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रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को रायगढ़ की लोकल कोर्ट ने बुधवार को 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया। यानी अर्नब को 18 नवंबर तक जेल में रहना होगा। हालांकि, बुधवार को उन्हें जेल में शिफ्ट नहीं किया जा सका। अर्नब की रात एक स्कूल में गुजरी, जहां अलीबाग थाने में बंद आरोपियों के लिए कोविड सेंटर बनाया गया है।
मुंबई पुलिस ने अर्नब को बुधवार सुबह उनके घर से गिरफ्तार किया था। अर्नब ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई है, इस पर आज सुनवाई हो सकती है। अर्नब के वकील आबाद पोंडा का कहना है कि हाईकोर्ट ने पुलिस से जवाब मांगा है।
अर्नब की गिरफ्तारी की वजह क्या?
मुंबई में इंटीरियर डिजायनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद ने मई 2018 में आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड नोट में अर्नब समेत 3 लोगों पर आरोप लगाए थे। सुसाइड नोट के मुताबिक अर्नब समेत तीनों आरोपियों ने नाइक को अलग-अलग प्रोजेक्ट के लिए डिजायनर रखा था, लेकिन करीब 5.40 करोड़ रुपए का पेमेंट नहीं किया। इससे अन्वय की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और उन्होंने सुसाइड कर ली।
गिरफ्तारी के बाद अर्नब के खिलाफ एक और FIR
अर्नब की गिरफ्तारी के 12 घंटे में ही उनके खिलाफ दूसरा केस दर्ज कर लिया गया। मुंबई के NM जोशी पुलिस स्टेशन में धारा 353 के तहत FIR दर्ज की गई। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक अर्नब पर महिला पुलिसकर्मी से मारपीट करने का आरोप है। बताया जा रहा है कि पुलिस जब अर्नब को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची तो उन्होंने पुलिसकर्मी से हाथापाई की।
देश में कोरोना के आंकड़ों में मामूली बढ़त देखने को मिल रही है। एक हफ्ते बाद फिर एक बार नए केस का आंकड़ा 50 हजार के पार हो गया है। बुधवार को 50 हजार 465 मरीज मिले। इससे पहले 28 अक्टूबर को 50 हजार 188 केस आए थे। मौत का आंकड़ा भी 704 रहा। बीते 15 दिनों में यह सबसे ज्यादा है। इससे पहले 21 अक्टूबर को 701 संक्रमितों की मौत हुई थी।
15 दिन बाद एक दिन में 700 से ज्यादा मौतें
राज्य
4 नवंबर को हुईं मौत
महाराष्ट्र
300
पश्चिम बंगाल
55
दिल्ली
51
कर्नाटक
34
तमिलनाडु
30
देश में अब तक 83 लाख 63 हजार 412 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें से 77 लाख 10 हजार 630 मरीज ठीक हो चुके हैं। इस बीमारी से अब तक 1 लाख 24 हजार 354 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अब 5 लाख 25 हजार 397 मरीजों का इलाज चल रहा है।
देश में अब तक 11.39 करोड़ से ज्यादा लोगों की जांच हो चुकी है। हर 10 लाख की आबादी में टेस्टिंग का आंकड़ा बढ़कर अब 81 हजार 883 हो गया है। अच्छी बात है कि देश में अब 25 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां इतनी ही आबादी में इससे भी ज्यादा लोगों की जांच हो रही है। इनमें 3 राज्य ऐसे हैं जहां हर 10 लाख की आबादी में दो लाख से ज्यादा, 11 राज्यों में 1 लाख से ज्यादा और 11 राज्यों में 81 हजार 883 से एक लाख तक टेस्टिंग हो रही है।
11 राज्यों में एक्टिव केस बढ़े
केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, चंडीगढ़ और लद्दाख में बुधवार को एक्टिव केस में इजाफा हुआ। सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में 1003, दिल्ली में 994, तेलंगाना में 358 और केरल में 282 एक्टिव केस बढ़े।
कोरोना अपडेट्स
21 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में हर 10 लाख की आबादी में 90 से कम मौतें हो रहीं हैं। ये आंकड़े नेशनल एवरेज से भी कम हैं। इनमें उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, राजस्थान भी शामिल हैं। बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, डेथ रेट 1.57% से घटकर 1.49% रह गया है। अब तक 92.9% लोग ठीक हो चुके हैं। रिकवरी रेट में लगातार इजाफा हो रहा है। 6.42% मरीज ऐसे हैं जिनका अभी इलाज चल रहा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने यह मान लिया है कि देश की राजधानी में अब कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि दिल्ली में कोरोना के केस में तेजी आई है। इसे हम कोरोना की तीसरी लहर कह सकते हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को लॉकडाउन की नई गाइडलाइन जारी कर दी। इसके मुताबिक, 5 नवंबर से राज्य में 50% क्षमता के साथ सिनेमा हॉल, थिएटर्स, मल्टीप्लेक्स खुल सकेंगे। हालांकि कंटेनमेंट जोन में आने वाले सभी हॉल फिलहाल बंद ही रहेंगे।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 1 लाख 74 हजार 91 हो गया है। पिछले 24 घंटे के अंदर 707 नए संक्रमित मिले। 884 लोग रिकवर हुए और 13 की मौत हो गई। अभी 7854 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। अब तक 1 लाख 63 हजार 250 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2987 संक्रमितों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
राज्य में बुधवार को 1770 लोग संक्रमित पाए गए। 1823 लोग रिकवर हुए और 9 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 3 हजार 990 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 16 हजार 323 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 85 हजार 722 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1945 लोग जान गंवा चुके हैं।
3. बिहार
राज्य में टेस्टिंग का आंकड़ा 1.1 करोड़ से ज्यादा हो गया है। इनमें 2 लाख 19 हजार 505 लोग संक्रमित पाए गए हैं। पिछले 24 घंटे के अंदर 541 नए मरीज मिले। अभी 6560 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। बाकी 2 लाख 11 हजार 831 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1113 लोगों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
बुधवार को लंबे समय बाद राज्य में मौत का ग्राफ अचानक बढ़ गया। 24 घंटे के अंदर 300 लोगों ने जान गंवा दी। इसी के साथ मरने वालों का आंकड़ा अब 44 हजार 548 हो गया है। बुधवार को 5505 नए केस मिले। अब तक 16 लाख 98 हजार 198 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 12 हजार 912 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 15 लाख 40 हजार 5 लोग ठीक हो चुके हैं।
5. उत्तरप्रदेश
बुधवार को प्रदेश में 2167 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए और 2014 लोग रिकवर हुए। 15 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई। अब तक 4 लाख 89 हजार 502 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 22 हजार 676 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 59 हजार 722 लोग ठीक हो चुके हैं। 7104 मरीज जान गंवा चुके हैं।
भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे बुधवार को 3 दिन की यात्रा पर नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुंचे। नरवणे नेपाल के आर्मी चीफ जनरल पूर्ण चंद्र थापा के न्यौते पर वहां गए हैं। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी आज नरवणे को नेपाल सेना ऑनरेरी जनरल की रैंक से सम्मानित करेंगी। 1950 से ही ऐसी परंपरा चली आ रही है। इसमें भारत भी नेपाली सेना के चीफ को भारतीय सेना के जनरल की ऑनरेरी रैंक देता है।
नरवणे भारत की तरफ से नेपाल को मेडिकल सहायता देंगे
नेपाल से सीमा विवाद के बाद सेना भारत के आर्मी चीफ पहली बार नेपाल गए हैं। नरवणे आज सबसे पहले वीर स्मारक पर नेपाल के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे। नेपाल की सेना भारतीय आर्मी चीफ को गार्ड ऑफ ऑनर देगी। नेपाली सेना के चीफ के साथ जनरल नरवणे की मीटिंग भी होगी। नरवणे नेपाल को भारत की ओर से दवाएं और मेडिकल उपकरण देंगे।
नरवणे के बयान से नेपाल नाराज था
नेपाल और भारत के बीच इस साल मई से ही तनाव है। ऐसे में जनरल नरवणे का नेपाल दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। नरवणे ने मई में कहा था कि नेपाल किसी दूसरे देश की शह पर सीमा विवाद का मुद्दा उठा रहा है। लिपुलेख से मानसरोवर के बीच बनाई गई भारतीय सड़क पर सवाल खड़े कर रहा है। उन्होंने चीन का नाम नहीं लिया था, लेकिन नेपाल ने उनके इस बयान पर नाराजगी जाहिर की थी। नेपाल ने नरवणे के बयान को अपमानजनक बताया था।
विवाद कैसे शुरू हुआ?
भारत ने अपना नया नक्शा 2 नवम्बर 2019 को जारी किया था। इस पर नेपाल ने आपत्ति जताई थी और कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख इलाके को अपना इलाका बताया था। इस साल 18 मई को नेपाल ने इन तीनों इलाकों को शामिल करते हुए अपना नया नक्शा जारी कर दिया। इस नक्शे को अपनी संसद के दोनों सदनों में पास कराया। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। मई-जून में नेपाल ने भारत से सटी सीमाओं पर सैनिक बढ़ा दिए। बिहार में भारत-नेपाल सीमा पर नेपाली सैनिकों ने कुछ भारतीयों पर फायरिंग भी की थी।
from Dainik Bhaskar /national/news/indian-army-chief-general-mm-naravane-would-be-conferred-the-rank-of-honorary-general-of-the-nepali-army-127884645.html
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देश में कोरोना के आंकड़ों में मामूली बढ़त देखने को मिल रही है। एक हफ्ते बाद फिर एक बार नए केस का आंकड़ा 50 हजार के पार हो गया है। बुधवार को 50 हजार 465 मरीज मिले। इससे पहले 28 अक्टूबर को 50 हजार 188 केस आए थे। मौत का आंकड़ा भी 704 रहा। बीते 15 दिनों में यह सबसे ज्यादा है। इससे पहले 21 अक्टूबर को 701 संक्रमितों की मौत हुई थी।
15 दिन बाद एक दिन में 700 से ज्यादा मौतें
राज्य
4 नवंबर को हुईं मौत
महाराष्ट्र
300
पश्चिम बंगाल
55
दिल्ली
51
कर्नाटक
34
तमिलनाडु
30
देश में अब तक 83 लाख 63 हजार 412 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें से 77 लाख 10 हजार 630 मरीज ठीक हो चुके हैं। इस बीमारी से अब तक 1 लाख 24 हजार 354 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अब 5 लाख 25 हजार 397 मरीजों का इलाज चल रहा है।
देश में अब तक 11.39 करोड़ से ज्यादा लोगों की जांच हो चुकी है। हर 10 लाख की आबादी में टेस्टिंग का आंकड़ा बढ़कर अब 81 हजार 883 हो गया है। अच्छी बात है कि देश में अब 25 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां इतनी ही आबादी में इससे भी ज्यादा लोगों की जांच हो रही है। इनमें 3 राज्य ऐसे हैं जहां हर 10 लाख की आबादी में दो लाख से ज्यादा, 11 राज्यों में 1 लाख से ज्यादा और 11 राज्यों में 81 हजार 883 से एक लाख तक टेस्टिंग हो रही है।
11 राज्यों में एक्टिव केस बढ़े
केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, चंडीगढ़ और लद्दाख में बुधवार को एक्टिव केस में इजाफा हुआ। सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में 1003, दिल्ली में 994, तेलंगाना में 358 और केरल में 282 एक्टिव केस बढ़े।
कोरोना अपडेट्स
21 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में हर 10 लाख की आबादी में 90 से कम मौतें हो रहीं हैं। ये आंकड़े नेशनल एवरेज से भी कम हैं। इनमें उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, राजस्थान भी शामिल हैं। बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, डेथ रेट 1.57% से घटकर 1.49% रह गया है। अब तक 92.9% लोग ठीक हो चुके हैं। रिकवरी रेट में लगातार इजाफा हो रहा है। 6.42% मरीज ऐसे हैं जिनका अभी इलाज चल रहा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने यह मान लिया है कि देश की राजधानी में अब कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि दिल्ली में कोरोना के केस में तेजी आई है। इसे हम कोरोना की तीसरी लहर कह सकते हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को लॉकडाउन की नई गाइडलाइन जारी कर दी। इसके मुताबिक, 5 नवंबर से राज्य में 50% क्षमता के साथ सिनेमा हॉल, थिएटर्स, मल्टीप्लेक्स खुल सकेंगे। हालांकि कंटेनमेंट जोन में आने वाले सभी हॉल फिलहाल बंद ही रहेंगे।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 1 लाख 74 हजार 91 हो गया है। पिछले 24 घंटे के अंदर 707 नए संक्रमित मिले। 884 लोग रिकवर हुए और 13 की मौत हो गई। अभी 7854 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। अब तक 1 लाख 63 हजार 250 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2987 संक्रमितों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
राज्य में बुधवार को 1770 लोग संक्रमित पाए गए। 1823 लोग रिकवर हुए और 9 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 3 हजार 990 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 16 हजार 323 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 85 हजार 722 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1945 लोग जान गंवा चुके हैं।
3. बिहार
राज्य में टेस्टिंग का आंकड़ा 1.1 करोड़ से ज्यादा हो गया है। इनमें 2 लाख 19 हजार 505 लोग संक्रमित पाए गए हैं। पिछले 24 घंटे के अंदर 541 नए मरीज मिले। अभी 6560 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। बाकी 2 लाख 11 हजार 831 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1113 लोगों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
बुधवार को लंबे समय बाद राज्य में मौत का ग्राफ अचानक बढ़ गया। 24 घंटे के अंदर 300 लोगों ने जान गंवा दी। इसी के साथ मरने वालों का आंकड़ा अब 44 हजार 548 हो गया है। बुधवार को 5505 नए केस मिले। अब तक 16 लाख 98 हजार 198 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 12 हजार 912 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 15 लाख 40 हजार 5 लोग ठीक हो चुके हैं।
5. उत्तरप्रदेश
बुधवार को प्रदेश में 2167 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए और 2014 लोग रिकवर हुए। 15 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई। अब तक 4 लाख 89 हजार 502 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 22 हजार 676 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 59 हजार 722 लोग ठीक हो चुके हैं। 7104 मरीज जान गंवा चुके हैं।
अच्छी खबर है कि देश में एक्टिव केस एक महीने से लगातार घट रहे हैं। अब सिर्फ 4.34% एक्टिव केस हैं। इस मामले में भारत दूसरे से तीसरे नंबर पर आ गया है। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
सबसे पहले देखते हैं बाजार क्या कह रहा है
BSE का मार्केट कैप 159 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 46% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही।
2,795 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 1,283 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,310 कंपनियों के शेयर गिरे।
आज इन इवेंट्स पर नजर रहेगी
दुबई में IPL का पहला क्वॉलिफायर शाम साढ़े सात बजे से। मुंबई-दिल्ली की टीमें आमने-सामने होंगी।
प्रधानमंत्री मोदी वर्चुअल ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में अपनी बात रखेंगे।
लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।
देश-विदेश
अहमदाबाद मेंहादसा
अहमदाबाद में बुधवार को केमिकल फैक्ट्री में आग लगने और विस्फोट होने से पास के टेक्सटाइल गोदाम की छत गिर गई। आग पूरे गोदाम में फैल गई। उस वक्त वहां 24 कर्मचारी काम कर रहे थे। इनमें से 12 की मौत हो गई। हादसा बॉयलर फटने से हुआ। एक के बाद एक 5 धमाके हुए।
देश में अब सिर्फ 4.34% एक्टिवकेस
देश में एक्टिव केसों में एक महीने से लगातार गिरावट आ रही है। इस मामले में भारत अब दूसरे से तीसरे नंबर पर आ गया है। यहां दुनिया के कुल एक्टिव केस में सिर्फ 4.34% मरीजों का इलाज चल रहा है। 26% के साथ अमेरिका पहले नंबर पर और 11% के साथ फ्रांस दूसरे नंबर पर है। इटली और बेल्जियम भी टॉप-5 देशों में शामिल हो गए हैं।
अर्नब गोस्वामीगिरफ्तार
मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को बुधवार सुबह गिरफ्तार कर लिया। अर्नब पर 2018 में एक महिला और उसके बेटे को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप है। उधर, अर्नब का आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट की। इस बीच अर्नब पर महिला पुलिस से मारपीट का केस भी दर्ज किया गया है।
ऐलान से पहले ट्रम्प का जीत का झूठादावा
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प ने जीत का झूठा दावा कर दिया। झूठा इसलिए, क्योंकि भारतीय समय के मुताबिक बुधवार रात तक भी जब नतीजे साफ नहीं हो पाए थे, उससे पहले ही ट्रम्प ने कह दिया था कि हम चूंकि हम जीत गए हैं, तो अभी भी जहां-जहां वोटिंग चल रही है, वह सारी वोटिंग रुक जानी चाहिए। इसके लिए हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
फंस गए रे अमेरिकी इलेक्शन
इस बार चुनाव नतीजों में देरी हो रही है। ऐसा सिर्फ कोरोनावायरस की वजह से हो रहा है। 68% वोटर्स ने अर्ली-वोटिंग की है यानी इलेक्शन-डे से पहले। इसमें वोटर्स को पोस्टल बैलेट देने की परमिशन भी है। पोस्टल बैलेट की गिनती धीमी होती है, क्योंकि वोटर और गवाह के दस्तखत और पतों का मिलान करना होता है। अगर कानूनी लड़ाई शुरू हुई तो नतीजे आने में हफ्ता भी लग सकता है।
डीबीओरिजिनल
पॉजिटिवखबर
राजस्थान के दुर्गाराम चौधरी महज 12 साल की उम्र में घर में किसी को बिना बताए ट्रेन में बैठ गए थे। बस मन में यही था कि कुछ करना है। 150 रुपए लेकर घर से निकले थे, आज दो कंपनियों के मालिक हैं। कंपनियों का टर्नओवर 40 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
सीमांचल के चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, अररिया व किशनगंज में 24 विधानसभा क्षेत्र हैं और करीब 60 लाख मतदाता। मुस्लिम वोटर्स के लिए ओवैसी भाजपा की टीम ‘B’ हैं। उनका कहना है कि उन्हें वोट देना यानी वोट खाई में फेंकने जैसा है।
कोरोना की वजह से पढ़ाई मुश्किल हो गई है। लॉकडाउन के दौरान बच्चे घर पर रहे और इस दौरान देश के 11% पैरेंट्स ने नए मोबाइल लिए ताकि उनके बच्चे पढ़ सकें। चार में से एक बच्चे के पास न तो कॉपी-किताबें हैं और न ही घर में कोई पढ़ाई में मदद करने वाला। ASER या असर की रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं।
उत्तर प्रदेश के अमेठी में चौंकाने वाला मामला सामने आया। यहां के त्रिलोकपुर गांव में एक बैग में 5 महीने का बच्चा मिला। बैग में सर्दियों के कपड़े, जूता, जैकेट, साबुन, विक्स, दवाएं और 5 हजार रुपए भी रखे हुए थे। इस बैग में एक खत भी था। लिखा था- मेरे बेटे को 5-6 महीने पाल लो, मैं हर महीने पैसे दूंगा।
सरकार ने फौजी अफसरों के बारे में दो प्रस्ताव तैयार किए हैं। पहला यह कि समय से पहले रिटायरमेंट लेने वाले अधिकारियों की पेंशन कम हो जाएगी। दूसरा यह कि रिटायरमेंट की उम्र भी बढ़ा दी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है।
फ्रांस से 3 और राफेल भारत आ गए। इन एयरक्राफ्ट ने 7364 किलोमीटर का सफर बिना रुके 8 घंटे में पूरा किया और इस दौरान उनकी 3 बार मिड-एयर री-फ्यूलिंग भी हुई। अब भारत के पास 8 राफेल हो गए हैं।
कोरोना की वजह से ज्यादातर राज्यों में अब भी स्कूल बंद हैं। जहां खुले हैं, वहां बच्चों को उनके माता-पिता स्कूल नहीं जाने दे रहे। कोरोना से पहले की स्थिति में स्कूल कब पहुंचेंगे, कोई नहीं कह सकता। इस पर भी जो घर से पढ़ रहे हैं, उन्हें साधनों की कमी महसूस हो रही है। चार में से एक बच्चे के पास न तो कॉपी-किताबें हैं और न ही घर में कोई पढ़ाई में मदद करने वाला। और तो और, ड्रॉप आउट्स और बिना एनरोलमेंट वाले बच्चों की संख्या भी पिछले सालों के मुकाबले बढ़ी हुई है।
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER या असर) 2020 में इस बार कोरोना का देशभर में पढ़ाई पर असर जानने की कोशिश की गई है। रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले तो कुछ चिंताजनक तस्वीर पेश करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट कहती है कि 11% परिवारों ने लॉकडाउन के दौरान नए फोन खरीदे। इनमें भी 80% ने स्मार्टफोन खरीदे, ताकि घर पर बच्चे पढ़ाई कर सकें। जिन परिवारों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, उनमें से भी 13% ने कहा कि उनके बच्चे किसी और का स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं।
छोटे बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं लोग
कोरोना का सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों पर पड़ा है। माता-पिता उन्हें लेकर कोई रिस्क नहीं ले रहे। यही वजह है कि 2018 के मुकाबले 2020 में 6 से 10 वर्ष तक के ऐसे बच्चों का प्रतिशत बढ़ गया है, जिन्हें स्कूल एनरोल नहीं किया गया है। असर 2020 की टीम ने जब बच्चों के पैरेंट्स से पूछा तो उन्होंने ही उलट सवाल दाग दिया- स्कूल बंद हैं, ऐसे में एनरोलमेंट करें भी तो कैसे? यानी ज्यादातर बच्चे स्कूलों में एडमिशन का इंतजार कर रहे हैं। खासकर 6-10 वर्ष आयु ग्रुप में।
पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है, बच्चों के पास स्मार्टफोन की क्या स्थिति है?
असर की रिपोर्ट कहती है कि 2018 के मुकाबले 2020 में ज्यादा परिवारों के पास अब स्मार्टफोन हैं। 2018 में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 29.6% बच्चों के परिवारों में कम से कम एक स्मार्टफोन था, जो 2020 में बढ़कर 56.4% हो गया। इसी तरह प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले आधे बच्चों के परिवार में स्मार्टफोन था, जो अब बढ़कर तीन-चौथाई हो गया है। स्मार्टफोन अब पहले से ज्यादा बच्चों के परिवारों में है, जिससे लॉकडाउन में पढ़ना संभव हो सका। इसी तरह करीब 40 प्रतिशत बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं था, जिनमें से 11% ने लॉकडाउन के दौरान बच्चे की पढ़ाई के लिए मोबाइल खरीदा। इसमें भी 80% से ज्यादा ने स्मार्टफोन खरीदा। जिन लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं है, उनमें से करीब 13% ने कहा कि बच्चे किसी परिचित से स्मार्टफोन लेकर पढ़ाई कर रहे हैं।
स्कूल बंद हैं, ऐसे में घर पर मदद कौन कर रहा है?
असर रिपोर्ट इस बार टेलीफोनिक सर्वे के आधार पर बनी है। इसमें जो बच्चे शामिल रहे, उनसे पूछा गया कि उन्हें पढ़ाई में मदद कौन कर रहा है? ज्यादातर के जवाब उनकी क्लास के अनुसार आए। छोटी क्लास में मां की मदद ज्यादा रही तो बढ़ती क्लास के साथ पिता और बड़े भाई-बहन की मदद बढ़ गई। ऐसे में एक बड़ा तबका यह भी बताने वाला था कि परिवार में उन्हें पढ़ाई में कोई मदद नहीं करता और ऐसे बच्चों का प्रतिशत बढ़ती क्लास के अनुसार 16.5% से 31.7% तक पहुंच गया। स्कूल बंद होने का सबसे ज्यादा नुकसान ऐसे बच्चों को ही हो रहा है।
क्या सबके पास किताबें पहुंच गई हैं?
इस मामले में सरकारी स्कूलों के बच्चों की स्थिति अच्छी है। अखिल भारतीय स्तर पर सरकारी स्कूलों के 84.1% बच्चों के पास मौजूदा कक्षा की किताबें पहुंच गई हैं। उन्हें इसे लेकर चिंता नहीं करनी पड़ रही। वहीं, प्राइवेट स्कूल के बच्चों की हालत चिंताजनक है। चार में से एक बच्चे (27.8%) के पास किताब ही नहीं है।
कहानी - कौरव और पांडव का युद्ध का समाप्त हो गया था। पांडवों ने 36 वर्ष राज किया। जिस राजसत्ता के लिए इतना बड़ा युद्ध हुआ, पांडव उस राज सत्ता पूरे सुख-शांति के साथ नहीं भोग पाए। उनकी मां कुंति, उनके ताऊ धृतराष्ट्र और ताई गांधारी बुढ़ापे में वन में चले गए। वहां आग लगी और जल कर मर गए। श्रीकृष्ण भी संसार छोड़कर चले गए और यादव वंशी आपस में लड़कर मर गए। पांडव बड़े दुखी हो गए कि हमारे ही सामने सब बिखरता जा रहा है।
एक दिन युधिष्ठिर ने अपने चारों भाइयों को बुलाया और कहा कि जीवन में हमें जो चाहिए, वह जरूरी नहीं कि सब मिल जाए। इतना बड़ा युद्ध किया। अपने ही लोगों की लाश पर चढ़कर ये राजपाठ प्राप्त कर लिया, क्या हम शांत हो पाए। अब राजकाज परीक्षित को सौंपकर हम सब इकट्ठे होकर स्वर्ग की चलें।
अर्जुन ने पूछा था कि आप सभी को एक साथ लेकर क्यों चल रहे हैं?
तब युधिष्ठिर का कहना था कि एक उम्र के बाद अगर हो सके तो बढ़े-बूढ़ों को एक साथ रहना चाहिए। अपने बच्चों के लिए जो अच्छा हो सके वो कर दिया। उनके जीवन में झांकने की ज्यादा कोशिश नहीं करनी चाहिए। चलो, एक साथ चलते हैं और पांडव स्वर्गारोहण कर गए।
सीख - सभी की जिंदगी में जब आखिरी वक्त आता है तो सबकुछ बिखरा-बिखरा सा दिखने लगता है। चाहे परिवार हो, चाहे व्यापारिक संस्थान हो या समाज हो। सबकी एक आयु है। अच्छे-अच्छे संगठन एक समय के बाद बिखर जाते हैं। समर्थ से समर्थ व्यक्ति भी जैसा चाहे वैसा हो जाए, नहीं कर पाएगा।
राजस्थान के दुर्गाराम चौधरी महज 12 साल की उम्र में घर में किसी को बिना बताए ट्रेन में बैठ गए थे। कहां जाना है, क्या करना है, कहां रहना है, ये कुछ नहीं जानते थे। बस मन में यही था कि कुछ करना है। 150 रुपए लेकर घर से निकले थे। आज दो कंपनियों के मालिक हैं, जिनका टर्नओवर 40 करोड़ रुपए से ज्यादा है। उन्होंने खुद बताई शून्य से 40 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर तक पहुंचने की कहानी।
6-7 महीने तो फुटपाथ पर ही गुजरे
मेरे मां-बाप दोनों ही किसानी करते थे। बचपन में ही सोच लिया था कि कुछ करना है। राजस्थान से अधिकतर लोग बिजनेस के लिए साउथ जाया करते थे। उन लोगों को देखकर एक दिन घर में बिना किसी को बताए मैं भी अहमदाबाद जा रही ट्रेन में बैठ गया। जेब में 150 रुपए थे। ट्रेन में ही कुछ लोग मुंबई जाने की बात कर रहे थे, उनकी बात सुनकर मैं भी मुंबई चला गया। 40 रुपए किराये में चले गए, जब मुंबई पहुंचा तब 110 रुपए पास में थे।
वो बताते हैं- मुंबई में शुरूआती 6-7 महीने फुटपाथ पर ही निकले। सीपी टैंक में एक मंदिर था, वहां जो प्रसाद बंटता था, उसी से मैं पेट भरता था। मंदिर के नजदीक आर्य समाज का हॉल था, जहां शादियां होती थीं। वहां वेटर का काम शुरू कर दिया। एक शादी में काम करने के 15 रुपए मिलते थे। कई दिनों तक ये सिलसिला चलते रहा। आर्य समाज हॉल के पास ही एक दुकानदार थे। उन्होंने मेरी छोटी उम्र देखकर मुझे एक घर में हाउस बॉय का काम दिलवा दिया। ढाई साल वहां काम किया। खाना बनाना और घर संभालना सीख गया। फिर वहीं से एक डॉक्टर के घर यही काम करने लगा।
"मन में हमेशा चलता था कि गांव में सबको पता चलेगा कि मुंबई आकर खाना बनाता हूं तो कोई इज्जत नहीं करेगा इसलिए खाना तो नहीं बनाना है। खाना बनाना छोड़कर एक इलेक्ट्रिशियन की दुकान पर काम करने लगा। मकसद था काम सीखना। लेकिन दो महीने बाद वो दुकान बंद हो गई। जिस बिल्डिंग में वो दुकान थीं, वहां उस समय वीनस कंपनी के मालिक गणेश जैन रहा करते थे। वो राजस्थान से ही थे। मैडम से थोड़ी जान-पहचान हो गई थी तो उन्होंने अपने घर पर काम पर रख लिया। फिर वहां खाना बनाने लगा। एक दिन उन्हें मैंने कहा कि सर मैं ये खाना बनाने का काम नहीं करना चाहता। मैं कुछ सीखना चाहता हूं। तो उन्होंने मुझे अपनी कंपनी में कैसेट पैकिंग का काम दे दिया और कहा कि वहां मेरे लिए खाना भी बनाना और काम भी सीखना। डेढ़ साल तक वहीं काम करते रहा। कुछ पैसे जोड़ लिए थे तो नया काम ढूंढ़ने का सोचकर 1996 में वो काम छोड़ दिया।"
दुर्गाराम ने बताया- वीनस में काम करने वाली एक मैडम टी-सीरीज में काम करने लगीं थीं। उनके रेफरेंस से मुझे भी टी-सीरीज में काम मिल गया। वहां मुझे कैसेट का मार्केट पता चला। काम कैसे होता है, ये देखा। नौकरी करते हुए ही ख्याल आया कि जॉब के साथ ही मैं खुद भी मार्केट से कैसेट खरीदकर बेच बाहर बेच सकता हूं। मैंने नौकरी के बाद वाले टाइम में कैसेट बेचना शुरू कर दीं। हर रोज मार्केट जाता। 10-12 कैसेट खरीदता और उन्हें फुटपाथ किनारे बेचा करता था। ये नौकरी के साथ चल रहा था। एक कैसेट पर दस से पंद्रह रुपए तक का कमीशन मिल जाता था।
उन्होंने कहा, "इस तरह रोज के डेढ़-दो सौ रुपए सैलरी के अलावा मिलने लगे। कुछ महीने बाद एक छोटी सी दुकान भी किराये पर ले ली। फिर वहां से कैसेट बेचने लगा। घर से निकलने के 9 साल बाद 2000 में घरवालों से बात हुई और उन्हें बताया कि मैं मुंबई में हूं और नौकरी कर रहा हूं। 2002 में मैंने टी-सीरीज छोड़ दी, क्योंकि उसी समय रिलायंस कम्युनिकेशन शुरू हो रहा था। उन्हें ऐसे बंदे चाहिए थे, जो इंडस्ट्री की समझ रखते हों, प्रोड्यूसर के साथ कोआर्डिनेट कर सकें। टी-सीरीज में काम करते-करते मेरे काफी प्रोड्यूसर, एक्टर-एक्ट्रेस से रिलेशन बन गए थे। सभी के ऑफिस में जाना होता था। इसलिए मुझे रिलायंस में काम मिल गया। रिलायंस की नौकरी के साथ ही 2004 तक मेरी दो कैसेट की दुकानें हो चुकी थीं।"
"2005 में रिंगटोन और कॉलर ट्यून का ट्रेंड आया। एक गाना लाखों में डाउनलोड होता था, लेकिन सभी गाने बॉलीवुड के होते थे। मैं गुजराती, राजस्थानी, भोजपुरी गानों की कैसेट सालों से बेच रहा था और मैंने देखा कि इनकी कैसेट बॉलीवुड के गानों से भी ज्यादा बिकती हैं। दिमाग में आया कि जब बॉलीवुड के गाने इतने ज्यादा डाउनलोड हो रहे हैं तो रीजनल के कितने होंगे। जिन लोगों से कैसेट लेता था, उन्हें बोलना शुरू किया कि आप मुझे गाने दो, मैं इन्हें डिजीटल में कन्वर्ट करवाऊंगा। ये गाने फोन पर प्ले होंगे। कई दिनों तक किसी ने रिस्पॉन्स नहीं दिया।"
कंपनी को ढूंढ़ते हुए मेहसाणा तक पहुंच गए
वो बताते हैं कि 2006 में एक गुजराती गाना आया, जो काफी हिट हो रहा था। मैं उसे तैयार करने वाली कंपनी को ढूंढ़ते हुए मेहसाणा तक पहुंच गया। उन्हें समझाया कि इस गाने के राइट्स आप मुझे दो। हम इसे डिजिटल में ले जाएंगे। फायदा हो या न हो, लेकिन नुकसान कुछ नहीं होगा। वो तैयार हो गए। अब दिक्कत ये थी कि मैं नौकरी कर रहा था, इसलिए उनसे एग्रीमेंट नहीं कर सकता था। मैंने हंगामा कंपनी में बात की। वहां मेरे कुछ दोस्त थे। उनके जरिए गुजरात की कंपनी से एग्रीमेंट किया। वो लोग भी रीजनल गाना अपलोड करने के लिए तैयार नहीं थे, मेरी काफी रिक्वेस्ट के बाद माने। डेढ़ साल में ही उस गाने को 3 लाख 75 हजार बार डाउनलोड किया गया। इस डील में मैंने 20 लाख रुपए रॉयल्टी कमाई। 20 लाख रुपए गुजरात की कंपनी को दिलवाए और 30 परसेंट कमीशन हंगामा कंपनी को मिला।"
दुर्गाराम कहते हैं- बस इसके बाद हंगामा ने मेरा सारा कंटेंट अपलोड करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद उन्होंने मुझे नौकरी भी ऑफर कर दी। मैंने कहा कि नौकरी इसी शर्त पर करूंगा कि राजस्थान, गुजरात का जो मेरा काम है, वो मेरे पास ही रहेगा। वो मान गए। जो भी गाना हिट होता था, मैं उस कंपनी तक पहुंचता था। उससे बात करके गाने को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाता था। ये सब करते-करते 2012 आ गया। यूट्यूब का जमाना आ चुका था। हंगामा वाले यूट्यूब पर जाने के लिए बहुत उत्साहित नहीं थे तो मैंने नौकरी छोड़ दी और खुद की कंपनी शुरू की।
"फिर जीरो से शुरूआत करना पड़ी, क्योंकि रीजनल के मेरे जितने भी पार्टनर थे, उन सभी को हंगामा के साथ जोड़ चुका था। फिर उन कंपनी के मालिकों से मिला। उन्हें समझाया कि मैंने अपनी कंपनी शुरू की है। आप अपना कंटेंट दीजिए, हम यूट्यूब पर लाएंगे। सभी ने मुझे सपोर्ट किया। रीजनल कंटेंट तेजी से हम यूट्यूब पर लाए। राजस्थान की कई छोटी कंपनियों को हमने एक्वायर कर लिया। कोलकाता, असम, उड़ीसा भी पहुंचे। वहां के रीजनल गानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाए। 2017 में एनिमेशन फर्म भी इस काम के साथ शुरू कर दी। आज मेरे पास 65 एम्पलाई हैं और दोनों कंपनियों का मिलाकर टर्नओवर 40 करोड़ से ज्यादा है।"
सीमांचल के चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, अररिया व किशनगंज में 24 विधानसभा क्षेत्र हैं और करीब 60 लाख मतदाता। इन सभी जिलों में चुनाव के आखिरी चरण यानी 7 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। यही वजह भी है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट के तहत किशनगंज में चार और कटिहार-अररिया-पूर्णिया में तीन-तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। ये सभी सीटें ऐसी हैं, जहां अल्पसंख्यक वोटरों की संख्या 50 से लेकर 65 फीसदी तक है।
इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी ने जिस फ्रंट का सहारा लिया है, उसमें उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP, मायावती की पार्टी बसपा और समाजवादी जनता दल लोकतांत्रिक सहित 6 पार्टियां शामिल हैं, लेकिन सीमांचल में सबसे ज्यादा चर्चा असदुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी की है।
डुमरिया चौक, अररिया जिले के जोकिहाट विधानसभा में जरूर पड़ता है, लेकिन यहां से आसपास की पांच विधानसभा सीटों के चुनावी तापमान का पता चलता है। इस चौक पर पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई है। अंधेरा छा गया है, लेकिन जब बातचीत का सिलसिला शुरू होता है तो सब कुछ साफ-साफ दिखने लगता है। मोहम्मद सहादत बीस साल के हैं। वो कहते हैं, “इधर पतंग वही उड़ा रहा है, जिसकी उम्र वोट देने की नहीं है। सब कम उम्र नौजवान हैं। उन्हें बाइक घुमाने का मौका मिल रहा है, घुमा रहे हैं।”
जब हमने सहादत से पूछा कि अपना वोट खाई में फेंकने से क्या मतलब है तो उन्होंने अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा, “समझ तो आप भी रहे हैं, फिर भी पूछ रहे हैं। हम ओवैसी साहब के बारे में बात कर रहे हैं। उनकी पार्टी सीमांचल में आई ही है ताकि महा-गठबंधन को मिलने वाले अल्पसंख्यक वोट में बंटवारा हो सके। उन्हें वोट देना मतलब अपने वोट को खाई में फेंकने जैसा ही है।”
26 साल के साकिब से हमारी मुलाकात अररिया जिले की ही बैरगाछी विधानसभा में हुई। साकिब भी मानते हैं कि इस विधानसभा चुनाव में ओवैसी का कोई प्रभाव नहीं है और वो केवल अल्पसंख्यक बहुल विधानसभा सीटों पर वोटों का बंटवारा करवा रहे हैं। साकिब कहते हैं, “ओवैसी साहब अच्छे नेता हैं। वो जब संसद में दहाड़ते हैं तो हमें भी अच्छा लगता है, लेकिन यहां के चुनाव में उनका कोई काम नहीं है। वो आए भी हैं तो मायावती से गठबंधन करके जो खुद भाजपा का समर्थन करने जा रही हैं। ओवैसी साहब की पार्टी सीमांचल में नई है। चुनाव लड़ने और वोट काटने से अच्छा है कि वो कुछ साल ग्राउंड पर काम करें। लोगों के बीच सक्रिय हों फिर उनके बारे में सोचा जाएगा। अभी नहीं।”
सीमांचल के ज्यादातर अल्पसंख्यक मतदाता ही असदुद्दीन ओवैसी को वोट कटवा मान रहे हैं और यही वजह है कि सीमांचल की अपनी हर रैली में वो खुद की विश्वसनीयता साबित करते हैं। खुद की वोट कटवा छवि को अपने हर मंच से खारिज करते हैं, लेकिन फिलहाल वो इसमें कामयाब होते हुए नहीं दिख रहे हैं। जहां एक तरफ युवाओं को लगता है कि ओवैसी वोट बांटने आए हैं वहीं सीमांचल के अल्पसंख्यक बुजुर्ग मतदाताओं को लगता है कि उनके आने से सीमांचल का पूरा सामाजिक ताना-बाना ही बिगड़ जाएगा।
रिजवान अहमद जीवन के 60 बसंत देख चुके हैं। इनसे हमारी मुलाकात जोगीहाट विधानसभा सीट के तुर्रकल्ली चौक पर हुई। रिजवान कहते हैं, “सीमांचल में असल गंगा-जमुनी तहजीब है। हम आपस में खाना-पीना भी करते हैं। कोई भेदभाव नहीं है। ये पार्टी केवल मुसलमानों की बात करती है। इसके नाम में मुस्लिमीन शब्द है। जिसका अर्थ है मुस्लिमवाद। क्या ये देश या ये राज्य केवल मुसलमानों से चलेगा? क्या केवल हिंदुओं से चलेगा? नेता वही होता है जो सबको साथ लेकर चलने की बात करे। ओवैसी, मोदी से अलग नहीं हैं। मुझे तो इस पार्टी का नाम ही नहीं पसंद।”
अब सवाल उठता है कि अगर ओवैसी को सीमांचल के मतदाता पसंद नहीं करते हैं तो 2019 के उपचुनाव में उनकी पार्टी किशनगंज सदर सीट से चुनाव कैसे जीत गई? इसी जीत की वजह से राज्य में AIMIM का खाता खुला।
इस सवाल के जवाब में किशनगंज सदर सीट के एक युवा मतदाता और फिलहाल सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे शाहबाज रूहानी कहते हैं, “वो उपचुनाव था। सीट तो कांग्रेस के पास ही ही थी। तत्कालीन विधायक डाक्टर जावेद सांसद बन गए तो सीट खाली हुई। यहां के मतदाता चाह रहे थे कि किसी युवा कार्यकर्ता को मौका मिले, लेकिन उन्होंने अपनी बुजुर्ग मां को टिकट दिलवा दिया। इसी से नाराज होकर मतदाताओं ने AIMIM के उम्मीदवार कमरूल होदा को जीता दिया। AIMIM को वो जीत कांग्रेस की वजह से मिली थी, हम मतदाताओं की वजह से नहीं। इस चुनाव में AIMIM अपने इस सीट को भी नहीं बचा पाएगी।"
ऐसा भी नहीं है कि सीमांचल के शत-प्रतिशत मतदाता ओवैसी की मौजूदगी से नाखुश हैं। मुंबई में रहने वाले और लॉकडाउन की वजह से अपने घर आए 35 वर्षीय अब्दुल रहमान का मानना है कि सीमांचल, बिहार का सबसे पिछड़ा इलाका है। यहां के अधिकतर लोग अनपढ़ हैं इसलिए वो अपना भला सोच ही नहीं पा रहे। यही वजह है कि ये सारे लोग ओवैसी के आने की असल वजह नहीं समझ पा रहे। वो कहते हैं, “ओवैसी सीमांचल के विकास के लिए आए हैं। वो अपने लोगों के पास हैं।”
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के किशनगंज केन्द्र में बतौर डायरेक्टर काम कर रहे और सीमांचल के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने को बखूबी समझने वाले डॉक्टर हसन इमाम के मुताबिक, वोट देते समय मजहब को नहीं देखना चाहिए या केवल उस पार्टी को नहीं चुनना चाहिए, जो एक मजहब की बात करे। वो कहते हैं, “मैं कोई राजनीतिक बात नहीं करूंगा। इस इलाके के लोग पढ़े-लिखे कम जरूर हैं, लेकिन समझदार बहुत हैं। वो पूरी समझदारी से अपने मत का प्रयोग करेंगे। सीमांचल का मिजाज और यहां की फिजा में फिरकापरस्ती नहीं है।”
सीमांचल में एक तबका ऐसा भी है, जो चुनाव में ओवैसी के होने से सबसे ज्यादा खुश है और दिन-रात उनके मजबूत होने की दुआ मांग रहा है। 40 वर्षीय आजित साह (बदला हुआ नाम) होटल किशनगंज में होटल व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। वो भारतीय जनता पार्टी के समर्थक हैं और इसी पार्टी को हर चुनाव में वोट देते हैं। वो कहते हैं, “हमारे लिए तो ओवैसी ही एक उम्मीद है। वो जितना मजबूत होगा जदयू-भाजपा उम्मीदवार के लिए उतनी ही आसानी होगी। इस क्या अगले कई चुनावों में ओवैसी यहां से जीत नहीं पाएगा, लेकिन अगर वो 10 प्रतिशत भी मुस्लिम वोट काट लेता है तो हमारी पार्टी के लिए रास्ता आसान हो जाएगा। मैं तो रोज सुबह हनुमान जी से दुआ मांगता हूं कि यहां ओवैसी मजबूत हो।”
इस चुनाव में ओवैसी मजबूत होते हैं या कमजोर ये तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि आने वाले कुछ सालों में सीमांचल से कांग्रेस, RJD सहित दूसरी पार्टियों की जगह वो ले सकते हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव से ओवैसी की नजर बिहार के इस मुस्लिम बहुल इलाके पर है। अगर ओवैसी इसी तरह हर चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारते रहे तो जल्दी ही चर्चा में रहने से आगे बढ़ जाएंगे और सीमांचल में अपनी पार्टी को स्थापित कर लेंगे।
हमारे देश में डॉक्टर के पास MBBS और BAMS की डिग्री होती हैं। इंजीनियरिंग का सपना देखने वाले के पास B.Tech और BE की डिग्री होती हैं, लेकिन हमारे देश में नेता बनने के लिए जो दो बड़ी क्वालिटी होती हैं, वो है दागी और करोड़पति होना। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि बिहार के चुनाव में जो उम्मीदवार उतरे हैं, उनके बैकग्राउंड ने बताया। बिहार चुनाव में उतरा हर तीसरा उम्मीदवार दागी है और हर तीसरा उम्मीदवार ही करोड़पति भी है।
14 ग्राफिक्स में समझते हैं इस बार कितने करोड़पति और कितने क्रिमिनल केस वाले उम्मीदवार हैं? किस पार्टी ने सबसे ज्यादा दागियों को टिकट दिया?
क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक फोटो वायरल हो रही है। जिसमें वे मंच पर एक हाथ उठाकर खड़े दिख रहे हैं। फोटो के आधार पर दावा किया जा रहा है कि मोदी ने सरदार पटेल के जन्मदिन पर हिटलर के अंदाज में सैल्यूट किया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने फोटो शेयर करते हुए इसे सरदार पटेल का अपमान बताया।
वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें गुजरात डीजीपी के ऑफिशियल हैंडल से 31 अक्टूबर को किए गए ट्वीट में यही फोटो मिली।
डीजीपी के ट्वीट से पुष्टि होती है कि फोटो 31 अक्टूबर को सरदार बल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस पर मनाए गए राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह की है।
Shri Narendra Modi reviewed #EktaDiwasParade by police contingents from all over the country, which was commanded by Om Prakash Jat, IPS of Gujarat Cadre.
Hon. PM administered pledge of 'National Unity' on birth anniversary of #SardarPatel, celebrated as "Rashtriya Ekta Divas". pic.twitter.com/Bk93LgxSzG
सरकारी न्यूज एजेंसी PIB के ट्वीट में भी मोदी की यही फोटो हमें मिली। ट्वीट में लिखा है कि पीएम ने सरदार पटेल के जन्मदिवस पर एकता की शपथ ली थी।
ऑल इंडिया रेडियो ( AIR) के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर एकता की शपथ लेते हुए पीएम मोदी का 2 मिनट का वीडियो भी है। जिससे साफ होता है कि वे वायरल फोटो में मोदी हिटलर के अंदाज में सैल्यूट नहीं कर रहे, शपथ ले रहे हैं।