मंगलवार, 22 सितंबर 2020

याचिकाकर्ता की दलील- मुसलमानों को आस्तीन का सांप कहा जा रहा, सुप्रीम कोर्ट बोला- कोई प्रोग्राम पसंद नहीं तो उपन्यास पढ़िए

सुदर्शन टीवी के विवादास्पद कार्यक्रम यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपको कोई कार्यक्रम पसंद नहीं तो उसे न देखें। उसकी जगह उपन्यास पढ़े लें।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुदर्शन टीवी के हलफनामे पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनसे यह जानकारी मांगी गई थी कि वे अपने कार्यक्रम में क्या बदलाव करेंगे, यह नहीं पूछा था कि किस चैनल ने क्या चलाया?

सुदर्शन टीवी की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उन्हें कार्यक्रम के प्रसारण की अनुमति मिले। वे कार्यक्रम के प्रसारण के लिए प्रोग्रामिंग के कोड का पालन करेंगे। कोर्ट ने चैनल द्वारा सभी एपिसोड देखने की पेशकश को भी ठुकरा दिया।

‘पूरी याचिका नहीं पढ़ी जाती’

जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, हम एपिसोड नहीं देखेंगे। अगर 700 पन्नों की किताब के खिलाफ कोई याचिका हो तो वकील कोर्ट में यह दलील नहीं देते कि जज को पूरी किताब पढ़नी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

जामिया के तीन छात्रों की ओर से वकील शादान फरासत ने कहा कि लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काया जा रहा है। उन्हें आस्तीन का सांप तक कहा जा रहा है। जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि अगर आपको कोई कार्यक्रम पसंद नहीं है तो न देखें, बल्कि कोई उपन्यास पढ़ें। अगर कार्यक्रम किसी जकात फाउंडेशन के खिलाफ है तो हम समय बर्बाद नहीं करेंगे।

कार्यक्रम मुसलमानों को दुश्मन बता रहा- याचिकाकर्ता

फरासत ने कहा कि बहु-सांस्कृतिक समाज में न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि व्यक्तिगत सम्मान की रक्षा हो। यह कार्यक्रम मुसलमानों को दुश्मन बता रहा है। इस तरह की हेट स्पीच की वजह से ही हिंसक घटनाएं होती हैं। मुसलमानों को प्रतीकात्मक रूप में दाढ़ी व हरी टी-शर्ट में दिखाया जा रहा है।

जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि कोर्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में इस हद तक दखल नहीं दे सकती। हम इस कार्यक्रम की प्रस्तुति पर बहुत विस्तार में नहीं जा सकते। हम यह नहीं कह सकते कि दाढ़ी और हरी टीशर्ट वाले व्यक्ति का चित्र न दिखाया जाए।

डिजिटल मीडिया के मद्देनजर दिशा-निर्देश जारी करने की जरूरत: केंद्र

सुदर्शन टीवी मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने एक हलफनामा दायर किया है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे के माध्यम से कहा है कि वेब आधारित डिजिटल मीडिया को नियंत्रित किया जाना चाहिए। जिसमें वेब पत्रिकाएं और वेब आधारित समाचार चैनल और वेब आधारित समाचार पत्र शामिल होते हैं।

ये मौजूदा समय में पूरी तरह से अनियंत्रित हैं। डिजिटल मीडिया स्पेक्ट्रम और इंटरनेट का उपयोग करता है, जोकि सार्वजनिक संपत्ति है। मौजूदा समय में बड़े पैमाने पर डिजिटल मीडिया का विस्तार हो चुका है। जहां पर बहुत से बेतुके विडियो, बेतुकी खबरें और तथ्य चलाए जाते हैं। जिससे लोग प्रभावित होते हैं। ऐसे में कानूनी तौर पर इसके लिए दिशा-निर्देश व नियम तय करने जरूरी हैं।

हमने सरकार को दान की जानकारी दी: जकात फाउंडेशन

सुदर्शन टीवी के यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम से विवादों में आए जकात फाउंडेशन ने सफाई में कहा कि उन्हें दान में मिले 30 करोड़ रुपए में सिर्फ 1.5 करोड़ उन संस्थाओं से मिले हैं, जिन्हें गलत बताया जा रहा है। उन्होंने अपने सभी विदेशी दानदाताओं की जानकारी सरकार को दी है। सरकार ने उन्हें कभी चंदा लेने से मना नहीं किया।



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जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि कोर्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में इस हद तक दखल नहीं दे सकती। कार्यक्रम की प्रस्तुति पर बहुत विस्तार में नहीं जा सकते। -फाइल फोटो


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याचिकाकर्ता की दलील- मुसलमानों को आस्तीन का सांप कहा जा रहा, सुप्रीम कोर्ट बोला- कोई प्रोग्राम पसंद नहीं तो उपन्यास पढ़िए

सुदर्शन टीवी के विवादास्पद कार्यक्रम यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपको कोई कार्यक्रम पसंद नहीं तो उसे न देखें। उसकी जगह उपन्यास पढ़े लें।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुदर्शन टीवी के हलफनामे पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनसे यह जानकारी मांगी गई थी कि वे अपने कार्यक्रम में क्या बदलाव करेंगे, यह नहीं पूछा था कि किस चैनल ने क्या चलाया?

सुदर्शन टीवी की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उन्हें कार्यक्रम के प्रसारण की अनुमति मिले। वे कार्यक्रम के प्रसारण के लिए प्रोग्रामिंग के कोड का पालन करेंगे। कोर्ट ने चैनल द्वारा सभी एपिसोड देखने की पेशकश को भी ठुकरा दिया।

‘पूरी याचिका नहीं पढ़ी जाती’

जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, हम एपिसोड नहीं देखेंगे। अगर 700 पन्नों की किताब के खिलाफ कोई याचिका हो तो वकील कोर्ट में यह दलील नहीं देते कि जज को पूरी किताब पढ़नी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

जामिया के तीन छात्रों की ओर से वकील शादान फरासत ने कहा कि लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काया जा रहा है। उन्हें आस्तीन का सांप तक कहा जा रहा है। जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि अगर आपको कोई कार्यक्रम पसंद नहीं है तो न देखें, बल्कि कोई उपन्यास पढ़ें। अगर कार्यक्रम किसी जकात फाउंडेशन के खिलाफ है तो हम समय बर्बाद नहीं करेंगे।

कार्यक्रम मुसलमानों को दुश्मन बता रहा- याचिकाकर्ता

फरासत ने कहा कि बहु-सांस्कृतिक समाज में न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि व्यक्तिगत सम्मान की रक्षा हो। यह कार्यक्रम मुसलमानों को दुश्मन बता रहा है। इस तरह की हेट स्पीच की वजह से ही हिंसक घटनाएं होती हैं। मुसलमानों को प्रतीकात्मक रूप में दाढ़ी व हरी टी-शर्ट में दिखाया जा रहा है।

जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि कोर्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में इस हद तक दखल नहीं दे सकती। हम इस कार्यक्रम की प्रस्तुति पर बहुत विस्तार में नहीं जा सकते। हम यह नहीं कह सकते कि दाढ़ी और हरी टीशर्ट वाले व्यक्ति का चित्र न दिखाया जाए।

डिजिटल मीडिया के मद्देनजर दिशा-निर्देश जारी करने की जरूरत: केंद्र

सुदर्शन टीवी मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने एक हलफनामा दायर किया है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे के माध्यम से कहा है कि वेब आधारित डिजिटल मीडिया को नियंत्रित किया जाना चाहिए। जिसमें वेब पत्रिकाएं और वेब आधारित समाचार चैनल और वेब आधारित समाचार पत्र शामिल होते हैं।

ये मौजूदा समय में पूरी तरह से अनियंत्रित हैं। डिजिटल मीडिया स्पेक्ट्रम और इंटरनेट का उपयोग करता है, जोकि सार्वजनिक संपत्ति है। मौजूदा समय में बड़े पैमाने पर डिजिटल मीडिया का विस्तार हो चुका है। जहां पर बहुत से बेतुके विडियो, बेतुकी खबरें और तथ्य चलाए जाते हैं। जिससे लोग प्रभावित होते हैं। ऐसे में कानूनी तौर पर इसके लिए दिशा-निर्देश व नियम तय करने जरूरी हैं।

हमने सरकार को दान की जानकारी दी: जकात फाउंडेशन

सुदर्शन टीवी के यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम से विवादों में आए जकात फाउंडेशन ने सफाई में कहा कि उन्हें दान में मिले 30 करोड़ रुपए में सिर्फ 1.5 करोड़ उन संस्थाओं से मिले हैं, जिन्हें गलत बताया जा रहा है। उन्होंने अपने सभी विदेशी दानदाताओं की जानकारी सरकार को दी है। सरकार ने उन्हें कभी चंदा लेने से मना नहीं किया।



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विपक्ष ने राज्यसभा से बायकॉट किया, कांग्रेस ने कहा- सरकार ऐसा बिल लाए जिससे MSP से नीचे फसलों की खरीद नहीं हो सके

कृषि बिलों के विरोध में कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने राज्यसभा से बायकॉट कर दिया है। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा, "सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे कोई प्राइवेट खरीदार MSP से नीचे किसानों से उपज नहीं खरीद सके। जब तक ऐसा बिल नहीं लाया जाता तब तक हम संसद सत्र का बायकॉट करेंगे।" आजाद ने यह मांग भी रखी है कि 8 सांसदों का निलंबन वापस लिया जाए।

वेंकैया नायडू बोले- सांसदों के निलंबन की कार्रवाई से खुश नहीं
कृषि बिलों पर रविवार को सदन में हंगामा करने वाले 8 विपक्षी सांसदों को राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को पूरे सत्र की कार्यवाही तक निलंबित कर दिया। ये सांसद रातभर संसद परिसर में धरने पर बैठे रहे, धरना अब भी जारी है। वेंकैया नायडू ने आज कहा, "सांसदों के व्यवहार की वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। हम किसी सदस्य के खिलाफ नहीं हैं। उनके निलंबन की कार्रवाई से भी खुश नहीं हूं।"

कृषि बिलों पर हंगामे के बीच सरकार ने रबी की फसलों का MSP बढ़ाया
कृषि बिलों के विरोध के बीच केंद्र ने पहली बार समय से पहले सितंबर में ही रबी की 6 फसलों का एमएसपी 6% तक बढ़ा दिया है। गेहूं का एमएसपी 50 रुपए बढ़ाकर 1975 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। लोकसभा की कार्यवाही के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को बताया कि यह फैसला कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने लिया है।

दूसरी ओर कांग्रेस समेत 18 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कृषि बिलों पर साइन नहीं करने की अपील की। उधर, देश में कृषि बिलों के खिलाफ प्रदर्शन भी तेज हो गए हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसान संगठनों ने 25 सितंबर को किसान कर्फ्यू की बात कही है। राजस्थान के किसान इसमें शामिल होने पर 23 सितंबर को फैसला करेंगे। हालांकि, राज्य में सोमवार को सभी 247 कृषि मंडियां बंद रखी गईं।



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विपक्ष ने यह मांग भी की है कि 8 सांसदों का निलंबन वापस लिया जाए। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को विपक्षी सांसदों को पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया था।


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सेंसेक्स में 150 अंकों से ज्यादा की गिरावट, दो दिन में निवेशकों के 6 लाख करोड़ रु. डूबे; ऑटो, मेटल और बैंकिंग शेयरों में भारी बिकवाली

बाजार में बिकवाली बढ़ी है। बीएसई 239 अंक नीचे 37,794.65 पर और निफ्टी 77 अंक नीचे 11,173.20 के स्तर पर पहुंच गया है। इससे पहले सुबह बीएसई 166.57 अंक ऊपर 38,200.71 पर और निफ्टी 79.55 अंक ऊपर 11,301.75 पर खुला था। बाजार में ऑटो, मेटल और बैंकिंग शेयरों में गिरावट है। जी एंटरटेनमेंट और मारुति के शेयरों में 4-4 फीसदी की गिरावट है। इसके अलावा अदानी पोर्ट और गेल के शेयर में 3-3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है। इसके निफ्टी में बढ़ने वाले शेयरों में आईटी और फार्मा स्टॉक्स शामिल हैं। इसमें सिप्ला के शेयर में 2 और एचसीएल टेक के शेयर 1 फीसदी की गिरावट है। भारी बिकवाली के चलते निवेशकों को सोमवार से अब तक करीब 6 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।

इससे पहले सोमवार को बीएसई 811.68 अंक नीचे 38,034.14 पर और निफ्टी 282.75 अंकों की गिरावट के साथ 11,222.20 पर बंद हुआ था। कोरोना के बढ़ते प्रकोप और यूरोपीय देशों में दोबारा लॉकडाउन की खबर से बाजार में दूसरे हाफ के बाद भारी बिकवाली रही । इसके पहले शुक्रवार को भी ग्लोबल मार्केट में बिकवाली रही, जिससे घरेलू बाजार पर दबाव बना। कल बाजार में सबसे ज्यादा गिरने वाले सूचकांकों में निफ्टी मेटल, ऑटो, फार्मा इंडेक्स शामिल रहे। निफ्टी में इंडसइंड बैंक का शेयर 9 फीसदी तक नीचे गिरकर बंद हुआ था।

दुनियाभर के बाजारों में रही गिरावट
सोमवार को दुनियाभर के बाजारों में गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी बाजार डाउ जोंस 1.84 फीसदी गिरकर 509.72 अंक नीचे 27,147.70 पर बंद हुआ था। वहीं, अमेरिका के दूसरे बाजार नैस्डैक 0.40 फीसदी की बढ़त के साथ 43.24 अंक ऊपर 10,980.20 पर बंद हुआ था। दूसरी तरफ, एसएंडपी 1.16 फीसदी गिरकर 38.41 पॉइंट नीचे 3,281.06 पर बंद हुआ था।

इधर, चीन का शंघाई कंपोजिट 0.12 फीसदी गिरावट के साथ 3.90 अंक नीचे 3,313.03 पर बंद हुआ था। यूके, जर्मनी और फ्रांस का बाजार भी गिरावट के साथ बंद हुआ था।

कोरोना से देश और दुनिया में मौतें
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 55,60,105 हो गई है। इनमें 9,75,623 की रिपोर्ट पॉजिटिव है। वहीं 44,94,720 संक्रमित ठीक हो गए हैं। देश में अब तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 88,965 हो चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org के अनुसार हैं। दूसरी तरफ, दुनियाभर में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 31,482,599 हो चुकी है। इनमें 969,298 की मौत हो चुकी है। अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या 204,506 हो चुकी है।

10:24 AM निफ्टी ऑटो इंडेक्स में 2.12 फीसदी की गिरावट है। अशोक लेलैंड और हीरो मोटोकॉर्प के शेयर में 3-3 फीसदी की गिरावट है।

09:44 AM बीएसई सेक्टोरल इंडेक्स में केवल एक इंडेक्स में बढ़त है।

09:34 AM बीएसई 224.81 अंक नीचे 37,809.33 पर और निफ्टी 80.25 अंक नीचे 11,170.30 पर कारोबार कर रहा है।

09:31 AM निफ्टी 50 में 64 अंकों से ज्यादा की गिरावट है। इसमें सबसे ज्यादा अदानी पोर्ट के शेयर में 6 फीसदी की गिरावट है।

09:27 AM बीएसई सेंसेक्स में शामिल 30 में से 23 कंपनियों के शेयरों में गिरावट और 7 में बढ़त है। एचसीएल टेक का शेयर 2 फीसदी बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है।

09:15 AM बीएसई 166.57 अंक ऊपर 38,200.71 पर और निफ्टी 79.55 अंक ऊपर 11,301.75 के स्तर पर खुला।

सोमवार को दुनियाभर के बाजारों का हाल



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चीन का शंघाई कंपोजिट 0.12 फीसदी गिरावट के साथ 3.90 अंक नीचे 3,313.03 पर बंद हुआ था।


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पेटीएम बनाम गूगल: गूगल के लिए पेटीएम कैसे बन गया 'गैम्बलिंग ऐप'? वह सबकुछ जो आपके लिए जानना जरूरी है

भारत के सबसे लोकप्रिय पेमेंट्स ऐप पेटीएम को 18 सितंबर को गूगल ने अपने प्ले स्टोर से कुछ घंटों के लिए हटा दिया। गूगल ने आरोप लगाया कि पेटीएम ने उसकी प्ले स्टोर की पॉलिसी का उल्लंघन किया है। इससे ऐसा लगा कि पेटीएम अपने ऐप से 'स्पोर्ट्स गैम्बलिंग' को प्रमोट कर रहा है। इस वजह से उसे भारतीय कानून और गूगल की पॉलिसी के तहत हटाया गया है।

इतना होने के बाद पेटीएम ने भी पलटवार किया कि गूगल और उसके कर्मचारी हमारे देश के कानून से ऊपर उठकर पॉलिसी बना रहे हैं। मनमाने ढंग से उन्हें लागू कर रहे हैं। पेटीएम का तर्क है- गूगल किसी यूपीआई कैशबैक को 'ऑनलाइन कैसिनो' कैसे कह सकता है? रोचक यह है कि पेटीएम का कॉम्पिटीटर गूगल पे भी 'तेज शॉर्ट्स' गेम के जरिए इसी तरह का कैम्पेन चला रहा है। यहां हम आपके लिए पूरा मामला समझा रहे हैं-

क्या पेटीएम को गलत तरह से निशाना बनाया गया?

एक रिपोर्ट में पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के हवाले से कहा गया कि 'यह हमारे देश में हर रेगुलेटर और सरकार की चिंता है क्योंकि हमारा ऐप गैम्बलिंग ऐप नहीं है। जब गूगल पे और पेटीएम के फीचर एक जैसे हैं तो पेटीएम को ही निशाना क्यों बनाया गया, इसका कोई जवाब नहीं है।'

इस मुद्दे पर गूगल का क्या कहना है?

गूगल के मुताबिक 'कैशबैक और वाउचर ऑफर करना ही हमारे गूगल प्ले गैम्बलिंग पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करता। पिछले हफ्ते हमने हमारे प्ले स्टोर की गैम्बलिंग पॉलिसी को दोहराया। हमारी पॉलिसी ऑनलाइन कैसिनो की अनुमति नहीं देती। हम भारत में किसी भी फैंटसी स्पोर्ट्स सहित खेलों से जुड़ी सट्टेबाजी की सुविधा देने वाले अनरेगुलेटेड गैम्बलिंग ऐप्स को सपोर्ट नहीं करते। हम अपनी पॉलिसी सोच-समझकर लागू करते हैं और कंज्यूमर्स को सेफ और सिक्योर माहौल देने की कोशिश करते हैं। हमारी पॉलिसी सभी डेवलपर्स के लिए समान है।'

क्या 'पेटीएम क्रिकेट लीग' गूगल के बैन का इकलौता कारण था?

पेटीएम का कहना है कि उसने अपने ऐप पर 11 सितंबर को 'पेटीएम क्रिकेट लीग' लॉन्च की और इसी वजह से गूगल ने उसे गूगल प्ले स्टोर से हटाया।

क्या पेटीएम क्रिकेट लीग यूपीआई कैशबैक्स को लेकर थी?

पेटीएम के मुताबिक पेटीएम क्रिकेट लीग एक ऐसा कैम्पेन है जहां यूजर क्रिकेट स्टिकर्स और स्क्रैच कार्ड्स कलेक्ट कर सकते । उससे यूपीआई कैशबैक्स हासिल कर सकते हैं। यह ऑफर रिचार्ज, यूटिलिटी पेमेंट्स, यूपीआई मनी ट्रांसफर और पेटीएम वॉलेट में पैसे ट्रांसफर करने पर थे।

पेटीएम क्रिकेट लीग कैशबैक किस तरह काम करते हैं?

पेटीएम के मुताबिक यूजर्स रिचार्ज, मनी ट्रांसफर, बिल पेमेंट्स आदि जैसे पेमेंट करने पर क्रिकेट बेस्ड स्टिकर कलेक्ट करते हैं। स्टिकर कलेक्ट करने पर यूजर्स स्वीपस्टैक कैशबैक जीत सकते हैं। यूजर इन स्टिकरों को अपने दोस्तों को गिफ्ट भी कर सकते हैं।

क्या गूगल ने पेटीएम को बिना चेतावनी के हटाया?

पेटीएम का दावा है कि उसे गूगल की ओर से कोई चेतावनी नहीं दी गई। गूगल ने पेटीएम को जो कारण बताया, वह हैः "आपके ऐप पर ऐसा कंटेंट है जो गैम्बलिंग पॉलिसी के नियमों का पालन नहीं करता है और वह लॉयल्टी पॉइंट्स ऑफर देता है जो (1) रियल-मनी पर्चेज से लिया जा रहा है (2) बाद में वास्तविक रुपए में बदला जा सकता है।'

कैशबैक्स पर क्या पेटीएम ने कोई कानून नहीं तोड़ा?

पेटीएम ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि हमारा कैशबैक कैम्पेन इस देश के कानूनों में बताई गाइडलाइंस के आधार पर है। हमने कोई नियम नहीं तोड़ा और कानून का उल्लंघन भी नहीं किया। यह किसी भी तरह से गैम्बलिंग से जुड़ा नहीं है।

क्या गूगल भी इसी तरह का कैम्पेन कर रहा है?

पेटीएम का आरोप है कि गूगल पे भी इसी तरह का कैशबैक ऑफर कर रहा है। पेटीएम ने कहा, 'क्रिकेट सीजन की शुरुआत में गूगल पे ने तेज शॉर्ट्स कैम्पेन शुरू किया था। वह कहता है कि रन बनाओ और एक लाख रुपए तक का रिवॉर्ड हासिल करो। यूजर वाउचर्स अर्जित करते हैं। प्रत्येक उपलब्धि पर अनलॉक कर सकते हैं। लकी ड्रॉ के लिए क्वालिफाई करते हैं जिसके जरिए वे एक लाख रुपए तक के एश्योर्ड टिकट्स हासिल कर सकते हैं। अलग-अलग स्कोर के लिए 50 से 1,000 प्लस तक रिवॉर्ड्स और डिस्काउंट्स भी हासिल कर सकते हैं। गूगल पे के इस तरह कैशबैक कैम्पेन प्ले स्टोर की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करते क्योंकि गूगल अपने ऐप्स पर अलग नियम लगाता है।'

पॉलिसी उल्लंघन पर पेटीएम का क्या कहना है?

पेटीएम की दलील है कि ट्रैफिक बढ़ाने या फैंटेसी स्पोर्ट्स को बढ़ावा देना गैम्बलिंग नहीं है। गूगल की पॉलिसी के अनुसार पेटीएम फर्स्ट गेम्स यूट्यूब पर पेड प्रमोशन कर सकता है लेकिन उसका विज्ञापन पेटीएम ऐप पर नहीं चलाया जा सकता, यह क्या बात हुई? गूगल प्ले ने हमें तीन बार लिखित चेतावनी दी (20 अगस्त, 28 अगस्त और 1 सितंबर को)। पेटीएम ऐप पर पेटीएम फर्स्ट गेम्स के प्रमोशन से जुड़े अलग मसले पर। हम इस आरोप का पूरी तरह से खंडन करते हैं कि हमने किसी तरह पॉलिसी का उल्लंघन किया है। हमने तत्काल अपनी ही गेमिंग सब्सिडियरी का प्रमोशन रोका और उसे ऐप से हटाया।

क्या फैंटेसी गेम्स वाकई में गैम्बलिंग है?

  • ऑनलाइन गैम्बलिंग बहुत ही कॉम्प्लेक्स सब्जेक्ट है। स्किल, चांस और सख्त रेगुलेशन का मसला है। पॉलिसी रेगुलेशन की गड़बड़ियों और भारत के प्रत्येक राज्य में गैम्बलिंग को लेकर अलग रुख की वजह से भी पॉलिसी में कई सारी मुश्किल हैं।
  • 1960 से अब तक सुप्रीम कोर्ट जजमेंट कहते आए हैं कि पोकर और रमी जैसे गेम्स में स्किल का तत्व बहुत ज्यादा है। यहां एलिमेंट ऑफ चांस पीछे रह जाता है। इस वजह से दोनों गेम्स को स्किल-बेस्ड कार्ड गेम्स कहा गया है। ऐसे में जब यह गेम स्टेक के लिए खेले जाते हैं तो उन्हें एंटी-गैम्बलिंग रेगुलेशन से अलग रखा जाता है।
  • हालांकि, गैम्बलिंग राज्यों का विषय है। अलग-अलग राज्यों ने इसके लिए अलग-अलग नियम बनाए हैं। तेलंगाना और ओडिशा समेत कुछ राज्यों ने वास्तविक रुपए से जुड़े ताश के खेलों को बैन कर रखा है। सिक्किम और नगालैंड जैसे राज्यों में वहां की सरकारों ने स्किल पर पैसा लगाने को गैम्बलिंग के दायरे से बाहर रखा है। इस तरह के गेम्स के लिए ऑनलाइन पोर्टल्स को उन राज्यों की सीमाओं में गेम खिलाने का लाइसेंस लेना जरूरी है। यहां तक कि आईपीएल की स्पॉन्सर ड्रीम11 को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली है।


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गुरनाम कहते हैं- 'मोदी सरकार या तो कानून वापस ले या किसानों को सीधा गोली मार दे'

शाम ढलने को है। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी अभी-अभी अपने घर लौटे हैं। पूरा दिन किसानों के साथ आंदोलन में शामिल रहने बाद अब वे स्थानीय मीडिया से घिरे हुए हैं। उनका फोन अब भी लगातार बज रहा है और लगभग हर कॉल पर वे एक-सा जवाब देते हुए लोगों को बता रहे हैं कि किसानों के लिए आगे कि रणनीति क्या होगी।

बीते कुछ महीनों से यही गुरनाम सिंह की दिनचर्या बन गई है। माना जाता है कि हरियाणा में इन दिनों जो किसान आंदोलन हो रहा है, उसमें गुरनाम सिंह की सबसे अहम भूमिका रही है। कुरुक्षेत्र जिले के चढूनी गांव के रहने वाले गुरनाम सिंह भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के अध्यक्ष हैं।

पिछले दो महीनों में वे हरियाणा में चार बड़े प्रदर्शन कर चुके हैं। इन प्रदर्शनों की शुरुआत 20 जुलाई से हुई थी, जब 15 हजार ट्रैक्टरों के साथ हरियाणा के किसान सड़कों पर उतर आए थे। गुरनाम सिंह बताते हैं, ‘केंद्र सरकार जून में तीन अध्यादेश लेकर आई। यह वह दौर था जब हम लोग कोरोना के डर से घरों से भी नहीं निकल रहे थे, लेकिन जब हमने इन कानूनों के प्रावधान देखे तो सड़कों पर निकलना हमारी मजबूरी हो गई। ये कानून खेती और किसानी की कब्र खोदने के लिए बनाए गए हैं।’

जिन तीन कानूनों का जिक्र गुरनाम सिंह कर रहे हैं उनमें से दो कानून संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुके हैं, जबकि एक का अभी राज्यसभा से पारित होना बाकी है। ये तीन कानून हैं: कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020।

कृषि अध्यादेश के विरोध में हरियाणा के किसान और किसान संगठनों से जुड़े लोग सड़कों पर उतर आए हैं। वे इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

केंद्र सरकार का दावा है कि इन कानूनों का पारित होना एक ऐतिहासिक फैसला है और इससे किसानों के जीवन में अभूतपूर्व समृद्धि आएगी। इसके ठीक उलट गुरनाम सिंह दावा करते हैं कि इन कानूनों से किसानों के जीवन में अभूतपूर्व दरिद्रता और बर्बादी आने वाली है।

इस पर विस्तार से चर्चा करते हुए वे कहते हैं, ‘सबसे अहम बदलाव जो इन कानूनों से होगा वह है मंडी के बाहर व्यापारी को खरीद की छूट मिलना। अभी सारा व्यापार मंडियों के जरिए होता है। वहां एक टैक्स व्यापारी को चुकाना होता है जो आखिरकार किसानों के ही काम आता है। पंजाब, हरियाणा के खेतों से गुजरने वाली बेहतरीन पक्की सड़कें जो आपको दिखती हैं वह इसी टैक्स से बन सकी हैं।’

अब सरकार मंडियों से बाहर व्यापार की छूट दे रही है तो इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा, बल्कि बड़े व्यापारियों को फायदा होगा, क्योंकि वे लोग बिना टैक्स चुकाए बाहर से खरीद कर सकेंगे। इससे एक तरफ किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलना बंद हो जाएगा, दूसरी तरफ धीरे-धीरे मंडियां ठप पड़ने लगेंगी, क्योंकि जब मंडियों से सस्ता माल व्यापारी को बाहर मिलेगा तो वह क्यों टैक्स चुकाकर मंडी में माल खरीदेगा।’

बिहार राज्य का उदाहरण देते हुए गुरनाम सिंह कहते हैं, ‘मंडियों से बाहर खरीद की व्यवस्था अगर इतनी ही अच्छी थी तो बिहार के किसान आज तक समृद्ध क्यों नहीं हुए? वहां 2006 से यह व्यवस्था लागू हो चुकी है जो अब देशभर में करने की तैयारी है, लेकिन बिहार के किसानों की स्थिति इतनी खराब है कि वहां का चार एकड़ का किसान भी यहां के दो एकड़ के किसान के खेत में मजदूरी करने आता है। इसका मुख्य कारण यही है कि वहां किसानों को एमएसपी नहीं मिलता।’

जब प्रधानमंत्री लगातार बोल रहे हैं कि एमएसपी की व्यवस्था से कोई छेड़छाड़ नहीं होने वाली और यह बनी रहेगी तो फिर भी किसान विरोध क्यों कर रहे हैं? इस पर गुरनाम सिंह कहते हैं, ‘इस बात की तो हम दाद देते हैं कि प्रधानमंत्री बोलते बहुत अच्छा हैं। उनके पास बोलने की अद्भुत कला है। बस दिक्कत यह है कि वे झूठ बहुत बोलते हैं। अगर ये एमएसपी नहीं खत्म कर रहे तो हमारी छोटी-सी मांग मान लें और एमएसपी की गारंटी का कानून बना दें। कानून में बस इतना लिख दें कि एमएसपी से कम दाम पर खरीदना अपराध होगा, हम लोग कल ही अपना आंदोलन वापस ले लेंगे।'

इन कानूनों को गुमराह करने वाला बताते हुए किसान नेता कहते हैं, ‘इसमें सबसे बड़ा झूठ तो यही है कि इस कानून से किसानों को अपना माल कहीं भी बेचने की छूट मिलेगी। यह सरासर झूठ है, क्योंकि किसानों के पास यह छूट 1977 से ही है। ऐसा ही झूठ फसल के भंडारण को लेकर भी कहा जा रहा है कि अब किसान अपनी उपज स्टॉक कर सकेगा। यह स्टॉक का फायदा अडानी जैसे लोगों को होगा जो अब जमाखोरी करके दाम निर्धारित कर सकेंगे।’

सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को आठ विपक्षी सांसदों को सदन की कार्यवाही से पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया। जिसके बाद वे लोग संसद परिसर स्थित गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठ गए।

अपने पड़ोस का ही उदाहरण देते हुए गुरनाम सिंह कहते हैं, ‘कुरुक्षेत्र-कैथल हाईवे पर ढांड नाम की एक जगह है जहां अडानी का एक वेयरहाउस है। वहां यह सुविधा है कि 10 साल तक गेहूं स्टोर किया जा सकता है। आम किसान या छोटे व्यापारियों के पास तो ऐसे वेयर हाउस हो नहीं सकते, तो सबका राशन खरीदकर अडानी जैसे लोग अब सालों तक स्टोर कर सकेंगे और जब उनके पास असीमित स्टॉक होगा तो पूरा बाजार वे नियंत्रित करेंगे। जैसे मोबाइल की दुनिया में आज पूरा बाजार अंबानी का है, वैसे ही आने वाले सालों में सारी खेती भी बड़े पूंजीपतियों की होगी।’

अपनी बात को समेटते हुए वे कहते हैं, ‘यह असल में सिर्फ किसान का मुद्दा नहीं, बल्कि देश की तमाम जनता का भी मुद्दा है। यह जनता बनाम कॉरपोरेट का मामला है। चंद व्यापारी पूरे देश का माल खरीदेंगे और फिर पूरा देश उनसे लेकर खाएगा। यानी पूरा देश उनका ग्राहक होगा।’

गुरनाम सिंह अपनी बात पूरी करते उससे पहले ही उनके फोन पर एक तस्वीर आती है। यह तस्वीर दिखाते हुए वे कहते हैं, ‘देखिए सरकार की चालाकी। अभी-अभी कई फसलों का एमएसपी बढ़ा दिया गया है। यह बढ़त भी बस ऊंट के मुंह में जीरे जितनी ही है, लेकिन इसे ठीक ऐसे समय पर किया है जब किसान आंदोलन लगातार तेज हो रहा है, जबकि यह एमएसपी हर साल अक्टूबर में आया करती है।

इससे सरकार दिखाना चाहती है कि एमएसपी को लेकर वह कितनी गंभीर है और इस पर काम कर रही है, लेकिन सरकार की नीयत अगर साफ है तो बस यही बात कानून में क्यों नहीं लिख दी जाती कि एमएसपी व्यवस्था बनी रहेगी। इतना हो जाए तो किसान बेफिक्र हों, लेकिन इन्होंने तो किसानों को मार डालने वाले कानून बना दिए हैं, इसलिए किसानों ने भी ठान ली है। अब या तो सरकार ये कानून वापस ले या फिर हमें सीधे ही गोली मार दे।

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1. सरकार ने रबी की फसलों पर MSP बढ़ाया / किसान बिलों पर हंगामे के बीच गेहूं के समर्थन मूल्य में 50 रुपए, चना और सरसों में 225 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा

2. एमएसपी क्या है, जिसके लिए किसान सड़कों पर हैं और सरकार के नए कानूनों का विरोध कर रहे हैं? क्या महत्व है किसानों के लिए एमएसपी का?



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New farm bill 2020:farmer leader Gurnam Singh Chadhuni interview


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जापान में युवा शादी से कतरा रहे, इसलिए सरकार नए जोड़ों को सवा चार लाख रुपए देगी, ताकि गिरती जन्म दर काबू हो

जापान में सरकार ने घर बसाने के इच्छुक जोड़ों को छह लाख येन यानी करीब 4.25 लाख रुपए तक की प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि लोग शादी कर जल्द बच्चे पैदा करें और देश में तेजी से गिरती जा रही जन्म दर पर काबू पाया जा सके। इसके लिए सरकार अप्रैल से बड़े पैमाने पर इनाम देने का कार्यक्रम शुरू करने जा रही है।

जापान की आबादी करीब 12.68 करोड़ है
पिछले साल जापान में ऐतिहासिक रूप से सबसे कम 8 लाख 65 हजार बच्चों का जन्म हुआ। जन्म की तुलना में मौत का आंकड़ा पांच लाख 12 हजार ज्यादा रहा। यह भी जन्म, मृत्यु में सबसे बड़ा अंतर है। सरकार काे उम्मीद है कि इस साल जन्मदर पिछले साल के 1.42% से कुछ अधिक 1.8% रहेगी। जापान की आबादी करीब 12.68 करोड़ है। जनसंख्या के हिसाब से जापान दुनिया का सबसे बुजुर्ग देश है।

यहां 100 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर जन्म दर की स्थिति यही रही तो यहां 2040 तक बुजुर्गों की आबादी 35% से ज्यादा हो जाएगी। इस अंतर को पाटने के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर यह अभियान शुरू किया है।

योजना में शामिल होने के लिए सरकार ने कुछ शर्तें रखी हैं

योजना में शामिल होने के लिए सरकार ने कुछ शर्तें रखी हैं। जैसे जोड़े की उम्र 40 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए और दोनों की कुल कमाई 38 लाख रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसी तरह जिन जोड़ों की उम्र 35 साल से नीचे की होगी, उनकी कुल कमाई 33 लाख रुपए से अधिक न हो। उन्हें 2.11 लाख रुपए की मदद दी जाएगी।

युवा पैसों की कमी की वजह से शादी नहीं कर रहे

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन एंड सोशल सिक्योरिटी रिसर्च ने 2015 में एक सर्वे किया था। इसमें यह यह बात सामने आई कि 25-34 साल के करीब 30% अविवाहित लड़कों और 18% अविवाहित लड़कियों ने शादी न करने के फैसले की वजह धन की कमी को बताया।

और भी देशों में जन्म दर बढ़ाने पर इनाम मिलता है

इटली: यह इटली दूसरा ऐसा देश है, जहां तेजी से जन्म दर गिर रही है। यहां हर जोड़े को एक बच्चा होने पर सरकार की ओर से 70 हजार रुपए दिए जाते हैं।

एस्ताेनिया: यूरोपीय देश एस्ताेनिया में जन्म दर बढ़ाने के लिए नौकरी करने वाले को डेढ़ साल तक पूरे वेतन के साथ छुट्‌टी दी जाती है। साथ ही तीन बच्चे वाले परिवार को हर महीने 300 यूरो यानी करीब 25 हजार रुपए का बोनस मिलता है।

ईरान: यहां पुरुषों की नसबंदी पर पाबंदी है। यहां गर्भनिरोधक दवाएं उन्हीं महिलाओं को दी जाती हैं जिनको स्वास्थ्य कारणों से यह दवा लेना जरूरी होता है। ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले परिवार को अतिरिक्त राशन दिया जाता है।



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Government will give Rs. 4 lakh cash to married couples in Japan to control falling birth rate, the scheme will be implemented from April


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विपक्ष ने राज्यसभा से बायकॉट किया, कांग्रेस ने कहा- सरकार ऐसा बिल लाए जिससे MSP से नीचे फसलों की खरीद नहीं हो सके

कृषि बिलों के विरोध में कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने राज्यसभा से बायकॉट कर दिया है। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा, "सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे कोई प्राइवेट खरीदार MSP से नीचे किसानों से उपज नहीं खरीद सके। जब तक ऐसा बिल नहीं लाया जाता तब तक हम संसद सत्र का बायकॉट करेंगे।" आजाद ने यह मांग भी रखी है कि 8 सांसदों का निलंबन वापस लिया जाए।

वेंकैया नायडू बोले- सांसदों के निलंबन की कार्रवाई से खुश नहीं
कृषि बिलों पर रविवार को सदन में हंगामा करने वाले 8 विपक्षी सांसदों को राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को पूरे सत्र की कार्यवाही तक निलंबित कर दिया। ये सांसद रातभर संसद परिसर में धरने पर बैठे रहे, धरना अब भी जारी है। वेंकैया नायडू ने आज कहा, "सांसदों के व्यवहार की वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। हम किसी सदस्य के खिलाफ नहीं हैं। उनके निलंबन की कार्रवाई से भी खुश नहीं हूं।"

कृषि बिलों पर हंगामे के बीच सरकार ने रबी की फसलों का MSP बढ़ाया
कृषि बिलों के विरोध के बीच केंद्र ने पहली बार समय से पहले सितंबर में ही रबी की 6 फसलों का एमएसपी 6% तक बढ़ा दिया है। गेहूं का एमएसपी 50 रुपए बढ़ाकर 1975 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। लोकसभा की कार्यवाही के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को बताया कि यह फैसला कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने लिया है।

दूसरी ओर कांग्रेस समेत 18 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कृषि बिलों पर साइन नहीं करने की अपील की। उधर, देश में कृषि बिलों के खिलाफ प्रदर्शन भी तेज हो गए हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसान संगठनों ने 25 सितंबर को किसान कर्फ्यू की बात कही है। राजस्थान के किसान इसमें शामिल होने पर 23 सितंबर को फैसला करेंगे। हालांकि, राज्य में सोमवार को सभी 247 कृषि मंडियां बंद रखी गईं।



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विपक्ष ने यह मांग भी की है कि 8 सांसदों का निलंबन वापस लिया जाए। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को विपक्षी सांसदों को पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया था।


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राज्यसभा से निलंबित 8 सांसद पूरी रात धरने पर बैठे रहे; सुबह उपसभापति हरिवंश चाय लेकर पहुंचे, लेकिन सांसदों ने मना कर दिया

कोरोना के बीच मानसून सत्र का आज 9वां दिन है। इससे पहले सोमवार को राज्यसभा से निलंबित 8 विपक्षी सांसद रातभर धरने पर बैठे रहे, धरना अब भी जारी है। इस बीच राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश उनके लिए सुबह की चाय लेकर पहुंचे, लेकिन सांसदों ने चाय पीने से मना कर दिया।

दिलचस्प बात ये भी है कि उपसभापति से असंसदीय व्यवहार करने की वजह से ही सांसदों को निलंबित किया गया है। इन सांसदों ने रविवार को कृषि बिलों के विरोध में राज्यसभा में हंगामा किया था। सदन की रूलबुक फाड़ दी और माइक तोड़ने की कोशिश भी की थी।

सस्पेंड हुए सांसदों को सपोर्ट करने के लिए सोमवार रात दूसरे विपक्षी दलों के सांसद भी पहुंचे। कई नेताओं ने बताया कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब संसद परिसर में रातभर प्रदर्शन चला हो। हालांकि, विधानसभाओं में ऐसा होता रहा है।

आप के सांसद ने कहा- किसान विरोधी कानून बिना वोटिंग पास हुआ
आप के सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर कह, "यह व्यक्तिगत रिश्ते निभाने का वक्त नहीं है। हम किसानों के लिए धरने पर बैठे हैं। उपसभापति जी मिलने आए, हमने उनसे भी कहा कि संविधान को ताक पर रखकर किसान विरोधी काला कानून बिना वोटिंग के पास किया गया, जबकि भाजपा अल्पमत में थी और आप भी इसके लिये जिम्मेदार हैं।"

2 सांसदों की उम्र 65 से ज्यादा, डायबिटिक भी हैं
धरने पर बैठे सांसदों ने अपने-अपने घरों से तकिया और कंबल ही नहीं, बल्कि मच्छर भगाने की दवा भी मंगवा ली। इमरजेंसी के लिए मौके पर एक एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई है। उनकी बड़ी चिंता अपने दो साथियों- कांग्रेस के रिपुन बोरा और सीपीआई के ई करीम को लेकर है, क्योंकि दोनों की उम्र 65 साल से ज्यादा है और दोनों ही डायबिटीज के पेशेंट हैं।

इन 8 सांसदों का निलंबन हुआ है

  • डेरेक ओ’ब्रायन- तृणमूल
  • डोला सेन- तृणमूल
  • रिपुन बोरा- कांग्रेस
  • राजीव सातव- कांग्रेस
  • सैयद नजीर- कांग्रेस
  • संजय सिंह- आप
  • ई करीम- सीपीआई
  • केके रागेश- सीपीआई

दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं के घर से खाना आया
एक सांसद ने बताया कि विपक्ष के नेताओं के घरों से बारी-बारी से खाने-पीने की चीजें आ रही हैं, ताकि धरने पर बैठे लोगों का शुगर लेवल कम नहीं हो। शिवसेना के संजय राउत, एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएमके की कनिमोझी और तिरुचि सिवा धरना दे रहे सांसदों के लिए इडली लेकर पहुंचे।



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निलंबित सांसदों का धरना जारी है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश उनके लिए सुबह की चाय और लेकर पहुंचे थे।


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लगातार चौथा दिन जब नए केस से ज्यादा मरीज ठीक हुए, एक्टिव केस में 28649 की कमी आई; अब तक 55.60 लाख संक्रमित

देश में कोरोना के केस में सोमवार को सबसे बड़ी राहत मिली। एक ही दिन में एक लाख से ज्यादा मरीज ठीक हो गए। 74 हजार नए केस आए, जबकि पांच दिन पहले ही रिकॉर्ड 96 हजार 856 केस आए थे। सोमवार को 74 हजार 493 केस आए, 1 लाख 2 हजार 70 मरीज ठीक हो गए। इससे इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या में 28 हजार 649 की कमी आ गई। रविवार को देश में 10 लाख 4 हजार 272 एक्टिव केस थे, जो सोमवार को घटकर 9 लाख 75 हजार 623 हो गए।

मरने वालों का आंकड़ा 88 हजार के पार
देश में संक्रमण से जान गंवानों वालों का आंकड़ा 88 हजार के पार हो गया। पिछले 24 घंटे के अंदर 1 हजार 56 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। अब तक 88 हजार 965 लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

कोरोना अपडेट्स

  • सोमवार को 14 राज्यों में नए संक्रमितों से ज्यादा ठीक हो गए। इनमें उत्तरप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, केरल, जम्मू-कश्मीर, पुडुचेरी, त्रिपुरा, दादरा-नागर हवेली और मिजोरम शामिल हैं।
  • महाराष्ट्र में सोमवार को 159 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित मिले, पांच की मौत हो गई। राज्य में अब तक 21 हजार 311 पुलिसकर्मी संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 222 पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है।
  • दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने सोमवार को बताया कि राज्य में अभी लगभग 1 हजार आईसीयू बेड उपलब्ध है। इसकी संख्या लगातार बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
  • केंद्र ने ऑक्सीजन सिलेंडर ले जा रही गाड़ियों को बगैर परमिट यात्रा करने की मंजूरी दी है। ऐसी गाड़ियों को अब परमिट लेने की जरूरत नहीं होगी। कोरोना के बढ़ते मामलों और राज्यों में ऑक्सीजन सिलेंडर की बढ़ती डिमांड को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। यह छूट 31 मार्च 2021 तक जारी रहेगी।

12 राज्यों में 81% मरीज ठीक हुए

12 राज्य ऐसे हैं, जहां ठीक हुए मरीजों की दर 81% से ज्यादा है। इनमें से अंडमान-निकोबार, दादरा-नगर हवेली और बिहार में तो रिकवरी रेट 90% से ज्यादा है। देश में अब तक 43.95 लाख मरीज ठीक हुए हैं और रिकवरी 80.12% तक पहुंच गया है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश

राज्य में सोमवार को 2523 नए मरीज मिले। 2244 संक्रमित ठीक हो गए, जबकि 37 ने दम तोड़ दिया। अब तक 1 लाख 8 हजार 167 संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 83 हजार 618 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 22 हजार 542 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते 2007 मरीजों की मौत हो चुकी है।

2. राजस्थान

राज्य में पिछले 24 घंटे के अंदर 1,892 नए केस मिले। 1,815 लोग ठीक हुए और 16 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 16 हजार 881 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 97 हजार 284 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 18 हजार 245 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते 1,352 लोगों की मौत हो चुकी है।

3. बिहार

राज्य में सोमवार को संक्रमितों से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या बढ़ी। पिछले 24 घंटे में 1,314 नए केस बढ़े, जबकि 1,381 लोग ठीक हो गए। 6 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। अब तक 1 लाख 69 हजार 856 लोग संक्रमित हो चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 1 लाख 55 हजार 824 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13 हजार 161 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 870 लोगों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में सोमवार को मरीजों के रिकवर होने का रिकॉर्ड बना। पिछले 24 घंटे में जहां 15 हजार 738 नए मामले सामने आए, वहीं रिकॉर्ड 32 हजार 7 लोगों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अब तक एक दिन में ठीक होने वालों का ये सबसे ज्यादा आंकड़ा है। राज्य में अब तक 12 लाख 24 हजार 380 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 9 लाख 16 हजार 348 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2 लाख 74 हजार 623 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 33 हजार 15 लोगों की मौत हो चुकी है।

5. उत्तरप्रदेश

राज्य में सोमवार को 4,618 नए केस सामने आए। अच्छी बात है कि नए केस से करीब दो हजार ज्यादा यानी 6,320 मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। प्रदेश में अब तक 3 लाख 58 हजार 893 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 2 लाख 89 हजार 594 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 64 हजार 164 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 5,135 मरीजों की मौत हो चुकी है।



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बेंगलुरु में मराठी खाना नहीं मिलता था, तीन साल तक मैन्यू के बारे में सोचती रहीं, अब 11 रेस्टोंरेट्स की मालकिन हैं

जयंती कथले आईटी कंपनी में काम करती थीं और उनकी कमाई लाखों में थी। जॉब के दौरान कई देशों में रहीं। जिन देशों में गईं, वहां सबसे बड़ी दिक्कत यही थी कि मनपसंद खाना नहीं मिल पाता था। अधिकतर जगह नॉन वेजिटेरियन फूड ही मिलता था, जो उनके पति नहीं खाते थे। बेंगलुरु में शिफ्ट हुईं, तब भी वो अपने मराठी खाने को बहुत मिस करती थीं। मार्केट की इस कमी को जयंती ने पहचान लिया और फिर शुरू हुई पूर्णब्रह्म के बनने की कहानी, जिसकी आज देश-विदेश में 14 ब्रांच हैं। जयंती से ही जानिए, उनकी सफलता की कहानी।

नौकरी छोड़कर 2012 में जयंती ने अपना रेस्टोरेंट शुरू किया। इसमें तीन लोग पार्टनरशिप में थे, क्योंकि जयंती के पास इतना पैसा नहीं था कि वे अकेले रेस्टोरेंट शुरू कर सकें।

आईटी फील्ड में मैंने अपना करियर साल 2000 में शुरू किया था। 2006 से 2008 तक ऑस्ट्रेलिया में रही। मेरे पति भी आईटी कंपनी में ही काम करते हैं। जॉब के दौरान मैं करीब 12 से 13 देशों में गई, सब जगह मुझे मेरे शाकाहारी मराठी खाने की बहुत कमी खलती थी। कई जगह तो सिर्फ नॉनवेज का ही ऑप्शन होता था, मैं तो नॉनवेज खाकर पेट भर लेती थी लेकिन मेरे पति वो बिल्कुल नहीं खा पाते थे। वो फास्ट फूड और सलाद खा-खाकर काम चलाते थे।

2008 में जब मैं ऑस्ट्रेलिया से वापस बेंगलुरु आई तो शुरू में तीन-चार महीने तो इडली-सांभर, डोसा खाने में बहुत मजा आया लेकिन बाद में मराठी खाने की याद आने लगी। जॉब के साथ घर में बहुत कुछ बना पाना मुमकिन नहीं था। मैंने मन में सोच लिया था कि इस फील्ड में कुछ किया जा सकता है, हालांकि इस बात को किसी से शेयर नहीं किया। ऐसा लगता था कि जो दिक्कत मेरे साथ है, वो यहां रहने वाले हजारों लोगों के साथ होगी।

फिर नौकरी के साथ करीब तीन साल तक मैं अपनी रिसर्च करती रही। अलग-अलग रेस्टोरेंट्स में जाती थी। वहां का मैन्यू देखती थी। टेस्ट देखती थी। वो चीजें नोट कर लेती थी जो वहां के मैन्यू में नहीं हैं। बहुत से प्रसिद्ध मंदिरों में भी गई, वहां का फूड भी टेस्ट किया। भगवान से यही कहती थी कि, मैं कुछ बड़ा करने का सोच रही हूं, बस मेरे कदम पीछे न हटें। मैंने बेंगलुरु के रेस्टोरेंट्स में एक्सपीरियंस किया कि उनके पास बच्चों के लिए एक, दो चीज के अलावा कुछ था ही नहीं। बुजुर्गों के लिए वो कम मिर्च-मसाले का खाना तो दे देते थे लेकिन वो डाइजेस्टिव नहीं होता था।

जयंती अपने रेस्टोरेंट में शुद्ध शाकाहारी मराठी व्यंजन देती हैं। हालांकि अब वो नई ब्रांच भी शुरू कर चुकी हैं, जहां नॉनवेज भी अवेलेबल है।

तीन साल तक ये सब देखने के बाद मैंने अपना मैन्यू तैयार किया। इस दौरान इंटरनेशनल फूड ब्रांड्स की भी रिसर्च की। जैसे कोई चाइनीज रेस्टोरेंट है तो वहां जाकर देखा कि कुक कौन है। पता चला कि कुक तो लोकल के ही लोग होते हैं। मेरा लक्ष्य ऑथेंटिक महाराष्ट्रीयन फूड अवेलेबल करवाने पर था। दिमाग में कॉन्सेप्ट तो तैयार हो गया था। मैन्यू भी तैयार था। करीब 700 रेसिपी की मैंने रिसर्च की थी, इनमें से 180 रेसिपी से शुरुआत करना थी। लेकिन फाइनेंशियल सपोर्ट चाहिए था।

अब वे कई तरह की स्पेशल थाली भी प्रोवाइड करवाती हैं, जिनकी ग्राहकों के बीच काफी डिमांड है।

कई दोस्तों से बातचीत के बाद मुझे मेरी दो फ्रेंड्स पार्टनरशिप के लिए मिल गईं। हम तीनों ने 6-6 लाख रुपए मिलाकर कुल 18 लाख रुपए से 2012 में बेंगलुरु में अपना रेस्टोरेंट शुरू किया। कुक को मैंने खुद ट्रेनिंग दी। घर में दादी हमें पूरा खाना फिनिश करने पर 1 रुपए देती थीं और थाली में खाना छोड़ने पर बर्तन साफ करने की सजा मिलती थी, तो मैंने ऐसा रूल रेस्टोरेंट में भी बनाया कि जो पूरा फूड फिनिश करेगा उसे 5 परसेंट डिस्काउंट मिलेगा और जो बर्बाद करेगा उसे 2 परसेंट एक्स्ट्रा देना होगा। किराये की बिल्डिंग में रेस्टोरेंट शुरू किया था। हमें शुरू के 8 माह में ही इतना अच्छा रिस्पॉन्स मिला कि जगह बदलना पड़ी। बड़ी जगह लेना पड़ी।

जयंती कहती हैं, हर कुक के साथ अलग से बात हुई। उन्हें ट्रेनिंग दी गई। हम एक अलग टेस्ट डेवलप करना चाहते थे, जिसमें कामयाब रहे।

बेंगलुरु में हमारे अलावा ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां इतनी वैरायटी में स्वादिष्ट मराठी खाना मिलता हो। यहां लोग मसालेदार मिसल पाव, दाल का दूल्हा, साबुदाना वड़ा, मीठे श्रीखंड पुरी, पूरन पोली जैसे मराठी व्यंजनों को मिस करते थे, हमने ये कमी पूरी कर दी थी। 2012 से 2016 के बीच यही चलते रहा। इस दौरान एक पीआर कंपनी के चलते मुझे 17 लाख रुपए का नुकसान भी हुआ। लेकिन 2016 से हमारे बिजनेस ने तेजी से ग्रोथ की। हमने ऑस्ट्रेलिया और यूएस में भी अपनी ब्रांच शुरू की। जिसका मुख्य लक्ष्य वहां रहने वाले भारतीयों को स्वादिष्ट भारतीय खाना अवेलेबल करवाना था। अब हमारी 14 ब्रांच हैं और पूर्णब्रह्म एक कंपनी बन चुकी है। हम फ्रेंचाइजी देते हैं। लॉकडाउन में हमने कर्नाटक में एक लाख लोगों को मुफ्त खाना बांटा और हर ब्रांच से डिस्काउंट में फूड दिया। मकसद यही था कि कोई भी भूखा न रहे।



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Marathi food was not available in Bengaluru, kept thinking about the menu for three years, now owns 11 restaurants


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राज्यसभा से निलंबित 8 सांसद पूरी रात धरने पर बैठे रहे; सुबह उपसभापति हरिवंश चाय लेकर पहुंचे, लेकिन सांसदों ने मना कर दिया

कोरोना के बीच मानसून सत्र का आज 9वां दिन है। इससे पहले सोमवार को राज्यसभा से निलंबित 8 विपक्षी सांसद रातभर धरने पर बैठे रहे, धरना अब भी जारी है। इस बीच राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश उनके लिए सुबह की चाय लेकर पहुंचे, लेकिन सांसदों ने चाय पीने से मना कर दिया।

दिलचस्प बात ये भी है कि उपसभापति से असंसदीय व्यवहार करने की वजह से ही सांसदों को निलंबित किया गया है। इन सांसदों ने रविवार को कृषि बिलों के विरोध में राज्यसभा में हंगामा किया था। सदन की रूलबुक फाड़ दी और माइक तोड़ने की कोशिश भी की थी।

सस्पेंड हुए सांसदों को सपोर्ट करने के लिए सोमवार रात दूसरे विपक्षी दलों के सांसद भी पहुंचे। कई नेताओं ने बताया कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब संसद परिसर में रातभर प्रदर्शन चला हो। हालांकि, विधानसभाओं में ऐसा होता रहा है।

आप के सांसद ने कहा- किसान विरोधी कानून बिना वोटिंग पास हुआ
आप के सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर कह, "यह व्यक्तिगत रिश्ते निभाने का वक्त नहीं है। हम किसानों के लिए धरने पर बैठे हैं। उपसभापति जी मिलने आए, हमने उनसे भी कहा कि संविधान को ताक पर रखकर किसान विरोधी काला कानून बिना वोटिंग के पास किया गया, जबकि भाजपा अल्पमत में थी और आप भी इसके लिये जिम्मेदार हैं।"

2 सांसदों की उम्र 65 से ज्यादा, डायबिटिक भी हैं
धरने पर बैठे सांसदों ने अपने-अपने घरों से तकिया और कंबल ही नहीं, बल्कि मच्छर भगाने की दवा भी मंगवा ली। इमरजेंसी के लिए मौके पर एक एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई है। उनकी बड़ी चिंता अपने दो साथियों- कांग्रेस के रिपुन बोरा और सीपीआई के ई करीम को लेकर है, क्योंकि दोनों की उम्र 65 साल से ज्यादा है और दोनों ही डायबिटीज के पेशेंट हैं।

इन 8 सांसदों का निलंबन हुआ है

  • डेरेक ओ’ब्रायन- तृणमूल
  • डोला सेन- तृणमूल
  • रिपुन बोरा- कांग्रेस
  • राजीव सातव- कांग्रेस
  • सैयद नजीर- कांग्रेस
  • संजय सिंह- आप
  • ई करीम- सीपीआई
  • केके रागेश- सीपीआई

दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं के घर से खाना आया
एक सांसद ने बताया कि विपक्ष के नेताओं के घरों से बारी-बारी से खाने-पीने की चीजें आ रही हैं, ताकि धरने पर बैठे लोगों का शुगर लेवल कम नहीं हो। शिवसेना के संजय राउत, एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएमके की कनिमोझी और तिरुचि सिवा धरना दे रहे सांसदों के लिए इडली लेकर पहुंचे।



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निलंबित सांसदों का धरना जारी है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश उनके लिए सुबह की चाय और लेकर पहुंचे थे।


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लगातार चौथा दिन जब नए केस से ज्यादा मरीज ठीक हुए, एक्टिव केस में 28649 की कमी आई; अब तक 55.60 लाख संक्रमित

देश में कोरोना के केस में सोमवार को सबसे बड़ी राहत मिली। एक ही दिन में एक लाख से ज्यादा मरीज ठीक हो गए। 74 हजार नए केस आए, जबकि पांच दिन पहले ही रिकॉर्ड 96 हजार 856 केस आए थे। सोमवार को 74 हजार 493 केस आए, 1 लाख 2 हजार 70 मरीज ठीक हो गए। इससे इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या में 28 हजार 649 की कमी आ गई। रविवार को देश में 10 लाख 4 हजार 272 एक्टिव केस थे, जो सोमवार को घटकर 9 लाख 75 हजार 623 हो गए।

मरने वालों का आंकड़ा 88 हजार के पार
देश में संक्रमण से जान गंवानों वालों का आंकड़ा 88 हजार के पार हो गया। पिछले 24 घंटे के अंदर 1 हजार 56 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। अब तक 88 हजार 965 लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

कोरोना अपडेट्स

  • सोमवार को 14 राज्यों में नए संक्रमितों से ज्यादा ठीक हो गए। इनमें उत्तरप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, केरल, जम्मू-कश्मीर, पुडुचेरी, त्रिपुरा, दादरा-नागर हवेली और मिजोरम शामिल हैं।
  • महाराष्ट्र में सोमवार को 159 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित मिले, पांच की मौत हो गई। राज्य में अब तक 21 हजार 311 पुलिसकर्मी संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 222 पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है।
  • दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने सोमवार को बताया कि राज्य में अभी लगभग 1 हजार आईसीयू बेड उपलब्ध है। इसकी संख्या लगातार बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
  • केंद्र ने ऑक्सीजन सिलेंडर ले जा रही गाड़ियों को बगैर परमिट यात्रा करने की मंजूरी दी है। ऐसी गाड़ियों को अब परमिट लेने की जरूरत नहीं होगी। कोरोना के बढ़ते मामलों और राज्यों में ऑक्सीजन सिलेंडर की बढ़ती डिमांड को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। यह छूट 31 मार्च 2021 तक जारी रहेगी।

12 राज्यों में 81% मरीज ठीक हुए

12 राज्य ऐसे हैं, जहां ठीक हुए मरीजों की दर 81% से ज्यादा है। इनमें से अंडमान-निकोबार, दादरा-नगर हवेली और बिहार में तो रिकवरी रेट 90% से ज्यादा है। देश में अब तक 43.95 लाख मरीज ठीक हुए हैं और रिकवरी 80.12% तक पहुंच गया है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश

राज्य में सोमवार को 2523 नए मरीज मिले। 2244 संक्रमित ठीक हो गए, जबकि 37 ने दम तोड़ दिया। अब तक 1 लाख 8 हजार 167 संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 83 हजार 618 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 22 हजार 542 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते 2007 मरीजों की मौत हो चुकी है।

2. राजस्थान

राज्य में पिछले 24 घंटे के अंदर 1,892 नए केस मिले। 1,815 लोग ठीक हुए और 16 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 16 हजार 881 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 97 हजार 284 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 18 हजार 245 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते 1,352 लोगों की मौत हो चुकी है।

3. बिहार

राज्य में सोमवार को संक्रमितों से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या बढ़ी। पिछले 24 घंटे में 1,314 नए केस बढ़े, जबकि 1,381 लोग ठीक हो गए। 6 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। अब तक 1 लाख 69 हजार 856 लोग संक्रमित हो चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 1 लाख 55 हजार 824 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13 हजार 161 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 870 लोगों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में सोमवार को मरीजों के रिकवर होने का रिकॉर्ड बना। पिछले 24 घंटे में जहां 15 हजार 738 नए मामले सामने आए, वहीं रिकॉर्ड 32 हजार 7 लोगों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अब तक एक दिन में ठीक होने वालों का ये सबसे ज्यादा आंकड़ा है। राज्य में अब तक 12 लाख 24 हजार 380 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 9 लाख 16 हजार 348 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2 लाख 74 हजार 623 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 33 हजार 15 लोगों की मौत हो चुकी है।

5. उत्तरप्रदेश

राज्य में सोमवार को 4,618 नए केस सामने आए। अच्छी बात है कि नए केस से करीब दो हजार ज्यादा यानी 6,320 मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। प्रदेश में अब तक 3 लाख 58 हजार 893 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 2 लाख 89 हजार 594 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 64 हजार 164 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 5,135 मरीजों की मौत हो चुकी है।



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