शनिवार, 29 अगस्त 2020

67 साल पहले रूस ने पहली बार किया था न्यूक्लियर टेस्ट, 115 साल पहले हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का जन्म हुआ था

आज 29 अगस्त है। 115 साल पहले आज के ही दिन हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जन्म हुआ था। ध्यानचंद ने भारत को लगातार तीन बार ओलिंपिक में स्वर्ण पदक दिलवाया था। ध्यानचंद की बॉल पर पकड़ बेजोड़ थी, इसलिए उन्हें ‘दी विज़ार्ड’ कहा जाता था। ध्यानचंद ने अपने अन्तरराष्ट्रीय करियर में 400 से अधिक गोल किए। उन्होंने अपना आखिरी अन्तरराष्ट्रीय मैच 1948 में खेला था। दिलचस्प यह है की इस जादूगर को बचपन में हॉकी से बिलकुल लगाव नहीं था। उन्हें रेसलिंग बहुत पसंद थी।

उन्होंने पेड़ की डाली से हॉकी स्टिक और पुराने कपड़ों से बॉल बनाकर आसपास के दोस्तों के साथ हॉकी खेलना शुरू किया था। 14 साल की उम्र में वे अपने पिता के साथ एक हॉकी मैच देखने गए। वहां एक टीम 2 गोल से हार रही थी। ध्यानचंद ने अपने पिता से कहा कि वो इस हारने वाली टीम के लिए खेलना चाहते हैं। वह आर्मी का मैच था, उनके पिता ने ध्यानचंद को खेलने की इजाज़त दे दी। ध्यानचंद ने उस मैच में 4 गोल किए। 1922 में 16 साल की उम्र में ध्यानचंद पंजाब रेजिमेंट से एक सिपाही बन गए, जहां उन्होंने हॉकी को और अच्छे से सीखा और इस तरह से दुनिया को हॉकी का जादूगर मिल गया।

67 साल पहले सोवियत संघ ने किया था पहला न्यूक्लियर टेस्ट

आज ही के दिन 1953 में सोवियत संघ ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था। इससे ठीक एक साल पहले 1952 में अमेरिका ने हाइड्रोजन बम बनाया था, जिसकी आधिकारिक घोषणा अमेरिका ने 1953 में की थी। सोवियत संघ को भी यह जानकारी पहले ही हो गई थी, जिसके जवाब में ठीक एक साल बाद उसने भी आज ही के दिन हाइड्रोजन बम बना लिया। उस दौरान हाइड्रोजन बम की ताकत हासिल करने की ऐसी होड़ मची थी कि इसमें रूस, अमेरिका और ब्रिटेन एक-दूसरे को पछाड़ने में लगे थे। हाइड्रोजन बम एटॉमिक बम से हजार गुना ज्यादा ताकतवर होता है। रूस (तब के सोवियत संघ) ने यह परिक्षण द पॉलिगन में किया था। जो अब कजाखस्तान में है।

कई बार टूटी और कई बार बनी किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की लोकदल

1974 आज ही के दिन किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर लोकदल की स्थापना की थी। पहले इसका नाम भारतीय क्रांति दल रखा गया था। इसके गठन के तीन साल बाद 1977 में जनता पार्टी में इसका विलय हो गया था। उसके बाद जनता पार्टी जब 1980 में टूटी तो चौधरी चरण सिंह ने अलग जनता पार्टी एस का गठन किया। 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इस दल का नाम बदलकर दलित मजदूर किसान पार्टी हो गया और इसी बैनर तले चुनाव लड़ा गया। पार्टी में विवाद के चलते हेमवती नंदन बहुगुणा इससे अलग हो गए। 1985 में चौधरी चरण सिंह ने लोकदल का गठन किया। इसी बीच, 1987 में चौधरी अजित सिंह के राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते पार्टी में फिर विवाद हुआ और लोकदल बना। लोकदल का 1988 में जनता दल में विलय हो गया।

इतिहास के पन्नों में आज के दिन को इन घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है...

  • 1612: सूरत की लड़ाई में अंग्रेजों के हाथ पुर्तगालियों को हार का सामना करना पड़ा।

  • 1833: ब्रिटिश दास उन्मूलन अधिनियम को कानून का रूप दिया गया।

  • 1931: शक्तिशाली नगा आंदोलन की बुनियाद रखने वाले नगा आध्यात्मिक गुरु जदोनांग का निधन।

  • 1941: रूस में जर्मन इंस्तजकमांडो ने 1469 यहूदी बच्चों की हत्या की।

  • 1949: भारत के शीर्ष वैज्ञानिकों में से एक के. राधाकृष्णन का जन्म। उनके नेतृत्व में ही भारत ने पहले ही प्रयास में मंगल पर अपने मंगलयान को पहुंचाया।

  • 1969: करगिल युद्ध में शहीद हुए मेजर मनोज तलवार का जन्म हुआ था।

  • 1996: आर्कटिक द्वीप के स्पिट्सबर्गेन की पहाड़ी में विमान हादसा। वनुकोवो एयरलाइंस के दुर्घटनाग्रस्त होने से उसमें सवार सभी 141 लोगों की मौत।

  • 1998: पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित।



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Major Dhyanchand, a hockey wizard, was born 67 years ago by Russia testing hydrogen bomb


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सीने में दर्द को लेकर ऑनलाइन सर्चिंग बढ़ी, कोरोना के डर से अस्पताल नहीं जा रहे हार्ट पेशेंट; ऐसे पहचानें हार्ट अटैक का दर्द

महामारी के दौरान आईं कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल से संबंधित गंभीर परेशानियों से जूझ रहे मरीजों में से कम ही लोग इलाज के लिए अस्पताल या इमरजेंसी डिपार्टमेंट तक जा रहे हैं। जबकि इसी दौरान सीने में दर्द से लक्षणों को ऑनलाइन ज्यादा सर्च किया गया। हाल ही में रिसर्चर्स ने इन दोनों मामलों के बीच लिंक का पता करने के लिए एक ऑनलाइन स्टडी की थी।

रिसर्चर्स को उम्मीद थी कि ज्यादा सर्च होगा हार्ट अटैक
1 जून 2019 से लेकर 31 मई तक चली स्टडी में मायो क्लिनिक के रिसर्चर्स ने इटली, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका गूगल ट्रैंड्स की जांच की। इस दौरान उन्होंने "चेस्ट पेन" और "मायोकार्डियल इंफार्कशन (हार्ट अटैक)" जैसी सर्च टर्म्स का रिव्यु किया। उन्होंने पाया कि महामारी से पहले दोनों सर्चेज एक-दूसरे के लगभग समान थीं।

उम्मीद की जा रही थी कि हार्ट अटैक को लेकर की जा रही सर्च इतनी ही रहेगी या इसका स्तर बढ़ेगा। हालांकि महामारी की शुरुआत में "मायोकार्डियल इंफार्कशन" को लेकर सर्च कम हो गईं थीं, जबकि "चेस्ट पेन" को लेकर की गई सर्च में कम से कम 34% का इजाफा हुआ था।

शायद सीने में दर्द को संक्रमण का लक्षण समझ रहे हैं लोग
जेएमआईआर कार्डियो में प्रकाशित स्टडी के पहले लेखक और रोचेस्टर में मायो क्लिनिक कार्डियोलॉजी के फैलो कोनर सेनेशल ने कहा, "दिलचस्प बात है कि हार्ट अटैक को लेकर सर्च उसी वक्त कम हुईं जब हार्ट अटैक के कम मरीज भर्ती हुए। चौंकाने वाली बात यह है कि इस दौरान सीने में दर्द को लेकर सर्च बढ़ी।" उन्होंने कहा, "इससे यह चिंता बढ़ती है कि या तो लोगों ने गलत तरीके से चेस्ट पेन को संक्रमण का लक्षण समझ लिया है या कोरोना के डर के कारण इलाज लेने से बच रहे हैं।"

कोरोना के आम लक्षणों के बीच गूगल सर्च के मामले में फर्क जानने के लिए स्टडी में "कफ" और "फीवर" से जुड़े सवालों को भी ट्रैक किया। शुरुआत में यह चीजें कई बार खोजी गईं, लेकिन बाद में ये भी कम हो गईं। हालांकि सीने में दर्द से जुड़ी सर्च की संख्या पूरी मई में ज्यादा रही।

डॉक्टर कोनर ने कहा, "होम रेमेडीज फॉर चेस्ट पेन (सीने में दर्द के घरेलू इलाज)" और "नेचुरल रेमेडीज फॉर चेस्ट पेन (सीने में दर्द के प्राकृतिक इलाज)" जैसी सर्च भी बढ़ी हैं। इनमें 41% से ज्यादा का इजाफा हुआ है।" उन्होंने कहा, "यह रिजल्ट चौंकाने वाले थे और यह जानकारी दे रहे थे कि मरीज महामारी के दौरान हेल्थ केयर को नजरअंदाज कर रहे हैं।"

डॉक्टर कोनर ने कहा कि संक्रमण को लेकर चिंता करना सही है, लेकिन अगर मरीज सीने में दर्द महसूस कर रहे हैं तो उन्हें मेडिकल जांच करानी चाहिए। ऐसा सुरक्षित तरीके से किया जा सकता है, जिससे उन्हें कार्डिवेस्कुलर केयर में देरी से होने वाले नतीजों से बचाने में मदद करेगा।

लोगों को शिक्षित होना होगा
ऑनलाइन सर्च को लेकर हुई यह स्टडी बताती है कि मरीजों को शिक्षित करने के लिए नए तरीके खोजने होंगे। जैसे महामारी के दौरान भी हार्ट अटैक और स्ट्रोक का इलाज सुरक्षित तरीके से किया जा सकता है। साथ ही लोग भी सामान्य हार्ट अटैक के सामान्य लक्षणों को लेकर तैयार हो सकते हैं। हालांकि, इस बात को लेकर सतर्क रहें कि पुरुषों और महिलाओं में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं।

नजरअंदाज न करें
भोपाल में कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर रोहित कुमार श्रीवास्तव कहते हैं, "हार्ट की प्रॉब्लम होना अपने आप में ही बहुत बड़ा रिस्क होता है। यह लाइफ थ्रैटनिंग होती है। हमें इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। भले ही महामारी चल रही है, लेकिन इससे हार्ट की परेशानियां कम नहीं हुई हैं।"

डॉक्टर श्रीवास्तव के अनुसार, दावाइयों के साथ-साथ एक्सरसाइज, अच्छी डाइट, योग कर रहे हैं तो हार्ट डिसीज बढ़ने या इसके होने की संभावना कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले हेल्दी लाइफ स्टाइल लें, खाने में फ्रेश फलों और सब्जियों का उपयोग करें। ज्यादा नमक वाले खाने और जंक फूड न लें और अगर आपको स्मोकिंग जैसे किसी रिस्क फेक्टर की आदत है तो उसे बंद करें।

क्या है हार्ट अटैक?
सेंटर्स फॉर डिसीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के अनुसार हार्ट अटैक को मायोकार्डियल इंफार्कशन भी कहा जाता है। ऐसा तब होता है जब दिल की मांसपेशियों के हिस्से को पर्याप्त खून नहीं मिल पाता। ऐसे में बिना इलाज के जितना ज्यादा वक्त गुजरेगा, उतना ही ज्यादा दिल की मसल्स को नुकसान होगा। कोरोनरी आर्टरी डिसीज (सीएडी) को हार्ट अटैक की मुख्य वजह माना जाता है। इसके साथी है एजेंसी के मुताबिक, हार्ट फेलियर, कोरोनरी आर्टरी डिसीज, कार्डियोमायोपैथीज, पल्मोनरी हाइपरटेंशन से जूझ रहे मरीजों को कोरोना से गंभीर बीमारी होने का खतरा ज्यादा है।

कैसे पहचानें दर्द, क्योंकि सीने में होने वाला हर दर्द हार्ट अटैक नहीं होता
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर कार्डियोलॉजी डॉक्टर राजीव गुप्ता कहते हैं, "छाती का दर्द मसल्स के दर्द की वजह से हो सकता है, सर्वाइकल दर्द हो सकता है, एसिडिटी की वजह से हो सकता है, पित्त की थैली में अगर पथरी है तो उसकी वजह से हो सकता है।" उन्होंने बताया कि ये सभी दर्द किसी न किसी चीज से जुड़े होंगे। पित्त की थैली का दर्द खाना खाने से बढ़ेगा, मसल्स का दर्द मूवमेंट्स या चलने-फिरने से बढ़ेगा।

डॉक्टर गुप्ता ने कहा, "अगर हार्ट अटैक का दर्द है तो वो एकदम से आएगा और 2-3 मिनट में बढ़ जाएगा। यह दर्द सामान्यत सीने के दाएं, बाएं, बीच में, जबड़े तक या बाएं हाथ तक जाएगा। यह दर्द काफी तेज होगा।" उन्होंने कहा "अगर हार्ट अटैक हो रहा है तो यह दर्द 10 मिनट से ज्यादा देर तक रहेगा, लेकिन अगर एंजाइना है तो दर्द 2-5 मिनट में कम हो जाएगा।"

डॉक्टर गुप्ता बताते हैं कि अगर एंजाइना आधे या 20 मिनट तक हो रहा तो साथ में पसीना आएगा और बेचैनी होगी या उल्टी होगी। अगर ऐसा है तो हम हार्ट अटैक की ओर जा रहे हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो एंजाइना पर रुक गए हैं।

हार्ट अटैक से उबरने के बाद क्या करें?
अगर आपको हार्ट अटैक आया था तो हो सकता है कि हार्ट डैमेज हो गया हो। ऐसा होना आपके दिल की रिदम और खून पंप करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा आपको दूसरे हार्ट अटैक या स्ट्रोक, किडनी डिसॉर्डर और पैरिफेरल आर्ट्रियल डिसीज (पीएडी) जैसी बीमारियों का जोखिम हो सकता है। ऐसे में आप इन स्टेप्स को फॉलो कर हार्ट से संबंधित भविष्य की परेशानियों को कम कर सकते हैं।

  • फिजिकल एक्टिविटी: आपकी रोज की गतिविधियों के बारे में हेल्थ केयर टीम से बात करें और उन्हें पूरी जानकारी दें। हो सकता है कि डॉक्टर आपके काम, ट्रैवलिंग या सेक्सुअल एक्टिविटीज को कुछ समय के लिए सीमित करना चाह रहे हों।
  • लाइफस्टाइल में बदलाव: डॉक्टर की बताई मेडिसिन के अलावा हेल्दी डाइट लें, फिजिकल एक्टिविटी बढ़ा दें, स्मोकिंग बंद करना और तनाव को मैनेज करना हार्ट की हेल्थ और लाइफ क्वालिटी को सुधारने में मदद करेंगे।

तीन बातों का रखें खास ध्यान
महामारी के दौरान दिल के स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। किसी भी तरह की गलती या शरीर के प्रति लापरवाही आपकी हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि क्या करें और क्या न करें।

  • संतुलित एक्सरसाइज: अगर आप एक्सरसाइज कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि शरीर को उतनी ही मूवमेंट दें, जितना उसे आदत हो। ज्यादा एक्सरसाइज बिल्कुल न करें, क्योंकि इससे फायदे के बजाए नुकसान हो सकता है।
  • संतुलित डाइट: महामारी फैलने के बाद से लोग घरों में ज्यादा वक्त बिता रहे हैं ऐसे में अपनी डाइट को लेकर सतर्क रहें। अगर घर में खाने की चीजें मौजूद हैं तो लगातार खाते न रहें। ज्यादा खाने से बचें।
  • जैसी सलाह दी है वैसे ही लें दवाइयां: कई बार लोग अपनी दवाइयों को लेकर जागरूक नहीं रहते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, कुछ समय की देर तो चलती है, लेकिन सुबह की दवाई को दोपहर या दोपहर की दवाई को रात में न लें। जैसा डॉक्टर बता रहे हैं वहीं दवाई और बताए गए समय पर ही लें।


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Online search for chest pain increased, heart patient not going to hospital due to fear of corona; Identify the pain of heart attack in this way


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79 साल के एथलेटिक्स कोच पुरुषोत्तम राय की दिल का दौरा पड़ने से मौत, आज मिलना था द्रोणाचार्य अवॉर्ड

नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड से ठीक एक दिन पहले ही 79 साल के एथलेटिक्स कोच पुरुषोत्तम राय की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। उन्हें शनिवार को लाइफटाइम कैटेगरी में द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिलना था। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने बताया कि राय ने शुक्रवार शाम को नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड की ड्रेस रिहर्सल में हिस्सा लिया था। इसके बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई।

पुरुषोत्तम ने ओलिंपियन वंदना राव, हेप्टाएथलीट प्रमिला अयप्पा, अश्विनी नचप्पा, मुरली कुट्टन, ईबी शयला, रोसा कुट्टी और जीजी परमिला जैसे एथलीट्स को ट्रेनिंग दी। इन सभी एथलीट्स ने ट्रैक पर न सिर्फ अपने कोच की साख बढ़ाई, बल्कि देश का नाम ही हमेशा ऊंचा किया था।

एथलेटिक्स फेडरेशन ने कोच राय की मौत पर दुख जताया
एएफआई के अध्यक्ष आदिल सुमारिवाला ने कोच पुरुषोत्तम राय के निधन पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि इस घटना से पूरा एसोसिएशन दुखी है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी एथलेटिक्स को दे दी थी। हम उनके परिवार के प्रति संवेदना जताते हैं।

कोच पुरुषोत्तम राय की मौत से दुखी: अंजू बॉबी जॉर्ज

पूर्व लॉन्ग जंपर अंजू बॉबी जॉर्ज भी उनकी मौत से दुखी हैं। जॉर्ज ने कहा कि वे अच्छे कोच थे। उनकी निगरानी में कई ओलिंपियन तैयार हुए। द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिलने से एक दिन पहले उनका गुजर जाना, वाकई तकलीफ पहुंचाने वाला है।

राय ने 1987 की वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप, 1988 की एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशिप और 1999 के सैफ गेम्स के लिए भारतीय एथलेटिक्स टीम तैयार की थी।



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पुरुषोत्तम राय ने 1974 में नेताजी इंस्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स से कोचिंग में डिप्लोमा लिया था। इसके बाद उन्होंने कोचिंग देना शुरू की। -फाइल


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अब तक 38 खिलाड़ियों को मिल चुका है खेल रत्न; पहली बार सबसे ज्यादा पांच प्लेयर्स को मिलेगा देश का सबसे बड़ा खेल अवॉर्ड

कोरोना के कारण इस बार नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड वर्चुअल तरीके से दिए जाएंगे। ऐसा पहली बार होगा, जब नेशनल स्पोर्ट्स डे के मौके पर राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड सेरेमनी नहीं होगी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस साल अलग-अलग 7 कैटेगरी में 74 खिलाड़ियों और कोच को पुरस्कार देंगे। इसमें 60 लोग ही मौजूद रहेंगे। पहली बार एक साथ पांच खिलाड़ियों को खेल रत्न मिलेगा। अब तक कुल 38 खिलाड़ियों को यह अवॉर्ड मिल चुका है।

इस बार क्रिकेटर रोहित शर्मा समेत पांच खिलाड़ियों को खेल रत्न दिया जाएगा। इसमें महिला रेसलर विनेश फोगाट, टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा, महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल और 2016 के पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट मरियप्पन थांगावेलु शामिल हैं।

4 साल पहले चार खिलाड़ियों को खेल रत्न मिला था

इससे पहले, 2016 में एक साथ 4 खिलाड़ियों को यह अवॉर्ड मिला था। तब रियो ओलिंपिक में सिल्वर जीतने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु, महिला रेसलिंग में ब्रॉन्ज जीतने वाली साक्षी मलिक को यह सम्मान मिला था। इनके अलावा जिमनास्ट दीपा कर्माकर और शूटर जीतू को भी देश का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार मिला था। 2009 में 3 खिलाड़ियों बॉक्सर एमसी मैरीकॉम, विजेंदर सिंह और सुशील कुमार को खेल रत्न दिया गया था।

पांच बार दो खिलाड़ियों को मिल चुका है खेल रत्न
पांच मौकों पर दो खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड मिला है। सबसे पहले 1997 में वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी और टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस को यह अवॉर्ड मिला था। 6 साल बाद 2003 में शूटर अंजली भागवत और एथलीट के. बीनामोल को देश का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार मिला।

2012 में निशानेबाज विजय कुमार और योगेश्वर दत्त यह सम्मान हासिल करने वाले खिलाड़ी बने। इसके 5 साल बाद फिर से दो खिलाड़ियों देवेंद्र झाझरिया और सरदार सिंह खेल रत्न चुने गए। पिछले साल पैरा एथलीट दीपा मलिक और रेसलर बजरंग पूनिया इस अवॉर्ड से सम्मानित हुए।

रोहित खेल रत्न सम्मान पाने वाले चौथे क्रिकेटर होंगे

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत 1991 में हुई थी और सबसे पहला अवॉर्ड चेस खिलाड़ी विश्वनाथ आनंद को मिला था। तब से लेकर अब तक 38 खिलाड़ी यह सम्मान हासिल कर चुके हैं। इसमें रोहित शर्मा चौथे क्रिकेटर हैं। उनसे पहले सचिन तेंदुलकर(1998), महेंद्र सिंह धोनी (2007) और विराट कोहली(2018) में यह अवॉर्ड हासिल कर चुके हैं।

विनेश खेल रत्न पाने वालीं पांचवीं रेसलर
इस साल कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वालीं देश की पहली महिला रेसलर विनेश फोगाट को भी खेल रत्न मिलेगा। लेकिन कोरोना के कारण वे वर्चुअल अवॉर्ड सेरेमनी में शामिल नहीं हो पाएंगी। विनेश यह अवॉर्ड पाने वालीं पांचवीं रेसलर हैं।

उनसे पहले ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त और साक्षी मलिक को खेल रत्न मिल चुका है। इनके अलावा बजरंग पूनिया भी पिछले साल इस अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके हैं। मनिका बत्रा खेल रत्न से सम्मानित होने वालीं पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी होंगी।

2012 से 29 अगस्त को खेल दिवस के रूप में मनाया जा रहा

2012 में केंद्र सरकार ने 29 अगस्त को खेल दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था। इस दिन हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन होता है। वे 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में पैदा हुए थे।

1928 में एम्सटर्डम में हुए ओलिंपिक गेम्स में वह भारत की ओर से सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। तब ध्यानचंद ने 14 गोल किए थे। 1932 के ओलिंपिक फाइनल में भारत ने अमेरिका को 24-1 से हराया था। उस मैच में ध्यानचंद ने 8 गोल किए थे। उनके भाई रूप सिंह ने भी 10 गोल किए थे।

इस साल नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड पाने वालों की लिस्ट

इन 27 खिलाड़ियों को मिलेगा अर्जुन अवॉर्ड

खिलाड़ी खेल
अतनु दास आर्चरी
दुती चंद एथलेटिक्स
सात्विक साईराज बैडमिंटन
चिराट शेट्टी बैडमिंटन
विशेष बास्केटबॉल
सूबेदार मानिक कौशिक बॉक्सिंग
लवलीना बॉक्सिंग
इशांत शर्मा क्रिकेट
दीप्ति शर्मा महिला क्रिकेट
सावंत अजय इक्विस्ट्रियन
संदेश झिंगन फुटबॉल
अदिति अशोक गोल्फ
आकाशदीप सिंह हॉकी
दीपिका हॉकी
दीपक कबड्डी
सारिका सुधाकर खो-खो
दत्तू बबन रोइंग
मनु भाकर शूटिंग
सौरभ चौधरी शूटिंग
मधुरिका सुहास टेबल टेनिस
दिविज सरन टेनिस
शिवा केशवन विंटर स्पोर्ट्स
दिव्या काकरन रेसलिंग
राहुल अवारे रेसलिंग
सुयश नारायण जाधव पैरा स्वीमिंग
संदीप पैरा एथलेटिक्स
मनीष नरवाल पैरा शूटिंग

इनको द्रोणाचार्य अवॉर्ड (लाइफ टाइम कैटेगरी)

कोच खेल
धर्मेंद्र तिवारी आर्चरी
पुरुषोत्तम राय एथलेटिक्स
शिव सिंह बॉक्सिंग
कृष्ण कुमार हूडा कबड्डी
रमेश पठानिया हॉकी
नरेश कुमार टेनिस
विजय भालचंद्र मुनिश्वर पैरा पॉवर लिफ्टिंग
ओम प्रकार दाहिया रेसलिंग

द्रोणाचार्य रेगुलर कैटेगरी अवॉर्ड की लिस्ट

योगेश मालवीय (मलखंब), जसपाल राणा (शूटिंग), कुलदीप कुमार हांडू (वुशू) और गौरव खन्ना (पैरा बैडमिंटन)।



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National Sports Awards 2020| Till date 38 players have won rajiv gandhi khel ratna award, first time five players will be felicitated with this award


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पहले 1 करोड़ टेस्ट में 3.2 लाख मरीज मिले थे, इस बार एक करोड़ में 8.13 लाख संक्रमित मिले; अब हर 10 लाख की आबादी में 29 हजार लोगों की जांच हो रही

देश में शुक्रवार को कोरोना के 3 करोड़ टेस्ट पूरे हुए। पहले 1 करोड़ टेस्ट में 3.2 लाख संक्रमित मिले थे। दूसरे 1 करोड़ टेस्ट में 14.4 लाख और तीसरे में 1 करोड़ टेस्ट में 8.42 लाख संक्रमित मिले थे। राहत की बात है कि इस बार एक करोड़ लोगों की जांच में संक्रमितों के मिलने का आंकड़ गिरकर 8.13 लाख हो गया।
देश में अब तक 34 लाख 61 हजार से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 26 लाख 47 हजार से ज्यादा लोग ठीक भी हो चुके हैं। 62 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

10 लाख की आबादी में 29 हजार लोगों की जांच हो रही
देश में अब हर 10 लाख की आबादी में 29 हजार लोगों की कोरोना टेस्टिंग हो रही है। इनमें 2,499 लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं। अमेरिका में इतनी ही आबादी में 2.40 लाख लोगों की जांच हो रही है और इनमें 18,295 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। ब्राजील में 10 लाख की आबादी पर 66,602 टेस्ट हो रहे और 17,730 संक्रमित मिल रहे।



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रूस और बेलारूस की जनता तानाशाह शासकों से ऊब रही, विपक्षी नेता को जहर देने के मामले में पुतिन पर सवाल

पूर्व सोवियत संघ के दो प्रमुख देशों रूस और बेलारूस में वर्षों से सत्ता में जमे तानाशाहों के खिलाफ असंतोष उबल रहा है। बेलारूस में हजारों लोगों ने सड़कों पर आकर चुनावी धांधली के खिलाफ आवाज उठाई है। बेलारूस की स्थिति ने 1989 की बगावत की याद दिलाई है। रूसी शहर खबरोवस्क में कई सप्ताह से हजारों लोग स्थानीय गर्वनर की गिरफ्तारी और केंद्र सरकार की मनमानी का विरोध कर रहे हैं। राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन भयभीत लगते हैं। उनके सबसे लोकप्रिय प्रतिद्वंद्वी अलेक्सी नावाल्नी बर्लिन, जर्मनी के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। उन्हें जहर दिया गया है।

अपने समर्थकों को संरक्षण देकर टिके हुए हैं

पुतिन और मिंस्क, बेलारूस में एलेक्जेंडर लुकाशेंको प्रोपेगंडा, दमन और अपने समर्थकों को संरक्षण देकर टिके हुए हैं। पुतिन के सभी हथकंडे पुराने पड़ चुके हैं। दोनों नेता सोवियत संघ के पतन से पैदा हुई अराजकता से राहत दिलाने का वादा कर सत्ता में आए हैं। लुकाशेंको ने सोवियत संघ जैसी स्थिति जारी रहने की बात कही थी। पुतिन के सत्ता संभालने के बाद किस्मत से तेल के मूल्य बढ़ गए। सामान्य लोगों को फायदा तो हुआ, लेकिन उनके समर्थकों की चांदी रही।

अर्थव्यवस्था को आगे नहीं ले जा सके पुतिन, लुकाशेंको

दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर नजर डालिए। बेलारूस पूर्व सोवियत संघ की तर्ज पर चल रहा है। अधिकतर निर्यात पोटाश और रूस से रिफाइन किए गए पेट्रोलियम पदार्थों का होता है। वहीं रूस की अर्थव्यवस्था में अधिक खुलापन है। लेकिन, इंडस्ट्री और फाइनेंस सेक्टर पर पुतिन के भरोसेमंद पूंजीपतियों का कब्जा है। इस कारण प्रतिस्पर्धा और गतिशीलता का अभाव है। पुतिन पेट्रो पदार्थों से अलग हटकर कुछ नहीं कर पाए हैं। इसलिए तेल की कीमतों में गिरावट और कोरोना वायरस के प्रकोप की दोहरी मार ने अर्थव्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है। तंगी के दौर में उनके पास राष्ट्रवाद और पुराने दिनों की याद दिलाने का झुनझुना भर है।

पुतिन ने पुराने गौरव का काल्पनिक ढोल पीट रखा है

पिछले दो दशक से पुतिन ने जारशाही और सोवियत संघ के पुराने गौरव का काल्पनिक ढोल पीट रखा है। उनका शासन गलत सूचनाएं फैलाने में माहिर है। उसने इंटरनेट पर ट्रोलर्स की फैक्ट्री खोल रखी है। एक टिप्पणीकार का कहना है, पुतिन ने मीडिया में ऐसा माहौल रचा है, जहां कुछ भी सच नहीं है और सब कुछ संभव है। फिर भी, पुतिन नावाल्नी के सामने थके हुए लगते हैं। नावाल्नी के लोकप्रिय यूट्यूब वीडियो लोगों के बीच हताशा की झलक दिखाते हैं। उनमें पुतिन सरकार के भ्रष्टाचार का चित्रण गहरी रिसर्च के साथ किया गया है।

दोनों नेताओं के उत्तराधिकारी भी नापसंद

आर्थिक और सांस्कृतिक पुनर्जीवन में नाकाम पुतिन और लुकाशेंको अपनी सरकार को नया स्वरूप नहीं दे पाए हैं। उनका कोई स्वीकार्य उत्तराधिकारी नहीं है। लुकाशेंको ने अभी हाल में अपने 15 साल के बेटे को फौजी पोशाक में पेश किया है। पुतिन आसानी से अपना उत्तराधिकारी तैयार नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इससे उनके गुट में अंसतोष पैदा होगा।

उन्होंने इस साल 2036 तक स्वयं सत्ता में रहने के लिए संविधान में बदलाव किया है। उस समय उनकी आयु 84 वर्ष हो जाएगी। दूसरी ओर नावाल्नी 13 सितंबर को होने वाले क्षेत्रीय चुनावों के लिए विपक्षी मतों को एकजुट करने की कोशिश में लगे थे। नावाल्नी को जहर देने की घटना से साफ है कि तानाशाहों के पास जब कोई नया हथकंडा नहीं होता तो वे हिंसा पर उतारू हो जाते हैं।

पुतिन ने रूस में माफिया जैसा साम्राज्य कायम कर रखा है

रूस में व्लीदीमीर पुतिन ने माफिया जैसे शासन का निर्माण किया है। सरकार नावाल्नी को जर्मनी भेजने में आनाकानी करती रही। उन्हें जहर देने की जांच कराने से भी इनकार कर दिया है। पुतिन ने नावाल्नी काे अदालतों के माध्यम से कई बार कैद रखा है। उन्हें चुनाव में हिस्सा नहीं लेने दिया गया। दोनों नेताओं ने मीडिया को पालतू बनाकर अपनी छवि उजली रखी है। लुकाशेंको पुराने जमाने के तानाशाह जैसा बर्ताव करते हैं। उन्होंने पिछले सप्ताह एक हेलीकॉप्टर में घूमते और एके-47 गन दिखाते हुए अपना वीडियो जारी करवाया है।



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रूस में व्लीदीमीर पुतिन ने माफिया जैसे शासन का निर्माण किया है।


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किसी एक वैक्सीन के हमेशा प्रभावी रहने पर संदेह है इसलिए प्रोटीन, मृत वायरस और नाक से स्प्रे वाली वैक्सीन भी बना रहे वैज्ञानिक

कोरोनावायरस संकट के बीच 30 से ज्यादा वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल चल रहा है। वे वैज्ञानिक परीक्षणों के कठिन चरणों से गुजर रही हैं। द न्यूयॉर्क टाइम्स को मिली जानकारी के मुताबिक, 88 वैक्सीन का प्री-क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। इनमें से 67 वैक्सीन 2021 के अंत तक क्लीनिकल ट्रायल के स्तर पर आने की उम्मीद है।

दूसरी तरफ वैज्ञानिकों को वैक्सीन के प्रभाव को लेकर भी चिंता है। ब्राजील के साओ पाउलो में वैक्सीन शोधकर्ता लुसियाना लेइट कहते हैं, ‘हमें अभी भी पता नहीं है कि सुरक्षा के लिए किस तरह की इम्युनिटी महत्वपूर्ण होगी।’

जॉर्जिया यूनिवर्सिटी में इम्युनोलॉजी के डायरेक्टर टेड रॉस कहते हैं- ‘चिंता इस बात की है कि पहली वैक्सीन बाद में भी उतनी ही प्रभावी रहेगी या नहीं। ऐसे में अलग-अलग रणनीति पर काम करने की जरूरत है।’ कई कंपनियां आश्चर्यजनक रूप से कुछ ऐसी वैक्सीन पर दांव लगा रही है, जो उम्मीद जगाती हैं।

अमेरिका में एक ऐसी वैक्सीन पर काम हो रहा है, जो शरीर को संक्रमण रोकने के लिए तैयार करेगी। इसमें स्पाइक नाम का प्रोटीन डेवलप होगा, जो कोरोनावायरस को कवर कर रोक देगा। यह एंटीबॉडी भी बनाएगी। वहीं, एपिविक्स कोरोनोवायरस के कई हिस्सों से बने टीकों का परीक्षण कर रही है, जिससे पता लगा सके कि उसे कैसे रोक सकते हैं।

नैनोपार्टिकल वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए वॉलंटियर भर्ती

एपिविक्स के सीईओ एनी डी ग्रोट कहते हैं- ‘यह सुरक्षा की दूसरी लेयर है, जो एंटीबॉडी से बेहतर काम कर सकती है।’ डॉ. वेस्लर के सहयोगी नील किंग की स्टार्ट-अप आइकोसेवैक्स इस साल नैनोपार्टिकल वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल करेगी। इनके अलावा अमेरिका के वॉल्टर रीड आर्मी इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता भी नैनोपार्टिकल वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए वॉलंटियर भर्ती कर रहे हैं। इस साल के अंत तक इसका ट्रायल होगा।'

नाक से स्प्रे वाली वैक्सीन

न्यूयॉर्क की कोडाजेनिक्स नाक से स्प्रे वाली वैक्सीन बना रही है। इसके शोधकर्ता कोरोनावायरस के सिंथेटिक संस्करण पर प्रयोग कर रहे हैं। इसका पहला ट्रायल सितंबर में होगा। उनके मुताबिक यह इन्फ्लूएंजा के फ्लुविस्ट की तरह प्रभावी हो सकती है, क्योंकि वायरस सांस के जरिए ही शरीर में जाता है।

चीनः ट्रायल पूरा होने से पहले 2 वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी
चीन में कोरोनावैक वैक्सीन के इमरजेंसी में इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसका अभी तक ट्रायल भी पूरा नहीं हुआ है। इसका इस्तेमाल एक कार्यक्रम के भाग के रूप में किया जा रहा है। यह ज्यादा जोखिम वाले समूह जैसे मेडिकल, नर्सिंग स्टाफ और उन लोगों को लगाई जाएगी, जिन्हें संक्रमण का खतरा ज्यादा है।



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न्यूयॉर्क टाइम्स को मिली जानकारी के मुताबिक 88 वैक्सीन का प्री-क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। इनमें से 67 वैक्सीन 2021 के अंत तक क्लीनिकल ट्रायल के स्तर पर आने की उम्मीद है। 


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कांग्रेस पर वंशवादी होने का आरोप एक हद तक सही, पर प्रतिद्वंद्वी पार्टियों में भी आंतरिक लोकतंत्र नजर नहीं आता

कांग्रेस का ‘लेटर बम’, जो ठीक से फटा भी नहीं, उसके परिणामस्वरूप इस पुरानी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की कमी को लेकर काफी चिंता जताई जा रही है। कांग्रेस पार्टी के गांधियों के प्रति जुनून को समझाने के लिए इसे अक्सर ‘परिवार संचालित प्राइवेट लिमिटेड कंपनी’ कहते हैं।

इंदिरा गांधी द्वारा कांग्रेस के विभाजन के बाद से 51 साल में केवल सात साल छोड़कर, ‘नई’ कांग्रेस का नियंत्रण नेहरू-गांधी परिवार के हाथ में ही रहा है। एक हद तक वंशवादी पार्टी होने का आरोप सही लगता है। लेकिन, क्या इसका मतलब यह है कि कांग्रेस अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से कम ‘लोकतांत्रिक’ है? शायद नहीं।

भाजपा का ही उदाहरण ले लें। भाजपा ने कब अध्यक्ष पद या प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुनने के लिए खुला चुनाव करवाया? जब 2014 में राजनाथ सिंह का कार्यकाल समाप्त हुआ, तब प्रधानमंत्री के करीबी अमित शाह को सर्वसम्मति से भाजपा प्रमुख ‘चुना’ गया। फिर 2019 में जेपी नड्‌डा भी ‘चुने’ गए, इसलिए नहीं कि वे लोकप्रिय थे, बल्कि इसलिए कि वे एक सुशील नेता हैं, जिसका कोई बड़ा जनाधार नहीं है, जो नाव को हिलाएगा नहीं।

यह भी तथ्य है कि 2013 में मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का फैसला आरएसएस हेडक्वार्टर, नागपुर के हेडगेवार भवन में लिया गया था। उसके लिए पार्टी में कोई चुनाव नहीं हुआ था। जब लालकृष्ण आडवाणी ने विरोध जताया तो उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया, जो स्पष्ट संकेत था कि भाजपा में ‘चुने हुए’ को चुनौती देना सहा नहीं जाता।

इसके विपरीत, सोनिया गांधी वंशवादी सिद्धांत की स्वाभाविक लाभार्थी हैं, जो राजनीति में आ ही इसलिए पाईं, क्योंकि वे गांधी परिवार की ‘बहू’ हैं। उन्होंने 1998 में ‘रक्तहीन आघात’ में सीताराम केसरी की जगह ली थी, फिर भी उन्होंने कम से कम ‘चुनाव’ लड़ने की परंपरा निभाते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता जितेंद्र प्रसाद को हराया था।

प्रसाद ने उनके नेतृत्व को चुनौती दी थी, फिर भी उनके बेटे जितिन यूपीए सरकार में मंत्री बने। ‘भूलो और माफ करो’ दृष्टिकोण के कारण ही सोनिया गांधी के विदेशी मूल मामले में चुनौती देकर पार्टी छोड़ने वाले शरद पवार वास्तव में महाराष्ट्र और केंद्र में मूल्यवान सहयोगी माने गए। और अभी भी सोनिया दावा करती हैं कि उनके मन में चिट्‌ठी लिखने वालों के प्रति कोई ‘द्वेष’ नहीं है।

तुलना करें तो पाएंगे कि भाजपा में मत विरोधियों की पार्टी में सक्रिय भूमिका कम ही नजर आती है।

1970 के दशक में, जब जनसंघ के कद्दावर नेता बलराज मधोक वाजपेयी-आडवाणी द्वय के खिलाफ खड़े हुए तो पार्टी से ही गायब हो गए। जब गोविंदाचार्य ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी को ‘मुखौटा’ कहा, तो उनसे पार्टी के सारे पद छीन लिए गए। हाल के समय में वे सभी भाजपा नेता, जिनका कभी गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी ने टकराव था, व्यवस्थित ढंग से हटा दिए गए।

क्या भाजपा में कोई प्रधानमंत्री पर सवाल उठाते हुए चिट्‌ठी लिखने की हिम्मत कर सकता है? क्या पिछले 6 सालों में पार्टी में किसी भी राष्ट्रीय मुद्दे को लेकर बहस हुई है या पार्टी पूरी तरह से प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन हो गई है?

सच्चाई यह है कि जहां कांग्रेस बेशक ज्यादा वंशवादी है, लेकिन आज की भाजपा से शायद ज्यादा लोकतांत्रिक है। जहां कांग्रेस में लगता है कि शीर्ष पद एक परिवार के लिए आरक्षित है, भाजपा ने पार्टी प्रमुख पद के लिए बाहरी को अवसर दिए। लेकिन भाजपा का अब अपना एक राजनीतिक सुप्रीमो है, जिसपर कोई सवाल नहीं उठा सकता। और उन क्षेत्रीय पार्टियों का क्या? ज्यादातर पार्टियों ने कांग्रेस और भाजपा, दोनों के बुरे गुण अपनाए हैं। लगभग सभी परिवारों की जागीर हैं।

किसी भी पार्टी में विरोधी सुर नहीं सहा जाता और फैसले लेने में शायद ही कभी परामर्श लिया जाता है। मसलन क्या तृणमूल कांग्रेस में कोई ममता बनर्जी के नेतृत्व पर सवाल उठा सकता है? यहां तक कि सामाजिक और राजनीतिक मंथन के बाद बनीं राजनीतिक पार्टियां भी परिवार संचालित एंटरप्राइज बन गईं। जैसे तमिलनाडु में डीएमके।

यहां तक कि जन आंदोलन से उभरने का दावा करने वाली ‘आप’ भी अपने ‘सुप्रीम लीडर’ अरविंद केजरीवाल की शख्सियत से पहचानी जाती है। दक्षिणपंथी पार्टियां भी पार्टी में बहस और मुख्य पदों के लिए चुनावों को लेकर प्रतिकूल हैं। ऐसे में शायद भारतीय संदर्भ में पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र की धारणा अतिश्योक्तिपूर्ण है।

भारत में किसी भी विरोध को विभाजनकारी और पार्टी के टूटने का जोखिम माना जाता है। इसकी जगह ‘लोकतांत्रिक सर्वसम्मति’ की भावना से नेता के आदेश के पालन की स्पष्ट प्रवृत्ति है। शायद हमारी लोकतांत्रिक भावना की सच्ची परीक्षा तब होगी, जब कुछ महीने बाद प्रस्तावित कांग्रेस सेशन में वास्तव में कार्यसमिति और कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव हों।

कार्यसमिति की बैठक से पहले ‘23 की गैंग’ के एक सदस्य ने मुझसे कहा था कि विवादास्पद चिट्‌ठी का लक्ष्य गांधी परिवार को निशाना बनाना नहीं था, बल्कि पार्टी का पुनरुत्थान था। उन्होंने मुझसे निवेदन किया, ‘लेकिन यह सब ऑफ रिकॉर्ड है, वरना मैं मुसीबत में पड़ जाऊंगा।’ जब डर ही बुनियाद हो, क्या पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को वाकई में अपनाया जा सकता है? (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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राजदीप सरदेसाई, वरिष्ठ पत्रकार


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व्यक्ति की बजाय न्यायिक व्यवस्था में सुधारों की पूरे देश को जरूरत

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुशांत सिंह राजपूत के मामले की सीबीआई, ईडी और अब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा मुस्तैदी से जांच हो रही है। फिल्मी सितारों से जुड़ा निजी मामला अब मीडिया ट्रायल की वजह से देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया।

चार साल पहले अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री कलिखो पुल ने आत्महत्या कर ली थी। 60 पेज के सुसाइड नोट के हर पेज में दस्तखत करके उन्होंने अफसरों, वकीलों, जजों और राजनेताओं के भ्रष्ट तंत्र का बड़ा खुलासा किया था। उस मामले में राज्यपाल की अनुशंसा के बावजूद मुख्यमंत्री की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ न तो जांच हुई और न ही कोई कार्रवाई हुई।

सुशांत की तर्ज पर कलिखो और बाद में उनके बेटे की हत्या/आत्महत्या के कारणों की सही जांच होती तो आज न्यायपालिका की साख पर इतने पैने सवाल नहीं उठते? अवमानना के ये मामले किसी एक वकील या जज के बीच माफी या सजा से खत्म नहीं हो सकते।

पिछले पांच सालों में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक व्यवस्था में सुधार के पांच महत्वपूर्ण बिंदुओं पर महत्वपूर्ण आदेश पारित किए, लेकिन उन पर अमल नहीं होने से अनेक बवंडर हो रहे हैं। इन मामलों के बहाने अदालती व्यवस्था का मंथन हो तो न्यायिक सुधारों के अमृत से पूरा देश लाभान्वित हो सकता है।

1. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की भर्ती में मनमानी से भाई-भतीजावाद पनपता है, जो न्यायिक भ्रष्टाचार का बड़ा कारण है। इसे ठीक करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का कानून बनाया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने पांच साल पहले खारिज कर दिया।

न्यायिक व्यवस्था की सड़ांध को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज कुरियन जोसफ ने उस फैसले में ग्लास्त्नोव (पारदर्शिता) और पेरोस्त्रोइका (पुनर्निर्माण) को लागू करने की बात कही थी। पांच साल बीत गए, लेकिन मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर यानी एमओपी में माध्यम की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ।

2. संसदीय समिति ने 1964 में निचली अदालतों में भ्रष्टाचार की बात कही थी। उसके 50 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के अनेक चीफ जस्टिस ने ऊंची अदालतों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को स्वीकार किया। संविधान के तहत जजों को सिर्फ महाभियोग की प्रक्रिया से ही हटा सकते हैं। 1991 में संविधान पीठ ने एक अजब फैसला दिया था, जिसके बाद चीफ जस्टिस की इजाजत के बगैर भ्रष्टाचार के मामलों में जजों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती।

पिछले 70 सालों में भ्रष्टाचार के अनेक आरोप सिद्ध होने के बावजूद, एक भी जज महाभियोग के तहत नहीं हटाया गया और न ही आपराधिक कार्रवाई हुई। इस पूरी बहस में यह समझना जरूरी है कि 10% या 20% जज भले ही भ्रष्ट हों, लेकिन बकाया 80% जज अभी भी मेहनती और ईमानदार हैं। अच्छे लोगों का सिस्टम पर भरोसा बना रहे, इसके लिए दागी जजों के खिलाफ कठोर कार्रवाई जरूरी है।

3. तीन करोड़ से ज्यादा लंबित मुकदमों की वजह से समाज त्रस्त, अर्थव्यवस्था ध्वस्त है। सीनियर एडवोकेट्स की वजह से वीआईपी मामलों का फैसला कुछ हफ्तों में हो जाता है, लेकिन आम जनता की झोली में तारीख ही आती है। अदालतों की मौखिक बहस और कार्यवाही का पूरा रिकॉर्ड रखा जाए या फिर संसद की तरह कार्यवाही का सीधा प्रसारण हो तो न्यायिक सिस्टम जवाबदेह बनेगा।

थिंक टैंक सीएएससी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में कहा था कि अदालतों की सड़ांध को दूर करने के लिए सीधे प्रसारण की व्यवस्था प्रभावी हो सकती है। लॉकडाउन की मजबूरी में अदालतों में डिजिटल माध्यम से सुनवाई जरूर शुरू हो गई, लेकिन सीधे प्रसारण की औपचारिक व्यवस्था अभी तक नोटिफाई नहीं हुई।

4. मुकदमों की मनमाफिक लिस्टिंग और मास्टर ऑफ रोस्टर जैसे मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट हमेशा विवादों के घेरे में रहता है। कुछ मुकदमों पर ताबड़तोड़ सुनवाई और फैसला हो जाता है, जबकि शांति भूषण के हलफनामे या गोविंदाचार्य की सीधे प्रसारण की याचिका पर सुनवाई फाइलों के तले दबी रहती है।

मामलों की लिस्टिंग, बेंच के गठन, सुनवाई के क्रम और रोस्टर आदि के सही नियमन और क्रियान्वयन के लिए सुप्रीम कोर्ट नियमों में संशोधन करके समुचित व्यवस्था बने तो फिर मनमर्जी और भ्रष्टाचार पर रोक लग सकेगी।

5. प्रशांत भूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैरा 67 में आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया गया है। ढाई साल पहले सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लोकतंत्र को खतरे की बात कही थी। न्यायिक व्यवस्था में माफिया तंत्र के दबाव का हल्ला मचाकर तत्कालीन चीफ जस्टिस गोगोई ने छुट्टी के दिन सुनवाई करके, जस्टिस पटनायक को जांच का जिम्मा सौंपा। अपराधी, भ्रष्ट अफसर और नाकाम सरकारों पर न्याय का चाबुक चलाने के बाद अब न्याय की देवी खुद का घर ठीक करें तो जजों का इकबाल ज्यादा बढ़ेगा।

अवमानना के नाम पर विरोध को कुचलने से, जजों को तात्कालिक राहत भले ही मिल जाए, लेकिन न्यायपालिका का इकबाल बुलंद करने के लिए बुनियादी न्यायिक सुधारों की पूरे देश को जरूरत है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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विराग गुप्ता, सुप्रीम कोर्ट के वकील


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चीनी पैसे और दर्शकों के सहारे चल रही हैं हॉलीवुड की फिल्में, दुनिया का सबसे बड़ा सिनेमा बाजार बन सकता है

हॉलीवुड पर चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका में ज्यादातर सिनेमाघर बंद हैं, लेकिन चीन में मूवी थिएटर खुल चुके हैं। संभव है कि चीन इस साल फिल्मों से टिकट खिड़की पर आमदनी के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ दे। वह इस तरह दुनिया का सबसे बड़ा सिनेमा बाजार बन जाएगा।

इसके साथ चीनी मीडिया कंपनियां अमेरिकी फिल्मों में काफी पैसा लगा रही हैं। इसका नतीजा है कि मुलान, पैसिफिक रिम और कुंग फू पंडा से लेकर कई हॉलीवुड फिल्में चीन के बाजार को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं।

चीन में इस सप्ताह युद्ध पर आधारित अमेरिकी फिल्म- ‘द ऐट हंड्रेड’ लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए देखी है। अगले सप्ताह डिज्नी अपनी फिल्म मुलान को पश्चिमी देशों में स्ट्रीमिंग के माध्यम से रिलीज करेगी। उधर, चीनी दर्शक थिएटरों में फिल्म देख सकेंगे। चीनी दर्शकों और पैसे के कारण अमेरिकी फिल्में चीनी सेंसर के हिसाब से बनाई गई हैं।

कई बार फिल्म का चीनी संस्करण चीनियों को खुश रखने के हिसाब से बदला जाता है। वैश्विक दर्शकों के लिए दूसरी फिल्म पेश की जाती है। अमेरिका के अटॉर्नी जनरल ने फिल्म इंडस्ट्री पर चीन की नीतियों का पालन करने का आरोप लगाया है। अमेरिकी सीनेटर टेड क्रुज ने चीनी सेंसरों के हिसाब से फिल्म को संपादित करने वाले हॉलीवुड स्टूडियो और फिल्म कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

कई बार नक्शे और झंडे बदलवाए गए

चीनी सेंसरशिप को लेकर आशंकाओं के बादल हैं। कुछ चीनी अधिकारी बेतुकी मांग करते हैं जैसे कि मिशन: इम्पॉसिबल 3 में शंघाई में दिखाई गई गंदगी को हटाया जाए। कई बार नक्शे और झंडे बदलवाए गए हैं। चीन में फिल्म रिलीज करने के लिए थ्येनऑनमन, ताईवान और तिब्बत का जिक्र नहीं होना चाहिए। किसी समय अमेरिकी एक्टर दलाईलामा के साथ तस्वीर खिंचवाना पसंद करते थे। अब वे जानते हैं कि ऐसी सेल्फी चीन में उनकी फिल्म को ब्लैक लिस्ट में डाल सकती है।

चीन में बॉक्स ऑफिस से 73 हजार करोड़ रु. की कमाई
पहले हॉलीवुड में चीन की कद्र नहीं थी। उसने 2005 में वहां बॉक्सऑफिस से दो हजार करोड़ रुपए कमाए थे। पिछले साल यह आंकड़ा लगभग 73 हजार करोड़ रुपए हो गया। चीन में यूरोप और अमेरिका के बराबर सिनेमा स्क्रीन हैं। इसलिए सौ साल तक अमेरिकी कथानक पर केंद्रित फिल्मों के स्थान पर अब ऐसे सुपरहीरो और राजकुमारियों को जगह मिल रही है, जो पश्चिमी नहीं हैं।



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चीन में यूरोप और अमेरिका के बराबर सिनेमा स्क्रीन हैं।


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असीम सलीम बाजवा ने सेना में रहते 99 कंपनियां और 133 रेस्टोरेंट बनाए; चार देशों में फैलाया 382 करोड़ का कारोबार

आर्थिक स्थिति से जूझ रहे पाकिस्तान में एक वेबसाइट ने पाकिस्तानी सेना के पूर्व जनरल असीम सलीम बाजवा को लेकर बड़ा खुलासा किया है। वेबसाइट फैक्ट फोकस के मुताबिक, बाजवा ने सेना में रहने के दौरान से अब तक 99 कंपनियां और 133 रेस्टोरेंट बना लिए हैं। उनका अरबों का कारोबार है, जो पाकिस्तान, अमेरिका, यूएई और कनाडा में फैला है।

बाजवा के इस काम में उनका परिवार भी शामिल था। बाजवा पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता थे। बाद में रिटायर होने पर चीन से करीबी देखते हुए उन्हें चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का चेयरमैन बना दिया गया। असीम बाजवा 6 भाई और तीन बहनें हैं।

कोरोनाकाल में इस खुलासे के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर जनरल असीम बाजवा को हटाने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर वेबसाइट फैक्ट फोकस ने जब यह खुलासा किया तो कुछ देर के लिए उनकी वेबसाइट ही हैक हो गई। हालांकि बाद में उसे ठीक कर‍ लिया गया।

कद के साथ कारोबार भी बढ़ता गया

रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे सेना में असीम बाजवा का कद बढ़ता गया, वैसे उनका और उनके परिवार का कारोबार भी बढ़ता गया। जनरल असीम ने अपनी शपथ में कहा था कि उनकी पत्नी का पाकिस्तान के बाहर को कोई बिजनेस नहीं है। लेकिन, असलियत ठीक इसके उलट निकली।

बाजवा इस समय सीपीईसी के चेयरमैन हैं, जिसके तहत चीन अरबों डॉलर का निवेश पाकिस्तान में कर रहा है। यही नहीं जनरल असीम पाक पीएम इमरान खान के विशेष सहायक हैं। असीम बाजवा के छोटे भाइयों ने 2002 में पहली बार पापा जॉन पिज्जा रेस्तरां खोला था। इसी साल जनरल असीम तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ के पास लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में तैनात थे।

असीम के भाई ने रेस्तरां में डिलिवरी ड्राइवर के रूप में कॅरियर शुरू की

असीम बाजवा के भाई नदीम बाजवा ने पिज्जा रेस्तरां में डिलिवरी ड्राइवर के रूप में करिअर की शुरुआत की थी। वर्तमान में उनके भाई और असीम बाजवा की पत्नी 99 कंपनियों के मालिक हैं। इनके पास पिज्जा कंपनी के 133 रेस्तरां हैं, जिनकी कीमत करीब 4 करोड़ डॉलर (करीब 292 करोड़ रुपए) है। इन 99 कंपनियों में 66 मुख्य कंपनियां हैं और 33 ब्रांच कंपनी। बाजवा के परिवार ने 5 करोड़ 22 लाख डॉलर (करीब 382 करोड़ रुपए) अपने बिजनेस को विकसित करने में खर्च किया। साथ ही एक करोड़ 45 लाख डॉलर अमेरिका में संपत्ति खरीदने में खर्च की।



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बाजवा इस समय सीपीईसी के चेयरमैन हैं, जिसके तहत चीन अरबों डॉलर का निवेश पाकिस्तान में कर रहा है।


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ट्रम्प बोले- बिडेन का एजेंडा मेड इन चाइना, मेरा मेड इन अमेरिका; उन्हें चुना तो अमेरिकन ड्रीम टूट जाएगा

अमेरिका के व्हाइट हाउस से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संदेश दिया कि वो अकेले समाजवाद, अराजकता और अतिवाद जैसी ताकतों के खिलाफ दीवार बनकर खड़े हैं। ट्रम्प ने कहा कि अगर जो बिडेन राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो अमेरिकन ड्रीम तबाह हो जाएगा। रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में दूसरी बार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी स्वीकार करने के बाद ट्रम्प ने कहा- बिडेन का एजेंडा ‘मेड इन चाइना’ और मेरा ‘मेड इन अमेरिका’ है।

इस चुनाव से तय होगा कि हम अमेरिकन ड्रीम को बचाते हैं या एक समाजवादी एजेंडे को मेहनत से बनाई तकदीर तबाह करने की अनुमति देते हैं। संबोधन में ट्रम्प ने कहा कि हमें तय करना होगा कि कानून का पालन करने वाले अमेरिकियों की रक्षा करेंगे, या उन्हें धमकाने वाले हिंसक, अराजक आंदोलनकारियों को खुली छूट देंगे।

ट्रम्प बोले-

  • इसी साल सुरक्षित, प्रभावी वैक्सीन लाएंगे। 3 वैक्सीन फाइनल ट्रायल पर हैं। एडवांस में उनका उत्पादन कर रहे हैं।
  • हम अमेरिकी महत्वाकांक्षा के नए युग का आगाज करेंगे। अमेरिका चांद पर पहली महिला को उतारेगा।

कोरोना, नस्लवाद जैसे मुद्दों के बजाय बिडेन पर हमले और अपनी उपलब्धियां बताते रहे ट्रम्प

झूठ हावी: 25 मुद्दों पर बोले; 5 ही सच्चे , 4 झूठे, 9 पर गुमराह किया, 7 बढ़ाकर बताए

70 मिनट के संबोधन में ट्रम्प ने 25 मुद्दों पर अपनी बात रखी। न्यूयॉर्क टाइम्स के विश्लेषण के मुताबिक इनमें 5 ही सच थे। 4 पूरी तरह झूठे निकले, 7 को उन्होंने बढ़ा-चढ़ाकर बताया, वहीं 9 मुद्दों पर लोगों को गुमराह किया। ट्रम्प यह बताने की कोशिश करते रहे कि कोराना पर पूरी तरह नियंत्रण पा लिया गया है, लेकिन हकीकत इससे उलट है। ट्रम्प का संबोधन कोरोना के बजाय बिडेन और खुद की उपलब्धियों के बखान पर केंद्रित रहा।

अतीत भूले: 36 साल पार्टी का झंडा बुलंद करने वाले नहीं दिखे, ऐसा पहली बार हुआ

1980 से 2016 तक रिपब्लिकन पार्टी का नेतृत्व करने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उप राष्ट्रपति सम्मेलन से गायब रहे। यानी बुश, चेनी और बेकर्स मेें से कोई नहीं दिखा। कोडोंलिजा राइस भी नहीं थीं। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प ने उनसे पूरी तरह किनारा कर लिया। सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैक्कॉनेल, अल्पसंख्यक नेता कैविन मैक्केर्थी को भी मंच पर जगह नहीं दी गई। कन्वेंशन के दौरान 10 घंटे के अलग-अलग भाषण में ट्रम्प ने सिर्फ बुश और रीगन का नाम लिया।

डेमोक्रेट कन्वेंशन को ज्यादा लोगों ने देखा: सर्वे

रिपब्लिकन कन्वेंशन को पहले दिन 1.7 करोड़ और दूसरे दिन 1.8 करोड़ लोगों ने टीवी पर देखा। जबकि 2016 के चुनाव में शुरुआती दो दिनों में दर्शक 1.9 करोड़ से ज्यादा थे।वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी की कन्वेंशन को चारों दिन अमेरिका में औसत 22 करोड़ लोगों ने रोज देखा। नीलसन ने यह सर्वे किया है।

टूटी परंपरा: राजनीतिक फायदे के लिए ट्रम्प ने व्हाइट हाउस का इस्तेमाल किया

ट्रम्प का भाषण व्हाइट हाउस का लॉन में हुआ। विशुद्ध रूप से राजनीतिक घटनाओं के लिए व्हाइट हाउस का इस्तेमाल नहीं होने की परंपरा और नियमों को ताक पर रख दिया गया। मेहमानों में डिस्टेंसिंग नहीं दिखी और ना ही मास्क लगाना जरूरी समझा गया। अमेरिका में नस्लीय हिंसा चरम पर है और चुनाव में बड़ा मुद्दा भी। पर ट्रम्प ने इस मामले में अफ्रीकन-अमेरिकन समुदाय से वादा किया कि सर्वश्रेष्ठ स्थिति का आना अभी बाकी है।

विपक्ष का हमला: बिडेन का ट्वीट: खुद से पूछिए- ट्रम्प के अमेरिका में कितने सुरक्षित

ट्रम्प ने भाषण में कहा कि बिडेन के अमेरिका में कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा। इस पर बिडेन ने ट्वीट किया- जब ट्रम्प ने कहा कि आप बिडेन के अमेरिका में सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो आसपास देखिए और खुद से पूछिए- ट्रम्प के अमेरिका में कितना सुरक्षित महसूस करते हैं? वहीं उप राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी कमला हैरिस ने भी ट्रम्प पर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि ट्रंप अमेरिकियों को कोरोना से बचा नहीं पाए। चीनी सरकार पर जब अमेरिका को सख्त होने की जरूरत थी तो तब उस समय वह छुपकर बैठ गए थे।

अमेरिका के अहम मुद्दे: ट्रम्प VS बिडेन

डोनाल्ड ट्रम्प

  • दावा करते हैं कि कोरोना पूरी तरह नियंत्रण में, कई देशों से अच्छी स्थिति। जबकि 60 लाख मरीज हैं। 1.84 लाख मौतें हो चुकी हैं।
  • ओबामाकेयर के सख्त विरोधी, इसे कमजोर बनाने में जुटे हैं। पर अब तक इसका कोई किफायती विकल्प नहीं दे सके।
  • व्हाइट हाउस में बहुत कम अश्वेत सलाहकार। अश्वेतों की बढ़ती बेरोजगारी पर बात नहीं करते। सजा घटाने के पक्ष में।
  • पेरोल पर टैक्स कट का वादा, महामारी के दौर से पहले की अर्थव्यवस्था बनाएंगे। नौकरियां, निर्माण देश में वापस लाएंगे।
  • इमिग्रेशन कम करेंगे। मैक्सिको सीमा पर दीवार बनवा रहे। वीसा लॉटरी, चेन माइग्रेशन खत्म कर मेरिट आधारित एंट्री कर देंगे।

बाइडेन

  • नेशनल ट्रेसिंग प्रोग्राम का प्रस्ताव, मुफ्त टेस्टिंग हो, 1 लाख लोगों को काम में लगाएं। हर राज्य में 10 सेंटर रखने के पक्ष में।
  • ओबामाकेयर को आगे बढ़ाएंगे, 10 साल में 5.5 लाख करोड़ रु. खर्च का प्रस्ताव। 97% अमेरिकियों को दायरे में लाएंगे।
  • कैबिनेट में देश की विविधता दिखाने का वादा। अल्पसंख्यकों के लिए 1500 करोड़ रुपए का अनुदान फंड बनाएंगे।
  • कॉर्पोरेट्स को ज्यादा छूट देने के खिलाफ। न्यूतनत आय बढ़ाने की वकालत। टैक्स कट के खिलाफ, कर्ज माफी रोक देंगे।
  • इमिग्रेशन बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि इनसे रोजगार पैदा होते हैं। राष्ट्रपति बने तो पहले 100 दिन में ट्रम्प की नीतियां पलट देंगे।

मां-बेटी की मुलाकात चर्चा में

डोनाल्ड ट्रम्प की पत्नी मेलानिया और बेटी इवांका की मुलाकात चर्चा में रही। मेलानिया सौतेली बेटी से मिलते ही पहले मुस्कुराईं। फिर आंखें टेढ़ी कर खड़ी हो गईं।



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रिपब्लिकन पार्टी के कन्वेंशन के आखिरी दिन राष्ट्रपति ट्रम्प पत्नी मेलानिया और परिवार के सदस्यों के साथ पहुंचे तो आतिशबाजी हुई।


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देश में 1976 के बाद अगस्त में हुई सबसे ज्यादा बारिश, 44 साल का रिकाॅर्ड टूटा

देश में अगस्त महीने में सबसे ज्यादा बारिश का 44 साल का रिकाॅर्ड टूट गया है। इससे पहले अगस्त महीने के दौरान 1976 में सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई थी। आईएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक, “एक से 28 अगस्त तक देशभर में 296.2 मिमी बारिश हुई है, जबकि अगस्त में औसत बारिश 237.2 मिमी है। यानी देश में इस महीने में औसत से 25% ज्यादा बारिश हाे चुकी है।"

इससे पहले 1976 में अगस्त महीने में औसत से 28.4% ज्यादा बारिश हुई थी। 1901 से लेकर 2020 के दौरान अगस्त में सबसे ज्यादा बारिश 1926 में हुई थी, तब औसत से 33% ज्यादा बारिश दर्ज हुई। जुलाई के दौरान औसत से 10% कम बारिश हुई थी। आईएमडी ने बताया कि एक जून से लेकर 28 अगस्त तक देशभर में 749.6 मिमी बारिश हुई, जबकि इस दौरान औसत बारिश 689.4 मिमी है। यानी औसत से 9% ज्यादा बारिश हुई है।

पूर्वानुमान सही साबित हुआ

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पूर्वानुमान के मुताबिक, सितंबर में मानसून की रफ्तार धीमी पड़ सकती है। आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने शुक्रवार काे कहा, “मानसून के संबंध में अब तक का पूर्वानुमान सही साबित हुआ है और देशभर में मानसून का वितरण बेहतर तथा एक समान है।

अगस्त में औसत से ज्यादा या कम बारिश

क्षेत्र कितना ज्यादा या कम?
मध्य भारत 57% ज्यादा
पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत 18% ज्यादा
दक्षिण भारत 42% ज्यादा
उत्तर-पश्चिम भारत 1% ज्यादा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश 25% कम

(नगालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर और लदाख 20% कम)



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फोटो ओडिशा के कोरधा की है। यहां भारी बारिश के चलते नदियां उफान पर हैं और आवासीय इलाकों में बाढ़ आ गई है।


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इस दशक में महिला खिलाड़ियों का दबदबा, 10 साल में ओलिंपिक के 50% मेडल जीते

नेशनल स्पोर्ट्स डे पर शनिवार को अवाॅर्ड दिए जाएंगे। कोरोना के कारण अवॉर्ड पहली बार ऑनलाइन दिए जाएंगे। कोरोना पॉजिटिव विनेश फोगाट इसमें शामिल नहीं होंगी। 74 अवॉर्डी में से 60 शामिल होंगे। सबसे बड़े खेल रत्न अवॉर्ड के इस बार 5 में से 3 अवाॅर्ड महिला खिलाड़ियों को दिए जाने हैं।

यह संयोग नहीं, बल्कि मौजूदा दशक में महिला खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन का नतीजा है। 2010 के पहले ओलिंपिक में सिर्फ एक महिला खिलाड़ी ने मेडल जीता था। इसके बाद 10 साल में भारत ने जितने ओलिंपिक मेडल जीते, उसमें से आधे महिला खिलाड़ियों को मिले हैं।

सानिया ने 5 ग्रैंड स्लैम टाइटल पर कब्जा किया

टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने 5 ग्रैंड स्लैम टाइटल जीते। वे इस दौरान डबल्स की रैंकिंग में नंबर-1 पर भी पहुंचीं।

इस बार की खेल रत्न

  • विनेश फोगाट को 2014, 2018 काॅमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड। दोनों गेम्स में मेडल जीतने वाली पहली महिला रेसलर बनीं थीं।
  • रानी रामपाल की कप्तानी में महिला हाॅकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक का टिकट हासिल किया। 226 मैच में 112 गोल कर चुकी हैं।
  • मणिका बत्रा ने 2018 काॅमनवेल्थ गेम्स के टेबल टेनिस में दो गोल्ड सहित चार मेडल जीते थे।


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10 साल में भारत ने जितने ओलिंपिक मेडल जीते, उसमें से आधे महिला खिलाड़ियों को मिले हैं।  


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सैनिटाइज करने, धोने और धूप में सुखाने से दो हजार रुपए के 17 करोड़ नोट खराब हुए

कोरोना काल में बड़ी संख्या में भारतीय करंसी खराब हो गई। वजह- लोगों ने नोटों को सैनिटाइज किया, उन्हें धोया और घंटों तक धूप में सुखाया। यही वजह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) तक पहुंचने वाले खराब नोटों की संख्या ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।

आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल दो हजार रुपए के 17 करोड़ नोट खराब हुए। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 300 गुना ज्यादा है। दूसरे नंबर पर 200 रुपए के नोट हैं। वहीं, तीसरे नंबर 500 रुपए के नोट हैं। पिछले साल की तुलना में इन सभी नोटों के खराब होने की संख्या बढ़ी है।

बैंकों में भी गडि्डयों पर सैनिटाइजर का स्प्रे

रिपोर्ट में कहा गया है कोरोना काल में लोगों को डर था कि करंसी भी ‘संक्रमित’ हो सकती है। इस तरह की कई रिपोर्ट्स आने के बाद लोगों ने करंसी को सैनिटाइज करना शुरू कर दिया। वहीं शुरुआत में लोगों ने नोटों को धो डाला। इतना ही नहीं नोटों को घंटों तक धूप में सुखाया भी। बैंकों में भी गड्डियों पर सैनिटाइजर स्प्रे किया जा रहा है। इसका नतीजा ये हुआ कि पुरानी तो छोड़िए नई करंसी ने भी सालभर में दम तोड़ दिया।

10 रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक के नोट खराब

आरबीआई द्वारा जारी खराब नोटों की रिपोर्ट से साफ है कि 10 रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक के नोट पहली बार इतनी बड़ी संख्या में खराब हुए हैं। दो हजार के नोट की छपाई बंद हो चुकी है। पिछले साल दो हजार के 6 लाख नोट आरबीआई बदलने के लिए पहुंचे थे। इस बार ये संख्या 17 करोड़ से भी ज्यादा हो गई।

20 रुपए की नई करंसी 20 गुना खराब

500 की नई करंसी दस गुना ज्यादा खराब हो गई। 200 के नोट तो पिछले साल की तुलना में 300 गुना से भी ज्यादा खराब हो गए। 20 रुपए की नई करंसी एक साल में बीस गुना ज्यादा खराब हो गई।



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पिछले साल दो हजार के 6 लाख नोट आरबीआई बदलने के लिए पहुंचे थे। इस बार ये संख्या 17 करोड़ से भी ज्यादा हो गई।


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मेसी मैदान में भागते कम और चलते ज्यादा हैं, इसी तकनीक से अपनी ऊर्जा बचाते हैं

दुनिया के नंबर एक फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेसी को कई मौकों पर लोग धीमा खिलाड़ी कह देते हैं। 23 दिसंबर 2017 में रियल मैड्रिड और बार्सिलोना के बीच हुए मैच में मेसी कुल 8 किलोमीटर दौड़े, लेकिन इसमें 83 फीसदी वह वॉक करते रहे।

हालांकि मेसी के एक गोल के साथ बार्सिलोना यह मैच जीत गई। खेल पत्रकारों का कहना है कि मेसी की यही तकनीक उन्हें दुनिया का महान खिलाड़ी बनाती है। कई नामी खिलाड़ी जहां ज्यादा भागते हैं, वहीं मेसी कम दौड़ते हैं। 2014 में फीफा विश्वकप के दौरान पत्रकारों ने कहा कि सिर्फ मेसी ही हैं, जो दूसरे खिलाड़ियों से कम दौड़कर भी मैच जिता सकते हैं।

एक कॉमेन्टेटर ने कहा कि मेसी किसी मशीन की तरह सही क्षणों के लिए अपनी ऊर्जा बचाकर रखते हैं। मेसी अपने पास बॉल कम से कम रखते हैं, साथी खिलाड़ियों को लय में रखते हैं। वह अपनी आंखों से इशारा करके भी हारे हुए मैच में जान डाल देते हैं। खेल पत्रकार क्रिस्टीन क्यूबोरो के अनुसार मेसी अपनी आंखों से ही पूरी टीम को इशारा करके एकजुट कर लेते हैं और विरोधी टीम चित्त हो जाती है।

33 साल के लियोनेल मेसी 4 साल की उम्र से फुटबॉल खेल रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि बार्सिलोना से अपना 20 साल पुराना रिश्ता खत्म कर वह इंग्लैंड के मैनचेस्टर यूनाइटेड एफसी से जुड़ सकते हैं।

कॅरिअर : ग्यारह साल लगे 10 नंबर की जर्सी हासिल करने में
मेसी की जर्सी का नंबर 10 है। फुटबॉल में जर्सी नंबर का संबंध प्रतिष्ठा से जुड़ा होता है। बार्सिलोना से जुड़ने के बाद मेसी 30 नंबर की जर्सी पहनते थे। मेसी ने सीनियर प्लेयर के तौर पर कॅरिअर का पहला गोल इसी जर्सी के साथ किया। बाद में टीम में रेगुलर हो जाने के बाद वह 19 नंबर की जर्सी पहनने लगे। 24 जुलाई 2008 को स्कॉटलैंड के क्लब हिबरनियन के खिलाफ मैच में पहली बार मेसी ने 10 नंबर की जर्सी पहनी। बार्सिलोना में इससे पहले महान खिलाड़ी रोनाल्डिन्हो यह जर्सी पहनते थे।

परिवार : मैनेजमेंट भाई-पिता के पास, मां चैरिटी देखती हैं
मेसी की बचपन में ऊंचाई औसत से कम थी। हॉर्मोन्स के कारण शारीरिक विकास बाधित हो रहा था। उनके इलाज का सारा खर्च बार्सिलोना ने उठाया। शुरुआत में उन्हें पैरों में रोज इंजेक्शन तक लगवाना पड़ता था। मेसी परिवार में अपनी मां के बहुत करीब हैं। उन्होंने अपने बाएं कंधे पर मां के चेहरे का टैटू बनवा रखा है। मेसी का पूरा परिवार मिलकर उनका मैनेजमेंट देखता है। मेसी जब 14 साल के थे, तब से उनके पिता जॉर्ज उनके एजेंट हैं। बड़ा भाई रोड्रिगो, मेसी का डेली शेड्यूल और पब्लिसिटी देखता है। मां चैरिटी के काम देखती हैं।

डाइट प्लान : मैच के 10 दिन पहले डाइट में बदलाव कर देते हैं
मेसी मैच से 10 दिन पहले डाइट प्लान बदल देते हैं। वे कार्बोहाइड्रेट लेना कम कर देते हैं और प्रोटीन की मात्रा बढ़ा देते हैं। दिन में तीन प्रोटीन शेक लेते हैं और कम से कम 8-10 गिलास पानी पीते हैं। मैच के पांच दिन पहले हर मील के पहले वेजीटेबल सूप पीते हैं। मैच के एक दिन पहले फिश, चिकन, प्राॅन्स, आलू, हरी सब्जियां और ऑरेंज खाते हैं। मैच के 6 घंटे पहले मेसी एग व्हाइड, प्रोटीन और कार्ब लेते हैं। मैच के डेढ़ घंटे पहले वह केले, आम और सेब लेते हैं।

मेसी के वर्कआउट रूटीन की बात की जाए तो उसमें रनिंग, एक्सरसाइज, वेटलिफ्टिंग शामिल हैं। उनकी डाइट में 5 चीजें सबसे जरूरी थीं- पानी, ऑलिव ऑयल, होल ग्रेंस, ताजे फल और सब्जियां। इसके अलावा नट्स और सीड्स। इस डाइट से मसल्स रिकवरी जल्दी होती है। वह दिन में तीन बार प्रोटीन शेक जरूर लेते हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि मेसी 2018 वर्ल्ड कप में हारने के बाद पूरी तरह से वीगन डाइट लेने लगे थे।

जन्म- 24 जून 1987 (अर्जेंटीना)
शिक्षा- बारहवीं
पत्नी- एंटोनेला रोकुजो
संपत्ति- 761 करोड़ रु (फोर्ब्स के अनुसार)

रिकार्ड

बार्सिलोना मैच
606,गोल- 634
इंटरनेशनल मैच
138, गोल-70

कुल गोल- 704, हैट्रिक- 48
कुल अवॉर्ड- 75, फीफा वर्ल्ड प्लेयर 2014, वर्ल्ड कप गोल्डन बॉल 2014, बैलन डी'ओर- 5 बार
टीम अवॉर्ड- अंडर 20 वर्ल्ड कप 2005, ओिलंपिक गोल्ड 2008, फीफा वर्ल्ड कप फाइनलिस्ट- 2014

बार्सिलोना के साथ 20 साल का सफर
2000 दिसंबर : बार्सिलोना यूथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया।
2004 मई : पहली बार ला लिगा टाइटल जीता।
2005 जून : सीनियर टीम प्लेयर के तौर पर कॉन्ट्रैक्ट साइन किया।
2012 मार्च : 231 गोल के साथ एफसी बार्सिलोना क्लब के टॉप स्कोरर बन गए।
2018 अगस्त : बार्सिलोना के कप्तान चुने गए।
2020 अगस्त 25 : बार्सिलोना छोड़ने की घोषणा कर दी।



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पत्नी एंटोनेला और तीन बेटे थिएगो, किरो और मेटेओ के साथ मेसी।


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तेलंगाना में 1000 करोड़ की लागत से 45 एकड़ में बन रहा संत रामानुजाचार्य का मंदिर; 120 किलो सोने की प्रतिमा स्थापित होगी

भारत में पहली बार समानता की बात करने वाले वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी का तेलंगाना में भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर 45 एकड़ में बन रहा है। इसका 80 फीसदी काम भी पूरा हो चुका है। मंदिर की लागत 1000 करोड़ से ज्यादा है।

मंदिर की खासियत है कि यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां होंगी। पहली मूर्ति अष्टधातु की, जो 216 फीट ऊंची है। वह स्थापित की जा चुकी है। इसे ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ (समानता की प्रतिमा) नाम दिया गया है। दूसरी प्रतिमा 120 किलो सोने की बनाई जा रही है। इसे मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा।



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मंदिर की खासियत है कि यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां होंगी।


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तेलंगाना में 1000 करोड़ की लागत से 45 एकड़ में बन रहा संत रामानुजाचार्य का मंदिर; 120 किलो सोने की प्रतिमा स्थापित होगी

भारत में पहली बार समानता की बात करने वाले वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी का तेलंगाना में भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर 45 एकड़ में बन रहा है। इसका 80 फीसदी काम भी पूरा हो चुका है। मंदिर की लागत 1000 करोड़ से ज्यादा है।

मंदिर की खासियत है कि यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां होंगी। पहली मूर्ति अष्टधातु की, जो 216 फीट ऊंची है। वह स्थापित की जा चुकी है। इसे ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ (समानता की प्रतिमा) नाम दिया गया है। दूसरी प्रतिमा 120 किलो सोने की बनाई जा रही है। इसे मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा।



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मंदिर की खासियत है कि यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां होंगी।


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सैनिटाइज करने, धोने और धूप में सुखाने से दो हजार रुपए के 17 करोड़ नोट खराब हुए

कोरोना काल में बड़ी संख्या में भारतीय करंसी खराब हो गई। वजह- लोगों ने नोटों को सैनिटाइज किया, उन्हें धोया और घंटों तक धूप में सुखाया। यही वजह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) तक पहुंचने वाले खराब नोटों की संख्या ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।

आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल दो हजार रुपए के 17 करोड़ नोट खराब हुए। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 300 गुना ज्यादा है। दूसरे नंबर पर 200 रुपए के नोट हैं। वहीं, तीसरे नंबर 500 रुपए के नोट हैं। पिछले साल की तुलना में इन सभी नोटों के खराब होने की संख्या बढ़ी है।

बैंकों में भी गडि्डयों पर सैनिटाइजर का स्प्रे

रिपोर्ट में कहा गया है कोरोना काल में लोगों को डर था कि करंसी भी ‘संक्रमित’ हो सकती है। इस तरह की कई रिपोर्ट्स आने के बाद लोगों ने करंसी को सैनिटाइज करना शुरू कर दिया। वहीं शुरुआत में लोगों ने नोटों को धो डाला। इतना ही नहीं नोटों को घंटों तक धूप में सुखाया भी। बैंकों में भी गड्डियों पर सैनिटाइजर स्प्रे किया जा रहा है। इसका नतीजा ये हुआ कि पुरानी तो छोड़िए नई करंसी ने भी सालभर में दम तोड़ दिया।

10 रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक के नोट खराब

आरबीआई द्वारा जारी खराब नोटों की रिपोर्ट से साफ है कि 10 रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक के नोट पहली बार इतनी बड़ी संख्या में खराब हुए हैं। दो हजार के नोट की छपाई बंद हो चुकी है। पिछले साल दो हजार के 6 लाख नोट आरबीआई बदलने के लिए पहुंचे थे। इस बार ये संख्या 17 करोड़ से भी ज्यादा हो गई।

20 रुपए की नई करंसी 20 गुना खराब

500 की नई करंसी दस गुना ज्यादा खराब हो गई। 200 के नोट तो पिछले साल की तुलना में 300 गुना से भी ज्यादा खराब हो गए। 20 रुपए की नई करंसी एक साल में बीस गुना ज्यादा खराब हो गई।



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पिछले साल दो हजार के 6 लाख नोट आरबीआई बदलने के लिए पहुंचे थे। इस बार ये संख्या 17 करोड़ से भी ज्यादा हो गई।


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इस दशक में महिला खिलाड़ियों का दबदबा, 10 साल में ओलिंपिक के 50% मेडल जीते

नेशनल स्पोर्ट्स डे पर शनिवार को अवाॅर्ड दिए जाएंगे। कोरोना के कारण अवॉर्ड पहली बार ऑनलाइन दिए जाएंगे। कोरोना पॉजिटिव विनेश फोगाट इसमें शामिल नहीं होंगी। 74 अवॉर्डी में से 60 शामिल होंगे। सबसे बड़े खेल रत्न अवॉर्ड के इस बार 5 में से 3 अवाॅर्ड महिला खिलाड़ियों को दिए जाने हैं।

यह संयोग नहीं, बल्कि मौजूदा दशक में महिला खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन का नतीजा है। 2010 के पहले ओलिंपिक में सिर्फ एक महिला खिलाड़ी ने मेडल जीता था। इसके बाद 10 साल में भारत ने जितने ओलिंपिक मेडल जीते, उसमें से आधे महिला खिलाड़ियों को मिले हैं।

सानिया ने 5 ग्रैंड स्लैम टाइटल पर कब्जा किया

टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने 5 ग्रैंड स्लैम टाइटल जीते। वे इस दौरान डबल्स की रैंकिंग में नंबर-1 पर भी पहुंचीं।

इस बार की खेल रत्न

  • विनेश फोगाट को 2014, 2018 काॅमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड। दोनों गेम्स में मेडल जीतने वाली पहली महिला रेसलर बनीं थीं।
  • रानी रामपाल की कप्तानी में महिला हाॅकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक का टिकट हासिल किया। 226 मैच में 112 गोल कर चुकी हैं।
  • मणिका बत्रा ने 2018 काॅमनवेल्थ गेम्स के टेबल टेनिस में दो गोल्ड सहित चार मेडल जीते थे।


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10 साल में भारत ने जितने ओलिंपिक मेडल जीते, उसमें से आधे महिला खिलाड़ियों को मिले हैं।  


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देश में 1976 के बाद अगस्त में हुई सबसे ज्यादा बारिश, 44 साल का रिकाॅर्ड टूटा

देश में अगस्त महीने में सबसे ज्यादा बारिश का 44 साल का रिकाॅर्ड टूट गया है। इससे पहले अगस्त महीने के दौरान 1976 में सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई थी। आईएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक, “एक से 28 अगस्त तक देशभर में 296.2 मिमी बारिश हुई है, जबकि अगस्त में औसत बारिश 237.2 मिमी है। यानी देश में इस महीने में औसत से 25% ज्यादा बारिश हाे चुकी है।"

इससे पहले 1976 में अगस्त महीने में औसत से 28.4% ज्यादा बारिश हुई थी। 1901 से लेकर 2020 के दौरान अगस्त में सबसे ज्यादा बारिश 1926 में हुई थी, तब औसत से 33% ज्यादा बारिश दर्ज हुई। जुलाई के दौरान औसत से 10% कम बारिश हुई थी। आईएमडी ने बताया कि एक जून से लेकर 28 अगस्त तक देशभर में 749.6 मिमी बारिश हुई, जबकि इस दौरान औसत बारिश 689.4 मिमी है। यानी औसत से 9% ज्यादा बारिश हुई है।

पूर्वानुमान सही साबित हुआ

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पूर्वानुमान के मुताबिक, सितंबर में मानसून की रफ्तार धीमी पड़ सकती है। आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने शुक्रवार काे कहा, “मानसून के संबंध में अब तक का पूर्वानुमान सही साबित हुआ है और देशभर में मानसून का वितरण बेहतर तथा एक समान है।

अगस्त में औसत से ज्यादा या कम बारिश

क्षेत्र कितना ज्यादा या कम?
मध्य भारत 57% ज्यादा
पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत 18% ज्यादा
दक्षिण भारत 42% ज्यादा
उत्तर-पश्चिम भारत 1% ज्यादा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश 25% कम

(नगालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर और लदाख 20% कम)



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फोटो ओडिशा के कोरधा की है। यहां भारी बारिश के चलते नदियां उफान पर हैं और आवासीय इलाकों में बाढ़ आ गई है।


from Dainik Bhaskar /national/news/the-highest-rainfall-in-august-after-1976-the-44-year-record-broke-127664003.html
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