रविवार, 4 अक्टूबर 2020

एनडीए में भी तय हो गया सीटों का फॉर्मूला; लोजपा बाहर, आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी भाजपा-जदयू

बिहार में अक्टूबर-नवंबर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव हैं। महागठबंधन ने शुक्रवार को सहयोगी पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर अंतिम मुहर लगाई तो एनडीए में भी आनन-फानन में सीटों का बंटवारा तय हो गया। सूत्रों की मानें तो जदयू और भाजपा आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। विधानसभा की 243 सीट में जदयू और भाजपा 119 -119 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे। बाकी बची 5 सीटों को जीतनराम मांझी की हम के लिए छोड़ा गया है। शनिवार देर रात तक चली बैठक में भाजपा और जदयू ने इसी फॉर्मूले पर अपनी सहमति बनाई। लोजपा को इससे बाहर रखा गया है।

एनडीए के इस सीट बंटवारे में लगातार भाजपा अड़ी रही, जिसका फायदा यह हुआ कि भाजपा को भी उतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ना है, जितनी सीटों पर जदयू लड़ेगी। बात यह आ रही थी कि जदयू भाजपा से करीब 15 से 20 सीट ज्यादा पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन भाजपा नेता सीटों का बंटवारा बराबर-बराबर करने पर अड़े रहे। इसी वजह से मुद्दा लंबा खिंच गया। अंत में यह फॉर्मूला सेट हुआ। मैराथन मीटिंग के बाद भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और भूपेंद्र यादव दिल्ली के लिए रवाना हो गए।

जदयू और भाजपा नेताओं के बीच 5 घंटे मीटिंग, तब बनी सहमति
शनिवार को पटना के रूपसपुर के एक अपार्टमेंट में जदयू और भाजपा के नेताओं के बीच करीब 5 घंटे तक मीटिंग चली। इस बैठक में भाजपा की तरफ से देवेंद्र फडणवीस, भूपेंद्र यादव और संजय जायसवाल थे। वहीं, जदयू के तरफ से ललन सिंह, आरसीपी सिंह और विजेंद्र यादव थे। दोनों तरफ से एक-एक सीट पर चर्चा हुई, उसके बाद आधी-आधी सीट पर दोनों दलों में सहमति बन गई।

भाजपा ने आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा
इस बंटवारे में लोजपा को बिल्कुल अलग रखा गया है। लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के अलग रुख के कारण जदयू लोजपा को लेकर सहमत नहीं थी। बात यहां भी अटकी थी कि ऐसे में भाजपा ने अपनी आधी-आधी सीटों का फॉर्मूला सेट किया और जदयू के सामने यह प्रस्ताव रखा गया कि लोकसभा की तर्ज पर ही विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा जाए। जिसे अंत में जदयू ने माना और फिर एक-एक सीट पर चर्चा करके इस पर सहमति दी।

लोकसभा चुनाव में यह था एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला
बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से भाजपा और जदयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ी थीं। छह सीटें लोजपा को मिली थीं।

बिहार में तीन चरण में चुनाव
बिहार में तीन चरण में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर, दूसरे चरण में 3 नवंबर और तीसरे चरण में 7 नवंबर को वोटिंग होगी। नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। चुनाव की पूरी प्रकिया 12 नवंबर तक पूरी कर ली जाएगी। दिवाली और छठ के बीच सरकार का गठन हो जाएगा।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
2019 में हुए लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा ने बराबर-बराबर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2EXhVpx
https://ift.tt/30vPc2B

केरल ने पहले ही दिन से नहीं छोड़ी कोई कसर, गोवा ने पर्यटकों पर सख्ती रखी तो उत्तराखंड ने गाइडलाइन मनवाकर नहीं बढ़ने दिए मामले

देश में काेरोना से एक लाख मौतें हो चुकी हैं। भारत के सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों तक कोरोना फैल चुका है। लेकिन इनमें कुछ ऐसे राज्य भी शामिल हैं, जहां कोरोना के शुरुआती केस आने के बाद कड़े कदम उठाए गए और नए केस और मौतों पर काबू पाने की कोशिश की गई। गोवा, उत्तराखंड और केरल इसका उदाहरण हैं। गोवा से मनीषा भल्ला, उत्तराखंड से राहुल कोटियाल और केरल से बाबू के. पीटर की रिपोर्ट।

गोवा से मनीषा भल्ला की रिपोर्ट

पूरी तरह से खुल गया गोवा, पटरी पर लौट रही है जिंदगी

गोवा में हर दिन करीब 400 नए मामले आ रहे हैं। बावजूद इसके गोवा अपनी सामान्य जिंदगी में लौट रहा है। पर्यटकों की रौनक लौटने लगी है। आज से दो महीने पहले गोवा में होटल ऑक्युपेंसी सिर्फ 7% थी। यह अब बढ़कर 18% हो चुकी है।

गोवा के लिए आने वाले दो महीने अहम
गोवा का मुख्य रोजगार टूरिज्म है और इसे नुकसान से बचाने के लिए गोवा सरकार अब नए कदम उठा रही है। कोविड के लिए सर्विलांस अफसर डॉ. उत्कर्ष बेटोडकर बताते हैं कि हमने मरीजों की बढ़ती तादाद देखते हुए निजी अस्पतालों को भी कोविड ट्रीटमेंट की परमिशन दी है। कंटेंटमेंट जोन खत्म कर दिए गए हैं, लेकिन नए नियम बहुत सख्त हैं। आने वाले दो महीने तक गोवा में कोविड केस में ठहराव आने की उम्मीद है।

स्थानीय पंचायतों को भरोसे में लिया
भारत सरकार ने 8 जून से टूरिज्म के लिए हरी झंडी दी थी। दो जुलाई को गोवा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। गोवा ट्रैवल एंड टूरिज्म एसोसिएशन के अध्यक्ष निलेश शाह बताते हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत थी स्थानीय गांव पंचायतों का पर्यटकों को न आने देना। लेकिन एसोसिएशन ने सरकार की मदद से पंचायतों को भरोसा दिलाया कि आने वाले पर्यटकों से बीमारी नहीं फैलेगी। वे नियमों का पूरी तरह पालन करेंगे।

क्या नियम बनाए?

  • डॉ. उत्कर्ष ने बताया कि गांव पंचायतों के साथ लगातार मीटिंग की जा रही है। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि अगर उन्हें आसपास कोई पर्यटक संदिग्ध संक्रमित लगता है तो फौरन हेल्थ अफसरों को सूचित करें।
  • गोवा आने वालों की एयरपोर्ट-रेलवे स्टेशन पर पूरा हेल्थ टेस्ट किया जा रहा है। जरा सी भी शंका होने पर लोगों को आइसोलेशन में रखा जा रहा है।
  • होटल इंडस्ट्री को सख्ती से नियमों का पालन करने को कहा गया है। राज्य सरकार के पास कुल 3900 होटल रजिस्टर्ड हैं। इनमें से सिर्फ 700 होटल को काम करने की इजाजत मिली है। पर्यटकों द्वारा कमरा छोड़ने के बाद एक दिन होटल का कमरा खाली रखा जाएगा।
  • खाने के लिए रूम सर्विस अभी शुरू नहीं की जाएगी। कोई भी पर्यटक बिना मास्क के नहीं दिखाई देगा। हर जगह सैनेटाइजर की व्यवस्था होगी। होटल में फ्रंट सर्विस के लोग फेस शील्ड, दस्ताने आदि पहनकर रखेंगे।
  • टैक्सी ड्राइवरों के लिए भी सरकार की तरफ से अभियान चलाया गया है कि वे अपनी सुरक्षा कैसे कर सकते हैं।

40 हजार लोगों ने खोया था रोजगार
होटल-रेस्त्रां इंडस्ट्री में वर्करों का आना शुरू हो गया है। महामारी की वजह से यहां तकरीबन 40 हजार लोगों का रोजगार चला गया था। नॉर्थ गोवा में अंजुना बीच पर जिंजर ट्री होटल के मैनेजर हरीश बताते हैं कि कामकाज शुरू हो चुका है। आने वाले एक महीने के अंदर इसे रफ्तार मिलेगी। कैसीनो छोड़कर बाकी सब खुल चुका है। गांव पंचायतें भी सहयोग कर रही हैं। इस दफा गांव पंचायतों ने अपनी सालाना फीस भी नहीं बढ़ाई है। इससे पहले हर साल यह फीस बढ़ जाया करती थी।

उत्तराखंड से राहुल कोटियाल की रिपोर्ट

उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था। बीते 2 अक्टूबर को इसके 202 पूरे हुए हैं। सबसे पहले अब तक के आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं।

अन्य राज्यों से तुलना में ये आंकड़े ज्यादा डराने वाले नहीं लगते। लेकिन बीते 30 दिनों में इनमें जो तेजी आई है, वह जरूर राज्य सरकार के माथे पर बल डाल रही है। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन ने इन आंकड़ों को बारीकी से परखा है। जहां शुरुआती 170 दिनों कुल 269 लोगों की मौत हुई थी, वहीं पिछले 30 दिनों में 342 लोगों की जान चली गई। हालांकि सकारात्मक पहलू यह है कि इन 30 दिनों में टेस्टिंग भी तेजी से बढ़ाई गई हैं और रिकवरी रेट में भी तेजी आई है।

पहाड़ी जनपदों ने किया बेहतर काम
सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं, "शुरुआती दौर में उत्तराखंड ने जरूर कोरोना संक्रमण की रोकथाम में अन्य राज्यों से बेहतर काम किया था और इसमें सबसे अहम भूमिका पहाड़ी जनपदों के लोगों और अफसरों ने निभाई थी।" उत्तराखंड राज्य में कुल 13 जिले हैं, जिनमें से नौ पहाड़ी जिले हैं और चार मैदानी जिले। मैदानों की तुलना में पहाड़ों पर कोरोना का संक्रमण काफी हद तक सीमित रहा है। राज्य में अब तक कोरोना के जो 49 हजार मामले सामने आए हैं, इनमें से 36,907 मामले सिर्फ इन चार मैदानी जिलों के ही हैं।


कैसे लड़ी कोरोना के खिलाफ लड़ाई
नौटियाल बताते हैं कि पहाड़ों में लोगों ने स्वतः ही कोरोना से निपटने के लिए कदम उठाए, जिसके नतीजे भी साफ देखने को मिले हैं। व्यापार मंडल के लोगों प्रशासन से छूट मिलने के बाद भी दुकानें बेहद सीमित समय के लिए ही खोली और लॉकडाउन का असली असर पहाड़ी कस्बों में ही नजर आया। अनलॉक के दौरान भी शाम होते ही पहाड़ी कस्बे पूरी तरह सुनसान हो जाते थे और ये एक बड़ा कारण है कि पहाड़ों में संक्रमण अब तक अनियंत्रित नहीं हुआ।

केंद्र की गाइडलाइन का सख्ती से किया पालन

  • राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अफसर के मुताबिक, "प्रशासन की सक्रिय भूमिका से इतर हमें इसका भी लाभ मिला कि अन्य राज्यों की तुलना में प्रवासियों का वापस लौटना उत्तराखंड में कम हुआ।"
  • उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति भी कोरोना की रोकथाम में कुछ हद तक प्रदेश के लिए उपयोगी साबित हुई। सीमांत राज्य होने के चलते प्रदेश में सिर्फ वे ही लोग दाखिल हुए, जिन्हें उत्तराखंड ही आना था। दिल्ली, हरियाणा या मध्य भारत के राज्यों जैसा दबाव उत्तराखंड पर नहीं था। प्रवासी इन राज्यों की सीमाओं से होते हुए अपने-अपने प्रदेश लौट रहे थे।
  • प्रदेश की नाकेबंदी भी उत्तराखंड में अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा मजबूत रही। राज्य पुलिस अफसर प्रमोद साह कहते हैं, "प्रदेश में दाखिल होने के पांच मुख्य मार्ग हैं। इन पर नाकेबंदी होते ही पूरा प्रदेश सील हो जाता है। ऐसे में हर आने वाले पर नजर रखना और उनकी मॉनिटरिंग करना हमारे लिए अन्य राज्यों की तुलना में थोड़ा आसान है।"
  • अनूप नौटियाल कहते हैं, ‘सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर जो गाइडलाइन समय-समय से जारी होती रही, प्रदेश ने उन्हीं का अनुपालन किया है।’

केरल से बाबू के. पीटर की रिपोर्ट

इन दिनों कोरोना की दूसरी लहर से केरल राज्य बुरी तरह से परेशान है। देश में सबसे पहला मामला केरल में ही सामने आया था। इसके बाद राज्य ने काेरोना के खिलाफ सही दिशा में कदम उठाए और कुछ हद तक इस पर काबू पाने की कोशिश की। लेकिन अब यहां दिन-ब-दिन केस बढ़ते जा रहे हैं। सरकार की ओर से जारी आंकड़े हर दिन बड़े होते जा रहे हैं।

केरल में डेथ रेट सबसे कम
देश में सबसे पहले कोरोना पॉजिटिव केस 30 जनवरी 2020 को केरल के त्रिशूर में मिला था। वुहान में पढ़ने वाली स्टूडेंट छुटि्टयों में अपने घर लौटी थी। भले ही देश में पहला केस केरल में मिला हो, लेकिन राज्य सबसे कम मृत्युदर (0.4%) वाले राज्यों में शामिल है। देश में कोरोना की वजह से औसत मृत्युदर 1.58% है। इस लिहाज से केरल डेथ रेट के मामले में टॉप-20 राज्यों में भी शामिल नहीं है।

जनता कर्फ्यू से पहले लॉकडाउन
मार्च में राज्य में सबसे ज्यादा केस आने शुरू हुए थे। तब राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के जनता कर्फ्यू की अपील से एक दिन पहले ही अपने यहां लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। केरल सरकार के प्रभावी कदम की वजह से राज्य में अप्रैल के आखिर तक केस बढ़ने की रफ्तार काफी धीमी हो गई थी। अप्रैल के महीने में काेई नया केस भी सामने नहीं आया था।

बाहरी लोग हैं जिम्मेदार
पहले हर दिन नए केस की संख्या 100 के भी नीचे आती थी, लेकिन जल्द ही ये नंबर सैकड़ों और हजारों में बदल गया। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार भारत के बाहर रह रहे केरल के निवासी हैं, जो महामारी के दौरान राज्य लौटे हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Goa Kerala Uttarakhand (India) Coronavirus Cases - Ground Report Update | Top Three States Who Have Controlled (COVID-19) Infectious Disease


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3cXoogN
https://ift.tt/30w0KmI

देश में 27 दिनों से रोज औसतन 1 हजार से ज्यादा मौतें, यही रफ्तार रही तो जनवरी में दूसरे और अगस्त के बाद पहले नंबर पर होंगे हम

भारत में कोरोना से होने वाली पिछली 30 हजार मौतों का ट्रेंड देखें तो, भारत में हर दिन हो रही मौतें ब्राजील और अमेरिका से 40% ज्यादा हैं। इस रफ्तार से अगर मौतें होती रहीं तो, भारत ब्राजील को 127 और अमेरिका को 346 दिनों में पीछे छोड़ देगा।

भारत में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को आया था और पहली मौत 12 मार्च को हुई थी। मौतों का आंकड़ा 10 हजार पहुंचने में 96 दिन लगे। शुक्रवार को आंकड़ा 1 लाख पहुंच गया है। भारत में कोरोना से मौतों की रफ्तार अमेरिका और ब्राजील से कम थी, लेकिन समय के साथ ब्राजील और अमेरिका में जहां मौतें कम होती गईं, वहीं भारत में मौतें बढ़ती गईं।

भारत में कोरोना के चलते 204 दिन में एक लाख मौतें हुई हैं। शुरुआती 10 हजार मौतें होने में 95 दिन लगे थे। जबकि अगले 95 दिनों में 60 हजार से ज्यादा मौतें हुईं। पिछली 50 हजार यानी, आधी मौतें 50 दिनों से भी कम समय में हुई हैं। पिछली 30 हजार मौतों का औसत निकाला जाए तो, 1 हजार 111 मौतें हर दिन हो रही हैं।

अमेरिका में 22 मई को ही कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा 1 लाख पार कर चुका था। 29 सिंतबर तक अमेरिका में कोरोना से 2 लाख 10 हजार मौतें हो चुकी थीं। लेकिन अमेरिका में पिछली 50 हजार मौतें होने में 56 दिन लगे हैं। यानी भारत से 8 दिन कम। अमेरिका में जुलाई और अगस्त के शुरूआती दो हफ्तों तक कोरोना से होने वाली मौतें पीक पर थीं। लेकिन अगस्त के आखिरी हफ्ते से अब तक पिछले दिनों की तुलना में अमेरिका में कम मौतें हो रही हैं। अमेरिका में आखिरी 30 हजार मौतों का औसत देखा जाए तो एक दिन में औसतन 789 मौतें हो रही हैं।

ब्राजील में 8 अगस्त को ही कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा 1 लाख पार कर चुका था। ब्राजील में 29 सितंबर तक कोरोना से 1 लाख 40 मौतें हो चुकी थीं। ब्राजील में कोरोना से होने वाली मौतें पिछले दिनों की तुलना में कम हो रही हैं। ब्राजील में पिछली 50 हजार मौतें 58 दिन में हुई हैं। यानी भारत और अमेरिका की तुलना में ब्राजील में पिछली 50 हजार मौतें धीरे हुई हैं। ब्राजील में पिछली 30 हजार मौतों का औसत देखा जाए तो हर दिन औसतन 789 मौतें हो रही हैं।

भारत में हर दिन होने वाली मौतों का आंकड़ा अमेरिका और ब्राजील की तुलना में 40% ज्यादा है। पिछले 30 हजार मौतों के ट्रेंड के आधार पर देखा जाए तो भारत में कोरोना से 1 हजार 111, ब्राजील और अमेरिका में 789 मौतें हर दिन हो रही हैं। इस रफ्तार से अगर मौतें होती रहीं तो, भारत अमेरिका को 346 दिनों में और ब्राजील को 127 दिनों में पीछे छोड़ देगा।

इस औसत से 346 दिनों में भारत में कोरोना से होने वाली कुल मौतों का आंकड़ा 4 लाख 84 हजार और अमेरिका में 4 लाख 82 हजार होगा। अगर ब्राजील के औसत से तुलना करें तो 127 दिनों बाद भारत में कोरोना के 2 लाख 41 हजार और ब्राजील में 2 लाख 40 हजार मौतें हो जाएंगी।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
India Coronavirus Cases Death Toll Updates | Coronavirus (Covid-19) Death Toll Cross 1 Lakh | know how many Days Taken To Reach 100000 Deaths and Covid-19 Cases Breakup


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/33ql4rw
https://ift.tt/33v5nzo

केरल ने पहले ही दिन से नहीं छोड़ी कोई कसर, गोवा ने पर्यटकों पर सख्ती रखी तो उत्तराखंड ने गाइडलाइन मनवाकर नहीं बढ़ने दिए मामले

देश में काेरोना से एक लाख मौतें हो चुकी हैं। भारत के सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों तक कोरोना फैल चुका है। लेकिन इनमें कुछ ऐसे राज्य भी शामिल हैं, जहां कोरोना के शुरुआती केस आने के बाद कड़े कदम उठाए गए और नए केस और मौतों पर काबू पाने की कोशिश की गई। गोवा, उत्तराखंड और केरल इसका उदाहरण हैं। गोवा से मनीषा भल्ला, उत्तराखंड से राहुल कोटियाल और केरल से बाबू के. पीटर की रिपोर्ट।

गोवा से मनीषा भल्ला की रिपोर्ट

पूरी तरह से खुल गया गोवा, पटरी पर लौट रही है जिंदगी

गोवा में हर दिन करीब 400 नए मामले आ रहे हैं। बावजूद इसके गोवा अपनी सामान्य जिंदगी में लौट रहा है। पर्यटकों की रौनक लौटने लगी है। आज से दो महीने पहले गोवा में होटल ऑक्युपेंसी सिर्फ 7% थी। यह अब बढ़कर 18% हो चुकी है।

गोवा के लिए आने वाले दो महीने अहम
गोवा का मुख्य रोजगार टूरिज्म है और इसे नुकसान से बचाने के लिए गोवा सरकार अब नए कदम उठा रही है। कोविड के लिए सर्विलांस अफसर डॉ. उत्कर्ष बेटोडकर बताते हैं कि हमने मरीजों की बढ़ती तादाद देखते हुए निजी अस्पतालों को भी कोविड ट्रीटमेंट की परमिशन दी है। कंटेंटमेंट जोन खत्म कर दिए गए हैं, लेकिन नए नियम बहुत सख्त हैं। आने वाले दो महीने तक गोवा में कोविड केस में ठहराव आने की उम्मीद है।

स्थानीय पंचायतों को भरोसे में लिया
भारत सरकार ने 8 जून से टूरिज्म के लिए हरी झंडी दी थी। दो जुलाई को गोवा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। गोवा ट्रैवल एंड टूरिज्म एसोसिएशन के अध्यक्ष निलेश शाह बताते हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत थी स्थानीय गांव पंचायतों का पर्यटकों को न आने देना। लेकिन एसोसिएशन ने सरकार की मदद से पंचायतों को भरोसा दिलाया कि आने वाले पर्यटकों से बीमारी नहीं फैलेगी। वे नियमों का पूरी तरह पालन करेंगे।

क्या नियम बनाए?

  • डॉ. उत्कर्ष ने बताया कि गांव पंचायतों के साथ लगातार मीटिंग की जा रही है। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि अगर उन्हें आसपास कोई पर्यटक संदिग्ध संक्रमित लगता है तो फौरन हेल्थ अफसरों को सूचित करें।
  • गोवा आने वालों की एयरपोर्ट-रेलवे स्टेशन पर पूरा हेल्थ टेस्ट किया जा रहा है। जरा सी भी शंका होने पर लोगों को आइसोलेशन में रखा जा रहा है।
  • होटल इंडस्ट्री को सख्ती से नियमों का पालन करने को कहा गया है। राज्य सरकार के पास कुल 3900 होटल रजिस्टर्ड हैं। इनमें से सिर्फ 700 होटल को काम करने की इजाजत मिली है। पर्यटकों द्वारा कमरा छोड़ने के बाद एक दिन होटल का कमरा खाली रखा जाएगा।
  • खाने के लिए रूम सर्विस अभी शुरू नहीं की जाएगी। कोई भी पर्यटक बिना मास्क के नहीं दिखाई देगा। हर जगह सैनेटाइजर की व्यवस्था होगी। होटल में फ्रंट सर्विस के लोग फेस शील्ड, दस्ताने आदि पहनकर रखेंगे।
  • टैक्सी ड्राइवरों के लिए भी सरकार की तरफ से अभियान चलाया गया है कि वे अपनी सुरक्षा कैसे कर सकते हैं।

40 हजार लोगों ने खोया था रोजगार
होटल-रेस्त्रां इंडस्ट्री में वर्करों का आना शुरू हो गया है। महामारी की वजह से यहां तकरीबन 40 हजार लोगों का रोजगार चला गया था। नॉर्थ गोवा में अंजुना बीच पर जिंजर ट्री होटल के मैनेजर हरीश बताते हैं कि कामकाज शुरू हो चुका है। आने वाले एक महीने के अंदर इसे रफ्तार मिलेगी। कैसीनो छोड़कर बाकी सब खुल चुका है। गांव पंचायतें भी सहयोग कर रही हैं। इस दफा गांव पंचायतों ने अपनी सालाना फीस भी नहीं बढ़ाई है। इससे पहले हर साल यह फीस बढ़ जाया करती थी।

उत्तराखंड से राहुल कोटियाल की रिपोर्ट

उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था। बीते 2 अक्टूबर को इसके 202 पूरे हुए हैं। सबसे पहले अब तक के आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं।

अन्य राज्यों से तुलना में ये आंकड़े ज्यादा डराने वाले नहीं लगते। लेकिन बीते 30 दिनों में इनमें जो तेजी आई है, वह जरूर राज्य सरकार के माथे पर बल डाल रही है। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन ने इन आंकड़ों को बारीकी से परखा है। जहां शुरुआती 170 दिनों कुल 269 लोगों की मौत हुई थी, वहीं पिछले 30 दिनों में 342 लोगों की जान चली गई। हालांकि सकारात्मक पहलू यह है कि इन 30 दिनों में टेस्टिंग भी तेजी से बढ़ाई गई हैं और रिकवरी रेट में भी तेजी आई है।

पहाड़ी जनपदों ने किया बेहतर काम
सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं, "शुरुआती दौर में उत्तराखंड ने जरूर कोरोना संक्रमण की रोकथाम में अन्य राज्यों से बेहतर काम किया था और इसमें सबसे अहम भूमिका पहाड़ी जनपदों के लोगों और अफसरों ने निभाई थी।" उत्तराखंड राज्य में कुल 13 जिले हैं, जिनमें से नौ पहाड़ी जिले हैं और चार मैदानी जिले। मैदानों की तुलना में पहाड़ों पर कोरोना का संक्रमण काफी हद तक सीमित रहा है। राज्य में अब तक कोरोना के जो 49 हजार मामले सामने आए हैं, इनमें से 36,907 मामले सिर्फ इन चार मैदानी जिलों के ही हैं।


कैसे लड़ी कोरोना के खिलाफ लड़ाई
नौटियाल बताते हैं कि पहाड़ों में लोगों ने स्वतः ही कोरोना से निपटने के लिए कदम उठाए, जिसके नतीजे भी साफ देखने को मिले हैं। व्यापार मंडल के लोगों प्रशासन से छूट मिलने के बाद भी दुकानें बेहद सीमित समय के लिए ही खोली और लॉकडाउन का असली असर पहाड़ी कस्बों में ही नजर आया। अनलॉक के दौरान भी शाम होते ही पहाड़ी कस्बे पूरी तरह सुनसान हो जाते थे और ये एक बड़ा कारण है कि पहाड़ों में संक्रमण अब तक अनियंत्रित नहीं हुआ।

केंद्र की गाइडलाइन का सख्ती से किया पालन

  • राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अफसर के मुताबिक, "प्रशासन की सक्रिय भूमिका से इतर हमें इसका भी लाभ मिला कि अन्य राज्यों की तुलना में प्रवासियों का वापस लौटना उत्तराखंड में कम हुआ।"
  • उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति भी कोरोना की रोकथाम में कुछ हद तक प्रदेश के लिए उपयोगी साबित हुई। सीमांत राज्य होने के चलते प्रदेश में सिर्फ वे ही लोग दाखिल हुए, जिन्हें उत्तराखंड ही आना था। दिल्ली, हरियाणा या मध्य भारत के राज्यों जैसा दबाव उत्तराखंड पर नहीं था। प्रवासी इन राज्यों की सीमाओं से होते हुए अपने-अपने प्रदेश लौट रहे थे।
  • प्रदेश की नाकेबंदी भी उत्तराखंड में अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा मजबूत रही। राज्य पुलिस अफसर प्रमोद साह कहते हैं, "प्रदेश में दाखिल होने के पांच मुख्य मार्ग हैं। इन पर नाकेबंदी होते ही पूरा प्रदेश सील हो जाता है। ऐसे में हर आने वाले पर नजर रखना और उनकी मॉनिटरिंग करना हमारे लिए अन्य राज्यों की तुलना में थोड़ा आसान है।"
  • अनूप नौटियाल कहते हैं, ‘सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर जो गाइडलाइन समय-समय से जारी होती रही, प्रदेश ने उन्हीं का अनुपालन किया है।’

केरल से बाबू के. पीटर की रिपोर्ट

इन दिनों कोरोना की दूसरी लहर से केरल राज्य बुरी तरह से परेशान है। देश में सबसे पहला मामला केरल में ही सामने आया था। इसके बाद राज्य ने काेरोना के खिलाफ सही दिशा में कदम उठाए और कुछ हद तक इस पर काबू पाने की कोशिश की। लेकिन अब यहां दिन-ब-दिन केस बढ़ते जा रहे हैं। सरकार की ओर से जारी आंकड़े हर दिन बड़े होते जा रहे हैं।

केरल में डेथ रेट सबसे कम
देश में सबसे पहले कोरोना पॉजिटिव केस 30 जनवरी 2020 को केरल के त्रिशूर में मिला था। वुहान में पढ़ने वाली स्टूडेंट छुटि्टयों में अपने घर लौटी थी। भले ही देश में पहला केस केरल में मिला हो, लेकिन राज्य सबसे कम मृत्युदर (0.4%) वाले राज्यों में शामिल है। देश में कोरोना की वजह से औसत मृत्युदर 1.58% है। इस लिहाज से केरल डेथ रेट के मामले में टॉप-20 राज्यों में भी शामिल नहीं है।

जनता कर्फ्यू से पहले लॉकडाउन
मार्च में राज्य में सबसे ज्यादा केस आने शुरू हुए थे। तब राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के जनता कर्फ्यू की अपील से एक दिन पहले ही अपने यहां लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। केरल सरकार के प्रभावी कदम की वजह से राज्य में अप्रैल के आखिर तक केस बढ़ने की रफ्तार काफी धीमी हो गई थी। अप्रैल के महीने में काेई नया केस भी सामने नहीं आया था।

बाहरी लोग हैं जिम्मेदार
पहले हर दिन नए केस की संख्या 100 के भी नीचे आती थी, लेकिन जल्द ही ये नंबर सैकड़ों और हजारों में बदल गया। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार भारत के बाहर रह रहे केरल के निवासी हैं, जो महामारी के दौरान राज्य लौटे हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Goa Kerala Uttarakhand (India) Coronavirus Cases - Ground Report Update | Top Three States Who Have Controlled (COVID-19) Infectious Disease


from Dainik Bhaskar /national/news/india-coronavirus-cases-goa-kerala-uttarakhand-ground-report-update-top-three-states-who-have-controlled-covid-19-infectious-disease-127779432.html
https://ift.tt/33ta4tt

केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की हार्ट सर्जरी हुई; बेटे चिराग ने कहा- अगले कुछ हफ्तों में दूसरी सर्जरी भी की जा सकती है

नई दिल्ली. बीते एक महीने से अस्पताल में भर्ती केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री मंत्री रामविलास पासवान की हार्ट सर्जरी शनिवार की रात दिल्ली के एक अस्पताल में की गई। उनके बेटे और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता चिराग पासवान ने ट्वीट किया- मेरे पिताजी का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है। अचानक कुछ वजहों से शनिवार देर रात उनकी हार्ट सर्जरी करनी पड़ गई। अगर जरूरत हुई तो अगले कुछ हफ्तों में दूसरी सर्जरी भी संभव है। आप सभी का मुश्किल की इस घड़ी में मेरे और मेरे परिवार के साथ खड़े होने के लिए शुक्रिया।

शनिवार को बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच गठबंधन पर फैसला के लिए बैठक होने वाली थी। हालांकि, पासवान की खराब सेहत को देखते हुए यह बैठक टाल दी गई।

चिराग ने पार्टी कार्यकर्ताओं से किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा था

सितंबर में चिराग ने कहा था कि उनकी पिता की तबीयत खराब है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग और दूसरे मुद्दों पर चर्चा के लिए उनके बिहार दौरे में देर हो सकती है। इसके बाद उन्होंने पार्टी समर्थकों से मुलाकात भी की थी और उन्हें किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा था।

एनडीए में सीटों को बंटवारे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीटों के बंटवारे को लेकर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। बीजेपी ने पहले कहा था कि यह जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। बिहार की 243 विधानसभा सीटों में एनडीए गठबंधन में शामिल लोजपा ज्यादा सीटों की मांग कर रही है। बिहार में तीन चरणों में 28 अक्टूबर और 3 और 7 नवम्बर को विधानसभा चुनाव होगा। वोटों की गिनती 10 नवम्बर को होगी।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान हार्ट से जुड़ी समस्याएं होने की वजह से दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हैं।- फाइल फोटो


from Dainik Bhaskar /national/news/union-minister-ram-vilas-paswan-had-heart-surgery-son-chirag-said-in-the-next-few-weeks-another-surgery-can-also-be-done-127779424.html
https://ift.tt/3nfLSTb

इमरान के स्पेशल एडवाइजर का दावा- मोदी और नवाज ने नेपाल में सीक्रेट मीटिंग की थी; ब्रिटेन का शरीफ के खिलाफ वॉरंट जारी करने से इनकार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के स्पेशल एडवाइजर शाहबाज गिल ने शनिवार को दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत से मिले हुए हैं। गिल ने कहा, ‘मैं यह नहीं कहता कि नवाज शरीफ पाकिस्तान विरोधी हैं, लेकिन वे एक छोटी सोच वाले बिजनेसमैन हैं। क्या एक पाकिस्तानी ट्रेडर भारतीय पीएम मोदी से मिलेगा, लेकिन नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री रहते हुए नेपाल की राजधानी काठमांडू में मोदी से गुपचुप मुलाकात की थी। उन्होंने इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय तक को नहीं दी।’

उधर, पाकिस्तान को शरीफ को ब्रिटेन में नॉन-बेलेबल अरेस्ट वॉरंट जारी करवाने की कोशिशों में झटका लगा है। ब्रिटेन सरकार ने पाकिस्तानी अधिकारियों से कहा है कि वह पाकिस्तान की अंदरूनी राजनीति से जुड़े मामलों में दखल नहीं दे सकती।

नवाज के भारतीयों के साथ बिजनेस रिलेशन: गिल
गिल ने कहा कि सरकार को इस बात की जानकारी भी हुई है कि नवाज शरीफ ने हाल ही में लंदन स्थित एक देश के दूतावास में मीटिंग की थी। उन्होंने कहा- पठानकोट पर हमले के बाद भारत के बिजनेसमैन सज्जन जिंदल और नवाज ने एक जैसे बयान दिए थे। नवाज और उनके परिवार का भारतीयों के साथ निजी तौर पर बिजनेस रिलेशन है। उन्हें इसका फायदा हुआ है। दो दिन पहले इमरान ने कहा था कि नवाज भारत के साथ मिलकर पाकिस्तान की फौज को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

पिछले साल नवंबर से लंदन में हैं नवाज

70 साल के नवाज का लंदन में पिछले साल नवंबर से इलाज चल रहा है। लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें सिर्फ चार हफ्ते के लिए देश से बाहर जाने की इजाजत दी गई थी, लेकिन वे अब तक नहीं लौटे। कोर्ट की ओर से बार-बार समन भेजे जाने के बाद भी नवाज पेश नहीं हुए। इसे देखते हुए उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया। कोर्ट ने विदेश मंत्रालय को लंदन के पाकिस्तान दूतावास के जरिए नवाज के खिलाफ वाॅरंट जारी करवाने को कहा है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
यह फोटो दिसंबर 2015 की है। उस समय पाकिस्तान के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नवाज शरीफ ने शानदार मेहमानवाजी की थी। -फाइल फोटो


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Goxffx
https://ift.tt/34pl0r8

पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात समेत 7 राज्यों में मौत की दर करीब 2-3% यह राष्ट्रीय दर से ज्यादा, 14 राज्यों में यह 1% से भी कम; अब तक 65.47 लाख केस

देश में कोरोना के एक्टिव केस में फिर एक बार गिरावट दर्ज की गई है। शनिवार को 75 हजार 479 केस आए, 81 हजार 655 मरीज ठीक हो गए और 937 मरीजों की मौत हो गई, इस तरह एक्टिव केस में 7116 की कमी आई। देश में कोरोना से हो रहीं मौत की औसत दर 1.6% है। इनमें पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पुड्‌डुचेरी में यह 2-3% है।

मौत की दर सबसे ज्यादा पंजाब में 3% है। इसके बाद महाराष्ट्र में 2.6%, गुजरात में 2.5%, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पुड्‌डुचेरी में यह 1.9%, जबकि मध्यप्रदेश में 1.8% है।

झारखंड, छत्तीसगढ़, मेघालय, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, तेलंगाना, बिहार, ओडिशा, असम, केरल, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, दादरा एवं नगर हवेली और मिजोरम में यह एक फीसदी से भी कम है। मिजोरम में तो अब तक 2103 केस आ चुके हैं, लेकिन राहत की बात है कि अब तक एक भी मौत नहीं हुई है।

अब तक 65 लाख 47 हजार 413 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 55 लाख 6 हजार 732 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 9 लाख 37 हजार 942 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

अब तक 7.89 करोड़ टेस्ट हुए
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने रविवार को बताया कि देश में शनिवार को 11.42 लाख जांच की गईं। अब तक 7.89 करोड़ टेस्ट किए जा चुके हैं। टेस्टिंग के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। 16 करोड़ टेस्ट के साथ चीन पहले और 11 करोड़ केस के साथ अमेरिका दूसरे नंबर पर हैं।

पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश

शनिवार को राज्य में 1,811 नए केस सामने आए और 2,101 लोग ठीक हुए। 27 संक्रमितों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अब तक 1 लाख 33 हजार 918 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 1 लाख 11 हजार 712 लोग ठीक हो चुके हैं। 19 लाख 807 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। 2 हजार 399 संक्रमितों की अब तक मौत हो चुकी है।

2. राजस्थान

राज्य में शनिवार को 2,150 नए केस सामने आए। 2,003 लोगों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया और 14 मरीजों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 41 हजार 846 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 19 हजार 241 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 21 हजार 75 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। 1 हजार 530 मरीजों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

3. बिहार

शनिवार को राज्य में 983 नए केस सामने आए। अच्छी बात है कि ठीक होने वालों की संख्या नए केस से कहीं ज्यादा थी। 24 घंटे के अंदर 1,431 मरीज ऐसे डिस्चार्ज किए गए जो बिल्कुल ठीक हो चुके हैं। राज्य में अब तक 1 लाख 86 हजार 690 लोग संक्रमण के चपेट में आ चुके हैं। 1 लाख 73 हजार 795 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 11 हजार 982 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। अब तक 912 संक्रमितों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र

शनिवार को राज्य में नए मरीजों से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या बढ़ी। 24 घंटे में 14 हजार 348 नए केस सामने आए। 16 हजार 835 मरीज ठीक होकर अपने घर गए। 278 संक्रमितों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 14 लाख 30 हजार 861 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 11 लाख 34 हजार 555 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2 लाख 58 हजार 108 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। अब तक संक्रमण के चलते 37 हजार 758 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

5. उत्तरप्रदेश
राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या 4 लाख 10 हजार 626 हो गई है। पिछले 24 घंटे के अंदर 3,631 नए केस बढ़े। 4,860 लोग ठीक भी हो गए। अब तक 3 लाख 56 हजार 826 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 47 हजार 823 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 5,977 मरीजों की मौत हो चुकी है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Coronavirus Outbreak India Cases LIVE Updates; Maharashtra Pune Madhya Pradesh Indore Rajasthan Uttar Pradesh Haryana Punjab Bihar Novel Corona (COVID 19) Death Toll India Today 04 October Mumbai Delhi Coronavirus News


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2SlBmeW
https://ift.tt/33q98pF

पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात समेत 7 राज्यों में मौत की दर करीब 2-3% यह राष्ट्रीय दर से ज्यादा, 14 राज्यों में यह 1% से भी कम; अब तक 65.47 लाख केस

देश में कोरोना के एक्टिव केस में फिर एक बार गिरावट दर्ज की गई है। शनिवार को 75 हजार 479 केस आए, 81 हजार 655 मरीज ठीक हो गए और 937 मरीजों की मौत हो गई, इस तरह एक्टिव केस में 7116 की कमी आई। देश में कोरोना से हो रहीं मौत की औसत दर 1.6% है। इनमें पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पुड्‌डुचेरी में यह 2-3% है।

मौत की दर सबसे ज्यादा पंजाब में 3% है। इसके बाद महाराष्ट्र में 2.6%, गुजरात में 2.5%, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पुड्‌डुचेरी में यह 1.9%, जबकि मध्यप्रदेश में 1.8% है।

झारखंड, छत्तीसगढ़, मेघालय, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, तेलंगाना, बिहार, ओडिशा, असम, केरल, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, दादरा एवं नगर हवेली और मिजोरम में यह एक फीसदी से भी कम है। मिजोरम में तो अब तक 2103 केस आ चुके हैं, लेकिन राहत की बात है कि अब तक एक भी मौत नहीं हुई है।

अब तक 65 लाख 47 हजार 413 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 55 लाख 6 हजार 732 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 9 लाख 37 हजार 942 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

अब तक 7.89 करोड़ टेस्ट हुए
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने रविवार को बताया कि देश में शनिवार को 11.42 लाख जांच की गईं। अब तक 7.89 करोड़ टेस्ट किए जा चुके हैं। टेस्टिंग के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। 16 करोड़ टेस्ट के साथ चीन पहले और 11 करोड़ केस के साथ अमेरिका दूसरे नंबर पर हैं।

पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश

शनिवार को राज्य में 1,811 नए केस सामने आए और 2,101 लोग ठीक हुए। 27 संक्रमितों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अब तक 1 लाख 33 हजार 918 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 1 लाख 11 हजार 712 लोग ठीक हो चुके हैं। 19 लाख 807 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। 2 हजार 399 संक्रमितों की अब तक मौत हो चुकी है।

2. राजस्थान

राज्य में शनिवार को 2,150 नए केस सामने आए। 2,003 लोगों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया और 14 मरीजों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 41 हजार 846 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 19 हजार 241 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 21 हजार 75 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। 1 हजार 530 मरीजों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

3. बिहार

शनिवार को राज्य में 983 नए केस सामने आए। अच्छी बात है कि ठीक होने वालों की संख्या नए केस से कहीं ज्यादा थी। 24 घंटे के अंदर 1,431 मरीज ऐसे डिस्चार्ज किए गए जो बिल्कुल ठीक हो चुके हैं। राज्य में अब तक 1 लाख 86 हजार 690 लोग संक्रमण के चपेट में आ चुके हैं। 1 लाख 73 हजार 795 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 11 हजार 982 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। अब तक 912 संक्रमितों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र

शनिवार को राज्य में नए मरीजों से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या बढ़ी। 24 घंटे में 14 हजार 348 नए केस सामने आए। 16 हजार 835 मरीज ठीक होकर अपने घर गए। 278 संक्रमितों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 14 लाख 30 हजार 861 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 11 लाख 34 हजार 555 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2 लाख 58 हजार 108 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। अब तक संक्रमण के चलते 37 हजार 758 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

5. उत्तरप्रदेश
राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या 4 लाख 10 हजार 626 हो गई है। पिछले 24 घंटे के अंदर 3,631 नए केस बढ़े। 4,860 लोग ठीक भी हो गए। अब तक 3 लाख 56 हजार 826 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 47 हजार 823 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 5,977 मरीजों की मौत हो चुकी है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Coronavirus Outbreak India Cases LIVE Updates; Maharashtra Pune Madhya Pradesh Indore Rajasthan Uttar Pradesh Haryana Punjab Bihar Novel Corona (COVID 19) Death Toll India Today 04 October Mumbai Delhi Coronavirus News


from Dainik Bhaskar /national/news/coronavirus-outbreak-india-cases-live-news-and-updates-04-october-2020-127779373.html
https://ift.tt/3cUFUCi

लॉकडाउन में सुत्तल रहे, अब चुनाव के बरसाती मेंढक बन कर विधायक जी विकास का गड्ढा कोड़ दिए हैं

स्थान- पूरब बाजार, कायस्थ टोला, सहरसा
समय- सुबह के साढ़े 6 बजे

लॉकडाउन की तरह अक्टूबर की सुबह भी अब थोड़ी नरम हो चली है। मॉर्निंग वॉक पर निकले कुछ लोग चहलकदमी कर रहे हैं। इसी बीच पैसेंजर ट्रेन के जाते ही रेलवे ढाला खुल जाता है और बाइक से सरसराते हुए बिधान चच्चा सीधे पूरब बाजार स्थित कायस्थ टोला के फेमस अशोक टी स्टॉल पहुंच जाते हैं। जाने क्या काम रहा होगा जो सुबह की चाय तक घर पर नहीं पी पाए हैं।

खैर, हेलमेट उतारते हुए बेंच पर धस्स से बैठ गए और कहने लगे- ‘सहर का हाल तो एकदम्मे गेल है।’ उनकी बात सुन सुबह की हवा खाने निकले लकी दत्ता (एलटी) से रहा नहीं गया। तपाक से बोल उठा- ‘काहे चच्चा क्या हो गया? चुनाव है, सहर का हाल तो एकदम चकाचक होने वाला है’।

पेट फुलाए बिधान चच्चा बगले में बैठे हट्टे-कट्टे मार्शल से बोले- 'देखते हो? ई है आज का नवजुवक...शहर का विकास देख रहा है, अइसा होता है विकास। इहो पिंटुए की तरह चाय बेचकर आत्मनिर्भर बनेगा।'

ऐ चच्चा ऐसा काहे बोलते हैं। हम तो लकी दत्ता से एलटी बन गए और आप हमारा स्टेटस गिराने में लग गए? बताइए क्या हो गया...चच्चा सुनाने लगे की कहियो रे लक्किया गंगजला में गिर गेलियौ, पैर बैच गेलौ, नै त कैल्हे साफ रहियो।

धड़फड़ाते हुए टोले के एक और युवक बॉली ने पूछा- ‘क्या हो गया? चच्चा उधर काहे गए, हाल तो सच्चे में खराब है। कल का अखबार नहीं देखे क्या? दो लड़का का पैर फ्रैक्चर हो गया गड्ढा में गिरने से। पूरे सहर में विकास का गड्ढा खोद दिए हैं। ऐसे कोड़े है पूरा सहर कि सहरसा का लहरिया कट मारे वाला सब भी घरे सुत्तल है।

बॉली ने जैसे लक्की के जुबान की बात छीन ली, कहने लगा- ‘ठीके कह रहे हैं भाईजी, कोनो वार्ड जाइए वही हाल है। गंगजला हो या तिवारी टोला सब जगह जाने जाए के डर है। का विकास कर लिए विधायक जी? लॉकडाउन में तीन महीना घरे में ऐश फरमाए, आ अब देखिए बरसाती मेंढक बन के कैसे पूरे सहरसा को कोड़ रहे हैं?’

बिधान चच्चा कहने लगे- ‘रे तू सब आज देख रहा है। हम त सत्ता के खेल 85 से देख रहे हैं। भोकाल पार के सब पार्टी वोट ले जाता रहा। विकास के नाम पर कुच्छो किया है? ना तो सहर के सड़के ठीक किया ना फ्लाईओवरे बनवाया। वही सुपौल का सड़क देखो लगता है मक्खन लगा दिया गाड़ी के स्पीड में। हड़हड़ा के गाड़ी 25-30 किलोमीटर तक कब पहुंच जाता है पते नहीं चलता है।'

बॉली कहने लगता है एकदम सही कहे हैं। उधर तो अपाची पर बैठकर हवा में बात कीजिए लेकिन सहरसा में तो भूल जाइए। यहां का सड़क आज बना कल टूटा। विधायक जी और ठेकेदार पैसे का बंदरबांट करके जनते को ना बेवकूफ बना रही है?

चाय की चुस्की लेते-लेते चच्चा कहते हैं- पार्टी वोट ले जाता रहा, विकास के नाम पर कुच्छो किया है?

बहुत देर से चुप मार्शल से अब नहीं रहा जाता है...अशोक को देख कर कहने लगता है 'याद नहीं है कैसे कहरा में ठेकेदार बोरिया बिस्तरा बांध के भागा था? रातोंरात ऊ सब सी ग्रेड का मसाला उझल के रोड पिटवा रहा था? जनता बेवकूफ है क्या। विकास के नाम पर वोट देती जरूर है लेकिन अब नेते नहीं है किसी पार्टी में जिसको वोट दिया जाए तो क्या करें?

बरगंडी डाई किए बाल और हाथ में सलमान वाले ब्रेसलेट पहने लक्की दत्ता (एलटी) ने चुटकी लेते हुए कहा नोटा दबा दीजिए भाईजी...आप ही जैसे परेशान आत्मा सबके लिए विकल्प है।

अखबार के पन्ने पलटता हुआ राकेश कहने लगता है, 'मजाक छोड़िये भाई, इधर गली-गली में गड्ढा तो उधर पूरा सहरे जाम... फ्लाईओवर का कुच्छो हो पाया आज तक? खाली घोषणे हो रहा है। पप्पा बताते हैं हम जन्मे ही थे तो 96वें में रामविलास पासवान घोषणा किए।

होश संभाले तो हम भी दिग्विजय सिंह,लालू यादव और राजीव रंजन चौधरी को दिलासा देते देखे। देखिए कोसी प्रमंडल के हेड क्वाटर का हाल? दुपहरिया से मक्खी की तरह गाड़ी सब भिनभिना के काड़ फाड़ने लगता है। बंगाली बाजार में शिलान्यास वाला पट्टा ई नेता के विकास पर थूक फेंक रहा है।

उधर महेशखूंट से मधेपुरा-पूर्णिया वाला एनएच भी आज तक बनिये रहा है। इसी पर लेंगे ई सब वोट। सब काम में फोक्कासी में फोटो खिंचाने के लिए दस गो मीडियावाला को बुला के हाथ लगा देना है बस। बांकी कौन देखने जाता है कि क्या हुआ उस योजना का।'

बाली कहने लगा 'अरे ऐसा नहीं है भैया, ई पब्लिक है और ऊ सब जानती है। इसलिए कुर्सी से उतारना और बिठाना तो हमही लोग डिसाइड करेंगे।'

अचानक से चच्चा का फोन बज उठता है... ऊं नमः शिवाय ऊं नमः शिवाय। कुरते के पाकेट को आधा नोंचते आधा पटकते हुए चच्चा फोन उठाते हैं। कहने लगते हैं 'अच्छा... अच्छा आ रहे हैं, सोनम को बोलो तैयार रहने। इस बार दूसरे रास्ते से जाएंगे। अकेले नहीं जाए बोल दो। हम आ रहे हैं।'

धूप अब कड़क होने लगी थी तो बॉली और लक्की अपाची से निकल लेते हैं तो मार्शल अशोक को कॉपी में चाय के पैसे लिखवाने लगता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Saharsa (Bihar) Assembly Election 2020 Voters News | Political Discussion On Upcoming Vidhan Sabha Chunav


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3itSEkL
https://ift.tt/3ngfZKk

ट्रम्प ने कहा- मैं ठीक हूं, उनके चीफ ऑफ स्टाफ बोले- उनके लक्षण चिंताजनक; रिपब्लिकन पार्टी ने प्रचार की नई रणनीति तैयार की

तीन दिन पहले कोरोना पॉजिटिव हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड की सेहत पर सस्पेंस है। दरअसल, शनिवार को तीन बयान आए। तीनों में अलग-अलग बातें कही गईं। ट्रम्प ने एक वीडियो जारी कर कहा- मैं ठीक हूं। उनके चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मेडोस ने कहा- राष्ट्रपति में जो लक्षण देखे गए हैं, वे फिक्र बढ़ाने वाले हैं। उनका इलाज कर रहे हैं पर्सनल फिजिशियन डॉक्टर सीन कॉनले के मुताबिक- प्रेसिडेंट बेहतर महसूस कर रहे हैं।

ट्रम्प का इलाज मेरीलैंड के मिलिट्री हॉस्पिटल में चल रहा है, जबकि पत्नी मेलानिया व्हाइट हाउस में ही क्वारैंटाइन हैं। बेटी इवांका और दामाद जेरार्ड कुश्नर की टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है। दूसरी तरफ, रिपब्लिकन पार्टी ने प्रचार के लिए नई रणनीति तैयार की है। सीनेटर्स की एक टीम बनाई गई है।

ट्रम्प ने वीडियो जारी किया
राष्ट्रपति ने शनिवार रात हॉस्पिटल से एक वीडियो जारी कर कहा- अब मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं। एक-दो दिन में देखते हैं क्या होता है। मुझे लगता है कि तब स्थिति ज्यादा साफ हो पाएगी। ट्रम्प सूट में नजर आए, लेकिन उन्होंने टाई नहीं पहनी थी। इसमें दो बातें हैं। शुक्रवार रात जब वे हॉस्पिटल आए थे, तब उन्होंने कहा था- मैं बहुत बेहतर महसूस नहीं कर रहा हूं। शनिवार को कहा- अब मैं बहुत बेहतर महसूस कर रहा हूं। जल्द ही फिर काम संभाल लूंगा।

डॉक्टर और एडवाइजर के बयान अलग
शनिवार को ही उनके डॉक्टर्स ने कहा- राष्ट्रपति का इलाज चल रहा है और वे अब काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं। लेकिन, शंका उनके चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मेडोस के बयान ने बढ़ाई। मेडोस ने कहा- अगले दो दिन बहुत अहम हैं। इस दौरान हमें बीमारी की गंभीरता के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी। फिलहाल, हम रिकवरी के बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कह सकते। साफ तौर पर बयानों में विरोधाभास है और शायद इसीलिए राष्ट्रपति ने खुद बयान जारी कर कहा- मैं ठीक हूं। ट्रम्प का एक और मैसेज उनके दोस्त और वकील रुडोल्फ गिउलियानी के जरिए सामने आया। गिलानी के मुताबिक- ट्रम्प ने मुझसे कहा- मैं इस बीमारी को हरा दूंगा।

बयानों से सिर्फ भ्रम बढ़ा
जिस तरह के बयान आ रहे हैं, उनसे सिर्फ भ्रम बढ़ रहा है। समझना मुश्किल है कि वास्तव में ट्रम्प की स्थिति कैसी है। एक बात और हुई। वॉल्टर रीड हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मीडिया को राष्ट्रपति से जुड़ी ज्यादा जानकारी या टाइमलाइन नहीं बताई। कुछ खबरों के मुताबिक, ट्रम्प पहले से बीमार थे। और इसकी सही जानकारी आधिकारिक तौर पर नहीं दी गई।

व्हाइट हाउस से जुड़े दो सूत्रों का कहना है कि ट्रम्प को शुक्रवार सुबह से ही सांस लेने में दिक्कत थी। उनका ऑक्सीजन लेवल भी कम है। व्हाइट हाउस में ही उनको ऑक्सीजन दी गई थी। इसके बाद हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टर कोनले इन बातों को खारिज कर रहे हैं। वे कहते हैं कि राष्ट्रपति को अलग से ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं है। सवाल तो ये भी उठ रहे हैं कि ट्रम्प बुधवार को संक्रमित हुए या गुरुवार को। बुधवार और गुरुवार को तो वे कई प्रोग्राम्स में शामिल भी हुए थे।

राष्ट्रपति हैं, इसलिए हॉस्पिटल भेजा
सही मायनों में ट्रम्प के पर्सनल फिजिशियन ही भ्रम फैला रहे हैं। शनिवार को उन्होंने कहा- प्रेसिडेंट बिल्कुल ठीक हैं। इलाज का असर हो रहा है। इससे हमारी टीम खुश है। अगले 24 घंटे में उनका बुखार उतर जाएगा। ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट भी नॉर्मल हो जाएगा। कोनले पूछा गया- सब ठीक था तो ट्रम्प को हॉस्पिटल लाने की जरूरत क्यों पड़ी? इस पर जवाब मिला- क्योंकि, वे अमेरिका के राष्ट्रपति हैं।

रिपब्लिकन पार्टी की नई कैम्पेन स्ट्रैटेजी
चुनाव में सिर्फ एक महीना बाकी है। राष्ट्रपति बीमार हैं और हॉस्पिटल में हैं। कब ठीक होंगे, ये फिलहाल नहीं कहा जा सकता। लिहाजा, उनकी पार्टी ने इलेक्शन कैम्पेन के लिए नई रणनीति तैयार की है। वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंसी और स्पीकर नेंसी पेलोसी के साथ सीनेटर्स की एक टीम हर राज्य में जाएगी। संभव हुआ तो ट्रम्प वीडियो मैसेज करते रहेंगे।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
फोटो पिछले हफ्ते की है। तब डोनाल्ड ट्रम्प ने रिपब्लिकन सीनेटर्स से व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी। ट्रम्प ने उन्हें बताया था कि वे सुप्रीम कोर्ट की दिवंगत जस्टिस रूथ गिन्सबर्ग की जगह एमी कोने बैरेट को नॉमिनेट कर रहे हैं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/34nMT2J
https://ift.tt/34q8p7d

देश में 29.9% ट्रांजेक्शन डिजिटल कार्ड से हो रहा, हैकर्स ज्यादातर फ्रॉड स्किमिंग डिवाइस लगाकर और ऑनलाइन डेटा चुराकर कर रहे; 5 तरीकों से सेफ रहें

कुछ समय पहले हैकर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्विटर अकाउंट हैक कर लिया और उनसे डोनेशन मांग रहे थे। इससे आप सोच सकते हैं कि जब देश के प्रधानमंत्री ऑनलाइन फ्रॉड से नहीं बच सकते हैं, तो हम कैसे बचेंगे।

अब आंकड़ों की बात करते हैं। देश में पिछले साल एक अक्टूबर से 31 दिसंबर के बीच सिर्फ 92 दिन में हैकर्स ने 128 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया। ये सब उन्होंने नेट बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड में सेंध लगाकर किया।

डिजिटल टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट ललित मिश्रा बताते हैं कि हैकर्स ज्यादातर ऑनलाइन फ्रॉड आइडेंटिटी थेफ्ट के जरिए करते हैं, यानी वे हमारी पहचान और निजी जानकारी को चुरा लेते हैं। इसके बाद वे हमारे अकाउंट से ट्रांजेक्शन कर लेते हैं और हमें पता भी नहीं चलता है।

कैसे चुराते हैं हमारी पर्सनल जानकारी?

  • ललित मिश्रा कहते हैं कि देश में ज्यादातर ऑनलाइन फ्रॉड स्कीमिंग डिवाइस के जरिए ही हो रहा है। दरअसल, हमारे जितने भी डिजिटल कार्ड हैं, उनके पीछे एक मैग्नेटिक स्ट्रिप लगी होती है। इसी में यूजर्स की निजी जानकारी सेव होती है। हैकर्स इसे चुराने के लिए एटीएम या पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन में स्किमिंग डिवाइस लगा देते हैं। यह एक पतली डिवाइस होती है।
  • इसके बाद जैसे ही आप किसी शॉपिंग मॉल या एटीएम में जाकर कार्ड से ट्रांजेक्शन करेंगे, आपकी सारी जानकार उस डिवाइस में सेव हो गई। फिर हैकर्स आपके अकाउंट से कभी भी पैसे निकाल सकता है। हैकर्स ओपन सोर्स इंटेलीजेंस का भी इस्तेमाल करते हैं।

देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की क्या है स्थिति?

  • आरबीआई के 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल ट्रांजेक्शन का 29.9% डिजिटल कार्ड के जरिए होता है।
  • इनमें से अधिकांश में मैग्नेटिक स्ट्रिप का इस्तेमाल होता है। इन पर हैकर्स कार्ड रीडर की जगह स्कीमिंग डिवाइस लगा देते हैं। इससे हैकर्स आपके कार्ड की क्लोनिंग करके अवैध ट्रांजेक्शन शुरू कर देते हैं।

आइडेंटिटी थेफ्ट से बचने का तरीका?

  • आरबीआई का कहना है कि दुकानदार कार्ड स्वाइप करने वाले एटीएम रीडर की जगह पिन पैड वाली रीडिंग डिवाइस का इस्तेमाल करें।
  • इसके अलावा यूजर्स को पिन नंबर टाइप करके ट्रांजेक्शन करना चाहिए, इसे स्कीमिंग डिवाइस में रीड नहीं किया जा सकता है।
  • कार्ड की जगह UPI ट्रांजेक्शन ज्यादा सेफ है, यह आरबीआई की निगरानी में होता है। यदि कोई फ्रॉड करता है, तो आरबीआई के पकड़ में आ जाता है।

ओपन सोर्स इंटेलीजेंस क्या है?

साइबर क्राइम की दुनिया में इसे 'क्रिडेन्शियल स्टफिंग अटैक' कहा जाता है। इसी साल सितंबर में कनाडा में ऐसा ही मामला सामने आया था, जब ऑनलाइन टैक्स रेवेन्यू सर्विस समेत कुछ अन्य सरकारी एजेंसियों पर क्रिडेन्शियल स्टफिंग अटैक हुआ।

इसमें हैकर्स ने हजारों लोगों की जानकारी चुराई, फिर कोविड रिलेटेड ग्रांट के लिए एप्लाई किया और पैसा निकाल लिया। इसके लिए हैकर्स ओपन सोर्स इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करते हैं। वे आपकी हर जानकारी जुटाते हैं, जो आपके फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन पोस्ट से भी मिल सकती है।

कौन से हैकर्स ग्रुप जो ज्यादा सक्रिय हैं?
ललित मिश्रा बताते हैं कि दुनिया में एम-ऐजकार्ट, क्रिक दो बड़े हैकर्स सिंडीकेट हैं। पिछले साल इन्होंने ट्रैवल वेबसाइट्स से 90 लाख से ज्यादा यूजर्स का पर्सनल डेटा चुराया था। कुछ समय पहले ब्रिटिश एयरवेज की साइट से 3.80 लाख ट्रेवलर्स का पर्सनल डेटा हैक कर लिया था। एम-ऐजकार्ट ने ट्विटर का डेटा चुराया था।

आइए ऐसे 5 तरीके जानते हैं, जिससे आपके ऑनलाइन आंकड़े चुराए जा सकते हैं। और जानिए आप कैसे सुरक्षित रह सकते हैं...
1. फिशिंग

  • फिशिंग एक फ्रॉड इमेल है, जिसकी मदद से आपसे आंकड़े मंगाए जाते हैं। यह देखने में असली जैसा ही लगता है। लेकिन हैकर फिशिंग ईमेल के जरिए पहले आपको भरोसा दिलाने की कोशिश करता है। फिर बताता है कि वो आपके फायदे के लिए बैंक एकाउंट की जानकारी या अन्य आंकड़े मांग रहा है।
  • फिशिंग में आपके बैंक के नाम से ईमेल आते हैं, जिसमें कहा जाता है कि आपका डेबिट कार्ड रद्द हो गया है और कार्ड नंबर या आधार नंबर बताने पर ही आपको नया कार्ड जारी किया जाएगा। आपको लग सकता है कि बैंक ने ही यह जानकारी मांगी है, लेकिन यह हैकर हो सकता है।

कैसे रहें सुरक्षित?

  • डोमेन नाम या ईमेल एड्रेस में स्पेलिंग की गलतियों पर ध्यान दें।
  • किसी भी संदिग्ध लिंक या ईमेल पर क्लिक करने से पहले दो बार सोचें।

2. मेल वेयर

  • यह एक सॉफ्टवेयर होता है, जो किसी सिस्टम की जानकारी या आंकड़े की चोरी के लिए बनाया जाता है। यह आपके मोबाइल या लैपटॉप से संवेदनशील आंकड़े चुराने, उसे डिलीट करने या फिर आप पर नजर रखने जैसी एक्टिविटी करता है।

मेल वेयर 4 तरह के होते हैं-

  1. वायरस: यह कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में जाकर फाइल/सिस्टम तक आपकी पहुंच को मुश्किल बनाता है।
  2. ट्रोजन: यह आपके सिक्योरिटी सिस्टम से परे जाकर बैक डोर बनाता है, जिससे हैकर आपके सिस्टम पर नजर रख सकता है।
  3. स्पाई वेयर: यह आपकी जासूसी करने के लिए बनाया जाता है। यह आपकी आईडी, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर और नेट व की-बोर्ड चलाने की आदत को पढ़ता है।
  4. की लॉगर: यह स्पाई का ही एक विकल्प है, जो आपके की-वर्ड को रिकॉर्ड कर लेता है।

कैसे रहें सुरक्षित?

  • अच्छा एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टाल करें।
  • कोई नकली सॉफ्टवेयर डाउनलोड ना करें।
  • एंटी वायरस के नकली पॉप-अप पर कभी क्लिक ना करें।
  • ऑपरेटिंग सिस्टम को हमेशा अपडेट रखें।
  • पायरेटेड ऐप या सॉफ्टवेयर से हमेशा बचें।

3. मोबाइल ऐप्स
गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर पर मौजूद सभी ऐप सुरक्षित नहीं होते। ऐप आपसे मोबाइल के सभी डेटा तक पहुंचने की परमिशन मांगते हैं, जिससे हैकर आपकी सारी जानकारी चुरा सकता है। साथ ही आपकी गोपनीय जानकारी भी सार्वजनिक कर सकता है। इसलिए हर किसी ऐप को सभी अनुमति हमेशा ना दें।
कैसे सेफ रहें?

  • किसी ऐप को डाउनलोड करने से पहले परमिशन चेक करें।
  • उसकी समीक्षा और रेटिंग पर ध्यान दें।
  • 50,000 से कम डाउनलोड वाले ऐप ना इंस्टाल करें।
  • पायरेटेड/क्रैक ऐप डाउनलोड ना करें।

4. स्मिशिंग

  • स्मिशिंग यह भी फिशिंग का ही एक तरीका है, जिसमें आप फोन या SMS पर किसी को व्यक्तिगत जानकारी दे देते हैं। इसमें हैकर्स आपसे सोशल इंजीनियरिंग का उपयोग कर आपसे जानकारी मांगते हैं।

कैसे सुरक्षित रहें?

  • यदि आपसे कोई फोन या SMS करके गोपनीय जानकारी मांगता है, तो कतई न दें।
  • किसी मैसेज पर आए लिंक पर क्लिक करने से पहले उसे अच्छी तरह चेक करें।

5. फिजिकल खतरे

  • आपका लैपटॉप, हार्ड डिस्क, मोबाइल लेकर भी कोई उससे गोपनीय जानकारी चुरा सकता है। यह कई बार अंजाने में आपका कोई करीबी भी कर सकता है। यह आपके घर या दफ्तर, कहीं भी हो सकता है।

कैसे बचें ?

  • अपनी पर्सनल डिवाइस किसी को मत दें। अगर आपके लैपटॉप, मोबाइल में कोई गोपनीय जानकारी है तो उसे पासवर्ड डालकर सुरक्षित करें।

तीन साल में हैकर्स ने देश में 547 करोड़ रुपए चुराए

अप्रैल 2017 से लेकर दिसंबर 2019 के बीच देशभर में ऑनलाइन फ्रॉड के 1.1 लाख केस दर्ज हुए। जबकि इन तीन सालों में लोगों के 547 करोड़ रुपए भी चुराए गए।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Online Fraud and Social Media Connection; Five Ways Hackers Steal Information, Know How To Avoid It In Simple Words


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3lnUohl
https://ift.tt/2Soyjm7

सुना है गठबंधनों में सीटों की कमी चल रही है, इस बार तो लगता है कि नेताजी को बैठने के लिए भी सीट जीतनी पड़ेगी

बिहार में चुनाव की तारीखों का ऐलान तो हो गया, लेकिन जिन्हें चुनाव लड़ना है, वो पार्टियां अभी तक ये तय नहीं कर पाई हैं कि वो कितनी सीटों पर लड़ेंगी और कहां से लड़ेंगी? बीता पूरा हफ्ता सभी पार्टियों ने इसी माथापच्ची में गुजारा। वहीं दलित वोटबैंक को साधने के लिए हर पार्टी अपनी-अपनी ओर से कुछ न कुछ कर रही हैं। कोई दलित वोटरों पर पकड़ रखने वाली पार्टियों से गठबंधन कर रहा है, तो कोई दलित नेता को कार्यकारी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बना रहा है। बिहार चुनाव की पिछले हफ्ते की सियासत को हमारे कार्टूनिस्ट मंसूर ने कुछ ऐसे देखा...



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Bihar Vidhan Sabha Election 2020 Cartoons | Tejaswi Yadav Mahagathbandhan Seat Sharing, Upendra Kushwaha BSP Alliance, Pappu Yadav Alliance


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2F3N0rS
https://ift.tt/34lEn4p

Popular Post