बुधवार, 9 सितंबर 2020

बठिंडा में खराब सड़क के कारण महिला हुई हादसे की शिकार तो ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी ने गड्‌ढे भर दिए, महाराष्ट्र में बच्चों को लाउडस्पीकर से पढ़ाया जा रहा

ऐसा आमतौर पर कम ही देखने को मिलता है, जब किसी पुलिसकर्मी का दिल इतना पसीज जाए कि वो अपनी ड्यूटी के अलावा किसी ऐसे काम को शिद्दत से करने लगे, जिससे उसका कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन ऐसा ही एक वाक्या पंजाब के बठिंडा शहर में देखने को मिला, जब शहर के लाल बत्ती चौक पर 3 फीट चौड़े गड्ढे में स्कूटी पर बच्चे को लेकर जा रही एक महिला गिर गई। इस घटना के बाद वहां तैनात दो ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों हवलदार गुरुदत्त सिंह और भीम सिंह ने खुद ही गड्‌ढे को सीमेंट और रेत से भरकर इंसानियत का फर्ज अदा किया।

कीचड़ में फंस रहे थे बैलों के पैर

मध्यप्रदेश के आलीराजपुर जिले के जोबट जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम वागदी के लोग बदहाल सड़क के कारण परेशान हैं। बारिश के दौरान गांव में दो माह से ट्रांसफार्मर बंद पड़ी थी। लोगों को अंधेरे में रहना पड़ रहा था और कीचड़ के कारण डीपी को निकालकर जोबट तक पहुंचना मुश्किल था। एक-दो बार कोशिश की लेकिन रास्ते पर कीचड़ इतना था कि बैल के पैर भी उसमें फंस जाते। ऐसे में परेशानी झेल रहे ग्रामीण आखिरकार बैलगाड़ी में खुद को जोतकर डीपी को जोबट लेकर गए। सरपंच पुत्र बिलावल डुडवे ने बताया कई बार पुल की मांग की लेकिन आज तक स्वीकृति नहीं मिली।

दो हजार लोगों के लिए एक कुआं

भीलवाड़ा जिले की आखिरी सीमा पर दो हजार लोगों की आबादी वाला गांव है हीरा का बाड़िया। यहां के हर शख्स की सुबह दिनभर के पानी की चिंता में शुरू होती है। मानसून के दिन हैं इसलिए राहत सिर्फ इतनी है कि 50 फीट गहराई की बजाय कुएं में पानी ऊपर 10-15 फीट पर आ गया है। बच्चे-बुजुर्ग, महिला-पुरुष सभी के दिन की शुरुआत पीने के पानी का इंतजाम कर लेने से होती है।

कुई पर भीड़ खूब हो जाती है। कुछ युवा कुई में अंदर उतरकर सीढ़ीनुमा पत्थरों पर खड़े रहकर रस्सी से बंधे केन, बाल्टियों में पानी भरते हैं, जो महिलाएं व बच्चे रस्सों से ऊपर खींचते हैं। ऐसा इसलिए कि काम कुछ जल्दी हो जाए। पूरे साल एकमात्र कुई ही सहारा है। जहां दो-दो घंटे में नंबर आता है। पानी की राशनिंग की हुई है। एक परिवार को गर्मी में दो-तीन घड़े ही पानी मिलता है।

35 गांवों में चल रहा ‘बोलता स्कूल’

देश भर में अनलॉक-4 में लगभग हर चीज खुल चुकी है। नहीं खुले हैं तो बस स्कूल। पढ़ाई ऑनलाइन हो गई है। लेकिन अपने यहां एक तबका ऐसा भी है, जिसके लिए बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना सपने जैसा है। महाराष्ट्र में ऐसे बच्चों को लाउडस्पीकर से पढ़ाया जा रहा है। बच्चे इस नए टीचर को ‘स्पीकर टीचर’ कहने लगे हैं। पालघर जिले के जव्हार और मोखाडा तहसील के 35 गांवों में ‘बोलता स्कूल’ शुरू किया गया है। अब तक इन गांवों के करीब 1200 बच्चे इससे जुड़ चुके हैं।

डिस्कॉम की लापरवाही से टॉवर पर चढ़ी बेल

जो डिस्कॉम मेंटेनेंस के नाम पर घंटों तक शहर की बत्ती गुल कर देता है, उसका ध्यान पोल और लाइनों पर है ही नहीं। तभी तो राजस्थान के भरतपुर जिले के बयाना में जगह-जगह बिजली के पोल, टॉवर और तारों पर बारिश के चलते बेल लिपट गई हैं। लेकिन अफसर बेफिक्र हैं। जूनियर इंजीनियर (सिटी) अभिषेक गुप्ता ने बताया कि झाड़ियों को मेंटनेंस के दौरान हटा दिया जाएगा।

चर्च और घरों में प्रार्थना हुई

कैथोलिक ईसाई समुदाय ने मंगलवार को मदर मैरी का जन्मोत्सव मनाया। यह त्योहार हर साल 8 सितंबर को निष्कलंक गर्भाधान के बाद धन्य कुंवारी मरियम के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। महामारी के चलते जन्मोत्सव सादगी से मनाया गया। भोपाल के नेहरू नगर व अरेरा कॉलोनी आशा निकेतन समेत अन्य कई चर्च में सीमित संख्या में ही लोगों की उपस्थिति रही। अधिकांश लोगों ने घरों में रहकर ही प्रार्थना-आराधना की। इस मौके पर चल समारोह भी नहीं निकाला गया। चर्च में उपस्थित लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हुए उत्सव मनाया।

तारबंदी में फंसी गर्भवती हिरणी को रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया

राजस्थान की बिलाड़ा तहसील में मंगलवार को दो हिरण फंस गए। इनमें एक ने दम तोड़ दिया लेकिन दूसरे को वन्य जीव प्रेमियों ने बचा लिया। हिरणों के फंसे होने की सूचना पर विश्नोई टाइगर फोर्स बिलाड़ा ब्लॉक अध्यक्ष प्यारेलाल विश्नोई लांबा मौके पर पहुंचे। तब तक नर हिरण ने प्राण त्याग दिए थे और मादा तड़प रही थी। मौके पर वाहन पहुंचने का रास्ता नहीं था। ऐसे में बिश्नोई ने हिरणी को निकाला। फिर घावों को कपड़े व पट्टी से बांधा और आधा किमी दूर सड़क पर वाहन में डालकर बाला रेस्क्यू सेंटर पर प्राथमिक उपचार कराया। इसके बाद वन विभाग के कर्मचारियों को सुपुर्द किया।

हिप्पो लीली तीसरी बार बनी मां

लॉकडाउन रांची के बिरसा जैविक उद्यान के जानवरों के लिए अनुकूल साबित हो रहा है। जू की बाघिन अनुष्का ने लॉकडाउन के दौरान 18 अप्रैल को तीन शावकों को जन्म दिया था। इसके बाद जू की मादा हिप्पो लिली 14 अगस्त को तीसरी बार मां बनी। उसने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसकी अभी पहचान नहीं हो पाई है कि नर है या मादा।



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Traffic police staff filled the pits as a victim of an accident due to bad road in Bathinda, children are being taught with loudspeakers in Maharashtra


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