प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 70वीं बार 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित करेंगे। इस दौरान वे सर्दियों, खासकर त्योहारी सीजन में कोरोना के प्रति विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दे सकते हैं। पिछली बार भी उन्होंने लोगों से दो गज की दूरी और मास्क का इस्तेमाल करने की अपील की थी।
मोदी ने पिछली बार कहा था- कोरोना के बीच अपना और बच्चों का ध्यान रखें
- कोरोना के कालखंड में दो गज की दूरी जरूरी बन गई है। इस दौरान कई परिवारों को दिक्कतें भी आईं। परिवार के बुजुर्गों ने बच्चों को कहानियां सुनाकर समय बिताया। कहानियां संवेदनशील पक्षों को सामने लाती हैं। जब मां बच्चे को खाना खिलाने के लिए कहानी सुनाती है, उसे देखना दिलचस्प होता है।
- लंबे समय तक में घुमंतू रूप में रहा। कई घरों में जाता था। मैं बच्चों को कहानियां सुनाता था। वे कहते थे, अंकल चुटकुले सुनाइए। मैं हैरान रह गया कि घरों में कहानियों की परंपरा खत्म हो गई।
- हमारे यहां तो हितोपदेश, पंचतंत्र जैसी कहानियों की परंपरा रही है। दक्षिण भारत में ही ऐसी परंपरा है, जिसे विल्लूपाट कहते हैं। कई लोग इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
- परिवार में हर हफ्ते कहानियों के लिए समय निकालिए। इसके लिए करुणा, वीरता, प्रेम जैसे विषय भी निर्धारित कीजिए।
- मैं हर स्टोरी टेलर से कहना चाहता हूं कि हम आजादी का 75वां साल मनाने जा रहे हैं। आजादी से लेकर अब तक की घटनाओं को कहानियों में गढ़ सकते हैं क्या?’
- कोरोना काल में मास्क जरूर पहनें, दो गज की दूरी रखें। यह आपको और परिवार को बचाएगा। हम यह न भूलें- जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।
किसानों से कहा था- किसान बिल उनका फायदा ही करेंगे
- हमारे यहां कहा जाता है कि जमीन से जुड़ा व्यक्ति बड़े से बड़े तूफानों में अडिग रहता है। कोरोना के संकट काल में किसानों ने दमखम दिखाया है। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी।
- मुझे कई किसानों, संगठनों की चिट्ठियां मिलती हैं कि खेती में कैसे बदलाव आ रहे हैं? हरियाणा के किसान कंवर चौहान ने बताया कि उन्हें मंडियों से बाहर फल-सब्जी बेचने में दिक्कत आती थी। गाड़ियां जब्त हो जाती थीं। 2014 में एपीएमसी एक्ट में बदलाव हुए। उन्होंने एक समूह बनाया। अब उनकी चीजें फाइव स्टार होटलों में सप्लाई हो रही हैं। ढाई से तीन करोड़ सालाना कमा रहे हैं। यही ताकत देश के दूसरे किसानों की ताकत है।
- गेहूं, धान, गन्ना या किसी भी फसल को जहां मर्जी हो, वहां बेचने की ताकत मिल गई है। पुणे, मुंबई में किसान साप्ताहिक बाजार खुद चला रहे हैं। इसका सीधा लाभ होता है। नए किसान बिल से किसानों को फायदा होगा। जहां अच्छे दाम मिलेंगे, किसान वहीं फल-सब्जियां बेचेगा।
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