अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि पर एक बार फिर खुदाई की तैयारी है। लेकिन, किसी पुरातात्विक साक्ष्य के लिए नहीं, बल्कि इस बार नए राम जन्मभूमि मंदिर का आधार तय किया जाना है। नींव की खुदाई में पुरातात्विक इतिहास का खजाना सामने आने की उम्मीद है।
जन्मभूमि के नीचे 9 काल और ईसा पूर्व 1600 साल के पुरातात्विक इतिहास की पर्तें दबी हैं। नए मंदिर का गर्भगृह उसी स्थान पर बन रहा है। जहां 2003 के पुरातात्विक खनन के दौरान प्राचीन मंदिर का गर्भगृह मिला था। 2003 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश से खुदाई कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने बुद्ध रश्मि मणि और हरि मांझी के नेतृत्व में रिपोर्ट सौंपी थी। इस टीम का नेतृत्व करने वाले एएसआई के तत्कालीन अधीक्षक बुद्ध रश्मि मणि ने 17 साल बाद जानकारी उजागर की। इस रिपोर्ट पर भास्कर से खास बातचीत...
समतलीकरण में मिले थे प्राचीन मंदिर के अवशेष
बीआर मणि ने कहा, 'जन्मभूमि के समतलीकरण के दौरान प्राचीन मंदिर के महत्वपूर्ण अवशेष सामने आए हैं। जन्मभूमि की नींव की खुदाई के दौरान बेहद प्राचीन मंदिर का ढांचा और अहम पुरातात्विक सामग्री मिलेगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को कोशिश करनी चाहिए कि मंदिर निर्माण को प्रभावित किए बिना पुरातात्विक सामग्री को कुछ मात्रा में जरूर संरक्षित करे।
प्राचीन अवशेषों को ग्लास विंडो के सहारे आने वाले श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था की जाए ताकि पुरातात्विक इतिहास के बारे में नई पीढ़ी को जानकारी मिल सके। इसके साथ ही खुदाई के दौरान मिलने वाली सामग्री के संरक्षण और अध्ययन के लिए किसी संस्था या यूनिवर्सिटी से मदद लें।’ बीआर मणि की 50 सदस्यों की टीम ने खुदाई के बारे में पूरे 17 साल चुप्पी साधे रखी थी।
कोर्ट ने अपने आदेश में पूरी टीम को निर्देश दिया था कि इस बारे में वे किसी से कोई चर्चा नही करेंगे। इसके लिए सभी से शपथपत्र भी लिया गया था। इस टीम में चार मुस्लिम पुरातत्वविद एआर सिद्दीकी, जुल्फिकार अली, जीएस ख्वाजा और एए हाशमी भी शामिल थे। करीब छह महीने तक 90 ट्रंच की छानबीन कर रिपोर्ट तैयार की गई थी। 9 नवंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में इस रिपोर्ट की अहम भूमिका थी।
10वीं सदी में भी इस स्थान पर मौजूद मंदिर को तोड़ा गया था
बीआर मणि ने कहा- ‘2003 में हुई खुदाई के दौरान पता चला था कि जन्मभूमि के नीचे मौर्या, कुषाण, शुंग समेत 9 काल दबे हुए हैं। खनन से मिली सामग्री की कार्बन डेंटिंग से पता चला कि इस स्थल पर ईसा पूर्व 1600 सालों तक के इतिहास की पर्तें दबी हैं।
वहां बड़ी संरचना भी मिली थी। एक बड़ी और मोटी दीवार उत्तर से दक्षिण में काफी लंबाई में मिली थी। इस दीवार के साथ दूसरी दीवारें भी जुड़ी हुईं थी। इस बात की भी जानकारी मिली थी कि 10वीं सदी में भी इस स्थान पर मौजूद मंदिर को तोड़ा गया था। संभव है कि नींव खुदाई के दौरान प्राचीन मंदिर और संस्कृति के बारे में और बड़ी जानकारी सामने आएगी।’
जन्माष्टमी पर शुरू हो गई मंदिर की नींव की खुदाई; 5 मशीनें काम में लगीं
जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर राम मंदिर निर्माण के लिए नींव की खुदाई शुरू हो गई है। बुधवार को लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) की पांच जेसीबी मशीनों ने खुदाई शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि 24 हजार वर्ग मीटर के नए विशाल मंदिर निर्माण के लिए सीता रसोई और मानस भवन का वजूद खत्म हो जाएगा। जहां मानस भवन है, वहां नए मंदिर का सिंह द्वार बनेगा।
नींव की पाइलिंग के लिए एलएंडटी की रिंग मशीन भी जल्दी ही जन्मभूमि पर पहुंच जाएंगी। रिंग मशीन से पाइलिंग के लिए 12 मीटर गहरे कुंए खोदे जाएंगे। 6 एकड़ भूमि में मंदिर निर्माण का आधार तैयार करने के लिए 800 से ज्यादा कुएं तैयार किए जाएंगे। मालूम हो श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के निर्माण समिति की महत्वपूर्ण बैठक 20 अगस्त को दिल्ली में होनी है।
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