ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक अब फ्लू की वैक्सीन से कोरोना को मात देने की तैयारी में जुटे हैं। विक्टोरिया राज्य में इंसानों पर इसका ट्रायल शुरू हो चुका है। वैक्सीन का नाम NVX-CoV2373 है और इसे अमेरिकी कम्पनी नोवावैक्स ने बनाया है।
ऐसा कहा जा रहा है कि पूरे दक्षिणी गोलार्धमें ये किसी कोरोना वैक्सीन का पहला ट्रायल है और यह समझने की कोशिश की जा रही है किकोरोनावायरस पर इसका असर कितना होता है।
4 पॉइंट : ऐसे काम करेगी वैक्सीन
- स्पाइक प्रोटीन पर वार करेंगी इम्यून कोशिकाएं
कंपनी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैक्सीन इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं पर दबाव बनाएगी ताकि ये वायरस से लड़ें। ट्रायल में इस्तेमाल हो रही वैक्सीन की खास बात है कि यह पूरे वायरस को टार्गेट करने की बजाय कोरोना के स्पाइक प्रोटीन पर वार करेगी। वायरस का यही हिस्सा संक्रमण के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।
- प्रोटीन के टुकड़ों को वायरस समझकर खत्म करेंगी
शोधकर्ताओं का कहना है कि वैक्सीन के कारण कोरोना का प्रोटीन छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटेगा, जिसे नैनो पार्टिकल्स कहते हैं। शरीर की इम्यून कोशिकाएं इन कणों को छोटा वायरस समझकर सक्रिय होंगी और पकड़ेंगी।
- मेट्रिक्स-एम इम्यून कोशिकाओं को सिग्नल भेजेगा
शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैक्सीन में मेट्रिक्स-एम नाम के नैनो पार्टिकल्स रहेंगे यह शरीर में खतरा देखते ही इम्यून कोशिकाओं को सिग्नल देंगे। यह कोशिकाओं को बार-बार अलर्ट व एक्टिव करेंगे ताकि ये प्रोटीन के टुकड़ों को खत्म कर सकें।
- इंफ्लुएंजा की वैक्सीन पर आधारित
कोरोना पर जिस वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है वह इंफ्लूएंजा वायरस पर आधारित है, जिसे नैनोफ्लू कहते हैं। इसे नोवावैक्स कम्पनी ने ही बनाया था। पिछले साल अक्टूबर में इसके तीसरे चरण का ट्रायल 2650 वॉलंटियर्स पर किया गया था।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2XCZfAK
https://ift.tt/36zU4FQ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubt, please let me know.