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देश में पहली बार एक दिन में कोरोना के 70 हजार 67 नए मरीज मिले हैं। इसके साथ ही कुल संक्रमितों का आंकड़ा 30.43 लाख हो गया। बीते 24 घंटे में 59 हजार 101 मरीज ठीक हो गए, जबकि 918 लोगों ने इस बीमारी से जान गंवाई। 10 हजार 40 एक्टिव केस बढ़े। 15 दिन में पहली बार एक दिन में सबसे ज्यादा एक्टिव केस बढ़े हैं। इससे पहले 6 अगस्त को एक दिन में 10 हजार 130 एक्टिव केस बढ़े थे। अब कुल 7.06 लाख एक्टिव केस हैं, यानी इतने मरीजों का इलाज चल रहा है।
1. मध्यप्रदेश
राज्य में शनिवार को संक्रमण के एक दिन में सबसे ज्यादा 1226 नए मामले सामने आए। प्रदेश में अब तक 51 हजार 866 लोग संक्रमित हो चुके हैं। पिछले 24 घंटों में 21 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों की संख्या अब 1206 हो गई है। राज्य के 52 में से 19 जिलों में रिकवरी रेट 80% से ज्यादा हो गया है। इनमें 94.4% के साथ मुरैना पहले नंबर पर है। वहीं, भोपाल और उज्जैन में 81-81% मरीज ठीक हो चुके हैं।
2. राजस्थान
राज्य में बीते 24 घंटे में 1310 मामले सामने आए। जिसके बाद कुल संक्रमितों का आंकड़ा 69 हजार 264 पहुंच गया। 11 लोगों की मौत भी हो गई। इनमें जयपुर में 3, अजमेर, भीलवाड़ा, हनुमानगढ़, पाली, सीकर, उदयपुर, कोटा और टोंक में 1-1 की मौत हुई। जिसके बाद कुल मौत का आंकड़ा 944 पहुंच गया। इस बीच, बारां में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर 27 अगस्त तक पूरी तरह लॉकडाउन कर दिया गया है।
3. उत्तरप्रदेश
राज्य में बीते 24 घंटे में संक्रमण के सबसे ज्यादा 5217 मामले आए। इससे पहले 19 अगस्त को 5076 केस आए थे। 24 घंटे में 4638 मरीज ठीक हुए, जबकि 70 लोगों की मौत हो गई। 509 एक्टिव केस बढ़े। लगातार 5 दिन की गिरावट के बाद एक्टिव केस में बढ़ोतरी दर्ज की गई। यहां शनिवार को 1.25 लाख टेस्ट किए गए। यह देश में सबसे ज्यादा है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में बीते 24 घंटे में संक्रमण के 14 हजार 492 नए मामले सामने आए। यह तीसरा दिन था जब राज्य में 14 हजार से ज्यादा केस आए। यहां गुरुवार को 14 हजार 647 और शुक्रवार को 14 हजार 161 केस आए थे। राज्य में संक्रमण में सबसे बदतर हालत पुणे की है। यहां मुंबई से भी ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। जिले में कुल 1.47 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से करीब 50 हजार मरीज बीते 18 दिनों में ही बढ़े हैं।
5. बिहार
राज्य में बीते 24 घंटे में 2238 केस आए, जबकि 3531 मरीज ठीक हो गए। 1306 एक्टिव केस कम हुए। यह लगातार 7वां दिन था, जब एक्टिव केस में कमी दर्ज की गई। राज्य में शनिवार को 1.02 लाख टेस्ट किए गए। उत्तरप्रदेश के बाद यहां सबसे ज्यादा जांच की जा रही हैं। यहां अब तक 23.31 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं।
दुनिया में कोरोनावायरस संक्रमण के अब तक 2 करोड़ 33 लाख 77 हजार 806 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 59 लाख 4 हजार 288 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 8 लाख 8 हजार 588 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मास्क पहनने के लिए नई गाइडलाइन जारी की हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को बड़े लोगों की तरह ही मास्क पहनना चाहिए। पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सामान्य स्थिति में मास्क पहनने की जरूरत नहीं है। 6 साल से 11 साल के बीच बच्चे अगर बुजुर्ग या संक्रमण के खतरे वाले दूसरे लोगों के संपर्क में आ रहे हैं तो उनके लिए भी मास्क पहनना जरूरी है।
मैक्सिको में शनिवार को 6482 मामले सामने आए और 644 मौतें हुईं। इसके साथ ही यहां मौतों का आंकड़ा 60 हजार 254 हो गया है। देश में संक्रमितों का आंकड़ा 5 लाख 56 हजार 216 हो गया है। मौतों के मामले में यह दुनिया में अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे नंबर पर है। मैक्सिको सरकार ने इसी हफ्ते देश में रूस के वायरस के ह्यूमन ट्रायल करने को मंजूरी भी दी है।
इन 10 देशों में कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश
संक्रमित
मौतें
ठीक हुए
अमेरिका
58,41,428
1,80,174
31,48,080
ब्राजील
35,82,698
1,14,277
27,09,638
भारत
30,43,436
56,846
22,79,900
रूस
9,51,897
16,310
7,67,477
साउथ अफ्रीका
6,07,045
12,987
5,04,127
पेरू
5,85,236
27,453
3,91,144
मैक्सिको
5,56,216
60,254
3,80,492
कोलंबिया
5,33,103
16,968
3,59,792
स्पेन
4,07,879
28,838
उपलब्ध नहीं
चिली
3,95,708
10,792
3,69,730
ब्राजील: 24 घंटे में 50 हजार से ज्यादा मामले
ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि बीते 24 घंटे में 50 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही देश में संक्रमितों का आंकड़ा 35 लाख के पार हो गया है। यहां शनिवार को 892 मौतें हुईं। देश में अब मृतकों का आंकड़ा 1 लाख 14 हजार 250 हो गया है। डब्ल्यूएचओ की टीम शनिवार को पांच दिन के दौरे पर ब्राजील पहुंची। इसके एक्सपर्ट सरकारी अधिकारियों के साथ संक्रमण पर काबू पाने के नए उपायों पर विचार करेंगे।
इटली: रोम क्षेत्र में संक्रमण बढ़ा
रोम के इटली क्षेत्र में संक्रमण बढ़ रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, यहां बीते 24 घंटे में 215 नए मामले सामने आए हैं। इनमें ज्यादातर ऐसे लोग शामिल हैं जो सार्डीनिया से अपनी छुटि्टयां बिता कर लौटे हैं। राजधानी रोम को इस साल मार्च से ही लॉकडाउन किया गया था। बीते हफ्ते यहां राहत दी गई है और बाहर के लोगों को आने की मंजूरी दी गई है। देश में अब तक 2 लाख 58 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं और 35 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं।
देश में पहली बार एक दिन में कोरोना के 70 हजार 67 नए मरीज मिले हैं। इसके साथ ही कुल संक्रमितों का आंकड़ा 30.43 लाख हो गया। बीते 24 घंटे में 59 हजार 101 मरीज ठीक हो गए, जबकि 918 लोगों ने इस बीमारी से जान गंवाई। 10 हजार 40 एक्टिव केस बढ़े। 15 दिन में पहली बार एक दिन में सबसे ज्यादा एक्टिव केस बढ़े हैं। इससे पहले 6 अगस्त को एक दिन में 10 हजार 130 एक्टिव केस बढ़े थे। अब कुल 7.06 लाख एक्टिव केस हैं, यानी इतने मरीजों का इलाज चल रहा है।
1. मध्यप्रदेश
राज्य में शनिवार को संक्रमण के एक दिन में सबसे ज्यादा 1226 नए मामले सामने आए। प्रदेश में अब तक 51 हजार 866 लोग संक्रमित हो चुके हैं। पिछले 24 घंटों में 21 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों की संख्या अब 1206 हो गई है। राज्य के 52 में से 19 जिलों में रिकवरी रेट 80% से ज्यादा हो गया है। इनमें 94.4% के साथ मुरैना पहले नंबर पर है। वहीं, भोपाल और उज्जैन में 81-81% मरीज ठीक हो चुके हैं।
2. राजस्थान
राज्य में बीते 24 घंटे में 1310 मामले सामने आए। जिसके बाद कुल संक्रमितों का आंकड़ा 69 हजार 264 पहुंच गया। 11 लोगों की मौत भी हो गई। इनमें जयपुर में 3, अजमेर, भीलवाड़ा, हनुमानगढ़, पाली, सीकर, उदयपुर, कोटा और टोंक में 1-1 की मौत हुई। जिसके बाद कुल मौत का आंकड़ा 944 पहुंच गया। इस बीच, बारां में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर 27 अगस्त तक पूरी तरह लॉकडाउन कर दिया गया है।
3. उत्तरप्रदेश
राज्य में बीते 24 घंटे में संक्रमण के सबसे ज्यादा 5217 मामले आए। इससे पहले 19 अगस्त को 5076 केस आए थे। 24 घंटे में 4638 मरीज ठीक हुए, जबकि 70 लोगों की मौत हो गई। 509 एक्टिव केस बढ़े। लगातार 5 दिन की गिरावट के बाद एक्टिव केस में बढ़ोतरी दर्ज की गई। यहां शनिवार को 1.25 लाख टेस्ट किए गए। यह देश में सबसे ज्यादा है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में बीते 24 घंटे में संक्रमण के 14 हजार 492 नए मामले सामने आए। यह तीसरा दिन था जब राज्य में 14 हजार से ज्यादा केस आए। यहां गुरुवार को 14 हजार 647 और शुक्रवार को 14 हजार 161 केस आए थे। राज्य में संक्रमण में सबसे बदतर हालत पुणे की है। यहां मुंबई से भी ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। जिले में कुल 1.47 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से करीब 50 हजार मरीज बीते 18 दिनों में ही बढ़े हैं।
5. बिहार
राज्य में बीते 24 घंटे में 2238 केस आए, जबकि 3531 मरीज ठीक हो गए। 1306 एक्टिव केस कम हुए। यह लगातार 7वां दिन था, जब एक्टिव केस में कमी दर्ज की गई। राज्य में शनिवार को 1.02 लाख टेस्ट किए गए। उत्तरप्रदेश के बाद यहां सबसे ज्यादा जांच की जा रही हैं। यहां अब तक 23.31 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं।
कल क्या हुआ और आज क्या होने वाला है? यह जानने के लिए रोज की तरह हम हाजिर हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ के साथ। सबसे पहले वह खबरें जिन पर आज नजर रहेगी।
सुशांत केस में सीबीआई आज कुछ और लोगों से पूछताछ कर सकती है। मुंबई में एजेंसी के 16 लोग इस मामले की जांच के लिए मौजूद हैं।
बंगाल की खाड़ी से उठा मानसून का सिस्टम देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय है। मौसम विभाग ने आज के लिए मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए अलर्ट जारी किया है।
आज यूईएफए चैम्पियंस लीग का फाइनल है। रात 12.30 बजे से बायर्न म्यूनिख और पेरिस सेंट जर्मन के बीच खिताबी जंग होगी।
अब जरा, कल की बड़ी खबरों से गुजर लेते हैं
ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए पाकिस्तान की नई चाल
पाकिस्तान ने 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और हाफिज सईद, मसूद अजहर और दाऊद इब्राहिम पर बैन लगा दिया है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की अक्टूबर में होने वाली मीटिंग से पहले यह प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसका मकसद ब्लैक लिस्ट होने से बचना है। पाकिस्तान अभी ग्रे लिस्ट में है। इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि अगली बैठक में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है। पढ़ें पूरी खबर...
बीएसएफ ने पांच घुसपैठिए मार गिराए
पंजाब के तरनतारन में बीएसएफ ने पाकिस्तान बॉर्डर पर 5 घुसपैठियों को मार गिराया। मारे गए पांचों घुसपैठियों के पास से एक एके-47 राइफल और 4 पिस्टल और 9.5 किलो हेरोइन मिली है। इनके ड्रग तस्कर होने का शक है। उधर, जम्मू-कश्मीर के बारामूला में भी सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया है। पढ़ें पूरी खबर...
सीबीआई ने सुशांत के दोस्त और कुक से की पूछताछ
सुशांत सिंह राजपूत केस में सीबीआई की जांच अब तेजी पकड़ रही है। सीबीआई की 16 सदस्यीय टीम मुंबई में है। जांच के दूसरे दिन सुशांत के दोस्त सिद्धार्थ पिठानी और कुक नीरज सिंह से पूछताछ की गईं। सुशांत की ऑटोप्सी (पोस्टमॉर्टम) रिपोर्ट भी सामने आ गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक- सुशांत के गले पर 33 सेमी लंबा 'लिगेचर मार्क था। बोलचाल की भाषा में इसे 'गहरा निशान' कहते हैं। जो बताता है कि गले पर रस्सी या ऐसी ही किसी चीज से भारी दबाव पड़ा। हालांकि, इस रिपोर्ट पर सुशांत के पिता के वकील सवाल खड़ा कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर...
दिल्ली पुलिस ने नाकाम की आतंकी साजिश
दिल्ली पुलिस ने एनकाउंटर के बाद एक आतंकी को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक, इस आतंकी का संबंध आईएसआईएस यानी इस्लामिक स्टेट से है। उसका नाम अबू यूसुफ खान है। वह लोन वुल्फ अटैक यानी अकेले ही दिल्ली के भीड़-भाड़ वाले इलाके में हमला करने की फिराक में था। पढ़ें पूरी खबर...
पाकिस्तान में 80 साल पुराना हनुमान मंदिर तोड़ा गया
कराची में आजादी के पहले बने एक हनुमान मंदिर को तोड़ दिया गया है। इस मंदिर के आसपास बने हिंदू परिवारों के 20 से ज्यादा मकान भी तोड़ दिए गए हैं। खबरों के मुताबिक, एक बिल्डर इस जगह पर कॉलोनी बना रहा है और उसने कराची प्रशासन की मदद से यह जगह खाली कराई है। मंदिर की मूर्तियां भी गायब कर दी गई हैं। पढ़ें पूरी खबर...
नीट यूजी परीक्षा की गाइडलाइन जारी
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने सितंबर में होने वाली नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) यूजी 2020 के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है। इसमें बताया गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए करीब 15 लाख स्टूडेंट्स किस तरह परीक्षा में हिस्सा ले सकेंगे।
संक्रमण से बचाव के लिए परीक्षा की पूरी प्रक्रिया टच फ्री रहेगी। एग्जाम सेंटर में एक साथ होने वाली भीड़ को रोकने के लिए कैंडिडेट्स को रिपोर्टिंग के लिए टाइम स्लॉट भी दिए जाएंगे। थर्मल स्क्रीनिंग में यदि किसी में कोरोनावायरस के लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें अलग से आइसोलेशन रूम में परीक्षा देनी होगी। पढ़ें पूरी खबर...
आज का इतिहास
1456 में 23 अगस्त यानी आज ही के दिन जर्मनी के योहानेस गुटेनबर्ग ने आधुनिक ढंग के दुनिया के पहले छापेखाने में बाइबिल की पहली प्रति छापी। यह गुटेनबर्ग बाइबिल के नाम से ही दुनिया में प्रसिद्ध हुई।
कोरोनावायरस को काबू करने के लिए इस समय 170 से ज्यादा वैक्सीन पर काम हो रहा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, अभी करीब 30 वैक्सीन अलग-अलग ह्यूमन ट्रायल्स के फेज में हैं। वैज्ञानिक मान रहे हैं कि वैक्सीन के इतिहास में सबसे तेजी से बनने वाली वैक्सीन कोरोना की ही होगी। यह बात उम्मीद पैदा करती है। तो आखिर में बाइबिल से एक उद्धरण-
इतिहास में 23 अगस्त बेहद महत्वपूर्ण है। 54 साल पहले इसी दिन पता चला था कि हमारी चांद से हमारी पृथ्वी कैसे दिखती है। हालांकि, यह अंतरिक्ष से धरती की पहली तस्वीर नहीं थी, क्योंकि इससे पहले 1940 के दशक में रॉकेट्स से, 1950 के दशक में सैटेलाइट्स ने पृथ्वी की तस्वीरें खींची थी। लेकिन उसमें कुछ हिस्से ही दिखाई दिए थे।
अमेरिका में पेटेंट को लेकर हल्दी के बारे में भारतीय पारंपरिक ज्ञान को चुनौती मिली थी। भारत ने इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ी और चार साल बाद आज ही के दिन 1997 में इसका पेटेंट रद्द हुआ। 1947 में इसी दिन सरदार वल्लभभाई पटेल उप-प्रधानमंत्री बने।
भारत ने जीता था हल्दी युद्ध
यूएस पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस ने 1994 में मिसीसिपी यूनिवर्सिटी के दो रिसर्चर्स सुमन दास और हरिहर कोहली को हल्दी के एंटीसेप्टिक गुणों के लिए पेटेंट दे दिया था। इस पर भारत में खूब बवाल मचा था। भारत की काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने मुकदमा लड़ा।
दावा किया कि भारत में यह हल्दी के एंटीसेप्टिक गुण भारत के पारंपरिक ज्ञान में आते हैं। इसके गुण तो भारत के आयुर्वेदिक ग्रंथों में लिखे हैं। तब जाकर यूएस पीटीओ ने आज ही के दिन 1997 में दोनों रिसर्चर्स का पेटेंट रद्द किया।
सरदार पटेल उप-प्रधानमंत्री बने
15 अगस्त 1947 को भारत के आजाद होने के बाद जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने। इसके करीब आठ दिन बाद 23 अगस्त 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले उप-प्रधानमंत्री बने। उस समय जूनागढ़ और हैदराबाद भारत में शामिल नहीं हुए थे।
पटेल ने नवंबर 1947 को और 1948 में हैदराबाद को भारत में शामिल कर लिया। इतना ही नहीं, सोमनाथ के मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया और उसे पूरा भी किया।
इसके अलावा इतिहास में आज के दिन को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः-
1839: ब्रिटिश सेनाओं ने चीन को हराकर हांगकांग पर कब्जा किया। 1997 में ब्रिटिशर्स ने हांगकांग को छोड़ दिया। तब से हांगकांग चीन से आजादी के लिए संघर्ष कर रहा है।
1939: जर्मनी और सोवियत संघ ने संधि पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत दोनों देशों ने तय किया कि वे एक-दूसरे पर हमला नहीं करेंगे।
1990: आर्मेनिया सोवियत संघ का हिस्सा था। सोवियत संघ में जनक्रान्ति के संघर्ष के बाद 23 अगस्त को इसे स्वतंत्रता प्रदान की गई। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मान्यता 25 दिसंबर 1990 को मिली।
2003: ब्राजील में अंतरिक्ष यान में प्रक्षेपण से पूर्व ही विस्फोट हो जाने से कम से कम 21 लोग मारे गए।
2007: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे पाकिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री नवाज शरीफ को स्वदेश वापसी की अनुमति दी।
2011: चीनी विज्ञान अकादमी के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के उद्गम स्थल का पता लगाया तथा उनके मार्ग की लंबाई की सैटेलाइट मैपिंग की।
काशी के साकेत नगर में सुधीर सिंह का घर दूर से ही पहचान में आ जाता है। घर के बाहर खड़ी दो स्कार्पिओ कार और बंदूकों के साथ गश्त करते तीन सुरक्षा गार्ड इस घर को बाकियों से अलग कर रहे हैं। सुधीर सिंह वही व्यक्ति हैं जो काशी में सबसे मजबूती से यह दावा कर रहे हैं कि अयोध्या के बाद अब ‘काशी-मथुरा बाकी है’ के नारे को हकीकत में बदलने का समय आ गया है। वे कहते हैं, ‘अगर लॉकडाउन न हुआ होता तो अब तक या तो काशी विश्वनाथ मुक्त हो गया होता या फिर हम राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में बंद होते।’
उनके इस बयान का पहला हिस्सा भले ही काल्पनिक हो, लेकिन दूसरा हिस्सा काफी हद तक सही है। बीते कुछ समय में सुधीर सिंह की कई गतिविधियां ऐसी रही हैं जिनके चलते उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता था। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के कुछ ही समय बाद सुधीर सिंह ने बनारस में ‘काशी विश्वनाथ मुक्ति आंदोलन’ की शुरुआत कर दी।
फरवरी में महाशिवरात्रि के दिन काशी के मशहूर अस्सी घाट पर इसकी औपचारिक घोषणा की गई। सुधीर सिंह दावा करते हैं कि लगभग दस हजार लोग इस मौके पर उनके साथ मौजूद थे जिन्होंने ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष के साथ उस दिन संकल्प लिया कि काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद को अब हटाकर ही मानेंगे।
बीते आठ महीनों में सुधीर सिंह दो बार जेल भी जा चुके हैं। उनकी पहली गिरफ्तारी तब हुई थी जब उन्होंने काशी के संकटमोचन मंदिर से ज्ञानवापी तक ‘दण्डवत यात्रा’ निकालने का ऐलान किया। यह यात्रा कई मुस्लिम बहुल इलाकों से होकर निकलनी थी लिहाजा माहौल बिगड़ने की आशंका को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने यात्रा से एक दिन पहले ही सुधीर सिंह को गिरफ्तार कर बनारस जिला जेल भेज दिया।
तीन दिन जेल में रहने और दस लाख के जमानती पेश करने के बाद सुधीर सिंह को जमानत मिल गई। लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर एक और विवादास्पद आयोजन किया। इस बार वे ‘काशी कोतवाल’ कहलाने वाले बाबा भैरव नाथ के मंदिर पहुंचे और यहां उन्होंने काशी विश्वनाथ की ‘मुक्ति’ के लिए एक ‘मुक्ति पत्रक’ मंदिर में दिया। इस बार मंदिर से ही सुधीर सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया जहां वे चार दिन रहे और दोबारा दस लाख के जमानती पेश करने के बाद रिहा हुए। ये घटना देश भर में लागू हुए लॉकडाउन से ठीक पहले की है।
लॉकडाउन शुरू हुआ तो सुधीर सिंह की गतिविधियों पर भी रोक लग गई। लेकिन इस दौरान वे सोशल मीडिया के माध्यम के इस मुद्दे को लगातार बेहद आक्रामक तरीके से उठाते रहे हैं। वे बताते हैं कि ‘काशी-मथुरा बाकी है’ के नारे पर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) भले ही खुले तौर से अभी कुछ नहीं कह रहे लेकिन सोशल मीडिया पर भाजपा के आईटी सेल से उन्हें पूरा समर्थन मिल रहा है।
सुधीर सिंह ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो काशी विश्वनाथ की कथित मुक्ति के लिए बनारस में इन दिनों मुखर हैं। अखिल भारतीय संत समिति, अखाड़ा परिषद और खुद काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े कुछ पुजारी भी अब इस मुद्दे पर बोलने लगे हैं। विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्रा ने तो हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए लिखा है, ‘समुदाय विशेष को वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित कब्जे वाले उस धर्मस्थल को हृदय पक्ष के स्वच्छ भाव व स्वस्थ मानसिकता से छोड़ देना चाहिए जो एक आक्रांता के द्वारा बर्बरता से बाबा विश्वनाथ के मन्दिर को तोड़कर बनाया गया।’
‘काशी-मथुरा बाक़ी है’ के नारे का आगे बढ़ाता हुआ यह घटनाक्रम काशी में ऊपरी तौर से नजर आता है। लेकिन इस घटनाक्रम का काशी की आम जनता पर क्या और कितना असर है? इस सवाल का जवाब देते हुए यहां ट्रैवल का काम करने वाले युवा राजू पाल कहते हैं, ‘जनता के बीच ऐसे नारों और ऐसी घटनाओं का कोई असर नहीं है। सुधीर सिंह इस मुद्दे के चलते अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं और बाकी लोग भी सुर्खियों में आने के लिए इसे उठा रहे हैं। ये सभी ऐसे लोग हैं जिनकी जनता के बीच कोई पकड़ नहीं है।'
सुधीर सिंह पर इस मुद्दे के चलते अपनी राजनीति साधने के जो आरोप लग रहे हैं, उसके पीछे कई मज़बूत कारण हैं। सुधीर कई साल तक समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं, वे पार्टी के प्रदेश सचिव रह चुके हैं और काशी से मेयर का चुनाव भी लड़ चुके हैं। अब वे इस संभावना को भी स्वीकारते हैं कि भविष्य में वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं और मऊ के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के खिलाफ भाजपा से उन्हें टिकट मिल सकता है। वे बताते हैं कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से उनकी बातचीत भी चल रही है।
यही कारण हैं कि सुधीर सिंह जब ‘काशी विश्वनाथ मुक्ति आंदोलन’ जैसी कोई मुहीम चलाते हैं तो वे सुर्खियों में तो आते हैं लेकिन काशी के आम जनमानस पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता। मुफ्ती-ए-बनारस और ज्ञानवापी मस्जिद के इमाम अब्दुल बातिन नोमानी कहते हैं, ‘इस तरह की मुहिम और काशी-मथुरा बाकी है जैसे नारों की बनारस में कोई अहमियत नहीं है। यहां कुछ घटनाक्रम ऐसे जरूर हुए थे जिनके चलते मुस्लिम समुदाय में ज्ञानवापी को लेकर आशंकाएं पैदा हुई थी लेकिन अभी फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है। बनारस और अयोध्या में बहुत फर्क है, यहां अयोध्या जैसी घटना का दोहराव मुमकिन नहीं है।’
काशी में अयोध्या जैसी घटना की संभावना को नकारते हुए बनारस के वरिष्ठ पत्रकार एके लारी कहते हैं, ‘यहां का सामाजिक ताना-बाना बेहद मज़बूत है। मशहूर बनारसी साड़ी का ही उदाहरण लीजिए। इसे बनाने वाले अधिकतर बुनकर मुसलमान हैं जबकि अधिकतर गद्दीदार हिंदू। सब एक-दूसरे पर निर्भर है। ज्ञानवापी में भी एक तरफ हिंदू आबादी है तो वहीं बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी भी बसती है। लिहाजा यहां वैसा कुछ नहीं हो सकता जैसा अयोध्या में हो गया। कुछ लोग यहां आपसी सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं लेकिन उनकी संख्या भी बहुत कम है और उनका कोई असर भी नहीं है।’
काशी में बन रहे चर्चित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की जब शुरुआत हुई थी, तब जरूर स्थानीय लोगों में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर आशंकाएं पैदा होने लगी थीं। इन आशंकाओं को अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कुछ और बल दिया और ‘काशी-मथुरा बाकी है’ का नारा जोर पकड़ने लगा था। हालांकि आज स्थिति उससे काफी अलग है और काशी के आम जनमानस में इस नारे का कोई सीधा असर नजर नहीं आता। लेकिन इसका ये मतलब भी नहीं है कि ये नारा अब अप्रासंगिक हो गया है या इसे उछालने वालों को पूरी तरह नजरंदाज किया जा सकता है।
ऊपरी तौर से देखने पर काशी में फिलहाल इस नारे की जनता के बीच भले ही कोई पकड़ नहीं दिखती लेकिन सतह के नीचे आज भी वे संगठन बेहद मजबूत और सक्रिय हैं जिन्होंने 80-90 के दशक में ‘अयोध्या तो झांकी है, काशी मथुरा बाकी है’ के नारे को जन्म दिया था। इस सक्रियता को काशी में हुई एक हालिया घटना में आसानी से देखा जा सकता है।
हुआ यूं कि अयोध्या में जब प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया तो उसके बाद एक बात तेजी से फैलने लगी कि वहां मौजूद एक पुजारी ने दक्षिणा स्वरूप प्रधानमंत्री मोदी से काशी और मथुरा की मुक्ति की मांग की है। कई समाचार पत्रों ने इस बारे में खबर भी प्रकाशित की। इसके कुछ ही दिनों बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारी काशी दौरे पर आए।
इनमें भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबोले भी शामिल थे। काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्रा बताते हैं, ‘उनसे मुलाकात के दौरान जब इस बात का जिक्र छिड़ा तो दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि ये सिर्फ एक अफवाह थी। असल में ऐसा कुछ नहीं हुआ था। लेकिन जब सोशल मीडिया पर ये चलने लगी तो हमने भी इसका खंडन नहीं किया, इसे चलने ही दिया।’
श्रीकांत मिश्रा कहते हैं, ‘मैं तो खुलकर कहता हूं कि काशी को उसके असली स्वरूप में वापस आना चाहिए और इसके लिए ज्ञानवापी मस्जिद का हटना जरूरी है। मैंने आरएसएस और भाजपा के कई लोगों से भी इस बारे में बात की लेकिन वो लोग शायद अभी इस मामले को पकाना चाहते हैं। अभी ये मामला सुलझ जाएगा तो उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा जो इस पर राजनीति करना चाहते हैं। लेकिन अगर ये अभी नहीं सुलझा तो इसके परिणाम घातक होंगे। एक दिन लोग इतने आक्रोशित हो जाएंगे कि मुक्का मार-मार ही इस ढांचे को गिरा देंगे।’
लगभग ऐसी ही बात शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी बताते हैं। वे कहते हैं, ‘भाजपा की आज पूर्ण बहुमत की सरकार है। ऐसे में उनके लिए काशी का मुद्दा सुलझाना बेहद आसान है क्योंकि इसका इतिहास तो अयोध्या की तरह भी नहीं है। यहां तो स्पष्ट है कि मंदिर तोड़कर वो मस्जिद बनाई गई है और मौके पर साफ दिखता है कि मस्जिद कैसे मंदिर के ऊपर ही आज भी खड़ी है।
सरकार को सिर्फ इतना ही करना है कि 1991 के ‘पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम’ में बदलाव करे, जो कि उनके लिए बेहद आसान है। लेकिन ये लोग जानबूझकर ऐसा नहीं करते। ये राजनीतिक कारणों से मामले को उलझाए रखना चाहते हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से इसका गवाह हूं कि अयोध्या का मामला बहुत पहले सुलझ सकता था लेकिन विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस और भाजपा ने कभी नहीं चाहा कि ये सुलझ जाए।’
वे आगे कहते हैं, ‘भाजपा अगर आज भी कानून में बदलाव करके काशी का मामला सुलझाने का प्रयास करती है तो हम हमेशा उसके साथ खड़े हैं। लेकिन हमें उम्मीद नहीं है कि वो ऐसा करेंगे। वो इस मामले को भी सालों तक लटकाए रखेंगे ताकि ध्रुवीकरण हो और उनकी राजनीति चलती रहे।’
काशी विश्वनाथ मंदिर के मामले में बीते कई सालों से एक कानूनी लड़ाई भी जारी है जो बनारस की ही अदालत में लड़ी जा रही है। इस मुद्दे पर होने वाली तमाम राजनीति और कयासों से इतर शहर का एक बड़ा तबका ऐसा है जो इस न्यायिक लड़ाई के नतीजे का इंतजार कर रहा है।
अदालत में ये मामला कब से है, किस स्तर तक पहुंचा है, दोनों पक्षों की स्थिति इस कानूनी लड़ाई में कैसी है और इसका भविष्य क्या हो सकता है, इन तमाम मुद्दों की जानकारी ‘काशी मथुरा बाक़ी है’ की अगली कड़ी में।
मुंबई यानी मायानगरी, जहां छोटे शहरों से निकलकर लोग अपने बड़े सपनों को पूरा करने के लिए आते हैं, संघर्ष करते हैं, कोशिश करते हैं। इसमें कुछ गुमनाम हो जाते हैं तो कुछ अपने ख्वाबों को पंख देने में कामयाब हो जाते हैं। ऐसी ही कहानी है जौनपुर के अनूप सिंह की।
घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, मुश्किल से परिवार की जीविका चल रही थी, उनके पिता गांव में ही छोटे-मोटे काम करते थे। इसलिए रोजगार के लिए 2008 में वे मुंबई पहुंचे। पहली नौकरी एक कंपनी में बतौर वाचमैन की लगी। कुछ दिनों तक उन्होंने यहां काम किया, फिर लूज ऑयल के केन की सप्लाई करने लगे।
इसके बाद मुंबई के एक कॉल सेंटर में उन्होंने काम शुरू किया। लेकिन, यहां भी उनका मन ज्यादा दिन नहीं लगा। फिर उन्होंने एक कंपनी में बीमा कराने का काम शुरू किया। यहां करीब 8 महीने तक उन्होंने काम किया, फिर 2015 में वे डायरेक्ट सेल्स एजेंट (डीएसए) का कारोबार करने वाली एक कंपनी से जुड़ गए।
हालांकि, यहां भी वे ज्यादा दिन काम नहीं कर सकें। फिर उन्होंने ट्रांसपोर्ट लाइन में कदम रखा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज अनूप का सालाना टर्न ओवर 15 करोड़ रुपए है।
अनूप बताते हैं कि डीएसए में काम करने के दौरान मेरे पास कमर्शियल व्हीकल जैसे डंपर, ट्रक वाले आते थे। अगर किसी को डंपर के लिए लोन लेना होता था तो हम उसकी पूरी प्रोफाइल यानी इनकम टैक्स रिटर्न, बैंक ट्रांजेक्शन, वर्क ऑर्डर, प्रॉपर्टी जैसी चीजों की जांच करते थे। इसी दौरान मैंने देखा कि कुछ ग्राहकों के टर्न ओवर और बैलेंस शीट में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो रही है, जबकि वे ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं है, वे लोग भी गांव से ही यहां आए हैं।
इसके बाद मेरे मन में भी कुछ इसी तरह का काम करने का ख्याल आया। चूंकि, मैं लोन दिलाने का काम करता था इसलिए इस फिल्ड में काम करने वाले कुछ लोगों से मेरी पहचान थी। मैंने उनसे बात की और लोन पर एक गाड़ी खरीदी और काम करना शुरू किया। जैसे-जैसे काम बढ़ते गया वैसे-वैसे गाड़ियों की संख्या भी बढ़ती गई। आज मेरे पास 10 ट्रक हैं। जो आरडी एंड संस नाम के बैनर तले मुंबई की सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
अनूप कहते हैं कि इस काम के लिए किसी ट्रेनिंग या योग्यता की जरूरत नहीं है। इसके लिए बराबर मेहनत करना और काम को मॉनिटर करना होता है। क्योंकि गाड़ी ड्राइवर चलाता है। हमें बस पार्टी की जरूरत होती है, लोगों से बात करनी होती है, उनका भरोसा जीतना होता है। इस फिल्ड में सब कुछ संपर्क पर ही निर्भर करता है।
वे कहते हैं कि ट्रांसपोर्ट लाइन में काम करने के लिए शुरू में हमें 15-20 लाख रुपए की जरूरत होती है। इसके लिए कई कंपनियां लोन भी देती है। सबसे बड़ी चीज है कि खुद को मार्केट में बनाए रखना होता है ताकि गाड़ियां खड़ी नहीं रहे। हमारा सारा बिजनेस गाड़ियों के चलने से ही चलता है। ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ वे कंक्रीट, आरएमसी और बिल्डिंग मटेरियल की सप्लाई करने वाली कंपनियों के प्रोजेक्ट के लिए भी काम करते हैं।
अनूप बताते हैं कि इस काम में रिटर्न के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होता है। जैसे ही गाड़ी चलती है रिटर्न आना शुरू हो जाता है। जिस पार्टी का सामान हम पहुंचाते हैं उससे कुछ दिन बाद पैसे कलेक्ट कर लेते हैं। वे बताते हैं कि कई पार्टियां समय पर पैसा नहीं देती है। कई बार पेमेंट भी डिफॉल्ट हो जाता है।
कई बार गाड़ी खराब भी हो जाती है तो कभी एक्सीडेंट का भी शिकार हो जाती है। इसलिए इस फिल्ड में रेगुलर इनकम की जरूरत होती है। भले ही आप थोड़े सस्ते में माल की सप्लाई करें।
आज अनूप के साथ कुल 47 लोग काम करते हैं। इनमें से 40 ड्राइवर हैं। ट्रांसपोर्ट लाइन में ड्राइवरों को मैनेज करना सबसे मुश्किल काम होता है। वे बताते हैं कि ड्राइवर कई बार समय पर नहीं मिलते हैं, कई बार झूठ भी बोलते हैं, जिससे काम रुक जाता है। काम रुकने का मतलब है आमदनी भी रुक जाती है।
अनूप करीब डेढ़ साल से यह काम कर रहे हैं। फिलहाल महीने का एक से सवा करोड़ रुपए का टर्नओवर है। 8-10 लाख रुपए महीने का मुनाफा है। लॉकडाउन के दौरान उनके धंधे में ब्रेक तो नहीं लगा लेकिन मुनाफा नहीं हो पाया। वे बताते हैं कि लॉकडाउन में गाड़ियों का मूवमेंट जरूर बंद रहा, लेकिन हमें राज्य सरकार के कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के लिए परमिशन मिली थी। इसलिए थोड़ा बहुत मूवमेंट था। इससे गाड़ियों की ईएमआई और ड्राइवरों की सैलरी का खर्च निकल जाता था।
दुनिया एपल के आईफोन की दीवानी है। दीवानी भी इतनी कि भले ही आईफोन खरीदें या न खरीदें, लेकिन इसके बारे में जानने की इच्छा जरूर होती है। हमारे देश में तो बहुत से लोग ऐसे भी होंगे, जो एपल को सिर्फ आईफोन की वजह से ही जानते हैं। एपल मार्केट कैप के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। हाल ही में इसकी मार्केट कैप 2 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच गई है। भारतीय करंसी के हिसाब से देखें तो 150 लाख करोड़ रुपए होते हैं। अगस्त 2018 में ही कंपनी की मार्केट कैप 1 ट्रिलियन डॉलर (75 लाख करोड़ रुपए) के पार पहुंची थी और महज दो साल में ही कंपनी ने ये मुकाम भी हासिल कर लिया।
ये तो हो गई मार्केट कैप की बात। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एपल की कमाई कहां से होती है? ज्यादातर लोग मानते होंगे कि एपल को सबसे ज्यादा कमाई आईफोन से ही होती होगी। ये बात सही भी है क्योंकि कंपनी के कुल रेवेन्यू का ज्यादातर हिस्सा आईफोन की बिक्री से ही आता है। लेकिन, अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी को जो रेवेन्यू मिला है, उसमें आईफोन का हिस्सा 45% से भी कम है।
एपल को आईफोन से सबसे ज्यादा रेवेन्यू अक्टूबर-दिसंबर में आता है
मार्केट कैप के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एपल के कमाई के कई सोर्स हैं। इसका सबसे बड़ा सोर्स आईफोन है। अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी को 59.68 अरब डॉलर (4.47 लाख करोड़ रुपए) का रेवेन्यू मिला है। जबकि, इसकी कुल कमाई 11.25 अरब डॉलर (84,375 करोड़ रुपए) रही।
रेवेन्यू और कमाई में अंतर ये होता है कि रेवेन्यू जो है वो बताता है कि कंपनी ने इतने रुपयों की सर्विसेस और प्रोडक्ट बेचे। जबकि, सारा खर्चा हटाने के बाद जो बचता है, वो कमाई होती है।
अब दोबारा लौटते हैं एपल के रेवेन्यू पर। अप्रैल-जून तिमाही में एपल ने जो रेवेन्यू कमाया है, उसमें से 26.41 अरब डॉलर (1.98 लाख करोड़ रुपए) का रेवेन्यू अकेले आईफोन की बिक्री से आता है। जबकि, बाकी 33.27 अरब डॉलर (2.49 लाख करोड़ रुपए) का रेवेन्यू मैक, आईपैड, वियरेबल्स और सर्विसेस से आया है। सर्विसेस में एपल पे, एपल टीवी और एपल म्यूजिक शामिल है।
अप्रैल से जून के बीच एपल को जो रेवेन्यू मिला है, उसमें आईफोन का हिस्सा 44.25% है। जबकि, इससे पहले जनवरी से मार्च तिमाही में एपल के रेवेन्यू में आईफोन का हिस्सा 49.66% हिस्सा था।
एपल को सबसे ज्यादा रेवेन्यू अक्टूबर से दिसंबर तिमाही में मिलता है। इसका कारण है कि इसी तिमाही में कंपनी नए आईफोन लॉन्च करती है। पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच कंपनी के रेवेन्यू में आईफोन का हिस्सा 60% से भी ऊपर था।
अब जानते हैं दुनिया की 5 बड़ी कंपनियां कहां से कितना रेवेन्यू लाती हैं?
मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया की जो 5 बड़ी कंपनियां हैं, वो सभी अमेरिका की हैं। इनमें से 5 कंपनियों की मार्केट कैप 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 75 लाख करोड़ रुपए से ऊपर है। ये 5 कंपनियां हैं- एपल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, अल्फाबेट और फेसबुक।