 1 लाख करोड़ रु. किसानों की जेब में जाएंगे।

अन्ना हजारे किसानों के आंदोलन से नहीं जुड़ेंगे: गडकरी

गडकरी ने कहा- मुझे नहीं लगता कि अन्ना हजारे जी किसानों के आंदोलन से जुड़ेंगे। हमने किसानों के खिलाफ कुछ भी नहीं किया है। यह किसानों का हक है कि वे अपने उत्पादों को मंडी में बेचें, व्यापारियों को बेचें या कहीं और। दरअसल, सोमवार को सोशल एक्टिविस्ट अन्ना हजारे ने सरकार से किसानों की मांगों को मानने कहा था। उन्होंने सरकार से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें मंजूर करने के लिए चिट्‌ठी लिखी थी। हजारे ने कहा था कि अगर सरकार इन बातों को नहीं मानती है तो वे किसानों के समर्थन में अनशन करेंगे।

10 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों का समर्थन किया

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा के 10 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को सही बताया है और उनका समर्थन किया है। आंदोलन कर रहे किसानों के लिए तोमर ने कहा कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं। वो हमारे प्रपोजल पर अपना विचार बताएंगे तो हम निश्चित रूप से आगे बातचीत करेंगे।

किसानों ने सड़क जाम करने के लिए माफी मांगी

किसानों ने सोमवार को लोगों को हो रही परेशानी के लिए माफी मांगी। किसानों ने दिल्ली-जयपुर हाईवे पर राहगीरों को हिंदी में लिखे हुए पर्चे बांटे। पर्चों में लिखा गया- रोज जाम करना, लोगों के लिए परेशानी खड़ी करना हमारा मकसद नहीं है। हम मजबूरी में यहां बैठे हैं। हम प्रदर्शन की वजह से आपको हुई परेशानी के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं।

किसान प्रतिनिधि कानूनों के समर्थन में- पीयूष गोयल

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- देश का किसान मोदी सरकार के कृषि कानूनों की अहमियत समझता है। राज्यों के किसान प्रतिनिधियों ने कहा है कि पंजाब का आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। किसी भी कीमत पर ये कानून वापस नही होने चाहिए।

उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'एग्रीकल्चर एक अहम सेक्टर है, इसमें विपरीत फैसले लेने का सवाल ही नहीं उठता। मौजूदा सुधार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। किसान भाइयों से बातचीत के दरवाजे हमेशा खुले हैं।'



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Farmers Protest Delhi LIVE Update; Narendra Singh Tomar | Haryana Punjab Kisan Andolan Delhi Chalo Latest News; Arvind Kejriwal Amit Shah Agriculture Narendra Singh Tomar


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बंगाल में हिंसा से उखड़ सकती हैं तृणमूल की जड़ें, चुनाव से पहले लग सकता है राष्ट्रपति शासन

बंगाल की राजनीति में हिंसा का इतिहास काफी पुराना है। लेकिन, कुछ महीने बाद होने वाले चुनाव से पहले हिंसा का जो दौर चला है, वह तृणमूल कांग्रेस के तिनके को मूल से उखाड़ सकता है। ममता बनर्जी चुनाव जीतें या हारें, उसके पहले ही उनकी सरकार को भंग करने की नौबत भी आ सकती है। यह संभावना अभी इसलिए प्रबल हो गई है, क्योंकि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर तृणमूल कार्यकर्ताओं ने जमकर हमला बोल दिया था।

नड्डा के काफिले में जा रही कारों पर भी काफी पत्थर-वर्षा हुई। भाजपा के महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की कार बुलेटप्रूफ नहीं थी, इसलिए उसके शीशे टूट गए और उन्हें काफी चोटें लगीं। आठ लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया। इस घटना की कड़ी भर्त्सना करने की बजाय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे भाजपा की नौटंकी कह डाला। क्या उन्हें पता नहीं है कि यदि एक अखिल भारतीय पार्टी के अध्यक्ष या महासचिव को कुछ हो जाता, तो क्या उनकी सरकार बच पाती? पूरा देश उनके खिलाफ उमड़ पड़ता।

इसका अर्थ यह नहीं कि डायमंड हार्बर के इलाके में भाजपा-काफिले पर जो हमला हुआ, वह ममता बनर्जी ने करवाया होगा। लेकिन, वह हमला हुआ है उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के संसदीय क्षेत्र में। बंगाल की सरकार यूं भी बुआ-भतीजा सरकार के नाम से जानी जाती है। भाजपा के काफिले की सुरक्षा के लिए तीन बड़े पुलिस अधिकारियों के अलावा दर्जनों जवान तैनात थे, लेकिन वे खीसें निपोरते रहे और तृणमूल कार्यकर्ता पत्थर बरसाते रहे। हमले पर जब देश में हल्ला मचा तो पुलिस ने ट्वीट किया कि ‘खास कुछ हुआ नहीं।’ कुछ लोगों ने पत्थर जरूर फेंके, लेकिन ‘सभी लोग सुरक्षित हैं।’

जरा सोचें कि बंगाल के पुलिसवाले इतना लापरवाह रवैया क्यों अपनाए हुए हैं? यह ठीक है कि जो ट्वीट उन्होंने किया है, उसके लिए उन्हें सरकार ने आदेश नहीं दिया होगा। लेकिन, वे आंख मींचकर ममता सरकार के इशारों पर क्यों थिरक रहे हैं? क्योंकि, वे जानते हैं कि यह सरकार इस तरह के राजनीतिक हमलों और उनसे होनेवाली हत्याओं की अनदेखी करती रहती है। इस गंभीर घटना के बाद के दो दिनों में भाजपा के दो कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है।

बंगाल में 2018 के पंचायत चुनावों में दो दर्जन हत्याएं हुई थीं। विरोधियों की हत्याओं के दम पर तृणमूल के दर्जनों उम्मीदवार निर्विरोध ही चुन लिए गए थे। मरने वालों में कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता भी थे। खुद तृणमूल कांग्रेस भी कम्युनिस्ट-राज में ऐसी हत्याओं की शिकार हुई थी। कांग्रेस-राज में कम्युनिस्टों ने भी हिंसा का दौर देखा है।

जिन्ना के आह्वान पर 1946 में भारत विभाजन के नाम पर 4000 लोगों का खून बहा था। पिछले दो साल में भाजपा के लगभग सवा सौ कार्यकर्ता मारे गए हैं, जिनमें एक विधायक भी है। क्या ममता यह नहीं सोचतीं कि ये राजनीतिक हत्याएं उनकी छवि को चौपट करके रख देंगी? यदि अपनी सत्ता और उसके भविष्य के प्रति उनका विश्वास सुदृढ़ है तो फिर वे एक जिम्मेदार लोकतांत्रिक नेता के तौर पर इस हिंसा की निंदा क्यों नहीं करतीं?

मुझे ऐसा लगता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव-परिणामों से ममता काफी हिल गई हैं। हिंदी क्षेत्र की पार्टी भाजपा को बंगाल में 18 सीटें मिलना किसी छोटे-मोटे भूकंप से कम नहीं है। मध्यप्रदेश के एक गैर-बंगाली भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ममता दीदी का दम फुला दिया है। तृणमूल कांग्रेस के कई जनाधारी नेता टूट-टूटकर भाजपा में जा रहे हैं।

बंगाल में भाजपा 75 लाख नौजवानों को ‘चाकरी प्रतिश्रुति कार्ड’ बांट रही है। नए रोजगारों के साथ भाजपा बंगाल में असल परिवर्तन का नारा दे रही है। जबकि ममता ने कम्युनिस्ट राज के खिलाफ ‘परिवर्तन’ का नारा दिया था। कैलाश विजयवर्गीय ने ‘नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर’ को बंगाल में लागू नहीं करने की भी घोषणा कर दी है। इसका फायदा भाजपा को मतुआ संप्रदाय और अनुसूचितों-जनजातियों के करीब 2 करोड़ लोगों के समर्थन के तौर पर मिलेगा।

इसके अलावा बंगाल के 30% मुसलमानों को अपनी तरफ खींचनेवाली ममता यूं भी घबराई हुई हैं। मुसलमान उर्दू की उपेक्षा और बेरोजगारी से नाराज हैं। उन्हें कांग्रेस और कम्युनिस्ट लुभा रहे हैं। इधर भाजपा की तरह तृणमूल भी हिंदू देवी-देवताओं और संन्यासियों की आरतियां उतारने में लगी हुई है। भाजपा इसे ढोंग कहकर प्रचारित कर रही है। ऐसे में ममता का अस्थिरचित्त हो जाना स्वाभाविक है। लेकिन, ममता बनर्जी भारत की महिला नेताओं में अपने ढंग की विलक्षण नेता हैं, बल्कि अनुपम हैं। उन्हें अपदस्थ करना आसान नहीं है। लेकिन, अगर बंगाल में ध्रुवीकरण की राजनीति चल पड़ी तो बंगाल में पहली बार डाॅ. श्यामप्रसाद मुखर्जी के शिष्यों का राज कायम हो जाएगा।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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डॉ. वेदप्रताप वैदिक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष


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देश की आर्थिक तरक्की के लिए लोकतंत्र अच्छा है या बुरा?

अब यह बहस बेकार है कि नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के उस बयान का क्या मतलब था, जिसमें उन्होंने कहा था- हमारे यहां कुछ ज्यादा ही लोकतंत्र है। लेकिन, एक जरूरी सवाल उभरता है कि लोकतंत्र आर्थिक विकास के लिए अच्छा है या बुरा? क्या सीमित लोकतंत्र जैसी कोई चीज होती है?

लगभग 20 साल पहले, मैं नई दिल्ली में एशिया सोसाइटी के सम्मेलन के उस पैनल में था, जिसमें हांगकांग के ताकतवर रियल एस्टेट व्यवसायी रॉनी चान भी थे। लोगों ने उनसे पूछा कि वे भारत में कब निवेश करेंगे? रॉनी ने स्पष्ट कहा, ‘मैं यहां निवेश नहीं करूंगा क्योंकि यहां लोकतंत्र कुछ ज्यादा ही है।’ आंकड़े रॉनी के पक्ष में थे। चीन तेजी से बढ़ रहा था, भारत 1991 के आर्थिक सुधारों की पहली लहर के बाद जद्दोजहद कर रहा था।

चीन से पहले जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान जैसे कई देशों ने आर्थिक चमत्कार कर दिखाया है। जापान ने तो लोकतंत्र से शुरुआत कर इसे और मजबूत ही किया। दक्षिण कोरिया और ताइवान ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद आपसी झगड़े से उबरते हुए तानाशाही से शुरुआत की। लेकिन जैसे-जैसे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई, उन्होंने लोकतंत्र अपना लिया। ये तीनों देश संदेश दे रहे हैं कि आर्थिक वृद्धि और लोकतंत्र साथ-साथ चल सकते हैं।

लेकिन, फिर चीन के बारे में क्या कहा जाए? आज चीन में लोकतंत्र नहीं है, लेकिन आज का चीन उस चीन से काफी अलग है, जब तंग श्याओ पिंग ने नियंत्रणों में ढील देने की शुरुआत की थी। हम चीन से इसलिए प्रभावित होते हैं, क्योंकि चार दशक पहले उसने भी उसी स्तर से शुरुआत की थी जिस पर हम थे। लेकिन आज उसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत से पांच गुना ज्यादा है। लेकिन, ताइवान की प्रति व्यक्ति जीडीपी चीन से ढाई गुना, तो दक्षिण कोरिया की तीन गुना ज्यादा है। इन देशों ने अपने यहां ‘बहुत ज्यादा लोकतंत्र’ के कारण नुकसान उठाया या लाभ, यह फैसला आप करें।

हम फिर रॉनी चान पर लौटते हैं। चान ने अपनी दौलत उस छोटे-से हांगकांग में हासिल की, जो तकनीकी रूप से चीन का हिस्सा होने के बावजूद ‘बहुत अधिक लोकतंत्र’ के साथ शानदार प्रगति करता रहा। आशावादी मानते थे कि चीन में शामिल होने के बाद हांगकांग खुद को बदलने से ज्यादा चीन को बदल देगा। लेकिन शी के राज में सब उलट गया।

भारत में पढ़े-लिखे, समृद्ध, मुखर लोगों का एक ऐसा कुलीन तबका है जो इसमें विश्वास रखता है कि भारत को कुछ समय के लिए एक कृपालु तानाशाही की जरूरत है। वे कहेंगे, जरा सिंगापुर को देखिए। आप वहां बिलकुल ‘सेफ’ हैं, आपको वहां किसी तरह की ‘पॉलिटिक्स’ की चिंता नहीं करनी पड़ती, निरंतरता बनी रहती है। चीन को छोड़कर तमाम देशों में हम पाते हैं कि आर्थिक और लोकतांत्रिक विकास का इतिहास साथ-साथ चला है। रूस को कम्युनिस्ट शासन के खात्मे के बाद जो आर्थिक लाभ मिला, उसे उसने नई तरह की तानाशाही लाकर बर्बाद कर दिया। आकार में उससे छोटे उसके यूरोपीय साथी देशों की अर्थव्यवस्था उसके मुकाबले बड़ी हो गई है।

कम आबादी वाले इराक व ईरान हाइड्रोकार्बन के भारी-भरकम भंडार के बूते यूरोप से ज्यादा अमीर हो सकते हैं। लेकिन, दोनों ने कई पीढ़ियों तक लड़ाई, आर्थिक प्रतिबंधों के कारण खुद को बर्बाद कर लिया। वे इसके लिए किसे दोष देंगे, बहुत ज्यादा लोकतंत्र को या बहुत कम लोकतंत्र को? तुर्की में निष्पक्ष चुनाव जीते एर्दोगन ने फैसला किया कि इतना ज्यादा लोकतंत्र ठीक नहीं है और उन्होंने दिशा उलट दी। तो अर्थव्यवस्था ने भी यही किया।

जनवरी 1990 में मैं ईस्टर्न ब्लॉक के हालात का जायजा लेने के लिए प्राहा में था। वहां मेरा टैक्सी ड्राइवर बेरोजगार कंप्यूटर इंजीनियर था। वह कम्युनिस्टों को कोस रहा था। मैंने उसे बताया कि मेरे देश में वे आज भी कुछ राज्यों में चुनाव जीत रहे हैं। उसका जवाब था कि ऐसा इसलिए है कि आप कभी कम्युनिस्ट राज या तानाशाही में नहीं रहे। मैंने कहा कि हम इमरजेंसी में जी चुके हैं। उसका जवाब था, इमरजेंसी ने आपके राजनीतिक अधिकार छीन लिए, तब आपको एहसास हुआ कि आपने क्या खोया था। आपने जब आर्थिक आज़ादी का कभी लाभ नहीं उठाया तो आपको पता नहीं है कि आपने क्या खो दिया और कम्युनिस्टों के राज में आप उसे और खो देंगे।

हम वेंकेस्लास स्क्वॉयर पहुंचे। वहां एक बैनर पर लिखा था, ‘अपने घर में स्वागत है, बाटा!’ थॉमस बाटा चेक उद्यमी थे जिन्होंने फुटवियर का साम्राज्य खड़ा किया। फिर कम्युनिस्ट ने आकर हर चीज का राष्ट्रीयकरण कर दिया और बाटा कनाडा चले गए। जब वाक्लाव हावेल ने कम्युनिस्टों का राज खत्म किया, तो बाटा स्वदेश लौटे। आप देख सकते हैं कि राजनीतिक आज़ादी के बिना आर्थिक आज़ादी बच नहीं सकती। लोकतंत्र जितना मजबूत होगा, उद्यमी ऊर्जा और आर्थिक वृद्धि भी उतनी ही मजबूत होगी।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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शेखर गुप्ता, एडिटर-इन-चीफ, ‘द प्रिन्ट’


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किसानों ने की भूख हड़ताल, दुनियाभर में गूगल सर्विस 40 मिनट रहीं डाउन और देश में वैक्सीनेशन की नई गाइडलाइन

नमस्कार!
सोमवार को दुनियाभर में गूगल सर्विसेस 40 मिनट तक डाउन रहीं। इस दौरान लोग जीमेल और यूट्यूब को एक्सेस नहीं कर सके। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के 19वें दिन किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर भूख हड़ताल की। भाजपा महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय अब बुलेटप्रूफ गाड़ी में चलेंगे। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है
BSE का मार्केट कैप 183.57 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 59% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
3,216 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,921 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,117 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के कच्छ में कई डेपलपमेंट प्रोजेक्ट का शिलान्यास करेंगे।
  • अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर बनी एक्सपर्ट कमेटी अपनी पहली रिपोर्ट सौंपेगी।
  • देश में ई-कॉमर्स पॉलिसी की मांग को लेकर कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CIAT) रिटेल डेमोक्रेसी डे मनाएगा।

देश-विदेश

दुनियाभर में क्रैश हुईं गूगल सर्विस
दुनियाभर में गूगल की कई सर्विस सोमवार शाम को 40 मिनट तक डाउन रहीं। भारतीय समय के मुताबिक, शाम 5.26 से 6.06 तक लोगों को जीमेल, यूट्यूब समेत गूगल सर्विस लॉग-इन और एक्सेस करने में परेशानी हुई। डाउन टाइम में गूगल की 19 सर्विस ठप रहीं। इनमें जीमेल, यूट्यूब, कैलेंडर, ड्राइव, डॉक्स, शीट्स, स्लाइड्स, साइट्स, ग्रुप्स, हैंगआउट, चैट, मीट, वॉल्ट, करन्ट्स, फॉर्म्स, क्लाउड, कीप, टास्क, वॉइस शामिल हैं।

किसानों से बातचीत को तैयार सरकार
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का सोमवार को 19वां दिन था। दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसानों ने सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल की। इधर, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा के 10 किसान संगठनों ने नए कानूनों को सही बताते हुए उनका समर्थन किया है। तोमर ने कहा कि सरकार आंदोलनकारियों से बातचीत के लिए तैयार है। अब हमें उनके जवाब का इंतजार है।

वैक्सीनेशन के लिए गाइडलाइन
केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीनेशन के लिए राज्यों को गाइडलाइन भेजी है। इसके मुताबिक, हर दिन एक बूथ पर 100 से 200 लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। वैक्सीनेशन के बाद 30 मिनट तक मॉनीटरिंग की जाएगी, ताकि किसी रिएक्शन का पता लगाया जा सके। गाइडलाइन के मुताबिक, प्राथमिकता के आधार पर केवल उन लोगों को ही वैक्सीन दी जाएगी, जिन्होंने पहले से रजिस्ट्रेशन करवा रखा है।

विजयवर्गीय की 'बुलेट' सुरक्षा
भाजपा महासचिव और पश्चिम बंगाल में पार्टी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की सुरक्षा में इजाफा किया गया है। उनके पास पहले से Z श्रेणी की सिक्योरिटी थी। अब उन्हें बुलेटप्रूफ गाड़ी भी मिलेगी। 4 दिन पहले पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला हुआ था, जिसमें कैलाश विजयवर्गीय को भी चोटें आई थीं। भाजपा हमले के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार बता रही है।

कंगना रनोट फिर निशाने पर
महाराष्ट्र में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक ने एक्ट्रेस कंगना रनोट के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष को भेजा है। इसमें कहा गया है कि एक्ट्रेस ने उन पर झूठे आरोप लगाए थे। कंगना ने सोशल मीडिया पर सरनाइक के घर से पाकिस्तानी क्रेडिट कार्ड मिलने के बात कही थी। प्रताप सरनाइक इससे पहले रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी के खिलाफ भी विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ला चुके हैं।

राम मंदिर पर एक्सपर्ट कमेटी देगी रिपोर्ट
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर के 1200 खंभों का निर्माण शुरू करने को लेकर टेक्निकल एक्सपर्ट्स की कमेटी 15 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। IIT दिल्ली के पूर्व निदेशक वी एस राजू की अध्यक्षता में यह कमेटी पिछले हफ्ते बनाई गई थी, जिसे रविवार को नोटिफाई किया गया। इस कमेटी में देश के 8 टॉप इंजीनियर और कंस्ट्रक्शन एक्सपर्ट शामिल हैं। कमेटी मंदिर की नींव से जुड़े कामों पर नजर रखेगी।

एक्सप्लेनर
रूस में सरकार ने कोरोना वैक्सीन लगाने से पहले और उसके दो महीने बाद तक शराब न पीने की सलाह दी है। रूस की डिप्टी प्राइम मिनिस्टर तातियाना गोलीकोवा ने दावा किया है कि स्पुतनिक V कोरोना वैक्सीन का असर 42 दिन में होता है। तब तक शराब से दूर रहने की जरूरत है। हालांकि, रूसी सरकार ने स्पुतनिक V को लेकर यह चेतावनी जारी की है, लेकिन यह बात सभी वैक्सीन पर लागू होती है।

पढ़ें पूरी खबर...

पॉजिटिव खबर
आपने हॉलीवुड के फिल्मी कैरेक्टर सुपरमैन, आयरनमैन और स्पाइडरमैन के बारे में सुना ही होगा, लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं रियल लाइफ के सुपरहीरो ‘हेलमेट मैन’ से। 2014 में एक करीबी दोस्त की बाइक हादसे में मौत के बाद उन्होंने लोगों को फ्री हेलमेट बांटना शुरू किया। वे अब तक 48 हजार से ज्यादा हेलमेट बांट चुके हैं। अपने मिशन के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। वहीं, हेलमेट खरीदने के लिए वाइफ की ज्वैलरी और घर तक बेच दिया।

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अगले 4 दिन में 8 राज्यों में बढ़ेगी सर्दी
पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश के बाद ठंड बढ़ गई है। बर्फबारी की वजह से कहीं रास्ते बंद हैं, तो कहीं कोहरे के चलते ट्रैफिक पर असर पड़ा है। कई राज्यों में शीतलहर चल रही है। मौसम विभाग ने कहा है कि अगले 3 से 5 दिनों में 8 राज्यों के न्यूनतम तापमान में 3 से 5 डिग्री की गिरावट होगी। इनमें गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश शामिल हैं।

मुंबई हमले के आरोपी को राहत नहीं
अमेरिका के एक कोर्ट ने मुंबई हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी। राणा ने खराब सेहत का हवाला देते हुए जमानत मांगी थी। लेकिन, अमेरिकी सरकार ने उसे बेल नहीं देने का अनुरोध किया। इसके बाद उसकी याचिका खारिज कर दी गई। कोर्ट ने कहा कि मुंबई हमले में राणा ने अहम भूमिका निभाई। उसे जमानत पर रिहा करने से वह समाज के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

सुर्खियों में और क्या है...

  • UEFA चैम्पियंस लीग में सोमवार को राउंड ऑफ-16 के मैचों का ऐलान हुआ। स्टार स्ट्राइकर लियोनल मेसी की टीम बार्सिलोना, नेमार की टीम पेरिस सेंट जर्मेन (PSG) से भिड़ेगी।
  • नाइजीरिया में दो भारतीयों को कुछ लोगों ने अगवा कर लिया। दोनों भारतीय एक फार्मा कंपनी में काम करते थे। पुलिस ने विदेशी नागरिकों से सावधान रहने को कहा है।


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नेताजी कैसे जानते, कितना किया काम? गूगल बाबा ने बंद कर दिया था काम



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बड़े अधिकारी खुद कानून का पालन करेंगे तो आम लोग भी नियमों का पालन करना शुरू कर देंगे

कहानी - राजा विक्रमादित्य अपने न्याय के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं। उनके नाम से ही विक्रम संवत् चल रहा है। विक्रमादित्य से जुड़ी एक घटना है, जिसमें उन्होंने बताया है कि न्याय व्यवस्था कैसी होनी चाहिए।

एक दिन विक्रमादित्य शिकार के लिए जंगल की ओर जा रहे थे। राजा के सैनिक पीछ रह गए थे और वे रास्ता भटक गए थे। अपने राज्य का रास्ता खोजते समय उनका घोड़ा एक खेत में घुस गया। घोड़े की वजह से फसल खराब हो गई। खेत का मालिक किसान वहीं खड़ा ये सब देख रहा था। वह जोर से चिल्लाया कि मेरी फसल खराब हो गई है।

राजा को लगा कि किसान ने देख लिया है, उसका नुकसान हो गया है। वे घोड़े से उतरे और किसान के पास पहुंचे।

किसान बोला, 'घुड़सवार तुम बहुत लापरवाह हो, तुमने अपराध किया है। तुमने मेरी फसल खराब कर दी है। इसके लिए तुम्हें सजा मिलनी चाहिए। मैं मेरे राजा विक्रमादित्य से इसकी शिकायत करूंगा। वे न्याय प्रिय हैं, वे तुम्हें अवश्य दंड देंगे।'

विक्रमादित्य समझ गए कि ये किसान मुझे नहीं जानता है, लेकिन मेरी न्याय व्यवस्था पर इसे भरोसा है। मुझे इसके विश्वास की रक्षा करनी होगी।

राजा ने उसी समय अपने घोड़े पर लगा कोड़ा निकला और किसान से कहा, 'अभी आप मुझे पांच कोड़े मार लो।'

किसान बोला, 'ये काम मेरा नहीं है।'

इसके बाद विक्रमादित्य ने खुद अपने हाथों से अपनी पीठ पर पांच कोड़े मार लिए और वहां से चले गए।

अगले दिन वह किसान विक्रमादित्य के दरबार में पहुंचा। उसे घुड़सवार की शिकायत करनी थी। उसने जैसे ही राजा को देखा तो वह शर्मिंदा हो गया, क्योंकि वह घुड़सवार ही राजा विक्रमादित्य थे। राजा ने किसान के सामने जो कोड़े मारे थे, उनका दर्द भी उन्हें हो रहा था।

विक्रमादित्य ने किसान से कहा, 'हमें आप पर गर्व है कि हमारे राज्य में आपके जैसी प्रजा है, जो मुझे ये शिक्षा दे रही है कि कानून का पालन कराने वाले को पहले खुद कानून का पालन करना चाहिए।'

सीख- आज राजा और प्रजा की व्यवस्था नहीं है, लेकिन शासन-प्रशासन के बड़े अधिकारियों, मंत्रियों को खुद सभी नियमों का पालन करके नजीर पेश करनी चाहिए, तभी जनता भी सभी नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित होगी।



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फ्री हेलमेट बांटने के लिए नौकरी छोड़ी, घर बेच दिया; 48 हजार हेलमेट बांट चुके

आपने हॉलीवुड के फिल्मी कैरेक्टर सुपरमैन, आयरनमैन और स्पाइडरमैन के बारे में सुना ही होगा। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं रियल लाइफ के इंडियन सुपरहीरो ‘हेलमेट मैन’ से। बिहार के कैमूर जिले के एक छोटे से गांव बगाढ़ी के रहने वाले राघवेंद्र कुमार देशभर में अब तक 48 हजार से ज्यादा हेलमेट फ्री में बांट चुके हैं।

2014 में हुए एक बाइक हादसे में उन्होंने अपने जिगरी दोस्त को खाे दिया था। इसके बाद ही उन्होंने फ्री में हेलमेट बांटना शुरू किया। उनका मकसद है कि उनके दोस्त की तरह किसी और की मौत हेलमेट न होने की वजह से ना हो।

राघवेंद्र अब तक देशभर में 48 हजार से भी ज्यादा हेलमेट बांट चुके हैं।

गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले राघवेंद्र बताते हैं, 'मैं अपने 4 भाईयों में सबसे छोटा हूं। पिता खेती-किसानी करके घर चलाते थे, परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी। फिर भी मुझे स्कूल भेजा, लेकिन 12वीं के बाद मुश्किलें बढ़ गईं। परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि आगे की पढ़ाई का खर्च उठा सकें। ऐसे में मैंने वाराणसी जाने का निर्णय लिया। यहां 5 सालों तक मैंने कई छोटे-मोटी नौकरियां की और पढ़ाई के लिए पैसा जुटाया।'

उन्होंने कहा, '2009 में जब मैं लॉ की पढ़ाई करने दिल्ली गया, तो वहां मेरे कुछ दोस्त बने। इनमें से एक था कृष्ण कुमार ठाकुर। कृष्ण इंजीनियरिंग कर रहा था। हम लोगों के डिपार्टमेंट अलग थे, लेकिन हॉस्टल में हम साथ रहते थे। 2014 में जब वह ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर बिना हेलमेट के बाइक चला रहा था, तो एक एक्सीडेंट में सिर में चोट लगने से उसकी मौत हो गई। इस घटना ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया।'

राघवेंद्र बताते हैं, 'अस्पताल में कृष्ण की मौत के बाद जब डॉक्टरों से मेरी बात हुई, तो उन्होंने कहा कि अगर तुम्हारे दोस्त ने हेलमेट पहना होता, तो शायद वह बच जाता। इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद मैंने तय किया कि अब अपने दोस्त की तरह किसी और को मरने नहीं देंगे। इसके बाद मैंने एक सड़क सुरक्षा अभियान की शुरुआत की, जिसके तहत मैं किसी भी चौराहे पर खड़े होकर दोपहिया वाहन चालकों को नि:शुल्क हेलमेट बांटता था।'

राघवेंद्र के अनुरोध पर कृष्ण के परिजनों ने उसकी किताबें जरूरतमंद बच्चों के लिए दान की थी।

राघवेंद्र कहते हैं, 'जब मैं अपने दोस्त के माता-पिता से मिलने के लिए गया, तो उसकी कुछ किताबें अपने साथ ले आया था। वो किताबें मैंने एक जरूरतमंद बच्चे को दे दी। इसके बाद मैं हेलमेट बांटने के काम में लगा रहा। 2017 में मुझे एक कॉल आया, ये कॉल उस बच्चे की मां की थी, जिसे मैंने कृष्ण की किताबें दी थीं। उन्होंने बताया कि मेरी दी गई किताबों की मदद से उनका बेटा न सिर्फ ठीक से पढ़ सका, बल्कि उसने स्कूल में टॉप भी किया है। उस बच्चे की मां की बातें सुनकर मेरे दिल को बहुत सुकून मिला।'

इसके बाद राघवेंद्र ने सोचा कि अगर हर जरूरतमंद बच्चे को समय पर किताबें मिलती रहें, तो बेशक बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। फिर उन्होंने अपने इस विचार को एक बड़े अभियान का रूप दे दिया और संकल्प किया कि अब वो हेलमेट मुफ्त में नहीं, बल्कि किताबों के बदले देंगे। इस तरह साल 2017 में उन्होंने अपनी इस पहल को एक और नेक काम के साथ जोड़ लिया।

राघवेंद्र बताते हैं, 'जो भी मुझे पुरानी किताबें लाकर देता है, मैं उसे ही हेलमेट देता हूं। फिर इन किताबों को हम जरूरतमंद बच्चों में बांट देते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि अब मेरी इस मुहिम से स्कूल-कॉलेज के छात्र भी जुड़ने लगे हैं। इसके अलावा हमने करीब 40 से ज्यादा शहरों में ‘बुक डोनेशन बॉक्स’ भी लगाए हैं। जो कोई भी इन शहरों में उनकी मदद करना चाहता है, इन बॉक्स में किताबें डाल जाता है।'
आज उनके साथ अलग-अलग जगहों के 200 से भी ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं और इस मुहिम में उनका साथ दे रहे हैं। इसके जरिए वो अब तक 6 लाख बच्चों तक नि:शुल्क किताबें पहुंचा चुके हैं।

साल 2017 में राघवेंद्र ने अपनी इस पहल को एक और नेक काम के साथ जोड़ लिया।

राघवेंद्र बताते हैं, 'ये सफर इतना आसान नहीं था। अपने मिशन के लिए पहले उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। कुछ समय बाद जब हेलमेट खरीदने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत पड़ी तो उन्‍होंने पहले अपनी वाइफ की ज्वैलरी और फिर अपना घर तक बेच दिया।'

राघवेंद्र कहते हैं, 'मेरी कोशिश है कि ऐसा कोई नियम बने, जिससे बिना हेलमेट पहने हुए कोई भी शख्स टोल प्लाजा पार ना कर पाए। यदि हम पूरे देश में ऐसा कर पाए, तो निश्चित तौर पर लोगों की मानसिकता में बदलाव आएगा। मेरा निवदेन है कि चाहे 50 ​मीटर जा रहे हों या 50 किलोमीटर, हेलमेट पहनकर ही बाइक चलाएं। एक्सीडेंट कभी किसी को बोलकर नहीं आता है। मेरी गाड़ी के पीछे भी संदेश लिखा है- यमराज ने भेजा है बचाने के लिए, ऊपर जगह नहीं है जाने के लिए।'

राघवेंद्र के काम के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी उनकी तारीफ कर चुके हैं।

अब अपनी मुहिम को एक कदम आगे बढ़ाते हुए राघवेंद्र ने हेलमेट के साथ 5 लाख रुपए का फ्री दुर्घटना बीमा भी देना शुरू किया है। इसमें स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी उनकी मदद कर रही हैं। राघवेंद्र के काम के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी उनकी तारीफ कर चुके हैं। वहीं राघवेंद्र के इस निस्वार्थ काम से प्रभावित होकर बिहार सरकार ने उन्हें सम्मानित किया है और ‘हेलमेट मैन’ का टाइटल दिया है।



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Left the job to distribute free helmets, then sold his wife's jewelery to the house; 48 thousand helmets have been distributed so far


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मां का आरोप- बेटे की हत्या कर लाश को जलाया; पुलिस बोली- युवक ने थाने में खुदकुशी की

सोमदत्त की चिता की आग ठंडी हो चुकी है। लेकिन उस मिट्टी के तेल की गंध अभी नहीं गई, जो उन्हें जल्दी जलाने के लिए चिता पर डाला गया था। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के खुर्जा कस्बे के शहजादपुर कनैन गांव के रहने वाले 28 साल के सोमदत्त को शनिवार सुबह पुलिस की मौजूदगी में गांव के श्मशान घाट पर जला दिया गया था। कोई क्रियाकर्म भी नहीं किया गया था। सोमदत्त की मौत संदिग्ध हालातों में हुई, लेकिन पुलिस ने उनका पोस्टमार्टम तक नहीं कराया।

सोमदत्त की मौत कैसे हुई, यह जांच का विषय है। हत्या क्यों हुई यह साफ है। उसने गांव में अपनी से ऊंची जाति की लड़की से प्रेम करने की हिम्मत की थी। बैरागी जाति के सोमदत्त गांव की ही एक जाट जाति की लड़की से प्रेम करते थे और पांच दिसंबर को उसके साथ गांव से चले गए थे। अगले ही दिन लड़की की शादी होनी थी। यूं दोनों का घर आसपास ही है, लेकिन दोनों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में लंबा फासला था।

दोनों को पकड़ने के लिए स्थानीय पुलिस ने 6 दिसंबर को सोमदत्त के भाई सुनील को उठा लिया और उन्हें अवैध हिरासत में रखा। सुनील के मुताबिक, 8 दिसंबर की शाम को पुलिस और लड़की के परिजनों ने बागपत जिले में दोनों को पकड़ लिया था। हालांकि, पुलिस का कहना है कि वो 10 दिसंबर को पकड़ में आए थे।

बैरागी जाति के 28 साल के सोमदत्त ने गांव की ही एक जाट जाति की लड़की से प्रेम करने की हिम्मत की थी। (फाइल फोटो)

सुनील के मुताबिक, वे उस समय पुलिस टीम के साथ थे, लेकिन भाई को पकड़ने के बाद पुलिस उन्हें रास्ते में ही छोड़कर दोनों को अपने साथ ले गई। पुलिस का कहना है कि लड़की ने अदालत में दिए बयान में अपने परिजनों के साथ जाने की इच्छा जताई थी और दोनों को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया था। लेकिन सोमदत्त के भाई सुनील कहते हैं, 'हमारे भाई को कहां रखा, हमें नहीं पता। हमें उसकी लाश मिली।'

वे आरोप लगाते हैं, 'लड़की वालों ने हमें धमकी दी कि जितनी जल्दी हो उसे जला दो। ऐसा नहीं किया, तो हम तुम्हारे घर की बहू-बेटियों को उठा लेंगे।' इस घटना से जुड़े कई वीडियो भी वायरल हुए हैं। एक वीडियो में सोमदत्त की मां अपने बेटे की हत्या करने और उसकी लाश को जबरदस्ती जला देने का आरोप लगाती दिख रहीं हैं।

श्मशान घाट में रिकॉर्ड किए गए वीडियो में वो कहती हैं, 'पुलिस का कहना है कि थाने में उसने लोवर के नाड़े से आत्महत्या की। मेरी मर्जी के बिना पुलिस और गांव वालों ने बेटे को जला दिया।'

इन आरोपों को दोहराते हुए उन्होंने भास्कर से कहा, 'मुझे मेरे मरे बेटे का आखिरी बार चेहरा तक नहीं देखने दिया। वे मेरे बेटे को मारकर लाए और जबरदस्ती उसे जला दिया।'

भाई सुनील और मां का आरोप है कि सोमदत्त की हत्या कर उसकी लाश को जबरदस्ती जलाया गया है।

शपथपत्र में सोमदत्त की मां का अलग बयान

पुलिस को दिए शपथपत्र में सोमदत्त की मां ने कहा है, 'गांव लौटने के बाद उनके बेटों को लड़की वालों ने बुरी तरह मारा-पीटा और उसने रात में आत्महत्या कर ली।' उधर, खुर्जा नगर थाने में सोमदत्त के परिजनों की ओर से दर्ज FIR के मुताबिक, लड़की के परिजनों ने 11 दिसंबर की रात को उसे बुरी तरह मारा पीटा था, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली।

सोमदत्त के परिजनों की ओर से FIR और मीडिया को दिए बयानों में अंतर साफ है। उनके रिश्तेदारों का कहना है कि ये बयान दबाव में बदले गए हैं। बुलंदशहर के जिलाधिकारी ने उनकी मौत की जांच मजिस्ट्रेट को सौंप दी थी और 48 घंटों में रिपोर्ट मांगी थी। जांच रिपोर्ट सोमवार को मिलनी थी, लेकिन देर शाम तक नहीं मिल सकी।

जिलाधिकारी रविंद्र कुमार कहते हैं, 'अभी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। पूरे तथ्यों की रोशनी में ही इस घटना पर कोई टिप्पणी की जाएगी।'

वहीं बुलंदशहर के एसपी संतोष सिंह का कहना है, 'असफल प्रेम प्रसंग में आत्महत्या का मामला सामने आया है। जांच की जा रही है।' पुलिस अधिकारियों ने अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस की मौजूदगी से इनकार किया है। लेकिन भास्कर के पास वीडियो मौजूद हैं, जिनमें पुलिसकर्मी अंतिम संस्कार के दौरान नजर आ रहे हैं।

बुलंदशहर के एसपी ने अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस की मौजूदगी से इनकार किया लेकिन वायरल वीडियो में पुलिसकर्मी साफ दिख रहे हैं। (वीडियो ग्रैब)

‘मैं अपने बेटे के लिए इंसाफ चाहता हूं, उसे मारने वालों को सजा मिले’

सोमदत्त की मौत पर गांव में कोई बात करना नहीं चाहता। लोग दबी जबान में ये जरूर कहते हैं कि गांव में पहले इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है। कुछ लोग फुसफुसाते हुए कहते हैं कि पुलिस की गाड़ी में बॉडी आई थी। लेकिन खुलकर कोई बात नहीं करता। वहीं लड़की के परिजन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहते हैं, 'वो अपने लड़के को ले गए थे, हम अपनी लड़की को ले आए थे। उनके लड़के के साथ क्या हुआ हमें नहीं पता।'

लड़की की मां कहती हैं, 'हमारी लड़की को हल्दी लग गई थी। बरात आ रही थी। एक दिन पहले उसके साथ ये घटना कर दी। हम तो कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहे।'

सोमदत्त के बुजुर्ग पिता को बहुत ज्यादा होश नहीं है। वो कहते हैं, 'मैं अपने बेटे के लिए इंसाफ चाहता हूं। उसे मारने वालों को सजा मिले।'

वहीं सोमदत्त की चिता के पास खड़े होकर उनके भाई सुनील कहते हैं, 'हमारा बेटा मर गया। उनकी बेटी को भी ऐसी ही मौत मिले, ताकि कोई समाज के खिलाफ ये काम न करे। यही इंसाफ होगा।'

ऐसा लगता है कि इस गांव में प्यार करना सबसे बड़ा जुर्म है, जिसकी सजा मौत है और ये सजा देने वालों में वो सिस्टम भी शामिल है, जिसका काम ऐसे प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा देना है।



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सोमदत्त की मां ने आरोप लगाया है कि उनकी मर्जी के बिना पुलिस और गांव वालों ने उनके बेटे को जला दिया।


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कोरोना की असरदार वैक्सीन चाहिए तो शराब से रहना होगा दूर, जानिए क्यों?

रूस में सरकार ने कोरोना वैक्सीन लगाने से पहले और उसके दो महीने बाद तक शराब न पीने की सलाह दी है। रूस की डिप्टी प्राइम मिनिस्टर तातियाना गोलीकोवा ने दावा किया है कि स्पुतनिक V कोरोना वैक्सीन का असर 42 दिन में होता है। तब तक शराब से दूर रहने की जरूरत है। रूस में सरकार ने स्पुतनिक को लेकर यह चेतावनी जारी की है, पर यह बात सभी वैक्सीन पर लागू होती है।

क्या कहती है रूस की एडवायजरी?

  • कंज्यूमर राइट्स प्रोटेक्शन और ह्यूमन वेल बीइंग पर सर्विलांस के लिए रूसी फेडरल सर्विस की प्रमुख एना पोपोवा के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने रूस के ही एक रेडियो को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वैक्सीन के पहले डोज से दो हफ्ते पहले और दूसरे शॉट के तीन हफ्ते बाद तक शराब नहीं पीना है। दोनों डोज के बीच तीन हफ्ते का अंतर रखा जा रहा है। इसे मिलाएं तो कुल मिलाकर 8 हफ्ते यानी दो महीने बिना शराब के रहना होगा।

क्यों और कितनी शराब है खराब?

  • रूस के प्रमुख साइंटिस्ट एलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग मॉस्को में गामालेया नेशनल सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं। इसी संस्थान ने स्पुतनिक V वैक्सीन बनाई है। उनका कहना है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद शराब पीने से इम्यून रिस्पॉन्स कमजोर हो सकता है और इससे वैक्सीन का असर खत्म हो सकता है। हमारी सलाह है कि हर डोज के बाद कम से कम तीन दिन शराब का सेवन न करें।
  • शराब वैक्सीन के लिए कितनी खराब है, यह जानने के लिए 2012 में स्वीडन में रिसर्च हुई थी। इसमें शराब पीने वालों को बैक्टीरियल निमोनिया की वैक्सीन लगाई गई तो उनमें इम्यून रिस्पॉन्स ही नहीं दिखा। रिसर्चर्स ने एवरेज 30 मिली शराब के इनटेक को इसकी वजह बताया। वहीं, गिंट्सबर्ग का दावा है कि 300 मिली वोडका शरीर में एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया को कमजोर करती है। पर अगर आपने एक ग्लास शैम्पेन ली तो वह आपके लिए खराब नहीं होगी।
  • गिंट्सबर्ग का कहना है कि हम वैक्सीनेशन के दौरान शराबबंदी की बात नहीं कर रहे हैं। हमारा तो इतना ही कहना है कि जब तक शरीर में कोरोनावायरस के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स विकसित नहीं होता, तब तक शराब का सेवन सीमित किया जाए।
  • स्पुतनिक V प्रोग्राम को फंडिंग दे रहे रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के CEO किरिल दिमित्रेव ने कहा, 'यह सही है कि बहुत अधिक शराब पीने से इम्युनिटी कमजोर होती है और इस वजह से वैक्सीनेशन का असर बिल्कुल ही कम हो जाता है। यह बात सिर्फ स्पुतनिक पर लागू नहीं होती, बल्कि सभी वैक्सीन पर लागू होती है।'

ट्रायल्स में क्या कोई डेटा सामने आया?

  • स्पुतनिक V वैक्सीन के ट्रायल्स में पता चला कि 10% लोगों में इम्युनिटी बढ़ी ही नहीं। अन्य वैक्सीन के मामले में भी इस तरह की ही संख्या सामने आई है। इसके कारण अब तक सामने नहीं आए हैं। इसका कारण शराब भी हो सकता है और इसकी जांच जरूरी है।
  • अब तक शराब के सेवन और इम्यून सिस्टम के संबंधों पर जितनी भी स्टडी हुई है, वह बताती हैं कि बहुत ज्यादा शराब पीने वालों को इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा रहता है। उनकी इम्युनिटी भी कमजोर होती है। यूके में यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबरा के इम्युनोलॉजिस्ट एलिएनॉर राइली ने कहा कि बहुत ज्यादा शराब पीने वालों को कई समस्याएं होती हैं और कमजोर इम्यून फंक्शन उनमें से एक है।
  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के पॉल क्लेनरमैन का कहना है कि यदि लंबे समय से आप बहुत अधिक शराब पी रहे हैं तो निश्चित तौर पर इम्युनिटी पर असर पड़ेगा। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या कम मात्रा में शराब लेने से भी इम्युनिटी पर असर पड़ेगा? ऐसे में सावधानी रखना जरूरी है। अलग-अलग देशों में अलग-अलग गाइडलाइन जारी हो सकती है।
  • हालांकि, यदि हम भारत की बात करें तो किसी भी वैक्सीन के ट्रायल्स में शराब पीने या न पीने की हिदायत वॉलंटियर्स को नहीं दी गई है। इस समय भारत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कर रहा है। इसी तरह भारत बायोटेक, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी, जेनोवा फार्मा, जायडस कैडिला, बायोलॉजिकल E जैसी कंपनियां भी अपने-अपने वैक्सीन के ट्रायल्स कर रही हैं।

भारत में एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं?

  • भारत में विशेषज्ञों का कहना है कि शराब का सेवन करना हानिकारक है और इससे गंभीर रोग हो सकते हैं, इसमें कोई नई बात नहीं है। जो निर्देश रूस ने जारी किए हैं, वह सामान्य प्रकृति के हैं। उनका ध्यान तो सामान्य रूप से रखना ही चाहिए। गुरुग्राम के फोर्टिस हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर और प्रमुख डॉ. प्रवीण गुप्ता ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि वैक्सीन का असर दो महीने बाद ही समझ आएगा। इस वजह से ऐहतियात रखना अच्छा होगा।
  • वहीं, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट नई दिल्ली में माइक्रोबायोलॉजी विषय की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. ज्योति मट्टा का कहना है कि रूस में जो बयान दिए गए हैं, वह वैक्सीनेशन के बाद शरीर में मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स बढ़ाने के लिए हैं। अब तक हमें स्पुतनिक वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स की जानकारी नहीं है। हमें विस्तार से यह भी देखना होगा कि शराब पीने से वैक्सीन का असर किस हद तक खत्म होता है?


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Coronavirus Vaccine and Alcohol Connection Update; No Alcohol For Two Months After Sputnik V COVID-19 Vaccine


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कोरोनाकाल में पोर्न की आदत बढ़ी, ये बीमारियों की वजह; जानें कैसे पाएं छुटकारा

लत कोई भी हो खराब होती है और अगर लत पोर्न की है, तो फिर यह बेहद खतरनाक है। BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 19 साल के बच्चों में पोर्न एडिक्शन बढ़ गया है। दुनिया के कई देश अपने स्तर पर कदम उठा रहे हैं। पाकिस्तान में इसके खिलाफ मुहिम चलाई जा रही है और टीनएजर्स को जागरूक किया जा रहा है।

भारत में पोर्न 2015 से ही बैन है। लेकिन, जो चीज इंटरनेट पर सहज उपलब्ध हो, उस पर बैन जैसे कदम महज औपचारिकता ही होते हैं। आज के समय में टीनएजर्स दूसरे देशों के VPN का इस्तेमाल कर इसे एक्सेस कर रहे हैं। आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि इस बात पर हम क्यों फोकस कर रहे हैं?

शारीरिक-मानसिक कमजोरी लाता है पोर्न

इंदौर के साइकैट्रिस्ट डॉ. श्रीकांत रेड्डी कहते हैं कि बच्चों के ऊपर पोर्न का बेहद गंभीर असर पड़ता है। वे न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी कमजोर हो जाते हैं। हालांकि, बच्चों में पोर्न एडिक्शन जैसा कोई ऑफिशियल टर्म नहीं है। यह दो शब्दों को मिलाकर बना एक जनरल टर्म है। 10 से 11 साल के बच्चों में इस तरह की समस्या ज्यादा देखने में आती है। भारत में लॉकडाउन के बाद से बच्चों के हाथ में लगातार फोन आने की वजह से यह समस्या और तेजी से बढ़ी है।

अप्रैल 2020 को बिजनेस इनसाइडर में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड ( ICPF) ने दावा किया था कि भारत में लोगों ने चाइल्ड पोर्न को सबसे ज्यादा सर्च किया। इसके अलावा एक पोर्न बेवसाइट ने बताया था कि 24 से 26 मार्च 2020 के बीच भारत में उसका ट्रैफिक 95% तक बढ़ा है। इनमें से ज्यादातर बच्चे थे।

पोर्न एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं ये तरीके

1. ऐसा क्या है जो पोर्न देखने पर ट्रिगर करता है

  • एक्सपर्ट्स की मानें तो इस उम्र में बच्चे जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं। यह सब एक्सीडेंटली ही होता है, जो बच्चों को पोर्न देखने के लिए उकसाता है। अगर बच्चे इंटरनेट पर कुछ देख रहे हैं, तो उनसे किसी ऐसी लिंक पर क्लिक हो जाता है, जो उन्हें पोर्न वेबसाइट तक ले जाती हैं। उनके अंदर इस तरह की वीडियो देखने की जिज्ञासा बढ़ जाती है। बच्चों को इससे बचाने के लिए उन्हें समझाना होगा कि अगर आप गलती से किसी पोर्न लिंक पर चले गए हैं, तो उस तरह के वीडियो देखने से बचें।

2. पोर्न देखने के सोर्स किल करें पैरेंट्स

  • जागरूक पेरेंट्स के तौर पर बच्चों को पोर्न से दूर रखने के लिए ऐसे सोर्स को किल करें, जिससे वे ऐसी चीजें एक्सेस कर सकते हैं। अगर बच्चों की क्लासेस ऑनलाइन चल रही हैं और वे लगातार इंटरनेट एक्सेस कर रहे हैं, तो सॉफ्टवेयर की मदद से पोर्न से जुड़ी सारी साइट्स को ब्लॉक कर सकते हैं। बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करें और हो सके तो उनसे ऐसे मुद्दों पर खुलकर बात करें।

3. एडिक्शन का पता चलने पर बच्चों को डिस्ट्रेक्ट करें

  • पैरेंट्स के तौर पर अगर आपको पता चल जाता है कि आपका बच्चा पोर्न एडिक्ट है, तो सबसे पहले उसका फोकस किसी और चीज पर शिफ्ट करने की कोशिश करें। बच्चों को उनके इंटरेस्ट की दूसरी चीजों में बिजी रखने की कोशिश करें। फिल्म, म्यूजिक और स्पोर्ट्स बेहतर ऑप्शन हो सकते हैं।

4. पैरेंट्स अपने स्तर पर क्या कर सकते हैं?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बच्चों को पोर्न की लत से बचाना है, तो पेरेंट्स को सबसे पहले बच्चे की परेशानी को समझना होगा। कहीं बच्चा अकेलापन तो महसूस तो नहीं कर रहा है। या फिर किसी तरह का डिसऑर्डर तो नहीं हो गया है। पेरेंट्स या तो बच्चे से खुद बात कर सकते हैं या फिर काउंसलर के पास भी जा सकते हैं। बच्चों को समझाना होगा कि यह एक तरह की बीमारी है। इससे बचना चाहिए। यह बैड हैबिट्स में आता है।

5. टीचर अपने स्तर क्या कर सकते हैं?

  • अक्सर स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को लेकर बच्चों में शर्म रहती है। कई बार टीचर भी इस तरह के टॉपिक को छोड़ देते हैं। अगर टीचर बच्चों को इस तरह की चीजों से अवेयर करेंगे, तो ऐसी समस्याओं को कम किया जा सकता है।
  • टीचर बच्चों से कह सकते हैं कि इस तरह की बातों में समय बर्बाद करने से अच्छा है, पढ़ाई पर फोकस करें। बच्चों में इस तरह की भावनाएं पैदा न हो, इसके लिए टीचर अपनी तरफ से हफ्ते में एक बार उनकी काउंसलिंग भी कर सकते हैं।

6. थैरेपी और काउंसलिंग से मिलेगी मदद

  • अगर बच्चों में पोर्न की लत लग गई है, तो इससे बचने के लिए थैरेपी बेस्ट विकल्प है। बच्चों में पोर्न की लत मानसिक बीमारियों की वजह बन सकती हैं।

  • कई बार बच्चे, टीचर्स और पेरेंट्स एक दूसरे के साथ ऐसे मुद्दों पर बात करने में कंफर्टेबल नहीं रहते हैं। ऐसी स्थिति में थेरेपिस्ट या मेडिकल प्रोफेशनल से काउंसलिंग करा सकते हैं। इससे उन्हें पोर्न से दूर रहने में मदद मिल सकती है।



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The habit of porn due to physical and mental illness increased during the coronary, learn ways to get rid of it


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उस सरदार का निधन हुआ, जिसने 562 रियासतों को साथ जोड़कर एक भारत बनाया

भारत के लौह पुरुष और देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज 70वीं पुण्यतिथि है। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा में हुआ था। उन्होंने अपनी आखिरी सांस 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में ली।

देश की आजादी में सरदार पटेल का जितना योगदान था, उससे कहीं ज्यादा योगदान उन्होंने आजाद भारत को एक करने में दिया। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तब देश में छोटी-बड़ी 562 रियासतें थीं। इनमें से कई रियासतों ने तो आजाद रहने का ही फैसला कर लिया था, लेकिन सरदार पटेल ने इन सबको देश में मिलाया।

आजादी के बाद जब हैदराबाद और जूनागढ़ ने भारत में मिलने से मना कर दिया। इसके पीछे पाकिस्तान और मोहम्मद अली जिन्ना की चाल थी, लेकिन हैदराबाद में सरदार पटेल ने सेना भेजकर वहां के निजाम का आत्मसमर्पण करवा लिया। वहीं, जूनागढ़ में जनता के विद्रोह से घबराकर वहां का नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया। इसी तरह भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान ने भी शर्त रख दी कि वो या तो आजाद रहेंगे या पाकिस्तान में मिल जाएंगे। इसके बाद सरदार पटेल की वजह से ही भोपाल के नवाब ने हार मान ली। 1 जून 1949 को भोपाल भारत का हिस्सा बन गया।

वल्लभ भाई पटेल को सरदार और लौह पुरुष की उपाधि महात्मा गांधी ने दी थी।

15 दिसंबर, 1950 की सुबह तीन बजे पटेल को दिल का दौरा पड़ा और वो बेहोश हो गए। चार घंटों बाद उन्हें थोड़ा होश आया। उन्होंने पानी मांगा। मणिबेन ने उन्हें गंगा जल में शहद मिलाकर चम्मच से पिलाया। रात 9 बजकर 37 मिनट पर सरदार पटेल ने आखिरी सांस ली।

एफिल टॉवर बनाने वाले आर्किटेक्ट का जन्म

फ्रांस की राजधानी पेरिस के शौं-दे-मार्स में 26 जनवरी 1887 को एफिल टॉवर की नींव रखी गई। एफिल टॉवर बनने में दो साल का वक्त लगा था। 324 मीटर ऊंचे एफिल टॉवर को आर्किटेक्ट गुस्ताव एफिल ने बनवाया था। आज ही के दिन 1832 में उनका जन्म हुआ था। शुरुआत में एफिल टॉवर को 20 साल के लिए ही बनाया गया था। यानी 1909 में इसे गिराया जाना था, लेकिन इसकी लोकप्रियता बढ़ते देख इसे गिराने का फैसला रद्द कर दिया गया। इसे बनाने में 7 हजार 300 टन लोहे का इस्तेमाल हुआ था। इसलिए इसे 'आयरन लेडी' भी कहा जाता है। एफिल टॉवर जब बनकर तैयार हुआ था, उस वक्त ये दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थी।

जब एफिल टॉवर बनाया जा रहा था, तब इसका विरोध भी हुआ था। उस समय कई लोगों ने इसे पेरिस पर दाग बताया था।

भारत और दुनिया में 15 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:

1953 : भारत की एस विजयलक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र महासभा के आठवें सत्र की अध्यक्ष चुनी गईं। इस पद पर पहुंची वह पहली महिला थीं।

1965 : बांग्लादेश में गंगा नदी के तट पर आए चक्रवात में करीब 15,000 लोगों की जान गई।

1976 : भारत के प्रसिद्ध फुटबाल खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया का सिक्किम में जन्म।

1982 : स्पेन की सोशलिस्ट सरकार ने आधी रात को यह दरवाजे खोलकर स्पेन और जिब्राल्टर के लोगों के बीच की दीवार को खत्म कर दिया था।

1991 : जाने माने फिल्म निर्माता सत्यजीत रे को सिनेमा की दुनिया में उनके अहम योगदान के लिए स्पेशल ऑस्कर से नवाजा गया।

1997 : जैनेट रोसेनबर्ग जैगन गुयाना की राष्ट्रपति चुनी गईं। वे देश की पहली निर्वाचित महिला राष्ट्रपति होने के साथ ही गुयाना की पहली श्वेत राष्ट्रपति थीं।

1997 : अरुंधति रॉय ने ‘बुकर पुरस्कार’ जीता। उन्हें उनके उपन्यास ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए ब्रिटेन के इस सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार के लिए चुना गया।

2001 : पीसा की झुकती मीनार को 10 वर्ष बाद फिर से खोला गया। इस इमारत के ढांचे को ठीक और मजबूत करने के लिए इसे बंद कर दिया गया था।

2011 : अमेरिका ने देश में अपना अभियान समाप्त करने का ऐलान किया।



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Today History: Aaj Ka Itihas India World December 15 Update | Vallabhbhai Patel Death Anniversary Bhaichung Bhutia Date Of Birth


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इमरजेंसी के 45 साल बाद 92 साल की महिला की उसे गैरकानूनी ठहराने की कोशिश; जानिए सबकुछ

सुप्रीम कोर्ट ने 1975 के आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को केंद्र को नोटिस जारी किया है। कोर्ट इस पर भी विचार करेगी कि क्या 45 साल बाद इसकी वैधानिकता पर विचार किया जा सकता है या नहीं। इस मामले में कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने दलील पेश की।

आखिर इतने समय बाद इस आपातकाल की संवैधानिकता को क्यों चुनौती दी गई? याचिका लगाने वाली महिला कौन है? कोर्ट का याचिका पर पहले क्या रुख था? अगर सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुना देता है तो उसका भविष्य पर क्या असर होगा? आइये जानते हैं...

सबसे पहले मामला क्या है?

94 साल की वीरा सरीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। वीरा चाहती हैं कि 1975 में जो आपातकाल लगाया गया, उसे सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक घोषित कर दे। इसके साथ ही वो अपने और अपने पति के साथ आपातकाल के दौरान हुए अत्याचार के बदले 25 करोड़ का हर्जाना भी चाहती हैं।

याचिका लगाने वाली महिला कौन हैं?

याचिका में कहा गया है कि वीरा सरीन और उनके पति को जेल में डाल दिए जाने के डर से देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। क्योंकि आपातकाल में उनके पति पर स्मगलिंग के झूठे आरोप लगाकर उनको हिरासत में लेने के गलत आदेश मनमाने तरीके से जारी किए गए थे। उनके पति का आपातकाल के पहले दिल्ली के करोल बाग और केजी मार्ग पर बहुमूल्य रत्नों का बिजनेस था। उनकी करोड़ों की अचल और चल संपत्ति जब्त कर ली गई। इसमें बहुमूल्य रत्न, कालीन, पेंटिंग, स्टैच्यू शामिल थे।

महिला ने पहले याचिका क्यों नहीं लगाई?

महिला का दावा है कि इन संपत्तियों को अब तक वापस नहीं किया गया। सन 2000 में पति की इन मामलों के चलते ही मौत हो गई। उसके बाद महिला अकेले ही आपातकाल के दौरान पति पर दर्ज हुए मामलों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही है। 2014 में दिल्ली हाई कोर्ट उसके पति पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। इसी साल जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को सरीन की केजी, मार्ग की संपत्ति पर 1999 के रेट पर किराए का एरियर देने का भी आदेश दिया था। इसके बाद अब महिला सुप्रीम कोर्ट में आपातकाल को असंवैधानिक करने की मांग लेकर पहुंची है।

कोर्ट ने याचिका पर पहले क्या कहा था?

सोमवार से पहले इस मामले में सात दिसंबर को भी सुनवाई हुई थी। उस वक्त इस याचिका पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस संजय कृष्ण कौल ने कहा था, ‘इतने सालों के बाद ये किस तरह की याचिका है। इस याचिका का क्या मतलब है।’ याचिका लगाने वाली महिला की ओर से पेश हुईं वकील नीला गोखले ने ये कहते सुनवाई स्थगित करने की अपील की थी कि अगली सुनवाई में उनकी ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे बहस करेंगे। इसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की डेट 14 दिसंबर दे दी थी।

हरीश साल्वे ने कोर्ट के सामने क्या कहा?

इस मामले में वीरा सरीन की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अनन्या घोष ने भास्कर को बताया कि हरीश साल्वे ने अपनी दलील में कहा, 'हमें इतिहास में दोबारा देखना होगा और देखना होगा कि उस वक्‍त चीजें सही थीं या नहीं। अगर इतिहास को सही नहीं किया गया तो यह खुद को दोहराता है इसलिए इस मामले पर गौर किया जाए।'

कोर्ट ने दलील सुनने के बाद क्या कहा?

अनन्या घोष ने बताया कि हमने कोर्ट से अपनी याचिका में कुछ बदलाव की अपील की थी। कोर्ट ने हमारी अपील मानते हुए 18 दिसंबर तक याचिका में बदलाव करके उसे लगाने की मंजूरी दे दी। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उन्हें अपना पक्ष रखने को कहा है।

कोर्ट ने आपातकाल को असंवैधानिक बता दिया तो इसका भविष्य पर क्या असर होगा?

इस सवाल के जवाब में अनन्या कहती हैं कि संविधान में आपातकाल बेहद गंभीर स्थिति में लगाया जाता है। भविष्य में क्या होगा ये तो नहीं कहा जा सकता। लेकिन, अगर कभी भी कोई सरकार इस बारे में सोचती है तो उसके सामने ये फैसला होगा।



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Indira Gandhi; Emergency Declared In India In 1975? Supreme Court On Emergency’s Constitutional Validity


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