शनिवार, 28 नवंबर 2020

प्रधानमंत्री पुणे, अहमदाबाद और हैदराबाद जाएंगे, तीन कंपनियों के वैक्सीन प्लांट में विजिट करेंगे

प्रधानमंत्री मोदी आज तीन शहरों में कोरोना वैक्सीन के प्रोडक्शन का रिव्यू करेंगे। सबसे पहले वे अहमदाबाद में जायडस बायोटेक पार्क जाएंगे। इसके बाद पुणे में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और फिर हैदराबाद में भारत बायोटेक के प्लांट जाएंगे।
इस विजिट के बारे में प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (PMO)ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया था। PMO ने कहा था कि भारत कोरोना के खिलाफ लड़ाई के फाइनल फेज में आ गया है। पीएम मोदी की इस विजिट और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत से उन्हें भारत में वैक्सीनेशन की तैयारियों, चुनौतियों और इसके रोडमैप के बारे में एक नजरिया बनाने में मदद मिलेगी।

पहला डेस्टिनेशन : अहमदाबाद

वैक्सीन का नाम : जायकोव-डी
फॉर्मूला : जायडस बायोटेक
बनाने वाली कंपनी : जायडस बायोटेक
प्लांट : चांगोदर इंडस्ट्रियल एरिया, गुजरात
स्टेटस : फेज-3 के ट्रायल्स शुरू

सबसे पहले मोदी अहमदाबाद जाएंगे। यहां जायडस बायोटेक अपनी वैक्सीन जायकोव-डी डेवलप कर रही है। इस वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स शुरू हो चुके हैं। गुजरात बेस्ड जायडस बायोटेक की यह वैक्सीन पूरी तरह स्वदेशी है।

दूसरा डेस्टिनेशन : पुणे

वैक्सीन का नाम - कोवीशील्ड
फॉर्मूला - ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी/ ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका
बनाने वाली कंपनी : सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया
प्लांट : पुणे (महाराष्ट्र)
स्टेटस : ट्रायल आखिरी दौर में

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड के प्रोडक्शन के लिए ब्रिटेन की कंपनी एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी की है। SII दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन बनाती है। एक्सपर्ट्स और सरकारी अधिकारियों का मानना है कि भारत में सबसे पहले यही वैक्सीन मिलेगी।

कोवीशील्ड के अंतिम फेज के ट्रायल्स दो तरह से किए गए हैं। पहले में 62% इफिकेसी दिखी, जबकि दूसरे में 90% से ज्यादा। औसत देखें तो इफेक्टिवनेस 70% के आसपास रही है।

SII के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने हाल में दावा किया था कि हमने वैक्सीन बनाना शुरू कर दिया है। जनवरी से हम हर महीने 5-6 करोड़ वैक्सीन बनाने लगेंगे। जनवरी तक हमारे पास 8 से 10 करोड़ डोज का स्टॉक तैयार होगा। सरकार से अनुमति मिलने पर हम सप्लाई शुरू कर देंगे।

तीसरा डेस्टिनेशन : हैदराबाद

वैक्सीन का नाम : कोवैक्सिन
फॉर्मूला : भारत बायोटेक और ICMR
बनाने वाली कंपनी : भारत बायोटेक
प्लांट : हैदराबाद
स्टेटस : ट्रायल तीसरे फेज में, जनवरी तक नतीजे आने की उम्मीद

स्वदेशी वैक्सीन 'कोवैक्सिन' के बारे में जानकारी लेने के लिए मोदी हैदराबाद जाएंगे। दोपहर बाद 4 बजे वे हाकिमपेठ एयरफोर्स स्टेशन पर लैंड करेंगे। यहां से वे भारत बायोटेक जाएंगे। एक घंटे तक वैक्सीन बनाने वाले प्लांट पर रुकने के बाद वे 5.10 बजे दिल्ली के लिए रवाना होंगे।

भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ कोवैक्सिन बनाने के लिए हाथ मिलाया है। इसके फेज-III ट्रायल्स शुरू हो चुके हैं।

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अंबाला कैंट के एक हॉस्पिटल में इस वैक्सीन का डोज लगवा चुके हैं। लार्ज-स्केल ट्रायल्स में अगर वैक्सीन इफेक्टिव साबित हुई तो अगले साल की शुरुआत में कंपनी इसके रेगुलेटरी अप्रूवल के लिए आवेदन करेगी।



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PM to visit Pune, Ahmedabad and Hyderabad, visit vaccine plant of three companies


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7 घंटे में DDC के 43 सीटों के लिए वोटिंग; पंच और सरपंच के उपचुनाव के लिए 1179 प्रत्याशी मैदान में

आज जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र की नई इबारत लिखी जा रही है। आर्टिकल 370 हटने और केंद्र शासित राज्य बनने के बाद यहां पहली बार वोटिंग हो रही है। कोरोना, आतंकवाद और ठंड की चुनौतियों के बीच, लोकतंत्र का यह त्योहार जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए कई मायनों में अहम है।

DDC के लिए 296 प्रत्याशी मैदान में
पहले चरण की वोटिंग शुरू हो गई है। यह दोपहर 2 बजे तक होगी। इन 7 घंटों में जिला विकास परिषद (DDC) के 43 सीटों के लिए 296 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला वोटर्स करेंगे। इनमें 25 सीटें कश्मीर और 18 जम्मू की हैं। पंच और सरपंच के उपचुनाव के लिए कुल 1179 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें 899 पंच और 280 प्रत्याशी सरपंच पद के लिए अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

इसके अलावा 16 वॉर्ड के चुनाव भी होंगे। इनमें श्रीनगर के 2 वॉर्ड के लिए 21 और पहलगाम के 9 वॉर्ड के लिए 31 प्रत्याशी मैदान में हैं। अनंतनाग जिले के 5 वॉर्ड चुनाव के लिए 10 प्रत्याशियों ने नामांकन किया है। राज्य चुनाव आयोग ने पहले चरण की वोटिंग के लिए 2644 पोलिंग बूथ बनाए हैं। यहां 7 लाख 3 हजार 620 वोटर्स वोट करेंगे।

वोटिंग से जुड़ी अहम जानकारी

  • पोलिंग बूथ पर बैलट से वोटिंग होगी।
  • कोरोना मरीज, आइसोलेट किए गए, बुजुर्ग और शारीरिक रूप से बीमार लोग पोस्टल बैलट से वोट करेंगे।
  • सुरक्षा के लिहाज से पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स की 165 कंपनियों को तैनात किया गया है।
  • कोविड-19 के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पहले के मुकाबले ज्यादा मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
  • कश्मीर के कुपवाड़ा में LOC से सटे कई इलाकों में मतदाता कम हैं। यहां हेलीकाप्टर से चुनावी सामग्री और स्टाफ भेजे गए हैं।

पहली बार करीब 1 लाख पाकिस्तानी रिफ्यूजी वोट डाल सकेंगे
DDC, पंच और सरपंच चुनावों में पहली बार पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजी को भी वोट करने का अधिकार दिया गया है। सात दशक में पहली बार ऐसा होगा कि जब ये रिफ्यूजी राज्‍य में पंचायत स्तरीय चुनाव में वोटिंग कर पाएंगे। जानकारी के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के 22 हजार से अधिक परिवार हैं।

आबादी के लिहाज से इनकी संख्‍या 1.5 लाख से अधिक है। इनमें 1 लाख रिफ्यूजी को वोटिंग का अधिकार है। आर्टिकल 370 लागू रहने तक ये रिफ्यूजी केवल लोकसभा चुनाव में ही वोट कर पाते थे। इन्हें विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनाव और पंचायती चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं था।

पहली बार प्रदेश की 6 पार्टियां मिलकर मैदान में
जम्मू कश्मीर के इतिहास में यह पहली बार है, जब राज्य की 6 प्रमुख पार्टियां एकसाथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं। आर्टिकल 370 हटने के बाद इन पार्टियों ने मिलकर गुपकार अलायंस बनाया है। इनमें डॉ. फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस, महबूबा मुफ्ती की अगुआई वाली पीडीपी के अलावा सज्जाद गनी लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और माकपा की स्थानीय इकाई शामिल है। इनके सामने भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान में हैं। मौजूदा राजनीतिक समीकरण के अनुसार गुपकार अलायंस कश्मीर में मजबूत है, जबकि भाजपा की स्थिति जम्मू में काफी मजबूत है।

8 फेज में जानिए कब-कब पड़ेंगे वोट?
पहला फेज : 28 नवंबर
दूसरा फेज : 01 दिसंबर
तीसरा फेज : 04 दिसंबर
चौथ फेज : 07 दिसंबर
पांचवां फेज : 10 दिसंबर
छठा फेज : 13 दिसंबर
सातवां फेज : 16 दिसंबर
आठवां फेज : 19 दिसंबर

2018 में हुआ था चुनाव
इसके पहले नवंबर-दिसंबर 2018 में पंचायती चुनाव हुआ था। इनमें 33 हजार 592 पंच सीटों पर 22 हजार 214 प्रत्याशी और 4,290 सरपंच पदों पर 3,459 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। बाकी सीटें खाली रह गई थी, जहां अब उप चुनाव हो रहे हैं।



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Jammu & Kashmir DDC First Phase Voting LIVE, DDC, Panchayat, Sarpanch Voting in Jammu Kashmir.


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7 घंटे में DDC के 43 सीटों के लिए वोटिंग; पंच और सरपंच के उपचुनाव के लिए 1179 प्रत्याशी मैदान में

आज जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र की नई इबारत लिखी जा रही है। आर्टिकल 370 हटने और केंद्र शासित राज्य बनने के बाद यहां पहली बार वोटिंग हो रही है। कोरोना, आतंकवाद और ठंड की चुनौतियों के बीच, लोकतंत्र का यह त्योहार जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए कई मायनों में अहम है।

DDC के लिए 296 प्रत्याशी मैदान में
पहले चरण की वोटिंग शुरू हो गई है। यह दोपहर 2 बजे तक होगी। इन 7 घंटों में जिला विकास परिषद (DDC) के 43 सीटों के लिए 296 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला वोटर्स करेंगे। इनमें 25 सीटें कश्मीर और 18 जम्मू की हैं। पंच और सरपंच के उपचुनाव के लिए कुल 1179 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें 899 पंच और 280 प्रत्याशी सरपंच पद के लिए अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

इसके अलावा 16 वॉर्ड के चुनाव भी होंगे। इनमें श्रीनगर के 2 वॉर्ड के लिए 21 और पहलगाम के 9 वॉर्ड के लिए 31 प्रत्याशी मैदान में हैं। अनंतनाग जिले के 5 वॉर्ड चुनाव के लिए 10 प्रत्याशियों ने नामांकन किया है। राज्य चुनाव आयोग ने पहले चरण की वोटिंग के लिए 2644 पोलिंग बूथ बनाए हैं। यहां 7 लाख 3 हजार 620 वोटर्स वोट करेंगे।

वोटिंग से जुड़ी अहम जानकारी

  • पोलिंग बूथ पर बैलट से वोटिंग होगी।
  • कोरोना मरीज, आइसोलेट किए गए, बुजुर्ग और शारीरिक रूप से बीमार लोग पोस्टल बैलट से वोट करेंगे।
  • सुरक्षा के लिहाज से पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स की 165 कंपनियों को तैनात किया गया है।
  • कोविड-19 के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पहले के मुकाबले ज्यादा मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
  • कश्मीर के कुपवाड़ा में LOC से सटे कई इलाकों में मतदाता कम हैं। यहां हेलीकाप्टर से चुनावी सामग्री और स्टाफ भेजे गए हैं।

पहली बार करीब 1 लाख पाकिस्तानी रिफ्यूजी वोट डाल सकेंगे
DDC, पंच और सरपंच चुनावों में पहली बार पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजी को भी वोट करने का अधिकार दिया गया है। सात दशक में पहली बार ऐसा होगा कि जब ये रिफ्यूजी राज्‍य में पंचायत स्तरीय चुनाव में वोटिंग कर पाएंगे। जानकारी के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के 22 हजार से अधिक परिवार हैं।

आबादी के लिहाज से इनकी संख्‍या 1.5 लाख से अधिक है। इनमें 1 लाख रिफ्यूजी को वोटिंग का अधिकार है। आर्टिकल 370 लागू रहने तक ये रिफ्यूजी केवल लोकसभा चुनाव में ही वोट कर पाते थे। इन्हें विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनाव और पंचायती चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं था।

पहली बार प्रदेश की 6 पार्टियां मिलकर मैदान में
जम्मू कश्मीर के इतिहास में यह पहली बार है, जब राज्य की 6 प्रमुख पार्टियां एकसाथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं। आर्टिकल 370 हटने के बाद इन पार्टियों ने मिलकर गुपकार अलायंस बनाया है। इनमें डॉ. फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस, महबूबा मुफ्ती की अगुआई वाली पीडीपी के अलावा सज्जाद गनी लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और माकपा की स्थानीय इकाई शामिल है। इनके सामने भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान में हैं। मौजूदा राजनीतिक समीकरण के अनुसार गुपकार अलायंस कश्मीर में मजबूत है, जबकि भाजपा की स्थिति जम्मू में काफी मजबूत है।

8 फेज में जानिए कब-कब पड़ेंगे वोट?
पहला फेज : 28 नवंबर
दूसरा फेज : 01 दिसंबर
तीसरा फेज : 04 दिसंबर
चौथ फेज : 07 दिसंबर
पांचवां फेज : 10 दिसंबर
छठा फेज : 13 दिसंबर
सातवां फेज : 16 दिसंबर
आठवां फेज : 19 दिसंबर

2018 में हुआ था चुनाव
इसके पहले नवंबर-दिसंबर 2018 में पंचायती चुनाव हुआ था। इनमें 33 हजार 592 पंच सीटों पर 22 हजार 214 प्रत्याशी और 4,290 सरपंच पदों पर 3,459 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। बाकी सीटें खाली रह गई थी, जहां अब उप चुनाव हो रहे हैं।



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भारत में बनेगी रूसी कोरोना वैक्सीन; कंगना मामले पर BMC की किरकिरी और MP में वैक्सीन का ट्रायल शुरू

नमस्कार!

सुशांत सिंह की मौत हुई और बॉलीवुड का ड्रग्स कनेक्शन सुर्खियों में छा गया। रिया-दीपिका-सारा और श्रद्धा समेत कई सितारों से पूछताछ हुई। अब NCB ने बताया है कि इनमें से किसी का भी ब्लड टेस्ट नहीं हुआ है।बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…

  • BSE का मार्केट कैप 174.14 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 59% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 2,982 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,768 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,031 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • प्रधानमंत्री मोदी अहमदाबाद में जाइडस बायोटेक पार्क, पुणे में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और हैदराबाद में भारत बायोटेक के प्लांट जाएंगे।
  • जम्‍मू-कश्‍मीर में 370 हटने के बाद पहली बार जिला विकास परिषद (DDC) के चुनाव होंगे। पहले चरण की वोटिंग सुबह 7 बजे से शुरू होगी।
  • राजस्थान के 5 जिलों में (झुंझुनूं, सीकर, चूरू, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर) में शीतलहर का अलर्ट।

देश-विदेश

95% तक असरदार स्पूतनिक V की 10 करोड़ डोज हर साल बनेंगी

रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड और भारत की दवा कंपनी हेटरो ने कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक V बनाने के लिए करार किया है। इसके तहत भारत में हर साल 10 करोड़ डोज बनेंगे। अगले साल इसका प्रोडक्शन शुरू होगा। वैक्सीन के 120 करोड़ डोज बनाने के लिए 50 से ज्यादा देश रिक्वेस्ट कर चुके हैं।

मध्यप्रदेश के भोपाल में टीचर को दिया पहला वैक्सीन डोज

मध्यप्रदेश में को-वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल पीपुल्स अस्पताल भोपाल में शुरू हुआ। पटेल नगर में रहने वाले एक टीचर को पहली वैक्सीन लगाई गई। उन्होंने कहा कि भास्कर में पढ़कर ही टीका लगवाने के बारे में जानकारी मिली थी। मेरे इस कदम से लाखों लोगों का भला होगा, इसलिए मैं टीका लगवाने आया हूं।

GDP के सारे अनुमान गलत, दूसरी तिमाही में 7.5% की गिरावट

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) की GDP की ग्रोथ में 7.5% की गिरावट आई। हालांकि विश्लेषकों ने 8% से 12% तक की गिरावट का अनुमान जताया था। सबसे कम अनुमान RBI का था। इसने 8.6% की गिरावट का अनुमान जताया था। पहली तिमाही में 23.9% की गिरावट आई थी।

हाईकोर्ट ने कहा- नागरिकों के खिलाफ मसल पावर इस्तेमाल नहीं कर सकते

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना रनोट के बंगले पर की गई बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की कार्रवाई को गलत ठहराया। कोर्ट ने कहा- हम किसी भी नागरिक के खिलाफ ‘मसल पावर’ का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दे सकते। कोर्ट ने कंगना को सार्वजनिक बयानों में संयम बरतने की हिदायत दी है।

साउथ कोरिया बोला- नॉर्थ कोरिया हमारी वैक्सीन हैक करने की कोशिश में

साउथ कोरिया के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया उसकी वैक्सीन कंपनियों का डेटा हैक करने की कोशिश में है। यह जानकारी वहां की नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस ने दी। बीते दिनों माइक्रोसॉफ्ट ने कहा था, रूस और नॉर्थ कोरिया की सरकारें साउथ कोरिया, फ्रांस, भारत और अमेरिका की फार्मा और वैक्सीन कंपनियों की जानकारी चुराने में जुटी हैं।

एक्सप्लेनर

दूसरी तिमाही में GDP गिरी; असर आपको दिखेगा नहीं
हमारे देश की GDP की दूसरी तिमाही में 7.5% की गिरावट आई है। इसको हम अच्छा भी मान सकते हैं और बुरा भी। अच्छा इसलिए क्योंकि एनालिस्ट 8% से 12% तक की गिरावट का अनुमान लगा रहे थे। और बुरा इसलिए क्योंकि लगातार दूसरी तिमाही में हमारी GDP में नेगेटिव ग्रोथ है। लेकिन GDP होती क्या है?
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पॉजिटिव खबर

नर्सरी का बिजनेस शुरू किया, आज 30 लाख रु टर्नओवर

राजस्थान के उदयपुर जिले के रहने वाले आकाशदीप वैष्णव नौकरी कर रहे थे। मगर ठीक नहीं लगा। फिर नर्सरी का बिजनेस शुरू किया। उनके पास 2 हजार से ज्यादा प्लांट्स की वैरायटीज है। तीन से चार सालों में ही उन्होंने अपनी एक पहचान बना ली है। आज उनका सालाना 30 लाख रु टर्नओवर है।

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सुर्खियों में और क्या है...

  • ऑस्ट्रेलिया ने 3 वनडे की सीरीज के पहले मैच में टीम इंडिया को 66 रन से हरा दिया। भारतीय टीम 289 दिन बाद कोरोना के बीच अपना पहला वनडे खेलने उतरी थी।
  • केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन दिल्ली के दरवाजे से आगे बढ़ गया। आखिरकार किसानों को दिल्ली में एंट्री की इजाजत दे दी गई।
  • पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में गोलीबारी की। इसमें भारतीय सेना के दो जवान नायक प्रेम बहादुर खत्री और राइफलमैन सुखबीर सिंह शहीद हो गए।
  • गुजरात के राजकोट जिले के एक कोविड अस्पताल में गुरुवार देर रात आग लग गई। हादसे में पांच कोरोना मरीजों की जलकर मौत हो गई।


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जीवन में धर्म, कर्म और ध्यान में संतुलन बनाए रखना चाहिए, किसी एक बात की अति न करें

कहानी- रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद से जुड़ी एक घटना है। भगवान क्या होता है? विवेकानंद इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए रामकृष्ण परमहंस के पास गए थे।

इन दोनों की ये पहली मुलाकात थी। विवेकानंद, परमहंस से काफी प्रभावित हुए थे। इस कारण वे उनके शिष्य बन गए। इसके बाद गुरु ने नए शिष्य को ध्यान की विधि बता दी।

एक दिन विवेकानंद कमरा बंद करके ध्यान कर रहे थे, तो वे ध्यान की उस स्थिति में पहुंच गए जिसे समाधि कहते हैं। जब ये बात परमहंस को मालूम हुई तो वे तुरंत दौड़कर उस कमरे में पहुंचे और धक्का देकर विवेकानंद की समाधि तोड़ दी और ध्यान में से बाहर निकाला।

वहां कुछ और शिष्य भी मौजूद थे। उन्होंने पूछा कि आप कहते हैं कि ध्यान करना चाहिए और जब विवेकानंद ध्यान करते हुए समाधि में पहुंचे तो आपने उनका ध्यान क्यों तोड़ दिया?

रामकृष्ण परमहंस बोले, 'अभी इसकी उम्र ही क्या है? मुझे इससे बहुत बड़े-बड़े काम करवाने हैं। अगर ये ऐसे ही समाधि में उतर गया तो फिर कर्म नहीं कर पाएगा। इसे तो अभी अपने ज्ञान को कर्म से जोड़ना है। पूरी दुनिया में धर्म का प्रचार करना है। लोगों को नैतिकता सिखाना है। हमें एक सीमा तक ही ध्यान करना चाहिए। गहरी समाधि में इतना नहीं उतरना है कि हम अपनी योग्यता का सही उपयोग ही नहीं कर सके।'

मानवता का हित करना, सभी का धर्म है और यही सबसे बड़ी पूजा है। रामकृष्ण परमहंस की इन्हीं बातों की वजह से दुनिया को विवेकानंद जैसा संन्यासी मिला।

सीख- हमें अपने जीवन में धर्म और कर्म का संतुलन बनाए रखना चाहिए। ध्यान और सामाजिक जीवन में भी सही तालमेल होना चाहिए। यही बात रामकृष्ण परमहंस ने विवेकानंद को समझाई थी।



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बड़ी पार्टियों का खेल बिगाड़ रहे हैं निर्दलीय, कई पूर्व मंत्री और विधायक मैदान में, केंद्र सरकार के लिए लिटमस टेस्ट होगा यह चुनाव

जम्मू कश्मीर में पहली बार डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल (DDC) के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। यह चुनाव अपने आप में खास है क्योंकि, स्पेशल स्टेटस स्टेट से यूटी बनने के बाद पहली बार यहां वोटिंग हो रही है। जम्मू-कश्मीर के लोगों और नेताओं के लिए यह इम्तिहान भी है। यहां लंबे समय से पंचायती राज को लागू करने की मांग थी।

वहीं अब सरकार का दावा है कि पंचायत, BDC और उसके बाद अब DDC चुनाव होने से थ्री टियर सिस्टम पूरी तरह लागू हो गया है। जम्मू कश्मीर में कुल 20 जिले हैं और हर जिले में डीडीसी के लिए 14 क्षेत्र बनाए गए हैं। यूटी में कुल 280 सीटों के लिए चुनाव होगा। जिसके लिए राज्य में खासा उत्साह भी देखा जा रहा है। वहीं सरकार और चुनाव आयोग के लिए कोरोना के बीच आतंकवाद और सर्दी बड़ी चुनौतियां हैं।

मौजूदा जमीनी स्थिति क्या है

जब DDC चुनाव की घोषणा हुई थी, तब साफ नहीं था कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और PDP चुनाव में उतरेंगी या नहीं। दोनों साथ-साथ उतरेंगी, इसकी तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। लेकिन, कश्मीर की मुख्य राजनीतिक पार्टियों का पीपल्ज एलायंस गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) के बैनर तले एक साथ चुनाव लड़ने से यूटी में मुकाबला कांटे का हो गया है।

हालांकि जम्मू में कई सीटों पर दबदबा पिछली सरकार में भागीदार रही भाजपा का है। लेकिन कांग्रेस, नेशनल पैंथर्स पार्टी और निर्दलीय बहुत सीटों पर बीजेपी का गणित बिगाड़ते नजर आ रहे हैं।

इस चुनाव में महिलाओं की निर्णायक भूमिका हो सकती है। इस लिहाज से राजनीतिक पार्टियां इन्हें अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही हैं।

वहीं कश्मीर में भी कई सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी मजबूत स्थिति में हैं। इसके अलावा कई सीटों पर कश्मीर में NC और PDP आमने-सामने हैं। हालांकि कांग्रेस का पलड़ा कहीं भी ज्यादा मजबूत नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस कश्मीर में वोट काटने का काम कर सकती है तो जम्मू में कई सीटों पर BJP को टक्कर दे रही है। इसके साथ ही जम्मू में BJP के कुछ नेताओं से जनता की नाराजगी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है।

लोगों की जरूरत से जुड़े बुनियादी मुद्दे क्या हैं

जम्मू और कश्मीर में हर जिले के बुनियादी मुद्दे भले अलग हों, लेकिन भ्रष्टाचार और बेरोजगारी मुख्य मुद्दा रहेगा। DDC का चुनाव ऐसे तो छोटा चुनाव माना जाता है। इसलिए गावों की सड़कें, पंचायत घर, स्कूल, अस्पताल बिजली, पानी और उसके बाद एग्रीकल्चर में सरकारी स्कीमों का लाभ चुनावी मुद्दा रहेगा।

भाजपा इस चुनाव में भी प्रत्याशी से ज्यादा पीएम मोदी के नाम पर वोट मांग रही है। साथ ही हाल ही में सुर्खियों में आए रोशनी लैंड स्कैम को भी मुद्दा बना रही है। वहीं PAGD पूरी तरह आर्टिकल 370 का हटना, कश्मीर से स्पेशल स्टेटस का जाना, राज्य का यूटी बनना जैसे मुद्दों के साथ मैदान में उतर रही हैं। जबकि कांग्रेस कोरोनाकाल में जनता के नुकसान और राज्य में विकास न होने पर केंद्र और भाजपा के खिलाफ मुद्दा बना रही है।

आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार यहां वोटिंग हो रही है। सभी राजनीतिक दल लोगों को अपने पक्ष में साधने की कोशिश कर रहे हैं।

यह चुनाव विधानसभा चुनाव की तैयारी साबित हो सकता है

डीडीसी के इन चुनावों को भाजपा के लिए जम्मू कश्मीर में लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है। इसके बाद विधानसभा क्षेत्रों का डी लिमिटेशन होना है और फिर विधानसभा चुनाव। मगर यह चुनाव पूरी तरह से भाजपा हो या कांग्रेस, NC हो या PDP उनके लिए एक टेस्ट है कि आखिर उनकी सियासी जमीन कहां और कितनी है। वहीं अब लगभग सिमट चुकी पार्टियां पैंथर्स पार्टी हो या पीपल्ज कांफ्रेंस या फिर नई अपनी पार्टी, इन सबका भी इम्तिहान हैं यह चुनाव। यही कारण है कि कई दिग्गज इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

कई पूर्व मंत्री और विधायक लड़ रहे चुनाव

कई पूर्व मंत्रियों और विधायकों ने चुनाव में उतरकर मुकाबला और ज्यादा दिलचस्प बना दिया है। इसके साथ ही कई पूर्व अधिकारी, अधिकारियों की पत्नियां, उनके रिश्तेदार और कई परिवार एक-दूसरे के सामने मैदान में हैं। कई जगह तो पब्लिक प्लेटफार्म पर सियासी दुश्मनों को इन चुनावों ने दोस्त बना दिया है और मामा-भांजे को दुश्मन।

पहले चरण की 43 सीटों पर आज वोटिंग हो रही है। कुल 8 चरणों में यहां चुनाव होना है।

भाजपा से पूर्व मंत्री शाम चौधरी सीमावर्ती सुचेतगढ़ से मैदान में हैं तो शक्ति परिहार पहाड़ी क्षेत्र डोडा से दो सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व विधायक प्रो गारू राम आरएस पूरा तो भारत भूषण भलवाल से मैदान में हैं। वहीं BJP के दो पूर्व विधायक पार्टी छोड़ भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। हीरानगर से दुर्गा दास तो चेनानी से दीनानाथ भगत ने पार्टी छोड़ निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन दिया है।

राजौरी में एक जगह युवा सरपंच जावेद चौधरी मैदान में हैं तो उनके मामा और पूर्व पीडीपी मंत्री चौधरी जुल्फिकार दूसरे प्रत्याशी को समर्थन दे रहे हैं। लोकतंत्र के लिए अच्छी बात यह है कि ज्यादातर युवा निर्दलीय मैदान में हैं। उधमपुर से नरेश माथुर जो प्रोफेसर हैं तो सुरिंदर सिंह गिल्ली युवा राजपूत सभा के अध्‍यक्ष। बनी से कांग्रेस प्रत्याशी काजल पत्रकारिता में रह चुकी हैं तो दूरदराज लाटी से काजल ठुकान पढ़ी- लिखी प्रत्याशी हैं और एक अधिकारी की पत्नी भी।



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जम्मू-कश्मीर में पहली बार DDC का चुनाव हो रहा है। आज 43 सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं।


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नौकरी छोड़कर 4 साल पहले नर्सरी का बिजनेस शुरू किया, आज सालाना 30 लाख रु है टर्नओवर

राजस्थान के उदयपुर जिले के रहने वाले आकाशदीप वैष्णव नर्सरी का बिजनेस करते हैं। उनके पास 2 हजार से ज्यादा प्लांट्स की वैरायटीज है। तीन से चार सालों में ही उन्होंने अपनी एक पहचान बना ली है। आज सालाना 30 लाख रु उनका टर्नओवर है।

28 साल के आकाशदीप कहते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए 12वीं के बाद ही नौकरी की तलाश में जुट गया। जल्द ही नौकरी भी मिल गई। उससे घर का खर्च निकलने लगा। इसके बाद बीकॉम किया। तब तक सैलरी भी ठीक-ठाक हो गई थी। लेकिन मुझे जॉब सेटिस्फेक्शन नहीं मिल रही थी।

इसके बाद 2016 में मैंने नौकरी छोड़ दी और नए-नए आइडियाज के बारे में रिसर्च करने लगा। करीब 10 दिन बाद कहीं मुझे नर्सरी के बिजनेस के बारे में पढ़ने को मिला। मैंने सोचा कि क्यों न एक बार इसमें भी हाथ आजमाया जाए। हालांकि मुझे प्लाटिंग के बारे में जानकारी नहीं थी। परिवार में भी किसी ने गार्डनिंग नहीं की थी। मेरे लिए यह फिल्ड बिलकुल ही नया था।

आकाशदीप कहते हैं कि नर्सरी का बिजनेस शुरू करने से पहले हमें मार्केट के बारे में रिसर्च जरूरी है।

एक नर्सरी से कुछ प्लांट्स लाया और एक छोटी सी नर्सरी सेटअप की। हालांकि जानकारी नहीं होने की वजह से नुकसान हो गया। ज्यादातर प्लांट्स सूख गए या खराब हो गए। इसके बाद मैंने तय किया कि किसी एक्सपर्ट से मिलकर इसकी ट्रेनिंग लेनी होगी। प्लांट्स और उनकी वैरायटीज के बारे में जानकारी हासिल करनी होगी। फिर बेंगलुरु और नोएडा में इसकी ट्रेनिंग ली, कई सेमिनार में शामिल हुआ। तब जाकर बिजनेस जमा।

वो बताते हैं कि बिजनेस स्टार्ट करने के बाद हम लोग घरों में जाकर उनकी जरूरत के हिसाब से फूलों की और दूसरे प्लांट्स की सप्लाई करते थे। फिर उनसे फीडबैक भी लेते थे। इस तरह धीरे- धीरे डिमांड बढ़ने लगी और हमारा दायरा बढ़ने लगा। अब तो हजारों की संख्या में प्लांट्स के लिए हम कॉन्ट्रेक्ट लेते हैं।

इसके साथ ही अब हम लोग ऑनलाइन भी ऑर्डर लेते हैं। वो प्लांट्स के साथ ही उनकी रखरखाव के सामान, गमले, खाद वगैरह भी रखते हैं। ताकि एक ही जगह ग्राहकों को ज्यादातर चीजें मिल जाए।

वो प्लांट्स के साथ ही उनकी रख-रखाव के सामान, गमले, खाद वगैरह भी रखते हैं। ताकि एक ही जगह ग्राहकों को ज्यादातर चीजें मिल जाए।

आकाशदीप कहते हैं कि अगर कोई नर्सरी का बिजनेस शुरू करना चाहता है तो उसे सबसे पहले मार्केट रिसर्च करनी चाहिए। किस जगह कौन से प्लांट्स की डिमांड है और वो प्लांट कहां-कहां मिलता है, इसके बारे में जानकारी जुटानी होगी। कई ऐसे जगह होते हैं, जहां कम कीमत में थोक में प्लांट्स मिलते हैं, तो इधर-उधर से खरीदने के बजाय ऐसे जगहों से ही खरीदें, जहां पैसों की बचत हो।

वो कहते हैं कि हमारे पौधे दक्षिण भारत से आते हैं। लेकिन मैं अन्य लोगों की तरह एजेंट्स पर निर्भर नहीं करता। मैं सीधा उन किसानों से मिलता हूं जो ये पौधे तैयार कर रहे हैं। किसानों से सीधा प्रोडक्ट लेने से उन्हें भी फायदा होता है और हमें भी। इसके साथ ही आपको प्लांट्स के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए, तभी आप ग्राहकों को बता सकते हैं कि कौनसा प्लांट धूप में उगेगा और कौनसा छाए में।

अभी उनकी नर्सरी में दो हजार से ज्यादा प्लांट्स की वैरायटीज हैं।

आकाशदीप कहते हैं कि शुरुआत में जब तक बहुत जरूरी नहीं हो, तब तक ज्यादा मजदूर नहीं रखना चाहिए। क्योंकि शुरुआत में ये एक्स्ट्रा खर्च बिजनेस को नुकसान पहुंचा सकता है। मैंने जब शुरुआत की थी, तब ज्यादातर काम खुद ही करता था। बाकी परिवार के लोग मदद करते थे। जब बिजनेस बढ़ गया तो 10-12 लोगों को हमने काम पर रखा है।

अभी आकाशदीप के पास 2 हजार से ज्यादा प्लांट्स की वैरायटीज हैं। इन सभी को नाम से वे जानते भी हैं। वे इनडोर और आउटडोर दोनों तरह के प्लांट्स रखते हैं। वो बताते हैं कि इस समय सबसे ज्यादा डिमांड एयर प्यूरीफायर वाले प्लांट्स की है।

आकाशदीप को इस काम में आमदनी के साथ जॉब सेटिसफेक्शन भी है। वो कहते हैं कि मेरे काम से लोगों के घर खूबसूरत तो होते ही हैं साथ ही पर्यावरण को भी फायदा होता है। वो जल्द ही राजस्थान के बाहर भी अपने बिजनेस को बढ़ाने वाले हैं।



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राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले आकाशदीप नर्सरी का बिजनेस करते हैं।


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घर का बजट मैनेज कर फाइनेंशियल स्ट्रेस से बच सकते हैं, जानें घरेलू बजट मैनेज करने के तरीके

आपकी हर महीने होने वाली कमाई कहां खर्च होती है? इसका कोई हिसाब है आपके पास? यह बात तो आप मानेंगे ही कि आपकी कमाई का अधिकतर हिस्सा घर के खर्चों पर ही चला जाता है। भोपाल की फाइनेंस एक्सपर्ट मनीषा आनंद कहती हैं कि अगर पैसे बर्बाद होने से बचाना है, तो हाऊसहोल्ड मैनेजमेंट को समझना होगा। उसके लिए एक बजट तैयार करना होगा।

साथ ही पैसों का मैनेजमेंट भी करना जरूरी है। ऐसा करके आप आर्थिक तंगी के चलते होने वाले स्ट्रेस से बच सकते हैं। पहले जानते हैं कि हाउसहोल्ड बजट मैनेजमेंट क्या होता है? इसके लिए किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है?

हाउसहोल्ड बजट का मतलब क्या है​​​​​

  • एक्सपर्ट कहती हैं कि हाउसहोल्ड बजट का मतलब आपके घर के खर्चों का हिसाब लगाना होता है। आप यह भी पता कर सकते हैं कि कितने पैसे कहां खर्च होते हैं? महीने का कितना पैसा बचाया जा सकता है? इसके अलावा आप अपनी लाइफस्टाइल पर होने वाले खर्चों का भी पता लगा सकते हैं।
  • हाउसहोल्ड एक्सपेंसेज में जरूरी बिल का पेमेंट करना, EMI चुकाना, बचत और इंवेस्टमेंट का टारगेट पूरा करना और स्कूल की फीस जैसे खर्चे शामिल होते हैं।

हाउसहोल्ड बजट बनाने के उपाय

  • कई तरह से हाउसहोल्ड बजट तैयार कर सकते हैं। इसका सबसे बेस्ट तरीका है कि आप अलग-अलग लिफाफे बना लें। इससे यह पता चलेगा कि कितना पैसा कहां जा रहा है?
  • अब कई मोबाइल एप्लिकेशन भी आ गए हैं, जिसमें आप इस तरह का हिसाब रख सकते हैं।

घरेलू बजट को 5 हिस्सों में बांट सकते हैं

  • बजट को अलग- अलग हिस्सों में बांटने से खर्च पर कंट्रोल रहता है। डेली बजट में रोज के खर्चे, वीकली बजट में हफ्ते में होने वाले खर्चे, मंथली बजट में हर महीने होने वाले खर्चे, हाफ ईयरली में 6 महीने और ईयरली बजट में साल भर के खर्चों का रिकॉर्ड मेंटेन कर सकते हैं।

बजट बनाते समय 8 बातों का रखें ध्यान

  • बजट बनाते समय हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। इससे हमें बजट बनाने में फायदा मिलेगा। बजट को लगातार रिव्यू भी करते रहना चाहिए।

तीन हिस्सों में गोल सेट करें

  • जब बजट के लिए गोल सेट करें तो उसको भी कई हिस्सों में बांट सकते हैं। इससे हमें यह पता रहता है कि शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म गोल के लिए हमें किस तरह पैसों का इस्तेमाल करना चाहिए।

अपनी इनकम और खर्च का पता लगाएं

  • इनकम और खर्च में बैलेंस जरूरी है। इसके लिए आप डायरी बना सकते हैं, जिसमें सारे खर्च का रिकॉर्ड रख सकें।

हर महीने होने वाले खर्चे

  • इनकम का सबसे ज्यादा हिस्सा महीने के होने वाले खर्चों में लगता है। इसलिए हमें महीने के होने वाले खर्चे का हिसाब भी अलग-अलग रखना चाहिए।


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Household Budget; How to Create? Know Everyting About Household Budget Types, Planning and More


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लंच या डिनर में टेस्टी और हेल्दी फ्राइड लौकी बनाएं, सिर्फ 15 मिनट में हो जाएगी तैयार



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Make tasty and healthy fried gourd for lunch or dinner, it will be ready in just 15 minutes


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बिगड़ा एंटरटेनमेंट बिजनेस, बॉक्स ऑफिस कलेक्शन बीते 13 साल में सबसे कम, मार्च 2021 तक भी ज्यादा उम्मीदें नहीं

2020 के 11 महीने बीत चुके हैं। इनमें से 9 महीने बॉक्स ऑफिस के लिए इतने बदतर साबित हुए हैं कि यह 13 साल पीछे चला गया। कोविड-19 के चलते मार्च में लॉकडाउन लगा और अन्य उद्योगों की तरह फिल्म उद्योग भी ठहराव पर आ गया।

अनलॉक के बाद दूसरे उद्योगों ने तो रफ्तार पकड़ ली लेकिन सिनेमाघर ओपनिंग के एक महीने बाद भी ट्रैक पर नहीं आ पाए हैं। ट्रेड एनालिस्ट और 40 सालों से डिस्ट्रीब्यूशन सक्रिय राज बंसल की मानें तो कोरोना की वजह से बॉक्स ऑफिस को 1800-2000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।

2020 का कलेक्शन 2007 की राह पर

2020 का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 2007 की राह पर है। इस साल सिनेमाघरों में रिलीज हुईं सभी छोटी-बड़ी फिल्मों ने जनवरी से नवंबर तक करीब 826 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया। जबकि 2007 का रिकॉर्ड देखें तो उस साल भी नवंबर तक कलेक्शन लगभग 819 करोड़ रुपए हुआ था। अगर हालात यही रहते हैं तो 2020 का कुल कलेक्शन 2007 के कुल कलेक्शन के आसपास रह जाएगा।

सबसे बड़ा घाटा सिनेमाघर मालिकों को

राज बंसल कहते हैं, "अगर कोरोना के कारण हुए घाटे की बात करें तो सबसे बड़ा घाटा सिनेमाहॉल मालिकों को हुआ है। एक्टर्स को घाटा यह हुआ है कि उनकी फिल्में घट गईं और शूटिंग के दिन कम हो गए। अगर हम 2000 करोड़ रुपए के घाटे की बात करें तो इसमें से कम से कम 1000 करोड़ रुपए का नुकसान सिनेमाहॉल मालिकों का है।"

2020 में लॉकडाउन से पहले सिनेमाघर 73 दिन तक खुले रहे थे और लॉकडाउन के बाद इन्हें खुले हुए 34 दिन बीत चुके हैं। अब तक कुल कलेक्शन करीब 826 करोड़ रुपए हुआ है। वहीं, 65 से ज्यादा फिल्में रिलीज हो चुकी हैं।

एक महीने में कोई कलेक्शन नहीं

7 महीने बंद रहने के बाद सिनेमाघरों को 15 अक्टूबर से दोबारा खोल दिया गया था। तब से अब तक एक महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है। लेकिन, बॉक्स ऑफिस अभी भी कलेक्शन को तरस रहा है। इसकी बड़ी वजह नई फिल्मों का रिलीज न होना है। राज बंसल कहते हैं कि जब पुरानी फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर मुफ्त में उपलब्ध हैं तो फिर कोई क्यों अपनी जिंदगी का रिस्क लेकर टिकट खरीदकर इन्हें सिनेमाघरों में देखेगा।

मेकर्स को नुकसान नहीं है

बंसल कहते हैं, "मेकर्स को नुकसान नहीं है। अगर है भी तो बहुत कम है। क्योंकि वे अपना पैसा सैटेलाइट राइट बेचकर और फिल्मों को डिजिटली बेचकर निकाल रहे हैं। यशराज और रिलायंस जैसे प्रोडक्शन हाउस सिनेमाघरों के साथ खड़े हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि अगर वे साथ खड़े नहीं होंगे तो इंडस्ट्री चरमराकर खत्म हो जाएगी। उनका साथ खड़ा होना बहुत बड़ी बात है।"

2020 में अब तक सिर्फ एक ही फिल्म हिट रही और वह है अजय देवगन स्टारर 'तान्हाजी : द अनसंग वॉरियर', जिसने बॉक्स ऑफिस पर करीब 280 करोड़ रुपए की कमाई की थी। यह इस साल की इकलौती ऐसी फिल्म है, जिसने बॉक्स ऑफिस पर 100 और 200 करोड़ का आंकड़ा पार किया।

होली तक हालात सामान्य होने पर संदेह

बंसल के मुताबिक, वे उम्मीद कर रहे थे कि क्रिसमस पर बॉक्स ऑफिस ट्रैक पर लौट सकता है। लेकिन जिस तरह के हालात देश में बने हुए हैं, उन्हें देखते हुए अगले साल होली से पहले स्थिति सामान्य होती दिखाई नहीं देती। वे कहते हैं, "वर्तमान हालात ये हैं कि सिनेमाघर बंद हो रहे हैं। लोग दूसरी जगह जाकर नौकरी कर रहे हैं। कई लोग फल, सब्जी के ठेले लगाने को मजबूर हैं। किसी ने होजरी की दुकान खोल ली क्योंकि घर तो चलाना ही है।"

अगर पिछले 10 साल की तुलना करें तो ज्यादातर हाईएस्ट ग्रॉसर्स फिल्में जनवरी से नवंबर तक की रिलीज में से ही आई हैं। इन 10 सालों में दिसंबर में सिर्फ वही फिल्म हाईएस्ट ग्रॉसर रही, जिसमें आमिर खान लीड रोल में थे।

चर्चित फिल्में जो पर्दे पर रिलीज नहीं हो सकीं

फिल्म स्टार कास्ट डायरेक्टर कब रिलीज होनी थी वर्तमान स्टेटस
सूर्यवंशी अक्षय कुमार, कटरीना कैफ, अजय देवगन, रणवीर सिंह रोहित शेट्टी 12 मार्च अगले साल आएगी
83 रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण कबीर खान 10 अप्रैल अगले साल आएगी
कुली नं. 1 वरुण धवन, सारा अली खान डेविड धवन 1 मई क्रिसमस पर ओटीटी पर आएगी
राधे : योर मोस्ट वांटेड भाई सलमान खान, दिशा पाटनी प्रभु देवा 22 मई अगले साल आएगी
पृथ्वीराज अक्षय कुमार, मानुषी छिल्लर चंद्रप्रकाश द्विवेदी दिवाली पर अगले साल आएगी

इनके अलावा, अमिताभ बच्चन, आयुष्मान खुराना स्टारर 'गुलाबो सिताबो', विद्या बालन स्टारर 'शकुंतला देवी', जाह्नवी कपूर स्टारर 'गुंजन सक्सेना : द कारगिल गर्ल', संजय दत्त स्टारर 'सड़क 2', अक्षय कुमार स्टारर 'लक्ष्मी बॉम्ब' जैसी कई फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज कर दी गई हैं।

अजय देवगन स्टारर 'भुज : द प्राइड ऑफ इंडिया' और अभिषेक बच्चन स्टारर 'द बिग बुल' जैसी कई अन्य फिल्में भी ओटीटी पर रिलीज के लिए तैयार हैं। वहीं, अमिताभ बच्चन, रणबीर कपूर और आलिया भट्ट स्टारर 'ब्रह्मास्त्र' और आमिर खान स्टारर 'लाल सिंह चड्ढा' जैसी कई ऐसी बड़ी फिल्में हैं, जिन्हें कोरोना के चलते अगले साल तक के लिए टाल दिया गया है।



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Box Office Collection | Coronavirus Impact On Bollywood Box Office Collection Projection 2020


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लगातार दूसरी तिमाही में GDP गिरी; इसका असर आपको दिखेगा नहीं, लेकिन आप पर हुआ भी और होगा भी

हमारे देश की GDP पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच 23.9% गिर गई थी। दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के बीच संभली जरूर है, लेकिन अभी भी उसके आगे माइनस का निशान लगा है। दूसरी तिमाही में हमारी GDP में 7.5% की गिरावट आई है।

इसको हम अच्छा भी मान सकते हैं और बुरा भी। अच्छा इसलिए क्योंकि एनालिस्ट 8% से 12% तक की गिरावट का अनुमान लगा रहे थे। और बुरा इसलिए क्योंकि लगातार दूसरी तिमाही में हमारी GDP में नेगेटिव ग्रोथ आई है। लेकिन GDP होती क्या है? क्या इसके गिरने-बढ़ने का हम पर कुछ असर होगा? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानते हैं...

सबसे पहले GDP क्या होती है?

  • हम सभी पढ़े-लिखे हैं। स्कूल-कॉलेज गए हैं। हर साल एग्जाम देने के बाद हमारा एक रिपोर्ट कार्ड आता है। इस रिपोर्ट कार्ड से पता चलता है कि हमने सालभर किस सब्जेक्ट में कितनी मेहनत की और उसमें हमें कितने मार्क्स मिले। कुल मिलाकर ये रिपोर्ट कार्ड हमारी परफॉर्मेंस बताता है।
  • कुछ ऐसा ही GDP के साथ भी होता है। क्योंकि ये तिमाही नतीजे हैं। इसलिए इसको ऐसे समझते हैं कि इन 3 महीनों में हमारे देश में कितना सामान बना, कितना बिका, इसका हिसाब-किताब होता है GDP। ये हमारे देश की आर्थिक हालत का रिपोर्ट कार्ड होता है। इसमें मार्क्स यानी ग्रोथ जितनी ज्यादा होगी, हालत उतनी अच्छी होगी। मार्क्स या ग्रोथ जितनी कम होगी, हालत उतनी खराब होगी।
  • आसान भाषा में कहें तो GDP में पॉजिटिव ग्रोथ होने का मतलब है हमारा देश तरक्की कर रहा है। लेकिन निगेटिव ग्रोथ का मतलब है कि देश को जितनी तरक्की करनी चाहिए, उतनी हो नहीं रही।

GDP में गिरावट क्यों आई?
GDP के गिरने का सबसे बड़ा कोरोनावायरस और उसकी वजह से लगा लॉकडाउन है। पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून तक लॉकडाउन का असर दिखा था, इसलिए GDP में 23.9% की गिरावट आ गई थी। उसके बाद जून से अनलॉक होना शुरू हुआ। बाजार धीरे-धीरे खुलने लगे, इसलिए इस बार गिरावट तो हुई लेकिन 7.5% की। यानी GDP अब रिकवर करने लगी है। हो सकता है कि जब तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर के आंकड़े आएं तो GDP में पॉजिटिव ग्रोथ देखने को मिला।

GDP की घट-बढ़ के लिए कौन जिम्मेदार है?
GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च। इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नोट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है। क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।

GDP गिरी, लेकिन हम पर तो इसका असर दिखा नहीं?

  • अक्सर लोगों को कहते सुना जाता है कि GDP ग्रोथ रेट कम हो रही है, तो हमें क्या? कौनसा हमारा कुछ बिगड़ रहा है? हम जाने-अनजाने में ही सही, लेकिन इस बात को नकार देते हैं कि गिरती GDP का असर हम पर नहीं पड़ा। लेकिन इसका असर पड़ता भी है और पड़ेगा भी।
  • पहले समझाते हैं आप पर कैसे इसका असर पड़ भी गया और आपको ज्यादा अंदाजा नहीं लगा। क्योंकि ये GDP के जो आंकड़े आते हैं, वो हम-आपके ही हालात बयां करते हैं। क्योंकि हमने खर्च कम किया और बचत ज्यादा की और जब खर्च कम हुआ तो प्रोडक्शन भी कम हो गया, क्योंकि उसे खरीदने वाले ही नहीं थे। प्रोडक्शन कम हुआ, तो GDP भी कम हो गई। GDP गिरने का एक असर ये भी होता है कि इससे कमाई कम हो जाती है।
  • अब समझाते हैं आप पर इसका असर कैसे पड़ेगा? जिस तरह से हमने लॉकडाउन में और उसके बाद अनलॉक में भी खर्च से ज्यादा बचत की, क्योंकि हम जानते थे कि हालात अभी सही नहीं चल रहे हैं। ऐसा ही कंपनियां भी करती हैं। गिरती GDP से बेरोजगारी का खतरा बढ़ जाता है। कंपनियां अपने खर्च कम करती हैं। इससे नई नौकरियां कम हो जाती हैं और छंटनियां बढ़ने लगती हैं।

तो क्या देश में बेरोजगारी बढ़ने वाली है?
इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन गिरती GDP का असर रोजगार पर पड़ता जरूर है। अभी हाल में निजी एजेंसी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने अक्टूबर में बेरोजगारी दर का डेटा जारी किया है। इसके मुताबिक, हमारे देश में बेरोजगारी दर अक्टूबर में 6.98% रही। इससे पहले सितंबर में 6.67% रही थी।

तो सरकार क्या कर रही है?
गिरती अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने के लिए सरकार अब तक 29.87 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दे चुकी है। इसी महीने 12 नवंबर को सरकार ने आत्मनिर्भर 3.0 पैकेज जारी किया था, जो 2.65 लाख करोड़ रुपए का था। इस पैकेज में सबसे ज्यादा फोकस रोजगार बढ़ाने पर किया गया था। उससे पहले त्योहारी सीजन में मांग बढ़ाने के लिए सरकार 12 अक्टूबर को 73 हजार करोड़ रुपए का आत्मनिर्भर 2.0 पैकेज लेकर आई थी।

जबकि, सबसे पहले 12 मई को प्रधानमंत्री मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर 1.0 पैकेज की घोषणा की थी, जो असल में 20.97 लाख करोड़ रुपए का था। हालांकि, इन पैकेज का असर कितना पड़ा, इसका पता तो बाद में ही चल पाएगा।



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GDP; India GDP Q2 Growth Rate 2020 And Its Impact?| All You Need To Know About Gross Domestic Product Of India In Second Quarter


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वैक्सीन लगने के 8 घंटे बाद टीचर बोले- पत्नी को एक दिन पहले बताया था, वो खुशी से राजी हो गई

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भारत बॉयोटेक और ICMR की कोवैक्सीन के थर्ड फेज का ट्रायल शुरू हो गया है। पहला डोज पटेल नगर में रहने वाले आर्ट के शिक्षक को लगाया गया। टीका लगने के 8 घंटे बाद उन्होंने दैनिक भास्कर से बात की।

टीचर ने बताया कि वह पहले जैसा नॉर्मल महसूस कर रहे हैं। उन्होंने पत्नी और दोनों बेटियों को कोरोना की कोवैक्सीन लगवाने की बात एक दिन पहले ही बताई थी, वह सब खुशी-खुशी राजी हो गए।

मध्य प्रदेश में कोवैक्सीन का पहला डोज लेने के आठ घंटे बाद वॉलंटियर शिक्षक की कहानी, उन्हीं की जुबानी….

‘मैंने तीन दिन पहले दैनिक भास्कर में खबर पढ़ी थी कि भोपाल में कोरोना वैक्सीन का ट्रायल होने जा रहा है और उसमें टीके लगाए जाएंगे। इस खबर के बाद मैंने पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में संपर्क किया और टीका लगवाने के लिए अपनी सहमति दी। उन्होंने मेरा रजिस्ट्रेशन कर लिया और 27 नवंबर को मेडिकल कॉलेज आने को कहा। उस समय मैंने परिवार को ये सब नहीं बताया था।’

मैं पत्नी और दो बेटियों के साथ भानपुर के पटेल नगर में रहता हूं। पत्नी को एक दिन पहले गुरुवार को मैंने पूरी बात बताई। मेरी दोनों बेटियां (बड़ी बेटी 14 साल और छोटी बेटी 8 साल की हैं) भी उस समय वहां मौजूद थीं। मैंने पत्नी को बताया कि पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैली हुई है। इसके लिए बन रहे टीके का ट्रायल पीपुल्स अस्पताल में हो रहा है। क्या मुझे टीका लगवाना चाहिए? मेरी पत्नी खुशी-खुशी इस बात के लिए राजी हो गई और कहा कि यह बहुत अच्छा है, इससे लाखों लोगों का फायदा है, आप जरूर टीका लगवाएं।’

कोरोना के टीके का पहला डोज लगवाने वाले शिक्षक।

टीका लगवाने के बाद बाइक चलाकर पहुंचे अपने घर

27 नवंबर को कोवैक्सीन टीके का पहला डोज लगवाने के बाद टीचर को एक घंटे तक डॉक्टरों ने निगरानी में पीपुल्स हॉस्पिटल में ही रखा गया। इसके बाद जब सबकुछ ठीक लगने लगा, तो उन्हें घर जाने दिया गया। टीचर ने बताया, ‘मैं अपनी बाइक से आराम से घर पहुंचा।

घर पहुंचने पर मेरी बेटी और पत्नी बेहद खुश थे। पूरे दिन से अस्पताल में था, इस वजह से घरवालों से बात भी नहीं हो पाई थी, लेकिन जब टीका लगवाने के बाद उनसे बात की तो मैं भी खुश था और मेरा परिवार भी। आखिर ये मेरे साथ ही लाखों लोगों की जिंदगी का सवाल है। इसलिए मैं इसमें सहभागी बना हूं।’

‘घर आने के बाद मैंने खाना खाया। पत्नी ने मेरी पसंद का खाना (दाल-बाटी) बनाया था। भरपेट खाना खाया और फिर बेटियों के साथ दिनभर जो हुआ, उस पर चर्चा की। परिवार की जिज्ञासाओं को एक-एक करके शांत करता रहा।’

डॉक्टरों ने कहा-भूल जाएं की टीका लगा है, कोई टेंशन नहीं लेना है

‘टीका लगने के बाद डॉक्टरों ने मुझे प्रिकॉशंस लेने और साफ-सफाई रखने के लिए कहा। उन्होंने लोगों से भी डिस्टेंस बनाने और कोविड गाइडलाइन का पालन करने के लिए भी कहा है। मुझे कहा गया है कि भूल जाऊं कि कोई टीका लगवाया है, मतलब कोई टेंशन नहीं लेना है। बस हर रोज अपनी डायरी जरूर मेंटेन करते रहना है। अपने दिन भर के क्रियाकलापों को दर्ज करना है। कुछ अटपटा लगता है तो वह भी दर्ज करना है’

कोवैक्सीन का टीका लगवाने वाले टीचर पटेल नगर के एक स्कूल में आर्ट और मिडिल क्लास तक के बच्चों को मैथ्स पढ़ाते हैं। उन्होंने बताया कि ‘टीके का डोज लेते समय मुझे जरा भी डर नहीं लगा, क्योंकि मुझे पता था कि यह हजारों-लाखों जिंदगी से जुड़ा सवाल है। इसमें शामिल होने को मैं अपना सौभाग्य मानता हूं।’

‘टीका लगाने के बाद नर्स ने पूछा था कि कुछ महसूस हो रहा है, कुछ अटपटा सा तो नहीं लग रहा है। मेरा यही जवाब था कि सब कुछ ठीक है। मुझे कुछ भी नहीं महसूस हो रहा है ना ही कुछ अटपटा लग रहा है। एकदम ठीक हूं। उन्होंने कहा है आश्वस्त किया है कि वह हर रोज मुझसे फोन पर बात करेंगे और स्वास्थ्य के बारे में पूछेंगे।'



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राजधानी भोपाल में शुक्रवार को कोरोना के टीके (कोवैक्सीन) का थर्ड फेज ट्रायल शुरू हुआ, जिसमें पहले दिन 7 लोगों को डोज दिए गए।


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ये मर्दों की नाक न हुई, जन्मदिन का केक हो गया, जिसे शरारती बच्चा तालियों से पहले ही काट दे

घटना बिहार की है। 43 बरस की शादीशुदा औरत का 70 साल के दिव्यांग से जबरन ब्याह रचाया गया। शादी की तमाम रस्मों और ढोल-ढमाके के बीच दुल्हन का लिबास पहने औरत के बाल मुंडे गए। इस बीच बन्ना-बन्नी की जगह अश्लील गालियों का राग चल रहा था। अब शादी-ब्याह है तो वीडियोग्राफी तो होगी ही। खूब हुई और वीडियो वायरल कर दी गई।

समझ तो गए ही होंगे! ये असल में औरत की सजा थी। कसूर? उसका बालिग बेटा, सजा देने वाले परिवार की बालिग बेटी के साथ चला गया और दोनों ने शादी कर ली। लड़की के अपनी मर्जी से ब्याह रचाने पर तनफनाया परिवार बदला लेने के बहाने एक साथ कई निशाने लगा गया। शादीशुदा अधेड़ औरत की जबरन दूसरी शादी रचा दी।

अब औरत का पति जब-जब उतरे हुए बाल देखेगा, दूसरी शादी याद आ जाएगी। ऐसे में औरत की गृहस्थी तो चौपट समझो। दूसरा- शादी की वीडियो बेटे के हाथ पड़ गई तो मां की बेइज्जती का बदला वो आदतन बीवी से लेगा। और अगर ऐसा न भी हुआ तो लड़की बच तो जाएगी लेकिन वापस कभी ससुराल लौटने के सारे रास्ते बंद रहेंगे।

21 साल का हाल में भर्रायी आवाज वाला लड़का और 18 साल की ना-तजुर्बेकार लड़की अब सारी उम्र मुंबई की किसी सीली कोठरी में बिताएंगे, जैसे कई खून कर अंडरग्राउंड हो गए हों। कहीं हाथ लगे तो या तो गर्दन काट दी जाएगी या भून-भान दिए जाएंगे।

दिलचस्प बात ये कि शादी कर चुके ये बच्चे एक ही जाति से हैं। यानी गैर-बिरादरी, दलित-सवर्ण जैसा राग भी नहीं अलापा जा सकता। लेकिन तब भी लड़की-पक्ष का लावा उफन रहा है। लड़की ने अपनी मर्जी से शादी कर ली। इज्जत पर ये क्या कम बड़ा बट्टा है!

मामला यहां लड़की की मर्जी का है। वो लड़की, जो हींग की खुशबू बेतहाशा पसंद होने के बाद कभी दाल में उसका तड़का नहीं लगा सकी क्योंकि घर का कोई मर्द उससे 'एलर्जिक' है। वो लड़की, जिसके कपड़ों से लेकर मुस्कान तक इंची टेप से मापकर तय होते रहे।

वो लड़की, जिसे अपनी मर्जी से पैदा होने तक का हक नहीं, उसने सीधे उठकर अपनी मर्जी से शादी कर ली। वो भी प्रेम-विवाह। लड़की के लिए विवाह के ऐन बाद रेप तो चलता है लेकिन प्रेम के बाद विवाह बिल्कुल नहीं। काहे कि घरवालों की नाक जो कट जाती है। ये मर्दों की नाक न हुई, जन्मदिन का केक हो गया, जिसे शरारती बच्चा तालियों से पहले ही काट दे।

लव-जिहाद पर भी तलवारें भांजी जा रही हैं। कोई इसे मजहब बदलने के लिए प्रेम की साजिश बता रहा तो कोई इससे उल्टी चाल रहा। इस सबके एकदम बीचों-बीच औरत है। हाल ही में एक राजनैतिक विश्लेषक ने पूछा कि क्या औरतें गाय-बकरियां हैं जो कोई भी उन्हें फंसा सके? रिश्ते से पहले वे क्या वे कागज नहीं देखतीं?

अजी नहीं साहब! औरतें तो गाय-बकरियों से भी गई-बीती हैं। खुल्ला छोड़ो तो बकरियां कम से कम अपनी मर्जी का चारा खा सकती हैं। पड़ोसी का खेत चरने पर डंडे भले पड़ें लेकिन पहरे कोई नहीं बिठाता। रस्सी से बांधी भी जाती हैं तो थोड़ी ढील देकर कि आराम से बैठने-पसरने की आजादी रहे। बकरी-गाय का जाति-मजहब भी नहीं होता। वे या तो मादा होती हैं, या नर। जानवर हैं इसलिए मर्जी से यौन संबंधों की छूट।

जानवरों से जनानियों का क्या मुकाबला! औरतें तो अपनी देह पर गुलामी को कपड़े की तरह पहनती हैं। जरा एक सुराख हुआ कि सारी बिरादरी डोल उठती है। कपड़ों की थान की थान लपेट दी जाती है कि कहीं सुराख से फूटती रोशनी किसी को आजाद न कर दे। कहीं-कहीं लोग ज्यादा दरियादिल हैं। वे कहते हैं- अपनी मर्जी से शादी कर लो लेकिन कुछ हुआ तो रोने को मत लौटना। यानी हौसला सोखने का सारा करतब होता है।

जापान जैसा बेहद समृद्ध देश भी इस मामले में हमारा हमकदम है। वहां शाही खानदान की लड़की अगर किसी बाहरी आदमी से शादी कर ले तो उससे राजकुमारी का खिताब छिन जाता है। घर चलाने को कुछ पैसे देकर महल के कपाट मूंद लिए जाते हैं।

राजकुमार के लिए अलग कायदा है। वो चाहे जिस लड़की से शादी कर उसे महल ला सकता है। महल का मालिक किसी पुरुष को ही बनाया जाता है। इधर 41 सालों तक जापान के रॉयल परिवार में कोई नर संतान न हुई तो रोना-पीटना मच गया। महल लावारिस होने जा रहा था। खैर, जापानी कहानी कभी और। फिलहाल तो हमारे यहां ही खूब रसीले किस्से हैं।

लड़की का नैन-मटक्का, लड़के संग घर से भागना, शादी, बच्चा और फिर टूटी हुई लड़कीनुमा औरत का खत्म हो जाना। जिस घर की लड़की ने मर्जी से शादी रचाई, उसके आसपास कई किलोमीटर तक के घर अपनी दीवारें उठवा लेते हैं। मोबाइल हाथ से छीन लिए जाते हैं।

स्कूल-कॉलेज छोड़ने-लाने को एक घरेलू मर्द पक्का किया जाता है। या और भी आसान कि पढ़ाई ही छुड़वा ही जाए। सारे प्रेम आखिर पढ़ते हुए ही तो उपजते हैं। शादी की सरकारी उम्र तक पहुंचते ही दूल्हा द्वार खड़ा होता है। शादी बेमेल निकली तो लड़की की किस्मत।

इधर तरक्की-पसंद लोग चारपाइयों पर अंगड़ाई ही लिए जा रहे हैं, उधर मर्जी के चलते लड़कियों के कत्ल हो रहे हैं। कुल जमा, लड़कियों की आजादी वो स्वेटर बन गया है, जो तैयार होने से पहले ही तंग हो चुका। अब रास्ता क्या है?

बॉस, एक रास्ता तो है। क्यों न हम सब मिलकर अपने दिमागों की फफूंद का बढ़िया इलाज करवाएं। समझ लें कि शरीर का फर्क न मर्दों को बेहतर बनाता है और न औरतों को कमतर। लड़की को इस काबिल मान सकें कि वो अपने लिए ठीक फैसला लेगी।

या फिर इतना हौसला दें कि फैसला गलत होने पर भी दुनिया खत्म नहीं होती। दिल पर पत्थर रखकर ही सही। कदम तो उठाना होगा मियां साहब। वरना ज्यादा दिन नहीं, जब हमारा मुल्क भी जापान का महल हो जाएगा। वारिस के इंतजार में बुढ़ाता हुआ।



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These men did not have a nose, became a birthday cake, which the naughty child would cut before the applause.


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13 साल संघर्ष, 32 हजार साइन, तब जाकर मिला महिलाओं को वोटिंग का अधिकार, ऐसा करने वाला पहला देश बना

भारत जिस दिन आजाद हुआ, उसी दिन से महिलाओं को वोटिंग का अधिकार मिल गया था। अमेरिका को देश की महिलाओं को वोट देने का अधिकार देने में 144 साल लग गए थे। ब्रिटेन को तो एक सदी का समय लग गया। कुछ ऐसा ही था न्यूजीलैंड भी, जहां 13 साल के संघर्ष के बाद महिलाओं को वोटिंग का अधिकार मिल पाया था। न्यूजीलैंड दुनिया का पहला देश है, जिसने सबसे पहले महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया था।

न्यूजीलैंड की सरकारी वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, यहां महिलाओं को भी वोटिंग का अधिकार मिले, इसके लिए 1880 के आसपास आंदोलन शुरू हुआ। महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दिलाने की लड़ाई के लिए वुमंस क्रिश्चियन टेम्परेंस यूनियन (WCTU) बना, जिसकी लीडर केट शेपर्थ थीं।

केट शेपर्थ ने ही महिलाओं को वोटिंग के अधिकार की लड़ाई लड़ी। इसके लिए उन्होंने एक पिटीशन पर साइन करवाई। उन्होंने करीब तीन साल मेहनत की, तब जाकर 32 हजार महिलाओं के साइन मिल पाए। ये उस समय की न्यूजीलैंड की महिला आबादी का करीब एक चौथाई था।

तस्वीर कैट शेफर्ड की है, जिन्होंने महिलाओं को वोटिंग का हक दिलाने की लड़ाई लड़ी। उनकी तस्वीर यहां के 10 डॉलर के नोट पर भी छपी है।

उनकी पिटीशन पर समर्थन मिलने के बाद 8 सितंबर 1893 को बिल लाया गया। इसके बाद 19 सितंबर को लॉर्ड ग्लास्गो ने बिल पर साइन कर इसे कानून बनाया। तब जाकर महिलाओं को वोटिंग का अधिकार मिला। 28 नवंबर 1893 को हुए आम चुनाव में महिलाओं ने पहली बार वोट डाले। पहले चुनाव में 1.09 लाख महिला वोटर थीं, जिसमें से 82% यानी 90,290 महिलाओं ने वोट डाला।

पहली बार किसी महिला ने उड़ाया एयरबस A-300
एयरबस A-300 विमान अमेरिकी कंपनी बोइंग ने बनाया है। ये विमान काफी बड़ा है। 28 नवंबर 1996 से पहले तक इसे सिर्फ पुरुषों ने ही उड़ाया था। लेकिन 28 नवंबर 1996 को कैप्टन इंद्राणी सिंह ने इसे उड़ाकर इतिहास रच दिया। कैप्टन इंद्राणी सिंह इस विमान की कमांडर भी थीं।

वो दुनिया की पहली महिला हैं, जो एयरबस A-300 की कमांडर रहीं। इंद्राणी को 1986 में पायलट का लाइसेंस मिला और कुछ वक्त बाद वो एयर इंडिया के बोइंग 737 की पायलट बन गईं। इंद्राणी सिंह अब गरीब बच्चों को पढ़ाती भी हैं।

इंद्राणी सिंह अब फ्लाइंग करियर के साथ-साथ गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम भी देखती हैं।

भारत और दुनिया में 28 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः

  • 1520: फर्डिनान्द मैगलन ने प्रशांत महासागर को पार करने की शुरुआत की।
  • 1660: लंदन में द रॉयल सोसायटी का गठन हुआ।
  • 1676: बंगाल की खाड़ी के तट पर पूर्वी भारत के महत्वपूर्ण बंदरगाह पुड्डचेरी पर फ्रांसीसियों का कब्जा।
  • 1814: द टाइम्स ऑफ लंदन को पहली बार ऑटोमैटिक प्रिंट मशीन से छापा गया।
  • 1821: पनामा ने स्पेन से आजाद होने की घोषणा की।
  • 1912: इस्माइल कादरी ने तुर्की से अल्बानिया के आजाद होने की घोषणा की।
  • 1954: महान भौतिकशास्त्री एनरिको फर्मी का निधन हुआ।
  • 1956: चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई भारत दौरे पर आए।
  • 1962: बंगाल के प्रसिद्ध दृष्टिहीन गायक केसी डे का निधन।
  • 1966: डोमनिकन रिपब्लिक ने संविधान अपनाया।
  • 1997: प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल ने अपने पद से इस्तीफा दिया।
  • 2012: सीरिया की राजधानी दमिश्क में दो कार बम धमाकों में 54 की मौत हुई और 120 घायल हुए।


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Today History: Aaj Ka Itihas India World November 28 | What Famous Thing Happened On This Day


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सीरीज में बने रहने के लिए भारत को जीत जरूरी, 3 मैच की सीरीज में ऑस्ट्रेलिया 1-0 से आगे

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही 3 मैच की वन-डे सीरीज का दूसरा मुकाबला रविवार को सिडनी में खेला जाएगा। पहले मैच में मिली हार के बाद सीरीज में बने रहने के लिए टीम इंडिया को हर हाल में यह मैच जीतना होगा। फिलहाल, ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है।

सीरीज का पहला मुकाबला भी सिडनी में खेला गया था, जहां ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 66 रन से हराया था। कप्तान एरॉन फिंच और स्टीव स्मिथ के शतकों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 375 रन का टारगेट दिया था। जवाब में भारतीय टीम 8 विकेट पर 308 रन ही बना पाई थी।

सिडनी में टीम इंडिया का रिकॉर्ड खराब
सिडनी में टीम इंडिया का रिकॉर्ड बहुत खराब है। यहां भारत ने अब तक कुल 21 मैच खेले हैं, जिसमें उसे सिर्फ 5 मैचों में जीत मिली है। वहीं, 15 मैच में भारत को हार का सामना करना पड़ा। एक मैच बेनतीजा रहा। बतौर कप्तान विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 18 में 11 मैच जीते हैं। वहीं, फिंच को 13 में से सिर्फ 6 मैचों में ही जीत हासिल हुई है।

वॉर्नर, फिंच और स्मिथ को आउट करना चुनौती
ऑस्ट्रेलियाई ओपनर्स डेविड वॉर्नर और फिंच ने पिछले वन-डे में 156 रन की ओपनिंग पार्टनरशिप की थी। वॉर्नर ने 69 रन की पारी खेली थी। वहीं, फिंच (114) और स्टीव स्मिथ (105) ने शानदार शतक जड़े थे। ग्लेन मैक्सवेल ने भी 19 बॉल पर 45 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली थी। ऐसे में सीरीज में बने रहने के लिए भारतीय बॉलर्स को इन बल्लेबाजों का तोड़ खोजना होगा।

हेजलवुड-जम्पा फॉर्म में, कमिंस से रहना होगा सतर्क
भारतीय बल्लेबाजों को जोश हेजलवुड और एडम जम्पा से सतर्क रहना होगा। हेजलवुड ने पिछले मुकाबले में भारतीय टॉप ऑर्डर की कमर तोड़ दी थी। वहीं, मिडिल ओवर में जम्पा ने भारतीय बल्लेबाजों की जमकर परीक्षा ली। दोनों ने मैच में 3-3 विकेट अपने नाम किए। भारत के खिलाफ सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पैट कमिंस भी भारत के लिए खतरा बन सकते हैं।

कोहली-राहुल का फॉर्म में आना जरूरी
पहले वनडे में 375 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए विराट कोहली और लोकेश राहुल कुछ खास नहीं कर सके थे। कोहली 21 और राहुल 12 रन बनाकर आउट हो गए थे। मयंक अग्रवाल 22 और श्रेयस अय्यर भी सिर्फ 2 रन ही बना सके। सीरीज में वापसी करने के लिए भारतीय बल्लेबाजों को फार्म में आना होगा।

धवन-पंड्या ही टिक सके
पिछले मुकाबले में शिखर धवन और हार्दिक पंड्या ने ही मोर्चा संभाला था। धवन ने 86 बॉल पर 74 रन बनाए थे। वहीं, पंड्या ने 76 बॉल पर 90 रन की पारी खेली थी। पंड्या ने इस दौरान 7 चौके और 4 छक्के लगाए थे। दोनों के बीच 5वें विकेट के लिए 128 रन की पार्टनरशिप भी हुई थी।

भारतीय बॉलर्स को निकालने होंगे विकेट
पहले वनडे में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने जमकर भारतीय बॉलर्स की क्लास लगाई थी। जसप्रीत बुमराह ने 7, नवदीप सैनी और युजवेंद्र चहल ने 8 से ज्यादा की इकोनॉमी से रन लुटाए थे। सिर्फ मोहम्मद शमी ही रनों पर लगाम लगा पाए थे और 3 विकेट भी लिए थे।

मौसम और पिच रिपोर्ट
सिडनी में रविवार को आसमान में बादल रह सकते हैं। अधिकतम तापमान 38 और न्यूनतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। स्पिनर्स भी अहम भूमिका निभा सकते है। इस सीरीज से पहले सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम का औसत 56.05% है।

हेड-टु-हेड
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अब तक 141 वनडे खेले गए। इसमें टीम इंडिया ने 52 मैच जीते और 79 हारे हैं, जबकि 10 मुकाबले बेनतीजा रहे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसी के घर में भारतीय टीम ने 52 वनडे खेले, जिसमें से 13 जीते और 37 मैच हारे हैं। 2 वनडे बेनतीजा रहे।

भारतीय वनडे टीम

  • बैट्समैन: विराट कोहली (कप्तान), शुभमन गिल, शिखर धवन, लोकेश राहुल (उपकप्तान, विकेटकीपर), मनीष पांडे, श्रेयस अय्यर, मयंक अग्रवाल और संजू सैमसन (विकेटकीपर)।
  • ऑलराउंडर: हार्दिक पंड्या और रविंद्र जडेजा।
  • बॉलर्स: युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, नवदीप सैनी, शार्दूल ठाकुर और टी नटराजन।

ऑस्ट्रेलिया वनडे टीम

  • बैट्समैन: एरॉन फिंच (कप्तान), एलेक्स कैरी (विकेटकीपर), स्टीव स्मिथ, डेविड वॉर्नर, मैथ्यू वेड (विकेटकीपर)।
  • ऑलराउंडर: मार्नस लाबुशाने, मोइसेस हेनरिक्स, ग्लेन मैक्सवेल, डेनियल सैम्स, मार्कस स्टोइनिस और कैमरॉन ग्रीन।
  • बॉलर्स: पैट कमिंस, सीन एबॉट, एश्टन एगर, जोश हेजलवुड, मिचेल स्टार्क, एंड्र्यू टाई और एडम जम्पा।


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