सोमवार, 9 नवंबर 2020

जेल में रहते हुए 8 साल में 31 डिग्रियां ली, सरकारी नौकरी भी मिली, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज

जेल जाने के बाद ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है कि कैदी वहां रहकर अपना फ्यूचर बनाने में जुट जाए, लेकिन अहमदाबाद के भानूभाई पटेल ने जेल में रहकर सिर्फ पढ़ाई ही नहीं की, बल्कि सजा के दौरान 8 साल में 31 डिग्रियां लीं। उन्हें सरकारी नौकरी का ऑफर भी मिला। नौकरी के बाद 5 सालों में उन्होंने और 23 डिग्रियां लीं।

वे अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, यूनिवर्सल रिकार्ड फोरम और वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया तक में दर्ज करा चुके हैं।

FERA कानून के उल्लंघन पर हुई थी 10 साल की जेल

गुजरात की जेलों में कैदियों की पढ़ाई के लिए ओपन यूनिवर्सिटी के साथ कई अभ्यास क्रम भी चल रहे हैं। जिसके चलते, कैदी आगे की पढ़ाई भी कर रहे हैं।

भानूभाई पटेल मूल भावनगर की महुवा तहसील के रहने वाले हैं। अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद 1992 में मेडिकल की डिग्री लेने के लिए अमेरिका गए थे। यहीं, उनका एक दोस्त स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका में जॉब करते हुए अपनी तनख्वाह भानूभाई के अकाउंट में ट्रांसफर करता था। इसके चलते उन पर फॉरेन एक्सचेंज रेग्युलेशन एक्ट (FERA) कानून के उल्लंघन का आरोप लगा और इस तरह 50 साल की उम्र में उन्हें 10 साल की सजा हुई और अहमदाबाद की जेल भेज दिया गया।

जेल जाने के बाद भी मिली सरकारी नौकरी
भानूभाई ने बताया कि जेल से रिहा होने के बाद मुझे अंबेडकर यूनिवर्सिटी से जॉब ऑफर हुई। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि जेल जाने वाले व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं मिलती, लेकिन मेरी डिग्रियों के चलते सरकारी जॉब का ऑफर मिला। नौकरी के बाद 5 सालों में मैंने और 23 डिग्रियां लीं। इस तरह अब तक 54 डिग्रियां ले चुका हूं और इस विषय पर मैंने गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में तीन किताबें भी लिखी हैं।

भानूभाई ने सजा के दौरान 8 साल में 31 डिग्रियां लीं। उन्हें सरकारी नौकरी का ऑफर भी मिला। नौकरी के बाद 5 सालों में उन्होंने और 23 डिग्रियां लीं।

अपने जेल के अनुभव तीन किताबों में साझा किए
भानूभाई कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के समय में अपने जेल के अनुभव और विश्व स्तरीय रिकॉर्ड तक के सफर पर गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में तीन किताबें भी लिखीं। गुजराती किताब का नाम 'जेलना सलिया पाछळ की सिद्धि', अंग्रेजी में 'BEHIND BARS AND BEYOND' है। इतना ही नहीं, भानूभाई 13वीं विधानसभा चुनावों में प्रिसाइडिंग ऑफिसर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। इस समय उनकी उम्र 65 साल है और वे अविवाहित हैं।

जेल में शिक्षित कैदियों की संख्या ज्यादा
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात की जेल में अनपढ़ों की बजाय शिक्षित कैदियों की संख्या ज्यादा है। ग्रेजुएट, इंजीनियर, पोस्ट ग्रेजुएट किए हुए कैदी तक इनमें शामिल हैं।गुजरात की जेलों में 442 ग्रेजुएट, 150 टेक्निकल डिग्री-डिप्लोमा, 213 पोस्ट ग्रेजुएट हैं। वहीं, 5179 कैदी 10वीं से कम पढ़े हैं। सबसे ज्यादा आरोपी हत्या और अपहरण के गुनाह में सजा काट रहे हैं।

वे अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड, यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, यूनिवर्सल रिकार्ड फोरम और वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया तक में दर्ज करा चुके हैं।

कैदियों की पढ़ाई के लिए ओपन यूनिवर्सिटी सहित कई सुविधाएं
गुजरात की जेलों में कैदियों की पढ़ाई के लिए ओपन यूनिवर्सिटी के साथ कई अभ्यास क्रम भी चल रहे हैं। जिसके चलते, कैदी आगे की पढ़ाई भी कर रहे हैं। हर साल नियमित रूप से इनकी परीक्षाएं भी आयोजित होती हैं और कैदी इसमें शामिल होते हैं।



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Took 31 degrees in 8 years while in jail, got government job too, has registered name in Limca Book of Records


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