रविवार, 26 जुलाई 2020

मुख्यमंत्री गहलोत होटल में फिर विधायकों से मिले, कल कांग्रेस देशभर में राज्यभवनों का घेराव करेगी

राजस्थान में सियासी उठापटक का आज 17वां दिन है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होटल फेयरमोंट में सुबह योग क्लास के बाद विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं। गहलोत यहां रात 11:30 बजे ही पहुंच गए थे। इससे पहले कल देर रात तक चर्चा रही कि वे राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलेंगे, लेकिन यह नहीं हुआ। देर शाम भाजपा के 13 सदस्यों का दल जरूर राजभवन पहुंचा। इस दौरान उन्होंने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जिसमें राजभवन घेराव वाले बयान पर मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।

अपडेट्स...

  • राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा- भाजपा हमारी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने के मुख्यमंत्री के अनुरोध की अनदेखी की है। इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है।
  • न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गहलोत सरकार 31 जुलाई को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहती है। इसके लिए नया ड्रॉफ्ट भी तैयार किया गया है, जो जल्द ही राज्यपाल को भेजा जाएगा।
  • कांग्रेस ने 27 जुलाई को देशभर में राजभवन का घेराव करेगी। इस अभियान को 'प्रजातंत्र के लिए बोलो' नाम दिया गया है।
  • भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि राजभवन में कांग्रेस सरकार ने जो किया वह राजस्थान की राजनीति का निचला स्तर है। यहां कोई शासन नहीं है। जो सत्ता में हैं वे हफ्तों से फाइव स्टार होटल में ठहरे हैं। जनता कई मुद्दों की वजह से परेशान है।

पूनिया ने कहा- गहलोत का बयान गलत, सजा हो सकती है
शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा- राज्य के मुखिया ये चेतावनी देते हैं कि 8 करोड़ जनता राज्यपाल को घेर लेगी। यह गलत है। यह बयान उन्हें (मुख्यमंत्री गहलोत को) आईपीसी की धारा 124 के तहत सजा दिला सकता है। भाजपा के दल ने मुख्यमंत्री के बयान के संबंध में राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा है।

मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए
नेता विपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य के मुखिया हैं। वे खुद कह रहे हैं कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के उल्लंघन के लिए वे जिम्मेदार नहीं होंगे। वे जिम्मेदार नहीं होंगे, तो कौन होगा? उन्हें ऐसी भाषा का उपयोग करने के लिए इस्तीफा देना चाहिए।

5 सवालों से समझिए... राजस्थान की सियासत की पूरी तस्वीर
1. हाईकोर्ट के फैसले का पायलट खेमे पर क्या असर होगा?

जवाब: हाईकोर्ट ने 19 विधायकों को नोटिस मामले में यथास्थिति को कहा है। मायने यह कि अभी उनकी सदस्यता रद्द नहीं होगी। आदेश का सोमवार को सुप्रीम कोर्ट रिव्यू करेगा।
2. क्या गहलोत सरकार के पास बहुमत है?
जवाब: गहलोत सरकार ने राजभवन ले जाकर विधायकों की परेड करवाई। इसमें 102 का आंकड़ा दिया है। इनमें कांग्रेस के 88, निर्दलीय 10, बीटीपी के 2, सीपीएम और आरएलडी का एक-एक विधायक है। यदि इतने विधायक फ्लोर टेस्ट में सरकार का साथ देते हैं तो सरकार बहुमत हासिल कर लेगी। यदि दो-पांच विधायक भी इधर-उधर हुए तो सरकार खतरे में है।
3. क्या राज्यपाल सोमवार को विशेष सत्र बुलाएंगे?
जवाब: राज्यपाल ने शुक्रवार रात कैबिनेट से कोरोना का हवाला देने और जल्दबाजी में विशेष सत्र बुलाने जैसे 6 सवाल पूछे थे। इससे लगता है कि राज्यपाल सोमवार को या इमरजेंसी में सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देंगे। यदि कैबिनेट ने दूसरी बार राजभवन काे प्रस्ताव भेजा तो नियमानुसार राज्यपाल मना भी नहीं कर सकते। लेकिन तुरंत सत्र की गुंजाइश नहीं लग रही है।
4. आखिर सत्र क्यों बुलाना चाहते हैं गहलोत?
जवाब: सत्र बुलाना तो बहाना है। मंशा बिल लाकर व्हिप जारी करना है। जो बागी बिल के खिलाफ वोट देंगे उनकी सदस्यता रद्द होगी। इसीलिए राज्यपाल को जो पत्र दिया, उसमें फ्लोर टेस्ट का उल्लेख नहीं। 19 की विधायकी गई तो बहुमत को 92 विधायक चाहिए जो सरकार के पास हैं।
5. भाजपा की सत्र बुलाने में रुचि क्यों नहीं है?
जवाब: भाजपा नहीं चाहती कि सरकार सत्र बुलाकर पायलट गुट पर एक्शन ले। वह चाहती है कि 19 विधायकों की सदस्यता बची रहे और जरूरत पड़े तो सरकार को हिला सकें।

सियासी संग्राम से पहले विधानसभा में स्थिति
107 कांग्रेस
...और अब ये हालात

गहलोत के पक्ष में: 88 कांग्रेस, 10 निर्दलीय, 2 बीटीपी, 1 आरएलडी, 1 माकपा यानी कुल 102
पायलट गुट: 19 बागी कांग्रेस, 3 निर्दलीय। कुल 22
भाजपा प्लस: 72 भाजपा, 3 आरएलपी। कुल 75
माकपा 1 : गिरधारी मईया फिलहाल तटस्थ।

राजस्थान के सिायासी ड्रामे से जुड़ी ये खबरें भी आप पढ़ सकते हें...

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Rajasthan News Update | Ashok Gehlot Sachin Pilot Camp MLA Latest News | Does Gehlot Rajasthan Government have a majority? All You Need To Know


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मोदी आज 67वीं बार ‘मन की बात’ करेंगे, कोरोना काल में आने वाले त्योहारों में सावधानियों पर चर्चा कर सकते हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को 67वीं बार मन की बात कार्यक्रम में देश की जनता को संबोधित करेंगे। कोरोना महामारी के बीच अगस्त में ईद, रक्षाबंधन और जन्माष्टमी आने वाले हैं। इसको
लेकर मोदी लोगों से सावधानियां बरतने की चर्चा कर सकते हैं।

पिछली बार चीन को करारा जवाब दिया था
पिछले महीने 28 जून को मोदी ने मन की बात में गलवान झड़प पर चीन को करारा जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब
मिला। हमें दोस्ती निभाना और आंखों में आंखें डालकर जवाब देना आता है। लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है।

बच्चे घर में दादा-दादी का इंटरव्यू करें
मोदी ने यह भी कहा कि कोरोना की वजह से कई लोगों ने मानसिक तनाव जिंदगी गुजारी। वहीं कुछ लोगों ने लिखा कि कैसे उन्होंने इस दौरान छोटे-छोटे पलों को परिवारों के साथ बिताया। मेरे नन्हें साथियों से भी मैं आग्रह करना चाहता हूं। माता-पिता से पूछकर मोबाइल उठाइए और दादा-दादी और नाना-नानी का इंटरव्यू कीजिए। पूछिए, उनका बचपन में रहन-सहन कैसा था, क्या खेलते थे, मामा के घर जाते थे, त्योहार कैसे मनाते थे। उन्हें 40-50 साल पीछे जिंदगी में जाना आनंद देगा और आपको तब की चीजें सीखने को मिलेंगी।



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Modi will do 'Mann ki Baat' for 67th time today, can discuss precautions in festivals coming in the Corona period


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इस साल का पहला तूफान हन्ना टेक्सॉस की तरफ बढ़ा, 145 किमी. प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चल रहीं, भारी बारिश

अमेरिका के टेक्सॉस राज्य में इस साल के पहले अटलांटिक तूफान हन्ना ने परेशानियां बढ़ा दी हैं। यह राज्य कोरोनावायरस से भी काफी प्रभावित रहा है। तूफान की वजह से यहां शनिवार दोपहर के बाद अचानक मौसम बदला। 145 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। और तेज बारिश हुई। कई हिस्सों में बाढ़ का खतरा है।

मौसम विभाग ने क्या कहा

यूएस नेशनल हरिकेन सेंटर और मौसम विभाग ने अलग-अलग बयान जारी किए। मौसम विभाग ने कहा- कैटेगरी 1 का तूफान टेक्सॉस के दक्षिणी हिस्से से टकरा चुका है। लोगों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। पेड्रे आइलैंड्स और मैक्सिको के कुछ हिस्सों तक इसका असर रहेगा। इसकी वजह से भारी बारिश और जानलेवा बाढ़ का खतरा है। लोगों को काफी सावधानी बरतनी होगी।

समुद्र की तरफ बिल्कुल न जाएं

हरिकेन सेंटर ने कहा- हम लोगों को आगाह करते हैं कि वो किसी भी समुद्री किनारे पर न जाएं। 6 फीट से ज्यादा ऊंची लहरें उठ रही हैं। तेज हवाओं के चलते ये बेहद खतरनाक साबित हो सकती हैं। सोमवार तक 45 सेंटीमीटर तक बारिश होने का खतरा है। इस दौरान लोगों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।

अलर्ट पर टीमें

लोकल एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि तूफान के दौरान बिजली की सप्लाई कई जगह बंद की जा सकती है क्योंकि इससे लाइनें टूटने का खतरा है। लिहाजा, लोग इसके लिए तैयार रहें। रेस्क्यू टीमें कई जगहों पर तैनात की गई हैं। इसके अलावा हेल्थ डिपार्टमेंट को भी अलर्ट पर रखा गया है। प्रशासन ने कहा है कि सोमवार तक ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।

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फोटो शनिवार की है। टेक्सॉस के क्रिस्टी सिटी बीच पर कुछ लोग टहलते नजर आए। शाम को यहां मौसम तेजी से बदला। 145 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और तेज बारिश का दौर शुरू हो गया।


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प्रधानमंत्री ओली के विरोधी प्रचंड ने कहा- प्रधानमंत्री जिद पर अड़े हैं, पार्टी में टूट की आशंका अब सबसे ज्यादा

नेपाल की सियासत में कुछ दिन की शांति के बाद फिर घमासान शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की इस्तीफे की मांग पर अड़े मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने माना है कि सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में टूट का खतरा बढ़ रहा है। प्रचंड के मुताबिक, ओली इस जिद पर अड़े हुए हैं कि वे पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद में से किसी पद से इस्तीफा नहीं देंगे। यही विवाद की सबसे बड़ी जड़ है।

दो हिस्से में बंट सकती है पार्टी
नेपाल में सियासी घमासान करीब दो महीने से जारी है। लेकिन, पिछले हफ्ते इस तरह के संकेत मिले थे कि प्रचंड और ओली समझौते के करीब हैं। ये भी साफ है कि दोनों नेताओं पर समझौते का दबाव है। लेकिन, शनिवार को प्रचंड के बयान से साफ हो जाता है कि दोनों नेता अलग राह पर चल रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी में फूट का खतरा अब करीब दिखने लगा है।

प्रचंड का बड़ा आरोप
पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने ओली पर गंभीर आरोप लगाया। इसके सबूत भी दिखाए। प्रचंड ने कहा- एक तरफ तो प्रधानमंत्री सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं, दूसरी तरफ वो अलग पार्टी बनाने की तैयारी कर रहे हैं। हम इसे कामयाब नहीं होने देंगे। ओली ने कुछ लोगों को साथ लेकर सीपीएन- यूएमएल नाम से नेशनल इलेक्शन कमीशन में एक नई पार्टी रजिस्टर करा ली है।

देश का नुकसान
प्रचंड ने आगे कहा- यह किस तरह की सियासत है। नई पार्टी बनाने की हरकत तब की गई जब ओली से मेरी बातचीत चल रही थी। क्या इससे ये साफ नहीं हो जाता कि एक तरफ तो वे समझौते की बात करते हैं, दूसरी तरफ सत्ता में बने रहने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे सिर्फ पार्टी नहीं बल्कि देश का भी काफी नुकसान हो रहा है। देश के विकास के लिए राजनीतिक स्थिरता सबसे जरूरी है। हमें लोगों के भरोसे को कायम रखना होगा।

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फोटो नेपाल में प्रधानमंत्री के मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री ने अपने समर्थकों के जरिए इलेक्शन कमीशन में एक नई पार्टी का रजिस्ट्रेशन करा लिया है। (फाइल)


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24 घंटे में रिकॉर्ड 36327 मरीज ठीक हुए, बीते हफ्ते 2 लाख से ज्यादा संक्रमितों की अस्पताल से छुट्‌टी हुई, अब कुल 13.85 लाख केस

देश में बीते 24 घंटे में कोरोना के 48 हजार 479 केस मिले। इसके साथ ही कुल संक्रमितों की संख्या 13.85 लाख के पार हो गई। 692 लोगों की मौत हुई, जबकि 36 हजार 327 की अस्पताल से छुट्‌टी भी हुई। यह एक दिन में अस्पताल ठीक होने वाले मरीजों की सबसे बड़ी संख्या है। इससे पहले 23 जुलाई को 33 हजार 326 लोग ठीक हुए थे। अब तक देश में कुल 8 लाख 86 हजार से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं।

बीते एक हफ्ते में 3 लाख 7 हजार 622 नए केस आए, लेकिन इसी दौरान 2 लाख 8 हजार 665 मरीज ठीक भी हो गए, जिससे संक्रमितों की संख्या में 93 हजार 860 की बढ़ोतरी हुई।

तारीख ठीक हुए संक्रमित बढ़े मौत
19 जुलाई 22730 16827 675
20 जुलाई 24303 11905 596
21 जुलाई 27590 10908 671
22 जुलाई 31875 12589 1130
23 जुलाई 33326 14361 755
24 जुलाई 32514 15610 762
25 जुलाई 36327 11660 692

कुल 208665 93860 5281

5 राज्यों का हाल

मध्य प्रदेश: 24 घंटे में यहां 716 मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या 26 हजार 926 हो गई। इनमें 18 हजार 488 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि 799 मरीजों की मौत हो चुकी है। 7639 मरीजों का इलाज चल रहा है। इंदौर में संक्रमण में फिर एक बार तेजी आई है। यहां बीते 24 घंटे में 153 नए केस आए हैं।

इसके बाद भोपाल में 132 मरीज बढ़े। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

महाराष्ट्र: पिछले 24 घंटे में राज्य में संक्रमण के 9251 नए मामले सामने आए हैं। इसके बाद पॉजिटिव केस की संख्या बढ़कर 3 लाख 66 हजार 368 हो गई है। इसमें से 1 लाख 45 हजार 481 एक्टिव केस हैं और इलाज के बाद 2 लाख 7 हजार 194 लोग अब तक रिकवर हो चुके हैं। शनिवार को 257 लोगों की मौत हो गई।

मुंबई में कल 1090 मामले सामने आए। 52 लोगों की मौत हुई। 617 लोग ठीक हुए। अब शहर में संक्रमितों की संख्या 1 लाख 7 हजार 981 हो गई है। अब तक यहां 6033 लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं।

राजस्थान: बीते 24 घंटे में 1120 नए मामले सामने आए। पिछले एक हफ्ते में यह छठवीं बार है जब 900 से ज्यादा केस मिले। शुक्रवार को 958 रोगी मिले थे। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा अब 35 हजार 298 पर पहुंच गया है। इनमें 25 हजार 306 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 613 मरीजों की मौत हो चुकी है। 9379 लोगों का अभी इलाज चल रहा है।

बिहार: बीते 24 घंटे में रिकॉर्ड 2803 संक्रमितों की पहचान की गई। हालांकि, सैम्पल के पेंडिंग केस क्लियर होने से यह आंकड़ा बढ़ा है। इनमें 24 जुलाई के 1021, जबकि 23 जुलाई और इससे पहले के 1782 पेंडिंग केसों को शामिल किया गया है। यहां एक दिन पहले 1820 संक्रमित मिले थे। शनिवार को 11 कोरोना संक्रमित मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई।

उत्तरप्रदेश: बीते 24 घंटे में रिकॉर्ड 2984 संक्रमित मिले। 2191 मरीज ठीक हुए। 39 लोगों की मौत मौत हुई। राज्य में इस बीमारी से अब तक 1387 लोग जान गंवा चुके हैं। बीते 24 घंटे में राज्य में सबसे ज्यादा 57 हजार 68 सैम्पल की जांच की गई। राज्य में इस महीने 40 हजार 902 मरीज मिल चुके हैं, जबकि मार्च से जून तक सिर्फ 23 हजार 70 केस आए थे थे।



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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने 5 साल पहले उड़ा दिया था पुल, तब से सीढ़ी के सहारे आवाजाही करते हैं 100 गांव के लोग

ये है तीन जिलाें के 100 गांवाें काे जाेड़ने वाला झारखंड के हजारीबाग जिले के टाटीझारिया गांव का पुल। पांच साल पहले नक्सलियाें ने 300 मीटर लंबे इस पुल के दाे स्पैन काे उड़ा दिया था। ग्रामीणाें ने टूटे पुल से सीढ़ी जाेड़ी और आना-जाना शुरू कर दिया। वह सीढ़ी से बाइक भी ले जाते हैं। नक्सली नहीं चाहते कि पुल बने। हजारीबाग, रामगढ़ और बाेकाराे जिला के टाटीझरिया, आंगो, चुरचू, विष्णुगढ़, झुमरा पहाड़, बेड़म, परतंगा, मंगरपट्टा, चोंचा, जुल्मी, चुड़को, कंदागढ़ा, आदि गांवाें काे जाेड़ने वाला पुल तीन करोड़ में बेडम नदी पर बनाया गया था।

यमुना में मछली पकड़ने पहुंचे मछुआरे

कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में लागू किए गए सख्त लॉकडाउन में दिल्ली की यमुना नदी बिल्कुल साफ हो गई थी। लेकिन अनलॉक-2 के दौरान कुछ ही दिनों में दोबारा दूषित हो गई। शनिवार को यमुना में केमिकल से बने झाग के ऊपर मछुआरे मछली पकड़े के लिए जाल फेंकते हुए नजर आए।

पटरी पर दौड़ती ट्रेन के आगे से बच्चे लगाते हैं छलांग

बिहार के सीवान जिले में अलग-अलग स्थानों पर नदियों पर बने रेल पुल से बच्चे नहाने के लिए जानलेवा छलांग लगा रहे हैं। आश्चर्य यह है कि जिस वक्त ये बच्चे इस घटना को अंजाम दे रहे होते हैं उस वक्त ट्रेन पटरी पर बड़ी तेजी से दौड़ती आ रही होती है। हैरत की बात यह है कि ये बच्चे ट्रेन के बिल्कुल नजदीक आ जाने का इंतजार करते हैं और फिर वो एक-एक कर नदी में छलांग लगा देते हैं। इस लापरवाही की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

सब कुछ निगलने को बेताब है गंडक

फोटो बिहार के गोपालगंज जिले के दुबौली की है। यहां गंडक नदी की तबाही से लगभग 100 गांव प्रभावित हैं। पीड़ित परिवार बच्चों व मवेशियों के साथ रेलवे ट्रैक और हाइवे पर रात गुजारने को विवश हैं। इसी बीच शनिवार को बाढ़ में घिरी नीलगायों का झुंड 8 किलोमीटर पानी में तैरकर स्थान की तलाश में दुबौली पहुंचा।

सेना ने हेलीकॉप्टर से पीड़ितों के लिए गिराए फूड पैकेट

बिहार के 10 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। इससे करीब 10 लाख लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सबसे ज्यादा 3.30 लाख लोग दरभंगा में प्रभावित हैं। बाढ़ का प्रमुख कारण नदियों पर बने बांधों को टूट जाना रहा है। गंगा और सोन नदी को छोड़कर राज्य की लगभग सभी नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। खासकर गंडक, बागमती, अधवारा भारी उफान पर हैं। बाढ़ और बिजली गिरने से राज्य में अब तक 115 लोगों की मौत हो चुकी है।

पीपीई किट, मास्क और ग्लव्स खुले में न फेकें

रांची में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, प्रशासन, पुलिस के साथ स्वास्थ्य विभाग लगातार लापरवाही बरत रहा है। सदर अस्पताल में जहां-तहां कचरा फैला है। पूरा कैंपस संक्रमित हो चुका है। दूसरी ओर, अस्पताल परिसर में ही पीपीई किट, ग्लव्स, इंजेक्शन और पानी की बोतलें फेंक दी हैं। इससे कोई भी संक्रमित हो सकता है। आईसीएमआर ने सख्त आदेश दिया है कि पीपीई किट, मास्क और ग्लव्स को खुले में नहीं फेंकना है। प्रयोग करने के बाद इसे जमीन के 3 फीट नीचे गड्ढे में गाड़ देना है या जला दें।

कोरोना काल का सफल आंदोलन

महाराष्ट्र में सांगली के भोसे गांव के लोगों ने येलम्मा मंदिर के पास 400 साल पुराने बरगद के पेड़ को कटने से बचा लिया। 400 वर्ग मीटर में फैला पेड़ रत्नागिरी-सोलापुर स्टेट हाईवे के बीच में आ रहा था। पेड़ कटने वाला था, तभी 20 ग्रामीण पेड़ घेरकर खड़े हो गए। चिपको आंदोलन हुआ। ऑनलाइन पिटीशन में 14 हजार से ज्यादा लोगों का समर्थन मिल गया। आखिरकार मंत्रालय को हाईवे का नक्शा बदलने का फैसला करना पड़ा।

हैदरनगर में गरीब की झोपड़ी पर आकाशीय बिजली

फोटो झारखंड के पलामू जिले के सजवन गांव की है। यहां स्थित सोन नदी के तट पर आसमानी बिजली (वज्रपात) से जितेंद्र साव की एक गाय की मौत हो गई, जबकि सोन नदी के तट पर ही स्थित सूर्य मंदिर के समीप पशुओं के लिए फूस से बनी 3-4 झोपड़ियां जलकर खाक हो गईं। ग्रामीणों ने आग बुझाने का प्रयास कर अन्य झोपड़ियों को जलने से बचा लिया।



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Naxalites blew the bridge in Chhattisgarh 5 years ago, since then 100 people of the village move using the ladder


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20 साल में कितना बढ़ा भारत-पाकिस्तान का डिफेंस पर खर्च? दोनों सेनाओं में कौन कहां कितना भारी

आज विजय दिवस है। करगिल युद्ध में भारत की जीत के 21 साल हो चुके हैं। इन 21 सालों में कई बार भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति बनी। पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से निपटने के लिए भारत ने पिछले 20 साल में अपने डिफेंस बजट में 5 गुना की बढ़ोत्तरी की है। पाकिस्तान ने भी इन 20 सालों में अपना डिफेंस बजट तीन गुना कर लिया। हालांकि, आज भी उसका कुल डिफेंस बजट भारत के डिफेंस बजट का सिर्फ 14% है।

करगिल के बाद दोनों देशों का डिफेंस बजट कैसे बढ़ा? आर्मी, नेवी, एयरफोर्स में दोनों की ताकत कैसी है? न्यूक्लियर और मिसाइल पावर में कौन आगे है? इस रिपोर्ट में हम इन सभी सवालों का जवाब देंगे।

भारत और पाकिस्तान दोनों के पास न्यूक्लियर वेपन हैं। भारत की 'नो फर्स्ट यूज' की परमाणु नीति है। वहीं, पाकिस्तान इस नीति को नकारता है। फिलहाल दोनों के पास लगभग बराबर न्यूक्लियर वॉर-हेड हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक, इस वक्त भारत के पास करीब 150 तो पाकिस्तान के पास 160 न्यूक्लियर वॉर-हेड हैं।

करगिल के वक्त हमारा डिफेंस बजट जितना था, पाकिस्तान का आज भी उतना बजट नहीं

करगिल के वक्त भारत का डिफेंस बजट 104 हजार करोड़ रुपए का था। वहीं, पाकिस्तान का डिफेंस बजट 23 हजार करोड़ रुपए का था। 20 साल में पाकिस्तान का डिफेंस बजट बढ़कर 77 हजार करोड़ हो गया। यानी, आज भी पाकिस्तान का डिफेंस बजट 1999 के हमारे डिफेंस बजट से 27 हजार करोड़ कम है।

20 साल में भारत ने आर्म्ड फोर्स में 7 लाख का इजाफा किया, पाकिस्तान सिर्फ एक लाख बढ़ा पाया

भारत आर्म्ड फोर्स के हिसाब से पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा बड़ा है। 1999 में भारत की आर्म फोर्सेज की संख्या जहां 23 लाख के आसपास थी। 2019 में यह बढ़कर 30 लाख से ऊपर हो गई। यानी, 20 साल में 7 लाख का इजाफा। वहीं, पाकिस्तान की आर्म्ड फोर्सेज की संख्या 1999 में 8 लाख थी जो अब 9 लाख ही है।

भारत के पास 14,44,000 एक्टिव सेना के अलावा 21,00,000 रिज़र्व सेना भी है जो किसी भी इमरजेंसी के समय एक्टिव सेना में मर्ज हो सकती है। जबकि पाकिस्तान के पास 6,54,000 एक्टिव सेना और 5,50,000 रिज़र्व सेना है। इस लिहाज से भारत की आर्मी पाकिस्तान की आर्मी से तीन गुना से ज्यादा पावरफुल है।

भारत की अग्नि-3 पाकिस्तान के शाहीन से दो गुना ताकतवर

सेंटर फॉर स्ट्रेटिजिक स्टडीज के मुताबिक, भारत के पास 9 बैलिस्टिक मिसाइल हैं जिसमें अग्नि-3 भी है। अग्नि-3 भारत की सबसे आधुनिक और ताकतवर मिसाइल है। जो पाकिस्तान के सबसे ताकतवर मिसाइल शाहीन-2 की तुलना में ज्यादा ताकतवर है। भारत की अग्नि-3 न्यूक्लियर बैलिस्टिक के साथ 3000 से 5000 किलोमीटर तक मार कर सकती है, जबकि पाकिस्तान की शाहीन-2 सिर्फ 2000 किलोमीटर तक मार कर सकती है।



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India Army Vs Paksitan News: Kargil Vijay Diwas 2020 | Know Whose Army Is Powerful India Or Pakistan, Comparison Military Strength and Defence Budget


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कैप्टन बत्रा तो कहकर गए थे कि या तो तिरंगा फहरा के आऊंगा या तिरंगे में लिपटकर, कैप्टन अनुज ने कहा था- जब तक आखिरी दुश्मन है, मैं सांस लेता रहूंगा

आज का दिन हम सभी भारतीयों के लिए गौरव का दिन है, शौर्य दिवस है, विजय दिवस है। ठीक 21 साल पहले 26 जुलाई 1999 को भारतीय जांबाजों ने करगिल फतह किया था और पाकिस्तान को पटखनी दी थी। करीब दो महीने तक चले युद्ध में भारत के 527 जवानों ने अपनी शहादत दी थी। आज देश इन अमर जवानों की शहादत को नमन कर रहा है, उनकी शौर्य गाथा का गुणगान कर रहा है। इस मौके पर पढ़िए करगिल के 10 शूरवीरों की कहानी.....
1. कैप्टन सौरभ कालिया
कैप्टन सौरभ कालिया करगिल वॉर के पहले शहीद थे। उनके साथ 5 और जवानों ने भी कुर्बानी दी थी। दरअसल 3 मई 1999 को एक चरवाहे ने करगिल की ऊंची चोटियों पर कुछ पाकिस्तानी सैनिकों को देखा और इंडियन आर्मी को जानकारी दी। इसके बाद 15 मई को कैप्टन कालिया अपने 5 जवानों के साथ बजरंग पोस्ट की ओर निकल पड़े। वहां उन्होंने दुश्मनों से जमकर मुकाबला किया।

लेकिन, जब उनके एम्युनेशन खत्म हो गए तो पाकिस्तान ने उन्हें बंदी बना लिया। इस दौरान पाकिस्तानियों ने उन्हें कई तरह की यातनाएं दी और अंत में गोली मारकर हत्या कर दी। 22 दिन बाद 9 जून को कैप्टन कालिया का शव भारत को पाकिस्तान ने सौंपा था। उस समय उनके चेहरे पर न आंखें थीं न नाक-कान थे। सिर्फ आईब्रो बची थी जिससे उनकी बॉडी की पहचान हुई।

पढ़िए पूरी कहानी

2. कैप्टन विक्रम बत्रा.

कैप्टन विक्रम बत्रा एक ऐसा योद्धा जिससे दुश्मन कांपते थे, एक ऐसा योद्धा जिसकी बहादुरी की दुश्मन भी तारीफ करते थे, एक ऐसा योद्धा जो एक चोटी पर तिरंगा फहराने के बाद कहता था ' ये दिल मांगे मोर' और दूसरे मिशन के लिए निकल पड़ता था। विक्रम बत्रा की 13 जम्मू एंड कश्मीर रायफल्स में 6 दिसम्बर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर ज्वाइनिंग हुई थी। दो साल के अंदर ही वो कैप्टन बन गए।
करगिल के दौरान उन्होंने 5 पॉइंट्स को जीतने में अहम भूमिका निभाई थी। लड़ाई के दौरान उन्होंने खुद की जान की परवाह किए बिना कई साथियों को बचाया था। 7 जुलाई 1999 को एक साथी को बचाने के दौरान उन्हें गोली लग गई और वे शहीद हो गए। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उनके बारे में तब के इंडियन आर्मी चीफ वीपी मलिक ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापस आते तो एक दिन मेरी जगह लेते।
3. सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव
सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव की बहादुरी की कहानी बड़ी दिलचस्प है। उन्होंने महज 19 साल की उम्र में 17 हजार फीट ऊंची टाइगर हिल को पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ाया था। युद्ध के दौरान योगेंद्र को 15 गोलियां लगी थीं, ये बेहोश हो गए थे। पाकिस्तानियों को लगा इनकी मौत हो गई है।
लेकिन, कन्फर्म करने के लिए दो गोलियां और दाग दी, फिर भी ये बच गए। उसके बाद उन्होंने 5 पाकिस्तानियों को मारा था। योगेंद्र को उनकी बहादुरी के लिए सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

4. मेजर राजेश सिंह अधिकारी

मेजर राजेश सिंह का जन्म 25 दिसंबर 1970 को उत्तराखंड के नैनीताल में हुआ था। 11 दिसंबर 1993 को वे इंडियन मिलिट्री अकेडमी से ट्रेनिंग के बाद इन्फेंट्री रेजीमेंट का हिस्सा बने। करगिल युद्ध के दौरान वे 18 ग्रेनेडियर का हिस्सा थे। 29 मई 1999 को भारतीय फौज ने तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया था।

इसके बाद 30 मई को मेजर राजेश अधिकारी की टीम को तोलोलिंग से आगे की पोस्ट को दुश्मन के कब्जे से छुड़ाने की जिम्मेदारी मिली। राजेश अपनी टीम को लीड कर रहे थे। इस दौरान उन्हें गोली लगी लेकिन उन्होंने पीछे जाने से इनकार कर दिया। गोली लगने के बाद भी वे लड़ते रहे और तीन दुश्मनों को मार गिराया।

30 मई 1999 को वे शहीद हो गए। उन्हें मरणोपरांत दूसरे सर्वोच्च भारतीय सैन्य सम्मान महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था

5. मेजर विवेक गुप्ता

मेजर विवेक गुप्ता का जन्म देहरादून में हुआ था। उनके पिता कर्नल बीआरएस गुप्ता फौजी थे। एनडीए की परीक्षा पास करने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग 13 जून 1992 को 2 राजपूताना राइफल्स में हुई।करगिल युद्ध के दौरान उनकी टीम को प्वाइंट 4590 को दुश्मन के कब्जे से छुड़ाने की जिम्मेदारी मिली।

12 जून को उनकी टीम रवाना हो गई। दुश्मन ऊंचाई पर थे, उन्हें पता चल गया कि भारतीय फौज आ गई है। दोनों तरफ से जमकर फायरिंग हुई। मेजर गुप्ता को दो गोलियां लगी लेकिन उसके बाद भी उन्होंने तीन दुश्मनों को मार गिराया और पाकिस्तान के कई बंकरों को तबाह कर दिया। 13 जून 1999 को मेजर विवेक गुप्ता शहीद हो गए। उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

6. मेजर डीपी सिंह

मेजर डीपी सिंह एक ऐसा योद्धा जिसने कभी हार मानना स्वीकार नहीं किया। उनके जुनून और जज्बे के सामने पहाड़ सी मुश्किलें भी छोटी पड़ गईं। करगिल युद्ध के दौरान वो बुरी तरह घायल हो थे। उनका एक पैर बुरी तरह जख्मी हो चुका था, बाकी शरीर पर 40 से ज्यादा घाव थे।

शरीर से खून के फव्वारे उड़ रहे थे। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया लेकिन, फिर भी वो बच गए। आज वे ब्लेड रनर नाम से पूरी दुनिया में फेमस हैं। चार बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं।

पढ़िए पूरी कहानी

7. कैप्टन मनोज पांडे
कैप्टन मनोज पांडे का जन्म यूपी के सीतापुर जिले में 25 जून 1975 को हुआ था। 12 वीं के बाद उन्होंने एनडीए की परीक्षा पास की और ट्रेनिंग के बाद 11 गोरखा राइफल्स में पहली पोस्टिंग मिली। करगिल युद्ध के दौरान उन्हें 3 जुलाई 1999 को खालुबार चोटी पर कब्जा करने का टारगेट मिला।
चोटी पर पहुंचने के बाद उन्होंने पाकिस्तानियों के साथ जमकर मुकाबला किया और एक के बाद एक कई दुश्मनों को मार गिराया। इस दौरान उन्हें गोली लग गई लेकिन उसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अंतिम सांस लेने से पहले पाकिस्तान के चार बंकरों को तबाह कर दिया। 3 जुलाई 1999 को वे शहीद हो गए। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया।
8. कैप्टन नवीन नागप्पा
कैप्टन नवीन नागप्पा करगिल युद्ध के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। करीब 21 महीने दिल्ली अस्पताल में भर्ती रहे। इस दौरान 8 सर्जरी हुई। उसके बाद उन्हें सर्विस के लिए मेडिकली अनफिट बता दिया गया। वे सिर्फ 6 महीने ही सर्विस में रह सके थे। इसके बाद उन्होंने 2002 में इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज की परीक्षा पास की। आज वे मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस में बैंगलुरू के आर्मी बेस कैम्प में आज सुपरिटेंडेंट इंजीनियर हैं।
9. कैप्टन अनुज नैय्यर
अनुज नैय्यर का जन्म 28 अगस्त 1975 को दिल्ली में हुआ था। पिता एस के नैय्यर दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे जबकि उनकी मां दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस की लाइब्रेरी में काम करती थीं। 12 वीं के बाद अनुज ने एनडीए की परीक्षा पास की और ट्रेनिंग के बाद 17 जाट रेजीमेंट में भर्ती हुए। करगिल के दौरान अनुज ने दुश्मनों से जमकर मुकाबला किया।
पॉइंट 4875 पर तिरंगा फहराने में अनुज ने अहम भूमिका निभाई। महज 24 साल की उम्र में अनुज ने पाकिस्तान के कई बंकरों को तबाह कर दिया और अकेले 9 दुश्मनों को मार गिराया। 7 जुलाई 1999 को अनुज शहीद हो गए। उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। अनुज के बारे में एक दिलचस्प कहानी है।
अनुज की सगाई हो गई थी, जल्द ही उनकी शादी भी होने वाली थी। जब वे करगिल में लड़ाई के लिए जा रहे थे तो उन्होंने अपनी अंगूठी अपने कमांडिंग ऑफिसर को यह कहते हुए दे दिया कि अगर मैं नहीं लौटूं यह रिंग मेरी मंगेतर तक पहुंचा दीजिएगा। उन्होंने कहा था कि मैं नहीं चाहता कि मेरी यह अंगूठी दुश्मन के हाथ लगे।
10. कैप्टन विजयंत थापर
कैप्टन विजयंत थापर का जन्म 26 दिसंबर 1976 में हुआ था। उनका फैमिली बैक ग्राउंड आर्मी से था। परदादा डॉ. कैप्टन कर्ता राम थापर, दादा जेएस थापर और पिता कर्नल वीएन थापर सब के सब फौज में थे। दिसंबर 1998 में कमीशन के बाद 2 राजपूताना राइफल्स में पोस्टिंग मिली।
एक महीना ग्वालियर रहे और फिर कश्मीर में एंटी इंसर्जेंसी ऑपरेशन के लिए चले गए। करगिल युद्ध में उन्हें तोलोलिंग पर कब्जा करने का टारगेट मिला। उन्होंने पाकिस्तान के कई बंकर तबाह कर दिया। लंबी लड़ाई चली और 13 जून 1999 को तोलोलिंग पर भारत ने कब्जा किया। यह भारत की पहली जीत थी।
इसके बाद उन्हें 28 जून 1999 को नोल एंड लोन हिल पर ‘थ्री पिंपल्स’ से पाकिस्तानियों को खदेड़ने की ज़िम्मेदारी मिली। इस युद्ध में भारत ने अपने कई सैनिकों को खोया, लेकिन 29 जून को हमारी फौज ने थ्री पिंपल्स पर तिरंगा फहराया था। कैप्टन थापर 29 जून 1999 को शहीद हो गए। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र दिया गया था। ​​​​​​
विजयंत ने अपने परिवार को लिखे आखिरी खत में कहा था कि मैं जहां लड़ रहा हूं उस जगह को आकर जरूर देखना। बेटे की बात रखने के लिए आज भी उनके पिता हर साल उस जगह पर जाते हैं जहां विजयंत ने आखिरी सांसें ली थी।

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कहानी टाइगर हिल जीतने वाले की / मेरे सभी साथी शहीद हो गए थे, पाकिस्तानियों को लगा मैं भी मर चुका हूं, उन्होंने मेरे पैरों पर गोली मारी, फिर सीने पर, जेब में सिक्के रखे थे, उसने बचा लिया

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बीटेक की पढ़ाई की, फिर यूट्यूब पर बिजनेस आइडिया खोजे, अब केंचुए से खाद बनाकर कमा रहीं एक से डेढ़ लाख रुपए महीना

मेरठ में रहने वालीं पायल अग्रवाल बीटेक करने के बाद किसी सरकारी नौकरी के लिए कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रहीं थीं। बैंक पीओ, क्लर्क की एग्जाम दे भी चुकी थीं लेकिन खास सफलता नहीं मिल पा रही थी। 2016 में बीटेक कम्पलीट करने के बाद अगले दो साल तक कॉम्पीटिटिव एग्जाम की तैयारी में लगी रहीं, लेकिन एग्जाम क्रेक नहीं कर पाई।

पायल पढ़ाई के दौरान ही यूट्यूब पर छोटे-मोटे बिजनेस के आइडिया ढूंढ़ती थीं। कुछ ऐसा जिसमें लागत कम आए और काम शुरू किया जा सके। यहीं से उन्हें वर्मी-कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) बनाने का आइडिया आया। आज यह काम करते हुए दो साल से ज्यादा हो चुके हैं। महीने में एक से डेढ़ लाख रुपए का प्रॉफिट है।

जानिए इस बिजनेस को शुरू करने की पूरी कहानी, पायल की ही जुबानी।

कैसे हुई शुरुआत, जानकारी कहां से मिली

पायल की उम्र अभी 27 साल है। जब वो 22 साल की थीं, तभी से घर में ही खाद बनाती थीं। यह खाद किचन वेस्ट से तैयारी होती थी। किचन में जो सब्जी के छिलके, फलों के छिलके निकलते थे, उन्हें एक कंटेनर में डाल दिया करती थीं। पंद्रह दिनों तक कचरा इकट्टा होता रहता था और उसमें पानी डालकर उसे सड़ने देती थीं, इसके बाद उसमें गोबर मिला देती थीं और महीनेभर बाद खाद तैयार हो जाती थी।

हालांकि, यह खाद सिर्फ घर के गमलों के लिए होती थी। कुछ आसपास के लोग भी ले जाते थे। इस बारे में पायल ने स्कूल में पढ़ा था। सातवीं-आठवीं क्लास में ही वर्मी कम्पोस्ट बनाने के बारे में पढ़ा था तो बाद में किचन की कचरा देखकर लगा कि क्यों न खाद बना दीजिए। इस समय तक उनका वर्मी कम्पोस्ट का बिजनेस करने का कोई प्लान नहीं था।

पायल ने ढाई साल पहले यह बिजनेस शुरू किया था। यूट्यूब से उन्होंने यूनिट लगाने के बारे में सोचा।

इंजीनियरिंग करने के बाद भी जब गवर्नमेंट जॉब नहीं मिल पाई तो यूट्यूब पर बिजनेस के बारे में सर्च करना शुरू किया। तभी वर्मी कम्पोस्ट बनाने वाले वीडियो देखे। 2016 में गर्मी की छुट्टियों में मौसी के घर राजस्थान गईं थीं, वहां केंचुए की यूनिट थी। वहां से एक किलो केंचुआ खरीदकर ले आईं और गोबर मिलाकर खाद बनाई।

हालांकि, तब तक भी पायल ने इसका बिजनेस करने का नहीं सोचा था, वो तो अपने शौक से कर रही थीं और कॉम्पीटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रही थीं। लेकिन, दो साल की पढ़ाई के बाद भी सफलता नहीं मिली तो फिर सोचा कि वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने की यूनिट हीडालेंगी। यह कम लागत में लग रही है और वर्मी कम्पोस्ट बनाना भी आसान है। बस यहीं से पायल के बिजनेस की शुरुआत होती है।

कैसे डाली यूनिट, स्टेप बाय स्टेप पूरी प्रॉसेस

जमीन की जरूरत थी लेकिन, खुद के पास जमीन नहीं थी इसलिए मेरठ के पास दतावली गांव में जमीन देखी। जमीन उपजाऊ हो या बंजर फर्क नहीं पड़ता। यदि बंजर होती है तो किराया और कम लगता है इसलिए बंजर जमीन ही ले लेना चाहिए। पायल ने डेढ़ एकड़ जमीन किराये पर ली थी, जिसका सालाना किराया 40 हजार रुपए था।

जमीन कितनी लेना है, ये आइडिया यूट्यूब पर वर्मी कम्पोस्ट वाले वीडियो देखकर आया था। पायल ने प्लान बनाया था कि वो 30 बेड से शुरुआत करेंगी। जहां जमीन ली, वहां पानी की व्यवस्था नहीं थी। इसलिए बोरिंग करवाई। इसमें 20 हजार रुपए का खर्चा आया। बिजली भी नहीं थी। तो घर पर पड़े पुराने जनरेटर को ठीक करवाया और यूनिट पर रखा। इसके अलावा फावड़ा-तगाड़ी जैसे छोटे-छोटे औजार और सामान भी खरीदे।

पायल ने यूट्यूब वीडियो देखने के बाद शुरुआत में 30 बेड लगाने का प्लान बनाया था। 30 बेड मतलब जितने एरिया में पॉलीथिन बिछाकर खाद तैयार की जानी है। एक बेड की लंबाई 30 फीट और चौड़ाई 4 फीट होती है। यानी पॉलिथीन की लंबाई 30 फीट और चौड़ाई 4 फीट होना चाहिए।

पायल ने काली पॉलीथिन के दो रोल बुलवाए। एक की कीमत ढाई हजार रुपए थी। इसमें बारह बेड बन जाते हैं। दो रोल से चौबीस बेड बन गए और जो इनके जो टुकड़े बचे थे, उससे दो बेड और बन गए। इस तरह कुल 26 बेड बने। यह जोड़े में बिछते हैं। 26 बेड मतलब 13 पेयर।

शुरुआत में लेबर कम थे तब खुद ही उनके साथ काम पर लगी रहती थीं।

अब इन बेड पर गोबर और केंचुआ डाला जाना था। एक बेड पर डेढ़ टन गोबर लगता है। गोबर हरे-पीले रंग का होना चाहिए जो महीनेभर से पुराना न हो। यदि गोबर एकदम काला है तो समझिए कि यह काफी पुराना हो चुका है। गोबर का गणित ये है कि एक फीट पर 50 किलो गोबर आना चाहिए। इस हिसाब से 30 फीट के बेड पर 1500 किलो गोबर बिछाया जाता है।

वहीं, एक फीट पर एक किलो केंचुआ डाला जाता है। एक किलो केंचुओं को 50 किलो गोबर खाने में तीन महीने का वक्त लग जाता है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि केंचुआ एक ग्राम का है तो वह आधा ग्राम गोबर ही खा सकेगा। इस हिसाब से एक बेड पर 30 किलो केंचुआ डाला जाता है। मार्केट में केंचुआ की कीमत 300 रुपए किलो चल रही है। केंचुआ ऐसी ब्रीड का होना चाहिए जो हर मौसम में जिंदा रह सके और खाते रहे।

ऑस्ट्रेलियन ब्रीड ऐसी होती है, जो चौबीस घंटे खाती है। हालांकि, ऐसी बहुत सी ब्रीड हैं, इसलिए केंचुआ खरीदते वक्त इस बारे में पूछना पड़ता है कि यह कौन सी ब्रीड है और कितनी देर खाता है। केंचुआ गोबर खाकर जो मल निकालता है, वही वर्मी कम्पोस्ट होता है।

गोबर और केंचुए डालने के बाद पायल ने इसके ऊपर पराली बिछा दी। पराली बिछाकर रोजाना इस पर दिन में एक बार पानी छिड़का जाता है। जिससे नमी भी बरकरार रहे और हवा भी लगते रहे। पानी डालने से पराली वजनी हो जाती है, जिससे उड़ती भी नहीं।

पायल अब अपनी यूनिट में महिलाओं को ही काम देती हैं। वे अपने स्तर पर महिलाओं को मजबूत करना चाहती हैं।

बेड की यह प्रॉसेस पूरी होने के बाद इसमें सिर्फ दिन में एक बार पानी देना होता है। नमी बनी है तो दो दिन में एक बार भी पानी दिया जा सकता है। पानी दोपहर 3 बजे के बाद देना अच्छा रहता है। बारिश का मौसम है और यदि पानी ज्यादा भी भरा गया है तो भी कोई दिक्कत नहीं। बस बेड को चारों तरफ से ईंट या मिट्टी से अच्छे से कवर कर देना चाहिए जिससे केंचुए पानी में बहे न।

केंचुए किसी भी हाल में गोबर के साथ ही रहना चाहिए। खाद लेयर में बनती है क्योंकि केंचुए ऊपर से नीचे जाते हैं। पहली लेयर 20 से 25 दिन में बन जाती है। फिर इसे हटाना पड़ता है। इसके 20 दिन बाद फिर दूसरी लेयर बनती है फिर इसे हटाना पड़ता है। इस तरह से तीन महीने में पूरी खाद तैयार हो जाती है। खाद हटाने पर बेड का साइज धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।

कितना आता है खर्चा, और कमाई कितनी

एक बेड को पूरा तैयार करने में आठ से साढ़े आठ हजार रुपए का खर्चा आता है। 30 फीट लंबे और 4 फीट चौड़ाई वाले एक बेड में 300 रुपए की पॉलीथीन लगती है। 30 किलो केंचुआ लगता और 1500 किलो गोबर लगता है। पायल ने जब 26 बेड के साथ यह धंधा शुरू किया था तो कुल निवेश 2 लाख रुपए का हुआ था। खाद की शेल्फ लाइफ एक साल की होती है। इसलिए तुरंत खाद नहीं भी बिके तो चिंता की बात नहीं। पायल की पहली खाद तैयार होने के 6 महीने बाद बिकी थी।

सालभर में ही पायल का बिजनेस पटरी पर दौड़ गया था। अब वे लाखों में कमाई कर रही हैं।

शुरुआत के एक साल में जितना पैसा लगा, उतना निकलना शुरू हुआ। अब एक से डेढ़ लाख रुपए महीना की बचत है। कई बार दो लाख रुपए तक बच जाते हैं। पिछले डेढ़ साल से प्रॉफिट हर महीने इतना हो रहा है। अभी पायल के बाद 200 बेड हैं औ वो हर महीने 20 से 25 टन खाद बनाती हैं।

प्रॉफिट सिर्फ खाद का नहीं है बल्कि केंचुए का भी है। केंचुए का रिप्रोडक्शन होता है। वो ढाई रुपए में तैयार होने वाली खाद 5 रुपए किलो के हिसाब से बेचती हैं। केंचुआ 250 रुपए किलो में बेचती हैं। खाद के साथ ही केंचुए भी बड़ी मात्रा में बिकते हैं। 40 किलो की खाद की कट्टी 200 रुपए की देती हैं। किसान 40 से 50 किलो खाद एक बार में खरीदते ही हैं।

अब 500 बेड लगाकर खाद तैयार करने की तैयारी, ढूंढ रहीं तीन एकड़ जमीन

पायल हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, अलीगढ़, बरेली, महाराष्ट्र, आगरा, कश्मीर, जामनगर जैसे शहरों में वर्मी कम्पोस्ट की यूनिट लगवा चुकी हैं। वे इसका कोई चार्ज नहीं लेतीं सिर्फ केंचुआ सप्लाई करती हैं। उनके पास स्किल्ड लेबर हैं, जहां भी यूनिट लगाना होती है, वहां उनका एक लेबर जाता है संबंधित व्यक्ति को ट्रेनिंग देकर आ जाता है। वो ऑनलाइन भी वीडियो के जरिए लोगों को कंसल्ट करती हैं।

पायल कहती हैं, उन्होंने हर एक काम की खुद ट्रेनिंग की है, इसलिए ही बिजनेस को इतनी से आगे बढ़ा सकीं।

पायल कहती हैं हफ्ते में चार से पांच दिन साइट पर बिताती हूं। 5 से 6 घंटे देना होता है। अब मेरा प्लान 500 बेड लगाकर खाद तैयार करने का है। इसके लिए 3 एकड़ जमीन देख रही हूं। काम तो 2 एकड़ में भी हो जाएगा लेकिन बाकी जगह गाड़ियों की पार्किंग और माल रखने के लिए भी चाहिए।

पायल के मुताबिक, इस बिजनेस के लिए कोई विशेष स्किल की जरूरत नहीं। सामान्य समझ वाला कोई भी व्यक्ति इस काम को शुरू कर सकता है। किसानों के साथ ही नर्सरी और घरों में भी जैविक खाद बेचकर अच्छा प्रॉफिट कमाया जा सकता है। पायल अब किसानों के खेतों पर यह यूनिट तैयार करवा रहीं हैं ताकि उन्हें खाद के लिए किसी पर निर्भर न रहना पड़े और वो खुद ही खाद तैयार कर सकें।

घर में जैविक खाद करने की क्या है प्रॉसेस

सब्जी, फलों के जो भी छिलके निकलते हैं, उनके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें और इन्हें जिस कंटेनर में वर्मी कम्पोस्ट बनाना है, उसमें इकट्ठा करना शुरू करें। पंद्रह दिनों तक इकट्टा करें ताकि ठीक-ठाक मात्रा में यह जमा हो जाए। हर दिन इस पर थोड़ा-थोड़ा पानी डालते रहें ताकि यह सड़े। ऊपर से कवर कर सकते है।

पंद्रह दिन बाद इसमें से तीन किलो गोबर मिला दें। और मिक्स कर दें। फिर अगले पंद्रह दिनों तक हर एक-दो दिन में इसे पलटते रहें। महीनेभर में खाद तैयार हो जाएगी।

खाद के साथ ही केंचुए भी इनकम का बड़ा जरिया बन चुका है।

इससे आप गमलों में डाल सकते हैं। आस-पड़ोस के लोगों को दे सकते हैं और जैविक खाद तैयार करने का अनुभव ले सकते हैं। कमर्शियल लेवल पर जब खाद तैयार की जाती है तो उसमें किचन वेस्ट नहीं डाला जाता क्योंकि, यह इतनी बड़ी मात्रा में उपलब्ध भी नहीं हो सकता। इसमें सिर्फ गोबर और केंचुआ ही डाला जाता है, जिससे बढ़िया क्वालिटी वाली खाद तैयार हो जाती है।



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सरकारी नौकरी नहीं मिल पाई इसलिए अपना बिजनेस शुरू किया था, अब खुद ही दूसरों को रोजगार दे रही हैं।


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