गुरुवार, 6 अगस्त 2020

घाटी में पंडितों को नहीं मिला विशेष दर्जा, कश्मीरी पंडितों, गुज्जरों की उम्मीदें अधूरीं

मोहित कंधारी/मुदस्सिर कुल्लू. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटने के बाद कश्मीरी पंडितों और गुज्जर बकरवाल समुदायों में बड़ी उम्मीदें जगी थीं। अब एक साल बाद ये सवाल कर रहे हैं कि कानून बदलने का उन्हें क्या फायदा मिला? इनकी आस अधूरी ही है। इसी तरह डोमिसाइल नीति को सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा था।

मई से लागू नई नीति में कश्मीर के मूल निवासी की परिभाषा का दायरा बढ़ाया गया। सालों से राज्य में रहकर भी स्थायी निवासी के लाभ से वंचितों के लिए यह मरहम सरीखा है। मगर आंकड़े बताते हैं कि मूल निवासी बनने की चाह जम्मू तक सीमित है।

22 जून को डोमिसाइल प्रमाण पत्र की ऑनलाइन सुविधा लॉन्च होने के बाद से 31 जुलाई तक जम्मू में 2.9 लाख लोगों को डोमिसाइल जारी किए गए। घाटी में यह संख्या महज 79,300 है। एक अधिकारी ने बताया कि कश्मीर के मुकाबले जम्मू शांत है। इसलिए लोग वहां रहना पसंद कर रहे हैं।

वनाधिकार कानून लागू होने की उम्मीद थी

गुज्जर बकरवाल समुदाय में उम्मीद जगी थी कि केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद यहां वनाधिकार कानून लागू हो जाएगा। उन्हें जंगल की जमीन का हक मिल सकेगा। देश में यह कानून 2006 से लागू है और वन क्षेत्र में अपना गुजर बसर करने वाली जातियों को जमीन व वनोपज पर अधिकार देता है।

इस पर जे एंड के गुज्जर बकरवाल यूथ कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष जाहिद परवाज कहते हैं कि करीब 20 लाख गुज्जर आबादी निराश है। एक साल में कुछ नहीं किया गया। गुज्जरों को उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है। कश्मीरी पंडितों के लिए भी कुछ नहीं बदला। उनकी स्थिति वैसी की वैसी है।

कश्मीरी पंडित राज्य में अल्पसंख्यक हैं

पुनर्वास से जुड़े संगठन के अध्यक्ष सतीश महालदार का कहना है कि कश्मीरी पंडित राज्य में अल्पसंख्यक हैं, अत: उन्हें विशेष दर्जा दिया जाना चाहिए।

वाल्मीकि समाज के युवाओं में जगी आस

नीतियों में बदलाव का असर भी दिख रहा है। वाल्मीकि समाज के राधिका गिल और एकलव्य जैसे युवा करिअर की आस छोड़ चुके थे, मगर अब परमानेंट रेजिडेंट सर्टिफिकेट (पीआरसी) के साथ सपने देख रहे हैं। सफाई कर्मचािरयों के बच्चे नौकरियों से महरूम थे।

वाल्मीकि समाज के अध्यक्ष गारू भट्‌टी ने बताया कि राज्य में करीब 200 युवा स्नातक या स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। पीआरसी के बाद अब वे अपना जीवनस्तर सुधार सकेंगे। नए सपने देख सकेंगे।

बरसी: श्रीनगर में कर्फ्यू जैसी सख्ती, जम्मू में जश्न

श्रीनगर में सड़कों पर बुधवार को कर्फ्यू जैसे हालात रहे। भाजपा नेताओं को पार्टी दफ्तर में तिरंगा फहराने की इजाजत थी। पार्टी की कुछ महिला नेताओं ने गांदरबल, अनंतनाग व बारामूला जिलों में झंडे फहराए। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जश्न को ड्रामा करार दिया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
श्रीनगर में सड़कों पर बुधवार को कर्फ्यू जैसे हालात रहे। भाजपा नेताओं को पार्टी दफ्तर में तिरंगा फहराने की इजाजत थी।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3kjwx2g
https://ift.tt/2DoAv9o

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt, please let me know.

Popular Post