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देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 31 लाख के पार हो गया। अब तक 31 लाख 5 हजार 185 केस सामने आ चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 61 हजार 749 मरीज मिले। वहीं, 56 हजार 896 लोग स्वस्थ भी हो गए।
उधर, देश में कोरोना संक्रमण के मिलने की दर में गिरावट देखी गई है। जुलाई के अंत तक हर 100 टेस्ट में 12 से ज्यादा मरीज मिलने लगे थे, अब करीब 7 मरीज मिल रहे हैं। यानी संक्रमण की दर 6.7% रह गई है। इसका सबसे बड़ा कारण टेस्ट बढ़ना है। अब देश में हर रोज 8 से 10 लाख लोगों की जांच हो रही है।
पांच राज्यों का हाल
1.मध्यप्रदेश:
राज्य में कोरोना टेस्ट की संख्या 11.8 लाख पहुंच चुकी। रविवार को 22.8 हजार लोगों के सैंपल की जांच की गई। सबसे ज्यादा 1.9 लाख टेस्ट इंदौर जिले में किए गए। इसके बाद भोपाल का नंबर है। इस जिले में 1.7 लाख लोगों के टेस्ट किए जा चुके हैं। राज्य में पॉजिटिविटी रेट 4.5% पर पहुंच चुका है। इंदौर में सबसे ज्यादा 11 हजार 161 केस हैं। इसके बाद भोपाल में 9 हजार 284 और फिर ग्वालियर में 4 हजार 117 संक्रमित मिल चुके हैं।
2. राजस्थान:
राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 70 हजार को पार कर गई। रविवार को जयपुर में 3, बाड़मेर, भरतपुर, जालौर, कोटा, नागौर, पाली, प्रतापगढ़ और टोंक में एक-एक मौत हुई। रविवार को लगातार आठवां दिन रहा, जब राज्य में 1300 से ज्यादा नए रोगी सामने आए।
कोरोना दौरे के 174 दिन में यह सबसे बुरा सप्ताह कहा जा सकता है। हालांकि, राहत की बात ये है कि ठीक होने वाले मरीजों की संख्या अब 54,686 तक पहुंच गई है। रविवार को 1237 मरीज डिस्चार्ज हुए। जोधपुर में कुल संक्रमितों का आंकड़ा 10,440 तक और जयपुर में 8767 तक पहुंच गया है। हालांकि, जयपुर में अब तक सर्वाधिक 254 मौतें हुई हैं।
3. बिहार:
राज्य में रविवार को एक लाख से ज्यादा टेस्ट हुए। अब तक कुल 24.3 लाख सैंपल की जांच की जा चुकी है। पॉजिटिविटी रेट 5% है। राज्य में सबसे ज्यादा 18 हजार 886 केस पटना में हैं। यहां अब तक 116 मरीज दम तोड़ चुके हैं। अच्छी बात है कि रिकवरी रेट 83.3% से ज्यादा है। संक्रमितों के मामले में दूसरे नंबर पर मुजफ्फरपुर हैं। यहां 5221 केस सामने आ चुके हैं। वहीं, 4832 मामलों के साथ बेगूसराय तीसरे स्थान पर है। दोनों शहरों में रिकवरी रेट 75% से ज्यादा है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में रविवार को 45.8 हजार सैंपल की जांच की गई। इसके साथ राज्य में अब तक 36 लाख कोरोना टेस्ट की जांच की जा चुकी है। पॉजिटिविटी रेट 18% से ज्यादा है। राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा अगले दो दिन में 7 लाख पार कर जाएगा। उधर, पुणे जिले में सबसे ज्यादा 1 लाख 50 हजार 207 मामले सामने आ चुके हैं। इसके बाद मुंबई (1 लाख 36 हजार 353) और ठाणे ( 1 लाख 22 हजार 626) का नंबर है।
5.उत्तरप्रदेश:
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि राज्य में रविवार को 1 लाख 30 हजार सैंपल की जांच की गई। यह देश में सबसे ज्यादा है। राज्य में अब तक 45.5 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। कोरोना के लिए 62 हजार 744 हेल्प डेस्क हैं। यहां लोगों को टेस्ट से लेकर हर तरह की जानकारी दी रही है।
एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच कर रही सीबीआई आज सुशांत की गर्लफ्रेंड रहीं रिया चक्रवर्ती से पूछताछ कर सकती है। रिया से परिवार के लोगों से भी सवाल-जवाब हो सकते हैं। सीबीआई रिया से इन 10 पॉइंट पर सवाल-जवाब कर सकती है-
1. सुशांत से मुलाकात कैसे हुई और रिश्ता आगे कैसे बढ़ा? क्या आप दोनों शादी करने वाले थे? 2. आठ जून को ऐसा क्या हुआ कि आपको सुशांत का घर छोड़ना पड़ा और उनके नंबर को भी ब्लॉक करना पड़ा? 3. सुशांत के डिप्रेशन में होने की थ्योरी क्या है? आपने सुशांत के साथ रहने के दौरान उनके लिए क्या किया? 4. सुशांत के परिवार के साथ आपके रिश्ते कैसे थे, उन्होंने जो आरोप लगाए हैं, उनके बारे में क्या कहेंगी? 5. सुशांत से आखिरी बातचीत क्या हुई थी, क्या आपको लगता था कि सुशांत सुसाइड जैसा कदम उठा सकते हैं? 6. सुशांत की कंपनियों में आपकी क्या हिस्सेदारी थी और आपका रोल किस तरह का था? क्या कंपनी के सभी फैसले आप ही लेती थीं? 7. सुशांत के घर, उनके अकाउंट और घर पर काम करने वालों पर क्या आपका कंट्रोल था? 8. यूरोप ट्रिप पर क्या हुआ था? सिद्धार्थ और नीरज ने बताया कि वहां से आने के बाद सुशांत परेशान रहने लगे थे। 9. फिल्मों से हुई कमाई और उनके खर्च को लेकर भी सवाल किए जाने के आसार हैं। 10. कॉल डिटेल्स सामने रखकर रिया से कुछ सवाल पूछे जा सकते हैं?
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई अफसर 8 जून से 14 जून तक की पूरी घटना की पड़ताल कर रहे हैं। वे जानने की कोशिश कर रहे हैं कि सुशांत की मानसिक स्थिति कैसी थी, खासकर रिया से आखिरी बार मुलाकात के बाद। सीबीआई यह भी पता लगाना चाहती है कि रिया के जाने के बाद सुशांत ने किस-किस से बात की और 12 जून तक बहन के साथ रहने पर उनका व्यवहार कैसा था?
पिठानी, नीरज और दीपेश के बयानों में फर्क
सीबीआई ने रविवार को लगातार दूसरे दिन सुशांत के फ्लैट पर जाकर 14 जून का सीन री-क्रिएट किया। सीबीआई वहां 3 घंटे रुकी। जांच एजेंसी सुशांत के फ्लैटमेट रहे सिद्धार्थ पिठानी, कुक नीरज सिंह और हेल्पर दीपेश सावंत को भी साथ ले गई थी। इससे पहले तीनों से अलग-अलग और एक साथ बिठाकर सवाल-जवाब किए गए थे। उनके बयानों में अंतर आने की वजह से सीबीआई उन्हें सुशांत के फ्लैट पर ले गई।
सूत्रों के मुताबिक, तीनों ने बेड और पंखे की ऊंचाई को लेकर अलग-अलग बयान दिए।
सुशांत की लाश नीचे कैसे उतारी गई, इस बारे में नीरज का जवाब बाकी दोनों लोगों से अलग था।
नीरज ने यह भी बताया कि 13 जून की रात सुशांत को एक खास सिगरेट नहीं मिली।
दीपेश, जो कि रिया का सबसे करीबी बताया जा रहा है, वह सीबीआई को गुमराह कर रहा है।
सिद्धार्थ और नीरज ने क्राइम सीन सीक्वेंस के बारे में पूछे गए सवालों के अलग-अलग जवाब दिए।
13 और 14 जून की घटनाओं के बारे में सिद्धार्थ और नीरज ने अलग-अलग जानकारियां दीं।
8 जून की रात सुशांत और रिया के बीच क्या हुआ था? इस पर भी सिद्धार्थ का बयान अलग था।
सुशांत के फ्लैट मालिक से आज भी पूछताछ हो सकती है
सीबीआई की टीम ने सुशांत के फ्लैट मालिक संजय लालवानी से रविवार को पूछताछ की थी। उनसे रेंट एग्रीमेंट की कॉपी लेकर कुछ और जानकारी मांगी है। इसलिए आज फिर पूछताछ की जा सकती है। बांद्रा के मोंट ब्लैंक अपार्टमेंट के छठे और सातवें फ्लोर के 4 फ्लैट्स को सुशांत ने 3 साल की लीज पर लिया था। हर महीने का किराया 4.50 लाख रुपए था। हर साल 10% किराया बढ़ाने का एग्रीमेंट था। 9 दिसंबर 2019 को ये डुप्लेक्स फ्लैट लीज पर लिया था जो 2022 तक के लिए था।
पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई अपने हित साधने के लिए कई देशों में अपराधियों का इस्तेमाल कर रही है। फ्रांस और थाईलैंड में आईएसआई से जुड़े कई लोग गिरफ्तार किए गए हैं। ये सभी जाली दस्तावेजों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी जैसे कामों के साथ कट्टरता भी फैला रहे थे। जांच एजेंसियों के लिए फिक्र की बात यह है कि इन गलत कामों के लिए पाकिस्तान की एम्बेसी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
एक गिरफ्तारी से खुल गया राज
थाईलैंड की इंटेलिजेंस यूनिट ने पिछले दिनों पाकिस्तानी नागरिक वकार शाह को गिरफ्तार किया। इस पर कई दिनों तक नजर रखी गई। शाह मनी लॉन्ड्रिंग, जाली पासपोर्ट, ड्रग्स समेत कई गैरकानूनी काम कर रहा था। 2012 में इसने बैंकॉक में अमेरिकी दूतावास के सामने प्रदर्शन भी कराया था। शाह से पूछताछ के बाद इरान के हामिद रेजा जाफ्रे और पांच अन्य पाकिस्तानियों को भी गिरफ्तार किया गया।
जाफ्रे की तलाश चार देशों को
रिपोर्ट के मुताबिक, जाफ्रे ने बताया कि वो शाह के लिए काम करता है। ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की पुलिस को उसकी तलाश है। ये लोग जाली पासपोर्ट्स के जरिए पाकिस्तानियों को ऑस्ट्रेलिया और यूरोप भेजते थे। गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक का नाम गोहर जमान है। जमान ने पूछताछ में हैरान कर देने वाले खुलासे किए।
गलत कामों के लिए एम्बेसी का इस्तेमाल
जांच एजेंसियों के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए सभी लोग पेशेवर अपराधी हैं। आईएसआई इनका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रही थी। इसके लिए इन्हें पैसा दिया जाता है। चिंता की बात यह है कि ये लोग पाकिस्तान की एम्बेसी से सीधे जुड़े थे। शाह ने बैंकॉक में एक रेस्टोरेंट भी खोला था। इसमें एम्बेसी के लोग लगभग रोज आते थे।
फर्जी नाम से थाईलैंड में एंट्री
खास बात ये है कि शाह को 2018 में थाईलैंड ने पांच साल के लिए देश निकाला दिया था। दो साल बाद वो सैयद वकार अहमद जाफरी के नाम से फर्जी पासपोर्ट बनवाकर फिर यहां पहुंच गया। हालांकि, कुछ दिनों बाद जांच एजेंसियों को इसका पता लगा। उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
फ्रांस में भी यही हुआ
फ्रांस की राजधानी पेरिस में भी एक पाकिस्तानी नागरिक को गिरफ्तार किया गया। इसके भी एम्बेसी से सीधे संबंध हैं। मामला इतना गंभीर है कि पुलिस ने गिरफ्तार व्यक्ति की अब तक पहचान उजागर नहीं की है। इसके तार पुर्तगाल और बेल्जियम तक फैले हैं। इस पर फर्जी पासपोर्ट और ड्रग तस्करी के आरोप हैं। पूछताछ में इसने आईएसआई एजेंट होने की बात मानी है।
दुनिया में कोरोनावायरस संक्रमण के अब तक 2 करोड़ 35 लाख 82 हजार 985 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 60 लाख 80 हजार 485 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 8 लाख 12 हजार 487 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को लोगों से अगले हफ्ते से अपने बच्चों को स्कूल भेजने की अपील की।
जॉनसन ने कहा कि बच्चों का स्कूल से ज्यादा दिनों तक दूर रहना वायरस से ज्यादा नुकसानदेह है। यह जरूरी है कि हमारे बच्चे अपने क्लासरूम में लौटें और अपने दोस्तों के साथ पढ़ाई करें। उन्होंने सितंबर के पहले हफ्ते से स्कूल खोलने की तैयारियों में जुटे स्टाफ को भी धन्यवाद दिया।
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) डिपार्टमेंट ने कोरोनावायरस मरीजों के इलाज के लिए ब्लड प्लाज्मा के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। डिपार्टमेंट की ओर से इमरजेंसी में इसके इस्तेमाल की मंजूरी देने वाला आदेश जारी किया गया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि उनके कहने पर ही एफडीए ने यह फैसला किया है। हालांकि, एफडीए ने ट्रम्प के इस दावे को दरकिनार किया है।
इन 10 देशों में कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश
संक्रमित
मौतें
ठीक हुए
अमेरिका
58,74,146
1,80,604
31,67,063
ब्राजील
36,05,783
1,14,772
27,09,638
भारत
31,05,185
57,692
23,36,796
रूस
9,56,749
16,383
7,70,639
साउथ अफ्रीका
6,09,773
13,059
5,06,470
पेरू
5,94,326
27,663
3,99,357
मैक्सिको
5,60,164
60,480
3,83,872
कोलंबिया
5,41,147
17,316
3,74,030
स्पेन
4,07,879
28,838
उपलब्ध नहीं
चिली
3,95,708
10,792
3,69,730
मैक्सिको: एक दिन में करीब 4 हजार मामले
मैक्सिको के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में बीते 24 घंटे में 3948 मामले सामने आए हैं। 226 लोगों की मौत हुई हैं। देश में अब संक्रमितों का आंकड़ा 5 लाख 60 हजार 164 हो गया और अब तक 60 हजार 840 मौतें हुईं हैं। सरकार ने कहा है कि संक्रमितों की संख्या जारी आंकड़ों से ज्यादा हो सकती है।
चीन:आठवें दिन घरेलू संक्रमण का कोई मामला नहीं
चीन में रविवार को लगातार आठवें दिन घरेलू संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया। बीते 24 घंटे में देश में 16 संक्रमित मिले, लेकिन ये सभी दूसरे देशों से पहुंचे लोग थे। देश में अब तक 84 हजार 967 मामले सामने आए हैं और 4634 लोगों की जान गई है। सरकार ने बीजिंग समेत कई जगहों पर पाबंदियों में छूट दी है। बीजिंग के लोगों के लिए अब मास्क लगाना जरूरी नहीं है। यहां एम्यूजमेंट पार्क खोल दिए गए हैं, लोग बड़े पैमाने पर यहां आकर पार्टियां कर रहे हैं।
फ्रांस: मई के बाद सबसे ज्यादा मामले
फ्रांस में बीते 24 घंटे में 4900 मामले सामने आए हैं। यह देश में मई के बाद एक दिन में सामने आए सबसे ज्यादा मामले हैं। देश के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवर वेरन ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी स्थिति में हैं जब खतरा बढ़ सकता है। यह फरवरी की तरह नहीं है जब महामारी देश में फैलनी शुरू हुई थी। यह 40 से 60 साल के बीच के लोगों में चार गुना तेजी से फैल रही है। युवा लोग इस बीमारी को बुजुर्गों तक फैला सकते हैं, इसे देखते हुए हम जरूरी कदम उठा रहे हैं।
सूरत के लिए सावन से ज्यादा तो भादो (भाद्रपद) माह में मेघों की मेहर रही। भादो के सिर्फ 20 दिन में ही 838 मिमी (33 इंच) बारिश हो गई। जबकि सावन के आखिरी दिन तक भी 633 पानी ही बरसा था। इतना ही नहीं भादो के 12 दिन 12 से 23 अगस्त के बीच ही 726 मिमी (28.58 इंच) बारिश हो गई। जो शहर की औसत 1332 मिमी बारिश के मुकाबले 45.50 फीसदी है। पिछले साल के इन 12 दिनों में सिर्फ 15 मिमी बारिश हुई थी। अगले 48 घंटे के लिए भी भारी बारिश का अलर्ट है।
आईटीबीपी ने महिला को किया रेस्क्यू
भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने शनिवार को उत्तराखंड के लास्पा गांव से एक घायल महिला को रेस्क्यू किया। उन्होंने मानसून प्रभावित इलाकों को पार कर 15 घंटों में महिला को सड़क मार्ग तक पहुंचाया, जहां से उसे अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान जवान 40 किमी पैदल चले। 20 अगस्त को महिला पहाड़ी से गिर गई थी। हादसे में उसका पैर फ्रैक्चर हो गया था।
डूंगरपुर में सड़कें जलमग्न
मूसलाधार बरसात के बाद गमेला तालाब ओवरफ्लो हो गया। रविवार सुबह होते-होते पानी गांव तक पहुंच गया। वल्ला बावड़ी क्षेत्र व जवाहर चौक क्षेत्र के पाटीदार बस्ती तक तक फैल गया। बसस्टैंड से गांधी चौक जाने वाले मुख्य मार्ग पर घुटनों से ऊपर तक पानी हो गया। गांव के बड़े बुजुर्ग बताते है कि करीब 35 साल पहले गांव में इतना पानी नजर आया था।
माही बांध में पानी की आवक तेज
तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण माही बांध में पानी की तेज आवक को देखते हुए रविवार शाम 5 बजे 16 गेट आधा-आधा मीटर खोले गए। 281.50 मीटर भराव क्षमता के मुकाबले में बांध रविवार रात 2 बजे तक 280.65 मीटर भर चुका था। एमपी के धार समेत आसपास के इलाकों में अच्छी बारिश होने से बांध में दो दिन में करीब 9 मीटर पानी आया। बांध में अभी 1655 क्यूसेक की दर से पानी की आवक बनी हुई है, जबकि 16 गेट खोलकर 1972 क्यूसेक की दर से पानी छोड़ा जा रहा है।
पुलिस तैनात की गई
बारिश से चंबल नदी दूसरे दिन रविवार को उफान पर रही। बड़ा पुल जो 90 फीट ऊंचा है, उससे चंबल 10 फीट ही नीचे बह रही थी। पुलिस तैनात की गई है।
खतरे के निशान से डेढ़ मीटर ऊपर बह रही नदी
बड़वानी में पांच दिनों से लगातार हो रही बारिश से नर्मदा उफान पर आ गई। जलस्तर बढ़कर खतरे के निशान (123.280 मीटर) से डेढ़ मीटर ऊपर पहुंच गया है। 24 घंटे में ही दो मीटर जलस्तर बढ़ा। शनिवार शाम 4 बजे नर्मदा का जलस्तर 123 मीटर था, जो रविवार को 125 मीटर पर पहुंचा।
एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जा रहा
उकाई बांध से पिछले 5 दिनों से एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जा रहा है। इस कारण तापी नदी लबालब हो गई है। नदी देखने के लिए डक्का ओवारा, मक्काई पुल, होप पुल पर लोगों की भीड़ लगी रही। विसर्जन रोकने के लिए तापी किनारे बैरिकेड लगा दिया गया है। रविवार शाम 6 बजे उकाई का जलस्तर 332.51 फीट रहा। उकाई में पानी की आवक 1 लाख 58 हजार 809 क्यूसेक रही। 1 लाख 15 हजार 450 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। उकाई में अब तक कुल 4664.21 एमसीएम पानी भरा है, जो कुल कैपेसिटी का 72.14 फीसदी है।
327 फीट ऊपर से गिरता झरना
संक्रमण के कारण झारखंड के पर्यटन स्थल बंद हैं। हुंडरू फॉल भी पांच महीने से बंद है। आम दिनों में यहां दर्जनों गाड़ियों से पर्यटक घूमने आते थे। हर संडे को एक दर्जन से अधिक बसों से पर्यटक आते थे। पिछले 15 अगस्त को यहां करीब 30 हजार से अधिक पर्यटक आए थे। 15 अगस्त के बाद 10 से 15 हजार पर्यटक हर दिन आते थे, लेकिन अभी सबका आना-जाना बंद है।
250 टन बैंबू से बना है ये सेंटर
फोटो महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित क्षेत्र चंद्रपुर में बने एशिया के सबसे बड़े बैंबू रिसर्च सेंटर की है। 4 एकड़ जमीन में बन रहे इस सेंटर को बनाने में 100 करोड़ रुपए का खर्च आया है। 250 टन बांस का इस्तेमाल हुआ है। इसमें 1000 आदिवासी महिलाएं और 500 से ज्यादा स्थानीय युवाओं को बैंबू प्रोडक्ट बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनके बनाए 76 तरह के प्रोडक्ट्स की ऑनलाइन बिक्री हो रही है और इंटरनेशनल मार्केट में जा रहे हैं।
गुरुद्वारा डेहरा साहिब में रोज पहुंच रहे करीब 2000 श्रद्धालु
श्री गुरु नानक देव जी और बीबी सुलक्खणि जी के विवाह पर्व को लेकर गुरुद्वारा श्री कंध साहिब और गुरुद्वारा श्री डेहरा साहिब में रौनक बढ़ने लगी है। संगत की बढ़ती आमद को देखते हुए गुरुद्वारा प्रबंधकों की ओर से पूरे प्रबंध किए गए हैं। वहीं अटूट लंगर संगत में वितरित किया जा रहा है। वहीं गुरुद्वारा डेहरा साहिब में करीब 2 हजार श्रद्धालु रोजाना आ रहे हैं।
पत्तों पर चिड़िया की कारीगरी
राजस्थान के बाड़मेर की विष्णु कॉलोनी में एक पीपल के पेड़ पर चिड़िया ने पत्तों के बीच कारीगरी कर घोसला बनाया है। घोंसला इस तरह से बनाया है कि इसमें बारिश के दौरान भी पानी नहीं जा पाए। पत्ते को चोंच से सीलकर उसमें रुई और अन्य सामग्री को भरा गया है। इसमें चिड़िया ने अंडे दिए और अब चूजे भी बाहर निकल आए है। इसी घोंसले के ऊपर भी पत्ते का ही ढक बनाया गया है। ताकि बारिश का पानी घोंसले में प्रवेश न हो।
from Dainik Bhaskar /local/delhi-ncr/news/due-to-the-incessant-rains-flood-like-conditions-in-many-states-rivers-overflowing-dam-gates-were-opened-many-settlements-submerged-in-surat-127646902.html
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कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा? यह सवाल एक साल बाद फिर पार्टी के सामने है, क्योंकि अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की सोमवार को सुबह 11 बजे होने वाली बैठक में नया पार्टी प्रमुख चुनने के लिए कह सकती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोनिया गांधी ने पार्टी के नेताओं से नया अध्यक्ष खोजने को कहा है। वे इस पद पर अलग-अलग समय में अब तक 20 साल तक रह चुकी हैं। हालांकि, कांग्रेस ने सोनिया के इस्तीफे की खबरों का खंडन किया है।
राहुल गांधी पहले ही पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सोनिया ने अगस्त में एक साल के लिए अंतरिम अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। इस साल 10 अगस्त को उनका कार्यकाल पूरा हो गया। इस दिन हुई बैठक में पार्टी की बागडोर संभालने का कहा गया। तब भी गांधी ने कहा था कि उन्हें एक बार फिर से पार्टी का नेतृत्व करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
बैठक में पार्टी के सामने 4 विकल्प 1. सोनिया पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहें। अध्यक्ष के लिए चुनाव प्रक्रिया का समयबद्ध ऐलान हो जाए। 2. चुनाव के जरिए राहुल के पार्टी प्रमुख बनने तक गैर गांधी वरिष्ठ नेता को अध्यक्ष बनाया जाए। इनमें पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे और मुकुल वासनिक का नाम चल रहा है। 3. राहुल को अध्यक्ष बनने के लिए मनाया जाए। वैसे भी सीडब्ल्यूसी ने तकनीकी तौर पर उनका इस्तीफा स्वीकारा नहीं है। राहुल को संगठन में व्यापक फेरबदल करने के अधिकार भी दिए जा सकते हैं। 4. अध्यक्ष के लिए राहुल के नाम का प्रस्ताव आ सकता है। माना जा रहा है पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल अध्यक्ष के लिए राहुल का नाम आगे कर सकते हैं। अगर कार्यसमिति चुनाव का फैसला लेती है तो बात वहीं खत्म हो सकती है।
आखिर बदलाव की मांग क्यों उठ रही? 1. पार्टी का जनाधार कम हो रहा: 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी अध्यक्ष थीं। इस चुनाव में कांग्रेस को अपने इतिहास की सबसे कम 44 सीटें ही मिल सकीं। 2019 के चुनाव के दौरान राहुल गांधी अध्यक्ष थे। पार्टी सिर्फ 52 सीटें ही जीत सकी। 2. कैडर कमजोर हुआ: देश में कांग्रेस का कैडर कमजोर हुआ है। 2010 तक पार्टी के सदस्यों की संख्या जहां चार करोड़ थी, वहीं, अब यह लगभग एक करोड़ से कम रह गई। मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मणिपुर समेत अन्य राज्यों में कांग्रेस में नेताओं की खींचतान का असर पार्टी के कार्यकर्ताओं पर पड़ा है। 3. कांग्रेस की 6 राज्यों में सरकार: कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र में बची। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई।
अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी में अलग-अलग राय राहुल के पक्ष में: सलमान खुर्शीद ने रविवार को कहा, 'आंतरिक चुनावों की बजाय सबकी सहमति देखी जानी चाहिए। राहुल को कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन है।' पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा कि फिलहाल गांधी परिवार को ही पार्टी की बागडोर संभालनी चाहिए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी राहुल गांधी में भरोसा जताया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल को आगे आना चाहिए और पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए। पार्टी में बदलाव के पक्ष में: गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और शशि थरूर समेत 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव पर जोर दिया। इन्होंने कहा- लीडरशिप फुल टाइम (पूर्णकालिक) और प्रभावी हो, जो कि फील्ड में एक्टिव रहे। उसका असर भी दिखे। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव करवाए जाएं। इंस्टीट्यूशनल लीडरशिप मैकेनिज्म तुरंत बने, ताकि पार्टी में फिर से जोश भरने के लिए गाइडेंस मिल सके। हालांकि, इन्होंने यह नहीं लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष गैर-गांधी परिवार से हो।
कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा? यह सवाल एक साल बाद फिर पार्टी के सामने है, क्योंकि अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की सोमवार को सुबह 11 बजे होने वाली बैठक में नया पार्टी प्रमुख चुनने के लिए कह सकती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोनिया गांधी ने पार्टी के नेताओं से नया अध्यक्ष खोजने को कहा है। वे इस पद पर अलग-अलग समय में अब तक 20 साल तक रह चुकी हैं। हालांकि, कांग्रेस ने सोनिया के इस्तीफे की खबरों का खंडन किया है।
राहुल गांधी पहले ही पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सोनिया ने अगस्त में एक साल के लिए अंतरिम अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। इस साल 10 अगस्त को उनका कार्यकाल पूरा हो गया। इस दिन हुई बैठक में पार्टी की बागडोर संभालने का कहा गया। तब भी गांधी ने कहा था कि उन्हें एक बार फिर से पार्टी का नेतृत्व करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
बैठक में पार्टी के सामने 4 विकल्प 1. सोनिया पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहें। अध्यक्ष के लिए चुनाव प्रक्रिया का समयबद्ध ऐलान हो जाए। 2. चुनाव के जरिए राहुल के पार्टी प्रमुख बनने तक गैर गांधी वरिष्ठ नेता को अध्यक्ष बनाया जाए। इनमें पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे और मुकुल वासनिक का नाम चल रहा है। 3. राहुल को अध्यक्ष बनने के लिए मनाया जाए। वैसे भी सीडब्ल्यूसी ने तकनीकी तौर पर उनका इस्तीफा स्वीकारा नहीं है। राहुल को संगठन में व्यापक फेरबदल करने के अधिकार भी दिए जा सकते हैं। 4. अध्यक्ष के लिए राहुल के नाम का प्रस्ताव आ सकता है। माना जा रहा है पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल अध्यक्ष के लिए राहुल का नाम आगे कर सकते हैं। अगर कार्यसमिति चुनाव का फैसला लेती है तो बात वहीं खत्म हो सकती है।
आखिर बदलाव की मांग क्यों उठ रही? 1. पार्टी का जनाधार कम हो रहा: 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी अध्यक्ष थीं। इस चुनाव में कांग्रेस को अपने इतिहास की सबसे कम 44 सीटें ही मिल सकीं। 2019 के चुनाव के दौरान राहुल गांधी अध्यक्ष थे। पार्टी सिर्फ 52 सीटें ही जीत सकी। 2. कैडर कमजोर हुआ: देश में कांग्रेस का कैडर कमजोर हुआ है। 2010 तक पार्टी के सदस्यों की संख्या जहां चार करोड़ थी, वहीं, अब यह लगभग एक करोड़ से कम रह गई। मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मणिपुर समेत अन्य राज्यों में कांग्रेस में नेताओं की खींचतान का असर पार्टी के कार्यकर्ताओं पर पड़ा है। 3. कांग्रेस की 6 राज्यों में सरकार: कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र में बची। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई।
अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी में अलग-अलग राय राहुल के पक्ष में: सलमान खुर्शीद ने रविवार को कहा, 'आंतरिक चुनावों की बजाय सबकी सहमति देखी जानी चाहिए। राहुल को कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन है।' पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा कि फिलहाल गांधी परिवार को ही पार्टी की बागडोर संभालनी चाहिए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी राहुल गांधी में भरोसा जताया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल को आगे आना चाहिए और पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए। पार्टी में बदलाव के पक्ष में: गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और शशि थरूर समेत 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव पर जोर दिया। इन्होंने कहा- लीडरशिप फुल टाइम (पूर्णकालिक) और प्रभावी हो, जो कि फील्ड में एक्टिव रहे। उसका असर भी दिखे। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव करवाए जाएं। इंस्टीट्यूशनल लीडरशिप मैकेनिज्म तुरंत बने, ताकि पार्टी में फिर से जोश भरने के लिए गाइडेंस मिल सके। हालांकि, इन्होंने यह नहीं लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष गैर-गांधी परिवार से हो।
भले ही विवादित हो, लेकिन आज कोलकाता का जन्मदिन है। 24 अगस्त 1690 में ईस्ट इंडिया कंपनी की राजधानी रहे कलकत्ता शहर की कथित तौर पर स्थापना हुई थी। उस समय कोलकाता व्यापारियों, ईस्ट इंडिया कंपनी के एजेंटों और वैश्विक शक्ति का केंद्र हुआ करता था।
1608 में सूरत पहुंची थी ईस्ट इंडिया कंपनी
कुछ ही दिन पहले हमने आजादी की 74वीं वर्षगांठ मनाई है। लेकिन क्या आप जानते हैं अंग्रेजों के प्रति हमारी गुलामी की नींव आज ही के दिन करीब 412 साल पहले पड़ी थी। 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने महारानी से नए बाजार तलाशने की अनुमति ली। इसके करीब आठ साल बाद यानी 1608 में ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाज हेक्टर सूरत के तट पर पहुंचा था। पहले कंपनी ने यहां कब्जा जमाया और फिर 1858 तक अपना साम्राज्य फैलाते चली गई। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश महारानी ने भारत का शासन अपने हाथ में ले लिया था।
2006 में प्लूटो सौरमंडल से बाहर हुआ था
बात 2006 की है। प्लूटो को तब तक सौरमंडल का नौवां ग्रह माना जाता था। प्राग में ढाई हजार एस्ट्रोनॉमर जुटे थे। वोटिंग हुई और सौरमंडल में ग्रहों को शामिल करने के लिए तीन मानक तय किए गए। पहला, ग्रह वह है जो सूर्य की परिक्रमा करता है। दूसरा, ग्रह वह है जिसका आकार इतना बड़ा हो कि अपनी ग्रेविटी के कारण वह गोलाकार हो जाए। तीसरा, जिसका अपना ऑर्बिट हो। प्लूटो तीसरे मानक में असफल रहा और इसे सौरमंडल के ग्रहों की गिनती से बाहर कर दिया गया। यदा-कदा इसे दोबारा सौरमंडल के ग्रहों में शामिल करने की मांग उठती रहती है, लेकिन अब तक उस पर सुनवाई नहीं हुई है।
इतिहास के पन्नों में आज के दिन को इन घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है...
1814: ब्रिटिश सेना ने आज ही के दिन व्हाइट हाउस को आग के हवाले कर दिया था।
1891: थॉमस एडिसन ने काइनेटोग्राफिक कैमरा और काइनेटोस्कोप के लिए पेटेंट हासिल किया। यही तकनीक आगे चलकर चलचित्र यानी सिनेमा के आविष्कार की बुनियाद बनी।
1914: प्रथम विश्व युद्ध: जर्मन सेना ने नैमूर पर कब्जा किया।
1954: गहराते राजनीतिक समीकरणों के बीच ब्राज़ील के राष्ट्रपति गेटुलियो वर्गास ने इस्तीफा देने के बाद आत्महत्या कर ली।
1969: वी.वी. गिरि भारत के चौथे राष्ट्रपति बने।
1974: फखरुद्दीन अली अहमद भारत के पांचवें राष्ट्रपति बने।
1991: सोवियत संघ से अलग होकर यूक्रेन एक स्वतंत्र देश बना।
1993: पॉप स्टार माइकल जैक्सन के खिलाफ लॉस एंजेल्स पुलिस ने यौन शोषण के आरोपों की जांच शुरू की।
1995ः उत्तरी अमेरिका में माइक्रोसॉफ्ट विन्डोज 95 को आम जनता के इस्तेमाल के लिए लॉन्च किया गया।
1999: पाकिस्तान ने कारगिल ऑपरेशन के दौरान भारत द्वारा पकड़े गये 8 युद्ध-बंदियों को युद्धबंदी मानने से इनकार किया।
2000: बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद इरशाद को 5 वर्ष की सजा।
कोरोना और लॉकडाउन के चलते इंडस्ट्री का काम काज ठप है। हालांकि, अब शूटिंग की इजाजत मिल गई है। लेकिन पिछले पांच से छह महीनों में इंडस्ट्री को तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। यह कहना है फिल्म क्रिटिक और ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा का जिन्हें बॉलीवुड का ऑथेंटिक इनसाइडर कहा जाता है।
दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने बताया कि सिर्फ एक साल में बॉक्स ऑफिस से 5500 करोड़ से 6000 करोड़ रुपए का टर्नओवर आता है। वहीं, सैटेलाइट और ओटीटी राइट्स से 8000-9000 करोड़ मिलते हैं। जबकि 300-400 करोड़ की हिस्सेदारी म्यूजिक वर्ल्ड की रहती है। नाहटा ने फिल्म इंडस्ट्री के नुकसान को विस्तार से समझाया। उन्होंने जो कहा, उसी पर एक हिसाब-किताब:-
बॉक्स ऑफिस पर 3000-4000 करोड़ का नुकसान
मार्च से अब तक सिनेमाघर बंद हैं। इसके चलते इंडस्ट्री को सिनेमाघरों की टिकट खिड़की यानी बॉक्स ऑफिस पर 3000 से 4000 करोड़ का नुकसान है। फिल्में डायरेक्ट ओटीटी पर जा रही हैं। ऐसे में सैटेलाइट वाले उन मेकर्स को कम रकम दे रहे हैं, जो अपनी फिल्में ओटीटी पर ला रहे हैं। उनका तर्क है कि फिल्में सिनेमाघरों में तो रिलीज हुईं नहीं। ऐसे में इन्हें लेकर पब्लिक में बज नहीं है।
लिहाजा, अपने प्लेटफॉर्म पर सैटेलाइट वालों को फिल्मों का प्रमोशन खुद करना होगा। ऐसे में सैटेलाइट वालों ने डायरेक्ट ओटीटी पर जाने वाले मेकर्स के अकाउंट से प्रमोशन खर्च की रकम काट ली है। वैसे भी अभी ढेर सारे प्रोड्यूसर्स की फिल्में ओटीटी पर नहीं आई हैं। सब इंतजार कर रहे हैं। इस तरह सैटेलाइट और ओटीटी की गुत्थम- गुत्थी के चलते पौने चार हजार करोड़ का नुकसान है।
ओटीटी पर भी अब तक कुल 15 से 20 फिल्मों की ही डील हुई है। उनमें से 'गुलाबो सिताबो', 'दिल बेचारा', 'शकुंतला देवी', 'रात अकेली है', 'लूटकेस', 'यारा', 'मी रक़सम', आदि रिलीज हो चुकी हैं। आगे 'लक्ष्मी बॉम्ब', 'भुज:प्राइड ऑफ इंडिया', 'सड़क2' और अन्य फिल्में आनी बाकी हैं। नए लॉट की बात करें तो बड़े बजट में ‘कुली नंबर1’ की डील ओटीटी के लिए हुई है।
45 फिल्में अनाउंस हुईं, लेकिन बन नहीं सकीं
दुखद बात यह रही कि कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो सके, जिनसे इंडस्ट्री को बड़ी उम्मीदें थीं। मसलन, ‘किक2’, ‘दोस्ताना2’, ‘तख्त’, सुशांत सिंह राजपूत की रूमी जाफरी के साथ वाली फिल्म और हिरानी की शाहरुख के साथ वाला प्रोजेक्ट।
इतना ही नहीं बड़े बजट की लीग में अप्रैल में 'सूर्यवंशी' रिलीज करने के बाद रोहित शेट्टी अपनी ‘गोलमाल5’ या ‘राम लखन’ शुरू कर चुके होते। मीडियम और छोटे बजट की फिल्मों को भी शामिल किया जाए तो करीबन 45 से 50 फिल्में अनाउंस होकर भी फ्लोर पर नहीं जा सकीं।
आगे के हालात भी धुंधले
धीरे धीरे सब कुछ अनलॉक हो रहा है। अक्षय कुमार, आमिर खान जैसे एक्टर्स ने शूटिंग भी शुरू कर दी है। लेकिन ज्यादातर स्टार्स हालात सामान्य होने के बाद भी दो से चार महीने और रुकेंगे। वह इसलिए भी इनमें से कइयों की स्क्रिप्ट हार्ट-लैंड में सेट है। वहां जल्दी शूटिंग शुरू होना मुश्किल लग रहा है।
तारीखें आगे खिसकती रहेंगी
‘राधे’, सूर्यवंशी, ‘83’, ‘लाल सिंह चड्ढा’, ‘मैदान’, ‘गंगूबाई’ समेत बाकी बड़े बजट वाली फिल्मों की रिलीज डेट आगे खिसकती रहेंगी। ‘राधे’ को लेकर बड़ी संभावना है कि वह अगली ईद पर आए। एक चीज गौर करने वाली है। वह यह कि जो फिल्में डायरेक्ट ओटीटी पर गई हैं, उनके चलते सिनेमाघरों का कुल बीस हफ्ते का बिजनेस खत्म हो चुका है।
वह भी तब जब 15 से 20 फिल्में डायरेक्ट ओटीटी पर गई हैं। यह भयावह है। कई सिनेमाघर तो स्थाई तौर पर बंद हो गए हैं।
दो फिल्मों पर इंटरेस्ट रेट 35-35 करोड़
अकेले ‘सूर्यवंशी’ और ‘83’ की बात करें तो दोनों फिल्मों की लागत 200 करोड़ की है। इन दोनों फिल्मों के मेकर्स को दो फीसदी रेट के हिसाब से मार्च-अप्रैल से अब तक का 35-35 करोड़ रुपए ज्यादा इंटरेस्ट भरना होगा। इन दो फिल्मों की तरह इस साल आने वाली बाकी फिल्मों पर भी इंटरेस्ट रेट का मीटर चालू है। समझा जा सकता है कि रकम कितनी बड़ी है।
सरकार को राहत पैकेज देना होगा
कोरोना और लॉकडाउन के चलते प्रोडक्शन और एग्जीबिशन सेक्टर वालों का घाटा तो हुआ ही है। ज्यादातर प्रोजेक्ट पर काम बंद रहने के चलते एक्टर्स, टेक्नीशियन, गरीब जूनियर आर्टिस्ट और डांसर्स आदि को भी भारी नुकसान हुआ है। इंडस्ट्री के दिहाड़ी मजदूरों के यहां खाने तक के लाले हैं।
अकेले पीवीआर की बात करूं तो सारे पीवीआर चेन को ऑपरेट करने के लिए मंथली 15 करोड़ रुपए का खर्च आता है। ऐसे में पिछले पांच महीनों में कुल 75 करोड़ रुपए का बोझ तो अकेले पीवीआर सिने चेन पर है। इस तरह का खर्च सिंगल स्क्रीन वालों का भी है। ऐसे में सरकार को इस इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज लाना ही होगा। वरना 20 फीसदी सिनेमाघर तो कभी खुल ही नहीं पाएंगे।
रेपुटेशन का लॉस हजारों करोड़ों में
आखिर में मैं यह कहना चाहूंगा कि मॉनीटरी लॉस तो इंडस्ट्री का है ही। सुशांत मामले के बाद इंडस्ट्री की रेपुटेशन का लॉस हजारों करोड़ में है। चंद इनसाइडर, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया के कथित ट्रोलर के चलते इंडस्ट्री की रेपुटेशन पर जो दाग लगा है, उसे मिटाने में बड़ी मुश्किल आने वाली है।
लोगों के मन में इंडस्ट्री की गंदी इमेज बन रही है कि यहां तो अंडरवर्ल्ड का पैसा है। स्टार्स और मेकर्स फिल्में बनाने के लिए काफी जोड़तोड़ करते हैं। इससे इंडस्ट्री के प्रति नेगेटिव माहौल बन रहा है। मैंने इंडस्ट्री की इतनी बुरी सिचुएशन अपने अब तक के करियर में कभी नहीं देखी।रेपुटेशन बनने में दशकों, सैकड़ों साल लगते हैं। पर बिखरने में चंद मिनट भी नहीं। आज महज कुछ इनसाइडर और सोशल मीडिया ट्रोलर्स के चलते इंडस्ट्री बिखरने की कगार पर है।
फ्रांस और जर्मनी बीते दो दशक से फुटबॉल की दुनिया पर राज कर रहे हैं। वर्ल्ड कप से लेकर क्लब फुटबॉल तक इन दो देशों का ही डंका बज रहा है। बीते 20 साल में हुए 6 वर्ल्ड कप में से 3 यानी आधे फ्रांस और जर्मनी ने ही जीते हैं। वहीं, यूईएफए चैम्पियंस लीग के इस सीजन में भी इन्हीं दो देशों की 4 टीमों ने सेमीफाइनल खेला। इसमें जर्मनी के दो क्लब बायर्न म्यूनिख, आरबी लिपजिग और फ्रांस के पीएसजी और लियोन शामिल हैं। फाइनल में बायर्न ने पीएसजी को 1-0 से हराकर छठी बार खिताब जीत लिया है।
वर्ल्ड फुटबॉल में इन दो देशों की तूती बोलती है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2018 में हुआ पिछला फुटबॉल वर्ल्ड कप फ्रांस ने ही जीता। रूस में हुए इस वर्ल्ड कप के फाइनल में फ्रांस ने क्रोएशिया को 4-2 से हराया था। इससे पहले, 1998 में भी ब्राजील को 3-0 से शिकस्त देकर वर्ल्ड कप चैम्पियन बना था। जर्मनी ने 2014 में अर्जेंटीना को 1-0 से हराकर वर्ल्ड कप जीता था। बाकी तीन मौकों पर ब्राजील (2002), इटली (2006) और स्पेन (2010) वर्ल्ड चैम्पियन बने थे।
लिपजिग टीम 11 साल पहले ही बनी
इस बार जर्मन क्लब लिपजिग पहली बार और फ्रेंच क्लब लियोन दूसरी बार चैम्पियंस लीग के सेमीफाइनल में पहुंचा था। लिपजिग टीम 11 साल पहले ही बनी है। वह लीग के इतिहास में अंतिम चार में पहुंचने वाली 75वीं टीम थी। इनके अलावा बायर्न म्यूनिख 12वीं बार, जबकि पीएसजी 1994-95 के बाद लीग के सेमीफाइनल में पहुंचीं थी।
साल 2000 के बाद स्पेन के दो क्लब ने सबसे ज्यादा 10 चैम्पियंस लीग खिताब जीते
क्लब
देश
खिताब जीते
कब
रियाल मैड्रिड
स्पेन
6
2018, 2017, 2016, 2014, 2002, 2000
बार्सिलोना
स्पेन
4
2015, 2011, 2009, 2006
लिवरपूल
इंग्लैंड
2
2019, 2005
बायर्न म्यूनिख
जर्मनी
3
2020, 2013, 2001
एसी मिलान
इटली
2
2007, 2003
इंटर मिलान
इटली
1
2010
चेल्सी
इंग्लैंड
1
2012
मैनचेस्टर यूनाइटेड
इंग्लैंड
1
2008
पोर्तो
पुर्तगाल
1
2004
लियोन और लिपजिग ने चौंकाया
चैम्पियंस लीग के इस सीजन में आरबी लिपजिग और लियोन जैसी अंडरडॉग टीमों ने सबको चौंकाया। खासतौर पर 11 साल पहले बने जर्मन क्लब लिपजिग पहली बार चैम्पियंस लीग के सेमीफाइनल में पहुंचा। उसने क्वार्टर फाइनल में एटलेटिको मैड्रिड जैसे बड़े क्लब को हराया। एटलेटिको 2014 और 2016 में चैम्पियंस लीग की रनर अप रह चुका है।
6 साल में पहली बार इंग्लिश टीम फाइनल नहीं खेल रही
6 साल में यह पहला मौका है, जब चैम्पियंस और यूरोपा लीग के फाइनल में इंग्लैंड का कोई क्लब नहीं पहुंचा। पिछले सीजन में दोनों लीग के खिताबी मुकाबले चार इंग्लिश क्लब के बीच हुए थे। तब चैम्पियंस लीग के फाइनल में लिवरपूल ने टॉटनहैम को 2-0 से हराया था। वहीं यूरोपा लीग में चेल्सी ने आर्सेनल को 4-1 से मात दी थी। यह चारों क्लब इंग्लिश प्रीमियर लीग के हैं।
पहली बार सबसे ज्यादा खिताब जीतने वाले टॉप-3 क्लब फाइनल नहीं खेले
चैम्पियंस लीग के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब सबसे ज्यादा खिताब जीतने वाले टॉप-3 क्लब फाइनल नहीं खेले। इसमें रियाल मैड्रिड (13), एसी मिलान (7) और लिवरपूल (6) शामिल हैं। यह तीनों क्लब इस सीजन में क्वार्टर फाइनल में भी नहीं पहुंचे थे। पांच खिताब जीतने वाला जर्मन क्लब बायर्न म्यूनिख ही सिर्फ इस सीजन में फाइनल खेला।
65 साल बाद इटेलियन फुटबॉल लीग सीरी-ए, प्रीमियर लीग और स्पेनिश फुटबॉल ला लिगा का एक भी क्लब आखिरी चार में नहीं पहुंचा था।
मेसी-रोनाल्डो 15 साल में पहली बार सेमीफाइनल नहीं खेले
चैम्पियंस लीग में 15 साल बाद ऐसा हुआ, जब सेमीफाइनल में लियोनल मेसी या क्रिस्टियानो रोनाल्डो नहीं खेले। मेसी का क्लब बार्सिलोना क्वार्टर फाइनल से ही बाहर हो गया था। उसे बायर्न म्यूनिख ने 8-2 से हराया। लीग के इतिहास में पहली बार किसी टीम ने नॉकआउट स्टेज में 8 गोल किए।
रोनाल्डो की टीम प्री-क्वार्टर फाइनल से बाहर
वहीं, क्रिस्टियानो रोनाल्डो का क्लब युवेंटस प्री-क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाया। 8 अगस्त को लियोन के खिलाफ हुआ लेग-2 का मैच, तो युवेंटस रोनाल्डो के दो गोल की बदौलत जीत गया, लेकिन ज्यादा अवे गोल (विपक्षी के खिलाफ उसके घर) में करने के कारण लियोन क्वार्टर फाइनल में पहुंचा।
फ्रेंच क्लब लियोन 2010 के बाद पहली बार अंतिम-8 में पहुंचा था। रोनाल्डो पिछली बार 2009 में चैम्पियंस लीग के क्वार्टर फाइनल में नहीं पहुंचे थे। तब वे रियाल मैड्रिड की तरफ से अपना पहला सीजन खेल रहे थे।
2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों में अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई थी। पहली पार्टी थी भाजपा, जिसके अध्यक्ष अमित शाह लोकसभा चुनाव जीत चुके थे और गृह मंत्री बन गए थे। तब पार्टी को लगा था कि एक व्यक्ति दो जिम्मेदारियां नहीं संभाल सकता। दूसरी पार्टी थी कांग्रेस। क्योंकि, लोकसभा चुनाव में बुरी हार के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी।
उसके बाद हुआ ये कि जेपी नड्डा के रूप में भाजपा ने तो अपना नया अध्यक्ष चुन लिया। लेकिन, राहुल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस को दोबारा सोनिया गांधी की शरण में जाना पड़ा। पिछले साल अगस्त में जब सोनिया गांधी फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनीं, तो सवाल यही उठा कि क्या कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा किसी और को अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता। कांग्रेस में अक्सर गैर गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग उठती रही है।
एक बार फिर से कांग्रेस में बदलाव की मांग तेज हो गई है। खुद प्रियंका गांधी ने भी एक किताब को दिए इंटरव्यू में कहा है कि अब किसी गैर-गांधी को पार्टी का नेतृत्व संभालना चाहिए।
आजादी के बाद सबसे ज्यादा समय तक गांधी परिवार से ही अध्यक्ष ही रहे
1885 में बनी कांग्रेस पार्टी के अब तक 88 अध्यक्ष रह चुके हैं। इनमें से 18 अध्यक्ष आजादी के बाद बने हैं। आजादी के बाद इन 73 सालों में से 38 साल नेहरू-गांधी परिवार ही पार्टी का अध्यक्ष रहा है। जबकि, 35 साल गैर नेहरू-गांधी परिवार ने कमान संभाली है।
आजादी के बाद 1951 से लेकर 1954 तक जवाहर लाल नेहरू अध्यक्ष रहे। उनके बाद 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष बनीं। फिर 1978 से 1984 तक इंदिरा दोबारा अध्यक्ष रहीं। इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1985 से 1991 तक राजीव गांधी अध्यक्ष बने। राजीव गांधी की मौत के 7 साल बाद 1998 में सोनिया गांधी अध्यक्ष बनीं, जो 2017 तक इस पर रहीं। उसके बाद राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद अगस्त 2019 से सोनिया गांधी दोबारा अध्यक्ष हैं। राहुल गांधी दिसंबर 2017 से अगस्त 2019 तक अध्यक्ष रहे थे।
अब बात उनकी, जो गांधी परिवार से नहीं थे
कांग्रेस पार्टी में आखिरी अध्यक्ष सीताराम केसरी थे, जो गांधी परिवार से नहीं आते थे। सीताराम केसरी 1996 से 1998 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे। उनके बाद से 22 साल हो गए, तब से कांग्रेस की कमान गांधी परिवार के हाथ में ही है।
आजादी के बाद से अब तक गैर गांधी परिवार से आने वाले 13 अध्यक्ष बने हैं। इन 13 अध्यक्षों ने 35 साल कांग्रेस की कमान संभाली है। आजादी के बाद कांग्रेस के पहले अध्यक्ष जेबी कृपलानी थे, जो गांधी परिवार से इतर थे।
आम चुनावों में प्रदर्शन : गांधी परिवार v/s गैर गांधी परिवार
आजादी के बाद पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव हुए थे और शुरुआती 25 सालों तक कांग्रेस के सामने कोई मजबूत विकल्प ही नहीं था। हालांकि, 1975 में आपातकाल लगाने के बाद 1977 के चुनावों में कांग्रेस को पहली बार हार देखनी पड़ी। इस चुनाव में कांग्रेस 153 सीट पर सिमट गई। इस हार के बाद इंदिरा गांधी दोबारा अध्यक्ष बनीं और 1980 के चुनाव में 351 सीटें जीतकर दोबारा कांग्रेस की सरकार बनाई।
आजादी से लेकर अब तक देश में 17 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें से 10 चुनावों के वक्त कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से रहा है, जबकि 7 बार गैर गांधी परिवार से। गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष रहते कांग्रेस ने तीन चुनाव हारे हैं, जबकि गांधी परिवार से अध्यक्ष रहते पार्टी चार चुनाव हार चुकी है। इस हिसाब से देखा जाए तो आम चुनावों में गैर गांधी परिवार का सक्सेस रेट 57% रहा है।
जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक, 5 बार आम चुनावों में कांग्रेस का अध्यक्ष गैर गांधी परिवार से रहा और 1977 के चुनावों को छोड़कर सभी चुनावों में कांग्रेस सत्ता में आई। जबकि, राजीव गांधी से लेकर सोनिया गांधी के बीच सिर्फ दो चुनाव के वक्त ही गैर गांधी परिवार से अध्यक्ष रहा और दोनों ही बार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
गांधी परिवार से सिर्फ राजीव-सोनिया और राहुल ही, जिनके अध्यक्ष रहते पार्टी को हार मिली
इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1985 में राजीव गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने और प्रधानमंत्री भी। उसके बाद 1989 में चुनाव हुए और पार्टी चुनाव हार गई। कारण ये था कि राजीव गांधी के 5 साल के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। बोफोर्स मामला तभी उजागर हुआ।
गांधी परिवार से राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही ऐसे हैं, जिनके अध्यक्ष रहते पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। राजीव गांधी 1985 में अध्यक्ष बने और पार्टी 1989 का चुनाव हार गई। 1998 में सोनिया गांधी अध्यक्ष बनीं और अगले ही साल 1999 का चुनाव कांग्रेस हार गई। इसके बाद 2014 के चुनाव में भी सोनिया गांधी ही अध्यक्ष थीं। इस चुनाव में कांग्रेस को अपने इतिहास की सबसे कम 44 सीटें ही मिलीं।
सोनिया के बाद दिसंबर 2017 में राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने। अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पहला चुनाव 2019 में लड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 52 सीटें ही जीत सकीं। आलम तो ये भी रहा कि राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी से भी हार गए।
अब तक 20 से ज्यादा बार टूट चुकी है कांग्रेस
कांग्रेस की स्थापना आजादी से 62 साल पहले 28 दिसंबर 1885 में स्कॉटलैंड के रिटायर्ड अधिकार एओ ह्यूम ने की थी। कांग्रेस की स्थापना के बाद पार्टी में सबसे बड़ा बंटवारा 1907 में हुआ। उस समय पार्टी गरम दल और नरम दल में बंट गई थी।
आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस 20 से ज्यादा बार टूट चुकी है। कांग्रेस से टूटकर बनीं पार्टियों का बाद में या तो कांग्रेस में ही मर्जर हो गया या फिर कांग्रेस के साथ गठबंधन हो गया। आजादी के बाद पहली बार 1951 में कांग्रेस टूटी। उस समय जेबी कृपलानी ने कांग्रेस से अलग होकर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बना ली। इसी साल एनजी रंगा ने भी हैदराबाद स्टेट प्रजा पार्टी बनाई थी। उसी साल सौराष्ट्र खेदुत संघ नाम से नई पार्टी कांग्रेस से अलग होकर बनी।
इंदिरा गांधी के समय कांग्रेस दो बार टूटी। पहली बार 1969 में, जब कांग्रेस ने इंदिरा गांधी को बर्खास्त कर दिया था। तब इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (रिक्वीजिशन) बनाई। उसके बाद 1977 में कांग्रेस में फिर बंटवारा हो गया। इस बार इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (आई) नाम से अलग पार्टी बनाई और इसका इलेक्शन सिम्बल पंजे का निशान रखा। इसमें आई का मतलब इंदिरा से था।
आजादी से लेकर अब तक कांग्रेस में जितनी बार भी बंटवारा हुआ है, उनमें से ज्यादातर समय अध्यक्ष गांधी परिवार से ही रहा है। कांग्रेस में आखिरी बड़ा बंटवारा 2016 में हुआ। तब छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होकर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी बनाई।