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इंदौर के जावरा कम्पाउंड में मंगलवार रात पूर्व विधानसभा अध्यक्ष यज्ञदत्त शर्मा के नाती हर्ष शर्मा (23) ने कुत्ते को बांधने वाली चेन से गला घोंटकर 2 महीने की प्रेग्नेंट पत्नी अंशु (22) की हत्या कर दी। इसके बाद गुप्ती से उस पर कई वार किए। हर्ष को शक था कि अंशु के पूर्व मंगेतर सचिन से संबंध हैं।
हत्या के बाद 1 घंटे तक शव के पास बैठा रहा, फिर थाने पहुंच गया
मंगलवार रात को भी हत्या के पहले किसी का वॉट्सऐप कॉल आया था, जिसमें कहा गया था कि अंशु अब भी सचिन के संपर्क में है। इस पर दोनों में विवाद हुआ और हर्ष ने अंशु की हत्या कर दी। यह पता नहीं चल पाया कि वॉट्सऐप कॉल किसका था। हर्ष एक घंटे तक अंशु के शव के पास बैठा रहा। फिर पलासिया में रहने वाले पिता राजीव शर्मा को फोन किया। इसके बाद खुद संयोगितागंज थाने पहुंचा और बोला मैंने पत्नी की हत्या कर दी है। दोनों ने ढाई महीने पहले ही शादी की थी।
जुलाई में दोनों कॉन्टैक्ट में आए, अगस्त में भागकर शादी की थी
हर्ष ने लॉकडाउन के दौरान जून में जैविक खाद का बिजनेस शुरू किया। जुलाई में अंशु ने बतौर रिसेप्शनिस्ट नौकरी ज्वॉइन की। दोनों में नजदीकियां बढ़ी। 25 जुलाई को हर्ष ने कंपनी बंद कर दी। 6 अगस्त को दोनों गायब हो गए और 19 अगस्त को आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली। बाद में वे जावरा कम्पाउंड के फ्लैट में रहने लगे।
हालांकि, अंशु की मां संतोष उसकी सगाई सचिन से करा चुकी थी। 8 अगस्त को उन्होंने विजयनगर थाने में अंशु की गुमशुदगी भी दर्ज कराई थी। हालांकि कुछ दिन बाद उन्हें दोनों की शादी का पता चल गया। हर्ष के पिता राजीव का शेयर एडवाइजरी का काम है। वे पत्नी से अलग रहते हैं। उन पर भी धोखाधड़ी मामला दर्ज है।
अंशु की मां ने थाने के बाहर शव रखकर इंसाफ मांगा
पोस्टमार्टम के बुधवार दोपहर संतोषबाई और परिजन अंशु का शव लेकर संयोगितागंज थाने पहुंच गए। शव को थाने के सामने रख चक्काजाम किया। संतोषबाई अड़ गईं कि उन्हें आरोपी हर्ष से मिलवाया जाए। CSP पूर्ति तिवारी ने किसी तरह उन्हें समझाया।
अंशु की मां का आरोप- हर्ष के पिता भी दोषी, बाप-बेटे को फांसी हो
अंशु ने इंटरव्यू देकर हर्ष की कंपनी ज्वॉइन की थी। वह उसे 8 हजार रुपए महीने देता था। शादी के बाद हर्ष नशे में अंशु से बदसलूकी करता था। अंशु की मां ने बताया, "14 सितंबर को बेटी का बर्थ डे था। मैंने दोनों को बुलाया, लेकिन हर्ष उसे नहीं लाया। मंगलवार रात हर्ष के पिता राजीव ने फोन किया और पूछा कि अंशु से बात हुई क्या? मैंने मना किया तो हालचाल पूछे और फोन काट दिया। पता नहीं बेटी को कब मार डाला। हर्ष और उसके पिता दोषी हैं, उन्हें फांसी की सजा मिले।
दुनिया की आबादी करीब 800 करोड़ है। इनमें से 466 करोड़ लोग यानी करीब 60% आबादी इंटरनेट चला रही है। इनमें से 70 करोड़ भारत में हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में लोग इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिताने लगे हैं।
इंटरनेट यूजर्स का स्क्रीन टाइम करीब एक घंटे बढ़ गया है। आज हम हर दिन औसतन 7 घंटे इंटरनेट पर बिता रहे हैं। अगर पूरी दुनिया का इंटरनेट पर बिताया जाने वाला वक्त जोड़ें, तो यह हर दिन 10 लाख साल के बराबर होता है।
दुनिया के इंटरनेट यूजर्स 1 साल में 32.1 करोड़ यानी 7.4% बढ़े। दुनिया की आबादी 1% बढ़ी।
18 करोड़ लोग जुलाई से सितंबर तक सोशल मीडिया से जुड़े, यानी हर दिन करीब 20 लाख।
भारत में इंटरनेट यूजर्स एक साल में 23% बढ़े। ज्यादातर इंटरनेट यूजर्स की उम्र 16 से 64 साल।
91% यूजर्स अपने मोबाइल पर इंटरनेट चलाते हैं। अन्य लोग कंप्यूटर या दूसरे साधनों पर चलाते हैं।
दुनिया में हर सेकंड 14 लोग इंटरनेट से जुड़ते हैं
2.29 घंटे हम औसतन रोज सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं।
अक्टूबर 2019 से अक्टूबर 2020 तक 45 लाख से ज्यादा यूजर्स सोशल मीडिया पर एक्टिव हुए हैं।
इसमें सालाना 12% की ग्रोथ दर्ज की गई है। हर सेकंड करीब 14 लोग इंटरनेट से जुड़ रहे हैं।
दुनिया की आबादी करीब 800 करोड़ है। इनमें से 466 करोड़ लोग यानी करीब 60% आबादी इंटरनेट चला रही है। इनमें से 70 करोड़ भारत में हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में लोग इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिताने लगे हैं।
इंटरनेट यूजर्स का स्क्रीन टाइम करीब एक घंटे बढ़ गया है। आज हम हर दिन औसतन 7 घंटे इंटरनेट पर बिता रहे हैं। अगर पूरी दुनिया का इंटरनेट पर बिताया जाने वाला वक्त जोड़ें, तो यह हर दिन 10 लाख साल के बराबर होता है।
दुनिया के इंटरनेट यूजर्स 1 साल में 32.1 करोड़ यानी 7.4% बढ़े। दुनिया की आबादी 1% बढ़ी।
18 करोड़ लोग जुलाई से सितंबर तक सोशल मीडिया से जुड़े, यानी हर दिन करीब 20 लाख।
भारत में इंटरनेट यूजर्स एक साल में 23% बढ़े। ज्यादातर इंटरनेट यूजर्स की उम्र 16 से 64 साल।
91% यूजर्स अपने मोबाइल पर इंटरनेट चलाते हैं। अन्य लोग कंप्यूटर या दूसरे साधनों पर चलाते हैं।
दुनिया में हर सेकंड 14 लोग इंटरनेट से जुड़ते हैं
2.29 घंटे हम औसतन रोज सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं।
अक्टूबर 2019 से अक्टूबर 2020 तक 45 लाख से ज्यादा यूजर्स सोशल मीडिया पर एक्टिव हुए हैं।
इसमें सालाना 12% की ग्रोथ दर्ज की गई है। हर सेकंड करीब 14 लोग इंटरनेट से जुड़ रहे हैं।
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कोरोना के केस में गिरावट जारी है। बुधवार को 49 हजार 660 नए केस सामने आए। यह लगातार चौथा दिन रहा, जब यह आंकड़ा 50 हजार से कम रहा। नए संक्रमितों से ज्यादा मरीजों के ठीक होने की वजह से एक्टिव केस में 26वें दिन भी गिरावट देखी गई। बुधवार को 57 हजार 506 मरीज ठीक हुए और 508 संक्रमितों की मौत हो गई।
तारीख
नए केस
25 अक्टूबर
45932
26 अक्टूबर
36113
27 अक्टूबर
43036
28 अक्टूबर
49660
देश में अब तक कोरोना संक्रमण के 80.38 लाख केस आ चुके हैं। एक्टिव केस भी 6 लाख 5 हजार 943 हैं। अब तक 72 लाख 92 हजार 156 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से अब तक 1 लाख 20 हजार 312 मरीजों की मौत हो चुकी है।
दिल्ली के आंकड़ों ने चिंता बढ़ाई
दिल्ली में पहली बार एक दिन में संक्रमण के 5673 केस मिले हैं। यहां पिछले कुछ दिनों से हर दिन करीब 4000 केस मिले रहे हैं।
पिछले 5 दिन जब दिल्ली में 4000 से ज्यादा केस आए
तारीख
केस
23 अक्टूबर
4086
24 अक्टूबर
4116
25 अक्टूबर
4136
27 अक्टूबर
4853
28 अक्टूबर
5673
स्मृति ईरानी को हुआ कोरोना
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘घोषणा करते समय शब्दों को ढूंढना मेरे लिए कठिन है; इसलिए यहां मैं आसान शब्दों में कह रही हूं- मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जो लोग मेरे संपर्क में आए हैं, उनसे अपील है कि वे जल्द से जल्द खुद की जांच कराएं।’
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में पिछले 24 घंटे के अंदर 514 नए मरीज मिले, 1010 लोग रिकवर हुए और 8 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक यहां 1 लाख 68 हजार 483 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 2898 मरीजों की मौत हो चुकी है। 1 लाख 55 हजार 232 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं, जबकि 10 हजार 353 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है।
2. राजस्थान
पिछले 24 घंटे में 1796 नए मरीज मिले, 2066 लोग रिकवर हुए और 14 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 89 हजार 844 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 15 हजार 949 संक्रमितों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 72 हजार 28 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1867 लोगों की मौत हो चुकी है।
3. बिहार
राज्य में बुधवार को 780 लोग संक्रमित मिले। 1073 लोग रिकवर हुए और 4 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 14 हजार 163 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 2 लाख 4 हजार 317 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1069 लोगों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
मंगलवार को राज्य में 6378 नए मरीज मिले, 8430 लोग रिकवर हुए और 91 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 16 लाख 60 हजार 406 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 29 हजार 401 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 14 लाख 86 हजार 926 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 43 हजार 554 मरीजों की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में बुधवार को 1980 नए मरीज मिले 2742 लोग ठीक हुए और 18 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 4 लाख 76 हजार 34 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 25 हजार 487 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 43 हजार 589 लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना ने अब तक राज्य में 6958 लोगों की जान ले ली।
दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.44 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 27 लाख 02 हजार 064 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.78 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में पिछले हफ्ते हर दिन औसतन 70 हजार नए केस मिले। एक अहम खबर यूरोप से। फ्रांस के बाद जर्मनी में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। यहां सरकार ने आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जल्द ही सख्त लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार के पहले एक हफ्ते तक अमेरिका में हर दिन औसतन 70 हजार नए संक्रमित मिले। अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही मरने वालों का आंकड़ा भी पिछले हफ्ते 5600 बढ़ गया।
ट्रम्प का झूठ
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले हफ्ते कहा था कि देश में संक्रमण बढ़ने को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि टेस्टिंग ज्यादा हो रही है या हो सकता है इसके पीछे कोई साजिश हो। लेकिन, व्हाइट हाउस के टेस्टिंग इंचार्ज ब्रेट गिरियोर ने राष्ट्रपति की बात को खारिज कर दिया। गिरियोर ने कहा- यह सच है कि केस बढ़ रहे हैं। इसका सबूत यह है कि अस्पतालों में भर्ती होने वालों के संख्या भी बढ़ रही है।
मास्क पहनने से अब भी बच रहे लोग
रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी फैलती जा रही है, लेकिन अब भी देश के ज्यादातर हिस्सों में लोग मास्क पहनने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। व्हाइट हाउस में कोरोनावायरस टास्क फोर्स के कोऑर्डिनेटर डेब्रॉह ब्रिक्स ने कहा- आप ग्रॉसरी स्टोर्स, रेस्टोरेंट्स और होटल्स में देखिए। यहां भी लोग आपको बिना मास्क के नजर आ जाएंगे।
जर्मनी में भी सख्त प्रतिबंधों की तैयारी
यूरोप के देश संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे हैं। फ्रांस ने एक महीने का सख्त लॉकडाउन लगाया। जर्मनी ने पार्शियल यानी आंशिक लॉकडाउन का ऐलान किया। लेकिन, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जल्द ही एंजेला मर्केल सरकार सख्त लॉकडाउन लगाने जा रही है। इसकी वजह देश में बढ़ता संक्रमण और लोगों का सावधानी न बरतना है। सरकार की कोशिश है कि संक्रमण एक घर से दूसरे घर तक न पहुंच सके। 10 लोगों से ज्यादा एक स्थान पर नहीं जुट सकेंगे। कुल 16 शहरों में सख्त प्रतिबंध रहेंगे। सरकार ने कहा है कि बहुत जरूरी न होने पर लोग यात्रा करने से बचें। इसकी वजह से दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
साउथ अफ्रीकी प्रेसिडेंट आईसोलेशन में
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा सेल्फ आईसोलेशन में चले गए हैं। शनिवार को रामफोसा एक डिनर में शामिल हुए थे। इस डिनर में शामिल एक शख्स को बाद में संक्रमित पाया गया। हालांकि, राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी ने साफ कर दिया कि रामफोसा में फिलहाल किसी तरह के लक्षण नहीं देखे गए हैं। लेकिन, इसके बावजूद उन्हें ऐहतियातन आईसोलेट होने को कहा गया है।
चीन में 47 नए मामले
चीन में बुधवार को एक दिन में 47 नए मामले सामने आए। यह दो महीने में सबसे ज्यादा केस हैं। अब सरकार ने कहा है कि वो इसे संक्रमण की दूसरी लहर की तरह देख रही है और इसे रोकने के लिए सख्त उपाय किए जाएंगे। फिलहाल, सरकार की सबसे बड़ी फिक्र इस बात को लेकर है कि लोकल ट्रांसमिशन के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने बुधवार रात जारी बयान में कहा- 23 मामले स्थानीय संक्रमण के हैं और यह परेशानी पैदा करने वाले हैं।
फ्रांस में दूसरा लॉकडाउन
फ्रांस में संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए सरकार सतर्क हो गई है। बीबीसी के मुताबिक, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देश में दूसरी बार लॉकडाउन लगा दिया है। लॉकडाउन पूरे नवंबर के लिए रहेगा। नया प्रतिबंध शुक्रवार से शुरू होगा। लोगों को केवल जरूरी कामों या मेडिकल इमरजेंसी में ही घर से निकलने की इजाजत होगी। इस दौरान रेस्टोरेंट और बार बंद रहेंगे, लेकिन स्कूल और फैक्ट्रियां खुली रहेंगी। देश में अब तक करीब 12 लाख संक्रमित मिल चुके हैं और 35,541 लोगों की मौत हो चुकी है।
अमेरिका में एक हफ्ते में 5600 संक्रमितों की मौत
अमेरिका में चुनाव बिल्कुल सिर पर है, लेकिन यहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक हफ्ते में पांच लाख से ज्यादा नए संक्रमित मिले हैं। इसी दौरान 5600 संक्रमितों की मौत हो गई। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह जानाकारी दी है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य इलिनॉइस है। 31 हजार मामले इसी राज्य में सामने आए। पेन्सिलवेनिया और विस्कॉन्सिन में भी हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। विस्कॉन्सिन के हेल्थ इंचार्ज आंद्रे पॉम ने कहा- हम चाहते हैं कि चुनाव के लिए मतदान के दौरान कोरोना दिक्कत न बने। इसके लिए हर जरूरी व्यवस्था की जा रही है।
कोरोना के चलते इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 7 करोड़ लोग पहले ही वोट डाल चुके हैं। यह 2016 में पड़े कुल वोट का 50% है। इन सबके बीच चुनाव को प्रभावित करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। राज्य सरकारें फाइनल वोटिंग से पहले उन जगहों से पोलिंग बूथ हटवा रही हैं, जहां उन्हें खुद की पार्टी के जीतने की संभावना कम दिखती है।
मतदाताओं को गलत मतपत्र भेजे
मतदाताओं को बड़ी संख्या में गलत मतपत्र भेजे जा रहे हैं। फर्जी बैलेट ड्रॉप बॉक्स लगाने की भी खबरें आई हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर ए. शिक्लर बताते हैं कि आज के हालात में विदेशी ताकतों से ज्यादा खतरा देश में पनप रही अनुशासनहीनता से है। पूरी कोशिश हो रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वोट न दे पाएं। वहीं एबसेंटी बैलट के कानून ऐसे हैं कि वे भी तकनीकी कारणों से खारिज किए जा सकते हैं। टेक्सॉस जैसे रिपब्लिकन राज्यों की सरकारों ने हर काउंटी में एक ही पोलिंग स्टेशन का कानून बनाया है। यह साफ करता है कि लोगों के वोट डालने के रास्ते में अड़चनें पैदा की जा रही हैं।
एक परेशानी यह भी
ये वोटर्स को दबाने, वोट देने से रोकने और प्रोसेस में रुकावट डालने जैसे कदम हैं। यहीं नहीं, ज्यादातर पोल में बाइडेन से पीछे चल रहे राष्ट्रपति ट्रम्प और उनकी रिपब्लिकन पार्टी चुनाव को फर्जी साबित करने में लगी है। नजदीकी मुकाबलों में हर वोट मायने रखता है। डाक से भेजे गए वोटों की गिनती करने में 1 से 2 हफ्ते लगते हैं। ट्रम्प इन मतपत्रों की गिनती को गैरकानूनी बता रहे हैं। चुनाव विशेषज्ञ इसे चुनाव में हस्तक्षेप का सबसे बड़ा उदाहरण बताते हैं।
विदेशी दखल: ईरान और रूस द्वारा भेजे मेल में ट्रम्प को हराने की अपील
21 अक्टूबर को अमेरिका के इंटेलीजेंस डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ ने कहा- रूस और ईरान ने अमेरिकी वोटर्स की लिस्ट चोरी कर ली है। वोटर्स को फर्जी वोट भेजकर डराया जा रहा कि वे ट्रम्प को वोट न दें। हालांकि इसके कोई सबूत नहीं हैं कि फर्जी ईमेल का वोटर्स पर क्या प्रभाव पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 3 नवंबर के बाद डाक से मिलने वाले वोटों की गिनती रोकी
विस्कोंसिन की कोर्ट ने आदेश दिया था कि डाक से भेजे गए वोट 3 नवंबर के बाद भी मिलते हैं तो उनकी गिनती होगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे राज्य के बचे 4 लाख वोटर्स में से 1 लाख वोट नहीं डाल सकेंगे। 2016 में ट्रम्प यहां 22,748 वोट से जीते थे।
प्रशासनः गलत मतपत्र भेजे और 21 हजार पोलिंग बूथ तक हटवा लिए
लोगों को गलत मतपत्र भेजे जा रहे हैं। न्यूयॉर्क शहर में ही 1 लाख लोगों को गलत मतपत्र मिले हैं। जिन पर उनके नाम और पते गलत थे। इससे वोटिंग में देरी हो रही है। यहीं नहीं विस्कॉन्सिन में 21 हजार पोलिंग स्टेशन 21 अक्टूबर तक हटा लिए गए थे। यहां गरीब और अश्वेत आबादी ज्यादा है।
रिपब्लिकन पार्टी ने खुद माना कि उसने फर्जी ड्राप बॉक्स लगवाए
डेमोक्रेटिक के गढ़ कैलिफोर्निया में रिपब्लिकन पार्टी ने माना कि उन्होंने सर्वाधिक आबादी वाले इस राज्य में आधिकारिक तौर पर डाले जा रहे वोटों को प्राप्त करने के लिए फर्जी बैलट ड्रॉप बॉक्स रखे थे। एक्सपर्ट के मुताबिक, यह कदम गैरकानूनी और धोखाधड़ी को बढ़ावा देने वाला है।
इतिहास बताता है कि जब भी वोटर टर्नआउट बढ़ता है इससे रिपब्लिकन पार्टी को नुकसान होता है। इसलिए ट्रम्प और उनकी पार्टी हर मुमकिन कोशिश कर रही है कि कम से कम वोटिंग हो। विशेषज्ञ इसे चुनावी धांधली बता रहे हैं।
आयोग में कमिश्नर के 6 में 3 पद खाली, कार्रवाई के लिए चार जरूरी
अमेरिका में धांधली और विदेशी हस्तक्षेप के मामले में चुनाव आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। यहां तक ट्रम्प के धांधली के आरोपों पर भी चुनाव आयोग उन्हें नोटिस तक नहीं भेज सकता। क्योंकि अमेरिकी चुनाव में आचार संहिता जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। ये कहना है अमेरिका के केंद्रीय चुनाव आयोग के सबसे अनुभवी कमिश्नर एलेन विनट्राब का। विनट्राब ने चिंता जताई कि मौजूदा चुनाव में चुनाव आयोग की स्थिति दयनीय है, क्योंकि आयोग में कमिश्नर के 6 पदों में से 3 खाली हैं।
आयोग किसी मुद्दे पर कोई निर्णय ले सके, इसके लिए 4 कमिश्नर का होना जरूरी है। मतलब यह है कि अगर कोई चुनावी फंडिंग, धांधली को लेकर शिकायत दर्ज करता है तो आयोग तब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सकता जब तक कोरम पूरा न हो जाए।
अमेरिका के केंद्रीय चुनाव आयोग (एफईसी) की जिम्मेदारी बस इतनी है कि वह चुनाव में सीधे तौर पर दिए गए चंदे कि निगरानी करे। मई 2020 तक प्रचार की फंडिंग से संबंधित 350 शिकायतें आयोग प्राप्त कर चुका है।
2016 में रूस ने चीफ ऑफ स्टाफ का मेल हैक कर दखलंदाजी की थी
2016 में रशियन सिक्योरिटी सर्विसेज के हैकरों ने व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ और हिलेरी क्लिंटन के चुनावी कैंपेन के चेयरमैन जॉन पोडेस्टा का ईमेल हैक कर लिया था। इन हैकरों ने उनके मेल से 20 हजार पन्ने प्राप्त किए थे, जिन्हें विकीलीक्स ने चुनाव से पहले सार्वजनिक कर दिए थे। सोशल मीडिया पर भी विदेशी खुफिया एजेंसियों ने फर्जी खबरों की बाढ़ ला दी थी।
कोरोना के केस में गिरावट जारी है। बुधवार को 49 हजार 660 नए केस सामने आए। यह लगातार चौथा दिन रहा, जब यह आंकड़ा 50 हजार से कम रहा। नए संक्रमितों से ज्यादा मरीजों के ठीक होने की वजह से एक्टिव केस में 26वें दिन भी गिरावट देखी गई। बुधवार को 57 हजार 506 मरीज ठीक हुए और 508 संक्रमितों की मौत हो गई।
तारीख
नए केस
25 अक्टूबर
45932
26 अक्टूबर
36113
27 अक्टूबर
43036
28 अक्टूबर
49660
देश में अब तक कोरोना संक्रमण के 80.38 लाख केस आ चुके हैं। एक्टिव केस भी 6 लाख 5 हजार 943 हैं। अब तक 72 लाख 92 हजार 156 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से अब तक 1 लाख 20 हजार 312 मरीजों की मौत हो चुकी है।
दिल्ली के आंकड़ों ने चिंता बढ़ाई
दिल्ली में पहली बार एक दिन में संक्रमण के 5673 केस मिले हैं। यहां पिछले कुछ दिनों से हर दिन करीब 4000 केस मिले रहे हैं।
पिछले 5 दिन जब दिल्ली में 4000 से ज्यादा केस आए
तारीख
केस
23 अक्टूबर
4086
24 अक्टूबर
4116
25 अक्टूबर
4136
27 अक्टूबर
4853
28 अक्टूबर
5673
स्मृति ईरानी को हुआ कोरोना
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘घोषणा करते समय शब्दों को ढूंढना मेरे लिए कठिन है; इसलिए यहां मैं आसान शब्दों में कह रही हूं- मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जो लोग मेरे संपर्क में आए हैं, उनसे अपील है कि वे जल्द से जल्द खुद की जांच कराएं।’
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में पिछले 24 घंटे के अंदर 514 नए मरीज मिले, 1010 लोग रिकवर हुए और 8 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक यहां 1 लाख 68 हजार 483 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 2898 मरीजों की मौत हो चुकी है। 1 लाख 55 हजार 232 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं, जबकि 10 हजार 353 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है।
2. राजस्थान
पिछले 24 घंटे में 1796 नए मरीज मिले, 2066 लोग रिकवर हुए और 14 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 89 हजार 844 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 15 हजार 949 संक्रमितों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 72 हजार 28 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1867 लोगों की मौत हो चुकी है।
3. बिहार
राज्य में बुधवार को 780 लोग संक्रमित मिले। 1073 लोग रिकवर हुए और 4 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 14 हजार 163 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 2 लाख 4 हजार 317 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1069 लोगों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
मंगलवार को राज्य में 6378 नए मरीज मिले, 8430 लोग रिकवर हुए और 91 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 16 लाख 60 हजार 406 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 29 हजार 401 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 14 लाख 86 हजार 926 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 43 हजार 554 मरीजों की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में बुधवार को 1980 नए मरीज मिले 2742 लोग ठीक हुए और 18 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 4 लाख 76 हजार 34 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 25 हजार 487 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 43 हजार 589 लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना ने अब तक राज्य में 6958 लोगों की जान ले ली।
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 80 लाख को पार कर चुकी है। बीते 25 दिनों से रोजाना औसतन 800 लोगों की मौत हो रही है, जो दूसरी सबसे धीमी रफ्तार है। वहीं, अमीषा पटेल ने बिहार में लोजपा प्रत्याशी डॉ. प्रकाश चंद्रा पर जबरदस्ती प्रचार करवाने का आरोप लगाया है। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…
बीएसई का मार्केट कैप 158 लाख करोड़ रुपए रहा। बीएसई पर करीब 60% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही।
2,787 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 951 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,681 कंपनियों के शेयर गिरे।
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
IPL में आज चेन्नई और कोलकाता के बीच दुबई में शाम साढ़े 7 बजे से मैच खेला जाएगा।
महाराष्ट्र में राज्यपाल अपने कोटे से 12 विधानपरिषद सदस्यों के नामांकन को आज मंजूरी दे सकते हैं। राज्य सरकार ने 12 नाम भेज दिए हैं।
छत्तीसगढ़ के मरवाही में उपचुनाव के चलते आज से तीन दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चुनावी सभा।
देश-विदेश
1. बिहार में पहले फेज की 71 सीटों पर 53.54% मतदान
बिहार में पहले फेज में 71 सीटों पर 53.54% वोटिंग हुई। इन 71 सीटों पर 2015 विधानसभा चुनाव में 55.11% वोट पड़े थे। लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर 53.54% वोट डाले गए थे। 2010 के विधानसभा चुनाव में इन पर 50.67% वोटिंग हुई थी यानी इस बार वोटिंग 2015 के मुकाबले करीब 2% कम और 2010 के मुकाबले करीब 3% ज्यादा है।
सोशल डिस्टेंसिंग की हवा निकलीः बिहार में चुनाव आयोग ने कहा था कि पोलिंग बूथ पर सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे, इसके लिए सर्कल बनाएं। जो मास्क लगाकर नहीं आएं, उनके लिए बूथ पर ही मास्क की व्यवस्था करें। ये व्यवस्था कुछ-कुछ जगह तो थी, लेकिन सब जगह नहीं।
2. मामा और रावण
दरभंगा में बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पश्चिमी चंपारण में कहा कि अब रावण के पुतले की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी के पुतले जलाए जा रहे हैं। वहीं, मध्यप्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम बोले कि कंस, शकुनि और मारीच जैसे तीनों मामाओं का कमीनापन निचोड़ दिया जाए, तो इससे मिलकर शिवराज मामा बनता है।
3. गुजरात में शराब से सड़क का भूमिपूजन
शराब मुक्त गुजरात के नर्मदा जिले की डेडियापाडा तहसील में शनिवार को सड़क का भूमि पूजन हुआ था। भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के विधायक महेश वसासा और भाजपा के पूर्व विधायक मोती सिंह वसावा सहित कई नेताओं ने भूमि पूजन शराब से किया। नेताओं ने दलील यह दी कि हमने आदिवासी परंपरा निभाई।
4. कंगना और BMC का विवाद वकील की फीस तक पहुंचा
बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) ने 9 सितंबर को कंगना रनोट के पाली हिल्स स्थित ऑफिस को अवैध बताकर तोड़ दिया था। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत लगाई गई अर्जी में खुलासा हुआ कि कंगना के खिलाफ केस लड़ने के लिए BMC वकीलों को अब तक 82 लाख रु. का पेमेंट कर चुकी है। कंगना बोलीं- एक लड़की को चिढ़ाने के लिए पापा के पप्पू ने जनता के पैसे खर्च किए।
5. US इलेक्शन: अब तक 6.95 करोड़ लोगों ने वोट डाला
अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। इससे 6 दिन पहले के आंकड़ों को देखें तो अब तक 6.95 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी वोटिंग कर चुके हैं। उनमें से करीब आधे कॉम्पीटिटिव स्टेट्स से हैं, जो यह तय करेंगे कि इलेक्टोरल कॉलेज कौन जीतेगा। वहीं, 2016 में प्री वोटिंग का आंकड़ा 5.83 करोड़ था।
ओरिजिनल
पीएम ने पिछली बार जहां सभा की, वहां 23% सीटें जीता एनडीए
बिहार चुनाव में अब तक मोदी की 6 सभाएं हो चुकी हैं। 2015 के चुनाव में मोदी ने 31 रैलियां की थी। इन सभाओं को अगर सीटों के लिहाज से देखा जाए तो मोदी ने 193 सीटों पर वोटर्स को साधने की कोशिश की थी लेकिन, सिर्फ 45 सीटों पर ही उनके प्रत्याशियों को जीत मिली। यानी उनकी रैलियों का स्ट्राइक रेट महज 23% रहा।
सर्च इंजन गूगल के खिलाफ अमेरिका में एंटीट्रस्ट मुकदमा दर्ज होने के बाद एपल ने अपने विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, आईफोन के नए ऑपरेटिंग सिस्टम iOS 14 में एपल ने अपने सर्च रिजल्ट्स दिखाना शुरू किया है। यह पहली बार है, जब एपल के किसी ऑपरेटिंग सिस्टम पर गूगल के सर्च रिजल्ट नहीं दिख रहे।
हृदय रोगों को रोकना चाहते हैं या हार्ट अटैक के बाद मौत का खतरा घटाना चाहते हैं तो मछली, अखरोट, सोयाबीन और बादाम खाएं। इस पर वैज्ञानिकों ने भी मुहर लगाई है।
टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलिया दौरे का शेड्यूल जारी हो गया है। दौरे में तीन वनडे, तीन टी-20 और चार टेस्ट खेले जाएंगे। पहला टेस्ट एडिलेड में डे नाइट होगा। ये 17 से 21 दिसंबर तक खेला जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के दरभंगा में कहा कि पहले की सरकारों को मंत्र था- पैसा हजम, परियोजना खत्म। मोदी ने मुजफ्फरपुर में तेजस्वी को जंगलराज का युवराज बताया।
बिहार में लोजपा उम्मीदवार डॉ. प्रकाश चंद्रा पर एक्ट्रेस अमीषा पटेल ने आरोप लगाया कि शाम को उन्हें मुंबई के लिए फ्लाइट पकड़नी थी, लेकिन डॉ. चंद्रा ने उनसे जबरदस्ती प्रचार करवाया।
बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी पिच पर स्लॉग ओवर्स के धुरंधर उतर गए हैं। NDA की तरफ से पीएम मोदी और महागठबंधन की ओर से राहुल गांधी अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं। अबतक मोदी की 6 सभाएं हो चुकी हैं। वे गया, सासाराम, भागलपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और पटना में रैली कर चुके हैं।
भाजपा और NDA को मोदी की सभाओं से काफी उम्मीदें हैं। उनका ऐसा मानना है कि मोदी की रैलियों के बाद उनके पक्ष में वोटर्स का झुकाव होगा। 2015 के चुनाव में मोदी ने 31 रैलियां की थीं। जिनमें से 26 सभाएं चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद हुई थीं।
इन सभाओं को अगर सीटों के लिहाज से देखा जाए तो मोदी ने 193 सीटों पर वोटर्स को साधने की कोशिश की थी, लेकिन सिर्फ 45 सीटों पर ही उनके प्रत्याशियों को जीत मिली। यानी उनकी रैलियों का स्ट्राइक रेट महज 23% रहा। उस चुनाव में NDA इस बार के NDA से अलग थी।
तब भाजपा के साथ लोजपा, रालोसपा और हम पार्टी थी। इस बार रालोसपा और लोजपा बाहर हैं। हम पार्टी और नीतीश की जदयू साथ हैं, जो पिछले चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा थी। यही नहीं, जिस जगह पर मोदी ने रैली की थी, वहां की 26 मुख्य विधानसभाएं थीं। उनमें से 14 पर NDA को जीत मिली यानी यहां जीत का स्ट्राइक रेट 53% रहा।
2 अक्टूबर को बांका में पीएम की रैली हुई थी। इस जिले में कुल 5 सीटें हैं। सिर्फ एक सीट पर भाजपा को जीत मिली। 8 अक्टूबर को मोदी ने मुंगेर, बेगूसराय, समस्तीपुर और नवादा में रैली की। इसमें से मुंगेर, बेगूसराय और समस्तीपुर में NDA का खाता नहीं खुला। नवादा में सिर्फ एक सीट पर जीत मिली।
इसके बाद 9 अक्टूबर को मोदी ने औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर और जहानाबाद में सभा की। कैमूर और जहानाबाद में एनडीए का एक भी उम्मीदवार जीत नहीं सका। जबकि रोहतास में एक और औरंगाबाद में दो सीटों पर जीत मिली।
25 अक्टूबर को पटना, नालंदा, छपरा और हाजीपुर में मोदी की रैली हुई थी। इसमें पटना में 14 सीटों में से 7 NDA को मिलीं। नालंदा में एक, हाजीपुर में 2 और छपरा में 2 सीटें मिलीं। इसके बाद 26 अक्टूबर को बक्सर और सीवान में मोदी ने सभा को संबोधित किया। बक्सर की चारों सीट NDA हार गई, जबकि सीवान में 8 में से सिर्फ एक पर ही NDA को जीत मिली।
इसके बाद 27 अक्टूबर को पीएम ने बेतिया, सीतामढ़ी और मोतिहारी में सभा की। यहां कुल 31 सीटें हैं। NDA के खाते में 12 सीटें ही गईं। सीतामढ़ी में सभी 10 सीटें NDA हार गई। 30 अक्टूबर को गोपालगंज और मुजफ्फरपुर में पीएम की रैली हुई। गोपालगंज में 6 में से 2 और मुजफ्फरपुर में 11 में सिर्फ 3 सीटों पर मोदी अपने गठबंधन को जीत दिला सके।
1 नवंबर को पीएम ने मधुबनी, मधेपुरा और कटिहार में सभा की। मधेपुरा में खाता नहीं खुला, जबकि कटिहार और मधुबनी में सिर्फ 2-2 सीटें ही मिलीं। पीएम मोदी ने 2 नवंबर को आखिरी रैली की थी। उन्होंने दरभंगा, पूर्णिया और फारबिसगंज में सभा की। कुल 23 सीटों में से सिर्फ 5 सीटें NDA के खाते में गईं।
79 साल की हैं कोकिला पारेख। मुंबई के सांताक्रूज वेस्ट में रहती हैं। सालों से घर आए मेहमानों को अपनी स्पेशल मसाला चाय पिलाती रही हैं। जो चाय पीता था, वही पूछता था कि आखिर इसमें डाला क्या है। लॉकडाउन में बेटा, बहू घर पर ही थे तो प्लान किया कि क्यों न मां के हाथों का टेस्ट पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाए।
इस तरह घर से ही शुरू हो गया चाय मसाला बेचने का बिजनेस। महीनेभर के अंदर ही दिनभर में 700 से 800 ऑर्डर मिलने लगे। पढ़ें कोकिला पारेख की सक्सेस की कहानी...
रिलेटिव, फ्रेंड्स को फ्री में देती थीं
कोकिला बताती हैं कि मैं अहमदाबाद की रहने वाली हूं, शादी के बाद मुंबई में बस गई। गुजराती फैमिली में चाय में मसाला डाला ही जाता है। हमारे घर तो पीढ़ियों से चाय मसाला बनते आ रहा है। मुंबई आने के बाद मैं यहां भी मसाला बनाया करती थी। हम बहुत से रिलेटिव, फैमिली फ्रेंड्स को यूं ही मसाला दिया भी करते थे। कुछ लोग तो खास तौर पर मसाला लेने ही आते थे।
वो कहती हैं- लॉकडाउन में बेटे तुषार का काम घर से ही चल रहा था। एक दिन बातों-बातों में ही ये बात निकली कि क्यों न इस चाय मसाले को कमर्शियल किया जाए। बेटे और बहू प्रीति ने पैकेजिंग, डिजाइनिंग और वेंडर तक मसाला पहुंचाने की जिम्मेदारी ली। मुझे सिर्फ अच्छा मसाला तैयार करवाना था। हमने सोचा कोशिश करने में क्या बुराई है।
वॉट्सऐप ग्रुप पर पोस्ट किया
हमने सितंबर में ये सब प्लान किया और अक्टूबर के पहले वीक में ज्यादा क्वांटिटी में मसाला तैयार किया। बहू और बेटे ने वॉट्सऐप ग्रुप में मसाले के बारे में पोस्ट किया। जो लोग पहले से ले जाते रहे हैं, उन्हें भी बताया कि हमने कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू किया है, आप चाहें तो ऑर्डर कर सकते हैं।
पोस्ट करते ही हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला। सितंबर के आखिर तक हर रोज 250 ऑर्डर तक पहुंच चुके थे। न कहीं प्रमोशन किया, न विज्ञापन दिया। बस वॉट्सऐप ग्रुप और फैमिली फ्रेंड्स तक मैसेज फॉरवर्ड किया था।
वो बताती हैं, "माउथ पब्लिसिटी से ही मुंबई के साथ ही गुड़गांव, दिल्ली, अहमदाबाद से भी ऑर्डर मिलने लगे। जब ऑर्डर बढ़े तो एक हेल्पर रख लिया, लेकिन मसाले की मिक्सिंग का काम अब भी मैं ही करती हूं। प्रोडक्शन का पूरा काम बहु ने अपने हाथों में ले लिया और बेटा ऑर्डर से जुड़े काम देखने लगा। अब दिन के 700 से 800 ऑर्डर मिल रहे हैं। हम कुरियर के जरिए सीधे घर तक मसाला पहुंचा रहे हैं। इस मसाले से टेस्ट तो बढ़ता ही है, साथ ही यह इम्यूनिटी और डाइजेशन को भी इम्प्रूव करता है।"
पैकेजिंग और लोगो पर काम किया
बहू प्रीति बताती हैं- मां को जब हमने बोला कि मसाला कमर्शियल लॉन्च करना है तो वो बहुत खुश हो गईं। वो इस बात से खुश थीं कि उनका मसाला देशभर में जाएगा। कमर्शियल लॉन्चिंग के पहले हमने पैकेजिंग और लोगो पर काफी काम किया। पैकिंग के लिए एयरटाइट पैकेट चुना, ताकि मसाला खराब न हो और महक न जाए।
उन्होंने बताया- शुरुआत में रेग्युलर मिक्सर ग्राइंडर ही इस्तेमाल कर रहे थे, जब प्रोडक्शन बढ़ा तो कमर्शियल मिक्सिंग यूनिट खरीद ली। हमने केटी चाय मसाला के नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर्ड करवा ली है। अभी काम घर से ही चल रहा है, लेकिन जल्द ही एक छोटी कमर्शियल यूनिट शुरू करेंगे, जहां से पूरा काम होगा। डिस्ट्रीब्यूटरशिप के जरिए काम कर रहे हैं। बिना किसी पब्लिसिटी के श्रीनगर से लेकर अंडमान तक के ऑर्डर आ रहे हैं।
ईरान के अखबार में फ्रंट पेज पर हेडिंग थी- डीमन ऑफ पेरिस। ढाका की सड़कों पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को शैतान का पुजारी कहा गया। बगदाद में फ्रांस दूतावास के बाहर फ्रांस के झंडे के साथ मैक्रों का पुतला जलाया गया। वहीं, पाकिस्तान की संसद में मैक्रों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया गया।
इस्लामिक देशों में फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है। संस्कृति, राजनीतिक सिस्टम और आर्थिक विकास के स्तर से ऊपर उठकर इस्लामिक देश मैक्रों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। अफगानिस्तान में हेरत के बाजारों से लेकर पाकिस्तान में इस्लामाबाद यूनिवर्सिटी और अम्मान के अपमार्केट इलाकों में फ्रांस का विरोध हो रहा है। नतीजा यह है कि फ्रांस के प्रोडक्ट्स के बहिष्कार की अपील हो रही है और फ्रेंच नागरिकों को धमकियां भी मिल रही हैं।
फ्रांस और इस्लामिक देशों में तनाव की शुरुआत कैसे हुई?
तनाव तब शुरू हुआ, जब सितंबर में विवादित कार्टून मैग्जीन चार्ली हेब्दो ने पैगंबर मुहम्मद के विवादित कार्टून फिर से छाप दिए। 2015 में इसी कार्टून को छापने को लेकर चार्ली हेब्दो के ऑफिस पर आतंकी हमला हुआ था। 14 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू होने वाली थी। उससे ठीक पहले चार्ली हेब्दो ने फिर वही कार्टून छाप दिए।
चार्ली हेब्दो ने मंगलवार रात को तुर्की के साथ चल रहे तनावों को सुलगाते हुए प्रेसिडेंट एर्डोगन का मजाक उड़ाने वाला कार्टून भी ऑनलाइन पब्लिश किया। एर्डोगन के प्रेस सलाहकार फहरेत्तिन अल्टन ने ट्वीट किया- हम सांस्कृतिक नस्लभेद और नफरत फैलाने वाले पब्लिकेशन के इस घृणित प्रयास की निंदा करते हैं।
इसमें आग में घी काम किया मैक्रों के बयान ने। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वे इस्लामिक अलगाववाद से लड़ना चाहते हैं। इसमें उन्होंने यह भी कहा कि यह धर्म पूरी दुनिया में आज संकट के दौर से गुजर रहा है। उनकी इस टिप्पणी पर कई मुस्लिम नेताओं और कमेंटेटर्स ने आपत्ति जताई है।
स्कूल टीचर पैटी की हत्या का इससे क्या संबंध है?
16 अक्टूबर को 18 साल के चेचेन रिफ्यूजी ने क्लास में पैगंबर के कार्टून दिखाने पर फ्रेंच टीचर सैमुअल पैटी की स्कूल के बाहर हत्या कर दी। उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था। इसके जवाब में हिंसक अतिवादियों और इस्लामिक ग्रुप्स पर छापे मारे गए।
नतीजा यह हुआ कि कई फ्रेंच शहरों में पैगंबर के कैरिकेचर इमारतों की दीवारों पर बनवाए गए। यह एक तरह से सेकुलरिज्म का डिफेंस था और बर्बर हत्या का विरोध। मैक्रों ने पेरिस में यह भी साफ कर दिया कि उनका देश कार्टून बंद नहीं करने वाला।
प्रेसिडेंट मैक्रों ने कहा कि फ्रांस न तो कार्टून बनाना छोड़ेगा और न ही ड्राइंग बनाना। भले ही अन्य लोग पीछे हट जाएं। हम अपनी आजादी की रक्षा करेंगे और हमारे अपने सेकुलरिज्म पर कायम रहेंगे।
सैमुअल पैटी की हत्या के बाद मैक्रों ने जो भी बोला, उसे लेकर इस्लामिक देशों में विरोध शुरू हो गया है। तुर्की और पाकिस्तान में तो फ्रेंच राष्ट्रपति के इस्लामोफोबिया की जमकर आलोचना हो रही है। बांग्लादेश तक पीछे नहीं है।
फ्रांस में मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन क्यों पनप रहे हैं?
जनवरी 2015 में चार्ली हेब्दो के ऑफिस में हमला पैगंबर मुहम्मद के कार्टून पब्लिश करने का बदला था और यह फ्रांस के लिए टर्निंग पॉइंट बना है। नवंबर में पेरिस में सिलसिलेवार बम धमाके हुए और इसने पूरी दुनिया को दहला दिया था।
इन हमलों में आत्मघाती हमले, फुटबॉल स्टेडियम में शूटिंग, कैफे और रेस्त्रां में मास शूटिंग, थिएटर में बंधक बनाने की घटनाएं शामिल हैं। यूरोप में फ्रांस ही एक ऐसा देश है, जहां से सबसे ज्यादा नागरिक 2014-15 में इराक और सीरिया जाकर ISIS में शामिल हुए।
सेकुलरिज्म की फ्रेंच परिभाषा क्या है?
मैक्रों की टिप्पणी इस बात पर ध्यान खींचती है कि फ्रांस में सेकुलरिज्म भारत से बिल्कुल ही अलग है। हमारे यहां तो सेकुलरिज्म यानी सभी धर्मों को बराबर सम्मान और छूट देना है। फ्रांस में ऐसा नहीं है। वहां पब्लिक डिबेट में धार्मिकता प्रतिबंधित है। इसी वजह से फ्रांस का सेकुलरिज्म अक्सर इस्लाम को नाराज करता दिखता है।
फ्रांस में ईशनिंदा को व्यक्तिगत आजादी के रूप में अधिकार माना जाता है। आप जीसस क्राइस्ट का भी अपमान कर सकते हैं और इस्लाम का भी। इसे ही फ्रांस का 'वे ऑफ लाइफ' माना जाता है। इसमें भाषा को जानना और फ्रेंच सेकुलरिज्म का सम्मान करना भी शामिल है।
फ्रांस में सेकुलरिज्म का मुस्लिमों से टकराव क्यों होता है?
पिछले कुछ वर्षों में फ्रांस के सेकुलरिज्म को टकराव का सामना करना पड़ा है, खासकर फ्रांस में बाहर से आए कई धर्मों का पालन करने वाले लोगों की वजह से। इनमें सिख भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा टकराव मुस्लिमों से ही हुआ है।
फ्रांस में रहने वाले ज्यादातर मुस्लिम फ्रांस में ही जन्मे हैं, जो उत्तरी अफ्रीका में फ्रेंच कॉलोनी से आकर बसी प्रवासियों की पहली पीढ़ी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। फ्रांस का संविधान कहता है कि जिन्हें नागरिकता चाहिए, उन्हें समानता पर भरोसा करना होगा। लेकिन, यह सिर्फ कागजी बातें हैं।
इससे पहले भी फ्रांस में इस्लाम निशाने पर रहा है। 2005 में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के हिजाब पहनने पर बैन किया गया, फिर 2010 में बुर्का बैन किया गया, 2011 में चार्ली हेब्दो ने इस्लामिक देशों की तीखी प्रतिक्रियाओं को न्योता दिया।
मैक्रों ने अपने भाषण में साफ तौर पर कहा कि फ्रांस जिस तरह से इस चुनौती से निपट रहा है, उसमें कई कमियां हैं। फ्रांस की सरकारों को ही जिम्मेदारी लेनी होगी कि उन्होंने मुस्लिम समुदायों को काबू में नहीं रखा और रेडिकलाइजेशन की स्थितियों को बनने दिया।
क्या मैक्रों के भाषण फ्रांस की राजनीति से प्रेरित है?
बिल्कुल। मैक्रों ने जो बोला, वह उनकी राजनीतिक मजबूरी भी हो सकता है। फ्रांस का कोई भी पॉलिटिशियन यह नहीं कह सकता कि इस्लामिक चरमपंथी घटनाओं का फ्रांस के जनजीवन पर असर नहीं पड़ा है। चार्ली हेब्दो के हत्यारों का हमले के पांच साल बाद ट्रायल पिछले महीने शुरू हुआ। पैटी की हत्या चार्ली हेब्दो के खिलाफ आतंकी हमले की अगली कड़ी ही तो है।
मैक्रों कहते हैं कि वे लेफ्ट-राइट की राजनीति नहीं करते। 2022 में फिर प्रेसिडेंशियल चुनाव लड़ना चाहते हैं। राइट-विंग मरीन ला पेन से मुकाबला होगा, जिन्हें मैक्रों ने 2017 के चुनावों में हराया था। पेन का मैक्रों पर आरोप है कि उन्होंने इस्लामिक चरमपंथियों को रोकने में सख्ती नहीं बरती।
वैसे, मैक्रों ने विवादित एंटी-सेप्रेटरिज्म बिल की घोषणा भी की है, जिसे दिसंबर में संसद में पेश किया जाएगा। इससे इस्लामिक चरमपंथ पर काबू पाने की कोशिश की जाएगी। इसमें मुस्लिम बच्चों का ड्रॉप-आउट कम करने के लिए स्कूल शिक्षा सुधार, मस्जिदों और मौलवियों के लिए सख्त नियम शामिल है। इसे लेकर फ्रांस के मुस्लिमों में काफी चिंता है।
दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया (राष्ट्रीय इस्लामी विश्वविद्यालय) एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, जो आज 100 साल पूरे कर रही है। 29 अक्टूबर 1920 को अलीगढ़ में छोटी संस्था के तौर पर शुरू होकर एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने तक की इसकी कहानी कई संघर्षों से भरी है। गांधीजी के कहने पर ब्रिटिश शासन के समर्थन से चल रही शैक्षणिक संस्थाओं का बहिष्कार शुरू हुआ था। राष्ट्रवादी शिक्षकों और छात्रों के एक समूह ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छोड़ा और जामिया मिल्लिया इस्लामिया की नींव पड़ी।
स्वतंत्रता सेनानी मौलाना महमूद हसन ने 29 अक्टूबर 1920 को अलीगढ़ में जामिया मिल्लिया इस्लामिया की नींव रखी। यह संस्था शुरू से ही कांग्रेस और गांधीजी के विचारों से प्रेरित थी। 1925 में आर्थिक सेहत बिगड़ी तो गांधीजी की सहायता से संस्था को करोल बाग, दिल्ली लाया गया। तब महात्मा गांधी ने यह भी कहा था- जामिया को चलना होगा। पैसे की चिंता है तो मैं इसके लिए कटोरा लेकर भीख मांगने के लिए भी तैयार हूं। बापू की इस बात ने मनोबल बढ़ाया और संस्था आगे बढ़ती रही।
भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन महज 23 साल की उम्र में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय से ली और लौटकर जामिया के वाइस चांसलर का पद भी संभाला। साल 1963 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजा गया। डॉ. जाकिर हुसैन के पूरे जीवन काल को 'द फिलॉस्फर प्रेसिडेंट स्पीक्स' पुस्तक के जरिए बताया गया है।
भारत के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के दो साल के बाद ही 3 मई 1969 को डॉ. जाकिर हुसैन का निधन हो गया। उन्हें नई दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया (केन्द्रीय विश्वविद्यालय ) के परिसर में दफनाया गया। वह हमेशा एक बात कहते थे, 'मैं मजबूती से इस सच के साथ खड़ा हूं कि तालीम से ही राष्ट्र के उद्देश्य पूरे किए जा सकते हैं।
आजादी के बाद जामिया एक शैक्षणिक संस्था के रूप में लगातार विकास करता रहा। 1962 में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने जामिया को डीम्ड यूनिवर्सिटी घोषित किया। इसके बाद धीरे-धीरे यहां संस्थाएं जुड़ती चली गईं। दिसंबर-1988 में संसद के एक विशेष कानून से जामिया मिल्लिया इस्लामिया भारत की सेंट्रल यूनिवर्सिटी बन गया।
2005 में दिल्ली में 3 ब्लास्ट, 60 की मौत
29 अक्टूबर 2005 को धनतेरस थी और इस दिन दिल्ली तीन बम धमाकों से दहल गई थी। सरोजनी नगर, पहाड़गंज और गोविंदपुरी के व्यस्त बाजारों में हुए इन धमाकों में 60 लोगों की मौत हुई थी और 200 से ज्यादा घायल हुए थे। पहला धमाका शाम के करीब 5:30 बजे भारी भीड़ वाले इलाके पहाड़गंज में हुआ था। ठीक आधे घंटे बाद लगभग 6 बजे एक और व्यस्त बाजार सरोजनी नगर में दूसरा बम धमाका हुआ। ये धमाके बस, कार और बाइक में हुए थे। इन धमाकों के पीछे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ माना गया। कोर्ट ने तारिक अहमद डार, मोहम्मद हुसैन फाजिली और मोहम्मद रफीक शाह पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, आपराधिक साजिश रचने, हत्या, हत्या के प्रयास और हथियार जुटाने के आरोप तय किए थे।
रेड क्रॉस की स्थापना
29 अक्टूबर 1863 को स्विट्जरलैंड के जेनेवा में अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट मूवमेंट की नींव रखी गई। इसका मुख्य उद्देश्य युद्ध में घायल सैनिकों की मदद करना था। इस काम में किसी भी पक्ष के साथ भेदभाव नहीं करना था। वुर्टेमबर्ग (अब जर्मनी) में इसकी पहली शाखा का गठन किया गया। इसका विचार तब आया, जब एक व्यक्ति ने युद्ध में एक ही दिन में 40 हजार सैनिकों की मौत देखी थी।
वर्तमान इटली के सोलफेरिनो में एक ऐसा युद्ध हुआ, जिसमें एक ही दिन में 40 हजार सैनिकों की मौत हो गई। कई हजार सैनिक घायल हो गए थे। किसी भी सेना के पास दवाओं का पर्याप्त भंडार नहीं था, ऐसी स्थिति में ड्यूनांट ने स्वयंसेवी युवकों का एक समूह तैयार किया। स्वयंसेवियों ने घायल सैनिकों को खाना-पानी पहुंचाया और उनके परिवारों तक चिट्ठी पहुंचाई।
इतिहास में आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए याद किया जाता हैः
1709ः इंग्लैंड तथा नीदरलैंड ने फ्रांस विरोधी समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1794ः फ्रांसीसी सेना ने दक्षिण पूर्वी नीदरलैंड के वेनलो पर कब्जा किया।
1851ः बंगाल में ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की स्थापना।
1859ः स्पेन ने अफ्रीकी देश मोरक्को के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
1864ः यूनान ने नया संविधान अपनाया।
1913ः मध्य अमेरिकी देश अल सल्वाडोर में बाढ़ से हजारों लोग मारे गए।
1924ः ब्रिटेन में लेबर पार्टी को संसदीय चुनाव में हार।
1942ः नाजियों ने बेलारूस के पिनस्क में 16 हजार यहूदियों की हत्या की।
1945ः विश्व में पहला बॉल पॉइंट पेन बाजार में आया।
1947ः बेल्जियम, लक्जमबर्ग तथा नीदरलैंड ने बेनेलक्स संघ बनाया।
1958ः अमेरिका ने नेवादा में परमाणु परीक्षण किया।
1994ः न्यूयार्क में अमेरिकी भारतीय राष्ट्रीय संग्रहालय शुरू हुआ।
1999ः ओडिशा के तटीय इलाकों में जबरदस्त चक्रवाती तूफान आया।
2008ः असम में बम विस्फोट में 69 लोग मारे गये तथा 350 लोग घायल हुए।
2012ः अमेरिका के पूर्वी तट पर सैंडी तूफान के कारण 286 लोगों की मौत।
2015ः चीन ने एक बच्चे की नीति को खत्म करने की घोषणा की।
फेस्टिव सीजन और ठंड आने के साथ ही देश के कई हिस्सों में हवा की क्वालिटी बिगड़ने लगी है। घरों के अंदर भी हवा खराब हो रही है। आमतौर पर हम ये जानते हैं कि घर के अंदर की हवा तो फ्रेश होती है, लेकिन ये हर वक्त सच नहीं होता है। घर में हवा खराब होने का रिस्क सबसे ज्यादा रहता है।
WHO के मुताबिक, इंडोर पॉल्यूशन सबसे ज्यादा घरेलू ईंधन जलाने से होता है। इनमें भी सबसे ज्यादा प्रदूषण खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी, पराली और गोबर के कंडे जलाने से होता है। यदि हम ऐसा लंबे समय तक करते हैं तो सांस से जुड़ी बीमारियों और असमय मौत का खतरा बढ़ जाता है।
ऑक्सफोर्ड की संस्था ourworldindata.org के मुताबिक, दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रीमेच्योर डेथ इंडोर पॉल्यूशन की वजह से होती हैं। घर में होने वाले प्रदूषण से हर साल करीब 16 लाख मौतें होती हैं। फिलहाल दुनिया में खाना बनाने के लिए सिर्फ 60% लोगों को क्लीन फ्यूल उपलब्ध है।
आउटडोर पॉल्यूशन बढ़ने से इंडोर पॉल्यूशन अपने आप बढ़ जाता
आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी कहते हैं कि आउटडोर पॉल्यूशन बढ़ने से इंडोर पॉल्यूशन अपने आप बढ़ जाता है। अब तो ठंड भी आ गई है, लोग इस वक्त ठंड से बचने के लिए घरों में आग जलाते हैं। ये सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।
अगर खिड़की और दरवाजे खुले हैं या सही ढंग से बंद नहीं हैं तो दोनों ही स्थितियों में घर में प्रदूषण होने का खतरा रहता है। इसके अलावा घर में लकड़ी की आग पर खाना बनाने से भी पॉल्यूशन होता है। इसलिए घर में एयर वेंटिलेशन बहुत जरूरी होता है।
ऑफिस में एयर पॉल्यूशन की वजह कारपेट, फर्नीचर, पेंट और लोगों का मूवमेंट होता है। अगर ऑफिस में सही वेंटिलेशन और प्यूरीफायर नहीं है तो हमारी हेल्थ को रिस्क ज्यादा है।
आइए जानते हैं कि हम अपने घर की हवा को कैसे साफ-सुथरा रखें-
वैज्ञानिकों का दावा है कि घर के अंदर हवा में भी कोरोनावायरस का ट्रांसमिशन हो सकता है। इसके अलावा खराब वेंटिलेशन सिस्टम भी वायरस के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। इसलिए घर में फ्रेश एयर बहुत जरूरी है।
रिसर्च के मुताबिक, जब कोई संक्रमित व्यक्ति बात करता है, सांस लेता है, गाना गाता है या कुछ खाता है तो वायरस पार्टिकल्स कमरे में घूमते हैं। इसलिए एयर फ्लो की बेसिक बातों को समझना बहुत जरूरी है।
घर के अंदर फ्रेश हवा कैसे रखें, इसके लिए इन खबरों को भी पढ़ें-
3 नवंबर को मप्र उपचुनाव के लिए मतदान है। प्रत्याशी और पार्टियों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। लोग यह जानना चाहते है कि इस समय कहां-कौन मजबूत हैं। भास्कर ने चुनावी क्षेत्रों की जमीनी हकीकत का एनालिसिस किया और पता किया कि इन 28 सीटों पर किस पार्टी का प्रत्याशी मजबूत है और किसे कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल जो समीकरण हैं, उनके मुताबिक, 13 सीटों पर भाजपा मजबूत नजर आ रही है। 10 पर कांग्रेस की बढ़त है और 5 सीटों पर कड़ी टक्कर है।
ग्वालियर-9 सीटें
अशोकनगर: भाजपा के जज्जी फंसते नजर आ रहे, आत्मविश्वास में हैं कांग्रेस की आशा
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए जजपाल सिंह जज्जी इस चुनाव में फंसते हुए नजर आ रहे हैं। वैसे ही निजी कारणों से विरोध झेल रहे हैं। साथ में बीजेपी में भीतरघात के कारण इन्हें दोहरा नुकसान उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस की आशा दोहरे पूरे आत्मविश्वास से मैदान में हैं। दलबदल को लेकर इलाके में बड़ा मुद्दा बन रहा है।
भांडेर: महेंद्र बौद्ध फैक्टर को छोड़ कांग्रेस के फूलसिंह बरैया की मजबूत स्थिति
भाजपा की रक्षा सिरोनिया के मुकाबले कांग्रेस के फूलसिंह बरैया की चुनावी रणनीति ज्यादा कारगर दिखाई दे रही है। दलित वोटों के साथ मुस्लिम वोट भी एकजुट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। रक्षा के पति के व्यवहार को लेकर एक वर्ग में नाराजगी है। पार्टी को डर है कि इसका असर वोटिंग में न दिखने लगे इसलिए पार्टी छोटे स्तर तक मीटिंग कर रही है। हालांकि, कांग्रेस को सिर्फ पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध के चुनाव लड़ने से चिंता है, क्योंकि पूर्व मंत्री होने के साथ वह अच्छा जनाधार भी रखते हैं।
पोहरी: मुख्यमंत्री की चार सभाओं के बाद भाजपा प्रत्याशी ने बनाई बढ़त
भाजपा ने यहां जातिगत समीकरण देखते हुए सुरेश धाकड़ को उतारा है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी इसी समाज के हैं, लिहाजा उन्होंने समाज के प्रत्याशी को जितवाने के लिए चार सभाएं ले ली हैं। इससे पार्टी राहत महसूस कर रही है तो कांग्रेस मुश्किल में दिख रही है। यहां कांग्रेस ने ब्राह्मण कैंडिडेट हरिवल्लभ शुक्ला को टिकट दिया है। इस कारण ठाकुर वोट कांग्रेस के हाथ से छिटक सकता है।
करैरा: दलबदल मुद्दे के बीच तीन बार हारे कांग्रेस के प्रागीलाल जाटव की बढ़त
इस सीट पर मुकाबला कड़ा है। वोटर के मिजाज का ताजा इनपुट मिलने के बाद भाजपा काे नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ सकती है। कांग्रेस यहां सहानुभूति की नाव पर सवार होना चाहती है। दरअसल, बसपा के टिकट पर तीन बार चुनाव हार चुके प्रागीलाल जाटव को उसने इसी मकसद से उतारा है। इन्हें सहानुभूति मिलती भी दिख रही है। भाजपा से जसवंत जाटव प्रत्याशी हैं। अनुसूचित जाति की सीट पर दलबदल भी मुद्दा बनता जा रहा है।
मुंगावली: कांग्रेस बेहतर, सांसद के कारण भाजपा प्रत्याशी मुश्किल में
कांग्रेस से लगातार दो बार चुनाव जीत चुके ब्रजेंद्र सिंह यादव अब भाजपा से भाग्य आजमा रहे हैं। यादव बहुल सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस के कन्हई राम लोधी से है। बूथ मैनेजमेंट भाजपा का ठीक चल रहा है, लेकिन निजी कारणों से ब्रजेंद्र सिंह मुश्किल में फंस गए हैं। कारण हैं सांसद डॉ. केपी यादव। उन्हें दिल से साथ ला पाने में वे अब तक सफल नहीं हो पाए हैं। भाजपा दोनों में तालमेल बैठा दे, तभी समीकरण बदल पाएंगे।
बमोरी: कांग्रेस प्रत्याशी अकेले पड़े, भाजपा प्रत्याशी की स्थिति मजबूत
ताजा समीकरणों से भाजपा प्रत्याशी और मंत्री महेंद्रसिंह सिसौदिया के समर्थक उत्साहित हैं। वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे और यहां सामंजस्य बैठाने में कामयाब होते दिख रहे हैं। उनका मुकाबला निर्दलीय चुनाव हार चुके कांग्रेस के केएल अग्रवाल से है, जो सिंधिया के बुलावे पर ही कांग्रेस में आए थे। अग्रवाल अब कांग्रेस में अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं।
ग्वालियर पूर्व: भाजपा के मुन्ना को कांग्रेस के सिकरवार की कड़ी टक्कर
कांग्रेस से भाजपा में आए मुन्नालाल गोयल के सामने कांग्रेस ने सतीश सिकरवार को उतारा है जिससे मुकाबला कड़ा हो गया है। गोयल सरल स्वभाव, कथित आखिरी चुनाव की सहानुभूति और जातिगत समीकरण के बूते मैदान में है। सिकरवार के लिए ठाकुर वर्ग को छोड़ अन्य वोटर्स को साधना मुश्किल दिख रहा है। हालांकि उन्हें पिछला चुनाव हारने की सहानुभूति मिल सकती है।
ग्वालियर: भाजपा मजबूत, कांग्रेस को मुश्किल से मिला था प्रत्याशी
कांग्रेस शुरू से ही चिंताजनक स्थिति में है, क्योंकि यहां उम्मीदवार ढूंढ़ना तक मुश्किल हो गया था। आखिर में सुनील शर्मा को टिकट दिया गया। भाजपा से मंत्री प्रद्युम्न तोमर उम्मीदवार हैं। कमलनाथ सरकार के दौरान तोमर जिस अंदाज में लोगों के बीच दौरे करते रहे हैं, वह भी लोगों को याद है। सिंधिया जिस तरह से ‘अपना चुनाव’ बताकर ग्वालियर के लोगों से मिल रहे हैं, उसका फायदा प्रद्युम्न को हो सकता है।
डबरा: ‘आइटम’ से कांग्रेस को हो रहा नुकसान, इमरती देवी मजबूत
कमलनाथ के ‘आइटम’ वाले बयान ने यहां की चुनावी तस्वीर ही बदल दी। कांग्रेस से भाजपा में आई मंत्री इमरती देवी ने इसे मुद्दा बना दिया है। जो कांग्रेस गद्दार और दलबदल के मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर उठा रही थी, वह अब बैकफुट पर है। इमरती अपने ही अंदाज में इस मामले को उठाते हुए लोगों के बीच पहुंच रही है। कांग्रेस से उम्मीदवार सुरेश राजे कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं भर सके। स्थानीय नेता महसूस कर रहे हैं कि नाथ के बयान का फायदा भाजपा प्रत्याशी को होगा।
चंबल- 7 सीटें
मुरैना: दलित वोटबैंक और ब्राह्मण उम्मीदवार से बसपा के राजौरिया मजबूत
यहां बसपा के उम्मीदवार रामप्रकाश राजौरिया के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। व्यापारिक पृष्ठभूमि वाले राजौरिया की छवि अच्छी है। इस सीट पर कांग्रेस से भाजपा में आए रघुराज कंसाना के सामने कांग्रेस ने राकेश मावई को उतारा है। ऐसे में गुर्जर वोट बंट सकता है। यह बात कांग्रेस और भाजपा दोनों को परेशान कर रही है, क्योंकि ब्राह्मण उम्मीदवार राजौरिया बसपा से उतरे हैं, जिसे बड़ी संख्या में दलित वोट भी मिलते आए हैं।
दिमनी: जातिगत समीकरण से भाजपा मुश्किल में, कांग्रेस फिलहाल यहां भारी
इस सीट पर जातिगत समीकरण हावी है। इससे भाजपा की मुश्किल बढ़ गई है। भाजपा के प्रत्याशी गिर्राज दंडोतिया के लिए ठाकुर वोट बैंक सबसे बड़ी चुनौती हैं, जो कांग्रेस प्रत्याशी रवींद्र तोमर के लिए एकजुट हो गए हैं। दलित वोट भी कांग्रेस तरफ जाता दिख रहा है तो दंडोतिया को ब्राह्मण वोटर्स को साधना ही मुश्किल हो रहा है। इसे देखते हुए भाजपा नई रणनीति बनाकर माहौल बदलने में जुटी है, क्योंकि 15 महीने के कार्यकाल में दंडोतिया इलाके के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पाए।
सुमावली: गुर्जरों के दम पर भाजपा के एंदल सिंह कंसाना भारी
यहां दोनों ही पार्टियां दलबदल फैक्टर का सामना कर रही हैं और दोनों को भितरघात का डर है। कांग्रेस से भाजपा में आए मंत्री एंदल सिंह कंसाना के सामने कांग्रेस ने भाजपा से आए अजबसिंह कुशवाह को उतारा है। स्थिति दिलचस्प बन गई है, लेकिन यहां गुर्जर वोट बैंक निर्णायक माना जाता है। कंसाना गुर्जर हैं और उन्हें एक बार फिर इसका फायदा मिलता दिख रहा है। ऐसे में कांग्रेस को यहां चिंता सता रही है।
जौरा: कांग्रेस का नया चेहरा भाजपा के सूबेदार को दे रहा कड़ी टक्कर
पूर्व विधायक बनवारीलाल शर्मा के निधन से खाली हुई सीट पर कांटे का मुकाबला है। यहां भाजपा के पूर्व विधायक सूबेदारसिंह के सामने कांग्रेस ने नए चेहरे पंकज उपाध्याय को उतारकर चौंका दिया था। हालांकि, इसी फैसले ने अब कांग्रेस को मुकाबले में बराबरी पर ला खड़ा किया है। सूबेदार को भाजपा संगठन के लेवल पर भी दिक्कत आ रही है, जो उनकी मुश्किलें बढ़ा रही हैं। जातिगत समीकरण को भी पंकज अच्छे से मैनेज करने में सफल होते दिख रहे हैं।
अंबाह: निर्दलीय ने भाजपा प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ाईं, कांग्रेस फायदे में
यहां एक निर्दलीय उम्मीदवार अभिनव छारी ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। सखवार बहुल इस सीट पर बसपा से आए सत्यप्रकाश सखवार को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाकर जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है। सामने बीजेपी के कमलेश जाटव हैं, जिन्हें भितरघात से नहीं, बल्कि बगावत से खतरा है। सपा के उम्मीदवार पूर्व विधायक बंसीलाल जाटव ने भाजपा को समर्थन कर दिया है, लेकिन निर्दलीय छारी के कारण राह आसान नहीं हैं।
मेहगांव: भाजपा की रणनीति ने कांग्रेस को पीछे छोड़ा
यहां से हेमंत कटारे को कांग्रेस ने देरी से टिकट दिया। इस कारण वे प्रचार में पिछड़ गए थे, लेकिन अब हालात बदले हैं। वे मुकाबले में आ गए हैं। यहां ठाकुर और ब्राह्मण वोट निर्णायक माने जाते हैं। भाजपा से ओपीएस भदौरिया भी इसी फैक्टर के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन मुकाबला दिलचस्प हो गया है। ब्राह्मण वोटर ज्यादा हैं, लेकिन भाजपा की संगठन स्तर की रणनीति ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल रखा है।
गोहद: भाजपा मजबूत लेकिन जिसने 84 गांवों को साध लिया जीत उसी की होगी
इस सीट पर जीत किसकी होगी, यह तय करेगा ठाकुर बहुल 84 गांवों का रूख। कांग्रेस के पूर्व मंत्री गोविंद सिंह इसी समीकरण को वोट में बदलने के लिए लगे हैं। अगर वो ऐसा कर पाए तो कांग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जाटव को फायदा हो सकता है। कांग्रेस से भाजपा में आए रणवीर जाटव सहित पार्टी भी 84 गांव के फैक्टर पर काम कर रही है। पार्टी का संगठन भी यहां मजबूत है। ऐसे में फिलहाल यहां भाजपा प्रत्याशी भारी है।
मालवा-5 सीटें
हाटपीपल्या: मुख्यमंत्री की सभा के बाद मनोज चौधरी भारी हो गए
कांग्रेस से भाजपा में आए मनोज चौधरी की स्थिति दलबदल फैक्टर के कारण कुछ दिन पहले तक कमजोर थी, लेकिन अब वह भारी हो गए हैं। चार दिन पहले हुई मुख्यमंत्री की रैली के बाद माहौल बदल गया। संघ भी साथ खड़ा है। पिछले चुनाव में मनोज से हारे तत्कालीन मंत्री दीपक जोशी और उनके समर्थक मन से नहीं जुड़े हैं। यहां सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति, खाती, राजपूत, पाटीदार और सेंधव समाज निर्णायक माने जाते हैं।
पूर्व विधायक राजेंद्रसिंह बघेल के बेटे राजवीर सिंह कांग्रेस से उम्मीदवार हैं। अगले कुछ दिनों में यदि कमलनाथ या अन्य बड़े नेता की सभा होती है तो नए समीकरण बन सकते हैं। मनोज और राजवीर का देहाती जनता से रू-ब-रू होने का तरीका भी इस उपचुनाव में बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
सांवेर: कांटे का मुकाबला, मुख्यमंत्री ने सिलावट के लिए पूरी ताकत लगाई
इस सीट पर पूरे प्रदेश की निगाहें हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए मंत्री रहे तुलसी सिलावट को जिताने और हराने में दिग्गज लगे हुए हैं। फिलहाल यहां कांटे की टक्कर दिख रही है। भाजपा को इस बात का अहसास है, इसीलिए अब तक यहां मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की पांच सभाएं तो सिंधिया की तीन सभाएं हो चुकी हैं। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी है, इसलिए प्रेमचंद गुड्डू के समर्थन में कमलनाथ दो सभाएं कर चुके हैं।
तुलसी सिलावट को हराने के लिए कांग्रेस में मंत्री रहे जीतू पटवारी महीनेभर से इलाके में डेरा डाले हुए हैं। भाजपा के लिए यह अच्छा है कि पिछले चुनाव में प्रत्याशी रहे राजेश सोनकर पूरी तरह सिलावट के समर्थन में आ गए हैं, क्योंकि पार्टी ने समय रहते ही उन्हें जिलाध्यक्ष का पद नवाज दिया था।
बदनावर: कांग्रेस ने प्रत्याशी बदला, बावजूद भाजपा यहां मजबूत
शुरुआती दौर में राजवर्धनसिंह दत्तीगांव एकतरफा नजर आ रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे चुनावी पारा चढ़ता गया, कांग्रेस के कमल पटेल मुकाबले में आ गए। हालांकि, मजबूत यहां भाजपा के दत्तीगांव ही हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए राजवर्धन सिंह सिंधिया के नजदीकी हैं। पिछली बार इनकी जीत का अंतर 41 हजार से ज्यादा था। कांग्रेस को यहां प्रत्याशी ढूंढ़ने में ही जद्दोजहद करनी पड़ी। पहले युवा नेता अभिषेक सिंह को टिकट दे दिया था, लेकिन भारी विरोध और पार्टी को मिले इनपुट के बाद फैसला बदलना पड़ा। वरिष्ठ नेता कमल पटेल को उतारा गया।
सुवासरा: कांग्रेस प्रत्याशी को करना पड़ रहा संघर्ष
यहां भाजपा के हरदीप सिंह डंग मजबूत स्थिति में हैं। डंग की छवि मिलनसार नेता के रूप में है। इनका पूरा जीवन राजनीति में बीता। सरपंच से शुरुआत की थी, जिस कारण जमीनी पकड़ मजबूत है। कांग्रेस के राकेश पाटीदार को यहां भारी संघर्ष करना पड़ रहा है। किसान आंदोलन के दौरान हुई आगजनी के लिए भी पोरवाल समाज इनसे खासा नाराज है।
आगर: ऊंटवाल को सहानुभूति मिलती नहीं दिख रही, कांग्रेस के विपिन मजबूत
भाजपा के मनोज ऊंटवाल को यहां संघर्ष करना पड़ रहा है। विधायक पिता मनोहर ऊंटवाल के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर बेटे को सहानुभूति के वोट मिलेंगे, यह मानकर भाजपा ने टिकट दिया था, लेकिन अब ऐसा लग नहीं रहा है। मनोज की जमीनी सक्रियता कभी रही नहीं है, इस कारण उन्हें कदम-कदम पर मुश्किलें आ रही हैं। कांग्रेस के विपिन वानखेड़े का लगातार संपर्क उनकी राह आसान बना रहा है।
निमाड़- 2 सीटें
नेपानगर: भाजपा प्रत्याशी से नाराजगी, कांग्रेस प्रत्याशी की स्थिति बेहतर
कांग्रेस से दो बार चुनाव हार चुके रामकिशन पटेल की स्थिति मजबूत दिख रही है। विधायक पद से इस्तीफा देने के कारण भाजपा में आई सुमित्रा कास्डेकर से लोग नाराज दिख रहे हैं। यहां दोनों प्रत्याशी कोरकू समाज के हैं और ये ही जीत-हार तय करते हैं। लोगों को यह भी शिकायत है कि समस्याओं को लेकर जब सुमित्रा को फोन लगाया जाता है तो कोई दूसरा व्यक्ति उठाता है।
रामकिशन दो बार हारे हैं। इन्हें सहानुभूति का फायदा भी मिल सकता है। 2018 के चुनाव में सुमित्रा से हारी भाजपा की मंजू दादू भी दिखावे के लिए ही साथ दिख रही हैं। कांग्रेस का अगर बूथ मैनेजमेंट पक्का रहा तो भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
मांधाता: कांग्रेस की स्थिति मजबूत, भाजपा समीकरण बदलने में जुटी
भाजपा प्रत्याशी नारायण पटेल ने 2018 के चुनाव में 1236 वोट से जीत हासिल की थी। इस बार उनके सामने कांग्रेस के राजनारायण के बेटे उत्तम पाल सिंह मैदान में हैं, जो इस समय मजबूत नजर आ रहे हैं। यहां भाजपा को पसीना बहाना पड़ रहा है। शिवराज सिंह चौहान 29 अक्टूबर चौथी सभा करेंगे। सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर भी सभाएं कर चुके हैं।
लंबे समय से टिकट की उम्मीद में बैठे भाजपा के संतोष राठौर, नरेंद्र तोमर भी पार्टी के साथ खड़े नहीं दिख रहे हैं। 15 साल से सत्ता से बाहर रहने के बावजूद राजनारायण सिंह का गांव-गांव में संपर्क रहा है। जिसका फायदा उनके बेटे को इस चुनाव में मिल सकता है।
भोपाल- 2 सीटें
ब्यावरा: कांग्रेस की जमीनी पकड़ कमजोर, भाजपा के नारायण पवार की अच्छी स्थिति
कांग्रेस के गोवर्धन दांगी के निधन से खाली हुई इस सीट पर भाजपा अच्छी स्थिति में है। भाजपा प्रत्याशी नारायण पवार 2018 में एक हजार से भी कम वोटों से हारे थे, लेकिन उनका सामना इस बार कांग्रेस के ऐसे प्रत्याशी रामचंद्र दांगी से है, जो जमीनी पकड़ के मामले पीछे हैं। भाजपा संगठन यहां पूरी मुस्तैदी से लगा हुआ है, इसके मुकाबले कांग्रेस का बूथ मैनेजमेंट कमजोर दिख रहा है।
सांची: भाजपा के प्रभुराम मजबूत, कांग्रेस प्रत्याशी को पहचान का संकट
कांग्रेस से भाजपा में आए प्रभुराम चौधरी कांग्रेस के मदन चौधरी के मुकाबले आगे नजर आ रहे हैं। प्रभुराम के पिछले कुछ काम और उनका व्यक्तिगत संपर्क इसमें अहम भूमिका निभा रहा है। दूसरी तरफ दशकों बाद यह पहला मौका होगा जब शेजवार परिवार सांची के चुनाव में पूरी तरह बाहर है। इससे भाजपा को भीतरघात का खतरा है और कांग्रेस इसे भुनाने की पूरी कोशिश कर रही है। लेकिन, भाजपा हाईकमान के सख्त रवैये के बाद भीतरघातियों के तेवर ढीले पड़ते दिख रहे हैं।
बुंदेलखंड- 2 सीटें
सुरखी: भाजपा की रणनीति से गोविंद सिंह राजपूत मजबूत स्थिति में
यहां कांग्रेस प्रत्याशी पारूल साहू को कांग्रेस से भाजपा में आए गोविंद राजपूत टक्कर दे रहे हैं। कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा ने अंदरूनी रणनीति बनाई है, जिसके चलते समीकरण तेजी से राजपूत के पक्ष में होते दिख रहे हैं। भूपेंद्रसिंह को जिम्मेदारी देते हुए भाजपा ने कह दिया कि यदि यहां पार्टी हारी तो यह आपकी हार मानी जाएगी। 2013 में मात्र 141 वोट से पारुल साहू जीती थीं। उनके कार्यकाल से कम लोग ही संतुष्ट थे।
मलहरा: कांग्रेस मजबूत, लोधी वोट करेगा जीत-हार का फैसला
कांग्रेस की साध्वी रामसिया भारती की स्थिति यहां मजबूत नजर आ रही है। पार्टी बदलने के कारण भाजपा के प्रद्युम्न सिंह लोधी से समाज के ही लोग नाराज दिख रहे हैं। साध्वी छह साल से भागवत कथा कर रही हैं, जिस कारण क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत है। 5 हजार लोगों ने साध्वी से दीक्षा ली है जो उनके पक्के वोटर होंगे।
महाकौशल- 1 सीट
अनूपपुर: भाजपा के बिसाहूलाल की स्थिति मजबूत
भाजपा के मंत्री बिसाहूलाल साहू की स्थिति मजबूत है। कांग्रेस से यहां विश्वनाथ मैदान में हैं। दोनों प्रत्याशी गोंड समाज से हैं। इस सीट पर गोंड और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं।
बिहार में पहले फेज की 71 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। आंकड़े बता रहे हैं कि कोरोना का इस बार की वोटिंग पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। बुधवार को इन सीटों पर 53.54% वोटिंग हुई। इन्हीं 71 सीटों पर 2015 के विधानसभा चुनाव में 55.11% और 2010 में 50.67% वोटिंग हुई थी।
बुधवार शाम 6 बजे तक के वोटिंग डेटा के मुताबिक, सिर्फ 24 सीटों पर ही पिछली बार के मुकाबले वोटिंग बढ़ी है। पिछली बार 71 में से 68 सीटों पर वोटिंग बढ़ी थी। वोटिंग पर्सेंटेज के घटने-बढ़ने का सीधा-सीधा असर भाजपा पर जरूर पड़ता है। इसके अलावा, बिहार में जदयू के साथ होने या न होने का असर भी होता है, लेकिन इस बार ऐसा नुकसान होने की उम्मीद कम ही दिख रही है, क्योंकि वोटिंग भी घटी है और जदयू भी साथ है। वैसे, नीतीश के साथ रहने से भाजपा ही नहीं, बल्कि दूसरी पार्टियों को भी फायदा होता है। ये 2015 में दिख चुका है।
पिछली बार नीतीश साथ नहीं थे, तो भाजपा ने 2010 में जीती 17 सीटें गंवा दी थीं
2010 के चुनाव में नीतीश कुमार की जदयू और भाजपा साथ-साथ थी। उस चुनाव में दोनों ने 206 सीटें जीती थीं। बात सिर्फ उन 71 सीटों की करें, जिन पर आज वोट पड़े हैं, तो उनमें से 39 जदयू ने और 22 भाजपा ने जीती थीं यानी कुल 61 सीटें।
2015 के चुनाव में भाजपा और जदयू अलग-अलग लड़े। भाजपा इन 71 में से सिर्फ 13 सीटें ही जीत सकी। इनमें से 5 सीटें ऐसी थीं, जो 2010 में भी उसने जीती थी। जबकि, 8 सीटें ऐसी थीं, जिस पर उसे फायदा हुआ था।
पिछले चुनाव में इन सभी 71 सीटों पर वोटिंग भी बढ़ी थी। इसका असर ये हुआ कि 2010 में भाजपा ने जो 22 सीटें जीती थीं, उनमें से सिर्फ 5 सीटें ही बचाने में कामयाब रही। बाकी 17 सीटें उसने गंवा दीं।
भाजपा की 17 में से 12 सीटें राजद ने छीनीं, कांग्रेस ने 4
2010 के मुकाबले 2015 में वोटिंग बढ़ने से भाजपा को जिन 17 सीटों का नुकसान हुआ था, उनमें से सबसे ज्यादा 12 सीटें राजद के पास गई थीं। कांग्रेस के पास 4 और जदयू ने एक सीट भाजपा से छीन ली थी।
वहीं, भाजपा ने जो 8 नई सीटें जीती थीं, उनमें से 5 सीटों पर 2010 में राजद जीतकर आई थी। भाजपा ने दो सीटें जदयू से भी छीनी थी। एक सीट उसने लोजपा से छीनी थी। हालांकि, पिछली बार भाजपा और लोजपा साथ मिलकर लड़े थे।
क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर अभिनेता और कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा का एक वीडियो वायरल हो रहा है। मंच पर भाषण देते शत्रुघ्न केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर नजर आ रहे हैं। अपने भाषण में सिन्हा नोटबंदी, ईवीएम, बेरोजगारी, GST जैसे कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेर रहे हैं।
वीडियो बिहार विधानसभा चुनाव का बताया जा रहा है। बिहार चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव कांग्रेस के टिकट पर बांकीपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर कई यूजर वीडियो को बिहार का ही मानकर शेयर कर रहे हैं।
और सच क्या है ?
गूगल पर अलग-अलग की-वर्ड सर्च करने पर सामने आई मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला कि शत्रुघ्न सिन्हा बिहार में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, ये बात सच है। 24 अक्टूबर को वे गया में एक जन सभा में भी शामिल हुए थे। लेकिन, बिहार चुनाव से जुड़ी किसी मीडिया रिपोर्ट में हमें वायरल हो रहा वीडियो नहीं मिला।
वायरल वीडियो का सच जानने के लिए हमने वीडियो को की-फ्रेम में बांट कर गूगल पर रिवर्स सर्च किया। Bihar Hub नाम के यूट्यूब चैनल पर यही वीडियो 17 दिसंबर 2019 को अपलोड किया गया है। मतलब साफ है कि वीडियो का बिहार विधानसभा चुनावों से कोई संबंध नहीं है।
Bihar Hub यूट्यूब चैनल के कैप्शन में इस वीडियो को झारखंड के जामताड़ा का बताया गया है। पड़ताल के दौरान हमें दैनिक भास्कर वेबसाइट की 10 महीने पुरानी एक खबर भी मिली। जिससे पुष्टि होती है कि शत्रुघ्न बिहार के जामताड़ा में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। खबर के साथ फोटो में वही मंच भी दिख रहा है, जो वायरल वीडियो में है।
साफ है कि शत्रुघ्न सिन्हा के 1 साल पुराने झारखंड के चुनावी भाषण को सोशल मीडिया पर बिहार चुनाव का बताकर शेयर किया जा रहा है।