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क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है, उनके परिवार को मोदी सरकारी की दो बीमा योजनाओं के जरिए 2 लाख रुपए मिल सकते हैं।
वायरल मैसेज में कहा गया है कि : यदि आपके किसी परिचित की कोविड-19 से मौत हुई है। तो उनका बैंक स्टेटमेंट चेक करें। अगर बैंक स्टेटमेंट में अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच 12 रुपए प्रति माह या 330 रुपए प्रति माह की किश्त कटी है। तो परिवार को सरकारी बीमा के जरिए 2 लाख रुपए की राशि मिलेगी। दावा है कि ये राशि ‘प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना’ (PMJJBY) या फिर प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना ( PMSBY) के तहत मिलेगी।
और सच क्या है ?
PMJJBY और PMSBY के तहत कोरोना से होने वाली मौत पर 2 लाख रुपए राशि मिलती है या नहीं। इसकी पुष्टि के लिए हमने दोनों ही योजनाओं की ऑफिशियल वेबसाइट पर नियम और शर्तें चेक कीं।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना ( PMJJBY ) में प्रति माह 330 रुपए की किश्त जमा करनी होती है। बीमा एक साल का होता है, साल पूरा होने पर इसे रिन्यु कराना होता है। इस बीमा योजना के तहत किसी भी कारण से बीमा धारक की मौत होने पर उत्तराधिकारी को 2 लाख रुपए की राशि मिलने का प्रावधान है।
चूंकि किसी भी कारण से मौत होने पर राशि मिलने का प्रावधान है। तो जाहिर है कोरोना संक्रमण से मौत होने पर भी PMJJBY के तहत 2 लाख रुपए मिलेंगे। हालांकि, ये बीमा 18 वर्ष से 55 वर्ष की आयु के लोगों का ही होता है। यानी अगर मृतक की उम्र 55 वर्ष से ज्यादा है तो परिवार को कोई राशि नहीं मिलेगी। वायरल मैसेज में इस शर्त के बारे में नहीं बताया गया है।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना ( PMSBY) में एक्सीडेंट से मौत होने ( एक्सीडेंटल डेथ) या फिर एक्सीडेंट से विकलांग होने की सूरत में क्लेम की राशि मिलती है। 18 से 70 वर्ष की आयु के लोग यह बीमा करा सकते हैं। इसमें सिर्फ 13 रुपए सालाना किश्त देनी होती है। पड़ताल के अगले चरण में हमने ये पता लगाना शुरू किया कि आखिर बीमा कंपनियां दुर्घटनाओं से होने वाली मौत (एक्सीडेंटल डेथ) किसे मानती हैं। क्या कोविड-19 को एक्सीडेंटल डेथ माना जाएगा ?
देश भर की बीमा कंपनियों को रेगुलेट करने वाली संस्था, इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ( IRDAI) की ऑफिशियल वेबसाइट से पता चलता है कि : सिर्फ ऐसी चोट से होने वाली मौत को एक्सीडेंटल डेथ माना जाता है, जिसके इलाज के लिए सर्जरी की जरूरत हो। जाहिर है कोविड-19 से होने वाली मौत को एक्सीडेंटल डेथ नहीं माना जाएगा।
पड़ताल से स्पष्ट होता है कि वायरल हो रहे मैसेज में जिन 2 योजनाओं का जिक्र है। उनमें से एक योजना में ही कोविड-19 से होने वाली मौत पर परिवार को बीमा राशि मिल सकती है, उसमें भी कुछ शर्तें हैं। दूसरी योजना में कोरोना से होने वाली मौत पर क्लेम मिलने का कोई प्रावधान नहीं है। वायरल मैसेज भ्रामक है।
दिल्ली, हरियाणा और पंजाब समेत देश के कई इलाकों में खेती से जुड़े बिलों का विरोध जारी है। प्रदर्शनकारियों ने आज दिल्ली में इंडिया गेट के पास एक ट्रैक्टर जला दिया। पंजाब यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता एक ट्रक में रखकर ट्रैक्टर को लाए और फिर नीचे उतारकर उसमें आग लगा दी।
#WATCH: Punjab Youth Congress workers stage a protest against the farm laws near India Gate in Delhi. A tractor was also set ablaze. pic.twitter.com/iA5z6WLGXR
उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आज शहीद भगत सिंह नगर में धरने पर बैठेंगे। उनका कहना है कि किसानों के हितों को देखते हुए अपने राज्य के कानून में संशोधन समेत सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। कर्नाटक में भी किसानों ने आज बंद का ऐलान किया है। इसे देखते हुए कलबुर्गी में पुलिस तैनात की गई है।
राष्ट्रपति ने किसान बिलों को मंजूरी दी
संसद में पिछले हफ्ते किसानों से जुड़े 3 बिल पास हुए थे। इनके विरोध में राज्यसभा में हंगामा करने वाले 8 विपक्षी सांसदों को सभापति वेंकैया नायडू ने सस्पेंड भी कर दिया था। उसके बाद विपक्ष ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर बिलों को लौटाने की मांग की थी। लेकिन, राष्ट्रपति ने रविवार को बिलों को मंजूरी दे दी।
विपक्ष को आशंका है नए बिलों से किसानों को नुकसान होगा और सरकार आने वाले समय में समर्थन मूल्य की व्यवस्था को खत्म कर सकती है। लेकिन, सरकार कह चुकी है कि समर्थन मूल्य जारी रहेगा और नए बिल किसानों के फायदे के लिए लाए गए हैं।
बिलों के विरोध में अकाली दल एनडीए से अलग हुआ
किसान बिलों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल की नेता और मोदी कैबिनेट में फूड प्रोसेसिंग मिनिस्टर रहीं हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया था। शनिवार को अकाली दल ने एनडीए से अलग होने का ऐलान भी कर दिया।
दिल्ली, हरियाणा और पंजाब समेत देश के कई इलाकों में खेती से जुड़े बिलों का विरोध जारी है। प्रदर्शनकारियों ने आज दिल्ली में इंडिया गेट के पास एक ट्रैक्टर जला दिया। पंजाब यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता एक ट्रक में रखकर ट्रैक्टर को लाए और फिर नीचे उतारकर उसमें आग लगा दी।
#WATCH: Punjab Youth Congress workers stage a protest against the farm laws near India Gate in Delhi. A tractor was also set ablaze. pic.twitter.com/iA5z6WLGXR
उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आज शहीद भगत सिंह नगर में धरने पर बैठेंगे। उनका कहना है कि किसानों के हितों को देखते हुए अपने राज्य के कानून में संशोधन समेत सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। कर्नाटक में भी किसानों ने आज बंद का ऐलान किया है। इसे देखते हुए कलबुर्गी में पुलिस तैनात की गई है।
राष्ट्रपति ने किसान बिलों को मंजूरी दी
संसद में पिछले हफ्ते किसानों से जुड़े 3 बिल पास हुए थे। इनके विरोध में राज्यसभा में हंगामा करने वाले 8 विपक्षी सांसदों को सभापति वेंकैया नायडू ने सस्पेंड भी कर दिया था। उसके बाद विपक्ष ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर बिलों को लौटाने की मांग की थी। लेकिन, राष्ट्रपति ने रविवार को बिलों को मंजूरी दे दी।
विपक्ष को आशंका है नए बिलों से किसानों को नुकसान होगा और सरकार आने वाले समय में समर्थन मूल्य की व्यवस्था को खत्म कर सकती है। लेकिन, सरकार कह चुकी है कि समर्थन मूल्य जारी रहेगा और नए बिल किसानों के फायदे के लिए लाए गए हैं।
बिलों के विरोध में अकाली दल एनडीए से अलग हुआ
किसान बिलों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल की नेता और मोदी कैबिनेट में फूड प्रोसेसिंग मिनिस्टर रहीं हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया था। शनिवार को अकाली दल ने एनडीए से अलग होने का ऐलान भी कर दिया।
from Dainik Bhaskar /national/news/farmer-protest-against-three-farm-bills-a-tractor-was-set-ablaze-by-unidentified-persons-in-delhi-127760725.html
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(अनिरुद्ध शर्मा) वैज्ञानिकों ने हिमाचल की रिवालसर झील की तलहटी के नमूनों की जांच से 3200 सालों में मानसून के पैटर्न का पता लगाया है। जिन कालखंड में मौसम गर्म रहा, उस दौरान अच्छी बारिश हुई। ठंडक बढ़ने से मानसून कमजोर हुआ। इस स्टडी में 4 कालखंडों में मानसून की गणना की गई है। ये चार कालखंड रोमन वार्म पीरियड, मिडिवल क्लाइमेट एनाबेली और लिटिल आइस पीरियड और करेंट वार्म पीरियड है।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के शोधकर्ताओं की इस स्टडी के मुताबिक रोमन वार्म पीरियड में (1200 ईसा पूर्व से लेकर 450 ईस्वी) मानसून अच्छा रहा। 450 ईस्वी से 950 ईस्वी तक कम बारिश और सूखे का लंबा दौर चला। मिडिवल क्लाइमेट एनाबेली (950 से 1350 ईस्वी तक) में मानसून अच्छा रहा। लेकिन 1350 से 1600 ईस्वी तक यानी लिटिल आइस पीरियड में फिर कमजोर पड़ा। इसके बाद करेंट वार्म पीरियड में मानसून सामान्य रहा।
करेंट वार्म पीरियड में एक्स्ट्रीम इवेंट की घटनाएं बढ़ जाएंगी। रिसर्च के मुख्य लेखक प्रो. अनिल कुमार गुप्ता बताते हैं कि इस स्टडी के लिए झील के बीचोबीच जहां पानी की गहराई 6.5 मीटर थी, वहां सेपिस्टन की मदद से 15 मीटर मोटी सतह का नमूना लिया गया। 14 नमूनों की रेडियोकार्बन डेट्स 200 से लेकर 2950 वर्ष पूर्व की तय की। नमूनों के ऑर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन व कार्बन आइसोटोप्स रेश्यो के वैल्यू की गणना से पता लगाया कि कब कितनी बारिश हुई।
मानसून का अर्थव्यवस्था और व्यापारिक गतिविधियों से सीधा संबंध
मानसून का अर्थव्यवस्था, साम्राज्यों और व्यापारिक गतिविधियों के विस्तार में सीधा संबंध रहा हैै। रोमन वार्म पीरियड के दौरान मानसून अच्छा रहा। उस वक्त भारत में मौर्य वंश था। कृषि का विस्तार हुआ। कस्बे और शहर बने। व्यापारिक केंद्र विकसित हुए। कारोबार का विस्तार यूरोप, मेसोपोटामिया, मिस्र और अफ्रीकी तटों तक पहुंचा। इसे स्वर्णिम युग कहा जाता है।
450 से 950 ईस्वी में कमजोर मानसून रहा। गुप्त वंश का पतन हुआ। 1400 से 1600 के बीच मानसून 3200 वर्षों में सबसे कमजोर रहा, तब भारतीय महाद्वीप में यूरोपीय यात्री पहुंचे। अरब और अफगानियों के हमले हुए और मुगल साम्राज्य के बाद ब्रिटिश साम्राज्य आया।
from Dainik Bhaskar /national/news/the-good-monsoon-led-to-the-expansion-of-the-mauryan-empire-and-the-decline-of-the-gupta-dynasty-in-the-bad-during-this-time-there-were-also-attacks-of-arabs-and-afghans-in-the-country-127760723.html
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गुजरात के भरूच जिले के कविथा गांव के रहने वाले जैमिन पटेल ने कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की है। करीब 7 साल तक उन्होंने एक कंपनी में काम किया, सीनियर मैनेजर रहे। अच्छी खासी सैलरी थी, घर से भी सम्पन्न थे, माता- पिता दोनों सरकारी डॉक्टर थे। सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन उसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि जैमिन सबकुछ छोड़कर किसान बन गए, एक सेलिब्रिटी किसान जिसे कई राज्यों के किसान नाम से जानते हैं। आज वे एक दर्जन से ज्यादा फल और सब्जियां अपने खेतों में ऑर्गेनिक तरीके से उगा रहे हैं। 4-5 राज्यों में उनके कस्टमर्स हैं, 8-10 लाख रुपए हर साल उनकी आमदनी हो रही है।
36 साल के जैमिन बताते हैं, खेती से मेरा कोई पहले से लगाव नहीं था। खेती के लिए तो जमीन भी नहीं के बराबर थी, जो कुछ खेत थे उसके बारे में भी मुझे जानकारी नहीं थी। सिर्फ त्योहारों के मौके पर ही गांव जाना होता था।
वो कहते हैं,' 2011 की बात है, मेरा एक दोस्त पॉलीहाउस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। वो चाहता था कि मैं भी उसके साथ काम करूं, लेकिन मुझे शुरुआत में कोई दिलचस्पी नहीं थी, मैं नौकरी नहीं छोड़ना चाहता था। फिर उसने बहुत जिद की तो उसके साथ पॉलीहाउस देखने के लिए गया। मुझे उसका आइडिया ठीक लगा। इसके बाद नौकरी करते हुए मैं 7-8 महीने तक कई राज्यों में घूमता रहा और पॉलीहाउस और खेती के बारे में जानकारियां जुटाता रहा।
जैमिन बताते हैं कि 2012 के शुरुआत में खेती के लिए मेंटली तैयार हो गया लेकिन मेरा दोस्त पीछे हट गया। चूंकि मैं रिसर्च कर चुका था, खेती के गुर और टेक्निक्स सीख चुका था तो मैं पीछे नहीं हटना चाहता था। मैंने अपने माता पिता को अपने फैसले के बारे में बताया, उन्होंने मेरे फैसले का स्वागत किया और मुझे हिम्मत दी।
मेरे पास पहले से जो जमीन थी वो और फिर कुछ और जमीन खरीदकर खेती की शुरुआत की। पहली बार मैंने सीडलेस खीरा और कलर कैप्सिकम की खेती की। अच्छा उत्पादन हुआ तो गांव में जो लोकल मार्केट था वहां और फिर बड़े बड़े होटलों के वेंडरों से मिलकर उन्हें अपना प्रोडक्ट दिया। अच्छी कमाई हुई।
इसके बाद अगस्त 2012 में जैमिन ने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से किसान बन गए। उन्होंने अपने चाचा के साथ मिलकर और भी खेत खरीदे। आज वे 15 एकड़ जमीन पर ऑर्गेनिक और सेमी ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रहे हैं, वे गन्ना, तुअर दाल, कपास, मूंग, तरबूज, टमाटर, शिमला मिर्च, हरी प्याज, पालक, धनिया जैसी फसलें उगा रहे हैं। 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।
जैमिन के साथ 10 और लोगों को रोजगार मिला है जो खेती में उनका हाथ बंटाते हैं। इसके साथ ही करीब 200 से ज्यादा किसान उनसे सीधे जुड़े हुए हैं। वे खेती किसानी के बारे में जानकारी हासिल करते हैं और प्रोडक्ट को खरीदने-बेचने में भी मदद करते हैं। वो कहते हैं कि हमें फसल लगाने से पहले ही एडवांस ऑर्डर मिल जाता है।
जैमिन कहते हैं कि खेती एक लगातार सीखने वाली प्रक्रिया है। रोज हमें कुछ न कुछ नया सीखते रहना चाहिए। मैं आज भी साल में 100 दिन भ्रमण पर रहता हूं। गांवों में जाता हूं, अलग अलग एक्सपर्ट्स से मिलता हूं, स्कूल कॉलेजों में भी जाता हूं। वो कहते हैं कि लगातार सीखने और सिखाने का काम चलते रहना चाहिए तो ही आप सर्वाइवर कर पाएंगे।
पॉलीहाउस क्या होता है
पॉलीहाउस का मतलब होता है ‘एक प्रोटेक्टिव किट या चादर से ढका हुआ घर। जिस पर बाहरी मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अंदर न बाहर की हवा जा सकती है न पानी। इस कारण कीड़े-मकोड़े का असर नहीं होता। तापमान भी जरूरत के मुताबिक कम-ज्यादा किया जाता है। इस तरह मौसम पर निर्भरता पूरी तरह खत्म हो जाती है। कीटनाशक, खाद, सिंचाई ये सभी काम पॉलीहाउस के अंदर होते हैं।
अगर आप भी पॉली हाउस विधि से खेती करना चाहते है तो इसके लिए इसके लिए सरकार 50 फीसदी सब्सिडी भी देती है। पॉलीहाउस के लिए आपके पास कम से कम 1 एकड़ जमीन होनी चाहिए।
ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत कैसे करें
जैमिन बताते हैं कि अगर कोई खेती करना चाहता है तो उसे शौकिया किसान नहीं बल्कि एक रियल फार्मर बनना होगा। उसे सबसे पहले खेती को समझना चाहिए, गांवों में जाकर जमीन देखनी चाहिए, वहां के मार्केट और डिमांड के बारे में जानकारी हासिल करना चाहिए कि कौन से प्रोडक्ट की डिमांड ज्यादा है और किस फसल की खेती उस जमीन पर हो सकती है। बिना रिसर्च के सही तरीके से खेती करना संभव नहीं है। शुरुआत 2 एकड़ जमीन से की जा सकती है।
कस्टमर और मार्केट कैसे तैयार करें
जैमिन कहते हैं,' आज तो सोशल मीडिया का जमाना है, प्रोडक्ट तैयार करिए और उसे फेसबुक, ट्विटर पर पोस्ट कर दीजिए। प्रोडक्ट बेहतर होगा तो लोग जरूर अप्रोच करेंगे। इसके साथ ही शुरुआत में खुद लोकल मार्केट और रिटेलर्स के पास जाकर प्रोडक्ट की सप्लाई की जा सकती है। जब आपका प्रोडक्ट जम जाएगा, लोग जानने लगेंगे तो खुद मार्केट आपके पास चलकर आएगा।
खेती को मुनाफे का धंधा कैसे बनाएं
जैमिन कहते हैं कि हमें पारंपरिक तरीके से हटकर वैल्यू एडिशन पर जोर देना चाहिए। अपने प्रोडक्ट्स को सीधे मार्केट में बेचने की बजाए उसको प्रोसेसिंग करके बेचेंगे तो ज्यादा मुनाफा होगा। वो कहते हैं कि मैं तुअर की खेती करता हूं, अगर एमएसपी पर भी उसे बेचूं तो मुझे 60 रु ही एक किलो के मिलेंगे। लेकिन जब उसी दाल को मैं प्रोसेस करूंगा तो मुझे लगभग 70-80 रु की पड़ेगी जिसे मैं मार्केट में 130 रु में बेचूंगा तो मुझे प्रति किलो 50 रुपए का मुनाफा होगा। इसी तरह दूसरे प्रोडक्ट के वैल्यू एडिशन पर हमें जोर देना चाहिए।
दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.33 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 46 लाख 33 हजार 646 से ज्यादा हो चुकी है। मरने वालों का आंकड़ा 10 लाख के पार हो चुका है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्रिटेन सरकार तमाम विरोध के बावजूद उत्तरी हिस्से और लंदन में फिर लॉकडाउन लगाने पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पहले ही कह चुके हैं कि देश में संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है।
ब्रिटेन : लंदन में लगेगा लॉकडाउन
बोरिस जॉनसन सरकार नॉर्दर्न ब्रिटेन और लंदन में फिर सख्त लॉकडाउन लगाने पर विचार कर रही है। द टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम ने पिछले दिनों साफ कर दिया था कि देश में संक्रमण की दूसरी लहर तेज हो रही है और इससे वही हालात पैदा होने का खतरा है जो मई और जून में सामने आए थे।
लॉकडाउन के दौरान सभी पब, बार और रेस्टोरेंट्स पूरी तरह बंद रखे जाएंगे। लोगों के सार्वजनिक स्थलों पर मिलने पर भी रोक लगाई जाएगी। हालांकि, इस दौरान स्कूल और कुछ दुकानों को खोलने की मंजूरी दी जाएगी। जहां तक संभव हो सकेगा, वहां तक लोगों को वर्क फ्रॉम होम करना होगा। माना जा रहा है कि यह लॉकडाउन दो हफ्ते के लिए होगा। लेकिन, जरूरत होने पर इसे बढ़ाया भी जा सकेगा।
रूस : मॉस्को में 16 की मौत
रूस में संक्रमण की दूसरी लहर घातक साबित होने लगी है। अकेले मॉस्को शहर में रविवार को 16 लोगों की मौत हो गई। अब यहां मरने वालों का आंकड़ा 5180 हो गई हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा- हमने नए मामलों पर काबू पाने में काफी हद तक सफलता हासिल की है। लेकिन, गंभीर मरीजों की मौत हुई। शनिवार को 18 के बाद रविवार को 16 मरीजों की मौत हुई। इनमें से ज्यादातर काफी उम्रदराज थे और पहले से कुछ बीमारियों से जूझ रहे थे।
चीन : गंभीर आरोप
दुनिया के कई देशों में कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च और ट्रायल जारी हैं। लेकिन, चीन ने अपने नागरिकों को असुरक्षित वैक्सीन लगाना शुरू कर दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये वैक्सीन असुरक्षित इसलिए हैं क्योंकि इनका सफल ट्रायल के सबूत सामने नहीं आ सके हैं। यह वैक्सीन एक सरकारी कंपनी की है। इसे सरकारी अफसरी, कंपनी के स्टाफ, टीचर्स और उन लोगों को लगाया जा रहा है जो विदेश जाने वाले हैं।
मर्डोक यूनिवर्सिटी के डॉक्टर किम मुलहोलेन्ड ने कहा- इस तरह की अनप्रूवन वैक्सीन बेहद खतरनाक साबित हो सकती हैं। मुझे इस बात की आशंका है कि कंपनी के कर्मचारियों को वैक्सीन इसलिए लगाई गई होगी क्योंकि वे इससे इनकार भी नहीं कर सकते थे।
पेरू : सावधानी बरतें लोग
संक्रमण की दूसरी लहर को लेकर लैटिन अमेरिकी देश पेरू ने सख्त रवैया अपनाया है। यहां राष्ट्रीय आपातकाल 31 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है। प्रेसिडेंट मार्टिन विजकारा ने कहा- इस बात की संभावना है कि यह इमरजेंसी साल के आखिर तक बनी रहे। फिलहाल, हम इसे 31 अक्टूबर तक बढ़ा रहे हैं। पेरू की हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक बयान में कहा- हम जानते हैं कि लोगों को कुछ प्रतिबंधों से काफी परेशान होना पड़ रहा है। लेकिन, कोविड-19 से बचने का फिलहाल यही उपाय है कि हम हर सावधानी बरतें। मास्क और सैनिटाइजेशन का खास ध्यान रखें।
देश में कोरोना संक्रमण को लेकर अच्छी और बुरी खबर दोनों आ रही हैं। अच्छी बात यह है कि देश में संक्रमण से ठीक होने वालों का आंकड़ा रविवार को 50 लाख के पार कर गया। भारत दुनिया का इकलौता देश है, जहां इतने ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। देश का रिकवरी रेट 82.74% हो चुका है। मतलब अब हर 100 मरीजों में 82 लोग ठीक हो रहे हैं।
वहीं, बुरी खबर यह है कि देश में पिछले 27 दिनों से एक हजार से ज्यादा मौतें हो रही हैं। 31 दिसंबर को 816 मरीजों ने दम तोड़ा था। इसके बाद एक से 27 सितंबर तक एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब मौतें एक हजार से कम हुई हों। हालात ऐसे हैं कि रोजाना औसतन 1066 लोग की जान जा रही हैं। यह दुनिया के सबसे संक्रमित देश अमेरिका (895) और ब्राजील (826) के रोजाना के एवरेज से ज्यादा है।
इस बीच, देश में अब तक 60 लाख 73 हजार 348 केस हो चुके हैं। रविवार को 74 हजार 679 मरीज ठीक भी हो गए। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।
पांच राज्यों का हाल 1. मध्यप्रदेश
राज्य में रविवार को संक्रमण के 2,310 नए मामले सामने आए। प्रदेश में अब तक 1 लाख 22 हजार 209 लोग संक्रमित हो चुके हैं। पिछले 24 घंटों में 26 लोगों की मौत हुई है। मरने वालों की संख्या अब 2,207 हो गई है। राजधानी भोपाल में लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं करने के कारण अब भोपाल कलेक्टर ने सख्ती करने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने के लिए कह दिया है। सभी एसडीएम को धारा 144 में जारी आदेश का पालन कराने के लिए कार्रवाई करने के लिए बोला है। ऐसे में अब व्यवसायिक संस्थानों पर जुर्माना तो लगेगा ही तीन दिन के लिए दुकान को बंद करना होगा।
2. राजस्थान
राज्य में रविवार को कोरोना के 2,084 मामले सामने आए। संक्रमितों का आंकड़ा अब 1 लाख 28 हजार 859 हो गया है। 24 घंटे के अंदर 15 लोगों की मौत हो गई। जिसके बाद कुल मौत का आंकड़ा 1441 पहुंच गया। राज्य में अब तक 30.51 लाख से ज्यादा सैंपल जांचे जा चुके हैं। अब तक कुल संक्रमितों में 1 लाख 7 हजार 718 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 19 हजार 700 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है।
3. बिहार
रविवार को राज्य में 1,527 नए केस मिले और 1,405 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। राज्य में अब तक 1 लाख 78 हजार 882 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 64 हजार 537 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13 हजार 456 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 888 मरीजों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में रविवार को 18 हजार 56 लोग संक्रमित पाए गए, 380 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई। 13 हजार 565 लोग ठीक होकर अपने घर गए। अब तक 13 लाख 39 हजार 232 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 10 लाख 30 हजार 15 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 35 हजार 571 मरीजों की मौत हो चुकी है। 2 लाख 73 हजार 228 मरीज ऐसे हैं जिनका अभी इलाज चल रहा है।
5. उत्तरप्रदेश
पिछले 24 घंटों में 4,403 नए मामले सामने आए, जबकि 5,656 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। संक्रमण के चलते अब तक 5,594 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक राज्य में 3 लाख 87 हजार 85 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 3 लाख 25 हजार 888 लोग ठीक हो चुके हैं। राज्य में कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट अब बढ़कर 84.19 प्रतिशत हो गया है।
ऋषि योगी, महात्माओं ने सालों तपस्या की। बाहरी दुनिया के शोर से खुद को दूर रखा, बुरे विचारों को हावी नहीं होने दिया। और निर्लिप्तता की ओर जाने में अपनी चैतन्य अवस्था में विचारशून्यता की ओर गए। पर आप क्या कर रहे हैं?
अपने रोज़मर्रा के कामों के बीच पूजने के कमरे में झटपट 3-4 मिनट बिताकर या अर्जेंट पूजा करके निर्वाण पाने की कामना करते हैं। ईश्वर के समक्ष खुद को समर्पित नहीं करते, बस भगवान से मांगते हैं- फलां चीज़ मिल जाए, परीक्षा में पास हो जाएं। यह आपका भगवान के साथ रिश्ता है। हमारी आध्यात्मिकता का यही स्तर है।
उपनिषद पढ़ते हुए मन में कई सवाल खड़े होंगे
आप आध्यात्मिकता की किताबें खरीद सकते हैं, उपनिषद् पढ़ते हुए आपके मन में कई सारे सवाल खड़े होंगे। इसलिए नहीं कि इसे समझने के लिए आप में बौद्धिक क्षमता या इंटेलिजेंस नहीं है, बल्कि इसलिए कि उसे समझने के लिए अभी बौद्धिक रूप से तैयार नहीं हुए हैं। और तब बारी आती है सच्चे गुरु की, जिसे साफगोई से कह देना चाहिए कि आप इसके लिए अभी तैयार नहीं हैं।
वहां पहुंचने के लिए अभी लंबी यात्रा करना बाकी है। आपने सात स्वर सीखे नहीं हैं, लेकिन आप म्यूजिक कंसर्ट करने की अनुमति मांग रहे हैं। पर दुर्भाग्य से कोई गुरु सच नहीं कहता। यहां तक कि अर्जुन भी रणभूमि में बिना तैयारी के पहुंच गए थे, अपनी सारी क्षमताएं-योग्यताएं उन्होंने सिर्फ अभ्यास स्वरूप परखीं थीं। अर्जुन ने कभी भी युद्ध का सामना नहीं किया था। बिना युद्ध की तैयारी के जब अर्जुन रणभूमि में आए, तो उनके दिमाग में सिर्फ शोर था। अंदर उथल-पुथल थी। स्पष्टता नहीं थी।
सवाल का जवाब तभी लेना चाहिए जब आप तैयार हों
गुरु से जब आप सवाल पूछते हैं तो कायदे से उन्हें कहना चाहिए कि आप इसके लिए तैयार नहीं है। पर जब वे आपके सवालों के जवाब देते हैं। तब आध्यात्मिकता पर यह ज्ञान शांति के बजाय विचारों का ज्वार ला देता है। और सवालों की गुत्थी उलझती जाती है। जैसे कि कर्म का विज्ञान क्या है?
अभी कर्मों का विज्ञान समझना महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि आप जीवन का हर क्षण नि:स्वार्थ भाव से जिएं। आप अपने कर्मों को संचय करते जाते हैं और कर्ज इकट्ठा होता जाता है। ऐसे में अभी जरूरी है कि दिन में कम से कम एक बार पूर्ण नि:स्वार्थ भाव को महसूस करें।
यह पूरा दिन सिर्फ मैं, मेरा या मेरे बारे में नहीं है, पर जिंदगी के कई ऐसे क्षण भी होने चाहिए, जिसमें आप अपने लिए, दूसरों के लिए जिएं, दूसरों को आगे करके जिएं। कर्मों के विज्ञान की अवधारणा समझने से बेहतर है सेल्फलेस लिविंग को अपनाकर जीवन में साम्य लाएं। लेकिन सवाल-जवाब में उलझकर हमारे मन में 15 नए सवाल पैदा हो जाते हैं। और शोर हो जाता है।
जब ठहराव आना चाहिए तब हमारे अंदर भूचाल आ जाता है
आध्यात्मिक यात्रा में जब ठहराव आना चाहिए, तो हमारे अंदर और भूचाल आ जाता है। हम सोचते हैं कि अपनी बुद्धिमत्ता से हम इस प्रक्रिया को भी तेज़ी से आगे बढ़ा सकते हैं या फॉरवर्ड कर सकते हैं। उदाहरण के लिए 8-10 साल के बच्चों को विश्लेषण करने, विचारशील होने के लिए कहना बेमानी है।
उन्हें कुछ समझाने के लिए गतिविधियों का सहारा लेना पड़ता है। प्रायोगिक अनुभव के बाद जब हम उन्हें उसका ज्ञान देंगे, तब वे इस चीज़ को समझेंगे। लेकिन अगर उन्हें बैठाकर सोचने-कल्पना करने के लिए कहा जाए, तो बिना अनुभव किए वे कभी इस बात को नहीं समझेंगे।
आध्यात्मिक आनंद की बजाय आध्यात्मिक अनुभव की ओर जाना चाहिए
हमें आध्यात्मिक अनुभवों की ओर जाना चाहिए, लेकिन हम आध्यात्मिक आनंद की ओर जाना चाहते हैं। हमें इस बात पर जोर देना चाहिए कि अपने अनुभवों की गहराई में कैसे उतरा जाए, लेकिन हम कई पायदान ऊपर चढ़कर आध्यात्मिकता की अवधारणा पर पहुंच जाते हैं और इससे दिमाग में शोर शुरू हो जाता है।
भौतिक दुनिया में सवाल करना बनता है, चीजों को चुनौतियां देने की जरूरत पड़ती है। आप पूछ सकते हैं कि यह रणनीति काम क्यों नहीं कर रही है या मैं चौथे क्रम पर क्यों हूं, सामने वाला पहने नंबर पर क्यों है। लेकिन आध्यात्मिक दुनिया में आपको नहीं पता कि आप अपने स्तर का सवाल पूछ रहे हैं या अपने स्तर से अगल।
आपके प्रति प्रेम प्रकट करने का मतलब हमेशा हां कहना नहीं होता। कभी-कभी ना कहना भी जरूरी होता है। गुरु को कभी-कभी कहना जरूरी है कि अभी आप इसके लिए तैयार नहीं हैं।
अमेरिकी चुनाव निष्पक्ष होते हैं, रूस दखलंदाजी नहीं करता तो डोनाल्ड ट्रम्प निश्चित हारेंगे। यह कहना है वॉशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकन विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर एलन लीश्टमान का। वे 40 साल से अमेरिकी चुनाव की सटीक भविष्यवाणी कर रहे हैं। ‘द केस फॉर इम्पीचमेंट’ समेत 11 किताबें लिख चुके हैं। प्रो. लीश्टमान से रितेश शुक्ल ने बात की। पढ़ें बातचीत...
सवाल: आपने पहली बार अपनी भविष्यवाणी में अगर-मगर शब्द जोड़े हैंं?
जवाब: हां, यह सही है। रोनाल्ड रीगन से लेकर डोनाल्ड ट्रम्प तक 9 राष्ट्रपतियों को लेकर मैंने सटीक भविष्यवाणी बिना किसी अगर-मगर के की है। मेरी भविष्यवाणी वैज्ञानिक मॉडल पर आधारित है। इसमें सुशासन से जुड़े 13 पैरामीटर पर प्रत्याशी को परखा जाता है। इसमें इतिहास-गणित का सामंजस्य है। इतिहास गवाह है अमेरिकी चुनाव में गवर्नेंस की कमी को प्रचार से पाटा नहीं जा सका है। लेकिन यह चुनाव अलग है।
सवाल: आपको यह चुनाव बाकी चुनावों से अलग क्यों लग रहा है?
जवाब: अमेरिका में हमेशा सत्ता परिवर्तन शांतिपूर्ण रहा है। वोटर ने कभी दबाव में न तो वोट डाला, न ही वोट डालने से परहेज किया। कभी किसी और देश का हस्तक्षेप भी नहीं रहा है। लेकिन 2020 पहला ऐसा चुनावी वर्ष है, जब ये तीनों आशंकाएं सच साबित हो सकती हैं।
सवाल: आपके मॉडल के 13 पैरामीटर में ट्रम्प कितने पर खरे उतरे?
जवाब: 13 पैरामीटर में से अगर प्रत्याशी छह मापदंडों में खरा नहीं उतरता है तो व्हाइट हाउस में भूकंप आना तय है। इस बार 13 में से 7 पैरामीटर पर ट्रम्प खरे नहीं उतरे हैं। इसलिए ट्रम्प हारेंगे। 2019 तक ट्रम्प के खिलाफ 4 पैरामीटर थे लेकिन महामारी के बाद ये 7 हो गए।
सवाल: 2016 में आपने किस आधार पर ट्रम्प की जीत की भविष्यवाणी की थी?
जवाब: 2016 में हिलेरी क्लिंटन ट्रम्प से बेहतर थीं और उन्हें जनता का वोट भी ट्रम्प से कहीं ज्यादा मिला था। लेकिन मेरे पैरामीटर में उनकी पार्टी के जीतने की संभावना नहीं बन रही थी। 2016 का चुनाव जीतने के बाद अखबार में छपी मेरे भविष्यवाणी की एक प्रति पर ट्रम्प ने हस्ताक्षर कर बधाई भेजी थी, पर वो मेरे मॉडल को नहीं समझ सके।
इन 13 में से 7 पैरामीटर पर ट्रम्प फेल
यहां पास क्योंकि...
राष्ट्रपति को अपनी पार्टी के प्रत्याशी से गंभीर चुनौती नहीं।
पार्टी का प्रत्याशी पहले से राष्ट्रपति है।
राष्ट्रपति को तीसरी पार्टी या निर्दलीय से गंभीर चुनौती नहीं।
राष्ट्रीय नीति में प्रभावशाली बदलाव किए।
सैन्य कार्रवाई में कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा।
प्रतिद्वंदी न आकर्षक नेता है और न नेशनल हीरो है।
यहां फेल क्योंकि...
मध्यावधि चुनाव में राष्ट्रपति की पार्टी की सीटें नहीं बढ़ीं।
चुुनाव के दौरान अर्थव्यवस्था मंदी से गुजर रही है।
दो कार्यकाल की तुलना में आर्थिक बढ़त नहीं मिली।
सामाजिक शांति भंग करने की घटनाएं कई जगह हुईं।
बड़े स्कैंडल भी हुए।
सैन्य कार्रवाई में सफलता नहीं।
मौजूदा राष्ट्रपति आकर्षक नेता और नेशनल हीरो नहीं है।
देश में कोरोना संक्रमण को लेकर अच्छी और बुरी खबर दोनों आ रही हैं। अच्छी बात यह है कि देश में संक्रमण से ठीक होने वालों का आंकड़ा रविवार को 50 लाख के पार कर गया। भारत दुनिया का इकलौता देश है, जहां इतने ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। देश का रिकवरी रेट 82.74% हो चुका है। मतलब अब हर 100 मरीजों में 82 लोग ठीक हो रहे हैं।
वहीं, बुरी खबर यह है कि देश में पिछले 27 दिनों से एक हजार से ज्यादा मौतें हो रही हैं। 31 दिसंबर को 816 मरीजों ने दम तोड़ा था। इसके बाद एक से 27 सितंबर तक एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब मौतें एक हजार से कम हुई हों। हालात ऐसे हैं कि रोजाना औसतन 1066 लोग की जान जा रही हैं। यह दुनिया के सबसे संक्रमित देश अमेरिका (895) और ब्राजील (826) के रोजाना के एवरेज से ज्यादा है।
इस बीच, देश में अब तक 60 लाख 73 हजार 348 केस हो चुके हैं। रविवार को 74 हजार 679 मरीज ठीक भी हो गए। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।
पांच राज्यों का हाल 1. मध्यप्रदेश
राज्य में रविवार को संक्रमण के 2,310 नए मामले सामने आए। प्रदेश में अब तक 1 लाख 22 हजार 209 लोग संक्रमित हो चुके हैं। पिछले 24 घंटों में 26 लोगों की मौत हुई है। मरने वालों की संख्या अब 2,207 हो गई है। राजधानी भोपाल में लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं करने के कारण अब भोपाल कलेक्टर ने सख्ती करने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने के लिए कह दिया है। सभी एसडीएम को धारा 144 में जारी आदेश का पालन कराने के लिए कार्रवाई करने के लिए बोला है। ऐसे में अब व्यवसायिक संस्थानों पर जुर्माना तो लगेगा ही तीन दिन के लिए दुकान को बंद करना होगा।
2. राजस्थान
राज्य में रविवार को कोरोना के 2,084 मामले सामने आए। संक्रमितों का आंकड़ा अब 1 लाख 28 हजार 859 हो गया है। 24 घंटे के अंदर 15 लोगों की मौत हो गई। जिसके बाद कुल मौत का आंकड़ा 1441 पहुंच गया। राज्य में अब तक 30.51 लाख से ज्यादा सैंपल जांचे जा चुके हैं। अब तक कुल संक्रमितों में 1 लाख 7 हजार 718 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 19 हजार 700 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है।
3. बिहार
रविवार को राज्य में 1,527 नए केस मिले और 1,405 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। राज्य में अब तक 1 लाख 78 हजार 882 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 64 हजार 537 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13 हजार 456 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। संक्रमण के चलते अब तक 888 मरीजों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में रविवार को 18 हजार 56 लोग संक्रमित पाए गए, 380 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई। 13 हजार 565 लोग ठीक होकर अपने घर गए। अब तक 13 लाख 39 हजार 232 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 10 लाख 30 हजार 15 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 35 हजार 571 मरीजों की मौत हो चुकी है। 2 लाख 73 हजार 228 मरीज ऐसे हैं जिनका अभी इलाज चल रहा है।
5. उत्तरप्रदेश
पिछले 24 घंटों में 4,403 नए मामले सामने आए, जबकि 5,656 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। संक्रमण के चलते अब तक 5,594 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक राज्य में 3 लाख 87 हजार 85 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 3 लाख 25 हजार 888 लोग ठीक हो चुके हैं। राज्य में कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट अब बढ़कर 84.19 प्रतिशत हो गया है।
अमेरिकी चुनाव निष्पक्ष होते हैं, रूस दखलंदाजी नहीं करता तो डोनाल्ड ट्रम्प निश्चित हारेंगे। यह कहना है वॉशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकन विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर एलन लीश्टमान का। वे 40 साल से अमेरिकी चुनाव की सटीक भविष्यवाणी कर रहे हैं। ‘द केस फॉर इम्पीचमेंट’ समेत 11 किताबें लिख चुके हैं। प्रो. लीश्टमान से रितेश शुक्ल ने बात की। पढ़ें बातचीत...
सवाल: आपने पहली बार अपनी भविष्यवाणी में अगर-मगर शब्द जोड़े हैंं?
जवाब: हां, यह सही है। रोनाल्ड रीगन से लेकर डोनाल्ड ट्रम्प तक 9 राष्ट्रपतियों को लेकर मैंने सटीक भविष्यवाणी बिना किसी अगर-मगर के की है। मेरी भविष्यवाणी वैज्ञानिक मॉडल पर आधारित है। इसमें सुशासन से जुड़े 13 पैरामीटर पर प्रत्याशी को परखा जाता है। इसमें इतिहास-गणित का सामंजस्य है। इतिहास गवाह है अमेरिकी चुनाव में गवर्नेंस की कमी को प्रचार से पाटा नहीं जा सका है। लेकिन यह चुनाव अलग है।
सवाल: आपको यह चुनाव बाकी चुनावों से अलग क्यों लग रहा है?
जवाब: अमेरिका में हमेशा सत्ता परिवर्तन शांतिपूर्ण रहा है। वोटर ने कभी दबाव में न तो वोट डाला, न ही वोट डालने से परहेज किया। कभी किसी और देश का हस्तक्षेप भी नहीं रहा है। लेकिन 2020 पहला ऐसा चुनावी वर्ष है, जब ये तीनों आशंकाएं सच साबित हो सकती हैं।
सवाल: आपके मॉडल के 13 पैरामीटर में ट्रम्प कितने पर खरे उतरे?
जवाब: 13 पैरामीटर में से अगर प्रत्याशी छह मापदंडों में खरा नहीं उतरता है तो व्हाइट हाउस में भूकंप आना तय है। इस बार 13 में से 7 पैरामीटर पर ट्रम्प खरे नहीं उतरे हैं। इसलिए ट्रम्प हारेंगे। 2019 तक ट्रम्प के खिलाफ 4 पैरामीटर थे लेकिन महामारी के बाद ये 7 हो गए।
सवाल: 2016 में आपने किस आधार पर ट्रम्प की जीत की भविष्यवाणी की थी?
जवाब: 2016 में हिलेरी क्लिंटन ट्रम्प से बेहतर थीं और उन्हें जनता का वोट भी ट्रम्प से कहीं ज्यादा मिला था। लेकिन मेरे पैरामीटर में उनकी पार्टी के जीतने की संभावना नहीं बन रही थी। 2016 का चुनाव जीतने के बाद अखबार में छपी मेरे भविष्यवाणी की एक प्रति पर ट्रम्प ने हस्ताक्षर कर बधाई भेजी थी, पर वो मेरे मॉडल को नहीं समझ सके।
इन 13 में से 7 पैरामीटर पर ट्रम्प फेल
यहां पास क्योंकि...
राष्ट्रपति को अपनी पार्टी के प्रत्याशी से गंभीर चुनौती नहीं।
पार्टी का प्रत्याशी पहले से राष्ट्रपति है।
राष्ट्रपति को तीसरी पार्टी या निर्दलीय से गंभीर चुनौती नहीं।
राष्ट्रीय नीति में प्रभावशाली बदलाव किए।
सैन्य कार्रवाई में कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा।
प्रतिद्वंदी न आकर्षक नेता है और न नेशनल हीरो है।
यहां फेल क्योंकि...
मध्यावधि चुनाव में राष्ट्रपति की पार्टी की सीटें नहीं बढ़ीं।
चुुनाव के दौरान अर्थव्यवस्था मंदी से गुजर रही है।
दो कार्यकाल की तुलना में आर्थिक बढ़त नहीं मिली।
सामाजिक शांति भंग करने की घटनाएं कई जगह हुईं।
बड़े स्कैंडल भी हुए।
सैन्य कार्रवाई में सफलता नहीं।
मौजूदा राष्ट्रपति आकर्षक नेता और नेशनल हीरो नहीं है।
from Dainik Bhaskar /national/news/elections-were-fair-and-trump-would-not-win-if-russia-stayed-away-leishtman-made-accurate-predictions-from-reagan-to-trump-in-previous-elections-127760699.html
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बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की राजनीति में एंट्री हो गई। रविवार को वे जदयू में शामिल हो गए। मंगलवार को वीआरएस लेने के बाद से ही उनकी सियासी पारी को लेकर कयासों का बाजार गरमाया हुआ था। फिलहाल ये तो साफ हो गया कि वे जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे लेकिन, कहां से लड़ेंगे यह तय नहीं हुआ है।
सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस को लेकर पिछले कुछ महीनों से चर्चा में आए गुप्तेश्वर पांडे पुलिस महकमे में रहने के दौरान भी चर्चा में रहते थे, चाहे सोशल मीडिया हो या ग्राउंड पर गुस्साई भीड़ के सामने। ऐसे कई किस्से हैं, जिसमें से कुछ किस्सों को वो खुद बार-बार दोहराते हैं और कुछ को छोड़ देते हैं...
पहला किस्सा: साल 2007 की बात है। सीतामढ़ी के रूनी सैदपुर में एक स्थानीय माले नेता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। मामला इतना बिगड़ गया कि देखते-देखते हजारों स्थानीय लोगों ने पुलिस थाने को घेर लिया। नारेबाजी के साथ पथराव शुरू हो गया। सीतामढ़ी के तत्कालीन एसपी मौके पर पहुंचे लेकिन हालात को काबू नहीं कर पाए। गुप्तेश्वर तब मुजफ्फरपुर रेंज के डीआईजी थे। वे घटना स्थल पर पहुंचे।
वहां तैनात सिपाहियों को पीछे हटने के लिए बोला। अपने सुरक्षा गार्डस को खुद से दूर किया और गुस्साई भीड़ की तरफ पैदल चल दिए। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने जमीन पर मृत माले-नेता की लाश रखी हुई थी। गुप्तेश्वर लाश के पास बैठे और दहाड़ मार-मारकर रोने लगे।
वो उस नेता को बिल्कुल नहीं जानते थे, लेकिन उसे ईमानदारी की मूर्ति बताया, उसे अपना भाई कहा और वहीं भीड़ के सामने ही ऐलान किया कि दोषी थाना अधिकारी को सस्पेंड कर रहे हैं। एक बड़े पुलिस अधिकारी को ऐसा करते और कहते देखकर भीड़ का गुस्सा शांत हो गया और वो उल्टे अपने डीआईजी साहब की खोज-खबर लेने लगे।
दूसरा किस्सा: साल 2016 की बात है। गुप्तेश्वर तब बिहार सैन्य पुलिस के डीजी थे और पटना में तैनात थे। पड़ोस के जहानाबाद जिले में दंगा भड़क गया। मकर संक्रांति को हो रहे जुलूस के दौरान विवाद के बाद यह दंगा हुआ था। स्थिति जब काबू से बाहर होने लगी तो राज्य सरकार ने पटना से गुप्तेश्वर पांडे को वहां भेजने का फैसला लिया।
जनवरी का महीना था। वो सुबह-सुबह निकल भी गए। वहां जाकर उन्हें लगा कि रात में वहीं कैंप करना होगा। वो पटना से जल्दी-जल्दी में निकले थे तो उनके पास ठंड से बचने के अच्छे और गर्म जैकेट नहीं थे। स्थानीय एसपी-डीएसपी ने एक थानेदार को दानापुर आर्मी कैंट से जैकेट लाने का आदेश दिया। थानेदार जब दानापुर कैंट पहुंचा तो तय नहीं कर पाया कि किस साइज का एक जैकेट लिया जाए।
लिहाजा उसने अलग-अलग साइज के पांच-छह महंगे जैकेट ले लिए। उसने सोचा कि जो ‘साहब’ को पसंद आएगा वो रख लेंगे बाकी वापस कर दिया जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। थानेदार द्वारा लाए गए सारे जैकेट रख लिए गए। पुलिस अधिकारी से राजनेता बने गुप्तेश्वर पांडेय ने 33 साल पुलिस में गुजारे हैं। इन 33 सालों के कई किस्से हैं।
जिसमें से कुछ किस्सों को वो खुद बार-बार दोहराते हैं और कुछ को छोड़ देते हैं। गुप्तेश्वर बिहार पुलिस के ऐसे विरले अधिकारी रहे हैं जो एसपी रहते हुए अपने डीजीपी से ज्यादा चर्चा बटोरते थे। उन्हें सुर्खियां बटोरना हमेशा से पसंद रहा है। उनकी ये ख्वाहिश तब और परवान चढ़ी जब वो बिहार पुलिस के सर्वेसर्वा बना दिए गए।
पुष्यमित्र पटना में रहते हैं। वे पत्रकार हैं। पिछले साल एक सार्वजनिक कार्यक्रम में वो बिहार के तत्कालीन डीजीपी और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गुप्तेश्वर पांडेय के साथ मंच पर थे। वो बताते हैं, 'पांडे जी को सोशल मीडिया का जबरदस्त क्रेज है। मैंने देखा कि उनका एक सुरक्षा गार्ड मोबाइल से फोटो ले रहा है वहीं दूसरा फेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग कर रहा है।'
गुप्तेश्वर के इस क्रेज ने उन्हें कभी मीडिया के कैमरों से दूर नहीं होने दिया और डीजीपी रहते हुए भी वो पत्रकारों के लिए सर्व सुलभ बने रहे। पत्रकारों से अपनी इस नजदीकी को गुप्तेश्वर 'जनता से नजदीकी' बताते हैं, लेकिन बिहार पुलिस के कई सीनियर अधिकारी इसे 'बड़बोलापन और एक पुलिस अधिकारी के लिए गैरजरूरी' कहते हैं।
यही वजह है कि जब बिहार पुलिस प्रमुख के पद से उन्होंने छुट्टी ली तो पटना के पुलिस महकमे इसकी कोई खास चर्चा नहीं हुई। बिहार पुलिस के एक अधिकारी ने हमें बताया, 'कहीं कोई चर्चा नहीं है, एक शब्द भी नहीं। हम सभी अधिकारियों के तीन वॉट्सऐप ग्रुप हैं। एक तो पूरी तरह से आधिकारिक बातों के लिए हैं, वहीं दो ऐसे ग्रुप हैं जिनके माध्यम से अधिकारी आपस में किसी भी मसले पर बतियाते हैं। किसी भी ग्रुप में एक पोस्ट तक नहीं आया।
इस खामोशी की वजह पूछने पर उन्होंने बताया, 'बतौर अधिकारी उन्हें विभाग में कोई पसंद नहीं करता। वो अधिकारियों के साथ की जाने वाली मीटिंग में ऐसे व्यवहार करते थे जैसे वही एक ईमानदार और कर्मठ अधिकारी हैं, बाकी सब बेकार हैं। भ्रष्ट हैं।' कई अधिकारी ये मान रहे हैं कि डीजीपी के अपने कार्यक्रम में बिहार पुलिस की छवि का जितना नुकसान गुप्तेश्वर पांडेय ने किया, उतना किसी और ने नहीं किया।
डीजीपी रहते हुए गुप्तेश्वर एसपी, एसएसपी की साप्ताहिक बैठक में धमक जाते तो कभी किसी बात पर थानेदार तक को फोन लगाकर झाड़ देते थे। ये सब शुरू-शुरू में तो ठीक रहा, लेकिन जब बार-बार होने लगा तो थानेदार तक ने डीजीपी की बातों को सीरियसली लेना छोड़ दिया।
इन सब से उन्हें मीडिया में सुर्खियां तो मिल रही थीं, लेकिन ऐसी हर खबर के साथ डीजीपी के पद की गरिमा में बट्टा लग रहा था। और यही वजह है कि जब गुप्तेश्वर ने दूसरी बार वीआरएस ली तो बिहार पुलिस के एक आला अधिकारी ने कहा, 'आज विभाग में खुशी की लहर है। आखिर हमने अपना ‘हेडैक’ लोगों को दे दिया।'
गुप्तेश्वर पांडेय 31 जनवरी 2019 को बिहार के डीजीपी बने और 22 सितंबर 2020 तक इस पद पर रहे। उनके मुताबिक वो जनता के डीजीपी थे। उन्होंने पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी तक जनता की सीधी पहुंच का रास्ता साफ किया लेकिन क्या उनके पद पर रहने के दौरान बिहार में अपराध भी कम हुआ? बिहार पुलिस हर साल राज्य में हुए अपराधों की संख्या जारी करती है।
इन आकड़ों के मुताबिक 2019 में पिछले दो सालों के मुकाबले सबसे ज्यादा गंभीर अपराध रजिस्टर किए गए। 2017 में कुल 2 लाख 36 हजार 37 मामले दर्ज हुए। 2018 में ये बढ़कर 2 लाख 62 हजार 802 हो गए। अगर बात करें 2019 की तो इस साल राज्य में कुल 2 लाख 69 हजार 096 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हुए।
गुप्तेश्वर के आलोचकों की माने तो इनके कार्यकाल में अपराध इसलिए बढ़े क्योंकि उन्होंने पुलिस प्रमुख का असली काम करने की जगह स्टंटबाजी करते रहे। कभी केस की तहकीकात के नाम पर खुद नदी में कूद गए। कभी जनता से सीधा संवाद स्थापित करने के नाम पर राम कथा वाचक बनकर पंडाल में बैठ गए।
सार्वजनिक मंचों से भोजपुरी में गीत गाए और जाते-जाते खुद पर एक पूरा म्यूजिक एल्बम ही बनवा डाला। जब एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या का मामला सामने आया तो इसे लेकर वो मुम्बई पुलिस से भिड़ते हुए दिखे। भावुक और आक्रामक बयानबाजी करके मीडिया में खासी चर्चा बटोरी और कार्यकाल खत्म होने से कुछ महीने पहले ही पद छोड़ कर राजनीति की तरफ चल दिए।
इन तमाम आलोचनाओं के बीच एक पक्ष ऐसा भी है जो बिहार पुलिस प्रमुख के तौर पर या एक पुलिस अधिकारी तौर पर इनके काम को पसंद करता है। आगे बढ़कर तारीफ करता है। रविंद्र कुमार सिंह मुजफ्फरपुर में रहते हैं और बिहार से प्रकाशित एक प्रतिष्ठित हिन्दी अखबार में पत्रकार हैं और गुप्तेश्वर पांडे के काम करने के तरीके से खासे प्रभावित हैं।
वो कहते हैं, 'मैंने उनके जैसा अधिकारी नहीं देखा। हर वक्त जनता के लिए खड़ा रहते थे। बड़े ओहदे पर थे लेकिन उपलब्धता के मामले में कई बार एसपी को भी पछाड़ देते थे। विभाग में उनकी आलोचना होती हैं क्योंकि वो ऊंची जाति से आते हैं। अपने कार्यकाल में अधिकारियों से ज्यादा उन्होंने आम लोगों को वक्त दिया है। वो बड़े से बड़े दंगे को रोकने की ताकत रखते थे और रोका भी है।
रामाश्रय यादव बिहार पुलिस में इंस्पेक्टर हैं और फिलहाल नरकटियागंज में तैनात हैं। वो गुप्तेश्वर पांडे के साथ कई मौकों पर रहे हैं और उनके काम करने के तरीके प्रशंसक हैं। वो कहते हैं, 'एक बार की बात है। जिले में तनाव की स्थिति थी। वो डीआईजी थे। एसपी ने उन्हें फोन पर हालात की जानकारी दी तो वो बोले-मैं आता हूं। सब ठीक हो जाएगा। हालांकि, उनके आने की नौबत नहीं आई।
मामला निपट गया लेकिन ये उनका खुद पर भरोसा था। ये उनकी पुलिसिंग का कमाल था। वो पगलाई हुई भीड़ को कुछ ही मिनटों में बिना लाठी-बंदूक के शांत कर देते थे। जब हमने उनसे गुप्तेश्वर पांडे के राजनीति में जाने पर प्रतिक्रिया मांगी तो वो पहले हंसे फिर बोले, 'सर कर रहे हैं तो ठीके कर रहे होंगे। कुछ सोचे होंगे, लेकिन उनके जइसा (जैसा) आदमी को लोकसभा जाना चाहिए। ई विधायकी उनके कद के लायक नहीं है।”
ये तो वक्त ही बताएगा कि वो चुनाव जीत पाते हैं या नहीं। अगर चुनाव जीत भी जाते हैं तो राजनीति में किस हद तक कामयाब हो पाते हैं। फिलहाल इतना कहा जा सकता है कि आने वाले वक्त में गुप्तेश्वर पांडेय, बिहार को लेकर होने वाली राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र में रहेंगे क्योंकि 'पांडे जी' को चर्चा में बने रहना पसंद है और वो ऐसा करने के तमाम तरीके जानते हैं।
देश में कोरोना के हालात अब बदल रहे हैं। पिछले नौ दिनों में आठ बार ऐसा हुआ, जब नए संक्रमितों से ज्यादा संख्या ठीक होने वाले मरीजों की थी। वहीं, मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया कि नए किसान बिल से किसानों को फायदा होगा। उन्हें जहां अच्छे दाम मिलेंगे वहीं फल-सब्जियां बेच सकेंगे। बहरहाल, चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ।
आज इन 5 इवेंट्स पर रहेगी नजर
1. आज रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु और मुंबई इंडियंस आमने-सामने होंगे। टॉस शाम 7 बजे होगा। मैच साढ़े 7 बजे शुरू होगा।
2. कंगना रनोट का ऑफिस बीएमसी द्वारा तोड़े जाने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में आज सुनवाई होगी।
3. आज रायपुर में लॉकडाउन को लेकर आ सकता है नया फरमान। वजह है छत्तीसगढ़ में संक्रमितों का आंकड़ा 1 लाख पार हो जाना।
4. राजस्थान में आज पहले चरण का पंचायत चुनाव होगा। इसमें 26 जिलों की 1003 पंचायतों के लिए चुनाव होगा।
5. भाजपा कृषि बिल के समर्थन में चंडीगढ़ में एक बड़ी ट्रैक्टर रैली निकालेगी। वहीं, कांग्रेस किसान विधेयक के विरोध में उत्तर प्रदेश में मार्च निकालेगी।
अब कल की 6 महत्वपूर्ण खबरें
1. ड्रग्स केस में पूछताछ के दौरान दीपिका को अधिकारी ने दी नसीहत
खबरें हैं कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की पूछताछ के दौरान दीपिका तीन बार रो पड़ी थीं। एक्ट्रेस के आंसू देख अधिकारियों ने उन्हें नसीहत देते हुए कहा कि इमोशनल कार्ड खेलने की बजाय वे सबकुछ सच-सच बताती हैं, तो उनके लिए बेहतर होगा। दीपिका ने ड्रग्स चैट की बात स्वीकार की, लेकिन खुद ड्रग्स लेने की बात से इनकार किया।
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच तनाव है। यहां सर्दियों में रात का तापमान माइनस 35 डिग्री तक गिर जाता है। सेना ने 14 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर चुमार-डेमचोक एरिया में टी-90 और टी-72 टैंक तैनात किए हैं। ये माइनस 40 डिग्री टेम्परेचर में भी दुश्मन पर निशाना साधने में सक्षम हैं।
3. राजस्थान में टीचर भर्ती में आरक्षण की मांग, हिंसक हुआ प्रदर्शन
राजस्थान में शिक्षक भर्ती में अनारक्षित पदों को एसटी उम्मीदवारों से भरने की मांग को लेकर चौथे दिन भी हिंसक प्रदर्शन हुआ। उपद्रवी पहाड़ियों पर जमे हैं। हाईवे पर पत्थर बिखरा रहे हैं। श्रीनाथ कॉलोनी में खड़ा वाहन जला दिया। इसके बाद यहां 40 हथियारबंद जवान तैनात किए गए। अब तक 3300 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है।
मुंबई में समंदर के सहारे हजारों लोगों की रोजी-रोटी चल रही थी। यूपी, बिहार, राजस्थान, उड़ीसा, केरल जैसे राज्यों के लोग यहां काम कर रहे थे। लॉकडाउन में घर लौटे मगर मुंबई अनलॉक होने के बाद भी वापसी की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। यहां छह भाई, पान की दुकान से हर महीने 40 हजार कमाते थे। अब यह भी नहीं हो पा रहा। पढ़िए ऐसे लोगों की कहानी।
बिहार में इससे पहले 2005 में तीन चरणों में चुनाव हुए थे। रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी 29 सीटें जीतने के बाद भी तोलमोल करती रही, राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। अक्टूबर में दोबारा चुनाव हुए। पासवान की सीटें घटकर 10 पर आ गईं। अब ये 2020 है। मगर, 15 साल बाद भी चीजें वैसी ही दिशा में जाती दिख रही हैं।
6. कोरोना का नया साइड इफेक्ट, ठीक हो चुके मरीजों के झड़ रहे बाल
कोरोनावायरस अभी तक फेफड़ों को निशाना बना रहा था, लेकिन अमेरिका में यह वायरस लोगों के बाल झड़ने का कारण भी बना हुआ है। डॉक्टर के मुताबिक, उनके पास बाल झड़ने की परेशानी लेकर आने वाले मरीज बढ़े हैं। इसका कारण कोरोनावायरस हो सकता है। डॉक्टरों की सलाह है कि खाने में प्रोटीन-विटामिन लें। योग करें।