गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

अमेरिका में एक दिन में अस्पतालों में भर्ती होने वाली संख्या 1.19 लाख बढ़ी, ब्रिटेन पर 40 देशों का ट्रैवल बैन

दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 7.90 करोड़ के ज्यादा हो गया। 5 करोड़ 56 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 17 लाख 36 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में भले ही वैक्सीनेशन शुरू हो गया हो, लेकिन यहां के अस्पतालों में भर्ती होने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। बुधवार को यहां 1 लाख 19 हजार 463 संक्रमितों को भर्ती कराया गया। ब्रिटेन में कोरोना के नए स्ट्रैन के चलते अब तक करीब 40 देशों ने ट्रैवल बैन लगा दिया है।

अमेरिका में परेशानी बढ़ी
अमेरिका में बुधवार को अस्पताल में भर्ती होने वाले संक्रमितों की संख्या फिर तेजी से बढ़ी। एक ही दिन 1 लाख 19 हजार से ज्यादा मरीज एडमिट किए गए। CNN ने यह जानकारी कोविड ट्रैकिंग प्रोजेक्ट (CTP) के अफसरों के हवाले से दी है। यह लगातार 22वां दिन था जब अमेरिकी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या एक लाख से ज्यादा हुई।
इसके पहले मंगलवार को 1 लाख 17 हजार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कैलिफोर्निया में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। यहां अस्पतालों में मेकशिफ्ट वार्ड बनाए जा रहे हैं। इनमें मरीजों को रखा जा रहा है।

जनवरी तक 4 लाख से ज्यादा मौतों की आशंका
CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 16 जनवरी तक 4 लाख 19 हजार से ज्यादा हो जाएगा। CNN ने यह जानकारी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के हवाले से दी है। इसमें कहा गया है कि अगर मौतों की यही रफ्तार जारी रही तो 16 जनवरी 2021 तक मरने वालों का आंकड़ा 3 लाख 78 हजार से 4 लाख 19 हजार तक पहुंच जाएगा। अब तक 3.34 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।

इटली में बाजार सूने
क्रिसमस पर जन्नत से नजर आने वाले यूरोपीय देशों और खासकर इटली में इस बार सब फीका और बेरंग है। यहां के बाजारों में चहल-पहल नजर नहीं आती। न तो ठीक से दुकानें खुली हैं और न लोगों की आवाजाही नजर आती है। ब्रिटेन में कोविड-19 के नए वेरिएंट के मिलने से लोगों में दहशत का आलम है। सरकार ने भी साफ कर दिया है कि आने वाले वक्त में प्रतिबंधों में कोई राहत नहीं दी जाएगी। वेटिकन सिटी में भी सन्नाटा पसरा है।

इटली के मिलान शहर के बाजारों में पहले की तरह चहल-पहल नजर नहीं आती। न तो ठीक से दुकानें खुली हैं और न लोगों की आवाजाही नजर आती है। मास्क लगाए चंद लोग ही नजर आते हैं। सरकार ने यहां प्रतिबंधों में ढील देने से भी इनकार कर दिया है।

ब्रिटेन की मुश्किलों में इजाफा
ब्रिटेन में कोविड-19 के नए वेरिएंट के मिलने के बाद दिक्कतें बढ़ गई हैं। अब तक करीब 40 देश यहां से आने और जाने वाली फ्लाइट्स को बैन कर चुके हैं। इनमें भारत के अलावा, हॉन्गकॉन्ग, कनाडा, स्विटजरलैंड और जर्मनी भी शामिल हैं। फ्रांस ने जरूर ब्रिटेन को थोड़ी राहत दी और ट्रकों के लिए बॉर्डर खोलने की मंजूरी दी, लेकिन यूरोप के बाकी देशों ने ऐसा नहीं किया। अब ब्रिटिश सरकार कुछ देशों से बातचीत कर रही है ताकि जरूरी सामान की सप्लाई पर असर न पड़े।

कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात

देश

संक्रमित मौतें ठीक हुए
अमेरिका 18,917,152 334,218 11,101,866
भारत 10,123,544 146,778 9,692,061
ब्राजील 7,366,677 189,264 6,405,356
रूस 2,933,753 52,461 2,343,967
फ्रांस 2,505,875 61,978 187,272
यूके 2,149,551 69,051 N/A
तुर्की 2,062,960 18,602 1,866,815
इटली 1,977,370 69,842 1,301,573
स्पेन 1,838,654 49,520 N/A
अर्जेंटीना 1,555,279 42,254 1,379,726

(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)



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ह्यूस्टन के एक अस्पताल में निराश मुद्रा में बैठी नर्स। अमेरिका के अस्पतालों में 22 दिन से हर रोज करीब एक लाख संक्रमित भर्ती हो रहे हैं। (फाइल)


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PM मोदी शांति निकेतन में शताब्दी समारोह को संबोधित करेंगे, राज्यपाल और शिक्षा मंत्री भी रहेंगे मौजूद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह को संबोधित करेंगे। वे समारोह में वर्चुअली जुड़ेंगे। इस दौरान राज्य के राज्यपाल जगदीप धनकड़ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल भी मौजूद रहेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'शिक्षा के हमारे प्रीमियम सेंटर्स में से एक विश्वभारती यूनिवर्सिटी, शांति निकेतन के शताब्दी समारोह को संबोधित करुंगा। इसका गुरुदेव टैगोर के साथ भी करीबी रिश्ता रहा है।'

1921 में हुई थी स्थापना
1921 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती देश का सबसे पुराना केंद्रीय विश्वविद्यालय है। मई 1951 में इसे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूशन ऑफ नेशनल इंपॉरटेंस घोषित किया गया था।

मोदी युवाओं को और युवा उन्हें पसंद
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने न्यूज एजेंसी को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी युवाओं को और युवा उन्हें पसंद करते हैं। 2013 में दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में हुए चर्चित कार्यक्रम के जरिए उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिए थे कि उनके एजेंडे पर युवा हैं। पिछले तीन महीनों में प्रधानमंत्री मोदी ने कई विश्वविद्यालयों के कार्यक्रम में भाग लिया है।

PM पिछले 2 महीने में 5 यूनिवर्सिटीज में कर चुके हैं शिरकत

  • 19 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने मैसूर यूनिवर्सिटी के शताब्दी दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। वर्ष 1916 में स्थापित इस पुराने यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में वर्चुअल भाग लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को शिक्षा और दीक्षा का सही मतलब समझाया था।
  • 12 नवंबर को प्रधानमंत्री ने सबसे ज्यादा सुर्खियों और विवादों में रहने वाले JNU के एक कार्यक्रम में भाग लिया। स्वामी विवेकानंद की मूर्ति अनावरण समारोह में भाग लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने नेशन फर्स्ट का नारा देते हुए युवाओं को संदेश दिया कि विचारधारा बाद में है, देश पहले है।
  • 21 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने गांधीनगर के दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के आठवें दीक्षांत समारोह में 2600 छात्रों को डिग्री और डिप्लोमा प्रदान करते हुए उन्हें देश के विकास में योगदान देने की अपील की।
  • 25 नवंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित लखनऊ यूनिवर्सिटी के 100 साल पूरे होने वाले कार्यक्रम में भाग लेते हुए युवाओं को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी।
  • 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने सीएए के खिलाफ आंदोलन के लिए चर्चित रहे उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में भाग लेते हुए जहां एजूकेशन सेक्टर में किए गए कार्यों को गिनाया, वहीं यह भी बताया कि सरकार बिना मत और मजहब का भेदभाव किए सभी योजनाओं का लाभ पहुंचा रही है।


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22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में हिस्सा लिया था। (फाइल फोटो)


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कुछ लोग सोचते हैं उनके घर में बेटा ही पैदा हो, बेटी नहीं; ये बहुत गलत सोच है

कहानी- जब ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण कर लिया, तब उनके शरीर से मनु और शतरूपा पैदा हुए। बाद में इन दोनों के मिलन से पांच बच्चों का जन्म हुआ। इनमें तीन बेटियां थीं और दो बेटे थे। बेटियों के नाम थे आकूति, देवहुति और प्रसूति। बेटों के नाम उत्तानपाद और प्रियव्रत।

ये पांच बच्चे दुनिया की पहली संतानें थीं। इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि पहले पांच बच्चों में तीन बेटियां थीं। इसका मतलब यही है कि प्रकृति और परमात्मा बेटियां अधिक देते हैं।

बेटियों को भी उतना भी मान-सम्मान करना चाहिए, जितना बेटों का किया जाता है। भगवान ने भी कभी बेटों और बेटियों में भेद नहीं किया है, ये भेद इंसानों ने बनाया है। कुछ लोग गर्भ में पल रही संतान का लिंग मालूम कर लेते हैं और अगर गर्भ में लड़की होती है तो उस भ्रूण की हत्या करवा देते हैं। ये बहुत गलत है। जो लोग भ्रूण हत्या करते हैं, वे परमशक्ति के आदेश के विरुद्ध काम करते हैं।

सीख- जब हमारे घर में बेटी पैदा हो तो हमें उतना ही प्रसन्न होना चाहिए, जितना बेटे के जन्म से प्रसन्न होते हैं।



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छोटे भाई ने मोती की खेती शुरू की, फिर दो बड़े भाई भी नौकरी छोड़ जुड़ गए, दो साल में मुनाफा 4 गुना बढ़ा

आज कहानी तीन भाइयों की है। उन्होंने तमाम तानों के बावजूद अपने मजबूत इरादों से सफलता की इबारत लिखी है। वाराणसी से 25 किमी दूर गाजीपुर हाइवे के पास नारायनपुर गांव के रहने वाले दो सगे भाई रोहित आनंद पाठक, मोहित आनंद पाठक और चचेरे भाई श्वेतांक पाठक ने डेढ़ लाख रुपए लगाकर मोती की खेती और मधुमक्खी पालन शुरू किया। आज इनकी कमाई तीन से चार गुना तक बढ़ गई है। वे किसानों को ट्रेनिंग देकर उन्हें रोजगार से भी जोड़ रहे हैं।

श्वेतांक पाठक ने BHU से एमए और बीएड किया है। उनका इंट्रेस्ट मोतियों पर काम करने को लेकर था। उन्होंने इसके बारे इंटरनेट से जानकारी ली और दोनों भाइयों से चर्चा करने के बाद ट्रेनिंग का मन बनाया। इसके बाद भुवनेश्वर जाकर CIFA से मोती की खेती की ट्रेनिंग ली। गांव आकर डेढ़ लाख रुपए की लागत से मोती की खेती की शुरू की।

छोटे भाई को दोनों भाई लगातार गाइड करते रहे

श्वेतांक मोती की खेती के लिए युवाओं को ट्रेंड भी करते हैं। बड़े भाई रोहित लोगों को गाइड करते हैं।

श्वेतांक के बड़े भाई रोहित बताते हैं कि मैंने BHU से ग्रेजुएशन करने के बाद MBA किया। 2010 से देश की एक बड़ी कंपनी में नौकरी करने लगा। आठ लाख रुपए से ज्यादा का पैकेज था। मन जॉब छोड़कर गांव लौटने का था। अपने दोनों भाइयों को 2018 से ही गांव पर कुछ करने को लेकर प्रेरित करता रहा। नवंबर 2018 में छोटे भाई श्वेतांक ने दो हजार सीपों से छोटा सा काम शुरू किया। मोहित और मैं फोन से लगातार उसके टच में रहे।

वर्क फ्रॉम होम के दौरान नौकरी छोड़ी

जुलाई 2020 में मन में आया कि घर बैठकर घंटों नौकरी करने से अच्छा है कि हम तीनों भाई पूरी तरह से मोती की खेती और मधुमक्खी पालन में लग जाए। बिना किसी को बताए मैंने रिजाइन दे दिया। घर पर जब लोगों को पता चला तो आपत्ति भी जताई गई।

अब तीनों भाइयों ने मोती की खेती के साथ मधुमक्खी पालन भी शुरू किया है। कई कंपनियों से इन्हें ऑर्डर मिले हैं।

इसी तरह मोहित ने BHU से ग्रेजुएशन कर एक कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी की। बड़े भाई रोहित से बातचीत करके मधुमक्खी पालन की योजना बनाई। अक्टूबर 2019 में नौकरी से रिजाइन देकर दिल्ली में ही गांधी दर्शन से मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग ली। कुछ दिन बाद गांव लौटकर श्वेतांक के साथ काम करने लगे। अब कई कंपनियां उनके यहां से शहद लेकर जाती हैं। वे कई वेरायटी का शहद सप्लाई करते हैं।

श्वेतांक पाठक कहते हैं कि अग्रिकाश हमारे परिवार की बनाई संस्था है। हमने 4000 सीपों से शुरुआत की थी। आज 12 हजार से ज्यादा सीपों का इंस्टॉलेशन हो चुका है। मोती की खेती के लिए इंटरनेट पर काफी समय तक सर्च करता रहा। बड़े भाई रोहित दोनों भाइयों को गाइड करने के साथ ही अन्य युवाओं को स्किल की ट्रेनिंग भी देते हैं। 50 से ज्यादा युवा और किसान इनसे जुड़े हैं। सीप की खेती, इंस्टॉलेशन, रख रखाव सभी के लिए पूरी टीम है।

श्वेतांक सीपों के अंदर डिजाइनर बीड से मनचाहा आकार डालते हैं। 8-10 महीने बाद सीप से डिजाइनर मोती निकाला जाता है।

PM मोदी ने किया ट्वीट, तो चर्चा में आए

श्वेतांक बताते है कि PM मोदी ने सितंबर महीने में हम लोगों की खबर को ट्वीट किया। आत्मनिर्भर भारत का एक उदाहरण हम तीनों भाई बन गए। जो लोग ताने देते थे, वही अब हमसे जुड़कर कारोबार कर रहे हैं। बकरी पालन और मशरूम का भी काम हम लोगों ने शुरू किया है।



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दाएं से मोहित पाठक, रोहित पाठक और श्वेतांक पाठक मोती की खेती और मधुमक्खी पालन करते हैं।


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सर्द मौसम में कुछ चटपटा खाने का मन हो तो बनाएं स्टफर पकौड़े, आसान है रेसिपी



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If you want to eat something spicy in cold weather, then make stuffer pakoras, here is the easy to prepare recipe


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जब पहली बार चांद की कक्षा में पहुंचा था इंसान, वहां से चांद और धरती की फोटो साथ में आई थी

1968 में आज ही के दिन अपोलो-8 चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा। ये चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने वाला पहला मैन्ड मिशन था। ऐस्ट्रोनॉट फ्रैंक बोरमैन, जिम लॉवेल और विलियम एंडर्स ने चांद की कक्षा से लाइव ब्रॉडकास्ट किया। जिसमें उन्होंने अपने स्पेसक्राफ्ट के अंदर से चांद और पृथ्वी की तस्वीरें भेजीं। एस्ट्रोनॉट विलियम एंडर्स की खींची 'अर्थराइज' फोटो के कारण ये मिशन दुनियाभर में फेमस हुआ। 27 दिसंबर 1968 को ये मिशन पूरा हुआ। इसके बाद अपोलो सीरीज के ही मिशन में से एक अपोलो-11 में मनुष्य पहली बार चांद पर उतरा। जब 20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज एड्रियन ने चांद पर कदम रखे। इस मिशन में उनके साथ माइकल कोलिंस भी शामिल थे।

दिल्ली मेट्रो की शुरुआत हुई

ठीक 18 साल पहले यानी 2002 में आज ही के दिन दिल्ली में पहली बार मेट्रो ट्रेन चली थी। शाहदरा से तीसहजारी कॉरीडोर के बीच चली इस ट्रेन के रूट की लंबाई 8.4 किलोमीटर थी। इस रूट पर 6 स्टेशन थे। तब प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेयी ने इसका उद्घाटन किया था। 8.4 किलोमीटर लंबे रूट और 6 स्टेशनों से शुरू हुई दिल्ली मेट्रो 389 किलोमीटर लंबे रूट पर पड़ने वाले 285 स्टेशनों तक पहुंच चुकी है। दिल्ली मेट्रो अब दिल्ली ही नहीं गुड़गांव, नोएडा, ग्रेटर नोएडा के लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है।

3 मई 1995 को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के रजिस्ट्रेशन के महज पांच साल बाद ही मेट्रो सर्विस शुरू करने का श्रेय ई. श्रीधरन को जाता है। जिन्होंने उस काम को पूरा करके दिखाया, जिसे कई लोग असंभव सा बता रहे थे। श्रीधरन ने दिल्ली मेट्रो कई परियोजनाओं को सफल बनाया। 1995 में दिल्ली मेट्रो से जुड़ने के बाद 2005 आते-आते ई श्रीधरन को दिल्ली मेट्रो का एमडी बना दिया गया। मीडिया ने उनके काम को देखते हुए 'मेट्रो मैन' की उपाधि दी। 2005 में फ्रांस सरकार ने उन्हें फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'नाइट ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया। 2001 में उन्हें पद्मश्री और 2008 में पद्मविभूषण से नवाजा गया।

अभिनेता से सीएम तक की कुर्सी तक पहुंचे एमजी रामचंद्रन का निधन

आज मरुथुर गोपालन रामचंद्रन यानी एमजी रामचंद्रन की पुण्यतिथि है। उनके चाहने वाले उन्हें एमजीआर कहते हैं। एमजीआर ने तीन दशक तक तमिल सिनेमा पर राज किया। 100 से अधिक फिल्मों में काम किया। इनमें से 28 फिल्मों में जे जयललिता उनकी हिरोइन थीं, जो बाद में उनकी सबसे करीबी सहयोगी रहीं। फिल्मी करियर में भी और राजनीतिक करियर में भी। करियर के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली। 1953 तक कांग्रेस में रहे। बाद में करुणानिधि के कहने पर DMK ज्वाइन कर ली। बाद में करुणानिधि से मनमुटाव के चलते उन्होंने अपनी पार्टी ADMK बनाई। 30 जुलाई 1977 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। 24 दिसंबर 1987 को अपने निधन तक वो इस पद पर रहे। ADMK को बाद में AIADMK कहा गया। मतलब ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम। 1988 में एमजीआर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

भारत और दुनिया में 24 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं :

2014: अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने की घोषणा हुई।

1989: देश का पहला अम्यूजमेंट पार्क ‘एसेल वर्ल्ड’ महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में खोला गया।

1986: लोटस टैंपल आम लोगों के लिए खोला गया।

1962: एक्ट्रेस प्रीति सप्रू का जन्म हुआ। महज 13 साल की उम्र में एक्टिंग शुरु करने वाली प्रीति ने लावारिस, नजराना, अवतार, निम्मो, आज का अर्जुन जैसी फिल्मों में काम किया है।

1956: एक्टर अनिल कपूर का जन्म हुआ। फिल्मी परिवार में जन्मे अनिल कपूर ने वो सात दिन, मशाल, मेरी जंग, बेटा, कर्मा, 1942 ए लव स्टोरी जैसी फिल्में की हैं। अनिल अभी भी फिल्मों में सक्रिय हैं। उनकी बेटी सोनम कपूर भी एक्ट्रेस हैं।

1924: मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी का जन्म हुआ। रफी ने बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है, ये चांद सा रोशन चेहरा, क्या हुआ तेरा वादा, ये रेशमी जुल्फें, लिखे जो खत तुझे जैसे सैकड़ों सुपर हिट गाने गाए। रफी ने एक हजार से ज्यादा फिल्मों के गानों को अपनी आवाज दी।

1524: यूरोप से भारत पहुंचने के समुद्री मार्ग का पता लगाने वाले पुर्तगाली नाविक वास्को डी गामा का केरल के कोच्चि में निधन हो गया।



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Today History: Aaj Ka Itihas India World 24 December Update | 1968 Apollo 11 Moon Landing Images, Delhi Metro Start Date


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कोरोना का डर! साल के 40 दिन विदेश में रहने वाले मोदी का 2020 देश में ही बीता; हर दूसरे दिन टीवी पर दिखे

इस साल 17 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांग्लादेश की राजधानी ढाका जाना था। वहां बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की जयंती का शताब्दी समारोह होना था। इसी समारोह में मोदी को शामिल होना था, लेकिन मार्च में ही कोरोना के मामले देश में तेजी से सामने आने लगे। इसी वजह से उनका ये दौरा रद्द हो गया। बाद में बांग्लादेश की सरकार ने भी इस समारोह को रद्द कर दिया। इससे पहले मोदी का बेल्जियम दौरा भी रद्द हो गया था।

मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, तब से ये पहला साल है, जब वो किसी विदेश दौरे पर नहीं गए। 2019 में मोदी साल के 35 दिन विदेश में थे, लेकिन इस बार साल के 365 दिन वो भारत में ही रहे।

हालांकि, मोदी अकेले नहीं हैं जो कोरोना की वजह से विदेश दौरा नहीं कर पाए। उनकी तरह कई देशों के राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री भी हैं, जो कोरोना की वजह से इस साल एक-दो देशों के ही दौरे कर पाए हैं। प्रधानमंत्री मोदी का आखिरी विदेश दौरा 13 से 15 नवंबर 2019 में ब्राजील का था। उस समय मोदी BRICS में शामिल होने गए थे।

59 विदेश दौरों में 106 देशों तक पहुंचे मोदी

  • मोदी को प्रधानमंत्री बने 6 साल 7 महीने हो चुके हैं। मोदी ने 26 मई 2014 को पहली बार और 30 मई 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। प्रधानमंत्री ऑफिस के मुताबिक 2014 से लेकर अब तक मोदी 59 बार विदेश के लिए रवाना हुए हैं। इस दौरान उन्होंने 106 देश (इसमें 2 या उससे ज्यादा दौरे भी) की यात्रा की।
  • दिसंबर 2018 में लोकसभा में सरकार ने प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर होने वाले खर्च का ब्योरा दिया था। इसके अलावा प्रधानमंत्री ऑफिस की वेबसाइट पर भी पीएम की यात्राओं के खर्च की जानकारी है। इन दोनों को मिला दें, तो अब तक मोदी की विदेश यात्राओं 2 हजार 156 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।

हर साल 10 से ज्यादा बार विदेश यात्रा करते हैं मोदी, हर साल 400 करोड़ से ज्यादा खर्च
मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, तब से अब तक 59 बार विदेश यात्रा कर चुके हैं। यानी हर साल कम से कम 10 से ज्यादा बार विदेश यात्रा पर जाते हैं। मोदी की विदेश यात्राओं पर भी हर साल औसतन 430 करोड़ रुपए खर्च होते हैं।

मनमोहन के 5 साल के विदेश दौरों पर में 1,346 करोड़ खर्च हुए थे

  • मनमोहन सिंह 2004 से लेकर 2014 तक प्रधानमंत्री रहे। इन 10 सालों में उन्होंने 73 बार विदेश दौरे किए। इनमें से 35 दौरे पहले कार्यकाल यानी 2004 से 2009 के बीच और 38 दौरे दूसरे कार्यकाल यानी 2009 से 2014 के बीच किए।
  • दिसंबर 2018 में जब सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी की विदेश दौरों पर होने वाले खर्च का ब्योरा दिया था, तो उसमें मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में हुए खर्च के बारे में भी बताया था। इसके मुताबिक, मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में उनके विदेश दौरों पर 1 हजार 346 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल में उनकी चार्टर्ड फ्लाइट पर 302 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसमें विमान के रखरखाव और हॉटलाइन का खर्चा शामिल नहीं है।
  • मनमोहन से पहले अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 1999 से 2004 के बीच 19 बार विदेश दौरे किए, जिसमें 31 देशों की यात्रा की। उनके 5 साल में चार्टर्ड फ्लाइट पर 144 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए थे।

विदेश नहीं गए, तो ये साल कैसे बीता?

  • प्रधानमंत्री मोदी पिछले साल नवंबर के बाद से ही विदेश दौरे पर नहीं गए। इस बार मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर 226 दिन टीवी पर दिखे यानी हर दूसरे दिन टीवी पर आए। उन्होंने इंडिया-बांग्लादेश समिट, इंडिया-उज्बेकिस्तान समिट, ब्रिक्स समिट, आसियान (ASEAN)- इंडिया समिट जैसे बड़े इवेंट को ऑनलाइन संबोधित किया।
  • इस साल प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना को लेकर 7 बार देश के नाम संबोधन दिया। उनका सबसे पहला संबोधन 19 मार्च को था, जिसमें 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की अपील की थी। कुल 7 संबोधन में मोदी 157 मिनट बोले।
  • मोदी ने 8 बार भाजपा के कार्यक्रमों में भी भाषण दिया। इस साल दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। जिसमें दिल्ली में मोदी ने 2 और बिहार में 12 रैलियां कीं।

5 बड़े देशों के सभी प्रमुखों ने इस बार विदेश यात्राएं कीं

  • दुनिया के 5 बड़े देश अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस हैं। ये इसलिए क्योंकि यूनाइटेड नेशंस की सिक्योरिटी काउंसिल में इन्हीं पांचों देशों के पास वीटो पॉवर है। ये इतने ताकतवर हैं कि अगर यूएन में कोई प्रस्ताव लाया जाता है, तो इन 5 में से कोई एक भी वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर उस प्रस्ताव को रोक सकता है। जैसा चीन बार-बार मसूद अजहर के मामले में करता है।
  • इस साल इन पांचों देशों के प्रमुखों ने विदेश यात्राएं की हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दो बार विदेश यात्रा की। ट्रम्प 21-22 जनवरी को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में शामिल होने स्विट्जरलैंड के दावोस गए थे। उसके बाद 24-25 फरवरी को भारत दौरे पर आए थे। इस साल सबसे ज्यादा 19 बार विदेश दौरा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने किया है।


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Narendra Modi Vs Manmohan Singh Foreign Visits Expenses Comparison | PM Modi 69 Nations Travel Costs Rs 2156 Crore


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किसान नेता बोले- हम सरकार के दांव-पेंच समझ चुके हैं, जब सरकार सख्ती दिखाती है, तो वह झुकने वाली होती है

भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के आह्वान पर पंजाब के मालवा क्षेत्र के गांव-गांव से किसान दिल्ली बॉर्डर पहुंचे हैं। इस संगठन में युवाओं से लेकर बुजुर्ग प्रदर्शनकारियों तक जिससे भी बात करो, सब एक सुर में कहते हैं- 'हमारे नेता जो फैसला लेंगे हम उसे मानेंगे'। नेशनल हाइवे-9 पर एक पुराने खाली पड़े गोदाम में संगठन ने अपना मुख्यालय बनाया है। यहां कंबलों और पानी गर्म करने के देसी गीजरों का ढेर लगा है। ये सब बीते चौबीस घंटों में दान में मिले हैं।

काल्विन क्लीन की वुलेन जैकेट पहने 75 साल के जोगिंदर उगराहां के चेहरे पर अलग ही चमक है। शांत स्वभाव के जोगिंदर उगराहां के पीछे लाखों किसान खड़े हैं। उनका संगठन आंदोलन में शामिल सबसे बड़ा और मजबूत संगठन हैं। जोगिंदर उगराहां साफ कहते हैं कि ये आंदोलन अब तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने से आगे बढ़ चुका है। वे कहते हैं, 'लोग अब ये समझ गए हैं कि सरकार उनके लिए नहीं, बल्कि कार्पोरेट के लिए काम कर रही है। ये कानून वापस होते हैं या नहीं, अब सिर्फ यही मुद्दा नहीं है। आने वाले समय में इस आंदोलन की दिशा कुछ और होगी।'

उगराहां कहते हैं, 'सरकार को इसे अपनी इज्जत का मसला नहीं बनाना चाहिए। सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार क्यों नहीं है, ये हमें समझ नहीं आता।' बीते कुछ दिनों में आंदोलन में युवाओं की तादाद बढ़ी है। क्या इस आंदोलन को लंबे समय तक शांतिपूर्ण रखा जा सकेगा? इस सवाल पर उगराहां कहते हैं, 'शुरू में हमें ये खतरा था कि युवा कंट्रोल नहीं होंगे। लेकिन, अब सब नियंत्रित है। हमने पूरे काफिले को समूहों में बांट दिया है और रोजाना हर समूह की मीटिंग होती है।'

किसान आंदोलन में बच्चों और युवाओं के साथ ही बुजुर्ग भी शामिल हैं। वे कहते हैं कि हम यहां से जीतकर ही जाएंगे।

हमने युवाओं को समझाया है कि इस आंदोलन का सबसे बड़ा हथियार शांतिपूर्ण प्रदर्शन है। ये आंदोलन शांतिपूर्ण रहता है, तब ही इसकी जीत संभव है। आंदोलन हिंसक होते ही इसकी हार हो जाएगी। 'उगराहां बताते हैं, 'बहुत नौजवान सवाल करते हैं कि हम यहां बॉर्डर पर क्यों बैठे हैं, दिल्ली चलें। हम उन्हें समझाते हैं कि दिल्ली में बसने वाले लोग हमारे भाई है। अगर हमारे दिल्ली जाने से उनका जीवन मुश्किल होता है तो इससे सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि सरकार के लोग तो बड़े घरों में, बड़े महलों में रहते हैं।'

अभी तक सरकार ने पीछे हटने या फिर दबाव में होने का संकेत नहीं दिया है। क्या सरकार आंदोलन को नजरअंदाज कर रही है? इस सवाल पर उगराहां कहते हैं, 'इस आंदोलन को नजरअंदाज करना सरकार का दांव-पेच है। हम इस बात को बखूबी समझ रहे हैं। लेकिन, हम ये भी जानते हैं कि ये सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। नेताओं का राजनीतिक जीवन खतरे में हैं। पंजाब में BJP का कोई नेता किसी गांव में नहीं जा सकता। यहां तक कि कोई मंत्री भी गांव में जाकर इन कानूनों के बारे में बात नहीं कर सकता है। हरियाणा में भी राजनीतिक स्थिति गंभीर है। BJP की कम गिनती की सरकार का समर्थन कभी भी टूट सकता है। दूसरे राज्यों में भी चुनाव होने जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं। BJP को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।'

वे कहते हैं, 'ये आंदोलन एक सूबे या हिंदुस्तान में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हो रहा है। जितना ये आंदोलन आगे बढ़ेगा, उतना राजनीतिक नुकसान BJP का होगा।' उगराहां संगठन पर बिना एफसीआरए (FCRA) के विदेशों से चंदा लेने के आरोप भी लगे हैं। जोगिंदर सिंह उगराहां स्वीकार करते हैं कि उन्हें विदेशों से पैसा मिला है।

वे कहते हैं, 'चंदे के बगैर काम नहीं चलता है। बस आती है, उनका भी किराया देना होता है। स्पीकर लगते हैं, उनका भी किराया देना होता है। सवाल ये है कि हमें चंदा भेज कौन रहा है। जो लोग इधर से जाकर उधर मजदूरी करते हैं, ट्रक चलाते हैं, बेर तोड़ते हैं, वो हमें चंदा भेजते हैं। हमने उनसे पैसा भेजने की अपील की है। सरकार दिखाना चाहती है कि कोई बाहर की एजेंसी हमें फंड भेज रही है। ऐसा नहीं है। हमारे अपने लोग हैं, जो विदेशों में काम कर रहे हैं, वो हमें पैसा भेज रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के आह्वान पर पंजाब के मालवा क्षेत्र के गांव-गांव से किसान दिल्ली बॉर्डर पहुंचे हैं।

उगराहां कहते हैं, 'इस शांतिपूर्ण आंदोलन को आंतकवादी आंदोलन, खालिस्तानी आंदोलन, कांग्रेस का आंदोलन बताने की कोशिश की जा रही है। BJP ने जितने भी पत्ते चलाए, सब फेल हो गए हैं। इस आंदोलन के समकक्ष किसान कानूनों के समर्थन में सरकार आंदोलन खड़ा करना चाहती है। ये सही रास्ता नहीं है। 36 साल से मैं जमीन पर काम कर रहा हूं। अब हम सरकार के सभी दांव-पेंच समझ चुके हैं। जब सरकार सख्त बोलती है, तब उसका मतलब होता है कि सरकार झुकने वाली है। सरकार कहती है कि किसी हालत में कानून रद्द नहीं होंगे, इसका मतलब है कि कानून रद्द होने की गुंजाइश है। आपको हमारे चेहरे पर दिख रहा होगा। हमारे चेहरे पर कभी निराशा के भाव नहीं आते हैं। हम यहां से जीतकर ही जाएंगे। इसके अलावा कोई संभावना नहीं है। बहुत कुछ हमने जीत लिया है, जो बाकी बचा है उसे भी जीत कर ही जाएंगे।'

क्या आपने सोचा था कि आंदोलन इतना लंबा हो जाएगा? इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं, 'हम शुरू से जानते थे कि ये मुद्दा बड़ा है, इसे हासिल करने में बड़ी ताकत और लंबा समय लगेगा। कम ताकत या कम समय में ये हासिल नहीं होगा। युवा ही हमारा हासिल हैं। हमें ऐसा लगता है कि हमने इस आंदोलन में एक नई चीज देखी है, जिसे देखने के लिए हम 36 साल से तरस रहे थे। जिन युवाओं के बारे में कहा जाता था कि वे कान में बाली पहनते हैं, मोटरसाइकिल से पटाखा छोड़ते हैं, वे युवा यहां बुजुर्ग किसानों को नहला रहे हैं, उनकी सेवा कर रहे हैं। युवा इस आंदोलन की ताकत बन गए हैं। वे सब कुछ ठीक कर लेंगे। अब उनके मन में सवाल है कि पीएचडी, एमफिल करने के बाद, इंजीनियरिंग करने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है।

तो अब आगे क्या होगा? जोगिंदर सिंह उगराहां कहते हैं, 'नई दिशा में आंदोलन जाने की संभावना है, ये कानून वापस होते हैं या नहीं होते हैं, ये हम नहीं कह सकते। लेकिन, हम ये जरूर कह सकते हैं कि अब इस देश के युवा देश के भविष्य के बारे में जरूर सोचेंगे। अब बात सिर्फ कानून वापस होने की नहीं है। आने वाले दिनों में कुछ भी हो सकता है।'



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Exclusive Interview Of Kisan Andolan Leader Joginder singh ugrahan


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70 साल पुरानी है बॉक्सिंग-डे मैच की परंपरा, भारत ने अब तक ऐसे 12 टेस्ट खेले

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मैच एडिलेड में खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने इस डे-नाइट मैच में भारत को 8 विकेट से हराकर सीरीज में 1-0 की बढ़त ले ली है। सीरीज का अगला मैच 26 दिसंबर से मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेला जाएगा। इसे ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका में बॉक्सिंग डे टेस्ट कहा जाता है। पहला बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच 1950 में खेला गया था। भारत ने 1985 से अब तक ऐसे 12 टेस्ट मैच खेले हैं।

बॉक्सिंग डे का बॉक्सिंग यानी मुक्केबाजी से कोई कनेक्शन नहीं है। दरअसल, क्रिसमस डे (25 दिसंबर) के अगले दिन को कई देशों में बॉक्सिंग डे के नाम से जाना जाता है। दुनिया में अलग-अलग जगहों पर इस दिन को लेकर अलग-अलग थ्योरी हैं। कई देशों में इसे क्रिसमस बॉक्स से जोड़कर देखा जाता है। वहीं, कई जगहों पर चर्च में त्योहार के दिन गरीबों को गिफ्ट करने के लिए रखे गए बॉक्स से जोड़ा जाता है। क्रिकेट में बॉक्सिंग डे टेस्ट शब्द की शुरुआत 1892 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में हुए शेफिल्ड शील्ड के एक मैच से हुई थी।

थ्योरी नंबर-1 (क्रिसमस बॉक्स)

वेस्टर्न क्रिश्चियनिटी के लिटर्जिकल कैलेंडर के मुताबिक बॉक्सिंग डे, क्रिसमस डे का अगला दिन (26 दिसंबर) होता है। आयरलैंड और स्पेन जैसे कई देशों में इसे सेंट स्टीफेंस डे भी कहा जाता है। इसके मुताबिक, क्रिसमस के अगले दिन लोग एक-दूसरे को क्रिसमस बॉक्स गिफ्ट करते हैं। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के मुताबिक, बॉक्सिंग डे क्रिसमस की छुट्टी के बाद सप्ताह का पहला दिन होता है। इस दिन कई लोग काम पर जाते थे और उनके मालिक उन्हें क्रिसमस बॉक्स गिफ्ट करते थे। इसलिए इस दिन का नाम बॉक्सिंग डे पड़ा।

थ्योरी नंबर-2 (चर्च में क्रिसमस पर रखा जाता है बॉक्स)

बॉक्सिंग डे से जुड़ी दूसरी थ्योरी यह है कि चर्च में क्रिसमस के दौरान एक बॉक्स रखा जाता है। इस बॉक्स में लोग गरीब और जरूरतमंदों के लिए गिफ्ट रखते हैं। क्रिसमस के अगले दिन उस बॉक्स को खोलकर दान में मिला सामान गरीबों और जरूतमंदों में बांट दिया जाता है। क्रिश्चियन लोगों की शादी भी चर्च में होती है। शादी में दिए गए गिफ्ट बॉक्स को 26 दिसम्बर को खोलने की परंपरा है।

बॉक्सिंग डे और टेस्ट क्रिकेट मिलकर कब बना बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच

ऐसा माना जाता है कि बॉक्सिंग डे की क्रिकेट में एंट्री 1892 में हुई थी। 1892 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में विक्टोरिया और न्यू साउथ वेल्स के बीच क्रिसमस के दौरान एक मैच हुआ था। इसके बाद हर साल दोनों टीमों के बीच क्रिसमस के दौरान मैच होने लगे और यह एक परंपरा बन गई। हर मैच में बॉक्सिंग डे का दिन जरूर शामिल होता था।

एशेज सीरीज में पहला इंटरनेशनल बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच खेला गया

1950-51 में मेलबर्न में पहला बॉक्सिंग डे टेस्ट खेला गया। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच एशेज सीरीज के दौरान यह मैच हुआ। हालांकि यह मैच 22 दिसंबर से शुरु हुआ था और मैच का 5वां दिन बॉक्सिंग डे के दिन पड़ा था। इसके बाद 1953 से 1967 के बीच कोई भी मैच बॉक्सिंग डे (26 दिसंबर) के दिन नहीं खेला गया। 1974-75 एशेज सीरीज का तीसरा मैच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड और बॉक्सिंग डे के दिन शुरु हुआ।

1980 से पहले MCG में सिर्फ 4 बॉक्सिंग डे टेस्ट खेले गए

यहीं से मॉडर्न बॉक्सिंग डे टेस्ट एरा की शुरुआत हुई। हालांकि, 1980 तक ऐसा जरूरी नहीं होता था कि बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच सिर्फ मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) में ही खेला जाएगा, लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया में सभी बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच MCG में ही खेले जाते हैं। इस तरह धीरे-धीरे बॉक्सिंग डे क्रिकेट इतिहास का हिस्सा बनने लगा। 1980 से पहले मेलबर्न में सिर्फ 4 टेस्ट मैच, 1952, 1968, 1974 और 1975 में बॉक्सिंग डे के दौरान खेले गए। 1967, 1972 और 1976 में बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच एडिलेड में खेले गए थे।

बॉक्सिंग डे टेस्ट देखने 60,000 से ज्यादा लोग पहुंचते हैं

1975 में वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच में पहले दिन यानी 26 दिसंबर, 1975 को 85 हजार से ज्यादा दर्शक मैच देखने पहुंचे थे। इसके बाद से बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच को देखने के लिए भारी संख्या में दर्शक आने लगे। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1995 के बाद से बॉक्सिंग डे वाले दिन औसतन 60 हजार लोग MCG ग्राउंड में मैच देखने आते हैं। वहीं, पूरे मैच को मिलाकर कुल अटेंडेंस 1 लाख से ऊपर ही रहती है। 2013-14 में एशेज सीरीज में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच हुए बॉक्सिंग डे टेस्ट को देखने के लिए 91 हजार से ज्यादा दर्शक पहुंचे थे। हालांकि, इस बार कोरोना गाइडलाइन्स के कारण इस संख्या में कमी आ सकती है।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला बॉक्सिंग डे टेस्ट 1985 में खेला गया

भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 8 बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच खेले हैं। भारत 1985, 1991, 1999, 2003, 2007, 2011, 2014 और 2018 में इस ऐतिहासिक टेस्ट मैच का हिस्सा रहा। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत को 5 मैचों में हराया। आखिरी बार 2018 में खेले गए मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 137 रन से हराया था। इस मैच में विराट कोहली भारतीय टीम के कप्तान थे। वहीं, भारत ने वेस्टइंडीज (1987), साउथ अफ्रीका (1992, 1996) और न्यूजीलैंड (1998) के खिलाफ भी बॉक्सिंग डे टेस्ट खेले हैं।



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कोरोना की वैक्सीन बनी, अफ्रीका पोलियो मुक्त हुआ; कमला हैरिस चुनी गईं अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति

साल 2020, जब दुनियाभर में कोरोना कहर बनकर टूटा। कोई नाजुक दौर से लड़कर बाहर निकला, तो कहीं अपनों का साथ भी छूटा। हर इंसान को एक बात समझ आई कि संक्रमण से बचाव ही फिलहाल असली वैक्सीन है। सालभर सिर्फ कोरोना और वैक्सीन चर्चा में रहे। इस बीच कई बड़ी उपलब्धियां भी सामने आईं। जानिए दुनिया के वे अचीवमेंट्स जिनकी खबर हमारे सामने से गुजरीं, लेकिन कोरोना ने उन्हें समझने का मौका ही नहीं दिया।

1. कोरोना फैला चीन से, लेकिन वैक्सीन सबसे पहले ब्रिटेन के लोगों तक पहुंची

  • दुनियाभर में कोरोना चीन से फैला, लेकिन वैक्सीन सबसे पहले ब्रिटेन के लोगों तक पहुंची। वहां 8 दिसंबर से वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू हुआ। इसमें 80 साल से अधिक उम्र के लोगों और हेल्थ वर्करों को शामिल किया गया। ब्रिटेन ने फाइजर-बायोएनटेक से 8 लाख डोज खरीदी हैं। यहां 4 लाख लोगों को दो-दो डोज दी जानी हैं। पहला टीका 90 साल की दादी मारग्रेट कीनन को लगा।
  • अब तक 7 वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल मिला: अब तक चीन की 4, रूस की 2 और अमेरिका की 1 वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल मिल चुका है।

2. अमेरिकी एस्ट्रोनॉट क्रिस्टिना कोच ने अंतरिक्ष में 328 दिन रहकर बनाया रिकॉर्ड

  • अंतरिक्ष में 11 महीने बिताने के बाद नासा की एस्ट्रोनॉट क्रिस्टीना कोच 6 फरवरी 2020 को वापस धरती पर लौटीं। यह किसी महिला का अब तक का सबसे लंबा अंतरिक्ष मिशन है। क्रिस्टीना ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 328 दिन बिताए। इस दौरान धरती के 5,248 चक्कर लगाए। यह क्रिस्टीना का पहला मिशन था। जिसमें उन्होंने मंगल मिशन, गुरुत्वाकर्षण, स्पेस रेडिएशन और इसके महिलाओं के शरीर पर असर से जुड़ी अहम जानकारियां जुटाईं।
  • पिछला रिकॉर्ड 288 दिन का था: नासा के मुताबिक, पिछला रिकॉर्ड अमेरिकी महिला एस्ट्रोनॉट पेगी विटसन के नाम था। 2016-17 में पेगी ने 288 दिन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में बिताए थे।

3. नेपाल अब गरीब नहीं, 2022 तक विकासशील देश बनने का लक्ष्य

  • नेपाल अब लोअर से लोअर-मिडिल इकोनॉमी बन गया है। जुलाई में वर्ल्ड बैंक ने इस पर मुहर लगा दी। हालांकि, कोरोना के कारण नेपाल में पर्यटन और होटल व्यवसाय चौपट हो गया। इस बीच आर्थिक संकट झेल रहे नेपाल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 1584 करोड़ रुपए का फंड जारी किया। संयुक्त राष्ट्र ने नेपाल को 2022 तक विकासशील देश बनने का लक्ष्य दिया है।
  • 45% लोग ही नेपाली बोलते हैं: वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, नेपाल की आबादी 2.84 करोड़ है। यहां की 81.3% आबादी हिंदू है और 45% लोग ही नेपाली भाषा बोलते हैं।

4. दुनिया कोरोना से लड़ती रही और अफ्रीका पोलियो मुक्त हो गया

  • दुनिया सालभर कोरोना से लड़ती रही और अफ्रीका पोलियो मुक्त हो गया। 25 अगस्त को WHO ने इस पर मुहर लगा दी। अब तक अफ्रीकी देश नाइजीरिया में ही पोलियो वायरस बचा था। यहां पिछले 4 साल में पोलियो का एक भी मामला सामने नहीं आया। 1996 में पूरे अफ्रीका में लगभग 75 हजार बच्चे पोलियो का शिकार हुए थे।
  • अब सिर्फ पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो: दुनिया में अब सिर्फ पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ही पोलियाे वायरस सक्रिय है। किसी देश में 4 साल तक पोलियाे का मामला सामने न आने पर उस देश को पोलियो मुक्त माना जाता है। भारत 2014 में पोलियो मुक्त हो चुका है।

5. करीब आए दुश्मन, इजरायल और यूएई के बीच हुआ ऐतिहासिक शांति समझौता

  • कट्टर दुश्मन माने जाने वाले इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच अगस्त में ऐतिहासिक शांति समझौता हुआ। समझौता कराया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने। 1948 में आजादी के बाद इजरायल का किसी अरब देश के साथ यह तीसरा समझौता है। इससे पहले वो जॉर्डन और मिस्र के साथ समझौते कर चुका है। इजरायल की यूएई से दोस्ती पर फिलिस्तीन ने विरोध जताया, जबकि कई देश इस समझौते से हैरान हुए।
  • ट्रम्प ने एक तीर से दो निशाने साधे: ट्रम्प ने समझौता कराकर ईरान पर निशाना साधा है। ईरान से अरब देशों और अमेरिका के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। ईरान परमाणु शक्ति हासिल करना चाहता है। अमेरिका, इजरायल और अरब देश उसे रोकना चाहते हैं। इसलिए तीनों देश साथ आए।

6. स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल से पानी में उतरे अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, 45 साल बाद ऐसा हुआ

  • अमेरिका की निजी अंतरिक्ष कंपनी स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल 2 अगस्त को धरती पर पहुंचा। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से धरती तक का सफर तय करने में इसे करीब 19 घंटे लगे। 45 साल बाद अमेरिका के किसी स्पेसक्राफ्ट ने समुद्री सतह पर लैंडिंग की। मिशन चुनौती भरा था, क्योंकि लैंडिंग के लिए चुने गए फ्लोरिडा के पास इसायस साइक्लोन की चेतावनी दी गई थी। इसके बाद भी सफर जारी रहा।
  • अब अमेरिका को नहीं चुकाने होंगे लाखों डॉलर: 2011 में स्पेस शटल प्रोग्राम खत्म होने के बाद अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट भेजने के लिए रूस पर निर्भर थी। रूस एक एस्ट्रोनॉट को भेजने के लिए अमेरिका से करीब 550 करोड़ रुपए लेता है। यह पहली बार है जब एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजा।

7. 24 किमी दूर से गेंद की फोटो ले सकेगा अमेरिका में बना 3200 मेगापिक्सल वाला कैमरा

  • अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सितंबर में 3200 मेगापिक्सल वाला दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा तैयार किया। इसे कैलिफोर्निया की एसएलएसी नेशनल एक्सीलेरेटर लैब में रखा गया। दावा है कि यह 24 किमी दूर से गेंद की फोटो भी खींच सकता है। इससे पहली तस्वीर एक ब्रॉकली की ली गई। अगले 10 साल में इस कैमरे से ब्रह्मांड की ऐसी तस्वीरें ली जाएंगी, जो अब तक साफ नहीं आ पाई हैं।
  • पहला डिजिटल कैमरा 0.01 मेगापिक्सल ​​​​​​का था: दुनिया का पहला डिजिटल कैमरा 1975 में ईस्टमैन कोडक कम्पनी के इंजीनियर स्टीवन सैसन ने तैयार किया था। इसका वजन 4 किलो था। पहली तस्वीर लेने में 23 सेकंड का समय लगा था। रिजोल्यूशन 0.01 मेगा पिक्सल था।

8. स्कॉटलैंड में हाइड्रोजन फ्यूल सेल का ट्रायल, घटेगा एयर पॉल्यूशन

  • स्कॉटलैंड के एबरडीन में दुनिया की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाली डबल डेकर बस का ट्रायल हुआ। अक्टूबर में शुरू हुई इस पहल का लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन जीरो करना है। फंडा यह है कि कार्बन और हाइड्रोजन को हवा के साथ मिलाकर बिजली तैयार की जाती है। एक बस को चार्ज करने में 10 मिनट का समय लगता है।
  • 100% ग्रीन हाइड्रोजन इस्तेमाल करने वाला पहला प्रदेश: UK का स्कॉटलैंड जल्द ही घरेलू इस्तेमाल के लिए ग्रीन हाइड्रोजन को ईंधन की तरह इस्तेमाल करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। यहां के 300 घरों तक इसकी पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है।

9. ​​​​​चीन का यान चंद्रमा की सतह से 2 किलो का टुकड़ा लेकर लौटा, 44 साल पहले नासा ने ऐसा किया था

  • अमेरिका के अपोलो और रूस के लूना मिशन के बाद चीन दुनिया का तीसरा ऐसा देश बना, जो चांद का नमूना लेकर लौटा। चीन का चांग-ई-5 यान 23 नवंबर को चांद के लिए रवाना हुआ था। यह यान चांद की सतह से चट्टान का 2 किलो वजनी टुकड़ा लेकर 17 दिसंबर को लौट आया। इसकी लैंडिंग रात डेढ़ बजे मंगोलिया के भीतरी इलाके में हुई। चीन इसे अपनी बड़ी कामयाबी बता रहा है। अमेरिका का अपोलो 44 साल पहले चांद का टुकड़ा लेकर लौटा था।
  • चीन का मिशन चुनौती भरा क्यों है: अमेरिका और रूस ने अंतरिक्ष में यात्री भेजे थे, लेकिन चीन ने ऐसा नहीं किया। चीन का मिशन जटिल है, क्योंकि इसमें कोई इंसान शामिल नहीं है। यह यान रोबोटिक है, जो चांद से चट्टान लेकर आया है।

10. भारतीय मूल की कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला और अश्वेत उपराष्ट्रपति बनीं

  • डेमोक्रेटिक पार्टी से अमेरिका में जो बाइडेन राष्ट्रपति और कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बनने जा रहीं हैं। इसी के साथ भारतीय मूल की कमला हैरिस ने तीन रिकॉर्ड बनाए। वह अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति होंगी। इस पद पर काबिज होने वाली वे पहली साउथ एशियन और अश्वेत हैं। इनकी मां श्यामला गोपालन भारतीय थीं और पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के ब्रेस्ट कैंसर एक्सपर्ट थे।
  • एक रिकॉर्ड प्रेसीडेंट इलेक्ट बाइडेन के नाम भी: 78 साल के जो बाइडेन अमेरिकी इतिहास के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बनेंगे। इससे पहले सबसे उम्रदराज अमेरिकी राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड रोनाल्ड रीगन के नाम था। 1989 में रीगन ने जब पद छोड़ा तो उनकी उम्र 77 साल 349 दिन थी।


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दुनिया में हर साल 2 करोड़ लोग होते हैं शिकार, सर्दियों में रिस्क ज्यादा; जानें टाइफाइड के कारण और लक्षण

सर्दियों में जो बीमारियां ज्यादा परेशान करती हैं, उनमें एक टाइफाइड भी है। टाइफाइड को सर्दियों में सबसे खतरनाक रिस्क फैक्टर के तौर पर देखा जाता है। इसे लेकर एक मिथ भी है। टाइफाइड को लोग बिगड़ा हुआ बुखार मानते हैं। उनका मानना है कि जब बुखार लंबे समय तक रहता है तो वह टाइफाइड में बदल जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है।

टाइफाइड लंबे समय तक होने वाले बुखार की वजह से नहीं होता बल्कि, टाइफाइड होने से लंबे समय तक बुखार होने लगता है। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में डॉक्टर शिखा वर्मा बताती हैं कि अगर आप इसका इलाज बुखार के तौर पर करते हैं, तो आप गलत हैं।

इसके कुछ खास लक्षण होते हैं, जैसे हाई फीवर और एंग्जाइटी। अगर आप में इस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल लगभग 2.1 करोड़ मरीज टाइफाइड का शिकार होते हैं।

क्या होता है टाइफाइड?

“साल्मोनेला एंटेरिका सेरोटाइप टाइफी” एक तरह का बैक्टीरिया होता है। दूषित पानी और खाने की चीजों में यह बैक्टीरिया पैदा होता है। इसके जरिए यह हमारे शरीर में घर कर जाता है। गर्मियों की तुलना में सर्दियों में यह ज्यादा फैलता है। शरीर में जाने के बाद एक से दो हफ्ते में यह वायरस असर दिखाने लगता है। इससे जो बीमारी होती है, उसे टाइफाइड कहा जाता है।

टाइफाइड एक तरह की सेमी-कम्युनिकेबल डिजीज है। यानी यह एक से दूसरे में डायरेक्ट तो नहीं फैलता, लेकिन आप इससे पीड़ित किसी व्यक्ति के साथ खाना-पीना साझा कर रहे हैं तो यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। ये बैक्टीरिया पानी या सूखे सीवेज में हफ्तों तक जिंदा रह सकते हैं। टाइफाइड को ठीक होने में लगभग एक से दो हफ्ते और कभी-कभी तीन से चार हफ्ते लग सकते हैं। ज्यादा लंबे समय तक टाइफाइड होने पर शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इससे दूसरी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।

क्या होते हैं टाइफाइड के लक्षण?

  • लगातार ज्यादा बुखार आना और बुखार के साथ जरूरत से ज्यादा ठंड लगना, टाइफाइड का सबसे कॉमन लक्षण है। बुखार का स्तर कभी-कभी 104 डिग्री तक भी हो सकता है।

  • सिरदर्द इसका दूसरा लक्षण है। अगर बुखार के साथ आपके सिर में दर्द महसूस हो रहा है तो यह टाइफाइड हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करने में देर न करें।

  • टाइफाइड होने पर शरीर में लगातार दर्द होता है। मांसपेशियों में जकड़न महसूस होती है, जॉइंट्स यानी जोड़ों में कुछ ज्यादा ही दर्द होता है।

  • इसमें शरीर में दर्द, सिर दर्द और बुखार के अलावा भूख न लगने की समस्या भी हो जाती है। इससे पीड़ित की डाइट आधे से भी कम हो जाती है। यह पीड़ितों में कमजोरी की वजह बनता है, वेट लॉस होता है और इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।

  • टाइफाइड में घबराहट भी होती है। यानी अगर यह ज्यादा सीवियर या गंभीर हो जाएं तो, पीड़ित मानसिक तौर पर परेशान रहने लगता है। एंग्जाइटी और तनाव भी टाइफाइड के लक्षणों में से एक हैं।

  • टाइफाइड हो जाने पर डाइजेस्टिव सिस्टम पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। इससे दस्त, एसिडिटी और पेट दर्द की समस्या भी होने लगती है।

टाइफाइड के दौरान क्या खाएं-पीएं?

  • टाइफाइड के दौरान खाने-पीने को लेकर बहुत ज्यादा सतर्क रहना होता है। डॉ. शिखा वर्मा के मुताबिक इस दौरान खाना न खाना और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। डॉ. वर्मा पानी ज्यादा से ज्यादा पीने की सलाह देती हैं। इस दौरान पीड़ित को इस बात का विशेष ध्यान देना है कि वह उबला हुआ पानी पिए। इसके अलावा टोंड दूध, नारियल पानी और लौंग का पानी जरूर पिएं।

  • फलों में सेब, मौसमी, अनार, अंगूर और पपीता खाएं। इससे आपका इम्यून सिस्टम मजबूत रहेगा। खाने में दलिया, चावल, मूंग की दाल की पतली खिचड़ी, उबली हुई मूंग की दाल और रोटी खाएं। सब्जियों में पालक, लौकी, गिलकी और करेला खाएं। एक्सपर्ट्स की सलाह है कि इस दौरान नहाए नहीं और ज्यादा से ज्यादा बेड रेस्ट करें।

टाइफाइड का इलाज क्या है?

  • टाइफाइड का एक ही इलाज है, लेकिन असरदार है। डॉ. वर्मा के मुताबिक। टाइफाइड के इलाज में बस एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। यह तब होता है जब पीड़ित को सिर्फ टाइफाइड हो। टाइफाइड की वजह से पीड़ित को और बीमारियां हो जाती हैं तो उसे दूसरे इलाज भी दिए जाते हैं।

  • ऐसे केस में पीड़ित को रिकवर होने में काफी टाइम लगता है। एंटीबायोटिक दवाओं के अलावा, पर्याप्त पानी पीना और खानपान का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। ज्यादा गंभीर मामलों में आंतों में इंफेक्शन हो जाता है और सर्जरी की नौबत आ सकती है।

  • जोखिम वाले क्षेत्रों की यात्रा करने से पहले टाइफाइड बुखार का टीका लगाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा दवा भी दी जाती है। टीके 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं हैं और खाने-पीने के समय भी सावधानी बरतनी चाहिए।

ठीक होने के बाद दोबारा भी हो सकता है टाइफाइड

  • डॉ. वर्मा कहती हैं कि, टाइफाइड से उबरने वाले लोगों में दोबारा टाइफाइड होने का रिस्क बना रहता है। वो लोग जो एंटीबायोटिक्स से ठीक हो जाते हैं, उनमें बीमारी के लौटकर आने का जोखिम ज्यादा रहता है।
  • अगर रिकवर होने के बाद सावधानी न बरती जाए तो इसके दोबारा होने की गुंजाइश और भी ज्यादा होती है। हर साल करीब 10% पीड़ितों में यह बीमारी ठीक होने के बाद कुछ हफ्तों में दोबारा हो जाती है।

टाइफाइड से ठीक होने के बाद ये सावधानियां जरूरी

  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक टाइफाइड से ठीक होने वाले लोगों को अपने इम्यून सिस्टम को लेकर काफी सावधान रहना चाहिए। कुछ चीजों का विशेष ध्यान देना है जैसे - गर्म पानी, गर्म टोंड दूध, और हरी सब्जियों के अलावा हल्के खाने को डाइट में शामिल करें। रोज एक्सरसाइज करें और अपने आसपास सफाई रखें।


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अमेरिका में वैक्सीन लगवाकर आई नर्स की लाइव टीवी शो में मौत? जानें सच

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि अमेरिका में वैक्सीन लगवाकर आई नर्स की लाइव टीवी शो के दौरान ही मौत हो गई। दावे के साथ एक वीडियो शेयर किया जा रहा है।

वीडियो में महिला मीडिया को बताती दिख रही है कि उसकी ड्यूटी कोविड यूनिट में ही थी। महिला कहती है - मैं वैक्सीन लगवाने को लेकर बेहद उत्सुक थी। मीडिया से बात करते हुए ही महिला थोड़ी असहज होती दिखती है। और कुछ सेकंड बाद ही मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ती है।

वीडियो के साथ शेयर किए जा रहे मैसेज में यूजर्स का दावा है कि जमीन पर गिरते ही महिला की मौत हो गई।

और सच क्या है ?

  • दावे से जुड़े की-वर्ड को गूगल सर्च करने से हमें आउटलुक वेबसाइट पर एक रिपोर्ट मिली। जिससे पता चलता है कि वैक्सीन लगवाने के बाद टिफनी डोवर नाम की नर्स बेहोश हो गई थी। रिपोर्ट में उसी नर्स की फोटोज हैं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। हालांकि, रिपोर्ट में ऐसा कहीं जिक्र नहीं है कि नर्स की मौत हुई, जैसा कि वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है।
  • अमेरिका के टेनेसी में स्थित सीएचआई मेमोरियल हॉस्पिटल में हेल्थ वर्कर्स का वैक्सीनेशन चल रहा था। इसी दौरान वैक्सीन लगवाकर आई नर्स टिफनी डोवर मीडिया के सवालों का जवाब दे रही थीं। मीडिया से बातचीत करते हुए ही टिफनी बेहोश होकर गिर पड़ीं। इसी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
  • इंटरनेट पर किसी भी विश्वसनीय मीडिया प्लेटफॉर्म पर हमें ऐसी रिपोर्ट नहीं मिली। जिससे पुष्टि होती हो कि अमेरिका में वैक्सीन लगवाने के बाद नर्स की मौत हो गई।

  • वीडियो में दिख रही नर्स की हालत अब सामान्य है। WRCB Chattanooga नाम के चैनल पर हमें एक और वीडियो मिला। जिसमें नर्स समझाती दिख रही हैं कि वे पहले से ही मस्तिष्क से जुड़ी एक समस्या से जूझ रही हैं। जिसमें कई बार माइनर पेन होने पर भी उनका शरीर ओवर रिएक्ट कर देता है।

  • साफ है कि वीडियो में दिख रही महिला की फाइजर वैक्सीन लगने के बाद मौत नहीं हुई है। सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा फेक है।


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America Nurse Died Covid-19 Pfizer Vaccine


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