प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को हिमाचल के रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन करेंगे। करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी यह दुनिया की सबसे लंबी टनल है। इसकी लंबाई 9.2 किमी है। इसे बनाने में 10 साल का वक्त लगा। इससे मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और चार घंटे की बचत होगी। इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है।
इससे क्या फायदा होगा?
- टनल से मनाली और लाहुल-स्पीति घाटी 12 महीने जुड़े रहेंगे। भारी बर्फबारी की वजह से इस घाटी का छह महीने तक संपर्क टूट जाता है।
- टनल का साउथ पोर्टल मनाली से 25 किमी दूर स्थित है। वहीं, नार्थ पोर्टल लाहुल घाटी में सिसु के तेलिंग गांव के नजदीक है।
10.5 मीटर चौड़ी, 10 मीटर ऊंची टनल की खासियत
- 2958 करोड़ रुपए खर्च आया।
- 14508 मीट्रिक स्टील लगा।
- 2,37,596 मीट्रिक सीमेंट का इस्तेमाल हुआ।
- 14 लाख घन मीटर चट्टानों की खुदाई हुई।
- 500 मीटर की दूरी पर इमरजेंसी एक्जिट।
- 150 मीटर की दूरी पर 4-जी की सुविधा।
पहले यह रिकॉर्ड चीन के नाम था
अटल टनल से पहले यह रिकॉर्ड चीन के तिब्बत में बनी सुरंग के नाम था। यह ल्हासा और न्यिंग्ची के बीच 400 किमी लंबे हाईवे पर बनी है। इसकी लंबाई 5.7 किमी है। इसे मिला माउंटेन पर बनाया गया है। इसकी ऊंचाई 4750 मीटर यानी 15583 फीट है। इसे बनाने में 38500 करोड़ रुपए खर्च हुए। यह 2019 में शुरू हुई।
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