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(नीता सिसौदिया) लॉकडाउन के दौरान कोरोनावायरस के नाम पर लोगों के मन में सबसे ज्यादा डर फल और सब्जियों को लेकर बैठाया गया। प्रशासन ने तो इन्हें जब्त कर फिंकवा भी दिया, लेकिन अरबिंदो मेडिकल कॉलेज से जुड़े डॉक्टर्स ने रिसर्च के बाद दावा किया है कि कोरोना सब्जियों और फलों से नहीं फैलता।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अजय सोडानी, डॉ. राहुल जैन, और डॉ. कपिल तैलंग ने ये रिसर्च की, जो इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन में भी प्रकाशित हुई है। डॉ. सोडानी के मुताबिक, रिसर्च के लिए अस्पताल में भर्ती अलग-अलग उम्र के 10 पॉजिटिव मरीजों के साथ प्रयोग किए।
इनमें पांच महिलाएं थीं। इनमें एक मरीज ऐसा भी था, जिसमें लक्षण नहीं थे, जबकि अन्य मरीजों को बुखार, जुकाम और सांस लेने की तकलीफ थी। ये सभी वे थे, जिनकी रिपोर्ट दो से पांच दिन पहले ही पॉजिटिव आई थी।
मास्क हटाकर खांसा, फिर भी वायरस नहीं मिला
रिसर्च के लिए सब्जी-फल बिक्री वाले इलाकों जैसा माहौल बनाया। डॉ. सोडानी ने बताया कि इन मरीजों के सामने फलों और सब्जियों से भरी एक ट्रे 30 मिनट तक रखी। मरीजों के मास्क हटवाए और हाथों में खांसने को कहा। इसके बाद उनके हाथ में फल-सब्जियां रख दीं। कुछ ने मुंंह में भी रखा। उनसे ये प्रक्रिया पांच-पांच बार करवाई।
फिर इन फल-सब्जियों को ट्रे में रखकर एक घंटे के लिए छत पर रखा, जहां प्राकृतिक हवा थी, पर सूर्य की रोशनी सीधी नहीं पड़ रही थी। एक घंटे बाद फल-सब्जियों की सतह से सैंपल लिए और इन्हें आरटीपीसीआर जांच के लिए भेजा। किसी भी फल या सब्जी में संक्रमण नहीं मिला। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी करवाई।
डब्ल्यूएचओ और सीडीसी भी कह चुका, सब्जियों से संक्रमण नहीं होता
इससे पहले डब्ल्यूएचओ और सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (सीडीसी) भी बोल चुका है कि सब्जी या फलों के कारण संक्रमण नहीं फैलता। इसके बावजूद लोगों ने सब्जी-फल खरीदना बंद कर दिया। आलू-प्याज से काम चलाया। इसका असर ये हुआ कि शुगर सहित अन्य बीमारियों के मरीजों को दूसरी परेशानियों ने घेर लिया।
अरबिंदो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अजय सोडानी ने बताया कि फल-सब्जी के संक्रमण की बातें सामने आईं तो हमने इसके पीछे के वैज्ञानिक तथ्य जानने की कोशिश की। उसी क्रम में यह स्टडी की गई। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की है। यहां तक कि लैब में जब सैंपल भेजे, तो उसे भी गोपनीय रखा।
देश में कोरोना की कमजोर हुआ है। केस कम आ रहे हैं और ज्यादा मरीज ठीक हो रहे हैं। बीते एक महीने में रोजाना के केस में करीब 30% की कमी आई है। 16 सितंबर को नए केस का पीक आया था। उस दिन 97 हजार 860 केस आए थे। अब यह आंकड़ा बीते पांच दिन से 70 हजार से नीचे है। गुरुवार को 60 हजार 419 लोग संक्रमित पाए गए। 68 हजार 202 लोग रिकवर हुए और 835 मरीजों की मौत हो गई।
देश में अब तक 73 लाख 65 हजार 509 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इनमें 8 लाख 3 हजार 524 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 64 लाख 48 हजार 658 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1 लाख 12 हजार 146 मरीजों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।
पीएम मोदी ने टेस्टिंग बढ़ाने का आदेश दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों से टेस्टिंग और सीरो सर्वे बढ़ाने को कहा है। उन्होंने गुरुवार को पीएमओ में बुलाई गई अहम बैठक में यह बात कही। पीएम ने वैक्सीन बना रही कंपनियों को सरकार की तरफ से हर संभव मदद देने का भरोसा दिया। साथ ही कहा कि कम कीमत पर टेस्टिंग की सुविधाएं सभी को मुहैया होनी चाहिए।
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, नीति आयोग के चेयरमैन, प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, वैक्सीन पर काम कर रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक और कुछ अफसर मौजूद रहे।
संस्कृति मंत्रालय ने जारी की एसओपी
मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर ने देशभर में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी कर दी है। इसमें कहा गया है कि कंटेनमेंट जोन में कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होगा। इवेंट हॉल में हो रहा है तो उसमें बैठने की क्षमता से 50% लोग ही शामिल हो सकेंगे। अधिकतम 200 लोगों को शामिल होने की छूट दी जाएगी।
इवेंट में इन नियमों का भी करना होगा पालन
इवेंट में इन नियमों का भी करना होगा पालन
एक-दूसरे के बीच कम से कम छह फीट की दूरी रखनी होगी।
एंट्री गेट पर सभी का टेम्परेचर चेक किया जाएगा। जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं हैं उन्हें एंट्री नहीं दी जाएगी।
सार्वजनिक जगहों पर थूकने पर पाबंदी होगी। हाई रिस्क वालों को एंट्री नहीं मिलेगी।
सभी को फेस मास्क पहने रहना होगा।
आर्गेनाइजिंग टीम, क्रू मेंबर्स, आर्टिस्ट सभी को शो के सात दिन पहले कोरोना टेस्ट कराना होगा। निगेटिव रिपोर्ट आने पर ही अनुमति मिलेगी।
सभी आर्टिस्ट को कोशिश करनी होगी कि वह अपने घर से ही कॉस्ट्यूम पहनकर आएं। जरूरत पड़ने पर ग्रीन रूम का इस्तेमाल करें।
इवेंट से पहले स्टेज और पूरे कैम्पस को सैनिटाइज कराना होगा।
इवेंट के दौरान केवल पैक्ड फूड देने की अनुमति होगी।
कोरोना अपडेट्स
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने गुरुवार को एल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर के कंटेनर्स और डिसपेंसर पंप्स के एक्सपोर्ट की छूट दे दी है। नया आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। अभी तक कोरोना संकट को देखते हुए इस पर रोक लगाई गई थी।
बॉलीवुड सिंगर कुमार शानू कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। उनकी पीआर टीम ने उनके ऑफिशियल फेसबुक पेज पर यह जानकारी दी। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीरो सर्वे और टेस्टिंग की क्षमता को लगातार बढ़ाया जाना चाहिए।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य के अस्पतालों में फिर से ओपीडी सर्विसेज और कुछ जरूरी सर्जरी शुरू करने का आदेश दिया है। हालांकि इसके लिए अधिक सावधानी बरतनी होगी।
पंजाब सरकार ने राज्य में 19 अक्टूबर से 9-12वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल खोलने का फैसला किया है। राज्य के शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने बताया कि स्कूल खोलने के लिए एसओपी तैयार की ली गई है।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में गुरुवार को 1308 नए केस मिले और 1559 लोग रिकवर हुए। 24 मरीजों की संक्रमण के चलते मौत हो गई। अब तक 1 लाख 56 हजार 584 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 14 हजार 157 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 39 हजार 717 लोग ठीक हो चुके हैं। 2710 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
गुरुवार को राज्य में 2039 लोग संक्रमित पाए गए। 2149 लोग रिकवर हुए और 14 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 67 हजार 279 कोरोना मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 21 हजार 587 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 43 हजार 984 लोग ठीक हो चुके हैं। 1708 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है।
3. बिहार
राज्य में गुरुवार को 1276 लोग संक्रमित पाए गए, 804 लोग रिकवर हुए और 5 मरीजों की मौत हो गई। इसी के साथ कोरोना मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 2 लाख के पार हो गया। अब तक 2 लाख 825 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 1 लाख 88 हजार 802 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 11 हजार 50 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। अब तक 972 मरीजों की मौत हुई है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में गुरुवार को 10 हजार 226 नए मरीज मिले, 13 हजार 714 लोग रिकवर हुए और 337 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 15 लाख 64 हजार 615 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 1 लाख 92 हजार 459 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 13 लाख 30 हजार 483 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण ने 41 हजार 196 लोगों की जान ले ली।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में पिछले 24 घंटे के अंदर 1.5 लाख लोगों की जांच हुई। इनमें 2672 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अब तक 4 लाख 47 हजार 383 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 36 हजार 295 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 4 हजार 545 लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना के चलते 6543 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद पर चल रही चर्चा पर बात की। गुरुवार को ब्लूमबर्ग इंडिया इकोनॉमिक फोरम में जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है, लेकिन इसमें कुछ चीजें सीक्रेट हैं, लिहाजा किसी भी तरह का पूर्वानुमान लगाने की कोशिश न करें। अगर रिश्तों की बुनियाद हिली, तो खामियाजा भी दोनों देशों को भुगतना होगा।
जयशंकर ने यह भी कहा कि बीते 3 दशकों से भारत-चीन संबंधों की मजबूती इस बात से आंकी जाती रही है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर कितनी शांति है। समस्या कभी भी भारत ने पैदा नहीं की। सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देश लगातार बातचीत कर रहे हैं।
‘किसी तरह का अंदाजा न लगाएं’
मॉडरेटर के यह पूछे जाने पर कि भारत-चीन की बातचीत का क्या नतीजा निकलेगा, इस पर जयशंकर ने फिर कहा कि काम प्रगति पर है। बातचीत जारी है, लेकिन कई चीजें कॉन्फिडेंशियल हैं। अभी सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहना सही नहीं होगा। एलएसी से सटे इलाकों में सैन्य टुकड़ी तैनात की गई है। इससे पहले बीते महीनों में ऐसा नहीं किया गया।
जयशंकर के मुताबिक, दोनों देशों (भारत-चीन) के बीच व्यापार के समेत कई मुद्दे आते हैं। इनकी बेहतरी का आकलन एलएसी पर शांति से किया जाता है। सीमा पर शांति बनी रहे, इसके लिए दोनों देशों ने 1993 में कई समझौते किए थे। अगर हम इन समझौतों का सम्मान नहीं करेंगे तो यह रिश्ते बिगड़ने का प्रमुख कारण रहेगा।
15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने कंटीले तार से भारतीय जवानों पर हमला किया था। इसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के 40 सैनिक मारे गए थे, पर उसने कभी पुष्टि नहीं की। गलवान के बाद दोनों देशों के बीच 7 दौर की बातचीत हो चुकी हैं, पर लद्दाख से सेना हटाने को लेकर अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
देश में कोरोना की कमजोर हुआ है। केस कम आ रहे हैं और ज्यादा मरीज ठीक हो रहे हैं। बीते एक महीने में रोजाना के केस में करीब 30% की कमी आई है। 16 सितंबर को नए केस का पीक आया था। उस दिन 97 हजार 860 केस आए थे। अब यह आंकड़ा बीते पांच दिन से 70 हजार से नीचे है। गुरुवार को 60 हजार 419 लोग संक्रमित पाए गए। 68 हजार 202 लोग रिकवर हुए और 835 मरीजों की मौत हो गई।
देश में अब तक 73 लाख 65 हजार 509 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इनमें 8 लाख 3 हजार 524 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 64 लाख 48 हजार 658 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1 लाख 12 हजार 146 मरीजों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।
पीएम मोदी ने टेस्टिंग बढ़ाने का आदेश दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों से टेस्टिंग और सीरो सर्वे बढ़ाने को कहा है। उन्होंने गुरुवार को पीएमओ में बुलाई गई अहम बैठक में यह बात कही। पीएम ने वैक्सीन बना रही कंपनियों को सरकार की तरफ से हर संभव मदद देने का भरोसा दिया। साथ ही कहा कि कम कीमत पर टेस्टिंग की सुविधाएं सभी को मुहैया होनी चाहिए।
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, नीति आयोग के चेयरमैन, प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, वैक्सीन पर काम कर रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक और कुछ अफसर मौजूद रहे।
संस्कृति मंत्रालय ने जारी की एसओपी
मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर ने देशभर में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी कर दी है। इसमें कहा गया है कि कंटेनमेंट जोन में कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होगा। इवेंट हॉल में हो रहा है तो उसमें बैठने की क्षमता से 50% लोग ही शामिल हो सकेंगे। अधिकतम 200 लोगों को शामिल होने की छूट दी जाएगी।
इवेंट में इन नियमों का भी करना होगा पालन
इवेंट में इन नियमों का भी करना होगा पालन
एक-दूसरे के बीच कम से कम छह फीट की दूरी रखनी होगी।
एंट्री गेट पर सभी का टेम्परेचर चेक किया जाएगा। जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं हैं उन्हें एंट्री नहीं दी जाएगी।
सार्वजनिक जगहों पर थूकने पर पाबंदी होगी। हाई रिस्क वालों को एंट्री नहीं मिलेगी।
सभी को फेस मास्क पहने रहना होगा।
आर्गेनाइजिंग टीम, क्रू मेंबर्स, आर्टिस्ट सभी को शो के सात दिन पहले कोरोना टेस्ट कराना होगा। निगेटिव रिपोर्ट आने पर ही अनुमति मिलेगी।
सभी आर्टिस्ट को कोशिश करनी होगी कि वह अपने घर से ही कॉस्ट्यूम पहनकर आएं। जरूरत पड़ने पर ग्रीन रूम का इस्तेमाल करें।
इवेंट से पहले स्टेज और पूरे कैम्पस को सैनिटाइज कराना होगा।
इवेंट के दौरान केवल पैक्ड फूड देने की अनुमति होगी।
कोरोना अपडेट्स
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने गुरुवार को एल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर के कंटेनर्स और डिसपेंसर पंप्स के एक्सपोर्ट की छूट दे दी है। नया आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। अभी तक कोरोना संकट को देखते हुए इस पर रोक लगाई गई थी।
बॉलीवुड सिंगर कुमार शानू कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। उनकी पीआर टीम ने उनके ऑफिशियल फेसबुक पेज पर यह जानकारी दी। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीरो सर्वे और टेस्टिंग की क्षमता को लगातार बढ़ाया जाना चाहिए।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य के अस्पतालों में फिर से ओपीडी सर्विसेज और कुछ जरूरी सर्जरी शुरू करने का आदेश दिया है। हालांकि इसके लिए अधिक सावधानी बरतनी होगी।
पंजाब सरकार ने राज्य में 19 अक्टूबर से 9-12वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल खोलने का फैसला किया है। राज्य के शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने बताया कि स्कूल खोलने के लिए एसओपी तैयार की ली गई है।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में गुरुवार को 1308 नए केस मिले और 1559 लोग रिकवर हुए। 24 मरीजों की संक्रमण के चलते मौत हो गई। अब तक 1 लाख 56 हजार 584 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 14 हजार 157 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 39 हजार 717 लोग ठीक हो चुके हैं। 2710 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
गुरुवार को राज्य में 2039 लोग संक्रमित पाए गए। 2149 लोग रिकवर हुए और 14 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 67 हजार 279 कोरोना मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 21 हजार 587 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 43 हजार 984 लोग ठीक हो चुके हैं। 1708 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है।
3. बिहार
राज्य में गुरुवार को 1276 लोग संक्रमित पाए गए, 804 लोग रिकवर हुए और 5 मरीजों की मौत हो गई। इसी के साथ कोरोना मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 2 लाख के पार हो गया। अब तक 2 लाख 825 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 1 लाख 88 हजार 802 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 11 हजार 50 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। अब तक 972 मरीजों की मौत हुई है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में गुरुवार को 10 हजार 226 नए मरीज मिले, 13 हजार 714 लोग रिकवर हुए और 337 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 15 लाख 64 हजार 615 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 1 लाख 92 हजार 459 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 13 लाख 30 हजार 483 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण ने 41 हजार 196 लोगों की जान ले ली।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में पिछले 24 घंटे के अंदर 1.5 लाख लोगों की जांच हुई। इनमें 2672 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अब तक 4 लाख 47 हजार 383 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 36 हजार 295 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 4 हजार 545 लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना के चलते 6543 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद पर चल रही चर्चा पर बात की। गुरुवार को ब्लूमबर्ग इंडिया इकोनॉमिक फोरम में जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है, लेकिन इसमें कुछ चीजें सीक्रेट हैं, लिहाजा किसी भी तरह का पूर्वानुमान लगाने की कोशिश न करें। अगर रिश्तों की बुनियाद हिली, तो खामियाजा भी दोनों देशों को भुगतना होगा।
जयशंकर ने यह भी कहा कि बीते 3 दशकों से भारत-चीन संबंधों की मजबूती इस बात से आंकी जाती रही है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर कितनी शांति है। समस्या कभी भी भारत ने पैदा नहीं की। सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देश लगातार बातचीत कर रहे हैं।
‘किसी तरह का अंदाजा न लगाएं’
मॉडरेटर के यह पूछे जाने पर कि भारत-चीन की बातचीत का क्या नतीजा निकलेगा, इस पर जयशंकर ने फिर कहा कि काम प्रगति पर है। बातचीत जारी है, लेकिन कई चीजें कॉन्फिडेंशियल हैं। अभी सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहना सही नहीं होगा। एलएसी से सटे इलाकों में सैन्य टुकड़ी तैनात की गई है। इससे पहले बीते महीनों में ऐसा नहीं किया गया।
जयशंकर के मुताबिक, दोनों देशों (भारत-चीन) के बीच व्यापार के समेत कई मुद्दे आते हैं। इनकी बेहतरी का आकलन एलएसी पर शांति से किया जाता है। सीमा पर शांति बनी रहे, इसके लिए दोनों देशों ने 1993 में कई समझौते किए थे। अगर हम इन समझौतों का सम्मान नहीं करेंगे तो यह रिश्ते बिगड़ने का प्रमुख कारण रहेगा।
15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने कंटीले तार से भारतीय जवानों पर हमला किया था। इसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के 40 सैनिक मारे गए थे, पर उसने कभी पुष्टि नहीं की। गलवान के बाद दोनों देशों के बीच 7 दौर की बातचीत हो चुकी हैं, पर लद्दाख से सेना हटाने को लेकर अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
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पाकिस्तान में गुरुवार शाम फौज के दो काफिलों को निशाना बनाया गया। इनमें 20 सैनिकों के मारे जाने की खबर है। पहला हमला नॉर्थ वजीरिस्तान जबकि दूसरा खैबर पख्तूनख्वा इलाके में हुआ। मारे गए सैनिकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। क्योंकि, ज्यादातर सैनिकों की हालत गंभीर बताई गई है।
पांच महीने में पाकिस्तानी सैनिकों के काफिले पर यह चौथा हमला है। कुल मिलाकर इनमें 50 से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं। ग्वादर का हमला तो सरकार और सैनिकों के लिए चिंता का बड़ा कारण है। यहां पाकिस्तान और चीन मिलकर पोर्ट बना रहे हैं। यह इलाका बलूचिस्तान और नॉर्थ वजीरिस्तान की सीमा पर है।
फौज ने जारी किया बयान
‘द ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी फौज की मीडिया विंग (डीजी आईएसपीआर) ने सिर्फ नॉर्थ वजीरिस्तान में हुए हमले की जानकारी दी है। इसके मुताबिक, यहां हुए हमले में एक अफसर समेत 6 सैनिक मारे गए। हमला राजमक गांव में हुआ। तब सैनिकों की गाड़ियों का काफिला पेट्रोलिंग के बाद कैम्प लौट रहा था।
दूसरे हमले की जानकारी नहीं दी
पाकिस्तानी फौज के मीडिया विंग ने शुक्रवार सुबह तक खैबर में हुए दूसरे हमले की जानकारी नहीं दी। जबकि यह हमला ज्यादा घातक था और इसमें 14 सैनिकों के मारे जाने की खबर है। इसमें को कमांडर लेवल के अफसर भी शामिल बताए गए हैं। बताया जाता है कि सैनिकों की एक गाड़ी ओरमारा में मौजूद गैस एंड ऑयल प्लांट से लौट रही थी। तभी इसे आईईडी के जरिए उड़ा दिया गया। बताया जाता है कि इस दौरान सैनिकों और हमलावरों के बीच काफी देर तक गोलीबारी भी हुई। सैनिक खुली जगह पर थे, जबकि हमलावर ओट में थे।
इमरान ने रिपोर्ट मांगी
घटना की जानकारी मिलने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने आर्मी चीफ जनरल बाजवा से फोन पर बातचीत की। उनसे घटना का ब्योरा लिया। सैनिकों की दो कंपनियां मौके पर रवाना की गई हैं। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी फौज पर पिछले महीनों में कई हमले हुए हैं। लेकिन, खैबर और वजीरिस्तान में इस तरह के हमले नई बात हैं।
‘कुल लोगन के त हमनी देख लेहनी…नीतीश जी के हियंवा (बिहार में) और मोदी जी के उहंवा (दिल्ली में)। अब एक बारी तेजस्वियो के देख लेबे के चाही...।’
घुटने तक धोती और पिछले कई दिन से पसीना झेल रहा कुर्ता पहने 50-60 साल के महाशय ने बीच बाजार ये घोर राजनीतिक टिप्पणी कहकर अचानक हलचल मचा दी। बाजार है, आरा जिले के जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र का हरदियां चौक।
चौक पर पान की कई दुकानें हैं। एक-दो दुकान समोसा-लिट्टी वाली भी दिख रही हैं। दोपहर का वक्त है और धूप बहुत तेज है, सो कई लोग बूढ़े पीपल की छांव में बैठे हैं। यहीं बैठे-बैठे वो टिप्पणी आई, जिसने एक घोर राजनीतिक बहस का आगाज कर दिया है।
बगल की दुकान से पान खाने के बाद उंगली से हल्का चूना जीभ पर लगाते हुए एक अधेड़ व्यक्ति ने जवाब दिया, ‘काहे ना? देख ली? रउरा त अठारहे साल के ना बानी। लालू जी के पंद्रह साल ना देखले हो, अब या इयाद नइखे होई!’
व्यंगात्मक लहजे में दिए गए इस जवाब ने चौक का माहौल गरमा दिया है। आसपास खड़े-बैठे कई लोग बूढ़े पीपल के और करीब आ गए हैं। शुरुआती टिप्पणी करने वाले सज्जन बोले, ‘ए बबुआ। ढ़ेर ना अगरा। सब बुझा रहा है जो आप बोल रहे हैं। ई 15 साल काहे नहीं देखे और उसके पहले वाला पंद्रह साल ही काहे देखें? माने बेटा, अपन बाप की गलती ना देखें, लेकिन दादा से हिसाब मांगें। ई कौन बात हुआ?’
सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही और महानायक वीर कुंवर सिंह इसी जगदीशपुर के थे। इस वजह से जगदीशपुर को देश-दुनिया में पहचान मिली हुई है। इसकी खूब चर्चा होती है, लेकिन इस चुनावी माहौल में जगदीशपुर एक विधानसभा सीट मात्र है। यहां से राष्ट्रीय जनता दल के राम विष्णु सिंह लोहिया विधायक हैं और अबकी जीत की हैट्रिक बनाने की चाहत लिए मैदान में उतरे हैं।
जदयू से लोजपा में शामिल होकर चुनाव लड़ रहे भगवान सिंह कुशवाहा ताल ठोक रहे हैं। एनडीए की तरफ से यहां जदयू चुनाव लड़ रही है और पार्टी ने आदर्श पंचायत दांवा की मुखिया सुषमलता कुशवाहा को मैदान में उतार रखा है। बीच दोपहर हो रही इस चुनावी बतकही की सबसे खास बात आपको मालूम है? वो ये कि किसी भी स्थानीय उम्मीदवार को अभी तक इस बहस में जगह नहीं मिल रही है। बहस राज्य और राष्ट्र के स्तर से नीचे उतर ही नहीं रही है।
‘ठीके बा। मांगी कुल हिसाब। याद रखना होगा कि तेजस्वी यादव का बैकग्राउंड क्या है? वो वक्त तो जनता को याद रखना ही होगा।’ व्यंग्य करने वाले सज्जन इतना कहते हुए बहस से खुद को बाहर कर लेने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन, बिहार में जब एक बार चुनावी बहस का शामियाना खड़ा हो जाता है तो उसे गिराना आसान नहीं होता। यहां भी कुछ-कुछ ऐसा ही हो रहा है। बगल में खड़े एक बीस-बाइस साल के नौजवान ने कहा, ‘सगरो यही बात हो रहा है। जो विपक्ष में है उसका बैकग्राउंड चेक करो। उन्हीं से सवाल करो। उन्हीं से जवाब मांगो। जो सत्ता में हैं। जिन्होंने पिछले पंद्रह साल से बिहार में शासन किया। जिनकी सरकार राज्य और केंद्र दोनों जगह है उनसे कोई सवाल नहीं। उनका कोई बैकग्राउंड चेक नहीं। काहे भाई?’
नौजवान द्वारा पूछे गए इन सवालों की शायद वहां किसी को उम्मीद नहीं थी। लग रहा है जैसे उसके इस सवाल से बहस पर पूर्ण विराम लग गया है। अब किसी के पास कोई तर्क नहीं। अब कोई कुछ नहीं कहेगा। सब शांत। सब चुप।
इसी बीच धूप का चश्मा लगाए और सफेद कुर्ता-पायजामा पहने एक सज्जन स्कूटी से आते हैं। हाव-भाव से स्थानीय लग रहे हैं। आते ही पान दुकान में बैठे लड़के से बोलते हैं, ‘ये बाबू, एकठो पान खियावा। बड़ी गर्मी है।’ जब तक पान बन रहा है, तब तक वो बहस में एक अलग ही बात लेकर शामिल हो जाते हैं। कहते हैं, ‘अबकी माहौल बड़ी टाइट है। हर जगह लड़ाई है। तीन फंसवा (त्रिकोणीय) चुनाव हो गया है। कुछो नहीं बुझा रहा है।’
शुरुआती टिप्पणी करने वाले चाचा इस बात पर मुंह बनाते हैं। अपनी लाठी जमीन पर पटकते हुए कहते हैं, ‘देखत न रहीं, अबकी लालू के लइका निकल जइहे औरी मोदी जी हेरा जइहें! पता नहीं आपको क्यों नहीं लउक रहा है, लेकिन सबकुछ पानी की तरह साफ है।’
चाचा के बगल में खड़ा नौजवान आंख मारते हुए पूछता है, ‘कौन मोदी नी भुला जाइहें? छोटका की बड़का?’
चचा कहते हैं, ‘बात होई त बड़के मोदी के ना होई। छोटका के त दूध-भात रहता।’
पिछले तीन हफ्ते में कोरोना के नए केस में 3% की कमी आई है। 17 से 23 सितंबर के बीच यह दर 8.82% थी, जो 8 से 14 अक्टूबर के बीच घटकर 6.05% हो गई। चलिए, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 5 इवेंट्स पर रहेगी नजर
1. मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइटराइडर्स अबु धाबी में आमने-सामने होंगे। टॉस शाम सात बजे और मैच साढ़े सात बजे शुरू होगा।
2. मेडिकल और डेंटल के ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन के लिए होने वाली NEET-UG के नतीजे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी आज जारी करेगी।
3. आज अयोध्या पहुंचेंगे बॉलीवुड कलाकार। 17 अक्टूबर से शुरू हो रही रामलीला में हिस्सा लेंगे।
4. हाथरस गैंगरेप में मामले में CBI जांच का छठवां दिन।
5. मुंबई में मौसम विभाग ने मुंबई और पुणे में भारी बारिश की चेतावनी का येलो अलर्ट जारी किया।
अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें
1. एफडी ने प्रधानमंत्री की संपत्ति एक साल में 36 लाख रुपए बढ़ाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपनी संपत्ति बताई है। पिछले साल तक उनके पास 2.49 करोड़ रुपए की संपत्ति थी। इस साल 30 जून तक यह बढ़कर 2.85 करोड़ रुपए हो गई। बैंक बैलेंस और एफडी से उनकी संपत्ति में एक साल में 36 लाख रुपए का इजाफा हुआ। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह को शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव की वजह से 3.6 करोड़ का नुकसान हुआ है। उनके पास 28.63 करोड़ रुपए की संपत्ति है।
2. फर्जीवाड़े के बाद ब्रॉडकास्ट काउंसिल ने TRP लिस्ट पर रोक लगाई
ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (TRP) पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी। BARC इंडिया बोर्ड के चेयरमैन पुनीत गोयनका ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए यह फैसला बेहद जरूरी था। दरअसल, पिछले गुरुवार को मुंबई पुलिस ने दावा किया था कि रिपब्लिक जैसे कुछ चैनल पैसे देकर TRP बढ़वाते हैं।
3. शेयर मार्केट में लगातार 10 दिन की बढ़त के बाद गिरावट
शेयर बाजार गुरुवार को कमजोर ग्लोबल संकेतों के कारण भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। सेंसेक्स दिन के उच्चतम स्तर से 1380 अंक और निफ्टी 364 अंक नीचे बंद हुआ। निफ्टी आईटी इंडेक्स में 636 और निफ्टी बैंक इंडेक्स में 802 अंकों की गिरावट रही। बीएसई सेंसेक्स में शामिल 30 में से 29 कंपनियों के और निफ्टी-50 इंडेक्स में शामिल 50 में से 47 कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही।
4. हाथरस के अस्पताल में CBI को CCTV फुटेज नहीं मिले
CBI टीम मंगलवार को हाथरस जिला अस्पताल पहुंची। मकसद गैंगरेप मामले में सबूत जुटाना था। इस दौरान जिला प्रशासन और पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई। CBI को यहां 14 सितंबर यानी घटना के दिन का CCTV फुटेज नहीं मिला। अस्पताल के मैनेजमेंट ने तर्क दिया कि जिला प्रशासन और पुलिस ने उस समय फुटेज नहीं लिए थे, जब विक्टिम को यहां इलाज के लिए लाया गया था।
भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद के बाद पहली बार भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे नेपाल जाएंगे। उनका यह दौरा अगले महीने होगा। अब तक इसकी तारीख तय नहीं हुई है। नेपाल आर्मी ने बुधवार को इस बारे में कहा कि उनके दौरे को नेपाल सरकार से 3 फरवरी को ही मंजूरी मिल गई थी, लेकिन दोनों देशों में लॉकडाउन की वजह से यह टल गया था।
6. कस्टमर फीडबैक से बिजनेस में किया बदलाव, अब कमाई 35 हजार रु. महीना
इंदौर की श्वेता वैद्य का बिजनेस का कोई प्लान नहीं था। लेकिन, पति की अर्निंग कम हुई तो कुछ करना मजबूरी बन गई। श्वेता ने एक फूड स्टॉल लगाया और बिजनेस शुरू कर दिया। असफल हुईं तो कस्टमर फीडबैक से बदलाव भी किए। पहले 40 दिनों में ही जितना पैसा लगाया था, वो निकल गया और इसके बाद हर माह 30 से 35 हजार रुपए की बचत होने लगी।
7. मुंबई-पुणे में भारी बारिश, तेलंगाना में मौत का आंकड़ा 30 हुआ
महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे समेत कई इलाकों में बुधवार रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश के चलते पुणे के कई इलाकों में पानी भर गया। मौसम विभाग ने मुंबई, ठाणे समेत उत्तरी कोंकण के कई इलाके में गुरुवार को भारी से भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। उधर, तेलंगाना में मंगलवार और बुधवार को हुई बारिश के बाद बिगड़े हालात में मरने वालों का आंकड़ा 30 हो गया है।
‘मेरी बहन पुलिस फोर्स में भर्ती होना चाहती थी, लेकिन उसे जिंदा जला दिया गया। हमें इसका बिलकुल अंदाजा नहीं था कि आरोपी ऐसा भी कर सकते हैं। हमें तो पुलिसवालों ने भी नहीं बताया हमें तो उस आदमी से पता चला, जिसने उसे जिंदा जलते देखा था।’
यह कहते हुए रेप विक्टिम की छोटी बहन रो पड़ती है। साड़ी का पल्लू संभालते हुए पीड़िता की भाभी अपनी ननद को संभालते हुए कहती हैं कि ‘जब हमारे घर की बेटी मरी तो तमाम बड़े नेता आए, देश भर का मीडिया भी आया लेकिन अब मेरे 6 साल के बेटे का अपहरण हो गया है तो कोई पूछने नहीं आ रहा। पुलिस भी 14 दिन से ढूंढ नहीं पाई है। अब तो मैंने उसके जिंदा रहने की उम्मीद भी छोड़ दी है।’
छोटी बहन कहती है, ‘12 दिसंबर 2018 की मनहूस तारीख को मेरी बहन से शिवम और शुभम ने असलहे के बल पर गैंगरेप किया था। हमने जब इसकी शिकायत थाने में की तो पुलिसवालों ने नहीं सुनी। मजबूरी में कोर्ट के जरिए मुकदमा लिखा गया। सुनवाई शुरू हुई तो बहन खुद केस की पैरवी करने कोर्ट जाया करती थी। मामले में शिवम कोर्ट में पेश हो गया, लेकिन दबंग शुभम गांव में ही रहा। आए दिन हम लोगों को धमकाता था।'
बहन ने कहा- वह 5 दिसंबर 2019 का दिन था। रायबरेली कोर्ट में हमारे केस की सुनवाई थी। तय हुआ था कि मेरी बहन, मैं और भाई जाएंगे। सुबह-सुबह 5 किमी दूर स्टेशन से ट्रेन पकड़नी थी, लेकिन किसी वजह से हमारा जाना कैंसिल हो गया तो हम रुक गए और बहन तड़के निकल गई।
सुबह के 4.30 बज रहे होंगे, बहन गांव से थोड़ी दूर ही बाहर पहुंची थी कि दो दिन पहले जमानत पर छूट कर आये आरोपियों ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर उसे ज़िंदा जला दिया। मेरी बहन बहादुर थी, उसने जलते-जलते लोगों से मदद मांगी। लेकिन, उन्नाव से लखनऊ फिर दिल्ली जाकर उसने 7 दिसंबर 2019 की रात 11 बजे दम तोड़ दिया। आखिरी वक्त में वह यही कहती रही कि मुझे इंसाफ जरूर दिलाना।
सुरक्षा के लिए पुलिस दी और उनके रहते 6 साल का बेटा गायब हो गया, ऐसी सुरक्षा से क्या फायदा?
उन्नाव से लगभग 50 किमी दूर बिहार थाने से 8 किमी गांव में घुसते ही लगभग 100 से 150 मीटर दूरी पर दूर दुष्कर्म पीड़िता का बाएं हाथ पर फूस के छप्पर का घर बना है। अंदर थोड़ा बहुत कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। रोजाना की तरह पिता और भाई खेतों पर जाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन हमें देख रुक गए हैं। घर के सामने ही पुलिसकर्मी भी खड़े हुए हैं, जो परिवार की सुरक्षा में मुस्तैद है।
भाई से जब हमने बात की तो बोले, ‘साहब, सरकार ने हमारी सुरक्षा के लिए पुलिस दी थी। इनके रहते हुए हमारा 6 साल का बेटा गायब हो गया है। ऐसी सुरक्षा से क्या फायदा है? 2 अक्टूबर को हम सब खेत पर चले गए। घर के अंदर पत्नी थी और बच्चा बाहर खेल रहा था। जब हम सब लौटे तो बच्चा गायब था। गांव में, खेतों में सब जगह ढूंढ लिया, कहीं नहीं मिला। 14 दिन से रोज थाने पर जाते हैं, कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। मुकदमा लिख कर काम खत्म हो गया है। अभी सुराग तक नहीं मिला है।’
घर के बाहर बने बरामदे में पिता वहीं बैठे हैं, जहां 10 महीने पहले उनकी बेटी की लाश रखी हुई थी। वे कहते हैं कि ‘मेरी बेटी पढ़ी लिखी थी। दुनियादारी जानती थी। अब वाे नहीं है। जिस दिन मर कर वह घर वापस आई, उसके बाद एक-एक करके सब यहां से चले गए। उसके बाद किसी ने पलट कर नहीं देखा कि हम कैसे हैं।
आए दिन आरोपी धमकी देते हैं, गाली-गलौज करते हैं। गांव में गिनती के वाल्मीकि समाज के घर हैं। दबंगों से हम सब डरते हैं इसलिए कोई हमारे साथ खुलकर खड़ा भी नहीं होता है। अब हमारा पोता गायब कर दिया गया। इन लोगों ने हमें डराने धमकाने के लिए उसे अगवा कर लिया है, लेकिन हम डरेंगे नहीं।’
छोटी बहन ने कहा कि ‘कोर्ट में केस पहुंच गया है, लेकिन कोरोना की वजह से सुनवाई नहीं हो पा रही है। अब ये सरकार को सोचना चाहिए कि हम लोगों को न्याय कैसे मिलेगा। सरकार ने परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने को कहा था, वह भी नहीं दी। सरकार ने घर देने को कहा था, तो उन्नाव में एक कमरे का कांशीराम आवास दिया। अब आप ही बताइए कि 10 लोगों का परिवार कैसे रहेगा?
मैंने कई बार कहा कि हमें सीएम साहब से मिलवा दो, लेकिन नहीं मिलवाया। जब मैं खुद तीन महीने पहले सीएम आवास पर लखनऊ पहुंची तो मुझे पुलिस वाले थाने लेकर चले गए। रात में 10 बजे मुझे छोड़ा गया। उस समय प्रियंका गांधी, सपा के नेता और सरकार के मंत्री आए थे। तमाम लोग फोन नंबर देकर गए थे, लेकिन अब फोन करो तो नाम सुनते ही काट देते हैं। अब समझ नहीं आ रहा कि इंसाफ के लिए कहां जाएं।’
रेप विक्टिम के भाई कहते हैं कि ‘दस महीनों में बहुत कुछ बदल गया है। मैं दिल्ली में काम करता था, मुकदमेबाजी के चक्कर में मेरा काम छूट गया। अब कोई काम नहीं है। छोटी बहन सिलाई का काम करती थी, उसका भी काम छूट गया है। जो पैसे सरकार से मिले थे वो मुकदमे में और घर का खर्च चलाने में खर्च हो रहा है। अगर सरकार कोई नौकरी ही दे देती तो कम से कम जीवन-यापन में आसानी हो जाती।
हरियाणा के फरीदाबाद में रहने वाले 27 साल के रोहित प्रताप ने साल 2014 में इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन में बीटेक किया। फिर नागपुर समेत कई शहरों में रहकर तीन कंपनियों में बतौर क्वालिटी कंट्रोलर नौकरी भी की। पिछले साल नौकरी छोड़ फ्लावर वेस्ट मैनेजमेंट पर काम शुरू किया। अब वो उत्तराखंड के ऋषिकेश में मंदिर से निकलने वाले फ्लावर वेस्ट से अगरबत्ती, धूपबत्ती तैयार करते हैं।
रोहित ने 10 लाख की लागत से ये बिजनेस शुरू किया था, अब वो इससे हर महीने डेढ़ से दो लाख रुपए की सेल करते हैं और करीब 16 महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं। रोहित का मानना है कि इससे तीर्थ नगरी का पर्यावरण प्रदूषण कम करने में भी मदद मिल रही है।
रोहित का शुरुआत से वेस्ट मैनेजमेंट में इंट्रेस्ट था। 2017 में उन्होंने जॉब के साथ-साथ इस फील्ड में रिसर्च करनी शुरू की। उत्तराखंड के ऋषिकेश में राेहित की मौसी रहती थीं, जिन्होंने युवावस्था में ही संन्यास ले लिया था। ऐसे में रोहित का अक्सर ऋषिकेश आना-जाना रहता था। एक दिन जब रोहित ने अपनी मौसी से वेस्ट मैनेजमेंट के प्लान पर डिस्कस किया तो उन्होंने रोहित को फ्लावर वेस्ट मैनजेमेंट पर काम करने की सलाह दी।
ऋषिकेश तीर्थ नगरी है। ऐसे में यहां बड़ी तादाद में मंदिर हैं। श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। सुबह भगवान को अर्पित होने वाले फूल शाम को घाट किनारे पड़े मिलते थे या उसे लोग नदी में बहा देते हैं। इन सबसे नदियां भी प्रदूषित होती थीं।
ऐसे में रोहित ने 2018 में अपनी नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया और फरीदाबाद में रहकर करीब 6 महीने तक फूलों के वेस्टेज से क्या-क्या चीजें कैसे तैयार हो सकती हैं, इस पर काम किया। इस दौरान वे वेस्ट मैनेजमेंट सेक्टर में काम करने वाले कई लोगों से भी मिले।
6 महीने बाद रोहित ने फरीदाबाद के ही मंदिरों से निकलने वाले फ्लावर वेस्ट को इकट्ठा किया और सैंपल के तौर पर कुछ धूपबत्ती और अगरबत्ती बनाईं। ये प्रोडक्ट उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों को दिया और रिस्पांस अच्छा मिला तो अप्रैल 2019 में ऋषिकेश में जगह लेकर एक छोटा सा प्लांट लगाया। फिर सितंबर 2019 में इस प्लांट में फ्लावर वेस्ट से धूपबत्ती, अगरबत्ती और शॉवर जेल का प्रोडक्शन शुरू किया।
रिक्शा से फ्लावर वेस्ट प्लांट तक लाते हैं
रोहित बताते हैं कि हमने ऋषिकेश के करीब 12 मंदिरों और 2 घाट के पास 50 किलो से लेकर 100 किलो तक की क्षमता वाले ड्रम रखे हैं। जिसमें मंदिरों से निकलने वाला फ्लावर वेस्ट इकट्ठा होता है। यहां से हम रिक्शे के जरिए इस वेस्ट को अपने प्लांट पर लेकर आते हैं और फिर इसकी रिसाइकिलिंग कर इससे अगरबत्तियों का प्रोडक्शन हाेता है।
महिला कर्मचारी इनमें से उपयोगी फूलों की बारीकी से छंटनी करती हैं। फिर उनकी धुलाई कर सुखाने के बाद मशीन से पीसकर उनके पाउडर की परफ्यूमिंग होती है। उसके बाद 'नभ अगरबत्ती' और 'नभ धूप' नाम से इन प्रोडक्ट को उन्हीं पूजा स्थलों के साथ ही तीर्थ नगरी की दुकानों, आवासीय परिसरों में बेचा जाता है। बचा हुआ फूलों का कचरा भी इस्तेमाल कर लिया जाता है। उसका वर्मी कम्पोस्ट बनाकर जैविक खेती करने वाले क्षेत्र के किसानों को बेच दिया जाता है।
रोहित के मुताबिक, आम दिनों में उन्हें ऋषिकेश से रोजाना 500 किलो फ्लावर वेस्ट मिलता है। 1 किलो फ्लावर वेस्ट से 70 से 80 ग्राम तक पाउडर तैयार होता है और इससे करीब 700 हैंड मेड अगरबत्ती स्टिक तैयार होती हैं। इस काम के लिए रोहित के प्लांट पर करीब 16 महिलाएं (फुल टाइम, पार्ट टाइम) काम करती हैं। उनके प्लांट पर रोजाना 1000 पैकेट तैयार होते हैं।
रोहित कहते हैं कि इसकी मार्केटिंग मैं खुद देखता हूं, फिलहाल हमारे सभी प्रोडक्ट ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा कुछ प्रदेशों में डिस्ट्रीब्यूटर भी हैं और उत्तराखंड के लोकल मार्केट में भी इसकी सप्लाई करते हैं। हमारे यहां जो हैंड मेड अगरबत्ती तैयार होती है, वह ऑर्गेनिक सेगमेंट में आती है, जिसे काफी अच्छा रिस्पांस मिलता है।
रोहित कहते हैं कि अभी हम फ्लावर वेस्ट से धूपबत्ती, अगरबत्ती, शॉवर जेल, वर्मी कम्पोस्ट और गुलाल तैयार करते हैं। अब हम हवन सामग्री, लिप ग्लास, फेस पैक भी तैयार करने की तैयारी में हैं। इसके अलावा अब अपनी यूनिट को हरिद्वार समेत अन्य तीर्थ व धार्मिक स्थानों पर भी खोलने की तैयारी है।
रोहित का कहना है कि फ्लावर वेस्ट से प्रोडक्ट बनाना तो आसान है, लेकिन इसकी मार्केटिंग आसान नहीं है। यदि कोई फ्लावर वेस्ट को लेकर काम करना चाहता है तो हम उसकी नि:शुल्क मदद भी करते हैं।
(अधिक जानकारी के लिए रोहित प्रताप से उनके मोबाइल नंबर 097175 88383 पर संपर्क किया जा सकता है।)
कोविड-19 महामारी जब से आई है, तब से बताया जा रहा है कि यह सांस लेने में दिक्कत से जुड़ी बीमारी है। ज्यादातर लोग दो-तीन हफ्ते में ठीक हो जाते हैं। लेकिन, यह आधा सच है। बचा हुआ सच यह है कि सैकड़ों लोगों को कोविड-19 निगेटिव आने के कई महीनों बाद भी लक्षण महसूस हो रहे हैं।
यूके के वैज्ञानिक और डॉक्टरों ने ग्लोबल कम्युनिटी को आगाह किया है कि लॉन्ग कोविड पर भी फोकस करें। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस पर विचार करना शुरू कर दिया है। हाल ही में यूके के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (NIHR) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लॉन्ग कोविड एक सिंड्रोम नहीं, बल्कि चार अलग-अलग सिंड्रोम है।
क्या है लॉन्ग कोविड?
लॉन्ग कोविड की कोई मेडिकल परिभाषा या लक्षणों की लिस्ट नहीं है। जो मरीज कोविड-19 निगेटिव हो गए, उन्हें महीनों बाद भी समस्याएं हो रही हैं। कोविड-19 से उबरने के बाद भी लक्षणों का लॉन्ग-टर्म अनुभव ही लॉन्ग कोविड है।
4 months ago I was a fit 23 year old, doing yoga everyday, running, pole-dancing and working as a frontline medical doctor.
Today, because of #LongCovid, I struggle with basic self care and spend most of my time in bed.
So #LongCovid strikes again. Two weeks ago I thought I was finally getting over this after months of being ill and I even managed to walk up a hill! But it didn’t last. Back to struggling to stand, too dizzy to shower etc. When will this be over? @long_covid#longhaulers#COVID19pic.twitter.com/5BVYCY5QVs
लॉन्ग कोविड से जूझ रहे दो लोगों के लक्षण बिल्कुल अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन, कॉमन लक्षण है थकान। सांस लेने में दिक्कत, खांसी, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द, सुनने और देखने की समस्याएं, सिरदर्द, गंध और स्वाद न आना।
इसके साथ-साथ आंतों, किडनी, फेफड़ों और दिल को नुकसान भी इनसे जुड़ी समस्याएं हैं। डिप्रेशन, एंजाइटी और साफ सोच के लिए संघर्ष जैसी मेंटल हेल्थ समस्याएं भी सामने आ रही हैं। यह मुश्किलें किसी भी व्यक्ति की क्वालिटी ऑफ लाइफ बर्बाद कर सकती हैं।
लॉन्ग कोविड शब्द का इस्तेमाल पहली बार एलिसा पेरेगो (यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की रिसर्च एसोसिएट) ने मई 2020 में अपने कोविड-19 अनुभवों को शेयर करते हुए किया था। तब से कई मरीज इस तरह के अनुभव सुना चुके हैं।
कितने मरीजों को हो रहा है लॉन्ग कोविड?
रोम के सबसे बड़े अस्पताल से ठीक होकर घर लौटे 143 कोविड-19 मरीजों पर की गई एक स्टडी अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में छपी है। पता चला कि 87% को दो महीने बाद भी कम से कम एक लक्षण तो रहा ही। आधे से ज्यादा को अब भी थकान महसूस होती है।
I am living with #LongCOVID. I am experiencing multi-dimensional and episodic disability, across all dimensions of disability. My primary symptom is fatigue & post-exertion malaise. Along with other symptoms. I want to describe the nature & extent of disability I experience. pic.twitter.com/JCw5MqmXWo
— Darren Brown; HIV Physiotherapist (@darrenabrown) October 9, 2020
यूके में चालीस लाख लोग द कोविड सिम्टम्प ट्रैकर ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। पता चला है कि 12% मरीजों को 30 दिन के बाद भी कोई न कोई लक्षण रहा। इसका नया डेटा बताता है कि दो प्रतिशत लोगों में 90 दिन बाद भी लॉन्ग कोविड के लक्षण देखे गए हैं।
अगस्त 2020 में WHO ने भी इसे नोटिस में लिया और यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस, ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) और अन्य संस्थाओं से जुड़े रिसर्चर्स व एक्सपर्ट्स से इस पर चर्चा की कि क्या लॉन्ग कोविड को एक अलग बीमारी मानकर फोकस करना चाहिए?
यह वायरस किस तरह लॉन्ग कोविड का कारण बन रहा है?
इसके बारे में दावे कई हैं, लेकिन तथ्य कोई नहीं। ऐसा लगता है कि वायरस शरीर के ज्यादातर हिस्सों से निकल जाता है, लेकिन तब भी पॉकेट्स में बना रहता है। कोरोनावायरस शरीर के कई सेल्स को इन्फेक्ट कर सकता है।
एक दावा कहता है कि कोविड के बाद भी इम्यून सिस्टम एकदम से नॉर्मल नहीं हो जाता और इस वजह से बीमार महसूस कराता है। इसके अलावा यह इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर में ऑर्गन के काम करने का तरीका भी बदल रहा है। फेफड़ों में हुआ नुकसान लंबे समय तक परेशान कर सकता है।
UK folks with Long Covid, please complete this quick and useful survey to let the NIHR know of your experiences of Long Covid and accessing healthcare. Please RT https://t.co/yy4dxQjgOg
When herd immunity was proposed in March I was worried about long-term health effects of a new 🦠 Now we have FACTS not just worry. Previously healthy people with #LongCovid. How can anyone talk abt building population immunity by natural infection NOW? It’s denialism & cruelty.
कोविड लोगों के मेटाबॉलिज्म को भी बदल रहा है। इस वजह से ब्लड शुगर लेवल्स कंट्रोल करने में भी दिक्कत आ रही है। खासकर उन लोगों को जिनमें कोविड-19 के बाद डाइबिटीज के लक्षण दिखे हैं। कुछ लोगों में तो फैट्स को प्रोसेस करने का तरीका भी बदला है।
ब्रेन स्ट्रक्चर में बदलाव के शुरुआती लक्षण मिले हैं। हालांकि, क्या हुआ है यह बताने के लिए डिटेल में जांच करने की जरूरत है। कोविड-19 ने कुछ लोगों में खून पर भी असर डाला है। एबनॉर्मल क्लॉटिंग के साथ ही पूरे शरीर में खून पहुंचाने वाली नलियों के नेटवर्क को भी नुकसान हुआ है।
क्या यह कोविड-19 की गंभीरता पर निर्भर करता है?
नहीं, बिल्कुल नहीं। आश्चर्य तो इस बात का है कि जिन लोगों को कोविड-19 पॉजिटिव रहने के दौरान माइल्ड लक्षण थे, उन्हें भी लॉन्ग कोविड के लक्षणों से जूझते देखा जा रहा है। इसका मतलब यह है कि जरूरी नहीं है कि यह सिर्फ उन लोगों को परेशान कर रहा है, जो आईसीयू में एडमिट थे।
यदि आपको लॉन्ग कोविड है तो क्या करना चाहिए?
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल से जुड़े डॉक्टर और एक्सपर्ट कह रहे हैं कि यदि आप कोविड-19 से रिकवर नहीं कर पा रहे हैं, अगर आपके लक्षण पूरी तरह से नहीं गए हैं और इंफेक्शन को लेकर निगेटिव आने के बाद भी लक्षण बढ़ते जा रहे हैं तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
आज द वॉल्ट डिज्नी कंपनी को कौन नहीं जानता? आज यह कंपनी अंतरराष्ट्रीय मनोरंजन उद्योग की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। डिज्नी भाइयों- वॉल्ट और रॉय- ने डिज्नी ब्रदर्स कार्टून स्टूडियो नाम से 16 अक्टूबर 1923 को यह कंपनी बनाई थी।
जब कंपनी शुरू हुई तो वॉल्ट डिज्नी ने कई संकटों का सामना किया। खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। कार्टून बिक नहीं पाते थे। मई 1928 में मिकी हाउस ने न केवल वॉल्ट डिज्नी को पहचान दिलाई, बल्कि ऐसी सक्सेस स्टोरी लिखी कि पूरी दुनिया आज भी देख रही है।
वॉल्ट को मिकी का आइडिया भी अजीब तरह से आया था। वे कैंसास स्टूडियो में बैठे थे, तभी उनके टेबल पर एक चूहा चढ़ गया था। उसकी हरकतें देखकर ही मिकी बनाया और उसी मिकी ने डिज्नी को अपना सुनहरा दौर दिखाया।
पिछले साल वॉल्ट डिज्नी कंपनी ने 71 अरब डॉलर की डील कर 21 सेंचुरी फॉक्स को खरीदा, जिससे स्टार इंडिया भी वॉल्ट डिज्नी का हिस्सा हो गया। इस डील ने मीडिया एंड एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बहुत बड़ा बदलाव ला दिया है। इससे डिज्नी को टाटा स्काई और एंडेमोल शाइन ग्रुप का मालिकाना हक भी मिल गया। भारत में हॉट स्टार का नाम बदलकर डिज्नी हॉट स्टार किया गया।
1905 में बंगाल का विभाजन
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बंग-भंग आंदोलन का बहुत महत्व है। सही मायनों में इसने ही देश में राष्ट्रवाद के बीज बोए। मुसलमानों और हिंदुओं को बांटने के लिए अंग्रेजों ने बंगाल के मुस्लिम-बहुल क्षेत्र को मिलाकर नया प्रांत बनाया। 16 अक्टूबर 1905 से यह बंटवारा लागू हुआ। इसके खिलाफ न केवल नेता, बल्कि बच्चे-बूढ़े, महिला-पुरुष सब सड़कों पर आ गए। पूरे बंगाल में इसे शोक पर्व के रूप में मनाया गया।
रवीन्द्रनाथ टैगोर तथा अन्य प्रबुद्ध लोगों ने आग्रह किया कि इस दिन सब लोग एक-दूसरे के हाथ में राखी बांधें। संकल्प लें कि जब तक यह काला आदेश वापस नहीं लिया जाता, वे चैन से नहीं बैठेंगे। छह साल तक आंदोलन चला। लाल, बाल, पाल की तिकड़ी ने पूरे देश में इसे पहुंचाया। ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने 11 दिसम्बर 1912 को दिल्ली में दरबार लगाकर यह आदेश वापस लिया। इतना ही नहीं उन्होंने वायसराय लार्ड कर्जन को वापस बुलाकर उसके बदले लार्ड हार्डिंग को भारत भेजा।
75 साल का हुआ यूएन एफएओ
यूनाइटेड नेशंस (यूएन) फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) की स्थापना 16 अक्टूबर 1945 को हुई थी। 1979 में रोम में एफएओ के इवेंट में तय हुआ कि 1981 से हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड फूड डे के तौर पर मनाया जाएगा। हर साल एक अलग थीम तय की जाती है। यह दिन फूड सप्लाई और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक करना है।
इस साल यूएन का फोकस है फूड हीरोज- किसान और फूड सिस्टम से जुड़े सभी कर्मचारियों के योगदान का महत्व हर एक को समझाने पर। कोविड-19 महामारी के इस दौर में वंचित तबका और गरीब सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं और ऐसे में उन्हें आवश्यक मदद देना बहुत जरूरी है।
आज की तारीख इन घटनाओं के लिए भी याद की जाती है-
1939: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने ब्रिटिश क्षेत्र पर पहला हमला किया।
1944: प्रसिद्ध तबला वादक लच्छू महाराज का जन्म।
1948: बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी का जन्म।
1948: ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का जन्म।
1951ः पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की रावलपिंडी में गोली मारकर हत्या।
1959ः राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद की स्थापना।
1964ः चीन ने अपना पहला परमाणु विस्फोट किया।
1968ः हरगोविंद खुराना को चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1984ः दक्षिण अफ्रीका के सामाजिक कार्यकर्ता डेसमंड टुटु को शांति के लिये नोबेल पुरस्कार दिया गया।
1999ः अमेरिका ने सैन्य शासन के विरोध में पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाया।
2003ः मलयाली फिल्मकार अडूर गोपाकृष्णन को फ्रांस के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘कमांडर ऑफ द आर्डर ऑफ आर्ट्स एंड लैटर्स’ से सम्मानित किया गया।
2004ः अमेरिका ने इराकी अबू मुसार जल जरकावी के संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित किया।
2011ः भारतीय मूल के धावक 100 वर्षीय फौजा सिंह ने सबसे अधिक उम्र में टोरंटो वाटर फ्रंट मैराथन पूरी की।
2012ः सौरमंडल के बाहर एक नए ग्रह ‘अल्फा सेंचुरी बीबी’ का पता चला।
कहां से ऐलियै अहां आर?- हर किसी के पास यही सवाल था कि हम कहां से आए हैं। क्यों? इसका उत्तर यहीं दिख भी रहा था। कहने को सड़क, लेकिन कहीं कीचड़-पानी और कहीं कंकड़-धूल, बस! क्या बिहार फर्स्ट और क्या बिहारी फर्स्ट!…इलाके में हाईस्कूल नहीं। हर बारिश-बाढ़ में बंद होने वाला मिडिल स्कूल जरूर है। रात क्या, दिन में भी अंधेरा। कोई एक भी विकास पर बात नहीं करना चाहता। कोई पासवान परिवार के बारे में एक लाइन बात नहीं करना चाहता। कुछ बुजुर्ग मुंह खोलने लगे तो बेटे-बहू ने चुप करा दिया।
खगड़िया जिले के इसी गांव से निकले स्व. रामविलास पासवान केंद्रीय मंत्री बने। एक बार नहीं, कई बार। हां, गांव वालों को गहरा आघात एक और बार लगा, जब उनके ‘साहेब’ के निधन के बाद पार्थिव शरीर बिहार आया, मगर शहरबन्नी नहीं। कैमरे के सामने नहीं, लेकिन ऑफ रिकॉर्ड गांव वाले यह जरूर बोल पड़ते हैं- “चेरागो जी कहां एन्ने देखलखनी कि यहां ऐथिन र साहेब के बोडियो लेके। कुच्छो छै जे ऐ ठन?” (चिराग जी ने भी इधर कहां देखा कि पिताजी की डेडबॉडी लेकर यहां आते। यहां कुछ है कहां?)
सड़क का हाल खराब, बाढ़ में मवेशियों का चारा भी नाव भरोसे
जिला मुख्यालय खगड़िया से 23 किलोमीटर ही दूर है देहात से भी गया-गुजरा शहरबन्नी गांव। बाइक से भी पहुंचने में एक घंटे लग जाते हैं। स्थानीय लोग छोटी कार से जाने को मना करते हैं। कहते हैं- “जाइए तो स्टेपनी ठीक रखिएगा, टायर खूब पंक्चर होता है।” बेगूसराय जिले का बखरी सदियों से इस देहात का शहर रहा है। बाजार के लिए अब भी गांव के बहुत सारे लोग 25 किलोमीटर दूर रोज बखरी आते हैं। बखरी की ओर से भी बाइक को ही लोगों ने बेहतर विकल्प बताया तो भास्कर की टीम किसी तरह पहुंची।
जहां शहरबन्नी शून्य किलोमीटर का माइलस्टोन नजर आया, वहां से बाएं बस भी किसी तरह एक छोटे पुल से जाती दिखी। मतलब, बड़ी गाड़ियां आ-जा रही हैं। लेकिन, सड़क के नाम पर जो भी रास्ता है, उस पर गांव वालों को बाढ़ के समय भरोसा नहीं रहता। बाढ़ पूरी न आए, अधूरी भी आए तो नाव ही असल सहारा रहता है।
सितंबर अंत और अक्टूबर की शुरुआत तक हर साल ऐसे ही कई घर पानी में डूबे रहते हैं। फुलतोड़ा घाट पुल के पास छोटी दुकानें हैं, जिन्हें रोजमर्रा की छोटी जरूरतों के लिए लोग बड़ी मानकर जी रहे हैं। इस पुल के बगल में नावें लगी थीं। नावों पर लोग जरूरत के सामान के साथ दिखे। एक नाव पर मवेशियों के लिए भूसा भरा था। शहरबन्नी के निचले इलाके जलमग्न थे, इसलिए डूबी सड़क से जाने की जगह नाव से ही भूसा भेजा जा रहा था। पता चला कि बाढ़ ज्यादा हो तो गांव वाले मवेशियों को लेकर बखरी या खगड़िया निकल जाते हैं।
कैमरे पर कुछ नहीं कहा, कैमरा हटा तो कहा- कुछ बोले तो फसाद हो जाएगा
मुख्यमंत्री बनकर बिहार और बिहारियों की जिंदगी बदलने की बात कर रहे चिराग पासवान के दादाघर की ओर बढ़ते हुए सड़क और खराब दिखने लगी। कथित मेन रोड को छोड़ हर तरफ पानी ही पानी। रास्ते के दोनों ओर मवेशी और मक्के के सूखे पौधों का बोझा (गांठ)। गांव की शुरू से ऐसी ही हालत है या कभी बदले थे दिन? यह सवाल वाजिब था, इसलिए बुजुर्गों से बात करने की कोशिश की। घर पर कोई नहीं मिला।
बचपन के मित्रों से मिलना चाहा तो मंत्रीजी के गोतिया में भतीजे शंभू पासवान के घर जाना पड़ा, लेकिन मीडिया का नाम सुनते ही वह फक्क पड़ गया। हम लोग क्या पूछ लें और क्या जवाब देंगे…ऐसा ही मुंह बना लिया। दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बचपन के मित्र रामविलास यादव से भेंट हो गई। वह कुछ बोलने ही वाले थे कि पत्नी, पोता और बहू एक साथ कूद पड़े। ऑफ कैमरा जानना चाहा तो कहा कि कुछ बोलेंगे तो बेकार फसाद हो जाएगा। एक और बुजुर्ग को ढूंढ निकाला तो उनके बेटे ने मना कर दिया कि तबीयत ठीक नहीं, जबकि वह दूसरे लोगों से सहज बात कर रहे थे।
बुजुर्ग ने कहा- मंत्रीजी ने पोते को स्टील फैक्ट्री में नौकरी दी थी
कोई बात कर ले, कुछ बताए, इस आस में कीचड़ के बीच संकरे रास्ते से रामलखन साह के घर पहुंचे। बेटा मिला। उसने बताया कि उसके पिता रामविलासजी से सीनियर हैं। राजनीति में भी काफी समय तक साथ रहे। साह आए तो कहा कि पासवान जी मंत्री थे तो पोते को स्टील फैक्ट्री में नौकरी दी थी।
एक अच्छी बात सुनने को मिली तो आगे दिवंगत मंत्री के माता-पिता, चाचा-चाची के नाम पर बने स्मारक भवन को देखकर लगा कि यहां कुछ ठीकठाक भी है। यहां के सेवक विष्णुदेव पंडित ने कहा कि करीब 10 साल पहले मंत्रीजी माताजी की पुण्यतिथि पर आए थे। उसके बाद पिछले साल रामचंद्र पासवान जी के श्राद्धकर्म में आए थे। घूमते-टहलते बुजुर्ग लालू यादव मिले तो कहा- “दहाड़ (बाढ़) से हर साल पूरा इलाका खराब हो रहा है। 15 दिन पहले घरो में पानी भरल था। इ पुलो जो देख रहे हैं न, उ भी मंत्रिये जी का दिया हुआ है। एक बार बहुते लोग डूब गया था तो साहेबे पुल दिए थे।”
अपना मानते तब न कुछ करते, लिखने-छापने से कुछ नहीं होगा
50 वर्षीय सुमिता को बात रखने में कोई परेशानी नहीं दिखी। वो बिना लागलपेट कहती हैं- “बेमार पड़ै त कोय हस्पताल नै छै इ गाम में। दसमा पढ़ै ल इस्कूलो दोसरे गाम मेघौना जाय छै बचवा आर” (बीमार पड़े तो कोई अस्पताल नहीं है इस गांव में। दसवीं की पढ़ाई के लिए यहां के बच्चे दूसरे गांव मेघौना जाते हैं)।
करीब चार घंटे तक यहां रहने पर भी गिने-चुने लोग ही खुले। मुकेश यादव ने कहा- “क्या कहियेगा, पासवान परिवार ने यहां के लिए कुच्छो नहीं किया। कोई विकास नहीं किया है। देखिए, जब अपना मानते तो करते न!” यहां जुटी भीड़ में किसी ने पीछे से आवाज दी- पारसो जी अब कहां कुच्छो करते हैं जो हम चेराग जी के लिए सोचें। जाने दीजिए, लिख-पढ़ के भी कुच्छो नै होगा, झूट्ठो हमहीं लोग परेशान होंगे अउर कुच्छो नै (पारस जी भी अब कहां कुछ करते हैं कि हम चिराग जी से उम्मीद करें। यह सब लिखने-छापने से कुछ नहीं होगा, बेकार हमलोग परेशान होंगे)। जब इनसे नाम पूछा तो साफ मना कर दिया- छापिएगा भी नहीं।
भाजपा और जदयू के मजबूत नेता लोजपा के टिकट पर प्रत्याशी बने तो दोनों ही दलों ने उनपर कार्रवाई की। भाजपा ने 9 नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। जदयू ने ऐसे 15 नेताओं पर कार्रवाई की है। लेकिन, इस कार्रवाई के बावजूद अगर चुनाव परिणाम के बाद लोजपा से जीते विधायकों का भाजपा या जदयू स्वागत करे तो अजूबा नहीं होगा।
दोनों ही पार्टियों में बागियों के खैर-मकदम ही नहीं, ताजपोशी का भी अच्छा रिकॉर्ड है। मतलब, भाजपा-जदयू-लोजपा में खींचतान तो होगी। और, ‘सरकार’ के लिए बागी किसी अपने पुराने खेमे में लौटें तो आश्चर्य नहीं होगा।
पांच उदाहरण सामने हैं, इनसे समझिए ‘बगावत’ का मतलब
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बात की चर्चा हर तरफ है कि रिजल्ट में अगर लोजपा को फायदा रहा, खासकर कमल छोड़ बंगला में जाने वाले विधायक ज्यादा बने तो कुछ न कुछ जरूर होगा। ऐसे में बगावत करने वालों पर की गई ताजा कार्रवाई को लेकर सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए भास्कर ने पुरानी बगावत के पांच बड़े नाम उठाए।
1. पिछले साल हटाया, इस साल बेटी के टिकट के साथ वापसी
2019 लोक सभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिवंगत नेता दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल देवी को जब भाजपा से टिकट नहीं दिया गया था तो उन्होंने पार्टी स्टैंड के खिलाफ जाकर बांका से लोकसभा का चुनाव निर्दलीय लड़ा। इस बात पर भाजपा ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। लेकिन, 2020 विधान सभा चुनाव में पुतुल देवी ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज बेटी श्रेयसी सिंह को आगे कर दिया। बेटी की एंट्री के साथ मां पुतुल देवी की वापसी हो गई। बेटी को भाजपा ने पुराने चेहरे को हटाकर जमुई का टिकट भी दिया।
2. हर तरह का जिम्मा छीना, फिर एमएलसी-मंत्री-सांसद सब बने
जदयू के कद्दावर नेता और सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के खिलाफ भी दलबदल कानून के तहत जदयू ने कार्रवाई की थी। सीएम नीतीश कुमार से पुराने रिश्ते की वजह से उन्हें निष्कासित तो नहीं किया गया, लेकिन जदयू की हर गतिविधि से मुक्त कर दिया गया था। फिर जब सीएम नीतीश कुमार के साथ ललन सिंह के रिश्ते सुधरे तो उन्हें एमएलसी बनाकर 2017 में जल संसाधन मंत्री बनाया गया। फिर बाद में 2019 में मुंगेर सीट से ललन सिंह ने चुनाव लड़ा और वहां से वह जीतकर लोकसभा गए।
3. निर्दलीय उतरे, जीते तो भाजपा में लौटे, फिर मंत्री और सांसद बने
भाजपा के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल पर भी एक जमाने में ऐसी कार्रवाई हुई थी। 1995 में छपरा भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे सिग्रीवाल ने भाजपा से छपरा के जलालपुर का टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक दी थी। भाजपा ने उस समय उन्हें छह साल के लिए निष्कासित किया था। सिग्रीवाल जीत गए तो भाजपा ने उन्हें फिर से अपना लिया। भाजपा ने उन्हें अपनाया ही नहीं, बल्कि बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो मंत्री भी बनाया। फिर महाराजगंज से सांसद बनने का मौका भी दिया।
4. उपचुनाव में उतरने पर निष्कासन, चुनाव हुआ तो टिकट दिया
भाजपा नेता करनजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह दरौंदा विधानसभा उपचुनाव में एनडीए के अधिकृत उम्मीदवार अजय सिंह के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़े थे। अजय सिंह जदयू के उम्मीदवार थे। पार्टी लाइन से अलग जाकर व्यास सिंह चुनावी मैदान में उतर गए। नहीं माने तो भाजपा ने विरोधी गतिविधियों के मद्देनजर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। व्यास सिंह निर्दलीय चुनाव जीते और फिर भाजपा में शामिल भी हो गए। सुशील मोदी ने उन्हें कड़ी सजा की चेतावनी दी थी, लेकिन पार्टी ने इस बार तो उन्हें टिकट ही दिया।
5. लोकसभा चुनाव में बगावत पर निकाला, विस का टिकट दे दिया
पिछले लोकसभा चुनाव में सिवान से टिकट कटने पर बगावत कर चुनाव लड़ने वाले पूर्व एमपी ओमप्रकाश यादव को भाजपा ने सिवान से चुनाव मैदान में उतारा है। पिछले साल भाजपा ने ओम प्रकाश यादव को छह साल के लिए निष्कासित किया था, लेकिन साल होते-होते ओम प्रकाश यादव को पार्टी ने अपनाया ही नहीं, बल्कि उन्हें टिकट देकर उनका मान भी बढ़ाया। पिछले दिनों एमएलसी के चुनाव में भी ओमप्रकाश का नाम सबसे आगे चल रहा था।
बगावत और निष्कासन अभी जारी है…
श्याम रजक से शुरुआत, जदयू हटाने में सबसे आगे, भाजपा भी करीब
पिछले दिनों बिहार में भाजपा जदयू और राजद ने थोक में नेताओं को अपनी पार्टी से निकाला है। निष्कासन की शुरुआत जदयू ने ही की थी श्याम रजक से। इसके बाद राजद ने अपने चार विधायकों प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव, अशोक कुमार, फराज फातमी को एक साथ निकाल दिया। फिर जब सीट बंटवारा हो गया तो लोजपा में गए 9 नेताओं राजेंद्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया, उषा विद्यार्थी, अनिल कुमार, रवींद्र यादव, श्वेता सिंह, इंदु कश्यप, अजय प्रताप और मृणाल शेखर को भाजपा ने निष्कासित किया।
जदयू फिर एक्टिव हुई और उसने थोक में 15 नेताओं को निष्कासित किया। इसमें ददन पहलवान, भगवान सिंह कुशवाहा, रामेश्वर पासवान, सुमित कुमार सिंह, रणविजय सिंह, कंचन गुप्ता, प्रमोद सिंह चंद्रवंशी, अरुण कुमार, तज्जमुल खां, अमरेश चौधरी, शिवशंकर चौधरी, सिंधु पासवान, करतार सिंह यादव, डा राकेश रंजन और मुंगेरी पासवान के नाम थे। इनके अलावा भी इक्का-दुक्का निष्कासन अब भी चल ही रहा है।
गया लाल के 15 दिनों में 3 पार्टी बदलने पर आया था दल-बदल विरोधी कानून
जीतने वालों पर लागू होगा यह कानून, समझें कैसे
1967 में हरियाणा के विधायक गया लाल ने जीत ने बाद 15 दिनों के अंदर तीन पार्टियां बदली थीं। आया राम-गया राम के इस कांड के बाद ही दल-बदल पर बहस शुरू हुई। 1985 में 52वें संविधान संशोधन के जरिए देश में दल-बदल विरोधी कानून पारित किया गया। संविधान की दसवीं अनुसूची में दल-बदल विरोधी कानून शामिल है। इस कानून के तहत किसी जनप्रतिनिधि और पार्टी के नेता को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
अगर एक निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ देता है। किसी सदस्य द्वारा सदन में पार्टी के पक्ष के विपरीत वोट किया जाता है। कोई सदस्य खुद को वोटिंग से अलग रखता है।
इसी तरह से राजनीतिक दलों में भी नियम है। कोई नेता अपनी पार्टी की लाइन से अलग काम करता है तो उसे शोकॉज जारी होता है। यदि ऐसा नेता सार्वजनिक तौर पर अपनी पार्टी के विरुद्ध काम कर रहा हो तो उसे छह साल के लिए निष्कासित करने का नियम बनाया गया है। सिर्फ निर्दलीय निर्वाचित सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं।
इस कानून से बचने का भी है रास्ता, जहां जाएं एक साथ दो तिहाई
कौन जीता, कौन हारा- यह पता चलेगा 10 नवंबर को। फिलहाल भाजपा-लोजपा-जदयू के रिश्ते की बहस में दल-बदल विरोधी कानून की चर्चा इसलिए, ताकि संशय दूर हो। जीतने वाले किसी भी दल से अगर दो तिहाई विधायक दूसरे दल के साथ चले जाएं तो यह नियम नहीं लगता है।
जैसे बिहार कांग्रेस के 2 चौथाई एमएलसी अशोक चौधरी के साथ जदयू में शामिल हो गए थे, तो उनकी विधान परिषद की सदस्यता रह गई थी। उसी तरह एक समय लोजपा के एमएलसी रहे संजय सिंह ने भी जदयू ज्वाइन कर लिया था। वह लोजपा के इकलौते एमएलसी थे तो सदस्यता रह गई। अब इसे आने वाले परिणाम के समय की स्थिति से देखें तो जीतने वाले विधायकों में से दो तिहाई अगर दूसरे दल के साथ हो लें तो विधायकी नहीं जाएगी।
आईपीएल के 13वें सीजन का 32वां मैच मुंबई इंडियंस (एमआई) और कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के बीच अबु धाबी में 7.30 बजे से खेला जाएगा। मुंबई के पास लगातार 5वीं जीत दर्ज करने का मौका होगा। वहीं, केकेआर पिछले मैच में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ मिला बड़ी हार से उबर कर मुंबई के खिलाफ जीत दर्ज करना चाहेगी।
पिछले 10 मैचों की बात करें, तो केकेआर मुंबई के खिलाफ हमेशा दबाव में ही रही है। 9 बार मुंबई ने केकेआर को हराया है। वहीं, इस सीजन के 5वें मैच में भी मुंबई ने केकेआर को 49 रन से हराया था।
मुंबई पॉइंट्स टेबल में दूसरे स्थान पर
रोहित शर्मा की मुंबई इंडियंस पॉइंट्स टेबल में दूसरे स्थान पर है। उसने अब तक सीजन में 7 मैच खेले हैं, 5 जीते और 2 हारे हैं। उसके कुल 10 पॉइंट हैं। वहीं, केकेआर ने सीजन में 7 में से 4 जीते हैं और उसके 8 पॉइंट हैं। पॉइंट्स टेबल में केकेआर चौथे स्थान पर है।
सूर्यकुमार यादव मुंबई के टॉप स्कोरर
मुंबई के बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव ने मुंबई के लिए सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाए हैं। उन्होंने सीजन में अब तक 233 रन बनाए हैं। पिछले मैच में दिल्ली के खिलाफ उन्होंने शानदार फिफ्टी लगाई थी। इसके बाद कप्तान रोहित शर्मा का नंबर आता है। उन्होंने सीजन में अब तक 216 रन बनाए हैं।
शुभमन गिल केकेआर के टॉप स्कोरर
केकेआर की तरफ से युवा ओपनर शुभमन गिल ने सबसे ज्यादा 254 रन बनाए हैं। टीम के लिए गिल अब तक फॉर्म में दिखे हैं। इनके अलावा किसी भी बल्लेबाज ने लगातार रन नहीं बनाए हैं। गिल के बाद सीजन में सबसे ज्यादा रन इयोन मॉर्गन (175) के नाम हैं।
पर्पल कैप की दावेदारी में मुंबई के 2 गेंदबाज
सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में मुंबई इंडियंस के जसप्रीत बुमराह और ट्रेंट बोल्ट दो गेंदबाज टॉप-5 में हैं। बुमराह और बोल्ट ने अब तक 11-11 विकेट अपने नाम किए हैं। वहीं, दिल्ली कैपिटल्स के कगिसो रबाडा 18 विकेट के साथ टॉप पर हैं। केकेआर का कोई भी गेंदबाज टॉ-20 में भी नहीं है।
पिच और मौसम रिपोर्ट
अबु धाबी में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। तापमान 29 से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। शेख जायद स्टेडियम में टॉस जीतने वाली टीम पहले गेंदबाजी करना पसंद करेगी। आईपीएल से पहले यहां हुए पिछले 45 टी-20 में पहले गेंदबाजी वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 56.8% रहा है।
इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 45
पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 19
पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 26
पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 137
दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 128
दोनों टीमों के सबसे महंगे प्लेयर
मुंबई में कप्तान रोहित शर्मा सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। टीम उन्हें एक सीजन का 15 करोड़ रुपए देगी। उनके बाद टीम में हार्दिक पंड्या का नंबर आता है, उन्हें सीजन के 11 करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं, कोलकाता के सबसे महंगे खिलाड़ी पैट कमिंस हैं। उन्हें सीजन के 15.50 करोड़ रुपए मिलेंगे। इसके बाद सुनील नरेन का नंबर आता है, जिन्हें सीजन के 12.50 करोड़ रुपए मिलेंगे।
मुंबई ने सबसे ज्यादा 4 बार खिताब जीते
आईपीएल इतिहास में मुंबई ने सबसे ज्यादा 4 बार (2019, 2017, 2015, 2013) खिताब जीता है। पिछली बार उसने फाइनल में चेन्नई को 1 रन से हराया था। मुंबई ने अब तक 5 बार फाइनल खेला है। वहीं, कोलकाता ने अब तक दो बार फाइनल (2014, 2012) खेला और दोनों बार चैम्पियन रही है।
आईपीएल में मुंबई का सक्सेस रेट कोलकाता से ज्यादा
आईपीएल में मुंबई का सक्सेस रेट 58.50% है। उसने अब तक कुल 194 मैच खेले हैं, जिसमें 114 जीते हैं और 80 हारे हैं। वहीं, कोलकाता का सक्सेस रेट 52.70% है। उसने लीग में 185 मैच खेले हैं, जिसमें 96 जीते और 89 हारे हैं।
कोरोनाकाल में काफी हद तक लोगों का खानपान बदल गया है। अब डाइट में काढ़ा भी है और विटामिन-सी बढ़ाने वाला नींबू भी। गिलोय की गोली भी ली जा रही है और सोने से पहले च्यवनप्राश भी खाया जा रहा है। इन्हीं आदतों को आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि वायरस ही नहीं बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण को भी रोका जा सके और इम्युनिटी बढ़ाई जा सके।
आज वर्ल्ड फूड डे पर एक्सपर्ट से जानिए, कोरोनाकाल में हमारे खानपान का तरीका कितना बदला और कौन सी 5 चीजें आपको हमेशा बीमारियों से दूर रखने में मदद करेंगी।
खानपान के 4 बड़े बदलाव जो कोरोनाकाल में हुए
1. केमिकल से दूरी बनी, इम्युनिटी बढ़ाने के लिए फलों को डाइट में शामिल किया
क्लीनिकल न्यूट्रीशियनिस्ट डॉ. नीतिशा शर्मा कहती हैं, कोरोना ने लोगों को नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करना सिखाया। लोगों ने इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए खट्टे फल जैसे नींबू, मौसमी, संतरा और आंवला को खानपान का हिस्सा बनाया। प्रोसेस्ड फूड जैसे बिस्किट, रेडी-टू-ईट सूप, नूडल्स और केमिकल की मदद से प्रिजर्व किए जाने वाले खाने से दूरी बनाई।
2. ठंडा पानी पीना बंद किया, समय से खाना, सोना और उठना शुरू किया
आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. किरन गुप्ता ने बताया, कोरोना ने लोगों की लाइफस्टाइल को पूरी तरह से बदला। लोगों ने समय से खाना, सोना और उठना शुरू किया। ज्यादातर लोगों ने गर्म और ताजा खाना खाया। ठंडा पानी पीना बंद किया। इसका असर गले से लेकर पेट तक हुआ। उनका खाना आसानी से पचा और सर्दी-खांसी जुकाम का खतरा भी कम हुआ। नतीजा लोगों में एनर्जी की कमी नहीं हुई।
3. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए काढ़ा, च्यवनप्राश और मसालों का प्रयोग बढ़ा
लोगों ने चाय की जगह काढ़ा पीना शुरू किया। हालांकि, जरूरत से ज्यादा काढ़ा पीने और मसालों के प्रयोग से पेट की समस्याएं भी हुईं लेकिन लोगों ने पीना नहीं छोड़ा। इसके अलावा इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए डाइट में मसालों का प्रयोग बढ़ा। हल्दी वाला दूध लेना शुरू किया। कुछ लोगों ने लौंग का पानी, सहजन की पत्तियों को भी डाइट का हिस्सा बनाया।
4. जंक और नॉन-वेज फूड से दूरी बनी और हेल्दी फूड
लॉकडाउन में बंदी का सीधा असर उन लोगों पर पड़ा जो अक्सर बर्गर, पिज्जा जैसे जंक फूड खाते हैं। कई महीनों तक लोगों को जंक फूड नहीं मिला और कुछ लोगों ने संक्रमण के डर से भी इससे दूरी बनाई। नतीजा, घर के बने खाने से उन्हें कई तरह के न्यूट्रिएंट्स मिले। इसके साथ लोग नॉन-वेज से भी दूर हुए।
अब वो 4 बदलाव जान लीजिए जो इम्युनिटी बढ़ाकर बीमारियों से बचाएंगे
एक्सपर्ट के मुताबिक, खानपान में कुछ ऐसे बदलाव करने की जरूरत है जो कोरोना से ही नहीं बल्कि दूसरी बीमारियों से भी बचाएं। यह तभी पॉसिबल है जब इम्युनिटी को बढ़ाया जाए। आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. किरन गुप्ता के मुताबिक, सर्दियां भी पास आ रही हैं, यह इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए सबसे बेहतर मौसम माना जाता है क्योंकि इस दौरान सबसे ज्यादा वैरायटी वाली सब्जियां और फल उपलब्ध होते हैं। सर्दी में मसालों का प्रयोग भी शरीर की गर्माहट को बढ़ाने के साथ रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।
1. खाने में लाल, पीली, हरी सब्जियों और फलों को बढ़ाएं
क्लीनिकल न्यूट्रीशियनिस्ट डॉ. नीतिशा शर्मा कहती हैं, खाने में लाल, पीली और हरी सब्जियों-फलों की मात्रा को बढ़ाएं। इनमें ऐसे पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो शरीर को बीमारियों से बचाते हैं। इनमें विटामिन-ए, सी और ई अधिक पाया जाता है। जैसे, टमाटर, अनार, चुकंदर, कद्दू, पपीता, आम और हरी सब्जियों को शामिल करें।
2. सूप को डाइट का हिस्सा बनाएं, इनमें कालीमिर्च का प्रयोग करें
सूप तीन तरह से फायदा पहुंचाते हैं। पहला, सर्दियों में यह शरीर को गर्म रखते हैं। दूसरा, सब्जियों का प्रयोग अधिक होने के कारण पोषक तत्वों की कमी पूरी करते हैं। और तीसरा, ये रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं। टमाटर, अदरक, गाजर, लहसुन और पत्तागोभी जैसी सब्जियों को सूप में शामिल करें। इसमें पनीर एड कर सकते हैं। कालीमिर्च का प्रयोग करना न भूलें। गर्मी के दिनों में इसका सीमित इस्तेमाल करें।
3. एक दिन में मुट्ठीभर ड्रायफ्रूट लें
खासकर सर्दियों के दिनों दिनभर में एक बार मुट्ठीभर ड्रायफ्रूट जरूर लें। काजू, बादाम, अखरोट, पिस्ता शरीर को गर्म रखेंगे और इम्युनिटी को बढ़ाएंगे। यह मेमोरी और स्किन की चमक बढ़ाने में भी मदद करते हैं। इनमें एंटीऑक्सीडेंट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो हार्ट डिसीज और एजिंग से भी बचाते हैं। गर्मियों में इनकी मात्रा कम कर दें।
4. काढ़ा बनाएं भी और पिएं भी लेकिन इसका तरीका पहले समझें
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. किरन गुप्ता कहती हैं, काढ़ा बनाते वक्त चीजों का अनुपात सही होना चाहिए। काढ़ा बनाने के लिए दालचीनी, सोंठ, तुलसी, मुनक्का, काली मिर्च का होना जरूरी है। सोंठ और काली मिर्च की तासीर गर्म होती है, इसलिए दोनों ले रहे हैं तो यह ध्यान रखें।
अगर एक भाग यानी 2-3 काली मिर्च हैं तो आधा चम्मच सोंठ लें। साथ में चार भाग तुलसी, मुनक्का लें और आधा भाग दालचीनी लें और सबको मिला लें। लगभग इसे एक गिलास पानी में डाल कर उबाल लें। इसे गुनगुना पिएं। स्वाद लाने के लिए गिलास में काढ़ा निकालने के बाद उसमें शहद और नींबू की कुछ बूंदें डाल सकते हैं। इसके अलावा मौसम कोई भी हो शरीर में पानी की कमी न होने दें।
क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दुनिया की प्रतिष्ठित फोर्ब्स मैगजीन ने दुनिया का 7वां सबसे शिक्षित नेता बताया है।
अलग-अलग की वर्ड सर्च करने से हमें किसी विश्वसनीय न्यूज प्लेटफॉर्म पर ऐसी खबर नहीं मिली, जिससे दावे की पुष्टि होती हो। जाहिर है अगर भारत के किसी नेता को फोर्ब्स द्वारा दुनिया का 7वां सबसे शिक्षित नेता बताया जाता, तो यह मीडिया में बड़ी खबर होती।
हमने शशि थरूर, प्रियंका वाड्रा, कपिल सिब्बल समेत कई ऐसे कांग्रेस नेताओं के ट्विटर हैंडल चेक किए। जिनका ट्विटर पर वेरिफाइड अकाउंट है। किसी के भी ट्विटर हैंडल से राहुल गांधी का नाम फोर्ब्स में शामिल होने से जुड़ा ट्वीट नहीं किया गया है।
दावे की पुष्टि के लिए हमने फोर्ब्स की ऑफिशियल वेबसाइट चेक की। यहां हर उस रैंकिंग की जानकारी है, जो फोर्ब्स मैगजीन जारी करती है। वेबसाइट पर ऐसी कोई सूची नहीं है, जिसमें दुनिया भर के सर्वाधिक शिक्षित नेताओं की रैंकिंग हो।
इन सबसे साफ है कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा फेक है। फोर्ब्स ने ऐसी कोई सूची जारी नहीं की है, जिसमें राहुल गांधी को दुनिया का 7वां सबसे शिक्षित नेता बताया गया हो।
आप चाहे पसंद करें या नहीं, लेकिन अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि कोविड-19 महामारी फिलहाल हमारे साथ ही रहने वाली है। जिस आशावादी भावना के साथ हमने पहले लॉकडाउन का स्वागत किया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्र से कहा था, ‘महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीता गया था, लेकिन कोरोना वायरस को हराने में 21 दिन लगेंगे’- आज बेतुका सा लगता है।
उनके इस भाषण को भी छह माह से अधिक हो चुके हैं। आज दुनिया में कोविड-19 से मरने वालों और नए रोगियों की संख्या में भारत सबसे आगे है और न ही श्री मोदी और न ही उनकी सरकार इस महामारी के खत्म होने के बारे में कोई विश्वसनीय बात कह पा रही है। वैक्सीन मार्च 2021 तक आ भी सकती है और नहीं भी।
यह काम भी कर सकती है और नहीं भी। लेकिन, अगर बहुत ही सकारात्मक परिदृश्य की बात करें तो भी तमाम लोगों को वैक्सीन लगाने में ही कई महीने लग जाएंगे और इसके बावजूद हमें यह पता नहीं होगा कि यह वैक्सीन कब तक प्रभावी बनी रहेगी।
लेकिन फिर भी अगर हम कोविड-19 के साथ इस अवधि में रहते हुए अपना जीवन और आजीविका को किसी तरह से बचा पाते हैं तो यह स्पष्ट है कि अनेक चीजों को बदलना पड़ेगा। बदलाव का स्वाभाविक क्षेत्र दुनिया की अर्थव्यवस्था है। मैं पहले भी डीग्लोबजाइजेशन (भूमंडलीकरण से देर होना) के नजर आ रहे खतरों पर लिख चुका हूं।
इस समय पूरी दुनिया में वैश्विक सप्लाई चेन को फिर से निर्धारित करने और व्यापार बाधाएं खड़ी करने की होड़ लगी हुई है। संरक्षणवाद और आत्मनिर्भरता की मांग लगातार तेज हो रही है। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान में भी इसकी गूंज सुनाई दी है। इसमें निर्माण और उत्पादन की वैल्यू चेन को दोबारा से ही अपने यहां या खुद के बहुत करीब लाने की मांग बढ़ रही है।
लेकिन आज मैं इस महामारी के हमारी दैनिक जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों पर अधिक विचार कर रहा हूं। अब तक हम दुनिया को करीब लाने व जोड़ने वाली जिन बातों को बहुत ही आसानी से लेते रहे हैं, वे कोविड-19 के इस दौर में सर्वाधिक संवेदनशील दिख रही हैं। महामारी और उसके बाद हुए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप दुनिया में मुक्त और खुला अंतरराष्ट्रीय आवागमन तो लगभग ठप-सा ही हो गया है।
किसी यात्रा पर जाने से पहले व पहुंचने के बाद हर देश में लागू तमाम बाधाएं, अनिवार्य कोविड-19 टेस्ट और क्वारेंटाइन नियमों ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय यात्रा का आनंद खत्म कर दिया है। इस महामारी का शिकार होने वाला एक अन्य क्षेत्र व्यावसायिक जिंदगी है। पहले ही काम के नए तरीके, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन और घर से काम करना आम हो गया है। ट्विटर जैसी अनेक प्रसिद्ध कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से अनिश्चितकाल तक के लिए घर से काम करने को कह दिया है।
ऑफिसों में साथियों के साथ काम या भीड़भाड़ वाले कार्यस्थल जल्द ही पुराने जमाने की बात हो जाएगी। आज प्रबंधक उन सवालों से जूझ रहे हैं, जो उन्होंने पहले कभी खुद से नहीं पूछे : क्या हमें कार्यालयों की जरूरत है, जब कर्मचारी मुख्य तौर पर घर से ही काम कर रहे हैं? लेकिन वाटर कूलर के पास खड़े होकर कर्मचारियों का आपस गपशप करना, उनके मेलमिलाप अथवा कॉन्फ्रेंस रूम में बहस करने का क्या होगा?
हमारे शहर भी बदल जाएंगे। शहरी योजनाकारों ने हमें छोटे और उच्च जनसंख्या वाले शहर दिए हैं। लेकिन अगर हम घर से काम कर रहे हैं तो क्या हमें बेहतर शहरों की जरूरत होगी? 24 घंटे बिजली और हाई स्पीड ब्रॉड बैंड की वजह से आसानी से गांवों में रह सकते हैं और काम कर सकते हैं।
एक बार हमारे लिए हमारे कार्यस्थल के पास रहना अनिवार्य नहीं रहा और मुक्त रूप से घुलना-मिलना कम हो गया तो फिर शहर अपनी चमक खोने लगेंगे। जनरेशन जेड (यानी जूनोटिक, इस विशेषण का इस्तेमाल उस वायरस का वर्णन करने के लिए होता है, जो पशु को मानव से अलग करता है) के लिए कामकाजी जिंदगी बहुत ही अलग होने जा रही है।
विद्यार्थी जीवन पहले ही प्रभावित है। प्राइमरी से कॉलेज स्तर तक कक्षाएं लगभग ऑनलाइन हो ही गई हैं। ऐसा लगता है कि कॉलेज की सामान्य जिंदगी, जिसमें हम भीड़ वाले कैंपस में एक-दूसरे के साथ घुलते-मिलते थे, शायद ही आसानी से बहाल हो सके।
इस महामारी के खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक एक अनदेखे खतरनाक दुश्मन वायरस का डर हम पर हावी रहेगा। हम लोगों ने किसी अजनबी से मिलते समय या किसी दोस्त को गले लगाने से डरना तो सीख ही लिया है। कोविड-19 के बाद का युग, जब भी आएगा, हमारी जिंदगी पर इस आपदा की छाप तो निश्चित ही रहेगी। एक मुहावरे को अपडेट करते हुए : हमें अपने दौर को अब बीसी (बिफोर कोविड) और एडी (आफ्टर डिजास्टर) के रूप में वर्गीकृत करने की जरूरत है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
बिहार फिर केंद्र में है। चुनावी वजह से। इतिहास के गर्भ में दबा तथ्य है कि ‘आधुनिक बिहार’ बना कैसे? दशकों से तलाश थी, इस पुस्तक की। ‘सम इमिनेंट बिहार (तब ‘BEHAR’ लिखते थे) कंटेंपररीज’। 1944 में हिमालय पब्लिकेशन ने इसे छापा।
लेखक हैं, डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा (10 नवंबर 1871-06 मार्च 1950)। प्रसिद्ध सांसद, शिक्षाविद, पत्रकार तथा संविधान सभा के पहले अध्यक्ष। पुस्तक में उन्होंने 20 समकालीन बिहारी लोगों पर शब्द चित्र लिखा है। पुस्तक की भूमिका लिखी है, लीजेंड बन चुके अमरनाथ झा ने।
पुस्तक की भूमिका में, 1893-1943 का विवरण है। लिखा है कि पिछली सदी में मुझे अपमानजनक लगा कि ‘बिहार’ शब्द, ब्रिटेनवासी जानते ही नहीं थे। तब ब्रिटेन में एक गोष्ठी में कुछ भारतीयों ने उन्हें चुनौती दी कि भूगोल के पाठ्यपुस्तक में बिहार बताएं? वे कहते हैं, ‘तब मुझे लगा, हम बिना पहचान के लोग हैं। 1893 में बिहार लौटा एक बिहारी पुलिस ड्रेस में दिखा। ड्रेस पर दूसरे राज्य का बिल्ला था। यह देख दु:ख हुआ।
तय किया कि बिहार की पहचान के लिए काम करना है।’ 1893 में बिहार का कोई ‘जरनल’ नहीं था, जिसका संपादन बिहारी करता हो। उन्होंने पटना में प्रैक्टिस शुरू की। जनवरी 1894 में पहला पत्र निकला ‘BEHAR TIMES’। डॉ सिन्हा मानते हैं, यह बिहार के पुनर्जागरण का दिन था। जुलाई 1907 में इसका नाम ‘बिहारी’ पड़ा। बिहारी भावना का यह प्रतीक बन गया।
डॉ सिन्हा कहते हैं, इसका श्रेय संपादक महेश नारायण को था। उनकी समझ अद्भुत थी। 1907 में अचानक उनका निधन हुआ। बंगाल के गवर्नर (लेफ्टिनेंट गवर्नर एलेक्जेंडर मैगजीन) गया आए। उन्होंने अलग बिहार की मांग को असंभव बताया। इससे आंदोलन लगभग खत्म हो गया। डॉ सिन्हा की भाषा में, विरोधी कहने लगे, सिर्फ ‘चार दरवेश’ (चार भिखारी) बच गए। डॉ. सिन्हा, महेश नारायण, नंदकिशोर लाल, राय बहादुर कृष्णा सहाय।
सात वर्षों तक यह आंदोलन ठहर गया। पर यह समूह, चुपचाप जनमत बनाने में लगा रहा। 1905 में बंगाल विभाजन हुआ। समूह को लगा, यह निर्णायक क्षण है। 1906 में सर एन्डू फ्रेजर नए विभाजित बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर बने। बिहार में फ्रेजर लोकप्रिय हुए। बिहारियों ने फ्रेजर मेमोरियल ट्रस्ट बनाया। 1908 में ही मजहरूल हक (गांधीजी के मित्र) प्रैक्टिस के लिए बिहार लौटे। पटना बार के अली इमाम और हसन इमाम, उभरते नेतृत्व थे।
डॉ सिन्हा ने इनसे संपर्क किया। 1908 में पहला बिहार प्रांतीय सम्मेलन हुआ। अली इमाम की सदारत में। इसमें बंगाल से बिहार को अलग प्रांत बनाने का प्रस्ताव पास हुआ। पांच वर्ष बाद यह हकीकत था।
1907 में कोलकाता हाईकोर्ट के पहले बिहारी जज बने सरफुद्दीन। 1908 में अली इमाम, भारत सरकार के ‘स्टैंडिंग काउंसिल’ बने।
मार्ले मिंटो सुधार के तहत 1910 में इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के लिए डॉ सिन्हा चुने गए। इस तरह बिहारियों को पद मिलने लगे। 1910 में डॉ सिन्हा को लॉर्ड मिंटो ने बुलाया। चर्चा का विषय था, भारत सरकार के तत्कालीन लॉ मेंबर लॉर्ड एसपी सिन्हा पद छोड़ना चाहते थे।
डॉ सिन्हा ने बिहारी, अली इमाम का नाम बढ़ाया। लॉर्ड मिंटो की शर्त थी कि लॉर्ड सिन्हा, अली इमाम को पत्र लिखें। पर, लॉर्ड मिंटो व लॉर्ड एसपी सिन्हा, आशंकित थे कि वे पद संभालेंगे! कारण, स्टैंडिंग काउंसिल के रूप में उनकी आमद बहुत थी।
डॉक्टर सिन्हा बताते हैं, अली इमाम बिल्कुल तैयार नहीं थे। अंततः उन्हें इस तर्क ने प्रभावित किया कि उस पद पर होने से, बिहार एक अलग पहचान पा सकेगा। नवंबर 1910 में, अली इमाम को ब्रिटेन के सम्राट ने लॉ मेंबर घोषित किया। पूरे बिहार में उत्सव हुआ। डॉ सिन्हा कहते हैं, 1911 के बसंत में, काउंसिल बैठक के लिए शिमला में था। ब्रिटेन के सम्राट ने, दिल्ली को दरबार के लिए चुना।
एक दिन मोहम्मद अली मिलने आए। सुझाव दिया कि ब्रिटिश भारत की स्थाई राजधानी, दिल्ली बनाने का यही क्षण है। उसी क्षण डॉ सिन्हा ने अली इमाम से कहा कि आपके लॉ मेंबर रहते, बिहारियों को ब्रिटिश साम्राज्य से बड़ी पहचान मिलनी चाहिए। अलग प्रांत के रूप में। इमाम साहब का जवाब था, सपना देखते रहिए।
डॉ सिन्हा ने ‘लेफ्टिनेंट गवर्नर इन काउंसिल’ का सुझाव दिया। इस पर गवर्नर जनरल और उनके एग्जिक्यूटिव काउंसिल में चर्चा होती रही। फिर इतिहास का यादगार पल आया। 12 दिसंबर 1911 को ब्रिटेन के सम्राट ने दिल्ली दरबार में ‘लेफ्टिनेंट गवर्नर इन काउंसिल’ की घोषणा की। बिहार व उड़ीसा गठन के लिए। पर, दरबार में किसी को एहसास नहीं हुआ।
चंद रोज बाद नई दिल्ली में ब्रिटेन के सम्राट, एक संस्था की नींव रखने वाले थे। वहां डॉ सिन्हा भी थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मानिंद जज, सर प्रमदा चरण बनर्जी ने उनको बधाई दी। आपको राज्य मिला। डॉ सिन्हा ने कहा, धन्यवाद, साथ ही एग्जिक्यूटिव काउंसिल भी मिला है। उन्होंने कहा, असंभव। डॉ सिन्हा ने सम्राट की घोषणा का कानूनी अर्थ बताया। इस तरह बिहार अलग बना। डॉ सिन्हा लिखते हैं कि गवर्नर जनरल की एग्जिक्यूटिव काउंसिल में बिहारी सर अली इमाम की मौजूदगी नहीं होती, तो पता नहीं क्या आकार होता? इस तरह आधुनिक बिहार के निर्माता बने डॉ सच्चिदानंद सिन्हा। (ये लेखक के अपने विचार हैं)